ससं ्कृ ति वर्-ष प्रथम, अंक-प्रथम ई-ससं ्करण जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबं ई की ववभागीय पविका \\ दक्षिण मुंबई (कफ परेड) क्षिस्तार का क्षिहगुं म दृश्य िर्लडड ट्रेड सेंटर, टािर-I से खींची गई तस्िीर
आमखु “तनज भािा उदनति अ ,ै सब उदनति को मूल। तबन तनज भािा-ज्ञान के , तमटि न त य को सूल।।“ “ससं ्कृ ति” लेखा परीक्षा-II की प्रथम त दं ी पतिका ी न ीं वरन प्रथम तवभागीय त दं ी ई-पतिका भी ।ै प्रयास तकया गया ै तक य एक समते कि त दं ी पतिका के रूप मंे सक्षम ो सके जो सभी प्रकार की तवधाओं को अपने मंे समात ि कर।ंे इिना ी न ीं इसमंे सभी की स भातगिा भी सतु नतिि की गई ।ै कई मायनों में य पतिका नए मापदडं ों को पररलतक्षि करिी ै और तनवााि की मौजूदा पररतस्थियों में वचै ाररक और मौतलक रचनात्मक और सजृ नशीलिा की अतभव्यति करिी ।ै य ई-ऑतिस के तवभागीय प्रयासों में कायाालयीन दैनतददनी को एक अलग आयाम भी देिी ।ै भारि सरकार के तडतजटलाइजेशन व ई-गवनंेस अतभयान के अंिगाि कें द्रीय अप्रत्यक्ष कर िथा सीमा शलु ्क बोडा ने ई-ऑतिस की शरु ुआि कर म सभी के तलए ई-गवनेंस के कायाक्षिे में एक नया अध्याय जोडा ै िातक म सभी तनधााररि लक्ष्य की पूतिा के तलए िकनीकी को अतधक से अतधक प्रयोग कर एक तमसाल कायम कर सकें । जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई ने शि प्रतिशि ई-ऑतिस को अपना तलया ै व इसी से प्रेररि ोकर ई-पतिका का य एक तवनम्र प्रयास ।ै कोरोना के लॉकडाउन के दौरान व बाद में इस आयिु ालय ने पाया तक ई- ऑतिस से सभी लेखा परीक्षा का काया ब ुि ी सक्षम िरीके से आसानी से ो र ा ै। कोरोना की वज से अतधकाररयों ने छोटी कं पतनयों के ऑतिस पर जाने की बजाय छोटी व मझली ईकाई के ररकॉडा अपने कायाालय पर ी मंगा कर ऑतडट करना आरभं कर तदया ।ै सारा कायाालय अब एक जग कं प्यूटर पर तसमट गया ै तजससे क ीं भी प्रयोग कर म सभी 24X7 कायारि र कर मारे तवभाग में कायों को सूचारू रूप से करने मंे सक्षम ोंग।े इसी संदभा मंे ई-ऑतिस पर सभी कमाचाररयों में अभूिपूवा उत्सा देखकर इस आयिु ालय ने इस पतिका को ई-रूप में प्रकातशि करने में मझु े बडा गवा म सूस ो र ा ।ै इस अवसर पर मैं माननीय प्रधान मखु ्य आयुि म ोदय श्री राके श कु मार शमाा जी के प्रति भी अपना आभार प्रकट करना चा िा ूँ जो इस यािा के प्रेरणास्रोि ंै और तजनके मागादशान मंे इस पतिका का प्रकाशन ो सका। मझु े आशा ै तक आने वाले समय मंे ई- ऑतिस म सब की काया शैली का एक अतभदन अगं बन जाएगा। कोतशश की गई ै तक भातिक एवं वचै ाररक स्िर पर य पतिका पाठकों के बोध और चेिना को जागिृ करगे ी और ई-प्रारूप अतधक से अतधक ाथों मंे सगु मिा से प ुचं ाने मंे मददगार तसद्ध ोगी। (रमशे चदद्र) आयकु ्त जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबुं ई
संदेश प्रधान मखु ्य आयकु ्त सी.जी.एस.टी. एवं कें द्रीय उत्पाद शलु ्क मबंु ई अंचल यह अत्यतं गर्व एर्ं हर्व का वर्र्य है वक जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबं ई प्रथम बार वहदं ी पविका का प्रकाशन करने जा रहा ह।ै भार्ा ही र्ह माध्यम है, वजससे कोई भी समाज अपनी वर्रासत, ज्ञान, संस्कृ वत और ससं ्कार भार्ी पीवियों तक पहचं ाता ह।ै भार्ा प्रावियों के र्ैचाररक आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम ही नहीं अवपत वचंतन-मनन एर्ं वर्चारों को वलवपबद्ध कर उन्हें मतू वरूप प्रदान करने का महत्र्पिू व साधन ह।ै वहदं ी की महत्ता को दखे ते हए संवर्धान सभा ने वहदं ी को १४.०९.१९४९ को राजभार्ा के रूप में मान्यता प्रदान की। अतः यह हमारा संर्धै ावनक दावयत्र् है वक हम अवधक से अवधक सरकारी कायव वहदं ी में करंे। वर्भागीय पविका के प्रकाशन का यह प्रयास सराहनीय एर्ं अनकरिीय ह।ै इससे जहाँा एक तरफ आयक्तालय की गवतवर्वधयों का पता चलता ह,ै वहीं दसू री तरफ यह प्रयास वहदं ी के प्रोत्साहन की तरफ भी एक अनकरिीय कदम ह।ै
वर्चारों की अवभव्यवक्त मनष्य के व्यवक्तत्र् का आभूर्ि ह,ै जो उसके व्यवक्तत्र् को वनखारता ह।ै जो उसे सदरै ् अलंकृ त रखता ह,ै अलौवकक करता है र् एक सौम्य आभामंडल प्रदान करता ह।ै अपनी शवै क्षिक पषृ ्ठभवू म से व्यवक्त न के र्ल दसू रों का अज्ञान दरू करता ह,ै अवपत उनके अंतर की मवलनता दरू कर उन्हंे वनमवल बनाता ह।ै पस्तक के माध्यम से इस कायव को आयक्तालय के अवधकाररयों और कमवचाररयों ने बखबू ी वनभाया ह।ै यह प्रवतभाशाली कमवचाररयों की ससप्त प्रवतभाओं को उजागर करने का एक सबल साधन भी ह।ै इदं ्रधनर् के सप्त रंगों की तरह इस पविका को सजाया गया ह।ै पविका का वडज़ाइन आकर्वक ह।ै संस्कृ वत के उज्जज्जर्ल भवर्ष्य की कामना करता हाँ और सपं ादक मंडल को धन्यर्ाद ज्ञावपत करता ह।ाँ मैं ऐसा वर्श्वास करता हँा वक पविका के सतत् पररष्कार और अबावधत प्रकाशन का कायव भवर्ष्य में भी होता रहगे ा। पविका अपने उत्तरदावयत्र् का सफलतापूर्कव वनर्ावह करेगी। आशा करता हँा वक पविका अपने नाम के अनरूप ही हमारे दशे की वर्वभन्न ससं ्कृ वतयों र् वर्वभन्नताओं को दशावते हए आकाश की नई ऊं चाइयों को प्राप्त करेगी। पविका के प्रकाशन से जड़े सभी सदस्य बधाई के पात्र ह।ैं (राके श कमार शमाव) प्रधान मख्य आयक्त सी.जी.एस.टी. एर्ं कें द्रीय उत्पाद शल्क मबं ई अचं ल
सदं ेश रमेश चन्द्र, आयकु ्त जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मुबं ई जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंबई आयक्तालय की स्थापना ०१.०७.२०१७ को एक नई एर्ं महत्र्पिू व अप्रत्यक्ष कर व्यर्स्था, र्स्त एर्ं सरे ्ा कर (गड्स एडं सवर्ववसज़ टैक्स) के लागू होने पर हई थी। जी.एस.टी. अप्रत्यक्ष कर व्यर्स्था स्र्तंिता के पश्चात् का सबसे बड़ा आवथकव सधार ह।ै इससे के न्द्र एर्म् वर्वभन्न राज्जय सरकारों द्वारा वभन्न-वभन्न दरों पर लगाए जा रहे वर्वभन्न करों को हटाकर सम्पिू व दशे के वलए एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रिाली लागू की गई ह,ै वजससे भारत को एकीकृ त साझा बाजार बनाने में मदद वमली ह।ै मझे इस बात की असीम प्रसन्नता है वक जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंबई आयक्तालय अपनी वर्भागीय वहदं ी पविका का प्रकाशन करने जा रहा ह।ै पविका के माध्यम से जहां एक तरफ हमारे अवधकाररयों और कमवचाररयों की प्रवतभा उजागर होती है, तो दसू री तरफ वर्भाग के कायकव लापों के बारे में वर्स्ततृ जानकारी वमलती ह।ै भार्ा ही र्ह माध्यम है वजससे कोई भी समाज अपनी वर्रासत, ज्ञान, ससं ्कृ वत और संस्कार भार्ी पीवियों तक पहचं ाता है और एक दसू रे के साथ जोड़ता ह।ै हमारा दशे वर्वभन्न भार्ाओं और सासं ्कृ वतक वर्वर्धता से समदृ ्ध ह।ै राष्रवपता महात्मा गाधं ी द्वारा १९१७ मंे भरुच (गजरात) में सर्पव ्रथम राष्रभार्ा के रूप में वहन्दी को मान्यता प्रदान की गई थी। तत्पश्चात १४ वसतंबर १९४९ को सवं र्धान सभा ने एकमत से वहन्दी को राजभार्ा का दजाव वदए जाने का वनिवय वलया तथा १९५० में सवं र्धान के अनच्छेद ३४३ (१) के द्वारा वहन्दी को दरे ्नागरी वलवप में राजभार्ा का दजाव वदया गया। इस आयक्तालय ने वहदं ी कायानव ्र्यन के क्षिे मंे भी सराहनीय कायव वकया है। गहृ मंिालय द्वारा समय- समय पर वदये जाने वाले वनदशे ों का भी पालन वकया जा रहा ह।ै वहदं ी हमारी राजभार्ा भी है और सपं कव भार्ा भी ह।ै यह संस्कृ त की परंपरा की भार्ा ह।ै वहदं ी को जन-भार्ा होने का गौरर् प्राप्त ह।ै वर्भागीय वहदं ी पविका के माध्यम से कवमवयों में छपी हई प्रवतभा को उजागर करने का एक छोटा सा साथकव प्रयास ह।ै वर्भागीय वहदं ी पविका के प्रकाशन से जड़े हए सभी सदस्यों को इस प्रयास के वलए हावदकव बधाई दते ा ह।ाँ (रमशे चन्द्द्र) आयक्त जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंबई
सदं ेश प्रीवत चौधरी, अपर आयक्त जीएसटी (लखे ा परीक्षा-II) मंबई जीएसटी (लखे ा परीक्षा-II) मंबई आयक्तालय द्वारा वनयवमत कायव (Routine Work) के अलार्ा प्रवत र्र्व वर्वभन्न तरह की गवतवर्वधयों यथा वर्श्व योग वदर्स, जीएसटी वदर्स, महात्मा गाँाधी जयंती उत्सर्, स्र्च्छ भारत अवभयान, वहन्दी वदर्स, राजभार्ा कायावन्र्यन सवमवत द्वारा अनशंवसत वर्वभन्न प्रवतयोवगताएं, प्रवशक्षि कायवक्रम, रक्तदान वशवर्र, सतकव ता जागरूकता सप्ताह एर्ं वर्दाई & सम्मान समारोह इत्यावद का आयोजन वकया जाता रहा ह।ै इन सभी गवतवर्वधयों एर्ं वर्भागीय उपलवधधयों को आमजन तक पहचँा ाने के उद्दशे ्य से इस आयक्तालय द्वारा वर्भागीय वहन्दी पविका प्रकावशत करने का वनियव वलया गया था। इस उद्दशे ्य हेत कायावलय द्वारा मख्य सपं ादक श्री रमेश चन्द्र, आयक्त महोदय, के मागवदशनव एर्ं वदशा वनदशे ानसार 'संस्कृ वत' नामक पविका का प्रकाशन वकया गया ह।ै इस पविका में लेखों और छायावचिों के माध्यम से वर्भागीय गवतवर्वधयों एर्ं उपलवधधयों को समावहत करने का प्रयास वकया गया ह।ै इसके अलार्ा आयक्तालय एर्ं वर्भागीय अवधकाररयों और उनके पररजनों द्वारा प्रेवर्त स्र्-रवचत तथा अप्रकावशत कृ वतयों जसै े लेख, कवर्ता, वचिकारी, जीर्नी, छायावचिों, हास्य रचनाओं को समावहत करने का प्रयास वकया गया ह।ै यह मरे े वलए अत्यंत हर्व एर्ं गर्व का वर्र्य है वक वर्भागीय पविका के प्रथम संस्करि का प्रकाशन सफलतापरू ्वक कर वलया गया ह।ै पाठकों की भार्नाओं को ध्यान में रखते हए इसे आकर्वक बनाने का यथा संभर् प्रयास वकया ह।ै हालांवक पिू तव ा (perfection) की कोई सीमा नहीं होती, वफर भी इस पविका के प्रकाशन मंे सर्शव ्रषे ्ठ योगदान वदया गया ह।ै आशा करती हाँ वक यह पविका आपकी भार्नाओं और अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी। इस पविका के प्रकाशन से जड़े सपं ादक मडं ल के सभी सदस्यों और सभी रचनाकारों को धन्यर्ाद ज्ञावपत करती ह।ँा आपकी सामवू हक भागीदारी और सहयोग से ही आज हमने यह कायव पिू व वकया ह।ै मैं 'ससं ्कृ वत' पविका पाठकों को समवपतव करती हाँ और आशावन्र्त हँा वक यह पविका आपके अंतमवन की गहराइयों को छू ने मंे सफल रहेगी। आपके सझार् सदरै ् अपवे क्षत ह।ैं धन्यर्ाद। (प्रीवत चौधरी) अपर आयक्त जीएसटी (लेखा परीक्षा-II) मंबई
संदेश आर. एस. चौहान, सहायक आयुक्त जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मुंबई लखे न के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करना पलु भकत करता ह।ै यभद वही लेखन अन्द्य लोगों तक उसी मनोिाव के साथ संप्रभे ित होता ह,ै तो रचनाधभमति ा के भनवाहि का आनदं बढ़ जाता ह।ै भहदं ी िािा राष्ट्रीय भचतं न की अभिव्यभक्त का सशक्त माध्यम ह।ै मरे ा व्यभक्तगत भवचार है भक िावनाओं एवं भवचारों के सपं ्रेिण के सहज माध्यम के रूप में भहदं ी का प्रमखु स्थान ह।ै भहदं ी भविागीय पभत्रका का प्रथम अंक आपके समक्ष प्रस्ततु करते हुए हाभदकि प्रसन्द्नता की अनिु भू त हो रही ह।ै पभत्रका का प्रथम प्रकाशन हमारे भलए गौरव का भविय ह।ै मझु े भवश्वास है भक पभत्रका पाठकों को रुभचकर लगेगी तथा इससे इस आयकु ्तालय मंे भहदं ी के प्रचार-प्रसार में अभिवभृ ि होगी तथा जन-समदु ाय तक अपनी बात पहुचँ ाने मंे पभत्रका एक सशक्त माध्यम बनेगी। अतंतः इस भविाग के समस्त कभमियों को पभत्रका प्रकाशन में उनकी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहिाभगता के भलए बधाई दते ा हँु तथा यह अपके ्षा करता हुँ भक पभत्रका सिी की आशाओं के अनरु ूप रहगे ी। मंैने राजस्व भविाग मंे अपने कै ररयर का आरम्ि सीमा शुल्क से भकया था। मरे े ऐसे कई सहयोगी भमत्र ह,ंै जो अब सेवाभनवतृ ्त हो चकु े ह।ैं इन सिी भमत्रों का मैं आिारी हुँ भजन्द्होंने पसु ्तक के प्रकाशन में अपनी-अपनी रचनाओं के योगदान से अहम िभू मका भनिाई ह।ै पभत्रका में लखे ों के चयन के भलए नौ-सदस्यीय स्रीभनंग सभमभत का गठन भकया गया, भजसके भनणयि के आधार पर चयन की उपयकु ्तता का अभं तम भनणयि भलया गया ह।ै मंै पभत्रका को पाठकों को समभपित करता हँु तथा भनवेदन करता हुँ भक पाठक अपने सझु ाओं से अवश्य अवगत कराएंग।े (आर. एस. चौहान) सहायक आयकु ्त जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई
मखु ्य सपं ादक : श्री रमेश चदं ्र, आयकु ्त सह संपादक जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई : श्रीमती प्रीतत चौधरी, अपर आयकु ्त जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंबु ई कायकय ारी सपं ादक : श्री आर. एस. चौहान, सहायक आयकु ्त सह कायकय ारी संपादक जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई : श्री तप्रयंक राज, निरीक्षक जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंबु ई एवं श्री रामतनवास मीना, कर सहायक जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई
ससं ्कृ ति (तिभागीय त ंदी पतिका) अनकु ्रमणिका क्र. सं. णिषय नाम/ सहयोग/ पद/ कायावलय पषृ ्ठ सखं ्या सिव श्री 1 लेखा परीक्षा-II के अनमोल आयकु ्तालय, 1-2 रत्न संपादक मंडल जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई 3-6 7-9 2 प्रकृ ति से दूर होता इसुं ान श्री रमशे चंदु ्र आयक्त, 10 जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबुं ई 11-12 3 तनज भाषा उन्नति अहै, श्री तदनशे कु मार वोहरा 13-14 सब उन्नति के मूल सहायक आयकु ्त, 15-19 सतविस टैक्स (सवे ातनवतृ ्त) 20-23 4 सॉफ्ट स्किल प्रस्शक्षण श्री संजय वी. आचायि 24-25 अधीक्षक, 26-31 5 रक्तदान है महादान, श्रीमती प्रीस्त चौधरी जी.एस.टी (लखे ा परीक्षा-II) मंुबई 32 आओ िरें रक्तदान श्री सी. एस. पवन 33-35 श्री आर. एस. चौहान अपर आयक्त, 36-38 6 ई-ऑतिस: दक्षिा की ओर श्री रामतनवास मीना जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई एक बडी छलांग 39-42 उपायकु ्त, 43 7 कहानी: जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई सजृ न एवं कायाकल्प की सहायि आयक्त, 8 कवच्छ भारत स्मशन जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मुंबई 9 एक राष्ट्र, एक कर, एक श्री ज्ञानजं य महापात्र कर सहायक बाजार श्री तप्रयंक राज जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मंुबई 10 तिल्मी सिर की एक श्री चन्दन स्सुंह स्बष्ट सहायि आयक्त, छोटी सी दास्िान जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मुंबई 11 एक ग़ज़ल तनरीक्षक, जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई 12 िरो योग, रहो स्नरोग श्री राजंेद्र कटाररया सहायि आयक्त, 13 अतभव्यतक्त: जब रगं बने श्री तप्रयकं राज सीमा शल्ि (सेवातनवतृ ्त) माध्यम श्री रामतनवास मीना कर सहायक, 14 कु छ कतविाएँ जी.एस.टी (लेखा परीक्षा-II) मंुबई 15 मॉडनि अतभमन्यु श्री चन्दन स्सहंु स्बष्ट तनरीक्षक, जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मंबु ई कर सहायक, जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई सहायि आयक्त, सीमा शल्ि (सवे ातनवृत्त)
16 माँ कु . कृ तिका माथुर सपु तु ्री श्री संजय पी. माथरु , अधीक्षक 44-45 श्री आर. एस. चौहान जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई 46-49 17 समुद्र मंे िैरिा ५-तसिारा श्री राके श कु मार गौड होटल श्री तदनेश कु मार वोहरा सहायि आयक्त, 50 जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबुं ई 51 18 पाक साि श्री रमशे कु मार 52-53 श्री तदनेश कु मार वोहरा अधीक्षक 54-55 19 कु छ खाली तलिािों मंे सीमा शलु ्क (सेवातनवृत्त) बदं -बदं सी तज़ंदगी श्री मनोज कु मार तमश्रा श्री मनोज कु मार तमश्रा सहायक आयुक्त, 20 बाढ़: प्राकृ तिक आपदा या सतविस टैक्स (सेवातनवतृ ्त) मानव तनतमिि आपदा श्री तप्रयकं राज तनरीक्षक, 21 सातहत्य मंे बाज़ारवाद: आतदत्य तसन्हा मबंु ई पूवि जी.एस.टी. आयकु ्तालय श्रषे ्ठिा और लोकतप्रयिा श्री िपन कु मार का अंिरद्वंद श्री आर. एस. चौहान सहायक आयकु ्त, श्री राके श कु मार गौड सतविस टैक्स (सेवातनवतृ ्त) 22 मगर मेरे गावं में अपनापन श्री चन्दन स्सहंु स्बष्ट व हररयाली है अधीक्षक 56 मबंु ई पूवि जी.एस.टी. आयकु ्तालय 59 23 चल गांव चलंे 60 अधीक्षक 24 राजभाषा स्हन्दी जी.एस.टी. मंुबई पूवि आयकु ्तालय प्रस्तयोस्गताएँ तनरीक्षक, 25 मेरी शरारि जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II), मंबु ई 26 दृष्ांि: अिीि से सपु तु ्र श्री तबतपन कु मार तसन्हा, अधीक्षक 61 जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई 62-66 27 एि अस्वकमरणीय ट्रेल सयं कु ्त आयकु ्त, 67-72 जी.एस.टी, बेलापरु आयकु ्तालय मंुबई 28 चहे रे सहायि आयक्त, 76 जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई 77 29 एि मक्ति अधीक्षक सीमा शलु ्क (सेवातनवृत्त) सहायि आयक्त, सीमा शल्ि (सवे ातनवतृ ्त)
इस कार्ाला र् में कार्रा त श्री नरंेद्र रा. वरुडकर, अधीक्षक, को वर्ा 2019 मंे उनकी उपलब्धधर्ों और अच्छे प्रदर्ान के ब्लए गणतंत्र ब्दवस के अवसर पर राष्ट्रपब्त अवॉर्ा से नवाजा गर्ा ह।ै बाद मंे मंबई मख्र् आर्क्त महोदर्ा श्रीमती संगीता र्माा द्वारा भी सम्माब्नत ब्कर्ा गर्ा। उनके इस सम्मान से न के वल अन्र् अब्धकाररर्ों का मनोबल बढा है बब्कक उन्होंने इस कार्ाला र् का गौरव भी बढार्ा ह।ै र्ह कार्ाला र् उनकी उपलब्धधर्ों की सराहना करता है और भब्वष्ट्र् मंे इसी तरह प्रदर्ना की उम्मीद करता ह।ै श्री प्रियकं राज, ब्नरीक्षक, ने इस कार्ाालर् मंे कार्रा त रहते हुए अपनी समस्त ब्जम्मेदाररर्ों का सफलतापवू का ब्नवाहन करने के साथ-साथ एक लघ ब्फकम “ब्बस्कट” मंे उत्कृ ष्ट अब्भनर् भी ब्कर्ा ह।ै इस ब्फकम ने अभी तक ब्वब्भन्न अंतरााष्ट्रीर् स्तर के अवॉर्ा समारोहों मंे कल 16 अवॉर्ा हाब्सल ब्कए ह।ंै इस अब्धकारी ने एक अब्भनेता के रूप में भी इस कार्ाालर् को गौरवाब्न्वत ब्कर्ा ह।ै हम इनकी उपलब्धधर्ों की सराहना करते हैं और सनहरे भब्वष्ट्र् की कामना करते ह।ैं 1
श्री मबु ारक अली सय्यद, हवलदार, का महाराष्ट्र राष्ट्रीर् वॉलीबॉल टीम मंे चर्न होने पर बहतु -बहुत बधाई। इन्होंने इस उपलब्धध से कार्ाालर् को गौरवाब्न्वत ब्कर्ा ह।ै हम इनकी उपलब्धधर्ों की सराहना करते हंै और सनहरे भब्वष्ट्र् की कामना करते ह।ंै श्री मयूर राजेश प्रशवतरकर, हवलदार, ने प्रो कबर््र्ी लीग सीजन-7 में बगं ाल वाररर्सा की तरफ से खले ते हुए अपनी टीम को फाइनल मकाबले मंे जीत ब्दलाने मंे अहम भबू्मका ब्नभाई। इनके इस प्रदर्ना ने इस कार्ाालर् को गौरवाब्न्वत ब्कर्ा ह।ै हम इनके अच्छे भब्वष्ट्र् की कामना करते ह।ैं 2
श्री रमेश चन्द्र आयकु ्त जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंुबई प्रकृ ति से दरू होिा ंसस ा न प्रकृ ति ईश्वर का दूसरा नाम है। इसके अनमोल खजाने मंे वो सब कु छ है जो एक इसंु ान को सखु ी जीवन जीने के तलए चातहए होिा है। जीव का उत्थान और पिन प्रकृ ति के उत्थान और पिन पर तनर्भर करिा है। मानव जीवन की आधारतशला इसी प्रकृ ति पर तटकी हुई है। आज तवज्ञान ने बहुि प्रगति कर ली है। इुंसान दसू रे ग्रहों और उपग्रहों पर पहुचँ गया है। िकनीकी ज्ञान से िरह-िरह की सखु सतु वधाओुं के साधन तनतमभि कर तलए हैं तजससे हम लोग प्रकृ ति की महत्ता को र्ूलकर जीवन की र्ौतिकिावादी चकाचौंध में कहीं खो से गए हैं। र्ले ही इुंसान लाख कोतशश कर ले, लते कन प्रकृ ति से परे मानव जीवन की पररकल्पना नहीं की जा सकिी। प्राचीन र्ारिीय गौरवशाली सभ्यिा में प्रकृ ति का संुरक्षण और इसकी पूजा को अपररहायभ माना जािा था। जल, जुगं ल और जमीन के साथ अद्भुि िालमले स्थातपि तकया हुआ था लते कन यह मानव का दरु ्ाभग्य है तक वक्त के साथ-साथ हमारी जरूरिंे बदलिी गई और उनकी पूतिभ के तलए हमने इसका दोहन करना शरु ू कर तदया। 3
यद्यतप एक सीमा िक प्राकृ तिक सुंसाधनों का दोहन तवनाशकारी नहीं होिा क्योंतक प्रकृ ति समय के साथ-साथ अपने अनमोल खजाने का पनु चभक्रण करिी रहिी है लते कन समस्या िब उत्पन्द्न होिी है जब उक्त दोहन शोषण मंे बदल जािा ह।ै महात्मा गाधुँ ी जी ने कहा था तक \"धरिी माुँ हमारी सर्ी जरूरिों को पूरा करने मंे सक्षम है लते कन यह हमारे लालच को पूरा नहीं कर सकिी।\" क्या हम लोग वास्िव में लालची हो गए है?ं क्या हमने प्रकृ ति के िकभ सुगं ि दोहन को तवनाशकारी शोषण मंे बदल तदया है? क्या हमने प्रकृ ति के साथ अपना ररश्िा खत्म कर तलया है? क्या हमने प्रकृ ति के दवे त्व को नष्ट कर तदया है? ये कु छ ऐसे सवाल हैं तजनका जवाब हमें आज नहीं िो कल िलाशना ही होगा, क्योंतक प्राकृ तिक ढाुंचे मंे तवकृ ति का पररणाम मानव सभ्यिा के अतस्ित्व संकु ट मंे पररलतक्षि होगा। एक दौर था, जब इुसं ान का जीवन खशु हाल हुआ करिा था। संसु ाधनों और सखु सतु वधाओुंका र्ले ही अर्ाव था, लते कन मानतसक शातुं ि थी। िनाव और अवसाद जैसे शब्दों से हमारा कोई नािा नहीं था। शदु ्ध र्ोजन और हवा से जीवों की रोग प्रतिरोधक क्षमिा आज से कहीं बहे िर थी। तवपन्द्निा मंे र्ी संुपन्द्निा का अहसास था। पररविभन सुंसार का तनयम है। वक्त के साथ-साथ इुंसान बदल गया। उसकी वचै ाररकिा, मूल्य और जीवन के प्रति नजररया बदल गया। सामूतहकिा पर तनजिा की र्ावना हावी हो गई। टूटिे पररवार, दरकिे ररश्िों और एकाकंु ी जीवन से उत्पन्द्न हुई असरु क्षा की र्ावना ने प्रतिस्पधाभ को जन्द्म तदया। धीर-े धीरे आधतु नकिा की अंुधी दौड़ शरु ू हो गई तजससे मानव ने एक दूसरे से आगे तनकलने की होड़ मंे प्रकृ ति का दोहन करना शरु ू कर तदया जो अुंििः शोषण मंे िब्दील हो गया। वहृ द पैमाने पर वनों का तवनाश तकया गया। र्ारि मंे हर वषभ औसिन 15 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो रहे हं।ै जंगु लों को काटकर सड़कंे बनाई गई और कल- कारखाने स्थातपि तकए गए। तजससे मदृ ा अपरदन और अपक्षय की समस्या पैदा हो गई। वनों के तवनाश से पयाभवरण मंे असुंिलु न बढ़ गया। एक िरफ जहाुँ प्राणवायु आक्सीजन की मात्रा लगािार घट रही है वहीं दूसरी ओर काबभन डाइऑक्साइड, काबभन मोनोऑक्साइड, मीथने और हाइड्रोकाबभन जैसी हातनकारक गसै ों की मात्रा लगािार बढ़ रही ह।ै इन सबका हमारे स्वास््य पर प्रतिकू ल असर पड़ रहा ह।ै तवश्व का लगर्ग दो तिहाई र्ूर्ाग जलाच्छातदि है। बावजूद इसके , दतु नया के अतधकाुंश देश स्वच्छ जल (पेयजल) सकुं ट से जूझ रहे हंै। कल-कारखानों ने न के वल पयाभवरण को दूतषि तकया है अतपिु नतदयों के जल को र्ी गंुदे नालों में बदल तदया जबतक अिीि के आइने में देखा जाए िो पाएगुं े तक नतदयों का यही जल सैकं ड़ों वषों 4
पहले पीने के काम में आिा था। आतखर दोष तकसका? कु छ नतदयों का जल इिना जहरीला हो गया है तक जलीय जीवों का जीवन लगर्ग खत्म हो गया है। पयाभवरणीय असंुिलु न से वषाभ चक्र तवकृ ि हो गया है। कहीं सूखा पड़िा है िो कहीं बाढ़ आिी ह।ै वषाभ प्रारूप मंे हुए इस अप्रत्यातशि बदलाव का नकारात्मक असर प्रत्यक्ष िौर पर तकसानों की आतथभक ददु भशा के रूप में देखा जा सकिा है। इससे तकसान कजभ के बोझ िले दब जािे हंै तजससे ये अवसादग्रस्ि हो जािे हैं और पररणामस्वरूप आए तदन तकसान आत्महत्याएुँ जसै ी घटना सनु ने को तमलिी है। प्रकृ ति की नायाब व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ िीव्र गति से बढ़ रही ह।ै र्ूजल का स्िर िेजी से तगरिा जा रहा ह।ै अगर देश और दतु नया के लोगों की सोच मंे सकारात्मक बदलाव नहीं आिा है िो आगामी कु छ वषों में मानव सभ्यिा बूुदं -बूंुद पानी के तलए िरस जाएगी। पयाभवरण असंुिलु न की वजह से प्ृ वी का िापमान लगािार बढ़िा जा रहा है। इस वजह से शदु ्ध पानी के र्डंु ार माने जाने वाले तहमालय सतहि िमाम अन्द्य ऊंु चे पहाड़ों और ध्रवु ीय क्षेत्रों के ग्लेतशयर अनवरि तपघल रहे ह।ंै अगर हम लोग इसी गति से प्राकृ तिक ससंु ाधनों का दोहन करिे रहे िो आने वाले वक्त मंे तस्थति बहुि र्यावह और तनयंुत्रण के बाहर होगी। प्रकृ ति से अलगाव से हमारा जीवन अंुधकारमय र्तवष्य की ओर अग्रसर हो गया ह।ै तवतर्न्द्न िरह की बीमाररयांु जन्द्म ले रही हैं तजनसे पूणभरूपेण तनजाि पाना शायद तवज्ञान के वश मंे नहीं ह।ै हालाुंतक पयाभवरणतवद् इन मौजदू ा नकारात्मक पररतस्थतियों से अनतर्ज्ञ नहीं हैं और वे वैतश्वक दस्िावेजों और ररपोटों के माध्यम से तवश्व को आगाह करिे रहिे हैं। समय की जरूरि को र्ाुंपिे हुए इस तदशा मंे वैतश्वक स्िर पर सकारात्मक कदम र्ी ऊठाए गए ह।ंै प्रकृ ति सुंरक्षण को लेकर तवतर्न्द्न दशे ों के मध्य िरह-िरह के समझौिे तकये जा रहे हंै लते कन जन जागरूकिा के अर्ाव मंे वांुतछि पररणाम हातसल नहीं हो पाए। तवतर्न्द्न दशे ों की सरकारों ने सिि् तवकास की अवधारणा पर बल दने े का प्रयास तकया है लते कन अर्ी िक उक्त प्रयासों की सफलिा संुतदग्ध प्रिीि हो रही है। वस्ििु ः पयाभवरण सुंरक्षण के वल सरकारी तजम्मदे ारी नहीं बतल्क इस लक्ष्य को सिि् तवकास की अवधारणा के साथ वृहद पैमाने पर जन जागरूकिा और जन र्ागीदारी से ही हातसल तकया जा सकिा है। माना तक तस्थति तनयंुत्रण से बाहर जा रही है लेतकन मरे ा तनजी िौर पर मानना है तक व्यतक्तगि सोच मंे पररविभन वैतश्वक पररविभन का मागभ प्रशस्ि कर सकिा ह।ै हम सर्ी लोगों को अपनी तजम्मदे ारी समझनी होगी और तजस प्रकृ ति की गोद में जीव जगि फल फू ल रहा है उसका सुंरक्षण करना होगा। 5
अच्छे कायों के तलए कर्ी दरे नहीं होिी। तहन्द्दी में एक कहावि है तक जब जागों, िब सवेरा। अगर सुबह का र्ूला शाम को घर आ जाए िो उसे र्ूला नहीं कहिे। उम्मीद करिे हैं तक तनकट र्तवष्य मंे पयाभवरण संुरक्षण की तदशा मंे उतचि और साथभक प्रयास देखने को तमलंेगे िातक मानव सभ्यिा पर मडुं रािे खिरे को टाला जा सके । प्रकृ ति र्ले की हमारी जन्द्म दातयनी माँु नहीं है लते कन यह वो माँु अवश्य है जो हमारा लालन-पालन करिी है और हमें हर हाल मंे इस माँु के अतस्ित्व को बचाना होगा एवंु प्रकृ ति की गोद मंे लौटना होगा िातक हम आगामी पीतढ़यों के र्तवष्य को सनु हरा बना सकंे । 6
श्री दिनशे कु मार वोहरा सहायक आयकु ्त, सदविस टैक्स (सवे ादनवतृ ्त) निज भाषा उन्िनि अहै, सब उन्िनि के किसी भी भाषा िा साकित्य उसिी मौकिमितलू ा िा दर्णप िोता ह,ै उसी तरि किसी भी साकित्य िी भाषा उसकी मौकििता िा प्रकतकबंिब ि।ै किश्व िी सभी भाषायंे बितु अच्छी ह,ंै और मित्िर्णू प भी, इसकिए अच्छी बरु ी िे मार्दण्ड से भाषाओंििो कििग िी रखना चाकिए। इसी गौरि िे साथ मैं किन्दी भाषा र्र अर्ने किचार आर्से साझा िर रिा ि।ँू िसै े तो सभी भाषाओिं में साकित्य किखा गया ि,ै किखा जा रिा िै किन्तु किन्दी साकित्य समस्त भारत िी अकभव्यकि िी प्राणधारा िै, िि साकित्य िी जान िै, िमारे भारतिषप िी आन-बान िा र्रचम ििराने िािी किन्दी भारत से ििे र किश्व ति अर्ना किशषे स्थान बना चिु ी ि।ै किश्व र्टि र्र अथिा राष्ट्र र्टि र्र िम सभी जन एि-दसू रे से किसी न किसी माध्यम से जड़ु े रिते ह,ंै िु छ माध्यम र्रोक्ष िोते ह,ंै िु छ अर्रोक्ष, किन्तु माध्यम तो िोता िी ि।ै माध्यम िैचाररि िो सिता ि,ै रचनात्मि या प्रकतिात्मि भी िो सिता ि।ै र्िू प से र्किम, उत्तर से दकक्षण, ग्राम से नगर, नगर से शिर, बािि से िेिर िदृ ्ध और समस्त भाषाओिं िा िाथ थाम िर किन्दी सब िी िमजोिी बन गई ि।ै जन-जन िी भािनायंे, किचार, मत और सिंिेदनाओिं िे प्रिाि िो जन-जन ति र्िुचँू ाने िी यात्रा मंे िमारी किन्दी सते ु बन जाती ि।ै सिंस्िृ त, उकड़या, तकमि, िन्नड़, तेलगु ,ू मियािम तथा अन्य िई भाषाओंििो भारतीय सिंकिधान मंे आकधिाररि मान्यता कमिी िै तदरु ्रांति - संिस्िृ त हमारी सिसं ्िृ कत िी जननी िै और किन्दी इस संिस्िृ कत िा दर्पण िै एििं िाकिनी भी। भारत िी समस्त मखु ्य भाषाओंिमंे साकित्य किखा जा रिा ि।ै रचना िायप कशखर र्र िै किन्तु िि भाषा किशषे भाषियों ति िी सीकमत न रि जाये इसकिए उसिा किन्दी अनिु ाद िोता िै और इस तरि िम सब भारतिासी ‘िम र्छंि ी एि डाि िे ’ िििाते ह।ंै किन्दी िम किन्दसु ्ताकनयों िा प्राण तत्ि ि,ै यि िमारे किस्दसु ्तानी िोने िा बोध िराती ि।ै अर्नी माटी, अर्ने सिंस्िार, अर्नी बोिी, अर्नी भाषा इन सबसे जो भाि उभर िर सामने आता ह,ै िि िमंे गौरि से अकभभतू िर दते ा िै िि अनमोि िै । िर िगप, िर जाकत, िर आयु एिंि िर धमप िा भारतीय आज िे सन्दभप में अर्नी मातभृ ाषा िे साथ-साथ थोड़ी बितु किन्दी िी समझ भी रखता िै और इसी िारण िम सभी भारतीय एि सतू ्र में बंधि े िएु ह।ंै किन्दसु ्तान में बिुत सारी भाषाऐंि बोिी जाती ह।ंै िर क्षेत्र िी अर्नी क्षेत्रीय भाषा ि,ै जो बितु मीठी ि।ै उनिे िोिगीत, उनिा साकित्य भी अर्नी अकस्मता िो बनाये रखने िते ु सदिै िी तत्र्र रिते ि।ैं ििीं 7
िोई ऊूँ च-नीच, छोटी-बड़ी या अच्छी-बरु ी जैसी प्रकतयोकगता निीं। सभी भारतीय भाषायंे एि-दसू री भाषाओिं से िु छ िेती ह,ंै िु छ दते ी हैं और कमिजिु िर, िसूँ ी कठठोिी िे साथ अकभन्न सकखयों िी तरि किन्दसु ्तान िो शोभयमान िरती ि।ंै जाने क्यों इन कदनों िमारे दशे मंे किदशे ी भाषा िी गिु ामी िो िी गिप िा प्रतीि मान किया गया ि।ै किन्दी मंे िातािप ार् िो अथिा किन्दी मंे िखे न िायप, िु छ भारतीयों िो इसमें िज्जा आती ि।ै जबकि अर्नी भाषा र्र तो िमें गिप िोना चाकिए, किन्तु किदशे ी भाषा िो अिगं ीिार िर क्या िम अर्नी भाषा िो अर्माकनत निीं िर रि?े आज किदशे ी भाषा िो ‘स्टेट्स कसबिं ि’ बना किया गया िै और अर्नी भाषा िो दोयम दजाप दे कदया ि।ै िमारी भाषा, िमारे सिंस्िार, िमारी बोिी, िमारे त्यौिार, िमारी िशे भषू ा, िमारा ज्ञान, िमारे िदे , िमारे र्रु ाण, ये सभी िमारी अमलू ्य धरोिर हंै और सम्र्णू प किश्व इस र्र शोध िर रिा ि।ै आज किन्दी न िे िि किन्दसु ्तान िी बकल्ि समस्त किश्व िी िोिकप्रय भाषा बनती जा रिी ि।ै किदशे ों में किन्दी किश्वकिद्याियों िी स्थार्ना िो अथिा उनिे र्ाठ्यक्रम मंे किन्दी एिंि संिस्िृ त िा समािशे , यि हमारी भारतीयता िो ससम्मान स्थाकर्त िरने एििं गौरिाकन्ित िरने िा र्ररचायि िै और ऐसे मंे एि स्ितंित्र िोितांिकत्रि किन्दसु ्तान जसै े दशे मंे आम भारतीय िो या िोई अकधिारी अथिा िोई नेता, इनिी अकभव्यकि िा माध्यम यकद किदशे ी भाषा िो तो यि उनिी सासंि ्िृ कति एििं मानकसि गिु ामी िा प्रतीि निीं तो और क्या ि?ै भारत में िम किदशे ी भाषा भी सीखते िंै और िि सीखनी भी चाकिए क्योंकि िो भी सम्मान योग्य ि।ै उसिा साकित्य भी श्रषे ्ठ ि।ै उन्िंे र्ढ़ना चाकिए, सीखना चाकिए, जानना चाकिए, किन्तु उनका गिु ाम निीं िोना चाकिए। अर्नी भाषा िा कतरस्िार िर किदशे ी भाषा िा गणु गान िरना हमारी भारतीय सिसं ्िृ कत िे किए शभु सििं े त निीं ि।ैं आज किन्दी िकै श्वि स्तर र्र अर्ना र्रचम ििरा रिी ि।ै इन्टरनटे से िेिर गगू ल ति और ऑक्सफोडप कडक्शनरी में भी किन्दी िे शब्दों ने र्रू े अकधिार िे साथ अर्नी र्ैठ बनाई ि।ै किन्दी अब सिमप ान्य भाषा िो गयी ि।ै किन्दी अब सबसे दोस्ताना या कमत्रित् िो गई ि।ै किसी भी दशे अथिा राज्यों िी सीमाओिं द्वारा किन्दी िो रोि र्ाना असभिं ि ि।ै िि तो नषियों िी तरि कनझरप बिती ि।ै तट र्र आने िािे िी क्षधु ा तपृ ्त िरती ि।ै अर्नी बोिी से उनिे ििं ठ िो तर िर दते ी ि।ै िम किन्दसु ्तानी किशाि हृदयी ि।ैं िम अन्य भाषाओंि एििं अन्य ससिं ्िृ कतयों िो अर्नाने मंे सदिै िी तत्र्र रिे िैं और रिगंे े। किन्तु अर्नी मिू र्िचान, मिू भाषा और िमारी ससंि ्िृ कत जो िमारी र्िचान ि,ै िो दोयम दजाप निीं दे सित।े माूँ अथिा जननी एि िी िोती ि।ै मौसी तो एि से अकधि िो सिती ि।ैं किन्दी अर्ने गौरिशािी इकतिास िी साक्षी ि।ै 8
किन्दी में एि और कप्रय गणु िै कि िि अन्य भाषाओंि मंे भी अर्ना स्थाना बना िी िेती िै एििं उनसे किि- कमि जाती िै इसीकिए अन्य भाषाओिंमें किन्दी िे िई शब्द ऐसे समरस िएु कि र्ता िी न चिा। आज किन्दी एि राजभाषा िे रूर् मंे अकधिृ त िै और आज उसी किन्दी िो अर्नी र्िचान और अर्ने अकस्तत्ि िो बनाये रखने िे किए ‘किन्दी कदिस’ मनाना र्ड़ता ि।ै क्या िम रचनािारों िे किए यि एि कचिंता िा किषय निीं ि?ै िम सब रचनािारों िा ितपव्य िै कि िम िे िि िखे न िी निीं अकर्तु िातािप ार् मंे भी किन्दी िा प्रयोग िरंे एिंि अर्ने र्ररकचतों एिंि स्िजनों िो भी ऐसा िरने िे किए प्रेररत िरंे। िई ऐसे अकिन्दीभाषी रचनािार िैं जो बड़े गिप िे साथ किन्दी रचनािमप में िगे िएु ि।ंै िमारा किन्दी कसनेमा, किन्दी गीत, किन्दी साकित्य, किन्दी किज्ञार्नों ने किश्वर्टि िे मनोरिंजन क्षेत्र मंे अर्नी धमू मचायी ि,ै यि किन्दी िी िोिकप्रयता दशापयी ि।ै भाषा िी यात्रा उसिे इकतिास से प्रारम्भ िोिर ितमप ान िे ससु ज्ज मागप र्र कनिि र्ड़ी िै। मागप र्र आने िािे िई सनु ्दर शब्द अर्नी जादगू री कदखाते ि,ैं भाषा मन मोि लेती िै और भाषा अर्नी भजु ाएँ फै िािर उन्िंे स्ियिं मंे समाकित िर िते ी िै और इस तरि नये-नये शब्दों से भाषा सरंि ्कु ष्ठत और श्रगंिृ ाररत िोती जाती ि।ै भाषा िो िटधमी निीं िोना चाकिए, िि कजतनी िचीिी िोगी, उतनी िी मनमोिि भी। (लेखक पररचय : कई समाचार पत्रों मंे वैज्ञाषनक, आषथिक और समसामषयक षवियों पर सम्पािकीय पृष्ठ लेखक) 9
श्री संजय वी. आचायय, अधीक्षक, जी.एस.टी (लखे ा पिीक्षा-II) मबंु ई सॉफ्ट स्किल प्रस्शक्षण सॉफ्ट स्किल स्िस्िध कु शलताओंिा स्िश्रण है जसै े कक जन कु शलता, सािास्जि कु शलता, सपं िक कु शलता, चरित्र एिं व्यस्ित्ि कु शलता, व्यवहारिक कु शलता, सािास्जि बसु्िित्ता, भािनात्िि बसु्ि उििण इत्यास्िl इसिे द्वािा व्यस्ित्ि िा स्ििास स्िया जाता है औि व्यस्ि िंे आत्िस्िश्वास िी भािना पिै ा िी जाती ह।ै व्यस्ित्ि िे स्नखाि से आत्ि गलास्न से ग्रकत व्यस्ि िो िंु ठा से बाहि स्निाला जाता है औि उसमंे आत्िस्िश्वास पैिा स्िया जाता ह।ै श्री रमेश चदं ्र आयकु ्त, जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मुबं ई का हि िनषु ्य िी अपनी अलग पहचान होती ह।ै ििोड़ों िनषु ्यों अशिनन्दन करते हएु अपर आयुक्त (लेखा परीक्षा) रायगढ़ िी भीड़ िें भी िह अपने स्निाले व्यस्ित्ि िे िािण पहचाना जाता ह।ै लोगों िे बीच अपनी अलग शस्ससयत ि पहचान िा होना सखु ि अनुभि ििाता ह।ै परु ुषों िें िीिता, साहस, गंभीिता, संयि, अक्रोध तथा स्ियों िंे धयै क, क्षिा, िया, पस्ित्रता, लज्जा ि नम्रता आस्ि गणु ों िा होना आिश्यि ह।ै ये गणु ही हिंे दसू िों से अलग ि स्िस्शष्ट बनाते ह।ंै श्री ििेश चंद्र, आयिु , लेखा पिीक्षा-II ने सॉफ्ट स्किल पि एि प्रस्शक्षण स्िया, स्जसे सभी अस्धिारियों एिं ििचक ािी िगक ने खबू सिाहा औि उन्हें इससे बहुत िु छ सीखने िो स्िला। श्री रमशे चंद्र आयुक्त, जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II), मंुबई प्रशशक्षणाशथियों को सम्बोशित करते हुए। 10
रक्तदान है महादान, श्रीमती प्रीतत चौधरी, आओ करें रक्तदान अपर आयुक्त जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई सम्पूर्ण भारत मंे प्रत्यके वर्ण ३० जनवरी को शहीद ददवस के रूप में मनाया जाता ह।ै इस ददन १९४८ मंे महात्मा गाधाँ ी की हत्या हुई थी। अतः महात्मा गाधँा ी को श्रदं ्धाजदि दने े हेतु प्रत्येक वर्ण ३० जनवरी को शहीद ददवस के रूप मंे मनाया जाता ह।ै जी.एस.टी. (िखे ा परीक्षा–II) द्वारा ३० जनवरी, २०२० को राष्ट्रदपता महात्मा गाधाँ ी को श्रदं ्धाजदि अदपणत करने हते ु रक्त दान दशदवर का आयोजन दकया गया। इस दशदवर का उद्घाटन माननीय प्रधान आयकु ्त महोदया श्रीमती सगं ीता शमाण के कर कमिों द्वारा हुआ। रक्त, खून, िहू, रुदधर मानव और पशओु ं के शरीर मंे पाया जाने वािा एक अदनवायण तरि पदार्ण है, जो ऑक्सीजन और पौदिक पदार्ों को कोदशकाओं तक ले जाने का कार्य करता है तथा र्ह वादहदनयों के अन्दर दवदभन्न अगं ों में िगातार बहता रहता ह।ै रक्त दान मानवता के प्रदत एक महान कायण ह।ै इसका दनमाणर् या उत्पादन नहीं हो सकता, इसे दसर्ण रक्त दान द्वारा उपिब्ध कराया जा सकता है। इसदिए रक्त दान को महादान कहा गया ह।ै “You don’t need to be a doctor to save lives-just donate blood” “Every blood donor is a life saver.” “The Blood Donor of today may be recipient of tomorrow.” “Your blood is precious: Donate, save a life & make it Divine.” 119
रक्तदान तितिर की कु छ तस्िीरें माननीय प्रधान मखु ्य आयकु ्त महोदया श्रीमती सुंगीता िमाा द्वारा द्वीप प्रज्जज्जितलत कर तितिर का आरुंभ तकया गया। इस अिसर पर आयकु ्त महोदय ने प्रधान मखु ्य आयकु ्त महोदया को स्मतृ त तचह्न भेंट कर सम्मातनत तकया। यह तितिर अपेक्षानरु ूप सफल रहा तजसमंे लगभग 180 से अतधक लोगो ने सहयोग तकया। प्रत्यके रक्तदाता को प्रशस्ति पत्र दके र उनकी भागीदाररता की सराहना की गई। 1120
श्री सी. एस. पवन उपार्कु ्त जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मुंबई ई-ऑफिस: दक्षता की ओर एक बड़ी छलाागं आरामदायक अवस्था मंे बने रहना और परपं रागत तरीके से कार्ाालर्ीन कामकाज करना आसान होता है, खास तौर से तब, जब हम वर्षों से उसी कार्ाशैली के अभ्र्स्त हों। यद्यपप यह सपु वधाजनक है, तात्पयय यह है पक वह सगं ठन पस्थर बना हआु रहता है और बदलावों का पक्षधर नहीं होता। फाइल आवागमन और पत्राचार का कायय अब तक हाथों से पकया जाता रहा है, ऐसे दौर में ई-ऑफिस का प्रादरु ्ायव कें द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शलु ्क बोर्य के आतं ररक कायायलयी प्रपिया मंे आधारर्ूत पररवतयन को पचपित करता ह।ै ई-ऑफिस प्रशासपनक प्रपियाओं के क्षते ्र को स्वचापलत एवं पररवपतयत करता ह।ै यह दैपनक कायायलय प्रपियाओं को रूपातं ररत करता है जसै े शरु ू से अतं तक फाइलों और पत्राचार के आवागमन का प्रबंधन, समपे कत ज्ञान र्रं ्ार का पनमायण, सूचना के अपधकार के तहत पूछे गए प्रश्नों का जवाब दने ा, लेखा परीक्षा की सगु मता के पलए बैठकों का आयोजन करना। कोपवर्-19 महामारी के दौर में पषृ ्ठ रपहत प्रणाली को अपनाने से व्यपियों के मध्य र्ौपतक संपकय को कम हो गया है पजससे महामारी के सरं ्ापवत सिं मण को रोका जा सकता ह।ै शासन मंे पारदपशयता एवं दक्षता हते ु तकनीकी का लार् उठाने के पलए ई-ऑफिस का कायायन्वयन कंे द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शलु ्क बोर्य के पलए एक बहुत बडी छलागं 13
है। पवपर्न्न प्रकार के फायदों से लार्ापन्वत करने की पदशा में ई-ऑफिस का प्रादरु ्ायव कायायलयी प्रपिया और कमयचारी कामकाज के क्षते ्र मंे व्यवहाररक बदलाव लाने वाला ह।ै फाइलों के रखरखाव और कागजी दस्तावेजों की खोज में लगने वाले समय को अन्य अपधक उत्पादक कायों मंे लगाया जा सकता है। ई-ऑफिस की तरफ अग्रसर होने से संगठन को गपतशील कमयचाररयों से यिु बनाया जा सकता ह।ै चूपं क ई-ऑफिस से कागजी दस्तावजे ों तक हर जगह पहं ुच उपलब्ध हो सकती है इसपलए इसके द्वारा कायायलय से बाहर रहते हुए लेखा परीक्षा करने में एवं करदाताओं की प्रोफाइल और प्रपियाओं को और बहे तर तरीके से समझने में अपधक लचीलापन आ जाएगा। काययप्रणाली को पषृ ्ठ रपहत बनाने मंे बहुत समय और महे नत की जरूरत ह।ै नई काययप्रणाली के साथ समन्वय स्थापपत करने की यह एक िपमक प्रपिया ह।ै पनकट र्पवष्य मंे मोबाइल पर ई-ऑफिस पर कायय करना आसान होगा। अपधकाररयों के साथ जडु ाव और मोबाइल ई-ऑफिस के द्वारा पनरतं र सयं ोजन को सपु नपित पकया जा सके गा एवं कायय में देरी को कम पकया जा सके गा। वतयमान में ई-ऑफिस का पियान्वयन पवर्ाग अथवा मंत्रालय पवशेर्ष तक सीपमत है। र्पवष्य में एक व्यापक एकीकृ त इको-व्यवस्था की मागं सरं ्व ह।ै र्ौपतक अथवा ई-मले आधाररत मौजूदा सचं ार व्यवस्था पर पनर्यर न रहकर र्पवष्य में पवर्ाग और मंत्रालयों के मध्य फाइलों के पवपनमय/आवागमन को पनबायध बनाया जा सके गा। सरकार के राष्रीय ई-शासन काययिम के तहत ई-ऑफिस एक पमशन मोर् प्रोजेक्ट (MMP) ह।ै ई-ऑफिस को राष्रीय सूचना पवज्ञान कंे द्र द्वारा पवकपसत पकया गया है पजसका उद्देश्य प्रवेशक को और अपधक कु शल, प्रर्ावी बनाना तथा अंतर सरकारी व अतं रा सरकारी लने दने एवं प्रपियाओं में पारदपशयता लाना ह।ै 14
कहानी: श्री आर. एस. चौहान सृजन एवं कायाकल्प की सहायक आयकु ्त जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मंुबई विज़न सभागहृ एक आधवु नकतम सभागहृ है, जो वक आधवु नक सवु िधाओंु से ससु वजजत ह।ै इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधान मखु ्य आयकु ्त महोदया श्रीमती सुंगीता शमाा द्वारा २०.१२.२०१८ को वकया गया। इस सभागहृ की योजना और पररकल्पना तत्कालीन जी. एस. टी. (लेखा परीक्षा-II) मुंबई कवमश्नर श्री सरु शे किशनानी द्वारा िल््ा ट्रे् सटें र के सहयोग से की गई। इस सभागहृ का उपयोग मावसक सवमवत मीवटुंग (MCM), सवे ाकनवकृ ि कायाक्रम, गोष्ठी, बैठक, व्याख्यान, वशक्षण सम्बन्धी भाषण आवि के वलए वकया जाता है। विज़न सभागृह वनर्ााणाधीन अिस्था र्ें 15
VISION Conceived, Planned and Executed by Shri Suresh Kishnani, IRS, Commissioner, GST (Audit-II) Mumbai In association with World Trade Centre, Mumbai and Shri Aditya Vora, Architect, M/s Adytum Designs Pvt. Ltd. Transformation into Multi-purpose hall Sr. Design Old Conf. Room New Facility Remarks No. parameter 1. Area (L x W) 594 sft. (22’X27’) 1050 sft. (30’ X 35’) By including passage 2. Height (Floor- 8’-6” Clear 12’ – 6” Clear Re-aligning AC duct Ceiling) 3. Capacity Better utilization of available space at Table 12 Exec. 22 Exec. In Total 35 Nos. 80 Nos. 4. Screen Type Conventional Fabric Multi Touch Smart Largest in India fully Size (dia.) 80” Diagonal Display interactive Wi-Fi 120” diagonal screen with parallel Resolution Normal Projection Full HDD-4K connectivity to 50 Side Display Nil 55” O-Led TV’s X 3 users simultaneously 5. Sound System Nil Bose Surround HD 6. Acoustics Nil Carpet Flooring Sound Absorptive Fabric Panelling Surfaces used as Stepped Ceiling Design Elements Dampers in AC ducts 7. Lighting Design Key Light Nil Single Fabric Light Diffused, Shadow less Ambience CFL down lights Led Spots (COB) akin to natural light Mood Light Nil Led Strip Cove used as key feature 8. Green Nil Saving Electricity by Accentuates Indoor Initiative using Led Lights and air-quality, user Eco-friendly VenLam efficiency and cladding comfort 9. Value Additions Surface Normal Paint Water proof, Fire Resistant, Non Abrasive Finishes Film Table Top Normal Laminate White Corian- Jointless & Polishable Accessibility Direct from Lobby VIP Entrance Porch and Separate pantry 16
विज़न सभागहृ की कु छ झलवकयांा 17
श्री आर. एस. चौहान सहायक आयकु ्त जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मुंबई लक्ष्मी इंश्य ोरें स बिल्डंग लक्ष्मी इशं ्योरेंस बिब्डंिग मंबु ई के मखु ्य प्रधान क्षेत्र मंे स्थित है। यह इमारत दलु भल और आश्चयलजनक ‘आर्ल डेको’ सरं चना का एक उत्तम उदाहरण ह।ै ३०.०६.२०१८ को बहरीन मंे हुई बठै क में इस तरह की इमारतों को आस्धकाररक तौर पर यनू से ्को द्वारा स्िश्व धरोहर थिल की मान्यता स्मली िी। मंबु ई शहर ‘आर्ल डेको’ िाथत-ु कला का एक उल्लेखनीय नमनू ा ह।ै ऐसा स्िश्वास है बक मबंु ई मंे स्मआमी (अमरीका) के बाद स्िश्व की ‘आर्ल डेको स्बस्ल्डंग’ की सबसे ज्यादा इमारतें ह।ंै इस स्बस्ल्डंग का आिंर्न कोलकाता उच्च न्यायालय के स्नणलय के अतं गलत सिलप्रिम १९६३ में गोल्ड कण्ट्रोल एडस्मस्नथरेर्र को स्कया गया िा। इसके उपरांत इसे कई अन्य स्िभागों को कायाललय के रूप मंे स्दया गया। जी.एस.र्ी. के गठन के उपरांत जलु ाई, २०१७ को इसे लेखा परीक्षा-II के प्रशासस्नक स्नयतं ्रण में स्दया गया। अस्धग्रहण के समय इस इमारत की स्थिस्त दयनीय िी। स्िर PCCO, Mumbai Zone से प्राप्त थिच्छता स्नस्ध के अिंतगगत आवंबि ित रास्श से इस इमारत का काम कराया गया। इस आयकु ्तालय के अिक प्रयासों से अब यह इमारत पणू ल रूप से कायाललय के प्रयोग के स्लए तैयार हो चकु ी ह।ै यह उल्लखे नीय है बक इस बिब्डिंग का १७ िर्षों का स्कराया अगथत २००० से िरिरी, २०१८ तक रु. ६२,३८१ प्रस्त माह रहा है। इस इमारत का क्षते ्रिल ६२३७ िगल फ़ीर् (कारपेर् एररया) ह।ै लक्ष्मी इशं ्योरंेस स्बस्ल्डंग िाथत-ु कला का एक उल्लेखनीय नमनू ा भी ह।ै इन सभी बातों को दखे ते हुए इस इमारत को कायाललय योग्य बनाना एक सराहनीय कदम है जो इस आयकु ्तालय ने कर स्दखाया ह।ै 18
राष्ट्रीय आदुं ोलि के रूप में शरू नकया गया था। गाधाँ ी जी का सपिा था नक हमारा दशे भी नवदशे ों की तरह पूणा स्वस्थ और निमाल नदखाई दे। यह एक व्यनि नवशेर्ष का आुदं ोलि िहीं बनल्क राष्ट्रीय स्तर का एक जि आुदं ोलि था। प्रधािमुतं ्री जी का माििा था नक देश की स्वच्छता मात्र सफाई कनमायों की िहीं अनपत यह एक सामूनहक नजम्मदे ारी है नजसे हर भारतीय को निभािा चानहए। स्वच्छ भारत अनभयाि िे अपिा निधााररत लक्ष्य पूरा कर नलया ह।ै इस नमशि के बाद भारतीयों की मािनसकता में स्वच्छता के प्रनत िजररया बदला है और सभी लोगों में स्वच्छता के प्रनत अपिी सामूनहक नजम्मेदारी का अहसास हुआ है। स्वच्छ भारत अनभयाि से हमारा आिे वाला कल बहुत ही सुदं र एवुं अकल्पिीय हुआ ह।ै हमारे कायाालय जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मुंबई द्वारा प्रनतवर्षा मिाए जािे वाले स्वच्छता पखवाड़े के तहत नवनभन्ि सावाजनिक स्थलों पर स्वच्छता अनभयाि चलाया गया। इस कायाालय द्वारा वर्षा २०१९ में महात्मा गांधु ी जयंुती के उपलक्ष्य में मिाए गए स्वच्छता पखवाड़े के तहत नदिाुंक १.१०.२०१९ को अपर आयि महोदया श्रीमती प्रीनत चौधरी के कशल निदेशि में Colaba Woods Garden मंे स्वच्छता अनभयाि चलाया गया। इस अनभयाि मंे कायाालय के लगभग १८-२० अनधकाररयों और कमाचाररयों िे स्वैनच्छक भागीदारी निभाते हुए उि सावाजनिक स्थल पर श्रमदाि नकया। गाडाि की साफ सफाई के उपराुंत महोदया िे अपिे लघ सुबं ोधि मंे स्वच्छता की महत्ता को समझािे के साथ ही सभी को अपिे निवास स्थल एवंु कायाालय सनहत तमाम अन्य सावाजनिक स्थलों को स्वच्छ बिाए रखिे की सलाह दी। स्वच्छ भारत अमभयान के अंतर्तग जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) िंबई कायागलय द्वारा ‘कोलाबा वड्स र्ाडगन’ िें चलाये र्ए स्वच्छता अमभयान का सािमू िक छायामचत्र l 22
जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मबंु ई कायाालय द्वारा महात्मा गांधु ी जयंतु ी के उपलक्ष्य मंे मिाए गए स्वच्छता पखवाड़े के अतुं गात नदिाकंु ०१.१०.२०१९ को अपर आयि महोदया श्रीमती प्रीनत चौधरी के कशल निदेशि में ‘कोलाबा वड्स गाडाि’ मंे स्वच्छता अनभयाि चलाया गया। इस अवसर के कछ दृश्य। 23
श्री ज्ञानजं य महापात्र, सहायक आयकु ्त जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबुं ई जी.एस.टी. का मतलब गडु ्स एडं सर्विसेज टैक्स है, जो वस्तओु ं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक अप्रत्यक्ष कर है। वस्तु एवं सवे ा कर १ जलु ाई २०१७ से पूरे देश में लागू की गई एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है र्जसे भारत के सरं्वधान के एक सौ एक वें संशोधन द्वारा र्ियार्ववत र्कया गया। इसे कंे द्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले अनके करों को र्मलाकर एकल कर के रूप मंे अपनाया गया हैl यह एक महत्वपूर्ि अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था हlै अथिशार्ियों एवं सरकार द्वारा इस प्रर्ाली को आजादी के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक सधु ार माना गया हैl इस कर व्यवस्था द्वारा सम्पूर्ि भारत को एकल बाजार की अवधारर्ा और समानता प्रदान की गई हlै भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सधु ार का आरभं १९८६ मंे मोडवटे के लागू होने के साथ ही हो गया था। इसके उपरातं १९९१ मंे प्रधान मंत्री श्री पी. वी. नरर्सम्हा राव के नते तृ ्व में नई आर्थिक नीर्त लागू की गईl तदपु रातं १९९४ मंे सवे ा कर की शरु ुआत हुईl २००५ में के लकर सर्मर्त ने जी.एस.टी. लागू करने की र्सफाररश कीl अतं तः ०१.०७.२०१७ को जी.एस.टी. को पूरे देश में एक साथ लागू कर र्दया गया थाl जी.एस.टी. के तहत कराधान का मूल ततं ्र यह है र्क यह आपूर्ति प्रर्िया के प्रत्येक चरर् में लगाया जाता ह।ै हालांर्क जी.एस.टी. अगले ग्राहक से आपूर्ति श्रखंृ ला (कच्चे माल आपूर्तिकताि, र्नमािता, थोक व्यापारी, खदु रा र्विे ता, उपभोक्ता) मंे सभी पजं ीकृ त डीलरों द्वारा वसलू ा जाता हैl लरे्कन कर का अंर्तम बोझ अंर्तम ग्राहक यानी उपभोक्ता पर होता ह।ै इस तरह से प्रत्यके चरर् में मौर्द्रक मूल्य जोड़ र्दया जाता है, जो मलू रूप से मूल्य सवं धिन होता ह।ै इस मूल्य संवधिन पर जी.एस.टी. लगाया जाता हैl यानी र्क र्सफि अरं्तम स्तर पर कर अर्धरोपर् र्कया जाता हैl मूल रूप से जी.एस.टी. के तीन प्रकार हैं – के वद्रीय वस्तु और सवे ा कर (CGST), राज्य वस्तु और सेवा कर/ संघ राज्य क्षेत्र जीएसटी (SGST/UTGST) और एकीकृ त वस्तु और सवे ा कर (IGST) ह।ैं जी.एस.टी. की पांच दरंे हं:ै 0%, 5%, 12%, 18%, 28% जी.एस.टी. से अर्धक पारदशी और भ्रष्टाचार मकु ्त कराधान प्रर्ाली को बढावा र्मला है l 24
०१ जलु ाई २०१९ को जी.एस.टी. कायािववयन की दूसरी वर्िगाठं जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई द्वारा धमू धाम से मनाई गई। इस अवसर पर कोलाबा नगर पार्लका माध्यर्मक स्कू ल मंे जीएसटी प्रश्नोत्तरी प्रर्तयोर्गता का आयोजन र्कया गया और विजते ाओं को मडे ल एिं प्रशवतत पत्र के साथ-साथ कक्षा के सभी विद्यावथियों को नोटबकु र्वतररत की गई। 25
श्ऱी क्तप्रयंक राज, क्तनऱीक्षक ज़ी.एस.ट़ी. (िखे ा पऱीक्षा-II) मंबु ई फिल्मी सिर की एक छोटी सी दास्तान ऊँ चाइयों पर बठै े व्यक्ति के क्तिए थोड़ी और अक्तिक ऊँ चाइयों को छूना शायद कोई बड़ी बात नहीं। बड़ी बात तो तब होत़ी है जब एक इंसान फशश से अशश को छू िे। ऐसा नहीं है क्तक मंैने कोई अशश छू क्तिया है, िेक्तकन हा,ँ मझु े वो अशश नजर आ रहा है जहाँ हर कोई पहचँ ना चाहता ह।ै अक्सर, हर इसं ान को क्तवरासत मंे कु छ ना कु छ जरूर क्तमिता है। िके्तकन जब एक इसं ान उस क्तवरासत से हटकर कु छ नया कर क्तदखाता है तो एक कहाऩी बन जात़ी ह।ै इसे इत्तेफाक कहो या मरे ा जनु ून, अक्तिनय के प्रक्तत पागिपन या क्तफर मरे े Department का सहयोग अथवा मरे े अपनों की दआु ए.ँ ....सच्चाई चाहे जो हो, िके्तकन कु छ ऐस़ी ह़ी कहाऩी मरे े साथ हो गई। मं,ै क्तप्रयंक राज, राजस्थान के पूवश का कश्म़ीर कहे जाने वाि,े पहाडों की तिहट़ी म,ें प्रकृ क्तत की गोद में बसे एक खूबसरू त से शहर अिवर का क्तनवास़ी ह।ँ बचपन गऱीब़ी और अिावों मंे गजु ़र गया। पररवार की माि़ी हाित का ज्यादा कु छ िान तो नहीं िेक्तकन पापा के माथे की िकीरों में आज ि़ी यह़ी क्तिखा है क्तक झोंपड़ी से महिों तक के सफर मंे छािे ििे ह़ी पैरों मंे पडते हंै िेक्तकन जख्म ििाट पर क्तदखाई देते हं।ै शाम, सरू ज को ढ़िना क्तसखात़ी है, शमा, परवाने को जिना क्तसखात़ी है, क्तगरने वािे को, तकि़ीफ तो होत़ी है मगर, ये ठोकरंे ह़ी तो इसं ान को, चिना क्तसखात़ी ह…ंै माँ मरे ़ी िावनात्मक ताकत हंै और पापा मेरे प्ररे णास्रोत। नकारात्मक माहौि मंे ि़ी सकारात्मक रवैया अपनाना, मनैं े पापा से ह़ी स़ीखा ह।ै बचपन मंे वे अक्सर कहते थे क्तक बटे े अगर क्तजंदग़ी मंे तकि़ीफें ना हों, तो खकु्तशयों की कीमत कि़ी मािूम नहीं होत़ी। ज़ीवन मंे तकि़ीफंे हारने का बहाना नहीं, बक्तकक अपऩी ताकत आजमाने का मौका दते ़ी हंै। िोग इसक्तिए नहीं हारते क्तक वे कमजोर होते हंै, बक्तकक इसक्तिए हारते हैं क्योंक्तक वे अपऩी ताकत नहीं आजमात।े बस नजररया बदि िो, क्तजंदग़ी ना बदि जाए तो कहना। मेऱी प्रारकं्तिक क्तशक्षा अपने पतै कृ गावँ में ह़ी हई। पढ़ाई मंे शरु ू से ह़ी मैं एक अव्वि दजे का क्तवद्याथी रहा ह।ँ क्तकताबों से दोस्त़ी करना और घर से स्कू ि तक हर क्तकस़ी की नकि करना, इन दो के अिावा मेरा और कोई शौक नहीं था। मंै एक शरारत़ी बच्चा था, न जाने क्यों, मैं हर इसं ान को बहत गौर से देखता था। कौन क्तकस तरह से बोिता है, कौन क्तकस तरह से चिता है, उन सब की नकि करने का जैसे जनु ून सा सवार हो 26
गया था। ट़ीव़ी के सामने घटं ों बठै े रहना और क्तफकमें दखे देखकर ह़ीरो के डायिॉग्स बोिना मेरा क्तनत्य कमश था। हािाकं्तक शरु ूआत में घरवािे मरे ़ी इस आदत से परेशान थे िेक्तकन बाद मंे सब सामान्य हो गया और ि़ीरे-ि़ीरे उनके साथ-साथ ररश्तदे ार ि़ी मझु से तरह-तरह का अक्तिनय करवाते और हसँ त-े हसँ ते िोटपोट हो जात।े जब कि़ी पापा के दोस्त घर पर आते तो एक दो क्तफकमों के डायिॉग्स बिु वाए क्तबना उन्हंे चनै नहीं क्तमिता। समय के साथ-साथ ये सब गक्ततक्तवक्तियां कब अक्तिनय मंे बदि गई, पता ह़ी नहीं चिा। कक्षा 8 की बात ह।ै 15 अगस्त पर होने वािे सांस्कृ क्ततक कायशक्रमों में मंैने अपऩी कक्षा के कु छ क्तवद्याक्तथशयों के साथ एक नाटक मंे िाग क्तिया क्तजसमें मझु े एक छोटा सा क्तकरदार क्तनिाना था। जसै े-जसै े 15 अगस्त नजद़ीक आता गया, स्कू ि का माहौि बदिता जा रहा था। क्तवद्यािय के बच्चे अपने-अपने नतृ ्य, िाषण और नाटकों का ररहसशि कर रहे थे। इस बार हमारे स्कू ि मंे खडं क्तवकास अक्तिकाऱी ज़ी (BDO साहब) मखु ्य अक्ततक्तथ के तौर पर आने वािे थ।े 15 अगस्त को घर से क्तनकिते वि मैं बहत खशु एवं उत्साक्तहत था परतं ु क्तवद्यािय पहंचने के बाद पता चिा क्तक क्तकन्हीं कारणों से नाटक मंडि़ी का एक िडका क्तवद्यािय नहीं आ पाया। वो हमारे नाटक का मखु ्य क्तकरदार था और उसके क्तबना नाटक कर पाना बहत मकु्तश्कि था। थोड़ी दरे बाद सर मरे े पास आए और मझु े उस िडके का क्तकरदार क्तनिाने के क्तिए कहा। अपने क्तकरदार मंे अचानक हए इस बदिाव से मैं थोडा सहम सा गया। मेरे अबोि मन मंे बहत स़ी उिझनें थ़ी क्तफर ि़ी मंै सहमत हो गया। मेरे परु ाने क्तकरदार के क्तिए एक नया िडका िे क्तिया गया। कायशक्रम शरु ू हो गया। सि़ी क्तवद्याथी पकं्तिबद्ध होकर क्तवद्यािय प्रांगण मंे बैठे हए थे। काफी सखं ्या मंे ग्राम़ीण िोग ि़ी वहाँ मौजूद थे। जब हमाऱी बाऱी आई तो हम िोग पूऱी तन्मयता से अपऩी-अपऩी िूक्तमका क्तनिा रहे थे और जैसे ह़ी नाटक खत्म हआ, परू ा क्तवद्यािय प्रागं ण ताक्तियों की गडगडाहट से गूजँ उठा। कायशक्रम के अतं मंे सबं ोिन के तौर पर BDO साहब ने स्वाि़ीनता क्तदवस की महत्ता पर अपने क्तवचार रखे। थोड़ी देर बाद उन्होंने मझु े मंच पर बिु ाया और प़ीठ थपथपाई। पाचँ सौ रूपये का नोट क्तनकािकर मेरे हाथ मंे थमाते हए बोि,े बटे ा इतऩी छोट़ी स़ी उम्र मंे तुमने बहत बक्तढ़या क्तकरदार क्तनिाया ह।ै ऐसा िगा जसै े क्तकरदार मंे प्राण फूँ क क्तदए। इस शानदार अक्तिनय के क्तिए तमु बिाई के पात्र हो। क्तजदं ग़ी में कि़ी-कि़ी कु छ इत्तेफाक आपकी क्तदशा तय कर देते हं।ै अगर उस क्तदन वो िडका स्कू ि आया होता तो मझु े मखु ्य क्तकरदार नहीं क्तमिता और शायद मरे ़ी अक्तिनय किा सबके सामने नहीं आ पात़ी। उस क्तदन जब हर क्तकस़ी ने मेरे क्तकरदार की जमकर सराहना की, तब िगा क्तक मझु मंे कु छ तो ऐसा है क्तजसे अि़ी तक मंै पहचान नहीं पाया। 15 अगस्त का वो क्तदन मेरे क्तिए एक अक्तवस्मरण़ीय क्तदन बन गया। उस क्तदन मनंै े अक्तिनय का सह़ी मतिब समझा। दकु्तनया मंे सि़ी इंसान अपऩी-अपऩी क्तजंदग़ी ज़ीते हंै िके्तकन जब कोई इंसान क्तकस़ी दूसरे की क्तजंदग़ी में खदु को ढ़ाि कर उसके जैसा ज़ी कर क्तदखा द,े वह़ी तो अक्तिनय है। वो पाचँ सौ रूपये का नोट मरे े क्तिए महज एक परु स्कार मात्र नहीं था बक्तकक मरे े अदं र छुप़ी हई अक्तिनय किा का प्रमाण पत्र था। कक्षा 8 के बाद मैं साि दर साि क्तवक्तिन्न सांस्कृ क्ततक गक्ततक्तवक्तियों मंे िाग िेने िगा। स्कू ि़ी क्तशक्षा परू ़ी करने के बाद मंै उच्च क्तशक्षा के क्तिए क्तदकि़ी आ गया। चूकं्तक मेरा अकादक्तमक प्रदशशन बहत अच्छा था इसक्तिए क्तदकि़ी क्तवश्वक्तवद्यािय के रामजस कॉिेज में दाक्तखिे की पहि़ी ह़ी सचू ़ी मंे मरे ा नाम आ गया। एक तरफ अक्तिनय का जनु ून और दसू ऱी तरफ पढ़ाई, दोनों ह़ी मरे े क्तिए बहत महत्वपणू श थे। समय के अिाव ने मझु े पररक्तस्थक्ततयों के साथ सामजं स्य क्तबठाना क्तसखा क्तदया। कॉिजे के वि परू े मन से पढ़ाई करता और घर पर पढ़ाई करने के बाद खाि़ी वि में अक्तिनय की किा को तराशता था। मैं एक क्तमिनसार स्विाव का व्यक्ति हँ इसक्तिए कॉिजे के क्तदनों मंे जकद ह़ी मेरे बहत से दोस्त बन गए। मंनै े अध्ययन के साथ-साथ अक्तिनय के शौक को यहाँ ि़ी क्तजंदा रखा और कॉिेज के समारोहों में िाग िने े िगा। उस 27
वि कु छ दोस्त ऐसे ि़ी थे जो पढ़ाई के साथ प्रोफे शनि अक्तिनय में अपना कररयर तिाशने की कोक्तशश कर रहे थ।े मैंने उन िोगों के साथ रहकर बहत कु छ स़ीखा। क्तदकि़ी मंे रहते हए मैंने 15-20 नकु ्कड नाटकों में एक ज़ीवतं क्तकरदार क्तनिाया और जहाँ कहीं मझु े मौका क्तमिता, अक्तिनय की दकु्तनया मंे घसु ने की कोक्तशश करने िगा। मंै अक्सर परू ़ी रात िर क्तहंद़ी क्तफकमों की Screenplay पढ़ा करता था। कॉिजे क्तशक्षा पूऱी करने के बाद मैं क्तदकि़ी से अपने घर अिवर आ गया। यहाँ आकर एक क्तदन पापा को अपऩी क्तदि़ी ख्वाक्तहश सनु ा द़ी। पापा को जब बताया क्तक मैं क्तफकमों मंे अपना कररयर तिाशना चाहता हँ तो उन्हें थोडा अज़ीब सा िगा और तक्तनक सोचने के बाद बोि,े देखो बटे ा मंै तमु ्हारे सपनों के ब़ीच में रोडा नहीं बनना चाहता िेक्तकन तुम्हारे पास अक्तिनय का कोई सक्तटशक्तफके ट नहीं ह।ै ना तो तमु ्हारे पास राष्ट्ऱीय नाट्य क्तवद्यािय (NSD) की क्तडग्ऱी है और ना ह़ी हमारा क्तकस़ी क्तफकम़ी घराने से कोई वास्ता है। बटे े मायानगऱी की राह आसान नहीं होत़ी इसक्तिए अगर मेऱी बात मानों तो कोई अच्छ़ी स़ी सरकाऱी नौकऱी तिाश िो। हमारे घर पररवार के हािात इस तरह के नहीं है क्तक मंै तुम्हें क्तफकम़ी कररयर बनाने की अनमु क्तत द।ूं उस क्तदन पापा की बात मानकर मनंै े पररवार की ख्वाक्तहशों को ह़ी अपना सपना बना क्तिया और प्रक्ततयोग़ी पऱीक्षाओं की तैयाऱी हते ु Coaching Classes join कर ि़ी। मैनं े पढ़ाई से कि़ी समझौता नहीं क्तकया इसक्तिए बरे ोजगाऱी की समस्या से जकद ह़ी क्तनजात क्तमि गई। कमशचाऱी चयन आयोग की 2014 पऱीक्षा में क्तनऱीक्षक के पद पर चयक्तनत होकर मबंु ई आ गया। एक क्तदन पापा बोिे, देखो बटे ा, क्तकस़ी महापरु ुष ने कहा है क्तक Nothing is better, if your passion becomes profession. मनंै े कहा पापा मंै कु छ समझा नहीं। पापा बोिे, बेटा एक वि था जब हमारे पास खोने को कु छ नहीं था और पाने को सारा जहा।ँ आज जब तुम कु छ काक्तबि बन गए हो, तो अपऩी काक्तबक्तियत एक बार और आजमा कर दखे िो और अपने जनु नू (अक्तिनय) की तरफ कदम बढ़ाओ। पापा की तरफ से हऱी झडं ़ी क्तमिने के बाद मरे े सपनों को क्तफर से पखं िग गए और मैं क्तनकि पडा एक नई मकं्तजि की तिाश म.ंे .....मंबु ई मायानगऱी की क्तफकम़ी दकु्तनया में मेरा कोई जानकार नहीं था। मैं हर बार शक्तनवार, रक्तववार को छुट्ट़ी के क्तदन क्तकस़ी ना क्तकस़ी Studio मंे Audition के क्तिए पहचं जाता। वहाँ सबु ह से िके र दोपहर तक, कि़ी- कि़ी शाम तक के क्तबन के बाहर बठै े-बठै े अपऩी बाऱी का इतं जार करता रहता। आक्तखर एक इसं ान अपने सपनों को पूरा करने के क्तिए क्या कु छ नहीं करता। ये क्तदि की चाहत ह़ी कु छ ऐस़ी होत़ी है। शायद कोई आग रह़ी होग़ी जो मझु े हर बार Audition के क्तिए िे जात़ी, परतं ु सफिता अि़ी ि़ी कोसों दरू थ़ी। वो कहते हैं ना क्तक अगर ऩीयत साफ हो और कमश अच्छे हों, तो कोई ना कोई आपको अपऩी मकं्तजि तक पहचँ ा ह़ी देता है। शायद क्तनयक्तत ने मरे े क्तिए यह़ी सोचा हआ था। मंैने अपने अक्तिकाऱी िोगों से अपऩी चाहत बयां की। अक्तिकांश िोगों ने मझु े प्रोत्साक्तहत क्तकया और इस क्तदशा मंे संघषशरत रहने का हौसिा क्तदया। िगातार असफिताओं के बाद ि़ी मेरा संघषश जाऱी रहा। ि़ीर-े ि़ीरे Department के कु छ िोगों ने मेऱी िगन व प्रक्ततिा को देखते हए क्तफकम़ी दकु्तनया की कु छ नामच़ीन शक्तख्सयतों से संपकश करवाया। उन िोगों की हर सिं व मदद से मैं एक के बाद एक करके अनके िोगों से क्तमिता गया और अपने ख्वाबों को क्तफर से बनु ता गया। बहत सघं षश करने के बाद क्तविाग के सहयोग से मेरा पररचय िारत़ीय मूि के एक अमेररकी िेखक & डायरके ्टर से हआ। िके्तकन अि़ी ि़ी मेऱी राह आसान नहीं थ़ी। अक्तिनय के क्षेत्र में कड़ी महे नत और क्तफकम़ी दकु्तनया मंे अवसर की तिाश के क्तिए सघं षश अनवरत जाऱी रहा। क्तफर एक क्तदन माचश 2019 में मझु े पता चिा क्तक अमेररकन डायरेक्टर महोदय अपने एक बडे प्रोजके ्ट पर कायश कर रहे हंै तो मैंने अपना Bio-data और एक Audition Video उन्हंे Email कर क्तदया। 28
ठ़ीक त़ीन क्तदन बाद मेरे मोबाइि की घटं ़ी बज़ी। डायरेक्टर सर का फोन था। सर बोिे, क्तप्रयंक, हम क्तजस बडे प्रोजेक्ट पर कायश कर रहे हैं उसमंे अि़ी काफी वि ह।ै अि़ी हम िोग सामाक्तजक मदु ्दे पर बन रह़ी एक िघु क्तफकम 'क्तबस्कु ट' की शकू्तटंग करने की तयै ाऱी कर रहे हैं। कु छ ह़ी क्तदनों में इसकी शूक्तटंग शरु ू होने वाि़ी है। हािाकं्तक इस क्तफकम के सि़ी क्तकरदार पहिे ह़ी तय हो चकु े थे िके्तकन तमु ्हारा व़ीक्तडयो देखने के बाद मझु े एक क्तकरदार बदिना पडा। तुम्हारा चयन हो गया है......सर बोिते गए और मैं क्तसफश ज़ी सर, थंकै ्यू सर, ज़ी सर, थकंै ्यू सर करता रहा। इन दो शब्दों के अिावा मरे े पास कहने को कु छ था ह़ी नहीं। जसै े ह़ी बात खत्म हई, मेऱी खशु ़ी का तो जसै े क्तठकाना ह़ी नहीं रहा। मरे े क्तिए यह खशु ़ी िगिग अप्रत्याक्तशत थ़ी क्योंक्तक कोई ि़ी डायरेक्टर आक्तखर क्यों मरे े क्तिए अपने क्तकरदार बदिगे ा। यह मरे े ज़ीवन की बहत महत्वपणू श सफिता थ़ी। मझु े अपने कानों पर यकीन ह़ी नहीं हो रहा था। तुरतं Email चकै क्तकया जहाँ Reply में क्तिखा हआ था, Congratulations dear, you have been selected for the short film Biscut. सर ने मझु े शकू्तटंग की Dates, Script & Venue related other details WhatsApp पर िेज द़ी। Department ने मेरा बहत सहयोग क्तकया और कु छ ह़ी क्तदनों में मझु े अक्तिनय के क्तिए अनमु क्तत ि़ी क्तमि गई। मैं अपने क्तविाग से अनमु क्तत िेकर तय समय पर शूक्तटंग के क्तिए पहचँ गया। अप्रैि 2019 का क्तदन था। मंै तय स्थि पर पहचँ गया। अपने होटि में बैठे-बठै े मैं अपने डायिॉग्स को अच्छ़ी तरह याद कर रहा था। अक्तिनय मेरा शौक था, मरे ा जनु ून था िके्तकन मैं बाऱीक्तकयों से अनजान था। डायिॉग्स क्तकस तरह से बोिने ह,ंै इस बारे मंे डायरके ्टर सर ने मेऱी बहत मदद की। यह क्तफकम मेऱी क्तजंदग़ी की क्तदशा और दशा तय करने वाि़ी थ़ी इसक्तिए मंै आइने के सामने खडे होकर डायिॉग्स का पचासों बार अभ्यास कर चकु ा था। आज शकू्तटंग का पहिा क्तदन था। हािांक्तक क्तफकम में मेऱी Entry आज नहीं बक्तकक कि की शूक्तटंग मंे होने वाि़ी थ़ी िेक्तकन मंै आज ह़ी सटै पर पहचँ गया। वहाँ मेरे क्तिए सब कु छ नया था। कै मरामैन, टके्तक्नकि स्टाफ, मेकअप आक्तटशस्ट सब िोगों को एक साथ देखकर मरे े ज़हे न में तरह-तरह के ख्यािात चि रहे थ।े अक्तिनय के सारे किाकार एक दूसरे से पररक्तचत थे क्योंक्तक वे पहिे ि़ी कई क्तफकमंे एक साथ कर चकु े थे। उन सब के ब़ीच मंै एक अनजान चेहरा था। खरै , पहिे क्तदन की शूक्तटंग परू ़ी हई और शाम को सब िोग होटि में अपन-े अपने कमरे मंे जा चकु े थ।े रात को नौ बजे डायरेक्टर साहब का कॉि आया और कि सबु ह जकद़ी तैयार होने के क्तिए कहा। रात ख्वाबों मंे कब गजु ़र गई, मािूम ह़ी नहीं चिा। आक्तखरकार वो क्तदन आ ह़ी गया क्तजसका मझु े वषों से इतं जार था। सबु ह सात बजे ह़ी मंै सटै पर पहचँ गया। आज की शकू्तटंग मंे मझु े अक्तिनय करना था। वहाँ अन्य सि़ी िोग ि़ी मौजूद थे। मंै उत्साक्तहत कम और नवशस ज्यादा था। मंैने ईश्वर को याद करने के बाद माता-क्तपता को याद क्तकया और शांतक्तचत्त होने की कोक्तशश की। सब कु छ तैयार था और जैसे ह़ी मझु े अक्तिनय के क्तिए कहा गया, मेऱी एक नई क्तजंदग़ी की शरु ूआत हो चकु ी थ़ी। थोड़ी देर बाद अक्तिनय खत्म हआ। मझु े नहीं मािूम मनंै े अपना क्तकरदार अच्छे से क्तनिाया या नहीं िके्तकन डायरके ्टर सर की तरफ से मझु े ऱीटेक के क्तिए कोई क्तनदशे नहीं क्तदया गया। 29
ति़ी डायरेक्टर सर ने मझु े बिु ाया। वे बोि,े क्तप्रयकं , तमु तो कह रहे थे क्तक यह तमु ्हाऱी पहि़ी क्तफकम है। मैनं े कहा हाँ सर, पहि़ी ह़ी क्तफकम ह।ै डायरेक्टर सर बोि,े क्तप्रयकं , वास्तव में अगर यह तुम्हाऱी पहि़ी क्तफकम है तो मैं एक नए किाकार से इससे बेहतर अक्तिनय की उम्म़ीद नहीं कर सकता। Your performance was fantastic. Well done dear. Keep it up. मझु े क्तजस तरह से ररस्पासं क्तमिा, उतऩी तो मझु े उम्म़ीद ि़ी नहीं थ़ी। डायरके ्टर सर मरे े अक्तिनय पर महु र िगा चकु े थे। शकू्तटंग के बाद अन्य बडे-बडे किाकारों से मेरा मिे जोि शरु ू हआ। कि तक क्तजन िोगों ने मझु े एक नए चहे रे के रूप मंे देखा, वे आज मझु े एक दोस्त के रूप में दखे रहे थ।े हर क्तदन शूक्तटंग चित़ी रह़ी और मझु े वहाँ बहत कु छ स़ीखने को क्तमिा। दखे ते ह़ी दखे ते हम िोग अक्तिनय ट़ीम से एक पररवार में तब्द़ीि हो गए। अक्तिनय के वि अक्तिनय और हसँ ़ी-मजाक के वि जमकर क्तठठोि़ीबाज़ी चित़ी रह़ी। शकू्तटंग खत्म करने के बाद सि़ी िोग एक दूसरे को िन्यवाद दके र अिक्तवदा कहते हए अपने-अपने घरों को रवाना हो गए। हािांक्तक यह क्तफकम अि़ी ररि़ीज़ नहीं हई है िेक्तकन इसने अब तक क्तवक्तिन्न अतं राशष्ट्ऱीय स्तर के समारोहों मंे कु ि 16 अवाड्शस ज़ीत क्तिए ह।ंै मंै आज ि़ी अके िे में जब कि़ी इस क्तफकम के यादगार सफर के बारे में सोचता हँ तो ऐसा िगता है जैसे मेरे साथ कोई चमत्कार हआ हो। मम्म़ी कहत़ी ह-ंै बेटे, दकु्तनया मंे एक से बढ़कर एक प्रक्ततिाएँ होत़ी हैं िेक्तकन अगर सह़ी वक़्त पर सह़ी मौका ना क्तमिे तो ये प्रक्ततिाएँ अक्सर दम तोड देत़ी हैं। हमें तेऱी प्रक्ततिा पर कोई संदेह नहीं था िेक्तकन तमु ्हंे क्तफकमों मंे मौका इतऩी जकद़ी क्तमि जाएगा, इस बात का क्तवश्वास नहीं था। तू सच मंे क्तकस्मत वािा है क्तक Department के िोगों ने तमु ्हारे जनु ून को अंजाम तक पहचँ ाया है इसक्तिए उन िोगों के सहयोग को कि़ी मत िूिना क्तजन्होंने तुम्हें इन अिं ेरों में रोशऩी क्तदखाई। ऐसा माना जाता है क्तक अगर इंसान मेहनत़ी और प्रक्ततिाशाि़ी हो तो पहिे अवसर के बाद आगे की राह थोड़ी आसान हो जात़ी है। मैं अपऩी महे नत, जनु ून और स़ीखने की ििक को इस़ी तरह बनाए रखूंगा। उम्म़ीद ह,ै आप िोगों के आश़ीवाशद से िक्तवष्ट्य मंे कु छ अच्छे-अच्छे प्रोजके ्ट्स पर कायश करने का मौका क्तमिगे ा। मंै अपऩी इस सफिता के क्तिए ईश्वर, माता-क्तपता और Department का शकु्तक्रया अदा करना चाहंगा क्तजनके सहयोग के क्तबना शायद यहाँ तक पहचँ पाना नाममु क्तकन था.......! 30
प्रियकं राज शूप्र ंग के दौरान 31
एक ग़ज़ल श्री चन्दन स हंि सिष्ट हायक आयकु ्त, ीमा शलु ्क (सेवानिवतृ ्त) खुलंेगे लब गवाह ंो के , न ये तलवार ब लेगी। तुम्हारे ज़ुल्म ने ये भी कररश्मा कर तिखाया है, मेरे क़ाततल से अब मेरे लहू की धार ब लेगी।…(1) ज गूँगी थी जुबाँू अब तक व भी इस बार ब लेगी।… (2) लुटी अस्मत सहम कर ज अँूधेरे में तससकती थी, हमारे हाथ में खंोज़र नहींो है बस हथेली है, सँूभल जाओ! व उठकर अब सरे -बाज़ार यही अब ढाल िुश्मन का बचा कर वार ब लेगी।…(4) ब लेगी।…(3) मंै बस्ती के मुक़द्दर मंे बिल की बात करता हूँू, छु पा ले सब गुनाह ों क तसयासत के लबािे में, बहुत मुमतकन है ये बस्ती मुझे गद्दार ब लेगी।…(5) यही िुतनयाूँ तुझे तिर िेख इज़्ज़तिार ब लेगी।…(6) मैं पत्थर नीवों का ह कर अगर गुमनाम हूँू त क्या, लड़ी थी तकस तरह तिान के जातलम थपेड़ ंो से, मेरा तकरिार क्या है ये खड़ी िीवार ब लेगी।…(7) ये तकस्सा भी मेरी कश्ती कभी उस पार ब लेगी।…(8) उतर जाए तकनारे पर अगर ये नाखुिा, ‘चन्दन’! समन्दर से तेरी तहम्मत, तेरी पतवार ब लेगी।…(9) 32
करो योग, रहो मनरोग श्री राजेदं्र कटाररया कर सहायक जी.एस.टी (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई योग शब्द का साधारण अर्थ ह,ै जड़ु ना या मिलना। योग, हिारे भारतीय ज्ञान की पांाच हजार वर्थ परु ानी शलै ी ह।ै योग, व्यायाि का ऐसा प्रभावशाली प्रकार ह,ै मजसके िाध्यि से न के वल शरीर के अगंा ों बमकक िन, िमततष्क और आत्िा िंे संातलु न बनाया जाता ह।ै यही कारण है मक योग से शारीररक व्यामधयों के अलावा िानमसक सितयाओंा से छु टकारा पाया जा सकता ह।ै योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धमत ह।ै योग पद्धमत का सतू ्रधार िहमर्थ पताजं ली को िाना जाता ह।ै योग के जररए न मसर्थ बीिाररयों का मनदान मकया जाता ह,ै बमकक तवयां के अंादर एक नई ऊजाथ का सांचार मकया जा सकता ह।ै योग हर तरह के अवसाद को दरू करने िें पणू थ कारगर ह।ै प्रमतमदन २० - ३० मिनट योग करें और परू ा जीवन ऊजाथमववत रह।ें लगातार योग करते रहने से आपके जीवन िें हर तरह की आदतों से आपको िमु ि मिल जाती ह।ै योग करते रहने से व्यमि का व्यमित्व और चररत्र बदल जाता ह।ै वह अपनी आतं रिक नकारात्िकता और बरु ी आदतों को बाहर मनकाल दते ा ह।ै लगातार योग करते रहने से व्यमि िें कायशथ ीलता बढ़ जाती है और वह अपने जीवन के लक्ष्य जकद से जकद पणू थ करने की ओर र्ोकस कर दते ा ह।ै 33
यमद मकसी भी प्रकार का िानमसक रोग ह,ै तो वह मिट जाएगा, जसै े मचतंा ा, घबराहट, बचे नै ी, अवसाद, शोक, शांकालु प्रवमृ ि, नकारात्िकता, द्वदां ्व या भ्रि आमद। एक तवतर् िमततष्क ही खशु हाल जीवन और उज्जज्जवल भमवष्य की रचना कर सकता ह।ै योग से जहांा शरीर की ऊजाथ जाग्रत होती ह,ै वहीं हिारे िमततष्क के अतंा ररि भाग िंे मछपी रहतयिय शमियों का उदय होता ह।ै जीवन िें सर्लता के मलए शरीर की सकारात्िक ऊजाथ और िमततष्क की शमि की जरूरत होती ह।ै यह मसर्थ योग से ही मिल सकती है, अवय मकसी कसरत से नहीं मिल सकती। योग और इससे होने वाले लाभों के बारे िें सम्पणू थ मवश्व को अवगत कराने हते ु हिारे माननीय प्रधानिांत्री श्री नरंेद्र िोदी ने संायिु राष्र िहासभा िंे अपने भार्ण िें २१ जनू को अातं राथष्रीय योग मदवस िनाने का सझु ाव मदया र्ा। यह मदन वर्थ का सबसे लम्बा मदन होता है और योग भी िनषु ्य को दीघथ जीवन प्रदान करता ह।ै पररणाितवरूप हर वर्थ २१, जनू को अातं राषथ ्रीय योग मदवस िनाया जाता ह।ै अतां राषथ ्रीय योग मदवस पहली बार २१, जनू , २०१५ को िनाया गया । 34
२१ जनू , अतां राथष्रीय योग मदवस के अवसर पर जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा -II) आयिु ालय िंे योग मशमवर का आयोजन मकया गया, मजसिंे सभी किथचारी वगथ ने महतसा मलया। इस अवसर के कु छ छाया मचत्र। 35
श्री प्रियकं राज प्रिरीक्षक जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मबं ई अभिव्यभि: जब रंग बने माध्यम प्रित्रकला अथवा प्रित्रकारी कलात्मक ज्ञाि की एक ऐसी प्रवधा है प्रजसमें इंसाि अपिे प्रविारों, इच्छाओ,ं ज्ञाि और अिभवों को रगं ों के माध्यम से मूर्त रूप देिे की कोप्रिि करर्ा है। अक्सर इस कला को एक मािवीय िौक अथवा पेिे के रूप में दखे ा जार्ा है पररं ् कछ ऐसे उदाहरण भी दखे िे को प्रमलर्े हैं जहााँ प्रित्रों के माध्यम से जिमािस की भाविाओं और आवेि को एक प्रदिा देिे की कोप्रिि की जार्ी है। िायद यही वजह है प्रक प्रवश्व मंे हुई अिेक क्ांप्रर्यों के पाश्वत कारणों में प्रित्रकारी का उल्लेखिीय योगदाि पाया जार्ा है। रगं ों के अपिे अथत होर्े हैं। ऐसा मािा जार्ा है प्रक एक प्रित्र हजारों िब्दों के बराबर होर्ा है। प्रकसी िे क्या खूब कहा है प्रक \"र्स्वीरंे बोलर्ी हंै साहब.......बस फकत प्रसफत इर्िा सा है प्रक इस आवाज को कािों से िहीं, बप्रल्क आखं ों के जररए अरं ्मति से सिा जार्ा है।\" यह एक अलग बार् है प्रक वक्त के साथ-साथ प्रित्रों के मायिे बदल जार्े हैं प्रफर भी इप्रर्हास गवाह है प्रक Mona Lisa और The Last Supper जैसी र्स्वीरों के रहस्य सकै डों वर्षों बाद आज भी पहेली और कौर्हल का प्रवर्षय बिे हुए हैं। अपिे उद्भव के साथ ही प्रित्रकला िे लोगों को बहुर् आकप्रर्षतर् प्रकया था, क्योंप्रक अमूर्त भाविाओंकी रगं ों के माध्यम से मूर्त अप्रभव्यप्रक्त का प्रित्रों से बेहर्र और कोई प्रवकल्प हो ही िहीं सकर्ा। िायद इसीप्रलए यह कला प्रलयोिार्डो द प्रवंिी एवं मगल सम्राट जहांगीर से होर्ी हुई पाब्लो प्रपकासो एवं एम. एफ. हुसिै के जररए वर्तमाि सदी र्क खूब फलर्ी फू लर्ी रही है। हम सभी अपने स्तर पर कु छ न कु छ प्रयास करते हंै, जो हमंे आतं ररक शांतत और अंतममन की खशु ी देते हंै, ऐसे ही कु छ प्रयास जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) की माननीय अपर आयकु ्त महोदया श्रीमर्ी प्रीतत चौधरी द्वारा भी तकए गए हंै… 36
अपर आयक्त महोदया, श्रीमर्ी िीप्रर् िौधरी, द्वारा बिाई गई कछ बेहर्रीि प्रित्रकारी 37
रगं ों की जादूगरी by श्रीमती प्रीतत चौधरी 38
श्री रामनिवास मीिा, कर सहायक जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) मुंबई खलु ी आंखों से, दखे ा जो सपना, ये सपना अब, परू ा होना चाहहए। सारे जहाँा से अच्छा, हहदं सु ्तान होना चाहहए। हनकाल कर कलेजा, भजे हदया सीमा पर। आंचल मंे छु पकर रोना, कोई उस माँा से सीख।े हो गया कु बाान, वतन पर, हजसके माथे का हसंदरू , हसं ते-हसं ते सबु कना, कोई उस बेवा से सीख।े मस्तक झकु जाए, जब कोई फौजी हदख जाए, सीमा के पहरेदारों का, सम्मान होना चाहहए। सारे जहााँ से अच्छा……....... आहखर क्यों ना घमू ें वो, अके ली, सनू ी सड़कों पर। आचं कभी ना आए, मेरी माता बहनों पर। अगर जवानी, ना रहे वश मंे, हकसी हवस के पजु ारी की, सर उसका कलम, सरेआम होना चाहहए। जहााँ सलामत रह,े एक नारी की इज्जत, मबंु ई शहर जसै ा, हर शहर होना चाहहए। सारे जहाँा से अच्छा……....... 39
Search