’ जह ाँ पहहय है’ लेखक “पालगम्मी साईनाथ जी” 1
महिला हिवस 2 • 8 मार्च सन 1992 में पी साईनाथ पुडृ कोट्टई तममलनाडु महिला हिवस के उपलक्ष्य पर गए थे। पत्रकार िोने के नाते विाां उन्िोंने जो कु छ िेखा उसकी ररपोटच बनाई। जिाँा पहिया िै-यि ररपोताजच िै ररपोट को हििंा ी मंे ररपोताजच किते िैं SHRADHA PANDEY
पुडु कोट्टई (तममलनाडु ) : साइककल र्लाना एक सामाजजक आिंा ोलन िै? कु छ अजीब-सी बात िै न! लेककन र्ौंकने की बात निीां िै। पुडु कोट्टई जिले की ििारों नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओंा के मलए यि अब आम बात िै। अपने पपछड़पे न पर लात मारने, अपना पवरोध व्यक्त करने और उन जांजीरों को तोड़ने का जजनमंे वे जकड़े िुए िैं, कोई- न-कोई तरीका लोग ननकाल िी लेते िंै। 3
लेखक िपु वधा में सोर्ता िै कक 4 क्या साइककल र्लाना एक सामाजजक आांिोलन िो सकता िै? लेखक अपने िी प्रश्न का उत्तर िेते िुए किता िै कक बिुत अजीब सी बात िै क्योंकक एक साइककल का पहिया ककस तरि से समाज मंे बिलाव ला सकता िै? कै से एक आंिा ोलन का रूप ले लेता िै? SHRADHA PANDEY
पुडु कोट्टई जिले की ििारों नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओंा के मलए यि अब आम बात िै। जिाँा िेखो साइककल र्लाती िुई नजर आती िैं और उन्िोंनंे आत्मननर्रच िोकर यि साबबत कर हिया। लेखक किते िैं कक लोग अपने पपछड़पे न से छु टकारा पाने के मलए, ककसी बात पर अपना पवरोध प्रकट करने के मलए और उन जजंा ीरों को तोड़ने के मलए जजनमें वे जकड़े िुए िंै, कोई- न-कोई तरीका ननकाल िी लेते िैं। 5
गाावँ की जमीला ने जब साइककल र्लाना सीखा तो लोग उन्िंे बरु ा-र्ला किते थे पर जमीला बीवी का किना िै कक साइककल र्लाना मेरा अधधकार िै। अब किींा र्ी जा सकते िैं। अब िमें बस का इंातजार निीां करना पड़ता। 6
फानतमा स्कू ल टीर्र िंै और ककराए पर साइककल लेकर र्लाती िैं। वे किती िंै, साइककल र्लाने मंे एक खास तरि की आजािी िै। िमें ककसी पर ननर्रच निीां िोना पड़ता। मंै इसे कर्ी निीां छोड़ूगंा ी। साइककल र्लाने से कौन सी मेरी 7 कमाई िोती िै? मंै तो पसै े गँावाती िूँा । पसै े न िोने के कारण मैं िर शाम साइककल ककराए पर लेकर र्लाती िूाँ ताकक खशु िाली और आजािी का अनरु ्व कर सकँाू
साइककल की प्रशसंा क और िोपिर को खाना समथनच करने वाली जस्त्रयाँा पिुाँर्ाने वाली अध्यापपकाएाँ ग्राम सेपवकाएँा बालवाड़ी आगँा नवाड़ी कायकच ताच नसंे पत्थर खिानों में काम करने वाली खेनतिर मजिरू SHRADHA PANDEY 8
ककलाकु रुधर् गााँव मंे रपववार को अनोखा प्रमशक्षण मशपवर र्लाया जाता िै जिाँा सर्ी महिलाएँा साइककल आांिोलन मंे र्ाग लेकर परु ुषों द्वारा थोपे गए िायरे का पवरोध करती िंै। साइककल र्लाने के प्रोत्सािन के मलए गीत गाती िंै- ओ बहिना आ सीखंे साइककल घमू ंे समय के पहिए सगां SHRADHA PANDEY 9
आर स इकिल्स इस मामले पर पुरुषों की क्या राय थी? जब लेखक ने यि जानना र्ािा तो ‘आर-साइककल्स’ के मामलक ने अके ले महिलाओां का पक्ष मलया क्योंकक इस अके ले डीलर के यिााँ लेडीि साइककल की बबक्री में साल र्र के अांिर काफी वदृ ्धध िुई। माना जा सकता िै कक इस आाकँ ड़े को िो कारणों से कम करके आाकँ ा गया। पिली बात तो यि िै कक ढ़ेर सारी महिलाओंा ने जो लेडीि साइककल का इांतजार निीां कर सकती थी,ां जेंट्स साइककलंे खरीिने लगीां। िसू रे, उस डीलर ने बड़ी सतकच ता के साथ यि जानकारी मझु े िी थी – उसे लगा कक मैं बबक्री कर पवर्ाग का कोई आिमी िूाँ। 10
कु हिमम अन्नमलाई की 11 धर्लधर्लाती धपू में मनोरमनी लोगों को साइककल र्लाना मसखा रिी थी। उसने लेखक को बताया कक िमारा इलाका शिर से िरू िै और साइककल से िम शिर से जड़ु सकते िैं।
महिलाएां आस- साइककल र्लाने से आराम करने के मलए महिलाओंा के जीवन मंे आए समय ममल जाता िै पास के गाव मंे सामान बेर् आती बिलाव िंै इसमलए आय में बसों का इंातजार न वदृ ्धध िुई करने के कारण समय बर्ता िै पपता, र्ाई, पनत व अब बच्र्ों के मलए व बेटों पर ननर्रच ता पानी लाने के मलए र्ागकरघर निींा आना खत्म िो गई पड़ता SHRADHA PANDEY 12
एक महिला ने बताया – “लोगों लोग इस पर िाँस सकते के मलए यि समझना बड़ा कहिन िैं, लेककन के वल यिाँा की औरतें िी समझ सकती िै कक ग्रामीण महिलाओंा के मलए िैं कक उनके मलए यि यि ककतनी बड़ी र्ीज िै। उनके ककतना मित्वपणू च िै। मलए तो यि िवाई जिाज उड़ाने जसै ी बड़ी उपलजधध िै। लोग इस पर िाँस सकते िंै लेककन के वल यिाँा की औरतंे िी समझ सकती िैं कक उनके मलए यि ककतना मित्वपणू च िै। SHRADHA 13 PANDEY
श्रद्धा पांाडये 14
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