Multidisciplinary International Magazine JANKRITI जनकृ ति बह-ु विषयक अंतरराष्ट्रीय पविका (Peer-Reviewed) सिदं ी कथा िासियय पर गांधी-दशषन का प्रर्ाव (विशषे ज्ञ समीवित) ISSN: 2454-2725, Impact Factor: GIF 1.888 www.jankriti.com ISSN: 2454-2725, Impact Factor: GIF 1.888 Volume 6, Issue 65, September 2020 www.jankriti.com िषष 6, अकं 65, वसतबं र 2020 डॉ. मेनका कु मारी, अवतवथ प्राध्यापक, ए. पी. एस. एम. कॉलेज, बरौनी, लवलत नारायण वमवथला विश्िविद्यालय, िरभगं ा, मोबाइल–9123179654, ईमले –[email protected] िारांश महात्मा गाधं ी िी के त्रविार और िीवन-पद्धत्रत का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव त्रहदं ी के कई सात्रहत्यकारों पर पड़ा त्रिसका असर उनकी रिनाओं पर भी स्पष्ट रूप से त्रदखता है । ऐसे सात्रहत्यकारों मंे प्रमे िंद, िनै ंदे ्र, त्रवश्वभं रनार् शमाा कौत्रशक, सदु शना , भगवतीिरण वमाा, मतै्रर्लीशरण गपु्त, बालकृ ष्ण शमाा नवीन, माखनलाल ितवु दे ी, रामनरेश त्रिपाठी, सतु्रमिानदं न पतं , सोहनलाल त्रद्ववदे ी, भवानी प्रसाद त्रमश्र आत्रद प्रमखु हंै । इस शोध-पि का उद्दशे ्य गाधं ी-दशना को समझते हुए त्रहदं ी कर्ात्मक सात्रहत्य पर उसके प्रभाव को रेखातं्रकत करना है क्योंत्रक सपं णू ा त्रहदं ी सात्रहत्य पर इसके प्रभाव को एक शोध-पि में समटे ना बेहद कत्रठन काया है । बीज शब्द गाधं ी-दशना , कर्ा-सात्रहत्य, माक्सावाद पर 1920 के आसपास प्रत्यि रूप से विखने लगता है ] । ितषमान समय मंे भी भारतीय राजनीवत और समाज का र्ूसमका जो स्िरूप दृवष्टगोचर होता ह,ै उसे िखे ते हएु लगता है वक गांधी की प्रासंवगकता आज भी कम नहीं हुई है । वहिं ी कथा सावहत्य अपने उद्भि काल से कई धाराओ,ं विचारधाराओ,ं िशनष और गवतविवधयों से संचावलत शोध-सवस्तार– वहिं ी सावहत्य पर गाधं ी की विचारधारा होता रहा है । इसके अवतररक्त मनोविज्ञान, इवतहास, या उनके िशनष के प्रभाि को समझने के पिू ष गांधी के समाजिाि, उपवनिशे िाि जसै े तत्ि का भी प्रभाि पड़ा िशनष या विचारधारा को समझना आिश्यक प्रतीत है । इसी कड़ी के रूप में वहिं ी कथा सावहत्य मंे गाधं ी- होता है । इसे समझे वबना कथा सावहत्य पर उनके प्रभाि िशनष के समािशे को भी िखे ा जा सकता है । महात्मा को ठीक-ठीक समझना मवु श्कल है । सावहवत्यक गांधी का भारतीय राजनीवत में सवक्रय प्रिशे 1915 के रचनाओं पर वकसी भी िशनष या विचारधारा का स्पष्ट्ट आसपास से होता है । 1917 और 1918 के प्रारंभ में प्रभाि भी दृवष्टगोचर हो सकता है और सांके वतक प्रभाि उन्होंने वबहार के चपं ारण आिं ोलन और गजु रात के भी, इसवलए उस विचारधारा या िशनष की बाररवकयों से अहमिाबाि और खड़े ा सत्याग्रह का नते तृ ्ि वकया । पररवचत होना अत्यंत जरूरी है । इसके बाि गाधं ी भारतीय राजनीवत के एक प्रमखु पि के रूप मंे उभरे और उनका प्रभाि वहिं ी कथा सावहत्य वर्ष 6, अंक 65 ,सितंबर 2020 ISSN: 2454-2725 Vol. 6, Issue 65, September 2020 161
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