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MEN'S HUB - Issue 6

Published by Anupam Dubey, 2017-09-18 01:20:56

Description: MEN'S HUB - Issue 6

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दहेज़-ह या काननू का सच Yaksh “दहेज़-ह या काननू ” भारतीय काननू यव था म म हला सरु ा के नाम पर बना एक ऐसाकाननू है, िजसने परू याय यव था और ससं द को शमसार कया है. ाकृ तक नयम , याय केस धातं ो और सामािजक पर पराओं को धता बताते हुये म हला सरु ा के नाम पर बना ये काननूप त-प रवार को लकै मेल करने का एक ऐसा क़ाननू ी ह थयार बन गया है क इसके वारा प नीप रवार और याय यव था से जड़ु े लोग को काननू के नाम पर खलु े आम लटू ने क छू ट मल गयी है.कोई इ जत के नाम पर लटू ता है, तो कोई काननू के नाम पर लटू ता है. ाकृ तक नयम है क िजसने ज म लया है उसक मृ यु अव य होगी. कसक मृ यु कब,कहाँ, कै से होगी? ये कोई नह ं बता सकता. परंतु ववाह के सात वष के अदं र अगर कसी ववा हत ीक मृ यु होने पर महज एक आरोप लगा देने से प त-प रवार के खलाफ “दहेज़-ह या” का अपराध बनजाता है, या कोई ऐसा उपाय है कसी के पास िजससे क, कसी ववा हत ी क ववाह के सात वषतक मृ यु ह न हो, अगर है तो सारे प त-प रवार को दे दया जाना चा हये. िजससे क न ह कसी ीक मृ यु हो और न ह कसी प त-प रवार पर दहेज़ ह या का अपराध बने. वसै े ऐसी क क़ाननू ीकायवाह बात कसी प त क मृ यु होने पर “प नी-प रवार” पर लागू य नह ं क जानी चा हये?काननू व , समाजसेवी और बु धजीवी वग का मानना है क दहेज़ सबसे बड़ी और घृ णत बरु ाई है औरदहेजलोभी प त-प रवार दहेज़लोभी होता है, वे लोग यादा दहेज़ के लालच म अपने घर क बहू/प नीक ह या कर देते ह ता क यादा दहेज़ लेकर दसू र जगह शाद कर सक. जब क एक सामा य बु धवाला भी बता सकता है क “सेके ड है ड” क या क मत होती है? और िजसने अपनी प नी/बहू कदहेज़-ह या क हो उसे कोई अपनी बहन/बेट तो या कु तया भी नह ं देगा!. दहेज़ देना तो कोस दरू कबात है. सबसे पहले ये बता द क, दहेज़ कोई अपराध नह ं है, दहेज़ एक सामािजक परंपरा है, श टाचारहै, लड़क के घरवाल का यार है, लड़क का अपने माँ बाप क संप पर अ धकार है. पर काननू बनानेवाल और अनपु ालन करने वाल को इतनी सी बात समझ म नह ं आती है, जब क इस काननू के बनातेव त भी सन ् 1961 म आगाह कया गया था क, इस सामािजक यव था म छे ड़छाड़ न क जाये,वरोध भी इतना हुआ था क, इस काननू को क़ाननू ी मा यता देने के लये संसद के दोन सदन कासंयु त अ धवेशन बलु ाकर इस हदायत के साथ पास करवाया गया था क, सामािजक ढाचं े और लोगक त ठा को नकु सान नह ं पहुँचाया जायेगा. पर नयत म तो कु छ और ह था, काननू पास करवानेके बाद, सारे वादे भलू गये और परू े देश को दहेज़ लोभी, दहेज़ ह यारा बना डाला.DAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 50 

याय के मलू स धा त क भी धि जयाँ उड़ा द गयी.ं सात साल के अदं र अगर कसीववा हत ी क मृ यु हो गयी, भले ह उसने आ मह या ह य न क हो, अगर कसी ने प त-प रवारपर दहेज़ के लये ता ड़त करने का इ जाम लगा दया तो उसे न कसी सबतू देने क ज रत है और नह उसे कु छ स ध करना. प त-प रवार के येक आरोपी सद य को याय के नयम के व ध, उ हन सफ \"दहेज़ ह या\" का आरोपी *मान लया जाता है*. बि क दोष मु त होने का भार भी उसके ऊपरडाल दया गया है. अब उसे स ध करना होता है क ये अपराध उसने नह ं कया है, वो भी तब, जबआरोप लगते ह परू े प त-प रवार को जेल म डाल दया जाता है, और कहा जाता है क स ध करो कआप नद ष हो. इसके लये सा य अ ध नयम (113A और 113B) ह अलग से जोड़ दये गये. शकायतदज होते ह प त-प रवार के आरोपी सद य को दहेज़-ह या का आरोपी मान लेना और खदु के नद षस ध करने का भार उन पर डाल देना, पणू तया: गलत है. ये सरकार का काम है क पहले वो स द करेक- 1. प नी/बहू क मृ यु ववाह के सात वष के अदं र हुई है. 2. मृ यु अ वाभा वक प से हुई है. 3. मतृ का के साथ ू रता हुई है. 4. ू रता दहेज़ के लये है, कसी अ य बात के लये नह .ं 5. और ये ू रता मृ यु के कु छ समय पवू हुई है, यादा पहले नह .ं जब ये पांच त व सरकार/ शकायतकता पणू तय: स ध कर देते ह तब ह इसे दहेज़-ह यामाना जाता है और तब ह आरोपी पर नद ष स ध करने का भार आता है. परंतु यहाँ तो मकसदप त-प रवार को लकै मेल करके धन उगाहने का है, इस लये शकायत मलते ह सारा दोषप त-प रवार पर मढ़ दया जाता है, खदु को नद ष स ध करने का भार भी उसी पर डाल दया जाता है.इससे न सफ याय के स धांत का उ लंघन होता है बि क सामािजक पर पराओं का अपमान भीहोता है. साथ ह साथ लोग का याय यव था पर से वु वास उठता है और आ ोश भी फै लता है. भले ह क़ाननू ी भाषा म जेल को या यक हरासत कहा जाये, परंतु िजस समाज म हम रहते हइसे जेल ह कहा जाता है जहाँ अपरा धय को सजा के लये रखा जाता है, हेय ि ट से ह देखा जाता है.यह काननू सं वधान के अनु छे द 14 ( लगं के आधार पर भेदभाव विजत है), अनु छे द 21 (जीवन और वतं ता का अ धकार) का भी खलु ा उ लघं न करता है, आरोप सा बत न होने तक नद षत केस धांत और अ भयोजन वारा दोष स ध करने के स धांत का भी उ लघं न करता ह. सझु ाव 1. बना ववाह पंजीकरण के कसी को भी प त प नी न माना जाये और उ ह कोई भी क़ाननू ीलाभ न दया जाये. 2. येक शाद म DPO क रपोट सु नि चत क जाये.DAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 51 

3. दहेज़ देने वाल पर भी दहेज़ अ ध नयम क धारा 3 के तहत कायवाह क जाये. 4. बना दोष स ध हुये कसी भी प त-प रवार को जेल न भजा जाये. दहेज़-ह या कोजमानतीय अपराध क ेणी म रखा जाये. 5. सा य अ ध नयम क धाराओं 113A और 113B को समा त कया जाये और तब ताज सहसमय पर अनपु ालन सु नि चत कया जाये. 6. दहेज़-ह या के आरोप झंठू े पाये जाने पर दो षय और उनके सहयो गय को भी समान सजाद जाये. 7. सात वष के अदं र अगर प त क अ वाभा वक मृ यु होने पर प नी-प रवार पर भी समानकायवाह क जाये.Difficulties are meant to rouse, not discourage. The human spirit  is to grow strong by conflict. DAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 52 

THE LAND OF KINGS Agyat Sanyasi T​ he Land of Kings is a story or the life of a kid who born and live indifficult conditions but finally rise to rule. The time period of story is very very old, even when the time was not even counted. ​Chapter 002 : THE FOG नवरंग एवम म के पास रात गुजरने के लए गुफा एवम खाने क यपव था के लए जगं लसे ा त होने वाले फल थे | परंतु सरु ा क सम या अभी बानी हुई थी | गफु ा उनक ज रत को परू ाकर रह थी परंतु गफु ा का क सरु ा भी ज र थी | गफु ा क सरु ा के लए गुफा के छे द को दरवाज़े का प दया जाना ज र था । जंगल से लक ड़य तथा छाल के वारा मजबतू दरवाज़े से गुफा को धक्दया गया । इतना करते करते दन गुजर गया | रात म खाने के बाद सभी म ने बार बार पहरा देनेका न चय कर के सो गए । रात के आ खर पहर म जब नवरंग पहरे पर थे वह पछल रात देखी हुई फोग के बारे म सोचरहा था उसे यक न था क फोग आज भी दखाई देगी परंतु आज भी उसे नह ं पता था क उन लोग कोफोग से कोई खतरा है या नह ं । उसे नह ं पता थे क वह या कर सकता था अगर फोग कसी क म केखतरे को पदै ा करती । परंतु नवरंग को सफ इतना पता था क उसे सावधान रहना है । शायद यहकारन था क उसे नीदं आने के बावजदू वह सतक था| नवरंग सावधानी से अपनी जगह पर बठै ा हुई उसी जगह को देख रहा था जहाँ पर उसे पछलरात फोग दखाई द थी । पछल रात क तरह ह आज रात भी धीरे धीरे सफ़े द फोग पदै ा होना सु होचकु थी । धीरे धीरे फोग परु े ए रया म फ़ै ल रह थी । नवरंग लगातार फोग को देख रहा था । काफ देरबाद नवरंग ने यान दया तो उसे महसरू हुआ क फोग के बच हलके हलके जातले हुए अगं ार के जसै ीदो आखँ े लगातार उसे घरू रह ह । नवरंग भी लगातार अगं ार म देखने लगा वह डरा हुआ था परंतु वहसावधान था । काफ देर तक अगं ार म देखने के कारन नवरंग क आखँ भी जल रह थी उनमे पानीनकलने लगा था । मजबरू न navrang तो अपनी आखँ बंद करनी पड़ी । कु छ देर बाद जब नवरंग ने अपनी आखँखोल वह डर के कारन अपनी जगह से हलना भी भलू गया । वह चलाना कहता था अपने दो त कोDAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 53 

जगाना चाहता था परंतु न तो वह हल पा रहा था न ह उसके महु से कोई आवाज़ ह नकल पा रह थी ।डर का कारन फोग गफु ा के महु तक आ पहुंची थी । अगं ारे जसै ी आखँ उससे सफ एक हाथ के फै सले परमौजदू थी तथा उसे लगातार घरू रह थी । फोग तथा नवरंग के बच लक ड़य एवम शाखाओं से बनेदरवाज़े के अलावा कु छ नह ं था । नवरंग सफ हाथ बड़ा कर फोग को छु सकता था परंतु न तो नवरंगऐसा करना कहता थे न ह उसमे इतनी ह मत बची थी | काफ देर तक नवरंग ऐसे ह खड़ा रहा । धीरे धीरे उसक चेतना वा पस आ रह थी । वह सोचरहा था क जब अगं ारे जसै े आखँ वाल फोग ने गफु ा के महु तक आ पहुंची है तो अब अदं र य नह ं आपा रह परंतु उसे नह ं पता था य न ह वह इस बारे म कु छ सोचना चाहता था । उसे बस इतनी हतसल थी क फोग गुफा के अदं र नह ं आ पा रह । काफ देर तक फोग को देखते रहने के बाद नवरंगपीछे हट कर एक प थर पर बठै गया । उसे यक न था क फोग कसी कारन से गफु ा म नह ं आ सकतीपरंतु फर भी वह अपनी नज़र फोग से नह ं हटाना चाहता था । नवरंग के प थर पर बठै ने के बाद फोग नेलगातार आगे भड़ कर गुफा म वेश करने क को शश जार राखी परंतु कसी कारन से न तो गुफा केअदं र जा सक न ह यास बदं हुए | दन क शू आत हो चकु थी सरू ज क लाल आकाश म फै लनी शु हो चकु थी । गुफा के बहारफोग अभी भी मौजदू थी । रात म अगं ारे जसै ी चमकने वाल आखँ अभी भी मौजदू थी परंतु शायदआकाश क रौशनी के कारन इस व त आखँ को देख परं बहुत मिु कल था । अपने दो त के जागने केबाद नवरंग ने सभी क रात म हुई घटं ना के बारे म बताया तथा अगं ार जसै ी आखँ भी दखाई । इसव त सभी दो त डरे हुए थे परंतु सब एक साथ थे इस लए डर भी अपनी सीमाओं से आगे नह ं जा पारहा था । नवरंग ने इस व त गफु ा म ह रह कर फोग के हटने का इतंज़ार करने का फै सला कया । इसव त जब क करने के लए कु छ भी नह ं था तो नवर न एक तरफ जा कर सोने क को शश करने लगा ।नवरंग के दो त दसू र तरफ सतक बठै े रहे । नवरंग तथा उसके दो त लगातार महससू कर रहे थे कोअगं ार जसै ी आखँ े लगातार नवरंग को घरू रह थी । आखँ के परू ा यान सफ और सफ नवरंग पर हथा | जसै े जसै े दन नकलता गया फोग भी पीछे हटने लगी । परंतु नवरंग के दो त लगातार महससूकर रहे थे क फोग पीछे हटना नह ं चाहती परंतु उसे हटना पड़ रहा था । आ खर दन का पहला पहरख़तम होने से पहले जब सरू ज क करणे गफु ा के बाहर तक आने ह वाल थी फोग परू तरह से गायब होचकु थी । इसी व त नवरंग ने अपने दो त को ज रत का सामन इकठा करने के लए भजवा दयातहत खदु उस तरफ बाद गया जहां पर से फोग सु हुई थी । जब नवरंग के दो त फल एवम लकड़ीइकठ कर रहे थे नवरंग चटान पर चढ़ने के र ते क तलाश कर रहा था िजस से क पछल रात फोगशु हुई थी । परंतु एक गहर खाई उसका रा ता रोके हुई थी । न तो खाई को कू द कर पर कया जाDAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 54 

सकता था न ह नवरंग कोई दसू रा रा ता ह तलाश कर पाया । अतं त नवरंग के पास हार मानने केअलावा कोई और रा ता नह ं था । नवरंग अपने दो त का हाथ बताने के लए वा पस आ गया । वह रात होने से पहले गफु ा मकाफ लकड़ी एवम फल इकठे कर लेना कहता था िजससे क अगर कु छ दन गफु ा म कै द भी रहना पड़ेतो भी खाने एवम सद क चतं ा न करनी पड़े । धीरे धीरे रात फर आ गयी । आज क रात नवरंग सबसे पहले पहरा दे रहा था । आज भीपछल रात क तरह ह चारो तरफ फोग फै ल हुई थी आखँ अगं ार क तरह जल रह थी । आखँ लगातारनवरंग को घरू रह थी फोग लगातार गुफा म आने का यास कर रह थी । परंतयु नवरंग नि च त थाउसे यक न था क फोग अदं र नह ं आ पायेगी । परू रात नवरंग एवम उसके दो त एक एक करके पहरादेते रहे परंतु न तो फोग अदं र आ पायी न ह यास बंद हुए | Sometimes you don’t realize your own strength until you come  face to face with your greatest weakness. DAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 55 

Alone we can do so little; together we can do so much. DAMAN Welfare Society |  www.daman4men.in 56 


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