ISSN 2454-2725 151 घरों की छतो के वषाट जल कों एकण्ित करने के ण्लये बनाई जाने वाली ण्वशेष नाण्लयां
ISSN 2454-2725 152 स्लो सेंड फिल्टरजागरण/हररद्वार/ उत्तराखडं । गगं ा सहहत दशे की अन्य नहदयों को मानव जहनत प्रदषू ण से बचाने की जरूरत लंबे समय से महससू की जा रही ह।ै इस हदशा मंे गरु ुकु ल कागं डी हवहव व आईआईटी का एक संयकु ्त शोध महत्वपणू ण साहबत हो सकता ह।ै हजले में हथथत दोनों शीषण सथं थानों के हवज्ञाहनयों ने थलो सडें हिल्टर (एसएसएि) नामक बहतु कम खचीली व अहधक कारगर तकनीक हवकहसत की ह।ै शोध कायण को अहं तम रूप हदए जाने के बाद अमरे रका मंे आयोहजत पयावण रण हवज्ञान एवं तकनीक पर आयोहजत चतथु ण अतं राणष्ट्रीय कान्रंे स मंे इसके प्रथततु ीकरण का न्योता हमल चकु ा ह।ै गौरतलब है हक हवथतार लेती शहरी आबादी व बढ़ते औद्योहगकीकरण के चलते हसंचाई सहहत अन्य कायो के हलए पानी की जरूरत को परू ा करने के हलए सीवजे रीटमटें की जरूरत भी बढ़ गई ह,ै इसके हलये भारत मंे अपनाई जा रही प्रणाली महगं ी होने के साथ ही प्रदषू ण हनयतं ्रण बोडण के मानकों के अनसु ार पानी का शोधन नहीं कर पा रही ह।ै इस हदशा मंे हपछले कु छ वषों से गरु ुकु ल कांगडी हवहव के कु लसहचव व पयाणवरण हवज्ञानी प्रो. एके चोपडा तथा आईआईटी रुडकी के प्रो. एए काजमी शोध कर रहे थे। अब इस शोध कायण को लगभग अहं तम रूप दने े के तरु ंत बाद उन्हें 28 से 31 जलु ाई तक अमरे रका के ह्यथू टन में आयोहजत पयावण रण हवज्ञान व तकनीकी पर आयोहजत इटं रनशे नल कान्रें स में इसके प्रथततु ीकरण का न्योता हमला ह।ै प्रो. चोपड़ा के मुत़ाफिक एसएसएि तकनीक सीवेज के गहन ट्रीटमेंट के फलए तैय़ार की गयी है। वततम़ान में इस्तेम़ाल की ज़ा रही तकनीक से फनष्क़ाफसत प़ानी में िीम़ारी िै ल़ाने व़ाले िैक्टीररय़ा िडी संख्य़ा में मौजूद
ISSN 2454-2725 153 रहते हंै। इनकी संख्य़ा एक ल़ाख के लगभग होती है, जिफक यह म़ात्ऱा 100 एमएल मंे 1,000 से अफिक नहीं होनी च़ाफहए। एसएसएि से शोफित प़ानी िैक्टीररय़ा को म़ानकों के अनरु ूप ही स़ाि करत़ा है। इस पद्धफत की ख़ाफसयत यह है फक यह िहुत कम खचत मंे तैय़ार होने के ि़ावजूद पुऱानी पद्धफत से कहीं अफिक क़ारगर है। इसमें न तो हबजली की खपत करनी पडती है और न ही महगं े उपकरणों की, इसके हलए आसानी से उपलब्ध रेत का ही उपयोग हकया जाता है तथा यह हबना तकनीकी दक्षता वाले लोगों द्वारा भी सचं ाहलत की जा सकती ह।ै स्रोत: इफडडय़ा वॉटर पोटतल
ISSN 2454-2725 154 स्रोत: इण्डिया वॉटर पोटटल जल ननजीकरण का निरोध1991 से भारतीय अथवथ ्यिस्था के प्रत्येक क्षेत्र मंे उदारीकरण, ननजीकरण और भमू ण्डलीकरण द्वारा बडे बदलाि शरु ू नकए गए। नबजली के क्षते ्र मंे ये बदलाि प्रारंभ से ही लागू हो गए थे लने कन जल क्षेत्र मंे ये अभी प्रारंभ हए ह। बगर सोस सो -नि ार के , जल्दबाजी में नकए गए उदारीकरण और ननजीकरण के कारण आज नबजली क्षते ्र संकट मदं ह। सधु ार की प्रनिया मानि नननमतथ आपदा नसद्ध हई ह। नबजली के दाम और नबजली संकट दोनों ही बढे हंै और िर्षो के नलए दशे पर महगँ े समझौतों का बोझ लाद नदया गया ह। यह सब अब अनधकृ त रूप से भी स्िीकार कर नलया गया ह। इस प्रनिया से सीख लेने के बजाय इसी प्रकार की उदारीकरण, ननजीकरण और भमू ण्डलीकरण की नीनत अब जल क्षते ्र में भी दोहराई जा रही ह। भारत में ``सधु ार´´ दो प्रकार से हो रहा ह। पहले तरीके मंे जल सेिाओं का सीधा ननजीकरण नकया जा रहा ह ाहे िह ``बीओटी´´ के माध्यम से हो या निर प्रबंधन अनबु ंध के माध्यम से। यह तरीका औद्योनगक और शहरी जलप्रदाय में अपनाया जा रहा ह। `सधु ार´ का दसू रा तरीका, ज्यादा खतरनाक ह और परू े जल क्षेत्र में इसके दरू गामी पररणाम होंगे।ं सीधा ननजीकरण इसमें बीओटी (बनाओ, लाओ और हस्तातं ररत करो) पररयोजनाए,ँ कं सेशन अनबु ंध, प्रबंधन अनबु धं , ननजी पननबजली पररयोजनाएँ आनद शानमल ह।ंै इसी तरह की कई पररयोजनाएँ या तो जारी ह या निर प्रनिया में ह। जसे छत्तीसगढ की नशिनाथ नदी, तनमलनाडु की नतरूपरु पररयोजना, मबंु ई में के .-ईस्ट िाडथ का प्रस्तानित ननजी प्रबधं न अनबु ंध आनद। नहमा ल के अनलयान दहु ागं न, उत्तराखण्ड के निष्णु प्रयाग और मध्यप्रदशे की महशे ्वर जल निद्यतु पररयोजना की तरह अनेक ननजी पननबजली पररयोजनाएँ या तो नननमतथ हो कु ी ह या निर ननमाथणाधीन ह। अनलयान दहु ांगन पररयोजना को अतं राषथ ्रीय नित्त ननगम (IFC) ने कजथ नदया ह। ननजी जल निद्यतु पररयोजनाओं के मामले मंे कं पननयों को ननदयों पर ननयंत्रण का अनधकार दे नदया जाता ह नजसका निपरीत प्रभाि नन िास (Down-stream) मंे रहने िाले समदु ायों पर पडता ह। नदल्ली जल ननगम का प्रस्तानित ननजीकरण एक सािजनथ नक उद्यम नदल्ली जल ननगम का ``नदल्ली जलप्रद्राय एिं मल ननकास पररयोजना´´ के नाम से निश्व बंकै के कजथ की शतों के तहत ननजीकरण नकया जाने िाला था। इस पररयोजना हते ु निश्व बंकै ने 14 करोड डॉलर का कजथ दने े के पिू थ सन् 2002 मंे नदल्ली जल बोडथ के सधु ार एिं पनु रथ ना के अध्ययन हते ु 25 लाख डॉलर की सहायता दी थी। यह कायथ निश्व बकंै की हते ी सलाहकारी िमथ प्राईस िाटरहाउस कू पसथ (PWC) को नदया गया था। सलाहकार िमथ
ISSN 2454-2725 155 का यन सदं हे ास्पद तरीके से नकया गया था, नजसका खलु ासा `पररितनथ ´ (नदल्ली) द्वारा नकया गया। नदल्ली जल बोडथ के सधु ार के मखु ्य नबदं ु ननम्न थे- नदल्ली जल बोडथ के 21 झोनों का जलप्रदाय प्रबधं न ननजी कं पननयों को सौंपा जाना था नजनमंे से 2 झोन के टेण्डर मा थ 2005 में जारी नकए गए थे। नदल्ली जल बोडथ के कमथ ाररयों का कं पनी के नलए काम करना। अत्यनधक प्रबधं न िीस (5 करोड रुपए/कं पनी/िर्ष)थ के कारण ख थ मंे बढौत्तरी और ख थ मंे नदल्ली जल बोडथ के ननयतं ्रण की समानि। ख ों में बढौत्तरी की पनू तथ के नलए तत्कालीन जल दरों मंे 6 गनु ा िनृ द्ध। मध्यमिगीय पररिारों के नलए जलदर 1200 रुपए/माह और बनस्तयों के नलए 350 रुपए/माह। हालांनक जलप्रदाय प्रबधं न कं पनी करती लेनकन प्रत्येक झोन मंे जलप्रदाय की नजम्मदे ारी नदल्ली जल बोडथ की ही रहती। कं पनी को नननित लक्ष्य प्राि करने के बदले बोनस नदया जाना था जबनक अध्ययन बताते ह नक िे लक्ष्य ही बोगस थ।े नदल्ली जल बोडथ और कं पनी के मध्य हए समझौते के अनसु ार कं पनी को नशकायत ननिारण हते ु 20 नदन का समय नदया गया था जबनक ितमथ ान मंे यह समय 1 से 3 नदन ह। पानी की गणु ित्ता में सधु ार नहीं। कं पनी भी िही प्रनिया और उपकरणों का इस्तमे ाल करने िाली थी जो नदल्ली जल बोडथ करता ह। गरीबों और िनं तों को मफु ्त अथिा ररयायती दरों पर पानी नहीं। कं पनी की जिाबदहे ी न के बराबर। के .ईस्ट िाडथ (मबंु ई) का प्रस्तानित जल नितरण ननजीकरण के .-ईस्ट िाडथ (मबंु ई) में पानी के ननजीकरण की प्रनिया जनिरी 2006 में उस समय शरु ू हई जब निश्व बंकै ने एक फ्ासं ीसी सलाहकार िमथ `कस्टानलया´ को िाडथ मंे पानी के ननजीकरण की प्रयोगात्मक योजना तयार करने को कहा। निश्व बैकं ने तीसरी दनु नया के दशे ों मंे ननजीकरण को बढािा दने े िाली अपनी संस्था `पनललक प्रायिटे इन्फ्फ्ास्रक् र
ISSN 2454-2725 156 एडिायजरी िे नसनलटी´ (पीपीआईएएि) के माध्यम से 5 6,92,500 डॉलर उपललध करिाए। इस िाडथ की जनसखं ्या 10 लाख ह और जलप्रदाय राजस्ि की दृनि से यह िाडथ पहले से ही िायदे िाला ह। सिल नियािं यन पर इस प्रयोग का निस्तार परू े मबंु ई शहर में नकया जाना था। जब ननजीकरण के नखलाि निरोध बढा तो बहृ न्फ्न मबंु ई नगरपानलक ननगम ने यह दािा नकया नक उसने कस्टानलया को ननजीकरण के साथ अन्फ्य सारे निकल्प सझु ाने को कहा ह। हालानं क कस्टानलया ने सबं नं धत पक्षों (स्टेक होल्डर) की दसू री मीनटंग में जो निकल्प सझु ाए उनमें ननजीकरण को प्राथनमकता दी गई थी। लेनकन ``मबंु ई पानी´´ जसे मंबु ई मंे कायथरत् ननजीकरण निरोधी समहू ों के कारण अब यह पररयोजना रोक दी गई। स्िजलधारा ग्रामीण क्षेत्रों में बडे पमाने पर नियानं ित स्िजलधारा पररयोजना निश्व बैकं द्वारा नित्तपोनर्षत ह। गाँिों में साि और सरु नक्षत पये जल उपललध करिाने हते ु यह योजना कई राज्यों मंे जारी ह। पररयोजना ररपोटथ और अध्ययन बताते हंै नक इसके नलए सं ालन और सधं ारण की पणू थ लागत िापसी और ग्रामीणों का मौनद्रक अशं दान जरूरी ह। जो लोग यह कीमत अदा नहीं कर सकते िे इस योजना से िनं त हो जाते हैं तथा उन्फ्हें अपने संसाधन स्ियं तलाशने होते ह।ैं ररपोटथ यह भी बताती ह नक इनमें से कु छ योजनाएँ स्थानीय दबगं ों और सेके दारों ने हनथया ली ह और िे लोगों से पसे िसलू रहे ह।ैं सधु ार और पनु रथ ना जल क्षेत्र मंे सधु ार और पनु रथ ना सीक उसी तरह जारी ह जसा नबजली के मामले मंे हआ और िास्ति में यह दनु नयाभर मंे होने िाले पानी के ननजीकरण की तरह ही ह। ये नीनतयाँ निश्व बंकै और एनशयाई निकास बकैं द्वारा परू े क्षते ्र को बाजार मंे तलदील करने पर जोर दते े हए आगे धके ली जा रही ह। हालांनक दशे के जल क्षेत्र मंे सधु ार की जरूरत ह लेनकन निश्व बैंक के सझु ाए तरीके का अथथ ह जलक्षते ्र का व्यािसानयक गनतनिनध मंे बदलना और जल का सामानजक प्रनतबद्धता के बजाय एक खरीदी-बे ी जाने िाली िस्तु में बदलाि। इनमंे हमशे ा ननम्न नबन्फ्दु शानमल होते हैं – निखण्डन (स्रोत, पारेर्षण और नितरण को अलग करना) क्षेत्र को ``राजननतक हस्तक्षेप´´ से मकु ्त करिाने हते ु एक स्ितंत्र ननयामक का गसन दरों मंे अत्यनधक िनृ द्ध पणू थ लागत िापसी नसलसडी का खात्मा पसा नहीं दने े पर सेिा समानि
ISSN 2454-2725 157 कमथ ाररयों की छँटनी ननजी क्षेत्र की भागीदारी या ननजी सािजथ ननक भागीदारी सिाथनधक मलू ्य उपयोग (highest value use) हते ु बाजार के नसद्धांत के अनसु ार पानी का आिटं न। इस प्रनिया को लगभग हमशे ा ही निश्व बकंै , एनशयाई निकास बंकै और डीएिआईडी आनद द्वारा आगे धके ला गया। नीनत ननधारथ ण, पनु रथ ना प्रनिया और यहाँ तक नक काननू ों के प्रारूप भी अत्यनधक महगँ े अतं राथष्रीय सलाहकारों द्वारा बनाए जाते ह।ैं हालानं क सधु ार को जलक्षेत्र की ितथमान समस्याओं के सभं ानित हल की तरह प्रस्ततु नकया जाता ह लेनकन, इसमंे ज्यादातर नित्तीय पक्ष की ही न तं ा की जाती ह। ये सधु ार शायद ही समस्याओं के मलू कारणों के अध्ययन पर आधाररत होते ह।ंै इन अध्ययनों की अनसु शं ाएँ पहले से ही तय होती ह। इस प्रकार, एक ही तरह के सधु ार न के िल दशे के कई नहस्सों मंे सझु ाए जाते ह बनल्क इन्फ्हीं तरीकों को दनु नया के कई दशे ों में लागू नकया जाता ह। ितथमान में दशे के कई राज्यों में निश्व बैंक/एडीबी आनद की शतों के तहत सधु ार प्रनिया निनभन्फ्न रणों में जारी ह। ँनू क पानी राज्य का निर्षय ह इसनलए सधु ार का बडा नहस्सा राज्यों के स्तर पर जारी ह। के न्फ्द्र सरकार ने भी पानी के ननजीकरण और व्यािसायीकरण के बारे मंे अनके कदम उसाए गए ह।ंै जसे – 1991-नबजली क्षते ्र ननजीकरण हते ु खोला गया नजससे जलनिद्यतु का ननजीकरण प्रारंभ हआ। 2002-नई जल नीनत में ननजीकरण को शानमल नकया गया। 2004-शहरी जलप्रदाय और मलननकास सधु ार में जन-ननजी भागीदारी की मागदथ नशकथ ा तयार की। 2005-जएे नएनयआू रएम और यआू ईडीएसएसएमटी जसी योजनाओं के माध्यम से शहरी जलप्रदाय में ननजी क्षेत्र के प्रिशे पर जोर नदया गया। जन-ननजी भागीदारी को प्राथनमकता। 2006 - बनु नयादी ढाँ ा पररयोजनाओं हते ु 20% धन उपललध करिाने हते ु भारतीय बनु नयादी नित्त ननगम नलनमटेड (IIFCL) का गसन नकया गया। 2008 - पररयोजना निकास ख थ का 75% तक नित्त उपललध करिाने हते ु भारतीय बनु नयादी पररयोजना निकास कोर्ष (IIPDF) का गसन नकया गया। मध्यप्रदशे जल क्षेत्र सधु ार 2005 में निश्व बंैक ने मध्यप्रदशे सरकार को 39.6 करोड डॉलर का कजथ नदया ह। इस कजथ से क्षते ्र सधु ार की शतों के साथ ``मध्यप्रदशे जल क्षते ्र पनु रथ ना पररयोजना´´ जारी ह। इस पररयोजना के मखु ्य नबंदु ननम्न ह – जलक्षेत्र का व्यािसायीकरण। परू े क्षेत्र को बाजार में तलदील करना। पणू थ लागत िसूली और जल दरों में बढौत्तरी सनलसडी की समानि
ISSN 2454-2725 158 जबररया नया काननू बनिाया जा रहा ह नजसके तहत राज्य जल दर ननयामक आयोग का गसन नकया जाएगा। इस काननू का प्रारूप तयार नकया जा कु ा ह। राज्य जल संसाधन एजसें ी का गसन बडे पमाने पर कमथ ाररयों की छँटनी पहले रण में 25 छोटी और 1 मध्यम पररयोजना का ननजीकरण महाराष्र राज्य जल संसाधन ननयमन प्रानधकरण निश्व बैंक के नित्तपोर्षण से महाराष्र में सधु ार की प्रनिया जारी ह। ``महाराष्र राज्य जल संसाधन ननयमन प्रानधकरण´´ का गसन नकया जा कु ा ह और निश्व बकंै के ``सझु ािों´´ के अनरु ूप प्रानधकरण ने अपना कायथ प्रारंभ कर नदया ह। ननयामक प्रानधकरण का गसन जनू 2005 मंे नकया गया लेनकन इसने काम मई 2006 में प्रारंभ नकया। दर ननधाथरण के अलािा इसका प्रमखु कायथ जल अनधकारों के व्यापार का मानदण्ड तयार करना ह। ये जल अनधकार िानर्षकथ अथिा मौसमी आधार पर बे े-खरीदे जा सकते ह।ैं आयोग द्वारा 2 बडी नसं ाई पररयोजनाओं समते 6 पररयोजनाओं मंे जल अनधकार सनु ननित करने तथा उसके बाजार का ढाँ ा तयार करने का प्रयास प्रायोनगक तौर पर नकया जा रहा ह। प्रभाि समाज के सभी िगों में सधु ार के प्रभािों का अनभु ि नकया जा रहा ह। लेनकन, गरीब पररिार और नकसान जसे िनं त समदु ाय इससे गंभीर रूप से प्रभानित होंगे। मध्यम िगथ भी इसे अनभु ि करेगा। इसके प्रमखु प्रभाि ननम्न हैं – अत्यनधक दर िनृ द्ध के कारण कई लोग तो पीने के पानी का भार भी िहन नहीं कर पाएगँ ।ंे भगु तान में असमथथता के कारण सिे ा समानि यानी पानी के कनके ्शन काटे जाएगँ ।ें जल कनेक्शन काटने का अथथ ह नक या तो लोग कम गणु ित्ता का पानी पीने पर मजबरू होंगें अथिा गंभीर राजननतक अशानं त पदा हो सकती ह। नसं ाई दरों में बढौत्तरी होने से पहले से ही दयनीय कृ नर्ष क्षते ्र की दशा और खराब हो जायेगी। गरीबों का सहारा हणे ्डपम्प, सािजथ ननक नल आनद सनु िधाएँ खत्म कर दी जाएगी। पसा दने े िाले उपभोक्ताओं के नलए तंत्र में बदलाि नकए जाएगँ ।ें जो ऊँ ी दरों का भगु तान नहीं कर पाएगँ ंे िे या तो सिे ा से बाहर कर नदए जाएगँ े या निर हानशएँ पर धके ल नदए जाएगँ ।ें अतं त: जो भगु तान कर सकते हंै उन्फ्हीं के नलए जल संसाधनों को हडप नलया जाएगा। ननजी कं पननयों द्वारा भारी मनु ािाखोरी की जाएगी। सािजथ ननक संसाधनों से पीनढयों से नननमतथ बनु नयादी ढाँ ों को नाममात्र की कीमत मंे बे नदया जाएगा। भजू ल, नदी आनद समदु ाय के संसाधनों पर ननजी ननयंत्रण संभानित।
ISSN 2454-2725 159 सािजथ ननक क्षते ्र के कमथ ाररयों की भारी छँटनी उपरोक्त के कारण नित्तीय समस्याओ,ं गणु ित्ता और मात्रा सबं ंधी समस्याओ,ं उन त एिं िहनीय जलप्रदाय, ससं ाधनों की सरु क्षा और निस्तार जसी जल क्षेत्र की प्रमखु समस्याओं के हल की संभािना अत्यंत क्षीण ह। सधु ार क्यों नपछले कु छ िर्षों मंे ननजीकरण के व्यिहार और इससे संबंनधत ाओथ ं में बदलाि आया ह। इस सबं ंध मंे पहला प्रयास सीधे ननजीकरण का था, नजसकी दनु नयाभर मंे कडी राजननतक प्रनतनिया हई। कई कं पननयों के नलए मनु ािा कमाना आसान नहीं रहा। मनु ािा कमाने के नलए सिे ा दरों मंे भारी िनृ द्ध करनी होती ह जो गरीबों के नलए असहनीय होती ह। ऐसे में जलप्रदाय जारी रखने से मनु ािे में कमी होती ह और कनके ्शन काटने से सामानजक अशानं त पदा होने का खतरा रहता ह। राजननतक सामानजक आिोश और मनु ािा कमाने में कनसनाईयों का पररणाम ``गरीब नहतर्षी´´ ननजीकरण और सािजथ ननक ननजी भागीदारी (नजसमें सािजथ ननक क्षते ्र ननजी क्षेत्र को िायदा पहँ ाने के नलए स्ियं सारे जोनखम उसाता ह।) जसी योजनाओं के रूप मंे सामने आया। परन्फ्त,ु यह पयािथ नसद्ध नहीं हआ और राजनेनतक आिोश के कारण मनु ािा कमाने मंे परेशाननयाँ जारी रही ह। इस प्रकार क्षते ्र सधु ार या सेक्टर ररिामथ पर जोर नदया गया। इसमें ननजी क्षेत्र सीधे पररदृश्य में नहीं होते ह।ैं अलोकनप्रय और कडे ननणयथ लने े और उन्फ्हें लागू करने की सारी नजम्मदे ारी सरकार और सािजथ ननक ननकायों की होती ह। इसमंे िे सारे तरीके शानमल होते हैं नजन्फ्हें ऊपर रेखानं कत नकया गया ह। इसके पीछे की सो यह ह नक क्षते ्र को पणू थ रूप से व्यािसानयक बनाने का आरोप और राजननतक प्रनतनिया सरकार सहगे ी और उसके बाद इसे ननजी क्षेत्र को सौंप नदया जाएगा। ननजी क्षते ्रों को िायदा पहँ ाने का, उन्फ्हें सामानजक नजम्मदे ारी के बोझ और जोनखम से परे करने का आजकल यह रास्ता ननकाला गया ह। इस प्रकार जल क्षते ्र सधु ार को भी भमू ण्डलीकरण और ननजीकरण के निउदारिादी एजणे ्डे के सीधे और आिश्यक घटक के रूप में दखे ा जाना ानहए। निश्व बंकै ``ज्ञानदाता´´ के रूप मंे निश्व बैकं अन्फ्य नद्वपक्षीय कजदथ ाताओं के साथ नमलकर क्षेत्र ननजीकरण एिं व्यािसायीकरण मंे पसे दने े के अलािा एक और महत्िपणू थ भनू मका अदा कर रहा ह। यह भनू मका ``शोध´´ और ``अध्ययन´´ के माध्यम ननजीकरण को सही नसद्ध करने के ``ज्ञान´´ और अन्फ्य सहयोग के रूप में ह। जल क्षते ्र की गहन और लंबे समय से ली आ रही समस्याओं के ``हल´´ के रूप में ननजीकरण को दशे पर लादा जा रहा ह। इस नीनत ननधाथरण को ``हल´´ के रूप मंे प्रदनशतथ करिाने के नलए इसे शोध और अध्ययन के ननष्कर्षों की तरह
ISSN 2454-2725 160 प्रदनशतथ नकया जाता ह। इसके नलए निश्व बंकै स्ियं अथिा सलाहकारों के माध्यम से बडी संख्या में शोध और अध्ययन करिाता ह। उदाहरणाथथ, निश्व बकंै कु छ अतं राथष्रीय कजदथ ाता एजनंे सयों के साथ नमलकर जल एिं स्िच्छता कायथिम (िाटर एण्ड सेननटेशन प्रोग्राम) सं ानलत करता ह। भारत मंे भी यह कायिथ म अध्ययनों की एक श्रखं ला के साथ सामने आया ह नजनमंे जल क्षते ्र की समस्याओं जसे शहरी और ग्रामीण जलप्रदाय, नसं ाई आनद का हल सुझाया गया ह। इसमें कोई आियथ नहीं नक ननजीकरण के दषु ्पररणामों के ढेर सारे उदाहरणों के बािजदू निश्व बैंक के ऐसे अध्ययन नकसी भी क्षेत्र के नलए हमशे ा एक जसा ननजीकरण और उदारीकरण का नघसानपटा नसु ्खा ही सझु ाते ह।ैं इसे हम मोटे रूप में ननजीकरण, ननगमीकरण और भमू ण्डलीकरण के पनु लंदे का ``बौनद्धक एिं सद्धानं तक आधार´´ कह सकते ह।ंै निश्व बैकं की राष्र सहायता रणनीनत (CAS) 2005-2008 से स्पि ह नक ननजीकरण और भमू ण्डलीकरण को आगे धके लने में निश्व बंैक अपनी ज्ञानदाता की भनू मका को नकतना महत्ि दते ा ह। यह दस्तािजे भारत को इन 3 िर्षों मंे नदए जाने िाले कजों के संबधं में निश्व बैंक की रणनीनत और प्राथनमकता ननधारथ रत करता रहा। निश्व बैंक के कायों के संबंध मंे तीन``रणननतक नसद्धातं ों´´ में से एक ह-``बकंै का लक्ष्य व्यािहाररक, राजननतक ज्ञानदाता और उत्पादक की भनू मका का पयाथि निस्तार करना ह।
ISSN 2454-2725 161 Source: जल ससं ाधन मंत्रालय, भारत सरकार प्रस्तावना पानी प्रधान प्राकृ ततक ससं ाधन, मानव की बतु नयादी जरूरत और बहुमलू ्य राष्ट्रीय सम्पदा ह।ै संसाधन के तलहाज से पानी को बाटं ा नहीं जा सकता ह;ै बाररश, नदी के पानी और भतू ल पर मौजदू तालाब व झीलों तथा भगू भभ के पानी एक इकाई हंै तजनके सवांागीण व प्रभावी प्रबधं न की जरूरत है तातक इसकी गणु वत्ता और उपलब्धता लम्बे समय तक सतु नतित की जा सके । भारत की ग्रामीण आबादी का मलू पशे ा कृ तष ह।ै भारत के कृ तष उत्पादन और तवकास में तसंचाई ने महती भतू मका तनभाई ह।ै राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तरों पर कृ तष का तवकास तसंचाई में तवकास के पटै नभ से जडु ा हुआ ह।ै तसंचाई के क्षते ्र मंे तनवशे ग्रामीण अथभव्यवस्था को ब़ाावा दने े व ग्रामीण तवकास की कंु जी ह।ै लम्बे समय से मानव की सम्प्नता के दीघकभ ातलक अतस्तत्व के तलए कृ तष उत्पादन में तसंचाई के तवतभ्न व्यवस्थाओं के माध्यम से जल ससं ाधन ने महत्वपणू भ भतू मका तनभाया ह।ै भारत में लघु तसंचाई व्यवस्था के जररये जल संसाधन का इस्तेमाल उसके प्राकृ ततक रूप में तकया गया। 2000 हके ्टेयर खते में जब तसंचाई होती है तो उसे लघु तसचं ाई कहा जाता ह।ै लघु तसंचाई के तलए पाचँा तरह के ढांचे की व्यवस्था की जाती है - कु आँा खदु ाई, सतही ट्यबू वले , गहरा ट्यबू वले , सरफे स तलफ्ट तसस्टम और सरफे स फ्लो तसस्टम।सरफे स फ्लो तसस्टम को डोड दंे तो सभी सतही जल के ढाचं े ह।ैं मानव तनतमतभ हो या प्राकृ ततक इन जलाशयों, टैंकों, पोखरों और इसी तरह के दसू रे ढांचों ने भारतीय कृ तष को सतदयों से पतु ष्ट्पत व पल्लतवत कर रखा ह।ै जलाशय वह ढांचा है जहाँा बफभ से तपघला पानी, झरने का पानी, बाररश का पानी और ड्रेनजे का पानी इकट्ठा होता है या नाले अथवा नदी की राह मोड पानी को इसमें जमा कर रखा जाता ह।ै पारम्पररक जलाशयों को कई नामों से जाना जाता है । मसलन महाराष्ट्र में इसे भडं रस, उत्तरी पतिमी महाराष्ट्र मंे इसे फाड तसचाई, राजस्थान मंे खातदन और बाओतलस, गजु रात में बावडी, तबहार में अहर पाइ्स, पतिम बंगाल के जलपाईगडु ी मंे इसे डंग लद्दाख मंे तजगं नाम से जाना जाता ह।ै धातमकभ तलहाज से भी जलाशय बहुत महत्वपणभ ह।ैं राजस्थान की पषु्ट्कर झील, तसतक्कम का गरु ुडोंगमर और अ्य तवख्यात झील धातमकभ महत्व के तलए जानी जाती ह।ै के रल की वमे ्बानाद झील और उत्तराखडं की भीमताल झील की नसै तगकभ खबु सरू ती ने इ्हें पयभटकों के तलए आकषकभ स्पॉट बना तदया ह।ै तजन क्षते ्रों में बहतु कम बाररश होती है और लम्बे समय तक सखू ा रहता है वहााँ पानी को स्टोर कर रखने का काम झील करती ह।ै
ISSN 2454-2725 162 लघु स्टोरेज टैंक को तालाब कहा जाता है और इनका सचं ालन मखु ्य तौर पर समदु ाय करता ह।ै बडे स्टोरेज टैंक तजनका आकार 20 से 2 हजार हके ्टेयर होता ह,ै उनका तनमाभण सरकारी तवभाग या स्थानीय तनकाय करते ह।ंै तसंचाई के अलावा इन टंैकों/तालाबों और झीलों ने पये जल आपतू तभ, पनतबजली, जवै तवतवधता, पयभटन, ससं ्कृ तत और घरेलु इस्तेमाल में भी महत्वपूणभ भतू मका तनभाई ह।ै वषभ 1950-51 मंे कु ल तसंतचत क्षते ्र 22.60 तमतलयन हके ्टेयर और शदु ्ध तसतं चत क्षते ्र 20.85 तमतलयन हके ्टेयर थ।े कृ तष उत्पादन मंे इजाफे के तलए इस राष्ट्रीय सम्पदा को समदृ ्ध की जरूरत को समझते हएु तसचं ाई को और तवकतसत करने को प्राथतमकता दी गयी। इसका पररणाम यह तनकला तक तसंचाई की क्षमता 1950-51 मंे 22.6 तमतलयन हके ्टेयर थी जो वषभ 2010 मंे ब़ाकर 107.2 तमतलयन हके ्टेयर पर पहुचाँ गयी। चौथी लघु तसंचाई (MI) जनगणना (2006-07) के मतु ातबक लघु तसंचाई स्कीम के अतं गतभ लगभग 5 लाख टैंक, पोखर और स्टोरेज की मदद ली गयी और तसचं ाई की क्षमता में 5.89 तमतलयन हके ्टेयर की ब़ाोतरी गयी। 5 लाख टंैक, पोखर और स्टोरेज में से 0.80 लाख जलाशयों का कम इस्तेमाल या एकदम ही नहीं इस्तेमाल हआु तजस कारण तसंचाई की क्षमता 1.95 तमतलयन हके ्टेयर कम रही। 0.80 लाख जलाशयों मंे से 0.74 लाख जलाशय अस्थायी तौर पर जबतक 0.24 लाख जलाशय स्थायी तौर पर इस्तमे ाल करने के लायक नहीं थे। इतं डया-डब्ल्यआू रईएस पोटभल की ओर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के 0.01 हके ्टेयर में फै ले 798908 जलाशय तचतं हत तकये गये थे। सभी जलाशयों को यतू नक आइडेंतटतफके शन नम्बर तदया गया था। वहृ त् बाधं ों से जडु े जलाशयों के बारे सचू नाएाँ उपलब्ध ह।ैं इतं डया-डब्ल्यूआईएस प्रोजके ्ट के तहत राज्यवार जलाशयों की सचू ी अनबु धं -1 में उपलब्ध ह।ै भारत की जलवायु अलग तरह की ह।ै यहां तीन मानसनू और इसके बाद लम्बे समय तक अवषाभ रहती है तजसकी वजह से यहााँ तसंचाई के तलए पानी के प्रबधं न में मानव हस्तक्षेप का लम्बा इततहास रहा ह।ै सैंकडों साल पहले जल को संतचत करने के तलए तत्कालीन राजा टंैक बनवाया करते थे। इसका तनमाणभ तमट्टी को खोदकर तकया जाता था। चंतू क उस वक्त टैंक एक दसू रे से जडु े होते थे इसतलए हमारा टैंक तसस्टम उ्नत हुआ करता था। मानव तनतमतभ और समाज की सावजभ तनक सपं तत्त ये टैंक अब भी भारत के अतधकांश तहस्सों में जीवन अवलंबन के तत्वों में शातमल ह।ंै रखरखाव में कमी और लोगों मंे घटी तदलचस्पी के कारण पारम्पररक व बेहद जरूरी इन जलाशयों की हालत बदतर होती जा रही ह।ै कु ड जलाशयों का महत्व इन वजहों से कम हो गया: 1. सामदु ातयक टंैक व्यवस्था की जगह लोगों ने व्यतक्तगत लाभ आधाररत भजू ल व्यवस्था को तवज्जो तदया। 2. पारम्पररक जलाशयों की लगातार अनदखे ी।
ISSN 2454-2725 163 3. टैंक के तल में तमट्टी व कचरे का जमाव 4. फीडर चनै लों में जमाव 5. जलाशयों के बांधों में ररसाव व कमजोरी 6. टंैक के बाधाँ और तकनारों, पानी के तवस्तार स्थल और सप्लाई चैनलों पर अततक्रमण 7. आवासीय प्रोजके ्ट व शहरीकरण के चलते जलाशयों के वहाव वाले क्षते ्र मंे जगं लों की कटाई की गयी तजस कारण जलाशयों का अतस्तत्व तमटने लगा 8. डतम्पगं याडभ के रूप मंे टैंकों का अधं ाधधंु इस्तेमाल इन वजहों ने जलाशयों की हालत को बद से बदतर बनाने में अपना परू ा योगदान तदया। इन पारम्पररक जलाशयों को पनु जीतवत करने, उ्हें उनके वास्ततवत स्वरूप मंे लाने के तलए भारत सरकार ने जलाशयों की मरम्मत, पनु जीवन और नवीकरण स्कीम शरु ू तकया ह।ै इस स्कीम के बहुआयामी उद्दशे ्य है मसलन जलाशयों की हालत सधु ारना, इनकी क्षमता को ब़ााना, ग्राउंड वाटर ररचाज,भ पेयजल की उपलब्धता सतु नतित करना, तसंचाई व्यवस्था को सधु ारना तातक कृ तष उत्पादन में इजाफा हो, पानी के इस्तमे ाल की दक्षता ब़ााकर पयाभवरण मंे सधु ार, प्रत्येक जलाशय के दीघाभवतध प्रबंधन के तलए स्वयं-सहायता व्यवस्था और समदु ातयक भागीदारी, समदु ायों की क्षमता ब़ााना, जल प्रबंधन व पयटभ न का तवकास, सासं ्कृ ततक गतततवतधयााँ आतद। कृ तष से जडु ी पायलट स्कीम के अतं गतभ राज्य सरकार को जनवरी 2005 से दसवीं पंचवषीय योजना के बाकी की अवतध के तलए कंे द्रीय अनदु ान तदया जायगे ा। यह महसूस तकया गया तक भारत के तवतभ्न तहस्सों मंंे ं पानी की उपलब्धता सतु नतित करवाने में यह प्रोग्राम अहम तकरदार तनभाएगा। जलाशयों की रक्षा और सरं क्षण के तलए शहरी तवकास मतं ्रालय ने एक सझु ाव भी जारी तकया है तजसे सभी राज्य सरकारों के पास भजे तदया गया ह।ै 1. पायलट स्कीम - 75 प्रततशत कंे द्रीय मदद और 25 प्रततशत राज्य सरकार की तहस्सेदारी वाली स्टेट सके ्टर की इस स्कीम के तलए 300 करोड रुपये आवतं टत तकये गये ह।ंै इस पायलट स्कीम का मखु ्य उद्दशे ्य जलाशयों को पनु जीतवत करना और इसकी क्षमता ब़ााना है तातक तसंचाई की खोयी क्षमता को वापस पाया जा सके । इस पायलट स्कीम के तहत वे जलाशय ही फं तडंग के योग्य होंगे तजनकी तसचं ाई क्षमता 40 से 2 हजार हके ्टेयर ह।ै इस स्कीम मंे 15 राज्यों के 26 तजलों के 1098 जलाशयों को शातमल तकया गया और माचभ 2008 तक कें द्र सरकार ने 197.30 करोड रुपये तदये। 1098 जलाशयों मंे से 1085 जलाशयों का काम परू ा कर तलया गया, बाकी 13 जलाशयों का काम संबतं धत राज्य सरकारों ने रद्द कर तदया। इस स्कीम की मदद से तसचं ाई क्षमता 0.78 लाख हके ्टेयर ब़ाायी गयी। स्कीम मंे शातमल राज्यवार जलाशयों, कंे द्रीय मदद, तजन जलाशयों के काम पपरू े हो गये उनकी सचू ी अनबु ंध-2 मंे दी गयी ह।ै पायलट प्रोजके ्ट का स्वतंत्र मलू ्याकं न कई सगं ठनों जसै े वाटर टेक्नोलॉजी सटें र फॉर इस्टनभ रीजन, भवु नेश्वर, वाटर एडं लडंै मनै ेजमटंे एंड रेतनंग एडं ररसचभ इसं ्टीट्यटू , हदै राबाद; संेटर फॉर वाटर ररसोसजे डेवलपमटंे एंड मनै जे मटें (सीडब्ल्यआू रडीएम), के रल; ततमलनाडु एतग्रकल्चरल यतू नवतसभटी, कोयम्बटूर और नशे नल ररमोट सेंतसगं संटे र (एनआरएससी), हदै राबाद ने तकया। वाटर टेक्नोलॉजी संटे र फॉर इस्टनभ रीजन, भवु नेश्वर, वाटर एडं लडंै मनै जे मटंे एडं रेतनंग एडं ररसचभ इसं ्टीट्यटू , हदै राबाद; संेटर फॉर वाटर ररसोसेज डेवलपमटें एडं मनै ेजमटें (सीडब्ल्यूआरडीएम), के रल;
ISSN 2454-2725 164 ततमलनाडु एतग्रकल्चरल यतू नवतसटभ ी, कोयम्बटूर और नशे नल ररमोट सतें संग सटें र (एनआरएससी), हदै राबाद से ररपोटभ ली गयी। इन ररपोटों से पता चला तक इस स्कीम के कई सकारात्मक पररणाम तनकले जसै े जलाशयों की क्षमता में इजाफा हआु , तसंचाई मंे जलाशयों का इस्तमे ाल ब़ाा, अनसु तू चत जाततयों/जनजाततयों को इस स्कीम से फायदा तमला इत्यातद। 2. ग्यारहवीं योजना - पायलट स्कीम की सफलता के आधार पर ग्यारहवीं योजना में 1250 करोड के घरेलु समथनभ और 1500 करोड के बाहरी समथभन वाली आरआरआर की दो स्कीमें शरु ू की गयीं। दोनों स्कीमों का उद्दशे ्य था- (a) जलशयों के बहाव क्षेत्र को मजबतू करना (b) कमांड क्षेत्र को तवकतसत करना (c) जलाशय की क्षमता ब़ााना (d) ग्राउंडवाटर ररचाजभ (e) कृ तष व बागवानी उत्पादन ब़ााना (f) सासं ्कृ ततक गतततवतधयााँ व पयभटन को तवकतसत करना (g) पेयजल की उपलब्धता ब़ााना i) बाहरी मदद वाली स्कीम : इस स्कीम के अतं गतभ तवश्व बैंक से तमलने वाले लोन का 25 प्रततशत तहस्सा कें द्र सरकार कें द्रीय मदद के रूप में राज्य को दते ी है और लोन का 75 प्रततशत तहस्सा राज्य सरकार को एक के बाद एक प्रदान करती ह।ै इस स्कीम के तहत राज्य सरकार ऐसे जलाशयों की मरम्मत, संदु रीकरण और पनु रोद्धार का काम कर सकती है तजनसे ्यनू तम 20 हके ्टेयर और अतधकतम 2 हजार हके ्टेयर भतू म की तसचं ाई होती हो। इस स्कीम का लक्ष्य जलाशयों के बहाव क्षेत्रों का सधु ार, कमांड एररया का तवकास, जलाशय की क्षमता ब़ााना, कृ तष व बागवानी को ब़ाावा, पयटभ न और सांस्कृ ततक गतततवतधयों का तवकास और पये जल की उपलब्धता ब़ााना ह।ै तवश्व बकैं के सहयोग से स्कीम पर काम तकया गया। स्कीम की मलू ्याकं न प्रतक्रया में आतथभक मामलों के तवभाग ने सहयोग तकया। 4 लाख हके ्टेयर तसंचाई की क्षमता वाले 5763 जलाशयों की मरम्मत के तलए ततमलनाडु के साथ 485 तमतलयन डॉलर के तवश्व बकैं ऋण अनुबधं पर हस्ताक्षर तकये गय।े 2.5 लाख हके ्टेयर तसंचाई की क्षमता वाले आधं ्रप्रदशे के 3 हजार जलाशयों के तलए तवश्व बंकै के साथ 189.6 तमतलयन डॉलर का लोन एग्रीमटें हुआ। कनाभटक की 0.52 लाख हके ्टेयर तसंचाई की क्षमता वाले 1224 जलाशयों के तलए तवश्व बंैक के साथ 268. 80 करोड रुपये के लोन एग्रीमटंे पर हस्ताक्षर तकये गये। ओतडशा की 1.2 लाख हके ्टेयर तसंचाई की क्षमता वाले 900 जलाशयों के तलए तवश्व बकंै के साथ 112 तमतलयन डॉलर के लोन एग्रीमटें पर साइन तकये गये। अतब बाहरी सहयोग से 10887 जलाशयों के मरम्मत का काम हाथ में
ISSN 2454-2725 165 तलया गया। इन जलाशयों की तवस्ततृ जानकाररयाँा अनुबधं -3 में दी गयी ह।ैं तवत्त मतं ्रालय के आतथकभ मामलों के तवभाग की ओर से दी गयी इस स्कीम की ताजातरीन तस्थतत अनबु धं -4 मंे दी गयी ह।ै (ii) घरेलु सहयोग से स्कीम : घरेलु सहयोग की स्कीम मंे तकनीकी सहलाकार सतमतत (TAC) की ओर से अनमु ोतदत प्रोजके ्ट की कु ल लागत का 90 प्रततशत तहस्सा कंे द्रीय मदद के रूप मंे तवशषे श्रणे ी मंे पडने वाले राज्यों, ओतडशा के कालाहाडं ी, बालागीर और कोरापटु क्षेत्र (अतवभातजत) के तजले और सखू ा प्रवण क्षेत्रों, आतदवासी क्षते ्र व नक्सल प्रभातवत इलाकों में आने वाले जलशयों जबतक सामा्य राज्यों के जलाशयों के तलए प्रोजके ्ट का 25 प्रततशत तहस्सा कंे द्रीय मदद के रूप मंे तदया गया। इस स्कीम में 12 राज्यों के कु ल 3341 जलाशयों को शातमल तकया गया। 31 माचभ 2015 तक इन जलाशयों के तलए कु ल 917.259 करोड रुपये का कंे द्रीय अनदु ान जारी तकया गया। 3341 में से 2222 जलाशयों का काम परू ा कर तलया गया और तसंचाई की क्षमता में 1.113 लाख हके ्टेयर की ब़ाोतरी गयी। बाकी के 1116 जलाशयों का काम चल रहा ह।ै संबंतधत राज्यों से इन जलाशयों के कामकाज की ररपोटभ आनी बाकी ह।ै ओतडशा की स्कीम का काम समय से पहले परू ा हो जाए, इसके तलए वषभ 2014-2015 में 27.0 करोड रुपये जारी तकये गये। जो भी हो ग्यारहवीं योजना के तहत तजन जलाशयों का काम शरु ू तकया गया था उ्हें परू े करने के तलए तकसी भी राज्य की ओर से फं ड जारी करने के तलए कोई आवदे न नहीं तमला ह।ै सरंे ल ग्राउंड वाटर बोडभ और कें द्रीय जल संसाधन मतं ्रालय ने इस स्कीम की तनगरानी की। घरेलु सहयोग से तजन तालाबों के काम तकये गये थे उनकी जानकारी औऱ इसके तहत जारी फं ड, जलाशयों के काम परू े तकये जाने से संबतं धत जानकाररयााँ अनबु धं - 5 मंे दी गयी ह।ैं (iii) बारहवीं योजना : जलाशयों की मरम्मत, पनु जीवन और नवीकरण स्कीम को बारहवीं योजना में भी जारी रखा गया। 20.9.2013 को कें द्र सरकार ने इस स्कीम को हरी झडं ी दी। इस स्कीम के काया्भ वयन के तलए अक्टूबर 2013 मंे तदशातनदशे जारी तकया गया। स्कीम का मखु ्य उद्दशे ्य ह-ै (i) जलाशयों को तवकतसत और पनु जीतवत करना और इससे टैंक की स्टोरेज क्षमता ब़ााना (ii) ग्राउंड वाटर ररचाजभ (iii) पेयजल की उपलब्धता को ब़ााना (iv) बागवानी और कृ तष उत्पादन मंे इजाफा (v) टंैक के बहाव क्षते ्र को मजबतू करना (vi) भजू ल और भगू भभ जल के संयकु ्त इस्तेमाल के जररये पयाभवरणीय लाभ (vii) सभी जलाशयों के दीघाभवतध प्रबधं न के तलए सामदु ातयक सहभातगता और स्वयं-सहायता व्यवस्था (viii) पानी के बेहतर इस्तमे ाल के तलए सामदु ातयक दक्षता ब़ााना (ix) सांस्कृ ततक गतततवतधयााँ व पयभटन का तवकास
ISSN 2454-2725 166 इस स्कीम पर 10,000 करोड रुपये खचभ करने की योजना ह।ै स्कीम के तहत 10,000 जलाशयों को पनु जीतवत करने के तलए कें द्र सरकार 6235 करोड रुपये दगे ी जबतक राज्यों को 3765 करोड रुपये खचभ करने होंग।े इस स्कीम से 6.235 लाख हके ्टेयर तसंचाई की क्षमता ब़ाने का अनमु ान ह।ै प्रोजके ्ट के अतं गतभ ग्रामीण क्षेत्रों के 9000 जलाशय और शहरी क्षेत्रों के 1000 जलाशयों का काम होना ह।ै योग्यता: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के वे जलाशय इस स्कीम में शातमल होने के योग्य होंगे तजनका फै लाव क्षेत्र ्यनू तम 5 हके ्टेयर है और क्रमशब 2.0 हके ्टेयर से 10 हके ्टेयर का बते नतफट कॉस्ट अनपु ात (इसमंे दखे ा जाता है तक नयी पररयोजना में तकतनी लागत आयेगी और उस लागत के अनपु ात मंे तकतना फायदा होगा) 1.0 हो। इस प्रोजके ्ट में शातमल सभी जलाशयों को एक यतू नक कोड नम्बर तदया जायगे ा। पररकल्पना है तक सभी आरआरआर प्रोजके ्ट को इतं टग्रेटेड वाटर मनै जे मटें प्रोग्राम के साथ इस तरह तमला तदया जाए तक जलाशयों के बहाव क्षेत्र की मरम्मत के साथ ही साथ जलाशयों की मरम्मत हो जाए और उ्हें पनु जीवन भी तमल जाए। इस संबंध मंे आरआरआर स्कीम मंे वे जलाशय ही शातमल होंगे तजनमंे इतं टग्रटे ेड वाटर मनै जे मटें प्रोग्राम लागू हुआ हो। प्रोजके ्ट की दसू री तकश्त के तलए प्रस्ताव भजे ने से पहले राज्य सरकार को सरकारी आडभर जारी कर जलशयों की बाउंड्री की घोषणा करने के तलए जरूरी कदम उठाने होंगे और सरकार को यह भी सतु नतित करना होगा तक जलाशयों के बहाव क्षेत्र और बाउंड्री से अततक्रमण हट जाए। सासं द आदशभ ग्राम योजना के तहत आने वाले गावँा ों के जलाशयों को प्राथतमकता दी जायगे ी। फं तडंग पैटन:भ प्रोजके ्ट की लागत का 90 प्रततशत तहस्सा कें द्रीय सहयोग के रूप में तवशषे श्रेणी मंे आने वाले राज्यों (उत्तर-पवू ी राज्य, तहमाचल प्रदशे , जम्म-ु काश्मीर, उत्तराखडं व ओतडशा के अतवभातजत कालाहाडं ी-बालागीर और कोरापटु क्षेत्र) और सखू ा प्रवण क्षेत्रों, आतदवासी इलाकों, रेतगस्तान प्रवण क्षते ्रों और नक्सल प्रभातवत इलाकों के जलाशयों के तलए प्रदान तकये जाएगं ।े तवशषे श्रणे ी मंे नहीं आने वाले राज्यों मंे लागत का 25 प्रततशत तहस्सा कंे द्रीय सहयोग के रूप मंे तदया जायेगा। स्कीम का कायाभ्वयन : इस सबं ंध मंे जलाशयों की तवस्ततृ प्रोजके ्ट ररपोटभ (डीपीआर) और प्रोजके ्ट को लागू करने का काम तडतस्रक्ट लवे ल इतम्प्लमतें टंग एजसंे ी (डीएलआईए) द्वारा तचंतहत वाटर यजू सभ एसोतसएशन/स्थानीय पंचायत/ सरकारी एजसें ी करेगी। प्रोजके ्ट के कायाभ्वयन की योजना ग्राम सभा के समक्ष रखी जायगे ी और समय पर काम परू े करने मंे इनका सहयोग तलया जायेगा। इससे वाटर यूजसभ एसोतसएशन की भी कमाई होगी क्योंतक वह अपने सदस्यों से सेवा दने े के एवज में फीस ले सकता है और जलाशयों के रखरखाव के तलए फं ड भी तैयार कर सकता ह।ै राज्य सरकार अगर चाहे तो
ISSN 2454-2725 167 स्वयंसवे ी सगं ठन भी इस स्कीम की योजना बनाने और तक्रया्वयन मंे भतू मका तनभा सकते ह।ै अ्य तसचं ाई कायों के सहयोग के तलए सीडब्ल्यसू ी फील्ड यतू नट को राज्य सरकारों की तरफ से जलाशयों को लेकर आने वाले प्रस्तावों को दखे ने का दातयत्व तदया गया ह।ै तनगरानी : इस स्कीम के तहत होने वाली गतततवतधयों की योजना बनाने, योजना के तक्रया्वयन पर तनगरानी करना, कायभ की गणु वत्ता बीआईएस के मानक के अनसु ार हो यह दखे ना, तजला स्तरीय तक्रया्वयन व तनगरानी कमटे ी (डीएलआई एडं एमसी) को तदशातनदशे दने ा और प्रोजके ्ट से संबतं धत राज्य स्तरीय तवभागों/एजते सयों के बीच आपसी सहयोग हो यह सतु नतित करने का दातयत्व राज्य सरकार का होगा। राज्य सरकार के को-अंॉतडभनेशन सले के सहयोग से कामकाज की तनगरानी की जायगे ी औऱ पंचायत की स्थायी सतमतत प्रोजके ्ट के कामकाज की अग्रगतत व खचभ तथा कामकाज के पररणामों पर तनगरानी करेगी। सेरं ल वाटर कतमशन (सीडब्ल्यसू ी) का फील्ड अफसर भी नममू ों के आधार पर समय समय पर आरआरआर स्कीम के तहत जलाशयों के कामकाज पर तनगरानी रखगें ।े कामकाज का समवती मलू ्यांकन राज्य सरकार द्वारा तकसी स्वायत्त ससं ्था मसलन आआईएम एडं आईआईटी से करवाया जायेगा। स्कीम के परू े होने पर इसके प्रभाव का मलू ्याकं न सीडब्ल्य/ू कंे द्रीय जल ससं ाधन मतं ्रालय, आरडी और जीआर करेगी वतमभ ान अवस्था : अब तक जल ससं धान मतं ्रालय, आरडी एडं जीआर की इम्पावडभ कमटे ी ने आरआरआर स्कीम के तहत 8 राज्यों के 1057 जलाशयों को मजं रू ी दी है तजनपर कु ल 830.6659 करोड रुपये खचभ तकये जाने ह।ैं इन जलाशयों के बारे मंे तवस्ततृ जानकारी अनबु धं -VI मंे दी गयी ह।ै आरआरआर स्कीम के तहत वषभ 2014-15 के तलए 4 राज्यों के 898 जलाशयों (ओतडशा के 760 जलाशय, मघे ालय के 9 जलाशयों, मतणपरु के 4 जलाशयों और मध्यप्रदशे के 125 जलाशयों) के तलए इन राज्यों को कु ल 103.49 करोड रुपये की अनदु ान रातश जारी की गयी ह।ै इसके अलावा ग्यारहवीं योजना का काम बारहवीं योजना में जारी रखने के तलए 105.406 करोड रुपये जारी तकये गय।े बारहवीं योजना के तहत राज्य सरकारों द्वारा जारी तकये गये अनदु ान की जानकारी अनबु धं -VII दी गयी ह।ै साभार- इण्डिया वॉटर पोटटल
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ISSN 2454-2725 171 The money to build Maharajah's Well in Stoke Row, Oxfordshire, was provided by the Maharajah of Benares, after he was told the story of a little boy who was beaten by his mother for drinking the last of the drinking water during a drought in the 19th century improvished part of Oxfordshire in England. Ready Money was a wealthy Parsee industrialist from Bombay who donated it to The Regent's Park in 1869 as a thank-you for the protection that he and fellow Parsees received from British rule in India. The sculpture contains 10 tonnes of Sicilian marble and four tonnes of red Aberdeen granite. It was unveiled by Princess Mary of Teck, later Queen Mary after whom Queen Mary's Gardens are named.
ISSN 2454-2725 172 Waddesdon Manor is a country house in the village of Waddesdon, in Buckinghamshire, England. It is located in the Aylesbury Vale, 6.6 miles (10.6 km) west of Aylesbury. The house was built in the Neo-Renaissance style of a French château between 1874 and 1889 for Baron Ferdinand de Rothschild (1839–1898) as a weekend residence for grand entertaining. The last member of the Rothschild family to own Waddesdon was James de Rothschild (1878– 1957). He bequeathed the house and its contents to the National Trust. It is now administered by a Rothschild charitable trust that is overseen by Jacob Rothschild, 4th Baron Rothschild. It is one of the National Trust's most visited properties, with around 335,000 visitors annually.
ISSN 2454-2725 173 This is neither expensive nor cheap. A dream boat to take to waters by almost everyone in Europe. There is a strong relationship between the middle class Brits and the waters. One always saves money to buy affordable boats or barges.
174 ‘जनकृ मि’ मवमर्क कंे मिि अिं रराष्ट्रीय पमिका ह.ै सजृ न के प्रत्येक क्षिे कमविा, नवगीि, कहानी, लघु कथा, व्यगं्य, नाटक, मसनेमा, रंगमचं , आलोचना, समीक्षा मंे मवमर्क को स्थामपि करने के उद्दशे ्य से इस पमिका को मनकाला जा रहा ह.ै इसके अमिररक्त पमिका में कई मवमर्क स्िं है जसै े र्ोध मवमर्क, बाल मवमर्क, लोक मवमर्क, मसने मवमर्क, रंग मवमर्क, स्त्री मवमर्क, दमलि एवं जनजामि मवमर्क, ामिक मवमर्क, मर्क्षा मवमर्क एवं सम्परू ्क मवश्व मंे महदं ी के मवकास हिे ु हो रही गमिमवमधयों के मलए महदं ी मवश्व नाम से स्िं रखा गया ह.ै हम सजृ न क्षिे से जडु े स ी सजृ नकममयक ों का पमिका मंे स्वागि करिे हैं एवं आर्ा करिे हंै मक आप मवमर्क की दृमि से साथकक लखे न की मदर्ा मंे हमारा सहयोग करंेग.े यह पमिका जहाँा एक ओर मवश्व पटल पर सजृ न क्षिे के प्रमखु हस्िाक्षरों को प्रस्ििु करिी है वहीं दसू री ओर सजृ न क्षेि मंे कदम रख रहे नव लखे कों के मलए एक अिं रराष्ट्रीय मचं ी प्रदान करिी ह.ै आप स ी सजृ नकममयक ों के सहयोग एवं मागदक र्नक से यह पमिका साथकक मदर्ा में कायक करिी रहगे ी. पमिका में रचनाओं एवं आलेखों के प्रकार्न हिे ु मकसी ी प्रकार की रामर् नहीं रखी गई है इसके अमिररक्त पमिका के सचु ारू रूप से प्रकार्न एवं पमिका में आवश्यक बदलाव हिे ु आप स्वछे ा से आमथकक सहयोग कर सकिे ह.ंै आपके सहयोग से हम पमिका को और अमधक बेहिर एवं प्र ावी बनाने का प्रयास करेंग.े आप नीचे मदए एकाउंट में अपनी रामर् जमा कर सकिे ह.ंै सहायक रामर् 5000, 3000, 2000, 1000 अथवा 500 िक स्वीकार ह.ै NAME- KUMAR GAURAV MISHRA ACC. NO.- 972110110002623 BANK- BANK OF INDIA BRANCH- HINDI VISHVAVIDYALAYA, WARDHA IFSC CODE- BKID0009721 BRANCH CODE- 009721 संपकक - कु मार गौरव ममश्रा, सपं ादक, 8805408656
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