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K V ONGC ANKLESHWAR E-MAGAZINE-2020-21

Published by Preeti Shrivastava, 2020-09-14 06:22:53

Description: K V ONGC ANKLESHWAR E-MAGAZINE-2020-21

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DR. JAIDEEP DAS SHRI PRAGNESH RAVAL DEPUTY COMMISSIONER ED, ASSET MANAGER, KVS, REGIONAL OFFICE, ONGC, CHAIRMAN, VMC, AHMEDABAD REGION KV ONGC ANKLESHWAR SMT. SHRUTI BHARGAV SHRI MANISH JAIN ASSISTANT COMMISSIONER PRINCIPAL K V ONGC KVS, REGIONAL OFFICE, AHMEDABAD REGION ANKLESHWAR TEAM OF EDITORS CHIEF EDITOR & CREATOR: MS. PREETI SHRIVASTAVA SMT. SUMAN JAISWAL SH. RAKESH SUTHAR PGT HINDI TGT SANSKRIT COVER PAGE DESIGNER: KM. JANVI DEEPAK GIRI, CLASS XI STUDENT KM. RUCHI TOPE XII B EDITORS MA. ATHARV JAIN XII A

डॉ. जयदीप दास कें द्रीय विद्यालय संगठन उपायुक्त KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN DR. JAIDEEP DAS DEPUTY COMMISSIONER अहमदाबाद संभाग AHMEDABAD REGION SECTOR-30, GANDHINAGAR [GUJ]-382030 [email protected] Website-www.kvsroahmedabad.org Tel: 079-232-61360/60361/60711 सदं ेश मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता एिं हर्ि का अनभु ि हो रहा है कक कें द्रीय विद्यालय ओ एन जी सी अंकलेश्िर अपनी विद्यालय पत्रिका के नए अकं का प्रकाशन कर रहा है। विद्यालय पत्रिका विद्यालय के िर्ि भर के उत्कृ ष्ट कायों की सम्परू ्ि जानकारी को समाज में पहुँचाने का माध्यम है। मझु े आशा है कक आपके विद्यालय की पत्रिका विद्यार्थयि ों को उनके विचारों की अभभव्यक्क्त के भलए उर्चत िातािरर् प्रदान करेगी और ननक्श्चत ही उनकी सजृ नात्मक और मानभसक क्षमता एिं कौशल में िदृ ्र्ि करेगी। मुझे परू ्ि विििास है कक कें द्रीय विद्यालय अंकलेश्िर अपने विद्यार्थयि ों मंे भशक्षा प्रसार के भलए ननरंतर कर्ठन प्रयास करता रहेगा और अपनी प्रनतष्ठा, गररमा एिं ख्यानत के साथ-साथ भशक्षा के समस्त आयामों का सफलतापूिकि ननिहि न करता रहेगा। मंै विद्यालय पत्रिका के प्रकाशन में सहयोग करने िाले सभी विद्यार्थयि ों एिं भशक्षकों को हार्दिक बिाई देता हूुँ और उनके उज्जिल भविष्य की कामना करता हूँु। जयदीप दास उपायकु ्त

सदं ेश सच्ची शिक्षा का लक्ष्य चरित्र के साथ बुद्धिमता का विकास किना है। पूिी एकाग्रता से विचाि किने की क्षमता देना ही शिक्षा का कायय है। -मार्टयन लूथि ककंि ग जूननयि विय छात्रों आपकी िचनात्मकता एििं कौिल ने सदा ही मुझे िभावित ककया है। विद्यालय से सम्बधंि ित हि कायय में आप सबका उत्साहपिू कय भाग लेकि अपनी िनतभा का िदिनय किना अत्यतिं ही ििंसि नीय है। शिक्षा का उद्देश्य एक खाली र्दमाग़ को एक खुले र्दमाग़ में बदलना है। रुकािटों को अिसिों में परििनततय किना है। शिक्षा का महान उद्देश्य के िल ज्ञान िाप्त किना नहीिं, उस पि अमल किना है। शिक्षा का उद्देश्य है, आप जो जानते हैं औि जो नहींि जानते हंै, उसमें अन्ति कि पाना। अपने जीिन का लक्ष्य ननिारय ित कीजजए औि सभी दसू िे विचाि अपने र्दमाग़ से ननकाल दीजजए, यही सफलता की पँूजी है। ससिं ाि की सबसे मलू ्यिान िस्तु समय ही है। ककसी चमत्काि का इंितजाि मत कीजजए। क्योंकक उस चमत्काि को आप के अलािा कोई दसू िा व्यजक्त नहींि कि सकता। कोई भी व्यजक्त ककतना भी िनतभािाली क्यों न हो, िह आत्मविश्िास के बबना कु छ नहींि कि सकता। आत्मविश्िास ही सफलता की नीििं है। आत्मविश्िास उसी व्यजक्त के पास होता है जजसके पास दृढ़ ननश्चय, महे नत ि लगन, साहस, िचनबद्िता आर्द सिंस्कािों की सम्पवि होती है। आप हि सकािात्मक कायय मंे सफल हों, यह मिे ी िुभेक्षा एिंि आिीष है। िन्यिाद [पी सी िािल] कायकय ािी ननदेिक एिंि परिसिपं वि िबंििक अध्यक्ष, विद्यालय िबंिि न सशमनत कें द्रीय विद्यालय ओ एन जी सी अिंकलेश्िि

सदं ेश प्राचार्य की क़लम स…े नास्ति विद्यासमो बन्धुनासा ्ति विद्यासमः सुहृि ् । नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम ् ॥ अर्ााि, विद्या जैसा बंधु नह ं, विद्या जसै ा ममत्र नह ,ं (और) विद्या जसै ा अन्य कोई धन या सुख नह ं । विय छात्रों, सफलिा उन्ह ं को ममलिी है, स्जनके जीिन का एक लक्ष्य होिा है और िे अपने लक्ष्य के िति ईमानदार होिे हंै और अपने लक्ष्य को हामसल करने के मलए सच्चा दृढ़संकल्प लेिे हैं, और इसके मलए िे लगािार ियास करिे रहिे हंै। सभी छात्रों को एक ध्येय बनाना चाहहए, और उसे पाने के मलए बबना रुके िब िक ियास करिे रहना चाहहए, जब िक की उसे पा नह ं लें। हमार सबसे बड़ी कमजोर हार मान लेना है, सफल होने का सबसे तनस्चचि िर का है हमेशा एक और बार ियास करना - र्ॉमस एडिसन जरूर यह है कक आप अपने अंदर की काबबमलयि को समझे और सह हदशा में आगे बढ़ने के मलए अपने लक्ष्य का तनधाारण करें और उसे पाने के मलए खूब ियास करें िभी आप सफल इंसान बन सकिे हंै। हम सभी को अपने काम के िति ईमानदार रहना चाहहए और एक सच्चे दृढ़संकल्प के सार् आगे बढ़ना चाहहए, िभी हम सफलिा की नई ऊं चाइयों को हामसल कर सकिे हंै। स़्िन्दगी में जीि और हार िो हमार सोच बनािी है, जो मान लिे ा है िो हार जािा है, को ठान लिे ा है िो जीि जािा है। विद्यालय पबत्रका के इस अकं में आपके द्िारा ककए गए ियास सराहनीय हैं। आप अपनी काबबमलयि एिं हौसले के सार् तनरंिर सफलिा िाप्ि करें एिं अपने मािा-वपिा, गुरुजन ि विद्यालय का नाम रोशन करें। शुभ आशीष एिं शुभकामनाएँ मनीष जनै िाचाया

CHIEF EDITOR “Where reality restricts its avenues, Imagination expands its mighty wings, Creativity makes a grand breakthrough, A lovely dream, hidden in your heart, sings…” This holds very true for my beloved students. Dear ones, This is a beautiful moment for me as I unveil my impressions about you through this expression. I strongly believe that you are the blooming buds spreading the fragrance of your innate talents and thrilling the world around you through your exquisite pieces of creativity. I’m certain that your sensitive and yet strong mind is getting nurtured to its fullest extent. I keep on sharing my expectations from you time to time. Your horizon is as vast as the infinite sky. You need to chisel your potential and sharpen your skills so that you cast the spell of success and glory in the days to come. Through a gratifying sense towards your present and upcoming contributions towards our Vidyalaya, I also wish to thank you for your brilliant pieces of creativity in this Vidylaya Patrika. I extend my gratitude towards respected Principal Sir for entrusting me with this responsibility of collaborating with everyone, compiling the wonders and creating this E-Vidyalaya Patrika, which I’m sure would be appreciated by the readers. Blessings & best compliments PREETI SHRIVASTAVA PGT ENGLISH

CBSE TOPPERS: 2019-20 CLASS XII SCIENCE HARIKRISHNAN SHAUN VERGHESE UDIT GUPTA 94.6 94.6 92.4 CLASS XII COMMERCE SUSHMITA S. YUVRAJ GOSWAMI AAVANI 92.4 89.8 84.4 CLASS X SANDHYA TOMAR AVIJIT DAS KRISHIKA B. 93.6 92.4 92.2

STUDENT COUNCIL: 2020-21 SCHOOL CAPTAINS & VICE CAPTAINS SCHOOL CAPTAIN MA. LABHESH NIKAM KM. ASHLESHA XII A SIRSIKAR XII A SCHOOL DISCIPLINE CAPTAIN MA. UBAID SHAIKH KM. SHRUTI MAHATO XII B XII A SCHOOL SPORTS CAPTAIN MA. MUKESH SINGH KM. VAISHNAVI PATEL XII A XII A SCHOOL CULTURAL CAPTAIN MA. ATHARV JAIN KM. RUCHI TOPE XII A XII B

SCHOOL VICE CAPTAIN MA. KUNAL YOGRAJ KM. JAGRUTI SHUKLA PATIL XI A XI A SCHOOL VICE DISCIPLINE CAPTAIN MA. DHRUV PATIL KM. SANDHYA TOMAR XI A XI A SCHOOL VICE MA. BHAVDEEP KM. KRUTIKA VASAVA SPORTS JADHAV XI A CAPTAIN XI B SCHOOL VICE CULTURAL CAPTAIN MA. AVIJIT DAS KM. SHIVANI RAI XI A XI A





समय परिवर्तनशील है । प्रगतर् के पथ पि अग्रससर् होर्े हुए हि क्षण कु छ नया कि गजु िने की लालसा प्रत्येक मानस पटल को झकझोिा िहा है । ववद्याथी जीवन इससे सबसे अधिक प्रभाववर् है । बस उन्हें दिशा तनिेश की आवश्यकर्ा है । सजृ नशीलर्ा प्रकृ तर् के कण-कण मंे व्याप्र् है । सूयत की सनु हिी ककिणंे, चंद्रमा की स्ननग्ि चािं नी, र्ािों का भीना – भीना प्रकाश, जलसीकिों के मनमोहक सगं ीर्, धचड़ियों की चहक, फू लों की महक, दहमाच्छादिर् पवरत ्ों की कर्ािें, सागि की लहिें र्था लहलहार्े फसलों के जािू से मानव मन कै से अछू र्ा िह सकर्ा है ? मानव ववज्ञान के लाख सोपान पाि कि ले पिंर्ु कृ त्रिम सािन उसे वह सुख प्रिान नहीं कि सकर्,े जो प्रकृ तर् की क्रोड िे सकर्ी हैं । सामतयक चकाचौंि से उबा मन नसै धगकत र्ा का अनकु िण किर्े नवर् : िाह बना लेर्ी है भावनाएं फू ट प़िर्ी हंै औि र्ब सजृ न के द्वाि खलु जार्े हैं । ववद्याधथतयों के इन्हीं नवर्णमत नवप्न , कल्पना औि अरं ्स के उद्गािों को साकाि किने के सलए ववद्यालय प्रथम सोपान प्रिान किर्ा है जहां वादटका के िंग-त्रबिंगे पषु ्पों की भांतर् इनकी िचनाओं का सुवास संपणू त परिवेश को सवु ाससर् कि िेगा । इसके सलए मंै ववद्यालय के प्राचायत श्री की आभािी हूं स्जनके कु शल नरे ्तृ ्व , तनिंर्ि मागित शतन एवं प्रोत्साहन का परिणाम है यह पत्रिका । साथ ही उन समनर् संपािक विंृ की आभािी हूं स्जन्होंने इसके प्रकाशन में प्रत्यक्ष या पिोक्ष रूप से सहयोग दिया । समु न जायसवाल पी जी टी दहिं ी सफलर्ा का एक मलू भूर् तनयम है कक आप अपनी गलतर्यों के साथ-साथ िसू िों की गलतर्यों से भी सीखर्े चले औि आगे बढे

समय का सदपु योग यदद मैं वजै ्ञानिक होता समय कभी ककसी की प्रिीक्षा नहीीं करिा। वह ननरंीिर आज के युग को वैज्ञाननक यगु कहा जािा है। इस यगु गनिशील रहिा है कु छ लोग यह कहकर हाथ पर हाथ धरे में ककसी व्यष्ति का वजै ्ञाननक होना सचमचु बडे गवम बिै े रहिे हंै कक समय आया नहींी करिा वह िो ननरींिर जािा और गौरव की बाि है। वैसे िो अिीि-काल मंे भारि रहिा है और सरपि भागा जा रहा है। हम ननरंीिर कमम करिे ने अनके महान वैज्ञाननक पैिा ककए हंै और आज भी रहकर ही उसे अच्छा बना सकिे हंै। अच्छे कमम करके , स्वयीं ववश्व-ववज्ञान के क्षेत्र में अनेक भारिीय वैज्ञाननक अच्छे रहकर ही समय को अच्छा, अपने ललए प्रगनिशील कियाशील हैं। अपने िरह-िरह के अन्वेषिों और एवीं सौभाग्यशाली बनाया जा सकिा है। उसके लसवाय अन्य आववटकारों से वे नए मान और मलू ्य भी ननश्चय ही कोई गनि नहीीं। अन्य सभी बािें िो समय को व्यथम गवंी ाने स्थावपि कर रहे हैं। यदि मैं वजै ्ञाननक होिा, िो इस वाली ही हुआ करिी हैं। और बुरे कमम िथा बरु े व्यवहार क्षते ्र में नवीन से नवीन िकनीकों के उद्घािन का प्रयास अच्छे समय को भी बुरा बना दिया करिे हैं। उस उचचि पथ करिा, िाकक भारि वह मान-सम्मान प्राप्ि कर सकें को पहचान समय पर चल िेने वाला आिमी अपनी मषीं ्जल ष्जसका कक वह अिीि काल मंे न के वल िावेिार बष्ल्क भी उचचि एवीं ननष्श्चि रूप से पा ललया करिा है। स्पटि है सम्पुरींििः अचधकारी रहा है। मैं आयामभट्ि और की जो चलेगा वही िो कहींी न कहीीं पहुंीच पायेगा। अिः वराहलमदहर जसै े नक्षत्र-वैज्ञाननकों की परम्परा को आगे ित्काल आरम्भ कर िेना चादहए। आज का काम कल पर बढ़ाने का भरसक प्रयास करिा, िाकक मानविा के नहीीं छोडना चादहए। अपने किवम ्य धमम को करने से कभी भाग्य एवंी मस्िक की रेखाओीं को अपनी इच्छा से नए पीछे नहींी हिना चादहए। कोई कायम छोिा हो या बडा यह भी ढंीग से ललखा जा सके । मैं इस प्रकार की वजै ्ञाननक नहीीं सोचना चादहए। वास्िव में कोई काम छोिा या बडा खोजों और अववटकार करिा कक ष्जस से मानव-जानि नहींी हुआ करिा है। का विममान िो प्रगनि एवीं ववकास करिा हुआ सुखी- आिशम झा समदृ ्ध बन ही पिा, भववटय भी हर प्रकार से सुरक्षक्षि सािवींी ब रह सकिा। िटु यिीं भगि सािवीीं ब स्वयं पर ववश्वास सषृ ्टि के अन्य चराचरों में के वल मानव के पास ही मन की शष्ति है। अन्य प्राणियों के पास नहीीं। मन के कारि ही इच्छा-अननच्छा, सींकल्प-ववकल्प, अपेक्षा-उपेक्षा आदि भावनांीए जन्म लेिी हैं। मन में मनन करने की क्षमिा है इसी कारि मनटु य को चचिंी नशील प्रािी कहा गया है। सीकं ल्पशील रहने पर व्यष्ति कदिि से कदिन अवस्था में भी पराजय स्वीकार नहीीं करिा, िो इसके िू ि जाने पर छोिी ववपवि में भी ननराश होकर बैि जािा है। इसललए कहा है- ऐसे अनके उिाहरि हमारे समक्ष हंै ष्जनमें मन की शष्ति के वल व्यष्ति ने असंीभव को सभंी व कर दिखाया, और पराजय को जीि में बिल दिया। अकबर की ववशाल सेना को भी के वल मन की शष्ति के बल पर महारािा प्रिाप ने उसकी सेना को नाकों चने चबवा दिए। लशवाजी अपने थोडें से सैननकों के साथ मन की शष्ति के सहारे ही िो औरींगजेब से लोहा ले सके । मन की शष्ति के बल पर ही कमजोर दिखने वाले गांीधी अीगं ्रजे ों को भारि से ननकालने मंे सक्षम हुए। इसी शष्ति के बल द्वविीय ववश्व यछु में बिबार जापान पुन: उि खडा हुआ और कु छ ही समय में पनु : उन्नि राटरों की श्रेिी में आ गया। इसी प्रकार के अनेक उिाहरि दिए जा सकिे हंै। आस्था कु मारी सािवीीं अ “सोच से संभी ावनाओीं िक का सफ़र हौसलों से होकर गुजरिा है।”

मेरा भारत महाि पसु ्तकालय का महत्व हमारा प्यारा िेश भारि अत्यंीि प्राचीन सीसं ्कृ नि वाला महान ऐसा स्थान जहाीं अनेक पसु ्िरों को संगी हृ ीि करके एीवं सिंुी र िेश है। उनका एक ववशाल भींिार बनाया जािा है। पसु ्िकालय भारि िेश संसी ार का लशरोमणि है ष्जसका इनिहास गौरवपूिम कहलािा है। पुस्िकालय ज्ञान के वे मीदं िर हैं जो है। प्राकृ निक दृष्टि से सबसे अनिू ा है। प्रकृ नि ने उसे अपने मानव इच्छा को शांीि करिे हैं, उसे ववलभन्न ववषयों हाथों से सींवारा है। छ: ऋिंीुए बारी-बारी में आकर इसका पर नई जानकाररयांी उपलब्ध करिे हंै। अिीि झरोखों श्रीगं ार करिी हंै। िीन ओर समदु ्र और दहमालय इसके मकु ु ि की झलक दिखािे हैं िथा उसके बौद्चधक स्िर को की भांनी ि सशु ोलभि हैं। उन्नि करिे हैं। मेरा िेश भारि संसी ्कृ नि की िीडाभलू म है। इसी िेश से ज्ञान पुस्िकालय में जािे समय उसके ननयमों की की रष्श्मयाीं पूरे ववश्व में फै ली थी। यही वह िेश है ष्जसने जानकारी प्राप्ि करनी चादहए। वहांी जाकर वही वेि, पुराि, उपननटज्ञि और गीिा का ज्ञान सीसं ार को दिया। पसु ्िकंे पढऩी चादहए ष्जनकी आपको जरूरि हो। ज्ञान के कारि ही भारि को जगिगरु ु कहा जािा है। पुस्िकालय में ऐसी अनेक पसु ्िकंे होिी हंै। यदि हमारा िेश भारि भौगोललक ववलभन्निाओीं वाला िेश है। यहांी ववद्याथी पसु ्िकालय मंे के वल ककस्से कहाननयों की एक ओर हररयाली है िो िसू री िरफ जगंी ल, एक ओर ककिाबंे पढक़र अपना समय बबािम करने के ललए दहमखडीं िि पविम लशखर हंै िो िसू री ओर िपिे मरुस्थल। जािे हो िो सिपु योग करना चादहए िथा पुस्िालय इसी िेश में प्राकृ निक बनावि, जलवाय,ु खान-पान, वेशभषू ा में बिै कर शािंी वािावरि मंे एकाग्रचचि होकर िथा ससंी ्कृ नि की दृष्टि से इिनी ववलभन्निाएंी हैं। हमारा अध्ययन करना चादहए। पसु ्िकालय मंे बिै कर प्यारा िेश भारि अनके िा में एकिा का अपूवम उिाहरि है। पसु ्िकंे पढ़िे समय बबल्कु ल शाींि रहना चादहए। इसी िेश मंे मंीदिर और मष्स्जि, गरु ुद्वारे और चगरजाघरों पसु ्िकालय की पसु ्िकों पर पंेलसल या पेन से ननशान के िशमन होिे हंै। अनेक भाषाएीं ओर अनेक धमम इसी धरिी लगाना, उनके चचत्रों आदि को फािऩा या गिंी ा करना पर फल-फू ल रहे हैं। सभी संसी ्कृ नियों को फलने फू लने का िीक नहींी है। वहांी बिै कर हमंे औरों का भी ध्यान अवसर दिया जािा है। रखना चादहए। हमें कोई ऐसा आचरि नहीीं करना सभी िेशवासी भारि िेश को उन्ननि के लशखर पर पहुंीचाने चादहए ष्जससे िसू रों को असुववधा हो। के ललए कीं धे से कीं धा लमलाकर कायम कर रहे हंै। लेककन वह जसै े अनींि नदियों का प्रवाह ननत्य प्रनि सागर में समय िरू नहींी है जब हमारा भारि िेश ववज्ञान, िकनीक, लमलिे रहकर उसे भररि बनाए रखिा है वैसे ही औद्योचगक, आचथमक और सामाष्जक दृष्टि से ववश्व का ननत्य नई-नई पसु ्िकंे भी प्रकालशि होकर लसरमौर बनेगा। पुस्िकालयों को भरा-पूरा ककए रहिी हैं। अदिनि शाह अनालमका सािवीीं अ सािवीीं अ “चुनौनियांी जीवन को अचधक रुचचकर बनािी है; और उन्हें िरू करना जीवन को अथपम िू म बनािा है।”

सत्य और असत्य पवतव ों का राजा : दहमालय जो व्यष्ति सत्य बोलिे हंै िथा इसके पथ पर अग्रसर दहमालय भारि का गौरव है। निी की िीडास्थली है रहिे हंै वे सिैव जीवन मंे उन्ननि प्राप्ि करिे हैं, परन्िु और पवमिराज िेवात्मा दहमालय प्रकृ नि की उसी असत्य बोलने वाले व्यष्ति की कभी ववजय नहींी होिी। उज्जवलिा का रूप है। दहमालय भारि का गौरव और अिः यदि हम अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिे हंै िो पौरुष का पुंीजीभूि रूप है, िेवभलू म है । इनिहास का हमंे अपने मािा-वपिा, गरु ूजनों व अन्य स्वजनों से ववधािा है, भारिीय संसी ्कृ नि का मेरूिंीि है िथा भारि कभी असत्य नहीीं बोलना चादहये। की पणु ्य भावनाओीं िथा श्रद्धा का प्रिीक है। सत्य की जीि- सत्य भाषि से मनुटय का आत्मा दहमालय पवमि भारि भू-भाग के मस्िक पर मुकु ि की बलवान होिी है। उसके मन को सुख और शाष्न्ि प्राप्ि भांीनि सशु ोलभि है। कववयों ने इसे एक मौन िपस्वी होिी है। सत्यवािी को कभी यह भय नहीीं रहिा कक और उच्चिा का प्रिीक उन्नि लशखर कहकर सींबोचधि यदि उसकी पोल खुल गई िो तया होगा? उसे मानलसक ककया है। पूवम और पष्श्चम के समदु ्रों की बाि करिे शाष्न्ि रहिी है। इसके ववपरीि झिू बोलने वाले व्यष्ति हुए पथृ ्वी के मानंिी के समान पवमिराि िेविात्मा की समाज में ननन्िा होिी रहिी है। वह हर समय यही दहमालय उिर दिशा मंे ष्स्थि है। सोचिा रहिा है कक कहीीं उसके झिू की पोल खलु न दहमालय की लीबं ाई पाींच हजार मील और चौडाई लगभग जाये। पाीचं सौ मील है। उिर में कश्मीर से लेकर पष्श्चम में सत्यवािी की समाज में प्रनिटिा बढ़िी है। वह लसर असि िक अद्र्धचीिं रेखा के समान इसकी पवमिमालाएंी ऊीं चा करके चल सकिा है जबकक असत्यवािी की समाज फै ली हैं। मंे प्रनिटिा घि जािी है। उसे हर समय यहीीं संिी ेह रहिा दहमालय का सबसे ऊीं चा लशखर गौरीशकीं र है ष्जसे है कक लोग उसे अववश्वासभरी नजरों से िेख रहे हंै। एवरेस्ि भी कहा जािा है। भारि का सीमांीि प्रहरी सत्य और असत्य मंे अन्िर- सत्य और असत्य में दहमालय मध्य एलशया और निब्बि की ओर से आने काफी अींिर होिा है। सत्य बोलने का ष्जनका स्वभाव वाली बफीली हवा की सवनम ाशी झझंी ाओंी से हमारी रक्षा बन गया है वे असत्य बोल ही नहीीं सकि,े बोलिे समय करिा है और साथ ही िक्षक्षि-पष्श्चम सागर से उिने ज़ुबान लडखडा जािी है। वहीीं असत्यवािी अपने स्वभाव वाले मानसनू को रोक कर भारि-भूलम को वषाम प्रिान के कारि सत्य नहींी बोल पािा। असत्य से बेईमानी, करिा है। इससे ननकलने वाली अनेक पणु ्य सललला ननन्िा, फरेब, धोखा िेने के िगु िमु जन्म लेिे हंै। ये नदियांी भारि-भूलम को शस्य-श्यामला बनाए रखिी हैं। िगु िमु इन्सान को हीन भावना की लशकार बनािे हैं। इसे कोदिश: प्रिाम। इन्सान खुि अपनी नजरों मंे चगर जािा है। कोमल शमाम अनु यािव सािवीीं अ सािवींी अ “हवा जब फू लो से गजु ़रिी है िो वो खशु ्बुिार हो जािी है । इसी िरह नेक लोगों की संीगि से हमेशा भलाई ही लमलिी है।” “भलू होना प्रकृ वि है । मान लने ा सींस्कृ नि है और उसे सुधार लेना प्रगनि है ।”

प्रदषू ण का प्रकोप स्वास््य ही जीवि है प्रिषू ि एक ववश्वव्यापी समस्या है। यदि हम स्वस्थ है िो हम एक साधारि भारि के महानगरों मंे कई प्रकार का प्रिषू ि है। इसमें सवपम ्रथम नागररक भी है। यदि हम अस्वस्थ है िो गरीब, अयोग्य आिा है- वायु प्रिषू ि यह अन्य प्रकार के प्रिषू िों में और उपेक्षक्षि भी है। ककसी िेश, जानि, समाज सबसे अचधक हाननकारक माना गया है। महानगरों में िथासींप्रिाय की उन्ननि िभी सभंी व है, जबकक वे स्वस्थ वाहनों, कल कारखानों और औद्योचगक इकाइयों की है। बढ़िी संीख्या के कारि वािावरि प्रिवू षि हो जािा है। ‘िन चंगी ा िो मन चगीं ा’ – यह एक बहुि ही परु ानी सिक़ों पर चलने वाले वाहन रोज लाखों गलै न गिीं ा लोकोष्ति है। अीगं ्रेजी में भी एक कहावि है ष्जसका धआु ंी उगलिे हें। जब यह धुआंी साीसं द्वारा हमारे शरीर अथम है-स्वास्थ्य ही धन है। वास्िव मंे ष्जसका स्वास्थ्य मंे जािा है िो िमा, खाासँ ी , िी.बी., फे फडों और हृिय अच्छा है, वह भाग्यशाली है। यदि ककसी के पास अपार के रोग कंै सर जसै े घािक रोगों को जन्म िेिे हंै। आवास धन है, परींिु वह अस्वस्थ है, िो वह जीवन का आनींि की समस्या को हल करने के ललए इन महानगरों मंे नहींी उिा सकिा। इसी प्रकार यदि ककसी के पास ववद्या वकृ ्षों की अननयंीबत्रि किाई की जािी है। ष्जसके कारि है, परींिु वह रोगी है, िो उसका जीवन व्यथम है। वास्िव भी प्रिषू ि बढ़ रहा है। में, स्वास्थ्य ही जीवन है। महानगरों मंे जल भी एक गभीं ीर समस्या बन गया है ‘स्वस्थ रहने की पहली शिम है िाजा हवा और शुद्ध नगरों मंे जल के स्त्रोि भी िवू षि हो गए हैं । नगरों के पानी। हर पल हम साीसं लेिे और छोडिे हैं। सासंी लेने आस-पास फै ले उद्योगों से ननकलने वाले अवलशटि का मिलब है, हम हवा ग्रहि करिे और सांीस छोिऩे पिाथम िथा रासायननक कचरा जब नदियों में प्रवादहि का मिलब है कक हम अपने शरीि से गिंी ी हवा बाहर कर दिया जािा है िो जल प्रिवू षि हो जािा है और ननकालिे हंै। आणखर जीवन है तया? यह सासीं ों का पीने योग्य नहींी रहिा। इस प्रिवू षि जल को पीने से आना-जाना ही िो जीवन है। गावंी ों मंे िाजा हवा लमलिी पेि की अनेक प्रकार की बीमाररयाीं जन्म लेिी हैं। है। परींिु गिंी गी के कारि यह िवू षि हो जािी है। गाींव महानगरों मंे ध्वनन प्रिषू ि भी कम नहीीं होिा। वाहनों के चारों और घरू े पडे रहिे हैं। जगह-जगह कू डे-करकि िथा कल कारखानों से ननकलिा हुआ शोर, सघन के ढेर लगे रहिे हंै। कू ड-े करकि और घर के सामने जनसखीं ्या का शोर िथा ध्वनन ववस्िारकों आदि का गिंी ा पानी भरा या फै ला रहने के काि मतखी-मच्छर शोर ध्वनन प्रिषू ि के मखु ्य कारि है। ध्वनन प्रिषू ि उत्पन्न हो जािे हंै। यदि गावीं को साफ-सथु रा रखा जाए से उच्च रतिचाप, हृिय रोग, कान के रोग आदि हो िो वहाीं के ननवासी िाजा हवा के ललए िरसगें े नहीीं और सकिे हंै। बेहिर स्वास्थ्य लाभ कर सकें गे। भलू म प्रिषू ि भी अत्याचधक मात्रा मंे बडे-बडे शहरों मंे बच्चों के ललए खेलना सबसे उिम व्यायाम है। खेलने पाया जािा है। घनी आबािी वाले क्षते ्रों में व्याप्ि गिीं गी से शरीर बढ़िा है। हड्डियाीं मजबूि होिी हंै, भूख बढ़िी भलू म प्रिषू ि को जन्म िेिी है। है, भोजन पचिा है और मन प्रसन्न रहिा है। काम में शहरों में बढ़े प्रिषू ि को रोकना ननिाींि आवश्यक है। रुचच पैिा होिी है। पढ़ाई मंे मन लगिा है। अच्छी नीिंी इसे रोकने के ललए सबसे पहले जनसखीं ्या पर ननयतंी ्रि आिी है। थकान और ससु ्िी कभी पास नहींी फिकिी। आवश्यक है। शरीर मंे हरिम फू िी बनी रहिी है। खशु ी कु मारी जनै नशा चगरी सािवींी अ सािवींी अ

उड़ाि चार लोग छोिा-सा जीव ष्जसने ककया कमाल, सनु ा है कोई चार लोग हंै, रखी सब के सामने ष्जन्हंे बडी कफि है मेरी, हौसले की एक लमसाल। कभी िेखा िो नहीीं उन्हें, लेककन वे रखिे हंै था मंेढक एक छोिा वो, मेरी हर बाि का खयाल... चला करने कु छ बडा जो मेरे सोने से लेकर जागने िक करनी थी पार पोखर की िीवार मेरे उिने से लेकर बिै ने िक था दृढ़ ननश्चय पर मुष्श्कलें हज़ार मेरे खानपान से लेकर, जब भी करिा ऊपर आने का प्रयास मेरे चालचलन िक, ववफल हो जािा उसका प्रयास । हर बाि का दहसाब है उनके पास, ख़्वादहश थी छू ने की आसमांी मेरे हर काम पर रखिे हैं नजर, पर पीछे खीचीं ने को था सारा जहााँ। करिे हंै ववचार ववमशम, कू ििा रहिा वह दिन-राि कफर ननकालिे हैं ननटकषम और मसु ्कु रािा हर बार, वनाम आजकल ऐसे लोग कहाँा जब िसू रे करिे उस पर फष्ब्ियों का वार जो करंे िसू रों की चचिीं ा सारी शष्ति समेिकर उसने भरी उडान, बडी िमन्ना है उनसे लमलने की पोखर से बाहर कू िकर तया होंगे किाचचि हम जसै े ही वे... जसै े पा ललया उसने जहाी।ं लोगों की व्यस्ि भीड में जी-जान से की मेहनि रंीग लाई, आिे कहााँ से हैं ये चार लोग... िोड कर जीजं ीरें उसने अपनी मींष्ज़ल पाई.... और यूाँ इस िरह लोगों का यही सोच में पड गए वो, के रेतिर एनालललसस कर िाने उस पर कसिे थे जो। कहााँ हो जािे हैं गमु जाने कै से ककया उसने पोखर को पार, अगर कभी कहींी आपको लमलंे िो था उसके ललए जो बडा पारावार। मझु से भी लमलवाना.... औरों की बािों पर तयोंकक मुझे उन्हें है बिाना वह हरिम मसु ्कािा था, कक हर बार जो दिखिा है वे यह समझ न पाए, वो होिा नहींी उनके िाने वह सनु न पािा था। और जो होिा है वह अतसर दिखाई नहींी िेिा...।। -िषृ ्प्ि कु मारी सधंी ्या ग्यारहवींी ‘वाणिज्य’ िसवींी ब “ष्जंिी गी मे चनु ौनियाँा हर ककसी के दहस्से नहींी आिी, ककस्मि भी ककस्मि वालो को ही आज़मािी है !!”

वपता बीरबल की परीक्षा बचपन से ही माँा अपने बेिे को कहिी है: एक दिन सभा लगी हुई थी और सारे मींत्रीगि वहााँ बिै े इधर मि जाओ वरना वपिाजी मारंेगे, हुए थे और उन सबने बीरबल से कहा कक िमु समझिे उधर मि जाओ वरना वपिाजी मारंेग,े हो की िुम बहुि होलशयार हो, हम िुमसे िीन सवाल निी मंे मि जाओ वरना वपिाजी मारंेगे, पूछे गे और अगर िमु उन सवालों के जवाब नहीीं िे पाये स्कू ल जाओ, नहींी िो वपिाजी मारंेगे, िो िमु ्हें अपने पि से इस्िीफ़ा िेना पडगे ा। पढ़ाई करो वरना वपिाजी मारंेगे। बीरबल ने कहा िीक है मझु े आप लोगों की शिम मंीजरू यह मि करो, वो मि करो ,नहींी िो वपिाजी मारंेग।े है लेककन, सवाल तया है? मंबी त्रयों ने कहा कक बिाओ, आकाश में ककिने िारे हैं? ऐसा होिे-होिे बच्चे वपिाजी से िरने लगिे है; हमेशा धरिी का कंे द्र कहाँा है? मााँ की कसम खािे है, वपिा की नही।ंी वपिा लसफम िनु नया में ककिनी औरिंे और ककिने अिमी हंै? सरनेम और पहचान में याि ककए जािे है। भारि िेश बीरबल को ये सारे सवाल थोडे कदिन लगे लेककन को भी मािा बोला जािा है। बच्चे अपने वपिा को उन्होंने हार न मानकर सारे सवाल हल कर दिये। ननिमय हृिय का समझने लगिे है। वपिा यानी लसफम पहले सवाल का जवाब िेने के ललये बीरबल एक भेड पसै ा कमाने की मशीन समझा जािा है। ले आये और उन सबसे कहा कक इस भेड के शरीर पर कथा, कहानी, कवविा, आदि मंे वपिा को पत्थर दिल ष्जिने बाल हंै आकाश में उिने ही िारे हंै और अगर कहा जािा है । ककसी को यकीन न हो िो वो चगन सकिा है। अीिं में, अपने िसू रे सवाल का जवाब िेने के ललये बीरबल ने आखँा ें बिंी करके जो प्यार करिी है, उसे वप्रयिम कहा लोहे की एक छडी लेकर जमीन पर िो रेखाएाँ खीचँी िी जािा है। और बीच मे लोहे की वो छडी िाल िी और सबसे कहा आखँा ंे खुली रख के जो प्यार करे, वह िोस्ि कहलािा कक ये रहा धरिी का के न्द्र अगर ककसी को ववश्वास न है। हो िो वो नाप सकिा है। आखाँ ें दिखाकर जो प्यार करे, वह पत्नी कहलािी है। अपने आणखरी सवाल का जवाब िेने के ललये बीरबल और जो खुि की आखाँ ंे बंीि होने िक प्यार करे वह मााँ बोले कक ये थोडा कदिन है तयकाूँ क मेरे कु छ मतीं ्री िोस्ि कहलािी है। हंै, मैं ये िय नहींी कर पा रहा हूाँ कक वो आिमी हैं या ककन्िु जो आखँा ों मंे प्यार न दिखाकर भी प्यार करे वह औरि, अगर उन्हें मार दिया जाय िो इस सवाल का वपिा कहलािा है। जवाब दिया जा सकिा है। - रुचच िोपी बीरबल के इस िरह सारे सवाल िेखकर सारे मंती ्री चुप हो गये और शमम से अपना लसर नीचे कर ललया। ग्यारहवी-ंी वाणिज्य कु िाल िसवीीं अ “सुबह का मिलब के वल सयू ोिय नहीीं होिा, यह सषृ ्टि की खबू सूरि घिना है जहांी अंीधकार को लमिाकर सूरज नई उम्मीिों का उजाला फै लािा है ।”

पहेललयाँा एक िादाि पररदं े की कहािी पिा नहीीं पर हरा हूाँ , यह ऐसी िनु नया है बींिर नहीीं पर नकल करिा हूाँ, जहाँा मैं रहना चाहिी हूँा िो बूझो मेरा नाम ? उडना चाहिी हूाँ अपने ख़्वाबों को जीना चाहिी हूँा रोज सुबह को जाना, बेपरवाह िोस्िी करना चाहिी हूाँ रोज राि को आना , खुलशयााँ बािँा ना चाहिी हूाँ रोज िमु ्हे सलु ाना , इस िनु नया को णखले हुए फू ल की िरह िेखना चाहिी हूँा िो बिाओ मेरा नाम !! खुलशयों, पररवारजनों के प्यार एवंी िोस्िी की बाररश मंे भीगना चाहिी हूँा एक डिबबया मंे सोलह ऊपर , भीगना ही नही,ीं लभगोना भी चाहिी हूाँ सोलह नीचे बिीस िाने, परींिु रास्िा बहुि लंीबा है बूझने वाले बडे सयाने !! आगे की राह कदिन है धधंीु ला है यह नज़ारा ककसी के घर मे िबे पावाँ घुस जािी , आगे की राह नहींी िेख पा रही मैं सारा िधू पी जािी मंै , परंीिु हार नहींी मानना चाहिी मैं बच्चों की मौसी हूँा मैं , अके ले ही सही बिाओ मेरा नाम ? मुष्श्कल राह पर ही सही चलना चाहिी हूाँ मंै आसमान से चगरा िंी िा गोला, अचानक बीच रास्िे मंे मेरे पीखं िू ि जािे हैं जमीन पर चगरिे ही वपघल जाये , आगे जाने की दहम्मि नहीीं है कोई िो मेरा नाम बिाये ? कोई मुझे समझ नहीीं पा रहा है परींिु अपने ख़्वाबों से िरू नहींी जा सकिी मैं इन पहेललयों के उिर यह हंै – अपने आत्मववश्वास को नहीीं बबखरने िे सकिी मैं िोिा, राि, िािंी , बबल्ली, ओला अधँा ेरा हो गया िो तया? नहीीं छोड सकिी यह राह मैं काजल लसहंी तयोंकक ख़्वाबों को जीना चाहिी हूँा मंै- सािवीीं अ एक उडिे पररिंी े की िरह। -िषृ ्प्ि कु मारी ग्यारहवीीं ‘वाणिज्य’ सकारात्मक सोच हर समस्या का समाधान है िथा नकारात्मक सोच हर समाधान की समस्या है।

रूकिा िहीं है तुझ,े झुकिा िहीं है बसंत का मौसम तुझे है महका हुआ गलु ाब चल िू चला चल, णखला हुआ कमल है, आगे किम बढ़ा चल, हर दिल मे हैं उमींगे रूकना नहींी है िुझे, हर लब पे ग़ज़ल है, झुकना नहीीं है िझु ।े िीं िी-शीिल बहे ब्यार मौसम गया बिल है, िुम हो एक राही चलना िझु े है, हर िाल ओढ़ा नई चािर चगरना भी िझु े है, संभी ालना भी िझु े है, हर कली गई मचल है, उि और ननियम ले, िू पिू म स्वितीं ्र है, प्रकृ नि भी हवषिम हुआ जो चल, चलना ही िो जीवन का मतीं ्र है। हुआ बसंीि का आगमन है, चूजों ने भरी उडान जो िेखो, यहाँा हर कोई िेरा प्रनिद्वंिी ी है, गये पर नये ननकल है, हर ककसी को आगे बढ़ने की जल्िी है, है हर गााँव मे कौिूहल बढ़ जल्िी बढ़, बढ़िे हुए िगमगाना नही,ंी हर दिल गया मचल है, खिु बढ़ना लेककन बढ़िे हुए को चगराना नहीीं। चखंेगे स्वाि नये अनाज का पक गये जो फसल है, चल िू चला चल, कम करिी है गमी की मनमानी को सब कु छ भूला चल, गहराई ष्ज़न्िा रखिी है पानी को रूकना नहींी है िुझ,े िरू ी आधंी ी बफ़म धपू की बाधाएाँ झकु ना नहींी है िुझे। रोक नहीीं सकिी सच्चे सलै ानी को याि नहीीं रहिे या याि नहीीं रखिे -संीध्या िोमर लोग आजकल सीबं ीधं ों के मायनों को िसवीीं ‘अ’ ररचाशीं आिवींी ब राष्ट्रीय दहदं ी ददवस भारि में, 'राटरीय दहिंी ी दिवस' प्रनि वषम 14 लसिंीबर को मनाया जािा है। 14 लसिंबी र 1949 को दहिंी ी को भारि की राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। िब से हर साल 14 लसिींबर को भारि में और वविेशों में ष्स्थि सभी के न्द्रीय सरकारी कायामलयों मंे दहिंी ी दिवस के रूप में मनाया जािा है। दहिीं ी भारि की आचधकाररक भाषा है। दहिीं ी भाषा सभी भारिीयों के बीच सौहाद्रम और एकिा की भावना को जागिृ करिी है। भारिीय संवी वधान के अीिं गिम अनुच्छे ि 343 के अनसु ार दहिीं ी को भारिीय सघंी की राजभाषा का िजाम प्रिान ककया गया है। दहिीं ी दिवस के दिन दहन्िी को बढ़ावा िेने के ललए कई कायिम म िेश भर में आयोष्जि ककए जािे हैं। वप्रन्स छिी ब एक समय मंे एक ही कायम पूिम पररश्रम, लग्न ईमानिारी के साथ आत्मसाि ् होकर करो उस समय सब कु छ भलू जाओ सफलिा लमलकर ही रहेगी ।

लघु कथा एक जगीं ल मे कछु ओंी का एक पररवार अपना घर बनाकर रहिा था, एक दिन उन सबके दिमाग में एक खयाल आया कक बहुि दिन हो गये हम सब कहींी घमू ने नहींी गये िो चलो कहीीं घूमने जािे हंै। लेककन ये जो पररवार था इनके धीरे चलने के साथ-साथ इनका दिमाग भी बहुि धीरे चलिा था और इसीललये इनको ये िय करने मे साि साल बीि गये कक हमंे जाना कहांी है और रुकना कहाीं है। इनको एक साल और लग गये रास्िे के ललये खाना बनाने और पैककीं ग करने मंे। जहांी पर इन लोगों का दरप था वहा पहुँाचने मंे इनको िो साल और लग गये। वहाँा पहुाँचकर ये सब खुब िहले घमू े, िहलने-घूमने के बाि सबको भखू लग गयी और सबने सोचा कक अब खाना खाया जाए भखू के मारे पेि में चहू े कू ि रहे हैं। और खाने के ललये सब एक गोला बनाकर बैि गये और जब दिकफन खोला िो उन्हें पिा चला कक नमक िो वो लाये ही नही।ीं अब सब सोचने लगे कक नमक लाने के ललये अब ककसको भेजा जाए िो उनमे से जो सबसे बजु ुगम कछु आ था उसने कहा कक छोिे को भेज िो तयकूाँ क वो अभी छोिा और फु िीला है िो वो जल्िी से जाकर ले आयेगा। सब उस बजु ुगम कछु ए के बाि से सहमि हो गये और उस छोिे को बलु ाकर जब नमक लाने को बोला गया िो उसने साफ इनकार कर दिया कक मंै नमक लेने नहीीं जाऊँा गा, नहींी िो िुम सारा खाना खत्म कर िोगे और मुझे कु छ नही लमलेगा। पूरे पररवार न छोिे को आश्वासन दिया और ववश्वास दिलाया कक जब िक िू लौि कर वापस नहीीं आयेगा िब िक खाने को कोई हाथ िक नहींी लगायेगा। छोिे के ननकलने के बाि पररवार वालो ने अनुमान लगाया कक हम लोगों को यहााँ िक पहुँाचने के ललये काफी दिन लग गये लेककन छोिा अभी फु िीला है िो जल्िी आ जायेगा। और पररवार वालो ने खाना पकै कर के वापस रख दिया और छोिे का इिीं ेजार करने लग।े इीिं जे ार करि-े करिे 1 साल गजु र गये…..2 साल गजु र गये…..3 साल गजु र गये लेककन अभी िक छोिे का नमक लेकर लौिने का नामो-ननशान नही लमला। अंीि मंे इिना इीिं ज़ार करने के बाि पररवार वालो की भखू बरिाश्ि नहीीं हो रही थी और उन्होंने सोचा कक छोिा अभी पिा नहींी कब िक लौिकर आये और िब िक िो भखू के मारे हमारी जान ननकल जायेगी िो इसललये यही अच्छा है कक अब जैसा भी हो बबना नमक के ही हम खाना खा लेिे हैं। और जसै े ही उन लोगो ने दिकफन का ढतकन खोला और रोिी ननकाली िैसे वहाँा पेड के पीछे छु पकर बिै ा हुआ छोिा कू ि कर छलाीगं लगाकर बाहर आया और बोला “िेखा मुझे पिा था कक आप लोग बहुि धोखेबाज हो, मेरे साथ ववश्वासघाि करोग,े अब िो मंै नमक लाने बबल्कु ल नहींी जाऊँा गा।” सीख: वैसे िो इस कहनी से हमें बहुि कु छ सीखने को लमलिा है लेककन एक जो सबसे अच्छी बाि इस कहानी से ननकल कर आिी है वो है कक “आप अपने ललये जैसा सोचिे हो आप को वही लमलिा है” बबल्कु ल छोिे कछु ए कक िरह। राजेश सािवीीं अ मनुटय द्वारा ककया गया अच्छा व्यवहार उसे िाकि िेिा है, और िसू रों को भी अच्छा व्यवहार करने के ललए प्रेररि करिा है ।

राष्ट्रीय मतदाता ददवस मधरु वाणी का महत्व 'राटरीय मििािा दिवस' भारि में प्रत्येक वषम 25 वािी मनुटय को ईश्वर की अनपु म िेन है। मनटु य का जनवरी को मनाया जािा है। 'भारि ननवामचन आयोग' भाषा पर ववशषे अचधकार है। भाषा के कारि ही मनटु य का गिन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था। भारि इिनी उन्ननि कर सका है। हमारी वािी में मधुरिा का सरकार ने राजनीनिक प्रकिया में युवाओंी की भागीिारी ष्जिना अचधक अंशी होगा हम उिने ही िसू रों के वप्रय बढ़ाने के ललए ननवाचम न आयोग के स्थापना दिवस 25 बन सकिे हंै। हमारी बोली में माधुयम के साथ-साथ जनवरी को ही वषम 2011 से राटरीय मििािा दिवस लशटििा भी होनी चादहए। के रूप में मनाने की शरु ुआि की थी। मधुर वािी मनोनकु ू ल होिी है जो कानों में पडने पर राटरीय मििािा दिवस का आयोजन सभी भारिवालसयों चचि द्रववि हो उििा है। वािी की मधरु िा ह्रिय-द्वार को अपने राटर के प्रनि किमव्य की याि दिलािा है और खोलने की कींु जी है। एक ही बाि को हम किु शब्िों में साथ ही यह भी बिािा है कक हर व्यष्ति के ललए कहिे हंै और उसी को हम मधुर बना सकिे हैं। वािामलाप मििान करना जरूरी है। यह दिवस मििािाओंी मंे की लशटििा मनुटय को आिर का पात्र बनािी है और मििान प्रकिया मंे कारगर भागीिारी के बारे मंे समाज मंे उसकी सफलिा के ललए रास्िा साफ़ कर जानकारी फै लाने के रूप में भी प्रयोग ककया जािा है। िेिी है। किु वािी आिमी को रुटि कर सकिी है िो राटरीय मििािा दिवस मंे जगह-जगह आयोजन कर इसके ववपरीि मधरु वािी िसू रे को प्रसन्न भी कर मििािाओीं को मििान करने की शपथ दिलायी जािी सकिी है। है। इस दिन कालेजों, महाववद्यालयों और कायामलयों मंे मििािा दिवस का आयोजन ककया जािा है। बच्चे हमारी वािी ही हमारी लशक्षा-िीक्षा, कु ल की परींपरा और प्रभािफे री ननकालिे हैं और जागरूकिा का सिंी ेश िेिे मयािम ा का पररचय िेिी है। इसललए हमें वािालम ाप में हंै। जगह-जगह मििान हेिु जागरूकिा रैललयों का व्यापाररक बािचीि एवीं ननजी बािचीि में थोिा अंीिर आयोजन भी होिा है। रखना चादहए। सींचचिा कु मारी अल्पा सािवीीं ब सािवीीं ब भारत रत्ि 'भारि रत्न' भारि का सवोच्च नागररक सम्मान है। यह सम्मान राटरीय सेवा के ललए दिया जािा है। इन सेवाओीं मंे कला, सादहत्य, ववज्ञान, सावजम ननक सेवा और खेल शालमल है। भारि रत्न सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारि के ित्कालीन राटरपनि श्री राजेंद्र प्रसाि द्वारा की गई थी। अन्य अलकंी रिों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पिवी के रूप में प्रयुति नहीीं ककया जा सकिा। प्रारम्भ मंे इस सम्मान को मरिोपरांीि िेने का प्राववधान नहींी था, यह प्राववधान 1955 मंे बाि मंे जोडा गया। एक वषम मंे अचधकिम िीन व्यष्तियों को ही भारि रत्न दिया जा सकिा है। मलू रूप मंे इस सम्मान के पिक का डिजाइन 35 लमलम गोलाकार स्विम मैिल था। ष्जसमंे सामने सूयम बना था, ऊपर दहन्िी में भारि रत्न ललखा था और नीचे पुटप हार था। और पीछे की िरफ़ राटरीय चचह्न और मोिो था। कफर इस पिक के डिज़ाइन को बिल कर िाबंी े के बने पीपल के पिे पर प्लेदिनम का चमकिा सूयम बना दिया गया। ष्जसके नीचे चािाँ ी मंे ललखा रहिा है \"भारि रत्न\" और यह सफ़े ि फीिे के साथ गले मंे पहना जािा है। द्वारका ग्यारहवीीं अ

िीनत उपदेश 1. स्वष्स्िप्रजाभ्यः पररपालयन्िाीं न्यायेन मागिे महीीं महीशाः। गोब्राह्मिभे ्यः शभु मस्िु ननत्यीं लोकाः समस्िाः सणु खनो भवन्ि॥ु सभी लोगों की भलाई शष्तिशाली नेिाओीं द्वारा काननू और न्याय के साथ हो। सभी दिव्यांीगों और ववद्वानों के साथ सफलिा बनी रहे और सारा सींसार सुखी रहे। 2. नानििान्िानन शोचेि प्रस्िुिान्यनागिानन चचत्यानन । यथा चचिंी िथा वाचो यथा वाचस्िथा किया । चचिे वाचच कियायाीं च साधनू ामके रूपिा ॥ 3. जसै ा मन होिा है वैसी ही वािी होिी है, जसै ी वािी होिी है वैसे ही कायम होिा है । सज्जनों के मन, वािी और कायम में एकरूपिा (समानिा) होिी है । मनस्वी लियिे कामीं कापणम ्यीं न िु गच्छनि । अवप ननवामिमायानि नानलो यानि शीििाम ् ॥ 4. स्वालभमानी लोग अपमानजनक जीवन के जगह में मतृ ्यु पसीिं करिे हंै। आग बुझ जािी है लेककन कभी िंी िी नहीीं होिी। 5. आशाया ये िासास्िे िासाः सवमलोकस्य । आशा येषांी िासी िेषाीं िासायिे लोकः ॥ जो लोग इच्छाओंी के सेवक हैं वे पूरी िनु नया के सेवक बन जािे हंै। ष्जनके ललए इच्छा एक सेवक है, उनके ललए पूरी िनु नया भी एक सेवक है। 6. भद्रंी भद्रंी कृ िंी मौनीं कोककलजै मलिागमे । ििमरू ाः यत्र वतिारः ित्र मौनीं दह शोभिे ॥ वषाम ऋिु के प्रारींभ मंे कोयलें चपु हो जािी है, तयोंकक बोलने वाले जहाँा मंेढक हो वहााँ चपु रहना ही शोभा िेिा है। अथवम जनै बारहवीीं अ प्रत्येक अनुभव से शष्ति, साहस व आत्मववश्वास बढ़िा है ।

जय वकृ ्ष! जय वकृ ्ष कः ककम ् कर्त्मुव ् ि शक्तः जय वकृ ्ष! जय वकृ ्ष कः ककम ् किममु ् न शतिः श्रयू िाम ् सवे वकृ ्षपरु ािम,् अन्धः ककमवप न द्रटिु म ् शतिः कियिाम ् िथा वकृ ्षारोपिम।् पंगी ःु तवावप न चललिुम ् शतिः। वकृ ्षस्याष्स्ि सनु ्िरम ् यानि मूलंी बहुिरू म।् । मकू ः ककमवप न वतिमु ् शतिः बचधरः श्रोिुम ् भवत्यशतिः।। मलू ेपी अन्नम,् िस्य काटिंी कदिनम,् काटिीं कदिनंी भवनि इन्धनाथमम।् मढू ः बोद्धमू ् न भवनि शतिः पिेषु भवनि हररिद्रव्यम,् न चावप भीरुः योद्धमु ् शतिः। अिो दह अष्स्ि रे पिम हररिम।् । शयने रोगी भावत्यशतिः िीनः ककमवप न िािमु ् शतिः।। पुटपम ् सनु ्िरम,् अिीव मोहकम,् पटु पम ् िस्य भवनि रे िेवपजू ाथमम।् वदृ ्धः न भारीं वोढु म ् शतिः फलम ् रसमय,ंी िस्य फलंी स्वािपिू मम ,् ईटयुःम कमवप न सोढु म ् शतिः। फलम ् दह अष्स्ि रे खगस्य अन्नम।् । नैव धावविुम ् स्थूलः शतिः लोभी शान्त्या स्ववपिुमशतिः।। वकृ ्षे दह कु वषम ्न्ि ववहगाः नीिम,् के चचि ् िु कु वषम ्न्ि काटिे दह नछद्रम।् अलसः मखू ःम ननद्रायतु िः आिपे निटिनि वषानम ुवषमम,् कायमम ् ककमवप न किमुम शतिः। अन्येषांी करोनि छायाप्रिानम।् । सिैव लमथ्याचरिे शतिः वकृ ्षो नवै अवि रे स्वकीयीं फलम,् नैव स सत्यीं द्रटिु म ् शतिः।। सवमम ् दह अगंी म ् िस्य लोकदहिाथमम ।् आदित्य लशजु जनाः न स्मरष्न्ि िस्य उपकारम,् िसवीीं अ बहुधा कु वमष्न्ि वकृ ्षच्छे िनम।् । किलशका मां िसवींी अ मा,ाँ मााँ त्वम ् सींसारस्य अनपु म ् उपहार, िीनत-लशक्षा न त्वया सदृश्य कस्याः स्नेहम,् करुिा-ममिायाः त्वम ् मनू ि,म सत्यीं वि धमं चर न कोअवप किमुम ् शतनोनि िव क्षनिपूनि।म पीडिि-जन-िःु खंी हर िव चरियोः मम जीवनम ् अष्स्ि, क्षुचधिानामिु रंी भर ‘मा’ँा शब्िस्य मदहमा अपार, धीरो भव वीरो भव न मााँ सदृश्य कस्याः प्यार, लशटिो भव सभ्यो भव माँा त्वम ् संीसारस्य अनपु म ् उपहार। हृटिो भव पुटिो भव ध्रुव शदु ्धंी पि स्वच्छीं ललख िसवींी ब सभ्यो भव शान्िो भव अववनाश छिी ब

एदह एदह वीर रे गन्त्री (गाड़ी) चनु ्त्िू मनु ्त्िू एदह एदह वीर रे गन्त्री गच्छनि एिौ बालौ वीरिाीं ववधेदह रे अग्रे गच्छनि ``चनु ्नू मुन्न'ू ' पिीं हिंी ननधेदह रे पटृ िे गच्छनि सिा खेलिः भारिस्य रक्षिाय उच्चैः गच्छनि इिो धाविः जीवनीं प्रिेदह रे।। नीचैः गच्छनि ििो धाविः त्वीं दह मागिम शकम ः गन्त्री गच्छनि बारीं बारीं पििः त्वीं दह िेशरक्षकः यद्यवप लभेिे त्वंी दह शत्रनु ाशकः मन्िंी गच्छनि सवम विने क्षक्षपिः कालनाग िक्षकः।। शीघ्रीं गच्छनि सपम सपम चलिः विंी गच्छनि सििंी हसिः । साहसी सिा भवेः सरलंी गच्छनि ककन्िु बुभकु ्षा यिा बाधिे वीरिांी सिा भजेः गन्त्री गच्छनि िारंी रुििः भारिीय-सींस्कृ निीं मािःु सववधे ब्रजिः मानसे सिा धरेः।। शीिे वा उटिे वा सम्यम ् िगु ्धंी पीत्वा पिीं पिंी लमलच्चलेि ् सिा सेविे मदु ििौ भविः सोत्साहीं मनो भवेि ् पनु ः खेललिींु ब्रजिः भारिस्य गौरवाय दिवसीं वा रजनी वा सवम मदु ििंी कु रुिः । सविम ा जयो भवेि।। अवकाशंी नो लभिे भव्या िीक्षक्षि लशवानी राय सािवींी ब िसवींी ब गन्त्री गच्छनि श्रनु ि वषाव िसवीीं ब मेघः गजमनि गड्-गड् प्रार्िव ा सयू ोदय करका ननपिनि पड्-पड् वषाम वषनम ि ररम-णझम हे ियाननधे? (हे ियाधाम !) सयू मः उियनि ववद्युि ् ववलसनि चम-चम हे ियाननधे? (हे ियाधाम !) निलमरंी नश्यनि सिा िदु िमनीं घोरम ् वीराः भवेम (हम वीर बनें) मनजु े मनुजे सिा िामसंी दिवसे धीराः भवेम (हम धीर बनंे) हृिये-हृिये गमनाऽगमने कदिने लशटिाः भवेम (हम लशटि बनंे) जीवे जीवे सिा प्रस्खलन-भीनिः सभ्याः भवेम (हम सभ्य बनंे ।) कु सुमे कु समु े सवमत्र घिा अनिघोराः सििंी पिे म (हम सिा पढ़ंे) नवीं यौवनंी सवतम ्र भयङ्कर-वषाम सििीं ललखेम (हम सिा ललखंे) नवा चेिना भवने भवने जलचचाम सत्यीं विेम (हम सच बोलंे) नवः प्रसािः के शव सुणखनो वसेम (हम सुखी रहें ।) नव-परािमः छिी ब िभु ्यीं नमोऽस्िु (िुमको प्रिाम) पररिो ववलसनि हे ियाननधे (हे ियाधाम !) सयू मः उियनि प्रिीक मनीषा िसवींी अ छिी ब

ददिचयाव सदाचार-लशक्षा वयंी बालकाः सिा पिामः ननत्यीं प्रािः जागदृ ह वयीं बालकाः सिा ललखामः हस्ि-मुखीं प्रक्षालय वयीं बालकाः सिा चलामः शान्िचेिसा उपववश वयंी बालकाः सिा लमलामः पदििंी पािंी चचन्िय वयंी प्रभािे उविटिामः स्नानीं कु रु ध्यानीं कु रु ििो ननत्यकिवम ्यीं कु ममः मधुरंी जलपानंी कु रु ििो वयंी पदििुंी गच्छामः पिने अवधानीं कु रु सायंी पनु ः समागच्छामः हीन-जने मानीं कु रु भतु त्वा पीत्वा मन्िंी मन्िीं िीन-जने िानंी कु रु पदििंीु वयंी ब्रजामः जन-जन-सम्मानीं कु रु िि पदित्वा पािीं सायंी गहे म ् आगच्छामः (घर पर आ जािे हैं ।) अलंी शका हवषमिा आहूजा छिी ब िसवींी अ सावधाि असंभव को सभं व प्रनतज्ञा बिाओ कु सुमानांी कललकाः मा त्रोिय एष मिीय-वप्रयिम-िेशः भारि िेशः पुस्िकस्य पत्रंी मा मोिय ऊषर-भुवव शस्यम ् उत्पािय (यह है मेरा प्यारा िेश भारि िेश) वािायन-न शीशीं मा स्फोिय चगरर-लशखरे कु सुमानन ववकासय एष मिीयः वप्रयिम-वेषः सरलो वेषः िटु िैः सम्बन्धीं मा योजय पाषािे कोमलिाम ् आनय (यह है मेरा प्यारा वेष सािा वेष ।) आपिौ आनन्िीं मानय इयंी मिीया दिव्या भाषा सींस्कृ ि भाषा गच्छनि शकिे मा आरोहेः (यह है मेरी अनपु म भाषा संीस्कृ ि भाषा) चलिः शकिाि ् मा अवरोहेः ववना घनीं पानीयंी वषमय िेशधममयोः महिी आशा महिी आशा िटु िैः पुरुषैः सह मा गच्छे ः शत्रुंी लमत्रंी सवम हषयम (िेश-धमम की महिी आशा महिी आशा ।) कृ त्वा-कमम झदिनि आगच्छे ः काम-िोध-वह्रींी ननवामपय एित्सेवा सिा कररटये सिा कररटये भलू मिलंी स्वगम सम्पािय (इनकी सेवा सिा करूंी गा सिा करूंी गा) पायल एित्कटिंी सिा हररटये सिा हररटये छिी ब अलमि (इसका सीकं ि सिा हरूाँ गा सिा हरूँा गा ।) छिी ब सोनाली सािवीीं ब

\"CREATIVITY INVOLVES BREAKING OUT OF EXPECTED PATTERNS IN ORDER TO LOOK AT THINGS IN A DIFFERENT WAY.\"



A DREAM DOESN’T BECOME REALITY THROUGH MAGIC; IT TAKES SWEAT, DETERMINATION AND HARD WORK !

IMPORTANT AWARDS AND THEIR STAY SAFE! FIELDS Wash your hands often with soap and water 1. Bharat Ratna: It is the highest for at least 20 seconds, especially after being civilian Award of India. The award is in a public place, or after blowing your nose, given for outstanding achievements in coughing or sneezing. If soap and water are the arts, literature, science and public not readily available, use a hand sanitizer with service but the government expanded at least 60% alcohol. the criteria to include “any field of human Avoid touching your eyes, nose and mouth endeavour”. with unwashed hands. 2. Padma Awards: Padma Vibhushan, Avoid close contact with people who are sick, Padma Bhushan and Padmashri award and practice social distancing by keeping at are for exceptional and distinguished least 6 feet away from others if you must go service in any field including service out in public. rendered by government servants. Wear a cloth face covering to cover your 3. Gallantry Awards: Paramvir mouth and nose when around others and Chakra, Ashok chakra and Shaury chakra when you must go out in public. The cloth face are given for applicating the brave and cover is meant to protect other people in case gallant. you are infected. Don’t place one on young 4. Noble prize: The noble price is children under age 2, anyone who has trouble widely regarded as the most prestigious breathing, or is unconscious, incapacitated or awards available in the field of literature, otherwise unable to remove the mask without medicine, physics, chemistry, peace, and assistance. Learn more. economy. Cover your nose and mouth with a tissue 5. Abel prize (Mathematics): The Abel when coughing or sneezing and throw the prize is an international price awarded tissue away after use. If a tissue isn’t annually by the government of Norway to available, cough or sneeze into your elbow or one or more outstanding mathematics. sleeve, not your hands. 6. Dhyan chand Award: It is the Clean and disinfect frequently touched award given for life time achievements in surfaces daily. This includes tables, sports and games. doorknobs, light switches, handles, desks, 7. Oscar Award: It is an annual computers, phones, keyboards, sinks, toilets, American Award ceremony honouring faucets and countertops. cinematic achievements in the film industry. RICHANSH JAIN, IX B SONKAMBLE POOJA XII A DON’T WORRY !! People have been coming to the wise man, complaining about the same problems every time. One day he told them a joke and everyone roared in laughter. After a couple of minutes, he told them the same joke and only a few of them smiled. When he told the same joke for the third time no one laughed anymore. The wise man smiled and said: “You can’t laugh at the same joke over and over. So why are you always crying about the same problem?” Moral of the story: Worrying won’t solve your problems, it’ll just waste your time and energy. ASTHA SINGH, VIII A

THE EVOLUTION OF ANXIETY TAEKWONDO We all have heard or used the term 'anxiety' Taekwondo, usually thought of by most once at some point in our life. What does people as just a way of fighting and as anxiety mean? Anxiety is a psychological being a brutal sport people consider it feeling of worry, nervousness or fear about because of all the kicks, punches, throws something which has an uncertain and arm and wrist locks, they usually are outcome. It is often treated as an emotional not open minded enough to see the way it disorder which definitely needs to be benefits people especially children though a treated. majority of it included fighting, taekwondo Now, the question arises how has anxiety also help a person with self confidence, self evolved? Anxiety is a survival mechanism. defence and discipline. It is just because of the anxiety that we Developing self- confidence is a important (humans) have survived till date. aspect of learning taekwondo. Though Thousands of years ago, when humans gaining self- confidence the student learns lived in an Immediate Return Environment, to believe in his/her abilities in believing in i.e., where the actions of an individual bring his/her abilities the student performance about immediate benefits, stress, worry would be affected in and out of the dojo. and anxiety were useful emotions which Once the general, rather it is at work, helped them to take immediate action for school or at have usually improves. The immediate problems. Like will I get a job? thought of learning self-defence is usually Will I graduate? Will I get promotion in my the main reason for people to join current job? Problems in a Delayed Return taekwondo. Warm up exercise in Environment, i.e., where the actions of an taekwondo usually consists of push-ups, individual bring about delayed benefits, we sit-ups, squats, stretches and crunches. can rarely be able to solve right now in the Along with learning self-control and present moment. Anxiety comes when we becoming physically fit, the student also are surrounded by uncertainty. The learns about martial arts weapons. In mismatch between our old brain and new becoming physically fit learning self-control environment has a significant impact on and weapons, the students are on their way amount of chronic stress and anxiety we to becoming very well rounded martial art. experience today. What can we do? How can we thrive in a VAISHNAVI PATEL Delayed Return Environment that creates XI A so much stress and anxiety. The first thing you can do is to ''shift your worry'' from a long term problem to a daily routine one that will help to solve the problem. The second thing you can do is to measure something correctly. You can't be sure if you will get a job or graduate, but you can track how often you reach out to companies about courses like internships. Measurement won't magically solve the problems, but for sure will clarify the situation, will put you out of the worry and uncertainty's black box, and help to get a grip on actually what's happening. -TRIPTI KUMARI XII B

FACTS ABOUT STATUE OF UNITY 1. At 182 metres, Statue of Unity is the tallest statue in the world. The height of the base of Statue of Unity is 58 metres. 2. The statue faces the Narmada Dam and is located on a river island called Sadhu Bet near Rajpipla on Narmada River. 3. It is located between the Satpura and the Vindhya mountain ranges near Kevadia town in Gujarat. The town will be connected to the location of the statue by a 3.5 km highway. 4. Over 3,000 workers, including 300 engineers from Larsen & Toubro (L&T), built the statue within three-and-a-half years. 5. Around 129 tonnes of iron implements were obtained from nearly 100 million farmers in 169,000 villages across all states for the statue. 6. Statue of Unity will turn from its original bronze colour to green in 100 years due to a natural aging process. 7. The statue will be able to withstand earthquakes and wind speed up to around 100 km per second. 8. Four high-speed lifts are fitted in the statue’s legs. Each lift can carry 26 people to the top in just above 30 seconds. 9. The statue has a viewing gallery at 153 metres from where around 200 people can have a panoramic view of the Sardar Sarovar Dam. 10. A museum, a 3-star lodging facility, a food court, a memorial garden and a grand museum are part of the Statue of Unity. KUNAL, XI A

M S DHONI- BORN SUPERSTAR Mahendra Singh Dhoni, is a former Indian international cricketer who captained the Indian national team in limited-overs formats from 2007 to 2016 and in Test cricket from 2008 to 2014. Born: 7 July 1981 (age 39 years), Ranchi ODI debut (cap 158): 23 December 2004 v Bangladesh Test debut (cap 251): 2 December 2005 v Sri Lanka Last ODI: 9 July 2019 v New Zealand T20I debut (cap 2): 1 December 2006 v South Africa Last T20I: 27 February 2019 v Australia UTKARSH, XI A TESSY THOMAS- THE MISSILE WOMAN Tessy Thomas is an Indian scientist and Director General of Aeronautical Systems and the former Project Director for Agni-IV missile in Defence Research and Development Organisation. She is the first woman scientist to head a missile project in India. Wikipedia Born: April 1963 (age 57 years), Alappuzha Nationality: Indian Spouse: Saroj Kumar Children: Tejas Patel Education: St.Josephs College for Women, Government Engineering College, Defence Institute Of Advanced Technology Awards: CNN-IBN Indian of the Year Special Achievement JAGRITI SHUKLA, XI A

A BIRD IN THE HAND IS WORTH TWO IN THE BUSH The proverb 'A bird in the hand is worth two in the bush' means that it's better to hold onto something you have rather than take the risk of getting something better which may come to nothing. 'A bird in the hand is worth two in the bush' is one of the oldest and best-known proverbs in English. It came into the language in the 15th century, probably imported from other cultures. The proverb warns against taking unnecessary risks. It is better to keep what you have (a bird) than to risk getting more and ending with nothing (two birds which are out of your reach). PALAK SAGAR, XI B TIME AND TIDE WAIT FOR NONE This proverb illustrates the importance of time and also says that there is nothing which is more precious than time. The words TIME AND TIDE WAIT FOR NO MAN is due to the reason that the tides that come out in the sea are there forever and they do not stop or wait for anybody. There is a story in England where one of the king’s courtiers always kept on flattering the king. He said if the king orders everything in the world will stop. The King wanted to check it and he went to the seashore and ordered the waves to stop, but nothing happened. The King turned back to the courtier and said that time and tide wait for none and one day he will also die. If we remain idle we waste our time and postpone things. The importance of a minute can be learned from a person who missed the train due to a delay of one minute and had to postpone his whole journey. Those who waste their youth by indulging in unwanted activities fail to have a pleasant and contented life. SHIVANI RAI, XI A

FUN PUNS !! Santa Claus' helpers are known as subordinate Clauses. I was struggling to figure out how lightning works, but then it struck me. What did one plant say to another? What's stomata? How do construction workers party? They raise the roof. A boiled egg every morning is hard to beat. Every calendar's days are numbered. A bicycle can't stand on its own because it is two-tired. No matter how much you push the envelope, it will still be stationery. A dog gave birth to puppies near the road and was cited for littering. If you don't pay your exorcist, you will get repossessed. A pessimist's blood type is always B- negative. I went to a seafood disco last week... and pulled a mussel. Two peanuts walk into a bar, and one was a-salted. Reading while sunbathing makes you well red. AVIJIT, XI A

JAI JAI GARVI GUJARAT Gujarat is a place where there is color, love, excellence, business and extravagance. There are enough reasons to visit Gujarat located in the western part of India. It is known for being the state of rich history, culture and heritage dating back thousands of years. It is home to numerous temples, mosques, and other historical monuments that will take you back in time and shed light in its glorious heritage. It is dotted with several natural wonders like the Rann of Kutch which is the largest salt desert in the world. Some of the plus points for travellers visiting Gujarat can also enjoy the unique folk dances and some lip-smacking dishes of the state well-known all over the world. The traditional cuisine is so varied that it strikes the right cords with all the tastes buds present in the human body. The Gujarati Thali is like a huge combination to sweets, farsans, roti, Kadhi, sabzi and much more. The Gujarati food has a hint of sweetness in it that makes it unique in its true sense. And, you can’t miss out on the Gujarati snacks like Ganthia, Fafda, Chakri, Mathia… the list is never ending! OM MARATHE, XI A NEVER GIVE UP ! 1. “Character consists of what you do on the third and fourth tries.” ―James A. Michener 2. “Winners never quit, and quitters never win.” ―Vince Lombardi 3. “It always seems impossible until it’s done.” ―Nelson Mandela 4. “How long should you try? Until.” ―Jim Rohn 5. “There is no failure except in no longer trying.” ―Elbert Hubbard 6. “You just can’t beat the person who won’t give up.” ―Babe Ruth 7. “Never give up on something that you can’t go a day without thinking about.” ―Winston Churchill 8. “Most of the important things in the world have been accomplished by people who have kept on trying when there seemed to be no hope at all.” ―Dale Carnegie 9. “Never give up, for that is just the place and time that the tide will turn.” ―Harriet Beecher Stowe 10. “You do what you can for as long as you can, and when you finally can’t, you do the next best thing. You back up but you don’t give up.” ―Chuck Yeager ADITI SHAH, VIII A

FIVE INDIAN TRADITIONAL GAMES Lagori, or Lingocha, is another interesting game invented in India in the ancient times. It involves a ball (preferably rubber ball) and a pile of seven flat stones stacked upon one another. It is generally played between two teams, with a minimum of 3 players and a maximum of nine on each team. Gilli Danda An amateur sport, Gilli Danda is one of the most thrilling games invented on the Indian Subcontinent thought to be originated 2,500 years ago. Kho Kho is another popular tag sport invented and developed in ancient India. After Kabaddi, Kho Kho is the most prevalent traditional tag games in the subcontinent. The origin of game may be tricky to trace, but it is believed that it is a modified version of ‘Run Chase’. In its simplest form, Run Chase involves running behind a player and touching him/her to win. Traditionally, it was known as Rathera. The present form of Kho Kho can be dated back in 1914 during the World War I. Gutte is a casual game played among the rural parts of the country. It is equally popular both among children and adults. It involves 5 pieces of small stones and is usually played in leisure time. Kancha is another interesting, inexpensive game invented on the Indian land. A favourite amongst youngsters, it is played using dark green glass marbles colloquially known as ‘Kancha’. The game involves a player hitting the selected target marble using one of his own. Traditionally, the winner of the game takes away all Kanchas from the losing players. DHRUV PATIL, XI A

LET’S KNOW ABOUT ANTITHESIS & OXYMORON Antithesis is a figure of speech which refers An oxymoron is a figure of speech that to the juxtaposition of opposing or combines incongruous or contradictory contrasting ideas. It involves the bringing terms. The plural is oxymorons or oxymora. out of a contrast in the ideas by an obvious contrast in the words, clauses, or Examples: sentences, within a parallel grammatical An oxymoron can be made of an adjective structure. and a noun: Examples: Dark light \"Man proposes, God disposes.\" - Source Deafening silence unknown. Living dead \"Love is an ideal thing, marriage a real Open secret thing.\" - Goethe. Virtual reality \"That's one small step for man, one giant leap for mankind.\" - Neil Armstrong. Oxymorons can also be a combination of a \"To err is human; to forgive divine.\" - noun and a verb. Alexander Pope. \"Give every man thy ear, but few thy The silence whistles voice.\" - William Shakespeare. AJITESH SAHOO, XI A A LITTLE KNOWLEDGE IS A DANGEROUS THING The proverb 'A little knowledge is a dangerous thing' expresses the idea that a small amount of knowledge can mislead people into thinking that they are more expert than they really are, which can lead to mistakes being made. What's the origin of the phrase 'A little knowledge is a dangerous thing'? 'A little knowledge is a dangerous thing' and 'a little learning is a dangerous thing' have been used synonymously since the 18th century. Alexander Pope - A little knowledge is a dangerous thing. The 'little learning' version is widely attributed to Alexander Pope (1688 - 1744). It is found in his An Essay on Criticism, 1709 and I can find no earlier example of the expression in print: A little learning is a dangerous thing; drink deep, or taste not the Pierian spring: there shallow draughts intoxicate the brain, and drinking largely sobers us again. DISITA SWAIN, XI A

SCIENCE AND TECHNOLOGY IN INDIA India ranks third among the most attractive investment destinations for technology transactions in the world. Modern India has had a strong focus on science and technology, realising that it is a key element for economic growth. India is among the topmost countries in the world in the field of scientific research, positioned as one of the top five nations in the field for space exploration. The country has regularly undertaken space missions, including missions to the moon and the famed Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV). India is likely to take a leading role in launching satellites for the SAARC nations, generating revenue by offering its space facilities for use to other countries. Some of the recent developments in the field of science and technology in India are as follows: India Space Research Organisation (ISRO) launched space technology incubation centre in Tripura, Agartala. ISRO has planned 36 missions including satellites and launch vehicles in FY21. India's space business will witness tremendous growth in the next five years on the back of technology advancement, global space business opportunity and a sharp rise in ISRO’s satellite launch capabilities. SANIYA ANSARI, XI A The ability to strike air-to-air targets from up to 150 km away and safely hit land targets 300 km within enemy territory make India's Rafales some of the deadliest fighter jets flying in the world. Known for air-superiority and precision strikes, the French-made Rafales are India's first major acquisition of fighter planes in 23 years after the Sukhoi jets were imported from Russia. The aircraft are capable of carrying a range of potent weapons. European missile maker MBDA's Meteor beyond visual range air-to-air missile, SCALP cruise missiles and MICA weapons system will be the mainstay of the weapons package of the Rafale jets. The aircraft are capable of carrying a range of potent weapons. European missile maker MBDA's Meteor beyond visual range air-to-air missile, SCALP cruise missiles and MICA weapons system will be the mainstay of the weapons package of the Rafale jets. Rafales are also equipped to carry SCALP cruise missiles that can hit targets 300 km away. It means that an Indian Air Force Rafale taking off from Ambala, will be able to launch one of these weapons from well within Indian airspace to hit a target deep inside China. SUZAIN, XI A



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