1
के न्द्रीय विद्यालय, साबरमती, अहमदाबाद KENDRIYA VIDYALAYA, SABARMATI, AHMEDABAD श्रव्या (संगीत के स्वर) VIDYALAYA PATRIKA -2021-22 CHIEF PATRONS Dr.Jaideep Das Shri. Tarun Jain Shri. Vinod Kumar Deputy Commissioner KVS (AR) DRM W Rly. Ahmedabad Sr. DME (DSL) Sabarmati & Chairman, VMC Nominee Chairman Smt Shruti Bhargava Smt Vinita Sharma Shri Avijit Panda Asst. Commissioner KVS (AR) Asst. Commissioner KVS (AR) Principal, KV Sabarmati EDITORIAL BOARD Shri Kiritsinh Chauhan Shri R B Meena Smt. Niraj Bundela Shri Hasmukh Soneri Shri TJ Makwana Shri L S Solanki (PGT Eng.) (PGT Hindi ) (TGT English ) (TGT Hindi ) (TGT Sanskrit) (HM) Subject Editor Subject Editor Editor in Chief Subject Editor Subject Editor Editor– Primary Section Cover page design and digitalization by: Shri Kirit Chauhan, PGT English DISCLAIMER: इस इ-पत्रिका मंे शाममल लेख, कववताओं एवं रचनाओं मंे व्यक्त ववचार रचनाकार के स्वयं के है l इस से संपादक मंडल या ववद्यालय प्रशासन की सहमती आवश्यक नह ं है l रचना मंे व्यक्त ववचार एवं द्रष्टिकोण की ष्िम्मेदार रचनाकार की होगी l 2
रणछोड़िाई पगी का जीिन दिनष रणछोड़िाई का जन्द्म सन् 1901 मे गजु रात के बनासकाठिं ा के वलम्बड़ा गािँ में हुआ था जो पालनपरु िहर से करीबन 25 ककलोमीटर की दरू ी पर है और अतिं राषष ्ट्रीय सीमा पाककस्तान के बॉडरष से सटे हुए है । इनका जन्द्म एक आम पररिार में हुआ था उनके पररिार के सिी लोग िड़े -बकरी और ऊँ ट पालन कर अपना गजु ारा करते थे । रणछोड़िाई पगी िी अपने पररिार के साथ िड़े बकररयों का पालन करते थे उन्द्होंने बचपन से िड़े -बकररयों का पालन ककया था वजसके कारण उनको अपने इलाके के रेवगस्तानी क्षते ्र का रास्ता बखबू ी पता हो गया था। िारत की आज़ादी से पहले पाककस्तान बॉडरष विस्तार मंे रहने के कारण पाककस्तान के िगू ोल से पणू रष ूप से पररवचत थे । उनका व्यिसाय पिपु ालन का था परंितु उनकी अिलोकन िवक्त गज़ब की थी । रणछोड़िाई पगी अपने बचपन से ही िड़े -बकरी और ऊँ ट का पालन करते थे वजसके कारण इिर-उिर घमू त-े घमू ते उनके अदंि र एक ऐसा हुनर आ गया था कक िह ऊँ ट के परै ों के वनिान दखे कर बता सकते थे कक ऊँ ट पर ककतने लोग सिार हैं और इिंसान के परै ों को दखे कर बता सकते थे कक िह ककतना दरू चल कर गया ह,ै उसकी उम्र और िजन ककतना ह।ै उनका यह अदंि ाजा हमिे ा सही वनकालता था । गजु राती िार्ा में पगी का अथष होता है पगरे ू जानने िाला । इसी कारण उनका नाम रणछोड़िाई ‘पगी’ प्रचवलत हो गया । इंिसान हो या जानिर , परै ों के वनिानों से िह परू ा अदिं ाजा लगा सकते थे । उनके इसी हुनर के कारण रणछोड़िाई पगी को 58 िर्ष की उम्र मंे िारतीय सने ा को राह कदखाने िाले के रूप मंे िारतीय सने ा में िावमल ककया गया । इनके इसी हुनर के कारण िारतीय सने ा को यदु ् के दौरान बहुत मागदष िनष वमला था । 39
रणछोड़िाई पगी का सवै नक जीिन रणछोड़ िाई जी को 58 की उम्र मंे उन्द्हंे िारतीय सवै नक के पागी के रूप मंे िती ककया गया था। जब पाककस्तान के साथ िारत का यदु ् 1965 मंे हुआ उससे पहले ही पाककस्तानी सवै नकों ने गजु रात के कच्छ क्षते ्र के कई गाििं को अपने कधजे मंे ले वलया था। जब रणछोड़ िाई को िहाँ के डीएसपी के द्वारा बॉडरष पगी के रूप मे वनयकु ्त ककया गया । 1971 की लड़ाई मे थलसने ा प्रमखु जनरल समै मानके िॉ और रणछोड़िाई दोनों के गुजराती होने से एक-दसू रे को अच्छी तरह से समझा सकते थे । वजस कारण नडाबटे के पास आक्रमण करने िाली बटावलयन की जानकारी के अनसु ार पाककस्तान की सने ा बनासकाठिं ा की तरफ आगे कू च कर रही थी । लड़ाई के दौरान गोला-बारुद ख़त्म हो गया और रास्ता िी ठीक नहीं होने से सने ा के अविकारी गण वचविं तत थ,े उसी समय रणछोड़िाई ने अपने ऊँ टों के ऊपर गोला-बारुद लाद कर सने ा की मदद की। उनके मागदष िषन से िारतीय सने ा पाककस्तान के बॉडरष विस्तार को जीतकर बहुत बड़े विस्तार पर िारत की जीत का परचम लहराया । उसी समय िारत ने अलग-अलग चार जगह से पाककस्तान के ऊपर हमला ककया था वजसमंे बाकी तीनों बटवलयानों मे िारी नकु सान हुआ, परंितु वजस बटावलयन मंे रणछोड़िाई साथ में थे उस बटावलयन का एक िी जिान िहीद नहीं हुआ था, इस बात की जनरल समै मानके िॉ ने गििं ीरता से सराहना की थी । इस घटना के बाद िारत पणू ष रूप से विजय हुआ। और रणछोड़िाई को अहमदाबाद में एक समारोह मंे डीआईजी के करकमलों से पवु लस सिे ा पदक से सम्मावनत ककया गया। 40
Search
Read the Text Version
- 1 - 8
Pages: