Jankriti [Multilingual International Monthly Magazine] ISSN: 2454-2725 IMPACT FACTOR: 2.0202 1 जनकृ ति [बहुभाषी अंिरराष्ट्रीय मासिक पत्रिका] [GIF] ] 1 वषष 4, अकं 38, जनू 2018 ISSN: 2454-2725 Vol. 4, Issue 38, June 2018
Jankriti [Multilingual International Monthly Magazine] ISSN: 2454-2725 IMPACT FACTOR: 2.0202 2 जनकृ ति [बहुभाषी अिं रराष्ट्रीय मासिक पत्रिका] [GIF] परामर्श मडं ल (बहुभशषी अं ररशष्ट्रीय मशिसर् पििर्श) डॉ. सुधा ओम ढींगरा (अमेररका),प्रो. सरन घई (कनाडा), प्रो. अननल जननिजय (रूस), प्रो. राज हीरामन (मॉरीर्स), प्रो. उदयनारायण वर्ष 4, अंक 38, जून 2018 ससहं (कोलकाता), स्ि. प्रो. ओमकार कौल (ददल्ली), प्रो. चौथीराम [21िीं सदी िितेषशंर्] यादि (उत्तर प्रदेर्), डॉ. हरीर् निल (ददल्ली), डॉ. हरीर् अरोड़ा (ददल्ली), डॉ. रमा (ददल्ली), डॉ. प्रेम जन्मजे य (ददल्ली), प्रो.जिरीमल सपं र्क - पारख (ददल्ली), पकं ज चतिु दे ी (मध्य प्रदरे ्), प्रो. रामर्रण जोर्ी कु मार गौरव ममश्रा, कमरा संख्या 29, गोरख पाण्डेय छात्रावास, (ददल्ली),डॉ. दगु ाश प्रसाद अग्रिाल (राजस्थान), पलार् निस्िास महात्मा गाधं ी अतं रराष्ट्रीय महन्दी मवश्वमवद्यालय, वधाा-442005, (कोलकाता), डॉ. कै लार् कु मार नमश्रा (ददल्ली), प्रो. र्लै ने ्र कु मार महाराष्ट्र, भारत र्माश (उज्जैन), ओम पाररक (कोलकाता), प्रो. निजय कौल (जम्मू ), 8805408656 प्रो. महरे ् आनंद (ददल्ली), ननसार अली (छत्तीसगढ़), वबे साईट- www.jankritipatrika.in, www.jankritimagazine.blogspot.in, संपादक ईमले - [email protected] कु मार गौरि नमश्रा प्रर्शित रचनशओं में व्यक्त ििचशर से सपं शदर्ीय सहमि सह-सपं ादक अिनिशयक नहीं है। जैनने ्र (ददल्ली), कनिता ससंह चौहान (मध्य प्रदरे ्) कला संपादक निभा परमार सपं ादन मडं ल प्रो. कनपल कु मार (ददल्ली), डॉ. नामदिे (ददल्ली), डॉ. पनु ीत निसाररया (उत्तर प्रदरे ्), डॉ. नजतेंर श्रीिास्ति (ददल्ली), डॉ. प्रज्ञा (ददल्ली), डॉ. रूपा ससंह (राजस्थान), तेसजदं र गगन (रायपुर), निमलरे ् निपाठी (कोलकाता), र्कं र नाथ नतिारी (निपरु ा), िी.एस. नमरगे (महाराष्ट्र), िीणा भारिया (ददल्ली), िभै ि ससहं (ददल्ली), रचना ससंह (ददल्ली), र्ैलने ्र कु मार र्कु ्ला (उत्तर प्रदरे ्), सजं य र्फे डश (ददल्ली), दानी कमाशकार (कोलकाता), राके र् कु मार (ददल्ली), ज्ञान प्रकार् (ददल्ली), प्रदीप निपाठी (महाराष्ट्र), उमरे ् चंर नसरिारी (उत्तर प्रदरे ्), चन्दन कु मार (गोिा) सहयोगी गीता पनं डत (ददल्ली) ननलय उपाध्याय (मुिं ई, महाराष्ट्र) मुन्ना कु मार पाण्डेय (ददल्ली) अनिचल गौतम (िधा,श महाराष्ट्र) महेंर प्रजापनत (उत्तर प्रदरे ्) निदरे ् प्रनतनननध डॉ. अनीता कपरू (कै नलफोर्नयश ा) डॉ. नर्प्रा नर्ल्पी (जमनश ी) राके र् माथरु (लन्दन) मीना चौपड़ा (िोरंिो, कै नडे ा) पूजा अननल (स्पेन) अरुण प्रकार् नमश्र (स्लोिने नया) ओल्या गपोनिा (रनर्या) सोहन राही (यूनाइिेड ककं गडम) पूर्णशमा िमशन (यूएई) डॉ. गगं ा प्रसाद 'गुणर्खे र' (चीन) ] 2 वषष 4, अंक 38, जनू 2018 ISSN: 2454-2725 Vol. 4, Issue 38, June 2018
Jankriti [Multilingual International Monthly Magazine] जनकृ ति [बहुभाषी अिं रराष्ट्रीय मासिक पत्रिका] ISSN: 2454-2725 IMPACT FACTOR: 2.0202 35 [GIF] यहाँा प्रािीन काल से ही बहुत सारी भाषाओंका उपयोग होता रहा ह।ै परंतु भाषा की मवमवधता होने के बाविदू दशे को तमनक भी सासं ्कृ मतक नकु सान नहीं हुआ ह।ै भारत की यह बहभु ामषकता एक शमि के रूप मंे अपनी पहिान समदयों से बनाए हएु ह।ै भारतीय भाषाओं और सामहत्य में परस्पर अनवु ाद से भारत की वास्तमवक तस्वीर ममल िाती ह।ै इतना ही नहीं मवमभन्न भारतीय भाषाओं में मिमकत्सा, वामणज्य-व्यपार, मवज्ञान, औधोमगकी आमद मवमभन्न मवषयों और क्षते ्रों मंे अनसु ंधान और शोध काया हो रहे ह,ैं उसमें अनवु ाद की अत्यंत आवश्यकता ह।ै भारत मंे िनसिं ार के क्षते ्र अथाता पत्रकाररकता, रेमडयों, दरू दशना आमद से उपलमब्ध हो रही ह,ै उसमें अनवु ाद की मवशषे भमू मका रही है और आि भी उसकी आवश्यकता भारतीय सभी भाषाओं मंे ह।ै भामषक दृमष्ट से बहुभामषक समाि की िरूरतों को समझते हुए कें मिय भाषा के मवकास के साथ-साथ बहुभामषकता को महत्त्व दते े हुए हमारी सासं ्कृ मतक तथा िातीय अमभव्यमि का प्रसार िरूरी ह।ै महदं ी और अन्य भाषाओंके बीि का संबधं रािनीमतक नहीं सांस्कृ मतक होने पर भाषा से िड़ु ी समस्याओं की गमु त्थयाँा सलु झ सकें गी। अन्तराषा्ट्रीय सामहत्य के अनवु ाद से ही यह तथ्य प्रकाश मंे आया मक दमु नया के मवमभन्न भाषाओंमें मलखे गए सामहत्य में ज्ञान का मवपलु भण्डार मछपा हुआ ह।ै भारत मंे अन्तराषा्ट्रीय सामहत्य का अनवु ाद तो भारत में सूमफयों के दाशमा नक मसर्द्ान्तों के प्रिलन के साथ ही शरु ू हो गया था; मकन्तु इसे व्यवमस्थत स्वरूप आधमु नक यगु मंे ही प्राप्त हआु । शके ्समपयर, डी.एि. लॉरंेस, मोपासाँा तथा सात्रा िसै े मिन्तकों की रिनाओं के अनवु ाद से भारतीय िनमानस का साक्षात्कार हआु । दमु नया के मवमभन्न भाषाओं के अनवु ाद द्वारा ही तलु नात्मक सामहत्य के अध्ययन मंे सहायता ममलती ह।ै तलु नात्मक सामहत्य द्वारा इस बात का पता लगाया िाता है मक दशे , काल और समय की मभन्नता के बाविदू मवमभन्न भाषाओं के रिनाकारों के सामहत्य में साम्य और वषै म्य क्यों है ? अनवु ाद के द्वारा ही िो तलु नीय है वह तलु नात्मक अध्ययन का मवषय बनता ह।ै मकसी भी दशे के सामहत्य का तलु नात्मक अध्ययन अनवु ाद के फलस्वरूप ही सम्भव हो सका। वतामान युग मंे अनवु ाद ज्ञान की ऐसी शाखा के रूप मंे मवकमसत हुआ है िहााँ इज्ित, शोहरत एवं पैसा तीनों ह।ैं आि अनवु ादक दसू रे दिे का सामहत्यकार नहीं बमल्क उसकी अपनी मौमलक पहिान ह।ै मवज्ञान और प्रौद्योमगकी के क्षते ्र मंे तिे ी से हुए मवकास के साथ भारतीय पररदृश्य मंे कृ मष, उद्योग, मिमकत्सा, अमभयामन्त्रकी और व्यापार के क्षते ्र मंे क्रामन्तकारी पररवतना हआु ह।ै इन क्षेत्रों में प्रयिु तकनीकी शब्दावली का भारतीयकरण कर इन्हंे लोकोन्मखु करने में अनवु ाद की महत्त्वपणू ा भमू मका ह।ै 21वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ा रोिगार के क्षते ्र में अनवु ाद को महत्त्वपणू ा पद पर आसीन करता ह।ै संमवधान में महन्दी को रािभाषा ] का दिाा मदए िाने के पश्चात् के न्ि सरकार के कायाालयों, साविा मनक उपक्रमों, संस्थानों और प्रमतष्ठानों में रािभाषा प्रभाग की स्थापना हुइा िहाँा अनवु ाद काया मंे प्रमशमक्षत महन्दी अनवु ादक एवं महन्दी अमधकारी काया करते ह।ंै आि रोिगार के क्षते ्र में अनवु ाद सबसे आगे ह।ै प्रमत सप्ताह अनवु ाद से सम्बमन्धत मितने पद यहााँ मवज्ञामपत होते हैं अन्य मकसी भी क्षते ्र मंे नहीं। औद्योगीकरण एवं िनसंिार के माध्यमों में हएु अत्याधमु नक मवकास ने मवश्व की मदशा ही बदल दी ह।ै औद्योमगक उत्पादन, मवतरण तथा आमथाक मनयन्त्रण की मवमभन्न प्रणामलयों पर परू े मवश्व मंे अनसु ंधान हो रहा ह।ै नइा खोि और नइा तकनीक का मवकास कर परू े मवश्व में औद्योमगक क्रामन्त मिी हइु ा ह।ै इस क्षते ्र में होने वाले अद्यतन मवकास को मवमभन्न भाषा-भाषी राष्ट्रों तक पहुिाँ ाने मंे भाषा एवं अनुवाद की महत्त्वपणू ा भमू मका ह।ै वजै ्ञामनक अनसु ंधानों को तीव्र गमत से परू े मवश्व मंे पहुिँा ा दने े का श्रेय नव्यतम मवकमसत िनसिं ार के माध्यमों को ह।ै आि मवज्ञान, प्रौद्योमगकी, मिमकत्सा, कृ मष तथा व्यवसाय आमद सभी क्षेत्रों मंे िो कु छ भी नया होता है वह कु छ ही पलों मंे टेलीफोन, टेलेक्स तथा फै क्स िसै ी तकनीकों के माध्यम से परू े मवश्व मंे प्रिाररत एवं प्रसाररत हो िाता ह।ै आि िनसंिार के माध्यमों मंे होने वाले मवकास ने महन्दी भाषा के प्रयमु ि-क्षते ्रों को मवस्ततृ कर मदया ह।ै मवज्ञान, व्यवसाय, खले कू द एवं मवज्ञापनों की अपनी अलग शब्दावली ह।ैं संिार माध्यमों में गमतशीलता बढ़ाने 35 वषष 4, अंक 38, जनू 2018 ISSN: 2454-2725 Vol. 4, Issue 38, June 2018
Jankriti [Multilingual International Monthly Magazine] जनकृ ति [बहुभाषी अंिरराष्ट्रीय मासिक पत्रिका] ISSN: 2454-2725 IMPACT FACTOR: 2.0202 36 [GIF] का काया अनवु ाद द्वारा ही सम्भव हो सका है तथा गाँाव से लके र महानगरों तक िो भी अद्यतन सिू नाएँा हंै वे अनवु ाद के माध्यम से एक साथ सबों तक पहुिँा रही ह।ैं कहने की आवश्यकता नहीं मक अनवु ाद ने आि परू े मवश्व को एक सतू ्र मंे मपरो मदया ह।ै बीसवीं शताब्दी के अवसान और इक्कीसवीं सदी के स्वागत के बीि आि िीवन का कोइा भी ऐसा क्षते ्र नहीं है िहााँ पर हम मिन्तन और व्यवहार के स्तर पर अनवु ाद के आग्रही न हों। मवश्व के अन्य दशे ों के साथ भारत के आमथका एवं रािनीमतक समीकरण बदले। रािनमै तक और आमथका कारणों के साथ मवज्ञान एवं प्रोद्यौमगकी का मवकास भी इस यगु की प्रमखु घटना है मिसके फलस्वरूप मवमभन्न भाषा-भाषी समदु ायों में सम्पका की मस्थमत उभर कर सामने आयी। आि मवश्व के अमधकांश बड़े दशे ों मंे एक प्रमखु भाषा के साथ-साथ अन्य कइा भाषाएाँ भी गौण भाषा के रूप में समान्तर िल रही ह।ंै अतएव एक ही भौगोमलक सीमा की रािनमै तक, प्रशासमनक इकाइा के अन्तगता भाषायी बहसु ंख्यक भी रहते हंै और भाषायी अल्पसंख्यक भी। अत: मवमभन्न भाषाभामषयों के बीि उन्हीं की अपनी भाषा में सम्पका स्थामपत कर लोकततं ्र मंे सबकी महस्सेदारी समु नमश्चत की िा सकती ह।ै वस्ततु : अन्तराषा्ट्रीय स्तर पर मवमभन्न दशे ों के बीि रािनमै तक, आमथाक, सासं ्कृ मतक तथा मवज्ञान एवं प्रौद्योमगकी के क्षेत्र मंे बढ़ती हइु ा आदान-प्रदान की अमनवायाता ने अनवु ाद एवं अनवु ाद काया के महत्त्व को बढ़ा मदया ह।ै संदभक-ग्रन्थ मसन्हा, रमण प्रसाद, अनिु ाद और रचना का उत्तर जीिन, नई मदल्ली, वाणी प्रकाशन, 2002 मसंह, अिनाु प्रताप, अनिु ाद हसद्ांता एिंा व्यििार, मदल्ली, ग्रंथलोक प्रकाशन, 2008 मसंहल, सरु ेष (स.ं ), अनिु ाद: अनिु हू त और अनिु ि, मदल्ली, समय प्रकाशन 2006 नगने ्ि, (सं.), अनिु ाद हिज्ञान हसद्ांता और अनपु ्रयोग, मदल्ली, मदल्ली मवश्वमवद्यालय, 1993 मतवारी, भोलानाथ, अनिु ाद हिज्ञान, मदल्ली, अमर मप्रंमटंग प्रेस, 1972 गोस्वामी, कृ ष्ट्ण कु मार, अनिु ाद हिज्ञान की िहू मका, नई मदल्ली, रािकमल प्रकाशन, 2008 िी गोपीनाथन, टंडन, परू निदं , अनिु ाद साधना, मदल्ली, अमभव्यमि प्रकाशन, 2007 Singh, Avadhesh Kumar. Translation Studies in 21st century; in Translation Today, Ed. Mishra and Nair. Vol 8. National Translation Mission. 2014 11. https://www.teachingenglish.org.uk/article/translation-activities-language-classroom. ] 36 वषष 4, अकं 38, जनू 2018 ISSN: 2454-2725 Vol. 4, Issue 38, June 2018
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