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Published by Pushpa Tiwari, 2020-08-27 07:44:00

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मेरा वतन मेरा वतन, है मेरा अिभमान | इस पर कु बा, मेरी जान || वंदन क ँ इसका, सुबह व शाम | भारतीय ँ म, िमला ये वरदान || न कोई िह दू , न मु म यहाँ | धम की िविभ ताएँ , है यहाँ || मेरा वतन, के वल स ाई िसखाये | स ावना अपनाने पर, बल िदए जाये || बहती यहाँ है, के वल ेम की धारा | ेष से कोसो,ं दू र सब रहे || िहल-िमलकर, सब ख़ुशी के गीत गाये | ख़ुशी के रं ग म, िमले और िमल जाये || ऐसा वतन बना है सबकी आन िव म जो अपना फै लाये मान || मेरा वतन, है मेरा अिभमान | इस पर कु बा, मेरी जान ||

आशाएं आकाश न छू ती ं यिद जीवन म आस न होती आशाएं आकाश न छू ती ं । राहों की ठोकर ने सबको पीड़ाओं का बोध कराया । मजबूत इरादों ने हमको मंिजल का है पता बताया । मंिजल िमलने पर हंसने से पूव हम रोना पड़ता है । थोड़ा सा पाने के पीछे थोड़ा सा खोना पड़ता है । यिद जीवन म आस न होती आशाएं आकाश न छू ती।ं - ीमती िशखा स ेना

आशाएँ िदल म एक आशा थी, सपने पूरा करने की चाह थी, ार बाँटने की आशा थी, ार से बोलने की भाषा थी | पहले था मन एकांत, लेिकन अब सबके साथ हो गया शांत, देखी जो सबकी भाषा, टू टने लगी मन म छु पी आशा, िदल म एक आशा थी सपने पूरा करने की चाह थी || बंधन सारे तोड़ िदए ह, र े सारे छोड़ िदए ह , दुिनया का कै सा नज़ारा है, एक िकनारे से िगरके , दू सरे िकनारे का सहारा है | िदल म एक आशा थी सपने पूरा करने की चाह थी || िनराशा का दीप बुझा कर, आशाओं का दीप जलाया, जीवन की हर चुनौितओं से लड़कर, मन म आशाओं का िफर दीप जलाया | छोड़ो कु छ भी तुम मगर, आशा मत छोड़ो, सपने पूरे होगं े तभी, जब मन म आशा का दीप जलेगा | िदल म एक आशा थी सपने पूरा करने की चाह थी || - ाित िघ याल

बने हम छा आदशवादी

खुद से मुलाक़ात आज दो घड़ी के िलए खुद से मुलाकात की िकतनी िज़ंदा ं ये जानने की तहकीकात की मु ु राते होठं ो दमकते चेहरे के पीछे कही ं कु छ दफन तो नही ं !! उन वजाहतों को कु रे दने की कोिशश की पर सुकू न ए ये जान कर िक हर मु ु राते चेहरे के पीछे हमेशा कोई दद ही नही ं िछपा रहता उसकी मु ु राहट के पीछे होता है उसका शीशे की मािनंद चमकता बीता आ कल जो आज की मु ु राहट को उसकी पहचान बनाता है - ीमती िशखा शमा


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