दहेज़-ह या काननू का सच Yaksh “दहेज़-ह या काननू ” भारतीय काननू यव था म म हला सरु ा के नाम पर बना एक ऐसाकाननू है, िजसने परू याय यव था और ससं द को शमसार कया है. ाकृ तक नयम , याय केस धातं ो और सामािजक पर पराओं को धता बताते हुये म हला सरु ा के नाम पर बना ये काननूप त-प रवार को लकै मेल करने का एक ऐसा क़ाननू ी ह थयार बन गया है क इसके वारा प नीप रवार और याय यव था से जड़ु े लोग को काननू के नाम पर खलु े आम लटू ने क छू ट मल गयी है.कोई इ जत के नाम पर लटू ता है, तो कोई काननू के नाम पर लटू ता है. ाकृ तक नयम है क िजसने ज म लया है उसक मृ यु अव य होगी. कसक मृ यु कब,कहाँ, कै से होगी? ये कोई नह ं बता सकता. परंतु ववाह के सात वष के अदं र अगर कसी ववा हत ीक मृ यु होने पर महज एक आरोप लगा देने से प त-प रवार के खलाफ “दहेज़-ह या” का अपराध बनजाता है, या कोई ऐसा उपाय है कसी के पास िजससे क, कसी ववा हत ी क ववाह के सात वषतक मृ यु ह न हो, अगर है तो सारे प त-प रवार को दे दया जाना चा हये. िजससे क न ह कसी ीक मृ यु हो और न ह कसी प त-प रवार पर दहेज़ ह या का अपराध बने. वसै े ऐसी क क़ाननू ीकायवाह बात कसी प त क मृ यु होने पर “प नी-प रवार” पर लागू य नह ं क जानी चा हये?काननू व , समाजसेवी और बु धजीवी वग का मानना है क दहेज़ सबसे बड़ी और घृ णत बरु ाई है औरदहेजलोभी प त-प रवार दहेज़लोभी होता है, वे लोग यादा दहेज़ के लालच म अपने घर क बहू/प नीक ह या कर देते ह ता क यादा दहेज़ लेकर दसू र जगह शाद कर सक. जब क एक सामा य बु धवाला भी बता सकता है क “सेके ड है ड” क या क मत होती है? और िजसने अपनी प नी/बहू कदहेज़-ह या क हो उसे कोई अपनी बहन/बेट तो या कु तया भी नह ं देगा!. दहेज़ देना तो कोस दरू कबात है. सबसे पहले ये बता द क, दहेज़ कोई अपराध नह ं है, दहेज़ एक सामािजक परंपरा है, श टाचारहै, लड़क के घरवाल का यार है, लड़क का अपने माँ बाप क संप पर अ धकार है. पर काननू बनानेवाल और अनपु ालन करने वाल को इतनी सी बात समझ म नह ं आती है, जब क इस काननू के बनातेव त भी सन ् 1961 म आगाह कया गया था क, इस सामािजक यव था म छे ड़छाड़ न क जाये,वरोध भी इतना हुआ था क, इस काननू को क़ाननू ी मा यता देने के लये संसद के दोन सदन कासंयु त अ धवेशन बलु ाकर इस हदायत के साथ पास करवाया गया था क, सामािजक ढाचं े और लोगक त ठा को नकु सान नह ं पहुँचाया जायेगा. पर नयत म तो कु छ और ह था, काननू पास करवानेके बाद, सारे वादे भलू गये और परू े देश को दहेज़ लोभी, दहेज़ ह यारा बना डाला.DAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 50
याय के मलू स धा त क भी धि जयाँ उड़ा द गयी.ं सात साल के अदं र अगर कसीववा हत ी क मृ यु हो गयी, भले ह उसने आ मह या ह य न क हो, अगर कसी ने प त-प रवारपर दहेज़ के लये ता ड़त करने का इ जाम लगा दया तो उसे न कसी सबतू देने क ज रत है और नह उसे कु छ स ध करना. प त-प रवार के येक आरोपी सद य को याय के नयम के व ध, उ हन सफ \"दहेज़ ह या\" का आरोपी *मान लया जाता है*. बि क दोष मु त होने का भार भी उसके ऊपरडाल दया गया है. अब उसे स ध करना होता है क ये अपराध उसने नह ं कया है, वो भी तब, जबआरोप लगते ह परू े प त-प रवार को जेल म डाल दया जाता है, और कहा जाता है क स ध करो कआप नद ष हो. इसके लये सा य अ ध नयम (113A और 113B) ह अलग से जोड़ दये गये. शकायतदज होते ह प त-प रवार के आरोपी सद य को दहेज़-ह या का आरोपी मान लेना और खदु के नद षस ध करने का भार उन पर डाल देना, पणू तया: गलत है. ये सरकार का काम है क पहले वो स द करेक- 1. प नी/बहू क मृ यु ववाह के सात वष के अदं र हुई है. 2. मृ यु अ वाभा वक प से हुई है. 3. मतृ का के साथ ू रता हुई है. 4. ू रता दहेज़ के लये है, कसी अ य बात के लये नह .ं 5. और ये ू रता मृ यु के कु छ समय पवू हुई है, यादा पहले नह .ं जब ये पांच त व सरकार/ शकायतकता पणू तय: स ध कर देते ह तब ह इसे दहेज़-ह यामाना जाता है और तब ह आरोपी पर नद ष स ध करने का भार आता है. परंतु यहाँ तो मकसदप त-प रवार को लकै मेल करके धन उगाहने का है, इस लये शकायत मलते ह सारा दोषप त-प रवार पर मढ़ दया जाता है, खदु को नद ष स ध करने का भार भी उसी पर डाल दया जाता है.इससे न सफ याय के स धांत का उ लंघन होता है बि क सामािजक पर पराओं का अपमान भीहोता है. साथ ह साथ लोग का याय यव था पर से वु वास उठता है और आ ोश भी फै लता है. भले ह क़ाननू ी भाषा म जेल को या यक हरासत कहा जाये, परंतु िजस समाज म हम रहते हइसे जेल ह कहा जाता है जहाँ अपरा धय को सजा के लये रखा जाता है, हेय ि ट से ह देखा जाता है.यह काननू सं वधान के अनु छे द 14 ( लगं के आधार पर भेदभाव विजत है), अनु छे द 21 (जीवन और वतं ता का अ धकार) का भी खलु ा उ लघं न करता है, आरोप सा बत न होने तक नद षत केस धांत और अ भयोजन वारा दोष स ध करने के स धांत का भी उ लघं न करता ह. सझु ाव 1. बना ववाह पंजीकरण के कसी को भी प त प नी न माना जाये और उ ह कोई भी क़ाननू ीलाभ न दया जाये. 2. येक शाद म DPO क रपोट सु नि चत क जाये.DAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 51
3. दहेज़ देने वाल पर भी दहेज़ अ ध नयम क धारा 3 के तहत कायवाह क जाये. 4. बना दोष स ध हुये कसी भी प त-प रवार को जेल न भजा जाये. दहेज़-ह या कोजमानतीय अपराध क ेणी म रखा जाये. 5. सा य अ ध नयम क धाराओं 113A और 113B को समा त कया जाये और तब ताज सहसमय पर अनपु ालन सु नि चत कया जाये. 6. दहेज़-ह या के आरोप झंठू े पाये जाने पर दो षय और उनके सहयो गय को भी समान सजाद जाये. 7. सात वष के अदं र अगर प त क अ वाभा वक मृ यु होने पर प नी-प रवार पर भी समानकायवाह क जाये.Difficulties are meant to rouse, not discourage. The human spirit is to grow strong by conflict. DAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 52
THE LAND OF KINGS Agyat Sanyasi T he Land of Kings is a story or the life of a kid who born and live indifficult conditions but finally rise to rule. The time period of story is very very old, even when the time was not even counted. Chapter 002 : THE FOG नवरंग एवम म के पास रात गुजरने के लए गुफा एवम खाने क यपव था के लए जगं लसे ा त होने वाले फल थे | परंतु सरु ा क सम या अभी बानी हुई थी | गफु ा उनक ज रत को परू ाकर रह थी परंतु गफु ा का क सरु ा भी ज र थी | गफु ा क सरु ा के लए गुफा के छे द को दरवाज़े का प दया जाना ज र था । जंगल से लक ड़य तथा छाल के वारा मजबतू दरवाज़े से गुफा को धक्दया गया । इतना करते करते दन गुजर गया | रात म खाने के बाद सभी म ने बार बार पहरा देनेका न चय कर के सो गए । रात के आ खर पहर म जब नवरंग पहरे पर थे वह पछल रात देखी हुई फोग के बारे म सोचरहा था उसे यक न था क फोग आज भी दखाई देगी परंतु आज भी उसे नह ं पता था क उन लोग कोफोग से कोई खतरा है या नह ं । उसे नह ं पता थे क वह या कर सकता था अगर फोग कसी क म केखतरे को पदै ा करती । परंतु नवरंग को सफ इतना पता था क उसे सावधान रहना है । शायद यहकारन था क उसे नीदं आने के बावजदू वह सतक था| नवरंग सावधानी से अपनी जगह पर बठै ा हुई उसी जगह को देख रहा था जहाँ पर उसे पछलरात फोग दखाई द थी । पछल रात क तरह ह आज रात भी धीरे धीरे सफ़े द फोग पदै ा होना सु होचकु थी । धीरे धीरे फोग परु े ए रया म फ़ै ल रह थी । नवरंग लगातार फोग को देख रहा था । काफ देरबाद नवरंग ने यान दया तो उसे महसरू हुआ क फोग के बच हलके हलके जातले हुए अगं ार के जसै ीदो आखँ े लगातार उसे घरू रह ह । नवरंग भी लगातार अगं ार म देखने लगा वह डरा हुआ था परंतु वहसावधान था । काफ देर तक अगं ार म देखने के कारन नवरंग क आखँ भी जल रह थी उनमे पानीनकलने लगा था । मजबरू न navrang तो अपनी आखँ बंद करनी पड़ी । कु छ देर बाद जब नवरंग ने अपनी आखँखोल वह डर के कारन अपनी जगह से हलना भी भलू गया । वह चलाना कहता था अपने दो त कोDAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 53
जगाना चाहता था परंतु न तो वह हल पा रहा था न ह उसके महु से कोई आवाज़ ह नकल पा रह थी ।डर का कारन फोग गफु ा के महु तक आ पहुंची थी । अगं ारे जसै ी आखँ उससे सफ एक हाथ के फै सले परमौजदू थी तथा उसे लगातार घरू रह थी । फोग तथा नवरंग के बच लक ड़य एवम शाखाओं से बनेदरवाज़े के अलावा कु छ नह ं था । नवरंग सफ हाथ बड़ा कर फोग को छु सकता था परंतु न तो नवरंगऐसा करना कहता थे न ह उसमे इतनी ह मत बची थी | काफ देर तक नवरंग ऐसे ह खड़ा रहा । धीरे धीरे उसक चेतना वा पस आ रह थी । वह सोचरहा था क जब अगं ारे जसै े आखँ वाल फोग ने गफु ा के महु तक आ पहुंची है तो अब अदं र य नह ं आपा रह परंतु उसे नह ं पता था य न ह वह इस बारे म कु छ सोचना चाहता था । उसे बस इतनी हतसल थी क फोग गुफा के अदं र नह ं आ पा रह । काफ देर तक फोग को देखते रहने के बाद नवरंगपीछे हट कर एक प थर पर बठै गया । उसे यक न था क फोग कसी कारन से गफु ा म नह ं आ सकतीपरंतु फर भी वह अपनी नज़र फोग से नह ं हटाना चाहता था । नवरंग के प थर पर बठै ने के बाद फोग नेलगातार आगे भड़ कर गुफा म वेश करने क को शश जार राखी परंतु कसी कारन से न तो गुफा केअदं र जा सक न ह यास बदं हुए | दन क शू आत हो चकु थी सरू ज क लाल आकाश म फै लनी शु हो चकु थी । गुफा के बहारफोग अभी भी मौजदू थी । रात म अगं ारे जसै ी चमकने वाल आखँ अभी भी मौजदू थी परंतु शायदआकाश क रौशनी के कारन इस व त आखँ को देख परं बहुत मिु कल था । अपने दो त के जागने केबाद नवरंग ने सभी क रात म हुई घटं ना के बारे म बताया तथा अगं ार जसै ी आखँ भी दखाई । इसव त सभी दो त डरे हुए थे परंतु सब एक साथ थे इस लए डर भी अपनी सीमाओं से आगे नह ं जा पारहा था । नवरंग ने इस व त गफु ा म ह रह कर फोग के हटने का इतंज़ार करने का फै सला कया । इसव त जब क करने के लए कु छ भी नह ं था तो नवर न एक तरफ जा कर सोने क को शश करने लगा ।नवरंग के दो त दसू र तरफ सतक बठै े रहे । नवरंग तथा उसके दो त लगातार महससू कर रहे थे कोअगं ार जसै ी आखँ े लगातार नवरंग को घरू रह थी । आखँ के परू ा यान सफ और सफ नवरंग पर हथा | जसै े जसै े दन नकलता गया फोग भी पीछे हटने लगी । परंतु नवरंग के दो त लगातार महससूकर रहे थे क फोग पीछे हटना नह ं चाहती परंतु उसे हटना पड़ रहा था । आ खर दन का पहला पहरख़तम होने से पहले जब सरू ज क करणे गफु ा के बाहर तक आने ह वाल थी फोग परू तरह से गायब होचकु थी । इसी व त नवरंग ने अपने दो त को ज रत का सामन इकठा करने के लए भजवा दयातहत खदु उस तरफ बाद गया जहां पर से फोग सु हुई थी । जब नवरंग के दो त फल एवम लकड़ीइकठ कर रहे थे नवरंग चटान पर चढ़ने के र ते क तलाश कर रहा था िजस से क पछल रात फोगशु हुई थी । परंतु एक गहर खाई उसका रा ता रोके हुई थी । न तो खाई को कू द कर पर कया जाDAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 54
सकता था न ह नवरंग कोई दसू रा रा ता ह तलाश कर पाया । अतं त नवरंग के पास हार मानने केअलावा कोई और रा ता नह ं था । नवरंग अपने दो त का हाथ बताने के लए वा पस आ गया । वह रात होने से पहले गफु ा मकाफ लकड़ी एवम फल इकठे कर लेना कहता था िजससे क अगर कु छ दन गफु ा म कै द भी रहना पड़ेतो भी खाने एवम सद क चतं ा न करनी पड़े । धीरे धीरे रात फर आ गयी । आज क रात नवरंग सबसे पहले पहरा दे रहा था । आज भीपछल रात क तरह ह चारो तरफ फोग फै ल हुई थी आखँ अगं ार क तरह जल रह थी । आखँ लगातारनवरंग को घरू रह थी फोग लगातार गुफा म आने का यास कर रह थी । परंतयु नवरंग नि च त थाउसे यक न था क फोग अदं र नह ं आ पायेगी । परू रात नवरंग एवम उसके दो त एक एक करके पहरादेते रहे परंतु न तो फोग अदं र आ पायी न ह यास बंद हुए | Sometimes you don’t realize your own strength until you come face to face with your greatest weakness. DAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 55
Alone we can do so little; together we can do so much. DAMAN Welfare Society | www.daman4men.in 56
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