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Topic Date ASHOKA Art King Art
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प्रिशा प्र िंदी - भारत
शर्ाा ६ -डी - ''एक भारत श्रेष्ठ त''
प्रिक्किर्, भारत र्ें पूर्वोत्तर प्रदशा र्ें क्कथित, एक छोटा िा राज्य ैं। नेपाली प्रिक्किर् की िािप्रर्क भाषा ै- इि उत्तर-पूर्वा िांित के कु छ प्र स्से र्ें प्रिक्किर्ी भी बोली जाती ै। प्रिक्किर् के लोगोिं द्वारा अिंग्रेजी भी बोली जाती ै। अन्य भाषाओंि र्ें प्रलम्बू, प्रतब्बती और शेरपा शाप्रर्ल ंै ।
ThisThPihsoPthoobtyo UbnykUnnokwnnowAnutAhoutrhisorliciselnicsendsuendduenrdCeCr BCYC-SBAY
प्रिक्किर् के लोग र्ुख्य रूप िे नूडल्स, प्रििंकी िूप, टर्ाटर अचार, पारंि पररक पनीर, बैम्बू शूट, प्रकक्कित चार्वल उत्पाद आप्रद खाते ंै। ालांिप्रक चार्वल राज्य का र्ुख्य भोजन ै। र्ोर्ोि, प्रिक्किर् के लोगोंि के िाि-िाि पर्ाटकोंि के बीच पिंिदीदा ैं। प्रिक्किर् र्ंे पर्ाटक बहुत िप्रिद्ध और स्वाप्रदष्ट र्ोर्ोज का स्वाद लेने का शानदार अर्विर कभी न ीिं चूकंे गे।
लार्ा द्वारा प्रकए जाने र्वाले अनुष्ठान नृत्य का िबिे आकषाक रूप \"चैर्\" ै प्रजिर्ंे रंि गीन र्ास्क और अद् भुत िंिगीत र्वाद्यर्िंत्र शाप्रर्ल ैं। प्रचप्रत्रत र्ास्क, औपचाररक तलर्वारें , चर्कते ग ने, और िंिगीत, डर र्, और िीगंि की लर् पर नृत्य के िाि कपडे प ने ।
कु छ िबिे िप्रिद्ध नृत्य रूपोंि र्ंे रे चिुंगर्ा, घा टू प्रकटो, ची आरएर्र्ू, ो र्ू प्रर्स्ता, ताशी जालधा, एनचेर् चैर्, लू खांिगिर्ो, ग्िंुगर्ाला ग्ंिुग े और कागेड डांिि ैं ।
धन्यर्वाद
नाम=रिधि क्लास सेक्श िोल नंब धिक्षक = स
िमा नलवा स=VI क्शन=ड बि=26 सधवता मेम
अनुक्रम 1. धसक्किम
मधिका की संस्कृ धत
1. धसक्किम • यह ां पर ऊंा चे ऊंा चे पह ड़ और क और संादर बन िी है। यह ां इ ल ग दू र दू र से आिे हैं। तसक्कि िरीके से सज य है। तसक्किम धमम से तमलकर बनी है | धसक्कि समृद्ध सांस्कृ धतक तिर सि है बौद्ध धमम के लेपच स के स थ त क्यकी धसक्किम मंे बौद्ध धमम क त्य ह र सरल, कम भरे हुए और तसक्किम मंे गमी क मौसम बहु है। क्य तंा क यह ंा पर ि पम न 2 तसक्किम क एक तिह ई तहस्स पर ज्य द िर तहस्स पह ड़ी से करीब 7000 िगम तकल मीटर ह
की संस्कृ धत च र ां ओर फै ली हररय ली प्रकृ ति इस संादरि क देखने ल ख ंा िम क प्रकृ ति ने बहुि सन्दर की संास्कृ ति तहांदू धमम और बौद्ध िम में ज तहांदू धमम की परम्पर और तमतिि ह ने से बनिी है | क प लन तकय ज ि हैं, उनके र अतधक रंा गीन ह िे हैं| हुि ही आर मद यक ह ि 29 तिग्री से ज्य द नहीां ह ि है। स्स जंागल ंा से तिर हुआ है। यह ँा ढ़क हुआ है। इसक क्षेत्रफल है।
तसक्किम की • यह ंा पर लेपच ,भूतटय और अलग िेशभूष है परुष ंा क प और ज्य द समय िक चलन शांि , ट पी पहनिे हंै। अन्य स शटम अस्क ट कल ई क ट पह मतहल िू बीिम,गहने, न मच सम ज की मतहल रे शमी फल जैके ट , ट पी शबचू, पहनिी एप्रेन, पैंगिन पहनिी है।
संास्कृ ति ज री नेप ल समद य ंा की अलग- पहन िे की बन िट खरदरी ने के य ग्य ह िी है। परुष शटम, समूह के ल ग चूड़ीद र पज म हनिे हंै। लेपच सम ज की च ड़, कंा गन पहनिी हंै।भूट न ल ब जू क ब्ल उज, कसैन हैं। तिि तहि मतहल ध रीि ल
तसक्किम की • यहां के घि मुख्य रूप स बनाए जाते हैं। औि ऊं च के घि बनाते हैं। यहां क फाख्तू , ग्यायूक, मोमोज लोकधिय भोजन है। यह त्यौहाि बडी िूमिाम स त्योहािों के साथ धहंदू त्य
सांस्कृ ति ज री से बांस के ढांचे डालकि चे पहाडी क्षेत्ों में लकडी का मुख्य भोजन चाऊमीन, ज सूप के साथ मांस हां पि सभी िमों के से मनाए जाते हैं। नेपाली त्योहाि भी मनाए जाते हंै।
परि नाम –va कक्षा – रोल नंब प्रवेश संख्य ववद्यालय – alc sch
िचय arni Jain –6 D बर. – 39 ख्या . 12913 chon public hool
वसक्किम म जग पतझड़ क
मंे घूमने की गह की छु वियां
अनुक्रम स्लाइड संख्या जगह का नाम 1 नाथुला पास 2 कं जनजंगा िाष्ट् 3 युमथांग घाटी 4 रुमटेक मठ 5 िवंगला 6 बकथांग झिना
मणिका ष्टर्ीय उद्यान ा
नाथुल चंणक यह भाित औि चीन के ब चौणकय ं मंे से एक है, इसणलए व्यापाि में महत्वपिण भणमका बौद्ध औि णहंद तीथण स्थल ं के णदया है, इस प्रकाि अथणव्यवस् चीन के साथ सीमा संबंध ं में
ला पास बीच तीन खुली व्यापारिक सीमा ए नाथ ला दिे ने चीन-भाितीय ा णनभाई है। इसने महत्वपिण क बीच की दिी क भी कम कि स्था क मजबत णकया है औि सुधाि णकया है
कं जनजंगा ि युकस म में यह उच्च ऊं चाई व शानदाि वन्य जीवन के णलए जानवि ं की प्रजाणतयाँा जैसे ल महान णतब्बती भेड़, भािल, जा सकता है।
िाष्टर्ीय उद्यान वाला िाष्टर्ीय उद्यान अपने ए जाना जाता है जहाँा णवदेशी लाल पांडा, णहम तंेदुआ, कस्तिी मृग आणद क देखा
युमथांग • यह लोकवप्रय रूप से 'फू ल जाता हैl वजसमें रोडोडेंडर ोन प्रजावतयां हंै। फू लों का मौस के मध्य तक होता है, जब अ बहुरं गी रं गों में घाटी को क हंै।
ग घाटी लों की घाटी' के रूप मंे जाना न, राज्य फू ल की चौबीस सम फरवरी के अंत से जून अनवगनत फू ल इंद्रधनुष के कालीन बनाने के वलए क्किलते
रुमटेक • रुमटेक मठ कमम श्री नालंद क्कस्थत स्वर्म स्तूप के वलए प्र मठ का मुख्य आकषमर् है क् सोलहवें ग्यालवा के पववत्र
क मठ दा संस्थान के नए कमरे में प्रवसद्ध है। स्वर्म स्तूप रुमटेक क्ोवं क इसमें परम पावन अवशेष हैं।
िवंग ७००० फीट की ऊं चाई पर क्कस् वहमालयन रंे ज के बेजोड़ दृ प्रवसद्ध है। प्राकृ वतक सुंदरत वसक्किम में प्रकृ वत मंे वापस पयमटकों के वलए एक जरूर
गला स्थत, रवंगला ग्रेटर दृश्य पेश करने के वलए ता के साथ धन्य रवंगला सी की तलाश करने वाले री जगह है।
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