67 शेर और लोमड़ी एक शेर, एक लोमड़ी और एक गधा िशकार के िलए िनकले। जब वे जंगल म घूम रहे थ,े तो उ ह एक बारह सघं ा िमला। तीन ने िमलकर बारह सघं े का पीछा कया और उसे मार डाला। अब तीन ने उसे आपस म बाँटने का िन य कया। गधा आगे आया और उसने बारह संघे के माँस को तीन िह स म बाटँ दया। शरे कु छ नाराज आ य क वह सबसे बड़ा िह सा चाहता था। वह गधे पर झपटा और उसे वह मार डाला। शरे ने अब लोमड़ी से मासँ बाटँ ने को कहा। लोमड़ी ब त बिु मान थी। उसने माँस क सारी बो टयाँ इक ी क और उसम से कु छ अपने िलए अलग रख ल । शेर ब त स आ। उसने लोमड़ी से पछू ा, “तु ह िह से बाँटने क कला कसने िसखाई?” लोमड़ी हसँ ते ए बोली, “महाराज, इस गधे के भा य न!े ” वयं गलती करके सीखने के बजाय दसू र क गलितय से सीखना बहे तर होता ह।ै
68 रेत भरी सड़क एक दन एक ापारी ने ापार करने के िलए शहर जाने का िन य कया। उसने अपने साथ कु छ और लोग को भी ले िलया। शहर जाने के िलए उ ह रेिग तान से गजु रना था। जब वे लोग रेिग तान प चँ ,े तो उ ह ब त गम लगने लगी। ापारी और उसके सािथय ने तय कया क शषे या ा वे रात म करगे। जब रात ई, तो उ ह ने अपनी या ा फर शु कर दी। उनम से एक ि को िसतार क जानकारी थी। वह िसतार क ि थित के अनुसार लोग को आगे बढ़ने का रा ता बताने लगा। उन लोग ने िबना के सारी रात या ा क । दन होने पर वे क गए और वह आराम करने लगे। दो दन इसी तरह या ा करते रह।े अब उनक या ा एक दन क और बची थी। अचानक, उनके पास का सारा पानी समा हो गया। सारे लोग थक चकु े थे और िबना पानी िपए या ा करने क उनम शि नह बची थी। वे बठै गए। ापारी ने पानी खोजने का िन य कया। वह चल पड़ा। आिखरकार, उसे कु छ घास दखाई दी। वह सोचने लगा, “यहाँ घास होने का मतलब है क यह धरती के नीचे पानी भी होगा।” उसके सारे साथी भागकर वहाँ आ गए और खदु ाई करने लगे। उन लोग के खोदे ग े म ापारी कू द गया और उसम पड़ी च ान से कान लगाकर कु छ सनु ने क कोिशश करने लगा। उसने अपने सािथय से कहा, “मझु े इस च ान के अंदर पानी बहने क आवाज सनु ाई दे रही ह।ै हम उ मीद नह छोड़नी चािहए।” ऐसा कहकर वह ापारी ग े से बाहर िनकल आया और अपने सािथय से बोला, “अगर तुम लोग ने िह मत खो दी, तो हम भी खो जाएँगे। इसिलए िह मत मत हारो और खुदाई करते रहो।”
सारे साथी हथौड़े से च ान तोड़ने म जुट गए। ापारी क बात मानकर उ ह ने िह मत नह हारी। आिखरकार, च ान टूट गई और ग ा पानी से लबालब भर गया। सारे लोग ने छककर पानी िपया। उ ह ने अपने बलै को भी पानी िपलाया और
जमकर ान भी कया। नहाने-धोने के बाद वे अपने साथ लाई लकिड़याँ चीरने लगे। उन लकिड़य से उ ह ने आग जलाई और चावल पकाए। सभी ने खाना खाया और दन भर आराम कया। उन लोग ने उस ग े के पास एक झडं ा भी गाड़ दया, ता क आने-जाने वाले याि य को भी पानी का पता लग जाए। दन ढलने के बाद सभी ने फर से या ा शु कर दी और सबु ह तक शहर प चँ गए। वहाँ उ ह ने अ छी तरह से ापार कया और अ छा मुनाफा कमाकर अपने गावँ लौट आए। इ छा और सकं प से सब कु छ हािसल कया जा सकता ह।ै
69 सअु र और भड़े एक मोटा-तगड़ा सुअर था। उसे हमशे ा पकड़े जाने और मार डाले जाने का डर लगा रहता था। वह भेड़ के बाड़े म रहने लगा। उसने सोचा क यहाँ रहने पर उसे कोई नह दखे पाएगा और वह बचा रहगे ा। एक दन, चरवाहे ने उसे दखे िलया और उसके कान पकड़कर बाहर ख च लाया। सुअर चीखता-िच लाता रहा और अपने को छु ड़ाने का यास करता रहा। पास खड़ी एक भड़े उसे दखे रही थी। वह सुअर को समझाने लगी, “तुम इतने घबरा य रहे हो? हमारा मािलक तो हमारे साथ अ सर ऐसा ही करता ह,ै ले कन हम लोग तो नह िच लात।े ये चीखना-िच लाना बंद करो।” सअु र ने उ र दया, “मेरे दो त, मेरा मामला अलग ह।ै तु ह वह ऊन िनकालने के िलए पकड़ता होगा, पर मुझे तो वह काटकर गो त पकाने के िलए पकड़े ह।ै ”
70 िशकारी और खरगोश एक िनदयी िशकारी खरगाश को पकड़ा करता था और उनका माँस खाया करता था। एक दन, फर से उसने एक खरगोश पकड़ा और उसके कान पकड़कर उसे घर ले चला। रा ते म उसे एक साधु िमला। साधु ने िशकारी से कहा क वह खरगोश को छोड़ दे और इस भलाई के बदले पु य कमा ले। िशकारी ने इ कार कर दया। उसने वह साधु के सामने ही िनदयतापवू क खरगोश क गदन काटने का िन य कया। उसने थलै े से बड़ा धारदार चाकू िनकाला। वह चाकू से खरगोश को काटने ही वाला था क चाकू फसलकर उसी के परै पर िगर पड़ा। उसका पैर बरु ी तरह से कट गया। वह दद से िच लाने लगा और उसके हाथ से खरगोश छू ट गया। िशकारी को अपने पाप का दडं िमला। उसका परै बरु ी तरह से कट गया था, इसिलए वह ठीक से चलने लायक भी नह रहा और न कभी दबु ारा कोई िशकार कर पाया।
71 न हाँ लालची प ी ब त समय पहले क बात ह।ै तेज गम म एक दन पि य का राजा अपने साथी पि य के साथ भोजन क तलाश म कसी नई जगह के िलए उड़ चला। उसने सारे पि य से हर ओर भोजन क तलाश करने को कहा। सारे प ी भोजन क तलाश म दरू -दरू फै ल गए। एक प ी एक राजमाग पर प चँ ा। वहाँ उसने दखे ा क ब त सारी बलै गािड़य म अनाज के बोरे लदे ह। उसने यह भी दखे ा क जब गािड़याँ आगे बढ़ती ह तो उनसे ब त सारा अनाज नीचे िगर रहा ह।ै वह ब त स आ और उसने ज दी से राजा को इस थान के बारे म सबसे पहले बताने का िन य कया। वह उड़कर वापस आया और राजा से कहने लगा, “महाराज, मने सड़क पर दखे ा है क ब त सारी बैलगािड़य पर अनाज के बोरे लदे जा रहे ह, िजनसे अनाज िगर रहा ह।ै हालाँ क, अगर आप सड़क पर नीचे दाने चुगगे, तो गािड़य से कु चले जा सकते ह। वहाँ न जाने म ही भलाई ह।ै ” पि य के राजा को उसक सलाह उिचत लगी। उसने सभी पि य को उस सड़क पर न जाने क चते ावनी दे दी। न हाँ प ी हर दन उस जगह जाता और अके ले ही अपना पटे भरकर आ जाता। एक दन जब वह दाने चगु रहा था, तभी एक बलै गाड़ी िनकली और वह लालची प ी कु चलकर मर गया।
72 शेर और चहू ा गम का दन था और एक शरे अपनी मादँ म लटे ा झपक ले रहा था। अचानक एक चहू ा अनजाने म उसके ऊपर कू द पड़ा। शरे क न द टूट गई। शरे ने चहू े को पंजे म दबोच िलया और उसे मसलने ही वाला था क चूहा िगड़िगड़ाकर जान क भीख मागँ ने लगा। शेर को उस पर दया आ गई और उसने चहू े को छोड़ दया। कु छ दन बाद, शरे जगं ल म घमू रहा था। तभी अचानक वह िशका रय के लगाए जाल म फँ स गया। जाल क रि सय म वह इतनी बरु ी तरह से उलझ गया क वह िहल तक नह पा रहा था। शेर जमीन पर पड़ा था और असहाय होकर िच ला रहा था। उसके चीखने क आवाज जगं ल म गजँू ने लगी। चूहे ने भी वह आवाज सनु ी। वह भी दौड़ा-दौड़ा प चँ ा। चहू े ने तुरंत जाल को अपने नकु ले दाँत से काटना शु कर दया। कई बार छोटे और तु छ समझे जाने वाले लोग भी बड़े उपयोगी सािबत होते ह।
73 शरे और भिे ड़या एक बार क बात ह।ै एक भिे ड़ए ने एक भड़े को मार डाला और वह उस मरी ई भेड़ को अपनी मादँ म लके र जाने ही वाला था क अचानक एक शेर आ गया। वह शरे उस पर झपट पड़ा और भेड़ को छीनने का यास करने लगा। भेिड़या शेर को दखे कर िच लाया, “तु ह शम आनी चािहए। तुम जंगल के राजा हो। तु हारे ऊपर सारे जानवर िव ास करते ह। तमु अब खुद ही मरे ा िशकार छीन रहे हो? तमु तो इस जंगल के कलकं हो!” शेर हसँ पड़ा और बोला, “मुझे य शम आए? म तुमसे िशकार छीनने म या बरु ाई ह,ै जब क तु हारा तो काम ही चोरी करके पटे भरना ह।ै मेरे ऊपर इस तरह का आरोप लगाने क तु हारी िह मत कै से ई, सिड़यल जानवर? शम तो तु ह आनी चािहए य क तमु ने चरवाहे क भेड़ चुराई ह।ै ” एक चोर दसू रे चोर से अ छा नह हो सकता।
74 दो िम क कहानी एक शहर म दो िम रहते थ,े धमबिु और पापबुि । चालाक पापबिु ने धमबुि का सारा धन हड़पने क योजना बनाई। उसने धमबुि से कहा, “दो त, मझु े लग रहा है क अपना सारा धन अपने घर पर रखना सरु ि त नह ह।ै हम अपना धन जंगल म कसी गु थान पर गाड़ दते े ह। जब कभी हम धन क आव यकता पड़गे ी, हम जाकर िनकाल लाएगँ ।े ” धमबिु सहमत हो गया। दोन ने पास के जंगल म जाकर एक गहरा ग ा खोदा और अपना सारा धन उसम गाड़ दया। एक दन पापबिु गया और ग े से उसने सारा धन िनकाल िलया। अगले दन, वह धमबिु के पास गया और बोला क उसे कु छ धन क आव यकता ह,ै इसिलए साथ चलकर जगं ल से धन िनकाल िलया जाए। जब दोन जगं ल म प चँ े तो उ ह ने पाया क ग ा तो खाली ह।ै पापबिु जोर- जोर से रोते ए कहने लगा, “धमबुि , तमु ने सारा धन चुरा िलया। उसम आधा िह सा मरे ा भी था। मरे ा िह सा वापस करो।” हालाँ क, धमबिु ने फौरन इ कार कर दया। पापबुि नह माना और उस पर लगातार आरोप लगाता ही रहा। दोन का झगड़ा अदालत प चँ ा। वहाँ पर पापबुि ने यायाधीश से कहा, “म गवाह के प म वनदवे ता को तुत कर सकता ।ँ वे ही तय करगे क कौन दोषी ह।ै ” यायाधीश मान गए। उ ह ने दोन से अगले दन सुबह जंगल प चँ ने का आदशे दया। पापबुि घर गया और अपने िपता से बोला, “िपताजी, मने धमबुि का सारा धन चरु ा िलया ह।ै मामला अदालत म ह।ै अगर आप सहायता कर तो म मुकदमा जीत सकता ।ँ आप जाइए और पड़े के खोखले तने म िछप जाइए। कल सबु ह जब यायाधीश वहाँ प चँ गे तो म आपसे सचाई पछू ू ँगा। आप कह दने ा क धमबिु ही चोर ह।ै ” िपता को पापबुि के ष ं म शािमल होने म िझझक हो रही थी ले कन अपने बेटे के यार क वजह से वह आिखरकार राजी हो गया। अगले दन, जब धमबिु और यायाधीश के सामने पापबुि पड़े के पास गया और िच लाकर बोला, “हे वनदवे ता, आप गवाह ह। आप ही बताएँ, हम दोन म से कौन दोषी ह।ै ” पेड़ के खोखले तने म िछपा िपता ने जवाब दया, “धमबिु ने चुराया है सारा धन।” धमबु को सदं हे हो गया। उसने पेड़ के खोखले तने म घास-फू स भर दया और उसम तेल डालकर आग लगा दी। आग जली तो िपता पेड़ से िनकलकर भागा। “यह सब पापबिु के शतै ानी दमाग क उपज ह,ै ” िपता ने यायाधीश से प कह दया। राजा के िसपािहय ने पापबिु को िगर तार कर िलया।
75 लकड़हारा और लोमड़ी एक लोमड़ी के पीछे िशकारी पड़े थ।े लोमड़ी भागते-भागते एक लकड़हारे के पास प चँ ी और उससे शरण मागँ ने लगी। लकड़हारे ने अपनी झोपड़ी क ओर इशारा करते ए लोमड़ी से उसम िछप जाने को कह दया। थोड़ी ही दरे म िशकारी वहाँ आ प चँ ।े उ ह ने लकड़हारे से पूछा, “ या तु ह कोई लोमड़ी दखी यहा?ँ ” लकड़हारे ने जवाब दया, \"नह ,” ले कन चुपचाप अपनी झोपड़ी क ओर इशारा कर दया। िशकारी उसके इशारे को नह समझ पाए और वहाँ से चले गए। लोमड़ी झोपड़ी से बाहर िनकलकर आई और भागने लगी। लकड़हारे ने उसे आवाज लगाई और कहा, “तुम कतनी कृ तघन हो! अपनी जान बचाने के िलए तमु ने मुझे ध यवाद तक नह दया!” लोमड़ी खे वर म बोली, “अगर तु हारे बोल क तरह तु हारे इशारे भी भरोसे लायक होते तो म तु ह ध यवाद ज र दते ी।” कई बार एक ह का-सा इशारा, बोले गए श द से यादा बरु े होते ह।
76 बदं र और ऊँ ट कई साल पहल,े जंगल से सारे जानवर अपनी-अपनी अिभनय और नाच-गाने क ितभा दखाने के िलए एक ए। जब सारे जानवर आ गए, तो बंदर से नाचने को कहा गया। बंदर तो उछल-कू द और कलाबािजय म मािहर था ही। उसने अपने नाच से सबका मनोरंजन कया। सभी लोग ने ब त सराहना क और बदं र को सभी ने ब त अ छा नतक मान िलया। ऊँ ट से बदं र क सराहना सहन नह ई और उसने भी नाचना शु कर दया। उसका नाच िबलकु ल बेतुका और बढे ंगा था। उसका नाच कसी को भी पसदं नह आया और सबने उसक बरु ाई क । उसने ई या से भरकर नाच कया था, इसिलए उसे दडं के प म जगं ल से िनकाल दया गया। अगर तुम अपनी बाँह से अिधक अपना हाथ पसारोग,े तो तु ह हािन ही होगी।
77 न दयाँ और समु न दयाँ और समु काफ ाचीन समय से आपस म िमलकर रहते आ रहे थ।े न दयाँ अपना पानी समु म डालती थ और समु उस पानी को स तापूवक वीकार करता था ता क न दयाँ साफ और सुरि त बनी रह। हालाँ क न दय को यह बात अ छी नह लगती थी क समु सारे पानी को खारा कर दते ा ह।ै एक दन उ ह ने समु से इस बात को लके र िशकायत करने का िन य कया। वे सारी एकजटु होकर समु के पास ग । सारी न दयाँ िवशाल नीले समु के पास जाकर एक वर म बोल , “अरे समु , हम लोग तु हारे पास इतनी मीठा पानी लाते ह, ले कन तुम उसे खारा य कर दते े हो?\" समु कु छ दरे शातं रहा और न दय क नाराजगी भरी बात सनु ता रहा। फर वह बोला, “अगर तमु नह चाहत क यह पानी खारा हो, तो तुम लोग मझु से दरू रहने लगो।” न दयाँ चपु चाप महुँ लटकाए लौट पड़ य क वे जानती थ क वे समु के िबना नह रह सकती ह।
78 बूढ़ा बाघ और लालची राहगीर एक बाघ बढ़ू ा होने के कारण काफ कमजोर हो गया था। उसम इतनी शि भी नह बची थी क वह अपने िलए कोई िशकार कर सके । उसे एक सोने का कं गन िमला। कं गन लेकर वह क चड़ म खड़ा हो गया और िच लाने लगा, “दखे ो, दखे ो! मेरे पास आओ और सोने का यह सदंु र कं गन ले लो।” एक राहगीर वहाँ से गजु रा तो लालच म आकर क गया। उसे बाघ के पास जाने म डर भी लग रहा था। “म तु हारा िव ास कै से क ँ ?” उसने दरू से ही बाघ से पछू ा। “अगर म कं गन लेने तु हारे पास आया तो तुम मुझे खा जाओग।े ” बाघ ने जवाब दया, “म हमशा लोग को मारता रहा, ले कन अब म सधु र गया ँ और भलाई का जीवन िबता रहा ।ँ लोग को दान करने म मुझे सुख िमलता ह।ै ” राहगीर उसक बात म आ गया ले कन बाघ के पास आकर वह क चड़ म फँ स गया। बूढ़े बाघ को इसी का इंतजार था। वह उस पर झपट पड़ा और क चड़ म ख च ले गया। वह राहगीर पछताते ए रोने-िच लाने लगा, “हाय मेरी क मत! लालच म आकर म यही भलू गया क ह यारा हमेशा ह यारा ही रहता ह।ै ”
79 हाथी और चूहे एक बड़ी झील के पास ब त सारे चहू े रहते थे। एक दन वहाँ हािथय का एक झुंड आया। हािथय के पैर तले दबकर सैकड़ चहू े दबकर मर गए। बचे ए चूहे ब त चिं तत ए। चहू के सरदार ने कहा, “हम इन हािथय से दया का अनुरोध करना चािहए।” सारे चहू ने िमलकर हािथय के मुिखया से अनरु ोध कया, “आप लोग के झील जाते समय हमारे सैकड़ साथी आप लोग के पैर तले दबकर मर गए। हमारा अनरु ोध है क आप लोग झील जाने के िलए कसी दसू रे रा ते का योग कर।” हािथय का मिु खया मान गया। एक दन, राजा ने जंगल के सारे हािथय को पकड़ने का आदशे दया। जगं ल म जाल लगा दए गए। एक को छोड़कर सारे हाथी जाल म फँ स गए। बचा आ हाथी चहू के सरदार के पास प चँ ा और उससे सहायता मागँ ने लगा। सभी चूहे तरु ंत जाल क ओर भागे। वहाँ प चँ ते ही सभी ने ज दी से अपने नकु ले दातँ से जाल को कु तरना शु कर दया। दखे ते ही दखे ते जाल कट गए और सारे हाथी मु हो गए। दया के बदले और अिधक दया िमलती ह।ै
80 मढक और चूहा एक दु मढक ने एक चूहे से दो ती कर ली। एक दन दोन या ा पर िनकल पड़।े रा ते म उ ह एक तालाब िमला। चूहे को पानी म जाने से डर लग रहा था ले कन मढक ने कहा क वह तालाब पार करने म चूहे क सहायता करेगा। उसने चूहे क टागँ अपनी टाँग से बाधँ ली और पानी म कू द पड़ा। जब मढक तालाब के बीच गहरे पानी म प चँ ा तो वह चहू े को पानी म नीचे ख चने लगा। चहू े ने अपने को छु ड़ाने क ब त कोिशश क और उनक ख चतान से पानी म काफ हलचल होने लगी। हलचल दखे कर तालाब के ऊपर उड़ रहे एक बाज वहाँ आ गया। वह नीचे आया और चूहे को अपने पजं े म दाबकर उड़ गया। धोखेबाज मढक क टागँ भी उसक टागँ के साथ बधँ ी थ , इसिलए वह भी चपटे म आ गया और चहू े के साथ वह भी बाज क पकड़ म आ गया | जो दसू र को हािन प चँ ाने का यास करते ह, वे वयं भी अपने ही काय से हािन उठाते ह।
81 आड़ू और सेब एक बगीचे म एक आड़ू और एक सबे आपस म बहस कर रहे थ।े दोन अपने आपको अिधक संदु र बता रहे थ।े दोन अपनी बात पर अड़े थे। उ ह ने िनणय के िलए खुली बहस करने का िन य कया। दोन फल के बीच तीखी बहस होने लगी। बगीचे के सारे फल उनक बात सुन रहे थे। तभी पास क झाड़ी से एक काली बेरी ने अपना िसर उठाया और िच लाकर बोली, “तुम लोग क बहस ब त हो चुक ह।ै हम नह लगता क तमु लोग का फै सला हो पाएगा। इस बहस से कु छ भी हािसल होने वाला नह ह।ै अपने मतभदे भलु ाकर हाथ िमलाओ और फर से दो त बन जाओ। शांित से रहने का यही एक तरीका ह।ै ” ऊँ चे वर म झगड़ने से कोई लाभ नह होता।
82 सूरज का िववाह गम का दन था। पृ वी पर अचानक लोग ने खबर सनु ी क सूरज का ज द ही िववाह होने वाला ह।ै सारे लोग ब त स ए। मढक भी ब त स ए और पानी म उछल-कू द मचाने लगे। एक बूढ़ा मढक पानी के ऊपर आया और सारे मढक को समझाने लगा क यह स ता क नह दखु क बात ह,ै “मरे े सािथयो! तुम लोग इतने स य हो रहे हो? या यह वाकई खुशी मनाने क खबर ह?ै एक अके ला सरू ज तो अपनी गम से हम झुलसा दते ा ह।ै जरा सोचो, जब इस सूरज के दजन भर ब े हो जाएगँ े तो हमारा या हाल होगा। हमारा क कई गुना बढ़ जाएगा और हम लोग जीिवत नह रह पाएगँ े। ”
83 कसान और लोमड़ी एक लोमड़ी थी, जो एक कसान को ब त परेशान कया करती थी। वह कसान के मुग बाड़े म घसु कर हमशे ा उसके मुगरे ्-िमुगयाँ खा जाया करती थी। कसान उस लोमड़ी से ब त तगं आ चुका था। उसने लोमड़ी को सबक िसखाने का िन य कया। कई दन बाद, एक दन आिखरकार वह लोमड़ी को पकड़ने म सफल हो ही गया। गु से म उसने एक र सी को तेल म िभगोकर लोमड़ी क पूछँ से बाँध दया और उसम आग लगा दी। लोमड़ी आग से परेशान होकर कसान के परू े खेत म दौड़ने लगी। दखे ते ही दखे ते कसान क परू ी फसल म आग लग गई। लोमड़ी क पछँू तो जली ही, साथ ही कसान भी बबाद हो गया! कसान ने गु से म आकर अगर इस तरह का काम न कया होता तो उसे इतना बड़ा नुकसान न झले ना पड़ता। उसे अपने कए पर ब त पछतावा होने लगा। उसने तय कया क अब वह गु से म आकर कभी भी ऐसा काम नह करेगा।
84 पाशु क भाषा जानने वाला राजा एक बार एक राजा ने एक सापँ क जान बचाई। सापँ ने स होकर राजा को ऐसी शि दी िजससे क वह पशु क भाषा समझने लगा। हालाँ क उसने इस शि को गु रखने क भी शत लगा दी और कहा क अगर कसी को भी उसने यह बता बताई तो उसक मृ यु हो जाएगी। एक बार राजा, रानी के साथ बगीचे म बठै ा था। उसने एक च टी को िमठाई के टुकड़े के बारे म बोलते सनु ा। राजा च टी क बात सनु कर मु कराने लगा। रानी ने उससे मु कराने का कारण पूछा। राजा ने रानी को ब त समझाने क कोिशश क पर वह बार-बार कारण पूछती ही रही। आिखरकार राजा उसे रह य बताने को तयै ार हो गया। तभी आकाशवाणी सनु ाई दी, “हे राजन, तमु य उसके िलए अपने ाण का बिलदान दे रहे हो, जो वयं तु हारे ाण का मू य नह समझ रही थी?” राजा ने रानी को बताया क वह कतनी वाथ ह।ै रानी को भी अपनी गलती समझ म आ गई।
85 भेिड़या-भेिड़या िच लाने वाला बालक ब त समय पहले एक चरवाहा था जो अपनी भेड़ को चराने जंगल ले जाया करता था। एक दन, उसने गावँ वाल के साथ मजाक करने का िन य कया। वह िच लाने लगा, “बचाओ! भेिड़या आया!” गावँ वाले उसक पकु ार सुनकर दौड़-े दौड़े गए। जब वे लोग चरवाहे के पास प चँ े तो वहाँ उ ह कोई भेिड़या नह दखा। चरवाहा गाँव वाल को दखे कर जोर-जोर से हसँ ने लगा। उसने कई बार गावँ वाल के साथ यही मजाक कया। अब गावँ वाल को उसक पुकार पर भरोसा नह रहा। एक दन ऐसा आ क सचमुच एक भिे ड़या आ गया। चरवाहा गाँव वाल क ओर भागा और िच लाने लगा, “बचाओ! भेिड़या आया!” गाँव वाल ने समझा क चरवाहा तो हमशे ा क तरह मजाक कर रहा ह।ै गाँव वाले उसका िच लाना सुनकर हसँ ते रह।े जब चरवाहा ब त िगड़िगड़ाया तो अिन छापवू क कु छ गाँव वाले उसके साथ गए। वहाँ सबने दखे ा क भिे ड़ए ने कई सारी भेड़ को मार डाला था।
86 लड़ने वाले मगु और बाज कु छ समय पहले क बात ह।ै दो मगु एक कू ड़े के ढेर पर लड़ रहे थ।े दोन परू ी शि से एक-दसू रे पर आ मण कर रहे थे। लड़ाई म जीतने वाला ही उस ढेर का राजा घोिषत होने वाला था। आिखरकार एक मुगा बरु ी तरह से घायल होकर िगर पड़ा। धीरे-धीरे उठकर वह अपने दड़बे म चला गया। जीतने वाले मुग ने एक उड़ान मारी और जोर से बाँग लगाने लगा। उसी समय एक बाज ऊपर से उड़कर जा रहा था। बाज ने एकदम से झप ा मारा और उस मगु को दबोचकर ले गया। हारा आ मगु ा यह सब दखे रहा था। वह दड़बे से बाहर िनकला और कू ड़े के ढेर पर खड़ा हो गया। उसने बागँ लगाकर अपने को राजा घोिषत कर दया। घमडं करने वाले क सदवै हार होती ह।ै
87 िसयार का झडुं और हाथी िसयार के एक झुडं ने एक हाथी को दखे ा। उनका मन उस हाथी का मासँ खाने का करने लगा। एक बढ़ू ा िसयार बोला, “चलो, म तमु लोग को तरीका सझु ाता ।ँ हाथी को मारने का एक तरीका है मेरे पास।” हाथी इधर-उधर घमू रहा था। बूढ़ा िसयार उसके पास प चँ ा। “महोदय, म एक िसयार ।ँ म सारे जानवर ने मुझे आपके पास भेजा ह।ै हम लोग ने िमलकर तय कया है क आपको जगं ल का राजा बनाया जाना चािहए। आपके अदं र राजा के सारे गुण ह। कृ पया मेरे साथ चिलए और राजा का काम सभँ ाल लीिजए।” हाथी िसयार क चापलसू ी भरी बात म आ गया। वह िसयार के साथ चल पड़ा। िसयार उसे एक झील के पास ले गया, जहाँ हाथी फसल पड़ा और गहरे क चड़ म फँ स गया। “मेरी सहायता करो िम ,” हाथी असहाय होकर िच लाने लगा। िसयार कु टलता से मु कराया और कहने लगा, “महोदय, आपने मेरे जसै े जानवर पर िव ास कया। अब आपको इसक क मत जान दके र ही चुकानी पड़गे ी।” हाथी क चड़ म फँ सा रहा और कु छ दरे म मर गया। सारे िसयार ने िमलकर उसके गो त क दावत उड़ाई।
88 नीमहक म मढक ब त समय पहले, एक मढक था, जो अिधकतर समय क चड़ से भरे दलदल म घुसा रहता था। उसे यह म हो गया क वह हर कसी का इलाज कर सकता ह।ै एक दन वह दलदल से िनकला और दावा करने लगा क उसने धरती क सारी बीमा रयाँ ठीक कर दी ह। “अरे सािथयो, मेरे पास आओ। मुझे चम कारी शि याँ िमल गई ह। म तमु सबक बीमा रयाँ ठीक कर सकता ,ँ ” वह परू ी ताकत से िच लाकर बोला। पास से एक लोमड़ी िनकल रही थी। वह वह क गई और बोली, “तुम तो नीमहक म हो। अगर तु हारे पास कोई चम कारी शि है तो पहले अपनी ये लँगड़ी चाल और यह छेद वाली खाल ही ठीक कर लो। अपने आपको जबरद ती डाॅ टर कहते हो, पहले वयं का इलाज तो कर लो।” कसी के काम क जाचँ वहार से ही क जा सकती ह।ै
89 उ ंड बटे ा एक ापारी का ब त उ ंड बटे ा था। वह पजू ा-पाठ और भलाई के काम म िबलकु ल िच नह लते ा था। धम-कम म उसक िच जगाने के इरादे से उसक माँ ने उसे एक मं दर म सतं के वचन सुनने के िलए भेजा। उसक माँ ने उसे लालच दया क अगर वह सतं के परू े वचन सनु कर आएगा तो वह उसे हजार पए दगे ी। पय के लालच म बेटा तयै ार हो गया, ले कन यान से वचन सुनने के बजाय वह वहाँ परू े समय सोता रहा। अगले दन सबु ह, उसका बटे ा घर लौटा और उसने माँ से हजार पए ले िलए। पए लके र उसने ापार के िलए समु पार जाने का िन य कया। उसक माँ ने उसे रोकने का ब त यास कया, ले कन बटे े ने उसक एक नह सुनी। उसने अपना सामान बाधँ ा और या ा पर िनकल पड़ा। मगर अफसोस! रा ते म ब त तजे तूफान आया और उसका जहाज सारे याि य समेत डूब गया। इस कार माँ क सलाह न मानने क सजा बटे े को भी भगु तनी पड़ी।
90 िबना पँछू क लोमड़ी िशका रय के हमले से एक लोमड़ी क जान तो बच गई ले कन उसक पँछू कट गई। उसे ब त शम आ रही थी। अपनी शम िछपाने के िलए उसने सारी लोमिड़य क सभा बुलाई और बोली, “मरे े सािथयो, मेरे ऊपर ई र ने िवशषे कृ पा क है और मरे ी पछँू हटा दी ह।ै अब म सखु ी और आरामदायक जीवन जी सकता ।ँ हमारी पँछू तो कु प और बोझ जसै ी ह। हरै ानी क बात है क हमने अब तक अपनी पछूँ को काटा य नह ! मेरी सलाह मानो और सब लोग अपनी-अपनी पछँू काट डालो।” एक चालाक लोमड़ी उठ खड़ी ई और हसँ ते ए बोली, “अगर मरे ी पछूँ भी कट गई होती, तब तो म तु हारी बात का समथन कर दते ी। ले कन मेरी पछँू तो सकु शल है तो म या बाक लोमिड़याँ अपनी-अपनी पूछँ य काट? तुम अपनी वाथ सलाह अपने पास ही रखो।”
91 कौआ और घड़ा तेज गम का दन था। एक कौए को जोर से यास लगी थी। उसने आसपास पानी क खोज क । उसे एक घड़ा दखाई दया। कौआ उड़कर घड़े के पास गया और घड़े म झाकँ कर दखे ने लगा। घड़े म तली म ब त थोड़ा-सा पानी बचा था। कौआ समझ गया क पानी के िलए या तो घड़ा उलटना पड़गे ा या उसे फोड़ना पड़गे ा। दोन ही काम उसके बस के नह थे। हालाँ क, कौए ने आस नह छोड़ी और कसी दसू रे उपाय के बारे म सोचने लगा। उसने घड़े के पास ब त सारे कं कड़ पड़े दखे े। उसके मन म एक िवचार आया। कौए ने एक-एक करके सारे कं कड़ घड़े म डालने शु कर दए। जब काफ सारे कं कड़ घड़े म प चँ गए तो पानी का तर धीरे-धीरे ऊपर आ गया। कौए क च च पानी तक प चँ ने लगी। उसने भरपेट पानी िपया। आव यकता आिव कार क जननी ह।ै
92 मछु आरा और िशकारी एक िशकारी ब त सारे िशकार लेकर पहाड़ से नीचे उतर रहा था। अचानक उसके सामने मछिलय से भरा थैला िलए एक मछु आरा आ गया। दोन िमले और थोड़ी बातचीत के बाद ही दोन अ छे दो त बन गए। मछु आरे ने िशकार खाने क इ छा जताई और िशकारी का मन मछिलयाँ खाने का था। दोन ने अपना-अपना सामान एक-दसू रे से बदल िलया। अब तो दोन क ही यह आदत बन गई। हर दन वे अपना-अपना सामान एक-दसू रे से बदल लते े। एक दन जब वे दोन साथ बठै े भोजन कर रहे थे, तभी एक बिु मान ि वहाँ आया। उसने दोन को अपना-अपना भोजन बदलते दखे ा। कु छ दरे सोचने के बाद वह दोन से बोला, “दो तो, अगर तुम लोग हर दन अपना भोजन आपस म बदलते रहे तो कु छ ही दन म तु ह इसम मजा आना बंद हो जाएगा और फर से अपना भोजन करने का ही मन करने लगेगा। खशु ी पाने के िलए कु छ परहजे भी करना चािहए।”
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