DREAM Dream Your Dreams For Success Close your eyes and dream your dreams Just close your eyes and dream your dreams. You can be anyone, Anyone you can dream, You can go anywhere, Do anything, Be anyone; Just close your eyes and dream your dreams. Let your imagination to express And Take you on an adventurous; Just close your eyes and dream your dreams. You are free to chase, You are free to wish for success in life; There is beautiful world before us Just close your eyes and dream your dreams. It is about the courage to fulfill; You can get what you want So, that you can flaunt. Just close your eyes and dream your dreams. There is no need to frighten, Just let your dreams to flow through; Just close your eyes and dream your dreams. “your success is in your hand So, just close your eyes and dream your dreams. NAME: JAHNAVI MEDA OF CLASS 7 “A”
HINDI & SANSKRIT SECTION
बदलते ज़माने समय के साथ साथ बहुत सी चीज़ंे़ बदल गई हंै , पहले जब राजाओं का दौर हुआ करता था और टेलीफोन के बारे मंे़ कोई जानता भी नही ं था, तब एक जगह से दू सरी जगह सदं ेश पहुंचाने का काम कबूतर ककया करते थे । कागज को या तो कबतू रों के परै मं़े बांध कर अथवा उनकी चोचं मे़ं पकड़कर उड़ा कदया जाता था। जसै े जैसे कवज्ञान ने तरक्की की और टेलीफोन का कनमााण हुआ दुकनया के एक छोर से दू सरी छोर तक संदेश भजे ना कमटं ो का खले हो गया । लेककन टेलीफोन को कसग्नल देने के कलए बने टावसा से कनकलने वाले रे किएशन पकियों के कलए जानलेवा होते हंै। उसी तरह पहले के ज़माने म़ंे पुरानी फसल से बचाए हुए बीजों को अगली फसल के कलए बोया जाता था और खेती म़ंे गोबर एवं प्राकृ कतक तरीकों से तैयार खाद का इस्तमे ाल होता था। आजकल हाइकिि बीजों का इस्तमे ाल हो रहा है जो उपयोग में़ आसान तो हैं परं तु उनमं़े प्राकृ कतक शदु ्धता नही ं है और गोबर की जगह अब के कमकल्स और फकटालाइजसा ने लले ी है। आज के ज़माने के मॉिना उपाय आसान और अच्छे तो हैं ककं तु कम अवकध के कलए, मानव जाकत और अन्य जीवों पे इनके आने वाले समय में़ कई दुष्प्रभाव देखने को कमलंेग़ े और ऐसा वजै ्ञाकनकों का भी मानना है। क्या यही है मानव जाकत की तरक्की ?? क्या यही सनु हरे भकवष्य की नीवं है ?? दोस्तों ये कु छ ऐसे सवाल हंै कजनका जवाब हम सब को कमलकर हाल करने होगं े । उम्मीद है आप सब इस बारे म़ें सोचं़ेगे जरूर। रुकचता पाचं वी ‘अ’
सकै नक मौन हो जाते हैं जब सुनते है उनके बकलदानों को। वो छोड़ जाते हंै हम घर वालों को ताकक चनै कमले हम लोगों को।। वे जागते हैं सारी-सारी रात ताकक सुकू न कमले हमारी नीदं को। ठं िी हो बरसात हो लड़ते है वो हर हाल में़ ताकक हर मौसम का आनंद हम उठाए।। ये कहलाते है देश भि जो हर हाल मं़े दे जाते है प्राण।। बटे ी अकं कत महापात् किा - 10 वी ं अ जब जब जन्म लेती है बटे ी, खुकशयााँ साथ लाती है बेटी। ककनष्का श्रीवास दसवी ं आ ईश्वर की सौगात है बेटी, सबु ह की पहली ककरण है बेटी। तारों की शीतल छाया है बटे ी, आँागन की कचकड़या है बटे ी। त्याग और समपाण कसखाती है बेटी, नए-नए ररश्ते बनाती है बेटी। कजस घर मं़े जाए,उजाला लाए बटे ी, बार-बार याद आती है बटे ी। बटे ी की कीमत उनसे पूछो, कजनके पास नही ं है बेटी।
भारत के वीर जवान आओ झकु कर करे सलाम,कजनके कहस्से में़ नए मकान आता है, ककतने खशु नसीब हैं वे नौजवा न,खनू कजनका वतन के काम आता है। ऐ मरे े जोशीले कदल ,मेरे होना तू बचै ेन इतना, इस देश की रिा धमा तेरा ये देश तरे ा है अपना। जब कभी तरे े कन्ों पर आए देश की कजम्मदे ारी, मुस्काते हुए बढा कदम भलू के सारी दुकनयादारी। तमु से ही देश है,तुमसे ही इसकी आज और शान है, तरे े ही भरोसे सााँस लेता और जीता ये कहंदुस्तान है। तुझसे ही सरहद की रौनक तू ही उसका कनगहवान हैं, नफरत मे़ं भिकते शोलों पर करता प्यार की बरसात है, न कभी िरे ना कभी हारे चलते रहे अगं ारो प,े सीने मंे़ हो तूफान लाखों पर होठों पर मुस्कान हो तेरे । हाथों में़ सगं ीत चाहे तरे े लबों पे मीठे गान हो , धमा तेरा , देश- कमा हो, देश ही तरे ी शान हो। कहरल बाटले किा ,- दसवी ं अ
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