दिल की बाि प्यारे बच्चों शोर तमु ्हारा कानों तक जब आता र्ा, और बात न मानो मेरी तमु गुस्त्सा मुझको भी चढ़ जाता र्ा। वही ककताबंे वही बातें, कभी-कभी हदल तुम्हारा भी घबराता र्ा, पर खाली कमरे और खामोशी कोई नहीं कभी चाहता र्ा, कोई नहीं कभी चाहता र्ा। कु छ बातों की कोई वजह नहीं और कु छ होती बेवजह नहीं, त्रबगडे बदले जैसे भी हालात हैं, सीखो बच्चों इससे भी तछपी हुई इसमंे कोई बात है। मम्मी पापा और तुम सोचो बठै े कब सब सार् र्े, एक र्ाली मंे खाना कब मां को गले लगाया कब एक दजू े को बोलो, कब तुम इतने पास र्े। बडे प्यार से तुमने एक पंछी को पाला र्ा, छीन के उससे खलु ा आसमा बदं कमरे में डाला र्ा। पर अब जान गए तुम ददा ककसी का यह भी संुदर एक एहसास है, एक तरफ है सारी खुसशयां, एक तरफ आजादी जजसके पास है। वक्त मुजश्कल है पर कट जाएगा, ददा अगर जो बट जाएगा, जो है उसकी कद्र करो र्ोडे मंे ही सब्र करो के जंग नहीं यह हर्र्यारों की, जीतोगे तुम ही कल को खदु पर तुम ववश्वास करो, खदु को तमु तैयार करो, खदु को तुम तैयार करो। आिा शसहं पी.जी.िी (जीि विज्ञान) उन सिी िीजों को महत्ि को जानो, जो प्रकृ ति हमंे प्रिान करिी है।
स्िच्छिा ही िेििक्ति है स्ििछिा से ही स्िस्र् िारि की नीिं रखी जा सकिी है। स्िच्छिा को अपनी आििों ,ससं ्कारों में ढालकर हम स्िस्र् जीिन को पा सकिे हैं। यह ना के िल िन की बक्ल्क मन की स्िच्छिा िी होनी िादहए। हम सिी को अपने घर के ,आस पास के िािािरण को साफ सरु ्रा रखना िादहए िाकक एक प्रसन्द्नधिि समाज का तनमाणथ हो सके ।िेि की सफाई शसिथ स्िास््य कशमयथ ों की ही क्जम्मेिारी नही है,िरन इसमंे हम सब की िागीिारी होनी िादहए क्जसमंे सिी नागररको को अपनी िशू मका तनिानी िादहए । यिु ािक्ति है सब पर िारी आओ करंे स्िच्छिा की ियै ारी स्िच्छिा के इसी महम उद्िेश्य हेिु प्रतििर्थ की िाूतँ ि इस िर्थ िी दिनाकं 1शसिंबर से 15 शसिबं र 2021िक विद्यालय मंे स्िच्छिा पखिाड़ा मनाया गया ।क्जसमें प्रधानािायाथ महोिया,अध्यापक गण ि सिी विद्याधर्यथ ों ने बढ़ िढ़कर िाग शलया।कक्षा छठी से आठिीं िक के छात्रों ने िी इस पखिाड़े में परू े ज़ोि से िाग शलया। सिी के मन में यही संकल्प र्ा-- सज्जनो का क्रोध जल पर अकं कि रेखा के समान है, जो िीघ्र ही विलुप्ि हो जािी है।
अपना िेि िी साफ हो इसमें हम सबका सार् हो जहाँू है सफाई ,िहीं है पढ़ाई स्िच्छिा पखिाड़े के अिं गिथ प्रतिदिन अलग अलग दििस मनाएूँ गए जैसे स्िच्छिा िपर्,हंैडिॉि ड,े व्यक्तिगि स्िच्छिा दििस,स्लोगन तनबंध लेखन आदि ।इस पखिाड़े के अंिगिथ विद्यालय के छात्र छात्राओं ,अशििािकों ि समुिाय के लोगों िक यह सिं ेि मखु र होकर पहुँूिा -- धरिी ,पानी ,हिा रखो साफ, िरना आने िाली पीढी नहीं करेगी माफ।। स्िच्छ रहेंगंे स्िस्र् रहंेगे।। -जयमाला शसहं िी.जी.िी विज्ञान खुसरो िररया प्रेम का, उल्िी िा की धार । जो उिरा सो डू ब गया, जो डू बा सो पार ।।
Cleanliness is important, and more than that is the physical fitness to attain healthy body and mind.
ONE DAY ORIENTATION PROGRAMME FOR SUBJECT TEACHERS UDER INCLUSIVE EDUCATION FOR CHILD WITH SPECIAL NEEDS DATE 31.MARCH. 2021 WORKSHOPS The whole purpose of education is to turn mirrors into windows
What Is Special Education Special education is the practice of teaching students who require special attention due to their individual needs and differences. It involves an individually planned and systematic arrangement and a monitored way of teaching. Also, it requires the use of adapted materials and equipment and a teaching setting that is accessible. These interventions were designed to help special needs learners to achieve levels of self-sufficiency and success that are higher in school and the general community. The most common special needs are physical disabilities, learning disabilities, emotional and behavioural disorders, communication disorders and development disabilities. Special education programs are carefully designed in such a way that they are customized to address every individual student’s unique needs. These students are assessed to understand their personal strengths and weakness. An educator in the field of special education, educating children with special needs must have certain classroom rules that she/he must religiously follow. 1. First, instructions should be structured to meet, the unique requirements of the students. The flow of Instructions may be slower or faster in accordance to their needs. Class sizes should be smaller, so that each student is given individual attention. This gives the children, not only time to process information but also to reciprocate as well. 2. A Special needs classroom should have educators, who are ready to give their determined effort to educate a student. A child may need repeated trials and opportunities before they finally understand a concept. An educator of children with special needs should therefore work relentlessly until the child has understood any concept that is being taught. 3. Unique aids and tools should be used, to teach a student with special needs. Often aids used to teach students without special needs, does not work for those with special needs. Thus, educators have to come with ideas and propositions that meet their unique requirements. A methodology of trial and error should be adopted. If one tool does not work, it should be done away with and another tool that is more apt should be used in its place. All this should be done with a lot of patience because frustration has no place here. Education is the first step for people to gain the knowledge, critical thinking, empowerment and skills they need to make this world a better place.
4. Tolerance in the classroom finally, is one of the most important mantras in any special needs classroom. Like it’s been said, frustration in a special education classroom is a big No-No. Further, positive feedback with regard to a student’s behaviour is significant. A child with special needs should always be encouraged for good behaviour and guided for the wrong ones. Negative feedback may discourage and this in-turn affects their cognitive capabilities. A Special Educator therefore has to have the following qualities: Organized; Patient; Intuitive; Creative; Detail oriented; Hard- working; Optimistic; Adaptable; Good sense of humour; A love for children; A love for teaching. Meera Wadhwa (TGT SET) Teachers open the door, but you must enter by yourself.
हम ककसी से कम नहीं Yoga takes you into the present moment. The only place where life exists.
नववर्ा का आगमन अपने सार् अनतं खसु शयों को लेकर आता है।वर्ा 2020का प्रर्म हदवस .. हर्ोल्लास में डू बा हुआ जनमन सपं णू ा वातावरण को नवीनता के संुदर रंगों से सजा रहा र्ा । सब एक दसू रे को सनु हरे भववष्य की ढेरों शभु कामनाएँ दे रहे र्।े ऐसा प्रतीत हो रहा र्ा कक सयू ा की प्रर्म स्त्वखणमा ककरणंे सपं णू ा प्रकृ तत में अनतं सुख उँ डले रही हो। 2020 के जनवरी और फरवरी माह मानों पलक झपकते ही बीत ते जा रहे र्े ।एक अनजानी आहट कोववड19 की पढ़ -सनु कर भी सबअनदेखा कर रहे र्े। इन आशकं ाओं को नज़र अंदाज़ करते हुए माचा का ववववध रंगों से इठलाता महीना आ जाता है।बसतं सौंदया से प्रकृ तत पल पल पररवततता हो ,रस- रंग की मादकता से समइीरठलासंगरहीउडर्े़े ी.ज.फाू लरहे -पविया,ँ लता,खग- ववहग ,जनमानस शीतल मंद र्।े सशक्षा जगत से जडु े उच्चार्धकारीगण ,सशक्षक गण व छारों के जीवन मे परीक्षा का वावर्का त्योहार शरु ू हो गया र्ा।सभी परीक्षा की तयै ारी मंे जी जान से जटु गए ।इसी बीच कोरोना वायरस नामक अनजान बीमारी से उपजे भय व खौफ़ का वातावरण आशकं ा के अनसलु झे सवालों को लके र आ खडा होता है ।वर्ों से अपनी लय में चलता माचा का महीना ककसी अदृश्य भय से र्राा -सा जाता है ।परीक्षाएँं ँ अतनजश्चत काल के सलए स्त्र्र्गत हो गई । सरकार द्वारा लोकडाउन घोवर्त कर हदया जाता है ।चारों तरफ़ पसरा सन्नाटा ....खाली सडकों पर पसरी तनचाट तनजना ता को देख सब हैरान र्े।कहाँ एक पल भी सासँ न लने े वाली सडकंे अब शांत सोई पडी प्रतीत होने लगी।अतत व्यस्त्त,भागमभाग जज़न्दगी जजसमंे स्त्वयं के सलए भी समय ना होने की सदा सशकायत करते हम सब अपने घरों की खखडकी के झरोखंे में र्मी हुई बबे स जज़दगी के साक्षी बन गए र्े ।ऐसे मंे रोज़ी रोटी की तलाश मंे हररोज़ कमाने खाने वाले समाज के सबसे कमज़ोर वगा पर कोरोना का कहर अनेक आफ़त लेकर टू ट पडता है । Change your thoughts and your world will change.
ऐसे में रोज़ी रोटी की तलाश में हररोज़ कमाने खाने वाले समाज के सबसे कमज़ोर वगा पर कोरोना का कहर अनके आफ़त लेकर टू ट पडता है । दमघोंटू पररजस्त्र्ततयों ने उसे असहाय बना हदया र्ा। ऐसे समय मंे मूलभूत आवश्यकताओं को ही पूरा करना आम गरीब जनता के सलए बहुत कहठन हो गया र्ा।लेककन कहते है ना जजतनी घनघोर रात होती है ,हदन भी उतनी ही आशा सलए आता है ।हदल्ली सरकार ने एक बार कफर मसीहा बनकर समाज के तनम्न वगा को अपना पररवार बनाकर इनकी सबसे पहली मूलभूत आवश्यकता भूख को समटाने का बीडा उठाया ।जरूरतमंदों असहायों के सलए हदल्ली सरकार ने हदन में दो समय भोजन उपलब्ध कराने के सलए हंगर कैं प आरंभ ककए । सशक्षा जगत से जुडे उच्चार्धकाररयों से लेकर सबसे तनचले पायदान पर काया रत सभी कमचा ारी एक न ए रूप मंे अवतररत होकर इस मानवीय पहल का हहस्त्सा बनकर जी जान से वरं ्चतों और बेसहारों का सहारा बन ववश्व पटल पर परदखु हरता का नवीन इततहास रचने लग जाते हैं।हमारा ववद्यालय भी हदल्ली सरकार के इन दो हजार भूख राहत कंे द्रों व सूखा राशन ववतरण कंे द्रों मंे से एक रहा है।वंर्चतों ,बेसहारों व तनधना पररवारों के सलए हमारे ज्ञान मंहदर एक नवीन रूप मंे समाज के सार् जुड गए ।समाज पर पडी इस अनहोनी आफ़त के ज़ख्मों पर ये मलहम बन गए।परस्त्पर प्रेम,सहानभु ूतत, करूणा का साक्षात रूप इन राहत कंे द्रों में सबने देखा।लगभग 500 लोगों के दोपहर और रात के खाने की ऐसी सवु ्यवस्त्र्ा का एक हहस्त्सा बनकर , मै स्त्वयं को सशक्षक रूप मंे गौरवाजन्वत महसूस कर रही हूँ ।वंर्चतों ,असहायों के आत्मववश्वास और आत्मसम्मान को बल देते ये राहत कंे द्र ऐसे पररवारों के जीवन में नवीन सवरे ा लेकर आए हैं जो भरोसा देते है कक ववपरीत पररजस्त्र्ततयों मंे हम सब एक दसू रे के सहयोगी बनकर ही ऐसी अनहोनी समस्त्या का सामना व समाधान तनकाल सकते हंै ।मानव जीवन की सार्का ता ककसी हारे को जीवन देने मंे है । अपने सलए जजए तो क्या जजए ..ऐ हदल तू जी ज़माने के सलए ....इसी संदेश को सार्का करने के सलए हदल्ली सरकार ने अपने ववद्या लयों पर ये जज़म्मदे ारी सोंपी । जजसे हमारे ववद्यालय ने पूरी ईमानदारी से तनभाया ।।हमारे ववद्यालय में अप्रलै 2020 मे हंगर कैं प व 'सूखा राशन ववतरण कंै प 'का ये कायका ्रम ईष्याा असफलता का दसू रा नाम है, ईष्याा करने से अपना ही महत्व कम होता है
शुरू होकर आज भी सखू ा राशन ववतरण का काया बहुत ही सुतनयोजजत ढंग से चल रहा है।ववद्यालय प्रमखु श्रीमती मणृ ासलनी गौतम जी ने ऐसी ववर्म पररजस्त्र्तत मंे ना के वल इस उिर दातयत्व को सफलतापूवका तनभाया वरन अपने ववद्यालय पररवार के ज़ोश और हौंसले को एक न ई उडान भी दी ।अनेक बार ऐसा भी हुआ जब हहम्मत कमज़ोर पडने लगी लेककन मैडम ने बहुत ही स्त्नेह से इस टू टती हुई ताकत को जोडने का काया ककया। परस्त्पर समन्वय भावना और सहयोग भावना ने यह काया करने मे प्राण भरने का काया ककया । 2020से लेकर अब तक ववद्यालय में कोववड से उत्पन्न ववकट जस्त्र्ततयों के सार् सार् शैक्षखणक गततववर्धयों के कायों का तनवहा न बहुत ही शानदार ढंग से हो रहा है।हमारा ववद्यालय रोहहणी के ररहायशी इलाके मंे जस्त्र्त है । स्त्र्ानीय नागररकों की सरु क्षा को परू ा ध्यान मंे रखते हुए 'हंगर कंै प' व सखू ा राशन ववतरण कंे द्र का काया ककया व अब भी यह काया ककया जा रहा है । कोववड SOP के सभी हदशातनदेशों का पालन ककया जा रहा है।हंगर कैं प में लगने वाली लबं ी लबं ी कतारों मे दो गज़ की दरू ी का ध्यान,सडक मंे चल रहे आवश्यक आवागमन की व्यवस्त्र्ा के सलए हमारे ववद्यालय प्रमखु व सभी सदस्त्यों ने दोनों समय मुस्त्तैदी से अपना दातयत्व तनभाया। ववद्यालय पररसर में अलग से कमरों की व्यवस्त्र्ा करना हो, सेतनटाइजेशन से संबंर्धत सभी आवश्यक काय,ा साफ़ सफ़ाई आहद से सबं रं ्धत सभी सावधातनयों का पालन ककया गया। ववद्यालय में ज्ञान वपपासा और क्षधु ावपपासा का ऐसा सुंदर ताना बाना देखते ही बनता है। िीगी आखँू ों के अश्रु पौंछने का प्रयास है ये सूखा रािन वििरण योजना। हमारे ववद्यालय ने ना के वल ववतरण का काया ककया वरन प्रततहदन जहाँ तक हो सका इन लोगोँ की यर्ासंभव ,यर्ाजस्त्र्तत मदद भी की। आशा के प्रकाश को पुन: प्रकासशत करते हुए भूख से लडने की हहम्मत है ये योजना।सशक्षा ववभाग के उत्साह वधका हदशातनदेश और हमारे ववद्यालय की कमठा प्रधानाचायाा जी के मागदा शना से आज भी सखू ा राशन ववतरण कंे द्र का काया बहुत ही सुचारू रूप से चल रहा है ,जो एक उज्जज्जवल और स्त्वस्त्र् जीवन के सुंदर भववष्य की आशा के अंकु र को प्रस्त्फु हटत करने में अपना छोटा सा ककं तु महत्त्वपूणा योगदान दे रहे हंै। सशक्षा महं दरों के अन्द्नपूणाथ रूप को िि िि नमन । -धित्रा गौड़ प्रितिा द िं ी Don't judge each day by the harvest you reap but by the seeds that you plant.
Art Maestros Art is a harmony parallel with nature.
हमारा विद्यालय (दहिं ी दििस पर) आओ आज कर लो मेरे विद्यालय पर गौर प्रधानािायाथ हमारी , विद्यालय की शसर मौर । सुलझी, सक्षम, िाशलनी , सुहाशसनी, हैं हमारी वप्रशं सपल मडै म मणृ ाशलनी । क्जनके हार्ों मंे स्कू ल की कमान, अध्यापकों की है अपनी परृ ्क पहिान।। हर शिक्षक है अति ज्ञज्ञज्ञास।ु दिखिे हरपल, ज्ञान-वपपास।ु प्रेम से बच्िों को बािं े ज्ञान क्जससे बालक बने विद्िान। िेिे नहीं मात्र ज्ञान ककिाबी नैतिक बल से बने प्रिापी मिृ िु ाणी, अिं ःकरण िदु ्ध सारे गरु ुजन तनष्णाि-प्रबदु ्ध।
िाणी से हैं सिी , सौम्य मिृ लु सहयोग सौहािथ, व्यिहार कु िल। छात्र पढ़ें-बढे-बनंे, आत्मविश्िासी खेलें खेल, रहे अिम्य साहसी विद्यालय का तनरंिर यही ध्येय समस्ि विद्यालय पररिार को श्रेय। िस्य- ियामला हमारा स्कू ल इको तलब ने खखलाए िू ल। सबकी है बस यही कामना शमत्रिि रहें बढ़े सद्िािना। सब बच्िे हों प्रतििािान समाज मंे जाकर करें उत्र्ान। िेि -प्रेम-नैतिकिा हों आत्मसाि बस इिनी सी ही है मेरे स्कू ल की बाि। शिक्षा क्ज़न्द्िगी की ियै ारी नहीं है; शिक्षा खुि क्ज़न्द्िगी है.
SHIVANI 8- A DEV 9-A कोरोना \"मुक्श्कल बड़ी घडी हैं\" यिु ा िक्ति ने आना है। सयं म बनाए रखना । कोरोना िरू िगाना है।। एक फासला बनाकर जो त्रबना मास्क के जाएगा। खिु को बिाए रखना । कोरोना लेकर आएगा।। क्जिं गी हंै तनयामि , \"यिु ा जागरुकिा लाएगा।\" असमय यह खो ना जाए । घर- घर अलख जगायगें े।। इस िेि पर कोरोना हािी ना होने पाए । एक मीिर की िरू ी है। यह समय कह रहा है अलग रहना जरूरी है।। ितै सीन ही सबको बिाए।। शििानी 11 F जब कोरोना िागेगा। िेि श्रेष्ठ कहलाएगा।। शििानी 9 F बहु ि कम लोग जानिे है, कक िे बहु ि कम जानिे हंै – --आिायथ हजारी प्रसाि द्वििेिी
विज्ञान िरिान है सकृ ्ष्ि का रितयिा बनने को , तलोतनगं का उद्गम हुआ । िास ही बना रहे िुम्हारा , इसे िगिान ना बनने िेना । विज्ञान है िरिान, इसे अशििाप ना बनने िेना । िाहन बढ़े प्रिरू ्ण बढा, िायु का िोर्ण बढा, जहरीली गसै ों के कारण , व्याधधयों का रािण बढ़ा। मौि पर िो विजय पाई, नई-नई व्याधधयों िी आई । यह िो पालक िरने आया है , इसे हारक न बनने िेना। विज्ञान है िरिान , इसे अशििाप ना बनने िेना । सेिक है यह िमु ्हारा, इसे माशलक ना बनने िेना।। मोतनका सिीजा िीजीिी सामाक्जक विज्ञान Progress is the activity of today and the assurance of tomorrow.
मैं अपने शब्दों में कु छ कहना चाहता हूं। कु छ समय पहले एक छोटी सी घटना मेरे सार् घटी गरु ु को क्यों माता वपता और भगवान का दशना ककया जाता है। इसका उिर मुझे समला। मेरी हहदं ी की अध्यावपका अपने छारों को प्यार करने वाली दया ममता से भरी हमारी अध्यावपका मैं और मेरे दो समर ववद्यालय की वावर्का पत्ररका के काया के सलए काम कर रहे र्े। हम स्त्कू ल में कु छ सामान लाए र्े। जसै े कं प्यूटर आहद जब हमारे ववद्यालय की छु ट्टी हुई तो हम सारे अपनी हहदं ी की अध्यावपका के पास गई और उन्होंने देखा कक बच्चों के हार्ों में भारी समान है। तो उन्होंने कफक्र करते हुए एक मां की तरह कहा कक बेटा आराम से जाना पैसे नहीं है तो मंै दे देती हूं। अपनी अध्यावपका के आखं ों मंे अपने बच्चों के सलए मनंै े प्यार और ममता देखी बडी प्रसन्नता हुई। मनंै े अपनी मां को यह बात बताई उस वक्त मां रात का भोजन बना रही र्ी। जब मेरी मां ने यह बात सुनी मां की आखं ों में आसं ू आ गए मेरी अध्यावपका की ममता और कफक्र को देखकर वह मुझसे बोली के बेटा वह भी तो एक मां है तुम्हारे हार्ों में इतना भारी समान र्ा। इससलए उनको तुम सब की कफक्र हुई। रात मुझे समझ आया कक अध्यापक को माता वपता और भगवान से पहले और बडा क्यों माना जाता है। 12th C Vasu Dixit ANUJ KUMAR 8A The art of teaching is the art of assisting discovery.
प्लाक्स्िक एक जहर - सािधान ! रुको, रुको, रुको,िाइयों एिं बप्हलनाको्ंस्बिहकुि हो गया। तया? प्ृ िी का सपं ूणथ विनाि करके ही रुकोगे। का प्रयोग एक गंिीर िैक्श्िक समस्या बन गई है नाशलयों से होकर नदियों ,समुर में जाकर लाखों पिु पज्ञक्षयों को मारिे रहिे हंै जो पयािथ रण सिं ुलन के शलए अत्यिं ही धििं ा का विर्य है। 1500 शमशलयन िन प्लाक्स्िक प्ृ िी पर इकट्ठा हो िकु ा है जबकक उसमंे से 15% ही रीसाइक्तलगं (पनु :िक्रण) हो पािा है और पुन: िक्रण में एक िो आधर्कथ नुकसान, िसू रा बनाने के िौरान पनु ः प्रिरू ्ण। यह िशू म जल और िायु िीनों को प्रिवू र्ि करिा है यह पैट्रोशलयम पिार्थ से तनकले रेक्जन से बना होिा है क्जसमें कु छ विर्ले ी जसै े होिी हंै। आए दिनों हम लगिग रोज कैं सर से मरने िालों के विर्य में सनु िे रहिे हैं िर्ा अन्द्य कई सारी बीमाररयों में प्रिरू ्ण का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्लाबक्सह्िु िक बड़ा हार् है। आप सबसे करबद्ध प्रार्नथ ा है कक का प्रयोग ना करंे या करंे िो उसका पुन: उपयोग करंे हो सके िो प्रयोग त्रबल्कु ल ना करें। पयािथ रण बिाने मंै र्ोड़ा सहयोग करें। िािी पािी मंे जािी धहूंड़लि्लबे प्लाक्स्िक की प्लेि , किोररयां, धगलास िर्ा िम्मि का प्रयोग से करािे िेखकर मन अत्यंि िखु ी हो जािा है और आज जब कु छ कहने या शलखने का अिसर शमला िब मुझसे रहा नहीं गया और मंै इस महबूंन।ाध्ययजहमािसेसहिे ैं।ीअसबपरनािकींे ारबलाकगििो कगइु सछसकेिलशीोलगलएों ोगिसकखज्िअबकनजुरानोाधननू िसेऔ्िहररैं ूपपसरजपहसाुंििकाीना ाअप्रिानिजाधहिााननी करना िादहए। प्लाक्स्िक हिाओ, पयािथ रण बिाओ। प्लाक्स्िक को ना कह स्िस्र् समाज का तनमाणथ करंे। सम्मान का जन्द्म साम्यथ से होिा है ।
आजकल लोग बच्िो के शलए सखु -साधन, रूपए- पसै े ,मकान आदि जमा करने में अपनी सारी उम्र लगा िेिे हंै परंिु िह जीिन की असली सपं वि को बिाना िूल जािे हंै जो है। जो हैं पयाथिरण को प्रिरू ्ण से बिाना यदि आप पयाथिरण से र्ोड़ा िी सहयोग करना िाहिे हैं िो कृ पया दिखािा ना करंे िािी पािी या जब िी कोई सामदू हक कायकथ ्रम करें िो इस बाि का ध्यान अिश्य रखें कक प्लाक्स्िक कक या र्माथकोल की जगह शमट्िी , िीनी - शमट्िी ,कागज या परु ाने समय के पिलो का प्रयोग करंे िम्मि की जगह िीनी शमट्िी, आइसक्रीम क्स्िक ,का प्रयोग करें इको फ्रें डली बिे हुए पसै ों को अनार्आश्रम या िौज के िं ड में डालें िर्ा िेि के विकास में सहयोग करंे। प्रिरू ्ण से मकु ्ति िेि की िरतकी। वििा कु मारी YASH CHAUHAN िी.जी. िी विज्ञान 7A YASH CHAUHAN 7A हर हदन मेरा सवशा ्रेष्ठ हदन है यह मेरी जजन्दगी है मेरे पास यह क्षण दबु ारा नहीं होगा.....
'Remember that you are talented and that your talent has value'
मै आरोही हूँ --------याद आती है वह सुबह ..जब मैं छत की सीहढ़यों पर बठै ी हुई र्ी।बहुत उदास और दुु ःख से मन भारी ।नकारात्मकता इतनी प्रबल र्ी कक प्रकृ तत का सौंदया भी औझल हो रहा र्ा । बार बार नकारात्मक ववचार जीवन में आई उर्ल-परु ्ल को ही हवा दे रहे र्े। मौसम अच्छा र्ा ।मदं -मंद हवाएं चल रही र्ी। मुस्त्कराता हुआ लाल अरुण अपनी मदृ लु ककरणें त्रबखेर रहा र्ा। सुबह की मीठी धपू में सारी प्रकृ तत चमकदार होती जा रही र्ी। चहचहाती हुई संुदर पक्षक्षयों का स्त्वर एक छण मेरी उदासी को भगं कर रहा र्ा। प्राकृ ततक सौंदया को मनै े तनहारा तो बहुत सूकु न लगा। मानो ये सब इशारों मे मुझसे कु छ कह रहे हो । नए उमंग और उल्लास का सकं े त दे रही हो। प्रकृ तत मंे कु छ तो हैं, जो मुझे समझ नहीं आ रहा र्ा। मैं अपने उदास ओर दुु ःखी मन को भुलकर इस प्रकृ तत को जानने और समझने लगी। मन को शांत ककया और इस Kesar Ixth D सबु ह के मनोहर दृश्य को तनहारनंे लगी। ठंडी हवा चल रही र्ी।वो मन को शीतल कर रही र्ी। तभी मेरी नज़र दो नन्ही चींहटयों पर पडी। वे दोनों भोजन के छोटे से टु कडे को लेकर जा रही र्ी। जो भोजन के दाने इनसे बडे र्े। मनै े सोचा कक इनका हौसला ककतना ज्जयादा हैं खदु से बडा टु कडे को ककतने उत्साह से लेकर जा रही हैं। Music is a language the whole world speaks.
जो भोजन के दाने इनसे बडे र्े। मैने सोचा कक इनका हौसला ककतना ज्जयादा हैं खुद से बडा टु कडे को ककतने उत्साह से लेकर जा रही हैं। ये लघकु ाय चीहं टयाँ और हम इंसान होकर अपना छोटा सा काम नहीं करते हंै। मैं ये सब सोच रही र्ी। और इन दोनों चींहटयों को देख रही र्ी। ये चींहटयाँ उस दाने को त्रबल मंे ले जाने का प्रयास कर रही र्ी....बार-बार ही र्गरे जा रही र्ी। कफर भी ये चीहं टयाँ उस दाने को छोड नहीं रही र्ी। उसे ले जाने का बार-बार प्रयास कर रही र्ी .....हर प्रयास मंे वे ववफल हो रही र्ी। ऐसे उन चींहटयों ने बीससयों बार प्रयास ककया। दानंे को अपने त्रबल मंे पहुंचाने के सलए ,परंतु पहुंचा नहीं पाई। आखखरकार पहुंचा ले गई दानें को । ये देख मैं बहुत खुश हुई कक इन्होने कोसशश काया की सफलता तक कीऔर कामयाब हो गई।मैने सोचा कक एक छोटी-सी चींटी ने मुझे आज ककतनी बडी सीख दी कक काम चाहे ककतना मुजश्कल क्यूँ न हो, हमें हार नहीं माननी चाहहए। तनरंतर और के वल प्रयास करना चाहहए। अपने हौसलों को नकारात्मक ववचारों से दरू रखना चाहहए। और प्रयास करना चाहहए। हम सफल अवश्य होंगें। यह सोच कर मैं खुशी और उमंग उछल पडी । प्रकृ तत ने आज मुझे ककतनी बडी सीख दी हंै। और अगर मनषु ्य प्रकृ तत को समझे ,उसके हदये गए संके त को समझ ले तो नकारात्मक ता हावी नहीं हो सकती ।हम वो आरोहह है जो सशखर की चोहटयों को छू ना चाहते है, इस पर् पर हमारा आरोहण हमारे हौंसलों के सार् है। दीक्षा समश्रा -कक्षा 12C If you want to feel good , do good.
इंसान इंसान िो पिु ला है जो झठू से िरा और अहंकार से सजा है पल मे जीिन की धपू छाि मे रंग बिले हर रंग िेख खुि पर गिथ करे पिु ला बनाने िाला िी पछिाए ईि िब कहे-– \"\"मनंै े बनाया शमट्िी से, ना जाने यह कब बिला ? मनंै े सजाया खुशियों से , रंग िरे सब कु िरि के , पर ना जाने कब दिखािे मे बि बिले नसीब अपनी झूठे गरु ुर ,झूठी िानमंे, अपना जीिन िज़िू सब िलू े।। खिु बू रैिास ज़रूर कोई िो शलखिा होगा 12 सी कागज़ और पत्र्र का नसीब िरना यह ममु ककन नहीं की कोई पत्र्र ठोकर खाए और कोई कागज़ की रद्िी. कोई गीिा और परु ाण बन जाए। दहमानी खैिाल 11d Change is the end result of all true learning.
ਹਾਸਾ ਇਕ ਸੰਜੀਵਨੀ ਬਟੂ ੀ ਇਕੱ ਕਥਨ ਹੈ ਕੀ 'ਮਨ ਦੇ ਦੱਖ ਤਨ ਦੀਆਂ ਪੀੜ ਂ' ਨ ਲਂੋ ਵਧੇਰੇ ਸਖਤ ਹੁਦੰ ੇ ਹਨ। ਮ ਨਸਸਕ ਤੰੁਦਰਸਤੀ ਲਈ ਸਭ ਤਂੋ ਵੱਧ ਲੋ ੜ ਹੈ 'ਸਦ ਖਸ਼ ਰਸਹਣ ਦੀ' । ਖਸ਼-ਸਮਜ ਜ ਮਨੱ ਖ, ਉਦ ਸ-ਸਿਤ ਲੋ ਕ ਂ ਨ ਲੋਂ ਅਕਸਰ ਸਜਆਦ ਤਦੰੁ ਰਸਤ ਰਸਹੰੁਦੇ ਹਨ। ਪਰ ਜੇਕਰ ਉਦ ਸ ਸਿਤ ਲੋ ਕ ਹਸੱ ਣ ਸਸੱਖ ਜ ਣ ਤ ਂ ਉਨ੍ ਂ ਦੀ ਸਸਹਤ ਸਵਿ ਇਕ ਮਹ ਨ ਤਬਦੀਲੀ ਆ ਸਕਦੀ ਹੈ। ਹੱਸਣ ਇਕ ਅਸਜਹੀ ਦਵ ਹੈ ਜੋ ਕਰੋਧ, ਸ਼ੁੰਕ , ਸਿਤੁੰ ਤੇ ਡਰ ਆਸਦ ਮ ਨਸਸਕ ਰਗੋ ਂ ਦੇ ਸਨਸ਼ ਨ ਤਹ ਡੇ ਸਿਹਰੇ ਤਂੋ ਹੀ ਨਹੀ ਂ ਸਗਂੋ ਇਨ੍ ਂ ਦੀ ਜੜ੍ ਤਹ ਡੇ ਮਨ ਸਵੱਿਂੋ ਵੀ ਉਖ ੜ ਸਦਦੁੰ ੀ ਹੈ ।ਸਦਨ ਭਰ ਦੇ ਕਮੰੁ ਂ ਸਵੱਿ ਸਜਸ ਨੂ ਵੀ ਸਮਲੋ ਹਸੱ ਕੇ ਸਮਲੋ ਉਹ ਵੀ ਤਹ ਨੁੰ ੂ ਮਸਕਰ ਹਟ ਭੇਟ ਕਰਗੇ । ਸਕਸੇ ਨੇ ਸਕਹ ਹੈ ਸਕ ਸਜਸ ਨੰੁ ੂ ਵੀ ਸਮਲੋ ਹੱਸ ਕੇ ਸਮਲੋ ਸ਼ ਇਦ ਉਸ ਨ ਲ ਤਹ ਡੀ ਆਖ਼ਰੀ ਮਲ ਕ ਤ ਹੋਵ।ੇ ਇਸ ਲਈ ਖਸ਼ ਰਸਹਣ ਨੰੁ ੂ ਹੀ ਤਰਜੀਹ ਦੇਣੀ ਿ ਹੀਦੀ ਹ।ੈ ਖਸ਼ ਰਸਹਣ ਖ਼ਸ਼ਹ ਲ ਜੀਵਨ ਦੀ ਸਨਸ਼ ਨੀ ਹੈ ।ਇਹ ਸ ਡੀ ਰਹੂ ਦੀ ਖਰ ਕ ਹੈ ।ਮਸਕਰ ਹਟ ਨ ਲ ਤ ਂ ਹਰ ਿੀਜ ਪਰ ਪਤ ਕੀਤੀ ਜ ਸਕਦੀ ਹ,ੈ ਪਰ ਤਲਵ ਰ ਨ ਲ ਨਹੀ।ਂ ਕਸਹੁੰਦੇ ਹਨ ਸਕ ਜੋ ਇਨਸ ਨ ਹੱਸ ਸਕਦ ਹੈ ਉਹ ਗਰੀਬ ਨਹੀ।ਂ ਹ ਸ ਇਕ ਭ ਵਵ ਿਕ ਵਸਤੂ ਹੈ। ਜੇ ਮੱਲ ਸਵਕਦੀ ਹਵੋ ੇ ਤ ਂ ਗਰੀਬ ਦੇ ਸਹੱਸੇ ਸਵੱਿ ਆਵੇ ਹੀ ਨ । ਪਰ ਆਮ ਦੇਸਖਆ ਸਗਆ ਹੈ ਕੀ ਵੱਡੀਆਂ ਕਠੋ ੀਆਂ-ਹਵਲੇ ੀਆਂ ਸਵੱਿ ਿੱਪ ਛ ਈ ਹੋਈ ਹੈ ਤੇ ਸਮਹਨਤੀਆਂ ਦੀਆਂ ਕਲੱ ੀਆਂ ਸਵਿੱ ਕਸਹਕਹੇ ਲੱ ਗਦੇ ਸਣ ਈ ਸਦੁੰਦੇ ਹਨ। ਆਮ ਕਹ ਵਤ ਹੈ ਸਕ ਹਸੱ ਸਦਆਂ ਦੇ ਘਰ ਵੱਸਦੇ। ਸੱਿਮੱਿ ਹੀ ਉਹ ਘਰ ਕਬਸਰਸਤ ਨ ਵ ਂਗ ਹੈ ਸਜਥੱ ੇ ਹ ਸ ਨਹੀ।ਂ ਆਮ ਕਰਕੇ ਸ ਨੰੁ ੂ ਹਸੱ ਣ ਦ ਅਵਸਰ ਸ ਡੇ ਰਸਮ ਂ-ਸਰਵ ਜ ਂ, ਮਲੇ ੇ ਸਤਉਹ ਰ ਂ ਤੇ ਸਵਆਹ ਸ਼ ਦੀਆਂ ਸਮੇਂ ਪਰ ਪਤ ਹੰਦੁ ਹੈ ਸਕਉਸਂ ਕ ਇਸ ਖ਼ਸ਼ੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਭੰੁਗੜ , ਸਗਧੱ , ਘੋੜੀਆਂ, ਸਹ ਗ ਜ ਗੋ ਆਸਦ ਹ ਸੇ ਦੇ ਸ ਧਨ ਹਨ। ਕਦਰਤੀ ਖਡੇ ਂ ਸਜਸ ਨੰੁ ੂ ਰਬੱ ੀ ਦ ਤ ਕਸਹ ਸਕਦੇ ਹ ਂ ਬੁਦੰ ੇ ਦੀ ਖਸ਼ ਤਬੀਅਤ, ਇਮ ਨਦ ਰ ਤੇ ਨੇਕ ਸਭ ਅ ਦੇ ਕ ਰਨ ਸਮਲਦ ਹ।ੈ ਪਰ ਅਸਜਹੇ ਖਸ਼ਸਕਸਮਤ ਇਨਸ ਨ ਬਹਤ ਘੱਟ ਸਮਲਦੇ ਹਨ। ਪੈਸ , ਪਦਵੀ,ਕਰਸੀ ਤੇ ਸ਼ਹੋ ਰਤ ਦੀ ਦੌੜ ਸਵੱਿ ਹ ਸਸਆਂ ਨੁੰ ੂ ਥ ਂ ਸਕੱਥ।ੇ ਸਜੰੁਦਗੀ ਸਵੱਿ ਸਜਥੱ ੇ ਸਫਲਤ ਉਨੱ ਤੀ ਅਤੇ ਖਸ਼ੀ ਪਰ ਪਤ ਹਦੁੰ ੀ ਹੈ ਉਥੇ ਸਨਰ ਸ਼ ਵੀ ਆਉਦਂ ੀ ਹੈ। ਪਰ ਸ ਨੰੁ ੂ ਹਰ ਔਕੜ ਦ ਟ ਕਰ ਸਖੜੇ ਮਥੱ ੇ ਕਰਨ ਿ ਹੀਦ ਹੈ।ਨ ਮਹੰੂੁ ਛਪ ਕੇ ਜੀਓ ਨ ਸਸਰ ਝਕ ਕੇ ਜੀਓ ਗਮੋਂ ਕ ਦਰੌ ਵੀ ਆਏ ਤੋ ਮਸਕਰ ਕੇ ਜੀਓ ।ਜੋ ਬੁੰਦ ਸਨਮਰਤ ਸਸਹਤ ਖ਼ਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਗੱਲ ਕਰਦ ਹੈ ਤ ਂ ਮੂੁੰਹ ਸਵੱਿੋਂ ਫੱਲ ਸਕਰਦੇ ਪਤਰ ੀਤ ਹੰੁਦੇ ਹਨ। ਹੁੰਸੂ- ਹੰੁਸੂ ਕਰਦੇ ਸਿਹਰੇ ਸਕਸ ਨੰੁ ੂ ਿੁੰਗੇ ਨਹੀ ਂ ਲੱ ਗਣਗੇ ?ਇਸ ਲਈ ਸਕਹ ਸਗਆ ਹੈ:- ਹ ਸ ਇਕੱ ਖਰ ਕ ਹੈ ਖ ਇਆ ਕਰੋ। ਹ ਸ ਮਧਰ ਸਗੰੁ ੀਤ ਹੈ ਗ ਇਆ ਕਰੋ। ਹ ਸ ਹੈ ਸਜੰੁ ੀਵਨੀ ਨ ਹੋਵੋ ਉਦ ਸ। ਹ ਸ ਰਬੱ ੀ ਦ ਤ ਹੈ ਪ ਇਆ ਕਰੋ। ਪਜੰ ਾਬੀ ਅਧਿਆਧਪਕਾ ਧ ੰਦਰ ਕੌਰ ਮਨੱ ਖ ਦੀ ਸਭ ਤਂੋ ਵਧੀਆ ਦਸੋ ਤ ਉਸਦੀ ਦਸ ਉਗਂ ਲੀਆਂ ਹਦੰੁ ੀਆਂ ਹਨ।
ਮਾਾਂ ਹਦੰ ੀ ਏ ਮਾਂਾ \"ਿ ਹੇ ਲੱ ਖ ਕੋਈ ਲ ਡ ਲਡ ਦਵੇ ੇ, ਸਜਨੁੰ ਮਰਜੀ ਸਪਆਰ ਜਤ ਦਵੇ ੇ, ਬਣਕੇ ਸਰਸ਼ਤੇਦ ਰ, ਕੋਈ ਕਰ ਸਕਦ ਨੀ ਮ ਵ ਂ ਵਰਗ ਸਪਆਰ।\" ਮ ਂ ਉਹ ਇਨਸ ਨ ਹ,ੈ ਸਜਸ ਦ ਸਪਆਰ ਕੋਈ ਵੀ ਹਰੋ ਨਹੀ ਂ ਦੇ ਸਕਦ । ਸਕਸੇ ਨੇ ਸਲਸਖਆ ਹੈ, ਪੱਤ ਂ ਬ ਝੋਂ ਮ ਵ ਂ ਦ ਕੀ, ਪਰ ਮੈਂ ਕਸਹਦੁੰ ਹ ਂ, ਮ ਵ ਂ ਬ ਝਂੋ ਪਤੱ ਂ- ਧੀਆਂ ਦ ਕੀ?\" ਮ ਂ ਦੇ ਸਪਆਰ ਲਈ ਸਜਸ ਦੀ ਮ ਂ ਨਹੀ ਂ ਹੈ ਉਹ ਸ ਰੀ ਉਮਰ ਤਰਸਦ ਹੈ । ਸਜਵੇਂ ਦਰੱਖਤ ਦੀ ਛ ਂ ਠੁੰ ਡੇ ਝੋਕੇ ਸਦੰੁਦੀ ਹੈ ਤੇ ਧਰਤੀ ਦੀ ਰੱਸਖਆ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਉਵਂੇ ਹੀ ਮ ਂ ਦੀ ਛ ਂ ਵੀ ਠੁੰ ਢੇ ਸਮੱਠੇ ਝੋਸਕਆਂ ਨ ਲ ਬੱਸਿਆਂ ਦੀ ਰੱਸਖਆ ਕਰਦੀ ਹ।ੈ ਮ ਂ ਦੀ ਲੋ ਰੀ ਸ ਰੀ ਉਮਰ ਇਕੱ ਪ ਠ ਵ ਗੂੰੁ ਯ ਦ ਰਸਹਦੁੰ ੀ ਹੈ ।ਮਨੱ ਖ ਦਨੀਆ ਦੇ ਸ ਰੇ ਕਰਜ ਿਕ ਸਕਦ ਹੈ, ਪਰ ਉਹ ਇਕੱ ਕਰਜ ਨਹੀ ਂ ਿਕ ਸਕਦ , 'ਮ ਂ ਦੇ ਦੱਧ ਦ ਕਰਜ '। ਮਨੱ ਖ ਥ ਂ ਤੇ ਗਰੂ ਬਣ ਲੈਂ ਦੇ ਹ,ੈ ਪਰ ਘਰ ਬਠੈ ੀ ਮ ਂ ਦ ਸਸਤਕ ਰ ਨਹੀ ਂ ਕਰਦ ਸਫਰ ਬ ਹਰ ਗਰੂ ਬਣ ਏ ਦ ਵੀ ਕੀ ਲ ਭ ਹ?ੈ ਮਂੈ ਤ ਂ ਕਸਹੰਦੁ ਹ ਂ:- \"ਥ ਂ-ਥ ਂ ਗਰੂ ਬਣ ਕੇ ਸਜਨੰੁ ੇ ਮ ਂ ਨੁੰ ੂ ਸਦਲਂੋ ਭਲ ਇਆ। ਰੱਬ ਦੇ ਘਰ ਤ ਂ ਵੀ ਬੁੰਦ ਜ ਂਦ ਹੈ ਠਕਰ ਇਆ\"ਮ ਂ ਸ਼ਬਦ ਸਣ ਕੇ ਹੀ ਸਦਲ ਨੁੰ ੂ ਇਕ ਠੁੰ ਡਕ ਸਜਹੀ ਮਸਹਸੂਸ ਹਦੁੰ ੀ ਹ।ੈ ਸਜੁੰਨੀ ਅਸੀ ਂ ਮ ਂ ਦੀ ਸਵੇ ਕਰ ਂਗੇ ਸ ਨੰੁ ੂ ਓਨ ਂ ਹੀ ਮਵੇ ਸਮਲੇ ਗ । ਮਂੈ ਕਸਹਦੁੰ ਹ ਂ :- \"ਰਬੱ ਤੋਂ ਵਧੱ ਕੇ ਨੇੜੇ ਇਸ ਧਰਤੀ ਤੇ ਮ ਵ ਂ ਰ ਹੀ ਂ ਸਵਰਗ ਸਜਹ ਸਖੱ ਸਮਲਦ ਮ ਂ ਦੇ ਬਣ ਕੇ ਸਵੇ ਦ ਰ,ਕੋਈ ਕਰ ਸਕਦ ਨਹੀ ਮ ਵ ਂ ਵਰਗ ਸਪਆਰ।“ ਅਮਨਦੀਪ ਧਸੰਘ ਜਮਾਤ ਦਸਵੀ ਾਂ ਮ ਂ ਹੀ ਇੁੰਨਸ ਨ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸਵਿੱ ਸਭ ਤਂੋ ਪਸਹਲੀ ਗਰੂ ਹੰਦੁ ੀ ਹ,ੈ ਹਮਸੇ ਼ ਉਸਦੀ ਸੇਵ ਕਰ।ੋ
ਹੰਕਾਰ ਦਾ ਧਸਰ ਨੀਵਾਾਂ ਇੱਕ ਵ ਰੀ ਦੀ ਗਲੱ ਹੈ ਕੀ ਕਦਰਤੀ ਤ ਕਤ ਂ ਸਵਿਂੋ ਹਵ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੰੁ ੂ ਮਹ ਂ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ ਲੀ ਸਮਝਣ ਲੱ ਗ ਪਈ ।ਇਸੇ ਹੰੁਕ ਰੀ ਭ ਵਨ ਦੇ ਅਧੀਨ ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ ਸਦਨ ਸੂਰਜ ਦੇ ਨ ਲ ਮੱਥ ਲ ਸਲਆ। ਸੂਰਜ ਵੀ ਡਰਨ ਵ ਲ ਨਹੀ ਂ ਸੀ। ਉਸ ਨੇ ਹਵ ਦੀ ਤ ਕਤ ਨੰੁ ੂ ਐਲ ਸਨਆ। ਉਨ੍ ਂ ਨੇ ਇਕ ਸਵਅਕਤੀ ਨੁੰ ੂ ਸੜਕ ਉਤੱ ੇ ਤਰੇ ਆਉਦਂ ੇ ਦੇਸਖਆ। ਦੋਵ ਂ ਨੇ ਉਸ ਸਵਅਕਤੀ ਤੇ ਆਪਣੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਪਰਖ ਕਰਨ ਦ ਫੈਸਲ ਕਰ ਸਲਆ । ਸਭ ਤਂੋ ਵਧੱ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ ਲੀ ਹਣੋ ਦ ਫਸੈ ਲ ਇਸ ਗਲੱ ਤੇ ਹੋਣ ਪਵਰ ਨ ਕੀਤ ਸਗਆ ਸਕ ਦਹੋ ਂ ਸਵਿੋਂ ਕਣੌ ਉਸ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤਂੋ ਕਪੱ ੜੇ ਉਤਰਵ ਉਣ ਸਵਿੱ ਸਫਲ ਹੁੰਦ ਹੈ ।ਪਸਹਲ ਂ ਹਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਤ ਕਤ ਦ ਪਰਗਟ ਵ ਕੀਤ ਪਸਹਲ ਂ ਤ ਂ ਉਹ ਹਲੌ ੀ-ਹੌਲੀ ਿੱਲੀ। ਮਸ ਫ਼ਰ ਨੁੰ ੂ ਠੁੰ ਡੀ ਠੰੁ ਡੀ ਹਵ ਬਹਤ ਵਧੀਆ ਲੱ ਗੀ। ਉਸ ਤੋਂ ਮਗਰਂੋ ਹਵ ਤੇਜ-ਤੇਜ ਿੱਲਣ ਲੱ ਗੀ। ਸਜਸ ਨ ਲ ਮਸ ਸਫਰ ਠੰੁ ਡ ਮਸਹਸੂਸ ਕਰਨ ਲੱ ਗ । ਉਸ ਨੇ ਸਸਰ ਤੇ ਿਕੱ ੀ ਪਡੰੁ ਸਵਿੱ ੋਂ ਕੱਪੜ ਕੱਢ ਕੇ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਦਆਲੇ ਲਪਟੇ ਸਲਆ। ਸਜਵਂੇ- ਸਜਵਂੇ ਹਵ ਤਜੇ ਵਗਦੀ ਗਈ ,ਸਤਵ-ਂੇ ਸਤਵੇਂ ਹੀ ਮਸ ਸਫ਼ਰ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਤੇ ਹਰੋ ਕੱਪੜੇ ਲਪੇਟਣ ਲੱ ਗ ਸਪਆ । ਹਵ ਮਸ ਸਫ਼ਰ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਉਤ ਰਨ ਸਵਿੱ ਨ ਕ ਮ ਰਹੀ ਅਤੇ ਉਹ ਰਕ ਗਈ ।ਹਣ ਸੂਰਜ ਦੀ ਵ ਰੀ ਆਈ। ਸੂਰਜ ਨੇ ਸਨਘੀਆਂ- ਸਨਘੀਆਂ ਸਕਰਨ ਂ ਧਰਤੀ ਉਤੱ ੇ ਸਟੱ ਣੀਆਂ ਸ਼ਰੂ ਕਰ ਸਦਤੱ ੀਆਂ। ਠੰੁ ਡ ਨ ਲ ਕੰੁਬ ਦੇ ਹਏੋ ਮਸ ਸਫ਼ਰ ਨੇ ਸੱਖ ਦ ਸ ਹ ਸਲਆ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਉਪਰ ਲਪੇਟੇ ਹੋਏ ਕੱਪੜੇ ਵ ਰੀ ਵ ਰੀ ਉਤ ਰ ਕੇ ਪਡੁੰ ਸਵਿ ਬਨੰੁ ੍ ਲਏ ।ਜਦਂੋ ਸੂਰਜ ਗਸੱ ੇ ਸਵਿ ਆ ਕੇ ਲ ਲ-ਪੀਲ ਹੋ ਕੇ ਿਮਸਕਆ ਤ ਂ ਮਸ ਫਰ ਨੇ ਸਨੱ ਘ ਮਸਹਸੂਸ ਕੀਤ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣ ਕਟੋ ਉਤ ਸਰਆ। ਉਸ ਤੋਂ ਸਪੱਛਂੋ ਸੂਰਜ ਦੀਆਂ ਸਕਰਨ ਂ ਹਰੋ ਤਜੇ ਹੋ ਕੇ ਗਰਮ ਹੋ ਗਈਆਂ ।ਗਰਮ ਸਕਰਨ ਂ ਨੇ ਮਸ ਫ਼ਰ ਦ ਸਰੀਰ ਲੂ ਹ ਸਸੱ ਟਆ। ਉਹ ਪ ਣੀ-ਪ ਣੀ ਹੋ ਸਗਆ ।ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਕਮੀਜ ਵੀ ਉਤ ਰ ਲਈ ।ਇਹ ਦੇਖ ਕੇ ਹਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਹ ਰ ਮਨੁੰ ਲਈ ।ਸੂਰਜ ਦੀ ਤ ਕਤ ਅੱਗੇ ਗੋਡੇ ਟਕੇ ਸਦੱਤੇ ਅਤੇ ਈਨ ਮਨੰੁ ਲਈ। ਨਾਮ ਆਚਾਂ ਲ ਜਮਾਤ ਦਸਵੀ ਾਂ ਮਨੱ ਖ ਨੁੰ ੂ ਔਖੇ ਸਮੇਂ ਸਵਿੱ ਵੀ ਸਹੁੰਮਤ ਨਹੀ ਹ ਰਨੀ ਿ ਹੀਦੀ।
ਸੁੱਚੇ ਮੋਤੀ 1.ਇਨਸ ਨ ਦੀ ਵਸਡਆਈ ਪਸ਼ ਕ ਅਤੇ ਉਮਰ ਨ ਲ ਨਹੀ ਂ ਪਤੁੰਰ ੂ ਸਨਰਮਲ ਬੱਧੀ ਅਤੇ ਦੀਨਤ ਸਵੱਿ ਹੈ 2. ਏਕਤ ਦ ਸਬਤੂ ਉਨ੍ ਂ ਇੱਟ ਂ ਤੋਂ ਸਸਖੱ ੋ ਸਜਹੜੀਆਂ ਸਬਖਰੀਆ ਇਕ ਮਲਬੇ ਦ ਢਰੇ ਹੁਦੰ ੀਆਂ ਹਨ ਪਰ ਜਦਂੋ ਸਕਸੇ ਇਮ ਰਤ ਸਵਿੱ ਜੜ ਜ ਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤ ਂ ਤ ਕਤ ਦ ਇਕ ਵਡੱ ਸਕਲ ਬਣ ਜ ਂਦੀਆਂ ਹਨ । 3.ਬਰ ਈ ਨ ਲ ਨਫਰਤ ਕਰੋ ਨ ਸਕ ਬਰ ਕਰਨ ਵ ਲੇ ਨ ਲ। ਇਹ ਬਰ ਈ ਕਰਨ ਤੋਂ ਵੀ ਸਜਆਦ ਬਰ ਹੈ 4.ਇਸ ਦਨੀਆ ਸਵਿ ਸ਼ ਂਤੀ ਕਵੇ ਲ ਉਸ ਸਵਅਕਤੀ ਨੁੰ ੂ ਪਰ ਪਤ ਹੈ ਸਜਹੜ ਬਿੇ ਨੈ ੀ ਸਵਿ ਵੀ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੁੰ ੂ ਰੱਬ ਦੀ ਰਜ ਸਵਿ ਢ ਲ ਲਂੈ ਦ ਹੈ ਅਤੇ ਪੜ੍ਦ ਹੈ: \"ਕਸੇ ਤਆ ਦਖੂ ਭੂਖ ਸਦ ਮ ਰ।। ਇਹ ਭੀ ਦ ਤ ਤਰੇ ੀ ਦ ਤ ਰ।।“ 5. ਇਨਸ ਨੀਅਤ ਇੱਕ ਸ ਂਝੀ ਦਲੋ ਤ ਹੈ ਇਸ ਦੀ ਰਖਵ ਲੀ ਕਰਨ ਸ ਰੇ ਇਨਸ ਨ ਦ ਮਢੱ ਲ ਫਰਜ ਬਣਦ ਹੈ 6. ਸਸੁੰ ਰ ਭਰ ਸਵਿੱ ਸਭ ਤਂੋ ਨ ਦ ਨ ਬਦੰੁ ਉਹ ਹੈ ਜੋ ਛੋਟੀ ਿੀਜ ਦੀ ਪਰ ਪਤੀ ਲਈ ਵੱਡੀ ਿੀਜ ਨੰੁ ੂ ਗਵ ਸਦੁੰਦ ਹ।ੈ 7.ਦਨੀਆਂ ਸਵਿੱ ਸਫ਼ਲਤ ਦੀ ਕੂੁੰਜੀ ਆਪਸੀ ਸਪਆਰ, ਇਤਫ ਕ, ਸੱਿ ਈ ਅਤੇ ਸਦਆਲਤ ਹ।ੈ 8. ਰਬੱ ਦੀ ਪਰ ਪਤੀ ਲਈ ਸਸਮਰਨ ਪਸਹਲੀ ਪੜੌ ੀ ਹੈ ਸਜਸ ਤੇ ਿਸੜ੍ਆ ਰਹੂ ਨੀਅਤ ਦ ਸਮੁੰਦਰ ਠ ਠ ਂ ਮ ਰਦ ਹ।ੈ 9.ਪ ਪ ਛਪਦ ਨਹੀ ਂ ਬੰੁਦੇ ਦੇ ਮੂੁਹੰ ਤੇ ਪਰਗਟ ਹੋ ਜ ਂਦ ਹੈ। 10. ਹੁੰਕ ਰ ਦਵੇ ਸਤਆਂ ਨੰੁ ੂ ਖ਼ਵ ਰ ਕਰਦ ਹੈ ਅਤੇ ਸਨਮਰਤ ਮਨੱ ਖ ਨੰੁ ੂ ਦਵੇ ਤ ਬਣ ਸਦਦੰੁ ੀ ਹ।ੈ ਨ ਮ ਸਦਸਵਆ ਜਮ ਤ ਦੱਸਵੀ ਂ UTSAV ਬਰੇ ਲੋ ਕ ਮੈਨੰੁ ੂ ਇਸ ਲਈ ਿਗੁੰ ੇ ਲੱ ਗਦੇ..!! ਸਕਓਸਂਕ ਉਹ ਿਗੁੰ ੇ ਹਣੋ ਦ ਕਦੀ ਨ ਟਕ ਨਹੀ ਕਰਦ.ੇ .!!
When God created teachers. He gave us special friends To help us understand his world. And truly comprehend The Beauty and the wonder Of everything we se And become a better person With each discovery When God created teachers He gave us special guides To show us ways in which To grow. So We can all decide How to live and how to do What's right instead of wrong To lead us so that we can lead And learn how to be strong Why God created teacher's In his wisdom and his grace Was to help learn to make oun world A better. Wiser place Diksha 12 C The master key to developing your will power is to accept its existence.
Topic: students should not be allowed to play pubg. Pubg is a term you must have probably heard by now. It is the abbreviated form of player unknown battleground. Basically, it is a video game. Which is the multiplayer battle royal game. It is very famous all over the world. However, the entertainment factor does not mean it is all good. The game has become viral, and it is played by billions of people. The player has become addicted to this game. Moreover, it is hampering their quality of life. Impact of pubg mobile game addiction When the game now got release for windows it received rave reviews. Further upon being release on mobile phones it caught like wildfire. The craze for the game spread among all the age groups. What started as a recreation game has now turned into an addiction. It is impacting the life of the players and also resulting in various crimes. For instance, a boy killed himself due to pubg mobile game addiction. The weak can never forgive. Forgiveness is an attribute of the strong.
The game interferes greatly with the studies of a person. The students who should be studying waste their time on this game. This results in neglecting studies and also in reduced levels of consultation. Similarly, the people who are working also addicted to this game. It hampers their work and makes them lose the target of their goals. Their busy playing pubg instead of focusing on their careers. Even more than the players make leaf or skip meetings just to play this game endless. Due to this addiction, they also miss their deadlines and don't fulfill their duties. It is so because the pubg mobile game addictions slows down their brain activity. The ability to great things and focus just lowers, even research suggests that the academic performance of pubg players is dropping massively. Arbaz XI-E Taste your words, before you serve them.
|| सभु ाषिताषि || श्लोक 1 : चन्दिं शीतलं लोके ,चन्दिादषि चन्रमााः | से भी चन्रचन्दियोममध्ये शीतला साधसु गं षताः || शीतलता देिे वाला अर्ामत् : संसार मंे चन्दि को शीतल मािा जाता है लेषकि चन्रमा चन्दि शीतल होता है | अच्छे षमत्रों का सार् चन्र और चन्दि दोिों की तुलिा मंे अषधक. होता है| श्लोक 2 : श्रोत्रं श्रतु ेिैव ि कंु डलेि, दािेि िाषििम तु कं किेि | षवभाषत कायाः करुिािरािां, िरोिकारैिम तु चन्दिेि || अर्ामत् : कािों की शोभा कु ण्डलों से िहीं अषितु ज्ञाि की बातंे सिु िे से होती है | हार् दाि करिे से शरीर चन्दि से िहीं सुशोषभत होते हैं ि षक कं किों से | दयालु / सज्जि व्यषियों का में धमम िहीं बषकक दूसरों का षहत करिे से शोभा िाता है | श्लोक 3 : दयाहीिं षिष्फलं स्यान्िाषस्त धममस्तु तत्र षह । एते वेदा अवेदााः स्यु दमया यत्र ि षवद्यते ॥ अर्ामत् : षबिा दया के षकये गए काम का कोई फल िहीं षमलता, ऐसे काम होता| जहााँ दया िही होती वहां वेद भी अवेद बि जाते हंै| । वाकसयं म मरै ी का प्रर्म मंर है।
अर्ामत् : षबिा दया के षकये गए काम का कोई फल िहीं षमलता, ऐसे काम में धमम िहीं होता| जहाँा दया िही होती वहां वेद भी अवेद बि जाते हैं| श्लोक 4 : ि ह्रश्यत्यात्मसम्मािे िावमािेि तप्यते । गंगो ह्रद इवाक्षोभ्यो य: स िंषडत उच्यते।। अर्ामत् : जो अििा आदर-सम्माि होिे िर ख़शु ी से फू ल िहीं उठता, और अिादर होिे िर क्रोषधत िहीं होता तर्ा गगं ाजी के कु ण्ड के समाि षजसका मि अशांत िहीं होता, वह ञािी कहलाता है।। श्लोक 5 : िन्चाग्नन्यो मिषु ्येि िररचयाम: प्रयत्ित: । षिता माताषग्निरात्मा च गरु ुश्च भरतिमभ।। अर्ामत् : भरतश्रेष्ठ ! षिता, माता अषग्नि,आत्मा और गरु ु – मिुष्य को इि िांच अषग्नियों की बड़े यत्ि से सेवा करिी चाषहए। श्लोक 6 : िड् दोिा: िरु ुिेिेह हातव्या भूषतषमषच्छता। षिरा तन्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्मसतू ्रता ।। अर्ामत् : ऐश्वयम या उन्िषत चाहिे वाले िरु ुिों को िींद, तन्रा (उंर्िा ), डर, क्रोध,आलस्य तर्ा दीर्मसतू ्रता (जकदी हो जािे वाले कामों में अषधक समय लगािे की आदत )- इि छ: दुगमुिों को त्याग देिा चाषहए। एक िांि मन िुनौतियों के खखलाि सबसे बडा ा़ हधर्यार होिा है ।
श्लोक 7 : िडेव तु गुिााः िुसं ा ि हातव्यााः कदाचि। सत्यं दािमिालस्यमिसूया क्षमा धृषताः।। अर्ामत् : मिुष्य को कभी भी सत्य, दाि, कममण्यता, अिसूया (गिु ों में दोि षदखािे की प्रवषृ ि का अभाव ), क्षमा तर्ा धैयम – इि छाः गुिों का त्याग िहीं करिा चाषहए। श्लोक 8 : प्राप्यािदं ि व्यर्ते कदाषच-दुद्योगमषन्वच्छषत चाप्रमिाः। दुाःखं च काले सहते महात्मा धरु न्धरस्तस्य षजतााः सप्तिााः।। अर्ामत् : जो धुरंधर महािुरुि आिषि िड़िे िर कभी दुखी िहीं होता, बषकक सावधािी के सार् उद्योग का आश्रय लेता है तर्ा समय िर दुाःख सहता है, उसके शत्रु तो िराषजत ही हंै। श्लोक 9 : यो िोद्धतं कु रुते जातु वेिं ि िौरुिेिाषि षवकत्र्तेन्याि। ि मूषछमत: कटुकान्याह षकषचचत् षप्रयं सदा तं कु रुते जािो षह।। अर्ामत् : जो कभी उद्यंडका-सा वेि िहीं बिाता, दूसरों के सामिे अििे िराक्रम की डींग िही हांकता, क्रोध से व्याकु ल होिे िर भी कटुवचि िहीं बोलता, उस मिषु ्य को लोग सदा ही प्यारा बिा लेते हंै। श्लोक 10 : अिबु ंधाििक्षेत सािुबन्धेिु कममसु। सम्प्रधायम च कु वीत ि वेगेि समाचरेत।् । अर्ामत् : षकसी प्रयोजि से षकये गए कमों मंे िहले प्रयोजि को समझ लेिा चाषहए। खूब सोच- षवचार कर काम करिा चाषहए, जकदबाजी से षकसी काम का आरम्भ िहीं करिा चाषहए। -उजाला शमश्रा िी.जी.िी (संस्कृ ि) सि बोलने के शलए कोई िैयारी नही करनी पड़िी, सि हमेिा दिल से तनकलिा है।
छात्रजीविम् छात्रजीविमेव मािवजीविसय् प्रभातवेला आधारषशला च वतमते || अर्ामत् : छात्र जीवि मािव जीवि की आधारषशला है | वसत् ुत: षवद्यार्ी जीविम् साधिामयम् जीविम || अर्ामत् : षवद्यार्ी जीवि एक साधिा के समाि जीवि है | छात्रजीविे िररश्रमसय् महती आवशय् कता वतमते || अर्ामत् : छात्र जीवि मंे हमें िररश्रम करिे की आवश्यकता होती है | अधय् यिं िरमं ति उचय् ते || करिा चाषहए | अर्ामत् : छात्र जीवि में अध्ययि िरम धमम है | अतएव छात्रौ: प्रात: काले ब्रमह् मुहुते एव उतर् ्ातवय् म | अर्ामत् : छात्रों को प्राताः काल ब्रह्म मुहूतम मंे उठिा चाषहए और व्यायाम कु छ ऐसा शलखे जो पढ़ने लायक हो या कु छ ऐसा करंे जो शलखने लायक हो।
य: छाात्र: आलसय् ं तय् क् तव् ा िररश्रमेि षवद्याधय् यिं करेाषत स एव साफलय् ं लभते || अर्ामत् : िररश्रमी छात्र आलस्य त्याग ते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं | तत: प्रषतषिवृतय् सि् ािसिध् य् ोिासिाषदकं षवधाय अधय् यिं कतमत् वय् म || अर्ामत् : सभी छात्र स्िाि करिे के बाद प्रषतषदि अध्ययि उिका प्रर्म कतमव्य है | कसम् ैषचत कालाय भ्रमिाय अषिवायमम || अर्ामत् : शाम के समय र्ूमिा अषिवायम है | तत्र गतव् ा गुरूि ितव् ा अधय् यिं कतमत् वय् म || अर्ामत् : सभी छात्र अध्ययि के दौराि गुरु को प्रिाम करते हैं | तदित् रं च लर्ुसातष् वकं भोजिं दुगध् च गृषहतव् ा षवद्यालय एित् वय् म || अर्ामत् : लर्ु साषत्वक भोजि दुग्नध ग्रहि करते हैं | छात्रजीविं िुिमत: अिशु ासिबद्धं भवषत षवद्यार्ी जीविे एव समसत् ािाां मािवोषचतगिु ांिां षवकास: भवषत || अर्ामत् : छात्र जीवि िरू ी तरह से अिशु ासि का जीवि है षवद्यार्ी जीवि मंे यहीं से मािषसक षवकास होता है | तनपुणिा एक सिि प्रकक्रया है,कोई िघु िथ ना नहीं।
छात्रै: असतय् वादिं ि कदाषि कतमत् वय् म | अर्ामत् : छात्र को कभी झठू िहीं बोलिा चाषहए | छात्र एव रािट् ्रसय् याििु मा षिषधरषस्त, अत: छाात्रािां शाररररकं चाररषत्रकं च षवकासं अत्यन्द्िातनिायमथ || अर्ामत् : छात्र हमारे राष्ट्र के भषवष्य हंै | इसषलए छात्रों के शारीररक और चाररषत्रक षवकास अषिवायम है | अत: तेिा समय् क रक्षिं िोििम च कतमत् वय् म | अर्ामत् : छात्रों को अििी रक्षा के षलए अच्छा िोिि लेिा चाषहए | षवद्याषर्मजीविमेव समि् िु मजीविसय् आधारषशला || अर्ामत् : षवद्यार्ी जीवि संिूिम जीवि की आधारषशला है | कषवता िाण्डेय टी.जी.टी (संस्कृ त) ज्ञान िक्ति है ,समय धन है,.
िोतयो ओलक्म्पक की घिना (प्रेरक प्रसगं ) िोतयो ओलवं पक में के न्द्या के सपु ्रशसद्ध धािक अबेल मुिाई अतं िम राउं ड में िौडिे िति अतं िम लाइन से कु छ मीिर ही िरू र्े और उनके सिी प्रतिस्पधी पीछे र्े। *अबेल का स्िणथ पिक लगिग जीि ही शलया र्ा .. इिने मंे कु छ गलििहमी के कारण िे अतं िम रेखा समझकर एक मीिर पहले ही रुक गए। उनके पीछे आनेिाले स्पेन के इव्हान_िनाांडडस के ध्यान मंे आया कक अतं िम रेखा समझ नहीं आने की िजह से िह पहले ही रुक गए। उसने धिल्लाकर अबेल को आगे जाने के शलए कहा लेककन स्पेतनि नहीं समझने की िजह से िह नही दहला। आखखर मे इव्हान ने उसे धके ल कर अतं िम रेखा िक पहुँूिा दिया । इस कारण अबेल का प्रर्म िर्ा इव्हान का िसू रा क्रमांक आया। पत्रकारों ने इव्हान से पूछा िुमने ऐसा तयों ककया ? मौका शमलने के बािजिू िमु ने प्रर्म क्रमाकं तयों गिं ाया ? इव्हान ने कहा \"मेरा सपना है कक हम एक दिन ऐसी मानिजाति बनाएं जो एक िसू रे को मिि करेगी ना कक उसकी िलू से िायिा उठाएगी। मैने प्रर्म क्रमांक नहीं गिं ाया। पत्रकार ने किर कहा लेककन िमु ने कीतनयाई प्रतिस्पधी को धके लकर आगे लाए । इस पर इव्हान ने कहा \"िह प्रर्म र्ा ही, यह प्रतियोधगिा उसी की र्ी।\"पत्रकार ने किर कहा \" लेककन िमु स्िणथ पिक जीि सकिे र्े\" \"िमु समझिे हो उस जीिने का तया अर्थ होिा। मेरे पिक को सम्मान शमलिा ? मेरी मां ने मझु े तया कहा होिा ? ससं ्कार एक पीढ़ी से िसू री पीढ़ी िक आगे जािे रहिे है। मनै े अगली पीढ़ी को तया दिया होिा ? \"िसू रों की िबु लथ िा या अज्ञान का िायिा न उठािे हुए उनको मिि करने की सीख मेरी मां ने मझु े िी है।” -अविनाि 12C A trophy carries dust. Memories last forever.
शिक्षा -हमारी ज्ञान शमत्र •एक अच्छी पसु ्िक हजार िोस्िों के बराबर होिी है और एक अच्छा िोस्ि एक लाइब्रेरी के बराबर होिा है।। •जब िक 'शिक्षा' का मकसि 'नौकरी' पाना होगा िब िक समाज मे नौकर ही पैिा होंगे 'माशलक' नहीं ।। • शिक्षा मंे बड़ी िाकि होिी है आपके जीिन के सारे िखु ों को खत्म करने का सामर्यथ है करण 12 D Abha Singh Lecturer Biology Develop a passion for learning. If you do, you will never cease to grow.
Innovative practices used in teaching- learning activities “Desperate times breed desperate measures” William Shakespeare As the world tries to make sense of the deadly disease (COVID-19, caused by coronavirus) that knocked our doors unannounced, it is the young and the most vulnerable who are bearing the brunt of the curbing measures in its most sinister form. Schools, playgrounds, parks, activities areas, society compounds, malls, markets and all other places where kids used to socialize are shut. According to UNICEF, closure of schools due to covid has impacted around 247 million children in India. New words like quarantine, lockdown, SOP (standard operating procedures), hydroxychloroquine have become a part of our everyday vocabulary. Masks, sanitizers and social distancing are the new normal. COVID-19 has compelled us to innovate and come up with new methods of teaching. Online education has become the most important tool which helps us connect with our students. Classrooms are brought online and teachers are struggling to connect with students through screens of their computers, laptops, mobiles, projectors et al. Govt has launched different apps such as – DIKSHA PORTAL, e-Path Shala, Swayam, STEM based games etc. Different online platforms such as google meet, zoom, WebEx and others are being used to conduct online classes. Pre- recorded sessions on YouTube and other platforms also come handy while teaching online. Technology is a boon in these testing times. As I use these methods of teaching on a daily basis, I am reminded of a chapter from class 9 English book, ‘The fun they had’. In this story two kids from future Margie and Tommy happen to find a book where school life of past is being described. Margie and Tommy, who have ‘Robots’ for their teachers and who study via computers in their homes are envious of their ancestors who had a place called school to go to, where they had human teachers teaching in classrooms and fellow students sitting together and having fun. I wonder at the uncanny similarity of this story and the reality we are living in right now. That schools will come online in our times may not have been an idea even in the most visionary persons’ wildest imagination. But these innovative ideas, the technology, the access to online devices have further widened the gulf between the INIDIA and the BHARAT. A country like India where basic amenities like clothing, food, shelter etc. are hard to come by, internet facility is a luxury not affordable by all. In pre- covid times only a quarter of households (24 percent) in India had access to the internet and there is a large rural-urban and gender divide. It is in the face of these challenges that a lot of Indian teachers, NGO’s and other organizations have come up with praiseworthy ideas to connect with students. Not only are these ideas innovative in their approach but also show the zeal and determination of our people to face any situation, however adverse it may be.
Some really innovative methods of teaching- learning used in different parts of India are- 1. ‘Spoken School’ Initiative- The brainchild of ‘ Daganda swaraj Foundation’ , this initiative is started in western india. Speakers with pre-recorded sessions are taken to villages on motor – bikes. Kids are gathered and lessons related to maths, English, hindi, day to day activities, dance, moral values etc. are played . Students who have no access to internet and devices are benefitting a great deal from this initiative. 2. Shyam Kishore singh, from Jharkhand Dumka district had put up several loudspeakers across Bankathi village to teach his students who do not have smartphones. 3. Anganwadi workers are delivering educational material home. ‘ Ghare ghare Arunima’ project of dept of women and child development of Odisha in collaboration with unicef is providing teaching learning material to students in their homes. These are some examples of many such innovative ideas implemented all over India during these unprecedented times. Our students have shown exemplary patience and positivity in getting adjusted to these innovative methods of teaching. We are still greatly affected by the pandemic and don’t know when will the time be good enough to open schools again for students. Till then we will have to keep learning, applying new methods and come up with new ideas every single day. There are certain things we need to keep in mind to make teaching learning more inclusive. 1. Make internet connectivity and electronic devices available to all students. Rich people can donate their old devices to students who need them. 2. Delhi govt education department has made provision of centralized worksheets to be provided to all students of Delhi govt school. A link is sent online where students can access weekly worksheets from home. Those students who do not have internet connectivity can collect their printed worksheet from school. Lectures on youtube are also being provided by Delhi govt school teachers. 3. We need to set an ethical learning process through well planned virtual sessions. 4. As students are connected to us only through online classes, we need to encourage self- regulated learning. 5. We need to teach students to manage online platforms seamlessly. 6. We need to promote collaborative learning. Students can be divided into groups and each group can perform in front of other groups 7. Television channels such as Doordarshan can be used to broadcast lectures. Television has wider reach than internet. We need to keep our students positive and help them sail through these difficult times. With the help of technology, human efforts and innovative ideas, teaching learning process can be conducted with much success. Supriya Tyagi TGT English
\"शिक्षा िो है बहुि जरूरी सार् ही सासं ्कृ तिक गतिविधधयां िी हो पूरी \" बच्चों के सलए सशक्षा जीवन का महत्वपणू ा भाग है । बच्चों को सशक्षा के सार्- सार् सासं ्त्कृ ततक गततववर्धयों में भाग लेना भी बहुत जरूरी है। इससे बच्चों की प्रततभा में तनखार आने के सार्-सार् वे मानससक रूप से भी सुदृढ़ होते हंै उनके व्यजक्तत्व ववकास मंे ये गततववर्धयां बहुत सहायक होती है जो ववद्यार्ी को पढ़ाई के सलए उत्साह प्रदान करती है इसके माध्यम से बच्चों को जीवन मंे आगे बढ़ने का मंच प्राप्त होता है बच्चों मंे छु पी प्रततभाएँ ववकससत होती हंै उन्हें फलने फू लने का सही अवसर समलता है ऐसी गततववर्धयां ववद्यालय के छार छाराओं का ववकास में अहम भसू मका तनभाता है हमारे ववद्यालय में भी प्रतत वर्ा की भातं त इस बार भी पूरे वर्ा सांस्त्कृ ततक गततववर्धयां हुई जजनमंे छार-छाराओं ने बढ़- चढ़कर हहस्त्सा सलया उनकी कु छ झलककयां तनम्न प्रकार है 1.जल बचाओ असभयान 2. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 3. Covid-19 के प्रतत जागरूकता 4. नारी रूशजक्तकरण 5. त्रबहटया हदवस 6.तम्बाकू व नशा तनर्धे असभयान 7. स्त्वच्छता असभयान 8 गुरु तगे बहादरु जी जन्मशती 9.स्त्वतरं ता हदवस 10.आजादी का महोत्सव 11.गंदगी मकु ्त भारत। 12 .एक भारत श्रेष्ठ भारत इत्याहद। इन गततववर्धयों के द्वारा बच्चों ने अपने समाज व आसपास के सामाजजक समस्त्याओं के प्रतत जागरूकता उत्पन्न हुए बच्चे बदलते पररवेश के प्रतत सजग होकर अपनी सोच व व्यवहार मंे सकारात्मक बदलाव लाने में सफल हुए वह समाज मंे अच्छे नागररक बनाने हेतु अग्रसर हुए । जयमाला ससहं CULTURAL IN-CHARGE AASTHA 9A A nation’s culture resides in the hearts and in the soul of its people.
उलझनंे और क्ज़िगी उलझने बढ़िी रही मंै झले िा रहा , िति ने मिै ान में उिारा मैं खेलिा रहा । लोग कहने लगे िो पागल हो जाएगा मै सुनिा रहा....... लोगों की बािों को मन मंे िबाए अपने सपने बनु िा रहा...... कै से बिाऊं ? इन लोगों को जसै े िति बिलेगा, िैसे मेरा विश्िास नही बिलेगा सोि िी शलया वििार िी कर शलया।। खुि को र्ोड़ा समझिार िी कर शलया ..... अब कोई िी क्जिं गी मंे आए. जीिन से हर हाल मे जीना सीख शलया।। Rudra Pratap Pandey 10-A ितु नया का सबसे अच्छा गहना है “पररश्रम” और सबसे अच्छा जीिन सार्ी है “आत्मविश्िास”
आगे ही आगे बढ़ना एक बार और उठ कर िलने की कोशिि करनी है। एक बार और धगरिे कर संिलना हंै। क्जिं गी की परख अिी बाकी हैं , अिी िो हमंे अपनी ककस्मि को िी बिलना हैं। बांध कर होंसले अपने िलिे िलो, इस राह पर एक ठोकर पर र्मना नहीं है जीिन में शमली हर मसु ीबि से ,आगे बढ़ जीिन निी बन बहना.. आगे ही आगे बढ़ना ।। मयंक आठिीं A OTHER INNOVATIVE ILLUSTRATION FOR MAGAZINE COVER PAGE VASHU 12 C जीिन मंे बस िही िास्िविक असिलिा है क्जससे आपने सीख नहीं ली.
Re-new , Re-energetic of life is Retirement सेिा तनिवृ ि समारोह 30 शसिबं र 2021 श्रीमिी अनुराधा कपूर (प्रयोगिाला सहातयका) A liberal education is at the heart of a civil society, and at the heart of a liberal education is the act of teaching.
स्कू ल के दिन जज़दं गी तो बाकक हंै, लेककन सुकू न छीन सा गया। स्त्कू ल क्या खत्म हुआ, मानो हमारी झोली से कु छ र्गर सा गया। अब कानो में स्त्कू ल की वो घटं ी सुनाई नही देगी, अब जज़दं गी हर मोड पर हमसे परीक्षा लेगी। भले ही भारी बस्त्तों से छु टकारा हमें समल गया, कं धो पर जजम्मेदाररयों का बोझ भी तो बढ़ गया। स्त्कू ल यूतनफॉमा पहनना त्रबलकु ल नहीं भाता र्ा, लेककन अब नही पहन पाएगं े, ये सोच हदल घबराता हैं। उफ......सुबह जल्दी उठना, बस्त्ता उठा कर चल देना, दोस्त्तो के सार् हंसना, खेलना और गले समलना। अब दोस्त्त तो होंगे, लेककन मतलब कक दोस्त्ती रह जाएगी, जज़दं गी के समदं र में, उम्मीदों कक ससफा कश्ती रह जाएगी। अध्यापकों की डाटं , फटकार और मीठा मीठा प्यार, स्त्कू ल के हर हहस्त्से से जडु गए र्े हमारे हदलों के तार। काश....!! स्त्कू ल और हमारा सार् यूं ही बना रहें, स्त्कू ल मंे एक हदन हमारी कामयाबी का त्रबगुल बजे।। -MD. SAIF (HUMANITIES 12TH CLASS TOPPER) School is what kind of grows you into the person you are.
प्रकृ ति का सौंियथ क्या हम सभी ने कभी सोचा है कक \" प्रकृ तत का तनमाणा कै से हुआ है? यह इतनी संदु र कै से है ? आकाश नीला क्यों है? तारे चमकते क्यों है ? यह प्रकृ तत का सुंदर स्त्वरूप है जो सभी को आकवर्ता करता है। प्रकृ तत इस दतु नया को भगवान का हदया हुआ उपहार है। उसकी सदंु रता न के वल हदखाई देती है बजल्क श्रव्य है, और खुशबू से सुशोसभत भी है। प्रकृ तत हमंे कई मलू ्यवान और आवश्यक चीज़े प्रदान करती है जो हमारे जीवन के सलए अत्यतं उपयोगी है, लेककन महत्वपणू ा बात यह है कक हम इसका उपयोग कै से करते है और जजसमंे प्रकृ तत का नुकसान न हो । पथृ ्वी के गठन के बाद पथृ ्वी पर बहुत सारे जीव जंत,ु पौधे, पानी और पहाड से प्रकृ तत का तनमााण हुआ। सभी जीव जतं ु का जीवन प्रकृ तत पर ही तनभरा है। हर सुबह एक सुदं र सयू ोदय होता है ।पौधों और काचँ की खखडककयों पर पानी की बदंू ें हदखाई देती है ( ववशरे ् रूप से सहदायों में ) । आकर्का और संुदर सूयासा ्त्त हदखता है। चमकते ससतारे मस्त्त रात का अहसास कराते है। एक खूबसूरत साफ नीला आकाश, इसमे चमकते इंद्रधनुर् को कै से भलू सकते हंै। ये खूबसरू त चीज़े प्रकृ तत से संबंर्धत हंै। हम सभी अपनी छु ट्टी पर जाने के सलए तत्पर रहते हैं ताकक हम अपने वप्रयजनों के सार् ववसभन्न स्त्र्ानों जसै े - पहाडों, समदु ्र तटों, वनो आहद स्त्र्ानों की सरै कर सके और प्रकृ तत की सुदं रता का आनंद ले सके । आइए अपनी प्रकृ तत के सार् कु छ समय त्रबताएँ । प्रकृ तत के सार् समय त्रबताना लाभप्रद है। आइए जीवन के सलए कु छ करें। चलो कु छ और पेड लगाएँ। प्रकृ तत को बचाए।ँ इंदिरा पाल िार्ा अध्यावपका प्रकृ ति ईश्िर द्िारा हमें दिए गए सबसे अनमोल उपहारों मंे से एक है।
Art Maestros Art is the concrete representation of our most subtle feelings.
स्िास््य का मूल मंत्र आज के इस भाग दौड भरी जजंदगी मंे बेशक मनषु ्य ने ववकास के नए आयाम स्त्र्ावपत कर सलए हों,लेककन असखं ्य चनु ौततयों के सामने एक सबसे बडी चनु ौती को स्त्वयं को स्त्वस्त्र् रखने की भी हो गई है ।प्रततहदन नए-नए अस्त्पताल खलु रहे हंै। र्चककत्सा क्षरे में ककतनी ही नवीन खोज हो गई हो ककं तु रोर्गयों की सखं ्या घटने के बजाय बढ़ती जा रही है इस हदशा में हमारा खान-पान एक बहुत ही बडी भसू मका अदा कर सकता है हमंे वापस प्रकृ तत मां की तरफ जाना होगा और उन चीजों को ही अपने खानपान मंे शासमल करना होगा जो प्रकृ तत प्रदत है इस सबं ंध मंे तनम्नसलखखत तथ्य ववचारणीय हैं 1. हमारे शरीर मंे परमात्मा द्वारा दी गई 'जीवनी शजक्त' होती है हम अनरु ्चत आहार-ववहार द्वारा उसका सत्यानाश कर देते हैं । 2.हमारे आयवु ेद में कहा गया है \"लघं नम ् परम और्धम\"् अर्ाात उपवास पसीनबसे के बो मडीनऔनरह्री्धं सक्त्वहरै।ताआस्ात्थउप्यसने वकस्तक्व्ातयमं जअूलीनवमभुनंरीवशकजकक्तयाउहसोगराोगकककरोोगठीककीकअरवनस्ेत्कर्ाा मंे हमारा खाने प्रयास करती है। प्रकृ तत के समस्त्त जीव मनषु ्य को छोडकर बीमार होने की अवस्त्र्ा मंे सबसे पहले भोजन का ही त्याग करते हैं गीता में कहा गया है-- आहरम पचतत सशररव, दोर्ान आहार वजजता : अर्ाता जठरार्गन भोजन को पचाती है एवम भोजन की अनपु जस्त्र्तत मंे शरीर के दोर्ों को ही खा जाती है इस तरह से शरीर तनदोर् यानी तनमला बनता है । 3. हमंे अपने भोजन मंे यर्ासभं व खाने योग्य हरी पवियों का रस शासमल करना चाहहए उनके रस में पोर्क तत्व एवं जजंदा एजं ाइम होते हैं जो शरीर की कोसशकाओं का पोर्ण करते हंै। 4. हमारे भोजन में रीजनल और सीजनल , ओररजजनल,फलों एवं सजब्जयों को शासमल करना चाहहए। शरीर इनका पाचन शीघ्रता से करता है जजससे शरीर की आंतें इनके पोर्क तत्वों को शरीर के भागों में खनू के माध्यम से ववतररत कर सकती है । रीजनल का अर्ा है व्यजक्त जजस क्षरे में रहता है उसके फल एवं सब्जी। सीजनल का अर्ा जो जजस भी मौसम में आता है उसे उसी मौसम मंे खाना चाहहए तर्ा ओररजजनल का अर्ा है जैसा प्रकृ तत ने बनाया है फल या सब्जी को उसी स्त्वरूप में ग्रहण करना चाहहए ।प्रकृ तत ने हमारे स्त्वास्त्थ्य की रक्षहारकहदे नसमलेराएसपु ्रअभातनके फल एवं सजब्जयां बनाए हैं जजनमंे जीवन के सलए आवश्यक पोर्क तत्व होते है। Physical fitness is the first requisite of happiness.
5.फै क्री मंे तयै ार भोजन को दरू रखना । त्रबस्त्कु ट नडू ल्स वपज़्ज़ा बगरा शॉप इत्याहद जैसे भोजन से स्त्वयं को बचाएं ।कारण इनमंे पोर्क तत्व तो होते नहीं उल्टे शरीर की शजक्त का इनको तनकालने में खचा और होना पडता है । 6.रोग शरीर मंे रुके हुए मल की अर्धकता के कारण होते हंै जब आप फलों एवं सजब्जयों का बहुतायत उपयोग करंेगे जो शरीर में मल सरं ्चत नहीं रह पाएगा । 7.अर्धकतर व्यजक्तयों को वहम होता है फल एवं सजब्जयाँ कच्चे होते हंै वह कच्चे नहीं होते वह सरू ज की रोशनी मंे पूरी तरह कसे पके होते हंै उनको अपक्व कहा जा सकता है पर कच्चा नहीं है । 8.सबु ह-सबु ह की सयू ा ककरणों में स्त्नान करना चाहहए। ववटासमन डी समलता है जजसके अभाव में शरीर कै जल्शयम का अवशोर्ण नहीं कर पाता । 9. भोजन को ज्जयादा पकाने पर उसके पोर्क तत्व नष्ट हो जाते हैं उसके अंदर व्याप्त जीववत रंजक नष्ट हो जाते हंै इस तरह का भोजन बहुत र्ोडा पोर्ण ही दे पाता है । उपयकुा ्त उपायों को अपनी आदतों में शासमल करंे कु छ ही हदनों मंे आप स्त्वयं ही अपने आप को ताजगी से भरपूर पाएगं े अंत में र्चरा मैडम को साधवु ाद उन्हीं की प्रेरणा से पहली बार सलखने का प्रयास ककया । परमजीत चौहान प्रवक्ता हहदं ी To ensure good health: eat lightly, breathe deeply, live moderately, cultivate cheerfulness, and maintain an interest in life.
\"अशिलार्ा मेरी\" विद्यालय जैसे धरणीधर से उिगम हुई बयार हंै । आरोहण रूपी गगं ा मंे िली ज्ञान की धारा है।। तनमलथ , अविरल बिंू बिूं सा अमिृ बहिा जाएगा । सागर रूपी पसु ्िकालय िो लाखों मोिी जतनि करेगा ।। पसु ्िकालय के अक्स्ित्ि से बाल गोपाल बन जाएगा । अशिलार्ा मेरी कहिी सब से, पल पल रहे ज्ञान की धारा ,कल कल बहे ज्ञान की धारा ।। सागर रूपी पसु ्िकालय िो लाखों मोिी जतनि करेगा, लाखों मोिी जतनि करेगा । सिं ोर् पुस्िकालयाध्यक्ष THE ONLY THINGS THAT YOU ABSOLUTELY HAVE TO KNOW IS THE LOCATION OF LIBRARY.
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