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ई पत्रिका-2021 flipbook

Published by BABULAL MALI, 2022-03-04 08:08:04

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के न्द्रीय विद्यालय िायसु ेना स्थल समाना KENDRIYA VIDYALAYA AIRFORCE STATION SAMANA (AHEMDABAD REGION) स्पदं न विद्यालय पत्रिका -2021-22 के न्द्रीय विद्यालय िायुसेना स्थल सामना 1

हमारा ध्येय “तत ् त्वं पषू न ् अपावणृ ु” इस सनातन उपननषद् वाक्य के अनुसार ववद्यार्थयि ों की अन्तननहि ित शक्क्तयों व क्षमताओं को जाग्रत करते िुए सवशि ्रेष्ठ , सुसभ्य एवं उत्तरदानयत्व से पररपूणि नागररक बनने िेतु प्रेररत करना िै | स्वस्थ शरीर के साथ साथ ससु ंस्काररत एवं सकारात्मक ऊजाि से युक्त मानससक बल प्रदान करना िै | अर्िगम की सवशि ्रेष्ठता के साथ-साथ व्याविाररक जीवन के प्रनत सचेत करते िुए पयािवरण सरं क्षण एवं स्वच्छता के प्रनत उत्तरदायी बनाना िै | 2























































































िमसे िी िै िरती सारी फू ल िै िम इस बर्गया के फै ला यि आसमान िै || खुशबू फै लाना काम िै | बढ़-चढ़कर आगे जाएगँा े ऊाँ चे िी उठते जाना िै करते काम मिान िंै || आगे िी बढ़ते जाना िै | बढे चलेंग,े निीं रुकें गे िम भारत की शान िंै || नाम-क्जया कक्षा-नौंवी मशक्षक िो कहलाते है अँिा रे े जीवन मंे िमारे नया सवेरा लाते िै उनकी ऊाँ ची शान िै सशक्षक वो किलाते िै सिी गलत का पाठ वो पढ़ाते िै उनका उत्तम स्थान िै सशक्षक वो किलाते िै आदर , सच्चाई की राि पर चलना वो ससखाते वो तो भगवान िै सशक्षक वो किलाते िै ............. िैशाली परमार कक्षा :- सातिीं 46

म्ज़न्द्दगी खसु शयां कम और अरमान बिुत िैं, क्जसे भी देखो परेशान बिुत िैं। सफ़र में िूप तो िोगी जो चल सको तो चलो सभी िंै क्ज़न्दगी की भीड़ मंे तमु भी ननकल सको तो चलो। करीब से देखा तो ननकला रेत का घर, मगर दरू से इसकी शान बिुत िंै। क्ज़न्दगी में ककसी वास्ते रािंे किाँा बदलती िंै तमु अपने आप को खदु िी बदल सको तो चलो । किते िंै कक सच का कोई मुकाबला निीं मगर आज के दौर में झूठ की पिचान बिुत िंै। यिाँा ककसी को कोई आसानी से रास्ता निीं देता कफर भी क्ज़न्दगी के सफ़र मेंर्गर के अगर तुम सभं ल सको तो चलो। क्ज़न्दगी तमु ्िे वि निीं देगी जो तुम्िें चाहिए, क्ज़न्दगी तुम्िें वि देगी , क्जसके कात्रबल तुम िो। मुक्चकल से समलता िै ,शिर में आदमी ,…. 47

यूं तो किने को इंसान बिुत िैं। नाम :- काजल राठौड़ कक्षा :- XII- (बारहिीं) ननबंि नतृ ्य भी मानवीय असभव्यक्क्तयों का एक रसमय प्रदशनि िै | यि एक सावभि ौम कला िै, क्जसका जन्म मानव जीवन के साथ िुआ | बालक जन्म लेते िी रोकर अपने िाथ पैर मार कर अपनी भावासभव्यक्क्त करता िै कक वि भखू ा िै –इन्िीं आंर्गक-कक्याओं से नतृ ्य की उत्पवत्त िुई िै | यि कला देवी-देवताओं दैत्य दानवों –मनषु ्यों एवं पश-ु पक्षक्षयों को अनत वप्रय िै | भारतीय पुराणों में यि दषु ्ट नाशक एवं ईचवर प्राक्प्त का सािन मानी गई िै | अमतृ मंथन के पचचात ् जब दषु ्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त िोने का संकट उत्पन्न िुआ तब भगवान ् ववष्णु ने मोहिनी का रूप िारण क् अपने लास्य नतृ ्य के द्वारा िी तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्क्त हदलाई थी | इसी प्रकार भगवान ् शंकर ने जब कु हटल बदु ्र्ि दैत्य भस्मासरु की तपस्या से प्रसन्न िोकर उसे वरदान हदया कक वि क्जसके ऊपर िाथ रखेगा वि भस्म िो जाए – तब उस दषु ्ट राक्षस ने स्वयं भगवान ् को िी भस्म करने के सलए कहटबद्ि िो उनका पीछा ककया-एक बार कफर तीनों लोक सकं ट में पड़ गए थे तब कफर भगवान ् ववष्णु ने मोहिनी का रूप िारण कर अपने मोिक सौन्दयपि ूणि नतृ ्य से उसे अपनी ओर आकृ ष्ट कर उसका वि ककया | नतृ ्य भी मानवीय असभव्यक्क्तयों का एक रसमय प्रदशनि िै | यि एक सावभि ौम कला िै , क्जसका जन्म मानव जीवन के साथ िुआ िै | बालक जन्म लेते िी रोकर अपने अपने िाथ पैर मार कर अपनी भावासभव्यक्क्त करता िै कक वि भखू ा िै- इन्िीं आंर्गक –कक्याओं से नतृ ्य की उत्पवत्त िुई िै | यि कला देवी देवताओं –दैत्य दानवों –मनुष्यों एवं पशु पक्षक्षयों को अनत वप्रय िै | भारतीय परु ाणों मंे यि दषु ्ट नाशक एवं ईचवर प्राक्प्त का सािन मानी गई िै | अमतृ मंथन के पचचात ् जब दषु ्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त िोने का सकं ट उत्पन्न िुआ तब भगवान ् ववष्णु ने मोहिनी का रूप िारण कर अपने लास्य नतृ ्य के द्वारा िी तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्क्त हदलाई थी | इसी प्रकार भगवान शंकर ने जब कु हटल बुद्र्ि दैत्य भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न िोकर उसे वरदान हदया कक वि क्जसके ऊपर िाथ रखगे ा वि भस्म िो जाए – तब उस दषु ्ट राक्षस ने स्वयं भगवान को िी भस्म करने के सलए कहटबद्ि िो उनका पीछा ककया – एक बार कफर तीनों लोक संकट मंे 48

पड़ गए थे तब कफर भगवान ् ववष्णु ने मोहिनी का रूप िारण कर अपने मोिक सौन्दयपि ूणि नतृ ्य से उसे अपनी ओर आकृ ष्ट कर उसका वि ककया | नाम – पल कडडवार कक्षा- सातवीं सपनों की नगरी मबंु ई भारत के पक्चचमी तट पर क्स्थत मुबं ई (पूवि नाम बम्बई) , भारतीय राज्य मिाराष्र की राजिानी िै | इसकी अनमु ाननत: जनसंख्या 03 करोड़ 29 लाख िै जो देश की पिली सवारि ्िक आबादी वाली िै | इसका गठन लावा ननसमति सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा िुआ िै एवं यि पुल द्वारा प्रमुख भू-खडं के साथ जड़ु ा िुआ िै | ममु ्बई बदं रगाि भारतवषि का सवशि ्रेष्ठ सामुहरक बंदरगाि िै | मंबु ई का तट कटा-फटा िै | क्जसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृ नतक एवं सुरक्षक्षत िै | यरू ोप, अफ्ीका ,अमरे रका आहद पक्चचमी देशों से जलमागि या वायमु ागि से आनवे ाले जिाज यािी एवं पयटि क सवपि ्रथम मुबं ई िी आते िंै , इससलए मुबं ई को भारत का प्रवेशद्वार किा जाता िै | मबुं ई को सपनों का शिर भी किा जाता िै | नाम – पल कडडवार कक्षा- सातवीं हहदं ी देश को एकता के सि में बािं सकने मंे सक्षम है | भारत की मातभृ ाषा हिदं ी को सम्मान देने के सलए प्रनतवषि हिदं ी हदवस मनाया जाता िै | हिदं ी ववचव की एक प्राचीन , समदृ ्ि तथा मिान भाषा िोने के साथ िी िमारी राजभाषा भी िै | भारत की स्वतंिता के बाद 14 ससतम्बर 1949 को सवं विान सभा ने एक मत से यि ननणयि सलया कक हिदं ी की खड़ी बोली िी 49

भारत की राजभाषा िोगी | इस ननणयि के बाद 1953 ई. से सम्पणू ि भारत में 14 ससतम्बर को प्रनतवषि हिदं ी-हदवस के रूप में मनाया जाता िै | जो हिदं ी भाषा के मित्त्व को दशािता िै | अगं ्रेजी बोलने वाला ज्यादा ज्ञानी और बदु ्र्िमानी िोता िै | तथाकर्थत पाचचात्य संस्कृ नत और भाषा प्रसे मयों की यि गलत िारणा के सशकार िोकर हिदं ी भावषयों के प्रनत िीन भावना पदै ा करते िैं , जो सरासर गलत िै और ननरािार िै | प्रगनत और ज्ञान का आिार ककसी भी भाषा के साहित्य-कोश और समदृ ्ि परम्परा से िोता िै और साथ मंे उसके व्यविाररक प्रयोग पर ननभरि िोती िै | आज ववचव पटल पर हिदं ी अपने मोहिनी रूप से सभी को आकवषति कर रिी िै | भारत के अर्िकांश राज्यों में हिदं ी बोली और समझी जाती िै | इसे अपनी मौसलकता के रूप मंे स्वीकार करके िाराप्रवाि रुप से अपने ववचारों को प्रकट ककया जा रिा िै , जो चलाघनीय िै | क्योंकक मौसलक ववचार िमशे ा अपनी मातभृ ाषा मंे िी सवसि ुलभ िोते िै | हिदं ी भाषा की श्रेष्ठता की तलु ना करना अपने आत्मववचवास पर सन्देि प्रकट करने जैसा िै | अत: आज िमें अपने गौरव पर ववचवास बढाते िुए आगे बढ़ना िोगा न कक िीनभावना से ग्रससत िोकर बैठना िै | बस अपने दृढ़ववचवास पर अटल रिने की आवचयकता िै | हिदं ी को ववचव भाषा बनने के सलए अब भी दनु नया के 129 देशों के समथनि की आवचयकता िै | वतमि ान मंे हिदं ी ववचव की दसू री सबसे बड़ी भाषा िै | हिदं ी के ज्यादातर शब्द ससं ्कृ त , अरबी और फ़ारसी भाषा से सलए गए िै | जिााँ अंग्रजे ी के दस िजार मूल शब्द िंै विीँी हिदं ी के ढ़ाई लाख से भी ज्यादा मूल शब्द िैं | हिदं ी िमारी मातभृ ाषा िै और िमें इसका आदर और सम्मान करना चाहिए | हिदं ी हदवस पर िमंे यि सकं कप लेना चाहिए कक िम हिदं ी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना ननस्वाथि सियोग प्रदान कर हिदं ी भाषा के बल पर भारत को ववचव गरु ु बनाने मंे सकारात्मक प्रयास करेंगे | नाम –िेत्वी कक्षा- दशमी भारत की प्रथम महहलाएं 50


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