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IND GOMTI_INAUGURAL ISSUE September 21 PDF

Published by stc.luc, 2021-10-08 06:00:43

Description: IND GOMTI_INAUGURAL ISSUE September 21 PDF

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स्मतृ ियों के गलियारे से इडं ियन बकंै और इलाहाबाद बकंै के समामेलन सबं ंधी क्रॉस ऑर्गेनाइजेशनल इडं िग्रशे न प्रोग्राम मंे श्रीमती पद्मजा चंिूरू, प्रबधं डनदेशक एवं मख्य काययपालक अडधकारी के स्िाफ कॉलजे लखनऊ आर्गमन पर वृक्षारोपण काययक्रम एवं प्रडतभाडर्गयों के साथ समूह डचत्र

















































डवत्तीय साक्षरता में ग्रामीर् जनता की मानर्सकता में बदलाव की पड़ताल करने से पूवि सकं ्षेप में यह जानना प्रासरं्गक होगा र्क र्वत्तीय साक्षरता का अथि क्या है और र्वत्तीय समावेिन मंे इसकी क्या भूर्मका है ? र्वत्तीय समाविे न से तात्पयि है समाज के वंर्चत वृहत्तर अिं को वहन योग्य लागत पर बरंै्कं ग सेवाएं उपलब्ध कराना है । अन्य िब्दों मंे ''औपचाररक खित्तीय प्रणाली के अतं र्गत उन समस्त व्यखियों को बचत, भुर्तान, खित्त प्रषे ण सुखिधा, ऋण, बीमा इत्याखि की सेिाओं से युक्त करना ही खित्तीय समािेशन है जो इन सब सुखिधाओं से िखं चत हैं '' भारतीय ररज़वि बकैं के भूतपूवि उप गवनिर श्री वी. लीलाधर ने र्वत्तीय समावेिन को इस प्रकार पररभार्षत र्कया है - ''खित्तीय समािशे न समाज के कम आय िाले समूहों को ऐसी लार्त पर बखैं कं र् सेिाएं उपलब्ध कराना है, जो उन पर भार न बने । एक िुले और िक्ष समाज के खलए यह पहली शतग है खक लोर्ों की सािगजखनक संपखि और सिे ाओं तक बाधारखहत पहचं हो । बखैं कं र् सेिाएं भी सािगजखनक सेिाएं हैं, अत: सािगजखनक नीखत का यह प्रमुि उद्दशे ्य है खक िशे की समस्त जनता को बंैखकं र् एिं भुर्तान सिे ाएं खबना खकसी भिे भाि के अखनिायगत: उपलब्ध हो।'' र्वत्तीय समाविे न के कारर् बैंक भी इस वंर्चत आबादी तक अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें गे तथा समाज बंधु के रूप में अपने आप को और ज्यादा प्रर्तर्ष्ठत कर पाएगं े । िॉ.सी.रगं राजन की अध्यक्षता मंे गर्ठत र्वत्तीय समाविे न सर्मर्त ने र्वत्तीय समाविे न की पररभाषा र्नम्नानसु ार दी है: '' वित्त‍ ीय‍समािेशन‍एक‍ऐसी‍प्रविया‍है‍विसके ‍तहत‍िहन‍योग्‍य‍लागत‍पर‍कमिोर‍िगों‍एिं‍अल्‍प‍आय‍समूह‍ के ‍अतं गगत‍आनेिाले‍िंवित‍श्रेणी‍के ‍लोगों‍की‍आिश्य‍ कतानुसार‍समय‍पर‍पयागप्‍त‍ऋण‍एिं‍अन्य‍ ‍वित्त‍ ीय‍सिे ाओ‍ं की‍पहिं ‍सुवनवित‍की‍िा‍सके ‍।'' मोटे तौर पर देखा जाए तो र्वत्तीय वंचना के दषु्ट्पररर्ामों को रोकना एवं तत्संबंधी होने वाली सामार्जक-आर्थिक हार्न पर लगाम लगाना ही र्वत्तीय समावेिन का स्वाभार्वक लाभ प्रतीत होता है परन्तु दीघिमीयादी लाभों के रूप मंे र्नम्नर्लर्खत र्बंदओु ं को समार्वष्ट्ट र्कया जा सकता है :- • ग्राहक र्विेषकर आर्थिक रूप से वरं्चत ग्राहकों को लाभ • रगे्यलु टे रों को लाभ • देि की अथिव्यवस्था को लाभ 25














































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