नराल ह डी व लयम ट ग, हदं : वदषू क
पर यह ख़ुशी बहुत देर तक कायम नह ं रह . अचानक एक बड़े प थर के पीछे से कु छ चोर अपनी बंदकू और छु रयां लेकर कू दे. वो कौन थे? पल को कु छ समझ ह नह ं आया यंू क वे ल बे चोगे पहने थे और उनके महंु मखु ोट से ढंके थे. पर वो बहे द डरावने थे और जोर-जोर से च ला रहे थे.
“ या बचने के लए हम कु छ कर नह ं सकते ह?” पल ने पछू ा. “काश! मेरे दमाग म कोई तरक ब आती,” ह डी ने कहा, “पर मरे ा दमाग बलकु ल काम नह ं कर रहा है. मझु े बहुत बरु ा भी लग रहा है. म भी दखु ी हूँ.” फर कचन म से कु छ आवाज़ सनु ाई द . “वो आवाज़ कसक है?” पल ने पछू ा. “लगता है वो चाकू म धार लगा रह है,” ह डी फु सफु साई. “अरे बाप रे!” पल रोने लगी. “और वो या आवाज़ है?” “लगता है उसने चू हे म लकड़ी डाल ह,” ह डी ने उ तर दया.
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