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Holiday Homework

Published by akashchakraborty2606, 2021-06-12 15:01:42

Description: Holiday Homework

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हदं ी छु ट्टी गहृ काय्यार

ई - प त्रका

प्राकृ तक ससं ाधन

रोल नंबर नाम वग्यार और खडं वद्या थयार्य ों १. आरु ष ९न के नाम २. आदवैथ ९न ३. आकाश ९न ४. अ. री थक ९न ५. आशतु ोष ९न ६. सरू ज ९न ७. सी. एछ. न कता ९न ८. धृ त ९न ९. सुनाय ९न

पषृ ्ठ सखं ्या वषय • १–४ कवर पषृ ्ठ • ५ वषय सू च • ६ सं क्षप्त प रचय • ७ – १० वायु • ११ – १३ जल वषय सू च • १४ – १७ सरू ज • १८ – २४ तले • २५ – १९ मट्टी • ३० – ३२ लोहा • ३३ – ३५ वन्यजीव • ३६ – ३९ वन • ४० – ४४ ख नज पदाथर्या • ४५ धन्यवाद सदं ेश

सं क्षप्त प रचय यह प त्रका समूह 1 से कक्षा ९ न के छात्रों द्वारा बनाई गई है। यह हदं ी अवकाश गहृ काय्रया का एक हस्सा है। यह प त्रका हमंे पथृ ्वी पर और हमारे आसपास मौजदू प्राकृ तक ससं ाधनों के बारे मंे सं क्षप्त जानकारी देती है। यह हमंे पथृ ्वी की प्राकृ तक सदुं रता और हमारे लए पथृ ्वी के उपहारों से अवगत कराता है। यह हमंे उनके मह व, उनकी वशषे ताओं और उनकी पहचान के बारे में बताता है। यह प त्रका हमें भावी पी ढ़यों के लए प्राकृ तक संसाधनों और पयारव्या रण को बचाने के लए जागरूकता पदै ा करने में मदद करती है।

वषय :- वायु (air) नाम :- A.RITHIKA रोल न. :- 4 कक्षा और वगया्र :- ix n

मानव जीवन के लए सबसे मह वपूणरय्ा कोई चीज है तो वह वायु है। िजनके बना िजदं गी की बारे में सोचना भी संभव नहीं है। हवा गसै ों का मश्रण है। िजसमें नाइक्ट्रिोजन 78%, ऑ सीजन 21%, ऑगनाय्र 0.9% और अन्य गसै े 0.1 प्र तशत होती है। इस तरह से गसै ों के 100 प्र तशत मश्रण से हवा बनती है। हवा का कोई भी रंग नहीं होता है। य द हवा ना हो तो सभी जीवों का जीवन संकट मंे आजाएगा। हवा का कोई आकार नहीं होता और ना ही इसकी कोई पहचान है।

वायु दू षत हो रही है और बीमा रयां फै ल रही है। अपने बजी जीवन मंे हवा को मह व देते हुए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए। िजससे वातावरण हरा-भरा बना रहे और हवा हमेशा शदु ्ध रूप मंे ही मलंे। वायु प्रदषू ण आज बड़ी बीमा रयों को जन्म दे रहा है। िजसके कारण मृ यु दर भी बढ़ रही है और इसके िजम्मेदार भी के वल मनषु ्य ही है। हम अपनी सु वधाओं के लए लगातार वनों को काट रहे हंै। िजसके कारण से फै क्ट्रिरी और कारखानों से नकलने वाला धआु ं सीधे हमारे जीवन को प्रभा वत कर रहा है।

इसका जो वजदू है वह कसी से कम भी नहीं। हम हवा का आकार रंग रूप देखे ना देखे। ले कन हवा को हर तरह से महससू कर सकते हैं। वायु प्रदषू ण को रोकने के उपायों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देगें। और पेड़-पौधे लगाकर शदु ्ध हवा से अपने साथ-साथ दसु रें लोगों का जीवन भी सखु द बनाएगंे।







सयू र्या ADVAITH MORA-9N R.O. LL NO:02

सयू रय्ा •सूरज हमारे लए बहुत ही मह वपणू रा्य है। यह हमंे भरपूर मात्रा मंे रौशनी व गमर्नी देता है िजससे हम जीवन नवाायर्ह कर सकते हैं। इसके गुणों के कारण ही हन्दु धमरय्ा के साथ-साथ कई धमर्थों एवं सभ्यताओं में इसे ज्ञान एवं शि त के स्वरूप में पूजा जाता है।िजस प्रकार धरती व अन्य ग्रह सूयय्रा की प रक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के के न्द्र की प रक्रमा करता है। सूरज सौर मण्डल का प्रधान है। •इसकी उपिस्थ त के बगरै धरती बलकु ल ठण्डी व जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधों र हत होती। सरू ज के उगने के साथ ही धरती पर जीव-जन्तुओं की दनचयायार् की भी शुरुआत हो जाती है और सब अपने-अपने कायर्थों में व्यस्त हो जाते हैं।

सयू ाय्र •इसकी उपिस्थ त के बगैर धरती बलकु ल ठण्डी व जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधों र हत होती। सूरज के उगने के साथ ही धरती पर जीव-जन्तुओं की दनचयार्या की भी शुरुआत हो जाती है और सब अपने-अपने कायर्थों मंे व्यस्त हो जाते हंै। •सूरज के नकलते ही च ड़यों की चहचहाट, फू लों का खलना, मनषु ्य का भी अपने-अपने कायर्थों मंे सलं ग्न हो जाना सब प्रारम्भ हो जाता है। य द कोई व्यि त सरू ज की आव यक मात्रा मंे गमर्नी नहीं ले पाता तो कई प्रकार की बीमा रयाँ उसे अपना शकार बना लेती हैं। सूरज के कारण घर की सीलन व कई प्रकार के कीड़-े मकोड़े घर से दरू रहते हैं। िजससे घर मंे बीमा रयों का प्रकोप नहीं होता।

सन्दभरय्ा https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title= %E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0 %A4%9A%E0%A4%BE:Cite_press&action=e dit&redlink=1 www.hindivarta.com/hindi-essay-on-su n

तले तले कोई भी गरै -ध्रुवीय रासाय नक पदाथर्ाय है जो प रवेश के तापमान पर एक चप चपा तरल होता है और हाइड्रोफो बक और लपो फ लक दोनों होता है।तले ों मंे काबनार्य और हाइड्रोजन की मात्रा अ धक होती है और ये आमतौर पर ज्वलनशील और सतह पर स क्रय होते हैं। अ धकांश तले असंतपृ ्त ल पड होते हंै जो कमरे के तापमान पर तरल होते हंै ।

इसका उपयोग भोजन उदाहरण के लए, जैतनू का तले , ईंधन जैसे, ही टगं तले , च क सा उद्दे यों जसै े, ख नज तले , स्नेहन जसै े मोटर तले , और कई प्रकार के पेंट, प्लािस्टक और अन्य सामग्री के नमार्ायण के लए कया जाता है। कु छ धा मकरा्य समारोहों और अनुष्ठानों मंे शदु ् धकरण एजेंटों के रूप में वशषे रूप से तयै ार तले ों का उपयोग कया जाता है।

पंेट के नमा्याणर में तले का उपयोग पेंट बनाने के लए पगमेंट के साथ पयापारय् ्त मात्रा में कोल्ड प्रेस्ड अलसी के तले को मलाकर रंग बनाए जाते हंै। जब पंेट को कसी सतह पर लगाया जाता है, तो तले हवा से ऑ सीजन को अवशो षत करता है और एक ठोस फल्म बनाने के लए पोलीमराइज़ करता है, जो वणका्रय को कै नवास या पनै ल से बाधं ता है।

जै वक तले (Organic oil):- प्राकृ तक प्र क्रयाओं के माध्यम से पौधों, जानवरों और अन्य जीवों द्वारा काबय्रा नक तले ों का उ पादन कया जाता है । ल पड फै टी ए सड, स्टेरॉयड और इसी तरह के रसायनों के लए वैज्ञा नक शब्द है जो अ सर जी वत चीजों द्वारा उ पा दत तले ों में पाए जाते हंै, जब क तले रसायनों के समग्र मश्रण को संद भतर्या करता है। काबया्र नक तले ों में प्रोटीन, मोम और अल्कलॉइड स हत ल पड के अलावा अन्य रसायन भी हो सकते हंै|

ख नज तले (Mineral Oil):- ख नज तले व भन्न रंगहीन, गधं हीन, ख नज स्रोत से उच्च एल्के न्स का हल्का मश्रण होता है, वशषे रूप से पेक्ट्रिो लयम का एक आसवन, जसै ा क आमतौर पर खाद्य वनस्प त तले ों से अलग होता है। 'ख नज तले ' नाम अपने आप मंे सटीक नहीं है, िजसका उपयोग पछली कु छ शतािब्दयों मंे कई व शष्ट तले ों के लए कया गया है। अन्य नामों में, समान रूप से अशदु ्ध, 'सफे द तले ', 'पैरा फन तले ', 'तरल परै ा फन', परै ा फनम लि वडम (लै टन), और 'तरल पेक्ट्रिो लयम' शा मल हंै। बेबी ऑयल एक सगु ं धत ख नज तले है|

आपके तले की खपत को कम करने के 10 तरीके • तले और गैस उद्योग के बारे में खुद को श क्षत करें । • प्लािस्टक खरीदने से बचें । • घर मंे बजली का इस्तमे ाल कम करंे। • आप कतना ड्राइव करते हंै इसे सी मत करें। • घर पर स्वच्छ ऊजाायर् समाधान स्था पत करें। • पेक्ट्रिो लयम मु त सौंदयर्ाय उ पाद चनु ंे। • अच्छे के लए बोतलबदं पानी छोड़ दें। • अपनी सरकार से अक्षय ऊजारय्ा की मागं करंे। • कु छ भी बबायरदा् मत करो । • स्थानीय सामान खरीदंे।

ग्रन्थसचू ी •जानकारी-www.wikipedia.org,www.google.com •अनवु ाद-google translate •https://zerowastememoirs.com/10-ways-you- can-reduce-your-oil-consumption/ •Ashutosh Rastogi •Class-9 •Section-N

मट्टी

मट्टी मट्टी एक बहुमलू ्य प्राकृ तक संसाधन है । मट्टी द्वारा वनस्प तयों को आधार प्राप्त होता है, उनका पोषण होता है और उनकी वदृ ् ध होती है । मट्टी ही खेती का आधार है । मट्टी को ‘मदृ ा’ भी कहते हंै । सभी प्रा णयों का जीवन, पालनपोषण तथा अिस्त व इसी मट्टी पर ही नभरायर् है । मदृ ा शब्द की उ प त्त लै टन भाषा के शब्द ‘सोलम’ से हुई है, िजसका अथयरा् है ‘फश’रा्य । प्राकृ तक रूप से उपलब्ध मदृ ा पर कई कारकों का प्रभाव होता है, जैस- मूल पदाथ,्राय धरातलीय दशा, प्राकृ तक वनस्प त, जलवायु, समय आ द।

भारत की मट् टयों भारतीय कृ ष अनुसधं ान प रषद् ने भारत की का वभाजन मट् टयों का वभाजन 8 प्रकारों में कया है । • जलोढ़ मट्टी • लाल मट्टी • काली मट्टी • लैटेराइट मट्टी • पवत्राय ीय मट्टी • शषु ्क और मरुस्थलीय मट् टयाँ • लवणीय व क्षारीय मट् टयाँ • पीट एवं दलदली मट् टयाँ

मट्टी की पोषक त वों का ह्रास (फसल हटाने के क्रम मंे) उवरयार् ता मंे कमी नक्षालन – भारी वषायर्ा के कारण अपरदन – उवरयर्ा तायु त मट्टी की सतह का ह्रास का कारण कृ ष भू म का अ त-उपयोग दोषपणू ्ारय कृ ष प्रबधं न

ग्रन्थसचू ी https://www.hindilibraryind ia.com द्वारा – धृ त

लोहा or आयरन आयरन एक रासाय नक त व है िजसमंे प्रतीक Fe और परमाणु संख्या 26 है। पसयश्ररहखंेृ ससएलंबबकां धसऔधते आरातहआमुै।हयैवतजहतो,व्ारय सपद,्रहवाऑ्रयलणमीीससाकनंकीे्जरससमने,मणपकहू थृे ्8वी ठीक सामने, पथृ ्वी के बाहरी और आतं रक कोर का अ धकांश भाग है।

लोहे का उपयोग लोहे का उपयोग मश्र धातु स्टील्स जसै े काबनय्ार स्टील्स जैसे क नकल, क्रो मयम, वनै े डयम, टंगस्टन और मगैं नीज के साथ कया जाता है। इनका उपयोग पुल, बजली के तोरण, साइ कल की चेन, काटने के उपकरण और राइफल बरै ल बनाने के लए कया जाता है। कच्चा लोहा में 3-5% काबन्रया होता है। इसका उपयोग पाइप, वाल्व और पपं के लए कया जाता है।

लोहे को जंग लगने से बचाने के लए बहुत सारे तरीके अपनाए गए हंै, िजसका अथयर्ा है हवा, पानी या अन्य माध्यम की ऑ सीजन के साथ इसका रासाय नक संघ िजसमें इसे रखा जा सकता है। लोहे के सरं क्षण के तरीके धातु की सतह को पंेट या इनेमल से को टगं करने से धातु और पयारा्यवरण में नमी के बीच एक बाधा उ पन्न होती है।

प्राकृ तक संसाधन - वन्यजीव • वन्य जीवन प्राकृ तक ससं ाधन का एक मह वपणू ्राय हस्सा है • वन्यजीव संसाधनों का अथारय् है सभी जंगली जानवर, जगं ली पक्षी और जलीय जंत।ु • मनुष्य के लए पशु एक उ पादक ससं ाधन हैं । सबसे पहले, वे व भन्न प्रकार के खाद्य पदाथर्थों की आपू तरय्ा करते हैं िजनकी मनुष्य को जी वत रहने की आव यकता होती है: दधू , पनीर, अडं ,े म खन, सलामी और ठं डा मासं , आ द। • कु छ जानवरों की प्रजा तयां, जसै े मूगं ा और सीप का उपयोग मनुष्य द्वारा गहने और हस्त शल्प बनाने के लए कया जाता है।

जगं ली पक्षी •पक्षी पौधों को परा गत करते हैं| •पक्षी पूरे प रदृ य को बदल देते हंै| •पक्षी कीटों को नयं त्रत करते हैं

जलीय जतं ु और जंगली जानवर • मानव अिस्त व के संबंध में वन्यजीवों का पा रिस्थ तक, आ थक्यार और सासं ्कृ तक मह व है। • वन्य जीवन पयटया्र न की आधार शला है। जगं ली जानवरों की सुंदरता से मनुष्य का मोह दु नया भर में पयटयार् न को बढ़ावा देता है। • शाकर्या , पंेगुइन, कछु ए और अन्य समुद्री प्रजा तयां इले क्ट्रिॉ नक टैग से समुद्र संबधं ी जानकारी प्रसा रत करके मनुष्यों की महासागरों की नगरानी करने मंे मदद कर सकती हैं। • मो तयों की कटाई और खेती मुख्य रूप से गहनों में उपयोग के लए की जाती थी, ले कन अतीत मंे इसका उपयोग कपड़ों को सजाने के लए भी कया जाता था।

वन ससं ाधन Suraj.B,9N,06

वकृ ्ष है तो 1. प्रस्तावना – वन हमारी 2. वकृ ्षारोपण उपासना – वन और संस्कृ त का अटू क पयाायरव् रण है सभ्यता व संस्कृ त के प्रतीक है। संबंध है। भारत में वंनों को भगवान के समान पजू ा और वन मह वपूण्ारय प्राकृ तक संसाधन जाता है। इनमें से तुलसी, बरगद, एवं पीपल की पजू ा पयाायव्र रण से है। प्रारंभ मंे ऐसा अनुमान है क की जाती है। अ व वकृ ्ष के तो ईष्ट में ही वष्णु मध्य ही हम सब है” पथृ ्वी के एक चौथाई भाग पर वन में शव प य मंे ब्रम्हा का नवास होता है। ऐसी थे। परंतु अब लकडी, ईधन, मान्यताऍ भारत में वकृ ्षो को लेकर है। आवास के लए वनों की कटाई कर 3. वनो से होने वाले प्र यक्ष लाभ – वनो से हमें कई दी गई प रणाम स्वरूप अब पथृ ्वी प्रकार की लकडी प्राप्त होती है जसै े सागौन, अलसी, के 15 प्र तशत ्भाग पर ही वन पाए चीड एवं देवदार जो फनर्नीचर बनाने के काम आती है। जाते है। वनों की लगातार कटाई से वनो के कारण वषा्रया होती है िजससे मानव जीवन मदृ ा अपवदया्रन, अ तविृ ष्ट चलता है। वन सरकार के राजस्व का एक भाग है। डॉ अनाविृ ष्ट जसै ी समस्याऍ ंमानव पीएच चटखल के शब्दो मंे ‘’ वन राष्टीय सम्प त्त है” के समक्ष आ खडी हुई है। अत: वनों सभ्यता के लए वनो की नरान्त आव यकता है। ये का सरं क्षण अ तआव यक है। वन के वल लकडी ही प्रदान नही करते बिल्क अनेके प्रकार प्राकृ तक वनस्प त के जन्म के फल, पशुओ के लए चारा आ द भी प्रदान करते है। स्थल है। इन्हे बचाना हमारा कतव्रया ्य है।

भारत में वन ससं ाधन वन प्रा णयों के लए कतने आव यक भारत के 15 राज्यों और कंे द्र शा सत •वन एक हैं, ये सभी को पता है। कहा भी गया है प्रदेशों मंे 33 प्र तशत से ज्यादा भभू ाग मलू ्यवान संसाधन हैं जो क वन ही जीवन है। इतना समझने के पर जंगल हंै, जब क बाकी राज्यों में भोजन, आश्रय, वन्यजीवन बावजूद भी दन-प्र त दन वनों की हालात ऐसे नहीं हंै। पजं ाब में तो महज आवास, ईंधन, और दै नक अधं ाधंुध कटाई होती है। यह समस्या 3.52 फीसदी जमीन पर ही जंगल हंै। आपू त्रया जसै े औषधीय दन-प्र त दन वकराल रूप धारण 'इं डया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट सामग्री और कागज प्रदान करती जा रही है। इस लेख में हम इसी रपोटर्ाय-2015' के अनुसार िजन राज्यों मंे करते हैं।वन, पथृ ्वी की CO2 गंभीर समस्या पर नबधं ले कर आए 33 प्र तशत से ज्यादा जंगल हंै, आपू तरय्ा और व नमय को हैं। आशा करते हंै क यह नबधं उनमंे मजोरम पहले स्थान पर है। यहां संतु लत करने मंे एक िजतना आपकी परीक्षाओं मंे सहायक 88.93 प्र तशत जमीन पर जगं ल हैं। मह वपणू ्रया भू मका नभाते होगा, उतना ही आपको वनों के इसके बाद लक्षद्वीप का नंबर है। यहां हंै, जो वायुमंडल, भू -मंडल संरक्षण के प्र त जागरूक करने में भी 84.56 प्र तशत जमीन पर जंगल हंै। [2] और हाइड्रोस्फीयर के बीच प्रेरक सद्ध होगा। एक मह वपणू यर्ा लकं के रूप मंे कायया्र करते हंै।[1]

चपको आन्दोलन • चपको आन्दोलन एक यह आन्दोलन त कालीन उत्तर प्रदेश यह भी कहा जाता है क कामरेड गो वन्द सहं रावत ही पया्ायरवरण-रक्षा का के चमोली िजले में सन 1973 मंे चपको आन्दोलन के व्यावहा रक पक्ष थे, जब चपको आन्दोलन था। प्रारम्भ हुआ। एक दशक के अन्दर की मार व्यापक प्र तबंधों के रूप मंे स्वयं चपको की यह भारत के उत्तराखण्ड र यह पूरे उत्तराखण्ड क्षते ्र मंे फै ल गया जन्मस्थली की घाटी पर पड़ी तब कामरेड गो वन्द ◌ाज्य (तब उत्तर प्रदेश का था। चपको आन्दोलन की एक मखु ्य सहं रावत ने झपटो-छीनो आन्दोलन को दशा प्रदान भाग) मंे कसानो ने वकृ ्षों बात थी क इसमें िस्त्रयों ने भारी की। चपको आंदोलन वनों का अव्यावहा रक कटान की कटाई का वरोध करने सखं ्या में भाग लया था। इस रोकने और वनों पर आ श्रत लोगों के वना धकारों की के लए कया था। वे आन्दोलन की शुरुवात 1970 में भारत रक्षा का आदं ोलन था रेणी मंे 2400 से अ धक पेड़ों को राज्य के वन वभाग के के प्र सद्ध पयाा्यवर रण वद् सुन्दरलाल काटा जाना था, इस लए इस पर वन वभाग और ठे के दारों द्वारा वनों की बहुगुणा, कामरेड गो वन्द सहं रावत, ठे के दार जान लडाने को तैयार बैठे थे िजसे गौरा देवी कटाई का वरोध कर रहे चण्डीप्रसाद भट्ट तथा श्रीमती जी के नेतृ व में रेणी गावं की 27 म हलाओं ने प्राणों की थे और उन पर अपना गौरादेवी के नेत्र व मे हुई थी।[1] बाजी लगाकर असफल कर दया था।[2] परम्परागत अ धकार जता रहे थे।[1]

ख नज संसाधन द्वारा - आकाश

ख नज संसाधन या हैं? • ख नज ससं ाधनों को दो प्रमखु श्रे णयों मंे वभािजत कया जा सकता है - धाि वक और अधात।ु धातु ससं ाधन सोना, चादं ी, टन, ताबं ा, सीसा, जस्ता, लोहा, नकल, क्रो मयम और एल्यु म नयम जैसी चीजंे हैं। अधातु ससं ाधन रेत, बजरी, िजप्सम, हैलाइट, यरू े नयम, आयाम प थर जैसी चीजंे हैं। • लगभग सभी पथृ ्वी सामग्री का उपयोग मनषु ्यों द्वारा कसी न कसी चीज के लए कया जाता है। हमें मशीन बनाने के लए धातुओं, सड़कों और इमारतों को बनाने के लए रेत और बजरी, कं प्यटू र चप्स बनाने के लए रेत, कं क्रीट बनाने के लए चूना प थर और िजप्सम, सरे मक बनाने के लए मट्टी, इलेि क्ट्रिक स कार्य ट बनाने के लए सोना, चांदी, ताबं ा और एल्यमू ी नयम, और हीरे और कोरन्डम की आव यकता होती है। (नीलम, मा णक, पन्ना) अपघषकया्र और गहनों के लए।

कु छ ख नज

ख नजों के प्रकार धातु ख नज संसाधन गैर-धातु ख नज संसाधन धाि वक ख नज अपने स्वरूप मंे धाि वक ख नज एक गरै -धातु चमक या चमक के चमक दखाते हंै। साथ दखाई देते हंै धातु का संभा वत स्रोत जो खनन के माध्यम से नकालने योग्य धातओु ं को उनकी प्राप्त कया जा सकता है। रासाय नक संरचना मंे शा मल न करंे उनकी रासाय नक संरचना में धातुएं होती हैं। धाि वक ख नजों मंे धातु कच्चे रूप मंे होती है।

ख नज उपभोज्य ख नज संसाधनों की कु ल मात्रा पथृ ्वी की संसाधनों का पपड़ी में मौजदू सभी ख नजों का सफाय्र 1% है। सरं क्षण हालाँ क, खपत दर इतनी अ धक है क ये ख नज संसाधन जो गैर-नवीकरणीय हैं, बहुत जल्द समाप्त हो जाएंगे। ख नजों के सरं क्षण के लए यहां कु छ उपाय दए गए हैं: • ख नजों का नयोिजत और टकाऊ तरीके से उपयोग। • धातओु ं का पनु चक्ारय ्रण • वकै िल्पक अक्षय वकल्प का उपयोग। • नम्न-श्रेणी के अयस्कों का लाभप्रद उपयोग करने के लए प्रौद्यो गकी मंे सुधार कया जाना चा हए।

धन्यवाद आशा है क आपको हमारे आसपास के प्राकृ तक ससं ाधनों के बारे मंे बहुत कु छ पता चल गया होगा। नि चत रूप से आप आने वाली पी ढ़यों के लए प्राकृ तक संसाधनों और पयार्यावरण को बचाने के उपाय करेंगे और उनका बुद् धमानी और प्रभावी ढंग से उपयोग करेंगे।


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