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202110260-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_SL-G09-FY

Published by IMAX, 2020-04-15 08:37:45

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Hindi Workbook_9_SL.pdf 1 10/18/19 1:06 PM 9 Name: ___________________________________ Section: ________________ Roll No.: _________ School: __________________________________

नवी कक्षा – ह िंदी (हितीय भाषा) हवषय सचू ी इकाई क्र. स.िं पाठ का नाम हवधा मा पृष्ठ सिखं ्या 1 जिस दशे मंे गगं ा बहती है . .. गीत I 2 गाने वाली जर्जिया कहानी मार्च-अगस्त 5-50 3 बदलंे अपनी सोर् भाषण-लेख उपवार्क तारे ज़मीं पर समीक्षा 4 प्रकत जत की सीख कजवता II 5 फु टबॉल संस्मरण अगस्त-अक्तू बर 51-92 6 बटे ी के नाम पत्र पत्र उपवार्क सम्मक्का-सारक्का िातरा जनबधं 7 मरे ा िीवन कजवता III 8 यक्ष प्रश्न कहानी नवबं र-जदसबं र 93-142 9 रमज़ान जनबधं उपवार्क बजु िमान बालक एकांकी 10 अमर वाणी कजवता IV 11 सनु ीता जवजलयम्स साक्षात्कार िनवरी-फरवरी 143-187 12 िागो ग्राहक िागो ! सवं ाद कहानी 188-190 उपवार्क अपना स्थान स्वयं बनायंे 191-194 अपजित गद्ांश 194-198 अपजित पद्ाशं 198-201 जनबंध लखे न पत्र लेखन 1

हवषय सचू ी क्रसि.ं . पाठ का नाम पाठयांिश पषृ ्ठ संिख्या 5-8 अथगच ्राह्यता प्रजतजिया 8-10 अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 10-11 1. हिस देश मंे गंगि ा ब ती ै. . . भाषा की बात 12-14 15-18 अजतररक्त कायच 19-21 अभ्यास कायच 22-24 अथगच ्राह्यता - प्रजतजिया 24-25 26-29 2. गाने वाली हचह़िया अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 30-33 भाषा की बात 34-37 37-38 अजतररक्त कायच 39-40 41-43 अभ्यास कायच 44-47 अथगच ्राह्यता - प्रजतजिया 48-49 50-50 3. बदलंे अपनी सोच अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 51-53 भाषा की बात 54-55 55-56 अजतररक्त कायच 57-58 59-62 अभ्यास कायच 63-65 65-66 उपवाचक तारे ज़मीं पर अभ्यास प्रश्न पत्र अथचग्राह्यता - प्रजतजिया 4. प्रकृ हत की सीख अजभव्यजक्त-सित नात्मकता भाषा की बात अजतररक्त कायच अभ्यास कायच 5. फु टबॉल अथचग्राह्यता - प्रजतजिया अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 2

6. बेटी के नाम पत्र भाषा की बात 67-68 अजतररक्त कायच 69-71 अभ्यास कायच 72-75 अथगच ्राह्यता - प्रजतजिया 76-79 अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 80-81 भाषा की बात 82-82 अजतररक्त कायच 83-85 अभ्यास कायच 86-89 90-91 उपवाचक सम्मक्का-सारक्का िातरा पढ़ना-जलखना 92-92 अभ्यास प्रश्न पत्र अथचग्राह्यता - प्रजतजिया 93-96 7. मेरा िीवन अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 96-97 भाषा की बात 98-99 8. यक्ष प्रश्न अजतररक्त कायच 100-103 9. रमज़ान अभ्यास कायच 104-107 अथगच ्राह्यता - प्रजतजिया 108-111 अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 111-112 भाषा की बात 113-115 अजतररक्त कायच 116-120 अभ्यास कायच 121-125 अथचग्राह्यता - प्रजतजिया 126-129 अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 129-130 भाषा की बात 130-131 अजतररक्त कायच 132-134 अभ्यास कायच 135-139 3

उपवाचक बहु िमान बालक पढ़ना-जलखना 140-141 अभ्यास प्रश्न पत्र अथगच ्राह्यता - प्रजतजिया 142-142 10. अमर वाणी अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 143-146 भाषा की बात 147-148 11. सुनीता हवहलयम्स अजतररक्त कायच 148-148 अभ्यास कायच 149-151 12. िागो ग्रा क िागो! अथचग्राह्यता - प्रजतजिया 152-156 अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 157-159 उपवाचक अपना स्थान स्वयंि बनायंे भाषा की बात 160-161 अभ्यास प्रश्न पत्र अजतररक्त कायच 162-163 अपहठत गद्ांिश अभ्यास कायच 164-166 अपहठत पद्ािंश अथगच ्राह्यता - प्रजतजिया 167-170 हनबंधि लेखन अजभव्यजक्त-सित नात्मकता 171-174 पत्र लेखन भाषा की बात 175-175 अजतररक्त कायच 176-177 अभ्यास कायच 178-179 पढ़ना-जलखना 180-184 185-186 187-187 188-190 191-194 194-198 198-201 4

इकाई-1 1. हिस दशे में गंिगा ब ती ै... शैलेन्द्र कु मार अथथग्राह्यता प्रहतहक्रया प्रश्न: 1. हचत्र मंे क्या हदखाई दे र ा ै? उ. जर्त्र मंे महान भारत का शांजत दतू कबतू र, उगता हुआ सरू ि, हरी घास, जखले हुए फू ल तथा भारत की महानता से संबंजधत कजवता (जलखी हुई) जदखाई दे रही ह।ै 2. इस हचत्र में आपको क्या अच्छा लगा और क्यों ? उ. इस जर्त्र मंे उिता कबतू र, उगता सरू ि, जखलते फू ल अच्छे लगे, क्योंजक सब अपना काम खशु ी-खशु ी कर रहें ह।ंै 3. इस हचत्र से मंे क्या सदंि ेश हमलता ै? उ. इस जर्त्र से हमंे भारतीयों की जवशषे ता का पता र्लता ह।ै भारतीय शांजत, एकता और समानता की भावना रखते ह।ैं दशे भजक्त गीतों का सकं लन कर उनका पिन करना ह।ै भारतवासी सत्य, अजहसं ा, धम,च न्याय, परोपकार, सद्भावना, मानवता आजद महान गणु ों की पहर्ान ह।ै    कहव : शलै ने ्र कु मार िीवन काल : 1923 - 1966 हवशेषताएँ : कई प्रजसि जफल्मी गीतों की रर्ना, तीन बार जफल्म फे यर अवार्च से सम्माजनत जकए गए। 5

1. पे = पर On Guest 2. महे माँा = अजतजथ Beloved Century 3. िान से प्यारा होना = बहुत जप्रय Human Value of life 4. सदी = शताब्दी Others Selfishness 5. इसं ान = मनषु ्य Life Living, Survive 6. िान की कीमत = प्राण का मलू ्य 7. गरै = दसू रे 8. मतलब = स्वाथच 9. िान = िीवन 10. गज़ु ारा = िीवन यापन ‘हिस देश में गगंि ा ब ती ै...’ कजवता के द्वारा कजव शलै ेन्र कु मार अपने दशे तथा यहाँा के रहने वाले लोगों के बारे में कह रहे ह।ैं यहाँा के लोगों के होंिों पर सच्र्ाई का जनवास ह।ै जदल गगं ा नदी की तरह पजवत्र ह।ै हमंे अपने दशे पर गवच ह।ै हमारा ही ऐसा दशे ह,ै िहााँ गगं ा िसै ी महान नजदयाँा बहती ह।ैं हम अपने महे मान को भगवान का रूप मानते ह।ंै उन्हंे प्राणों से अजधक जप्रय मानते ह।ंै यहाँा के लोगों के मन में ज्यादा का लालर् नहीं होता ह।ै ये थोिे मंे ही सतं ुजि कर लते े ह।ैं सजदयों से धरती माता अपने बच्र्ों के जलए अनेक कि सहती आ रही ह।ै ऐसी पिू नीय धरती हमारी माता ह।ै हमारा गौरव है जक हम इस दशे के वासी ह,ैं िहााँ धरती और गगं ा को माता का सम्मान जदया िाता ह।ै कु छ लोग िो स्वयं को अजधक श्रेष्ठ मानते ह,ंै वे लोग इसं ान की कीमत नहीं िानते ह।ंै जकन्तु भारतीय सत्यव्रती और जनमलच हृदयी होते ह।ंै ये सीधे-सादे होते ह।ैं ये परू ब वाले हंै और परू ब वाले मानवता तथा प्राणों का मलू ्य ज़्यादा िानते ह।ंै भारतवासी हर इसं ान का मोल पहर्ानते ह।ंै एक भारत दशे ही ह,ै िहााँ के लोग जमल-िलु कर और प्यार से रहने की सीख दते े ह।ंै एक यही र्ीज़ है िो हमशे ा साथ रहती ह।ै एकता से ही शांजत और समजत ि जमलती ह।ै यही एकता दशे को आगे बढ़ाती ह।ै एकता मंे ही बल ह।ै हमंे इस संपणू च जवश्व में जकसी से भी वरै -भाव नहीं ह।ै परू े जवश्व मंे हम अपनेपन की भावना को िगाते ह।ैं ज्ञान तथा प्रेम की ज्योजत हमारे दशे से ही िगती ह।ै भारत ने िहााँ िो जमला, वहााँ सभी से ज्ञान अजितच जकया ह।ै के वल हम ही नहीं, अब तो सारी दजु नया भी भारत की श्रषे ्ठता को स्वीकार करती ह।ै समस्त जवश्व मंे भारत को और भारतीयों को सम्मान की दृजि से दखे ा िाता ह।ै भारतीय भ्राततत ्व, सहानुभजू त, प्रेम आजद भावों से सशु ोजभत होते ह।ंै भारतीयों ने अपररजर्तों और जवदजे शयों को भी अपने भाई-बधं ु की तरह प्रमे जदया ह।ै हम ज्ञान को महत्व दते े ह।ैं हमने सबसे कु छ-न-कु छ सीखा ह।ै अपने लाभ के जलए जकसी को हाजन नहीं पहरुँा ्ाई। इनमंे स्वाथच लेशमात्र भी नहीं होता। ये भौजतकतावाद के स्थान पर आध्याजत्मकतावाद को प्रमखु ता दते े ह।ैं गगं ा िसै ी पावन नजदयों का यह भारत दशे महान ह।ै ऐसी भारतमाता और ऐसे भारतवासी महान थ,े हैं और सदवै रहगें ।े 6

अथथग्राह्यता प्रहतहक्रया (अ) प्रश्नों के उत्तर दीहिए। 1. भारतीयों के बारे मंे कहवता में क्या बताया गया ै? उ. भारतीयों के बारे मंे कजव ने कहा है जक भारतीय सत्यव्रती और जनमलच हृदयी होते ह।ंै इनको अजतजथ प्राणों से भी अजधक प्यारा होता ह।ै ये लालर्ी नहीं होते। ये सीधे–सादे होते ह।ैं ये परू ब वाले मानवता और प्राणों का मलू ्य ज़्यादा िानते ह।ैं ये अपररजर्तों और जवदजे शयों को भी अपने भाई-बहन समझते ह।ंै इनमंे स्वाथच लेशमात्र भी नहीं होता। ये भौजतकतावाद की बिाय आध्याजत्मकतावाद को प्रमखु ता दते े ह।ैं 2. भारत की कु छ नहदयों के बारे मंे बताइए। उ. भारत में अनके नजदयााँ बहती ह-ैं गगं ा, यमनु ा, कत ष्णा, कावरे ी, ब्रह्मपतु ्र आजद। गगं ा तथा कत ष्णा भारत की बिी नजदयाँा ह।ैं 1. गंिगा नदी : यह भारत की लंबी नदी ह।ै इसकी लंबाई 2510 जक.मी. ह।ै इसका िन्म जहमालय के गगं ोत्री स्थान से होता ह।ै जहमालय के क्षेत्र मंे इसे भागीरथी भी कहते ह।ैं यह आगे र्लकर अलकनंदा, यमनु ा, गोमती, कोसी, घागरा आजद नजदयों से जमलती ह।ै इस नदी की घाटी बहतु उवरच और घनी आबादी वाली ह।ै भारतीय इसे बहतु पजवत्र नदी मानते ह।ैं यह भारत की राष्रीय नदी ह।ै हर बारह सालों में इसके संगम स्थल पर कंु भ का मले ा लगता ह।ै 2. कृ ष्णा नदी: यह दजक्षण भारत की मखु ्य नदी ह।ै इसका िन्मस्थान महाराष्र के पजिमी घाट का सह्यारी पवतच महाबलशे ्वर ह।ै इसकी लबं ाई 1440 जक.मी. ह।ै यह नदी महाराष्र से जनकलकर कनाटच क से होते हएु , आधं ्रप्रदशे मंे ‘हसं लदीजव’ स्थान पर बंगाल की खािी मंे जवलीन हो िाती ह।ै इससे लाखों एकि भजू म की जसंर्ाई होती है और हज़ारों मगे ावाट जबिली उत्पाजदत होती ह।ै इस पर अनेक बााँध जनजमचत ह।ंै इसमें तंगु भर, मसू ी, पालरे ू, मनु्नेरु, नायलरे ु आजद र्ौदह उपनजदयाँा जमलती ह।ंै इसे दजक्षण की गगं ा भी कहते ह।ैं 3. ब्रह्मपुत्र : - ब्रह्मपतु ्र जतब्बत से जनकलती ह।ै िहााँ इसे ‘सागं णों’ कहा िाता ह।ै यह भारत में अरुणार्ल प्रदशे तक प्रवशे करने के जलए काफी लबं ी दरू ी तय करती ह।ै यहााँ इसे ‘दबे ागं ’ कहा िाता ह।ै पासी घाट के जनकट दबे ांग और लोजहत ब्रह्मपतु ्र नदी से जमल िाती ह।ैं यह सयं कु ्त नदी परू े असम से होकर एक संकीणच घाटी मंे बहती ह।ै यह घबु री के अनपु ्रवाह में बागं्लादशे में प्रवशे करती ह।ै )आ( कहवता के आधार पर उहचत क्रम दीहिए। एक र्ीज़ यही तो रहती ह।ै ( 2) जमल-िलु के रहो और प्यार करो, ( 1) जिस दशे मंे गगं ा बहती ह।ै ( 4) हम उस दशे के वासी ह,ैं ( 3) )इ( भाव से संिबहिं धत कहवता की पंहि ियाँ हलहखए। 1. म सब हमलिुल कर र ते ैं। उ. जमलिलु के रहो, और प्यार करो एक र्ीज़ यही तो रहती ह।ै 7

2. म ईमानदारी से र ते ैं और थो़िे से गजु ़ारा करते ैं। उ. ज्यादा का नहीं लालर् हमको, थोिे से गज़ु ारा करते ह।ैं )ई( पहंि ियाँ पहिए। भाव बताइए। अपना जकसी से वरै न समझो, िग मंे जकसी को गरै न समझो। आप पढ़ो, औरों को पढ़ाओ। घर-घर ज्ञान की िोत िलाओ॥ उ. भाव:- इस ससं ार में जकसी को अपना दशु ्मन मत मानो। जकसी को पराया मत समझो। स्वयं भी पढ़ो तथा दसू रों को भी पढ़ने मंे सहायता करो। जिससे हर घर मंे ज्ञान रूपी दीप िले और अज्ञान रूपी अधं ेरा दरू हो िाए। 1.हमें सच्र्ाई का साथ क्यों दने ा र्ाजहए? अहतररि प्रश्न 2.हमे लालर् क्यों नही करना र्ाजहए? 3.कजवता मंे से सवनच ाम शब्द छाँाजटए। 4.‘ई’ प्रत्यय वाले तीन शब्द बताइए। अध्यापन सकंि े त - सनु ो-बोलो और पढ़ो में जदए गए अजतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वजत ि हते ु जदए गए ह।ैं अध्यापक/अध्याजपका छात्रों से जनम्न प्रश्न पछू ंे और उनके उत्तर की सराहना करंे। छात्रों को बताएाँ जक अपने मन के भावों को सजं र्त करके आप भी कजव बन सकते ह।ैं अहभव्यहि सिृ नात्मकता   )अ( प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीहिए। 1. गीत मंे कहव ने हमल–िुल कर र ने से क्या लाभ ैं? उ. कजव ने जमल-िलु कर रहने से यह लाभ हैं क्योंजक एक यही र्ीज़ है िो हमशे ा हमारे साथ रहती ह।ै एकता से ही शांजत और समजत ि जमलती ह।ै एकता से ही दशे प्रगजत कर सकता ह।ै एकता में ही बल ह।ै 2. म अपने मे मान के साथ कै सा व्यव ार करते ंै? उ. ‘अजतजथ दवे ो भवः’ भारतीय संस्कत जत रही ह।ै हमें अपने महे मान का अच्छी तरह आदर-सत्कार करना र्ाजहए,क्योंजक महे मान के आने से घर खजु शयों से भर िाता ह।ै कहा भी गया है जक महे मान भगवान का रूप होता ह।ै अतः महे मान को अपने प्राणों से भी ज़्यादा प्यारा समझना र्ाजहए। हमंे अपने महे मान को अपना भाई-बंधु समझना र्ाजहए और उसी के अनकु ू ल व्यवहार करना र्ाजहए। 8

3. ‘ज्यादा का न ीं लालच मको, थो़िे में गजु ़ारा ोता ैं।’ इसका भाव अपने शब्दों मंे हलहखए। उ. इन पंजक्तयों से कजव का आशय यह है जक हम भारतवासी कभी जकसी वस्तु का लालर् नहीं करते ह।ंै र्ाहे वह हमंे थोिी सी ही क्यों ना जमली हो। हम थोिी वस्तु में ही अच्छी तरह गज़ु ारा करना िानते ह।ंै अथातच ् हमंे कभी भी जकसी वस्तु की अजधकता का लालर् नहीं रहता। (आ( इस गीत का सार अपने शब्दों मंे हलहखए। उ. सारांिश - ‘हिस देश में गंगि ा ब ती ै...’ कजवता के द्वारा कजव शलै ने ्र कु मार अपने दशे तथा यहाँा के रहने वाले लोगों के बारे में कह रहे ह।ंै यहाँा के लोगों के होंिों पर सच्र्ाई का जनवास ह।ै जदल गगं ा मयै ा की तरह पजवत्र ह।ै हमें अपने दशे पर गवच है क्योंजक हमारा दशे ही एक ऐसा दशे ह,ै िहाँा गगं ा िसै ी महान नजदयााँ बहती ह।ैं हम अपने महे मान को भगवान का रूप मानते ह।ंै उन्हंे प्राणों से अजधक जप्रय मानते ह।ैं यहााँ के लोगों के मन मंे ज्यादा का लालर् नहीं होता ह।ै वे थोिे में ही संतजु ि कर लेते ह।ंै अपने बच्र्ों के जलए सजदयों से हर प्रकार के कि हमारी धरती माता सहती आ रही ह।ै ऐसी पिू नीय धरती हमारी माता ह।ै हमारा गौरव है जक हम उस दशे के वासी है िहाँा धरती और गगं ा को माता का सम्मान जदया िाता ह।ै कु छ लोग िो स्वयं को अजधक श्रषे ्ठ मानते हंै वे लोग इसं ान की कीमत नहीं िानते ह।ैं जकन्तु भारतीय सत्यव्रती और जनमलच हृदयी होते ह।ैं ये सीधे-सादे होते ह।ंै ये परू ब वाले ह।ैं ये मानवता और प्राणों का मलू ्य ज़्यादा िानते ह।ैं हर इसं ान का मोल भारतवासी पहर्ानते ह।ंै एक भारत दशे ही ह,ै िहाँा के लोग जमल-िलु कर और प्यार से रहने की सीख दते े ह।ैं एक यही र्ीज़ है िो हमशे ा साथ रहती ह।ै एकता से ही शांजत और समजत ि होती ह।ै यही दशे को आगे बढ़ाता ह।ै एकता मंे ही बल ह।ै हमें इस सपं णू च जवश्व में जकसी से भी वरै भाव नहीं ह।ै परू े जवश्व मंे हम अपनपे न की भावना को िगाते ह।ंै ज्ञान की तथा प्रमे की ज्योजत हमारे दशे से ही िगती ह।ै भारत ने िहााँ िो जमला वहााँ सभी से ज्ञान अजितच जकया ह।ै के वल हम ही नहीं अब तो सारी दजु नया भी भारत की श्रेष्ठता को स्वीकार करती ह।ै समस्त जवश्व मंे भारत को, भारतीयों को सम्मान की दृजि से दखे ा िाता ह।ै ये भ्राततत ्व, सहानभु जू त, प्रेम आजद भावों से शोजभत होते ह।ंै भारतीयों ने अपररजर्तों और जवदजे शयों को भी अपने भाई-बधं ु की तरह प्रेम जदया ह।ै हम ज्ञान को महत्व दते े ह।ंै हमने सबसे कु छ-न-कु छ सीखा ह।ै अपने लाभ के जलए जकसी को हाजन नहीं पहरुाँ ्ायी। इनमंे स्वाथच लशे मात्र भी नहीं होता। ये भौजतकतावाद के स्थान पर आध्याजत्मकतावाद को प्रमखु ता दते े ह।ंै गगं ा िसै ी पावन नजदयों का यह भारत दशे महान ह।ै ऐसी भारत माता और ऐसे भारतवासी महान थ,े हैं और रहगंे ।े (इ) देशभहि भावना पर चार पिंहियों की कहवता हलहखए। उ. हम बच्र्े अपनी ताकत से, तफू ानों की जदशा मोि दगें ।े आसमान धरती पर रख दगंे ,े िग के सभी प्रजतबन्ध तोि दगें ।े दशे की रक्षा करने के जलए, प्राणों की बाज़ी लगा दगें ।े 9

)ई( इस गीत मंे आपको कौन-सी बातंे ब ुत अच्छी लगी। क्यों ? उ. सपं णू च गीत ही प्रशसं नीय व गाने योग्य ह।ै िो भारतीयता के गणु ों से ओत-प्रोत ह।ै अतः परू ी कजवता हमें जप्रय ह।ै गगं ा नदी हमारे जलए माता के समान ह।ै यह परम पावन ह।ै यह भारत दशे का प्रतीक ह।ै इसजलए कजव ने “हम भारत के वासी ह”ैं कहने के बिाय “हम उस दशे के वासी ह,ै जिस दशे में गगं ा बहती ह”ै कहकर गगं ा नदी और भारत का महत्व बढ़ाया ह।ै दसू रा,भारतीयों को सत्यव्रती और जनमलच हृदयी कहकर भारतीयों की जवशषे ता बताई ह।ै तीसरा,अजं तम दो पंजक्तयों में संगीतात्मकता और प्रवाह गणु होने के कारण गायन के योग्य ह।ै र्ौथा,अजं तम पंजक्त मंे ही गीत का शीषकच जदया गया ह।ै इन सभी कारणों से मझु े इन पजं क्तयों मंे अजभव्यक्त बातें बहतु अच्छी लगी। )अ( उदा रण के अनसु ार वाक्य बनाइए। 1. यह + में – इसमंे उदा : यह उपवन ह।ै इसमें फू ल ह।ंै 2. िो + में - जिसमें उदा : हम उस दशे का वासी ह,ंै जिसमंे मानवता बसी ह।ै )आ( मु ावरों का अथथ बताइए। 1. िान से प्यारा ोना – प्राणों से भी अजधक जप्रय होना। )इ( नीचे हदये गये वाक्यों की वाक्य रचना समहिए। ये वाक्य स्वततं ्र रूप से बने ह।ैं इनमें जकसी दसू रे वाक्य का 1. हम भारत के वासी ह।ैं मले नहीं ह।ै ऐसे वाक्यों को सरल वाक्य कहते ह।ैं 2. हमारे होिों पर सच्र्ाई रहती ह।ै 3. हमारे जदल मंे सफाई रहती ह।ै 1. हम भारत के वासी हैं और भारत दशे हमारा ह।ै इन वाक्यों मंे दो सरल वाक्यों का मले हुआ ह।ै इस 2. हमारे होिों पर सच्र्ाई रहती है और जदल में सफाई रहती ह।ै तरह दो वाक्यों के मले से बने वाक्यों को सयंि ुि 3. हम सब भारतीय हैं इसजलए हम सब एक ह।ंै वाक्य कहते ह।ंै 1. महे मााँ िो हमारा होता ह,ै वो िान से प्यारा होता ह।ै यहााँ सरल वाक्य के साथ उपवाक्य (आजश्रत वाक्य) का 2. हम उस दशे के वासी ह,ैं जिस दशे मंे गगं ा बहती ह।ै मले हुआ ह।ै सरल वाक्य के साथ जकसी आजश्रत वाक्य का मले हो तो उसे हमहित वाक्य कहते ह।ंै )ई( नीचे हदए गए वाक्यों की वाक्य-रचना प चाहनए। )सरल वाक्य) )सयं कु ्त वाक्य) 1. म नवीं कक्षा के छात्र ैं। )जमजश्रत वाक्य) 2. म अपना भहवष्य बनाएगँ े और देश की सेवा करेंगे। 3. िो हितनी मे नत करेगा, व उतना ी आगे बिेगा। 10

शैलंेर कु मार के इस गीत की कु छ पहिं ियाँ ी पाठ मंे दी गई ंै। आप इस गीत की अन्द्य पंिहियों का सिंकलन कर पाठ मंे दी गई कहवता के साथ िो़िकर सिपं ूणथ गीत का प्रदशथन कक्षा में कीहिए। ै। हनदेश: जवद्ाथी स्वयं करंेग।े ितु लेख 11

अहतररि कायथ पहठत पद्ांिश हनम्न पहठत पद्ािंश को पिकर प्रश्नों के उत्तर हलहखए। बच्र्ों के जलए धरती माँा, सजदयों से सभी कु छ सहती ह।ै हम उस दशे के वासी ह,ैं जिस दशे में गगं ा बहती ह।ै कु छ लोग िो ज़्यादा िानते ह,ैं इसं ान को कम पहर्ानते ह।ंै यह परू ब है परू ब वाल,े हर िान की कीमत िानते ह।ैं प्रश्न: 1. कौन बच्चों के हलए सब कु छ स ता ै? उ. धरती मााँ बच्र्ों के जलए सब कु छ सहती ह।ै 2. म हकस देश के वासी ैं? उ. हम उस दशे के वासी ह,ैं जिस दशे मंे गगं ा बहती ह।ै 3. कौन-से लोग इसंि ान को कम प चानते ैं? उ. िो लोग अपने आप को सबसे बजु िमान समझते ह,ैं वे लोग इसं ानों को कम पहर्ानते ह।ंै 4. परू ब वाले क्या िानते ंै? उ. परू ब वाले हर िान की कीमत िानते ह।ैं 5. ‘परू ब’ का हवलोमाथथ क्या ै? उ. 'परू ब’ का जवलोमाथच ‘पजिम’ ह।ै प्रश्नोत्तर 1. कहव शैलेन्द्र के अनसु ार भारतीयों की क्या हवशेषताएँ ?ै चार वाक्य हलहखए। उ. कजव शलै ने ्र के अनसु ार भारतीयों के होिों पर सच्र्ाई और जदल में प्रमे भाव रहता ह।ै भारतीय अपने अजतजथ को ईश्वर मानकर उनका सत्कार करते ह।ंै भारतीयों को अजधक का लालर् नहीं होता, वे थोिे में ही सतं िु रहते ह।ैं भारतीय स्वयं को उस दशे का वासी मानने मंे गवच का अनभु व करते ह,ंै जिस दशे मंे गगं ा बहती ह।ै जिस देश की धरती को माँा के समान मानकर पिू ा िाता ह।ै भारतीय एक-दसू रे के साथ जमल-िलु कर प्रमे भाव से रहते ह।ैं जिससे िो ज्ञान जमलता है उसे सहषच स्वीकार करते ह।ंै गरै ों को प्रमे से अपनाना भी भारतीयों की मखु ्य जवशेषता ह।ै 2. ‘हिस देश मंे गिगं ा ब ती ै...’ कहवता में भारतीय ससंि ्कृ हत की क्या हवशेषता बताई गई ै? अपने शब्दों में हलहखए। उ. ‘जिस दशे में गगं ा बहती ह.ै ..’ कजवता मंे कजव शलै ेन्र ने भारतीय ससं ्कत जत की जनम्न जलजखत जवशेषताएाँ बताई ह-ैं  भारतीय ससं ्कत जत मंे गंगा नदी को माता का सबं ोधन दके र सम्माजनत जकया िाता ह।ै  सच्र्ाई, प्रमे -भाव, जनमलच हृदय यहाँा की जवशषे ता ह।ै  भारतीय ससं ्कत जत ‘अजतजथ दवे ो भवः’ की संस्कत जत ह।ै िहााँ अजतजथ को दवे ता समान माना िाता ह।ै 12

 हम सबका भार उिाने वाली धरती को माँा के समान पिू ा िाता ह।ै  परायों को भी अपना बनाना, प्रमे से जमल-िलु कर रहना, हर िान की कीमत पहर्ानना आजद जवशषे ताओं के कारण भी भारतीय ससं ्कत जत सारी दजु नया मंे महान् मानी िाती ह।ै 3. मे मान कै सा ोता ै? उ. कजव कहते हंै जक भारत दशे में महे मान को अपनी िान से भी अजधक प्यारा माना िाता ह।ै ‘अजतजथ दवे ो भवः’ के आधार पर महे मान को ईश्वर के समान मानकर उनका अजतजथ सत्कार जकया िाता ह।ै यजद हमारे पास अजधक सपं दा व भोज्य सामग्री न भी हो, तब भी थोिे मंे गज़ु ारा करके अजतजथ को प्रसन्न जकया िाता ह।ै संवि ाद-लेखन सिवं ाद की पररभाषा - दो या दो से अजधक व्यजक्तयों के बीर् हुए वातालच ाप को ‘संिवाद’ कहते ह।ंै सिवं ाद-लेखन की हवशेषताएँ - 1. सवं ाद मंे प्रवाह, िमबिता और तकच सम्मत जवर्ार होने र्ाजहए। 2. सवं ाद दशे , काल, व्यजक्त और जवषय के अनसु ार जलखा िाना र्ाजहए। 3. संवाद की भाषा सरल होनी र्ाजहए। 4. संवाद छोटे, स्पि और आकषकच होने र्ाजहए। 5. संवाद सिीव, रोर्क और मनोरंिक होने र्ाजहए। िैसे - दो जमत्र भारतवषच मंे गगं ा-प्रदषू ण के बारे में बात कर रहे ह।ैं गोपाल : अरे मोहन ! तमु कब आए ? कहाँा गए थे? मो न : बस अभी-अभी आया ह।ँा दो जदन के जलए अपने माता-जपता के साथ हररद्वार गया था। क्या तमु कभी गए हो हररद्वार? गोपाल : मंै हररद्वार तो नहीं गया। लजे कन इलाहाबाद गया ह।ाँ गगं ा, यमनु ा और सरस्वती के संगम-स्थल। मो न : सर् जमत्र, गगं ा के तज़े बहाव, उसके शीतल और स्वच्छ िल मंे स्नान करने का मज़ा ही आ गया। वहााँ बैिकर गरम-गरम आलू की सब्ज़ी और परू ी खाने का तो आनन्द ही कु छ और ह।ै गोपाल : और क्या दखे ा तमु ने वहााँ? मो न : वसै े तो वहााँ बहुत संदु र–संदु र दृश्य दखे ने को जमलते ह।ंै गगं ा के जकनारे शाम जबताना और नगािों की आवाज़ों के बीर् दीपों का जझलजमलाना, िो वहाँा पर लोग पानी में बहाते ह,ैं वे बहतु ही सनु ्दर जदखाई दते े ह।ैं गोपाल : मगर, मनैं े तो सनु ा है जक गगं ा को लोगों ने बहुत प्रदजू षत कर जदया ह।ै तमु ्हारा क्या जवर्ार है इस बारे में? मो न : हााँ, यह बात भी कु छ हद तक सत्य ही ह।ै गोपाल : तो जफर तमु ्हें कै से इतना अच्छा लगा? मो न : प्रदषू ण दखे कर दःु ख होता ह,ै जकन्तु जफर भी आनन्द को अनदखे ा नहीं जकया िा सकता। वास्तव मंे कु छ स्थानों पर तो सरकार प्रदषू ण कम करने की बहुत र्ेष्ठा कर रही ह।ै गोपाल : तो क्या सर्मरु ् लोग जनयमों का पालन करते हुए, वातावरण को शिु करने की र्षे ्ठा कर रहे ह?ैं मो न : हााँ, यही सत्य ह।ै क्योंजक स्वच्छता सभी के जलए अजनवायच ह।ै जितना वो सफाई और शिु ता का ध्यान रखगें े, उतना ही वे बीमाररयों से बर्ंेगे? गोपाल : बात तो तमु बहुत अच्छी कह रहे हो। मैं भी अपने माता-जपता के साथ एक बार हररद्वार अवश्य िाऊँा गा। मो न : अच्छा नमस्ते। जफर जमलेंग।े 13

वाक्य हवचार पदों के ऐसे व्यवजस्थत समहू को जिससे पणू च अथच का बोध हो, उसे वाक्य हवचार कहते ह।ंै रर्ना की दृजि से वाक्य तीन प्रकार के होते ह।ैं 1. सरल वाक्य 2. सयिं ुि वाक्य 3. हमहित वाक्य 1. सरल वाक्य: जिन वाक्यों मंे के वल एक ही उद्दशे ्य (कत्ताच) तथा एक ही जिया होती ह,ै उन्हें सरल वाक्य कहते ह।ैं उदाहरण : 1. श्याम सो रहा ह।ै 2. मतं ्री िी भाषण दे रहे ह।ंै 2. संियुि वाक्य : जिन वाक्यों में दो या दो से अजधक स्वतंत्र वाक्य समचु ्र्यबोधक हों, उन्हंे सियं ुि वाक्य कहते ह।ंै िसै े- जकं त,ु परंत।ु उदाहरण : 1. श्याम सो रहा है और राम पढ़ रहा ह।ै 2. मतं ्री िी भाषण दे रहे हैं और लोग सनु रहे ह।ंै 3. हमहित वाक्य: जिन वाक्यों में एक प्रधान उपवाक्य पर एक या एक से अजधक गौण उपवाक्य आजश्रत हों, उन्हें हमहित वाक्य कहते ह।ंै उदाहरण : 1. अध्याजपका ने कहा जक मगं लवार को छु ट्टी ह।ै 2. िसै े ही मैं स्टेशन पहरुँा ्ा, गािी र्ल पिी। 14

अभ्यास कायथ (Work Book) अपहठत पद्ांिश हनम्न अपहठत पद्ांिश को पिकर प्रश्नों के उत्तर के हलए स ी हवकल्प का चयन कीहिए। सित न के पथ पर बढ़ता र्ल। जनि ससं ्कत जत पर अजपतच हो िा, िीवन सारा कर अरे होम। हर कमच बना दे तू सजमधा, जिससे सरु जक्षत हो उिे व्योम। उस सरु जभ को भर साासँ ों मंे ओ पजथक! उसी पर बढ़ता र्ल। जफर-से जवघटन की आरी स,े कटता िाता है सकल अगं । जनत भदे भाव के जवषधर जफर, कर रहे दशे का ऐक्य भगं । प्रश्न: 1. कहव कौन-से पथ पर बिने की प्रेरणा दे र े ैं? ) ( अ) जवकास के पथ पर आ) नव-जनमाचण के पथ पर ) ( जवषधर ( इ) सित न के पथ पर ई) लक्ष्य-प्राजि के पथ पर ( ) ( 2. कहव हकस पर अहपथत ोने की बात कर र े ैं? दशे -प्रेम की अ) जनि ससं ्कत जत आ) सरु जभ इ) व्योम ई) ) 3. कहव हकस आरी से कटने की बात कर र े ंै? सजमधा अ) जवघटन की आ) अलगाव की इ) लाभ-हाजन की ई) ) प्रसन्नता 4. देश का ऐक्य कौन भिंग कर र े ंै? अ) दशे -रोही आ) भदे भाव के जवषधर इ) दशे -प्रेमी ई) 5. 'सरु हभ' का आशय क्या ै? अ) गाय आ) गगं ा इ) पजवत्रता ई) प्रश्नोत्तर 1. शैलेन्द्र कु मार का साह हत्यक पररचय दीहिए। 2. र िान की कीमत िानते ैं। इसका भाव स्पष्ट कीहिए। 3. भाव से सिंबंिहधत पिंहियाँ हलहखए। 1. हम सब जमल-िलु कर रहते ह।ैं 2. हम ईमानदारी से रहते हंै और थोिे मंे गिु ारा करते ह।ैं सिंवाद लेखन अभ्यासः वायु प्रदूषण के हवषय पर दो हमत्रों का सवंि ाद हलहखए। 15

व्याकरण 1. हनम्नहलहखत वाक्यों के भेद प चाहनए। 1. आकाश मंे तारों का मेला लग गया। उ. सरल वाक्य 2. िो व्यजक्त धनी ह,ंै वे हर र्ीज़ खरीद सकते ह।ंै उ. जमजश्रत वाक्य 3. तमु ने कहा और हम मान गए। उ. संयकु ्त वाक्य 2. हनम्नहलहखत वाक्यों को हमहित वाक्य मंे बदहलए। 1. राम बिा वीर था और उसने रावण को मारा। उ. राम बिा वीर था, जिसने रावण को मारा। 2. तमु ने कहा और हम मान गए। उ. तमु ने कहा, हम मान गए। 3. धन के जबना मनषु ्य कु छ नही कर सकता। उ. मनषु ्य के पास धन न हो, तो वह कु छ नही कर सकता। 3. हनम्नहलहखत सरल वाक्य को संयि ुि वाक्यों में बदहलए। 1. सन्यासी आशीवादच दके र अतं ध्याचन हो गया। उ. सन्यासी ने आशीवादच जदया और अतं ध्याचन हो गया। 2. वह फल खरीदने के जलए बाज़ार गया। उ. उसे फल खरीदने थ,े इसजलए वह बाज़ार गया। 3. आलसी होने के कारण वह जवफल हो गया। उ. वह आलसी था, इसजलए जवफल हो गया। 16

4. हनम्न शब्दों के पयाथयवाची शब्द हलहखए। 1. मतलबी - स्वाथी, संकु जर्त 4. तालाब - सरोवर, सर, तिाग 2. दःु ख - कि, व्यथा, पीिा 5. समरु - सागर, िलजध, नीरजध 3. नदी - सररता, तजटनी, 6. पानी - िल, नीर, वारर 5. नीचे हलखे अनेक शब्दों के हलए एक शब्द हलहखए। 1. िो कभी न मरे - अमर 2. दसू रों पर उपकार करने वाला - परोपकारी 3. िानने की इच्छा रखने वाला - जिज्ञासु 6. हनम्न मु ावरों के अथथ हलहखए। 1. आखाँ ो का तारा – बहतु प्यारा 2. आकाश-पाताल एक करना – बहतु पररश्रम करना 3. कं धे से कं धा जमलाना – सहयोग करना 7. हनम्न वाक्यों में उहचत हवपरीत शब्द हलखकर खाली स्थान भररए। 1. भारतीय झिू े नहीं,_______होते ह।ंै 2. सयू च जदन मंे उगता ह,ै ______ मंे अस्त होता ह।ै 3. सखु और_______ एक ही जसक्के के दो पहलू ह।ै 8. हनम्न वाक्यों मंे सवथनाम शब्द रेखांिहकत कीहिए। 1. शायद, दरवािे पर कोई ह।ै 2. वह व्यजक्त बहुत लबं ा है 3. उसने पेि से मदद मााँगी। 9. हनम्न शब्दों के हवलोम शब्द हलहखए। 1. सफाई  गदं गी 4. ज़्यादा  कम 2. हमारा  तमु ्हारा 5. दशे  जवदशे 3. प्यार  नफरत 6. परू ब  पजिम 10. हनम्न शब्दों के ब ुवचन शब्द हलहखए। 1. बच्र्ा - बच्र्े 4. रोटी - रोजटयाँा 2. सदी - सजदयाँा 5. अधं ा - अधं े 3. र्ीज़ - र्ीज़ंे 6. लिका - लिके 17

11. हनम्न वाक्यों में सिजं ्ञा शब्द प चानकर कोष्ठक मंे स ी उत्तर हलहखए। () 1. हम उस दशे के वासी ह।ैं () () अ) हम आ) दशे उस इ) उस ई) उस दशे ई) होता 2. महे माँा िो हमारा होता ह।ै ई) में अ) महे मााँ आ) िो इ) हमारा 3. जिस दशे में गगं ा बहती ह।ै अ) जिस आ) गगं ा इ) बहती 12. हनम्न शब्दों के प्रत्यय प चानकर कोष्ठक मंे स ी उत्तर हलहखए। 1. संदु रता आ) आ इ) रता ई) रत () अ) ता ई) रक () ई) री () 2. पाररवाररक अ) ररक आ) क इ) इक 3. दरबारी आ) ई इ) बारी अ) रर 13. हनम्न शब्दों के स ी अथथ प चानकर कोष्ठक में स ी उत्तर हलहखए। 1. इसं ान - () () अ) सधु ार आ) मनषु ्य इ) खशु ी ई) सदी () ई) महे रबान 2. महे मााँ - ई) जमलना अ) अजतजथ आ) जपछला इ) आने वाला 3. सदी - अ) फै ला हुआ आ) इकट्ठा इ) शताब्दी 14. हनम्न वाक्यों के हलए उहचत कारक हचह्न प चानकर कोष्ठक मंे स ी उत्तर हलहखए। 1. भारत हमंे िान ______ प्यारा ह।ै () () अ) जक आ) से इ) के ई) पर () 2. भारत दशे ______ गगं ा नदी बहती ह।ै () () अ) के जलए आ) की इ) मंे ई) ने () 3. हम भारत दशे ______ वासी ह।ैं अ) मंे आ) पर इ) के ई) ने 15. हनम्न शब्दों के उपसगथ प चानकर कोष्ठक में स ी उत्तर हलहखए। 1. अभाव अ) अब आ) अ इ) अभ ई) आ ई) िान 2. अनिान ई) जवए अ) अ आ) आ इ) अन 3. जवदशे अ) वी आ) जव इ) इ ह न्द्दी सारे भारत को एकता के सूत्र मंे बाँधती है। 18

इकाई-1 2. गाने वाली हचह़िया अथथग्राह्यता प्रहतहक्रया प्रश्न: 1. हचत्र मंे क्या हदखाई दे र ा ै? उ. जर्त्र में जकसान और बलै ह।ै जकसान बैलों से खते िोतता हुआ जदखाई दे रहा ह।ै 2. वे क्या कर र े ंै? उ. वे खते िोतने का काम कर रहे ह।ैं 3. इनकी मे नत पर अपने हवचार बताइए। उ. जकसान तथा बलै ों का कत जष मंे महत्वपूणच योगदान ह।ै बैल खेत िोतने मंे जकसान की सहायता करते ह।ंै वे जदन-रात महे नत करके अन्न उगाते ह,ंै जिससे सभी का पटे भरता ह।ै कहानी पढ़कर समझना और कोई सरल कहानी जलखने का प्रयास करना। 1. कोन-े कोने से = हर िगह से from every nook and corner 2. यात्री = राही Traveller (s), Pilgrim (s), passenger (s) 3. दरबार लगाना = सभा लगाना To Convence royal court 4. धमू मर्ाना = हगं ामा मर्ाना Racket 5. ढूाँढ़ना = खोिना To search, to trace 6. उपजस्थत = हाजज़र होना To present 7. अनरु ोध = अनगु ्रह Request 19

8. पता र्लना = मालमू होना To know the where abouts To Get Attracted 9. मगु्ध हो िाना = मोजहत होना Tears of joy 10. खशु ी के आसाँ ू आ िाना = आनदं महससू करना एक रािा था। उसे अपने सदंु र महल पर बहुत गवच था। दरू -दरू से महल देखने आए यात्री, िब महल की प्रशसं ा मंे अपने यात्रा-वणनच में जलखत,े तब गाने वाली जर्जिया का उल्लखे अवश्य करते। गाने वाली जर्जिया पास वाले िगं ल में रहती थी और मधुर संगीत गाती थी। रािा सगं ीत प्रमे ी था। रािा ने िब जर्जिया के बारे में सनु ा, तो उसे राि दरबार में लाने के जलए कहा। रािा उसका मधरु सगं ीत सनु ना र्ाहता था। रािा के सवे कों ने उस जर्जिया के बारे मंे कभी नहीं सनु ा था। िगं ल मंे सजै नक िब जर्जिया को ढूँाढ़ने के जलए गए, तब एक लिकी ने उस जर्जिया के बारे मंे बताया। सजै नकों के जनवदे न पर लिकी ने जर्जिया को आवाज़ लगाई – “मरे ी छोटी सनु ्दर जर्जिया, हमारे रािा तमु ्हारा मधरु संगीत सनु ना र्ाहते ह।ैं क्या तमु उन्हें अपना गाना सनु ाओगी?” लिकी को जर्जिया ने कहा- “मरे ा गाना तो इन हरे-भरे िगं लों, खते ों में अच्छा लगता ह।ै जफर भी मैं रािा को अपना गाना अवश्य सनु ाऊँा गी।” अगले जदन सबकी उपजस्थजत में जर्जिया रािा के दरबार में अपने मधरु स्वर मंे गाने लगी। सभी मतं ्र-मगु्ध हो गए। रािा की आखँा ों मंे खशु ी के आसँा ू आ गए। रािा ने जर्जिया से आग्रह करके उसे वहीं रोक जलया। उसके जलए सोने का जपिं रा बनवाया और सभी सखु -सजु वधाओं का प्रबंध जकया। कु छ जदन बाद जर्जिया को जकसानों की याद आई। वह तरंु त र्ल पिी और मधरु गाना सनु ाकर जकसानों को प्रसन्न करने लगी। जर्जिया के िाने से रािा अस्वस्थ हो गए। िब जर्जिया को जकसानों से पता र्ला तो वह रािा के पास र्ली गई। वह मधरु स्वर में गाने लगी। रािा का स्वास््य धीरे-धीरे िीक होने लगा। और उसने जर्जिया को अपने पास रहने का अनरु ोध जकया। तब जर्जिया ने रािा से कहा जक – “महाराि, मझु े अपना संगीत महे नत करने वालों को भी सनु ाना ह।ै मैं हर जदन यहाँा आऊँा गी। आपको भी अपना संगीत सनु ाऊँा गी।” जर्जिया की बातंे सनु कर रािा के जवर्ार पररवजतचत हो गए। जर्जिया ने रािा को यह सीख दी जक - मज़दरू और जकसान हमारे सखु दाता और अन्नदाता ह।ैं उनकी सहायता करना हमारा कत्तवच ्य ह।ै उनके प्रजत कत तज्ञ होना हमारा धमच ह।ै रािा ने उसके जवर्ारों की प्रशसं ा की। उससे प्रेरणा लके र रािा ने भी जकसानों और मज़दरू ों के जलए कु छ करने का जनणयच जलया। अथथग्राह्यता प्रहतहक्रया अ( प्रश्नों के उत्तर हलहखए। 1. कु छ पहक्षयों के नाम बताइए। उ. तोता, बटेर, कौआ, मनै ा, र्ील, तीतर, बतख, बगलु ा, कबतू र, मोर आजद कु छ पजक्षयों के नाम ह।ंै 20


























































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