Important Announcement
PubHTML5 Scheduled Server Maintenance on (GMT) Sunday, June 26th, 2:00 am - 8:00 am.
PubHTML5 site will be inoperative during the times indicated!

Home Explore Hindi Book

Hindi Book

Published by kfali23, 2021-02-28 06:04:05

Description: Hindi Book

Search

Read the Text Version

Hkkjrh; lkfgR;dkj oYyjh Hkkjrh; fjt+oZ cSad psUuS



भारतीय साहित्यकार वल्लरी भारतीय रिज़र्व बकंै� चेन्ैन































आर वी पंडित रघुनाथ विष्णु पंडित कोकं�णी भाषा के विख्यात साहित्यकार हंै। उनका जन्म वर्ष 1916 मंे हुआ। उन्हें कोकं�णी, मराठी और पुर्तगाली भाषा पर समान अधिकार था। गोवा के निम्नवर्ग के लोगों के जीवन यथार्थ को उन्होंन�े अपनी रचनाओं के माध्यम से वाणी दी। डॉ. एस एम तोडकोडकर, प्राध्यापक, मराठी विभाग, गोवा विश्वविद्यालय ने कवि रघुनाथ विष्णु पंडित पर एक विशेष निबंध लिखा जिसे वर्ष 2006 मंे गोवा कोकं�णी अकादमी, गोवा सरकार ने प्रकाशित किया। कृ तियाँ- काव्य संकलन – वेळी (1963), रे वतंे �लीं पावलां (1969), मोगाचे आवडे (1974), मोतयां (1974), ल्हारां (1974), नाच रे मोरा (1968), दर्या गाजोता (1976), रत्नांहार (1976), गोअन पोएट्री (1976) 17



































मराठी विष्णु वामन शिरवाडकर ‘कु सुमाग्रज’ ‘कु सुमाग्रज’ के नाम से लोकप्रिय मराठी कवि और नाटककार विष्णु वामन शिरवाडकर का जन्म नासिक, महाराष्रट् मंे 27 फरवरी 1912 मंे हुआ था। उनके साहित्य में समाज मंे व्याप्त अन्याय, असमानता और अत्याचार से उपजे द्वन्द्व का चित्रण हुआ है। जीवन के अंधकारमय पक्ष को स्वीकारते हुए वे प्रेरणादायक आदर्श को अपनी लेखनी से मूर्त रूप प्रदान करते हंै। उनके नाटकों के कें द्र में मुख्यतः बाजीराव, झाँसी की रानी, ययाति, बेलवलकर जैसे सशक्त व्यक्तित्व होते हंै जो नियति और परिस्थितियों से संघर्ष करता है। महाराष्ट्र के साहित्य-प्रेमी उन्हें श्रेष्ठ कलाओं और जीवन-मूल्यों का मुखर आविष्कर्ता मानते थे। कु सुमाग्रज की कविता मंे नाट्य का और नाटक मंे काव्यात्मकता का अंश सहज ही मंे प्रकट होता है। नाट्य जगत में उनके आदर्श हैं शेक्सपियर। कु सुमाग्रज के नाटक, उनके व्यक्तित्व से और आसपास के सामाजिक यथार्थ से जुड़े हुए हंै। ‘नटसम्राट’ पर वर्ष 1971 का महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार और वर्ष 1974 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें वर्ष 1987 में भारतीय साहित्य में विशेष योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कृ तियाँ- काव्य- जीवनलहरी (1933), स्वगत (1936), विशाखा (1942), समिधा (1947), किनारा (1952), हिमरे खा (1964), रसयात्रा (1969), छन्दोमयी (1982), मुक्तायन (1984) नाटक – दू रचे दिवे (1946), दू सरा पेशवा (1947), वैजयन्ती (1950), कौन्तेय (1953), राजमुकु ट (1953), नाटक बसते आहे (1961), विदू षक (1973),आनन्द (1976), मुख्यमंत्री (1979) उपन्यास – वैष्णव (1946), जाह्नवी (1952), कल्पनेचा तीरावर (1956) 35


























Like this book? You can publish your book online for free in a few minutes!
Create your own flipbook