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Published by bvnbk12345678, 2021-10-30 23:56:31

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माँ धूप म जो ठं डी छावँ होती है वह सफ मा,ँ सफ माँ होती है। माँ न अमीर होती है, न गर ब होती है, अपनी नज़र से मतलब का च मा हटाओ वह तो बस क मत क लक र होती है। माँ देती है, लेती नह ,ं मत तोलो उसे पैस के तराज़ू से वह तो हर सशं य से है परे। माँ क ममता का मोल हो सकता नह ं, उसके जैसा और कोई हो सकता नह ं। वह तो सफ और सफ माँ है माँ तो बेनज़ीर होती है। - मानसी XI-A

याद बहुत आएगा! सबु ह ज द उठकर व यालय क गणवेश पहनना मं दर म रखी माँ सर वती क मू त को नम कार करना साथ ह माता- पता का आशीवाद लेना और उनके चरण पश करके व यालय चले जाना। याद बहुत आएगा। ाथना सभा म शान से रा गान गाना ाचाय वारा रा वज फहराना पिं तब ध होकर अपनी क ाओं म वा पस जाना और पहले कालांश क घंट का बज जाना याद बहुत आएगा। लंच म दो तो के साथ खाना खाना और मैदान म जाकर बैठ जाना पा य सहगामी ग त व धय म भाग लेना अपने ज म दन पर टो फयाँ बाँटना और श क दवस पर काड बनाना याद बहुत आएगा। िजस व यालय ने सखाया अ छा इंसान बनना

िजसने सखाया सभी का आदर करना । साथ रहा हमेशा अ यापक का आशीवाद कामना है मेर रहे हमेशा हमारा व यालय आबाद। मेरा व यालय मझु े याद बहुत आएगा। लखने को म लखती जाऊँ बारह वष क मधुर मृ तयाँ दोहराऊँ व यालय क सीख को लेकर बढ़ती जाऊँ और जीवन क चुनौ तयो का सामना कर पाऊँ । व यालय का हर एक कण उसमे बताया हर एक पल याद बहुत आएगा.... याद बहुत आएगा मेरे श क को मेरा शत-शत नमन बनाया हम का बल, होने को सफल सोचा ना था, एक दन यह क वता का वषय बन जायेगा मेरा व यालय मझु े याद बहुत आएगा याद बहुत आएगा !! ल वषा XII-D

व छ भारत खुले म शौच को बंद करके इस रावण को मार गराना है गावं गल को व छ बनाकर कंु भकरण मेघनाथ को जलाना है दशहरा का यौहार िजसम दस अवगुण को न ट करना है शौच जाने के बाद धोखे साबनु से हाथ खाना खाने से पहले भी हाथ सब को धलु ाना है व छ संुदर गावं बनाकर भारत को वग बनाना है बना कर अपने देश को संुदर हर एक दन योहार मनाना है हमारे धानमं ी ने शु कया है व छता अ भयान हम भी उनका साथ देकर करना है काम महान आज हम लेना है ण क हम अपने भारत को बनाना है व छ दशहरे म जैसे रावण को जलाकर करते ह बरु ाइय का अंत वैसे ह हम भारत से मटाना है गदं गी का कलकं कै लाश कु मार सहं

य होता है मानव ऐसा पशु प ी जीव है ऐसे, कभी कसी को नह सतात।े पर मानव है एक ऐसा जीव, जो परू दु नया को सताए। य होता है मानव ऐसा पशु प ी दु नया को सजाए पर मानव उसे बखेरते जाए। य होता है मानव ऐसा पशु प ी मानव को दखु ी ना करना चाहे पर मानव इ ह सदैव सताना चाहे। य होता है मानव ऐसा कृ त का या दोष, जब मानव म मानवता ह ना हो, जब मानव ना धरती पर आया था, तब धरती कतनी सुंदर थी। पर मानव सब बखेरता गया, कृ त को न ट करता ह गया। आ खर य होता है मानव ऐसा? सहु ाना व श ठ,VII D



पेड़ बचाओ जीवन बचाओ आज कोरोना जैसी वैि वक महामार ने हुम सबको यह समझा दया क वृ का हमारे जीवन म कतना मह वपूण योगदान है। आज लोग को ओि सजन नह ं मल पाने के कारण उ ह अपने ाण यागने पड़।े सफ़ यह नह ं आज पृ वी पर जो कु छ भी है वह पेड़ क वजह से ह है। मनु य आपनी सभी आ य ताओं क व तुएँ जसै े दवाइयां, खाने पीने क व त,ु हवा, जल सब पेड़ पौध से ह ा त होते ह। आज हमे पेड़ बचाओ जीवन बचाओ क बात इस लए करनी पड़ रह है य क इ सान अपने वाथ और लालच के कारण पेड़ क अधं ाधुन कटाई करके , पयावरण के साथ खेल रहा है। पेड़ काटने क वजह से ह लोबल वा मग क सम या अब वकराल प धारण कर चकु है। अगर वृ को नह ं बचाया गया तो हर जगह हाहाकार मच जाएगा और मनु य एवं जीव ज तुओं सभी का अि त व खतरे मे पड़ जाएगा। इस लए हम यादा से यादा पेड़ लगाने चा हए। जब होगी वृ क बढत तभी होगी जीवन क बढत। - अ न ध ख डू र IV-C

हम देश क शान न हे मु ने ब चे हम सब देश क शान ह। हर -भर है धरती हमसे नीला आसमान है। रंग- बरंगे फू ल है हम सब एक हमारा गुलशन इस माट क खशु बू से है, रचा-बसा यह तन- मन है। ऊं चे उठते जाना हमको आगे बढ़ते जाना है। नह ं कगे, बढ़ते चलगे हम देश क शान है। - रशमी II-D

पेड़ो का गु सा एक बार क बात है, एक लकड़हारा हर रोज़ क तरह पेड़ काटने गया और आज उसने एक ऐसा पेड़ काटा जो बहुत घना था, उसम बहुत सार च ड़या के घ सले थे, फल थे और उस पेड़ क छाया म पश-ु प ी बठै ते थ।े पेड़ो के राजा को जब यह बात पता चल तो वह बहुत गु सा हुए और पेड़ो के राजा ने सभी पेड़ो से कहा क अब से हम इंसान को ऑ सीजन नह ं दगे। पेड़ो के राजा ने जसै ा कहा सभी पेड़ो ने वसै ा ह कया। फर सारे पेड़ो ने ऑ सीजन देना बदं कर दया और फर परू े व व म हाहाकार मच गया और ऑ सीजन क कमी के कारण लोग क मृ यु होने लगी। यह देखकर, फर सारे इंसान पेड़ो के राजा के पास गए और उनसे माफ़ मांगी । पेड़ो के राजा ने कहा-' म तु हे एक ह शत पर माफ़ क ं गा'। इंसान ने कहा-' हम आपक शत मजं ूर है'। पेड़ो के राजा ने कहा-' क शत यह है क तमु सभी को हर साल एक पौधा लगाना है'। इंसान से पेड़ो के राजा के बात मान ल और खुशी- खुशी रहने लगे। श ा- हम पेड़ नह ं काटने चा हए, बि क हर साल एक पेड़ लगाना चा हए, िजससे हमार धरती हर भर रहे और ऑ सीजन क कमी ना हो। अनु का V-A 59

पेड़ बचाओ जीवन बचाओ आज कोरोना जसै ी वैि वक महामार ने हुम सबको यह समझा दया क वृ का हमारे जीवन म कतना मह वपूण योगदान है। आज लोग को ओि सजन नह ं मल पाने के कारण उ ह अपने ाण यागने पड़।े सफ़ यह नह ं आज पृ वी पर जो कु छ भी है वह पेड़ क वजह से ह है। मनु य आपनी सभी आ य ताओं क व तुएँ जसै े दवाइया,ं खाने पीने क व त,ु हवा, जल सब पेड़ पौध से ह ा त होते ह। आज हमे पेड़ बचाओ जीवन बचाओ क बात इस लए करनी पड़ रह है य क इ सान अपने वाथ और लालच के कारण पेड़ क अधं ाधुन कटाई करके , पयावरण के साथ खेल रहा है। पेड़ काटने क वजह से ह लोबल वा मग क सम या अब वकराल प धारण कर चकु है। अगर वृ को नह ं बचाया गया तो हर जगह हाहाकार मच जाएगा और मनु य एवं जीव ज तुओं सभी का अि त व खतरे मे पड़ जाएगा। इस लए हम यादा से यादा पेड़ लगाने चा हए। जब होगी वृ क बढत तभी होगी जीवन क बढत। अ न ध ख डू र IV- C

गावँ म मजेदार दन एक दन क बात है हम रेलगाड़ी म बैठकर अपने गावँ अयो या पहुंच।े जब हम गावं पहुंचे वहां मेर दाद और दादा थे, मने उ ह णाम कया और उनके गले लग कर रो पड़ा य क म अपने दादा दाद से काफ समय से नह ं मला था। फर म घर के अदं र गया और नान कर के सीधा अपने गावं के म के साथ अपने खेत क ओर भागा। खेत म जाते जाते ह वहां मने नलकू प के पास एक छोटा सा काले रंग का सापँ देखा और सापँ को देखते ह म च ला पड़ा और वहां से दरू भाग खड़ा हुआ। ले कन कु छ देर बाद साप भी वहां से चला गया और म फर वहां जाकर अपने म के साथ खेलने लग गया खूब म ती कर । वहां खेलने कू दने के बाद म फर घर आया। अगले दन मने अपने दादा को बाजार से आम व ल ची चीकू और शमी जैसे पौधे पौधे लाने को बोला य क मुझे पौधे लगाने का शौक है। जब दादा व पौधे लाए उसके बाद मने वह पौधे खेत म लगाए िजसको लगाने म मेर मदद मेर म मी पापा और दादा ने क थी।

मेरे पास गांव म तीन खरगोश भी ह िजनके साथ मुझे खेलना बहुत पसंद है य क म उ ह द ल नह ं ला सकता तो म जब भी गावं जाता हूं मझु े उनके साथ रहना और खेलना पसदं है। ऐसे म ती और खेलकू द म मेरे बहुत दन नकल गए और वह दन भी आ गया जब मुझे दादा दाद से दरू द ल आना था । मझु े उस दन बहुत रोना आया मेरा मेरा मन भी नह ं था द ल आने का य क मझु े गावं म और दादा-दाद साथ कु छ और दन बताने थे। पर मुझे फर भी द ल आना पड़ा। - अणव पांडेय 4थी 'बा'

YOGA ASANA

SPORTS

SCOUT GOLDEN ARROW AWARDEES (2020-2021)

GUIDE



स पादक यम ् या कु दे दतु षु ारहारधवला या शु व ावतृ ा | या वीणा वरद डमि डतकरा या वते प मासना | या म यतु श कर भृ त भदवैः सदा वि दता | सा मां पातु सर वती भगव त नःशषे जा यापहा || सवासु भाषासु मखु ा, मधुरा, द या भाषा च सं कृ तम ् अि त।त या: का येषु अ प सव म सभु ा षतं भव त”। सं कृ तम ् अ माकम ् सं कृ तेः तीकमि त। इयं भाषा वै दक भाषा लौ कक भाषा च भाग वये वभ ताि त। अ याः वै दक भाषायाः र णाय वकासाय च सं कृ तभाषां मह वम ् दा यम ् इ य माकम ् पनु ीत क यः अि त। अहम ् म ये यत ् वा षक व यालयप कायां सं कृ त भाषायाः तभा गता अ त मह वपूणा अि त अनेन वयं सव छा ाः सफलतां अव यं ा यामः। एतत ् सफलतायाः एकम ् सोपानमि त। व यालयप का छा ाणां कृ ते वभावान ् वचारान ् च कट यतुम ् एका पृ ठभू मः वतते। व वचारान ् भावान ् च ट कतं वा वयं फ़ु ि लताः भवामः। अनने वयं स धा: भ व यामः अ माकं वचारान ् च बलम प म ल य त। अ यां व यालयप कायां छा ाः मु या भू मकाम ् नभालयि त। स यमेव एतत ् अ त शोभनमि त। अ याः सफल काशने छा ाणां भू मका अ त मह वपूणा शसं नीया चाि त। अहम ् अ याः सफलतायै नतम तकोऽि म। छा स पादक पे मम कृ ते अयं एकः नतू न: अनभु वोऽि त। अि म नवसरे अहम ् व ाचाय, उप ाचाय सवान ् अ यापकान ् च त कृ त ोऽि म। तेषां आशीषः मागदशनं च मम उप र सदैव भवे त त मम मनोकामना अि त। नाम – जेश कु मार सहं क ा – 11-‘डी’

वनोदक णका अ यापक:- य द भगवान ् वयं तव समीपं सा ादाग य \"वरं वणृ ी व\" इ त वदॆत ्त ह भवान ् कं वणृ यु ात ्? एक: व याथ :- अहं सवण दरू दशनं वर वॆन व र या म || अ य: व याथ :- अहं शीतकं व र या म || अपर: व याथ :- अहं संगणक य ं व र या म|| अ यापक:- रे मूखा: ! तथा न कत यम ्| य द भगवान ्सा ादाग य \"वरं वणृ ी व\" इ त मां पृ छ त चॆत ्अहं तु व यां वर वेन वणृ ो म|| व याथ :- त कम ्आ चयम ्? य य य नाि त स: तदेव वणृ ो त|| जेश कु मार सहं 11-‘डी’

क शी र त रयम ्? शर रमु जलं परं म लनं तु मनः , इहलोक य क शी र त रयम ्? कोवासऋ समथ: सपं य यतंु , शदु ाू ं ी तं नः वातपरम ्? वहवो म दय स ोभूत: वपनाऋ वहवो वलयं गता: | व यनाभयां ह वलो कतो मया, वजयोsपी नजपराजयेषु || सवैव नदत एवो द मा सुय: न के नाsपी दा च गा म | आयगु यगु ा े य : च लता, नरव चछ ा र त रयम ्|| नाsऋ कृ णो सत न चाsजून: , कु तो वा न का म : , भवेsसीमन ्क ना व हते , कु तो म ता के नाsपी सह ?

इि जव य मागषु ये क व भम ववादा: वनयसने ेवाsऋ द य ते परोपदेशा: || गतानुगतपथनै ेव चल त यानम ्, प ता: ाचीन: प थक तु मूख: | न प मनसु ृ य ह लि त , क व: सह: सपु ु ऋ के वलम ्|| - तप या आठवी 'द'

सं कृ त हे लका (1) क म छ त नरः का यां भूपानां को रणे हतः। को व यः सवदेवानां द यतामेकमु रम।् । (2) न त या दः न त या तः म ये यः त य त ठ त। तवा यि त ममा यि त य द जाना स त वद।। (3) द तहै नः शलाभ ी नज वो बहुभाषकः। गणु यू तसमृ धोऽ प परपादेन ग छ त।। (4) वृ ा वासी न च प राजः णे धार न च शूलपा णः। व व धार न च स धयोगी जलं च ब न घटो न मेघः।। (5) व णोः का ब लभा देवी लोक तयचा रणी। वणावा यि तमौ द वा कः श दः तु यवाचकः।। उ रम-् : (1) मृ यु जयः| (2) नयनम ् | (3) पादर ा | (4) ना रके लम ् | (5) समानम ् | जा शमा गु ता छठ 'स'

एषा मम ध या माता एषा मम ध या माता | एषा मम ध या माता || वु पदम ् या मां ातः श यातः जागरय त संबोधनतः | ह र मरणं या कारय त, आल यं मम नाशय त || एषा मम............................ कु द ं गहृ काय वं कु सतु ! पाठ यासः वम ् | आदेशं ददा त एवम,् योजयते काय न यम ् || एषा मम........................... मधरु ं दु धं ददा त या, वादफ़ु लं च ददा त या | य छ त म यं म टा नं, य छ त म यं लवणा नम ् || एषा मम.............................. काय स यक् न करो म यदा, अपराधं वदधा म सदा | कलहं कु वन ् रो द म यदा, तदा भशृ ं मां तजय त या || एषा मम.......................... शवम 11-‘डी’

कम ्भवान ्जाना त संसारे लाभः कः ? गणु ी जनानां संग तः | ससं ारे कं दःु खम ् ? मखू ता | ससं ारे का हा नः ? समय य वनाशः | संसारे नपणु ता का ? वक य य पालनम ् | संसारे यसनं कम ् ? व यायाः यसनम ् | संसारे क य पालनम ् ? स य य | ससं ारे आभूषणं कम ् ? स गणु ाः | ससं ारे श ु कः ? ोधः | राहुल रतुर 11-‘डी’

सं कृ त भाषायाः गौरवम ् सं कृ तभाषा संसार य सवासु भाषासु ाचीनतमा अि त | एवमेव सं कृ तभाषाः स पणू सा ह यम प वतते सं कृ तभाषा ायः बहूनां भारतीयभाषाणां जननी अि त | सं कृ तभाषायाः ह द भाषायाः च पर परं जननी – पु ी स ब धः वतते वयं सं कृ तं प ठ वा ह द भाषायां यो याः भवामः | च वारः वदे ाः सं कृ ते नब धाः सि त ते च ऋ वेदः, यजवु दः, सामवेदः, अथववदे ः | सं कृ ते एव उप नषदा: , ा मणा: पुराणा न तथा च अनेके धा मकाः थाः वत ते | सं कृ तभाषायां एव ाचीनौ इ तहास ंथौ “मह षणा वा मी कना वर चतं रामायणं”, “मु नना वेद यासेन वर चतं महाभारतं चा प प यामः | सं कृ तभाषायामेव अथशा ,ं नी तशा ं, दशनशा ं, कथा सा ह यं तथा च अनेके थाः सि त | भारते अनेके कवयः त यथा – भासः, का लदासः, भवभू तः, बाणः, हषः, द डीः, माघः, भार वः, व णुशमा भतृ यः अभवन ् | एतैः वर चता न नाटका न, का या न, महाका या न तथा गाथा पु तका न सं कृ तभाषायाः गौरव थाः सि त | सं कृ तं अधी य एव वसं कृ तं ातंु समथाः भवामः || अकं ु श 11-‘डी’

कम ् के न जयेत ् म म ् - सरल यवहारेण जयेत ् श ून ् - यु या जयेत ् व वान ् - आदरेण जयेत ् वामी - कायण जयेत ् ब धुम ् - समभावने जयेत ् गु म ् - अ भवादनेन जयेत ् कदयम ् - दानने जयेत ् कु पतम ् - वनयेन जयेत ् अनतृ म ् - स येन जयेत ् तृ णा - सतं ोषेण जयेत ् हतशे कु मार वमा 11-‘डी’

अ माकं भारतवषम ् रा - वजः – वणः वजः रा गानम ्– जन-गण-मन रा यपव – वत ता दवसः रा यप ी – मयरू ः रा यपु पम ्– कमलम ् रा यपवतः – हमालयः रा यपशुः – या ः अ भषेक 11-‘डी’

ए ह ए ह वीर रे ए ह ए ह वीर रे वीरतां वधे ह रे पदं हदं नधे ह रे भारत य र णाय जीवनं दे ह रे || वं ह मागदशकः वं ह देशर कः वं ह श नु ाशकः कालनाग त कः || साहसी सदा भवःे वीरातां सदा भजेः भारतीय सं कृ तं मानसे सदा धरेः || पदं – पदं मल चलेत ् सो साहं मनो भवेत ् भारत य गौरवाय सवदा जयो भवते ् || राहुल रतुर 11-‘डी’

हा य- क णकाः अ यापकः - कं अयं नः क ठनः अि त ? छा ाः – न ह महोदये ! नः तु क ठनः नाि त क तु उ र तु अतीव क ठनः अि त | ------------------------------- एकः म ः – म ! तव पता कं काय करो त ? वतीयः म ः – जनषे ु सुखं दखु ं च वतर त | थमः म ः – कं सः ई वरः अि त ? वतीयः म ः – न ह सः प वाहकः अि त | ------------------------------- नेहा – वं पपी लकान ् कमथम ्अनगु छ स ? राहुलः – एताः ापयि त यत ् म ठानं कु र तम ्| ------------------------------ अ यापकः – सवा धकजलविृ टः कु भवि त ? छा ः – ीमान ् नानगहृ े | वशं 11-‘डी’

गुरवे सम पतम ् कम ् अि त तत ् पदं यः लभते इह स मानम ् | कम ् अि त तत ् पदं यः करो त देशानां नमाणम ् | कम ् अि त तत ् पदं यं कु वि त सव णामम ् | कम ् अि त तत ् पदं य य छायायां ा तं ानम ् | कम ् अि त तत ् पदं यः रचय त च र जनानाम ् | गु अि त अ य पद य नाम सवषां गु णां मम शत शत णामः || न तन 11-‘C’

गाय ी – महाम ऊँ हो र क हमारे सब ् गणु ो क खान हो | भूः सदा सब ा णयो के ाण के भी ाण हो | भुवः सब दखु को करते दरू कृ पा नधान हो | वः सदा सखु प सखु मय सखु द सुख ध महान हो | तत ् वह सु स ध भगवन वेदव णत सार हो | देव स वतःु सव उ पादक व पालनहार हो | शुभ वरे यं वरण करणे यो य भगवन आप हो | शु ध भग मलर हत नलप हो न पाप हो | द य गणु देव य देव व प देव अनूप के | धीम ह धारे दय मे द य गुण सब आपके | धयो यो नः वः हमार बु धयो का हत करे | अमर चोदयात नत स माग मे े रत करे || - आकाश 11-‘D’

ए ह, हसाम: यमराज: - भवतः कालः समा तः अतः का प अि तमचे छा ?? मानवः - क ेसदल य सवकारं टाम ्इहे यमराजः - चतुर ा णन ! अमर वं वा छ त भोः क शं कतनम ्इ छ त एवं कम प नाि त सा गहृ तुं न रा नुयात !! वं कमतः गहृ काय न तवान ्? अहं छा ावासे वसा म खलु ! पुन: कथं गहृ काय कु याम ् छा ावासकायम ्ननु देयम ् क न का तोमर, 6th 'A'

कृ त: कृ त: माता सवषाम ् बहुनाम ्अ प फलानाम ् बहुनाम ्अि त वृ ाणाम ् पु पाणां चा प मातये म । मराणां पशूनां प नाम ्च मानाि त जने य: जीवनं सदा ददा त कृ त: माता ।। अि त सा नु मनोहा र मातणृ ाम ् अ प माताि त कृ त: माता सवषाम ् मनोS तु ते मा े कृ यॆ ।। क न का तोमर 6th 'A'

CCA ACTIVITIES NATIONAL SPORTS DAY 84



TEACHER’S DAY

HINDI PAkHWADA

SWACCH BHARAT

LAL BHADUR SHASTRI JAYANTI

INDEGINIOUS SPORTS 90

INDIAN CONSTITUTION DAY

GANDHI JAYANTI

FIT INDIA

ENGLISH SECTION

AS STUDENT EDITOR Ideas hold great potential to change the world, for everything begins with an idea. It is the youth that has the courage to think differently, to invent and to travel the untraded paths, as sky is the limit indeed for them. The magazine has provided the students a platform to kindle their creative spark. It is said, ‘Mind like parachute works best when opened.’ This initiative is to set the budding minds wander free in the realm of imagination. It gives us a glimpse into the garden of their minds where the seeds of the thoughts they have sown and the flowers of their progressive ideas and innovations have blossomed. It reflects how they perceive their ideal world and knit their hopes, dreams and aspirations into a palpable spirit. Now, the compositions might seem like some mere musings, eloquently woven into words, but these are the very ideas that will evolve the society. In the words of Mother Teresa, “I alone cannot change the world, but I can cast a stone across the waters to create many ripples.” Somewhere inside all of us is the power to revolutionize the definition of normal. This very fact makes it indispensable to furnish a solid plinth for the budding zeal to take flight. Undoubtedly, it is our youth that holds the promise to leverage India to attain its Tryst with Destiny. I am sure that, the readers would savour every bit of this magazine with utmost wonder and delight. Shivangi Rawat XI-D

AS STUDENT EDITOR “I know nothing in the world that has as much power as a word. Sometimes I write one, and I look at it, until it begins to shine.\" ― Emily Dickinson I believe that no one holds as much knowledge as the being who knows how to use words and thread them into such a garland that even the ignoramus would crave for it. Our little minds visualize great ideas. These ideas are brought to you with the delicacy and subtlety of words and letters in this magazine. Our thoughts are like the sea. Tranquillity and calmness resides in them when they are subjected to peace but when disturbed, they can be as destructive as the tides and can wash away all the placidity. As our ideas have got a platform for expression, we have focussed on how to influence someone positively, not to have an effect on them in other ways. These pages of the magazine are the platform where we shape ideas so that others may cherish them. To inspire others is one of the few things that people need to have courage. Our young students have taken the initiative to give wings to their mind’s eye and opened up their door to let their perspective flow through us. These articles are the voice of our future and an absolute realization to our present about what we must do to encourage them and to help them fly up above all the barriers of our society. I am positive that at least one of these would leave a mark and imprint on your heart and will make a little change in you. It doesn't matter how small that is because if you take care of the small things then the big things will take care for themselves. - HARSHITA SHARMA XI-A

Grandfather When a child is born, The happiest person is Grandfather. He’s the one whom we trust first, And make our best friend. Gradually we grow, be busy with the world. Leave them aside but never forget. He teaches us the best things Be happy our happiness, Proudly tells the world about us. He has no shame with our mistakes, He learns many things from us too, Talks about his childhood, Makes us listen to stories, Keeps us like gemstones. He’s precious for every granddaughter, He’s the one to handle us with care, He knows what we like. But when his time comes to leave, Everyone grows sad and prays for him, Because he was the one who knew all. No matter how hard life goes on, Everyone gets the habit to live without him, Except the granddaughter who was his favorite. - Achita Yadav XI-B

A loner in a crowd of millions One day I was walking down the road Engrossed in a thought A deep one I had to think about it a lot! Do I really Really know myself My eyes were blindfolded My own self I myself couldn't see Have I become a part of the crowd? Everyone stands akin to each other No individual identity, but known together The thought pinched my soul, in this world Don't I play any unique role? Tears rolled down my cheeks With a determination in heart That was indomitable A determination to find my true self, That I am confident and capable That day I started a quest, A quest to find me. My true identity That had buried deep inside me That day I came to know How important it is To be with everyone but still alone! How important it is To be with everyone but still alone! - MANSI XI-‘A’

Don’t Give Up Tell me how to love without being hurt, Show me how to cry without shedding tears, Tell me how to live without falling down, Show me how to fly without having fears. The path is tough with stones all around, The road is quiet, all sleep and sound, Don't give up till you reach there. But first, tell me is it far or near? Step by step, I'll move on, Yesterday's worries all gone, Doubts of tomorrow, that I'll save. But you must tell me how to be brave! Moonlight showed me my way, Counted the stars, as I lay Couldn't face the sky filled with pity Shall I measure it with infinity? Leave the \"maybe\" and the \"could've been\" What will come tomorrow, who has seen? My hope is buried, will it ever grow? But I ought to go on, that I know! -HARSHITA SHARMA XI-A 99

Life What exactly is life? As humans, we believe that life starts when an indiviual is Born and ends when the individual dies. But, is this explanation enough to describe the heavy term, known as Life? Well, it surely satisfies our common human mind, but it may not be really describing it completely. I am going to share my own thoughts in my own words to describe what I think life actually is? Now, if life is not only the birth and death of an individual, then what exactly is it? In many holy books the concept of afterlife is mentioned, which states that the consciousness of an individual exists, even after the death of its physical body. I don’t know whether it is true or not. Many people do believe in it and many do not. But there is no reason to not believe in it. Just because you don’t experience something, it does not mean that it does not exist. If the concept of afterlife is true, then it certainly breaks the whole explanation that a common human mind understands about Life. With the above discussion, we can conclude that we, humans, have not understood the real meaning of life. Now, in my opinion, Life has no start and no end. Life is an eternal process of interaction between the soul (consciousness) and the physical body. Speaking in scientific terms, Life is an eternal process of interaction between


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