भारत की राजिानी चिल्ली में स्र्ततं ्रता चिर्स के समारोह का चर्शषे आयोजन होता ह।ै इस चिन सभी लोग स्र्तंत्रता चिर्स समारोह मंे सचम्मचलत होते ह।ैं चिल्ली मंे ऐचतहाचसक लाल चकले के प्रािीर पर प्रिानमतं ्री द्वारा राष्ट्रीय ध्र्ज फहराया जाता ह।ै राष्ट्रीय ध्र्ज को 21 तोपों की सलामी िी जाती ह।ै ध्र्जारोहण के उपरातं प्रिानमतं ्री राष्ट्र को संबोचित करते ह।ैं राष्ट्र के नाम प्रसारण में र्े राष्ट्र को संपधन बनाने तथा राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने का आह्वान करते ह।ंै भाषण के उपरातं र्े ‘जयचहिं ’ का जयघोष करते ह।ंै चजसे सनु कर श्रोता एर्ं िशकव गण सभी चिशाओंको गजंु ायमान कर िते े ह।ंै इस चिन अनके स्थानों पर राष्ट्रीय कचर् सम्मले नों का आयोजन चकया जाता ह।ै इस चिन िशे के चलए प्राणोत्सगव करने र्ाले स्र्तंत्रता सेनाचनयों को श्रद्धा समु न अचपवत चकए जाते ह।ैं उनके बचलिानों का स्मरण चकया जाता ह।ै स्र्तंत्रता चिर्स एक प्रेरक राष्ट्रीय पर्व ह।ै यह हमंे राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की प्रेरणा िते ा ह।ै हमें अपनी स्र्ततं ्रता की रक्षा करनी िाचहए तथा र्मै नस्य से िरू रहना िाचहए। हमें ऐसा कोई कायव नहीं करना िाचहए चजससे हमारी स्र्तंत्रता एर्ं राष्ट्रीय एकता को ठेस पहिुाँ ।े सवथनाम 100
अभ्यास कायथ (Work Book) अपचित गद्ांश चनम्न अपचित गद्ांश को पढ़कर सही उत्तर चवकल्प से िुनकर चिचखए। एक चिन र्न मंे घमू ते समय िषु्ट्यंत ने बड़ा ही चर्चित्र दृश्य िखे ा। उधहोंने िखे ा चक एक छह र्षीय बालक चजसका शरीर िदं ्रमा की भाँाचत उज्ज्र्ल था तथा उसका मखु सयू व के समान िमक रहा था, र्ह चनभयव होकर शरे के शार्कों से खले रहा था। कभी तो र्ह उनको गोि में उठाता, कभी उनके महँाु से अपना महंु रगड़ता तथा कभी उनके महँाु में हाथ डालकर उनके िाातँ चगनता था। उस बालक का साहस िखे कर िषु्ट्यतं आश्चयिव चकत हो उठे। उधहोंने ऐसा दृश्य कभी न तो िेखा था न ही उसकी कल्पना की था। जहाँा भरत यह िीड़ा कर रहा था र्हीं बड़े शरे और शरे चनयााँ शांत होकर बैठे थ।े स्र्यं जब राजा िषु्ट्यतं का साहस र्हाँा जाने का न हआु तो उधहोंने बड़े प्रमे से सकं े त िके र भरत को अपने पास बलु ाया। पास आने पर िषु्ट्यंत ने बड़े स्नेह से पछू ा, कहााँ रहते हो बटे ा? भरत ने कहा, यहीं र्न मंे अपनी माँा के साथ। िषु्ट्यंत ने पनु ः पछू ा, क्या तमु ्हंे इन शरे ों से डर नहीं लगता ? भरत ने कहा, भला मैं क्यों डरुाँ मंै क्या कायर हँा ? ये सब तो मरे े चमत्र ह।ंै अब तक िषु्ट्यंत बालक भरत की मीठी र्ातों से मतं ्रमिु होने लगे थे। प्रश्नः 1. र्न में घमू ते हएु िषु्ट्यतं ने क्या िखे ा? () अ) बड़ा चर्चित्र दृष्ट्य आ) खखँाू ार जगं ली जानर्र इ) एक चर्शाल काय राक्षस ई) लबं े काले नाग को 2. बालक क्या कर रहा था? () अ) डर से रो रहा था। आ) फल तोड़कर खा रहा था। इ) शरे के शार्कों से खेल रहा था। ई) शरे के शार्कों को भगा रहा था। 3. बालक ने शरे ों से न डरने का क्या कारण बताया? () अ) र्ह जगं लर्ासी ह।ै आ) र्ह शरे ों को र्श में करना जानता ह।ै इ) शरे उससे डरते ह।ैं ई) र्ह कायर नही ह।ै 4. ‘िदं ्रमा’ शब्ि के उचित पयावय क्या ह?ैं () अ) िािँा , शचश, सोम आ) रजनी, चनशा, चनशािर इ) नक्षत्र, चसतारे ई) चिनेश, पंकज, जलज 5. इस गद्ांश को उचित शीषकव िनु ो। () अ) मीठी र्ाणी आ) र्ीर बालक इ) िषु्ट्यतं का साहस ई) खखाँू ार शरे प्रश्नोत्तर चनम्न प्रश्नों के उत्तर चिचखए। 1. ‘हमारे त्यौहार’ पाठ की क्या चर्शषे ता ह?ै 2. तमु ्हारे गाँरा ् या शहर में िशहरा कै से मनाते ह?ैं 101
चनबंध िेखन अभ्यास – गणतंत्र चिर्स का महत्र् बताते हुए चनबंि चलचखए। व्याकरण 1. चनम्न वाक्यों में रेखांचकत सवथनाम के िेिों के नाम चिचखए। 1. राजीर् की बहन र्ह ह।ै उ. 2. आप रहने ि,ंे मंै स्र्यं ले लगँाू ा। उ. 3. ििू मंे कु छ चगरा ह।ै उ. 2. चनम्न खािी स्र्ानों में उचित सवथनाम शब्ि चिचखए। 1. त्यौहार िशहरे के बाि मनाया जाता ह।ै (यह, उधहोंने) 2. को बलु ाकर सफ़ाई करर्ाओ। (चजधह,ंे चकसी) 3. तमु ्हारी कमीजंे ह।ंै (र्े, र्ह) 3. चनम्न वाक्यों मंे सवथनाम शब्ि रेखांचकत करके चिचखए। 1. मैं खले ती ह।ाँ उ. 2. र्ह पसु ्तक पढ़ रही ह।ै उ. 3. तमु िोस्त के साथ चिल्ली जाओ। उ. 4. चनम्न वाक्यों मंे रेखांचकत शब्िों के चिगं बििकर वाक्य पुन:चिचखए। 1. लड़चकयाँा बगीिे मंे जाकर झलू ा झलू ती ह।ंै उ. 2. औरतंे पजू ा करती ह।ंै उ. 3. मचहला खते मंे काम कर रही ह।ै उ. 5. चनम्न वाक्यों मंे रेखांचकत शब्िों के विन बििकर वाक्य पनु :चिचखए। 1. मचहला गीत गाती ह।ै उ. 2. लड़की बतकु म्मा खले ती ह।ै उ. 3. मरे ी सहले ी खले रही ह।ै उ. 6. चनम्न शब्िों के पयाथयवािी शब्ि चिचखए। 1. त्यौहार - 2. पाठशाला - 102
3. फू ल - 4. सिंु र - 5. गौरी - 6. मचहला - 7. चनम्न शब्िों के चविोम शब्ि चिचखए। 1. अ्छा × 4. शाम × 2. संिु र × 5. सही × 3. बाि × 6. बहतु × 8. चनम्न शब्िों के विन बििकर चिचखए। 1. सहले ी - 4. झलू ा - 2. छु िी - 5. लड़की - 3. मचहला - 6. बगीिा - 9. चनम्न शब्िों के चिंग बििकर चिचखए। 4. मााँ - 1. सहले ी - 5. पड़ोसन - 2. लड़की - 6. औरत - 3. मचहला - 10. चनम्न शब्िों के प्रत्यय अिग कीचजए। 1. बिपन - 4. िर्ाखाना - 2. मखू तव ा - 5. लालिी - 3. सधु िरता - 6. सामचू हक - 11. चनम्न वाक्यों मंे चिया शब्ि पहिानकर कोष्ठक में सही उत्तर चिचखए। 1. लड़चकयााँ बतकु म्मा खले रही ह।ंै ( ) ई) रही ) अ) बतकु म्मा आ) लड़चकयााँ इ) खले ) ( 2. रािा झलू ा झलू रही ह।ै ई) झलू अ) झलू ा आ) रािा इ) रही ( ई) रही है 3. लड़की गीत गा रही ह।ै अ) लड़की आ) गीत इ) गा 103
12. चनम्न रेखांचकत शब्िों के चविोम शब्ि पहिानकर कोष्ठक में सही उत्तर चिचखए। 1. शारिा तमु ठीक नहीं ........बोल रही हो। ( ) बढ़ाकर ) अ) गलत आ) झठू इ) सि ई) ) ( 2. िसू रों से प्यार करो, न चक .........। बरु ा ) ) अ) प्रेम आ) द्वषे इ) कम ई) ( ) मनमोहक 3. श्याम संिु र है मगर उसका भाई........ह।ै ) ( ) अ) खबू सरू त आ) अ्छा इ) कु रूप ई) को ) 13. चनम्न वाक्यों के चिए उचित कारक चिह्न पहिानकर कोष्ठक मंे सही उत्तर चिचखए। ( ) चक,मंे ) 1. हमारे पड़ोस......... भी बतकु म्मा खले ते ह।ंै ) ( अ) में आ) से इ) का ई) को 2. मचहलाएँा बतकु म्मा...... गौरी मााँ ......... रूप मानती ह।ैं ( तहु ार अ) को,का आ) की,मंे इ) स,े ने ई) ( 3. िशहरा त्यौहार परू े िशे .......मनाया जाता ह।ै पड़़ू स अ) से आ) में इ) की ई) ( िशे हरा 14. चनम्न शब्िों की शदु ्ध वतथनी पहिानकर कोष्ठक में सही उत्तर चिचखए। ( 1. तयौहार लोग अ) तयोहार आ) त्यौहार इ) तौहार ई) ( ई) िीपार्ली 2. पढोस ई) ( अ) पड़ोस आ) पड़ौस इ) पढ़ौस शाखा 3. िसहरा अ) िहशरा आ) िशहरा इ) िशरा 15. चनम्न रेखांचकत शब्िों के पयाथयवािी शब्ि पहिानकर कोष्ठक में सही उत्तर चिचखए। 1. हमंे ईश्वर की पजू ा करनी िाचहए। अ) िरे ्ी आ) प्रभु इ) जन ई) 2. िशहरा त्यौहार परू े िशे में मनाया जाता ह।ै अ) परू ्व आ) िीपक इ) पर्व ई) 3. बगीिे मंे संिु र फू ल ह।ै अ) मचं िर आ) पषु्ट्प इ) पत्ता ई) त्यौहार से मेिजोि की िावना बढ़ती है। 104
उपवािक स्वच्छता और स्वास््य अर्थग्राह्यता प्रचतचिया पाठशाला का समय हुआ। टन-टन टन-टन घटं ी बजी। सभी ब्िे मिै ान में जमा हएु । प्राथनव ा हईु । प्राथवना के बाि प्रिानाध्यापक ने स्र्ास््य रक्षा कायविम की जानकारी िी। सभी छात्रों को भाग लेने के चलए कहा। सभी ब्िे अपनी-अपनी कक्षाओंकी साफ़-सफ़ाई मंे लग गय।े साथ – साथ कक्षा की सजार्ट भी करने लग।े िखे ते – िखे ते पाठशाला का र्ातार्रण ही बिल गया। र्हााँ का सारा र्ातार्रण स्र््छ हो उठा। िोपहर के भोजन के बाि स्र्ास््य रक्षा कायिव म आरंभ हआु । इसमंे प्रिानाध्यापक, सभी अध्यापक, चजला स्र्ास््य अचिकारी, सरपिं के अलार्ा छात्र र् उनके माता-चपता भी आये थे। कायविम प्रारंभ हुआ। चजला स्र्ास््य अचिकारी स्र्ास््य रक्षा के बारे मंे बताने लगे – “स्र्स्थ रहने के चलए स्र््छ रहना जरूरी ह,ै स्र््छ रहना माने . . . हर चिन स्नान करना िाचहए। साफ़ कपड़े पहनने िाचहए। नाखनू बढ़ने पर उधहें काटना िाचहए। चसर पर तले लगाकर कं घी करनी िाचहए। भोजन से पहले हाथ िोने िाचहए। नल – कू पों के पास भी सफ़ाई रखनी िाचहए।” इसके बाि प्रिानाध्यापक ने शरीर की स्र््छता के बारे मंे बताया। सरपिं जी ने अपने भाषण में अड़ोस पड़ोस की सफ़ाई का महत्र् समझाया। जब कायविम समाप्त हुआ तो ब्िों ने जोरिार ताचलयाँा बजायी। चनम्न गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर चिचखए। िोपहर के भोजन के बाि स्र्ास््य रक्षा कायविम आरंभ हुआ। इसमें प्रिानाध्यापक, सभी अध्यापक, चजला स्र्ास््य अचिकारी, सरपिं के अलार्ा छात्र र् उनके माता-चपता भी आये थे। कायिव म प्रारंभ हुआ। चजला स्र्ास््य अचिकारी स्र्ास््य रक्षा के बारे में बताने लगे - “स्र्स्थ रहने के चलए स्र््छ रहना जरूरी ह,ै स्र््छ रहना माने... हर चिन स्नान करना िाचहए। साफ़ कपड़े पहनने िाचहए। नाखनू बढ़ने पर उधहें काटना िाचहए। चसर पर तले लगाकर कं घी करनी िाचहए। भोजन से पहले हाथ िोने िाचहए। नल-कू पों के पास भी सफ़ाई रखनी िाचहए।” 105
प्रश्न: 1. िोजन के बाि क्या आरंि हुआ? उ. िोपहर के भोजन के बाि स्र्ास््य रक्षा का कायिव म आरं भ हुआ। 2. इस कायथिम में कौन िोग आए र्े? उ. इस कायिव म मंे प्रिानाध्यापक, सभी अध्यापक, चजला स्र्ास््य आचिकारी, सरपंि के अलार्ा छात्र और उनके माता चपता भी आए थ।े 3. स्वस्र् रहने के चिए क्या ज़रुरी है? उ. स्र्स्थ रहने के चलए स्र््छ रहना जरुरी ह।ै 4. स्वच्छ रहने के चिए क्या करना ज़रुरी है? उ. स्र््छ रहने के चलएः 1) स्नान करना 2) साफ कपड़े पहनना 4) भोजन से पहले हाथ िोना आचि जरूरी ह।ै 3) नाखनू काटना, 5. चनम्न शब्िों के पयाथयवािी शब्ि चिचखए – 1) प्रारंभ - आरंभ, शरु ु 2) हाथ - हस्त, कर, पाचण 3) भोजन - खाना, अधन, 4) स्र््छ - साफ, शदु ्ध, चनमलव 106
इकाई-3 9. गुिाडी अर्थग्राह्यता प्रचतचिया प्रश्न: 1. चित्र मंे क्या चिखायी िे रहा है? उ. इस चित्र मंे एक आदमी डप्प बजा रहा है तथा कु छ औरतें नाि रही ह।ंै दसू रे चित्र में कु छ परु ुष झाँका ी प्रस्ततु करने के चिए अिग वषे भषू ा में नतृ ्य करने वािे ह।ैं 2. कु छ प्रचिि्ध लोकनृत्यों के नाम बताओ। उ. गसु ाडी, िबं ाडा, भांगडा, चगदध् ा, कोिाटम, डांचडया आचद िोकनतृ ्यों के नाम ह।ैं 3. नािती हुई इन मचहलाओं के मन मंे कौन िी भावना होगी? उ. नतृ ्य से मनोरंजन होता है वहीं आनन्द की अनभु चू त होती ह।ै इन के मन में भी आनंद की भावना होगी। 1. नािना = नतृ ्य, to dance अिग-अिग, various, different 2. चवचवध = स्वीकार करना to agree, to respect मयरू पखं , peacock feather 3. मानना = पहनावा, dress and appearance गोंडों की दवे ी 4. मोर के पखं = कचिनाई, crisis चसर पर पहनने का कपडा, a turban 5. वशे -भषू ा = अच्छा िगना, liking, taste वन, forest 6. जगं दु ाई = प्राप्य प्रावधान, facility, convenience कोचशश, to effort, to attempt 7. सकं ट = the main dance of the gondu-tribe-culture 8. पगडी = 9. पसंद = 10. जगं ि = 11. सचु वधा = 12. प्रयास करना = 13. गसु ाडी = 107
‘गसु ाडी’ पाि मंे आचदिाबाद की गोंड जनजाचत का यवु क अपनी जाचत के बारे मंे बता रहा ह।ै जगं ु नाम का यवु क आचदिाबाद की गोंड जनजाचत का ह।ै वह गोंडी नामक मीिी भाषा मंे बात करता ह।ै गसु ाडी इनकी ससं ्कृ चत का चवशषे नतृ ्य ह।ै नािते समय इनकी वशे -भषू ा भी चवशषे होती ह।ै चवचवध उत्सवों पर ये िोग नतृ ्य करते ह।ैं ‘जगं दु ाई’ इनकी दवे ी ह।ंै इनकी चवशषे पजू ा की जाती ह।ै इनका मानना है चक यह दवे ी सकं टों से इनकी रक्षा करती ह।ै ये िोग मोरपखं से बनी चवशषे पगडी पहनते ह।ैं अपनी संस्कृ चत से ये चवशषे प्रमे करते ह।ैं ‘रेिा---रेिा’ इनका प्रचसद्ध गीत ह।ै जसै ा ये गाते हंै, वसै ा ही नतृ ्य भी करते ह।ैं परु ुष ढोि बजाते हंै और चियााँ गाना गाती ह।ंै ये िोग जगं ि मंे चनवास करते ह।ंै जहााँ से शहर बहुत दरू ह।ंै इन तक पहिुाँ ने के चिए सडकों और बसों की सचु वधाएँा बढाने के चिए सरकार प्रयास कर रही ह।ै 1. जनजाचत के लोगों की क्या चवशेषताएँ हैं? उ. जनजाचत के िोग जगं ि मंे रहते ह।ंै उनकी अपनी–अपनी वशे भषू ा तथा भाषाएाँ होती ह।ैं वे वन दवे ी-दवे ताओं की पजू ा करते ह।ैं वे अपनी अिग-अिग भाषाएँा बोिते ह।ैं उनका चवश्वास है चक वही दवे ी-दवे ता उनकी रक्षा करते ह।ंै वे नतृ ्य तथा गाने के शौकीन होते ह।ंै वे अपनी ससं ्कृ चत से प्यार करते ह।ैं 2. शहर िूर होने के कारण गोंड जनजाचत के लोगों को क्या क्या कचिनाइयाँ होती हंै। उ. शहर दरू होने के कारण गोंड जनजाचत के िोगों को बहतु कचिनाइयााँ होती ह।ै शहर से जगं ि तक पहिुाँ ने के चिए सडक की सचु वधा नही ह,ै इस कारण बसों की भी सचु वधाएाँ नही होती ह।ंै 3. कु छ लोकनतृ ्यों के बारे मंे बताओ। जैिेेः- कोलाटम, डांचडया आचि। उ. (क) कोिाटमः यह आधं ्र प्रदशे का प्रचसदध् िोक नतृ ्य ह।ै छोटे – छोटे डंडो को मारते हएु गाने के साथ िोग नािते ह।ंै नवराचत्र के समय वे यह नतृ ्य करते ह।ैं (ख) डाचं डयाः यह राजस्थान और गजु रात का िोक चप्रय िोकनतृ ्य ह।ै यह भी कोिाटम की तरह छोटे–छोटे डंडों को मारते हएु गाने के साथ िोग नािते ह।ैं नवराचत्र के उपिक्ष में यह नतृ ्य करते ह।ंै (ग) गसु ाडीः आंध्रप्रदशे के आचदिाबाद के गोंड जनजाचत का प्रमखु िोकनतृ ्य ह।ै गोंड िोग मोर के पंख की पगडी पहनते ह।ंै परु ुष ढोि बजाते ह।ैं चियाँा ‘’रेिा .... रेिा’’ गीत गाती ह।ैं जसै ा गाते ह,ैं वसै ा नतृ ्य भी करते ह।ंै (घ) भागं डाः पंजाब का प्रचसदध् िोकनतृ ्य ह।ै परु ुष नािते ह।ंै सभी संदभो मंे इसे प्रदचशति करते ह।ंै (ड.) चगदध् ाः पंजाब का प्रचसदध् िोकनतृ ्य ह।ै चियााँ नािती ह।ंै सभी सदं भों में इसे प्रदचशति करते ह।ैं (ि) घमू रः यह राजस्थान का िोकचप्रय िोक नतृ ्य ह।ै हाथों से अचभनय करते हुए औरतें नािती ह।ैं (छ) गरबाः यह गजु रात का िोकनतृ ्य ह।ै त्यौहारों के समय इसे प्रदचशति करते ह।ंै (ज) चबहः आसाम का प्रमखु िोकनतृ ्य ह।ै 1. िोकनतृ ्य से आप क्या समझते ह?ंै अचतररक्त प्रश्न 2. ‘िोक’ शब्द से दो शब्द बनाइए। - (िोकनायक, िाकगीत) 3. तिे ंगाना का िोकगीत कौनसा ह?ै 108
1. वाक्यों का िम िही करो। 1. बहुत मीिी है होती भाषा यह। उ. यह भाषा बहतु मीिी होती ह।ै 2. िसं ्कृ चत प्रमुख है नृत्य गुिाडी का हमारी। उ. गसु ाडी हमारी संस्कृ चत का प्रमखु नतृ ्य ह।ै 3. बजाते हैं ढोल पुरूष। उ. परु ुष ढोि बजाते ह।ंै 4. िूर हैं होते शहर बहुत। उ. शहर बहुत दरू होते ह।ैं अचतररक्त प्रश्न 1. चदए गए शब्दों से ररक्त स्थान भररए। (ढोि, गोंड, गाना) मंै ................जनजाचत का यवु क ह।ाँ परु ुष.............बजाते ह,ंै तो चियाँ.ा .........गाती ह।ंै 2. हाँा या नहीं में उत्तर दीचजए। गोंडी भाषा बहुत ही मीिी होती ह।ै ( ) ) सडकों और बसों की सचु वधाएँा बहुत अचधक ह।ै ( 3. पाि में पािाँ संज्ञा शब्द छाँाचटए। अध्यापन िकं े त - सनु ो-बोिो, पढो में चदए गए अचतररक्त प्रश्न के वि छात्रों के वािन कौशि के चवकास हते ु चदए गए ह।ैं छात्रों से चनम्न प्रश्न पछू ंे, उत्तर की सराहना करें। छात्रों को हमारे िोकगीत, िोकनतृ ्य से अवगत कराए।ाँ अचभव्यचक्त िृजनात्मकता 1. गिु ाडी नृत्य के बारे में क्या जानते हो? उ. गोंड जाचत की एक चवशषे ससं ्कृ चत ह।ै वे चवचवध उत्सवों पर नतृ ्य करते ह।ंै ‘गसु ाडी’ गोंड – जनजाचत उनका प्रमखु नतृ ्य ह।ै नतृ ्य करते समय उनकी चवशषे वशे -भषू ा होती ह।ै परु ुष मोर के पंखों से बनी पगडी पहनते ह।ंै परु ूष ढोि बजाते ह,ैं तो चियााँ गाना गाती और नािती ह।ंै यह िोग जसै ा गाते हंै वसै ा ही नतृ ्य करते ह।ैं उनके गीत की प्रचसदध् पचं क्त ‘’रेिा ... रेिा’’ ह।ै 109
2. तुम्हें जनजाचत लोगों की िबिे अच्छी बात कौन िी लगती हैं? उ. मझु े जनजाचत के िोगों का पहनावा, उनकी चवशेष संस्कृ चत, पंखों से बनी पगडी बहुत अच्छी िगती ह।ैं भाषा की बात (अ) जोडो और नये वाक्य चलखो। उ. दीवािी रंग खिे ते ह।ैं - दीवािी के चदन दीप जिाते ह।ंै ईद दीप जिाते ह।ंै - ईद के चदन ईदगाह जाते ह।ंै - चिसमस के चदन सैटं ा आते ह।ैं चिसमस ईदगाह जाते ह।ैं - होिी के चदन रंग खिे ते ह।ंै - स्वतंत्रता चदवस पर झडं ा फहराते ह।ैं होिी झडं ा फहराते ह।ैं स्वतंत्रता चदवस सटंै ा आते ह।ंै (आ) वाि्य यंत्रों के नाम चलखो। तबिा, ढोि, बासाँ रु ी, वायोचिन, वीणा उ. वायोचिन ढोि बाँासरु ी तबिा वीणा (इ) वगथ पहेली में िे पाि में आये शब्िों को ढूँढ़कर चलखो। ि जं गु सा डी प न वे नृ त्य डी जा जं श गों िा चत गु ता भू षा कु यु व क उ. नतृ ्य, गसु ाडी, जनजाचत, जंग,ु गोंडी। (अ) नीिे चिये गये वाक्य ध्यान िे िेखो। जैिेेः हम गसु ाडी नतृ ्य करते ह।ंै हम पवि मनाते ह।ंै - मैं गसु ाडी नतृ ्य करता ह।ँा हम टी.वी. दखे ते ह।ंै - मंै पवि मनाता ह।ाँ हम पानी पीते ह।ैं - मैं टी.वी. दखे ता ह।ँा हम खाना खाते ह।ंै - मंै पानी पीता ह।ँा - मैं खाना खाता ह।ँा 110
(आ) ऊपर चिये गये वाक्यों के आधार पर ‘’हम’’ शब्ि का उपयोग करते हुए कु छ वाक्य बनाओ। उ. 1. मैं कचवता चिखता ह।ँा हम कचवता चिखते ह।ंै 2. मंै पाि पढता ह।ाँ हम पाि पढते ह।ैं 3. मंै चिके ट खिे ता ह।ाँ हम चिके ट खिे ते ह।ैं 4. मैं खाना खाता ह।ाँ हम खाना खाते ह।ैं 5. मंै दधू पीता ह।ाँ हम दधू पीते ह।ंै 6. मैं रात को सोता ह।ाँ हम रात को सोते ह।ंै 1. मोर के पखं का चित्र उतार कर िो वाक्य चलखो। उ. मोर के पखं बहतु सदंु र होते ह।ैं पखं ों में कई रंग होते ह।ंै जब मोर नािता है तब उसके पंख चगर जाते ह।ैं िोग इनके पखं ों का प्रयोग पगडी बनाने के चिए, हाथ का पंखा बनाने के चिए करते ह।ंै श्री कृ ष्ण के मकु ु ट पर भी मोर का पंख शोचभत होता था। क्या मैं ये कर िकता ह/ँ िकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाि के बारे में बातिीत कर सकता ह।ँा 2. पाि का साराशं अपने शब्दों मंे बता सकता ह।ँा 3. पाि का साराशं अपने शब्दों मंे चिख सकता ह।ँा 4. पाि के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँा श्रतु लेख 111
अचतररक्त कायथ प्रश्नोत्तर 1. गुिाडी नतृ ्य चकि जनजाचत की िंस्कृ चत का प्रमुख नतृ ्य है? उ. गसु ाडी आचदिाबाद की गोंड जनजाचत की चवशषे ससं ्कृ चत का प्रमखु नतृ ्य ह।ै नािते समय इनकी चवशेष वशे भषू ा होती ह।ै ये चवचवध उत्सवों पर नतृ ्य करते ह।ैं 2. ‘जंगुिाई’ क्या है? उ. ‘जगं दु ाई’ गोंड जनजाचत की दवे ी ह।ै ये िोग इनकी चवशषे पजू ा करते ह।ंै इनका मानना है चक वह संकटों से इनकी रक्षा करती ह।ंै 3. “ रेल - - - रेला” शब्ि चकििे िबं ंचधत है? उ. आचदिाबाद की गोंड जनजाचत के प्रचसद्ध गीत की पंचक्त ह-ै “रेिा... रेिा”। परु ुष ढोि बजाते हैं और चियाँा गीत गाती ह।ंै जसै े ये िोग गीत गाते ह,ैं वसै े ही नतृ ्य भी करते ह।ंै नारा लेखन आज के यगु मंे जहाँा चवज्ञापन का बोिबािा है वहााँ नारा िेखन का अपना एक चवशेष महत्त्व ह।ै स्वततं ्रता सगं ्राम के दौरान िोगों की भावनाओं को दशे -प्रेम से सरोबोर करने के चिए कई नारे गजाँू े थ,े जसै े –अगं ्रेजों भारत छोडो, तमु मझु े खनू दो, मंै तमु ्हंे आजादी दगँाू ा। रक्तिान के नारे – रक्तदान-जीवनदान, आपका खनू चकसी की जान बिा सकता ह।ै पेडों िे िबं चं धत नारे – पडे ों को मत काटो भाई, ये करते हैं प्राकृ चतक भरपाई। पयाथवरण िरु क्षा के नारे – तरक्की के सपने अधरू े, प्रकृ चत की रक्षा से होंगे परू े। 1. आत्मचवश्वास है जहा,ाँ सफिता है वहाा।ँ 2. चवश्वास है जहाँा, प्रगचत है वहााँ। 3. सफिता की काँु जी, आत्मचवश्वास की पँजाू ी। मुहावरे मुहावरे कोई भी ऐसा वाक्याशं जो अपने साधारण अथि को छोडकर चकसी चवशषे अथि को व्यक्त करे उसे महु ावरा कहते ह।ैं 1. रमशे परू ा चदन यहाँा-वहाँा भटकता रहता ह।ै रमशे परू ा चदन यहााँ-वहाँा की खाक छानता रहता ह।ै 2. श्रीराम माता कौशल्या के बहतु प्यारे थे। श्रीराम माता कौशल्या के गले का हार थे। 112
नीिे चिए गए वाक्य पचढ़ए। 1. रमशे परू ा चदन यहाँा-वहााँ भटकता रहता ह।ै रमशे परू ा चदन यहााँ-वहााँ की खाक छानता रहता ह।ै 2. श्रीराम माता कौशल्या के बहतु प्यारे थ।े श्रीराम माता कौशल्या के गले का हार थ।े चदए गए वाक्यों मंे एक ही बात को दो प्रकार से कहा गया ह।ै “भटकता रहता ह”ै के स्थान पर “खाक छानता रहता ह।ै ” तथा बहुत प्यारे के स्थान पर गिे का हार का प्रयोग चकया गया। इन वाक्यों मंे खाक छानना का अथि चमट्टी छानना नहीं बचल्क भटकना ह।ै उसी तरह गिे का हार का अथि राम को गिे का हार बनाकर पहनना नहीं, बचल्क बहुत प्यारे होना ह।ै ये कथन चवशषे अथि दे रहे ह।ंै ये कथन महु ावरे ह।ैं मुहावरों के अर्थ और उनका वाक्य प्रयोग। 1. अक्ि पर पत्थर पडना = बचु द्ध से काम न करना सधु ा की अक्ि पर पत्थर पड गए थे, जो चवमिा से झगड पडी। 2. अपने पाँाव पर आप कु ल्हाडी मारना = अपनी हाचन स्वयं करना। बेईमान श्यामिाि को रुपए दके र रोशन ने अपने पाँवा पर आप ही कु ल्हाडी मार िी। 3. आखाँ ें िरु ाना = बिकर चनकिना अनभु ा ने मरे ी पसु ्तक नहीं िौटाई। अब आखँा ंे िरु ाती चफरती ह।ै 4. आखाँ ों में खटकना = बरु ा िगना नटवर अपनी शरारतों के कारण सबकी आखाँ ों मंे खटकता ह।ै 5. आकाश–पाताि एक करना = बहतु प्रयास करना नौकरी पाने के चिए मानवी ने आकाश–पाताि एक कर चदया। 6. आपे से बाहर होना = बहुत गसु ्सा होना दादा जी छोटी-छोटी बातों पर आपे से बाहर हो जाते ह।ैं 7. ईद का िाँाद होना = बहतु चदनों बाद चदखाई दने ा जब से मनीष की नौकरी िगी ह,ै वह तो ईद का िाँाद हो गया ह।ै 8. कच्िी गोचियााँ न खिे ना = अनभु वी होना नैना ने कच्िी गोचियााँ नहीं खिे ीं, उसे भोिी-भािी मत समझना। 9. काि का उल्िू होना = एकदम मखू ि होना नारंग काि का उल्िू ह,ै उससे पछू ने का िाभ नहीं होगा। 10. कान खडे होना = िौकन्ना होना दो अनजान यवु कों को कोिी के बाहर बिै े दखे कर प्रशातं के कान खडे हो गए। 11. गागर में सागर भरना = थोडे मंे अचधक कहना बिदवे बािी अपने भाषण मंे गागर में सागर भर दते े ह।ंै 12. घी के दीए जिाना = बहतु प्रसन्न होना नीिाजं ना के स्कू ि कप्तान बनने पर माँा ने घी के दीये जिाए। 13. िलु ्िू भर पानी मंे डूब मरना = िचजजत होना 113
नकि करते पकडे गए हो, तमु ्हंे तो िलु ्िू भर पानी मंे डूब मरना िाचहए। 14. छक्के छु डाना = बरु ी तरह हराना राहुि द्रचवड ने बागं्िादशे ी गदंे बाजों के छक्के छु डा चदए। 15. जमीन पर परै न रखना = बहुत घमडं करना िन्द्रकांत का व्यापार क्या िि पडा, वह जमीन पर पैर नहीं रखता। 16. जान में जान आना = आराम आना अनजु ा को होश मंे आया दखे कर माता-चपता की जान में जान आई। 17. जी-जान से काम करना = मन िगाकर काम करना नई दकु ान को ििाने के चिए सोहनिाि जी–जान से काम कर रहा ह।ै 18. ढोि पीटना = बात फै िाना पषु ्पा के कम अकं क्या आए, प्रभा ने संबंचधयों मंे ढोि पीट चदया। 19. दाि न गिना = िाि असफि होना िािक मनु शे ्वर के आगे चिरंजीत की दाि न गिी। 20. दो टूक बात करना = साफ़–साफ़ कहना दो टूक बात करना अरचवदं के स्वभाव की चवशषे ता ह।ै 21. नींद हराम होना = व्यथि जागना, परेशान होना िाउडस्पीकर की तेज आवाज के कारण मोहल्िे वािों की नींद हराम हो गई ह।ै 22. पािाँ ों उँागचियाँा घी मंे होना = िाभ होना नाना जी की मतृ ्यु पर मकान और दकु ान चमि जाने के कारण ध्रवु की पाँािों उँागचियााँ घी में हो गई।ं 23. फँाू क-फाँू ककर कदम रखना = सावधानी से काम करना झगडािू पडोसी के साथ धीरज को फाँू क-फाँू ककर कदम रखना पडता ह।ै 24. बगिंे झााँकना = उत्तर न दे पाना अध्याचपका के प्रश्न पछू ने पर सकु न्या बगिंे झाँाकने िगती ह।ै 25. बाि बाँका ा न होना = कु छ न चबगडना बस से टकराकर भी कनचु प्रया का बाि बाकाँ ा न हआु । 26. चमट्टी में चमि जाना = नष्ट हो जाना जगन्नाथ की महे नत की कमाई को शराबी पतु ्र ने चमट्टी मंे चमिा चदया। 27. महँाु मोडना = काम बदि िने ा सफ़दर ने नौकरी करके व्यापार से महाँु मोड चिया ह।ै 28. रामबाण होना = िाभदायक होना खासाँ ी के चिए “मोहयाि मध”ु रामबाण ह।ै 114
अभ्याि कायथ (Work Book) पचित गद्ांश चनम्न गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर चलचखए। मरे ा नाम जगं ु ह।ै मैं आचदिाबाद के गोंड जनजाचत का यवु क ह।ँा मंै गोंडी भाषा मंे बात करता ह।ँा यह भाषा बहतु ही मीिी होती ह।ै हमारी भी एक चवशेष संस्कृ चत ह।ै गसु ाडी हमारी ससं ्कृ चत का प्रमखु नतृ ्य ह।ै नािते समय हमारी चवशषे वशे -भषू ा होती ह।ै हम चवचवध उत्सवों पर नतृ ्य करते ह।ंै “जगं दु ाई हमारी दवे ी ह।ैं हम इनकी चवशषे पजू ा करते ह।ैं हमारा मानना है चक वे हमें संकटों से बिाती ह।ंै हम मोर के पंखों से बनी पगडी पहनते ह।ैं मझु े अपनी ससं ्कृ चत बहतु पसदं ह।ै प्रश्न : 1. जगं ु चकस जनजाचत का यवु क ह?ै उ. 2. यहाँा की भाषा का नाम क्या ह?ै उ. 3. यहाँा की चवशषे ससं ्कृ चत का नतृ ्य क्या ह?ै उ. 4. यहाँा की दवे ी का नाम क्या है और िोग दवे ी के बारे में क्या कहते ह?ैं उ. 5. इस गद्य से यगु्म शब्द िनु कर चिचखए। उ. प्रश्नोत्तर चनम्न प्रश्नों के उत्तर चलचखए। 1. “गोंड” जनजाचत की चवशषे ताओं पर प्रकाश डाचिए। 2. शहर दरू होने के कारण गोंड जनजाचत के िोगों को क्या-क्या कचिनाइयाँा होती ह?ंै नारा लेखन अभ्याि- प्रकृ चत से जडु े कोई पाँाि नारे चिचखए। 115
व्याकरण 1. चनम्न मुहावरों के अर्थ चलखकर वाक्यों में प्रयोग कीचजए। 1. आखँा ें िरु ाना = वाक्यः- 2. आखाँ ों मंे खटकना = वाक्यः- 3. आकाश-पाताि एक करना = वाक्यः- 2. चनम्न उचित मुहावरे िे खाली स्र्ान भररए। हो गया। (िहर गया, नौ दो ग्यारह हो गया) 1. िोर चसपाही को दखे कर हो गया ह।ै (ईद का िाादँ , अक्डाि)ू 2. जब से मनीष की नौकरी िगी ह,ै वह तो चदए। (होश उडाना. छक्के छु डाना) 3. राहिु द्रचवड ने बागं्िादशे ी गदें बाजों के 3. चनम्न मुहावरों को उनके िही अर्थ के िार् चमलाइए। 1. ढोि पीटना आराम आना हार मान िने ा 2. जी-जान से काम करना परेशान होना बात फै िाना 3. जान मंे जान आना मन िगाकर काम करना साफ़–साफ़ कहना 4. दो टूक बात करना (यवु क/ बच्िा) 5. नींद हराम होना 6. घटु ना टेकना 4. चनम्न ररक्त स्र्ानों की पूचतथ उचित शब्िों िे कीचजए। 1. जगं ु गोंड जाचत का ह।ै 2. हम के पखं ों से बनी पगडी पहनते ह।ंै (कौआ/ मोर) 3. यहाँा से बहुत दरू ह।ै (शहर/ जगं ि) 5. चनम्न शब्िों को वाक्यों मंे प्रयोग कीचजए। 1. जनजाचत - 2. ससं ्कृ चत - 3 सचु वधा - 116
6. चनम्नचलचखत शब्िों के चवलोमार्थ चलचखए। 1. मीिी × 4. प्रमखु × 2. चवशेष × 5. बिाना × 3. पसंद × 6. दरू × 7. चनम्न शब्िों के चलंग बिलकर चलचखए। 1. यवु क - 4. दवे ी - 2. मोर - 5. गायक - 3. िडका - 6. िी - 8. चनम्न शब्िों के विन बिलकर चलचखए। 1. भाषा - 4. संस्कृ चत - 2. दवे ी - 5. पगडी - 3. बस - 6. िी - 9. चनम्न वाक्यों में रेखांचकत शब्िों के चलगं बिलकर वाक्य पनु : चलचखए। 1. मोर के पखं बहुत संदु र होते ह।ंै उ. 2. िडका नाि रहा ह।ै उ. 3. वह यवु क बहतु शांत ह।ै उ. 10. चनम्न वाक्यों में िजं ्ञा शब्ि पहिानकर चलचखए। 1. गसु ाडी हमारी ससं ्कृ चत का प्रमखु नतृ ्य ह।ै उ. 2. मैं आचदिाबाद का रहने वािा ह।ँा उ. 3. मीरा ने कहानी चिखी। उ. 11. चनम्न वाक्यों मंे िवथनाम शब्ि पहिानकर कोष्ठक मंे िही उत्तर चलचखए। 1. हम जगं ि में रहते ह।ैं ( ) ई) रहते ) अ) हम आ) जगं ि इ) में ) ( 2. यह भाषा बहतु ही मीिी भाषा ह।ै ई) मीिी अ) भाषा आ) यह इ) बहुत ( ई) जाएगा 3. वह अपने आप ििा जायगे ा। अ) अपने आ) वह इ) ििा 117
12. चनम्न वाक्यों के चलए उचित कारक चिह्न पहिानकर कोष्ठक में िही उत्तर चलचखए। 1. मंै आचदिाबाद .....गोंड जनजाचत .........यवु क ह।ँा ( ) चक,में ) अ) को,का आ) की,मंे इ) के ,का ई) ) ( 2. हम मोर .... पखं ों.... बनी पगडी पहनते ह।ैं चक,ने ) ) अ) के ,से आ) का,में इ) स,े ने ई) ( ) को, में 3. हमारे गीत ....प्रचसद्ध पंचक्त रेिा...रेिा ह।ै अ) का आ) की इ) के ई) 13. चनम्न शब्िों की शदु ्ध वतथनी पहिानकर कोष्ठक मंे िही उत्तर चलचखए। 1. कचटनाई ( इ) कचिनाई अ) किीनाई आ) कटीनाई इ) कचिनाइ ( 2. समसकृ चत ई) स्सकं ृ चत अ) ससं िचत आ) संस्कृ चत इ) सन्सकृ चत ( इ) सकट 3. सकं ि अ) संकट आ) समकट इ) सन्कट 14. चनम्न शब्िों के िही अर्थ पहिानकर कोष्ठक में िही उत्तर चलचखए। 1. नािना ( ) ई) चगरना ) अ) नतृ ्य आ) उछिना इ) कू दना ) ( 2. चवचवध ई) प्रत्य अ) इकट्ठे आ) अिग-अिग इ) अनके ( ई) कोयि 3. मोर अ) कबतू र आ) तीतर इ) मयरू 15. चनम्न शब्िों के पयाथयवािी शब्ि पहिानकर कोष्ठक में िही उत्तर चलचखए। 1. पथृ ्वी ( ) ) अ) आकाश, पडे आ) जगं ि, फि इ) भचू म,धरा ई) पषु ्प, वन ) 2. पवति ( अ) घाटी, िोग आ) सरु ,असरु इ) डाि, शाख ई) पवति , चगरी 3. इच्छा ( अ) परोपकार, चवजय आ) खिे , टीम इ) कामना, अचभिाषा ई) जीतना, हारना हमारी िंस्कृ चत ही हमारी पहिान है। 118
अभ्याि प्रश्न पत्र अर्थग्राह्यता प्रचतचिया I. चनम्नचलचखत पचित पद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर चलचखए। एक शहर चकया आबाद, जो कहिाया हदै राबाद। कु िी के सपनों का नगर, संदु र यहााँ की हर डगर। आसमान को छू ती मीनारें, चमट्टी की मजबतू दीवारंे, इसकी नक्काशी बचे मसाि, इसकी उम्र िार सौ साि। 1. चकस शहर को आबाद चकया गया? 2. यहाँा की हर डगर कै सी ह?ै 3. यहाँा की मीनारें कै सी ह?ंै 4. िार मीनार की उम्र चकतनी ह?ै 5. चनम्न चिचखत शब्दों के अथि चिचखए। 1) डगर – 2) उम्र - अचभव्यचक्त िजृ नात्मकता II. इन प्रश्नों के उत्तर २-३ वाक्यों में चलचखए। प्रश्न: 1. हमारे जीवन मंे त्यौहारों का क्या महत्व ह?ै 2. िारमीनार कहााँ ह।ै इसका चनमाणि चकसने चकया? 3. गसु ाडी नतृ ्य के बारे मंे क्या जानते हो? चनम्न प्रश्नों िे चकिी एक का उत्तर चलचखए। 1. “िारमीनार कचवता का सारांश अपने शब्दों में चिचखए। 2. गणततं ्र चदवस का महत्व बताते हएु चनबधं चिचखए। भाषा की बात III. चनिेश के अनिु ार चलचखए। 1. तमु ्हारी कमीजंे ________ ह।ंै (वे, वह में से उचित सविनाम शब्द चिचखए।) 2. अच्छा- (इसमें प्रत्यय िगाकर नया शब्द बनाइए।) 3. फू ि - (पयाियवािी शब्द चिचखए) 4. आसमान × (चविोम शब्द चिचखए) 5. आकाश–पाताि एक करना = (महु ावरों का अथि चिखकर वाक्यों में प्रयोग कीचजए।) 119
उपवािक प्यारी चबचटया अर्थग्राह्यता प्रचतचिया िडकी : बढू े बाबा क्यों बैिे हो, अपने घर जाओ। रात अधं ेरी सरदी भरी, यहाँा बिै े क्या पाओ। बढू ा : दखे ो बटे ी, मंै हाँ बढू ा, ििा नहीं अब जाता। आखाँ ों से भी कम चदखता ह,ै चफर बखु ार भी आता। िडकी : कहाँा तमु ्हारा घर है बाबा, बोिो, चकसे बिु ाऊँा ? यहाँा िहरना िीक नहीं ह,ै आओ राह चदखाऊाँ ॥ बडी भिी हो चबचटया रानी, पकडो मरे ा हाथ, बढू ा : धीरे-धीरे ििा ििगँाू ा, मैं अब तेरे साथ॥ िडकी : दरू तमु ्हारा घर है बाबा, ििे ििो घर मरे े। आज रात को यहीं रहो, तमु जाना सबु ह सबरे े॥ बढू ा : सखू ी रहो तमु प्यारी चबचटया, तमु ने मझु े बिाया। रात अधं ेरी सरदी भरी, काँाप रही थी काया॥ चनम्न पद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर चलचखए। बडी भिी हो चबचटया रानी, पकडो मरे ा हाथ। धीरे-धीरे ििा ििाँगू ा, मंै अब तेरे साथ। दरू तमु ्हारा घर है बाबा, ििे ििो घर मरे े आज रात को यहीं रहो, तमु जाना सबु ह सवरे े।। सखु ी रहो तमु प्यारी चबचटया, तमु ने मझु े बिाया रात अधं रे ी सरदी भरी, कापाँ रही थी काया।। 1. बढू ़ा चकिको भली कह रहा है? उ. बढू ा चबचटया रानी को भिी कह रहा है और उसका हाथ पकडने को कह रहा ह।ै 2. लडकी बढू ़े को कहाँ ले जाना िाहती है ? उ. िडकी बढू े को अपने घर िे जाना िाहती ह।ै 3. लडकी बूढ़े को अपने घर क्यों ले जाना िाहती है? उ. िडकी बढू े को अपने घर इसचिए िे जाना िाहती है क्योंचक बाबा का घर बहुत दरू ह।ै 4. बढू ़ा लडकी को क्या आशीवाथि िे रहा है और क्यों? उ. बढू ा िडकी को सखु ी रहने का आशीवादि दे रहा है क्योंचक रात बहुत अधं रे ी है और बहुत सदी ह।ै और बढू े का घर भी दरू है इसीचिए िडकी बढू े को अपने घर िे जाना िाहती ह।ै 5. अंधेरा शब्ि का चवलोम शब्ि चलचखए। उ. उजािा। 120
इकाई-4 10. कबीर के िोहे कबीरिास सतं अर्थग्राह्यता प्रचतचिया प्रश्न: 1. चित्र मंे क्या–क्या चिखायी िे रहा है? उ. चित्र में दो पडे ़ ह,ैं एक खजरू का लंबा पेड़ है तथा दसू रा आम का छायादार घना पेड़ ह।ै 2. िोनों पेडों मंे क्या अंतर है? उ. खजरू का पेड़ ऊँ िा होता ह,ै उसकी छाया नहीं होती तथा फल ऊँ िाई पर लगने के कारण कोई खा भी नहीं सकता। आम का पेड़ छायादार होता ह।ै उसके नीिे लोग चिश्राम करते हैं तथा उसके मीठे फल भी खाते ह।ैं 3. इन िोनों पेडों मंे से कौन-सा पेड अचिक उपयोगी है? क्यों? उ. इन दोनों पडे ़ों में से आम का पडे ़ अचिक उपयोगी है क्योंचक िह लोगों को खाने के चलए फल दते ा ह।ै छाया दते ा ह।ै उसकी लकड़ी, दरिाजे और चखड़की बनाने के काम आती ह।ै पक्षी उस पर घोंसला बना कर रहते ह।ंै कबीरदास संत कचि ही नहीं, समाज सिु ारक भी थ।े कबीर जी का जन्म सन् 1398 ई. मंे काशी में हआु । इनके दोहे ‘‘बीजक’’ नामक पसु ्तक में संकचलत ह।ंै इनकी भाषा ‘‘सिकु ्कड़ी’’ ह।ै इनके दोहों मे मानिता की भािना ह।ै िे राम-रहीम को एक ही मानते थ।े कबीर चनगुण भचि शाखा के प्रमखु कचि ह।ैं चहन्द-ू मसु लमान एकता के चलए अनके प्रयास चकए। कबीर समाज-सिु ारक के रूप में चिख्यात ह।ैं 1. काल = आने िाला चदन, tomorrow 2. पल = क्षण, moment 3. बहरु ी = चफर, पनु ः, again 4. परलै = प्रलय, universal destruction 5. पेड़ = िकृ ्ष tree 6. खजरू = एक प्रकार का फल date-palm 7. पंथी = पथ पर िलनेिाला a traveller 8. फल लागै = फल लगते ह।ंै to bear fruits 121
प्रसंग सचहत भावार्थ चिचखए। 1. काि करै सो आज कर, आज करै सो अब। पि मंे परिै होयगो, बहुरी करैगो कब।। प्रसगं -प्रस्ततु दोहा संत कबीर द्वारा चलखा गया ह।ै इस दोहे मंे समय पर कायु करने के चलए कहा गया ह।ै भावार्थ-कबीर कहते हंै चक मनषु ्य की प्रकृ चत होती ह,ै िह आज के काम को कल पर टालता ह।ै कचि प्रेरणा दते े हंै चक कल का काम हमें आज ही कर लने ा िाचहए और आज चकया जाने िाला काम अभी करना िाचहए। समय कब पररिचतुत होगा, कहा नहीं जा सकता। एक पल में ही प्रलय आ सकती ह।ै आप अपना काम कब करोग?े इसचलए समय का सदुपयोग करते हएु कमशु ील बनना िाचहए। महत्व-समय का महत्ि बताते हएु कल का काम आज ही करने की प्रेरणा दी गई ह।ै 2. बुरा जो िेखन मैं ििा, बुरा न चमचिया कोय। जो चिि खोजा आपना, मुझसा बरु ा न कोय।। प्रसगं - प्रस्ततु दोहा सतं कबीरदास द्वारा चलखा गया ह।ै इस कचि ने अपने दोषों की ओर दखे ने के चलए कहा ह।ै भावार्थ- कचि कहते हंै चक जब हम दसू रों में बरु ाई ढूढँ ़ने के चलए चनकला ,तो मझु े जग मंे कोई व्यचि बरु ा नज़र नही आया। लेचकन जब मनै े अपना चदल टटोलकर दखे ा तो पाया चक मझु जसै ा बरु ा और कोई नहीं ह।ै कचि कहते हैं चक संसार मंे बरु ा कोई नही होता ,सब कु छ हमारे दखे ने की दृचि पर चनभरु करता ह।ै महत्व - हमारी दृचि यचद अच्छा दखे ना िाहे ,तो हमंे संसार मंे सभी लोग अच्छे नज़र आएगँ ।े 3. बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड खजूर। पंर्ी को छाया नहीं, फि िागै अचत िूर।। प्रसगं - प्रस्ततु दोहा संत कबीर द्वारा चलखा गया ह।ै इस दोहे में मनषु ्य की सज्जन प्रिचृ ि पर बल चदया गया ह।ै भावार्थ- कचि कहते हंै चक खजरू का पेड़ बड़ा होता है ,लेचकन िह चकसी राहगीर को िपू और थकान से बिाने के चलए छाया नही दे सकता। उसमंे फल इतनी दरू लगते हंै चक कोई भी उनसे लाभ नही उठा सकता। अथाुत् खजरू का पडे ़ बड़ा होकर भी चकसी के चलए उपयोगी नहीं ह।ै उसी प्रकार मनषु ्य यचद बड़ा या िनिान बन जाए लेचकन चकसी की सहायता न कर सके ,परोपकारी न बन सके तो उसका बड़ा होना व्यथु ह।ै महत्व - खजरू के पडे ़ का उदाहरण चदया गया ह।ै मनषु ्य को परोपकारी और सहृदयी बनने की प्ररे णा दी गई ह।ै 4. ऐसी बानी बोचिए, मन का आपा खोय। औरन को सीति करै, आपहु सीति होय।। प्रसंग - प्रस्ततु दोहा सतं कबीरदास द्वारा चलखा गया ह।ै इस दोहे मंे मीठी िाणी और उससे प्राप्त शीतलता के बारे मंे बताया गया ह।ै 122
भावार्थ- कचि कहते हैं चक हमें ऐसी मीठी िाणी बोलनी िाचहए ,चजससे मन के सभी अहकं ार नि हो जाए।ँ हमारे मखु से चनकली हुई बात ऐसी होनी िाचहए जो दसू रों को भी मिरु लगे और हमंे भी आचत्मक शाचं त प्रदान करे। हमारी मिरु िाणी शीतलता प्रदान करने िाली ,अहकं ार का नाश करने िाली होनी िाचहए। महत्व - हमें भलू िश भी चकसी को ठेस नही पहिुँ ानी िाचहए। अपनी मिरु िाणी द्वारा स्ियं को और दसू रों को शीतलता प्रदान करनी िाचहए। नीिे चिये गये प्रश्नों के उत्तर चिचखए। 1. तुम्हंे यह िोहे कै से िगे? कोई एक िोहा गाकर सुनाओ? उ. मझु े कबीर जी द्वारा रिे सभी दोहे पसदं ह।ैं यह ज्ञान ि नीचत से भरपरू ह।ंै कबीर जी के दोहों में कम शब्दों मंे सरलता से गढू ़ ज्ञान चमलता ह।ै छात्र दोहा स्ियं गाएगँ ।े 2. हमारे समाज मंे क्या-क्या समस्याएँ हंै? उ. आज हमारे समाज में आडंबर, चदखािा, अिं भचि, असमानता, चनरक्षरता, बके ारी, सामाचजक भ्रिािार, राजनचै तक दबाि, भ्रिािार, रोटी, कपड़ा, मकान आचद अनेक समस्याएँ ह।ैं 3. तुम अगर कचव होते तो कै सी कचवता चिखते? उ. मझु े कबीर जी द्वारा रिे सभी दोहे पसंद ह।ंै अगर मैं कचि होता तो मैं भी कबीर की तरह नीचत िाले दोहे चलखता। अचतररि प्रश्न 1. ‘काल करै सो आज कर’, दी गई पंचि का अथु बताइए। 2. कबीरे के दोहे से हमें क्या चशक्षा चमलती है? 3. कबीरदास कै से व्यचि थ?े (अ) कचवता पढो और चनम्नचिचखत भाव चकन पचं ियों मंे आये हंै, उन पचं ियों को चिखो। 1. कबीर ने समय से पूवथ काम करने की बात की है? उ. काल करै सो आज कर, आज करै सो अब। पल में परलै होयगो, बहरु ी करैगो कब।। 2. िूसरों की बुराई िेखने से पहिे अपनी बुराई िेखो। उ. बरु ा जो दखे न मैं िला, बरु ा न चमचलया कोय। जो चदल खोजा आपना, मझु सा बरु ा न कोय।। 3. िूसरों की भिाई करने वािा ही बडा आिमी है। उ. बड़ा हआु तो क्या हआु , जसै े पडे ़ खजरू । पथं ी को छाया नहीं, फल लागै अचत दरू ।। 4. हमें मिरु विन बोिने िाचहए। उ. ऐसी बानी बोचलए, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय।। 123
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