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folk dance of odisha ppt 2021 jan

Published by aronpallavi11, 2021-01-09 11:55:06

Description: folk dance of odisha ppt 2021 jan

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ओड़ीशा

 छाउ नृत्य मुख्य तरीके से क्षेत्रिय त्योहारो मे प्रदत्रशित त्रकया जाता है। ज्यादातर वसंत त्योहार के चैि पवि पे होता है जो तेरह त्रदन तक चलता है और इसमे पुरा सम्प्रदाय भाग लेता है। इस नृत्य मे सम्प्रम्प्रक प्रथा तथा नृत्य का त्रमश्रन है और इसमे लडाई त्रक तकनीक एवम पशु त्रक गत्रत और चाल को चत्रचित त्रकया जाता है। गांव ग्रत्रि के काम-काज पर भी नृत्य प्रस्तुत त्रकय जाता है। इस नृत्य को पुरुष नतित्रक करते है जो परम्परगत कलाकार है या स्थत्रनय समुदाय के लोग है छाउ नृत्य मे एक त्रवशेष तरह का नकाब का इस्तेमाम होता है जो ब्ंगाल के पुरुत्रलआ और सेरै के ल्ला के सम्प्रदात्रयक आत्रदवात्रस महापाि, महारात्रन और सुिधर के द्वारा बनाया जाता है। नृत्य स्ंगीत और नकाब बनाने एवम का कला और त्रशल्प मौम्प्रिक रूप से प्रेत्रशत त्रकय जाता है।

 Chaiti ghoda dance is one of the popular folk dance forms of Odisha specially performed by aboriginal fishermen tribes like the Keot (Kaibarta). Chaiti represent the chaitra month of the year i.e. from March to April to the full moon in Baisakh i.e. from April to May and ghoda means horse in odisha. There is a story when lord rama crossed the river with the help of aboriginal Keot fishermen and in return lord rama given a horse to the fishermen.  Dummy Horse made from wood, beautifully painted and surrounded by colorful cloths is used as a prop. All fishermen dance and their wives are co-dancers/singers. Men are called Rauta in this dance and women are called Rautani.  Two horses are used as black horse and white horse.The festival is celebrated for eight days in honour of

 बाघा नाच ओडिशा का बाघ नृत्य या बाघ नाच लोक नृत्य, चैत्र के महीने मंे सुबरनपुर डिले के डबिंका और सोनेपुर मंे डकया िाता है। यह नृत्य के वल पुरुषोिं द्वारा डकया िाता है, िो बाघ की तरह डिखने और पिंछ को िोड़ने के डलए अपने निंगे शरीर को पीले और काले रिं गोंि की धाररयोिं से रिं गते हंै। एक या एक से अडधक नततक घर-घर िाते हंै और एक बार भीड़ िमा हो िाती है, नृत्य शुरू होता है। नततक एक ढोलडकया और एक घंिटी बिाने वाले के साथ होते हैं िो प्रिशतन के डलए संिगीत प्रिान करते हैं।

 गोटी पुआ ओडिशा के गोती पुआ लोक नृत्य में लड़के लड़डकयोिं की तरह नाचते हंै; वे ‘अखाड़ो’ंि या डिमनाडसया के छात्र हंै। गोटी पुआ नृत्य को अखाड़ा डपल्स के रूप मंे भी िाना िाता है क्ोडंि क नततक मुख्य रूप से अखािा प्रणाली से होते हैं।  इन नृत्योंि के अलावा, ओडिशा के कु छ अन्य लोक नृत्य हंै, डिनमें नचनी, छोलाई, हम्बौली, िौलिीत, सिाना, छटा, िैका, डभकानी, रसारके ली, ियपुल, मैला िािा, बयाना, गंिुडचकु टा आडि हैं।

 कमि नाच करम या कमत का शाब्दिक अथत है कोसली ओडड़या भाषा मंे `भाग्य`। ओडिशा का यह लोक नृत्य िेवता या भाग्य की िेवी की पिा के िौरान डकया िाता है। यह भाद्र शुक्ल एकािशी से शुरू होता है और कई डिनोंि तक चलता रहता है। इस नृत्य रूप की उत्पडि राज्य के सिंबलपुर डिले से हुई है। कमात ज्यािातर अनुसडचत िनिाडतयोंि द्वारा बलािंगीर, कालाहांििी, संिुिरगढ़, सिंबलपुर और मयरभंिि डिलोिं में डकया िाता है।

 दल्खाई नृत्य ओत्रडशा का `दल्खई` लोक नृत्य, संबलपुर त्रजले की आत्रदवासी मत्रहलाओं द्वारा त्रकया जाने वाला एक नृत्य-प्रदशिन है। `दशहरा` का त्योहार दल्खाई प्रदशिन का अवसर है। यह प्रदशिन अन्य सभी त्यौहारों जैसे त्रक भाईजीत्ंरटया, फागुन पुनी, नुआिाई, आत्रद पर भी बहुत आम है, त्रबंकल, कु डा, त्रमधाि, समामा और संबलपुर, बालंगीर, सुंदरगढ़, बरगढ़, नुआपाड़ा की कु छ अन्य जात्रतयों की युवत्रतयों द्वारा ज्यादातर ढलकाई नृत्य त्रकया जाता है। इस नृत्य के दौरान, पुरुष उन्हंे डर मर और संगीतकार के रूप मंे शात्रमल करते हैं। यह नृत्य लोक संगीत के एक समृद्ध ऑके स्ट्रा के साथ िेला जाता है, त्रजसे ढोल, त्रनसान, तमकी, तासा और माहुरी के नाम से जाना जाता है। हालाँात्रक, ढोल वादक लड़त्रकयों के सामने नृत्य करते समय टेम्पो को त्रनयंत्रित करता है। ढालिाई का अथि है, त्रकसी लड़की की सहेली को संबोत्रधत करना। राधा और कृ ष्ण की प्रेम कहानी, रामायण और महाभारत के एत्रपसोड, प्राकृ त्रतक दृश्ों का वणिन इस प्रदशिन के माध्यम से दशािया गया है। इस नृत्य के गीत में कोसली ओत्रडया भाषा का उपयोग त्रकया जाता है।

 घमऊरा नृत्य यह ओत्रडशा का सबसे लोकत्रप्रय लोक नृत्य है। इसकी उत्पत्रि राज्य के कालाहांडी त्रजले से हुई है। कई शोधकतािओं का दावा है त्रक इस नृत्य रूप मंे ‘मुद्रा’ और नृत्य के रूप के कारण कई अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की समानता है, जबत्रक अन्य दावा करते हैं त्रक घमुरा प्राचीन भारत का एक युद्ध नृत्य जैसा त्रदिता है जो महाकाव्य रामायण मंे रावण द्वारा त्रकया गया था ।  घमूरा पहले युद्ध के समय कालाहांडी राज्य मंे एक दरबारी नृत्य के रूप मंे इस्तेमाल त्रकया गया था। त्रवत्रशष्ट त्रमत्रश्रत ध्वत्रन जो घमुरा, त्रनशान, ढोल, ताल, मदाल आत्रद जैसे वाद्ययंिों से त्रनकलती है और कलाकारों के भाव और चाल इस नृत्य को ‘वीर नृत्य’ बनाते हंै। नृत्य वतिमान समय मंे सभी वगों के बीच सामात्रजक मनोरं जन, त्रवश्राम, प्रेम, भम्प्रि और मैिीपूणि भाईचारे के साथ जुड़ा हुआ है। लेत्रकन पारं पररक रूप से यह कालाहांडी और दत्रक्षण पत्रिमी ओत्रडशा के बड़े त्रहस्ों में नुक्खाई और दशहरा समारोह के साथ जुड़ा हुआ है।

 ओत्रडसी नृत्य को पुराताम्प्रिक साक्ष्ों के आधार पर सबसे पुराने जीत्रवत नृत्य रूपों मंे से एक माना जाता है। इसका जन्म मम्प्रिर में नृत्य करने वाली देवदात्रसयों के नृत्य से हुआ था। ओत्रडसी नृत्य का उल्लेि त्रशलालेिों में त्रमलता है। ओत्रड़सी पारंपररक रूप से प्रदशिन कला की एक नृत्य-नात्रटका शैली है। ओत्रड़सी को भांगोनं ामक मूल नृत्य आकृ त्रत के एक संयोजन के रूप में सीिा और त्रनष्पात्रदत त्रकया जाता है। इसमंे त्रनचले (फु टवकि ), मध्य (धड़) और ऊपरी (हाथ और त्रसर) के रूप मंे ज्यात्रमतीय समरूपता और लयबद्ध संगीत प्रत्रतध्वत्रन के साथ पूणि अत्रभव्यम्प्रि और दशिकों के जुड़ाव के तीन स्रोत हैं। ओत्रड़सी प्रदशिन की सूची में शात्रमल हैं:-- आह्वान, नृत्य (शुद्ध नृत्य), नृत्य (अत्रभव्यंजक नृत्य), नाट्य (नृत्य नाटक) और मोक्ष (नृत्य चरमोत्कषि आत्मा और आध्याम्प्रत्मक ररलीज की स्वतंिता)।


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