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Koyla Darpan (10th Issue)

Published by somchaudhuri, 2021-08-19 08:03:06

Description: Koyla Darpan (10th Issue)

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डॉ. समु ीत जैरथ, आई.ए.एस Dr. Sumeet Jerath, I.A.S सचिव, राजभाषा विभाग, गहृ मतं ्रालय Secretary, Deptt. of Official Language Ministry of Home Affairs अत्यंत हर्ष और गरव् का विषय है कि कोल इंडिया लिमिटेड (मु.), कोलकाता राजभाषा का प्रयोग बढ़ाने के उद्ेदश्य से अपनी हिंदी पत्रिका “कोयला दर्पण” का दसवां अकं प्रकाशित करने जा रहा ह।ै स्वतंत्रता के बाद, 14 सितंबर, 1949 को सं विधान सभा ने हिंदी को सं घ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया था। सं विधान के अनुच्ेछद 343 के अनुसार सं घ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी ह।ै सं विधान के अनुच्ेछद 351 के अनुसार सं घ का यह कर्तव्य है कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक सं स्ृक ति के सभी तत्वों की सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके । राजभाषा सं कल्प, 1968 के अनसु ार हमें राजकीय प्रयोजनों के लिए उत्तरोत्तर प्रयोग हते ु और अधिक गहन एवं व्यापक कार्यक्रम तयै ार करना ह।ै राजभाषा नियम, 1976 के नियम 12 के अनसु ार के न्द्रीय सरकार के प्रत्ेयक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व है कि वह राजभाषा अधिनियम 1963, नियमों तथा समय-समय पर राजभाषा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का समुचित रूप से अनपु ालन सनु िश्चित कराएं , इन प्रयोजनों के लिए उपयकु ्त और प्रभावकारी जांच-बिन्दु बनवाएं और उपाय करंे। राजभाषा नीति प्ेररणा, प्रोत्साहन और सद्भावना पर आधारित होने के कारण आपसे यह अनरु ोध है कि एक उत्साहवर्धक वातावरण सजृ ित कर सभी अधीनस्थ अधिकारियों को मलू कार्य हिदं ी मंे करने के लिए प्रेरित करंे। राष्र्टपिता महात्मा गाधं ी ने कहा था- “ राष्ट्रीय व्यवहार मंे हिदं ी को काम मंे लाना देश की एकता और उन्नति के लिए आवश्यक है।” यह सर्वविदित है कि राष्ट्र निर्माण में हिंदी की महत्वपरू ्ण भमू िका रही ह।ै आज हिंदी का महत्व जनभाषा, सं पर्क भाषा, राजभाषा और वशै्विक भाषा के रूप में बढ़ रहा ह।ै हिंदी एक वैज्ञानिक, व्यापक, समृद्ध, सशक्त और जीवंत भाषा ह।ै राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय राजभाषा हिंदी के सरलीकरण और लोकप्रियता बढ़ाने की दिशा में दृढ़ सं कल्प और निरंतर प्रयासरत ह।ै अत: मंै आप सभी को आह्वान करता हंू कि अपने प्ेररणादायक नेतृत्व और कु शल मार्गदर्शन मंे आप सरकारी काम-काज में राजभाषा हिदं ी का अधिकतम प्रयोग करते हुए अपने सं वैधानिक और सावं िधिक उत्तरदायित्वों का परू ्णतः निर्वाह करंे। जय राजभाषा! जय हिन्द! (डॉ. सुमीत जैरथ) 1

प्रमोद अग्रवाल Pramod Agrawal अध्यक्ष-सह-प्रबधं निदेशक Chairman-cum-Managing Director यह अत्ंय त हरष् का विषय है कि कोल इंडिया मुख्यालय से हिंदी पत्रिका ‘कोयला दर्पण’ का दसवां अंक प्रकाशित किया जा रहा है । ‘कोयला दरप्ण’ का प्रकाशन कोल इंडिया परिवार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का सामूहिक प्रयास है तथा इनकी प्रतिभा, हिंदी भाषा के प्रति लगाव एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक है। हमारी कं पनी विश्व की सबसे बड़ी एकल कोयला उत्पादक कं पनी है और यह देश की ऊर्जा जरूरतों की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। कोविड – 19 जैसी विकट परिस्थिति में भी हम एकजुट होकर देश के लिए कार्यरत रहे। कोल इंडिया के खदान मुख्यतः हिंदी भाषी राज्यों मंे ही स्थित हैं। औद्योगिक सं बं ध एवं अपने कार्मिकों से जुड़ाव के लिए हिंदी भाषा की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है। दूसरे तरफ आज हमारा देश दुनिया के व्यापारियों के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है। जिस कारण उनमंे भारत में अपने उद्योग तथा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिस्पर्द्धा बनी हुई है। इसी प्रतिस्पर्द्धा ने विश्व को हिंदी के साथ-साथ भारत की अन्य भाषाओं को स्थान देने के लिए विवश कर दिया है। ऐसी परिस्थिति मंे जो देश विश्व पटल पर अपनी भाषा की पहचान और उपयोगिता सिद्ध करेगा, वह अपने राष्टर् के उन्नयन का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। हिंदी हमारी सं पर्क भाषा होने के साथ-साथ वाणिज्यिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। ऐसे मंे हमारा नैतिक एवं संवैधानिक कर्तव्य है कि हम कार्यालय के दैनिक कामकाजों में हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करके इसे और समृद्ध बनाएं । पत्रिका के प्रकाशन से जुडे़ सभी अधिकारी, कर्मचारी, रचनाकार एवं सं पादक मंडल के सदस्य विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं। मैं आशा करता हँू कि भविष्य मंे भी ऐसे बेहतर सफल प्रयास लगातार किये जाते रहंेगे । पत्रिका प्रकाशन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं साथ ही इसकी निरंतर उत्ृक ष्टता की कामना करता हूँ । (प्रमोद अग्रवाल) 2

विनय रंजन Vinay Ranjan निदेशक (का. एवं औ.स.ं ) Director (P & IR) कोल इंडिया लि. (मु.) के निदेशक (का. एवं औ.सं .) के रूप मंे पदग्रहण के बाद प्रथमतया ‘कोयला दरप्ण’ के माध्यम से आप सभी को सं बोधित करते हुए मुझे अत्ंय त हर्ष हो रहा है। यह पत्रिका हमारे प्रतिष्ठित संस्थान की राजभाषा हिंदी और अन्य गतिविधियों का दर्पण है। हर अंक के साथ इसके गुणवत्ता मंे उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। पत्रिका के प्रकाशन का उद्देश्य न के वल अपने दायित्वों का निर्वाह करना है बल्कि इसके माध्यम से संस्थान के अधिकारियो,ं कर्मचारियों की प्रतिभा को सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना भी है। चाहे भाषा हो या प्रतिभा, निरंतर रचनाधर्मिता ही उसे सजीव बनाये रख सकती है। इसी क्रम मंे हमारा प्रयास रहेगा कि कोयला दर्पण पत्रिका का प्रकाशन निरंतर होता रहे और हमारे संस्थान के प्रतिभावान लेखकों को एक प्रतिष्ठित मंच मिलता रहे । ‘कोयला दर्पण’ के माध्यम से हम कार्यालयीन कार्यों से इतर अपनी रचनात्मकता को निखार सकते है। साहित्य-लेखन व्यक्ति के संवेदनशीलता और उसके परिपक्वता का परिचय देती है। इस प्रयास से कार्यालयीन वातावरण सुरूचिपूर्ण होगी। ‘कोयला दरप्ण’ से अपेक्षा है कि वह नई पीढ़ी के नव-प्रवर्तनकारी विचारों के एक आत्मीय सं कलन के रूप में उभरे। इन्हीं अपेक्षाओं के साथ ‘कोयला दरप्ण’ के दसवंे अंक के सभी लेखकगण को शुभकामनायंे देता हूँ। स्वतंत्रता‍दिवस की असीम शुभकामनाओं के साथ। (विनय रंजन) 3

सजं ीव कु मार Sanjeev Kumar महाप्रबधं क (का./राजभाषा) General Manager (Personnel/Rajbhasha) वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने स्वाभाविक रूप से हमारे समक्ष स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा का माहौल तो बनाया है, परन्तु इसने हमारे आस- पास की हर चीज तकनीक आधारित कार्यप्रणाली से करने को विवश कर दिया है। कोल इंडिया लिमिटेड ने भी हर क्षेत्र मंे विभिन्न तकनीकी को अपनाया है, साथ ही विविधीकरण की तरफ भी अहम कदम उठाया है । ‘खुली अर्थव्यवस्था’ की आवश्यकताओं ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य भाषा अंग्रेजी की महत्ता को बढ़ाया है। देखा जा रहा है कि तकनीक अपने साथ अंग्रेजी भाषा को लेकर चलती है। ऐसे में हमें हिंदी के प्रगति के प्रति अधिक सजग रहने की जरूरत है। समय की मागँ है कि हम पूरी तन्मयता से अपनी भाषाओं को सं रक्षित करें, भाषा मंे तकनीकी को आत्मसात् कर प्रगति के नये आयाम गढे़ एवं सतत् उन्नयन के वाहक बने। साथ ही बदलते वक्त के हिसाब से नये तकनीक से युक्त कार्य-प्रणाली में दक्ष हो अपने दाय़ित्वों का निर्वाह करंे । ‘कोयला दर्पण’ पत्रिका का प्रकाशन इसी कड़ी मंे एक प्रयास है । ‘दशम अंक’ के प्रकाशक मंडल और लेखकों का धन्यवाद एवं निरंतर सहयोग की कामना के साथ । (सं जीव कु मार) 4

प्रवीण रंजन प्रसाद Praveen Ranjan Prasad महाप्रबंधक (खनन/संसदीय मामल)े General Manager (Mining/PAD) भारत एक बहुभाषी एवं बहुसं स्ृक ति से सं पन्न विशाल देश ह।ै यह विविधता कश्मीर से कन्याकु मारी एवं कच्छ से किबिथू तक देखने को मिलती ह।ै कोल इंडिया भी इन विविधताओं को अपने कार्य-क्षेत्र के माध्यम से समाहित करता है, जिसका विस्तार विभिन्न भाषा-भाषी आठ राज्यों तथा राजभाषा अधिनियमानसु ार ‘क’, ‘ख’, एवं ‘ग’ तीनों क्षेत्रों मंे है । वर्तमान दौर तकनीक का दौर ह।ै जीवन-यापन से लेकर कार्य के हर क्षेत्र मंे तकनीक ने अपनी गहरी पठै बना ली ह।ै जिससे हम घं टों का काम मिनटों मंे करने मंे सक्षम हो पाये ह।ंै यही बात राजभाषा कार्यान्वयन के क्षेत्र में भी लागू होती है। गहृ मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन को सहज बनाने के उद्देश्य से ‘लीला’ (भाषा प्रशिक्षण ऐप), ‘कं ठस्थ’ (स्मृति आधारित अनवु ाद सॉफ्टवये र), ‘मंत्र’ (मशीन आधारित अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद टूल) जसै ी विभिन्न परियोजनाएँ चलायी जा रही है । इसी क्रम में कोल इंडिया भी व्यापारिक दायित्वों के निर्वाह के साथ-साथ राजभाषा सं बं धी अपनी संवधै ानिक दायित्वों का निरव्हन भी उत्साहपूर्वक कर रहा ह।ै कार्यालयीन कार्य मंे राजभाषा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना हमारा संवैधानिक दायित्व है । ‘कोयला दरप्ण’ पत्रिका का प्रकाशन इसी क्रम मंे एक महती प्रयास ह।ै कोल इंडिया लि. (मु.) की हिंदी पत्रिका ‘कोयला दरप्ण’ के प्रकाशन के सफर मंे इस अंक के साथ हमने दसवंे अंक के मकु ाम को हासिल किया है और उम्मीद है कि रचनाधर्मी कर्मियों के सहयोग से यह सफर अनवरत चलता रहगे ा तथा हम नित नये मुकाम को हासिल करते रहगंे ।े पत्रिका प्रकाशन समहू के सभी सदस्यों तथा रचनाकारों का धन्यवाद एवं अभिनंदन । (प्रवीण रंजन प्रसाद) 5

प्रियाशं ु प्रकाश Priyanshu Prakash सहायक प्रबधं क (राजभाषा) Asst. Manager (Rajbhasha) राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के सअु वसर पर राजभाषा विभाग, कोल इंडिया द्वारा कोयला दर्पण का प्रकाशन न के वल संवधै ानिक दायित्वों का निर्हव न है बल्कि उत्सव के उल्लास में वृद्धि का एक प्रयास भी ह।ै इस स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर कोयला दर्पण का दशम अंक प्रकाशित किया जा रहा ह।ै जसै ा कि विदित ह,ै पत्रिका प्रकाशन की सबसे बड़ी चुनौती पत्रिका को रूचिकर एवं पठनीय बनाना होता ह।ै हिंदीत्तर भाषी क्षेत्र से हिंदी पत्रिका का प्रकाशन एवं पाठकों में पत्रिका के प्रति रूचि पैदा करना, विविधता को साधने एवं सामं जस्य बठै ाने का कार्य ह।ै ‘कोयला दर्पण’ पत्रिका वर्षों से यह कार्य करती आ रही है, यही इस पत्रिका की खबू सरू ती भी है और अनठू ापन भी। पत्रिका में प्रकाशित आलेख के विषयों के चयन के क्रम में अलग-अलग वर्ग के पाठकों की रूचि को ध्यान में रखा गया ह।ै जिसमंे बडे़ पदाधिकारियों का निर्ेदश भी है तो वरीय अधिकारियों के वर्षों के अनभु व का निचोड़ भी, साथ ही यवु ा क्रांतिकारी विचारों का सहज प्रस्ुफ टन इस पत्रिका में सं चित है । इस अकं मंे प्रासंगिक एवं लाभकारी विषयों को सरल शब्दों में आपके समक्ष रखने का एक छोटा सा प्रयास किया गया है । पत्रिका में तकनीक, विधि, कला, इतिहास, भाषा, समाजशास्त्र व मनोविज्ञान से सं बंधित विषयों एवं हिंदी के विभिन्न विधाओं को जगह मिली ह।ै लेकिन जो इस अंक मंे खास ह,ै वह है देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाये जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को के न्द्र मंे रख कर अपने देश की स्वतंत्रता एवं इतिहास के अहम बिंदओु ं की विवचे ना। देश की स्वतंत्रता मंे अहम भमू िका निभाने वाले दो प्रमुख वर्ग - महिलाओं एवं आदिवासियों से सं बं धी आलेख को इस अंक मंे विशषे जगह दी गयी है। स्वतंत्रता संग्राम की एक और महत्वपरू ्ण देन ह,ै वह है भाषा की भूमिका, विशषे कर हिंदी भाषा की भमू िका एवं योगदान की पहचान करना। इन बातों को ध्यान में रखते हुए लेखकों ने भाषा सं बं धी विषयों की गढू ़ता को सरल शब्दों मंे समझाने का प्रयास किया ह।ै राजभाषा क्रियान्वयन को गति देने के प्रयास स्वरूप सचिव, राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सझु ाये गये 12 ‘प्र’ की सं कल्पना से प्रेरित हो क्रियान्वयन में सहयोग का भी आग्रह ह।ै जय हिन्द! जय हिंदी ! (प्रियाशं ु प्रकाश) 6

प्रबं धकीय मं डल अनुक्रमणिका प्रधान सं रक्षक सन्देश श्री प्रमोद अग्रवाल सचिव, राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय अध्यक्ष-सह-प्रबं ध निदेशक अध्यक्ष-सह-प्रबं ध निदेशक निदेशक (का. एवं औ. सं .) सं रक्षक महाप्रबं धक (कार्मिक / राजभाषा) श्री विनय रंजन सं योजक की कलम से सं पादकीय निदेशक (का. एवं औ.सं .) गद्य प्रधान सं पादक 1) 12 ‘प्र’ से किया जा सकता है राजभाषा हिंदी का समुचित िवकास ..डॉ. सुमीत जैरथ..... 8-11 सं जीव कु मार 2) बदु ्धिमत्तापरू ्ण खनन (Intelligent Mining) – उत्पादकता (Productivity) बढ़ाने के लिए एक दृष्टिकोण.. सबु ्रत विश्वास महाप्रबं धक (का./राजभाषा) .......12-15 सं योजक 3) खान तथा खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधये क, 2021.. दीपक कु मार एव अरुण कु मार......16-17 प्रवीण रंजन प्रसाद 4) आइए हम परे ंेटिंग यानी बच्चों की परवरिश को एक आनंदमयी महाप्रबं धक (खनन/सं सदीय मामले) प्रक्रिया बनाएं .. सभु ासिनी पात्रा.......18-19 5) प्रतिवेदन ........20-21 सं पादक 6) सटंे ल्र कोलफील्ड्स लिमिटेड : प्रगति-पथ पर निरंतर अग्रसर .............22-27 प्रियाशं ु प्रकाश 7) बं गाल की अहिल्या बाई – लोकमाता रानी रासमणि .. राजशे कु मार साव......28-29 सहायक प्रबं धक (राजभाषा) 8) भारत का स्वाधीनता सं घरष् और जनजातीय विद्रोह .. अभय तकनीकी सहयोग मिश्र......30-32 9) हिंदी का भारतीय परिदृश्य .. दिविक दिवेश......33-35 श्री कु मार शं कर गुप्ता 10) भाषा क्या है? .. प्रियं का भट्ट......36 11) उत्तर बं गाल की खबू सूरती .. रोहित छेत्री......37-38 मखु ्य प्रबं धक (जनसम्पर्क ) पद्य 1) मुझे कोशिश करने तो दो .. सोनालिका सिंह......35 श्री चेतन नंदनवार 2) जिंदगी इक पहले ी ..व्योमके श कु मार......39 3) चलो करें अब काम शरु ु.. श्रीधर गौरहा......39 सहायक प्रबं धक (प्रणाली) 4) सैनिक की शहादत.. श्री के . पी. पाठक......40 सं पादन सहयोग विविध 1) सीआईएल की सीएसआर गतिविधियाँ ........41 श्री राजेश कु मार साव 2) सीआईएल की गतिविधिया.ँ .......42-44 सहायक प्रबं धक (राजभाषा) श्री सं दीप कु मार सोनी अनवु ादक (राजभाषा) ÎFX©: ÑFP·F=+F ÛFWk Ò=+FPèF¶F Þ˜FÎFFEXk =+U ÛFZPáF=+¶FF JæFk HÎFÛFWk æÜFƒ¶F PæF˜FFÞXk =+W+ PáFJ Þ˜FÎFF=+FÞ õæFÜFk H¸FÞ¼FÜFU ùY— E¶F: ÑFP·F=+F ÛFWk æÜFƒ¶F PæF˜FFÞXk =+W+ PáFJ õFkÑFF¼=+, ÒÙFkÍF=+UÜF ÛFk°áF ¶F»FF =+XáF GkP°ÜFF ÒÙFkÍFÎF P=+õFU ÚFU Ò=+FÞ õFW H¸FÞ¼FÜFU ÎFùUk ùY— 7

12 ‘प्र’ से किया जा सकता है राजभाषा हिदं ी का समुचित िवकास डॉ. समु ीत जैरथ सचिव, राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय, भारत सरकार राजभाषा अर्थात राज-काज की भाषा, अर्थात सरकार द्वारा आम -जन के लिए किए जाने वाले कार्यों की भाषा। राजभाषा के प्रति लगाव और कअोनहुरिांगदीरकाष्ोट्र प्रराेमजकभााहषीा एक रूप ह।ै सं विधान सभा ने 14 सितंबर 1949 महान लखे क महावीर प्रसाद द्विवदे ी की पंक्तियां ‘आप जिस प्रकार का दर्जा दिया प्रदान किया था। वर्ष 1975 मंे बोलते ह,ैं बातचीत करते ह,ंै उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी राजभाषा विभाग की स्थापना की गई और यह दायित्व सौपं ा गया नहींहोनी चाहिए।’ को ध्यान मंे रखते हुए राजभाषा- हिंदी को और सरल, कअिधिसकभसी के अें द्धरिसकरककारार्यकहे िकदं ीारम्याेंलकिययो/ं ामजं त्ारनालायसो/नुं उिशप्चकि्तरमकोि/ं बयैंका जों आाए।दितमबंे सहज और स्वाभाविक बनाने के लिए राजभाषा विभाग ढृढ़ सं कल्प ह।ै से लेकर आज तक देश भर में स्थित कंे द्र सरकार के विभित्र कार्यालयों कें द्र सरकार के कार्यालयो/ं मंत्रालयो/ं उपक्रम/बकंै ोंआदि मंे राजभाषा हिंदी एवं विभागों आदि में सरकार की राजभाषा नीति का अनपु ालन तथा मंे काम करने को दिन-प्रति-दिन सगु म और सबु ोध बनाने का प्रयास किया सरकारी काम-काज मंे हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग जा रहा ह।ै साथ ही साथ प्रधानमंत्री जी के “आत्मनिर्भर भारत” “स्थानीय की अहम् भूमिका रही ह।ै राजभाषा विभाग अपने क्षेत्रीय कार्यान्वयन के लिए मखु र हों (Self Reliant India- Be Vocal for local)” कार्यालयों और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों के माध्यम से सभी के अभियान को आगे बढ़ाते हुए राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय, भारत में स्तरों पर राजभाषा का प्रभावी कार्यान्वयन सनु िश्चित करता ह।ै सी-डके , पणु े के सौजन्य से निर्मित स्मृति आधारित अनवु ाद टूल “कं ठस्थ” का विस्तार कर रहा है जिससे अनवु ाद के क्षेत्र मंे समय की बचत करने के हम सभी जानते हंै कि जब हमारे सं विधान निर्माता सं विधान को अंतिम साथ-साथ एकरूपता और उत्ृक ष्टता भी सनु िचित हो। स्वरूप दे रहे थ,े इसका आकार बना रहे थ,े उस वक्त कई सारी ऐसी चीजें राजकीय प्रयोजनों में राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार बढ़ाने तथा विकास थी जिसमंे मत-मतातं र थ।े देश की राजभाषा क्या हो?, इसके विषय मंे की गति को तीव्र करने सं बधी संवधै ानिक दायित्वों को पूर्ण करने के इतिहास गवाह है कि तीन दिन तक इस सं दर्भ में बहस चलती रही और सं बं ध में हमारी प्रभावी रणनीति किस प्रकार की होनी चाहिए, इसका देश के कोने-कोने का प्रतिनिधित्व करने वाली सं विधान सभा मंे जब मूल सूत्र क्या होना चाहिए?, इस पर विचार करने के दौरान मुझे माननीय सं विधान निर्माताओं ने समग्र स्थिति का अाकलन किया, दूरदर्शिता के प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए जाने वाले ‘स्मृति-विज्ञान’ (Mnemonics) साथ अवलोकन, चितंन कर एक निर्णय पर पहुंचे तो परू ी सं विधान सभा की भूमिका अत्यंत महत्वपरू ्ण और उपयोगी नजर आती ह।ै विदेश से ने सर्वानमु त से 14 सितंबर 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा के रूप मंे भारत में निवशे बढ़ाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी के छह डी- स्वीकार करने का निर्णय लिया। Democracy - (लोकतंत्र) Demand - (मागं ) 26 जनवरी 1950 को लागू भारतीय सं विधान के अनचु ्ेछद 343 मंे यह Demographic Dividend - (जनसांख्यिकीय विभाजन) प्रावधान रखा गया कि सं घ की राजभाषा ‘हिंदी’ व लिपि ‘देवनागरी’ Deregulation - (अविनियमन) होगी। Descent - (उत्पत्ति) अनचु ्छेद 351 के अनसु ार भारत की अन्य भाषाओं में प्रयकु ्त रूप, शैली Diversity - (विविधता) और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वाछं नीय हो वहां उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः सं स्कृ त स,े और गौणतः अन्य से प्रेरणा लेते हुए राजभाषा के सफल कार्यान्वयन के लिए राजभाषा भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए हिंदी की समृद्धि सुनिचित की जानी ह।ै विभाग, गहृ मंत्रालय ने 12 ‘प्र’ की रणनीति-रूपरेखा (Frame Work) की सं रचना की ह,ै जो निम्न प्रकार से हःै 8

1. प्रेरणा (Inspiration and Motivation) के लिए प्रविष्टि आती ह।ै जब मनंै े राजभाषा विभाग का कार्यभार सं भाला उस समय स्मृति आधारित अनुवाद टूल ‘कं ठस्थ’ के अदं र डेटाबसे को प्रेरणा (Inspiration) का सीधा तात्पर्य पटे की अग्नि (Fire in the मजबतू करने के लिए स्वस्थ प्रतियोगिता एवं सचिव (रा.भा.) की ओर belly) को प्रज्ज्वलित करने जसै ा होता ह।ै हम सभी यह जानते हंै कि से प्रशस्ति पत्र देने का निर्णय किया। इस कदम का यह परिणाम हुआ प्रेरणा मंे बड़ी शक्ति होती है और यह प्रेरणा सबसे पहले किसी भी चनु ौती कि लगभग छह महीने के अदं र ही ‘कं ठस्थ’ का डाटा 20 गनु ा से ज्यादा को खदु पर लागू कर दी जा सकती ह।ै प्रेरणा कहीं से भी प्राप्त हो सकती बढ़ गया। इसलिए हम यह कह सकते हंै कि प्रतिस्पर्धा एवं प्राइज यानि है लके िन यदि संस्थान का शीर्ष अधिकारी किसी कार्य को करता है तो परु स्कार का महती योगदान होता ह।ै निश्चित रूप से अधीनस्थ अधिकारी/कर्मचारी उससे प्रेरणा प्राप्त करते ह।ंै 5. प्रशिक्षण (Training) 2. प्रोत्साहन (Encouragement) राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय कें द्रीय प्रशिक्षण संस्थान तथा कें द्रीय मानव स्वभाव की यह विशेषता है कि उसे समय-समय पर प्रोत्साहन की अनुवाद ब्ूयरो के माध्यम से प्रशिक्षण का कार्य करता ह।ै परू े वरष् अलग- आवश्यकता पड़ती ह।ै राजभाषा हिंदी के क्षेत्र मंे यह प्रोत्साहन अत्यंत अलग आयोजनों में सैकड़ों की सं ख्या मंे प्रशिक्षणार्थी इन संस्थानों के महत्वपरू ्ण भमू िका निभाता है। अधीनस्थ अधिकारियो/ं कर्मचारियों को माध्यम से प्रशिक्षण पाते ह।ैं कहते ह-ैं “आवश्यकता, आविष्कार और समय- समय पर प्रोत्साहित करते रहने से उनका मनोबल ऊंचा होता है नवीनकरण की जननी है।” कोरोना महामारी ने हम सभी के सामने और उनके काम करने की शक्ति मंे बढ़ोतरी होती ह।ै अप्रत्याशित सं कट और चुनौती खड़ी कर दी। समय-समय पर प्रधानमंत्री 3. प्रेम (Love and affection) जी ने राष्टर् को सं बोधित कर हम सभी को इस महामारी से लड़ने के वसै े तो प्रेम जीवन का मलू आधार है किं तु कार्य क्षेत्र में अपने शीर्ष लिए सं बल प्रदान किया। इससे प्रेरित होकर राजभाषा विभाग, गृह अधिकारियों द्वारा प्रेम प्राप्त करना कार्य क्षेत्र मंे नई ऊर्जा का संचार मंत्रालय ने आपदा को अवसर मंे परिवर्तित कर दिया। सचू ना और संचार करता ह।ै राजभाषा नीति सदा से ही प्रेम की रही है यही कारण है कि प्रौद्योगिकी का आश्रय लेते हुए- ई-प्रशिक्षण और माइक्रोसाफॅ ्ट टीम्स के आज पूरा विश्व हिंदी के प्रति प्रेम की भावना रखते हुए आगे बढ़ रहा ह।ै माध्यम से हमारे दो प्रशिक्षण संस्थान- के न्द्रीय अनवु ाद ब्रूय ो ने पहली बार ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया। माननीय प्रधानमंत्री जी के अत्मनिर्भर भारत-स्थानीय के लिए मखु र हों (Be Vocal for Local) अभियान के अतं र्गत राजभाषा विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्वदेशी NIC-Video Desk Top पर माइग्रेट किया जा रहा ह।ै 6. प्रयोग (Usage) यदि आप प्रयोग नहीं करते हंै तो आप उसे भूल जाते हैं (If you do not use it, you lose it) हम जानते हैं कि यदि किसी भाषा का प्रयोग कम किया जाए या न के बराबर किया जाए तो वह धीरे-धीरे मन 4. प्राइज अर्थात परु स्कार (Rewards) मस्तिष्क के पटल से लुप्त होने लगती है इसलिए यह आवश्यक होता राजभाषा विभाग, गहृ मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वरष् राजभाषा कीर्ति परु स्कार है िक भाषा के शब्दों का व्यापक प्रयोेग समय-समय पर करते रहना और राजभाषा गौरव परु स्कार दिए जाते ह।ैं राजभाषा कीर्ति पुरस्कार चाहिए। हिंदी का प्रयोग अपने अधिक से अधिक काम में मलू रूप से कें द्र सरकार के मंत्रालयो/विभागो/ं बकंै ो उपक्रमों आदि को राजभाषा के करें ताकि अनुवाद की बसै ाखी से बचा जा सके और हिंदी के शब्द भी उत्कृ ष्ट कार्यान्वयन के लिए दिए जाते हंै और राजभाषा गौरव परु स्कार प्रचलन में रह।ें विभिन्न मंत्रालयो/ं विभागो/ं उपक्रमों आदि के सेवारत तथा सेवानिवृत अधिकारियो/ं कर्मचारियोंद्वारा हिंदी मंे लेखन कार्य को प्रोत्साहित करने के 7. प्रचार (Advocacy) लिए प्रदान किए जाते है।ं यह पुरस्कार 14 सितंबर, हिंदी दिवस के दिन सं विधान ने हमें राजभाषा के प्रचार का यह एक महत्वपूर्ण दायित्व सौपं ा माननीय राष््रटपति महोदय द्वारा प्रदान किए जाते ह।ंै परु स्काराें का महत्व है जिसके अंतर्गत हमें हिंदी में कार्य करके उसका अधिक से अधिक इस बात से समझा जा सकता है कि देश के कोने-कोने से इन परु स्कारों प्रचार सुनिश्चित करना है। हिंदी के प्रचार मंे हमारे शीरष् नते ृत्व-माननीय 9

प्रधानमंत्री जी तथा माननीय गृह मंत्री जी राजभाषा हिंदी के मेसकोट- ब्रैड राजदूत (Brand Ambassadors) के रूप में अत्ंयत महत्वपरू ्ण भमू िका निभा रहे ह।ैं देश-विदेश के मंचों पर हिंदी के प्रयोग से राजभाषा हिंदी के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ा ह।ै हम जानते हैं कि स्वतंत्रता के सं घर्ष के दौरान राजनीतिक, सामाजिक आदि क्षेत्रों मंे एक सं पर्क भाषा की आवश्यकता महसूस की गई। सं पर्क भाषा के रूप मंे हिंदी का पक्ष इसलिए प्रबल था क्योंकि इसका अंतरप्रांतीय प्रचार शताब्दियों पहले ही हो गया था । उसके इस प्रचार में किसी राजनीतिक आदं ोलन से ज्यादा भारत विभिन्न क्षेत्रों मे स्थापित तीर्थ स्थानों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का योगदान था। उनके द्वारा भिन्न-भिन्न भाषा-भाषियों के साथ सं पर्क करने का एक प्रमखु माध्यम भाषा हिंदी थी जिससे स्वतः ही हिंदी का प्रचार 9. प्रबंधन (Administration and Management) होता था। आधनु िक यगु में प्रचार का तरीका भी बदला ह।ै तकनीक के इस यगु में संचार माध्यमों को बड़ा योगदान है इसलिए राजभाषा हिंदी यह सरव्विदित है कि किसी भी संस्थान को उसका कु शल प्रबं धन नई के प्रचार में भी इन माध्यमों का अधिकतम उपयोग समय की मागं ह।ै ऊंचाईयों तक ले जा सकता है इसे ध्यान मंे रखते हुए संस्था प्रमखु ों को राजभाषा के क्रियान्वयन सं बधी प्रबं धन की जिम्देम ारी सौपं ी गई ह।ै 8. प्रसार (Transmission) राजभाषा नियम, 1976 के नियम 12 के अनसु ार के न्द्रीय सरकार के राजभाषा हिंदी के काम का प्रसार करना सभी कंे द्र सरकार के कार्यालयो/ं प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व है कि वह बकैं ो/उपक्रमों आदि की प्राथमिक जिम्दमे ारी में है और यह संस्था प्रमखु राजभाषा अधिनियम 1963, नियमों तथा समय पर राजभाषा विभाग का दायित्व है कि वह सं विधान के द्वारा दिए गए दायित्वों जिसमंे कि द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का समचु ित रूप से अनुपालन सनु िश्चित कराएं , प्रचार-प्रसार भी शमिल ह,ै का अधिक से अधिक निरव्हन करें। राजभाषा इन प्रयोजनों के लिए उपयकु ्त और प्रभावकारी जांच-बिंदु बनवाएं और हिंदी का प्रयोग बढ़ाने और कार्यालय स्तर पर हिंदी में लेखन को प्रोत्साहित उपाय करें। एवं प्रेरित करने मंे हिंदी गहृ -पत्रिकाओं का विशेष महत्व है, इसलिए 10. प्रमोशन (पदोन्नति) (Promotion) राजभाषा विभाग द्वारा विभिन्न कें द्रीय संस्थानों द्वारा प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ राजभाषा हिंदी मंे तभी अधिक ऊर्जा का संचार होगा, जब राजभाषा पत्रिकाओंको राजभाषा कीर्ति पुरस्कार दिया जाता ह।ै राजभाषा विभाग कार्यान्वयन के लिए नियकु ्त अधिकारी एवं कर्मचारी; के द्रीय सचिवालय दप्वुसार्ताकअालपनयीकवे ेबमसाधा्इयटमrसaे jहbिदंhीaकsेhपaाठ.gकovव.िiभnिनप्नरसबरनकााएरीगसएं स्ईथा-नपोत्रंदि्वकाराा राजभाषा सवे ा संवर्ग के सदस्यगण, सभी उत्साहवर्धक और ऊर्जावान हों प्रकाशित होने वाली ई-पत्रिकाओं से लाभान्वित हो सकंे गे। राजभाषा और अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा और समर्पण से निभाएं । समय-समय पर हिंदी के प्रचार मंे दूरदर्शन, आकाशवाणी की महत्वपरू ्ण भूमिका ह।ै इसके प्रमोशन (पदोन्नति) मिलने पर निश्चित रूप से उनका मनोबल बढ़ेगा और साथ-साथ बालीवडु ने हिंदी के प्रसार में अद्वितीय योगदान दिया ह।ै इच्छाशक्ति सुदृढ़ होगी। 11. प्रतिबद्धता (Commitment) राजभाषा हिंदी को बल देने के लिए मंत्रालय/विभाग/सरकारी उपक्रम/ राष्ट्रीयकृ त बकंै के शीर्ष नते ृत्व (माननीय मंत्री महोदय, सचिव, सं यकु ्त सचिव (राजभाषा), अध्यक्ष और महाप्रबं धक) की प्रतिबद्धता परम आवश्यक ह।ै माननीय सं सदीय राजभाषा समिति के सुझाव अनुसार और राजभाषा विभाग के अनुभव से यह पाया गया है कि जब शीरष् नेतृत्व हिंदी के प्रगामी/उत्तरोत्तर ही नही, अपितु अधिकतम प्रयोग के लिए स्वयं मलू कार्य हिंदी में करते हंै तब उनके उदाहरणमय नते ृत्व (Exemplery Leadership) से पूरे मंत्रालय/ विभाग/उपक्रम/बकंै को प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलता है। जब वे हिंदी के लिए एक अनुकू ल और उत्साहवर्धक 10

डुबकियां सिधं ु मंे गोताखोर लगाता है जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दगु ना उत्साह इसी हैरानी में मटु ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती असफलता एक चनु ौती है, स्वीेकार करो क्या कमी रह गई, देखो और सधु ार करो जब तक न सफल हो, नीदं चैन को त्यागो तुम सं घर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम वातावरण बनाते हैं और बीच-बीच में हिंदी के कार्यान्वयन की निगरानी कु छ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती (Monitoring) करते हैं तब हिंदी की विकास यात्रा और तीव्र होती है जैसे कि गृह मं त्रालय और शिक्षा मं त्रालय मंे देखा गया है। अभी हाल कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। मंे ही राजभाषा विभाग ने सबको पत्र लिखकर आग्रह किया हःै क) हर माह में एक बार सचिव/अध्यक्ष अपनी अध्यक्षता में जब वरिष्ठ संवैधानिक दायित्वों को पूर्ण करते हुए राजभाषा हिंदी को अधिक सरल बनाने के लिए राजभाषा विभाग दृढ सं कल्प और निरंतर प्रयासरत अधिकारियों की बैठक करते हंै तब इसमे हिदं ी मंे काम-काज की ह।ै विभाग सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and प्रगति और राजभाषा नियमों के कार्यान्वयन का मद भी अवश्य Communication Technology) का भी आश्रय ले रहा रखंे और चर्चा करंे। ह।ै विभाग का मानना है कि राजकीय प्रयोजनों में हिंदी की गति को ख) अपने मं त्रालय/विभाग/सं स्थान मंे अपने सं यकु ्त सचिव (प्रशासन)/ तीव्र करने के लिए ये दोनों आवश्यक परिस्थितियां (Necessary प्रशासनिक प्रमखु को ही हिदं ी कार्यान्वयन का उत्तरदायित्व दें और Conditions) हैं। इस दिशा मंे और गति देने के लिए शीर्ष नेतृत्व हर तिमाही मंे उनकी अध्यक्षता मंे विभागीय राजभाषा कार्यान्वयन की प्रतिबद्धता और प्रयास पर्याप्त परिस्थितियां (Sufficient समिति (OLIC) की बैठक करें। Conditions) है। 12. प्रयास (Efforts) सं घ की राजभाषा नीति के अनसु ार हमारा संवधै ानिक दायित्व है कि हम राजभाषा सं बधित अनुदेशों का अनपु ालन तत्परता और परू ी निष्ठा राजभाषा कार्यान्यवन को प्रभावी रूप से सुनिश्चित करने की दिशा में यह के साथ करंे। हम स्वयं मूल कार्य हिंदी मंे करते हुए अन्य अधिकारियो/ं अंतिम ’प्र’ सबसे महत्वपरू ्ण ह।ै इसके अनुसार हमंे लगातार यह प्रयास कर्मचारियों से भी राजभाषा अधिनियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं करते रहना है कि राजभाषा हिंदी का संवर्धन कै से किया जाए। यहां कवि ताकि प्रशासन मंे पारदर्शिता आए और आमजन सभी सरकारी योजनाओं सोहन लाल द्विवेदी एकदम सटीक बैठती हंै कि व कार्यक्रमों का लाभ निर्बाध रूप से उठा सके । मुझे पूर्ण विश्वास हैं कि लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती इन बारह ‘प्र’ को ध्यान मंे रखकर राजभाषा हिंदी का प्रभावी कार्यान्वयन कोशिश करने वालों की हार नहीं होती करने की दिशा मंे सफलता प्राप्त होगी और हम सब मिलकर माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत; सुद्दढ़ आत्मनिर्भर भारत’ के नन्हीं चीटं ी जब दाना लेकर चलती है सपने को साकार करने में सफल होग।ंे चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगों मंे साहस भरता है चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती 11

बदु ्धिमत्तापूर्ण खनन (Intelligent Mining) – उत्पादकता (Productivity) बढ़ाने के लिए एक दृष्टिकोण कारण लागत मंे कमी, सुरक्षा मानकों में सुधार और वृद्धि से खदान की उत्पादकता मंे सुधार किया जा सकता है। क्या है बुद्धिमत्तापूर्ण खनन (Intelligent Mining) - बुद्धिमत्तापूर्ण सुब्रत विश्वास खनन, जो यंत्रीकृ त और स्वचालित खनन विधियों पर आधारित है और जो औद्योगिकीकरण के साथ सूचनाकरण को जोड़ती है। यह नई महाप्रबं धक(प्रणाली), ईआरपी तकनीक काम करने वालों के चेहरे के आसपास की परिस्थितियों को कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने 21 जनवरी 2021 को बताया “सधु ार समझकर, प्रत्ेयक खनन मशीन को बुद्धिमानी से नियंत्रित करने, और (improvement) एक सतत प्रक्रिया ह,ै सीखना भी एक सतत प्रक्रिया स्वचालित रूप से खनन उपकरणों को नेविगेट करके स्वचालित रूप से है .... आइए हम नई चीज,ें नए विचार, नया दृष्टिकोण और नया लक्ष्य खनन कर सकती है। सीख।ंे और इसमंे कोयला (सेक्टर) की छवि, कोल इंडिया को बदलने की जरूरत ह।ै ” खनन मंे उत्पादकता (Productivity) क्या है- गणितीय (mathemetically) रूप स,े ओ.एम.एस (OMS - output per manshift- production:no.of miners) एक खदान मंे काम करने वाले खनिकों की सं ख्या (no.of miners) का उत्पादन (production) के साथ अनपु ात निकाला जाता ह।ै इसलिए, किसी दिए गए उत्पादन के लिए, यदि श्रमशक्ति (manpower) कम हो जाती ह,ै तो ओएमएस बढ़ाया जाएगा। बुद्धिमत्तापूर्ण खनन (Intelligent Mining) की तीन मुख्य विशेषताएं हंै: 1. खनन मशीनों में स्वयं काम करने की बौद्धिक क्षमता होती है; 2. रीयल-टाइम डेटा को तुरंत पकड़ा जा सकता है और अद्यतन किया जा सकता है, जिसमें भूवैज्ञानिक जानकारी, कोयला और चट्टान के बीच की परिवर्तनशील सीमा रेखा, मशीनों की स्थिति और खनन प्रक्रिया, और इसी तरह जानकारी शामिल हैं; तथा 3. कार्य करने वालों के चेहरे की स्थितियों के अनुसार मशीनरी को स्वचालित (automatically) रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। जब निर्णय लेने (decision making) और मशीन संचालन (machine Source : Output Per Man Shift (OMS) CIL. Source: Coal Directory of India operation) की प्रक्रिया स्वचालित (automatically) रूप से और of UG and OC mining methods under (FY1998-99 to 2016-17) सुरक्षित रूप से संचालित किया जा सकता है, तो कार्य करने वाले चेहरे को एक बुद्धिमत्तापूर्ण खनन कार्यबल कहा जाता है। इसे प्राप्त करने का एकमात्र तरीका उत्पादकता, दक्षता और उपकरणों बुद्धिमत्तापूर्ण खनन द्वारा, रिमोट वीडियो द्वारा निगरानी के माध्यम की प्रभावशीलता में सुधार करके उत्पादन लागत को कम करना है। से कार्यबल के साथ मानव-रहित संचालन (un-manned मशीनीकरण के स्तर को बढ़ाकर, अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग operation) के द्वारा उत्पादन किया जा सकता है। इस तरह के और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार उनका इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने, उचित सूची प्रबं धन, बेहतर स्वास्थ्य के माध्यम से दुर्घटनाओं के 12

उत्पादन में, सभी उपकरण स्वचालित रूप से संचालित होते हैं और सुरक्षा के लिए रिमोट-कं ट्रोल सेंटर द्वारा निगरानी की जाती है, जबकि यदि आवश्यक हो तो प्रक्रियात्मक समायोजन किया जाता है। यह क्रांतिकारी तरीका पारंपरिक उत्पादन प्रक्रियाओं को बहुत बदल रहा है। बुद्धिमत्तापूर्ण खनन का प्रत्ेयक उपकरण (individual pieces of equipment) सामान्य समन्वय नियंत्रण प्रणाली पर निर्भर करता है। सिस्टम एक वेब नेटवर्क के माध्यम से कार्यबल के साथ उपयोग किए जाने वाले सभी उपकरणों को जोड़ता है, जैसे कि शीयर, हाइड्रोलिक- 2. उद्योग 4.0 (Industry 4.0) सिद्धांतों मंे खनन क्षेत्र की पेशकश संचालित समर्थन, स्कैर् प कन्वेयर, ब्रिज कन्वेयर, बेल्ट कन्वेयर, कोल्ूह करने के लिए बहुत कु छ ह।ै ऑपरेशन प्रौद्योगिकी (Operational (crusher), हाइड्रोलिक स्टेशन और पावर स्टेशन। उपकरण का Technology) और सचू ना प्रौद्योगिकी (Information प्रत्ेयक सेट एक कें द्रीय निर्णय (central decision-making) लेने Technology)सं यकु ्त रूप से उद्योग 4.0 की नींव का निर्माण करते ह।ैं के क्रम (order) द्वारा चलाया जाता है, जिससे काम के उत्पादन को कंे द्रीकृ त (centralise) करने के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण खनन सॉफ्टवेयर (software) का उपयोग किया जाता है। उद्योग 4.0 (Industry 4.0) के चार मूलभूत (fundamental principles) सिद्धांत हैं: a) इंटरोऑपरेबिलिटी (Interoperability) b) सूचना पारदर्शिता (Information transparency) c)विकंे द्रीकृ त निर्णय लेना (Decentralized decision making) बुद्धिमत्तापूर्ण खनन का विवरण (Details of Intelligent d)तकनीकी वृद्धि (Technical augmentation) Mining)-1. 5 जी (5G) औद्योगिक इंटरनेट प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो उपरोक्त जमीन और अंडर-ग्राउंड 3.उद्योग 4.0 (Industry 4.0) में निम्न प्रौद्योगिकी (technology) नेटवर्क को जोड़ता है, मौजूदा वायर्ड संचार प्रौद्योगिकी (wired शामिल है:- communication technology) लंबे समय से खानोंमंे वास्तविक समय की निगरानी की आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकती है, और क्लाउड (cloud technology), बिग डेटा एंड एनालिटिक्स खानों की उत्पादन लाइनंे आमतौर पर बहुत होती हैं, दसियों (10) से (big data and analytics), मोबिलिटी (mobility), IIoT लेकर सैकड़ों (100) किलोमीटर तक, जो उत्पादन के वास्तविक समय (industrial internet-of-things,इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ़ की निगरानी कवरेज को सीमित करता है, दुर्घटना (accident) के थिंग्स), नेक्स्ट-जेन सिक्योरिटी (next-gen security), कॉग्निटिव दौरान श्रमिकों के आपातकालीन निकास में बाधा के साथ सुरक्षा सं बं धी प्रोसेसिंग (cognitive processings) एंड ऑगमेंटेड रियलिटी पैरामीटर को सीमित करता है। (Augmented Reality), वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality), डिजिटल ट्विन (digital twin) का निर्माण; स्मार्ट 13

कनेक्टेड एसेट्स (smart connected assets)। ये प्रौद्योगिकियां 2.परियोजनाओं के लिए आरओआई (निवेश की वापसी) का औचित्य खनन उद्योग के भीतर प्रक्रियाओं और गतिविधियों की पुनर्रचना (re- 3.सिस्टम और डेटा स्रोतों को अलग करंे, यह जानना कि कौन से मेट्रिक्स engineering) करेंगी| सबसे महत्वपूर्ण हैं 4.निरंतर सुधार प्रक्रियाएँ 5.उद्देश्योंकी कोई कॉर्पोर�ेट समझ नहीं 6.प्रतिभा की कमी 7.आपूर्ति श्रृंखला में समन्वय 8. विभागों IIoT और परिसं पत्ति प्रदर्शन प्रबं धन (APM-Asset में खराब सहयोग 9.कार्यकारी सहायता का अभाव 10.उपकरण और Performance management) के लिए खनन उद्योग की सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी का अभाव 11.बाहरी सहायता सं साधनों की कमी प्रथाओं (best practices) मंे रुचि (surge) अभी भी जारी है। डिजिटल ट्विन- मशीनों की अनुमानित और वास्तविक सुरक्षा प्रदर्शन, खनन उद्योग की अपनी कु छ सबसे बड़ी चुनौतियां है: पर्यावरणीय प्रभाव यानी, ई-स्टॉप (e-stop), मशीन की रखवाली (machine मुद्ेद , कच्चे माल की आपूर्ति , गंभीर श्रम सं बं धी मुद्ेद, ऊर्जा लागत और guarding), प्रकाश ढाल (light shields), ऑपरेटर अलार्म की ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मुद्ेद। तुलना करने के लिए डिजिटल ट्विन एप्लिके शन को सक्षम करना। खनन उद्योग अत्यधिक सं पत्ति- गहन (asset-intensive) है, जिससे 5G प्रबं धन प्रणाली होने से पहले, मौजूदा वायर्ड संचार प्रौद्योगिकी इष्टतम संचालन प्राप्त (achieving optimum operation) करने (wired communication technology) खानों में वास्तविक के लिए परिसं पत्ति प्रदर्शन प्रबं धन (APM-Asset Performance समय की निगरानी (real-time monitoring) की आवश्यकता Management) महत्वपूर्ण है। को पूरा नहीं कर सकती, बिग डेटा (big data) एपीएम 4.0 (APM 4.0) के पीछे एनबलर (enabler) है और प्री-स्क्रिप्टिव एनालिटिक्स (prescriptive analytics) के लिए एक कदम है। यह रखरखाव (maintenance) प्रतिक्रियाशीलता से स्थिति-आधारित रखरखाव (Condition-based Maintenance) तक विकसित हुआ है। APM 4.0 कार्यक्रम, रखरखाव (maintenance) मूल्य के भविष्य के आकं लन और आदर्श रूप से प्रिस्क्रिपटिव एनालिटिक्स (prescriptive analytics) का प्रस्तुत करता है। सेंसर और नेटवर्क कनेक्टिविटी की बहुत कम लागत इसे प्राप्य बनाती है। एपीएम (APM) का उद्देश्य और विकास- एपीएम 4.0 निर्धारित करता है - एपीएम 1.0 - कागज आधारित प्रणाली और प्रक्रियाएं एपीएम 2.0 - ट्रांसेक्शनल सिस्टम, CMMS (computerized 1.विफलता को स्थगित करने या रोकने के लिए आवश्यक गतिविधियों maintenance management system), ईएएम के बारे में बताना। 2. उपकरण (equipment) कै से प्रदर्शन करते ह,ंै (enterprise asset management), समय-आधारित रखरखाव इसे बदलने के लिए परिचालन परिवर्तनों (operational changes) (time-based maintenance) को निर्धारित करने की क्षमता। 3.रखरखाव (maintenance) स्मार्ट एपीएम 3.0 - इंस्टूर्मेंटेशन, रीयल-टाइम डेटा, आरसीएम, सीबीएम, बनना; दूसरा परिचालन उत्कृ ष्टता (operational excellence) और प्रेडिक्टिव मंेटेनेंस उद्योग 4.0 के साथ सं रेखित (aligning) करने में सक्षम बनाता ह।ै एपीएम 4.0 - उद्योग 4.0, स्मार्ट कनेक्टेड एसेट्स एंड सर्विसेज, प्रस्पेक्टिव एनालिटिक्स (prescriptive analytics), Artificial Intelligence & मशीन लर्निंग (ML), IIoT प्लेटफॉर्म, डिजिटल ट्विन (digital twin) APM (Asset Performance Management) का उद्देश्य: - सबसे अच्छा अभ्यास, बहे तर परिचालन प्रदर्शन जो निवशे का शीरष् कारण ह।ै खनन एपीएम को सरु क्षा में सुधार, वित्तीय प्रदर्शन में सुधार और समग्र चपलता (agility) बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता ह।ै एपीएम (APM) चैलंेज - 1.मैट्रिक्स में दृश्यता का अभाव 14

Big Data ANALYTICS फ्रे मवर्क - काफी अलग था। आज, सं पत्ति (assets) का अधिक वास्तविक समय क्या हुआ - DIAGONISTIC और भविष्य का विश्लेषण करने वाला आवश्यक डेटा स्रोत मौजूद है। ऐसा क्यों हुआ - ANALYSIS जो भविष्य मंे स्वायत्त संचालन की क्षमता का वादा करता है। क्या होगा - PREDICTIVE। क्या कार्रवाई करनी है - PRESCRIPTIVE Mobility - खनन कं पनियां अपने कार्य-बल की गतिशीलता पर निर्भर हैं। खनन कं पनियों के डेटा-संचालित (data-driven) प्रदर्शन (performance) की विशेषता है- उनकी प्रक्रियाएं , लोग और आज की पीढ़ी को उम्मीद है कि उनके मोबाइल समाधान, AR उपकरण सभी बड़े मात्रा में डेटा पैदा करते हंै। खनन ओईएम (OEM- (Augmented Reality) एक ऐसी तकनीक जो वास्तविक दुनिया original equipment manufacturer) अब अपटाइम, के उपयोगकर्ता के दृष्टिकोण पर एक कं प्ूयटर-जनरेट की गई छवि को प्रदर्शन में भिन्नताओं का पता लगाने और श्रमिक सुरक्षा बढ़ाने के मुद्दों सुपरपोज करती है, इस प्रकार एक समग्र दृश्य प्रदान करती है। तथा के लिए बिग डेटा का निर्माण कर रहे हैं। मशीन के व्यवहार की गणना VR (Virtual Reality) एक तीन-आयामी (3D) छवि या विशेष के लिए वास्तविक उपकरणों से डेटा एकत्र करना अमूल्य हो सकता है इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग करके वातावरण का कं प्यूटर-जनित क्योंकि यह विभिन्न ऑपरेटिंग परिस्थितियों में कार्य करता है। सिमुलेशन जिस से किसी व्यक्ति द्वारा प्रतीत होता है कि वास्तविक या भौतिक तरीके से बातचीत की जा सकती है। विश्व स्तर की गतिशीलता यंत्र अधिगम (Machine Learning) - मशीन लर्निंग (ML) एक प्ेलटफ़ॉर्म इन तकनीकों को अपनाने के लिए एक समृद्ध उपयोगकर्ता प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) है जो सीखने वातावरण प्रदान करती है। और संचालन (operation) और रखरखाव (maintenance) मंे यह प्रयास उस नई तकनीक को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए अंतर्दृष्टि हासिल करने की क्षमता प्रदान करता है। यह पैटर्न देखने के है जो AI-से तैयार किया गया है। यह नए श्रमिकों को लक्षित कर रहा लिए डेटा के माध्यम से एक स्वचालित खोज (automated search) है जो उद्योग 4.0 के उपयोग और डिजिटल परिवर्तन से बदलाव ला को सक्षम करता है और एपीएम (APM) प्रक्रियाओं और कार्यों को सकते है। अब सवाल उठता है कि नए कार्यकर्ता, पुराने खान श्रमिकों समायोजित (adjust) और सुधारने (improve) का आधार है। जो प्रक्रिया-प्रेमी थे, के विपरीत, डिजिटल-प्रेमी हैं? नई तकनीक इन व्यक्तियों के क्रॉस-सहयोग को सक्षम करना, चाहे भौतिक या आभासी, स्मार्ट कनेक्टेड एसेटस् (Smart Connected Assets) - उद्योग खनन उद्यम को प्रत्ेयक प्रकार के काम की ताकत का लाभ उठाने की 4.0 में साइबर-फिजिकल सिस्टम (CPS-Cyber Physical अनुमति देता है। इसलिए, जितनी अधिक खनन कं पनी डिजिटल System) (CPS is an integration of physical process होती है, उतनी ही अधिक सं भावना उसे अगली पीढ़ी के कार्यकर्ता को and computer system monitored by computer- आकर्षित करने और बनाए रखने की होती है। based algorithm), IIoT (industrial internet of things) प्ेलटफॉर्म और क्लाउड कं प्यूटिंग (cloud computing) अगली पीढ़ी के कर्मचारियों को आकर्षित करने के लिए प्रौद्योगिकी शामिल हंै। में शामिल हो सकते हंै: मोबाइल एप्लिके शन: डिजिटल सहयोग: हालाकँ ि, IIoT प्लेटफ़ॉर्म अप्रोच लेने से, CBM को लागू करने की सं वर्धित वास्तविकता: ऑपरेटर प्रशिक्षण। सीमातं लागत (अतिरिक्त या भविष्य कहने वाला प्रिस्क्रिप्ट मेनटे-नेन्स बिगडाटा(Big Data) और एआई (AI) द्वारा संचालित, स्मार्ट कोयले अप्रोच तक) लगभग Rs. 0(zero) तक गिर जाती है। की खदानों को मौजूदा IIoT प्रौद्योगिकियों पर आधारित स्पर्श, स्वाद और गंध को शामिल करने के लिए दृष्टि और ध्वनि से परे अवधारणात्मक कं पनियां कई वर्षों से परिसं पत्तियों की निगरानी का विस्तार करने की संवेदन क्षमताओं का विस्तार करना जारी रखने की आवश्यकता है, जो इच्छा व्यक्त करती रही है। उनके सामने दो बाधाएं थी:ं संवेदन तकनीक वास्तव मंे स्मार्ट रोबोटों की ओर मार्ग प्रशस्त करता है। बेहद महंगा था और लोगों को डेटा वितरित करना आवश्यक था, जो “हमें उम्मीद है कि भविष्य मंे कं प्ूटय र स्क्रीन के सामने बैठे कर्चम ारियों द्वारा खनन किया जा सकता है”। -जय हिन्द 15

खान तथा खनिज (विकास एवं विनियमन) सशं ोधन विधये क, 2021 दीपक कु मार मंे खनन क्षेत्र अपने सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2% का ही योगदान सहायक प्रबंधक (विपणन एवं विक्रय) देता है जबकि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जसै े देश जिनके पास सीआईएल (म.ु ), कोलकाता हमारे जितने ही सं साधन ह,ंै वे अपने सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7.5% योगदान देते ह।ैं अरुण कु मार सहायक प्रबं धक (विधि), इसके अलावा, हमारा देश एक वरष् में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये सीआईएल (म.ु ), कोलकाता मलू ्य के खनिजों का आयात करता है जिसके परिणामस्वरूप हमंे भारी व्यापार घाटा होता ह।ै जिसमें कोयले का योगदान लगभग 1.5 लाख 22 मार्च, 2021 को, खान तथा खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन करोड़ रुपये है जो कि कु ल खनिज आयात मूल्य का 60% ह।ै विधये क-2021 सं सद में पारित किया गया जो कि एमएमडीआर अधिनियम 1957 का संशोधन ह।ै एमएमडीआर अधिनियम, 1957, भारत सरकार लखंबनेिसजमसय्रोसतोे ंवकृहा्दप्रआयोगयातकरकनोे कम करने और आतं रिक भारत मंे खनन क्षेत्र को विनियमित करने के लिए लाया गया था और न्यून अन्वेषित के लिए कड़ी महे नत कर अब ये नया संशोधन भारत की न्यून अन्वेषित खनन क्षेत्र के लिए एक रही है जो सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” के उद्ेदश्य के अनुरूप और गेम-चंेजर माना जा रहा ह।ै संशोधन के बारे में जानने से पहले मूल यही संशोधन का उद्देश्य ह।ै एमएमडीआर अधिनियम, 1957 को समझना आवश्यक ह।ै मूल विधये क मुख्य रूप से निम्नलिखित को नियंत्रित करता ह:ै सं शोधित विधेयक, 2021 की मखु ्य विशेषताएं 1. कै प्टिव खानों द्वारा खनिजों की बिक्री (धारा 8) संशोधित विधये क कै प्टिव खानों को खदान से जडु ़े उपयोगकर्ता सं यंत्र की आवश्यकता की परू्ति के बाद खुले बाजार मंे 50% तक खनित खनिजों को बचे ने की अनमु ति देता ह।ै इससे पूरव,् खनन किये गये कोयले को के वल कै प्टिव उपयोग के लिए प्रतिबंधित किया गया था। 2. पट्टे का उद्देश्य (धारा 8) परू व् मे,ं कै प्टिव खानों का उपयोग के वल एक विशिष्ट उद्ेदश्य/उद्योग के लिए किया जाता था। तथापि, संशोधित अधिनियम ने इस तरह के विभदे को हटा दिया है और खानों का उपयोग उद्योगों में किया जा सकता ह।ै 3. वैधानिक मं जरू ी का अतं रण (धारा8ख) संशोधित अधिनियम प्रथम पट्टेदार की समाप्ति या अवसान के बाद जब तक रिजरव् का परू ी तरह से खनन नहीं हो जाता एक पट्टेदार को दूसरे l भावी खान के पट्टे के लिए लाइसंेसिंग प्रक्रिया उत्तरवर्ती सफल पट्टेदार को वैधानिक मं जरू ी के हस्तांतरण की अनुमति l पट्टे का उद्देश्य देता ह।ै इससे पूर्व, ऐसे मामलों म,ें उत्तरवर्ती पट्टेदार को नई वैधानिक l भावी खानों के क्षेत्र में रहने वाले लोगों का कल्याण मं जरू ी लेनी पड़ती थी जिसमंे वर्षों लग जाते थ।े इस आलेख में, हम चर्चा करेंगे कि संशोधन विधये क क्यों लाया गया 4. कें द्र सरकार द्वारा नीलामी की शक्ति (धारा 10ख) था? संशोधन विधये क की प्रमुख विशेषताएं क्या ह?ै तथा यह खनन क्षेत्र संशोधित अधिनियम के अनसु ार, खान को दी गई लीज की समाप्ति/ विशेषकर कोयला खनन को कै से प्रभावित करेगा? व्यपगत होने की स्थिति म,ंे कें द्र सरकार सं बंधित राज्य सरकार को सं शोधन का उद्देश्य पारस्परिक निर्धारित समय के भीतर पनु : नीलामी करने के लिए कह वर्तमान म,ंे हमारा देश लगभग 95 खनिजों का खनन करता है लेकिन सकती है। यदि ऐसी नीलामी निर्धारित समय के भीतर सं पन्न नहीं होती मात्रात्मक रूप से, यह आत्मनिर्भर नहीं है और ना ही इसमें महत्वपूर्ण ह,ै तो कंे द्र सरकार स्वयं खनन पट्टा देने के लिए नीलामी आयोजित कर वृद्धि हुई ह।ै इस कथन की पुष्टि इस तथ्य से की जा सकती है कि भारत सकती ह।ै 16

5. जिला खनिज फाउंडेशन (धारा 9 ख) बाजार में बिक्री मंे निजी क्षेत्र की कं पनियों की अधिक भागीदारी का मार्ग ऐसा कोई भी जिला जो खनन से सं बंधित संचालन से प्रभावित है,राज्य प्रशस्त करेगा। इस समय, सीआईएल, एससीसीएल और एनएलसी इस सरकार जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) नामक एक गैर-लाभकारी क्षेत्र के प्रमखु प्रतिभागी ह।ंै वित्त वरष् 18-19, वित्त वरष् 19-20 और निकाय के रूप में टसर् ्ट स्थापित करेगी। डीएमएफ का उद्देश्य खनन से वित्त वरष् 20-21 मंे सीआईएल के क्रमशः 607 एमटी, 582 एमटी और सं बंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के 574 एमटी के घटते उठाव की तुलना में कै प्टिव माइंस ने 2020-21 लिए काम करना होगा। में 50 एमटी का उत्पादन किया है जो 2016-17 से 2019-20 तक 21% की CAGR से बढ़ रहा था। इसके अतिरिक्त, भारत ने वित्त वरष् 20-21 में 215 एमटी आयात किया ह।ै विगत तीन वर्ष से आयात में निरंतर वृद्धि के बाद कोविड-19 महामारी के कारण आयात मंे कमी आई ह।ै कोप्यरकलाेरका 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 कोकिं ग 42 47 52 52 51 कोल संशोधित विधये क, 2021 में यह शामिल किया गया है कि कंे द्र सरकार गैरक-कोयोलकिंा ग 149 161 183 197 164 डीएमएफ द्वारा निधियों की सं रचना और उपयोग के सं बं ध में दिशा- निर्ेदश दे सकती ह।ै कु ल कोयला 191 208 235 249 215 सं शोधन के प्रभाव आयात संशोधित विधये क, 2021 निजी क्षेत्र के लिए खलु े बाजार में कोयला विक्रय करने तथा खनन क्षेत्र मंे अधिक भागीदारी के लिए प्रोत्साहन का Source: Graph & Table-CEA &DGCIS, Kolkata द्वार खोलता ह।ै विधये क के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते ह:ंै 1. व्यापार सुगमता मंे वृद्धि उपरोक्त तालिका से यह पता चलता है कि कोकिं ग कोल के आयात मंे वैधानिक अनमु ति के हस्तांतरण के मामले में छू ट तथा किसी विशिष्ट पिछले कु छ वर्षों मंे बहुत अधिक परिवर्तन नहीं हो रहा है जबकि गैर- उद्योग में अनुमति विभेद को हटाने से व्यापार सगु मता बढ़ाने मंे मदद कोकिं ग कोयले के आयात मंे पिछले कु छ वर्षों में महत्वपरू ्ण बदलाव देखा मिलेगी। गया है बल्कि गैर-कोकिं ग कोयला भारत मंे विपलु मात्रा में उपलब्ध ह।ै 2. आयात निर्भरता में कमी इसके अलावा, मात्रात्मक दृष्टि से, आयात सं ख्या घरेलू कोयला उठाव कई कै प्टिव खदानंे जिनके द्वारा के वल उपयोगकर्ता सं यंत्र के लिए खनन से कम ह,ै लेकिन मौद्रिक दृष्टि स,े यह सीआईएल की वार्षिक आय से किये गये खनिज के कै प्टिव उपयोग पर प्रतिबं ध के कारण अल्प उपयोग भी अधिक ह।ै उल्लेखनीय रूप से, वित्त वर्ष 19-20 में, सीआईएल का किया गया है, वे अतिरिक्त खनिजों का उपयोग खलु े बाजार मंे विक्रय राजस्व 1.4 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन देश ने 1.5 लाख करोड़ रुपये हते ु कर सकंे ग।े इससे देश को आयात कम करने और व्यापार घाटे को के कोयले का आयात किया ह।ै संशोधन से कोयला क्षेत्र में निम्नलिखित निहितार्थ हो सकते ह:ैं • प्रतिस्पर्धा मंे वृद्धि • आयात में कमी कम करने मंे मदद मिलेगी। • बहे तर प्रौद्योगिकी को अपनाना 3. रोजगार अवसर में वृद्धि वाणिज्यिक खनन परोक्ष रूप से पारंपरिक प्रतिस्पर्धियों को अपनी खनन इस संशोधन से न्यून अन्वेषित खानों का उपयोग करके रोजगार सृजन लागत कम करने और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए विपणन प्रथाओं को मंे वृद्धि होगी। माननीय खान मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने दावा किया है कि परिवर्तित के लिए प्रेरित करेगा। इस विधये क का उद्ेदश्य आयात पर इस विधये क के पारित होने से लगभग 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निर्भरता कम करने के साथ-साथ भारत मंे एक प्रतिस्पर्धी ऊर्जा बाजार रोजगार पदै ा हो सकते ह।ंै बनाना ह।ै हालाकं ि, सरकार को यह सनु िश्चित करना होगा कि प्राकृतिक कोयला खनन क्षेत्र पर इसका प्रभाव सं साधनों का उपयोग इसके सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव वाणिज्यिक खनन की शुरूआत के बाद, यह विधये क कोयले की खुले को देखते हुए स्थायी रूप से किया जाए। 17

आइए हम पेरंेटिगं यानी बच्चों की परवरिश को एक आनदं मयी प्रक्रिया बनाएं के न्द्रीय विद्यालय और अन्य क्लिनिकल सटे -अप में एक परामर्शदाता के रूप मे,ं मझु े विभिन्न उम्र के बच्चों के साथ कार्य करने का अवसर सुभासिनी पात्रा प्राप्त हुआ। मरे े 10 वरष् से अधिक के परामर्श कार्यकाल के दौरान, विभिन्न प्रकार के मामलों का निपटान किया है जिसमें अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि बच्चों में व्यवहार सं बं धी विकार/समस्याएं माता- पिता के रवैये के कारण होती ह।ंै उपचारात्मक स्थितियों मं,े किशोर आयु वर्ग के बच्चे माता-पिता के अति सरु क्षात्मक व्यवहार का विरोध करते हंै तथा उनके लिए माता-पिता के नैतिक मलू ्य “पारिवारिक मलू ्य या नतै िक पेरंेटिंग या बच्चे का पालन-पोषण उसके बचपन से लेकर वयस्कता तक उसके शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और बौद्धिक विकास का मूल्य नहीं ह!ैं वे माता-पिता के मूल्य ह!ंै ” कु छ मामलों मंे वे शिकायत संवर्धन करने की प्रक्रिया का नाम ह।ै करते हैं “माता-पिता फोन चेकर ह!ंै माता-पिता जाससू ह!ैं ” कु छ अन्य बच्चे के परे ेंटिंग की प्रक्रिया विभिन्न माता-पिता में अलग-अलग होती है मामलों मंे, 11 वरष् से अधिक उम्र के बच्चों ने अपने माता-पिता के बारे मंे जिसमें पालन-पोषण का कौशल भी सं स्कृ ति, आय और सामाजिक वर्ग अपनी भावनाओं को “ट़ॉक्सिक परे ंेट! हले ीकाप्टर परे ंेट” बतलाया ह।ै ये के अनुसार भिन्न होता ह।ंै जब पेरेंटिंग की बात आती ह,ै तो हमें यह याद उपरोक्त कु छ बच्चों की भावनात्मक भावनाएँ और विचार हैं जो परामर्श रखना चाहिए कि कोई भी तरीका एक “सही तरीका” नहीं है। विभिन्न सत्रों में व्यक्त किए गए ह।ैं परिवारों तथा विभिन्न परिस्थितियों के लिए अलग-अलग तकनीक काम पेरंेटिंग कोई आसान काम नहीं ह।ै बच्चे हर चीज को शाब्दिक रूप से करती ह।ैं लेते हंै जिस तरह से हम उनसे बात करते ह।ंै किशोरावस्था में बच्चे माता- पेरंेटिंग का मतलब अपने बच्चों के साथ रहना, उनकी बात सनु ना तथा पिता को अस्वीकार और अनदेखा करते ह।ैं यह बहुत आम है कि वे बाल विकास के सिद्धांतों को समझना ह।ै डॉ. स्टेफ़नी, एक प्रख्यात अपने दोस्तों की कं पनी मंे अधिक सहज होते हं।ै किशोर उम्र के रवयै े शकै ्षिक मनोवजै ्ञानिक कहती ह.ैं .....एक प्यारे से पारिवारिक वातावरण मंे की समस्या में पीढ़ी का अतं र, माता-पिता की उच्च अपके ्षा और कै रियर बच्चों को सरु क्षित महससू कराने की आवश्यकता ह।ै सम्बन्धी निर्णय भी शामिल ह।ै डायना बॉम्रिंड, एक प्रसिद्ध डेवलेपमटें ल मनोवजै ्ञानिक ने प्रारंभिक बचपन मंे पेरेंटिंग को तीन प्रकारों में वर्गीकृ त किया: हमें अपने बच्चों से बात करने से ज्यादा उनकी बात सनु ने को महत्व देना चाहिए। माता-पिता के रूप मंे जब हम, सीमाओं को क) अधिकार-यकु ्त परे ेंटिंग शैली कहाँ रखना ह,ै कहाँ प्रोत्साहित करना है और कहाँ ख) सत्तावादी परे ेंटिंग हतोत्साहित करना ह,ै के सं तलु न को समझना शुरू ग) अनुमेय परे ंेटिंग करते ह,ंै तब हमारी पेरेंटिंग अधिक प्रभावी होती ह।ै जब अधिकार-यकु ्त पेरेंटिंग शैली यह पेरेंटिंग शैली बच्चे पर हम अपने बच्चे को नैतिक शिक्षा जसै े- ईमानदारी, धरै ्य, मध्यम स्तर की मागं ों का सं योजन करती ह।ै जिसमें माता- सहायता, अहिंसा आदि का अभ्यास करना सिखाते ह,ंै तो पिता बच्चे की भावनाओं और क्षमताओं के बारे में अधिक उनके भीतर व्यावहारिक ज्ञान देना आवश्यक ह।ै उन्हें यह जागरूक होते हंै तथा एक उचित सीमा के भीतर बच्चे की पता होना चाहिए कि सही और गलत सापके ्ष हैं और हमें स्वायत्तता के विकास के पक्षधर होते ह।ैं हर स्थिति में एडजस्ट करना होगा। सत्तावादी पेरेंटिंग जहां माता-पिता अत्यधिक कठोर एवं सख्त होते ह।ंै शोधकर्ताओं ने हाल के अध्ययनों मंे देखा कि माता-पिता इस शलै ी में पले-बढे़ बच्चे कम हंसमखु तथा अधिक मूडी होते ह।ै हमशे ा नके इरादों तथा बच्चे की भलाई के लिए सकारात्मक सोच के साथ कार्य करते ह।ंै डॉ. निकोल पैरी, मिनसे ोटा विश्वविद्यालय के अनुसार, अनुमेय परे ंेटिंग इस शलै ी मंे, बच्चे की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को “जो माता-पिता अत्यधिक नियंत्रण रखते ह,ंै वे अक्सर बहुत नके इरादे अत्यधिक महत्व दिया जाता ह।ै इस शैली में पले-बढे़ बच्चे आम तौर वाले होते हंै और अपने बच्चों के प्रति सहायक एवं हमेशा उनके पक्ष मंे पर खशु रहते हंै लेकिन कभी-कभी आत्म-नियंत्रण और आत्मनिर्भरता रहने का प्रयास करते ह”ंै । के निम्न स्तर को प्रदर्शित करते ह,ैं क्योंकि इन पर घर का अल्प नियंत्रण रहता ह।ै माता-पिता को एक सख्त पर्यवेक्षक के रुप मंे होना चाहिए जो अपने बच्चे को अच्छे कार्य के लिए प्रेरित करते रह।ें जब बच्चा गलती करे माता-पिता के बच्चों से बात-चीत करने के दृष्टिकोण तथा परे ेंटिंग पर तो उसे तार्किक रूप से समझाएं । 16 साल की उम्र के बाद हमंे मित्रवत शोध, माता-पिता के अति सुरक्षात्मक व्यवहार पर प्रकाश डालता ह।ै रहना होगा ताकि वे अपनी आतं रिक भावनाओं को दबाए बिना अपनी 18

भावनाओं को खुलकर साझा कर सकंे । कभी-कभी, हम अपने बच्चों • सिर्फ पूछो मत: उनकी भावनाओं को साझा करंे। को लाड़-प्यार करते हैं और उनकी गलतियों को छिपाते ह-ंै अनजाने • उन्हें अके ला छोड़ दो: जीवन के हर चरण में बच्चों को अपने स्थान की में हम उन्हें उनकी सुविधानुसार क्षेत्र प्रदान करते ह।ैं कभी-कभी हम आवश्यकता होती ह,ै उन्हें अपना होने दंे। अपने विचार उन पर थोप देते हंै और उन्हें कठोरता से नियंत्रित करने का प्रयास करते ह।ंै चीजों को थोपना उन्हें और खराब कर देगा। शांतिपूर्ण • नियम निर्धारित करें और अपने अनशु ासन के अनुरूप रह।ंे दृष्टिकोण, नियंत्रित करने और प्रतिक्रिया करने के बजाय जोड़ने और • वादे निभाएं : भरोसे के काबिल बने।ं प्रोत्साहित करने पर कंे द्रित ह।ै • बिना शर्त प्यार की बौछार करें: प्यार और गर्मजोशी हमारे बच्चे के माता-पिता को सहायक बनने तथा यह जताने की जरूरत है कि उनका विकास के लिए बनु ियादी तत्व है।ं बच्चा अद्वितीय ह।ै विभिन्न फू लों वाला बगीचा जब खिलता है तो सं ुदर • अपने बच्चे को कभी भी नकारात्मक बातंे न कह:ें यह बच्चे के हो जाता ह।ै इसी तरह, यदि हम माता-पिता के रूप में माली बनना सीखें आत्मसम्मान को मारता ह।ै उन्हें सकारात्मक टिप्पणी दंे। और अपने बच्चे के व्यक्तित्व को पहचान कर उसका पोषण करें, तो हमारा बगीचा सगु ंधित हो जाएगा। • एक दिनचर्या विकसित करंे: दिनचर्या हमारे बच्चे को भटकने से बचाने यहां कु छ प्रभावी व्यावहारिक पेरंेटिंग कौशल हैं जो विभिन्न मामलों मंे में मदद करती ह।ै फायदेमं द साबित होते ह।ंै • उनके साथ खेलें: अपने बच्चे के गमे पार्टनर बनें, यह आपके आपसी • कभी भी भाई-बहनों से तलु ना न करंे: इससे उनमें ईर्ष्या पदै ा होती है और भाई-बहनों के बीच अरुचि पैदा हो जाती ह।ै सं बं धों मंे किसी भी तरह के अंतर को मिटा देगा। • एक साथ उनकी पसं दीदा फिल्म देख:ंे इससे उन्हें लगेगा कि आप उनकी • अपने बच्चे के आत्मविश्वास को कभी न डिगाएं : “आप ऐसा नहीं कर सकत”े कहने के बजाय, बच्चे को प्रोत्साहित करें “चलो इसे एक साथ पसं द को साझा करते हंै जो एक-दूसरे के करीब लाता ह।ंै करंे”। • उन्हें उनकी पसं दीदा जगह घुमाएँ: हर बच्चे को घूमना पसं द होता ह,ै • अपने और अपने बच्चे के बीच संचार के माध्यम को कभी भी बाधित उन्हें छु ट्टी की योजना बनाने दंे। न करंे। • अपनी जरूरतों और सीमाओं को जान:ंे कभी भी अपने विचारों को थोपंे नही।ं • बच्चे को अपने स्वतंत्र जीवन कौशल को विकसित करने के लिए चीजों को स्वयं करने का प्रयास करने दंे। • एक भावनात्मक प्रशिक्षक बने:ं हम मंे से प्रत्ेयक के पास नकारात्मक भावनाएं और स्वार्थी आवगे होते ह,ैं लेकिन हमंे इन प्रतिक्रियाओं को नियंत्रण में रखने की आवश्यकता ह।ै हम सभी के लिए दो सबसे प्रभावी सझु ाव :  लैवंडे र का प्रयोग: सगु ंध हमारे मन को शातं रखती ह।ै  श्वेत रव का प्रयोग: छोटे बच्चों के लिए आरामदेह ध्वनि/सं गीत। डेनियल कहते हैं - “एक आदर्श माता-पिता बनने की कोशिश मत करो । ऐसी कोई बात नहीं है, बस एक अच्छे माता-पिता बनने की कोशिश करंे”। • उन्हें दिन-प्रतिदिन के काम मंे शामिल करंे: उन्हें अपने काम का हिस्सा माता-पिता का प्रभाव जीवन भर रहता है और बच्चे के सर्वगां ीण विकास बनने दें। किसी कार्य को परू ा करने में एक साथ काम करना एक अद्तुभ को प्रभावित करता है। इसलिए, अगली बार जब आपके बच्चे आस-पास एहसास ह।ै हों तो अपना व्यवहार देखें और उनके आदर्श बनने का प्रयास करें। • उनके प्रयास की सराहना करंे: इससे उनमें आत्मविश्वास भर जाएगा लेखक: श्रीमती सभु ासिनी पात्रा, एमए (मनोविज्ञान), एमए (इतिहास), और वे अच्छा काम करते रहंेगे। बी.एड. (विशषे एमआर), मवािर्गशदेषर्शनप्रशिऔक्रषक,परएामनर्सशीईमआें रअटतंी रर्राषज्िट्रीय. • वे जो खाना पसं द करते हैं उसे पकाएं : इसे एक साथ खाएं और उन्हें डिप्लोमा। आरसीआई रजि. बताएं कि उनकी पसं द का खाना कितना अच्छा ह।ै परामर्शदाता। सं पर्क नंबर: 9433800099 19

प्रतिवदे न (₹ करोड़ में) 31 मार्च 2021 को समाप्त वरष् के लिए लाभ एवं हानि का विवरण – समेकित 31.03.2021 को समाप्त 31.03.2020 को समाप्त क्र. सं. विवरण वर्ष के लिए वर्ष के लिए 1. संचालनों से राजस्व 82,710.32 89,373.34 a. बिक्री 7315.69 6707.00 b. अन्य संचालनगत राजस्व 90,026.01 96,080.34 सचं ालन से राजस्व (a+b) 3,792.38 6,444.96 93,818.39 1,02,525.30 2. अन्य आय 3. कु ल आय (1+2) 7,585.35 7,065.46 4. व्यय 282.34 60.80 (2,351.26) (a) खपत की गई सामग्री की लागत 38,697.72 (1,042.50) (b) स्टॉक-इन-ट्ेरड की खरीद 2,538.19 39,404.18 (c) तैयार माल/चालू कार्य एवं ट्ेरड भडं ार की सूची मंे परिवर्तन 449.31 2467.22 (d) कर्मचारी लाभ संबंधी व्यय 1,418.80 (e) पावर व्यय 16,023.08 587.84 (f) कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व सबं धं ी व्यय 644.69 1,410.93 (g) मरम्मत 3,708.92 13,911.55 (h) संविदात्मक व्यय 1,036.32 502.92 (i) वित्तीय लागत 3450.83 (j) मलू ्यह्रास/परिशोधन/हानि-व्यय 5.81 457.04 (k) प्रावधान 1450.37 (l) बट्ेट खाते मंे डालना 4,316.54 29.37 (m) स्ट्रीपिगं गतिविधि समायोजन 75,806.18 5541.87 (n) अन्य व्यय 18,012.21 4,605.30 कु ल व्यय (a to n) (2.97) 78,452.81 5 संयुक्त उद्यम / सहयोगी के लाभ / (हानि) के शेयर से पहले लाभ (III-IV) 18,009.24 24,072.49 6 सयं कु ्त उद्यम / सहयोगी के लाभ / (हानि) का शये र (1.17) 7 असाधारण वस्तुओं एवं कर पूर्व लाभ (5+6) - 24,071.32 8 असाधारण वस्तुओं 18,009.24 9 कर पूर्व लाभ(7 + 8) - 10 करव्यय 24,071.32 चालू कर आस्थगित कर 5,379.53 6,272.40 कु ल कर व्यय (10) (72.46) 1,098.58 11 सतत संचालन (9-10) से वर्ष/अवधि मंे लाभ 5,307.07 7,370.98 12 अन्य व्यापक आमदनी 12,702.17 16,700.34 ए. (i) ऐसे मद जो लाभ या हानि के लिए पनु र्वर्गीकृ त नहीं किए जायगंे े (769.73) (1,805.19) (ii) उन मदों से सबं ंधित आयकर जो कि लाभ या हानि के लिए पुनः वर्गीकृ त नहीं किये जायेंगे । 134.70 469.88 20

बी (i) ऐसे मद जो लाभ या हानि के लिए पनु र्वर्गीकृ त किए जायगंे े (0.48) 0.58 (ii) उन मदों से सबं ंधित आयकर जो कि लाभ या हानि के लिए पनु ः वर्गीकृ त किये जायेंगे । - - कु ल अन्य व्यापक आय (635.51) (1,334.73) 13 वर्ष / अवधि के लिए कु ल व्यापक आय (लाभ (हानि) एवं अन्य व्यापक आय शामिल) (11 + 12) 12,066.66 15,365.61 14 इनके कारण लाभ: 12,699.89 16,714.19 कं पनी का स्वामित्व 2.28 (13.85) अनियतं ्रित ब्याज 12,702.17 16,700.34 15 अन्य व्यापक आय के कारण: कं पनी का स्वामित्व (635.51) (1,334.73) अनियतं ्रित ब्याज - - 16 अन्य व्यापक आय के कारण: (635.51) (1,334.73) कं पनी का स्वामित्व अनियंत्रित ब्याज 12,064.38 15,379.46 2.28 (13.85) 17 प्रति शये र अर्जित आय (ईपीएस) (सचं ालन जारी रखने के लिए)(₹10 रूपये प्रति): (1) मलू (₹मंे) 20.61 27.12 (2) मंदित (डाईल्यूटेड) (₹ में) 20.61 27.12 18 प्रति शये र अर्जित आय (ईपीएस) (बंद एवं चालू सचं ालन के लिए) (₹10 प्रति): 20.61 27.12 (1) मलू (₹ म)ंे 20.61 27.12 (2) मंदित (डाईल्यूटेड) (₹ मे)ं 6162.73 61.62.73 30,354.63 25,994.19 19 चुकता इक्विटी शये र पूंजी (शेयर का अंकित मलू ्य₹10/- प्रत्येक): 20 अन्य इक्विटी सदं र्भ - https://www.coalindia.in/media/documents/results31032021.pdf सीआईएल और अनषु गं ी कं पनियों का उत्पादन एवं ऑफटेक प्रदर्शन (अनतं िम) अनषु ंगी सीआईएल का उत्पादन (आकं डे़ मिलियन टन मंे ) ऑफटेक (आंकड़े मिलियन टन म)ें कं पनी विगत वर्ष इसी अवधि के इस साल विगत वर्ष इसी अवधि के % वृद्धि इस साल लिए वास्तविक % वदृ ्धि ईसीएल वास्तविक लिए वास्तविक वास्तविक 49.3 बीसीसीएल 28.8 - 14.7 सीसीएल 45.0 50.4 -10.7 42.0 67.3 - 19.4 एनसीएल 23.2 107.4 - 3.0 डब्ल्यूसीएल 24.7 27.7 -11.1 65.3 52.6 एसईसीएल 108.7 141.9 1.2 एमसीएल 62.6 66.9 -6.4 49.7 133.6 - 5.5 एनईसी 138.8 0.6 - 2.2 115.0 108.1 6.5 146.0 9.4 सीआईएल 0.1 581.4 50.3 57.6 -12.8 - 1.3 573.8 150.6 150.5 0.04 148.0 140.4 5.5 0.0 0.5 596.2 602.1 -1.0 21

सटें ्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड : प्रगति-पथ पर निरंतर अग्रसर ‘झारखं ड का आभषू ण–सीसीएल’ झारखंड राज्य के 8 जिलों मंे उक्त वित्तीय वरष् मंे कच्चे कोयले का सकल प्रेषण 65.40 मि.टन रहा परिचालित कोल इंडिया लिमिटेड की एक मिनीरत्न सहायक कं पनी ह।ै जिसमे सर्वाधिक प्रेषण रेल के माध्यम से किया गया ह।ै रेल द्वारा प्रेषण में सीसीएल की स्थापना 1 नवम्बर, 1975 को कोल इंडिया लिमिटेड की विगत वि. वरष् के सापेक्ष 34.98% की वृद्धि दर्ज की गयी। वरष् 2020- एक सहायक कं पनी के रूप मंे हुई। कं पनी का मुख्यालय झारखंड की 21 के दौरान ऊर्जा सहित स्टील, उरव्रक व अन्य क्षेत्रों मंे कोयले का राजधानी रांची में स्थित ह।ै प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए सीसीएल को क्षेत्रवार प्रेषण निम्न चार्ट में दर्शाया गया है : 13 उत्पादन क्षेत्रों मंे बाटं ा गया ह।ै 13 उत्पादन-क्षेत्रों के अतिरिक्त सीसीएल मंे दक्ष श्रमशक्ति यकु ्त आईएसओ 9001 प्रमाणित एक के न्द्रीय कर्मशाला है तथा 5 क्षेत्रीय कर्मशालाएँ हंै जिनमंे से 3 क्षेत्रीय कर्मशालाएँ आईएसओ अभिप्रमाणित हंै तथा एक खान बचाव कें द्र ह।ै अद्यतन कु ल 43 खदानों (38 खलु ी खदान एवं 5 भूमिगत खदान) से कोयले का अनवरत उत्पादन किया जा रहा ह।ै राष्ट्रीयकरण पश्चात कोयला खनन में प्रौद्योगिकी एवं अत्याधनु िक तकनीकयकु ्त मशीनों का उपयोग किया जाने लगा। नवीन प्रौद्योगिकी एवं अत्याधनु िक तकनीक के अंगीकरण से उत्पाद, उत्पादन, उत्पादन- क्षमता, उत्पादकता व कार्यक्षमता में निरंतर बढ़ोतरी हुई ह।ै अत्याधनु िक तकनीक के अनपु ्रयोग से विभिन्न मानको,ं घटकोंएवं उत्पादन मंे घनात्मक वृद्धि हुई ह।ै वर्ष 2020 के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण सं परू ्ण विश्व मंे वस्तुतः अनिश्चय की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी जिसका अतं वर्तमान मंे भी स्पष्ट दीख नहीं रहा ह।ै कोरोना वायरस जनित महामारी के कारण (सीसीएल द्वारा कोयले का क्षेत्रवार प्रेषण) हुए सं परू ्ण लॉकडाउन मंे सभं सी ारधाषन्टर्ोकं कीाऊकरु श्जालआउपवयश्ोयगककतारओते हं ुकएीकपोरूव्तििडक-े साथ-साथ अपने सीमित कोयला प्रक्षेत्र में कोयला परिष्करण इकाइयों की महत्वपरू ्ण भमू िका 19 के विरुद्ध लड़ाई मंे सीसीएल अनवरत खड़ा रहा ह।ै लॉकडाउन के ह।ै अद्यतन, सीसीएल द्वारा 5 वाशरियों (4 गरै -कोकिं ग कोयला एवं दौरान आसन्न विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए भी सीसीएल द्वारा 1 कोकिं ग कोयला वाशरी) का संचालन किया जा रहा ह।ै साथ ही, दो वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 62.589 मि.टन (सकल) कोयले का अन्य वाशरियों यथा बसं तपरु -तापिन (4 मि.टन/वर)्ष एवं न्यू कथारा (3 उत्पादन किया गया। विगत 6 वर्षों मंे सीसीएल का कोयला उत्पादन मि.टन/वर)ष् को पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हुई ह।ै वित्तीय वरष् 2020- (मिलियन टन मे)ं निम्न ग्राफ मंे देखा जा सकता है : 21 के दौरान सीसीएल के सकल लाभ में कोयला वाशरियों का योगदान 348.69 करोड़ रहा ह।ै वर्ष 2020-21 के दौरान कं पनी का सकल विक्रय रु 15900.51 करोड़ एवं ग्राहकों से प्राप्त अग्रिम राशि सहित विक्रय-प्राप्ति रु 17017.41 करोड़ रही। कोविड-19 महामारी से जझू ने के पश्चात भी 31 मार्च, 2021 को कं पनी की निवल सं पत्ति रु. 7548.53 करोड़ थी जो कि विगत वरष् की तलु ना मंे 18.10% अधिक ह।ै विगत 6 वर्षों मंे सीसीएल का कोयला उत्पादन (मिलियन टन में) सीसीएल मंे कोयला उत्पादन के साथ-साथ सुरक्षा को विशेष महत्व दिया जाता ह।ै सीसीएल के समस्त क्षेत्रों में साइट विशिष्ट जोखिम मूल्यांकन आधारित सुरक्षा सम्बद्ध मानक संचालन प्रक्रिया परिचालित की गयी ह।ै मानक संचालन प्रक्रिया की आवधिक समीक्षा की जाती है जिसके फलस्वरूप सीसीएल में सुरक्षा सं बं धी समस्त मानदंडों का सादृश अनुपालन किया जा रहा ह।ै कं पनी की खदानों मंे सरु क्षा सं बद्ध गतिविधियों की जवाबदेही आतं रिक सुरक्षा सं गठन की ह।ै समस्त खुली 22

खदानों एवं भमू िगत खानों के लिए डीजीएमएस अधिकारियो,ं खनन से हृदय-रोग सुपर स्पेशलिटी क्लिनिक संचालित किया जाता है जिसमंे जड़ु े अधिकारियो/ं कार्मिको,ं आईएसओ से सिमटार्स प्रशिक्षित विशषे ज्ञों देश के ख्याति प्राप्त हृदय रोग विशेषज्ञ अपनी सवे ाएँ दे रहे ह।ैं कोरोना के प्रयासों से खदान की प्रत्येक गतिविधि और उससे जडु े़ खतरों को महामारी के दौरान सीसीएल द्वारा 290 बिस्तर की क्षमता यकु ्त 6 कोविड दृष्टिगत करते हुए सुरक्षा प्रबं धन योजना (एसएमपी) तैयार की गई ह।ै कंे द्र स्थापित किए गए जिनमें से 165 बिस्तर ऑक्सीजन-सहायता यकु ्त साथ ही, सरु क्षा के प्रति कार्मिकों को जागरूक करने एवं ‘शून्य-क्षति ह।ंै सीसीएल मंे नौ (9) स्थानों पर ‘कोविड टीकाकरण कंे द्र’चलाये जा के लक्ष्य’ की प्राप्ति के उद्ेदश्य से सरु क्षा विभाग,सीसीएल द्वारा सुरक्षा रहे हैं जिनमंे मई 2021 तक 20000 से अधिक टीके लगाए जा चुके ह।ंै गतिविधियों से सबंधित वीडियो-क्लिप बनाकर परिचालित एवं प्रदर्शित किया जाता ह।ै आपातकालीन तयै ारियों का आकलन करने हते ु भमू िगत कमान क्षेत्र अंतर्गत निवासियों की आरोग्यता को सनु िश्चित करने हते ु वित्त एवं खुली खदानों में नियमित मॉक-ड्रिल किए जाते ह।ंै खलु ी एवं भमू िगत वर्ष 2020-21 के दौरान सीसीएल के विभिन्न क्षेत्रोंमंे 219 स्वास्थ्य जांच, खदानों मंे कार्मिकों की सुरक्षा एवं जान-माल की हानि से बचने के लिए नेत्र जांच शिविर, मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा, शिविर डिस्पेन्सरी आदि उन्नत सरु क्षात्मक उपस्करों व संचार सवु िधाओं का प्रयोग किया जा रहा लगाए गए। कार्मिकों के स्वास्थ्य को कंे द्र में रखकर कंे द्रीय अस्पतालों ह।ै सीसीएल के वृहत परिचालन क्षेत्र को देखते हुए कंे द्रीयकृ त पर्यवेक्षण तथा क्षेत्रीय अस्पतालों मंे उत्कृ ष्ट स्वास्थ्य सवे ा प्रदान करने के उद्देश्य से 7 हते ु एक कंे द्रीयकृ त सरु क्षा सूचना प्रणाली बनाई गयी है जिसमें समस्त उन्नत जीवन रक्षक एम्लुब ंेस प्रदान किए गए ह।ैं प्रतिवेदन, आकं ड़े व डाटा खान प्रबं धक द्वारा अपलोड किया जाता है जिसकी समीक्षा कं पनी के आईएसओ अधिकारियों द्वारा की जाती ह।ै सरु क्षा सं बद्ध उत्कृ ष्ट प्रदर्शन एवं संवहनीय प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए सीसीएल को वरष् 2020-21 का कोल मिनिस्टर अवार्ड-2020 प्राप्त हुआ ह।ै (श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, कोल इंडिया द्वारा जीवन रक्षक एम्लबु ंेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया) (माननीय कोयला मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी के कर कमलों से श्री पी.एम. (बोकारो एवं करगली क्षेत्र में आयोजित मोतियाबिंद शिविर ) प्रसाद, अ.प्र.नि.,सीसीएल कोल मिनिस्टर अवार्ड-2020 ग्रहण करते हुए) संवहनीय कोयला उत्पादन मंे कल्याण की भावना समाहित कर सटें लर् कोलफील्ड्स लिमिटेड ने सदैव सारवभ् ौम विकास को लक्ष्य किया ह।ै “ग़रीबो,ं ग्रमीणों और श्रमिकों का सर्वगां ीण विकास” को कंे द्र में रखकर स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, शिक्षा, पये जल एवं स्वच्छता आदि विषयों पर बहुआयामी कल्याणकारी पहल किए गए ह।ंै सीसीएल में आरोग्य एवं चिकित्सीय सवु िधाओं की त्रिस्तरीय अवसं रचना उपलब्ध ह।ै सीसीएल के समस्त के न्द्रीय, रीज़नल एवं क्षेत्रीय अस्पताल अहर्निश अपनी सवे ाएँ दे रहे हंै। साथ ही, के न्द्रीय अस्पताल, गाधं ीनगर, रांची में प्रत्येक महीने 23

शिक्षा एवं शिक्षण के क्षेत्र मंे भी सीसीएल गुणवत्तापरू ्ण शैक्षणिक सीसीएल की एक महत्वाकांक्षी योजना ‘सीसीएल के लाल/लाड़ली सुविधाएं उपलब्ध करा रहा ह।ै सीसीएल के विभिन्न कमान क्षेत्रों में 14 योजना’ के अंतर्गत सम्पूर्ण झारखंड राज्य विशेषकर सीसीएल कमान डीएवी विद्यालय एवं 1 के न्द्रीय विद्यालय सहित कु ल 69 विद्यालयों का क्षेत्र अतं र्गत हाशिये पर जीवन यापन कर रहे समुदाय के मेधावी छात्र/ वित्तपोषण सीसीएल द्वारा किया जा रहा ह।ै मधे ावी छात्र/छात्राओं को छात्राओं को राष्टर् के प्रतिष्ठित आभियांत्रिकी महाविद्यालयों मंे प्रवेश हते ु प्रोत्साहित करने हते ु विभिन्न योजनाओं के अतं र्गत छात्रवृत्ति एवं वित्तीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए चयनित किया जाता ह।ै इस योजना के सहायता दी जा रही ह।ै अतं र्गत छात्र/छात्राओं को नि: शुल्क विद्यालयी शिक्षा, कोचिगं सहित सीसीएल के लाल/लाड़ली छात्रावास में भोजन एवं आवासीय सवु िधा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए लोक उद्यम विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिक प्रदान की जाती ह।ै कोरोना महामारी जनित लॉकडाउन मंे भी वर्तमान थीम “स्वास्थ्य और पोषण” के अनुरूप स्वास्थ्य, खेल, स्वच्छता, पेयजल, छात्र/छात्राओं को ऑनलाइन माध्यम से निर्बाध कोचिगं प्रदान की जा सामदु ायिक विकास, ग्रामीण विकास, आजीविका उपार्जन एवं शिक्षा के रही ह।ै इस योजना के अंतर्गत, 2012-14 के प्रथम बचै अब तक 100 क्षेत्र मंे विभिन्न आय-ु वर्गों के लिए लाभकारी योजनाएं लागू की गईं ह।ैं से अधिक विद्यार्थीगण जेईई-मनै ्स व जईे ई-एडवासं एवं अन्य प्रतिष्ठित खले के क्षेत्र को बढ़ावा देने व राष्ट्रीय एवं अतं र्राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड की आभियांत्रिकी महाविद्यालयों की प्रवशे -परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके है।ं पहचान स्थापित करने के लिए सीसीएल सीएसआर निधि एवं झारखंड राज्य सरकार की सं यकु ्त पहल से झारखंड स्टेट स्पोरट् ्स प्रमोशन सोसाइटी (जएे सएसपीएस) का गठन किया गया था। वर्तमान मंे, 8-12 वरष् आयु वर्ग के लगभग 437 खेल कै डेट (231 लड़के और 206 लड़किया)ं 10 खेल विषयों यानी एथलेटिक्स, कु श्ती, तीरंदाजी, फु टबॉल, ताइक्वांडो, बॉक्सिंग, निशानबे ाजी, भारोत्तोलन, साइकिलिंग और तरै ाकी मंे खेल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ह।ंै इस खले अकादमी में जएे सएसपीएस के कै डेट खेल के साथ-साथ विधिवत शिक्षा भी प्राप्त कर रहे ह।ैं कोरोना महामारी की लॉकडाउन अवधि के दौरान कै डेटों के निर्बाध प्रशिक्षण हते ु घर से ही प्रशिक्षण हते ु टैब प्रदान किया गया ह।ै जएे सएसपीएस के कै डेट दीपक टोप्पो ने 36वींराष्ट्रीय जनू ियर एथले ेटिक्स चैंपियनशिप में 14 वर्ष के कम आयवु र्ग मंे 60 मी. की दौड़ मंे कीर्तिमान स्थापित किया। (सीसीएल के लाल एवं सीसीएल की लाड़ली के विद्यार्थी) खेल अकादमी के कै डेटोंकी लगन, कड़ी महे नत एवं अनशु ासित प्रशिक्षण सीसीएल द्वारा निर्धन तथा वंचित वर्गीय बच्चोंके लिए “कायाकल्प पब्लिक का यह परिणाम है कि खले अकादमी प्करते ियकोै गडिेटतोां ओने ंवमिभंे 3ि1न्न6रसाष््वट्ररीय्ण,, स्कू ल” प्रारम्भ किया गया ह।ै इन बच्चों के निर्धन अभिभावक भिक्षण, अंतर्राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर आयोजित कचरा बीनने जसै े छोटे-मोटे काम करते ह।ैं छात्रों की वर्तमान सं ख्या 55 198 रजत एवं 188 कासं ्य पदक (कु ल 702 पदक) प्राप्त किए ह।ंै ह।ै इन छात्रों को परिवहन, अध्ययन सामग्री, पोशाक, पसु ्तक से लके र सीसीएल सीएसआर के तहत कार्यान्वित खले अकादमी को अनुसचू ित पौष्टिक अल्पाहार एवं मध्याह्न भोजन की नि:शलु ्क सवु िधा दी जाती ह।ै जनजाति बच्चों के कल्याण हते ु राष्ट्रीय अनसु ूचित जनजाति आयोग द्वारा छात्रों को योग, शिष्टाचार, अंग्रेजी एवं हिंदी मंे पढ़न-े लिखने के साथ-साथ सम्मानित किया गया। सीएसआर अन्य विषयोंकी शिक्षा दी जाती है ताकि वे भारत के आत्मनिर्भर, सत्यनिष्ठ टाइम्स अवारड् ्स 2019 मंे खेल एवं जिम्देम ार नागरिक बन कर राष््रट के निर्माण में सहयोग करंे। प्रोत्साहन पहल के लिए सीसीएल, यदि सही दिशा मंे उपयकु ्त एवं प्रभावी कदम उठाए जाएं तो मनषु ्य के रांची को खेल अकादमी हते ु सर्वश्रेष्ठ भीतर छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकाल कर राष्टर् निर्माण मंे उसका सारवज् निक उपक्रम से सम्मानित अभीष्ट उपयोग किया जा सकता ह।ै सीसीएल और झारखंड स्किल किया गया ह।ै झारखंड ओलम्पिक डेवलपमेटं मिशन सोसाइटी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एसोसिएशन द्वारा खले अकादमी को किया गया था। जिसके अंतर्गत जोन्हा में एक कौशल विकास कंे द्र की खेल प्रोत्साहन हते ु सर्वश्रेष्ठ संस्थान से स्थापना की गयी ह।ै भारत सरकार की योजना-आकांक्षी जिलों का सधु ार सम्मानित किया है । कार्यक्रम (टीएडीपी) के अंतर्गत सीसीएल परिचालन क्षेत्र अधीन 8 जिले 24

आते ह।ंै उक्त सभी आठ आकांक्षी जिलों में सीसीएल जिला प्रशासन के रही है परंतु ज्ञान की गंगा के अविरल प्रवाह को सनु िश्चित करने हते ु सहयोग से विकासात्मक गतिविधियां क्रियान्वित कर रहा ह।ै इस क्रम में मानव सं साधन विकास विभाग द्वारा प्रशिक्षण सं बं धी विभिन्न कार्यक्रम आगं नवाड़ी के न्द्रों के उन्नयन हते ु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया ऑनलाइन एवं शासकीय दिशा निर्ेदशों एवं सरु क्षा उपायों का अनुपालन गया ह।ै करते हुए आयोजित किए गए जिसमें कु ल 556 कार्मिकों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, मा.सं .वि. विभाग, सीसीएल के तत्वावधान में अतं ःकार्य प्रशिक्षण के साथ विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि के न्द्रीय उत्खनन प्रशिक्षण संस्थान (सीईटीआई), भुरकंु डा तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान (बीटीटीआई) तथा प्रबं धन प्रशिक्षण कें द्र, मा.सं .वि., सीसीएल में आयोजित किए जाते ह।ैं वित्तीय वर्ष के दौरान बीटीटीआई, भरु कंु डा मंे 38 छात्र औ.प्र.सं .(विद्युत) का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ह,ैं साथ ही 30 अजा/अ.ज.जा एवं परियोजना प्रभावित कु टंुब से सं बंधित छात्रों को सीएसआर के तहत माइनिंग सरदार का प्रशिक्षण दिया जा रहा ह।ै वित्त वरष् 2020-21 में बीटीटीआई, भुरकंु डा मंे अन्य 411 प्रतिभागियों (हजारीबाग जिले मंे उन्नत आधनु िक आगं नबाड़ी कें द्र) को, के न्द्रीय उत्खनन प्रशिक्षण संस्थान मंे 544 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण (मगध-आम्रपाली क्षेत्र मंे सिलाई प्रशिक्षण कें द्र) दिया गया। वित्तीय वरष् के दौरान कु ल 7805 कार्मिको,ं ठेका श्रमिको,ं कमान क्षेत्र अतं र्गत यवु ा, शिक्षुओ/ं परि.प्रभा.कु . को प्रशिक्षित किया गया ह।ै परियोजना प्रभावित कु टंुब ‘स्वच्छ विद्यालय अभियान’ के अंतर्गत झारखंड, ओड़ीसा एवं उत्तर एवं महिलाओं के कौशल प्रदेश के विद्यालयों मंे शौचालयों का निर्माण एवं नवीनीकरण किया गया विकास हते ु सीसीएल द्वारा ह।ै साथ ही, झारखंड के 200 रेल स्टेशनों पर पूरव् निर्मित शौचालयों की विभिन्न कौशल विकास स्थापना के लिए सीसीएल एवं राइटस् एवं उ.प.ू रे.के मध्य समझौता ज्ञापन कार्यक्रम चलाये जा रहे ह।ैं पर हस्ताक्षर किया गया ह।ै अपनी नियमित कल्याणकारी योजनाओं के परियोजना प्रभावित कु टंुब तहत सीसीएल द्वारा सामदु ायिक शौचालयों के निर्माण के साथ नालियों के कौशल संवर्धन हते ु संेटलर् का निर्माण/मरम्मत करवायी गयी ह।ै ‘स्वच्छता ही सेवा’ महु िम के अंतर्गत ऑटो चालको,ं ग्रामीणों के मध्य स्वच्छता किट आदि का वितरण इंस्टीट्टयू ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET)के किया गया। ‘स्वच्छता माह’ के दौरान मुख्यालय एवं समस्त क्षेत्रों विभिन्न माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा ह।ै महिलाओं को आर्थिक प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। स्वच्छता माह के दौरान कोल इंडिया मोर्चे पर मजबतू एवं स्वावलंबी बनाने के उद्ेदश्य से सिलाई का प्रशिक्षण की समस्त सहायक कं पनियों के मध्य स्वच्छता सं बं धी उल्लेखनीय दिया जा रहा ह।ै साथ ही, सीसीएल कमान क्षेत्र अंतर्गत पंचायतों मंे गतिविधियों के लिए भारत सरकार द्वारा सेन््टरल कोलफील्ड्स लिमिटेड के 1307 सिलाई मशीन का वितरण भी किया गया ह।ै सीसीएल के विभिन्न रजरप्पा क्षेत्र को ‘प्रथम परु स्कार’से सम्मानित किया गया। क्षेत्रों द्वारा कई अल्पावधि आजीविका उन्मुखी कार्यक्रम जसै े कम्प्टयू र प्रशिक्षण,मरम्मती प्रशिक्षण,ब्टयू ीशियन कोर्स आदि भी चलाये जा रहे ह।ैं अप्रत्याशित कोरोना महामारी के दौरान सीसीएल द्वारा विभिन्न सीसीएल मंे कार्मिकों के कौशल विकास हते ु मानव सं साधन विकास कोविड राहत अभियान चलाये विभाग, सीसीएल द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे ह।ंै गए। सीसीएल कमान क्षेत्र सीसीएल म,ें कार्मिकों के अधिगम एवं विकास हते ु राजभाषा कार्यशाला, अंतर्गत गावों मंे दैनिक मजदूरी कम्प्टयू र प्रशिक्षण, कौशल संवर्धन सेमिनार जैसे विभिन्न आतं रिक करने वाले एवं अभावग्रस्त लोगों प्रशिक्षण एवं कौशल संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कार्मिकों को राहत पहुंचाने के उद्ेदश्य से को बाह्य प्रशिक्षण हेतु प्रख्यात प्रतिष्ठानों मंे भी नामित किया जाता 30,000 से अधिक परिवारों के ह।ै प्रबं धकीय दक्षता तथा नेतृत्व क्षमता के उन्नयन हते ु अधिकारीगण मध्य अनाज, दलहन का वितरण किया गया। लॉकडाउन के कारण घर भारतीय कोयला प्रबं ध संस्थान (आईआईसीएम), सीआईएल, राँची वापसी कर रहे श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे प्रवासी श्रमिकों द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते ह।ै कोविड-19 महामारी के कारण, ऑफलाइन कार्यक्रमों मंे कार्मिकों की सीमित भागीदारी 25

के मध्य 14,000 से अधिक भोजन के पैके ट वितरित किए गए। साथ ही कोयला जनित ऊर्जा के अतिरिक्त सीसीएल मंे पर्यावरण एवं पारिस्थिकी 2 सामुदायिक रसोई के माध्यम से 8,700 लोगो को भोजन दिया गया। की संवहनीयता को बनाए रखने के लिए सौर-ऊर्जा के उपयोग के राज्य आपदा प्रबं धन प्राधिकरण, झारखंड के साथ-साथ 8 परिचालन साथ-साथ प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभिन्न गतिविधियां क्रियान्वित क्षेत्र के जिला प्रशासन को वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। की जा रहीं ह।ै संटे ल्र कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) एकीकृ त परियोजना नियोजन, प्रदूषण का शमन, प्राकृतिक सं साधनों का सं रक्षण, पारिस्थितिकी की बहाली, कचरे का उचित निपटान, जलवायु परिवर्तन को सं बोधित करने और समावशे ी विकास के माध्यम से पर्यावरण सं रक्षण द्वारा सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध ह।ै सीसीएल मुख्यालय सहित विभिन्न क्षेत्रों में सौर-ऊर्जा सं यंत्र स्थापित किए गए ह।ंै अद्यतन सीसीएल में स्थापित सौर-ऊर्जा सं यंत्रों की सकल क्षमता 872.5 किलोवाट तक ह।ै स्थापित सौर-सं यंत्रो से अद्यतन 13,62,341 किलो वाट घं टे की हरित ऊर्जा का उत्पादन किया जा चुका ह।ै इसके अतिरिक्त,मगध-आम्रपाली क्षेत्र द्वारा सदु ूरवर्ती 5 गावों मंे 1500 सोलर-किट वितरित की गयी ह।ै खानो/ं इकाइयों की पर्यावरणीय गणु वत्ता का आकलन करने के लिए सीसीएल की सभी खानो/ं इकाइयों की पर्यावरणीय गणु वत्ता की निगरानी (प्रवासी मजदूरों के मध्य भोजन का वितरण) तथा खनन क्षेत्र मंे वायु गणु वत्ता का प्रबं धन भी किया जाता ह।ै रेलवे (के न्द्रीय कर्मशाला द्वारा खाद्य सामग्री का वितरण) (सामदु ायिक रसोई ) साइडिगं में धलू जनित वायवीय प्रदूषण को रोकने के लिए धलू -स्क्रीन महात्मा गाधं ी के 150वीं जयं ती के आलोक में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के का उपयोग किया जा रहा ह।ै सीसीएल द्वारा रेलवे साइडिगं के वायु की अंतर्गत स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए मुख्यालय सहित समस्त क्षेत्रों गणु वत्ता के सतत् निगरानी हते ु 25 पीएम 10 मशीन भी लगाई जा रही ह।ै में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। कमान क्षेत्रों मंे वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, जटू बगै का वितरण, फे स शील्ड, मास्क, सनै िटाइजर, स्वच्छता किट का वितरण, पेपर स्ट्रॉ, ऑनलाइन निबं ध प्रतियोगिता, भित्तिचित्र पंेटिंग, पोस्टर, बनै र आदि का प्रदर्शन जसै ी गतिविधियां शुरू की गईं। सीसीएल से सवे ानिवृत्त सदस्य कार्मिकों की सुविधा के लिए ‘सेवानिवृत उपरातं अंशदायी चिकित्सा योजना (सीपीआरएमएस)’ ‘हले ्प डेस्क’ की सवु िधा प्रारंभ की गयी ह।ै साथ ही, सवे ारत व सेवानिवृत कार्मिकों (रेलवे साईडिगं में स्थापित पीएम 10 मशीन) की शिकायतों के निवारण हते ु समाधान सले की स्थापना की गयी ह।ै वरष् 2020-21 में समाधान की उपलब्धि प्रतिशतता 91.16% रही ह।ै प्राकृतिक सं साधनों के सं रक्षण को प्राथमिकता देते हुए सीसीएल द्वारा स्थापना पश्चात समाधान सले ,सीसीएल को 3231 शिकायतंे प्राप्त हुई हैं खनित खदानों का वनीकरण किया जा रहा ह।ै इसके अतं र्गत खनित जिनमें से 2968 मामलों का निवारण किया गया ह।ै क्षेत्र का भमू ि-उद्धार, वृक्षवीथी एवं ब्लॉक वृक्षारोपण शामिल ह।ै 2020 के मानसनू के दौरान सीसीएल द्वारा 58.14 हेक्टेयर भूमि में लगभग 58,850 पौधे लगाए ह।ंै सीसीएल के प्रत्ेयक कमांड क्षेत्र में एक ईको पार्क विकसित किया जा रहा है जिसमंे विभिन्न जैव विविधता, मृदा सं रक्षण एवं पर्यावरण सं बं धी अन्य गतिविधियों को आधनु िक तकनीक के माध्यम से विस्तारित किया जायेगा। पिपरवार ओसीपी मंे 1.0 हके ्टेयर पुनरुद्धारित भूमि पर एक इको-पार्क बनाया गया ह।ै चन्द्रशखे र वाटिका इको पार्क का विस्तार 20 हके ्टेयर की पनु रुद्धारित भमू ि पर किए जाने का प्रस्ताव 26

ह।ै वृक्षारोपण अभियान-2020 के सअु वसर पर इसकी आधारशिला खदानों के निकटवर्ती गांवों मंे 25250 मिलियन गैलन खदान जल रखी गयी ह।ै इस अवसर पर अनमु ानित के उपयोग हते ु सीआईएल और झारखण्ड राज्य सरकार के मध्य 1,00,000 पौधे ग्रामीणों एवं सीसीएल 30.10.2017 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। वित्तीय कार्मिकों के मध्य बाटं े गए। वनीकरण वर्ष 2020-21 म,ंे पये जल और स्वच्छता विभाग, झारखंड सरकार को के माध्यम से पर्यावरण संवर्धन एवं ग्रामीण जलापरू्ति योजना के कार्यान्वयन हते ु रामगढ़, हजारीबाग और पारिस्थिकी को सं तलु ित रखने के लिए पलामू जिलों मंे तीन अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किए गए। इससे 40 सीसीएल द्वारा 36.40 हके ्टयर भूमि पर गांवों के 90,728 ग्रामीण लाभान्वित होगं ।े परियोजनाओं में भूजल 44.1 लाख सीड-बॉल द्वारा वनीकरण पुनर्भरण हते ु वर्षा जल संचयन को प्रश्रय दिया जा रहा ह।ै पारिस्थितिकी किया गया ह।ै बहाली हते ु दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफे सर सी.आर. बाबू के मार्गदर्शन (वनीकरण हते ु सीड बॉल) में सीसीएल के सं गम ओसीपी, बरका सयाल क्षेत्र अतं र्गत लगभग 8 हेक्टेयर उत्खनित भूमि का पुनरुद्धार घास के मैदान के रूप में किया गया ‘जल ही जीवन है’- सं यकु ्त राष््टर की 17 लक्ष्योंकी सचू ी में शदु ्ध पये जल एवं है जिसमंे 20 विभिन्न प्रजातियों की घास लगाई गई ह।ै इसके अतिरिक्त स्वच्छता सुनिश्चित करना सम्मिलित है। कमान क्षेत्र अतं र्गत निवासियोंको बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची एवं सीपीएमडीआईएल के सं यकु ्त शुद्ध जल की आपूर्ति के लिए सहयोग से सीसीएल के बरका-सयाल क्षेत्र में जल सं पृक्त निकटवर्ती आवश्यकता व व्यवहार्यता उत्खनित खानों मंे वकै ल्पिक आविजिका कार्यक्रम के अतं र्गत मत्स्य- अनरु ूप खदानों के निकटवर्ती पालन की परियोजना प्रारंभ की गयी ह।ै यह प्रयास खदानों की संवहनीय गाँवों में पाइपलाइन के खान बं दीकरण एवं स्थानीय ग्रामीणों के आजीविका उपार्जन, खान ईको माध्यम से जलापरू्ति हते ु पर्यटन एवं पारिस्थितिकी बहाली का एक अनपु म उदाहरण है। गाँव चिह्नित किए गए ह।ंै साथ ही अन्य पारंपरिक जल कोयला धरती के गर्भ से निकाला जाता ह,ै अतः कं पनी का समाज की स्रोतों का विकास किया जा उन्नति व प्रगति के साथ-साथ पर्यावरण सं रक्षण के प्रति जो उत्तरदायित्व रहा ह।ै इसके लिए ग्रामीणों है उसके लिए सीसीएल सदैव कृ त प्रतिज्ञ ह।ै सीसीएल का यह दृढ़ विश्वास की आवश्यकता अनुसार है कि भविष्य मंे भी कं पनी अपने दाय, उत्तरदेयता एवं वृहत्तर समाज के सीसीएल के कमान क्षेत्रों में सशक्तिकरण हते ु परू ्ण विश्वास के साथ कार्य करती रहगे ी ताकि सशक्त कू प, डीप बोरेवेल, नलकू प एवं समृद्ध भारत के निर्माण मंे सीसीएल अपना स्मरणीय योगदान दे सके । सहित ट्बूय वेल का निर्माण किया जा रहा ह।ै (सौर-ऊर्जा चालित भंडारण सवु िधा सहित बोरेवेल) विनय रंजन ने कोल इंडिया निदेशक (का. एवं औ.सं .) का पदभार ग्रहण किया 28 जलु ाई को विनय रंजन ने कोल इंडिया निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक सं बं ध) का पदभार ग्रहण किया। श्री रंजन इसके परू ्व कोल इंडिया लिमिटेड की अनषु ंगी कं पनी ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में निदेशक (कार्मिक) के पद पर पदस्थ थ।े उन्होंने सटें ल्र कोलफील्ड्स लिमिटेड के निदेशक (कार्मिक) का भी अतिरिक्त प्रभार सं भाला था। कोल इंडिया के नए निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक सं बं ध) मंे भौतिक शास्त्र में ऑनर्स किया है तथा कार्मिक प्रबं धन एवं औद्योगिक सं बं ध मंे पीजी डिप्लोमा किया ह।ै अगस्त 2018 मंे श्री रंजन ने ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड मंे बतौर निदेशक (कार्मिक) पद पर नियकु ्त होकर कोयला उद्योग मंे अपनी सवे ाएं आरंभ की । कोयला उद्योग मंे आने से पूर्व श्री रंजन ने नवरत्न पीएसयू विदेश संचार निगम लिमिटेड, डीबी पॉवर लिमिटेड मंे भी अपनी सवे ाएं दी हंै ।श्री रंजन का मानव सं साधन के क्षेत्र मंे 24 वर्षों से अधिक का अनभु व है । श्री रंजन को उनके हित धारक (स्टेकहोल्डर) प्रबं धन कौशल में उत्ृक ष्टता के लिए भी जाना जाता ह।ै 27

बगं ाल की अहिल्या बाई – लोकमाता रानी रासमणि राजेश कु मार साव सामाजिक-सेवा कार्य भारतीय इतिहास मंे रानी रासमणि एक उदार, धर्मार्थ, सामाजिक सधु ारक सहायक प्रबं धक (रा. भा.) महिला के रूप मंे जानी जाती है । राजाराम मोहन राय के आदर्शों से प्रेरित कोल इंडिया लिमिटेड, कोलकाता होकर उन्होंने तत्कालीन समाज में प्रचलित सामाजिक कु रीतियोंयथा- बहु बं गाल की धरती को मातृ शक्ति की भूमि के रूप में जाना जाता ह।ै विवाह, बाल विवाह और सती प्रथा के खिलाफ आदं ोलन चलाई। साथ ही सदियों से बं गाल में मातृ शक्ति ने अपनी प्रतिभा से सबको चकित किया उन्होने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के विधवा पुनर्विवाह अभियान को अपना ह।ै ऐसा ही एक नाम लोकमाता रानी रासमणि जी का ह।ै लोकमाता रानी समर्थन दिया। यहाँ तक कि लोकमाता रानी रासमणि ने ईस्ट इंडिया रासमणि बं गाल के नवजागरण काल की अग्रदूतों मंे से एक ह।ैं वे अपनी कम्पनी को बहुविवाह के खिलाफ एक मसौदा विधये क भी भेजवाई थी। विभिन्न जन-हितषै ी एवं धर्मार्थ कार्यों के लिए प्रसिद्ध ह।ंै उनके साहस, रानी रासमणि इसके अतिरिक्त भी अन्य सामाजिक कार्यों के लिए विख्यात दूरदृष्टि, धर्म-सं स्कृ ति के प्रति प्रेम, राष्र्टवाद आदि के प्रति किया गया ह।ंै उन्होंने तीर्थ-यात्रियों की सुविधा के लिए सुवर्णर�ेखा नदी से पुरी तक योगदान बं गाल इतिहास मंे अद्वितीय ह।ै रानी रासमणि का जन्म, 26 सितम्बर, सड़क का निर्माण कार्य पूरा करवाया। 1793 ईस्वी में वर्तमान उत्तर चौबीस दैनिक स्नान करने वालोंके लिए हुगली नदी परगना जिले के हालीशहर के कोना ग्राम पर बाबघू ाट, अहिरीटोला घाट, निमतल्ला के एक कृषक परिवार मंे हुआ था। जन्म घाट का निर्माण करवाई। बले ियाघाटा से वह हिन्ूद माहिष्य (कै वर्त) जाति से खाल (नहर), मधमु ती कनेक्टिंग खाल थी,ं जो शदु ्र (दलित) श्रेणी मंे आता था। आदि के निर्माण के लिए भी उन्होंने भूमि उनके पिता हरिकृ ष्ण दास और माता और धन का दान किया। कोलकाता का रामप्रिय दास थी।ं रानी रासमणि बचपन क्रिके ट स्टेडियम इनके द्वारा दान दी गई से ही धर्मपरायण एवं उदार स्वभाव की भमू ि पर ही बना ह।ै उन्होंने इम्पीरियल थी। 11 वर्ष की आयु मंे उनका विवाह लाइब्रेरी (अब राष्ट्रीय पसु ्तकालय), हिन्दू कोलकाता के जानबाजार के एक धनी कॉलेज (अब प्रेसीडेन्सी विश्वविद्यालय), जमीदं ार बाबू रामचंद्र दास से करवा दिया बं गाल अकाल राहत कोष और कई अन्य गया। बाबू रामचंद्र दास की यह तीसरी ज्ञात तथा अज्ञात समाज सवे ार्थ कार्यों के शादी थी। वे एक शिक्षित, उदार और आधनु िक विचारधारा के व्यक्ति लिए पर्याप्त वित्तीय योगदान दी । अगं ्रेजों के साथ सं घर्ष थ।े रानी रासमणि उनसे प्रोत्साहित होकर उनके प्रशासनिक कार्यों मंे हाथ रानी रासमणि स्वतंत्र स्वभाव की राष््रटवादी महिला थी। अंग्रेजी प्रशासन बढ़ाने लगी और जल्द ही अपनी व्यावसायिक एवं प्रशासनिक दक्षता से के खिलाफ उनकी कई सं घरष् गाथाएँ प्रचलित ह,ैं जिनमें से दो घटनाएँ सबको चकित किया। विशषे रूप से उल्ेलखनीय हैं। अंग्रेजों ने हुगली नदी मंे मछलियाँ पकड़ने पर टैक्स लगा दिया था। मछु आरे परेशान थे और न्याय की दहु ाई के लोकमाता रानी रासमणि की 4 पतु्रियाँ थी-ं पद्मावती, कु मारी, करूणामयी लिए रानी रासमणि के पास पहुँचे। रानी रासमणि ने अंग्रेजों को सबक और जगदम्बा। मात्र 48 वर्ष की उम्र मंे 1830 ई. मंे बाबू रामचंद्र दास सिखाने के लिए घुसरु ी से मटियाब्रुज तक नदी का किनारा लीज पर ले ली की मृत्यु हो गई। पति की मृत्ुय से प्रारम्भ में रानी रासमणि हताश हो और नदी के दोनों किनारों पर लोहे की चेन डलवा दी। इस तरह समान गई परन्ुत जल्द ही उसने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया और लाने-ले जाने वाले अंग्रेजों के स्टीमरों का रास्ताे रोक दिया गया। रानी ने प्रशासनिक एवं व्यापारिक कार्यों को अपने हाथों मंे ले ली। इस कार्य मंे तब तक वो चेन नहीं हटवाई, जब तक अंग्रेजों ने उनकी शर्ेतं मानने की उनके दामाद मथरु ामोहन विश्वास का सहयोग रहा। 28

हामी नहीं भर दी। अंग्रेजी सरकार को रानी रासमणि की शर्तों के समक्ष कु छ हिस्सा मसु्लिमों से भी खरीदा गया था। मंदिर का निर्माण कार्य झकु ना पड़ा और मछली पकड़ने पर लगाए गए टैक्स को हटाना पड़ा। 1855 ई. में परू ा हुआ और इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। इस तरह रानी रासमणि ने स्थानीय मछु आरों को हुगली नदी में मछली लेकिन तत्कालीन समाज के लिए इसकी स्वीकृति आसान नहीं थी। चंूकि पकड़ने का हक दिलवाई। रानी रासमणि जन्म से निचली जाति की थी, इसलिए कोई भी स्थानीय ब्राह्मण मंदिर मंे पुजारी के रूप में सवे ा करने के लिए तयै ार नहीं हुआ। दूसरी घटना पजू ा जलु सू से लके र जडु ़ी हुई ह।ै एक बार ईस्ट इंडिया आखिरकार, अपने शभु चितं कों के सुझाव पर लोकमाता रानी रासमणि कम्पनी के अधिकारियों ने पजू ा जलु सू पर इसलिए रोक लगवा दिया कि ने मंदिर के वार्षिक रख-रखाव के लिए एक बड़ी राशि के साथ रामकु मार ढोल की थाक और जयकारों से निकली आवाज क्षेत्र की शांति मंे खलल चट्टोपाध्याय को मंदिर दे दिया। रामकु मार चट्टोपाध्याय की मृत्ुय के बाद पदै ा कर रही ह।ै इस धार्मिक हस्तक्षेप पर लोकमाता रासमणि उग्र हो गई उनके छोटे भाई गदाधर चट्टोपाध्याय मंदिर के मुख्य पुजारी बन।े यही और उन्होनं े जलु सू को आगे बढ़ने का आदेश दिया। अधिकारियों ने उन गदाधर चट्टोपाध्याय बाद में रामकृ ष्ण परमहंस के रूप मंे प्रसिद्ध हुए। ऐसा पर चालीस रुपए का जरु ्माना लगाया जो उस समय एक बड़ी रकम थी। माना जाता है कि लोकमाता रासमणि की विचारशील और आध्यात्मिक जनता को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होनं े रानी रासमणि के स्वभाव के कारण रामकृ ष्ण परमहंस उन्हें राधा और कृ ष्ण की अष्ट- नते ृत्व मे जमकर विरोध आदं ोलन किया। ईस्ट इंडिया कम्पनी के पास सखियों में से एक मानते थ।े फिर से जनता की मागं के आगे झकु ने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। दक्षिणेश्वर मंदिर न के वल प्रकृति मंे गतिशील ह,ै बल्कि रानी रासमणि की एक बार रानी रासमणि के पास यह खबर पहुँची कि नील बगान के कु छ गतिशीलता को भी साबित करता ह।ै यह काली मंदिर राष्ट्रीय एकता का अंग्रेज सनै िक गांव की स्थानीय हिन्दू बं गाली महिलाओं को परेशान कर भी प्रतीक है, जो कभी ईसाईयों और मुसलमानों दोनों के स्वामित्व वाली रहे ह।ैं लोकमाता रासमणि ने तरु ंत अपने गार्ड को भजे कर उन सैनिकों भूमि पर खड़ी हुई। रानी रासमणि सदैव हिन्ूद सं त रामकृ ष्ंण परमहंस देव को गिरफ्तार कर लिया। इसके परिणामतः ईस्ट इंडिया कम्पनी ने रानी की मखु ्य सं रक्षक बनी रही। वस्तुत: जिस समय आम जनता भारतीय रासमणि के जानबाजार वाले महल पर हमला कर दिया और महल पर धर्म, सं स्कृ ति एवं विरासत मंे अपना विश्वास खो रही थी, उस समय रानी कब्जा कर लिया। जब अंग्रेज अधिकारी पूजा कक्ष मंे रघनु ाथ जी के रासमणि ने अपने प्रयासों से भारतीय धर्म-सं स्कृ ति का पुनरुत्थान का मंदिर के गर्भ-गहृ में प्रवशे करना चाहते थ,े तब रानी रासमणि ने तलवार बीड़ा उठाया। रामकृ ष्ण-विवेकानन्द के धार्मिक पनु र्जागरण आदं ोलन के उठा ली और माँ काली की तरह प्रतिशोध मदु ्रा में आकर कमरे की रक्षा पीछे रानी रासमणि की विचारधारा एवं दूरदृष्टि ही थी, इसीलिए सिस्टर की। इस घटना ने नील बगान के अंग्रेज मालिकों पर इस प्रकार दहशत निवदे िता ने माना है कि रानी रासमणि के बिना दक्षिणशे ्वर नहीं होता, भर दी कि उन्होंने कभी भी उनके साथ फिर से किसी भी तरह का सं घर्ष दक्षिणशे ्वर के बिना गदाधर, गदाधर ही रहते और श्री रामकृ ष््ण परमहंस करने का साहस नहीं किया। नहीं बन पात,े श्री रामकृ ष्ण के बिना नरेन्द्रनाथ दत्त, नरेन्द्र नाथ दत्त धार्मिक-सेवा कार्य ही बने रहत,े विवेकानंद नहीं बनते और विवेकानंद के बिना भारत का इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर, जो अपने परोपकारी गतिविधियों पनु र्जागरण सं भव नहीं होता। के लिए प्रसिद्ध थी, उसी के अनरु ूप रानी रासमणि ने भी भारतीय इतिहास मंे अपना नाम 19वीं सदी के बं गाल के परोपकारी शक्सियतों में दर्ज इसके अतिरिक्त यह भी प्रचलित है कि श्रीनगर मंे शंकराचार्य मन्दिर करवाई ह।ै उन्होंने अपने परू े जीवन में अनके ों धर्मार्थ कार्य किए। 1840 का पनु रुद्धार कार्य, मथरु ा मंे कृ ष्ण जन्मभमू ि की दीवार का निर्माण इनके ई. मंे दक्षिणेश्वर काली मंदिर की स्थापना इनमें सबसे प्रमुख ह।ै दक्षिणशे ्वर सहयोग से संपन्न‍हुआ। इन्होनं े रामशे ्वरम से श्रीलंका के मन्दिरों के लिए मंदिर टस्र ्ट के रिकॉर्ड के अनुसार- “प्रसिद्ध दक्षिणशे ्वर मंदिर, जिसमंे देवी नौका सवे ा शरु ू की, ढाका में मसु्लिम नवाब से लगभग दो हजार हिन्ओदु ं काली का निवास ह,ै की स्थापना रानी रासमणि ने एक स्वप्न के बाद की स्वतंत्रता हते ु समझौता की। की थी, जब वह बनारस की तीर्थ यात्रा शुरू करने वाली थी।ं “उन्होंने वस्तुतः रानी रासमणि द्वारा किए गये कार्य समाजिक-धार्मिक सद्भाव एवं मंदिर निर्माण के लिए 1847 ई. में 20 एकड़ की जमीन एक यरू ोपियन व्यक्ति स्वातंत्र्य की गँूज है । सही मायने मंे वे भारतीय नवजागरण की क्रिस्चियन James Hasty से खरीदी। मंदिर निर्माण हेतु जमीन का जननी है और लोकमाता की सं ज्ञा प्राप्त करने की अधिकारिणी ह।ैं 29

भारत का स्वाधीनता संघर्ष और जनजातीय विद्रोह अभय मिश्र ह।ै इसी कारण यह कहा जाता है कि भारतीय स्वाधीनता आदं ोलन में जनजातियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया ह।ै जनजातीय आदं ोलन के इस सहायक प्रबं धक (रा. भा.) योगदान की सम्यक समझ के लिए इनके स्वरुप व प्रभाव को जान लेना सीएमपीडीआईएल, रांची उचित होगा। जनजातीय विद्रोहों का स्वरूप ऐतिहासिक व्यक्तित्वों और घटनाओं का मलू ्यांकन अपने आप मंे हमशे ा औपनिवशे िक घुसपैठ और व्यापारियो,ं महाजनों व लगान वसूलने वालों से एक जटिल प्रक्रिया रही ह।ै इस जटिलता के मूल मंे लेखकीय निष्पक्षता के तिहरे शासन के कारण भारत के विभिन्न हिस्सों मंे जनजातियों ने व ईमानदारी की अपेक्षा, दृष्टिकोण की व्यापकता, चितं न और अध्ययन अपने जातीय हितों की रक्षा के लिए अनेक बार प्रतिरोध के स्वर को की गहनता, वचै ारिक परू ्वाग्रह का बलु ंद किया। ब्रिटिश भारत मंे होने वाले जनजातीय आदं ोलन कई अभाव तथा इतिहास को उसके तत्कालीन परिवशे में ग्रहण कर चरणों मंे हुए। जातीय हितों पाने की क्षमता आदि विभिन्न की रक्षा तथा अत्यधिक कारण उत्तरदायी बताए जाते हिंसक और सं गठित प्रकृति ह।ंै यदि जनजातीय आदं ोलन के के अपने बनु ियादी स्वरुप के परिप्रेक्ष्य मंे भारत के स्वतंत्रता बावजदू भी; प्रत्ेयक चरण में सं घर्ष का मलू ्यांकन किया जाए इसका स्वरुप भिन्न-भिन्न था। तो हमें इसी जटिलता का सामना अपने प्रथम चरण में यह एक करना होगा। सामान्यतः भारतीय पनु र्स्थापना आदं ोलन था। इन इतिहासकारों ने सन 1857 की आदं ोलनों को उन लोगों ने क्रांति को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला आदं ोलन बताया ह,ै लेकिन नते ृत्व प्रदान किया जिनकी हकीकत मंे “यह विद्रोह कोई अचानक आया उबाल नही।ं बल्कि यह विशेष स्थिति को ब्रिटिश जनता के उस सं घरष् की पराकाष्ठा थी जो सन 1757 में ब्रिटिश राज की उपनिवशे ीकरण के द्वारा क्षति पहुंची थी। इस आदं ोलन के नते ृत्वकर्ता शुरुआत के बाद से ही सुगबगु ाने लगा था और यही सगु बगु ाहट धीरे-धीरे अपनी पुरानी सामाजिक स्थिति को पुनः बहाल करना चाहते थे और फै लती-बढ़ती गई थी।” (‘भारत का स्वतंत्रता सं घरष’्, बिपिन चंद्र, पृष्ठ उन्होंने अपने क्षेत्र में अंग्रेजों तथा अन्य बाहरी लोगों के प्रवेश का विरोध सं ख्या 11) किया। साथ ही साथ ये किसी भी परिवर्तन के विरोधी थ।े इन विद्रोह मंे प्रमुख थ-े पहाड़िया विद्रोह, खोंड विद्रोह, कोल तथा सं थाल विद्रोह। इस चरण के विद्रोह मंे सं थाल विद्रोह सबसे सशक्त विद्रोह था। दरअसल, प्लासी के यदु ्ध के पश्चात औपनिवेशिक शासन की स्थापना अपने दूसरे चरण अर्थात सन 1860 से 1920 ईसवी के दौरान इसका के जो प्रयास किये जा रहे थे उन प्रयासों की बनु ियाद अर्थव्यवस्था, स्वरूप थोडे़ से राष्र्टवाद के साथ-साथ किसान आदं ोलन का था। इस प्रशासन, समाज और जीवन के अन्य क्षेत्रों के उपनिवशे ीकरण और चरण के आदं ोलन भू-राजस्व बं दोबस्त व्यवस्था मंे व्याप्त दोषो,ं बं धआु शोषण की लंबी प्रक्रिया पर टिकी हुई थी। जाहिर तौर पर इस प्रक्रिया ने मजदूरी तथा वन काननू ों के विरुद्ध हुए। प्रमखु विद्रोह खारवाड़ विद्रोह, भारतीय समाज और जीवन मंे जिन प्रतिकू ल परिवर्तनों को जन्म दिया भील विद्रोह, नैकदा विद्रोह, कोया विद्रोह तथा मंु डा विद्रोह था। इस उसका विरोध समय-समय पर भारतीय जनता द्वारा किया जाता रहा। चरण का सबसे सशक्त विद्रोह मंु डा विद्रोह था। जनजातीय प्रतिरोध इस विरोध का अनिवार्य व महत्वपरू ्ण सं दर्भ रहा 30

जनजातीय आदं ोलन का तीसरा चरण धार्मिक स्वरूप लिए हुए था। इस चरण में जनजातीय आदं ोलनों का नेतृत्व पढे़-लिखे व्यक्तियों ने किया। इस समय हुए जनजातीय आदं ोलन के नेतृत्वकर्ता गाधं ीवादी सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर अल्लूरी सीताराम राजू जसै े गरै -आदिवासी थ।े इस समय के आदं ोलन को जातीय अथवा सासं ्ृक तिक आदं ोलन, सुधार अथवा सं स्ृक तिकरण आदं ोलन, कृषक और वन आधारित आदं ोलन तथा राजनीतिक आदं ोलन में बाटं ा जा सकता ह।ै इस चरण में होने वाला ताना भगत आदं ोलन सं स्कृ तिकरण आदं ोलन था। 1920 के दशक मंे ताना भगतों ने कांग्रेस के नते ृत्व में शराब की दकु ानों पर धरना देकर सत्याग्रह और प्रदर्शनों में हिस्सा लेकर भारत के राष्ट्रीय आदं ोलन में सक्रिय भागीदारी की। मोपला विद्रोह अपने आदर्शों एवं उद्देश्यों को धार्मिक आधार प्रदान कर शुरू किया गया विद्रोह था। वह न्यायिक अधिकार दिए गए। इस प्रकार न्यायिक अधिकारों के प्रति जागरूकता जनजातीय आदं ोलनों की महत्ता को स्पष्ट करती ह।ै आगे चलकर जनजातियों मंे शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण तथा जनजातीय विद्रोहों को शिक्षित नते ृत्व मिलने के कारण यह राष्ट्रीय आदं ोलन का हिस्सा बन गया। गाधं ीवादी आदं ोलनों से खुद को जोड़ने के कारण एक तरफ जहां स्वतंत्रता आदं ोलन का जनाधार बढ़ा वही,ं दूसरी ओर अंग्रेजी प्रशासन को कई मोर्चों पर समस्याओंसे जझू ना पड़ा। बिरसा मंु डा के नते ृत्व में शरु ू होने वाला विद्रोह सासं ्कृ तिक अस्मिता की रक्षा के लिए पूर्ण स्वायत्तता और राजनीतिक स्वतंत्रता का आदं ोलन बन गया था। 1913-14 ईसवीं मंे शरु ू होने वाला ताना भगत आदं ोलन, धार्मिक जनजातीय विद्रोहों का प्रभाव व महत्व सधु ार आदं ोलन के रूप मंे पनपा लेकिन जल्दी ही उसने राजनीतिक प्रारंभिक जनजातीय आदं ोलन यद्यपि सीमित क्षेत्र में लडे़ गए तथापि स्वरूप धारण कर लिया। धार्मिक पनु रुत्थान और जातीय परिष्कार के उन्होंने ब्रिटिश शासन के समक्ष कड़ा प्रतिरोध प्रस्तुत किया। प्रारंभिक दौर से गजु रते हुए आदं ोलन जब शोषण से मकु्ति के सं कल्प के रूप में विद्रोहों ने जनजातियों के मानस में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता व्यक्त हो रहा था, तो ठीक उसी वक्त देश में राष्ट्रीय आदं ोलन के नते ृत्व पदै ा की। जनजातियों मंे सं गठन की भावना तथा अपने क्षेत्र मंे हो रहे की बागडोर गाधं ी जी के हाथ मंे आ चुकी थी। ताना भगत आदं ोलन के अमानवीय अत्याचारों के विरुद्ध विरोध की भावना पहले से अधिक नते ा और कार्यकर्ता गाधं ी के व्यक्तित्व व कृतित्व से अत्यधिक प्रभावित प्रबल हो गई। जनजातीय विद्रोहों के परिणाम-स्वरुप सरकार को उनके थ।े इस तरह ताना भगत आदं ोलन राष्ट्रीय आदं ोलन का अगं बन गया। अधिकारों की रक्षा के लिए काननू बनाने पडे़। कोल विद्रोह के परिणाम 1922 मंे कांग्रेस के गया अधिवेशन में ताना भगतों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा स्वरुप 1833 के अधिनियम के 13वंे नियम के तहत उस क्षेत्र से बं गाल लिया था। ताना भगतों ने इस प्रकार से राष्ट्रीय स्वाधीनता आदं ोलन को सरकार के प्रचलित काननू हटा लिए गए। इसी प्रकार 1837 के विद्रोह मजबतू ी प्रदान की। के बाद ही बहुल क्षेत्र को आरक्षित जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिया गया तथा प्रशासन के लिए परंपरागत मानकी-मंु डा पद्धति को वित्तीय अधिकार कालातं र मंे भी राष््टरवाद और आदिवासी आदं ोलनों के मध्य घनिष्ठ सं बं ध बने रह।ंे 1930-32 के सविनय अवज्ञा आदं ोलन के दौरान 31

यह सं बं ध और अधिक सुदृढ़ हुए। इस दौरान महाराष्र्ट, मध्य प्रांत के इस तरह हम देख सकते हैं कि ब्रिटिश हुकू मत के खिलाफ हुए विभिन्न साथ-साथ कर्नाटक में गरीब किसानों एवं आदिवासियों द्वारा सविनय जनजातीय विद्रोहों ने क्रमिक रूप से स्थानीय स्तर से उठकर राष्ट्रीय अवज्ञा आदं ोलन की भांति बहुत व्यापक और सशक्त वन आन्दोलनों आदं ोलन को मजबतू आधार प्रदान किया। यद्यपि ब्रिटिश हुकू मत की का संचालन किया गया। इन आदं ोलनों के दौरान शासकीय कानूनों सामरिक शक्ति के समक्ष जनजातियों की सामरिक शक्ति नगण्य थी का उल्ंलघन किया गया तथा हिंसक तरीकों का प्रयोग किया गया। कई फिर भी उन्होंने जिस वीरता और सं गठित शक्ति का प्रदर्शन किया वह इलाकों में कांग्रेस के नते ृत्व मंे वन सत्याग्रह चलाये गए। निश्चित तौर पर अविस्मरणीय ह।ै प्रमुख जनजातीय आन्दोलन क्र.स.ं आन्दोलन कालावधि स्थान नते तृ ्वकर्ता 1. चुआर विद्रोह 1768, 1795-1800 मिदनापरु (प. बगं ाल) जगन्नाथ 2. पहाड़िया विद्रोह 1778 छोटानागपरु राजा जगन्नाथ 3. कोल विद्रोह 1795, 1831 छोटानागपुर बधु ु भगत, जोआ भगत,झिन्दराई मानकी, सुई मडंु ा 4. भील विद्रोह 1812-19, 1825, राजस्थान, मध्यप्रदशे भगोजी नाईक, सवे रम, काजर सिंह 1831-46 5. हो विद्रोह 1820-21, 1832, 1837 छोटानागपरु - 6. रामोसी विद्रोह 1822, 1825-26, महाराष्ट्र चित्तर सिहं , नरसिहं 1839-41 दत्तात्रेय 7. खासी विद्रोह 1828-33 मेघालय तीरथ सिंह 8. गडकरी विद्रोह 1844 महाराष्ट्र - 9. खोड़ विद्रोह 1846 उड़ीसा चक्र बिसोई 10. सथं ाल विद्रोह 1855-56 दामन-ए-कोह (बिहार), सीदू और कान्हू भागलपरु से राजमहल के बीच 11. सवार विद्रोह 1856 उड़ीसा राधाकृ ष्ण दडं सेना 12. मडंु ा विद्रोह 1895-1901 छोटानागपरु बिरसा मंडु ा 13. ताना भगत आन्दोलन 1913-14, 1920-21 बिहार, झारखडं ताना भगत 14. कु की विद्रोह 1917-19 मणिपुर - 15. कोया/रम्पा विद्रोह 1922 आंध्रप्रदशे अल्लूरी सीताराम राजू 16. नागा विद्रोह 1932 नागालंडै रानी गौडिनल्यु 32

हिदं ी का भारतीय परिदृश्य हिन्दी की दूसरी पट्टी हिन्दी क्षेत्र की परिधि के बाहर के राज्यों- यथा बं गाल, असम, उड़ीसा, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और जम्-ूम कश्मीर जसै े दिविक दिवेश, छोटे-बड़े राज्यों मंे ह,ै जहां क्रमशः बं गला, असमिया, उड़िया, मराठी, सहायक प्रबं धक(राजभाषा), कोकं णी, गजु राती और डोगरी-कश्मीरी बोली जाती ह।ै इन राज्यों की विशेषता यह है कि जहां इनकी सीमायें मिलती हंै वहां के लोग प्रायः सीसीएल (मखु ्यालय), रांची दो-दो भाषायंे बोलत,े समझते और लिखते ह।ंै मसलन, लाखो-ं करोड़ों जीव-जगत में मनषु ्य जाति को सर्वोच्च स्थान प्राप्त ह।ै विवके , बदु ्धि, लोग हिन्दी और बँगला, हिन्दी और असमिया, हिन्दी और उड़िया, हिन्दी सं स्ृक ति, सामाजिकता और भाषा मनुष्य जाति को अन्य प्राणियों और मराठी, हिन्दी और गजु राती तथा हिन्दी और डोगरी-कश्मीरी बड़ी से विशिष्ट बनातें ह।ैं भाषा वह आधार है जिसपर मनषु ्य जाति की आसानी से और बहे िचक बोलते ह।ंै अपने घरों म,ें आस-पड़ोस मंे, गांव- सासं ्ृक तिक-सामाजिक नींव टिकी ह।ै भाषा मनषु ्य की बौद्धिकता का कस्बों में और नगरों में आपसी सं पर्क के लिए, भाषा और सं स्कृ ति की प्रमाण ह,ै सं स्ृक ति का स्वर है तथा समाज की प्राणवायु ह।ै बिना भाषा के रक्षा के लिए ये अपनी-अपनी प्रादेशिक भाषा का प्रयोग करते हैं जो स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। समाज और भाषा के स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। यह भी समझना आवश्यक है सं सर्ग से सं स्कृ ति का निर्माण होता ह।ै भाषाएं मनुष्य जाति का मले भी कि भारत की सीमावर्ती हिंदी पट्टी की उन भाषाओं का जिनका जन्म करती है और परस्पर पथृ क भी करती ह।ै आज हिन्दी जिस भाषा-समूह सं स्कृ त से हुआ और क्रमिक प्रवाह के साथ उनका स्वतंत्र विकास हुआ, का नाम ह,ै उसका प्राचीनतम रूप सं स्ृक त, प्राकृ त और अपभ्रंश ह।ै भाषा उनमें काफी सं ख्या में ऐसे शब्द मिलते हैं जिनमें थोड़े बदलाव के साथ, वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि ईसा परू ्व 1500 से ईसा परू ्व 500 तक शब्दों मंे समानता एवं साम्यता दृष्टिगत होती ह।ै यही विशेषता प्रादेशिक इस देश मंे भाषा एवं साहित्य की दृष्टि से देवभाषा सं स्कृ त का वर्चस्व रहा बोलियों मंे लोकगत बोलचाल की भाषाओं में भी दीख पड़ती ह।ै दीगर ह।ै इसी तरह ईसा पूरव् 500 से ईसवी सन् 01 तक पालि, ईसवी सन् 01 बात यह है कि झारखंड हो या बिहार या हो बं गाल, भाषा, सं स्ृक ति एवं से 500 ई तक प्राकृ त, ईसवी सन् 500 से 1000 ईसवी तक अपभ्रंश बोलियों पर भाषा का प्रादेशिक प्रभाव दिखाई पड़ता ह।ै बागं ्ला भाषा और ईसवी सन् 1000 से अब तक खड़ी बोली हिन्दी प्रभावी ह।ै भाषा में कई शब्द उच्चारण विभिन्नता के साथ सं स्कृ त से आगत हंै और यदि का यह परिवर्तन और प्रवाह क्रमिक है जो समय के अंतराल मंे अनके सकू ्ष्म दृष्टि से झारखंड की प्रादेशिक बोली - खोरठा (जिसके भी कई भाषिक पट्टियों में रूपातं रित होती हुई यहां तक आई ह।ै भारतीय आर्य प्रादेशिक स्वरूप ह)ंै पर प्रकाश डाला जाए तो भाषा-विज्ञान के दृष्टिकोण भाषाओं में मराठी, गुजराती, पंजाबी, असमिया, उड़िया, बं गला आदि से कई बं गला एवं खोरठा में कई समानताएँ दीख पड़ेंगी। सं भवतः यह भाषाएँ क्रमिक परिवर्तन और प्रवाह की देन ह,ैं जो भारत की विभिन्न प्रभाव भौगोलिक सन्निकटता के कारण हो सकता ह।ै इसी प्रकार बागं ्ला पट्टियों मंे बोली और समझी जाती ह।ै भाषा के विकास और बोलचाल की भाषा का सदृश प्रभाव निकटवर्ती प्रादेशिक बोलियों व भाषाओं पर पड़ा दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप मंे हिन्दी की तीन भाषिक पट्टियां ह।ैं वे ह-ंै ह।ै असम में बोली जाने वाली असमिया, ओडिशा में ओडिया, बिहार हिन्दी पट्टी, सीमावर्ती हिन्दी पट्टी और हिन्दीत्तर पट्टी। हिन्दी पट्टी मंे देश की मैथिली भाषाओं में थोड़ी बहुत विभिन्नताओं के साथ सदृश समानता के ग्यारह राज्य- झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान ह।ै इन प्रदेशोंमें हिन्दी के साथ-साथ नागपरु ी, मथै िली, मगही, भोजपरु ी, अवधी, ब्रज, छतीसगढ़ी, बं दु ेली, बघेली, मवे ाती, मेवाड़ी, हिमाचली, हरियाणवी और पंजाबी जसै ी समृद्ध भाषायंे भी ह।ैं इन प्रादेशिक बोलियो-ं भाषाओं की कड़ी के रूप में क्षेत्रीय बोलियां भी ह,ैं जिनका प्रदाय और महत्व कम नहीं ह।ै उदाहरण के लिए झारखण्ड मंे हिंदी के समानान्तर नागपुरी (सादरी या सदानी), कु रमाली, पंचपरगनिया, उरांव, मंु डारी, सं थाली, हो, खड़िया जसै ी दर्जनाधिक्य आर्य और अनार्य बोलियां ह,ैं जिसके बोलने वालों की सं ख्या लाखों में ही नहीं करोड़ों में ह।ै 33

दृष्टिगत होगी। उसी प्रकार बिहार प्रदेश मंे बोली जाने वाली कु छ बोलियाँ यदि कोई सहज सं पर्क की भाषा है तो वह हिन्दी ह।ै यहां के मूल निवासी इतनी समृद्ध हैं कि अब वे बोली के स्तर से ऊपर उठ कर स्वतंत्र भाषा के हिन्दी भाषियों से न के वल हिन्दी में बात करते हंै बल्कि अपने बीच भी रूप मंे पहचाने जाने की मागं कर रहीं ह।ंै मैथिली, भोजपरु ी, अंगिका एवं प्रायः हिन्दी में ही बोलत-े बतियाते ह।ंै इसी तरह एक तथ्य यह भी है कि मगही भाषाओं का लोक-साहित्य समृद्ध व लोक-सं स्ृक ति से सं पकृ ्त ह।ै मणिपरु , मिजोरम और नगालंैड के लोग रोजी-रोजगार के लिए दिल्ली, वस्तुतः भाषाओं के इसी सं क्रमण एवं सादृश्यता के कारण ही भारत को पंजाब, हरियाणा मंे आते रहे हैं और आज भी दिल्ली-पंजाब-हरियाणा विभिन्न बहुरंगी सं स्कृ तियों का मिलनस्थल भी कहा जाता ह।ै में उनकी अच्छी सं ख्या ह।ै फलतः अंग्रेजी और अपनी-अपनी मातबृ ोली हिन्दी की तीसरी और आखिरी पट्टी हिन्दीत्तर राज्यों मंे बोली जानवे ाली के बाद हिन्दी उनकी तीसरी भाषा है। सं पर्क भाषा के रूप में हिन्दी बोलना भाषाओं की ह,ै जिनकी स्पष्टतः दो पट्टियां हं।ै पहली पट्टी परू ्वोत्तर में या सीखना उनके लिए इस कारण अनिवार्य हो जाता ह।ै त्रिभाषा फार्मूला बोली जानवे ाली मिजो, नागा, के तहत हिन्दी की पढ़ाई होने लगी है मणिपरु ी, गारो, खासी, जयंतिया और नई पीढ़ी कई कारणों से हिन्दी और अरुणाचली जसै ी जनजातीय के प्रति आकर्षित ह।ै भाषाओं की है तो दूसरी तमिल, यह भी एक सयु ोग ही कहा जायगे ा तले ुग,ु कन्नड़ और मलयालम जसै ी कि हिन्दी को सर्वाधिक देश-व्यापी भाषाओंकी है जो क्रमशः तमिलनाडु, समर्थन आजादी के परू ्व से ही प्रायः आधं ्र, तले ंगाना, कर्नाटक और के रल उन्हीं राज्यों से मिला जो हिन्दी भाषी मंे बोली जाती है। उल्लेख्य है कि नहीं है और यह भी कि देश के दो दक्षिणी राज्यों की ये भाषायें साहित्य बड़े आदं ोलन भक्ति और शक्ति और सं स्ृक ति की दृष्टि से अत्ंयत (स्वतंत्रता) - अहिन्दी भाषी क्षेत्र की प्राचीन और समृद्ध ह।ंै दक्षिणी राज्यों देन ह।ै इतिहास साक्षी हंै कि आजादी मंे सदियों के सं पर्क , सासं ्ृक तिक की लहर पहल-े पहल वहींउठी जो गरै आदान-प्रदान और पर्यटन के कारण दक्षिण भारत और शषे भारत के हिन्दी भाषी क्षेत्र (बं गाल और महाराष्)र्ट थ।े इसी तरह ‘भक्ति द्रावड़ी सं बं ध सदैव प्रगाढ़ रहे ह।ैं यही कारण है कि दक्षिणी राज्यों की भाषाओं उपज’े के आधार पर हम यह भी जानते हैं कि भक्ति की उत्पत्ति दक्षिण के ढेर सारे शब्द हिन्दी रूपों से मेल खाते ह।ंै मंे हुई और बरास्ता महाराष्ट्र (सं त नामदेव और तकु ाराम), गजु रात (नरसी उल्लेख्य है कि परू ्वोत्तर के सभी राज्य (असम, मेघालय, मणिपरु , मिजोरम, महे ता), राजस्थान (मीराबाई), बं गाल (चतै न्य महाप्रभ)ु होते हुए हिन्दी नगालैंड, त्रिपरु ा और अरुणाचल प्रदेश) सवे ेन सिस्टर्स के नाम से ख्यात हैं पट्टी में आई और आदं ोलन के रूप मंे परू ी तरह सफल हुई। इसी तरह किं तु सिक्किम के भारत मंे विलय के बाद उनकी सं ख्या आठ हो गई ह।ै ये शक्ति (आजादी) का बिगलु भी प्रथमतः अहिन्दी क्षेत्र (कोलकाता) बं गाल सभी राज्य चीन, भटू ान, नपे ाल, बं गलादेश और म्यांमार की सीमा से सटे और (मंबु ई) महाराष्र्ट मंे गँजू ा और जिसकी अनगु ँजू धीरे-धीरे परू े देश में हुए ह।ैं इसी से इन राज्यों को इन देशों का प्रवशे -द्वार भी कहा जाता है फै ल गई। ध्यातव्य यह भी है कि जिस तरह भक्ति और शक्ति को अहिन्दी तथा पड़ोसी देशों मंे हिंदी का प्रवशे कभी इन्हींराज्यों के मार्फ त हुआ था। भाषियों ने हाथो-ं हाथ आगे बढ़ाया उसी तरह से भारतीय भाषाओं के बीच पूर्वोत्तर में हिन्दी का प्रतिनिधित्व असम करता है और हिन्दी का सबसे हिन्दी की स्थिति और गति को अहिन्दी भाषियों ने ही बढ़ाया और समर्थन अधिक प्रभाव भी असम मंे ही ह।ै इसका सबसे प्रधान कारण यह है कि दिया, चाहे वह दक्षिण-पश्चिम भारत हो या हो उत्तर-परू व् भारत। उल्लेख्य वर्षों से हिन्दी प्रदेश के लोग रोजी-रोटी की खोज में असम के चाय बगानों है कि हिन्दी न तो गजु रात-महाराष्टर् की भाषा है और न ही वह बं गाल- मंे जाते रहे हैं और समय के अतं राल मंे वे अपनी भाषा के साथ वहीं बस असम की भाषा ह।ै इसी तरह यह न तो दक्षिणी राज्यों की भाषा है और न गए। उन सबने वहां हिन्दी की जड़ंे मजबतू की हंै और स्थापित किया ह।ै ही परू ्वोत्तर भारत की। इसके बावजदू यह सच है कि हिन्दी जितनी बं गाल- यही कारण है कि गौहाटी हो या सिल्चर, तजे पुर हो या डिब्रूगढ़ हिन्दी की उड़ीसा-असम में लोकप्रिय है उतनी ही लोकप्रिय वह महाराष्-टर् गजु रात- सं स्ृक ति से ये नगर पूरी तरह प्रभावित ह।ंै मघे ालय, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर सहित तमिलनाड,ु आधं ्र, तले ंगाना, कर्नाटक और के रल जसै े त्रिपुरा और सिक्किम में हिन्दी का स्थान असम की तरह ही प्रभावी ह।ै यहां दक्षिणी राज्यों में ह।ै इतिहास साक्षी है कि जिस तरह बं गाल व उड़ीसा से के हाट-बाजारों और नगरों मंे अच्छी सं ख्या में हिन्दी भाषी ह।ंै फलतः रवीन्द्रनाथ ठाकु र, शारदाचरण मिश्र, क्षितिमोहन सने , राजने ्द्र लाल मिश्र, यहां भी हिन्दी की स्थिति सुदृढ़ ह।ै इन राज्यों मंे अपनी मातृबोली के बाद बं किमचंद्र चटर्जी, भदू ेव मखु र्जी, नवीनचंद्र राय, सभु ाष चंद्र बोस जसै े 34

आजादी के हिमायतियो,ं विद्वानों ने हिन्दी का जोरदार स्वागत किया था, प्रयोग की जाने वाली स्थानीय भाषा के अनसु ार उन बाईस भाषाओं मंे उसी तरह महाराष्-ट्र गजु रात और दक्षिण से बाल गंगाधर तिलक, एन॰ से किसी एक को आधिकारिक भाषा के रूप में चुन सकती ह।ै राजभाषा सी॰ के लकर, गोपाल कृ ष्ण गोखल,े महात्मा गाधं ी, काका कालले कर, बी॰ विभाग, गहृ मंत्रालय द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन को बढ़ावा देने हते ु डी॰ सावरकर, दयानंद सरस्वती, सरदार बल्लभ भाई पटेल, कन्हैयालाल 12‘प्र’ की रणनीतिक-रूपरेखा बनाई ह।ै प्रेरणा, प्रोत्साहन, प्रेम, प्राइज़ मानिकलाल मंु शी, सी॰ राजगोपालाचारी, टी॰ विजय, राघवाचार्य, बी॰ (परु स्कार), प्रशिक्षण, प्रयोग, प्रचार, प्रसार, प्रबं धन, प्रमोशन, प्रतिबद्धता राजू, सी॰ वी॰ रामास्वामी अय्यर, अनंत शयनम्, एस निजलिंगप्पा, वकें ट एवं प्रयास। इन 12‘प्र’ के मूलमंत्र से राजभाषा हिन्दी की व्यापकता रमन चशितंास्कत्रोी,ंनएे हनि॰न्सदीं दुकरोैयज्यना औआरकपांटक््षटााकभिासप्रीततीाकरमबयै त्यााकजरसै उे सराकष्व्रटी हादिीमानयते ता में वृद्धि की जा सकती ह;ै आवश्यकता है दृढ़प्रतिज्ञ एवं समर्पित होकर और 12‘प्र’ की रणनीतिक-रूपरेखा अनुरूप राजभाषा कार्यान्वयन की। की तथोी।इसइकनाचअितं र्कथ योहं नने हहिीनं्किदी कउोन‘र्होनंाषे्दभटर् ूसाषराी’भकारहतकीयर उसका मान बढ़ाया हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता के कारण हिंदी की स्वीकार्यता विश्व पटल पर था भाषाओं की उपके ्षा बढ़ी है एवं आज जहाँ अन्य भाषाएँ विलुप्त हो रहीं है वहीं आज हिंदी की थी या उनका अपमान किया था। उन्होनं े इस बात पर जोर दिया था कि तमाम वर्गीय दबावो,ं आतं रिक चुनौतियों से जझू ते हुए जीवंत भाषा के हिन्दी यदि हमारी राष्भ्रट ाषा है तो अन्य भाषायंे हमारी राष्ट्रीय भाषायंे ह।ैं रूप में दृष्टिगत हो रही ह।ै हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं ने भारतीय आज हिन्दी भारत की राजभाषा ह।ै कें द्र सरकार ने देवनागरी लिपि मंे भाषा एवं सं स्कृ ति के संवाहक के रूप मंे विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान लिखी जाने वाली हिन्दी भाषा को कार्यालयीन कार्यों हते ु निर्धारित किया स्थापित किया ह।ै नमन है उन पुरोधाओं को जिन्होंने विश्व मंे हिन्दी को ह।ै हिन्दी के साथ-साथ अँग्रेजी को द्वितीय भाषा के रूप मंे कार्यालयीन वशै्विक भाषा बनाने के लिए कठिन सं घर्ष किया और आज यदि हिन्दी कार्यों हेतु प्रयकु ्त किया जा रहा ह।ै इसके अतिरिक्त सरकार ने बाईस वशै्विक भाषा है तो उन्हीं के सं घर्षों और हिन्दी के प्रति समर्पण-भाव के भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया है जिसमें के न्द्र कारण ह।ै सरकार या राज्य सरकार उस स्थान या राज्य में अधिसंख्य जनता द्वारा मझु े कोशिश करने तो दो राह मुश्किल ह,ै पर मझु े आगे बढ़ने दो सोनालिका सिहं किस्ेस हंै कु छ मरे े, कु छ कहानियां भी गढ़ने दो अधं रे ों का सामना करना ह,ै थोड़ा मुझे डरने तो दो पत्नी-वदे शास्त्री मझु े कोशिश करने तो दो। सहायक प्रबं धक (उत्खनन) लोगों की नही,ं मुझे अब अपने दिल की सनु ने दो अशोक ओ.सी.पी., पिपरवार क्षेत्र, सी.सी.एल रेहना हो जहा,ं वो दुनिया मझु े खदु ही चुनने दो आसान नहीं मं जिल, जरा काटं ों पर पांव धरने तो दो यू सजा कर मत रखो, मुझे सादगी में ही रहने दो मुझे कोशिश करने तो दो। सीमा मत बाधं ो,ं अधरों को खलु कर कहने दो एक ही ह,ै ये जिंदगी जी भर कर जीने दो खुद को आज़माना ह,ै तमु मझु े गिरने तो दो जाम है जीत का, तो एक बार मुझे भी पीने दो मझु े कोशिश करने तो दो। सपनों को निखारना ह,ै तमु ख्वाबो को थोड़ा संवरने तो दो बड़े ियों से नही,ं मझु े प्यार की डोर से जड़ु ने दो मझु े कोशिश करने तो दो। सपनों की नही,ं मझु े हकीकत की उड़ान उड़ने दो दुनिया वाले कहते हैं कु छ, तो कहने दो जीना है मझु ,े खलु कर सासं भरने तो दो नहीं माननी है कोई शर्त, बस अब रहने दो मझु े कोशिश करने तो दो। जीने नहीं दे सकते तो, तमु मझु े मरने तो दो मुझे कोशिश करने तो दो। 35

भाषा क्या है? से निरंतर बढ़ता जा रहा ह।ै इसलिए भाषा सिर्फ व्यक्तिगत क्षमता ही नहीं एक सं साधन भी ह।ंै जिसका उपयोग समाज अपने विकास के लिए करता ह।ै प्रियं का भट्ट सवहमातजाककते वहिै कजिाससनक्े रवम्यक्पतरियदृषो्ंटकि डोासलमी ाजजाएके तरूोपपमताें सचं गलठतिता हऔै किर वभिकाषसािहती किया ह।ै हजारों साल पहले जब इंसान के बीच कोई भािषक संवाद नहीं उप प्रबं धक (भूविज्ञान) होता था तब तक कोई समाज और सं स्कृ ति भी नहीं थी। भािषक संवाद सीएमपीडीआईएल, रांची भाषा हमारे मनोगत भावों की अभिव्यक्ति का साधन ह।ै इसके द्वारा हम के आधार पर ही धीरे-धीरे विभिन्न समुदायों की सासं ्ृक तिक पहचान दूसरे व्यक्ति को अयहपनभीाबवातऔसरमवझिचा सारकों कतेे हैं और उसकी बात समझ भी बननी आरंम्भ हुई होगी। परस्पर संवाद और सं पर्क के फलस्वरूप ही सकते हंै अर्थात् आदान प्रदान की महत्वपरू ्ण भाषाएं फलती-फू लती रही ह,ंै और उनके व्याकरण गढ़े जाते रहे है।ं माध्यम ह।ै भाषा वास्तव मंे सीमित ध्वनि प्रतीकों की ऐसी व्यवस्था होती जभासै षे ाकओालं काने्तवरिकमें ाअसनपके थकपाररणकोु छं से ववििभषिमन्नपसरिमस्थुदिायतिो ंयकाे ँ भी आई होगं ी। ह,ै जिनके द्वारा सार्थक ध्वनियाँ बनती हैं और इनमें अर्थ-निर्माण की परस्पर सं पर्क मंे असीमित क्षमता होती ह।ै हर भाषा मंे ध्वनियों की सं ख्या सीमित होती आने से मुख्यतः आपसी यदु ्धों में विजते ा के रूप में सं बं ध स्थापित होने ह।ै मगर इन ध्वनियों के द्वारा बनने वाले शब्दों की सं ख्या असीमित ह।ै पर भाषाओं के सृजन और विनाश की प्रक्रिया भी आरंभ हुई होगी। इस भाषा का महत्व - मानव समाज के लिए भाषा बहुत महत्वपरू ्ण ह।ै भाषा प्रक्रिया मं े कई भाषाएं नष्ट हुई होगं ी और कई भाषाएं परस्पर मिलकर के माध्यम से मनुष्य अपने आसपास की वदिुचनिायराऔकोर दचिेखतं तना समझता है नई भाषाओं के रूप मं ेसजे नम्माीनहवागेंजी।ातिभनाषे या कहे सलमुप्झत हलोिनये का ीहपै ्करकि्रियभााषआाओजं और उसे अर्थ भी देता ह।ै भाषा हमारे का वाहक भी जारी ह।ै सौभाग्य भी ह।ै भाषा अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण साधन होने के साथ-साथ अकोपसनं र-े कआ्षितपकमरंे हनजा जाररोूं सरीालहै क्योंकि प्रत्ेयक भाषा और उसके प्रत्ेयक शब्द सामाजिक सं पर्क और सहयोग बढ़ाने का माध्यम भी ह।ै ज्ञान-विज्ञान, के अनुभव को समाए रखता ह।ै साहित्य सजृ न, सभ्यता और सं स्ृक ति के उत्थान एवं सं रक्षण में भाषा भाषा ही किसी समदु ाय के रीति-रिवाजों और परम्पराओं की वाहक होती सहायक भी ह।ै इसलिए मानव समाज की उन्नति, ज्ञान-विज्ञान के नए- है। भाषा में आए बदलावों से सामाजिक बदलाव भी बड़े पमै ाने पर हुए नए क्षेत्रों का उदय और जीवन के विभिन्न आयामों मंे सामं जस्य बिना ह।ैं दुनिया मंे जब बड़े आर्थिक एवं व्यवसायिक बदलाव होते हंै तो उनका भाषा के सरथ्व ा असं भव ह।ै भाषा हमारी परंपराओं और सं स्कृ ति को प्रभाव भी भमंेाजषानपसरं खप्ड़या तकााहस्।ै थाआनानज्तरदणुनिबयड़ाे में आजीविका और आश्रय सुरक्षित रखने का भी काम करती है एवं समाज, क्षेत्र और राष््टर को एक की तलाश पैमाने पर हो रहा ह।ै सतू ्र मंे बाधँ ती ह।ै महानगरीय सं स्कृ ति और भमू ण्डलीकरण का असर प्रत्ेयक भाषा और भाषा एवं समाज का सं बंध - मानव द्वारा भाषाओं का सीखा जाना सं स्ृक ति पर पड़ा ह।ै भाषा के विकास और परिवर्तनों मंे इन कारकों की खास सामाजिक, सासं ्ृक तिक तथा राजनीतिक सं दर्भों मंे होता ह।ै अलग- उपके ्षा नहीं की जा सकती ह।ै अलग आयु समूह द्वारा यह भाषा सं दर्भ के अनुसार अलग-अलग ढंग से अकानर्यणदोंेशसेोहं को रीहते अरहंतरभराारज्तयीभयीप्रभवाासषायनेीनवगिरविीयधऔता रसमे सहमा्नपगन्नरहीय।ै विभिन्न प्रयोग की जाती ह।ै भािषक व्यवहार मंे यह विविधता बिखरी हुई नहीं है सं स्ृक ति बल्कि भाषा संप्रेषण, विचार और ज्ञान के तंत्रों को जोड़ती ह।ै जसै ा कि को बढ़ावा दिया है। इसके कीफआलसव्वशर्ूयपकतमिाओश्रितं कभो पाषूराायकी सरनमे ाकजे ोलं िकएा ओरोनिन (1977) ने कहा है - “भाषा का अस्तित्व एवं विकास समाज निर्माण हो रहा ह।ै विकास के बाहर नहीं हो सकता अर्थात् जहाँ भाषा के विकास को सासं ्ृक तिक भाषाओं की अस्मिता को सरु क्षित रखते हुए भारत के विभिन्न भाषायी एवं सामाजिक विकास की जरूरतों मंे बढ़ावा मिलता है वहीं भाषा भी समाजों में सघन रिश्ता बनना आवश्यक एवं उपयोगी है ताकि भारत एक सासं ्कृ तिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देती ह।ै मानव समाज मजबतू रभाषा्ष्टर काे मरूापत्र में उभर सके । भाषा के बिना नहीं चल सकता क्योंकि भाषा संप्रेषण का सबसे शुद्ध इसलिए भावों एवं विचारों के संप्रेषण का माध्यम ही नही ं है और सारवभ् ौमिक माध्यम ह।ै यह विचार के निर्माण और अभिव्यक्ति को बल्कि यह सं परू ्ण जीवन को समझने और उसे जीने का साधन भी ह।ै बनाने और संचारित करने मंे जरूरी भूमिका निभाती ह।ै ” किसी भी समुदाय, समाज और सं स्ृक ति की समृद्धि का मापदण्ड उसकी इस सं सार में सभी प्राणि अपनी आवश्यकता और सामर्थ के अनुरूप भाषा होती ह।ै कहा भी जाता है कि किसी जाति-सं स्कृ ति को समाप्त ध्वनियों और सं के तों का प्रयोग करते है।ं परन्ुत भाषा का जसै ा प्रयोग करना है तो पहले उसकी भाषा को समाप्त कर देना चाहिए। भाषा के मनुष्य करता है वैसा कोई अन्य प्राणि नहीं करता। मनषु ्य ने अपनी लुप्त और विकृ त होने पर न के वल सं स्कृ ति विकृ त होती है अपितु उसका मौखिक भाषा को लिपिबद्ध करके उसकी क्षमता और सामर्य्थ मंे कई साहित्य और इतिहास भी अतीत के गर्त मंे खो जाता ह।ै गनु ा वृद्धि की ह।ै भाषा का यह सामर्थ्य आधनु िक तकनीक के सहयोग 36

उत्तर बगं ाल की खूबसरू ती क्योंकि उसकी खूबसरू ती हर पल बदलती रहती ह।ै मैं एक दिन फे सबकु चला रहा था कि अचानक से मेरी नजर एक टुरिस्ट ग्रुप के पोस्ट पर पड़ी जहाँ पर कालजानी (अलीपरु द्वार) के बारे मे लिखा गया था, फोटो देखा रोहित छेत्री और जगह पसं द आ गई और माता रानी के कृ पा से टेर्न का टिकट भी मिल गया । क्लर्क ग्रेड-III अलीपुरद्वार– कोलकाता के सियालदह से अलीपरु द्वार के लिए कोविड श्रमशक्ति एवं औ. सं . विभाग स्पेशल टेर्न चल रही ह,ै अलीपरु द्वार स्टेशन पर उतरकर हम अपने गाड़ी सी.आई.एल. (म.ु ) में समान लाद कार चल पड़े (गाड़ी और होटल पहले से बकु थी) । कालजनी– अलीपरु द्वार से घं टे भर का रास्ता है ।कालजनी का नाम यहाँ मंै हमशे ा से घमू ने का आदी रहा हूँ। जब बटुए में ताकत रहती है तो प्रवाहित होने वाली कालजनी नदी के नाम के ऊपर रखा गया है । उसी कोलकाता से बाहर घमू ने चला जाता हूँ और जब उतना भी नहीं तो के नाम का रिज़ॉर्ट ह,ै जहाँ हम रुके थे । यह रिज़ॉर्ट चिलापाता जं गल के कोलकाता मंे ही कहीं चला जाता हँू। लेकिन मरे ी एक शर्त पर, जो मनैं े पास है और कु छ हिस्सा जं गल के अदं र ह।ै हम जहाँ रुके थे वो जं गल के अपने आप से कर रखी है कि आप कोलकाता के बाहर जब भी जाऊं गा अदं र का हिस्सा ह,ै बहुत ही शातं और सं ुदर रिज़ॉर्ट ह,ै आस पास कु छ तो 10 बजे के अदं र वापस आना ह।ै उसके बाद मंै कोलकाता से बाहर गाँव है । यहाँ के मलू निवासी है भटू िया है या फिर दक्षिणी बं गाली है । नहीं रह सकता। उसके बाद जब वापस आता हूँ तो लगता है मानो कई परू ा रिज़ॉर्ट मंे तीन-5 घर है जिसमे दो घर पूरी तरह काठ का बना हुआ जमाने के बाद वापस आया हूँ और मरे ा यह मानना है कि हम मानव ह,ै बाकी साधारण सीमने ्ट के घर है पर बगीचा बहुत ही शानदार है और जाति का काम सिर्फ पैसे कमाना, परिवार चलना नहीं होता, उस परिवार पूरा शातं माहौल में ये रिज़ॉर्ट है । यहाँ घमू ने का पूरा पैके ज काफी सस्ता के साथ घमू ने जाना भी एक बहुत जरूरी दायित्व ह,ै जो हर कोई निभा है जिसमंे 4 व्यक्ति का खाना भी शामिल है । नहीं पाता। बस कु छ ऐसी ही फिल़ॉसफी रखकर मैं जिंदगी मंे आगे बढ़ता जाता हँू। कोरोना के कहर ने हमारी जिंदगी को कु छ सीख भी दिया और बताया कि हम प्रकृति के प्रचंडता के सामने कु छ भी नहीं ह।ै कोरोना काल में मंै घर मंे रहकर ऊब चुका था। इतना तक कि मेरी माँ ने चिलापाता फॉरेस्ट– चिलापाता फॉरेस्ट घूमने के लिए आपको पहले से भी चेतावनी दे दी कि अगर 2021 के जनवरी में उन्हें कहीं घूमने नहीं वसे ्ट बं गाल फॉरेस्ट के वबे साईट में जाके ऑनलाइन बकु िं ग करनी होती ले गए तो वह घर छोड़कर कहीं चली जाएगी । अब तो कु छ करना था, ह।ै और हा,ँ बकु िं ग करने से पहले रिज़ॉर्ट के मनै ेजर से बात कर ले क्यँूकि ज्यादातर टूरिस्ट स्पॉट मेरे द्वारा घमू े हुए थे और कु छ जगह जहाँ मैं नही जं गल सफारी की गाड़ी आपके रिज़ॉर्ट से ले जाएगी। और जिस स्लॉट गया था वहाँ जाने के लिए टेर्न के टिकट नहीं मिल रहे थ।े मुझे पहाड़ में आप जाना चाहते है उस वक्त गाड़ी उपलब्ध है कि नहीं आपको पता वाले जगह ज्यादा पसं द नहीं है पर मंै शिमला के नॉर्थ साइड घमू चुका हँू करना होता है । हमने रिज़ॉर्ट के मालकिन के साथ बात करके सारे बकु िं ग और मझु े वहाँ के पहाड़ पसं द ह।ै शिमला के नॉर्थ साइड माने छिटकु ल की थी, चिलापाता मंे देखने लायक बहुत कु छ ह।ै पर आपकी तकदीर सं गल, वहाँ शिमला के दूसरे जगह के मकु ाबले भीड़ कम होती ह।ै समनु ्द्र आपके साथ होनी चाहिए अगर आप को शेर देखना है तो, नहीं तो आप किनारे की बात की जाये तो मंैने अंडमान घूमा ह।ै अंडमान की सुन्दरता भालू, बारहसिंघा, बाइसोन आराम से देख पाएं गे । जं गल में जाने के कु छ अद्वितीय ह।ै आपने वहाँ समय व्यतीत कर लिया है तो एक अंडमान नियम भी है जो आप को प्रवशे से पहले बता दिया जाएगा। यह जं गल हमशे ा के लिए आपके अदं र जिंदा रहगे ा। मुझे जं गल बहुत पसं द है 37

सफारी जनवरी से अप्रैल तक चलती है फिर सितम्बर से खुलती ह।ै मैं सं ुदरवन घमू चुका हँू, उसकी बात निराली है पर इस जं गल ने जितना डराया है और मन मोहा,ऐसा शायद ही कहीं और होगा। जं गल के जितने अदं र आप चले जाते ह,ै आप वहाँ उतने ही साधारण बन जाते ह,ै वहाँ कोई नियम नहीं है । आपको अपने आप जीते रहना है, किस मोड़ पर रोमांच और खतरा है यह कोई नहीं बता सकता, सिवाय जं गल के प्रहरी या फॉरेस्ट डिपारट् ्मन्ट वाले बता सकते है । इतना खूबसूरत और हरियाली वाला जगह को छोड़कर आने का मन नहीं कर रहा था पर क्या करे लौट के आना पड़ता ह।ै जं गल के घमू ने के लिए बकु िं ग के अलग खर्चे और गाइड का अलग ऑन चिलापता घमू ने के बाद दूसरे दिन हम लोग जयंती, बकु ्सा टाइगर रिजर्व स्पॉट खर्च, लेकिन गाइड के साथ आपको सौदेबाजी करनी पड़ेगी क्यूँ की और भटू ान घाट देखने गए, नॉर्थ बंगाल की सब से बढ़िया बात मझु े यह लगी उनकी मागं शुरू होती है 7000 से, और एक विशेष बात अगर आप शेर कि आप जितने अदं र चले जाते है मोबाईल के टावर से दूर और प्रकृति के देखना न चाहे तो जं गल सफारी बकु िं ग करने की जरूरत नहींसिर्फ भटू ान पास पहुँच जाते ह,ै चारों तरफ जं गल की शांति और हरियाली फै ली हुई है । घाट जाने के लिए इस रिजर्व से जाना होता है उसके लिए सिर्फ एं ट्री फीस जयं ती– वैसे कु छ खास जगह नहीं है बस एक नदी है जो भूटान से बहती लगती है जो बहुत ही सामान्य है । जं गल में मोबाईल का इस्तेमाल सिर्फ हुई आती है और सामने एक जल बाधं है बस उस कल-कल करते हुए फोटो खिंचने के लिए करंे, फ्लैश के साथ फोटो न खिंचे। भटू ान घाट मंे नदी के आस पास वक्त बिताए और मोबाईल मंै फोटो खिंचते रहे । ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट रुकने की अनमु ति ह,ै क्योंकि नदी के उस पर ही भूटान शुरू होता है और नदी मंे पानी इतना कम है कि आप चलते हुए उस पार जा सकते ह।ै हम जब लौट रह थे हम ने कु छ बं दर, हिरण कऔीरजिदंदूरगमीें बाईसन देखा था । अगर आप कु छ दिनों के लिए रोजमर्रा सकते हैं । से वक्त निकाल कर छु ट्टी के मजे लेना चाहते है तो यहाँ घूम एक जरूरी बात - शाम को लौटते वक्त आसमान और घने जं गल की आवोहवा मदहोश करने वाली थी ,और उस वक्त फरहान अख्तर की एक शायरी याद आ सीटीसी चाय बगीचा– करीब 6 एकड़ में फै ला हुआ यह चाय बगान ह,ै रही थी बड़ा खूबसरू त और हरा भरा है । बगीचा मंे घसु ने की अनुमति नहीं है पर पिघले नीलम सा बहता हुआ यह आसमान उसके आस पास खडे़ होके समय बीता सकते ह,ै फै क्ट्री मंे भी विज़िट नीली नीली सी खामोशियाँ कर सकते है पर हम जब गए तब फै क्ट्री बं द थी, उस फै क्ट्री से आप चाय ना कहीं है ज़मीन खरीद सकते ह,ै बाजार से कम दाम में । ना कहीं आसमान भटू ान घाट– भटू ान घाट किसी भी पकै े ज मैं नहीं आता क्यूँकि यह परू ा सरसराती हुयी टहनिया,ँ पट्टियां इलाका सशस्त्र सीमा बल के अंदर आता है और यहाँ जाने की अनुमति के ह रही है की बस एक तुम हो यहाँ सब को नहीं मिलती, इसकी अनुमति कोलकाता मंे फॉरेस्ट डिपारट् ्मन्ट सिर्फ मंै हूँ मेरी सासं ंे हैं और मेरी धडकनंे या पश्चिम बं गाल के टूरिज्म विभाग से लेनी पड़ती ह।ै पर हमंे ये पता नहीं था और हमने वहाँ पहुचने के बाद एक गाइड के मदद से अनुमति ऐसी गहराइयाँ कराई थी, बकु ्सा टाइगर रिजर्व और भूटान घाट दोनों एक ही रास्ते मंे हैं ऐसी तनहाइयाँ और आते-जाते आपका बकु ्सा टाइगर रिजर्व घूमना हो जाएगा, अगर और मैं सिर्फ मैं यहाँ भी आपको शरे देखना है तो आपको पहले से बकु िं ग करानी पडे़गी अपने होने पे मझु को यकीन आ गया । और चेक्पॉइन्ट पहुँच कर सारे कागज दिखा के गाइड लेके जाना पड़ेगा, 38

जिदं गी इक पहेली चलो करंे अब काम शुरु श्री व्योमके श कु मार श्रीधर गौरहा सहायक प्रबं धक (खनन), एमआरएस, अधीनस्थ अभियन्ता (ई एंड टी), रामगढ़, सीसीएल ई एंड टी विभाग, एसईसीएल मखु ्यालय, बिलासपरु काश की कोई करामात होती, विधाता की इनायत होती, हम फिर से बच्चे बन जात,े जी भर के शरारत होती। कर्मठ बनकर दिव्य कर्म से, होती आडंबर हीन ज़िदं गी, होते वो अमिया के पड़े , समृद्ध जगत के विश्वगरु ु। दिन बीतती खले ो,ं म,ें रात अबझू सपनों म।ंे जागरूक हो निर्मल मन से, बिना फिकर की ज़िदं गी होती, जी भर के शरारत होती चलो करें अब काम शरु ु।। ननिहाल के होते हम सम्राट, दादा दादी पर जमाते ठाठ, विकसित हो यह राष््रट हमारा, ओह्ह, कितने अबोध थे हम, स्कू ल को जले समझते थ।े बनकर रहना अब विश्वगरु ु। अपनी चलेगी होगं े जब बड़े, ऐसी भ्रम मंे रहते थ।े लक्ष्य समृद्धि का लेकर के , काश कि आगे के सर्क स का पहले से पता होता, चलो करंे अब काम शुरु।। बड़े होने क आशीर्वाद हम न लेत,े वो क़चड़े के ढेर में पड़ा होता बीती ताहि बिसार के , हे ईश्वर, नये पथ पर अब चलना होगा। ये सपने ले लो, ये रूपए ले लो, ये घनी जवानी भी ले लो, मातृभूमि को पावन करन,े ना कर सको परू ी गर तो, थोड़ी सी ही बचपन दे दो। काम शुरु अब करना होगा।। नहीं चाहिए मखमली गद्ेद, माँ का गोद भला था, स्वच्छता की राह को थामे, इस सरकारी बं गले से वो दो कित्ते का मकान कही बड़ा था। सं रक्षण प्रकृति का करना होगा। हाय, गए दिन वो बीत, जब अपनी ही चलती थी, राष्ट्रीय यज्ञ में आहुति देन,े बिना ऊबे ही माँ लगभग जिद पूरी करती थी। काम शुरु अब करना होगा।। लगभग बोला ...... क्यँूकि कु छ अरमान बड़े थ,े भय, भखू , भ्रष्टाचार मिटाने, पिताजी के जबे ी मंे कहाँ इतने पैसे पड़े थ।े भद्र बन करनी होगी सवे ा। अब अपने पास कु छ पसै े तो हैं सही, जन-जन तक पहुंचे सं देश, पर सारे अरमान जसै े गुम हो गए कही।ं भद्ंर कर्णेभि श्रृणवु ाम देवा।। आज ज़िदं गी को अपना कहना भी बमे ानी ह,ै जागरूक हो विकास-पथ पर, सौ बात की एक बात, पिंजर बं द तोते की कहानी ह।ै आगे बढ़ते रहना होगा। कहाँ बठै ना, कब क्या करना, अब दूजा तय करता ह,ै मातृभूमि को समृद्ध बनान,े अपना भी कु छ है वजदू , अब मन यह भ्रम नहीं रखता ह।ै कर्म निरन्तर करना होगा।। भलू गया कब हँसा था खलु के , दिन नहीं वह दूर ह,ै चेहरे के हर भाव ह,ै बनावट के । जग कहे जय भारत जय विश्वगुरु। बचपन थी एक पसंे िल सी, ग़लतियाँ जाती थी मिट, स्वस्ति सं कल्प ले मन में आज, अब की भलू लकीर पत्थर की, अमर अमिट, अमर अमिट। पल-पल हर-पल अब काम शुरु।। 39

सनै िक की शहादत श्री के . पी. पाठक, मुख्य प्रबं धक (खनन) आतं रिक अकं े क्षण विभाग, वके ोलि, नागपुर गंूज उठी किलकारी, अब मं गल उत्सव होना था, अनशु ासित, आज्ञाकारी था, मा-ँ बाप की इच्छा सिरोधार किया, आया था घर का चिराग, खशु ियों का नहीं ठिकाना था। बज उठी शहनाई आगँ न मे,ं हल्दी-मंहे दी की रस्म किया। दबाहदनीादकौडो़ीच,िदतं ादा ानदंेगौडके़,ीपथापी,ा तो कु छ कह न पाए, यह नव-दंपति सखु मय जोड़ी, जीवन की उल्लास लिए, भइया के आसँ ू छलक आए ॥1॥ दो दिन ही तो बीते थ,े नव-जीवन के सं स्कार किए ॥5॥ आदेश हुआ है सेना का, जल्दी तमु वापस आ जावो, ठिठके सम्हले बोले ऐसे, जो चाहोगी मिल जाएगा, दुश्मन आकर ललकार रहा, अपना कर्त्तव्य निभा जावो। द:ु ख के दिन अब सब दूर हुए, सुखमय जीवन अब आएगा। महंे दी नहीं छू टी हाथों की, श्रृंगार तो यं ू ही बना रहा, खुशियों का अबं ार होगा, बटे ा खूब कमाएगा, माँ की ममता न रोक सकी, बापू का दिल भी बठै रहा ॥6॥ निर्धनता भी मिट जाएगी, शोहरत गौरव भी आएगा ॥2॥ आश्वासन दे जल्दी आने का, चला गया वह योद्धा था, दुश्मन के छक्के छु ड़ा दिया, वह वीरगति को पाया था। किया पढ़ाई बाबू न,े चल पड़ा देश भक्ति के लिए, एक माँ से दूर गया, पर भारत माँ का गौरव था, हो गया वह भर्ती सने ा मे,ं मन में कु छ अरमान लिए। उसकी आन मंे हो गया बलि वह, अमर हो गया योद्धा था ॥7॥ व्यथित‍ द:ु खित मन से प्रेरित, माँ ने किया विदाई था, कॉप रही थी कलम मरे ी, कु छ लिखने से इंकार किया, चल पड़ा बॉकु रा, यौद्धा अब निर्भय उर अति उत्साही था ॥3॥ अरमान सभी तो खाख हुए, अब अमर पति को विदा किया। अल्पकाल के कठिन परिश्रम न,े उसको फौलाद बनाया था, टूटी थी हाथों की चूड़ी, बिन्दी, कु मकु म मुरझाई थी, अग्नि, ब्रम्हास्त्र खिलौना था, दुश्मन को भी थर्राया था। उतरा था मं गलसूत्र तभी, आसँ ू से मेंहदी धोई थी ॥8॥ कर्तव्य पालन की चेष्टा, आते ही बापू ने तार किया, घर का चिराग तो चला गया, माँ भारती की लाज बचाया था, एक सनु ्दर कन्या देखी ह,ै अपनी उत्कण्ठा जता दिया ॥4॥ नेताओं के दरु ्वचन सनु , व्यथित पिता ने बोला था। लाघँ ो मत मर्यादा की सीमा, गद्दारी को अब छोड़ो तमु , यह राजनीति का क्षेत्र नही,ं अपना भी बटे ा भजे ो तमु ॥9॥ तमु लोलुप, दंभी, कपटी हो, तमु ्ंेह मातृ-भमू ि से प्यार नही,ं जो आग जल रही सीने मं,े तुमको उसका अहसास नही।ं घवीररमविें बहठैीने गनद्हदारींोधं पररत,ीक, य्हया धदरुानिमयौानलहोहो ाजमााएनगेगीी,॥10॥ मत करो अपमान इस सने ा का, सारगर्वित है इसकी कु र्बानी, रातों की नीदं , मिला वैभव, है सब इसकी महे रबानी। नमन करता हँू उस जननी को, जो जन्मी ऐसे वीरों को, वह धन्य वंदनीय देवी ह,ै जो खोया अपने सुहाग को ॥11॥ 40

सीआईएल की सीएसआर गतिविधियाँ सीआईएल द्वारा अत्याधनु िक रेडियोथेरेपी मशीन का वित्तपोषण उत्तराखं ड मंे बुनियादी ढाचं े के विकास मंे मदद करेगी सीआईएल सीआईएल एक नई सीएसआर कोल इंडिया लिमिटेड ने श्री के दारनाथ उत्थान चैरिटेबल टसर् ्ट, बद्रीनाथ पहल के तहत कैं सर के उपचार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया हंै और उत्तराखंड के में लचीलेपन के लिए तीन बद्रीनाथ-जोशीमठ मंे सड़क विकास परियोजना के लिए 19 करोड़ रुपये फोटॉन और छह इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का योगदान देगा। स्तरों के साथ एक उन्नत छवि निर्ेदशित रेडियोथरे ेपी मशीन की परियोजना की मखु ्य विशषे ताओं में से एक यह है कि प्रस्तावित सड़क, स्थापना के लिए सरोज गपु ्ता 90 गांवों को लाभान्वित करने के अलावा, 3200 मीटर की ऊंचाई पर कैं सर कें द्र और अनसु ं धान संस्थान, कोलकाता को 10 करोड़ रुपये की स्थित माना गांव तक हर मौसम मंे पहुंच प्रदान करेगी और इसे भारत- वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा ह।ै चीन सीमा पर भारत के अंतिम गांव के रूप में माना जाता ह।ै सड़क सं पर्क मंे सुधार ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वगां ीण सामाजिक-आर्थिक विकास इस आशय के एक समझौता ज्ञापन पर श्री एस. एन. तिवारी, निदेशक का अग्रदूत ह।ै सीआईएल की ‘अंतिम मील तक सड़क’ पहल का उद्देश्य (पी एंड आईआर) / विपणन, कोल इंडिया लिमिटेड की उपस्थिति में बद्रीनाथ पहाड़ी क्षेत्र के भीतरी इलाकों में अवसरों का प्रवशे द्वार खोलना सीआईएल और सरोज गपु ्ता कंै सर कंे द्र और अनसु ं धान संस्थान के बीच ह।ै हस्ताक्षर किए गए। यह पहल कोलकाता में वंचितों के लिए सर्वोत्तम कंै सर उपचार लाने मंे मदद करेगी। सीआईएल ने वैक्सीन परिवहन के लिए दो रेफ्रिजेरेटेड टक्र सौपं े सरोज गपु ्ता कंै सर सटंे र एंड रिसर्च इंस्टीट्टूय , कोलकाता एक 311 बिस्तर कोल इंडिया लिमिटेड ने एक वाली, गरै -लाभकारी संस्था है और विभिन्न सं गठनों और व्यक्तियों द्वारा नई सीएसआर पहल के तहत दिए गए दान, अनुदान और परोपकार के माध्यम से वंचितों को कंै सर के राज्य स्वास्थ्य परिवहन सं गठन, लिए रियायती उपचार प्रदान करता ह।ै स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, पश्चिम बं गाल सरकार सहाीथआबईढए़ालया ने झारखं ड में ऑक्सीजन सं यं त्र की स्थापना के लिए को COVID टीकों के कोल इंडिया लिमिटेड एक परिवहन के लिए दो रेफ्रिजरे ेटेड नई सीएसआर पहल के तहत टकर् सौपं े ह।ंै श्री. एस.एन. तिवारी, निदेशक - विपणन / एमपी एंड झारखंड के सिमडेगा जिला आईआर, सीआईएल ने कोलकाता मंे सीआईएल मखु ्यालय से टक्र ों को हरी झंडी दिखाई। अस्पताल मंे 50 बिस्तरों COVID प्रतिक्रिया वाले कोविड अस्पताल के कोलकाता पलु िस अस्पताल मंे 3 लिए ऑक्सीजन उत्पादन वटंे िलेटर और जरूरतमं द मरीजों के सं यंत्र और 10 बिस्तरों वाला लिए बिहार और झारखंड के विभिन्न आईसीयू स्थापित करने के स्थानों के चिकित्सा सहायता कंे द्रों पर लिए 99 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा ह।ै ऑक्सीजन कॉन्सं टेर्टर प्रदान किये समय पर की गई यह सहायता जिला प्रशासन को कोविड प्रबं धन में मदद गये। करेगा और साथ ही साथ इस आदिवासी जिले के स्वास्थ्य के बनु ियादी ढांचे को आगे बढ़ाने मंे मदद करेगा। 41

ऑस्ट्ेरलियन महावाणिज्य दूत का सीआईएल मखु ्यालय दौरा सशु ्री रोवन एन्सवर्थ, ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूत, कोलकाता ने कोल इंडिया मुख्यालय का दौरा किया और श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, सीआईएल एवं श्री बिनय दयाल, निदेशक - तकनीकी, सीआईएल से मलु ाकात की। सीआईएल (म.ु ) में अतं र्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया सीआईएल मखु ्यालय में अतं र्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 मनाया गया। पारंपरिक तौर पर दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शभु ारंभ किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रमोद अग्रवाल ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपरू ्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. रेणु अग्रवाल ने इस वरष् के विषय “नेतृत्व मंे महिलाएं : COVID-19 के दौर में एक समान भविष्य की प्राप्ति” के बारे मंे बात की । आयोजित डॉ. रेणु अग्रवाल, श्रीमती महिमा सोनी और श्रीमती ज्योति तिवारी द्वारा अतं र्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 के उपलक्ष्य मंे विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजते ाओं को पुरस्कार प्रदान किये गए। सीआईएल (मखु ्यालय) मंे ‘आजादी का अमतृ महोत्सव’ का आयोजन भारतीय स्वतंत्रता के 75 वरष् पूरे होने के उपलक्ष्य में सीआईएल मुख्यालय में मनाये जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का उद्घाटन निदेशकगण एवं सीवीओ द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। सीआईएल और उसकी अनुषंगी कं पनियां अगले 75 सप्ताह तक ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाएं गी। कर्मचारियो,ं स्कू ली बच्चों, महिलाओ,ं पंचायती राज सदस्यों और परिधीय ग्रामीण आबादी के साथ सक्रिय जडु ़ाव को ध्यान मंे रखते हुए विविध विषयगत गतिविधियों को शॉर्टलिस्ट किया गया ह।ै अनसु चू ित कु छ दिलचस्प कार्यक्रमों मं,े विजन 2047 पर स्कू ली बच्चों द्वारा बहस, किसान मले ा, सब्जी की खते ी और पशुधन विकास पर किसान समदु ाय को ज्ञान-वर्द्धन और पंचायती राज सदस्यों के साथ चौपाल बातचीत शामिल ह।ै गतिविधियों की सूची मंे प्रमखु रूप से कोल इंडिया के दो हस्ताक्षर विषय हैं - ‘प्रोजके ्ट कोल स्वजल’ जिसमंे खदान के पानी का उपयोग शामिल है और ‘प्रोजके ्ट तरु जीविका’ जो सामाजिक वानिकी के माध्यम से आजीविका के बारे में ह।ै 42

सीआईएल मखु ्यालय मंे विश्व पर्यावरण दिवस 2021 श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, सीआईएल ने विश्व पर्यावरण दिवस 2021 के उपलक्ष्य मंे सीआईएल, मखु ्यालय, कोलकाता में पर्यावरण दिवस झंडा फहराया। इसके बाद श्री अग्रवाल ने विश्व पर्यावरण दिवस की शपथ दिलाई। श्री बिनय दयाल, निदेशक - तकनीकी, सीआईएल, श्री सं जीव सोनी, निदेशक - वित्त, सीआईएल, श्री एस. एन. तिवारी, निदेशक - मार्केटिंग/ पी एंड आईआर, सीआईएल और श्री एस. के . सदागं ी, सीवीओ, सीआईएल और एचओडी उपस्थित थ।े इस अवसर पर वृक्षारोपण भी किया गया। अतं र्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 की शुरुआत सीआईएल (म.ु ), कोलकाता में एक योग सत्र के साथ हुई। श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, सीआईएल, श्री बिनय दयाल, निदेशक - तकनीकी, सीआईएल, श्री. सं जीव सोनी, निदेशक - वित्त सीआईएल, श्री एस.एन. तिवारी, निदेशक - विपणन / एमपी एंड आईआर, सीआईएल, श्री आरपी श्रीवास्तव और सीआईएल के कर्मचारियों ने इस योग सत्र में भाग लिया। सीआईएल द्वारा ईको पार्क का निर्माण सीआईएल ने हमेशा अपने प्रचालनों में और उसके आस-पास एक पारिस्थितिक सं तलु न बनाने का प्रयास किया ह।ै पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के प्रयास मे,ं इसने 23 इको-पार्क विकसित किये ह,ंै जिनमंे से 15 खान पर्यटन सर्किट के दायरे में आते ह।ैं तालचरे में 120-बेड से युक्त COVID19 अस्पताल का निर्माण एमसीएल ने अगं ुल, एनएससीएच, तालचेर में एक 120 बिस्तर (90 सामान्य, 20 एचडीय,ू 10 आईसीय)ू समर्पित COVID19 अस्पताल को कार्यात्मक बनाया गया ह।ै SUM अस्पताल, भवु नशे ्वर की टीम इस COVID19 विशेष सवु िधा का संचालन करेगी। 43

सीआईएल ने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर को श्रद्धांजलि दी कोल इंडिया मुख्यालय, कोलकाता में डॉ. बी. आर. अंबडे कर की 130वीं जयतं ी पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। । श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, सीआईएल, श्री बिनय दयाल, निदशे क, तकनीकी, सीआईएल, श्री एस.एन. तिवारी, निदशे क, विपणन और पी एंड आईआर, सीआईएल, श्री संजीव सोनी, निदशे क, वित्त, सीआईएल और श्री सरोज कु मार सदागं ी, सीवीओ, सीआईएल ने भारतीय सवं िधान के मुख्य शिल्पकार डॉ. अंबडे कर को पुष्पांजलि अर्पित की, जिन्होंने जातिगत पूर्वाग्रहों से मुक्त आधनु िक भारत और महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए समान अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। सीआईएल (म.ु ) मंे ‘विश्वकारय़् स्थल पर सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस’ मनाया गया श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, सीआईएल और श्री बिनय दयाल, निदशे क, तकनीकी, सीआईएल ने ‘विश्व कार्य स्थल पर सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस’ के अवसर पर शहीद स्मारक पर पषु ्पांजलि अर्पित की। इसके बाद अध्यक्ष, सीआईएल ने अपने कॉर्पोरेट मखु ्यालय, कोलकाता मंे सीआईएल का सरु क्षा ध्वज फहराया। सीआईएल का सुरक्षा ध्वज खान सुरक्षा को बढ़ावा दने े और प्रचारित करने के प्रयास का प्रतीक ह।ै सीआईएल मखु ्यालय मंे मई दिवस मनाया गया श्री प्रमोद अग्रवाल, अध्यक्ष, सीआईएल, श्री बिनय दयाल, निदशे क, तकनीकी, सीआईएल, श्री संजीव सोनी, निदशे क, वित्त, सीआईएल और श्री एस.एन. तिवारी, निदशे क, विपणन और पी एंड आईआर, सीआईएल ने मई दिवस के अवसर पर कोल इंडिया कॉर्पोरेट कार्यालय, कोलकाता मंे शहीद स्मारक पर खनिकों को पषु ्पांजलि अर्पित की। हमारे खनिक और श्रमिक हमारी बेशकीमती सपं त्ति ह।ंै उनकी कड़ी मेहनत ही हमारे सगं ठन की सफलता निर्धारित करती ह।ै सभी बाधाओं से लड़ते हुए और पूरी कर्तव्य परायणता से वे आठ कोयला उत्पादक राज्यों में फै ली खदानों में चौबीसों घटं े काम करते हंै और दशे के लिए ऊर्जा सरु क्षा सुनिश्चित करते ह।ैं सीआईएल अपने सभी खनिकों और कामगारों को उनकी कड़ी मेहनत, ईमानदारी, लगन और भारत को ऊर्जावान बनाने की प्रतिबद्धता के लिए सलाम करता ह।ै 44




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