\"संवाद\" वार्षकि पर्िका ततृ ीय अंक – ससतम्बर, 2021 कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली ‘ए’ र्वगं , ततृ ीय तल, इन्द्रप्रस्ट्थ भवि, िई ददल्ली – 110002 1
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“सवं ाद” वार्षकि पर्िका ततृ ीय अकं – ससतम्बर, 2021 कायालि य महासिदेशक लेखापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ‘ए’ र्वगं , ततृ ीय तल, इन्द्रप्रस्ट्थ भवि, िई ददल्ली - 110002 3
\"सरस्ट्वती वन्द्दिा\" हे शारदे मा,ाँ हे शारदे माँा अज्ञानता से हमें तार दे मााँ । तू स्वर की देवी है, सगं ीत तुझसे , हर शब्द तेरा है, हर गीत तझु से । हम हैं अके ले, हम हैं अधूरे, तरे ी शरण हम, हमंे प्यार दे मा…ँा . हे शारदे मा,ाँ हे शारदे माँा मुननयों ने समझी, गनु नयों ने जानी, वदे ों की भाषा, परु ाणों की वाणी । हम भी तो समझंे, हम भी तो जानंे, ववद्या का हमको भी अनधकार दे मा…ाँ . हे शारदे मा,ँा हे शारदे माँा तू श्वेतवणी कमल पे ववराज,े हाथों में वीणा, मकु ु ट नसर पे साजे । अज्ञानता के नमटाके अधं रे े, हमको उजाले का ससं ार दे मा…ाँ . हे शारदे मा,ँा हे शारदे मााँ अज्ञानता से हमें तार दे माँा । ************* 4
\"संवाद\" 2021 अिकु ्रमणिका पषृ ्ठ सखं ्या र्वषय 6-8 माििीय गहृ मिं ी जी का सदं ेश 9 उद्बोधि – महासिदेशक महोदया 10 उप-सिदेशक (प्रशा.) महोदय की कलम से 11 सम्पादकीय – श्री मिोज मसलक, वरर. लखे ापरीक्षा असधकारी र्वभागीय लखे कों की लेखिी से रचिाकार/सकं लिकताि का िाम पषृ ्ठ क्र. र्वषय स.ं स.ं 1. अगर यह सच है..... श्री मिोज मधकु र कस्ट्तरू , व.ल.े प.अ. 13 2. सम्माि गरै ो मे समले अपिों का...... श्री मिोज मधुकर कस्ट्तरू , व.ले.प.अ. 17 3. वो अिभु व मायािगरी मबंु ई दिल्मससटी के श्री मिोज मधकु र कस्ट्तरू , व.ले.प.अ. 19 4. कमि सशु ्री मीिा कु मारी, सिजी सहायक 23 5. वक्त सशु ्री मीिा कु मारी, सिजी सहायक 24 6. िौशेरा का शेर\"- र्िगदे ियर उस्ट्माि अली श्रीमती आरती शमा,ि व.ले.प.अ. 25 7. भारतीय सेिा और उिके मािवासधकारों का हिि श्रीमती आरती शमा,ि व.ले.प.अ. 27 8. दहंदी-पयायि ों के रूप में यथावत ग्रहीत अगं ्रेजी शब्द श्री राजेश रािल, स.ल.े प.अ. 31 9. र्पता िॉ. अिरु ाधा जोशी, कसिष्ठ अिवु ादक 33 10. विमि ाला का क्रम से कर्वतामय प्रयोग श्री राजेश रािल, स.ल.े प.अ. 34 11. दोस्ट्ती की ज़रूरत श्री धमवि ीर, व.ल.े प.अ. 36 12. इंसासियत श्री वेद प्रकाश, व.ल.े प.अ. 38 13. बरसात श्री वेद प्रकाश, व.ले.प.अ. 39 14. सनु ्द्दर वचि श्रीमती ससतदं र कौर, पयवि ेक्षक 41 15. महामारी और मािससक स्ट्वास्ट््य सशु ्री आरती, कसिष्ठ अिवु ादक 43 16. असभव्यर्क्त है भाषा सशु ्री आरती, कसिष्ठ अिवु ादक 44 5
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महासिदेशक महोदया द्वारा उद्बोधि कायालि य की वार्षकि दहंदी पर्िका \"सवं ाद\" के ततृ ीय अकं के प्रकाशि पर मझु े अपार हषि की अिभु सू त हो रही है । सम्पादकीय ससमसत के सभी सदस्ट्यों को इस पर्िका के प्रकाशि हेतु उिके कायि एवं प्रयास के सलए हाददिक बधाई देती हूँ । इस पर्िका का उद्देश्य कायालि य के सभी असधकाररयों एवं कमचि ाररयों में दहंदी के प्रसत उत्साह एवं लगाव को प्रोत्सादहत करिा है । मझु े र्वश्वास है दक इस पर्िका के सलए दकये गए सम्पिू ि प्रयास आशापिू ि पररिाम लायगंे े । वास्ट्तव में, यह एक प्रशसं िीय कायि है । यह भी आशा है दक यह पर्िका दहंदी के प्रचार-प्रसार में अपिी महत्वपिू ि भसू मका सिभायेगी । पर्िका की सिलता हेतु शभु कामिायें । (ररिा अकोइजम) महासिदेशक 9
उप-सिदेशक (प्रशा.) महोदय की कलम से मैं कायालि य की दहंदी पर्िका के ततृ ीय अकं के र्वमोचि के सलए अपार हषि महससू कर रहा हूँ । रचिाकारों िे इस पर्िका में अपिी रचिात्मकता के सभी पहलओु ं के माध्यम से अपिी प्रसतभा को उद्घादटत दकया है । कायालि य के कमठि असधकाररयों एवं कमचि ाररयों के सहयोग से राजभाषा र्वभाग के वार्षकि कायकि ्रम मंे सिधारि रत लक्ष्यों का समसु चत पालि दकया जा रहा है । इस दहंदी पर्िका में रचिाकारों िे दहंदी के प्रचार-प्रसार में अपिा पूरा सहयोग प्रदाि दकया है । मैं पर्िका के सिल सम्पादि हेतु सम्पादक ससमसत व रचिाकारों को राजभाषा दहंदी के प्रसत इस सिष्ठा के सलए हृदय से आभार प्रकट करता हूँ तथा पर्िका की उत्तरोत्तर प्रगसत एवं उज्जज्जवल भर्वष्य हेतु शभु कामिायें देता हूँ । (अजय कु मार कृ पाशकं र) उप-सिदेशक (प्रशासि) 10
सम्पादकीय र्प्रय पाठक गि, कायालि य प्रधाि सिदेशक वाणिणज्जयक लखे ापरीक्षा एवं पदेि सदस्ट्य लखे ापरीक्षा बोिि-।, िई ददल्ली मंे कायरि त असधकाररयों एवं कमचि ाररयों िे अपिी रचिा प्रसतभा के माध्यम से अपिे मि के भावों को शब्दों के धरातल पर उतारकर िवीितम एवं श्रषे ्ठ रचिाओं को आप तक पहुँूचािे का प्रयास दकया है । पर्िका में प्रकासशत सामग्री दहंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में सहयोग प्रदाि करती है । पर्िका मंे सणम्मसलत दकए गए लेख एवं रचिायंे सारगसभति एवं प्ररे िादायी हैं । सरकारी कमचि ारी होिे के िाते सरकार की राजभाषा िीसत का पालि करिा हमारा िसै तक कतवि ्य है । अतः हमें यह कहिे मंे गवि है दक हमारा सगं ठि भी राजभाषा िीसतयों को अमल करिे मंे अग्रसर है । मंै हृदय से सभी लेखकों का भी आभार प्रकट करिा चाहता हूँ, णजन्द्होंिे रचिायें प्रेर्षत कर इस पर्िका का प्रकाशि सम्भव बिाया और साथ ही समालोचकों का, णजिके माध्यम से पर्िका को बेहतर बिािे का प्रयास दकया गया । सभी पाठकों से सहृदय अिरु ोध है दक कृ पया अपिे बहुमलू ्य सझु ाव हमंे प्रेर्षत करंे । पर्िका की उत्तरोत्तर प्रगसत एवं उज्जज्जवल भर्वष्य हेतु मरे ी हाददिक शभु कामिायंे । (मिोज मसलक) वरर. लखे ापरीक्षा असधकारी 11
संरक्षक श्रीमती ररिा अकोइजम, महासिदेशक श्री अजय कु मार कृ पाशकं र, उप-सिदेशक (प्रशासि) (सम्पादकीय ससमसत) सम्पादक श्री मिोज मसलक, वररष्ठ लेखापरीक्षा असधकारी सदस्ट्य श्रीमती ससतन्द्दर कौर, पयवि ेक्षक िॉ. अिुराधा जोशी, कसिष्ठ अिवु ादक श्री सिसति िैिवाल, आूँकडा प्रर्वर्ि प्रचालक, ग्रेि-'बी' दिज़ाईसिंग एवं आवरि िॉ. अिुराधा जोशी, कसिष्ठ अिुवादक श्री सिसति िैिवाल, आूँकडा प्रर्वर्ि प्रचालक, ग्रेि-'बी' 12
आज के इस आधुसिक यगु मंे, हम सभी हर छोटी बडी चीज़ों के सलए सोशल मीदिया का इस्ट्तेमाल अवश्य करते हंै । णजसमंे िे सबकु , वाटसेप्प, इन्द्स्ट्ताग्राम, आदद शासमल हैं और आये ददि हम णजस पर अपिे समिों आदद को शभु कामिा सन्द्देश, वीदियो, इत्यादद का आदाि प्रदाि करते हंै । आज का सोशल मीदिया हम सभी के पास हमारे स्ट्माटिफ़ोि के साथ हमेशा हमारे साथ रहता है णजसके द्वारा छोटी-छोटी खुसशयों के साथ साथ हम सामाणजक बरु ाइयों को उजागर करिे, जरूरतमदं लोगों तक पहुूँचािे और समाज मंे जागरूकता लािे मंे भी मदद समलती है । इसी सन्द्दभि में, मेरा यह लखे एक मजबरू मकू और बसधर औरत की दशा और हमारे समाज मंे सछपी सामाणजक बरु ाइयों की तरि आप सभी का ध्याि आकर्षति करिे की छोटी से कोसशश, शीषकि “अगर यह सच है.......” मंे दकया है:- \"अगर यह सच है........\" बात कु छ ददन पहले की है मैं ओर ददनों की तरह ही अपने एंड्राइड फ़ोन से फे सबुक पर शेयर दकये हुये मजादकया वीदडयोज़ देख रहा था दक मरे ी नज़र शरु ू हुये एक नए वीदडयो पर अचानक रुक गयी, जोदक लगभग तीन से चार नमनट का था । यह ववदडयो अन्य वीदडयोज़ से काफी अलग लगा, शुरू में मझु े लगा की शायद दकसी मदहला का सोशल मीदडया पर चलने वाले हजारों वीदडयो जैसा कोई सामान्य ववदडयो होगा, पर जसै -े जैसे ववदडयो आगे बढता जा रहा था मरे े चेहरे और ददमाग मंे चल रहे भाव एकदम शून्य होते चले जा रहे थे । दरअसल उस ववदडयो क्ललप मंे दकसी घर या कमरे मंे बदं शायद एक 30-35 वषीया मकू और बनधर मदहला अपने ऊपर होने वाले अन्याय और ज़लु ्म को बताने की कोनशश कर रही थी और रो-रो कर अपने हाथ जोड़ कर अपने नलए मदद की गुहार लगा रही थी । वसै े तो हमारे देश मंे सोशल मीदडया पर शये र दकये गए सभी कं टंेट्स पर सरु क्षा एजंेसीज की पनै ी नज़र चौबीस घटं े रहती है और यह भी सभं व है की उस मदहला की गुहार सनु कर उसे उस यातना से आजाद भी करवा ददया गया हो, परन्तु बादक उस जसै ी सभी मजबरू औरतों का लया? जो न तो अभी तक सोशल मीदडया की ताकत से वाद़िफ़ है और न ही चारदीवारी से बाहर ननकल पायी है, दफर अपने ऊपर होने वाले दैननक उत्पीड़न के क्खलाफ आवाज़ उठाना और अपना ह़ि हानसल करना, तो अभी भी भारत के दरू दराज़ के इलाकों मंे रहने वाली कई मदहलाओं के नलए असंभव ही है।मदहलाओ के उसी अनजान डर का नाम है दक अगर यह सच है......... 13
इस छोटे से ववदडयो मंे, एक मदहला अपने हाथों से इशारे कर करके अपने ऊपर होने वाले ज़लु ्मो को रोते हुये बयाँा कर रही थी।क्जसमंे उसके साथ होने वाली दहंसा और असहनीय शारीररक उत्पीड़न की झलक भी थी।वह अपने हाथों के इशारों से अपने शरीर पर लगे घावों, फटे हुये कपड़ों और मदद की आस में हाथ जोड़-जोड़ कर मानो लगातार भीख सी मांग रही थी।उसके चहे रे पर उभरे जख्मो और सूजी हुई आँखा ों के आंसओु ं ने मेरे मन में आये डरावने ववचारों को मानो जसै े कल्पना के पखं देकर, हमारे समाज में नछपी एक ऐसी हकी़ित को उजागर दकया है जो हमारे समाज मंे उपक्स्थत कु छ असामाक्जक तत्वों द्वारा ही सभं व है । उपरोक्त वीदडयो में तो शायद एक पढ़ी-नलखी मदहला थी, जो पररक्स्थनत अनसु ार अपने फ़ोन में ररकॉदडंिग करके दसू रे लोगों तक पहुचाने मंे सफल रही, पर इनके जैसी दसू री अन्य मदहलाओ का लया जो चाहकर भी बोल नही सकती? जो आज भी शायद कहीं ऐसे ही दकसी नरक में ़िै द है? और आज भी हम में से दकसी से मदद का इंतज़ार कर रही है? अब सबसे पहले सवाल यह उठता है दक हम ऐसी पररक्स्थनतयों मंे लया कर सकते हैं? तो सबसे पहले ववचार पुनलस को बलु ाने और आसपास के लोगो को एकवित करके उस अपराधी को पकडवाने का आयेगा? और हम सभी पुनः अपनी-अपनी जीवनचयाा मंे व्यस्त हो जायगें े और दफर जरुरत पड़ने पर अपनी क्ज़म्मेदारी ननभा कर, अपना कर्त्वा ्य ननभाते रहने के आपस मंे वादे करते रहंेगे? पर लया नसफा इतने से हमारे समाज में हो रहे ऐसे अननगनत अपराध रुक पाएगं े? लया मदहलाओ को ऐसी प्रतारणाओं से मवु क्त नमल सके गी? तो शायद हमारे पास इसका कोई उर्त्र नहीं होगा, चलो मान लेते है दक उपरोक्त ववदडयो झठू ा भी हो सकता है परन्तु उसमंे प्रदनशता पररक्स्तनथयों को नज़रअदं ाज़ वबल्कु ल भी नहीं दकया जा सकता और करना भी नही चादहए, लयोंदक हमारी लापरवाही, जागरूकता का अभाव ही हम सभी के बीच मौजदू असामाक्जक तत्वों को ऐसे कृ त्य कर, वबना दकसी सज़ा के सफे दपोश जीवन जीने का ननरंतर मौका प्रदान करते हंै ।तो वास्तववकता में ऐसी पररक्स्तनथयों के नलए कौन क्जम्मेदार है? वो औरत या बरु ी ननयत रखने वाले लोग या खदु हम? इस प्रश्न के ववकल्प की तरह लोगों के उर्त्र भी अलग-अलग ही होंगे, जो हमंे कभी दकसी नतीजे पर नहीं पहुाँचने देगा, जसै े दकसी सवके ्षण के उपरांत लोगों की पसंद-नापसंद के बारे मंे पता चलता है।परन्तु अगर उपरोक्त वीदडयो और उसमंे छु पा हुआ यह घकृ ्णत कृ त्य सत्य है तो लया? अब भी हमें इसे अन्य वीदडयो की तरह देख कर भलु ा देना चादहए या लोगों की अलग-अलग प्रनतदियाओं के आधार पर जनमत संग्रह कर ठोस काननू की वकालत करनी चादहए।जसै ा पहले से ही हमारे समाज में चला आ रहा है और इस ददशा में ननभया ा कांड के बाद हमारे देश में कई कठोर काननू भी बनाये जा चकु े है।परन्तु लया इतना सब होने के बाद भी मदहलाओ पर होने वाले अत्याचारों मंे कोई कमी आई है? तो उर्त्र होगा नहीं, बक्ल्क अपराध काफी बढ़ गए है । लयोंदक अपरानधयों ने स्वानभमान, ससं ्कृ नत के नाम पर अपनी दनमत इछाओं को मदहलाओ से परू ा करवाने के नलए नए नए तरीके ढूाँढ नलये है, वो सभी अब पहले से ज्यादा जागरूक और खतरनाक है पर हम सभी अभी भी अपने आप को इतना मजबूत और जागरूक नही बना पाए है दक इन अपरानधयों को पकड़ने के साथ साथ पूणा समाज मंे व्यापक स्तर पर, मौजदू हर छोटे-बड़े इंसान को भटकाव से सही मागा पर लाकर और उनको गलत सगं त और माननसकता से छु टकारा ददला सके ।यह एक ननम्न स्तर से लके र राविय स्तर तक चलने वाली प्रदिया है क्जसके नलए हमारी सरकारों और 14
जनप्रनतनननधयों को एकमत होकर प्रयास करने की जरुरत है, परन्तु वतमा ान पररक्स्तनथयों मंे तो यह असभं व ही लगता है । लयोंदक अगर ऐसा होता तो शायद आज हमारे देश में भी मदहलाओ को समान अनधकार और अवसर नमल रहे होते और सम्पणू ा ववश्व मंे हमारा देश एक महाशवक्त के रूप मंे जाना जा रहा होता।पर वास्तववकता तो हम सब जानते है दक देवी की तरह पूजे जाने वाली औरत को हमारे देश कु छ लोगों द्वारा में भोग की वस्तु के रूप में भी देखा जाता है।तब भी लया हम यहू ीं सब कु छ देखते रहे, दक कब हमारे जनप्रनतनननध इस ददशा में कोई सकारत्मक कदम उठाएगं े और न जाने तब तक देश के दकतने छोटे बड़े कोनों में ऐसी दकतनी अननगनत लडदकयाँा, मदहलाये बंद दीवारों के बीच घुट घटु कर अपने ऊपर होने वाले जलु ्म को रोकने की भगवान से प्राथना ा कर करके गुमनामी मंे ही इस दनु नया को अलववदा कहती रहेंगी? तो इसका उतर लया है? वे असामाक्जक तत्व है जो माननसक रूप से बीमार और दहंसक है और हम मंे से ही एक होते है ।दफर लया हम एक इंसान होकर भी इस बारे मंे कु छ नही कर सकते और समाज मंे मदहलाओ के ऊपर होने वाले अमानवीय अत्याचारों को यूहीं होते रहने दे? ये भी कब तक, जब तक कोई हमारा अपना इसका नशकार न हो जाये? वतमा ान समय को देखते हुये, बड़े बजु गु ो की वो सलाह याद आ रही है दक पडोसी के घर मंे आग लगी है तो भी मदद के नलए आगे आना चादहए तादक वो आग आपके घर तक न पहुँाच पाए, दफर मदहलायंे चाहे हमारे अपने घर की हो या दकसी और के घर की, है तो हमारे समाज का ही दहस्सा न, अगर आज अपराधी वहां पहुच सकते है तो कल हमारे घर भी आ सकते है? जब हम जानते है दक अपराधी हमारे बीच मंे से कोई भी हो सकता है तो लया हमें अब भी कु छ नहीं करना चादहए? उपरोक्त पंवक्तयों मंे छु पे डर को यहु ीं नज़रंदाज़ करते रहना चादहए? मंैने जबसे वो वीदडयो देखा है, मंै रह-रह कर उसमें नछपे सन्देश को नही नज़रंदाज़ कर पा रहा हूँा तो आप सबको भी नहीं करना चादहए।दफर हम सब नमलकर एक छोटी सी कोनशश तो कर ही सकते है।समाज मंे नछपी बरु ाइयों से लड़ने के नलए अच्छे लोगों से नमलकर अपना सामाक्जक दायरा बढाने से, अपने सगे सबं नधयों को धीरे धीरे जागरूक करके , ववशषे कर अपने नमि मदहलाओं-सबं नधयों की सरु क्षा आदद की जानकारी देकर, नवीन तकनीक की मदद से अनधक से अनधक प्रयास करके हम एक कोनशश से शरु ुआत तो कर ही सकते है।क्जस तरह हमें बचपन में ववद्यालयों मंे नैनतक नशक्षा का पाठ पढाया जाता था । उसी तरह एक माता वपता के रूप मंे हम अपने बच्चों को अच्छी परवररश के साथ साथ लड़दकयों, मदहलायों का सम्मान करना भी नसखाना चादहए । तादक उनके बड़े होने तक यह बुननयाद इतनी मजबतू बन जाये दक कम से कम वो अपने सामाक्जक स्तर पर मदहलाओ का उत्पीडन रोकने में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दे सके । माना दक मदहलाओं के प्रनत आकषणा होना स्वाभाववक है परन्तु बच्चों को सही और गलत में फका नसखाना भी हर माता-वपता की प्राथनमक क्जम्मेदारी है क्जसे हमें ही परू ा करना होगा वनाा लया पता हम मंे से ही दकसी का कोई बच्चा कल ऐसे ही दकसी अपराध मंे नलप्त हो जाये और हम नसवाय पछताने के तब कु छ न कर सके | इन पररक्स्थनतयों में हमें नसफा दसु रो की कोनशश का ही इंतजार नहीं करते रहना चादहए बक्ल्क स्वयं भी ववचार कर प्रयास करना चादहए । लया पता आज भी हमारे आस पड़ोस मंे न जाने दकतनी मदहलायें अपनी आजादी के नलए आपकी ही एक कोनशश के इंतज़ार में हो? वैसे तो हम सभी अपने अपने जीवन मंे काफी व्यस्त रहते है पर लया हमंे समाज मंे नछपी 15
बरु ाइयों को देखकर यंू ही अपनी आाँखें फे र लने ी चादहए । हो सकता है दक उपरोक्त वीदडयो मंे दकसी कलाकार ने अपनी प्रनतभा सावबत करने के नलए, खुद को प्रनसद्ध करने के नलए एक नाटय रूपातं रण दकया हो? परन्द्तु अगर यह सच है तो उन मदहलाओं का लया, जो सच में ऐसे ही दकसी नरक मंे आज भी झुलस रही है? प्रनतददन शारीररक उत्पीडन और शोषण की नशकार हो रही हों और उनकी उस नरक से मुवक्त की उम्मीद भी धीरे धीरे टू ट रही हो, सोनचये अगर वो मदहला माननसक रूप से बीमार या ददव्यागं हो तो हम उपरोक्त हालात में उसकी दशा की कल्पना भी नहीं कर सकत।े तो लया हमंे तब भी कोई कोनशश, कोई प्रयत्न नही करना चादहए? सोनचये अगर आपका कोई अपना ऐसी पररक्स्तनथयों मंे फाँ स जाये तो तब आपके ऊपर लया गजु रेगी? अगर यह दकसी आपके अपने का सच हो तो लया तब भी आप कोई प्रयास नहीं करंेगे...???? मरे ी आप सब से यही गुजाररश है की इस बारे मंे एक बार ववचार अवश्य जरुर करे की, अगर यह सच में सच है......|। (समाप्त) स्ट्वरसचत (मिोज मधकु र कस्ट्तरू ) वरर. लखे ापरीक्षा असधकारी कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), िई ददल्ली 16
आज अपने ऑदडट ववभाग मे नसतम्बर 2008 से काया करते हुये, मुझे 12 वषा से अनधक का समय हो चकु ा है। इस दौरान ऊपर वाले के आशीवााद से मैंने काफी कु छ हानसल भी दकया,पर जब कभी भी पीछे वक्त मे मुड़कर देखता हूाँ तो कई चहे रे आज भी नज़रों मे साफ़ नज़र आते है मानो जसै े अभी कल की ही बात हो | उन्ही कु छ नामों मे सबसे पहला नाम आता है, शभु ांगी मडै म का, जो आज भी ए. जी. ऑदफस, मुबं ई मे कायरा त हैं क्जनकी सीचं ी हुयी बनु नयाद पर ही, मैं आज आप सबके बीच यहााँ तक पहुच पाया हूाँ | उन्हीं शुभागं ी मैडम के प्रनत अपना आभार मनै े स्वयं नलक्खत पवं क्तयों के रुप मंे व्यक्त करने का प्रयास दकया है और आशा है दक यह आप सबको भी पसंद आएँगा ी:- \"सम्माि गरै ो मे समले अपिों का\" एक प्यारी सी पसे ोनानलटी नलए चेहरे पर सदा मुस्कान, क्जसे देखकर रह जाए सभी तकलीफंे हैरान, अपने ग़मों को छु पाकर, दसु रो के ग़मों को दरू करती है, खुद ने देखा जसै ा वक्त, उसका सबक मेरे जसै े नादानों को देती है, कमी नहीं है इस दनु नया मे ऐसे अच्छे इंसानों की, बस ज़रूरत है वक्त पर दकसी अच्छे की आगे आने की, इस दनु नया मे खशु नसीब नहीं होता हर कोई, ठोकरंे लगती रहती है पर सभाँ ालने वाला नहीं हर कोई, खुशदकस्मत होता हंै वो शख्स क्जसे आप जैसा कोई नमलता है, तकलीफें मकु ्श्कल नहीं रहती और कॉक्न्फडंेस लेवल भी बढता है, मैं तो शुदिया भी नहीं कह सकता, जैसे आपने मझु े संभाला था, शब्दों को जानता हूँा और शब्दों का तोहफा ही सबको ददया था, सम्मान करता हूाँ ददल स,े कम नहीं समझता आपको अपनी मदर से, छोटा हूाँ उम्र स.े ... इसनलए डायरेलट प्राथना ा है उस रब से, आपके जीवन मे हो इतनी खुनशयाँा की गम के नलए कोई जगह न हो, स्वास््य, आनदं और मेहनत मे उम्र की कोई बाधा न हो, मैं थोडा सा नादान थोडा सा शैतान हूँा, पर ददल से ईमानदार हूाँ, हुयी हो मझु से कभी कोई गलती, उसके नलए अब भी शमसा ार हूँा, अपना स्नहे भरा वो आशीवादा सदा मझु े पर यहु ीं बनाये रखना, क्जन्दगी यूहाँ ीं चलती रहेगी, पर मुझसे कोई कभी नाराजगी मत रखना..., 17
इस सफ़र की शरु ुआत आप थी जो आज एक दशक से आगे ननकल चकु ा हंै, अब तक गरै ों में अपने तो कई नमले है पर कोई आपसा नहीं नमला, क्जसकी फूं की हुयी आत्मववश्वास की मशाल आज भी यूहीं कायम है, सफ़र तो बहुत लम्बा है पर आपसे नमला पहला सम्मान आज भी कायम है|| (समाप्त) मंै यह सत्यार्पत करता हूँ दक उपरोक्त र्वषयक रचिा कहीं से चुराई िही गयी है और मौसलक एवं अप्रकासशत रूप से मरे े द्वारा स्ट्वसलणखत हैं | स्ट्वरसचत (मिोज मधकु र कस्ट्तरू ) वरर. लेखापरीक्षा असधकारी कायालि य महासिदेशक लेखापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), िई ददल्ली 18
“वो अिभु व मायािगरी मबुं ई दिल्मससटी के .......” दोस्तों बात आज से लगभग ग्यारह साल पहले सन ् 2009 की है जब मैं अपने मबंु ई क्स्थत कायाालय मे तैनात था l उस दौरान मुझे अपने एक नमि श्री रववदं र कु मार के सौजन्य से एक बार मायानगरी मंबु ई मे गोरेगावं क्स्थत दफल्मनसटी की सैर करने का मौका नमला था l एक आम आदमी की तरह मरे े भी दफल्मों के बड़े-बड़े हीरो-हेरोइन को सामने से देखने, उनके साथ फोटो क्खंचवाने और दफर अपनी नमि मडं ली मे शखे ी मारने का लाइफटाइम वनै लदडटी वाले ऑफर जैसे ढेर सारे छोटे-छोटे परन्तु रंगीन सपने थे l ऊपर से मझु े दफल्मनसटी मे घूमने का एक नहीं बक्ल्क दो-दो ददन का ननमंिण प्राप्त हुआ था, क्जससे मरे े सपनो को मानो नए वबलकु ल ब्ांडेड पर (मतलब ववगं ्स) से नमल गए हो, तो लया मरे े वो सपने पूरे हुये, लया मंै उन बड़े-बड़े दफ़ल्मी नसतारों के साथ फोटो लके र अपने दोस्तों पर शेखी मार पाया? तो चनलये मेरे साथ इन सवालों के जवाब ढूाँढने मरे े एक और रोचक मजदे ार सफ़र पर, क्जसका शीषका मैंने ददया है ‘वो अनुभव मायानगरी मंुबई दफल्मनसटी की...’| बात मरे े मंुबई कायका ाल के वषा 2009 की है, मेरे नमि श्री रववदं र कु मार गोरेगांव क्स्थत महाराि दफल्म, स्टेज एंड कल्चरल डेवलपमंेट कारपोरेशन का ऑदडट कर रहे थ,े क्जसका कायाालय मायानगरी मंुबई की पहचान दफल्मनसटी में ही क्स्थत था l जैसे ही मझु े यह ज्ञात हुआ की मरे े नमि दफल्मनसटी का ऑदडट कर रहे है, उसी पल मनैं े यह ठान नलया था की मैं अपने हाथ आये इस मौके को ननकलने नहीं दंगू ा l मंनै े पूरी प्लाननगं के साथ अपने नमि से दफल्मनसटी आने की गुज़ाररश की, क्जसे मेरे नमि ने तरु ंत स्वीकार कर नलया और शननवार के ददन (जब हमारा कायाला य बंद, परन्तु दफल्मनसटी कायाालय चालू रहता है) लचं के आस पास ऑदफस आने के नलए मझु े न्योता ददया l क्जसे मैंने तुरंत सहषा स्वीकार कर नलया था l सब कु छ प्लान के मुतावबक एकदम बदढ़या चल रहा था और मंै मंगु रे ीलाल की तरह अपने हसीन सपनो को परू ा होते हुये देख रहा था, दक मैं कै से बड़े-बड़े दफल्मस्टासा के साथ फे स टू फे स ढेर सारी फोटो क्खचवा रहा हूाँ?, मझु े एक वीआईपी की तरह कहीं भी आने जाने से कोई नहीं रोक रहा है? और कै से वावपस घर लौटने पर मैं अपनी नमि मंडली को अपनी क्खचवाई हुई एक-एक फोटो ददखा रहा हूँा? और मेरे सारे नमि कै से आश्चया भरी ननगाहों के साथ मरे ी नमक नमचा लगाकर सनु ाई जा रही बातों को बड़े ध्यान से सनु रहे है? इन सब बातों और अपने दोस्तों पर जमते रॉब को सोच-सोच कर, अब मेरे नलए शननवार तक का इंतज़ार बहुत मकु ्श्कल हो रहा था l मंै एक-एक ददन ऐसे नगन रहा था मानो जसै े कोई प्रेनमका अपने प्रमे ी का इंतज़ार कर रही हो l आक्खर हो भी लयूँा न, सपनो को परु े होते देखना दकसी प्रने मका से नमलने से भला कम होता है लया? आक्िरकार वो शननवार का ददन आ ही गया, तारीख 31 जनवरी 2009! सुबह से ही मैं परू े मडू मंे था, अपने घर के सारे छोटे-मोटे काम मंै गाने गनु गनु ाते हुये फटाफट दकये जा रहा था l उस ददन मेरे मूड को देखकर मरे ी छोटी मराठी बहना सवी, अपने भईया से टू टी-फू टी दहंदी मे पूछती है – भईया आज तो बहुत मस्त लग रहे हो लया बात हुआ? कोई नमल गया लया मंुबई मे आपको, मरे े को भी नहीं 19
बताएाँगे... पर उसके ददल्ली वाले भईया तो आज ज़मीन पर थे ही नहीं l वो तो न जाने आज दकस दकस के साथ पहले से ही नमल चुके है, कई फोटो क्खचवा चकु े है l लया शाहरुि, लया सलमान और लया अनमताभ जी, कोई भी बड़ा नाम नहीं बचा था नलस्ट मे l सबने मनोज जी को न नसफा अपना कीमती समय ददया बक्ल्क उन्हंे दफर से नमलने के नलए न्योता भी जो ददया था l अपने को नमले इस सम्मान पर मनोज जी के कदम आज ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे l दफर भला भोली-भाली सवी की बातंे कै से उसे सनु ाई देती? वो तो आज अपनी ही दनु नया मे खोया हुआ था l अपना सारा काम जल्दी से ितम करके , आटं ी जी के हाथों का बनाया स्वाददष्ट नाश्ता करके वो अपने भाडं ु प वाले घर से गोरेगांव तक पहुचने के रास्ता तलाश कर रहा था दक कौन से स्टेशन तक मबुं ई लोकल से दफर आगे बस से या ऑटो से कै से अपनी मंक्जल पर वबना वक्त गँवा ाए, एक अनशु ानसत होनहार व्यवक्त की तरह समय पर पहुँाच कर अपने ख्यालीराम के सपनो को इस मायानगरी मे जल्द से जल्द जीना चाहता था l आक्खरकार लचं के वक्त तक मैं दफल्मनसटी के गेट पर पहुच गया था, जहाँा पर पहले से ही मरे े नमि मुझे अन्दर ले जाने के नलए खड़े थे l वहां ऑदफस मे रववदं र के साथ मरे े अन्य साथी लोनारकर जी, ए.के . नसंह और गायधने जी भी मौजूद थे l सबसे एक छोटी मलु ा़िात के बाद मैं ऑदफस के बाहर आकर खड़ा हो गया था, जहााँ एक ‘ट्रम्प काडा’ नामक दकसी दहंदी दफल्म की शूदटंग चल रही थी, क्जसके न तो हीरो का न उसकी हेरोइन का दकसी को अता पता था (पर सच कहूाँ, एक स्ट्रगलर के नलए अपने कररयर के नलए मायानगरी मे नमला एक छोटा सा मौका भी बहुत कु छ होता है) l पर कु छ देर रुक कर मनंै े लाइफ में पहली बार लाइव शूदटंग ज़रूर देखी, सच कहूाँ मरे ी शरु ुआत इतनी बोररंग होगी, यह मैनं े सपने मे भी नहीं सोचा था लेदकन मंै पूरे जोश मे था l जल्द ही मनैं े अपने सानथयों के साथ दफल्मनसटी मे मौजदू एक रेस्टोरेंट मे नमलकर मराठी लचं पूरा दकया और अपने यादों भरे सफ़र पर ननकल पड़ा l दफल्मनसटी के सफ़र पर हमे दो टू र गाइड नमले थे उनमे पहले श्री माने (जो दफल्मनसटी मे ही टू ररस्ट गाइड थे) और दसू री मैडम थी (क्जनका मुझे नाम तो याद नहीं पर वो दफल्मनसटी ऑदफस मे ही काया करती थी और इर्त्ेफा़ि से भाडं ु प मे हमारे साथ वाली वबक्ल्डंग मे ही रहती थी)| दो गाड़ीयों से घूमते हुये हमने दहंदी सीररयल ‘मायका’ और कु छ मराठी सीररयलस की लाइव शूदटंग, दफल्मो और नाटकों के कई मशहूर स्पॉट्स देख,े जो हकी़ित मे दफल्मनसटी स्टू दडयोज़ थ,े जो अलग अलग दफल्म्स, सीररयल मे बार-बार ददखाई जाते थे जसै े दफल्मनसटी का मशहूर टेम्पल स्टू दडयो (न जाने दकतनी दहंदी दफल्मो मे ददखाया गया है उस)े , भतू बंगला गाडान, डेथ वलै ी, हेलीकाप्टर से उतारते और चढ़ते सीन के नलए हेनलपैड, अन्दर ही बना हुआ सुभाष घई दफल्म इंक्स्टट्यटू , तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीररयल का परमानंटे शदू टंग स्टू दडयो, आदद घमू े और कई यादगार फोटोज भी नलए (जो बाद मे सारे मुझसे गलती से दडलीट भी हो गए) l इस यादगार सफ़र के दौरान मुझे एलटर ववश्वजीत जी (जो उस वक्त अलसर ववलेन की भनू मका ननभाते थे) और रामानंद सागर की रामायण मे शपू ना खा का दकरदार ननभाने वाली रेनू खानोलकर जी को भी देखने का मौका नमला l इसके साथ ही हमने महाभारत का 25 वषा पुराना सटे , खंडाला घाट और अन्य रोड साइट्स देखी, जहाँा अलसर दफल्म्स के एलसीडेंट सीन दफल्माए जाते थे l हमे घमू त-े घूमते अब शाम हो रही थी और अब वावपस घर लौटने का समय हो रहा था l वसै े तो यादगार के नलए मेरे पास बहुत सारे खबु सूरत पल थे परन्तु नच बनलये’ सीज़न 4 का ग्रडैं दफनाले के दो वीआईपी पासों (ववद दडन्नर) ने इन पलों मे और चार चााँद लगा ददए गए थे l जो हमारे टू ररस्ट गाइड्स ने ननमंिण स्वरुप हम दोनों को ददए थे l ये ग्रडंै दफनाले अगले ददन रवववार यानी एक फ़रवरी 2009 को दफल्मनसटी मे ही होने वाला था l यह सनु कर मैं और रववदं र एकदम उत्सादहत हो गए और अब हमे वबलकु ल भी थकान महससू नहीं हो रही थी और कल वावपस आने की फीनलंग के साथ हम पहले ऑटो और दफर बस से 20
सफ़र करते हुये अपने अपने घर वावपस लौट आये l वसै े तो पहले ददन का अनुभव मेरे अरमानों के एकदम ववपरीत था पर नच बनलये के ग्रैडं दफनाले के पास नमलने के बाद तो ऐसा लग रहा था जैसे सच मे मेरे सपने कल परू े होने जा रहे है l इस तरह एक रात और मंै यूहीं ख्यालीराम के हसीन सपने देखते हुय,े क्जसमे मैं कभी फराह खान तो कभी अजनुा रामपाल और तो और कररश्मा कपूर के साथ भी फोटो क्खचवाते हुय,े बातंे करते हुये इतरा रहा था (जो उस वक्त नच बनलये की जज थी) l इस तरह सपनो मे देखते देखते वो रात कब पूरी हो गयी पता ही नहीं चला | अगले ददन सुबह जल्द ही मंैने घर के सारे काम ित्म कर, बाहर घमु ने के बहाने मादका ट मे अपने नलए नए कपडे खरीदने आया था l लयोंदक आज की शाम बहुत स्पेशल जो थी और मंै भी दकसी से कम नहीं ददखना चाहता था l शाम होते ही मैं और रववंदर ऑटो से दफल्मनसटी पहुच गए थ,े पर वहां कोई स्पशे ल चहल-पहल नहीं थी सब शातं था जबदक हम तो सोच रहे थे की ग्रंैड दफनाले वाले ददन चारों तरफ चमक-धमक होगी (कै मरा, लाइट और ढेर सारी भीढ़) जसै ा अलसर टीवी पर ददखाया जाता है l हम धीरे-धीरे अन्दर ननधारा रत स्टूदडयो की तरफ बढ़ ही रहे थे दक आईसीआईसीआई एटीएम के नजदीक हमे पहला जाना पहचाना चेहरा एलटर कृ ष्णा (जो मशहूर एलटर गोववदं ा जी के भांजे भी है) नज़र आये और उसके बाद कई सारे टीवी सीररयल एलटर और एलट्रेस ददखी l सब हमंे देखते हुये ऐसे ननकल गए जसै े हम वहााँ थे ही नहीं... (ऐसी बेज्ज़ती तो मेरी कभी सपने मे भी नहीं हुयी थी) l पर खुद को सभँा ालते हुये हम दोनों स्टू दडयो के पास ही पहुाँचे थे की तभी हमारे आगे से फराह खान, अजुना रामपाल और कररश्मा कपरू अपनी अपनी बससे से उतर कर वीवीआईपी लाउन्ज की तरफ चले गए और मंै नसवाय उन्हंे देखते रहने की अलावा कु छ नहीं कर पाया (मझु े लया पता था की बाद मे उनकी ये एक झलक, मेरे साथ उनकी आक्खरी झलक सावबत होगी) l तभी याद आया की अभी तो ग्रडंै दफनाले शुरू होने मे वक्त है, आगे और भी मौके आयेगं े l दफर धीरे-धीरे वहां सब टीवी एलटसा पहुचने लगे क्जनमे नच बनलये की सभी ग्यारह जोदडयाँा और शो होस्ट करने वाले दहतेन और गौरी तजे वानी भी थे l उन जोदड़यों मे से कु छ नाम जसै े जसपाल भट्टी और सववता भट्टी, अनभजीत सावतं (इंदडयन आइडल फस्टा ववनर) और अन्य गेस्ट्स जसै े नशवानी कश्यप आज भी मुझे धंुधली यादों मे याद है l हम धीरे-धीरे स्टूदडयो के मने गटे पर पहुच चकु े थे और सभी सेनलवब्टीज की तरह अन्दर जाने के नलए आगे बढ़ ही रहे थे दक हम दोनों को वाचमने ने गटे पर ही रोक नलया जबदक बाकी सभी अन्दर चले गए l उसके इस व्यवहार पर हम दोनों काफी नाराज़ हुये, हमने उसे अपने वीआईपी पास भी ददखाए, पर वो था की कु छ सुनने को ही तैयार नहीं था l दफर दकसी तरह रववदं र ने ऑदफस वाली मडै म से उसकी बात करवाने के बाद, हमे अन्दर जाने की एटं ्री नमली l अब तक लगभग साढ़े आठ बज चुके थे और अब हमंे भखू भी लगने लगी थी l पर ग्रडैं दफनाले लया खाने का भी दरू - दरू तक कोई नामोननशान नहीं था l हम अन्दर दाक्खल हो चकु े थे, शूदटंग वाली सारी सीट्स खचाखच भरी हुयी थी और हमारे जसै े वीआईपी पास वाले कई लोग जहाँा तहााँ दकनारों म,े कोनो मे खड़े हुये बस ग्रैडं दफनाले शरु ू होने का इंतज़ार कर रहे थे| जो कतई ग्रैंड नहीं था कोई स्पेशल स्टेज परफॉरमंसे नहीं हुयी थी अभी तक l घड़ी मे दस बज चकु े थे पर अभी तक हमंे बठै ना तक नसीब हुआ था, टागाँ े ददा करने लगी थी ऊपर से ग्रंडै दफनाले हमारे नलए फ्लॉप दफनाले बनता जा रहा था l वबलकु ल बोररंग, उस वक्त हमारी हालत भीड़ मे दबे हुये उस इंसान जसै ी थी जो दकसी नते ा की रैली मे इस उम्मीद से आता तो है दक नेताजी उसे जरुर पहचान लगें े पर, पहुचने पर वो ऐसे एक दकनारे कर ददया जाता है जहााँ उसके जसै े हजारों पहले से लाइन्स मे अपना अपना इंतज़ार कर रहे हो l ऐसे मे एक इंसान की मौजूदगी दकस को ददखती है, उसके नलए तो अपना वजूद संभालना ही मकु ्श्कल हो जाता है l वही हाल इस वक्त हमारा भी था (भीड मंे और स्टेज पर लाइट ददखाने की वजह से हम भी औरों की तरह अँधा रे े 21
मे जो खड़े थ)े | दकसी एलटर एलट्रेस के साथ फोटो क्खचवाना तो दरू वो तो दोबारा सामने से देखने को भी नहीं नमले l सारे सपने एक-एक करके चरू -चूर हो रहे थे और ऊपर से भूख भी बड़ी जोरो से लग रही थी l अब रववदं र काफी बोर हो चुका था और मरे े अरमानों पर भी पानी दफर चुका था l हम दोनों लगभग साढ़े दस बजे दफल्मनसटी से बाहर ननकल गए, अाधँ ेरे का वक्त और दफल्मनसटी की खुली जगह की वजह से हम दोनों को वावपस रास्ते मे थोड़ी थोड़ी ठण्ड भी लग रही थी l लगभग ग्यारह बजे के आसपास हम भाडं ु प पहुचे और एक ननराश हारे हुये क्खलाडी की तरह, घर जाने से पहले भांडु प वसे ्ट क्स्थत रत्ना रेस्तौरेंट मे बैठ कर हम दोनों एक दसू रे को सांत्वना दे रहे थ|े रववदं र कह रहा था की एकदम बकवास था ग्रैंड दफनाले और मंै भी अपनी भड़ास ननकालने के नलए उसकी हााँ मे हााँ नमला रहा था (लयोंदक मेरे सारे सपने, मरे े नए कपडे, मरे े फ़ोन की फु ल चाजा बटै री, सब कु छ रखा का रखा रह गया था) l इसनलए मैं बार-बार अपने आप को समझा रहा था दक अंगूर खट्टे है... पर यह नहीं अपना पा रहा थी दक इस दनु नया मे एक आम इंसान की तरह मरे े भी सपने अधूरे थे लयोंदक हम अपनी वास्तववकता को जानते हुये भी खदु को कु छ ज्यादा ही स्पेशल जो समझने लगते है l दफर भी मरे ा मन यह सच मानना ही नहीं चाहता था और सच को स्वीकार करने की बजाय अपने गमों पर मरहम लगाने के नलए (अपने जीवन मे पहली बार)एक खानदानी रईस की तरह बीयर को अपने गले से लगाया l और धीरे-धीरे अपने मगंु रे ीलाल कहो या ख्यालीराम के हसीन सपनो एक एक पेग की तरह अपने गले के नीचे उतारता चला गया l लयोंदक घर जाकर मुझे अपनी छोटे भाई-बहन को रोचक दकस्से जो सनु ाने थ,े जो रात के इस वक्त भी जागते हुये मेरे घर पहुचने का इंतज़ार कर रहे थे l घर पहुचकर मैनं े उन्हंे कु छ मनगढ़ंत दकस्से भी सनु ाये और उनका ददल रखा पर, तब से लेकर आज तक मंनै े अपने सपनो को हकी़ित के साथ जीने पर प्राथनमकता दी है पर यह ददल है न की मानता ही नहीं l एक नए ददन, नयी जगह पर दफर से खुद को दकसी राजा की तरह देखते हुये उन रंगीन सपनो की दनु नया मे खो सा जाता है l जहाँा पहुच कर हर आम इंसान कु छ पलों के नलए सही पर सच मे राजा ज़रूर बनता होगा l नमिों उस ददन के बाद से मंनै े कभी दकसी वीआईपी पास के नलए कोनशश नहीं की, तादक दफर से मरे े अन्दर के दबे हुये मगुं ेरीलाल वाले और ख्यालीराम की तरह हसीन हकी़ित से कोसों दरू वाले सपने दफर से कहीं क्जन्दा न हो जाये? मायानगरी मबुं ई के इतने वीआएपी अनभु वों के बाद तो वबलकु ल भी नहीं, पर आप सोच रहे होंगे सपने देखने मे लया गलत है? हााँ कु छ भी गलत नहीं है बस अगली सुबह मम्मी की डाटं खाते हुये उठकर यह महसूस करना की धत ् तरे े की मंै दफर से वो वाला सपना (जहाँा सब कु छ हीरो यानन आपकी मजी से होता है) देख रहा था..... और बार बार अपने को युहीं सांत्वना देना दक कब तक मेरे जसै ा इंसान ऐसा बदाशा ्त करता रहेगा? हम भले ही दफल्म स्टार नही पर, भाई! मेरे जसै े लोगों की भी आक्खरकार समाज में कु छ इज्ज़त है या नही.ं ...? (समाप्त) मंै यह सत्यार्पत करता हूँ दक उपरोक्त र्वषयक रचिा कहीं से चरु ाई िही गयी है और मौसलक एवं अप्रकासशत रूप से मेरे द्वारा स्ट्वसलणखत हंै| स्ट्वरसचत (मिोज मधकु र कस्ट्तरू ) वरर. लेखापरीक्षा असधकारी कायालि य महासिदेशक लेखापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), िई ददल्ली 22
कमि 1) कमि का लखे समटा ि सके कोई और l चाहे कोई लगा ले दकतिा भी जोर ll 2) जीवि तेरा है यहाूँ पर बहुत ही अिमोल l मडु के िहीं आिा दिर इस ओर ll 3) जीवि तो पल का है एक झूठा सपिा l यहाूँ पर तू हर पल भाचकर चलिा ll 4) जैसा कमि करेगा वसै ा ही िल पिेगा पािा l तरे ा कमि ही एक ददि तरे े आगे आ जािा ll 5) ति, मि, धि से दकसी के काम तू आजा l सबके ददलों में अपिी जगह तू बिा जा l 6) यहाँू पर ि कु छ है तरे ा िा कु छ है मेरा l जीवि है यहाँू पर बस एक रैि बसेरा ll 7) सब कु छ छोडकर ससं ार से पिेगा जािा l कमि की कमाई को ही साथ है लके र जािा ll 8) सखु -दःु ख ही तो है हमारे कमों की छाया l यही बात इंसाि अभी तक समझ क्यूँ िहीं पाया ll 9) जीवि मंे क्या खोया और क्या हमिे है पाया l कमों का दकया ही तो हम सबके आगे है आया ll 10) जीवि में करता जा हर पल तू िके काम l िा जािे कौि सा कमि हो जाए तरे े मेहरबाि ll (स्ट्वरसचत) सशु ्री मीिा कु मारी सिजी सहायक कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (खाद्य, कृ र्ष एवं जल ससं ाधि), ददल्ली 23
“वक्त” वक्त चलता ही जाए, हाथ दकसी के न आए, कभी हँासाए कभी ये रुलाए, वक्त अनेक रंग ददखाए, राजा से रंक ओर रंक से राजा बनाए, वक्त अच्छे -अच्छों को नाच नचाए, पल-पल ये बीता जाए, वक्त कभी लौट कर ना आए, यादें अपनी छोड़ता ये जाए, वक्त जसै ा भी हो गजु ़र ये जाए, वक्त कभी ये तरे ा तो कभी मेरा हो जाए, वक्त की कीमत को जो समझ जाए, उसका बेड़ा पार हो जाए, वक्त पर गमु ान जो करे, वक्त उसे कभी माफ़ ना करे l (स्ट्वरसचत) सशु ्री मीिा कु मारी सिजी सहायक कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (खाद्य, कृ र्ष एवं जल ससं ाधि), ददल्ली 24
\"िौशरे ा का शेर\"- र्िगदे ियर उस्ट्माि अली” वब्गदे डयर उस्मान अली भारतीय सने ा के एक अदम्य वीर और साहसी सेना अनधकारी थे । स्वतंि भारत को जब 1948 मंे पहली बार यदु ्ध का सामना का करना पड़ा तब उन्होंने सारी बाधाओं और ववपरीत क्स्थनतयों का सामना करते जम्मू कश्मीर के नौशरे ा (झांगर) क्षेि मंे दशु ्मन को करारी परास्त दी । एक सच्चे देशभक्त और युद्ध नायक के रूप मंे उनकी शौया गाथा, भारतीय सने ा के स्वक्णमा इनतहास मंे सदा अदं कत रहेगी । 15 जुलाई 1912 को उर्त्र प्रदेश के मऊ क्जले के बीबीपुर मंे जन्मे मोहम्मद उस्मान एक पनु लस अनधकारी के बटे े थे । वे बचपन से ही एक साहसी और दृढ़ प्रनतज्ञ बालक थे l उनके इन गुणों पररचय एक घटना से नमलता है जब बारह साल की उम्र में वे एक डू बते हुए बच्चे को बचाने के नलए कु एं में कू द गए । उनके वपता चाहते थे दक वे नसववल सववसा ेज मंे शानमल हों, लदे कन वे सने ा में शानमल होना चाहते थे और अपने फै सले पर अड़े रहे । अपनी असाधारण योग्यता प्रदनशता करते हुए तत्कालीन वब्दटश सने ा में चयननत हुए l वब्दटश सेना में एक वषा तक सवे ा करने के बाद, उन्हंे बलचू रेक्जमंेट मंे कमीशन दकया गया और उन्होंने अप्रैल 1945 से अप्रैल 1946 तक 10 वीं बलूच रेक्जमटें की 14 वीं बटानलयन की कमान सभं ाली । उनके पास ऐसे अनकु रणीय नते तृ ्व गणु थे दक बहुत कम समय मंे वह वब्गेदडयर के पद तक बढ़ गए । सन 1947 मंे देश का ववभाजन होने पर उन्हें तत्कालीन पादकस्तानी सरकार ने पादकस्तानी सने ा प्रमुख का पद प्रस्ताववत दकया लदे कन उन्होंने यह प्रस्ताव ठु करा ददया और भारतीय सेना के साथ काम करना जारी रखा । जब बलूच रेक्जमेंट पादकस्तान गई, तो उसे डोगरा रेक्जमेंट मंे स्थानांतररत कर दया गया । जनवरी 1948 में पादकस्तान ने नौशरे ा सेलटर पर हमला दकया, जो जम्म-ू कश्मीर मंे एक अत्यनधक रणनीनतक स्थान था। वब्गेदडयर उस्मान अली ने दशु ्मन को महु तोड़ जवाब देते 25
हुए पलटवार दकया और नौशेरा क्षेि का सफलतापवू का बचाव दकया । भारतीय पक्ष के जहां 33 जवान शहीद हुए वहां पादकस्तान को 900 से अनधक मतृ कों का भारी नुकसान उठाना पड़ा । नौशरे ा क्षेि की रक्षा करने के नलए वब्गदे डयर उस्मान अली को \"नौशरे ा के शेर\" का शीषका ददया । क्जस तरह से वब्गेदडयर उस्मान ने अदम्य साहस ददखाते हुए अपनी सने ा की टुकड़ी के साथ नौशेरा का पादकस्तानी आिातं ाओं से बचाव दकया, उससे पादकस्तान बहुत व्यनथत हो गया और उसने वब्गदे डयर उस्मान पर 50,000 रुपये का इनाम घोवषत दकया, जो उस समय (यानी लगभग 70 दशक पहल)े एक खगोलीय रानश थी । इस असफल प्रयास के बाद बुरी तरह से परास्त दशु ्मन देश ने भारी बमबारी के साथ दफर से नौशरे ा सेलटर के झंगर क्षिे पर हमला दकया। झगं र के इस बचाव के दौरान वब्गेदडयर उस्मान बरु ी तरह से घायल हो गए और भारत मााँ की रक्षा करते हुए इस वीर सपतू ने अपने प्राण न्योछावर कर ददए । अंनतम सांस लने े से पहले उन्होंने अपने सैननको को ये ननदेश ददए ,“मैं मर रहा हूं, लदे कन क्जस क्षिे के नलए हम लड़ रहे हंै, उसे न जाने दंे…। भारत को उम्मीद है दक सभी अपना कतवा ्य ननभाएंगे । जय दहंद।“ ये वब्गेदडयर मोहम्मद उस्मान के शब्दों मंे एक हस्ताक्षररत िम में \"कॉमरेड्स ऑफ़ 50 (आई) पैरा वब्गेड के नलए अनं तम शब्द थे l वब्गदे डयर उस्मान आजादी के समय भारतीय सने ा में सेवा देने वाले के वल 18 वब्गेदडयर मंे से एक थ।े उन्हंे सदिय सेना में शानमल होने के नलए भारतीय सेना का सवोच्च रैंदकं ग अनधकारी बनाया। वे युद्ध के मदै ान में अपने जीवन का बनलदान देने वाले भारत के सवोच्च रैंक सनै ्य अनधकारी है। शिु की उपक्स्थनत में ववनशष्ट वीरता के कायों के नलए उन्हें मरणोपरांत भारत का दसू रा सवोच्च सनै ्य अलकं रण महा वीर चि प्रदान दकया गया। नौशरे ा सले टर के झागं र क्षिे में वब्गेदडयर उस्मान के नाम पर एक स्मारक उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां पर उन्होंने शहादत प्राप्त की थी। हम भारत वासी वब्गेदडयर उस्मान अली की वीरता और मातभृ ूनम के नलए बनलदान का सदा करबद्ध स्मरण करते रहंेगे । वे सदा आने वाली पीदढ़यों के नलए एक प्रेरणा स्रोत बने रहंेग!े जय दहन्द्द, जय दहन्द्द की सेिा (आरती शमा)ि वररष्ठ लेखापररक्षा असधकारी कायालि य प्रधाि सिदेशक लखे ापरीक्षा (खाद्य, कृ र्ष एवं जल ससं ाधि), ददल्ली 26
भारतीय सेिा और उिके मािवासधकारों का हिि कश्मीर घाटी मंे दशकों से पादकस्तान द्वारा फै लाये गए आतकं वाद से ववश्व के सभी देश पररनचत है । सीमा पार से आतंवादी भेजने के इलावा घाटी मंे नौजवानो को गमु राह कर उन्हें क्जहाद की ओर धके लना या उन्हें पत्थर पकड़ाकर अपने ही देश के क्खलाफ भड़काना, जैसे घकृ ्णत कृ त्य पादकस्तान की देन हैं । ऐसे मंे आतंकवाद के कदम रोकने के नलए हमारी भारतीय सने ा के वीर जवान ददन रात परू ी मुस्तैदी से आतकं वाददयों और उनके पादकस्तान मंे बैठे आकाओं के नापाक इरादों को नाकाम कर रहे हैं। चाहे वो LOC हो या CASO(सचा एडं सीज़र ऑपरेशन) हमारे जवान अदम्य जोश और साहस का पररचय देते हुए दशु ्मन को परास्त करने मंे सदा सक्षम रहे हंै । कई बार तो आतकं वाददयों से ननपटने की कीमत अपने जीवन का बनलदान देकर चुकानी पड़ती है । पर लया एक आम भारतवासी सचमचु इस शहादत के प्रनत संवेदनशील है? लया वह सचमुच उस बनलदान की कीमत समझता है क्जसके कारण वह स्वछं द व वबना दकसी भय के जी रहा है। हमारे जवान दकतनी प्रनतकू ल और अमानवीय क्स्थनतयों मंे काम कर रहे हैं यह शायद कम ही भारनतयों को पता होगा। ऐसे में हमारे देश के कु छ तथाकनथत बवु द्धजीवी न के वल उनकी वीरता पर प्रश्न नचन्ह लगाते हंै बक्ल्क आतंकवाददयों और उनके ओवरग्राउं ड सहयोनगयों के प्रनत हद से ज़्यादा सहानभु नू त ददखाते हैं। यदद कोई आतकं वादी या पत्थरबाज़ सने ा की गोली से घायल हो जाता है या मारा जाता है तो बवु द्धजीववयों की यह टोली झट से उनके पक्ष में राग अलापना शुरू कर देती है। दहशतगदों के मानवानधकारों की दहु ाई देने वाले ये बवु द्धजीवी लया ज़रा बताएंगे दक लया मानवानधकार नसफा इन भारत के टु कड़े करने वाले आतकं वाददयों और देशद्रोदहयों के नलए हैं । लया सने ा के वीर जवान जो ददन रात अपनी जान जोक्खम में डाल कर देश की रक्षा करते हंै उनके नलए कोई मानवानधकार नहीं हैं। ववगत कु छ वषों मंे आतकं वाद से लड़ते हुए हमारी भारतीय सेना से सम्बनं धत इन हृदयववदारक दृष्टातं दशका घटनाओ को पढ़कर कोई भी भारतीय नसहर उठे गा । 1. पाम्पोर, कश्मीर, िरवरी 2016 एक शकै ्क्षक ससं ्थान मंे आतकं वादी दहशतगदों ने घसु कर उस ईमारत पर कब्ज़ा करने की कोनशश की। ऐसे में भारतीय सेना के पैरा स्पशे ल फ़ोसा के जाबं ाज़ आमी ऑदफससा कै प्टेन पवन कु मार बेनीवाल और कै प्टेन तुषार महाजन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए, ससं ्थान मंे रुके हुए सारे नसववनलयन्स को सुरक्क्षत बाहर ननकलने में मदद की क्जनको आतवं ाददयों ने अपनी ढाल बनाया हुआ था । आतकं वाददयों को मार नगराकर ये दोनों साहसी ऑदफससा स्वंय वीरगनत को प्राप्त हुए । इन दोनों बहादरु ऑदफससा के वपता जीदं (हररयाणा) और उरी(जम्म)ू में नशक्षाववद थे 27
। कै प्टेन पवन कु मार इस ऑपरेशन में भाग लेने से पहले ही घायल थे परन्तु उन्होंने दकसी भी प्रकार के मेदडकल अवकाश को लने े से मना कर ददया। लया दकसी ने बमकु ्श्कल आसं ू रोके हुए शहीद कै प्टेन पवन कु मार के वपता को अपने इकलौते शहीद पुि की ओर से शौया चि ग्रहण करते हुए देखा है । लया दकसी ने शहीद कै प्टेन तुषार महाजन के पानथवा शरीर पर वबलख-वबलख कर रोते हुए उनकी माँा को देखा है। स्थानीय कश्मीरी ननवानसयों के जीवन की रक्षा को सवोपरर रखते हुए इन्होने अपना जीवन बनलदान कर ददया । 2. उरी, जम्म,ू ससतम्बर 2016 जशै े मोहम्मद के चार आतंकवाददयों ने LOC के पास जम्मू कश्मीर के उरी सले टर मंे भारतीय सेना के वब्गेड हेडलवाटार पर तड़के ग्रने ेड से हमला दकया क्जसमे सेना के उन्नीस जवान शहीद हो गए और अस्सी से सौ जवान बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए । ये दनु नया के दकस नीनत शास्त्र में ववददत है दक सोते हुए ननहर्त्े सरु क्षाकनमया ों को इतनी ननममा ता और कायरतापूणा तरीके से मारा जाए। वे दकसी दशु ्मन देश पर कब्जाई गयी भूनम नहीं बक्ल्क अपनी मातभृ ूनम की रक्षा मंे समवपता थे जो दकसी भी धमा ग्रथ या शास्त्र के अनुसार कतवा ्य परायणता का एक सवेश्रषे ्ठ उदहारण है । तो दफर ये बबरा तापणू ा अमानवीय हमला लयों हुआ । इसका जवाब शायद दकसी भी मानवानधकार कायका ताा के पास नहीं होगा। न इनके मुख से इस ननदायी िू र हमले के ववरुद्ध कोई शब्द बोले जायेंगे । यहां तक दक भारतीय सने ा द्वारा द्वारा पादकस्तान पर दकया गए सक्जका ल स्ट्राइक पर भी यह पाखंडी बुवद्धजीवी वगा प्रश्ननचन्ह लगाकर देश की जनता के मन में भ्रम पदै ा करने का दसु ्साहस करता रहा है। 3. िगरोटा, जम्म,ू िवम्बर 2016 हैवाननयत की चरम सीमा को छू ते हुए, तीन जेहादी आतकं वाददयों ने उरी हमले के लगभग तीन महीने के बाद जम्मू के पास नगरोटा आमी कंै प में सबु ह दफर हमला कर ददया l भारतीय पुनलस की वदी में इन अमानवु षक आतंकवाददयों ने इस बार भारतीय सने ा की 166 फील्ड रेक्जमटंे पर हमला दकया । स्थानीय पररसर मंे घुसकर इन्होने ए के 47 और ग्रने ेड से हमला दकया और दो नवजात, दो मदहलाओं और दजना सने ा के जवानो को बधं ी बना नलया । जवाबी कायवा ाही मंे इन दहशतगदों को मौत के घाट उतार ददया पर इस बचाव अनभयान मंे भारतीय सने ा के छह जाबं ाज़ क्जनमे बगं ाल सेप्पसे ा की 51 एनजीननयसा रेक्जमटंे के मेजर अक्षय नगरीश कु मार भी थे, वीरगनत को प्राप्त हुए । अपने नापाक जहे ादी मसं ूबों को अजं ाम देने के नलए, नवजात नशशु तक को बधं क बना लेना एक अमानवु षक घकृ ्णत माननसकता को दशााता है । लया कोई तथकनथरत बवु द्धजीवी या मीदडया कमी हमले मंे शहीद सुरक्षाबलों या उनके पररवारजनों के मलू अनधकारों की सुरक्षा के नलए पाखडं ी अलगावादी नेताओ से लड़ेगा या कम से कम घदड़याली आंसू बहायेगा। 4. हंदवारा, कु पवाडा, कश्मीर िरवरी 2017 हररयाणा के महंेद्रगढ़ क्ज़ले के बहादरु सूरमा मजे र सतीश ददहया (30 रािीय राइफल्स) को हाजन ग्राम, हंदवारा मंे कोडोन एंड सचा ऑपरेशन (CASO) का प्रभार नमला । कोडोन करते समय आतकं वाददयों ने अधं ाधंुध गोनलयां बरसानी शरु ू कर दी । मजे र ददहया और उनकी टु कड़ी ने जवाबी हमले में तीन आतंकवाददयों को मार नगराया। बाकी आतंकवादी भाग खड़े हुए । अपनी जान की परवाह न करते हुए उन्होंने आतकं वाददयों का पीछा दकया और दो आतकं वाददयों को मार नगराया लेदकन जवाबी गोली मंे उन्हें जांघ और पेट में गोली लगी । जब घायल मजे र ददहया को एम्बलु सें मंे बेस हॉक्स्पटल श्रीनगर के नलए ले जाया जा रहा था तब पथरबाज़ों की एक टु कड़ी ने एम्बलु संे का 28
घेराव कर पत्थरबाज़ी करनी शरू कर दी और एम्बलु ेंस को लगभग आधे घंटे तक दहलने नहीं ददया । लगभग आधे घटं े बाद एक आमरा ड (बख्तरबदं ) गाडी ने भीड़ को नततर-वबतर दकया और मजे र ददहया की एम्बलु ंेस को हेनलपडै तक पहुाँचाया पर हेलीकाप्टर में उन्हंे ले जाने से पहले ही उन्होंने अंनतम सांस ले ली। नधलकार है ऐसे कायर, धतू ा देशद्रोही पथरबाज़ों और उनके अलगाववादी राजनननतक संरक्षकों पर क्जन्होंने एक बरु ी तरह ज़ख़्मी सनै ्य अनधकारी को प्राथनमक नचकत्सा से वंनचत रखा । सने ा यदद चाहती तो उन पत्थरबाज़ों पर गोली चला सकती थी पर ऐसा नहीं दकया और भटके हुए देशद्रोही नौजवानो ने इसका बदला भारत मााँ के एक साहसी सपूत का जीवन छीन कर चकु ाया । 5. श्रीिगर, जूि 17 जम्मू कश्मीर पनु लस मंे दडप्टी सुपररटेंडंेट ऑफ़ पनु लस के पद पे तैनात अयूब पदं डत 23 जनू 2017 को जामा मक्स्जद के पास सादे कपड़ों में ड्यूटी दे रहे थे दक अचानक कु छ दहशतगदा शरारती तत्वों ने उन्हंे घेर नलया और उनके कपडे फाड़कर उन्हंे पास की एक गली में घसीट कर ले गए और लोहे के छड़ों से बरे हमी से पीट पीट कर मार डाला । लया कसरू था इस पनु लस अफसर का। लयों मारा गया उसे बवे जह इतनी बेरहमी से। लया इस ननममा हत्या से यह नसद्ध नहीं होता दक उनके मानवानधकारों को बुरी तरह से कु चला गया । पर दकसी अलगाववादी नते ा ने इसकी भत्सना ा नहीं की। 6. सजंु वाि, जम्म,ू िरवरी 2018 आतंकवाददयों के अमानवीय और कायराना हमलों की श्रखं ला मंे सुजं वान , जम्मू में 36 वब्गेड , आमी कैं प पर दकया गया कायराना हमला भी शानमल है जहां पर फौजी भाई व ् उनके पररवार रहते थ।े 10 फरवरी 2018 को तड़के सुबह चार बजे ए के 47 और ग्रेनडे से लसै ये जहे ादी दहशतगदा , सने ा के आवासीय पररसर में घसु कर अधं ाधधुं गोनलयां बरसाने लगे क्जसमे जम्मू कश्मीर लाइट इन्फंे ट्री के चार जवान - सूबदे ार मदन लाल चौधरी , हवालदार हबीबलु ्लाह कु रैशी , नाइक मजं ़रू अहमद , लासं नौक मोहम्मद इ़िबाल और उनके वपता जी शहीद हो गए और नौ अन्य लोग ज़ख़्मी हो गए क्जनमे बच्चे व ् मदहलाएं भी शानमल थ।ंे राइफलमनै नज़ीर अहमद के गभवा ती पत्नी को भी हमले में गोली लगी पर वे सुरक्क्षत बचा ली गयी। सेना द्वारा चलाये गए फ्लनशगं ऑपरेशन मंे सारे आतकं वादी मरे गए जो पादकस्तानी मूल के थ।े क्जहाद और आतकं वाद को नचंगारी देने वाले छदमी पाखडं ी राजनीनतज्ञ लया ये बताएगं े दक अपने जहे ादी मसं बू ों को अंजाम देने के नलए सुरक्षाबलों के ननहर्त्े ननरपराध पररवारजनों क्जनमे बढ़ू े बच्चे और मदहलाएं भी शानमल थे , पर हमला करना दनु नया की दकस दकताब मंे नलखा है। दशु ्मन द्वारा ददए गए प्रलोभन ने इनको इतना चेतनाशून्य कर ददया है की इन्होंने धरती का स्वगा कहे जाने वाले कश्मीर को नरक बना ददया है। 7. कु लगाम, जिू 2017 और पलु वामा जिू 2018 नवजात नशशओु ं और मदहलायों पर हमला जैसे काफी नहीं था दक नघनौने दहशतगदों ने मानवता के सभी मापदंडों और अनधकारों को धता बताते हुए सेना के दो कत्वया ननष्ठ देशप्रेमी अनधकारीयों कु लगाम के रहने वाले 2, राजपुताना राइफल्स के लेक्फ्टनंेट उम्र फै ज़ और और पछँाु के रहने वाल,े 44 रािीय राइफल्स के राइफलमनै औरंज़बे का अपहरण कर उन्हें ननममा ढंग से मार ददया । ये दोनों अनत ननदं नीय अपहरण की अलग अलग घटनाएं मई 2017 और जनू 2018 को हुईं । इन भारतीय सने ा के जांबाज़ों को तब अगवा दकया गया जब ये अवकाश पर थें । अगवा कर उन्हंे तरह तरह की यंिणा दी गयी क्जसके बाद उनको गोली मार दे गयी । इतनी ननममा ता पूणा हत्या से 29
दकसी भी भारतीय का हृदय नसहर उठे गा । लया ये जघन्य हत्याएं शहीद जानं बाज़ों के मानवानधकार करके नही हुई। 8. अितं िाग, अक्टू बर 2018 उर्त्राखडं के रहने वाले भारतीय सेना के नसपाही राजंेद्र नसहं एक क्लवक ररएलशन टीम (क्लवक ररएलशन टीम) में शानमल थे जो बॉडार रोड आगने ाईजेशन (BRO) को सुरक्षा कवर प्रदान कर रही थी । शाम के समय ववकृ त माननसकता से ग्रनसत देशद्रोही पत्थर बाज़ों ने अनतं नाग बाईपास ,NH 44 पर उनकी गाडी पर पत्थरोँ से हमला कर ददया । क्जसमे एक पत्थर सीधा उन्हें सर पर लगा । उपचार के दौरान, 92 बसे हॉक्स्पटल श्री नगर में इस वतन के रखवाले नवयवु क ने वीरगनत प्राप्त की । आमी ने बादामी बाघ कंै टोनमेंट संेटर में शहीद राजदंे ्र नसहं के इलावा काउं टर इंसजने ्सी ऑपरेशन में शहीद दो और जवान दहमाचल प्रदेश के लांस नाइक ब्जशे कु मार और नमजोराम के नसपोय नगनसआमनलयाना को भाव भीनी श्रद्धांजनल दी गयी। लया अपराध था शहीद राजेदं ्र नसंह का ? यही दक वे सड़क ववकास मंे समवपता BRO के अनधकारीयों की रक्षा कर रहे थे ? लया सुरक्षा प्रदान करने वाले सेना के जवान पर जानलेवा हमला करना उसके मानवानधकरों का हनन नहीं है ? सड़क बनने से गावाँ , तहसील, क्ज़ले का संपका और बेहतर होता पर गद्दार देशद्रोही पत्थर बाज़ों को ये तक समझ नहीं आया और सेना के रक्षक दाल पर अमानवीय हमला कर ददया । e pelting. ANI आँाखंे नम हो जाती हैं ऐसे वीर जवानो के अमर बनलदान पर । उपरोक्त दृष्टांत इस बात को स्वतः स्पष्ट करते हंै दक दकस तरह जोक्खमभरी प्रनतकू ल क्स्थनतयों का सामना कर, हमारे समवपता सशस्त्र बल, हमारे जीवन और मौनलक अनधकारों की रक्षा के प्रनत सदा सजग रहते हंै । यह दकतना ननंदनीय और घकृ ्णत कृ त्य है दक ऐसी देशभक्त सेना और पुनलस के ऊपर मानवानधकारों के हनन के झठू े और बबे ुननयाद आरोप लगाए जाते हैं । आतंकवाददयों और पथरबाज़ों के मानवानधकार का रोना रोने वाले तथाकनथत बुवद्धजीवी या मीदडयाकमी लया ये बताएंगे दक हमारी भारतीय सेना लया मानवानधकार की ह़िदार नहीं है ? लया उन्हें सम्मान और गररमा से जीने और कतवा ्य का ननवहा न करने का कोई ह़ि नहीं है। हम एक भारतीय नागररक होने के नाते अपनी भारतीय सेना के जवानो के मानवानधकारों के नलए आवाज़ उठाने के प्रनत प्रनतबद्ध हंै और उनके क्खलाफ दकसी भी तरह के भ्रामक प्रचार या साक्ज़श को पूरी तरह से नकारते हैं । हमें अपनी भारतीय सने ा और सहयोगी पनु लस बलों पर मान है जय दहन्द्द जय दहन्द्द की सिे ा (आरती शमा)ि वररष्ठ लेखापररक्षा असधकारी कायालि य प्रधाि सिदेशक लखे ापरीक्षा (खाद्य, कृ र्ष एवं जल ससं ाधि), ददल्ली 30
“दहंदी-पयायि ों के रूप मंे यथावत ग्रहीत अगं ्रजे ी शब्द” 1. Agency – एजेसं ी 2. Bank - बंैक 3. Bill - वबल 4. Board - बोडा 5. Bonus - बोनस 6. Budget – बजट 7. Bureau – ब्यूरो 8. Card - काडा 9. Challan – चालान 10. Cheque – चकै 11. Company – कं पनी 12. Compounder - कम्पाउन्डर 13. Conductor - कं डलटर 14. Coupon - कू पन 15. Driver - ड्राईवर 16. File - फाइल 17. Firm - फमा 18. Footnote - फु टनोट 19. Gallery - गलै री 20. Licence - लाइससंे 21. Label - लबे ल 22. Lineman - लाइनमनै 23. Logbook - लॉग-बुक 24. Monitor - मॉननटर 31
25. Pad - पैड 26. Package - पैके ज 27. Panel - पनै ल 28. Parcel - पासला 29. Passbook – पास-बकु 30. Passport - पास-पोटा 31. Patent - पेटेंट 32. Photo 33. Premium - फोटो 34. Railway - प्रीनमयम 35. Roll No. - रेलवे 36. Tractor – रोल न. 37. Token - ट्रैलटर 38. Visa - टोकन 39. Voucher - वीज़ा 40. Warrant – वाउचर – वारंट (राजेश रािल) सहायक लखे ापरीक्षा असधकारी कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली 32
र्पता वपता धरा है, वपता गगन है, वपता अपने आप मंे सवगा णु संपन्न है वपता जीवन है, वपता जीवन का उन्नयन है , वपता अपने आप मंे सवगा णु संपन्न है l मुक्श्कल मंे वपता सरलता की धारा है, अपनी सतं ान के नलए वपता सवहा ारा है, बच्चों की मुस्कान है वपता की मसु ्कान, बच्चा दकतना भी बड़ा हो वपता की आँखा ों का तारा है, वपता पर वारा जाए मरे ा तन, मन, धन है, वपता अपने आप में सवगा णु सपं न्न है l वपता ग्रीष्म ऋतु मंे जैसे शीतल समीर है, जो थककर भी न थके ऐसा अजर शरीर है , ववपदा में बन जाए सतं ान के शीश पर छि, स्वयं लड़ जाए ववपदाओं स,े वपता ऐसा धीर, वीर है, ऐसे वपता को मरे ा नतमस्तक कोदट-कोदट नमन है, वपता अपने आप मंे सवगा णु सपं न्न है l (स्ट्वरसचत) िॉ. अिरु ाधा जोशी कसिष्ठ अिवु ादक कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली 33
“यह कर्वता णजसिे भी सलखी प्रशसं िीय है l दहंदी विमि ाला का क्रम से कर्वतामय प्रयोग सराहिीय है l” अ चानक आ कर मझु े इ ठलाता हुआ पछं ी बोला ई श्वर ने मानव को तो उ र्त्म ज्ञान-दान से तौला ऊ पर हो तमु सब जीवों में ऋ षयः तलु ्य अनमोल ए क अके ली जात अनोखी ऐ सी लया मजबूरी तुमको ओ ट रहे होठों की शोिी औ र सताकर कमजोरों को अं ग तमु ्हारा क्खल जाता है अ: तुम्हे लया नमल जाता है क हा मैंने – दक कहो ख ग आज सम्पणू ा ग वा से दक – हर अभाव मंे भी घ र तमु ्हारा बड़े मजे से च ल रहा है छो टी सी - टहनी के नसरे की ज गह मंे, वबना दकसी के झ गडे के , न ही दकसी ट कराव के परू ा कु नबा पल रहा है ठौ र यहीं है उसमे िा ली-डाली, पर्त्-े पर्त्े ढ लता सूरज तरावट देता है थ कावट सारी, पूरे दद वस की तारों की लदड़यों से ध न-धान्य की नलखावट लते ा है 34
िा दान-ननयती से अनजान अरे प्र गनतशील मानव ि रेब के पतु लों ब न बठै े हो समथा भ ला याद कहााँ तमु ्हें म नुष्यता का अथा ? य ह जो थी, प्रभु की र चना अनपु म... ला लच लोभ के व शीभूत होकर श म-ा धमा सब तजकर ष ड्यिं ों के खेतों मंे स दा पाप बीजों को बोकर हो कर स्वयं से दरू क्ष णभंगुर सुख में अटक चकु े हो िा स को आमवं ित करते ज्ञा न-पथ से भटक चकु े हो l अंग्रजे ी वणमा ाला का बहुत कु छ पढ़ा है, पहली बार दहंदी में सनु ्दर प्रयोग है l (राजेश रािल) सहायक लखे ापरीक्षा असधकारी कायालि य महासिदेशक लेखापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली 35
दोस्ट्ती की जरूरत क्ज़न्दगी रास्तों पे ना कााटँ े बोती मौत रोज़ अपनी सजे पर जा के सोती पुष्पों पर सज जाते ओस के मोती पत्थरों के पूजने से फ़ररयाद जो पूरी होती मौत अगर ले के सगं धनु मंे गाती ये सभु ा जग में न अके ले होती रात पत्थर पर आराम से सोती तो शायद क्ज़न्दगी में दोस्ती की आगाज ना होती... रूठते जब अपन,े टू टते ये सपने अहम ् तब नतरस्कार मंे जीती क्ज़न्दगी के पलों मंे स्मनृ त एक नछपा हुआ पुरस्कार होती तो शायद क्ज़न्दगी में दोस्ती की आगाज ना होती... अनजान पलों में, बते कु े हलो मंे प्रश्न नचन्हों मंे भी कोइ तकरार न होती मन मक्स्तष्क की उलझनों में ऐसे समय की रुकी हुई, एक सरकार न होती और अलल के बंद पड़े तालों की, ये दकवाड़ न होती तो शायद क्ज़न्दगी मंे दोस्ती की आगाज ना होती... कााटँ ों के सजे पर आसं ुओं की खेप पर और खाली जबे पर, अपनों की कोई तीमार होती तो शायद क्ज़न्दगी मंे दोस्ती की दरकार ना होती... असमंजस को मझधार मे,ं अपणू ा से व्यवहार में आशाओं की डोलती नैया, अगर बीमार न होती तो शायद क्ज़न्दगी में दोस्ती की दरकार ना होती... न बीतने वाली रातों का जो पहर होती लोगों की बातंे न जहर होती और दनु नया आफतों का कहर न होती तो शायद क्ज़न्दगी में दोस्ती की आगाज़ ना होती... सीधे-साधे ररश्तों मंे अदृश्य, कटु सी दीवार न होती उलझाने समटे ने का, ददल की कड़ी समटे ने का 36
दनु नया अगर ऐसा औज़ार होती तो शायद क्ज़न्दगी में दोस्ती की आगाज़ ना होती... मन की उलझन मंे जल जाती ज्योनत सलु झे हुए ररश्ते बन जाते मोती सुन लते ा कोइ हमारी आप बीती ददन ढलने पर बातें जो रोज़ न होती शाम ये वीरान न होती, क्ज़न्दगी रास्ते मंे न काटाँ े बोती तो शायद क्ज़न्दगी मंे दोस्ती की दरकार ना होती... तो शायद क्ज़न्दगी में दोस्ती की आगाज़ ना होती... स्ट्वरसचत (धमवि ीर) वररष्ठ लखे ापरीक्षा असधकारी (लखे ापरीक्षा दल) कायालि य महासिदेशक (पयावि रि एवं वजै ्ञासिक र्वभाग) िई ददल्ली – 110002 37
इंसासियत अगर सासँा ों का चलना ही क्ज़न्दगी है तो क्ज़ंदा हैं हम मर गई इंसाननयत तो लया दफर भी इंसान हैं हम? जब हो रही थी खरीद-फरोख्त सााँसों की बाज़ारों में तब भरकर सासाँ ें बतना मंे बेचने वाले इंसान थे लया हम? जब मर रहे थे कु छ बीमारी से और कु छ लाचारी से तब घर मंे अपने सामान इकट्ठा करने वाले लया इंसान थे हम? जब लटु रही थी इज्जत हर सड़क चौराहे पर तब नसफा मजं ़र का नज़ारा करने वाले लया इंसान थे हम? हैवान है सच्चा जो हैवाननयत करके हैवान कहलाता है इंसान तो हैवाननयत करके इंसान होने का भरता है दम पढ़ते थे कहानी मंे क्जन इंसानी फररश्तों की वफादारी आज इंसान ननभाते हंै वही सब करके अदाकारी दफर भी सब् है थोडा दक कु छ की पेशानी पर आज भी औरों के मातम की नसलवटें हैं लगता है कु छ चलत-े दफरते क्जस्मों में आज भी इंसाननयत भरती है दम अगर सासँा ों का चलना ही क्ज़न्दगी है तो क्ज़दं ा हंै हम मर गई इंसाननयत तो लया दफर भी इंसान हंै हम? (वदे प्रकाश) वररष्ठ लेखापरीक्षा असधकारी) आवासीय लेखापरीक्षा दल, िई ददल्ली कायालि य महासिदेशक वाणिणज्जयक लखे ापरीक्षा, मबुं ई 38
बरसात बरसता पानी भी लया खबू सीख दे गया रुकने के नलए नहीं कु छ, सब बह गया ये यौवन ये ताकत ये दौलत की खुमारी नहीं रुकता कु छ भी दकसी की उम्र सारी जो आया था वो चला गया बरसता पानी भी लया खूब सीख दे गया रुकने के नलए नहीं कु छ, सब बह गया करता रहा इकट्ठा चाहे सामान या जज़्बात थे ये न समझा की वो सब दो पल के नलए साथ थे सब वबखर गया या सब छू ट गया बरसता पानी भी लया खूब सीख दे गया रुकने के नलए नहीं कु छ, सब बह गया नगरती बूंदे भी कु छ नसखा गयी धीरे से कान में एक दस्तक दे गयी बहता पानी सब बहा तो गया साथ ही नवीन रास्ता बना जीवन मंे ऊजाा का संचार दे गया न रुक न ठहर न शोक मना एक दरवाजा बंद तो दसू रा खोल गया बरसता पानी भी लया खबू सीख दे गया रुकने के नलए नहीं कु छ, सब बह गया हे मानषु न के वल गरज, तू बरस भी क्जव्हा की शलै ी के शोर सगं तू “कर” से कमा कर भी जसै े मेघ वबजली की चमक के साथ बरस भी गया बरसता पानी भी लया खबू सीख दे गया रुकने के नलए नहीं कु छ, सब बह गया पछू ा उसने सब बहने को है या कु छ रोकने को भी रह गया 39
रोककर अपने िोध, लालच, ईष्याा, द्वेष को अववरल धारा सयं म, उदारता, प्रमे की बहा गया बरसता पानी भी लया खूब सीख दे गया रुकने के नलए नहीं कु छ, सब बह गया (स्ट्वरसचत) (वदे प्रकाश) (वररष्ठ लखे ापरीक्षा असधकारी) आवासीय लखे ापरीक्षा दल, िई ददल्ली कायालि य महासिदेशक वाणिणज्जयक लखे ापरीक्षा, मबंु ई 40
सुन्द्दर वचि 1. हमें दकतने लोग पहचानते हंै इसकी अहनमयत नहीं, मगर लयों पहचानते हंै इसकी अहनमयत है l 2. घमडं के अन्दर सबसे बरु ी बात ये होती है दक, वो आपको महसूस नहीं होने देगा दक आप गलत है l 3. लोग कहते हंै दक पसै ा रखो बुरे वक़्त मंे काम आयेगा, मैं कहती हूँा ईश्वर पर यकीन रखो बरु ा वक़्त ही नहीं आयगे ा l 4. नीयत से ईश्वर खशु होते हंै और ददखावे से इंसान, यह आप पर ननभरा करता है दक आप दकसे प्रसन्न करना चाहते हंै l 5. कदम ऐसे रखो दक ननशाँा बन जाएं, काम ऐसे करो दक पहचान बन जाए, क्ज़न्दगी ऐसे क्जयो दक नमसाल बन जाए l 6. जो लोग अपने लक्ष्य के प्रनत समवपता रहते हंै, सफलता खुद चलकर उनके पास आती है l 7. इंसान कमा करने में तो अपनी अम्न्मानी कर सकता है, परन्तु-------------------------फल भोगने में नहीं l 8. जहााँ एक ननराशावादी व्यवक्तदकसी भी काया में उसका दषु ्पररणाम ढूंढता है, वहीीँ आशावादी व्यवक्त हर कदठन कमा में भी एक अवसर ढूंढ ही लते ा है l 9. मंै मंे इंसान को इंसान नहीं ददखता, जैसे यदद चाट पर चढ़ जाओ तो अपना ही मकान नहीं ददखता l 10. घमडं दकसी का भी नहीं रहता, टू टने से पहले गुल्लक को भी लगता है दक सारे पैसे उसी के हैं l 11. मालमू सबको है दक क्ज़न्दगी बेहाल है, लोग दफर भी पूछते है – और सुनाओ लया “हाल” हंै l 12. चीज़ों की कीमत नमलने से पहले होती है, और इंसानों की खोने के बाद l 13. नसफा “ददखावे” के नलए अच्छा मत बनो, वो परमात्मा आपको “बाहर” से नहीं बक्ल्क “भीतर” से जानता है l 14. मदद मांगने जाओ तो टालते हैं लोग, कु छ बात पता चल जाए तो उछालते है लोग, बताना मत दकसी को अपने घर का हाल ऐ दोस्त ! अलसर मौके का फायदा उठा लते े है लोग l 15. परवाह करने वाले ढूंदढए, 41
इस्तेमाल करने वाल;ए आपको स्वयं ढूंढ लेंगे l 16. शब्द एक मंजन की तरह है जो खुद को अच्छा ना लगे, दसू रों को भी मत परोनसए l 17. लोग जो पत्थर आप पर फंे कते हैं, उसी से सफलता की इमारत बना लो l 18. जीभ पर लगी चोट जल्दी ठीक हो जाती है, परन्त,ु जीभ से लगी चोट कभी नहीं भरती l (स्ट्वरसचत) (ससतदं र कौर) पयवि ेक्षक कायालि य महालखे ापरीक्षक लखे ापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली 42
महामारी और मािससक स्ट्वास्ट््य वषा 2019 के अंत एवं वषा 2020 के आरम्भ से ववश्व को एक नई महामारी का सामना करना पड़ रहा है l इस ववषय पर इंटरनटे पर बहुत कु छ नलखा गया । अनके ों ववचार प्रकट दकए गए l वषा 2020 के मध्य से पहले ही इस महामारी ने पूरे ववश्व को अपनी नगरफ्त मंे ले नलया l सब इसके नाम से पररनचत हो गए l ववश्व भर से ववषादपणू ा समाचार प्राप्त होने लगेl हर तरफ के वल रोष ही रोष ददखने लगा l जहाँा एक ओर महामारी अपने ववराट रूप मंे बढ़ती जा रही थी, दसू री तरफ माननसक तनाव, रोष, कलह अनदेखे शिु की भातँा ी प्रहार कर रहा थे l समाचारों मंे महामारी के प्रकोप के साथ-साथ एक अन्य समाचार बारम्बार आने लगे l यह समाचार थे आत्महत्या के l आत्महत्या के समाचारों की आवनृ त इतनी अनधक हो गयी दक महामारी का प्रभाव और अनधक बढ़ गया l ऐसे समय मंे माननसक स्वास््य की तरफ दकसी का ध्यान नहीं गया l महामारी के कारण अनेकों जन बरे ोजगार हुए, अनके ों बालक अनाथ हुए, लॉकडाउन के कारण अके लापन बढ़ा गया, ये सभी आत्महत्या के कारण बने गए l इन सभी कारणों का मुख्य आधार माननसक अस्वस्थता रही l माननसक स्वास््य क्जसके प्रनत हमारे समाज मंे अनदेशी की जाती रही है, इस कदठन समय में सवाना धक महत्वपणू ा हो गया है l अलसर देखा गया है दक मनोनचदकत्सक के बारे मंे चचाा करना भी समाज में आपकी छवव पर शंका उत्पन्न करता है l मनोनचदकत्सक के पास आना-जाना और आम नचदकत्सक के पास जाने मंे अतं र देखा जाता है। हम शारीररक स्वास््य को महत्व देते हंै परन्तु शारीररक स्वास््य की कंु जी को ही अनदेखा कर जाते हैl यदद नसरददा की भी नशकायत हो तो दवाई लने े से क्झझक नहीं होती लेदकन रोष, ननराशा आदद रोगों को पणू ता ः अनदेखा दकया जाता है लयोंदक इनका इलाज करवाने पर माननसक क्स्थनत पर प्रश्न उठाए जाते हंैl आज के कदठन समय मंे हमंे यह धारणा छोड़कर सम्पूणा स्वास््य की पररकल्पना अपनानी होगीl उर्त्म शारीररक स्वास्थ के नलए माननसक स्वास््य अननवाया है क्जसे अनदेखा नहीं दकया जा सकताl इस सम्पणू ा स्वास््य की प्रानप्त के नलए जीणा होती अवधारणाओं का त्याग ही एकमाि उपाय हैl (स्ट्वरसचत) (आरती) कसिष्ठ अिवु ादक कायालि य महासिदेशक लेखापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली 43
असभव्यर्क्त है भाषा सोचा है कभी भावों का रूप बनता कै से? मन की अनभव्यवक्त होती ही कै से? भावनाओं की अनुभनू त को शब्द देती है भाषा मूक भावों की वाणी बनती है भाषा सागर की लहरों के समान संगीत की तरंग बनती है भाषा। नाम तो बहुत बन गए आज, जो शब्द ही न होते तो कै से पाते पहचान? देश-ववदेश जाकर भी रह जाते अनजान जो भाषा न देती भावों को प्राण सागर की लहरों के समान संगीत की तरंग बनती है भाषा। पहचान हमारी बनती है भाषा समाज का आइना ददखाती है भाषा नए समाज का ननमाणा असंभव है वबन भाषा सागर की लहरों के समान संगीत की तरंग बनती है भाषा। (स्ट्वरसचत) (आरती) कसिष्ठ अिवु ादक कायालि य महासिदेशक लखे ापरीक्षा (इंफ्रास्ट्रक्चर), ददल्ली 44
दहंदी पखवािा उदघाटि समारोह 2021 उद्घाटि समारोह के अवसर पर दीप प्रज्जज्जवलि करते हुए महासिदेशक महोदया उद्घाटि समारोह के अवसर पर दीप प्रज्जज्जवलि करते हुए उप-सिदेशक (प्रशासि) महोदय 45
उद्घाटि समारोह के अवसर पर दीप प्रज्जज्जवलि करते हुए उप-सिदेशक (आर.एंि टी.एच.) महोदय उद्घाटि समारोह के अवसर पर दीप प्रज्जज्जवलि करते हुए उप-सिदेशक (इन्द्फ्रा-I) महोदय 46
उद्घाटि समारोह के अवसर पर महासिशक महोदया का स्ट्वागत करते हुए उप-सिदेशक (प्रशासि) महोदय दहन्द्दी पखवाडा उदघाटि समारोह (दहंदी ददवस) के अवसर पर राजभाषा प्रसतज्ञा ग्रहि करते हुए असधकारीगि 47
दहन्द्दी पखवाडा उदघाटि समारोह (दहंदी ददवस) के अवसर पर राजभाषा प्रसतज्ञा ग्रहि करते हुए असधकारीगि/कमचि ारीगि दहन्द्दी पर्िका ‘सवं ाद’ की सपं ादकीय ससमसत बाएं से दाएं – िॉ. अिरु ाधा जोशी, कसिष्ठ अिवु ादक (सदस्ट्य), श्रीमती ससतदं र कौर, पयवि के ्षक (सदस्ट्य), श्री मिोज मसलक, वरर. लखे ापरीक्षा असधकारी (सपं ादक), श्री सिसति ििै वाल, िीईओ ग्रिे -बी (सदस्ट्य) 48
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