सभी ग्रहों व भावों का व्यक्ति के जीवन में समान रूप से महत्व है, लेकिन जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में। इसीलिए किसी भी ग्रह या भाव को अधिक महत्वपूर्ण नहीं बताया जा सकता है। अधिकतर यह कहा जाता है कि यदि किसी भाव में अशुभ ग्रह जैसे कि शनि, मंगल, राहू और केतु हो तो वे उस भाव को बिगाड़ देते हैं। इसी तरह, मित्र ग्रह जैसे बुध, बृहस्पति और शुक्र किसी विशेष घर में बैठ कर हमेशा अनुकूल परिणाम ही देते हैं। यह सही नहीं है।एक शक्तिहीन ग्रह अशुभ होकर भी बहुत हानिकारक नहीं हो सकता। सभी 12 भावों का आपस में गहरा सम्बन्ध होता है इसलिए किसी भी भाव को अनदेखा नहीं किया जा सकता | चौथा भाव आपके उन कर्मों को भी दिखाता है जो पूर्व जन्म में अधूरे रह गए थे।