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SCHOOL MAGAZINE

Published by skharshita470, 2020-11-14 02:39:42

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HOW DOES ‘TECHNOLOGY’ AFFECT ‘SCIENCE’ TECHNOLOGY uses science to solve problems and SCIENCE uses technology to make new discoveries. Although they have different goals, science and technology works hand in hand and help the otherAdvance. Scientific knowledge is used to create new technologies such as “SPACE TELESCOPE”.And technology is used to discover new facts related to science. Science is the study of natural world by creating data through a systematic process called the Scientific method and technology is where we apply science to create devices that can solve Problems and do tasks. Technology is literally the application of science. Science without technology is not practically possible and technology without Science is unimaginable. The history of science and technology examines how humanity’s understanding has Changed over the centuries. SHILPA SINGH Teacher

Education and E-Learning The Covid-19 pandemic has affected educational system worldwide, leading about closure of all school. In response to school closures UNESCO recommended the use of distance learning programmes and open educational applications and platforms that schools and teachers can use to reach learners remotely and Limit the disruption of education because as the child's growth cannot be stopped so do the education. It is an ongoing process and has to be continued. As the students and teachers cannot impart education under one roof therefore e- learning concept has been introduced for this. Now, let me tell you about e-learning. It is a learning system based on formalized teaching but with the help of electronic gadgets such as mobile phone, laptops etc. This type education system has not only helped the students but also the parents and the teachers are also helped by this type of learning. They have become much equipped with the advanced technology. Archana Yadav Teacher

AMAZING FACTS FACTS ABOUT INDIA  India is the world largest,oldest, continous cultivation, civilization and also the world largest democracy!  India never invaded any countries in the last 1000 years of history.  India is the largest English speaking nation in the world.  About 50% of the residents in India are under 25 years of age.  India is home to the highest bridge in the world- The Baily Bridge.  The number system was invented by India. 0(digit) was invented by Aryabhatta.  The game chess was invented by India.  India is the second largest number of scientist and engineers in the world.  Yoga the well known spiritual and physical exercise, has its origins in India and existed for over 5000 years.  Varanasi, also known as Banaras, is known as the ancient city. Om Prakash Pandey Class: - VII B

बालमजदरू एक बात कहूंगा कहंूगा मंै परी। बच्चौं की हाथों की बेड़ियांू होती है ये बाल मज़दरी। इसे हमें भी दर करना ही होगा, इसे नजर अंदू ाज करके हमारा देश कब तक सोएगा? जजस मैदं ान में अभी खेलना है वहीूं साफ़ कराते है। बहुत जगह इस बात को भाव नहीूं देते हैं। कु छ लोग तो इस बात को मज़ाक मंे लते े हंै। मरे ी बात ध्यान से सुनो आपको भी लगेगा अच्छा, सोच के देखो अगर पढेगा देश का हर एक बच्चा। बच्चे क्या कर पाएूंगे, अगर आप रखते हंै उनको काम पे, जजतना काम वो करंेगे, उतना तो आप भी कर सकते हंै अगर आप सोचोगे ध्यान स।े आददत्य झा कक्षा - आठवी

दहदं भार्ा प्रकृ ति की पहली ध्वति ॐ ह,ै मेरी तहंिदी भाषा भी इसी ॐ की देि ह।ै देविागरी तलतप है इसकी,देवों की कलम से उपजी, बािगं ्ला,गुजरािी,भोजपुरी,डोंगरी,पिंजाबी और कई, तहंिदी ही है इि सबकी जििी। जो बोलिे ह,ंै वही तलखिे ह।ैं मि के भाव सही उभरिे ह।ैं तहिंदी भाषा ही िुम्हंे,प्रकृ ति के समी पले जाएगी, मि की शतु ि,िि की शतु ि,सहायक यहािं बि जाए, कु छ हवाचली है ऎसी यहांि, कहिे हैं इस राष्ट्र भाषा को बदल डालो। बदल सको क्या िुम अपिी मािा को, राष्ट्रभाषा का क्यों िुम बदलाव करो। बदल सको िो िुम अपिी सोच को बदल डालो हर एक भाषा का िुम तदल से सम्माि करो। तहिंदी की जडों पर आओ हम गवव करंे । तहंिदी भाषा पर हम गवव करंे । सौम्या कु मारी कक्षा आठवींू









प्रेरक और रोचक कथा एक बार भगवान बुद्ध के पास एक व्यजतत आया, वह उनसे ईटयाा - द्वेर् करता था । वह उन पर क्रोचधत होकर गाशलयां देने लगा। भगवान बुद्ध शातं भाव से उसकी गाशलयां सुनते रहे उन्होंने कु छ भी नह ं कहा । जब वह व्यजतत गाशलयां देते _ देते थक कर शातं हो गया , तो भगवान बदु ्ध ने उनसे पछू ा-\" तया तमु ्हारे घर कभी कोई महे मान आता है ? उस व्यजतत ने कहा - \"हां बहुत आते हैं \"। यह उत्तर सुनकर बदु ्ध ने कहा -\"तो तमु उनका सत्कार भी करते होंगे\"? गसु ्से में व्यजतत ने उत्तर ददया-\" हां तयों नह ं उन्हें भोजन कराता हूं और सम्मान भी देता हूं। बुद्ध ने पूछा _ \"यदद तुम मेहमान को कोई वस्तु खाने को दो और वह ना खाए तो वह वस्तु कहां रहेगी\"? इस पर उसने उत्तर ददया _\" महे मान द्वारा नह ं खाए जाने वाल वस्तु मरे े पास ह रहेगी\"। यह सनु कर भगवान बुद्ध गभं ीर होकर उसे समझाते हुए बोले _ \" वत्स ! तमु ने मुझे जो गाशलयां द है उन्हें मंै स्वीकार नह ं करता अतिः यह तुम्हारे पास ह लौट जाएंगी\"। यह सुनते ह उस व्यजतत का शसर लज्जा से झकु गया उसने भववटय मंे ककसी के साथ बरु ा व्यवहार ना करने का सकं ल्लप शलया। नाम-आददत्य हर्ा वग-ा छ:

मजेदार और रोचक तथ्य 1. एक वर्ष मंे इूंसान औसतन 50लाख बार सांसू लेता है। 2. जन्म के समय मानवीय शरीर में 300 हड्डियांू होती है वयस्कहोने तक शरीर मंे 209 हड्डियांू रह जाती है। 3. आपके शरीर की एक चौथाई हड्डियांू आपके परै ों में होती है। 4. कोका_कोला का रूंग हरा होता अगर इसमंे फि कलोरेंटनहींू ममलाया होता। 5. पजचचम अफ्रीका के माध्यममक जनजातत के लोग मर चकु े मानव की खोप़िी का इस्तेमाल फु टबॉल खले ने में करते हंै। 6. छ कंू तेसमय आपका ददल एक सेकंे ि के मलए रुक जाता है। 7. कॉकरोच अपने सर के बबना कई हफ्तों तक जजदूं ा रह सकते है।ं 8. पथृ ्वी ही ऐसा ग्रह है जजसका नाम ककसी भी देवता के नाम पर नहींू रखा गया है। 9. अगर आधतु नकदतु नयाके तनावकोहटाददयाजाएतोआदमीऔसतनददनमंे 10घटूं ेसोएगा। 10.एक पोंि शहद के मलए मधमु क्खी को 20 लाख फलों तक घमना प़िता है। सजं ना कु मार वग-ा छ:



विद्यावथियों के कर्िव्य ककसी भी राष्ट्र की सबसे मल्यवान पूंजी वहाूं की जनता होती है। इस वाक्य मंे जनता का तात्पयष यवु क से है। बचपन में यवु क माता-पपता के भरोसे जीवन व्यतीत करता है, पर ब़िे होने पर समय के साथ-साथ उनका दातयत्व कु छ बढ जाता है। अतः छात्र जीवन में छात्रों के कु छ कतवष ्य होते हैं ,जैसे--उन्हें समय पर उठना चादहए, उन्हें समय पर खाना चादहए, समय पर पढना चादहए तथा समय पर सोना चादहए आदद। इन्हींू सब कतषव्य का पालन करने पर छात्र अपने भावी जीवन के योग्य बनता है। इन्हींू सब कतषव्यों का तनयममत रूप से पालन करने पर भावी जीवन का तनमाषण होता है। पवद्यार्थषयों का प्रमखु कतषव्य है_ अध्ययन करना। उन्हें शाूतं जगह पर ददमाग को एक जगह कें दित कर पढना चादहए। ऐसा करने से छात्रों को पाठ याद करने में आसानी होती है। छात्रों को एकाग्र होकर पढना चादहए छात्रों को पाठ्य ज्ञान के अलावा बाहरी ज्ञान को भी प्राप्त करना चादहए छात्रों को भौततक, व्यापाररक, सामाजजक आदद हर प्रकार का ज्ञान अजषन करना चादहए। इन सभी पर भी छात्रों को ध्यान देना चादहए। स्वास्थ्य ही धन है, पूंजी है, ऐसा सोच कर उन्हें आने वाले जीवन की तैयारी करनी चादहए। छात्र जीवन में ही छात्र के योग्य या अयोग्य होने की छपव ददखाई देती है। छात्र का सबसे ब़िा धन समय होता है। छात्र जीवन में प्रत्येक काम करने का एक तनजचचत समय होता है। और प्रत्येक कायष का समय पर होना अच्छा लगता है। छात्रों को जीवन को सतंू ुमलत रखने का हर संभू व प्रयास करना चादहए। पवद्याथी जीवन बहुत ही कदठन जीवन है। इसी जीवन में छात्र मशक्षा के साथ-साथ ज्ञान की बढोतरी करते हंै। छात्र जीवन भावी जीवन की आधारमशला होती है, जजस पर इमारत ख़िी होती है। छात्रों को जीवन के सवागंा ीण पवकास के मलए प्रयास करना चादहए। अनुशासन का पालन करना छात्रों का प्रधान कतषव्य है। अनुशासन मंे रहने पर हम हर जगह सम्मातनत होते हंै। अतः अपने कतवष ्यों के पालन से ही छात्रों का जीवन सुखी, शाूंततपणष और आनूदं में बनता है। शशक्षक्षका अनीमा देवी

वतमा ान का करें सह उपयोग वतमा ान मंे जीना ह सह मायने में जीना कहलाता है। वतमा ान के क्षणों का उपयोग ह समय का साथका उपयोग है। यह हमार अनमोल परंतु गततशील संपवत्त है ।यह कभी भी जस्थर नह ं रहता तनरंतर आगे बढ़ता रहता है और इसे हाशसल करने संभालने का एक ह तर का है कक इसके साथ ह चलते चला जाए तनरंतर इसका उपयोग ककया जाए जजतना हम इसका उपयोग करेंगे उतना ह मािा मंे यह हमारा है अन्यथा हमारे पास होकर भी हमारे ककसी काम का नह ं है। जजन्होंने वतमा ान को समझा है, इसके महत्व को जाना है, इसकी कीमत को पहचानता है वे इसके साथ तनरंतर जटु े रहते हं।ै इसे व्यथा नह ं गंवाते । इसके हर पल का साथका उपयोग करते हं।ै इसशलए कहा भी गया है _ \"काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरर करेगा कब\" अथाात- ककसी भी काम को हमंे टालने की आदत नह ं रखनी चादहए हो सकता है कक बाद मंे कोई और काम आ जाए तो पहला काम जो था वह टलता ह चला जाता है। जो बीत गया वह अतीत है और जो आने वाला है वह भववटय है, परंतु यह दोनों ह हमारे हाथों मंे नह ं होते हमार कल्लपनाओं मंे होते ह।ंै अतीत और भववटय दोनों ह हमार चचतं न में होते हंै, लेककन हम इनमंे प्रवेश करके इसमें जी नह ं सकते। अतीत की यादंे हमें परेशान करती है। भववटय की चचतं ा हमें प्रेररत कर सकती है, लेककन के वल वतमा ान ह एकमाि ऐसा है जजसमंे हम अपना काया कर सकते है।ं अतीत वह आकार है जो ढल चकु ा है और भववटय वह आकार है जो अभी बना नह ं है। लेककन वतमा ान वह आकार है, जो अभी हमारे सामने उपललध है और इसे हम अपने अनुसार आकार दे सकते ह।ंै यदद तनधारा रत समय पर काया पूरा नह ं होता तो वह काया अधूरा कहा जाता है और यदद समय सीमा के अदं र पूरा होता है तो शेर् समय बच जाता है। काया की खूबसूरती तभी है, जब वह तनधारा रत समय के पूरे सदपु योग से सफल व पणू ा हो जाए और यह तभी सभं व है जब हम वतमा ान का सह तर के से उपयोग करना सीख जाते हंै। इसशलए वतमा ान की अमूल्लय सपं दा का उपयोग सभी को ईमानदार से करना सीखना चादहए। एक शशक्षक होने के नाते बच्चों से मेर नम्र तनवेदन है कक वह अपने वतमा ान का सह उपयोग करें प्रात: उठकर 5 शमनट अपने परू े ददन के कक्रयाकलापों के बारे में अपने मजस्तटक में एक आकार तयै ार कर ले और अपने आप को सवु ्यवजस्थत कर अपने पूरे ददन को उसी आकार के साथ जजए वह बस अपने वतमा ान का उपयोग अगर ईमानदार के साथ करेंगे तो उनके भववटय को उज्जवल बनाने से कोई नह ं रोक सकता। धन्यवाद। विविका अविबंदना समु न

डॉक्टर सििपल्ली राधाकृ ष्णन को समवपिर् वििक वदिस बच्चे जब तोतली जबान बोलना प्रारंूभ करते हैं, बच्चे जब तोतली जबान बोलना प्रारंूभ करते हैं, अमभभावक गण उन्हंे पवद्यालय का रुख करते हैं। कौन कहता है? मशक्षक मशक्षा प्रदान करता है, कौन कहता है? मशक्षक मशक्षा प्रदान करता है। बच्चों के अूंतर मन की बातंे पढते-पढते, वह स्वयंू पाठक बन जाता है। गढता है कु मार कंुू भ, ठोक बजाकर, एक गलत चाप पर, कूुं भ नष्ट्ट हो जाता है, तो क्या कूंु भकार सकु न पाता है? हाथ मलता है, पछताता है, अफसोस जताकर। रामश पाता है श्रममक, पसीना बहाकर, रामश पाता है श्रममक, पसीना बहाकर, वेतन पाता है, मशक्षक स्याही संूग चक्षु ज्योतत गूंवाकर। मशक्षक तो राष्ट्र तनमाषण करता है, मशक्षक तो राष्ट्र तनमाषण करता है, पर शायद ही कोई------------- िॉक्टर सवपष ल्ली बन पाता है, िॉक्टर सवपष ल्ली बन पाता है!! धन्यवाद! आनंवदर्ा िमाि िर्ि- सार्िीं

सपने और संघर्ा लेकर हजार सपने चल थी जजस पथ पर पथ नह ं था वो था अग्नीपथ जलना था मुझे तपना था मझु े पर ना थकना था मझु े ना रुकना था मुझे उम्मीदों से भर बाररश आई अग्नीपथ थोड़ा सा नर माई चल पड़ी मंै आचं धयों की तरह कह ं कफर से पथ अजग्न ना बन जाए थोड़ी थमी थोड़ी रुकी बठै ी पेड़ की छांव मंे खत्म ना हुआ संघर्ों का शसलशसला चूभा एक काटं ा मेरे पावं में आह भर सोचा छोड़कर सपने चलंू अपने गांव में मुड़कर दे खा पीछे पथ देख मझु े मसु ्कु राई, पूछा तया हार गई तमु सघं र्ा करते-करते कहां गए वह सपने जो तू अपने साथ लाई देख मसु ्कु राहट उस पथ कक मंै थोड़ा घबराई सभं ाला खुद को कफर उठ खड़ी हुई कहा उस पथ से मैं हार नह ं हूं, मंै ककस्मत से लड़ना सीख रह हूं, अपने सपनों को सींच रह हूं देखना वापस जीतकर लौटूंगी मंै पथ यह होगा, वतत भी यह होगा पर पता है मझु े सघं र्ा ना होगा। कृ ततका दबु े कक्षा- सातवीं

विद्याथी के जीिन मंे वििक का महत्ि मेरे ववचार से शशक्षक का शाजलदक अथा है_ शशक्षा प्रदान करने वाला। शशक्षक कभी नह ं मरता वह अपने ववद्याचथया ों में हमेशा जीववत रहता है। शशक्षक की जीवन की साथका ता इसी मंे है कक, ववद्याथी अपने शशक्षक से भी आगे जाए। शशक्षा के क्षेि मंे जो योगदान डॉतटर सवपा ल्लल राधाकृ टणन का रहा है, वह जन जन के मानस पटल पर हमेशा अंककत रहेगा। यह अटल सत्य है कक ककसी भी व्यजतत की प्रथम शशक्षक्षका उसकी मां ह होती है अथाात हमारा प्रथम ववद्यालय हमारा घर ह है, जजस प्रकार एक मकान की मजबूती उसके बुतनयाद पर तनभरा करती है, उसी प्रकार ककसी भी व्यजतत का आचरण का सबं धं सीधे उसकी मां से है, तयोंकक जब कोई बालक पैदा होता है तो उसका मजस्तटक कोरे कागज की तरह त्रबल्लकु ल ह खाल होता है उस पर अच्छा बरु ा जो भी प्रभाव पड़ता है, वह उसके परवररश तथा आसपास के पररवेश पर तनभरा करता है। आज के युग में जजस ककसी भी व्यजतत को अगर एक सच्चा गरु ु प्राप्त हो जाए वह सह मायने में भाग्यशाल है। तयोंकक शशक्षक ह एक माि अके ला शख्स है जो कक बुरे से बरु े व्यजतत को भी सरल और सच्चे मागा की ओर अग्रसर कर देता है। ठीक ह कहा गया है_ ' गुरु कगु ढम़्हाकर ाशढशे़े टखयोटक! ंु भ है, गढ़ अतं र हाथ सहार दे, बाहर बाहे चोट !!' आदद काल से ह शशटय गरु ु का संबधं बड़ा ह मधरु रहा और स्वाथा रदहत रहा है। गुरु अपने शशटय को पुिवत प्रेम और स्नेह करते थ।े शशटय भी अपने गुरुओं के प्रतत आदर का भाव रखते थे और उनकी आज्ञा का पालन एक पत्थर की लकीर की तरह करते थ।े परंतु समय बदलने के साथ-साथ शशक्षक और शशटय का स्वरूप बदल गया है। आज शशक्षक इस पेशा को माि आजीववका का साधन मानते है।ं वे भलू गए हैं कक उनका यह पेशा रोजी रोट कमाने का साधन माि नह ं है। उनके कं धे पर एक सढु ृ ढ़ राटर तनमााण का दातयत्व भी है। तयोंकक आज के शशटय ह कल इस देश के भावी नागररक बनेंगे। मंै खशु नसीब हूं कक मंै भी एक शशक्षक्षका हूं और अगर मेरे बताए मागा पर चलकर कोई एक बच्चा भी सफल होता है और इस देश के दहत के शलए काया करता है, तो मंै अपने आप को धन्य समझूगं ी। अतं में इस पशे े से जुड़े सभी लोगों से आग्रह करूं गी ,इस पेशे से जुड़ने से पहले अपने अतं र में झाकं कर देख ले, तया आपको सभी छाि-छािाओं में अपने पिु - पुिी की छवव नजर आती है? तया आप अपने बच्चों की तरह ह उनके भववटय के शलए भी चचतं तत है ?अगर जवाब है हा।ं तो आप सभी सह मायने मंे शशक्षक कहलाने के 'हकदार' ह?ैं चंदा िमाि विविका

शशक्षक और छाि के बदलते सबं धं एक पारूंपररक भारतीय व्यवस्था में गुरु मशष्ट्य का ररचता एक बहुत ही पपवत्र माना जाता था जहाूं गुरु था मशक्षक अपने छात्रों मंे अध्याजत्मक वैददक नतै तक और अकादममक मशक्षाओूं को सचंू ाररत करते थे यह पारस्पररक संूबंधू मशक्षक के ज्ञान और छात्र की आज्ञा काररता पर आधाररत था ऐसे गुरु मशष्ट्य के सबूं धूं में एक सक्षम गुरु के कंू धों पर सब कु छ छो़ि ददया जाता था जो एक तनमाषता के रूप मंे अमभनय करके अपनी मशक्षकों को एक नई आकृ तत प्रदान करता था लेककन आज का पररदृचय अब पहले की तरह नहींू रहा यह परी तरह से बदल गया है पवद्यार्थयष ों के साथ प्रततददन हो रहे अपराधों के कई आत्मघाती मामले अस्पष्ट्ट रुप से दशाष रहे हंै कक बहुत कु छ बदल चुका है यह मसफष एक ही नहीूं बजल्क कई कारकों का सूयं ोजन है जो इस पररवतषन को उत्पन्न करने का कारण है। आजकल मशक्षण अब एक कतवष ्य नहीूं बजल्क पसै ा कमाने का स्रोत बन गया है बच्चे अपने मशक्षकों के साथ छह_ सात घंूटे बबताते हंै इस समय के दौरान मशक्षक बच्चों को ना के वल ज्ञान देते हंै बजल्क ऐसा व्यजक्त बनाते हैं जो नैततक महत्व को स्थापपत करें तथा उन्हंे एक आदशष स्वरूप प्रदान करें अर्धकाशंू छात्र अपने मशक्षकों को अपना आदशष मानते हैं। वतमष ान ददनों मंे मशक्षक छात्र के संूबधूं व्यवसातयक हो गए हंै मशक्षक मानने लगे हंै कक छात्रों को पढाना उनकी पववशता है क्योंकक उन्हंे इस कायष के मलए वेतन ममलता है तथा दसरी और छात्रों के मन मजस्तष्ट्क में भी यह बात बैठ गई है कक मशक्षा प्रदान करके मशक्षक उन पर कोई उपकार नहीूं करते मशक्षा ग्रहण करने के मलए उन्हंे शलु ्क देना प़िता है और उसी से मशक्षक भी वते न प्राप्त करते हैं इस नई पवचारधारा के कारण मशक्षक छात्र सूंबंूधों पर प्रततकल प्रभाव प़िा है और इस संबू ंूध की गररमा बबखरने लगी ऐसी जस्थतत में छात्रों की गलती पर मशक्षकों के सख्त व्यवहार का पवरोध ककया जाने लगा मशक्षक छात्र के रूपों मंे हुए पतन का दषु्ट्पररणाम भी नहींू पीढी को भगु तना प़ि रहा है इसके अततररक्त नई पीढी में मशक्षा और सूंस्कारों का भी अभाव देखने को ममल रहा है मरे े मतानसु ार नई पीढी को मशक्षक्षत शब्द तथा मानमसक पवकास हेतु मशक्षक छात्र के संबू धंू ों को गररमा प्रदान करने की पवशरे ् आवचयकता है इसके अततररक्त छात्रों को अपनी समस्याओंू को मशक्षक के समक्ष खलु कर प्रस्तुत करना चादहए तथा मशक्षक को भी उसकी गोपनीयता बनाए रखते हुए उसकी समस्याओूं के तनदान हेतु उर्चत परामशष देना चादहए तभी इस सबंू धंू की गररमा बनी रहेगी। श्रीमती र ता शसहं शशक्षक्षका

सदववचार 1. “अगर जीत लोगे अपने माँा - बाप का ददल , तो हो जाओगे कामयाब | नहीूं तो सारी दतु नया जीत कर भी तमु सब से हार जाओगे “| 2. “जज़दंू गी में दो लोग का ख्याल रखना ज़रूरी है पपता- जजसने तुम्हारे जीत के मलए सब कु छ हारा है, मााँ - जजसको तमु ने हर दःु ख में पकु ारा हो “| 3. “जब तक मन मंे लालच , स्वाथ,ष ईष्ट्याष, नफरत पालते रहेंगे …………... शातंू त कभी नहींू ममलगे ी …………….. जब ये बात हम सभी जानते है …………….. तो कफर मानते क्यों नही”ंू ................? 4. “सुख सबु ह जसै ा होता है मांूगने पर नहीूं जागने पर ममलता है”| कृ तत कु मार कक्षा - सातवीं

माूँ वो जो ईट के मकान को घर बनाती है, पैसो से नह ं सादगी से घर को सजती है || अपने पापा का घर छोड़ कर, अपने बच्चों के पापा के घर आती || सब के गुस्सा होने पर भी।, उन्हंे प्यार से मनाती है || परु े ईमानदार से हर ररश्ते को तनभाती है || २०६ हड्डी टू टने का ददा सह कर भी, एक पररवार को अपना वशं दे जाती है || खुद आधी रोट खा कर, अपने बच्चो को भर पेट खखलाती है || अपने ममता के आचूँ ल से उसे हर मुजश्कल से बचाती है || हर शसचुएशन में हारते हारते जो जीतना शसखाती है || ना काम से एक कामयाब इसं ान बनती है || पसै े होने पर भी गुरूर ना हो, ऐसे संस्कार शसखाती है || जो मेरे हारने पर रोती, और मेरे जीतने पर मझु से ज्यादा खुश हो जाती है || तभी तो वो माूँ कहलाती है ||| समचृ ध कु मार कक्षा - सातवीं

मरे े पापा जजदंू गी की हर राह पर आपने ही तो चलना मसखलाया है। मंूजजल की उस मुकाम पर आपने ही तो आगे बढाया है। हार न मानो कभी भी आपने यह हौसला मुझे ददया। कभी भी मेरे आखंू ों में भरने नददया बदंू ों को। जो कु छ भी मनैं े है आपसे मांूगा सब कु छ है आपने मझु े ददया। सबसे ज्यादा प्यार है मुझे ककया नाजानमे नैं ेहैकौनसापणु ्यककया। मेरी गलततयों पर आपको है गसु ्सा आता पर ना जाने कु छ ही पल में वह खो कहाूं है जाता मनैं े है दतु नया का गोल्ि मेिल जीता जो मुझे ममला आप जसै ा पपता। मेघररशा यादव कक्षा-तीसर







ART IS AS NATURAL AS SUNSHINEAND AS VITAL AS NOURISHMENT Maya kumari Teacher







INDIVIDUALLY, WE ARE ONE DROP. TOGETHER, WE ARE AN OCEAN.


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