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Published by Vasudha Agnihotri, 2021-09-09 17:11:15

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िसि कम े ीय क : प र य एवं उपलि धयाँ (शोध एवं िवकास या ा) िसि कम े ीय क गो. ब. प त रा ीय िहमालय पयावरण सं थान पयावरण, वन एवं जलवायु प रवतन मं ालय भारत सरकार का वाय शासी सं थान

सिसकिम क्षेत्रीय िंे द्र: पररदृश्य एवं उपलसधियाँा (शोि एवं सविाि यात्रा) िंपादन : यतीन्द्र कु मार राय संदीप रावत मयंक जोशी राजेश जोशी वर्ा : 2021 िरं क्षि: रणवीर ससहं रावल प्रिाशन: सससककम क्षते ्रीय कंे र, गो. ब. पतं राष्ट्रीय सहमालय पयाावरण संस्थान © उद्धरण: राय, वाई. के ., रावत, एस., जोशी, एम., जोशी, आर., (2021). सससककम क्षते ्रीय कें र की शोध एवं सवकास यात्रा: पररदृश्य एवं उपलसधधयााँ [30 वर्षों की शोध एवं सवकास यात्रा]. सससककम क्षेत्रीय कंे र, गो. ब. पंत राष्ट्रीय सहमालय पयाावरण ससं ्थान, गगं टोक. आभार: सससककम क्षेत्रीय कंे र के सम्मानीय सभी वजै ्ञासनकों, तकनीकी एवं प्रसाशसनक कायका तााओं का अन्द्तः ह्रदय से साधुवाद प्रदान करने का सअु वसर समला, जो कें द के आरम्भकाल से आज तक गररमामयी वैज्ञासनक सवचारों को सपं ्रेसर्षत करते रहे हैं और कंे र को राज्य, राष्ट्रीय एवं अतं रााष्ट्रीय स्तर पर गौरवासन्द्वत सकए है| सससककम क्षते ्रीय कें र की यह प्रस्तसु त सवगत 30 वर्षों मंे सकए गये शोध एवं सवकास कायों की सूचनाओं पर आधाररत एक ससं क्षप्त सकं लन ह,ै अनके काया-कलाप इसमे समावेसशत नहीं भी हो सकते ह|ै

सिसकिम क्षेत्रीय िें द्र: पररदृश्य एवं उपलसधियााँ (शोि एवं सविाि यात्रा) सिसकिम क्षेत्रीय िंे द्र गो. ब. पतं राष्ट्रीय सिमालय पयाावरण िसं ्थान (पयाावरण, वन एवं जलवायु पररवतान मंत्रालय, भारत िरिार िा स्वायत्तशािी िंस्थान)

प्रस्तावना गो. ब. पंत राष्ट्रीय सहमालय पयाावरण संस्थान ने अनसु धं ान और सवकास की सदशा मंे राष्ट्रीय एवं अंतरााष्ट्रीय स्तर पर एक सवशरे ्ष स्थान स्थासपत सकया है। ससं ्थान के आरम्भ काल से आज तक सहमालय क्षेत्र के सवसभन्द्न समुदायों/सनवाससयों के सहतों की रक्षा के सलए योजनाबद्ध अनुसधं ान एवं सवकास गसतसवसधयों के माध्यम से पयाावरण के सरं क्षण एवं पवता ीय समस्याओं के समाधान की सदशा के सलए नीसत सनमाणा मंे योगदान सदया है | संस्थान अपने बहु-सवर्षयक दृसिकोण और सवकें रीकृ त स्वरूप, अल्मोडा, उत्तराखडं मखु ्यालय और सवसभन्द्न राज्यों मंे सस्थत पांच क्षेत्रीय कंे रों के साथ समलकर काया करते हुए वैज्ञासनक ज्ञान को आगे बढा रहा है सजसका प्रमखु उद्दशे ्य प्राकृ सतक संसाधनों के सतत् उपयोग एवं संरक्षण के सलए एकीकृ त प्रबंधन रणनीसत का सवकास एवं प्रचार-प्रसार करना है| सससककम क्षते ्रीय कें र ने 30 वर्षों के अपने असस्तत्व व् कायका ाल में सससककम सहमालयी क्षते ्र (सससककम राज्य और पसिम बंगाल के पवातीय सजले- दासजासलंग और कसलम्पोंग) को कंे र सवदं ु में रखकर पवता ीय सनवाससयों के सहतों के सलए अपनी प्रसतबद्धताओं को सम्पन्द्न सकया ह।ै इस काया-अवसध के दौरान सससककम क्षेत्रीय कंे र ने महत्वपणू ा पयाावरणीय मुद्दों पर अनुसधं ान एवं सवकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने मंे उल्लखे नीय प्रगसत की है। इसके असतररक्त सससककम क्षेत्रीय कें र द्वारा क्षते ्र के लोगों के समग्र उत्थान एवं लाभ के सलए सरकारी और गरै - सरकारी संगठनों के साथ समन्द्वय करते हुए प्राकृ सतक ससं ाधनों के संरक्षण एवं सतत् सवकास के सलए आवश्यक कदम उठाने का प्रयास सकया है| आपके समक्ष इस सकं लन के माध्यम से सससककम क्षेत्रीय कें र द्वारा अब तक की कु छ महत्वपणू ा अनुसंधान एवं सवकास कायों का एक सहन्द्दी भार्षा में एक प्रस्तुसतकरण का प्रयास सकया गया ह|ै यह सकं लन सवसभन्द्न शोध एवं सवकास गसतसवसधयों के अन्द्तगात प्राप्त प्रमुख शोध उपलसधधयों पर प्रकाश डालता है। कें र द्वारा सवगत वर्षों में सकए गये अनुसंधान एवं सवकास काया की प्रगसत आपके सामने प्रस्ततु की जा रही है| आशा है आप अपने सवचार एवं सुझाव अवश्य दगंे े तासक भसवष्ट्य में आपके सवचाओं को समं ्मसलत करते हएु कें र के शोध एवं सवकास कायों को और मजबतू ी प्रदान की जा सके | रनबीर एि. रावल सनदशे ि

अनुक्रम 1. गो. ब. पंत राष्ट्रीय सहमालय पयाावरण संस्थान: एक पररचय 01 2. सससककम क्षते ्रीय कंे र: ससं क्षप्त पररचय 03 3. सवसभन्द्न सवर्षयों और श्रसे णयों मंे उपलसधधयाँा और राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर 06 पर सहयोग 4. जवै -सवसवधता मूल्याकं न और सनगरानी 08 5. रोडोडंेड्रोन और अन्द्य महत्वपूणा मूल्यवान प्रजासतयों का सरं क्षण 13 6. एकीकृ त जलागम प्रबंधन 17 7. भू-सवज्ञान और आपदा प्रबधं न कायक्रम 20 8. कृ सर्ष-वासनकी मॉडल सवकास कायाक्रम 24 9. पयाावरणीय पयाटन एवं सामासजक आसथका सवकास कायाक्रम 28 10. नीसत सनमाणा , शोध-सवस्तार, प्रचार-प्रसार और क्षमता-सवकास 32 गसतसवसधयां 11. सससककम क्षते ्रीय कंे र के मुख्य प्रकाशन 37

गो. ब. पंत राष्ट्रीय हिमालय पयाावरण संस्थान: एक पररचय गो. ब. पतं राष्ट्रीय हिमालय पयाावरण ससं ्थान की स्थापना भारत रत्न पं. गोहवदं बल्लभ पतं के जन्म शताब्दी वर्ा के दौरान वर्ा 1988-89 मंे पयाावरण, वन और जलवायु पररवतना मतं ्रालय, भारत सरकार के एक स्वायत स ससं ्थान के प प में की ग य यि ससं ्थान मतं ्रालय वारारा वञ् ानाहनक ञानान को आगे बढाने, एकीकृ त प्रबंधन रणनीहतयों को हवकहसत करने, प्राकृ हतक ससं ाधनों के सरं क्षण के हलए एवं उनकी प्रभावकाररता का प्रदशना करने और सपं णू ा भारतीय हिमालयी क्षते ्र मंे पयावा रणीय प प से सदु ृढतापवू का हवकास सहु नहित करने के हलए एक फोकल एजसें ी के प प मंे हिहन्ित हकया गया िय् संस्थान सामाहजक-सांस्कृ हतक, पाररहस्थहतक, आहथाक और भौहतक प्रणाहलयों के बीि जहिल संबंधों का सतं लु न बनाए रखने का प्रयास करता ि् हजससे भारतीय हिमालय क्षेत्र में सतत् हवकास की पररकल्पना को साकार हकया जा सकता ि|् इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के हलए, संस्थान प्राकृ हतक और सामाहजक हवञानानों को जोड़ कर अपने सभी शोध और हवकास कायका ्रमों मंे एक बिु-हवर्यक और समग्र दृहिकोण का पालन करता िय् इस प्रयास मंे पवता ीय पाररहस्थहतकी ततं ्र के संरक्षण, स्वदशे ी ञानान प्रणाहलयों और प्राकृ हतक संसाधनों के 1|Page

सतत् उपयोग पर हवशेर् ध्यान हदया जाता िय् हवहभन्न कायाक्रमों की दीर्का ाहलक स्वीकृ हत और सफलता के हलए स्थानीय हनवाहसयों की भागीदारी सहु नहित करने के हलए एक सिेत प्रयास हकया जाता िय् हवहभन्न हितधारकों के हलए प्रहशक्षण, पयावा रण हशक्षा और जागप कता को ध्यान मे रखकर शोध एवं हवकास काया सम्पन्न हकए जाते ियंै इसके व्यापक उद्दशे ्य उपलहब्ध के हलए हनम्न हवदं ओु ं को अपनाया गया ि:् (अ) भारतीय हिमालयी क्षेत्र की पयाावरणीय समस्याओं पर गिन शोध और हवकास अध्ययन करना, (ब) पयाावरण के स्थानीय ञानान को पििानने सदु ृढ करने और इिं रेहटिव निे वहकिं ग के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र मंे काम कर रिे वञ् ानाहनक संस्थानों, हवश्वहवद्यालयों/ गर् -सरकारी सगं ठनों और गर् -सरकारी एजहंे सयों में क्षते ्रीय प्रासंहगकता के शोध को सशक्त करने में योगदान दने ा, तथा (स) स्थानीय धारणाओं के अनपु प क्षेत्र के सतत् हवकास के हलए उपयकु ्त तकनीकी पक् े ज और हवतरण प्रणाली हवकहसत और प्रदहशता करनाय ससं ्थान के अनसु धं ान एवं हवकास कायका ्रमों को िार कायाात्मक कंे द्रों में पनु हनदा हे शत हकया गया ि:् (i) भहू म और जल संसाधन प्रबंधन कें द्र (ii) सामाहजक-आहथका हवकास कंे द्र (iii) जव् -हवहवधता सरं क्षण और प्रबंधन कें द्र (iv) पयावा रण आकलन और जलवायु पररवतना कंे द्र| संस्थान के क्षते ्रीय कें द्र (लेि, हिमािल, गढवाल, हसहटकम, अरुणािं ल) के माध्यम से पयावा रणीय शोध और हवकास के कायका ्रम सम्पणू ा भारतीय हिमालायी क्षते ्र में संिाहलत हकए जा रिे ि|ंै 2|Page

हसहककम क्षेत्रीय कंे द्र: संहक्षप्त पररचय गो. ब. पतं राष्ट्रीय हिमालय पयावा रण ससं ्थान हसहटकम क्षेत्रीय कें द्र की स्थापना गगं िोक, हसहटकम मंे हदनाँाक 16 जनू 1989 को संस्थान की एक इका के प प मंे िु और वतामान में यि फामबगं्लोि वन्य-जीव अभ्यारण्य के समीप पगं थांग मंे 15 अगस्त 2004 से संिाहलत िय् यि पररसर लगभग 17 एकड़ भ-ू भाग में फ् ला िआु िय् यि क्षते ्रीय कंे द्र हसहटकम हिमालयी क्षेत्र के पयावा रण सम्बंहधत हवहभन्न शोध, हवकास और हवस्तारण कायों के साथ-साथ पयावा रणीय पररयोजनों/ गहतहवहधयां पर आधाररत शोध कायों का संिालन करता आ रिा िय् इनमें मखु ्यतः भ-ू पयाावरणीय पररहस्थहतयों, पाररहस्थहतकी ततं ्र के दृहिकोण, जव् -हवहवधता, जलवायु पररवतना और उसका पाररहस्थहतकीय तंत्र पर प्रभाव का आकँा लन, सामदु ाहयक भागीदारी, सामाहजक- आहथाक हवकास, ससं ्थागत-भागीदारी एवं द्रुतगहत से ग्रामीण मलू ्यांकन, कम लागत वाली पिाड़ की खते ी के हलए सतत् हवकास और क्षमता हनमाणा , सम्महलत िय् इसके अहतररक्त, यि क्षेत्रीय कें द्र ग्रामीण तकनीहक को नया आयाम प्रदान करते िुये अनके मित्वपणू ा शोध एवं 3|Page

हवकास सम्बहं धत गहतहवहधयों को अन्य ससं ्थानों, सरकारी हवभागों और गर् -सरकारी संस्थाओं के साथ गठजोड़ करते िुए हसहटकम हिमालय एवं पहिम बंगाल के पवता ीय क्षते ्रों के हलए हवकास-उन्मखु शोध आधाररत नीहत हनधाारण में सियोग करता आ रिा िय् हसहटकम हिमालयी क्षेत्र के अन्तगता पवू ोत सर हिमालयी क्षेत्र का सम्पणू ा हसहटकम राज्य तथा पहिम बंगाल के पिाड़ी क्षते ्र (दाहजहा लगं और कहलम्पोंग हजले) सहम्महलत िंै जो हक भिू ान, िीन व नेपाल की अतं रराष्ट्रीय सीमाओं से जडु ़ा िआु िय् इस क्षते ्र की प्राकृ हतक सौंदया व संपदाओं मंे हवशालकाय जगं ल, नहदयााँ एवं ग्लेहशयर प्रमखु ियंै इस क्षते ्र की ज्यादातर जनसाखँ ्या शषु्ट्क व अधा-शषु्ट्क भाग में हनवास करती ि् और मखु ्य प प से पयाावरणीय सेवाओं और जव् - संपदाओ पर आहित िय् इस क्षते ्र के बिृ द फ् ले जगं ल-यकु ्त पवता ीय भाग हवहभन्न प्रकार की वनस्पहतयों के हलए सपं णू ा हवश्व मंे प्रहसद्ध ि् तथा लगभग सभी भागों मंे छोिे-बड़े जानवर जस् े, रेर् पांर्ा, सनु िरी हबल्ली, जगं ली कु त स,े सींि-हविीन हिरन, हिम तंदे एु आहद प्रमखु ियैं हसहटकम राज्य मे हवहभन्न प्रकार के 550 पहक्षयों की प्रजाहतयों का हववरण हमलता िय् एक अनमु ान के अनसु ार सम्पणू ा भारत मंे उपलब्ध लगभग प्रकार की 1438 हततहलयाँा की प्रजाहतयां पा जाती ि् हजसमे से हसहटकम में 695 प्रकार की प्रजाहतयां पा जाती िय् भौगोहलक पररदृश्य के अनसु ार हसहककम राज्य : आधारभूत सूचकांक यि क्षते ्र हवहभन्न पयावा रणीय सम्पणू ा क्षते ्रफल (वगा हकलोमीिर): 7,096 एवं जलवायु िेहणयों पर जनसखाँ ्या (2011): 6,10,577 अलग-अलग समदृ ्ध पषु्ट्प और शिरी जनसखँा ्या: 1,53,578 जव् -हवहवधता का प्रहतहनहधत्व ग्रामीण जनसखँा ्या: 4,56,999 करता िय् यि क्षते ्र समदु ्र तल से दशकीय जनसाँख्या हवकास दर: 12.89 300 मीिर से लेकर 8685 जनसखँा ्या र्नत्व (प्रहत वगा हकलोमीिर): 86 हजलों की सखं ्या: ४ मीिर की उंिा तक का तिसीलों की संख्या: ९ हवस्तार हलए िएु ि,् हजसमें हजला पिं ायत वार्ा: 108 हवश्व हवख्यात सबसे उंिी ग्राम पिं ायत यहू नि: 165 िोहियों मंे से एक कं िनजरं ्ा ग्राम पिं ायत वार्ा: 907 (समदु ्र तल से ऊं िा 8685 रेवने ्यु ब्लाक/ग्राम: 400 मीिर) हवद्यमान िय् हसहटकम पररवारों की संख्या: 1,28,115 हशक्षा दर(%) (2011): 81.42 [परु ुर्-86.55, महिला 75.61] राज्य मंे लेप्िा, भहू िया और 4|Page

नपे ाली तीन प्रमखु जातीय समिू ियैं राज्य के सम्पणू ा भ-ू भाग का 82.3% हिस्सा जगं ल से आछाहदत ि् हजसका अहधकांश भ-ू भाग बर्फा से ढका एवं पथरीली भहू म ि|् अतः सीहमत भ-ू भाग िी खते ी के हलए उपलब्ध ि|् यिाँा पा जाने वाली हवहभन्न मित्वपणू ा प्रजाहतयों में से लगभग 4,500 पषु्ट्पीय पौधों की प्रजहतयां, 550 अनठू े आहका र् प्रजहतयां, 36 प्रकार की बरु ाशं की प्रजाहतया,ं 32 प्रकार की बॉस की प्रजाहतयां, 16 प्रकार के हजम्नोस्पमा पौधे, 362 प्रकार के सनु ्दर बारीक़ पत सों वाले पौधे एवं 424 प्रकार के और्धीय पौधे मखु ्य ि् िालाहं क, हसहटकम हिमालायी क्षते ्र, जव् -हवहवधता पाररहस्थहतकीय तंत्र और जलवायु के संदभा मंे बिुत र्नी व् हवहवधता पणू ा ि|् परन्तु हवगत कु छ दशकों से हवहभन्न पररवतानों और कारकों (प्राकृ हतक, सामाहजक, आहथका ) के कारण इस क्षत्र में बिृ द प प में पयाावरणीय बदलाव मिससू हकए जा रिे िंै | इन सब कारणों एवं क्षते ्र की आवश्यकतावों को ध्यान मंे रखते िुए क्षेत्रीय कंे द्र की शोध एवं हवकास काया के मखु ्य वरीयतायें हनम्न ि:ैं 1. कं गिंजगं ा भ-ू क्षेत्र बायोस्फीयर ररजवा और अन्य संवदे नशील क्षते ्रों में मानव आयाम को ध्यान में रखते िुये जव् -हवहवधता अध्ययन और उसका संरक्षण करना 2. भ-ू पयावा रण और भ-ू खतरों का आकं लन और न्यनू ीकरण रणनीहतयों का हनमाणा करना 3. सरं क्षण क्षते ्रों में मानव आयामों का अध्ययन तथा क्षमता हवकास करना 4. संकिग्रस्त प्रजाहतयों के सरं क्षण के हलए जव् -प्रौद्योहगकी अनपु ्रयोग 5. जलवायु पररवतना का हवहभन्न पाररहस्थहतकीय तंत्रों पर प्रभाव का आकं लन 6. शोध-परक कायों के आधार पर राज्य के हवकास के हलए नीहत हनधारा ण में सियोग करना 5|Page

हवहभन्न हवषयों और श्रेहणयों मंे उपलहधधयााँ और राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर सियोग संस्थान के हसहटकम क्षेत्रीय कंे द्र वारारा हवगत 30 वर्ों मंे ससं ्थान एवं बाह्य संस्थाओ वारारा हवत स- पोहर्त लगभग 47 पररयोजनाओ के माध्यम से हनरंतर शोध एवं हवकास काया हकये गये िय् इस क्रम मे हसहटकम क्षते ्रीय कंे द्र वारारा जव् -हवहवधता सम्पन्न हसहटकम हिमालयी क्षते ्र की हनगरानी, आकाँ लन, और सरं क्षण िते ु प्रयास लगातार जारी िय् क्षेत्र की जव् -हवहवधता के सरं क्षण िते ु प्रहतवहं धत क्षते ्रों जस् े कं िनजगं ा बायोस्फीयर ररजव,ा हनकिवती वन्य-जीव संरहक्षत क्षेत्रों आहद का आकाँ लन और हनगरानी की जा रिी िय् यिाँा के उच्ि मलू ्य वाले और संकिग्रस्त पादपों का नसारी एवं जव् -तकनीक माध्यमों से सवं धान हकया जा रिा ि् और उन्िे िबाल गार्ान और अन्य संरहक्षत क्षेत्रों मे अवरोहपत हकया गया िय् साथ िी इस क्षेत्र के जगं ली खाद्य पादपों की न्यरू ास्यहू िकल क्षमता का अध्ययन हकया जा रिा िय् इसके अहतररक्त एकीकृ त जलगम प्रबधं न कायायोजना का सिं ालन एवं प्रवधं न क्षमता का हवकास हकया जा रिा िय् िहंू क हसहटकम क्षेत्र अत्यहधक वर्ाा के कारण भहू म किाव िते ु सवं दे नशील ि् अतः ससं ्थान वारारा भहू म-किाव की रोकथाम िते ु हवहभन्न प्रकार के प्रकृ हतक जह् वक और तकनीकी साधनों के प्रयोग से भ-ू स्खलन रोकथाम के प्रयास िते ु शोध काया लगातार जारी िय् यि क्षेत्र दहु नया के सबसे सदंु र नहदयों, झीलों और झरनों, वनस्पहत और जीवों का आवास ियैं अतः यिाँा पयिा न की अपार सभं ावनाएाँ मौजदू िय् ससं ्थान वारारा प्राकृ हतक पयािन हवकहसत करने िते ू सतत् सामदु ाहयक आधाररत पयािन को बढावा दने े एवं प्रकृ हत संरक्षण के साथ-साथ आजीहवका को जोड़ने के हलए हनरंतर काया हकये जा रिे िय् वतामान समय में कृ र्क कृ हर्-प्रणाली में आधहु नकीकरण के कारण पारंपररक फसलों की खते ी मंे पररवतान कर रिे ियैं इसहलए हकसान नकदी फसल और बागवानी पर हवशेर् ध्यान दे रिे ि|ंै अतः िारा, धं न और लकड़ी के हलए क्षते ्र के अनकु ू ल उच्ि मलू ्य की नकदी फसलों के प्रसार िते ु काया हकया जा रिा िय् अब तक हकये गये सकल कायों के पररणाम स्वप प हसहटकम क्षेत्रीय कें द्र की प्रमखु उपलहब्धयों का सकं लन हनम्नवत िेणीयों मंे वगीकृ त हकया गया ि् और उनका हवस्ततृ हववरण अहग्रम भागों मे प्रस्ततु हकया गया ि|् 6|Page

1. जव् -हवहवधता मलू ्यांकन और हनगरानी 2. रोर्ोर्ेंड्रोन और अन्य मित्वपूणा मलू ्यवान प्रजाहतयों का सरं क्षण 3. एकीकृ त जलागम प्रबंधन 4. भ-ू हवञानान और आपदा प्रबधं न कायाक्रम 5. कृ हर्-वाहनकी मॉर्ल हवकास कायका ्रम 6. पयाावरणीय पयािन एवं सामाहजक आहथका हवकास कायका ्रम 7. शोध-हवस्तार, प्रिार-प्रसार और क्षमता-हवकास गहतहवहधयां 7|Page

जैव-हवहवधता मूलयांकन और हनगरानी हकसी भी क्षेत्र में सरं क्षण प्राथहमकताओं को स्थाहपत करने के हलए मौजदू ा जव् ीय संसाधनों की उपलब्धता की आधारभतू जानकारी अत्यंत मित्वपणू ा िय् संस्थान वारारा पवू ी हिमालयी जव् - हवहवधता िॉि-स्पॉि के अतं गता हस्थत हसहटकम हिमालय की जव् -हवहवधता के मलू ्यांकन और संरक्षण के कायों को प्राथहमकता से हकया ि् (बॉकस 1)य इसके अतं गता हसहटकम राज्य मंे उपलब्ध लगभग 600 कािीय पौधों के र्ािाबसे पर एक दस्तावजे ़ सकं हलत हकया गया जो 238 से अहधक वशं ों से सम्बद्ध तथा 79 कु लों से सम्बद्ध थये इसी तरि हसहटकम के हलए और्धीय पौधों की कु ल 420 प्रजाहतयों की उपहस्थहत का एक सकं लन त्यार हकया गया िय् राज्य के कािीय पौधों के हवतरण को समझने के हलया हग्रर् आधाररत जव् -हवहवधता र्ािाबेस त्यार हकया गयाय इसके अतं गता 84 हग्रर्ों मंे 431 वकृ ्ष प्रजाहतयों के कु ल 58,434 नमनू ों का अध्ययन हकया गया जो 206 वशं ो के 116 कु लों से सम्बद्ध ियैं इस र्ेिाबसे का उपयोग हनकि भहवष्ट्य में इस क्षेत्र के जव् -संसाधनों के संरक्षण नीहत हनधारा ण और हवकास कायों के सिं ालन मंे हकया जा सकता िय् 8|Page

ससं ्थान को पयाावरण, वन एवं जलवायु पररवतान मतं ्रालय, न हदल्ली वारारा उत सरी-पवू ी हिमालयी क्षते ्र मंे हस्थत कं िनजगं ा, मानस एवं हदब्र-ू सखे वु ा बायोस्फीयर सरं हक्षत क्षेत्रों के हलए अग्रणी एवं समन्वयक ससं ्थान के प प मंे हिहन्ित हकया गया ि|् इसके क्रम में कं िनजगं ा बायोस्फीयर ररजवा को यनु से ्को-मब् कायाक्रम के अतं गता नाहमत करने के हलए ियहनत हकया गया और इसकी हवस्ततृ ररपोिा सम्बंहधत हनदशे ालय को प्रस्ततु की ग य ररपोिा मंे सझु ाव हदया गया ि् हक कं िनजंगा बायोस्फीयर ररजवा की वनस्पहत को मखु ्यतः 4 पाररहस्थहतक क्षते ्रों में हवभाहजत हकया जा सकता ि:् (i) उपोष्ट्ण-कहिबंधीय वनों के अतं गता समदु ्र तल से 1000- 1800 मीo की ऊं िा वाले वन (ii) समशीतोष्ट्ण वनों के अतं गता समदु ्र तल से 1800-3300 मीo की ऊं िा वाले वन, (iii) सब-अल्पाइन वनों के अंतगता समदु ्र तल से 3400-3600 मीo की ऊं िा वाले वन, एवं (iv) अल्पाइन स्क्रब के अतं गता 3700-4500 मीo की ऊं िा वाले वकृ ्ष आहदय इस क्रम मंे वन हवभाग, असम सरकार के सियोग से मानस बायोस्फीयर ररजवा को यनु से ्को मब् -निे वका में शाहमल करते िएु दस्तावजे त्यार कर पयाावरण, वन, एवं जलवायु पररवतान मतं ्रालय, भारत सरकार को प्रस्ततु करने का काया हकया | 9|Page

यकु सम-जोंगरी रांसटे ि की वनस्पहतयों पर पवू ा प्रकाहशत कायों से तलु नात्मक हवश्लेर्ण हकया गया पवू ा मंे ञानात 32 की तुलना में 51 कािीय प्रजाहतयों ररकॉर्ा की ग य हनिले क्षेत्र के वनों मंे हवहवधता सिू कांक पवू ा मंे कमी दजा की ग , लेहकन ऊपरी जगं ल में हवहवधता सिू काकं यि पवू ा की तलु ना मंे बढा िुआ पाया गयाय इस प्रकार प्रजाहत प्रिरु ता मंे भी पिले की तलु ना मंे वहृ द्ध पा गयीय इस प्रकार वकृ ्ष र्नत्व, पनु जीहवत प्रजाहतयों की सखं ्या, अकं ु र/नवीन पौधे की मात्रा हपछले अध्ययनों से अहधक पा गयीय कं िनजगं ा बायोस्फीयर ररजवा के दहक्षण-पवू ा के बीआर थोलंगु -हकसोंग रांसटे ि और यटु सम-जोंगरी रांसटे ि मंे वनस्पहत संरिना और पनु जीहवत प्रजाहतयों की संख्या का अध्ययन हकया गयाय प्रजाहतयों की हवहवधता, प्रिरु ता और समता का ऊं िा के साथ नकारात्मक प्रभाव दखे ा गयाय इसी क्रम में तीन वन्य-जीव सरं हक्षत क्षेत्रों, (i) फामबंग्लोि वन्यजीव अभयारण्य (209 प्रजाहतया)ँा , (ii) पगं ोलखा वन्यजीव अभयारण्य (452 प्रजाहतया)ँा एवं (iii) टयोनगोस्ला अल्पाइन अभयारण्य (97 प्रजाहतया)ाँ के पादपों की एक हवस्ततृ सिू ी तय् ार की गयीय इसमें 573 पादप प्रजाहतयों को दजा हकया गयाय साथ िी स्तनपायी जानवरों के आकलन में कु ल 39 स्तनपायी प्रजाहतयााँ (पंगोलखा वन्यजीव अभयारण्य मंे 37 प्रजाहतयााँ; फं बलोंल्िो वन्यजीव अभयारण्य मंे 23, और टयोनगोस्ला अल्पाइन अभयारण्य मंे 21 प्रजाहतयााँ), 201 पक्षी प्रजाहतयाँा (फं बलोंल्िो वन्यजीव अभयारण्य मंे 182, पगं ोलखा वन्यजीव अभयारण्य मंे 40 प्रजाहतयााँ, और टयोनगोस्ला अल्पाइन अभयारण्य में 27 प्रजाहतयाँ)ा आकं हलत की ग | कंे द्र वारारा हसहटकम में हनवास करने वाले हवहभन्न आहदवासी समदु ायों वारारा उपयोग में लाये जाने वाले और्धीय पौधों का प्रलखे न हकया गयाय कं िनजगं ा बायोस्फीयर ररजवा मंे रिने वाले हलम्बू समदु ाय वारारा 124 और्धीय पौधे तथा जोंगू र्िी के लेप्िा समदु ाय वारारा 118 और्धीय पौधों का प्रयोग हकया जाता िय् रंहगत र्ािी के स्थानीय समदु ायों वारारा 36 कु लों में हवतररत 45 और्धीय पौधों की प्रजाहतयां उपयोग हकया जाता ियैं हसहटकम के भहू िया समदु ाय वारारा 30 कु लों में हवतररत 35 और्धीय पौधों की प्रजाहतयां उपयोग हकया जाता ियैं इसी प्रकार, सम्पणू ा हसहटकम राज्य में कु ल 174 से अहधक प्रजाहतयों के जगं ली खाद्य पौधों की पििान की ग य इनमंे 64% को फल तथा बीज, 18% को पत सदे ार सहब्जयाँा और 10% को फू ल और फू लों की कहलयों के प प में उपयोग हकया जाता िय् 10 | P a g e

संस्थान वारारा कु छ मित्वपणू ा और्धीय पादप प्रजाहतयों का पादप-समाहजकी हवश्लेर्ण भी हकया गया िय् इनमे से स्वर्सिया र्िरैयता की 14 हवहभन्न आवासों के अध्ययन अतं गता िट्टानों मंे अवहस्थत समदु ायों में उच्ितम पादप र्नत्व पाया गयाय हसहटकम हिमालय के जगं ली फलों की हवहभन्न प्रजाहतयों, जस् े, फ्रे गेररया नरु्िकोला, िैकोररया सैर्िडा, र्डप्लोनेमा ब्यटू ैरेसा, एलार्ननस लटे ीफोला, मार्िलस एडुर्लस, और स्िोंर्डया एर्ससलाररस के फलों मंे फ्लेवनॉइर्, लेकोपीन, क् रोिीन, एस्कॉहबका एहसर्, अन्य हविाहमन, आवश्यक खहनज लवणों और एिं ीऑटसीर्ंेि गणु ों की मात्रा का भी अवलोकन हकया गयाय बॉकस 1: प्रमुख उपलहधधयााँ • हसहटकम राज्य के कािीय पौधों के र्ािाबेस पर एक दस्तावेज़ • और्धीय पौधों की कु ल उपलब्ध 420 प्रजाहतयों की उपहस्थहत का एक सकं लन • कािीय पौधों के हसहटकम राज्य में हवतरण का हग्रर् आधाररत ज्व-हवहवधता र्ािाबेस • कं िनजगं ा बायोस्फीयर ररजवा तथा मानस बायोस्फीयर को युनशे ्को-मब् कायाक्रम के अतं गता नाहमत करने के हलए दस्तावेज • यकु सम-जोंगरी रांसटे ि की वनस्पहतयों का पवू ा प्रकाहशत कायों से तलु नात्मक अध्ययन • सरं हक्षत क्षेत्रों- फामबगं्लोि, पगं ोलखा और टयोनगोस्ला अभयारण्यों की पादप प्रजाहतयों का अध्ययन हकया गयाय • आहदवासी समदु ायों ज्से हलम्ब,ू भहू िया, लेप्िा आहद वारारा उपयोग मंे लाये जाने वाले और्धीय पौधों के प्रलेखन 11 | P a g e

जैव-हवहवधता मूलयांकन और हनगरानी हवषय पर सचं ाहलत मुख्य पररयोजनाएं 1. कं िनजगं ा लंरै ्स्के प संरक्षण और हवकास पिल (भारत) - भारत: प्रारंहभक िरण 2. हिमालयी पाररहस्थहतकी ततं ्र िते ु राष्ट्रीय हमशन - वन ससं ाधन और पादप जव् -हवहवधता (िास्क फोसा-3) 3. हसहटकम में रासं बाउंड्री भ-ू क्षेत्र मंे जव् -हवहवधता संरक्षण 4. भारतीय हिमालय मंे बदलते संसाधन उपयोग और जलवायु पररदृश्य के तित पाररहस्थहतक और सामाहजक हनहिताथा ज्व-हवहवधता पि् ना और प्रहक्रयाओं को समझना 5. आर-एस एवं जीआ एस तकनीक का उपयोग करके मानस बायोस्फीयर ररजवा (असम, भारत) में बायोस्फीयर ररजवा की खोज और हनगरानी 6. ररमोि सहें सगं और जी.आ .एस. तकनीक का उपयोग करके भारत में बायोस्फीयर ररज़वा की आँाकलन और हनगरानी 7. हिमालय से एटस्रीमोफाइल: पाररहस्थहतक लिीलापन और जव् -प्रौद्योहगकी सबं धं ी अनपु ्रयोग 8. पाररहस्थहतकी ततं ्र आधाररत दृहिकोण के माध्यम से सतत् कृ हर् के हलए परागणों का सरं क्षण 9. हिमालय मंे जव् -हवहवधता के दीर्ाकाहलक प्रबधं न और उपयोग के हलए ञानान के आधार पर प्रहतहक्रया मलू ्यांकन और प्रसंस्करण 10. हसहटकम हिमालयी क्षते ्र का ज्व-हवहवधता र्ेिाबसे संकलन 11. जलवायु पररवतान मंे हिम्बरलाइन और अल्िीि्यहू र्नल ग्रहे र्एिं इकोलॉजी का अध्ययन 12. उच्ि मलू ्य के ियहनत और्धीय पौधों का हवतरण और जनसखं ्या की मात्रा का हनधाारण 12 | P a g e

रोडोडेंड्रोन और मूलयवान पादप प्रजाहतयों का तकनीक के माध्यम से सरं क्षण हसहटकम हिमालयी क्षते ्र के मित्वपणू ा और मलू ्यवान प्रजाहतयों के सरं क्षण के उद्दशे ्य से वर्ा 1994 में पांगथागं मे एक आबोरेिम और नसारी की स्थापना की गयीय, पररसर मंे िी वर्ा 2004 में एक िबाल गार्ान का भी हनमााण हकया गयाय इस िबाल गार्ान मंे अब तक कु ल 32 और्धीय प्रजाहतयों को अवरोहपत हकया जा िकु ा ि,् इनमंे से आइसं ल कॉर्डिफोर्लया, िर्जरे ्नया र्सर्लयाटा, सलमे ार्टस ििु ानान्या, कोस्टस स्िीसीओस, फ्रै र्ससनस फ्लोररिनु ्डा, िैनासस स्यडू ो-र्र्जनसगें , फाइटोलेसका र्कर्ननोसा, ररयस सेमीयाल्टा, हशज़डंे ्रा ग्ररंै ्डफ़्लोरा, र्स्िररया हले ायंरे ्सस, स्वर्सयि ा र्िरैयता आहद प्रमखु ियैं इसी तरि आबोरेिम में भी 50 से अहधक कािीय पौधों की प्रजाहतयों संरहक्षत िय् इसी के अन्तगरा त भारत रत्न प0ं गोहबंद बल्लभ पन्त जी की स्महृ त मंे उच्ि मलू ्य के वकृ ्षों का वकृ ्षारोपण के वारारा 0.6 एकड़ क्षते ्रफल मंे एक स्महृ त वाहिका का हनमााण भी हकया गया िय् िाल में िी आबोरेिम मंे 50 से अहधक प्रजाहतयों यकु ्त एक 13 | P a g e

आहका र्-पथ, 8 प्रजाहतयों का एक रोर्ोर्ेंड्रोन-पथ तथा 10 से अहधक प्रजाहतयों यकु ्त एक फना- पथ हवकहसत हकया गया ि् (बॉकस 2)य हसहटकम हिमालयी क्षते ्र के अहत-संकिग्रस्त पौधों की प्रजाहतयों जस् े, रोडोडंेड्रोन लेप्टोकाििम, रो. मडै ोनी, रो. नीर्वयम, रो. डलहॉर्र्ज, फीर्नसस रुर्िकोला, ओरोर्जाइलम इर्न्डकम, िानसे स स्यडू ोर्र्जन्सेंग आहद के हलए अहधकतम एन्रापी आधाररत (मट् सएिं ) पाररहस्थहतक मॉर्हलंग तकनीक का उपयोग करके हसहटकम हिमालयी क्षते ्र में संभाहवत उपयकु ्त हनवास-स्थान का आकं लन हकया गयाय इस तकनीक के वारारा भहवष्ट्य मंे जलवायु पररवतना पररदृश्य मंे हसहटकम हिमालय के हनवासों में िोने वाले नकु सान हवर्लेर्ण हकया गया इसी प्रकार के हलए भी संभाहवत उपयकु ्त आवास का अध्ययन हकया गयाय इसी तरि पाररहस्थहतक मॉर्हलंग तकनीक से हलए गए अध्ययन से कं िनजगं ा बायोस्फीयर ररजवा में हिहन्ित हकए गए प्राकृ हतक आवास मंे फीहनटस रुहपकोला के 500 से अहधक पौधों लगाए गएय हवहभन्न और्धीय पौधों जस् े, हरे ाके र्लयम कैं र्डकै न्स, एरं ्जरे्लका नलौका, एकोर्नटम हटे ्रोर्फलम, ए. फे रॉसस, स्वर्सिया र्िरैयता, फीर्नसस रुर्िकोला, रुर्िया कॉर्डिफोर्लया, सवारेकस लैमले ोसा, सवा. ििीफाइला, िांडेनस नपे ्लरे ्सर्सस, िा.ं िरे रओलस आहद प्रजाहतयों के बिे तर अकं ु रण के हलए प्रवधान तकनीक त्यार की ग िय् इसी क्रम मंे बरु ांश और और्धीय पादपों की हवहभन्न प्रजाहतयों जस् े, रोडोडंेड्रोन मडे ोनाई, रो. डलहौर्जी, रो. कम्िेनलु ेटम, रो. लेप्टोकारिम, रो. र्िर्फर्िअनम, स्वर्सिया र्िरैयता और बांस की प्रजाहतयों के प्रवधान िते ु हिस्य-ू कल्िर प्रोिोकॉल हवकहसत हवकहसत हकये गयेय 14 | P a g e

क्षते ्रीय कंे द्र वारारा हकए गए रोडोडंेड्रोन कम्िेनलु ेटम, रो. लेप्टोकारिम, रो. र्िर्फर्िअनम आहद के हिस्य-ू कल्िर तकनीक वारारा तय् ार 500 से अहधक पौधों का सम्बहं धत हवभागों/ससं ्थाओं के माध्यम से उसके आवास स्वभाव व् जलवायु के अनपु प रोपण हकया गयाय इसके अहतररक्त रोडोडंेड्रोन मडे ोनाई, रो. डलहौर्जी, रो. कम्िने लु टे म, रो. लपे ्टोकारिम, रो. र्िर्फर्िअनम, माइकर्लया एससेलसा, र्जगु लंस रेर्र्जया, सवरे कस लेमेलोसा और सवरे कस ििीफाइल्म आहद के हलए काहयक प्रवधान और एयर-विे तकनीक माध्यम से पौधे हवकहसत करने की तकनीक त्यार की ग यइन पौधों को मखु ्यतः हसहटकम हस्थत दलु ाभ एवं सकं िग्रस्त पौध संरक्षण पाका , हिमालयन जलू ॉहजकल पाका बलु बलु े और गगं िोक नगर मंे लगाया गया िय् 15 | P a g e

बॉकस 2: प्रमुख उपलहधधयां • हवहभन्न अहत-संकिग्रस्त पौधों का अहधकतम एन्रापी आधाररत पाररहस्थहतक मॉर्हलगं तकनीक से संभाहवत उपयकु ्त हनवास-स्थान का आंकलन • बरु ांश और और्धीय पादपों की हवहभन्न प्रजाहतयों प्रवधना िते ु पादप ऊतक संवधान हवहध का हवकास • पादप ऊतक संवधना तकनीक से त्यार पौधों का हवहभन्न स्थानों मे रोपण • हवहभन्न और्धीय पौधों हक प्रजाहतयों के बिे तर अकं ु रण के हलए प्रवधना तकनीक • पागँा थांग आबोरेिम मे कािीय पादपों की 50 से अहधक प्रजाहतयों का सरं क्षण • आबोरेिम मंे आहका र्-पथ, रोर्ोर्ेंड्रोन-पथ और र्फना पथ का हवकास • िबाल गार्ान मंे 30 से अहधक मलू ्यवान और्धीय पौधों की प्रजाहतयों का सरं क्षण मित्वपणू ा मूलयांकन, पादप प्रजाहतयों के संरक्षण िेतु सचं ाहलत मुख्य पररयोजनाए:ं 1. हसहटकम हिमालय के जंगली खाद्य पौधों की न्यरू ास्यहू िकल क्षमता और ज्व-प्रौद्योहगकीय िस्तक्षपे ों के माध्यम से सरं क्षण 2. ज्व-प्रौद्योहगकी के माध्यम से हवलपु ्तप्रायः और सकं रग्रस्त पौधों की संरक्षण हस्थहत मंे सधु ार 3. ज्व-प्रौद्योहगकी और पादप-कायाकी का उपयोग से हिमालयी जव् -हवहवधता के संरक्षण और सतत् उपयोग को बढावा दने ा 4. हिमालय से एटस्रीमोफाइल: पाररहस्थहतक लिीलापन और ज्व-प्रौद्योहगकी सबं ंधी अनपु ्रयोग 5. हिमालय मंे दीर्का ाहलक प्रबधं न और ज्व-हवहवधता के उपयोग के हलए ञानान के आधार पर प्रहतहक्रया मलू ्यांकन और प्रससं ्करण 6. उच्ि मलू ्य वाले पौधों की प्रजाहतयों के संरक्षण और उपयोग के हलए वहिस्थाान संरक्षण का प्रसार िते ु संरक्षण हशक्षा और क्षमता हवकास को बढावा दने ा 7. हसहटकम हिमालय के कु छ दलु ाभ और लपु ्तप्राय रोर्ोर्ेंड्रोन प्रजाहत का प्रयोगशाला मंे प्रवधान और सरं क्षणय 8. भारतीय हिमालयी क्षेत्र मंे ियहनत मित्वपणू ा पादपों का प्रसार हवहध हनमााण, गणु न और मलू ्यवधना 9. हसहटकम हिमालयन के रोडोडंेड्रोन का ज्व-प्रौद्योहगकी तकनीक के माध्यम से जीनपलू संरक्षण और जन-प्रसार 16 | P a g e

एकीकृ त जलागम प्रबंधन तथा प्रकृ हतक ससं ाधनों का सरं क्षण हसहटकम हिमालयी क्षते ्र मंे प्राकृ हतक संशाधनों (जल, वन एवं कृ हर्) एवं सांस्कृ हतक संरक्षण और एकीकृ त सामाहजक हवकास की आवश्यकता को ध्यान मंे रखते िएु वर्ा 1991 मंे हसहटकम क्षते ्रीय कें द्र वारारा शोध आधाररत जलागम प्रबंधन और हवकास के हलए मामले जलागम क्षेत्र, दहक्षण हसहटकम में एक एकीकृ त जलागम प्रबधं न कायया ोजना का सिं ालन हकया गयाय इसके अतं गता बिुपक्षीय पयावा रणीय समस्याओं का हवश्लेर्ण और पिाड़ी क्षते ्रों मंे हवकास की योजना के हलए एक एकीकृ त पररयोजना के प प मंे संिाहलत हकया गयाय जलागम प्रबधं न का काया क्षेत्रीय पररप्रके्ष्य के साथ-साथ एकीकृ त तरीके से मानव समदु ाय की हनहित हनविा न सम्बन्धी आवश्यकता को ध्यान मंे रख कर संतहु लत हवकास प्राप्त करने के उद्दशे ्य से हकया गयाय जलागम प्रबधं न के दृहिकोण एवं अवधारणा पर यि जलागम बिु-हवर्यक- एकीकृ त अनसु धं ान, हवकास-प्रदशना और प्रहशक्षण के माध्यम से सीखने के हलए आदशा पाया गयाय इस प्रयोजन के हलए प्राकृ हतक संसाधनों, जस् े, मानव, भहू म, जल, जगं ल, कृ हर् और 17 | P a g e

सामाहजक-आहथाक पाररहस्थकीय सबं धं ों पर एक हवस्ततृ सिू ी प्रलेखन, प्राथहमकता और उनके उपयोग और हवहभन्न उपयकु ्त प्रबधं न हवकल्पो की खोज की ग (बॉकस 3)य एकीकृ त जलागम प्रबधं न शोध एवं हवकास पररयोजना के अतं गता जलहवभाजक प्रबधं न, वन के प्रकार, विास्व वाली प्रजाहत, जव् -भार मलू ्यांकन, खरपतवार आकलन, वन पनु जना न मलू ्याकं न, मौसमी आकँा णों का मलू ्याकं न एवं सगं ्रिण, नाइरोजन लीहिगं मलू ्याकं न, कृ हर् और कृ हर् फसल मलू ्याकं न, हमट्टी परीक्षण, वन संशाधन के साथ-साथ साथ अन्य गहतहवहधयााँ जस् े हसहटकम मंे फामा आधाररत सुगम तकनीक पर पिाड़ी खते ी और ग्रामीण महिलाओं की क्षमता हवकास के माध्यम से हकसानों को पोलीिाउस, पोहलिनल, उजाा व् इधं न के माध्यम, जल संरक्षण व् उसका उहित उपयोग, इलाइिी सखु ाने की भठी मंे कम इधं न का प्रयोग एवं उत सम साग-सब्जी के बीज के माध्यम से अहधक से अहधक उत्पादन करने की अनेक हवहधयों के ऊपर रेहनगं प्रदान करते िएु लगभग 65 ग्रामीणों पररवारों को लाभ पिुिाँ ाया गयाय मामले जलागम क्षेत्र में भारतीय हिमालयी कृ हर्-पाररहस्थहतकी तंत्र में परागण की भहू मका और पाररहस्थहतकीय सवे ाओं के वन पाररहस्थहतकी तंत्र का आकं लन और अध्ययन हकया गया साथ िी सरं क्षण की हदशा में कृ र्कों का ञानानवधान हकया गया और 35 पररवार प्रहशहक्षत हकए गएय यि हवहध पवता ीय क्षेत्रों के कृ हर् एवं वन सरं क्षण हवकास के हलए एक आदशा मााँर्ल के प प मंे प्रस्ततु की ग , हजसको राज्य स्तर पर बितु सरािना की गयीय 18 | P a g e

बॉकस 3: मुख्य उपलहधधयाँा • जलागम प्रबधं न के हलए वर्ा 1991 मंे मामले जलागम क्षते ्र मंे एकीकृ त जलगम प्रबंधन कायया ोजना का सिं ालन • बि-ु हवर्यक-एकीकृ त अनसु धं ान, हवकास-प्रदशान और प्रहशक्षण के माध्यम से अध्ययन • जलहवभाजक प्रबधं न, वन के प्रकार, विसा ्व वाली प्रजाहत, ज्व-भार, खरपतवार, वन पनु जानन, मौसमी आाँकणों का संग्रिण, नाइरोजन लीहिग , कृ हर्, मदृ ा-परीक्षण और कृ हर् फसल मलू ्याकं न • मामले जलागम क्षते ्र के 65 ग्रामीणों पररवार िते ु इलाइिी सखु ाने के हलए कम धं नयकु ्त भट्टी का हनमाणा • ग्रामीण महिलाओं का पोलीिाउस, पोहलिनल, उजाा व् इधं न के माध्यम, जल संरक्षण व् उसका उहित उपयोग िते ु क्षमता हवकास एकीकृ त जलागम प्रबंधन हवषय पर संचाहलत मुख्य पररयोजनाए:ं 1. कं िनजंगा लंरै ्स्के प संरक्षण और हवकास पिल (भारत) - भारत: प्रारंहभक िरण 2. ग्रामीण तकनीकी पररसर के माध्यम से प्राकृ हतक संसाधनों के उपयोग और प्रबधं न के हलए पवता ीय समदु ायों की क्षमता हनमााण 3. भारतीय हिमालयी कृ हर्-पाररहस्थहतकी तंत्र मंे वन पाररहस्थहतकी तंत्र सेवाओं हवशरे ्कर परागणो का आकं लन 4. मध्य ऊं िा के हलए पानी की हस्थरता िते ु मॉर्ल हिमालयन वािरशेर् में सामहू िक भहू म उपयोग मंे िाइड्रोलॉहजकल प्रहतहक्रयाओं का अनकु ू लन 5. हसहटकम हिमालय के ज्हवक संसाधनों का मलू ्यांकन, भहू म उपयोग और आवास मानहित्रण, और जलक्षेत्र मंे खतरे वाले तत्वों की पििान और सरं क्षण 6. कृ हर् क्षमता पररयोजना: प्रौद्योहगकी हमशन 2020 7. हसहटकम में कृ हर् भहू म आधाररत साधारण तकनीकों से पवातीय हकसानों और ग्रामीण महिलाओं की प्रदशान और क्षमता हवकास 8. एकीकृ त जलागम प्रबंधन 9. राज्य में बदलते जलवायु पररवतना मे पाररहस्थहतकी तंत्र की सेवाएं 19 | P a g e

भ-ू हवज्ञान, आपदा प्रबंधन तथा जल ससं ाधनों का सरं क्षण पयावा रण संरक्षण एव सतत् हवकास के उहित प्रबधं न के हलए भहू म-सरं क्षण और आपदा-प्रबधं न एक मित्वपणू ा भहू मका हनविा न करता िय् इस हदशा में संस्थान वारारा अनके ों पररयोजनयों के माध्यम से हवगत 30 वर्ों से शोध एव प्रबंधन काया हकये गए ियैं सवपा ्रथम, मामले जलागम के अतं गता कामरागं पिं ायत में लगभग 485 मीिर लम्बे भहू म-किाव की रोकथाम िते ु हवहभन्न प्रकार के प्रकृ हतक जह् वक और तकनीकी साधनों के प्रयोग से भ-ू स्खलन को रोकने में सफलता पा ग य भहू म किाव को रोकने के हलए जिू -नेि प्रबंधन के अतं गता लगभग 570 पादपों के रोपण हकया गया एवं 12 पत्थर-बाधं बनाये गये व् इसके माध्यम से 7 पररवारों के मकानों का संरक्षण हकया गया (बॉकस 4)य ससं ्थान वारारा दाहजहा लगं तथा हसहटकम में भ-ू आकृ हत की ज्याहमहत और काइनेमिे ीटस को समझने के हलए जी.पी.एस. स्िेशनों का नेिवका स्थाहपत हकया गयाय दाहजहा लंग-हसहटकम मंे 20 | P a g e

भारतीय और हतब्बती भ-ू प्लिे ों के िकराव की दर का मात्रात्मक प प से अध्ययन हकया गयाय क्षेत्र के सवेक्षण के आधार पर हसहटकम मंे भसू ्खलन सिू ी और भसू ्खलन संवदे नशील क्षेत्रों का मानहित्र त्यार हकया गयाय प्रत्येक भसू ्खलन का हववरण, कारक, प्रकार, िट्टानों का प्रकार, गठन और इससे िोने वाले नकु सान का आकं लन हकया गयाय ग्लोबल पोहजशहनंग हसस्िम (जी.पी.एस.) वारारा प्रमखु भसू ्खलन क्षेत्रों (जस् े, बोजके भसू ्खलन और बाटथागं भसू ्खलन) की हनगरानी की ग य बोजके स्लाइर् मंे मदृ ा सरं क्षण में सिायक प्रजाहत के वकृ ्षों का रोपण कर एक सफल जव् -सरु क्षा मारँा ्ल स्थाहपत हकया गयाय भ-ू स्खलन रोकने िते ु पादप प्रजाहतयों जस् े उतीस, गोपीबांस, अमहलसो, हसररस, पाइय,ंू नारकु ि, कदम्ब और काफल का पौध-रोपण हकया गयाय हसहटकम मंे तीस्ता र्ािी में ग्लहे शयरों की सिू ी त्यार की ग और उनके क्षते ्रफल मंे िो रिे बदलावों का आकं लन हकया गयाय शोध के माध्यम से तीस्ता र्ािी में 57 र्ािी ग्लहे शयरों के क्षेत्रफल मंे कमी का अनमु ान लगाया गयाय ररमोि सहें सगं र्ेिा (भारतीय ररमोि सेहं सगं उपग्रि) और जीआ एस हवश्लेर्ण से हनष्ट्कर्ा हनकला गया हक र्ािी के 1990, 1997 और 2004 मंे ग्लहे शयरों की संख्या समान ि् लहे कन उनका क्षते ्रफल पिले से काफी कम िोता जा रिा िय् सन 1997 से 2004 की अवहध के दौरान तीस्ता र्ािी के ग्लहे शयरों के कु ल क्षेत्रफल मंे 2.77% की कमी दजा की ग य इसी क्रम मंे तीस्ता र्ािी मंे 57 र्ािी ग्लेहशयरों को दशााने वाला ग्लेहशयर इरं ्ेटस मप् भी त्यार हकया गयाय 21 | P a g e

हसहटकम क्षेत्र हवहवध जलवायु के कारण बिुत सी आपदाओंके प्रहत अत्यहधक सवं दे नशील िय् हजनमें भकू ं प, भसू ्खलन और बाढ आहद प्रमखु ियैं हसहटकम क्षेत्रीय कंे द्र ने पवू ोत सर भारत के गगं िोक और हशलांग शिरों मंे इन आपदाओं के सम्वदे नशीलता के हलए अध्यन हकया तथा आपदा के संदभा में संवदे नशील क्षेत्रों और संपहत सयों को हिहन्ित हकया गया| अध्ययन मंे यि पाया गया हक गगं िोक और हशलागं शिरों में भकू ं प, जलवायु पररवतान, तापमान बहृ द्ध, बनाहग्न आहद प्रमखु प्राकृ हतक खतरे िैं हजनके हलए नीहत हनधारा ण और योजनाएं बनाने की आवश्यकता पर जोर हदया गया | हसहटकम हिमालय म,ंे झरने पानी के प्रमखु स्रोतों में से एक ियंै वर्ाा के क्रम में बदलाव आने से इस क्षेत्र के आधे झरनों में पानी की उपलब्धता मंे हगरावि आ िय् पहिम हसहटकम हजले के 10 ब्लॉकों में मौजदू कु ल 990 झरनों का हवस्ततृ अध्ययन हकया गया और उनकी हवशरे ्ताओं और भौहतक गणु ों का संकलन हकया गयाय बॉकस 4 मुख्य उपलहधधयाँा  तीस्ता र्ािी में ग्लेहशयरों की सिू ी और इनके क्षते ्रफल मंे कमी का आकं लन  तीस्ता र्ािी मंे ग्लहे शयरों को दशााने वाला ग्लेहशयर इरं ्ेटस मप्  कामरांग पिं ायत मंे भ-ू किाव की रोकथाम िते ु ज्हवक ससं ाधनों का उपयोग व् तकनीकी साधनों का सफलतम प्रयोग  दाहजाहलंग-हसहटकम मंे भारतीय और हतब्बती भ-ू प्लेिों के िकराव का अध्ययन के हलए भसू ्खलन संवदे नशील क्षेत्रीय मानहित्र  दाहजाहलंग तथा हसहटकम में भ-ू आकृ हत की ज्याहमहत और क् नमे हे िटस को समग़ने के हलए जी.पी.एस. स्िेशनों का निे वका स्थाहपत  बोजेक स्लाइर् मंे मदृ ा सरं क्षण मंे सिायक प्रजाहत के वकृ ्षों का रोपण कर एक सफल ज्व- सरु क्षा मााँर्ल की स्थापना  पहिम हसहटकम हजले के 10 ब्लॉकों में मौजदू कु ल 990 प्राकृ हतक िोतों का हवस्ततृ अध्ययन  पवू ोत सर भारत के गगं िोक और हशलांग शिरों में इन आपदाओं के सम्वेदनशीलता के हलए भू-हवज्ञानअ, धआ्यनपदा प्रबधं न, तथा जल ससं ाधनों के सरं क्षण हवषय पर सचं ाहलत 22 | P a g e

मुख्य पररयोजनाए:ं 1. ररमोि संेहसगं और जी.आ .एस. तकनीक का उपयोग करके भसू ्खलन के हलए प्रारंहभक िेतावनी मॉर्ल का हवकास: हसहटकम की हस्थहत-अध्ययन 2. मध्य ऊं िा के हलए पानी की हस्थरता िते ु मॉर्ल हिमालयन वािरशेर् में सामहू िक भहू म उपयोग में िाइड्रोलॉहजकल प्रहतहक्रयाओं का अनकु ू लन 3. हसहटकम में इजं ीहनयररंग और बायो-इजं ीहनयररंग उपायों के माध्यम से भसू ्खलन का हस्थरीकरण 4. हसहटकम राज्य-आपदा प्रबंधन संकाय 5. प्राकृ हतक आपदा जोहखम मंे कमी के हलए आपदा काया योजना हवकहसत करना 6. हिमालयी जल अभयारण्य कायाक्रम 23 | P a g e

कृ हष-वाहनकी मॉडल हवकास हसहटकम एक पवातीय राज्य ि् हजसमें हवहवध पाररहस्थहतकीय तंत्रों का अनठू ा समावशे ि|् राज्य में उगा जाने वाली मखु ्य फसलें मटका, िावल, बाजरा, इलायिी, अदरख, दाल,ें हतलिन और सहब्जयााँ ियैं पिाड़ी क्षते ्र में अहधकाशं तः फसलों का उत्पादन ढलान-भहू म पर हकया जाता ि|् अतः भहू म और जल संसाधनों का ह्रास एक गभं ीर समस्या ि|् भहू म की उवरा ा को बनाये रखने के हलए तथा कम लागत और अहधक लाभ के हलए बड़ी इलायिी, सतं रा, नारंगी के बागवान व् क प्रकार के प्रजाहतयों में मटका, दाल,ंे फहलयाँा, अदरक, अनाज, बाजरा, दाल,ें हतलिन, तोरी आहद फसलों पर हमहित कृ हर् प्रबंधन सम्महलत िय् वतामान समय में कृ र्क कृ हर् प्रणाली में पारंपररक फसलों को बदलते जा रिे ियैं पानी की कमी के कारण मटका, गिे ,ं बाजरा, फाफर, जौ, आलू और िरी सहब्जयों की जगि बागवानी पर हवशरे ् ध्यान दे रिे ि|ैं हसहटकम भारत का पिला राज्य ि् हजसने वर्ा 2003 में जह् वक खते ी को अपनाने और परू े राज्य को जह् वक खते ी में में पररवहतता करने के हलए कदम उठाए थेय हवहभन्न फसलों के हलए जह् वक उवरा कों का उपयोग करके जह् वक खते ी कृ हर् प्रणाली को मजबतू ी प्रदान हकया जा रिा िय् 24 | P a g e

हसहटकम क्षेत्रीय कें द्र वारारा कृ हर्-वाहनकी मॉर्ल पर आधाररत गहतहवहधयााँ दहक्षण और पवू ी हजले के छामगांव, ङम्बरू ्ारा, जौबारी, गर् ीगावं , असम हलगं्जये और हलंग्दोक पंिायत में हवकहसत की ग य ये स्थान उपोष्ट्णकहिबधं ीय और समशीतोष्ट्ण क्षेत्रों के अतं गता आते ियैं इस कृ हर्-वाहनकी मार्ल के अतं गता धं न, लकड़ी, िारा और फलों की प्रजाहतयों के रोपण और हवहभन्न तकनीकी जस् े वर्ाा जल सिं यन िंैक, रेस हवकास की तकनीक, पोली-िाउस, जव् - खाद त्यार करने और नसरा ी को हवकहसत हकया गयाय इस हवहध के माध्यम से बजं र भहू म को उपजाऊ बनाना, उपजाऊ भहू म के क्षरण को रोकने के हलए नकदी प्रदान करने वाले र्ास (अमहलशो) का रोपण, खाद व् वर्ाा-जलप्रबधं न काया हकए गए और कु ल 48 पररवारों की बजं र भहू म को संरहक्षत हकया हकया गया (बॉकस 5)य स्थानीय हकसान की प्राथहमकताओं के आधार पर, प्रौद्योहगकी प्के ज के प प में हवहभन्न िस्तक्षेप ज्से हक पारंपररक फसलों की गिनता, िारे के र्िकों को मजबतू करना, जव् -खाद, अकं ु रण और दलु भा और सभं ाहवत जगं ली खाद्य प्रजाहतयों की वहृ द्ध, कु छ उच्ि मलू ्य की नकदी फसलों के पररियात्मक परीक्षण एवं संसाधन प्रबंधन हकया गयाय कृ हर्-वाहनकी मॉर्ल हवकास से कु ल 230 पररवारों को लाभाहन्वत हकया गया और अप्रत्यक्ष प प से सयं तं ्र सामहग्रयों और कृ हर् आधाररत प्रौद्योहगहकयों से मजबतू हकया गयाय खते ों के बांधों के रखरखाव के हलए िारा, धं न और लकड़ी के हलए 9 पादप प्रजाहतयों के लगभग 1,30,000 से अहधक पौधे स्थानीय हकसानों को हवतररत हकए गये ियंै इलायिी की फसल का हवस्तार के हलए रोग प्रहतरोधी इलायिी के पौधे हजनकी प्रमखु िार प्रजाहतयााँ (भरलंगे, रामसे, सावनी और सरे ेमना) के बीज हवतररत हकये गयये साथ िी वञ् ानाहनक पक्ष को बल दने े के हलए हमट्टी के तापमान और वर्ाा के आकं ड़ों के आधार पर बायो-हफहजकल हवशेर्ताओं की हनगरानी की गयी और आकड़ों को ररकॉर्ा हकया गयाय 25 | P a g e

मामले जलागम क्षते ्र के अन्तगता 6.4 एकड़ कृ हर् भहू म को सीधे और 35 एकड़ भहू म को अप्रत्यक्ष प प से स्थानीय हकसानों की पिल से हवकहसत हकया गया िय् कृ हर्-वाहनकी आधाररत तकनीक एवं कृ हर् का सरं क्षण, जव् -हवहवधता को बनाए रखने, वन्यजीवों को सिायता प्रदान करने एवं आत्महनभरा प्रणाली मानी जाती ि् तथा उत्पादन और ससं ाधन, पाररहस्थहतकी और कृ हर्-पयिा न जस् े रोजगार के अवसर प्रदान करती िय् पारंपररक कृ हर् प्रणाली पाररहस्थहतक और पयाावरणीय हस्थरता के अलावा मानव कल्याण को सरु हक्षत करने में मित्वपूणा भहू मका हनभाती िय् पिाड़ी क्षते ्रों के हकसान पारंपररक प्रौद्योहगहकयों को अस्थायी और स्थाहनक पम् ानों पर बदलती पररहस्थहतयों में अनकु ू ल बनाने के हलए संस्थान के प्रयासों का अभी भी अनकु रण कर रिे ियंै बॉकस 5: मुख्य उपलहधधयाँा • अमहलशो र्ास का रोपण करके 48 पररवारों के बजं र भहू म का संरक्षण • उच्ि मलू ्य की नकदी फसलों के पररियात्मक परीक्षण एवं संसाधन प्रबधं न • िारा, धं न और लकड़ी के हलए 9 पादप प्रजाहतयों के लगभग 1,30,000 से अहधक पौधे का हवतरण • हमट्टी के तापमान और वर्ाा के आंकड़ों के आधार पर बायोहफहजकल हवशेर्ताओं की हनगरानी और आकड़ों का संियन • 6.4 एकड़ कृ हर् भहू म को सीधे और 35 एकड़ भहू म को अप्रत्यक्ष प प से स्थानीय हकसानों की पिल से कृ हर् वाहनकी के प प मंे हवकास 26 | P a g e

कृ हष वाहनकी हवषय पर सचं ाहलत मुख्य पररयोजनाए:ं 1. कं िनजंगा लंरै ्स्के प सरं क्षण और हवकास पिल (भारत) - भारत: प्रारंहभक िरण 2. हसहटकम हिमालय के जंगली खाद्य पौधों की न्यरू ास्यहू िकल क्षमता और ज्व-प्रौद्योहगकीय िस्तक्षेपों के माध्यम से संरक्षण 3. भारतीय हिमालयी क्षते ्र मंे सतत् हवकास के हलए पारंपररक ञानान प्रणाली के अहभसरण पर नेिवका कायका ्रम 4. भारतीय हिमालयी कृ हर्-पाररहस्थहतकी ततं ्र मंे परागण पर हवशरे ् जोर दने े के साथ वन पाररहस्थहतकी तंत्र सेवाओं का आकलन और मात्रा का ठिराव 5. भारतीय हिमालयी कृ हर्-पाररहस्थहतकी ततं ्र में वन पाररहस्थहतकी ततं ्र सवे ाओं हवशेर्कर परागणो का आकं लन 6. कृ हर् क्षमता पररयोजना: प्रौद्योहगकी हमशन 2020 7. हसहटकम मंे कृ हर् भहू म आधाररत साधारण तकनीकों से पवातीय हकसानों और ग्रामीण महिलाओं की प्रदशान और क्षमता हवकास 8. हसहटकम के कृ हर् वाहनकी तंत्र में हमट्टी की उवरा ता, उत्पादकता और रखरखाव 9. एकीकृ त जलागम प्रबधं न 10. सतत् हवकास के िते ु पारंपररक ञानान प्रणाली का दस्तावजे ीकरण और मलू ्यांकन 27 | P a g e

पयाावरणीय पयाटन एवं सामाहजक आहथाक हवकास पयावा रणीय पयिा न अथवा इको-पयिा न उद्योग आज हवश्व के सबसे तजे ी से बढते उपक्रमों मंे से एक िय् इको-पयािन से स्थानीय जन समदु ाय की आजीहवका को बढाया जा सकता िय् हिमालय के पवता ीय राज्यों के सीहमत साधन मंे पयाावरणीय पयिा न एक बड़ी आहथका और सामाहजक हवकास की सभं ावनाओं के प प में उभर रिा िय् क्षेत्रीय हवकास के हलए इसके मित्व को दखे ते िुए, इसका समग्र मलू ्यांकन बिुत जप री िय् इन बातों को ध्यान मंे रख कर संस्थान वारारा पाररहस्थहतकीय आकं लन एवं सतत् प्रबंधन के हलए पयािन का मलू ्याकं न हकया गयाय ससं ्थान वारारा हसहटकम मंे इको-पयािन के प्रमखु क्षते ्रों हवशरे ् प प से टयोनगस्ला, पगंै ोलखा, छान्गू झील, नाथ-ू ला मेमोनिो झील, एहलफें ि झील, कु पपु -जलु कु इत्याहद क्षेत्रों की इको-पयािन क्षमता अध्ययन हकया गया िय् संस्थान वारारा पयिा न अध्ययन और स्थायी प्रबधं न के मलू ्याकं न में यि पाया गया हक हसहटकम राज्य प्राकृ हतक संसाधन, समदृ ्ध ज्व-हवहवधता, समदृ ्ध संस्कृ हत और 28 | P a g e

परंपरा, शांहतपणू ा सामाहजक वातावरण के कारण पयािन क्षते ्र मंे अच्छी प्रगहत कर रिा िय् यि क्षेत्र दहु नया के सबसे सदंु र नहदयों, झीलों और झरनों, वनस्पहत और जीवों का आवास िय् हसहटकम क्षते ्रीय कंे द्र वारारा दहक्षण हजले के वतामान पयिा न स्थलों का हवस्ततृ अध्ययन हकया गया और ियहनत पयिा न स्थलों पर पयािकों के आगमन की गणना की गयी (बॉकस 6)य संस्थान वारारा फामबंग्लोि वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र को पयिा न आका र्ण एवं इको-पयिा न स्थल हवकहशत करने मंे सियोग हकया गया, जो एक पक्षी अभयारण्य ि् और छोिे रेक और प्राकृ हतक-शह् क्षक पयािन के हलए उपयोग हकया जाता िय् यिाँा वन, हसहटकम सरकार के पयाावरण एवं वन्य जीव प्रबंधन हवभाग वारारा पयिा न को आकहर्ता करने के हलए वाहर्का मले ा का आयोजन भी हकया गयाय हसहटकम राज्य के वाहणहज्यक उपक्रमों को हवकहसत करने मंे इको-पयिा न का व्यापक योगदान िय् अध्ययन से दखे ा गया हक पयािन क्षते ्र से आय अहजता करने के मामले में हवहभन्न ऋतओु ं में व्यापक अतं र िय् वर्ा के पिले सीज़न में, जो मािा से जनू तक िोता ि,् इस समय क्षते ्रीय हनवासी अच्छी आय अहजता करते ियंै सीज़न-I (मािा-जनू ) में यि आय 45.56% िोती ि,् जबहक सीजन-II (अटिूबर -हदसम्बर) मंे यि आय 24.22% िोती ि् और वर्ा के बिे िएु मिीने मंे यि आय करीब 30.21% िोती िय् कं िनजगं ा भ-ू क्षेत्र मंे पयािन हवकहसत करने के हलए सतत् सामदु ाहयक आधाररत पयिा न को बढावा दने े एवं प्रकृ हत संरक्षण के साथ-साथ आजीहवका को जोड़ने के हलए एक गिन अध्ययन हकया गयाय इसमें तीन ियहनत स्थलों में पयािन गहतहवहधयों की पििान कर स्थानीय लोगों की 29 | P a g e

आजीहवका के संवधना के हलए पररयोजना सिं ाहलत की ग िय् प्रत्येक ियहनत स्थान मंे स्थानीय इकोिूररज्म सहमहतयों का गठन एवं सदु ृढीकरण हकया गया और स्थानीय लोगों के सामाहजक-आहथका स्तर में योगदान करने के माध्यम से पयिा न उत्थान और सरं क्षण पर बल हदया गयाय हलगं्दमे (हलंग्थम-हलगं्र्ेम जीपीय)ू , जोंगू क्षेत्र के अन्तगता एक योजना बना ग हजसम,ें पशधु न और बागवानी, िस्तहशल्प उत्पादों और जल ससं ाधनों का प्रबंधन कर स्थायी पयिा न को बढावा हदया गया िय् इस प्रकार, इस योजना के माध्यम से पयाावरणीय पयािन को बढावा दने े के हलए समदु ाय आधाररत पयिा न (सीबीिी) को बढावा दने े के हलए लपे ्िा ससं ्कृ हत पर ध्यान कंे हद्रत करना, पयिा न स्थल (सोंगहबगं ) और अन्य आस-पास के स्थानों को बढावा दने ा, ससं ्कृ हत और परंपरा को जोड़ते िुए पयिा न को बढाना एवं ञानान का आदान-प्रदान करने के हलए मिं प्रदान हकया गयाय सोंगहबगं िूररज्म र्ेवलपमिंे एंर् मन् जे मिंे कमिे ी और लाम आल् शीज़मु (एम.एल.ए.एस.) ज़ोंग,ू एवं हलगं्र्म (जोंग)ू , उत सर हसहटकम में \"हलंग्देम िॉि्हस्प्रंग निे र एरं ् कल्िर िूररज्म फे हस्िवल\" का आयोजन हकया गयाय पयािन प्रसार कायायोजना के अन्तगता स्थानीय और पारंपररक उत्पादों और कलाओं को प्रदहशता करने के हलए पारंपररक वद् ्यों को प्रोत्साहित हकयाय स्थानीय यवु ाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के हलए बर्ा वाहिगं , िोमस्िे मन् ेजमंेि मंे प्रहशहक्षत करना, किरा प्रबधं न, क् म्प प्रबंधन और प्रकृ हत संरक्षण के प्रहत स्थानीय यवु ाओं की जागप कता और सवं दे नशीलता एवं इको-िूररज्म एरं ् सस्िेनबे ल िूररज्म के तित कायका ्रम के कायाना ्वयन की हनगरानी के हलए \"ररबदी भरेंग इको-िूररज्म कमिे ी\" का गठन काया हकया गया िय् ससं ्थान वारारा इको-पयािन को बढावा दने े और स्थानीय समदु ाय के सामाहजक और आहथका हवकास को सहु नहित करने के हलए अनके कायका मों और गहतहवहधयों का हक्रयान्वयन हकयाय 30 | P a g e

बॉकस-6: मुख्य उपलहधधयाँा • संस्थान वारारा क्षेत्र हक पाररहस्थहतकीय आंकलन एवं सतत् प्रबधं न के हलए पयािन का मलू ्याकं न • हवहभन्न पयिा क क्षेत्रों की इको-पयिा न क्षमता का अध्ययन • 14 िोमसे ्िे, 4 इको-पयिा न प्रहशक्षण कायका ्रम, 3 सांस्कृ हतक मेल,े 6 आजीहवका सबं धना के कायका ्रमों का आयोजन • इको-िूररज्म एंर् सस्िेनबे ल िूररज्म कायाक्रम के हलए \"ररबदी भरंेग इको-िूररज्म कमेिी\" का गठन • स्थानीय यवु ाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के हलए बर्ा वाहिंग, िोमस्िे मन् जे मेिं मंे प्रहशक्षण कायका ्रमों का आयोजन • किरा प्रबंधन, क् म्प प्रबंधन और प्रकृ हत सरं क्षण हवर्यों पर आजीहवका सबं धना िते ु प्रहशक्षण कायका ्रमों का आयोजन • समदु ाय आधाररत पयिा न (सीबीिी) को बढावा दने े के हलए लेप्िा संस्कृ हत को बढावा दने े के कायाक्रम का आयोजन पयाावरणीय पयाटन और सामाहजक आहथाक हवकास से सम्बहन्धत मुख्य पररयोजनाए:ं 1. कं िनजंगा लैरं ्स्के प सरं क्षण और हवकास पिल (भारत) - भारत: प्रारंहभक िरण 2. सामदु ाहयक आधाररत पयािन को बढावा दने ा 3. भारतीय हिमालयी क्षेत्र में सतत् हवकास के हलए पारंपररक ञानान प्रणाली के अहभसरण पर नेिवका कायाक्रम 4. हसहटकम मंे रासं बाउंड्री भ-ू क्षेत्र मंे ज्व-हवहवधता सरं क्षण 5. भारतीय हिमालयी क्षते ्र हवकास मंे संभाहवत और सतत् आजीहवका के प प मंे पयावा रण- पयािन 31 | P a g e

नीहत हनधाारण, शोध-हवस्तार, प्रचार-प्रसार और क्षमता-हवकास कायाक्रम (क) राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरीय नीहत हनधाारण में सियोग और दस्तावेजों का हनमााण 1. हसहटकम बायोर्ाइवहसिा ी एटसन प्लान – 2012 2. कं िनजंगा बायोस्फे यर ररजवा के यनू ेस्को (म्ब निे ) में नामाकं न िते ु दस्तावजे 3. हसहटकम राज्य की जल नीहत हनधारा ण में सियोग 4. राज्य स्तरीय आपदा प्रबधं न योजना में सियोग 5. कं िनजगं ा बायोस्फे यर ररजवा के यनू से ्को (म्ब नेि) में नामांकन िते ु दस्तावेज 6. कं िनजंगा लंरे ् स्के प कन्जवसे न एंर् र्ेवलपमिंे इहनहशएिीव के हलए हफहजहबहलिी एसेसमेंि ररपोिा 7. कं िनजंगा लंरे ् स्के प में मानव और वन्य-जीवों सरं ्र्ा को कम करने के हलए रोर्म्प 8. कं िनजगं ा लेंर् स्के प के हलए कन्जवसे न एरं ् र्ेवलपमिें की नीहत हनधारा ण (ख) प्राकृ हतक संसाधनों, जीन बैंक, प्रहशक्षण कें द्र की स्थापना 1. आबोरेिम जीन बंकै -स्थापना और कायाात्मक, नसरा ी और िबाल गार्ान की स्थापना 2. पांगथागं में ग्रामीण तकनीकी पररसर/कें द्र की स्थापना 3. और्धीय पौधे और अन्य उपयोगी पौधों और उनके गणु न के प्रसार पक् े ज बनाना 4. ग्रामीण प्रौध्योहगकी कंे द्र वारारा कम लागत वाली हवहभन्न ग्रामीण आजीहवका संबधान की तकनीक का हवकास और उन पर ग्रामीणों को समय-समय पर प्रहशक्षण और प्रदशना काया 5. बिुउपयोगी नसारी हवकास और सामदु ाहयक जागप कता कायका ्रम 6. पवू ी हिमालयी वन सम्पदा एवं पादप जव् -हवहवधता अनिु वण कें द्र की स्थापना 7. आहका र् सरं क्षण और प्रदशान कें द्र की स्थापना 32 | P a g e

(ग) प्रमुख प्रहशक्षण कायाक्रम 1. हसहटकम राज्य के सभी िार हजलों (दहक्षण, पहिम, उत सर, पवू ी) के हजला स्तरीय अहधकाररयों के हलए आपदा प्रबधं न पर प्रहशक्षण कायका ्रम 2. हसहटकम हिमालयी क्षते ्र में जनसमदु ाय की भागीदारी से ज्व-हवहवधता संरक्षण 3. राज्य स्तर पर ग्रामीण प्रौद्योहगकी प्रदशना , प्रहशक्षण, आजीहवका हवकल्प आधाररत कौशल का हवकास कायाक्रम 4. पिाड़ी क्षेत्र को भकू ं प आपदा से सरु हक्षत करने के हलए प्रहशक्षण कायका ्रम 5. वाहणहज्यक बांस हशल्प पर प्रहशक्षण स्थानीय लोगों की आजीहवका और कौशल हवकास 6. िोम-स्िे संिालन और प्रबंधन से सम्बहं धत क्षमता हवकास प्रहशक्षण कायाक्रम 7. पयाावरण पयिा न, इको-रेल्स आजीहवका सबं धना प्रहशक्षण कायका ्रम 33 | P a g e

(घ) प्रचार-प्रसार / आउटरीच के कायाक्रम 1. पयािन को बढावा दने े के हलए स्थानीय िस्तहशल्प को प्रोत्साहित कर मलू ्यवहधता उत्पादों का प्रदशान और समदु ाय-आधाररत पयािन से जडु ़े हक्रयाकलापों का हवस्तारीकरण 2. सांगहबगं संस्कृ हत मिोत्सव ज़ोंगू के अतं गता लेप्िा ससं ्कृ हत और परंपरा को प्रदहशता करना बढावा दने ा 3. आजीहवका सधु ार के हलए वनस्पहत आंकलन और जव् -हवहवधता सरं क्षण पर िररत कौशल हवकास कायाक्रम (जी.एस.र्ी.पी.), 4. गगं िोक के वन्य-जीव पाका में रोडोडंेड्रोन मडै ेनाई के पौधों का रोपण 5. आ .सी.आर.आ . मसाला बोर्ा, तादोंग के सियोग से बड़ी इलायिी और नारंगी उत्पादन को प्रोत्सािन और प्रौद्योहगकी के माध्यम से हकसानों की आजीहवका में सधु ार कायाक्रम 6. पयाावरण जागप कता और वकृ ्षारोपण जलसगं ्रि के कायका ्रम व् प्रदशना ी 7. ल्ब/नसरा ी मंे उच्ि मलू ्य की प्रजाहतयों जस् े िांप (र्मशरे ्लया एससले सा, एम. लानरु्गनोसा), बकु (सवेरकस लमै ेलोसा) और रोर्ोर्ेंड्रोन (रोडोडेंड्रोन र्सर्लयेटम, आर. मडै ेनाई और आर. डालहॉर्र्ज) आहद के पौधों का हवकास, हवतरण और रोपण 8. राष्ट्रीय पयावा रण जागप कता अहभयान, हसहटकम मंे जगं ल की आग से बिाव (स्थानीय आजीहवका की सभं ावनाऐ)ं पर प्रिार प्रसार 9. कं िनजंगा लंरे ्-स्के प यात्रा का आयोजन और प्रकृ हत और समाज मंे िोने वाले बदलावों को समझना, सामाहजक संपका को सहु वधाजनक बनाना, यात्रा-मागा संवदे ीकरण आहद का हक्रयावयन 10. हसहटकम के अतं गता कायरा त तथा राजकीय व् राज्य सरकार के हवभागों के साथ हमलकर हकसान मले ा और प्रदशना ी में प्रहतभाग वारारा हवकहशत मार्लों का प्रदशान कर लोगों मंे पयावा रण के प्रहत जागप कता प्दा करना व् ससं ्थान के हकये गये कायों का प्रिार-प्रसार करना 34 | P a g e

(ड़) जन सिभाहगता से पयाावरण संरक्षण और जन हवकास 1. दहक्षण हसहटकम मामले जल-संभर मंे सामदु ाहयक भागीदारी के साथ उप-उष्ट्णकहिबधं ीय और समशीतोर्् स्थलों पर कृ हर्-वाहनकी मॉर्ल का हवकास 2. दहक्षण हसहटकम के 9 ब्लॉकों के अतं गात 30 गांवों को में एकीकृ त जलग्रिण प्रबधं न पररयोजना का हवस्तार 3. जलागम के उप-उष्ट्णकहिबधं ीय और समशीतोष्ट्ण स्थलों मंे प्रौद्योहगकी पक् े जों का हवस्तार, हकसानों और महिलाओं के प्रहशक्षण और क्षमता हनमााण के माध्यम से, ज्से हक पॉलीिाउस, वगा-मीिर पॉलीबरे ्, पॉलीहपि, बायोके म्पोहस्िंग, जल संग्रिण सरं िनाओ,ं उन्नत बड़ी इलायिी भट्ठी एवं इधं न के हवकल्प के हलए बायोग्लोबल्स का प्रसारण 4. प्रौद्योहगकी हमशन 2020 के अन्तगता दहक्षण और पवू ी हसहटकम हजलों में कृ हर् उत्पादन क्षमता की स्थापना एवं तकनीक प्रदशना 5. ज्व-इजं ीहनयररंग के माध्यम से मामले जल-सभं र (कामरागं गावं ) में समदु ाहयक भागीदारी के साथ भसू ्खलन-हनयतं ्रण के मॉर्ल का हवकास 6. राज्य में आपदा प्रबंधन के हलए प्रहशक्षण, हशक्षा और अनसु धं ान के माध्यम से स्तरीय क्षमता यकु ्त आपदा प्रबधं न सकं ाय का संिालन 7. गगं िोक-हसहटकम मंे दलु ाभ और खतरे वाले पौधों का सरं क्षण िते ु गंगिोक के संरक्षण पाका के हवकास मंे सियोग 8. हसहटकम हिमालय के और्धीय पौधों के सरं क्षण और संवधना मंे योगदान 9. हसहटकम हिमालयन रोर्ोर्ेंड्रोन पर जव् -प्रौद्योहगकी आधाररत तकनीक के माध्यम से संरक्षण 35 | P a g e

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अमूलय योगदान नाम और हवशेषज्ञता समयावहध वतामान पद 1. र्ॉ. एकलब्य शमाा (वञ् ानाहनक – आकृ हत हवञानान एवं 1988 से 2001 कु लिर्त, टेरी र्वश्वर्वद्यालय; सयं कु ्त शरीर रिना और सरं क्षण हवञानान) प्रिंध र्नदेशक, ICIMOD (2002- 2019) 2. र्ॉ. आर. सी. सनु ्दररयाल (व्ञानाहनक – पादप 1990 से 1997 प्रोफे सर, गढ़वाल के न्रीय पाररहस्थहतकी और ग्रामीण पाररहस्थहतकी तंत्र) र्वश्वर्वद्यालय 3. र्ॉ. एस. सी. राय (व्ञानाहनक – ग्रामीण भगू ोल और जल 1990 से 2002 प्रोफे सर, र्दल्ली र्वश्वर्वद्यालय हवञानान) 4. र्ॉ. ए. पी. कृ ष्ट्णा (वञ् ानाहनक – भ-ू तकनीकी 1993 से 2005 प्रोफे सर, र्िट्स र्िलानी इजं ीहनयररंग) 5. र्ॉ. िमे ंत कु मार बड़ोला (व्ञानाहनक – आकृ हतक शरीर 2005 से 2017 सवे हनवतृ , र्वशषे सलाहकार, रिना और सरं क्षण हवञानान) र्सर्सकम राज्य सरकार (2017-18) 6. र्ॉ. के . के . हसंि (व्ञानाहनक– पादप कायका ी और तनाव 1996 से 2016 सेवहनवतृ कायाकी) 7. र्ॉ वरुण जोशी (वञ् ानाहनक – पयाावरण भहू वञानान) 2005 से 2010 प्रोफे सर, इरं प्रस्ि र्वश्वर्वद्यालय 8. र्ॉ. एस. सी. जोशी (व्ञानाहनक – पादप तनाव कायका ी) 2012 से 2015 सेवहनवतृ 9. िी. रंजन जोशी (व्ञानाहनक – पाररहस्थहतकी अथाशास्त्र 2007 से 2012 कायारत (ससं ्थान मखु ्यालय) और संसाधन मलू ्याकं न) 10.र्ॉ. हमहथलेश हसंि (वञ् ानाहनक – पादप ऊतक सवं धान) 2013 से 2018 कायरा त (संस्थान मखु ्यालय) 11.िी. लहलत कु मार राय (तकनीकी ऑहफसर – पादप 1991 से 2015 सवे हनवतृ वगीकरण हवञानान) वतामान फै कलटी एवं कमाचारी वतामान कायरा त नाम और हवशेषज्ञता कायरा त कायरा त र्ॉ. राजशे जोशी (व्ञानाहनक - गहणतीय मॉर्हलंग) कायारत र्ॉ. दवे ेन्द्र कु मार (वञ् ानाहनक - वन पाररहस्थहतकी) कायारत कायरा त र्ॉ. संदीप रावत (वञ् ानाहनक – संरक्षण आनवु ंहशकी और ज्व-हवहवधता सरं क्षण) कायारत र्ॉ. मयकं जोशी (वञ् ानाहनक – भ-ू आकृ हत हवञानान और प्राकृ हतक खतरे) कायरा त र्ॉ. यतीन्द्र कु मार राय (तकनीकी ऑहफसर - ग्रामीण पाररहस्थहतकी ततं ्र) कायारत र्ॉ. क् लाश ग्र्ा (तकनीकी ऑहफसर – ज्व-सांहख्यकी और ज्व-हवहवधता सरं क्षण) कायरा त िी आर के दास (हलहपक) कायारत कायरा त िी जगन्नाथ ढकाल (तकनीहशयन) कायरा त िी प्रेम तमागं (तकनीहशयन) 40 | P a g e कु व्शाली रानी (हलहपक) िी मसु ाहफर राय (समिू ग) िी श्यामवीर (समिू ग)

ससं ्थान के हनदेशक प्रो. पी एस रामाकृ ष्ट्णन प्रो. ए परु ोहित डॉ. एल एम एस पालनी डॉ. मोहिन्दर पाल (01/08/1988 से 31/10/1989) (07/08/1990 से 07/08/1995) (08/08/1995 से 09/12/2001) (10/12/2001 से और 30/05/2003) (01/05/2008 से 31/05/2013) डॉ. उपेन्द्र धर डॉ. पीताम्बर प्रसाद ध्यानी इजं ी. हकरीट कु मार डॉ. रणबीर हसिं रावल (01/06/2003 से 30/04/2008) (01/06/2013 (29/09/2017 से 20/05/2018) (21/05/2018 से 23/04/2021) से 28/09/2017) और (07/05/2021 से अब तक) हसहककम क्षेत्रीय के न्द्रीय प्रमुख नाम समयावहध र्ॉ. एकलब्य शमाा 1989 से 2001 र्ॉ. ए कृ ष्ट्णा .पी . 2001 से 2005 र्ॉ. िमे ंत कु मार बड़ोला 2005 से 2009 और 2013 से 2017 र्ॉ. के हसंि .के . 2009 से 2013 र्ॉ. हमहथलेश हसंि 2017 से 2018 र्ॉ. राजशे जोशी 2018 से अब तक 41 | P a g e

हमारी रे णा..... पंिडत गोिव द ब लभ प त जी का ज म 10 िसत बर 1887 को अ मोड़ा िजले के खटंू गावँ म हआ। पंत जी एक िस वत ता सेनानी और व र भारतीय राजनेता थ।े पंत जी उ र दशे रा य के थम मु य म ी और भारत के चौथे गहृ मं ी थे। प त जी ने 1905 मे कू ली िश ा के प ात योर से ल कॉलेज इलाहाबाद से अ ययन िकया 1907 म बी.ए और 1909 म काननू क िड ी सव च अकं के साथ हािसल क । इसके उपल य म उ ह कॉलेज क ओर से “लै सडेन अवाड” िदया गया। पंत जी धोती, कु ता तथा गाधँ ी टोपी पहनकर कोट म काय करते थ।े 1928 के साइमन कमीशन के बिह कार और सन 1930 के नमक स या ह म भी उ ह ने भाग िलया तथा मई 1930 से 1940 के बीच अनेक बार जेल भी जाना पड़ा। इस कार पंत जी भारत क वतं ता के िलए आदं ोलन म एक मह वपणू ह ती थे और बाद म भारत सरकार म एक िनणायक भिू मका िनभाई। गहृ मं ी के प म अपने कायकाल के दौरान पंत को 26 जनवरी 1957 को भारत र न से स मािनत िकया गया । गहृ मं ी के प म उनका मु य योगदान भारत को भाषा के अनसु ार रा य म िवभ करना तथा िह दी को भारत क राजभाषा के प म िति त करना था। उनके इस अ णी योगदान के उपल य मे पंत जी क ज म शता दी वष के अवसर पर भारत सरकार के वन एवं पयावरण मं ालय ारा उनके ज म- थली के समीप कोसी-कटारमल म उ राखडं के िजला अ मोड़ा मे एक रा ीय तर के सं थान के प म 'गोिव द ब लभ प त रा ीय िहमालय पयावरण सं थान' क थापना क गयी।


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