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202110256-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_FL-G09-FY

Published by CLASSKLAP, 2020-04-15 09:20:19

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4. रीजतव चक जिय जवशेषण – फजन अफवकारी शब्दों से फक्रया के होने की रीफत या फवफध का पता चले, उन्हें रीफतवाचक फक्रया फवशिे र् कहते हैं । जैसे – मंै आपकी बात ध्यानपवू णक सनु रहा ह।ँा मंैने उसे भली भााँफत समझा फदया ह।ै अन्य उदाहरर् – कै स,े ऐस,े वसै े, जैस,े सखु पवू णक, ज्यों, त्यों, उफचत, अनफु चत, धीरे-धीरे, सहसा, ध्यानपवू कण , सच, ते , झठू , यथाथण, वस्ततु ः, अवश्य, न, नहीं, मत, अतएव, वथृ ा इत्याफद। 2) स़बिं ़ंिधबोधकः पररभ ष – वे अव्यय, जो सज़ंि ्ञा-सवणनाम के साथ उनका सबं़ि ़ंिध वाक्य के दसू रे शब्दों से बताते ह,ैं उन्हें सबि़ं ़िंधबोधक अव्यय कहते ह।ंै जसै े – खशु ी के मारे वह पागल हो गया। बालक चााँद की ओर दखे रहा था। मरे े घर के आगे बस स्टॉप ह।ै उपयिणु वाक्यों में यथा-के मारे, की ओर, के आगे स़िंज्ञा अथवा सवणनाम का वाक्य के अन्य शब्दों से स़बंि ि़ंध बताते ह।ंै अतः ये संिब़ ़ंिधबोधक अव्यय ह।ैं 3) समुच्चयबोधकः पररभ ष - दो शब्दों, वाक्यािं़शों अथवा वाक्यों को परस्पर फमलाने वाले अव्यय शब्द समचु ्चयबोधक कहलाते हंै । इन्हें योजक भी कहते हैं । जैसे – माता और फपता (शब्द – समचु ्चयबोधक) मनंै े पररश्रम तो फकया, परं़ितु सिलता नहीं फमली। (वाक्या़ंिश-योजक) वह मेहनत करता रहा, इसफलए सिल हो गया। (वाक्यांि़श- योजक) 4) जवस्मय जदबोधक पररभ ष – हि,ण शोक, आश्चयण, प्रशस़िं ा, घरृ ्ा आफद भावों को प्रकट करने वाले अफवकारी शब्द फवस्मयाफदबोधक कहलाते ह।ैं जैसे – अहा! फकतना सदु रिं़ दृश्य ह।ंै ऐिं!़ यह कै से हो सकता ह?ै इनमें अहा और ऐंि़ फवस्मयाफदबोधक शब्द ह।ैं 222






















































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