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THE Alchemist (Hindi) (Hindi Edition) (Coelho, Paulo) (z-lib.org)

Published by EPaper Today, 2022-10-05 15:41:14

Description: THE Alchemist (Hindi) (Hindi Edition) (Coelho, Paulo) (z-lib.org)

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ॲ के म ट

ॲ के म ट पाओलो कोएलो अनुवाद : मदन सोनी मजं ुल प ल शग हाउस

First published in India by Manjul Publishing House Corporate and Editorial Office • 2nd Floor, Usha Preet Complex, 42 Malviya Nagar, Bhopal 462 003 - India Sales and Marketing Office • 7/32,Ansari Road, Daryaganj, New Delhi 110 002 - India Website: www.manjulindia.com Distribution Centres Ahmedabad, Bengaluru, Bhopal, Kolkata, Chennai, Hyderabad, Mumbai, New Delhi, Pune First published as “O Alquimista” in Portuguese by Editora Rocco Ltd. Hindi translation of The Alchemist by Paulo Coelho Copyright © 1988 by Paulo Coelho This hindi edition was published by arrangements with Sant Jordi Asociados Agencia Literaria S.L.U., Barcelona, Spain. All rights reserved. http://paulocoelhoblog.com This edition first published in 2020 ISBN 978-93-90085-19-4 Translation by Madan Soni Cover design © Laura Beers & Jim Tierney All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval system, or transmitted, in any form or by any means (electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise) without the prior written permission of the publisher. Any person who does any unauthorized act in relation to this publication may be liable to criminal prosecution and civil claims for damages.

क मयागर (ॲ के म ट) के लए, जो महान कृ त व के रह य को जानता है और उनका उपयोग करता ह।ै

बना पाप-कम के गभ म आयी हे मेरी! हमारे लए ाथना कर क हम तेरी ओर मड़ु सक। आमीन!

अब जब वे अपने ग त क ओर चले जा रहे थ,े तो उ ह ने एक गावँ म वेश कया और माथा नामक एक ी ने अपने घर म ईसा का वागत कया। उसक एक बहन थी, मेरी, जो भु के चरण म बैठकर उनके उपदेश सुनने लगी। ले कन माथा अपने मेहमान क सवे ा म ब त त और थी; और वह उनके पास प ँची और बोली, - हे भ,ु या आपको इसक कोई परवाह नह क मरे ी इस बहन ने आपक सवे ा के लए मझु े अके ला छोड़ दया है? उससे क हए क वह मरे ी मदद कर!े ले कन भु ने उसे जवाब दया, - माथा, माथा, तमु ब त-सी चीज़ को लके र च तत और परशे ान हो, ले कन मरे ी ने अ छ भू मका चनु ी ह,ै जो उससे छ नी नह जा सकती। यकू , 10, 38.42

अनु म णका तावना वेश भाग एक भाग दो उपसहं ार पाओलो कोएलो और ॲ के म ट के बारे म कु छ और साम ी पाओलो कोएलो के साथ सा ा कार लेखक प रचय : पाओलो कोएलो सवाल, जनके कोई जवाब नह ह

तावना

ज ब द ॲ के म ट का काशन 1988 म मेरे अपने देश ाज़ील म आ था, तो इसक ओर कसी का यान नह गया था। देश के उ र-पूव कोने के एक पु तक- व े ता ने मुझसे कहा था क पु तक के जारी होने के पहले स ताह म मा एक ने यह पु तक ख़रीद थी। पु तक क सरी त से छु टकारा पाने म पु तक- व े ता को अगले छह महीने लग गए थे - और यह वही था जसने पहली त ख़रीद थी! और कौन जानता है क तीसरी त के बकने म कतना समय और लगा था। साल के बीतते-बीतते यह बात हर कसी के मन म साफ़ हो चुक थी क द ॲ के म ट चल नह रही थी। मेरे मलू काशक ने मुझसे नजात पाने और मेरा अनुब ध समा त कर देने का फ़ै सला कर लया। उसने इस योजना से अपने हाथ झाड़ लए और पु तक को मरे े हवाले कर दया। म इकतालीस साल का था और हताश था। ले कन मने इस पु तक पर से कभी अपनी आ था नह खोयी, या इसको लके र मझु े कभी कोई वधा नह ई। य ? य क उसके भीतर म वयं था, मरे ा सव व, मेरा दय और मेरी आ मा। म अपने ही पक को जी रहा था। एक आदमी, एक ख़ूबसरू त और जा ई थल का वाब देखता आ, कसी अ ात ख़ज़ाने क खोज म, या ा पर नकल पड़ता है। अपनी या ा के अ त म उस आदमी को समझ म आता है क वह ख़ज़ाना तो इस पूरे समय वयं उसके भीतर था। म अपनी नजी कवदंती का अनुसरण कर रहा था, और लखने क मता ही मेरा ख़ज़ाना था। और म इस ख़ज़ाने को नया के साथ बाटँ ना चाहता था। जसै ा क मने द ॲ के म ट म लखा ह,ै जब आप कसी चीज़ क आकां ा करते ह, तो सारा ससं ार गपु चपु ढंग से आपक मदद करता है। मने सरे काशक के दरवाज़े खटखटाने शु कए। एक दरवाज़ा खुला और उसके सरी ओर खड़े काशक ने मुझम और मरे ी पु तक म व ास जताया और वह द ॲ के म ट को एक और मौक़ा देने पर राज़ी आ। धीर-े धीरे एक ज़बान से सरी ज़बान तक ख़बर फै लती गयी और अ ततः पु तक बकने लगी - तीन हज़ार, फर छह हज़ार, दस हज़ार - एक-एक करके धीर-े धीरे पूरे साल भर के भीतर उसक ब बढ़ती गयी। आठ महीने बाद ाज़ील क या ा पर आए एक अमे रक ने पु तक क एक थानीय कान से द ॲ के म ट क एक त ख़रीद । वह इस पु तक का अनुवाद करना चाहता था और उसके लए अमे रका म कोई काशक ढूँढने म मेरी मदद करना चाहता था। हापर

कॉ ल स इसे अमे रक पाठक-वग तक प चँ ाने पर सहमत आ। उसने इसे धमू धाम से का शत कया : यू यॉक टाइ स तथा भावशाली प का म व ापन, रे डयो और टे ल वज़न पर इंटर ू। तब भी पु तक क ब म कु छ व त लगा, वह ज़बान-दर-ज़बान चचा के रा ते उसी तरह अपने पाठक तक प चँ ी, जैसे ाज़ील म प ँची थी। और फर एक दन, बल लटं न क एक तसवीर छपी जसम वे इस पु तक क त हाथ म लये ाइट हाउस से नकलते दख रहे थ।े इसके बाद मैडोना ने इस पु तक के बारे म वै नट फ़े यर म ब त उ साह के साथ बात क , और फर तो - रश ल बॉ और वल मथ से लके र महा व ालय के छा और अपने ब च को खले के लए े रत करने वाली माता तक - व भ े के लोग इसके बारे म बात करने लग गए। द ॲ के म ट एक वतः फू त - और जीती-जागती - घटना बन गयी। पु तक यू यॉक टाइ स क सवा धक बकने वाली पु तक क फ़े ह र त म शा मल हो गयी, जो क कसी भी लेखक के लए एक क तमान होता ह,ै और वह इस फ़े ह र त म चार सौ से य़ादा स ताह तक बनी रही। अ सी से य़ादा भाषा म इसका अनुवाद हो चकु ा ह।ै अब तक भाषा क इतनी बड़ी सं या म कसी भी जी वत लेखक क कसी पु तक का अनुवाद नह आ है। और इसक गणना ापक तौर पर बीसव सद क दस े पु तक म होती ह।ै लोग अभी भी मझु से पूछते ह क या म जानता था क द ॲ के म ट को इतनी ज़बरद त कामयाबी मलेगी। इसका जवाब है, नह । मझु े कोई अनुमान नह था। हो भी कै से सकता था? जब म द ॲ के म ट लखने बठै ा था, तो म सफ़ इतना जानता था क म अपनी आ मा के बारे म लखना चाहता ।ँ म अपना ख़ज़ाना हा सल करने क खोज के बारे म लखना चाहता था। मझु े जो पूव-सकं े त मल रहे थ,े म उनका अनुसरण कर रहा था, य क म जानता था क ये संके त ई र क वाणी होते ह। हालाँ क, द ॲ के म ट कु छ साल पहले लखी गयी थी, तब भी यह अतीत क नशानी नह है। मरे े दय और मेरी आ मा क ही तरह इसका जीवन जारी ह,ै य क मरे ा दय और आ मा इसम मौजदू ह। म वह गड़ रया बालक स टयागो ँ जो अपने ख़ज़ाने क खोज कर रहा ह,ै ठ क उसी तरह जसै े आप अपने ख़ज़ाने क खोज म लगे स टयागो ह। एक क कहानी हर क कहानी है, और एक क खोज सारी मनु यता क खोज ह,ै यही मरे े इस व ास क वजह है क द ॲ के म ट इतने वष बाद भी सारी नया क व भ सं कृ तय के लोग के भीतर अपनी अनुगजूँ बनाये ए ह,ै उनको समान प से बना कसी पूवा ह के भावना मक और आ मक तर पर छू रही है। म द ॲ के म ट को नय मत प से बार-बार पढ़ता ँ और हर बार मुझे वसै ी ही अनुभू त होती है जसै ी तब ई थी जब मने इसे लखा था। और म या महसूस करता ँ, यह म आपको बताता ँ। म सुख महसूस करता ँ, य क यह मरे ा सव व है, और इसी के

साथ-साथ यह आपका भी सव व है। म इस लए भी सखु महससू करता ँ य क म जानता ँ क म कभी भी अके ला नह पड़ सकता। म जहाँ कह भी जाता ँ, लोग मुझे समझते ह। वे मरे ी आ मा को समझते ह। इससे मझु े उ मीद मलती रहती है। जब म नया म जारी टकराव - राजनी तक टकराव , आ थक टकराव , सां कृ तक टकराव - के बारे म पढ़ता ,ँ तो म याद करता ँ क ऐसे पलु बनाना हमारी साम य म ह,ै जसको पार कया जा सकता ह।ै अगर मरे ा पड़ोसी भी मेरे मज़हब को नह समझता, या मेरी राजनी त को नह समझता, तब भी वह मेरे क़ से को समझ सकता ह।ै अगर वह मरे े क़ से को समझ सकता ह,ै तो वह मझु से ब त र नह है। पुल बनाना हमेशा मरे ी साम य म है। सामजं य बैठाने का अवसर हमशे ा मौजूद ह,ै इस बात का अवसर क एक दन म उके साथ मेज़ पर बैठँूगा और टकराव के हमारे इ तहास को ख़ म कर ँगा। और उस दन वह मझु े अपना क़ सा सुनाएगा और उसको म अपना क़ सा सनु ाऊँ गा। पाओलो कोएलो, 2018 अँ ज़े ी अनुवाद : मागरटे यलु को टा

वशे

क मयागर (ॲ के म ट) ने एक पु तक उठायी, जो कारवाँ के कसी ने ख़रीद थी। उसके प े पलटते ए उसे उसम ना ससस के बारे म एक क़ सा मला। क मयागर को ना ससस क कवदंती के बारे म मालमू था। वह अपनी ही सु दरता को ग़ौर से देखने के लए रोज़ एक सरोवर के तट पर झुककर उसम झाँका करता था। वह अपने आप से इस क़दर मो हत आ क एक सुबह वह उस सरोवर म जा गरा और डूब गया। जस जगह पर वह गरा था, वहाँ वह फू ल पदै ा आ, जसे ना ससस कहा जाता था। ले कन लखे क ने अपना क़ सा इस तरह समा त नह कया था। उसका कहना था क जब ना ससस मर गया, तो वनदे वयाँ वहाँ कट और उ ह ने पाया क वह सरोवर जो हमशे ा मीठे पानी से भरा रहता था, खारे आसँ ु के सरोवर म बदल चकु ा था। “तुम य रोते हो?” दे वय ने पूछा। “म ना ससस के लए रोता ँ,” सरोवर ने जवाब दया। “आह, यह आ य क बात नह क तमु ना ससस के लए रोते हो,” उ ह ने कहा, “ य क हम जंगल म हमशे ा उसका पीछा करते रहते थ,े ले कन तमु अके ले थ,े जो उसक सु दरता को इतने क़रीब से नहार सके ।” “ले कन… या ना ससस सु दर था?” सरोवर ने पूछा। “यह बात तुमसे बेहतर कौन जानता ह?ै ” दे वय ने व मत होकर कहा। “आ ख़रकार, ये तु हारे ही तो तट थ,े जहाँ वह हर रोज़ झुककर ख़दु को नहारा करता था!” सरोवर कु छ देर ख़ामोश रहा। अ त म, उसने कहा, “म ना ससस के लए रोता ज़ र ,ँ ले कन मने इस पर कभी यान नह दया था क ना ससस सु दर था। म इस लए रोता ँ, य क जब भी वह मरे े तट पर झकु ता था, तो उसक आँख क गहराई म ख़दु मरे ी सु दरता त ब बत होती थी।” “ या ही ख़ूबसूरत क़ सा है,” क मयागर ने सोचा। कथानुवाद : लफ़ोड ई. लडस

भाग एक

ल ड़के का नाम स टयागो था। जब वह अपनी भेड़ के झु ड के साथ उस वीरान गरजाघर म प चँ ा तब शाम ढल रही थी। गरजाघर क छत ब त पहले कभी गर चकु थी, और जस थान पर कभी ाथना-साम ी का क आ करता था, वहाँ अब चनार का एक वशाल दर त उग आया था। उसने वह पर रात बताने का फ़ै सला कया। उसने टूटे दरवाज़े से सारी भड़े को अ दर कया, और उसके बाद वहाँ लकड़ी के कु छ ल से एक बाड़ तयै ार कर द ता क रात म भेड़ बाहर नकलकर यहा-ँ वहाँ न भटकने पाए।ँ वैसे उस इलाक़े म भे ड़ये तो नह थे, ले कन एक बार रात म एक भेड़ बाहर कह जा भटक थी, और लड़के को अगला पूरा दन उसको तलाशते ए बरबाद करना पड़ा था। उसने अपनी जकै े ट से फ़श को बुहारा और जो पु तक उसने अभी-अभी पढ़कर समा त क थी, उसे त कये क तरह इ तमे ाल कर लटे गया। उसने मन-ही-मन कहा क अबसे मझु े मोट पु तक पढ़नी ह गी : वे ल बे समय तक चलती ह और उनके त कये भी यादा आरामदेह होते ह। अभी अधँ ेरा ही था, जब उसक न द खुली, और, जब उसने ऊपर क ओर देखा, तो उसे टूट ई छत के पार तारे दखायी दए। मुझे कु छ देर और सोते रहना चा हए था, उसने सोचा। उसने रात म वही सपना एक बार फर देखा था, जो एक ह ते पहले देखा था, और एक बार फर वही आ था क सपना पूरा होने के पहले ही उसक न द खलु गयी थी। वह उठा, और अपनी लाठ लेकर उन भेड़ को जगाने लगा, जो अभी भी सोयी ई थ । उसने देखा था क उसके जागते ही उसके यादातर जानवर भी हलने-ढुलने लगे थ।े मानो कोई रह यमयी श थी, जसने उसके जीवन को उन भड़े के जीवन से बाँध रखा था, जनके साथ वह पछले दो वष गज़ु ार चुका था, और भोजन-पानी क तलाश म उनको इस गाँव से उस गाँव तक ले जाता रहा था। “उनको मरे ी इस क़दर आदत पड़ चुक है क अब वे समझने लगी ह क म कब या करता ँ,” वह बुदबदु ाया। इस बारे म कु छ पल सोचने के बाद उसे लगा क बात इसके उलट भी हो सकती है क वह ख़ुद ही उनक दनचया का आद हो गया हो। ले कन उनम से कु छ भड़े ऐसी भी थ , ज ह ने जागने म थोड़ा य़ादा व त लया।

उसने एक-एक कर उनको अपनी लाठ से क चते ए उनका नाम लके र पुकारा। उसका हमशे ा से यह व ास रहा था क वह जो कु छ भी कहता है, भड़े उसे समझ लते ी ह। इसी लए ऐसे व त भी आते रहे थे जब कसी पु तक को पढ़ते ए उसे उसके जो ह से ब त भा वत करते थ,े वे ह से वह भेड़ को पढ़कर सनु ाया करता था, या ऐसे व त जब वह उनको चारागाह म जीवन गुज़ारते गड़ रय के अके लपे न या खु शय के बारे म बताता था। कभी-कभी वह उनके सामने उन चीज़ पर ट प णयाँ भी कया करता था, जो उसने उन गाँव म देखी होती थ , जहाँ से वे गुज़रे होते थे। ले कन पछले कु छ दन से वह उनसे सफ़ एक ही बात करता रहा था : एक लड़क के बारे म, जो उस गावँ के एक कानदार क बेट थी जहाँ वे चार दन बाद प ँचने वाले थ।े उस गाँव म वह एक ही बार गया था, पछले साल। वह कानदार कपड़ क एक कान का मा लक था, और वह हमशे ा कहा करता था क भेड़ का ऊन उसी के सामने काटा जाए, ता क कसी तरह क कोई धोखाधड़ी न हो। उसके एक दो त ने उसे उस कान के बारे म बताया था और वह भेड़ को लेकर वहाँ गया था। *** “म कु छ ऊन बेचना चाहता ँ,” लड़के ने कानदार से कहा। कान म ाहक क भीड़ थी, इस लए कानदार ने गड़ रये से दोपहर बाद तक इ तज़ार करने को कहा। लड़का कान क सी ढ़य पर बैठ गया और उसने अपने थैले से एक पु तक नकाल ली। “म नह जानती थी क गड़ रये पढ़ना भी जानते ह,” उसके पीछे से एक लड़क क आवाज़ आयी। वह लड़क एडं ालू सया इलाक़े क ख़ास पहचान लये ए थी : लहराते ए काले बाल, और मरू वजते ा क फ क -सी याद दलात आँख। “हा,ँ वैसे म पु तक से य़ादा अपनी भेड़ से सीखता ँ,” उसने जवाब दया। उनके बीच दो घ टे तक बातचीत होती रही, जस दौरान लड़क ने बताया क वह उस कानदार क बटे ह।ै उसने गाँव के जीवन के बारे म बताया क वहाँ हर दन एक जैसा होता है। गड़ रये ने उसे एडं ालू सया के देहात के बारे म बताया, और उन क़ ब क ख़बर सुनाय , जहाँ कता आ वह आया था। वह अभी तक भड़े से ब तयाता आया था, इस लए यह वातालाप एक सुखद बदलाव था। “तमु ने पढ़ना कै से सीखा?” बातचीत के दौरान लड़क ने पछू ा। “जैसे हर कोई सीखता ह,ै ” उसने कहा, “ कू ल म।” “अ छा, अगर तु ह पढ़ना आता ह,ै तो फर तुम नरे गड़ रये य हो?”

जवाब म लड़का कु छ यँू बुदबुदाया जससे वह उसके सवाल का जवाब टाल सकता। वह अ छ तरह से जानता था क लड़क उसक बात कभी नह समझ पाएगी। उसने अपनी या ा के क़ से जारी रखे, और लड़क ख़ौफ़ और अचरज से अपनी मरू ी आखँ फाड़े उसक बात सुनती रही। जसै े-जैसे समय बीतता गया, लड़के ने पाया क वह कामना कर रहा था क काश! वह दन कभी न बीत,े लड़क का बाप उसी तरह त बना रहे और उससे तीन दन तक इ तज़ार कराता रहे। उसने पाया क वह कु छ ऐसा अनुभव कर रहा था जैसा उसने उसके पहले कभी नह कया था : हमेशा-हमशे ा के लए एक जगह पर टककर रहने क आकां ा। उसे लगा क काले बाल वाली उस लड़क के साथ उसके दन कभी पहले जैसे नह रह जाएगँ ।े ले कन आ ख़रकार वह कानदार कट आ, और उसने लड़के से चार भेड़ का ऊन काटने को कहा। उसने ऊन क क़ मत चकु ायी और लड़के से अगले बरस फर से आने को कहा। *** और अब सफ़ चार दन बाक़ थ,े जब वह एक बार फर उसी गाँव म प ँचने वाला था। वह उ जे ना से भरा आ था, और उसी के साथ-साथ असहज भी महसूस कर रहा था : या जान,े वह लड़क उसे भूल ही चुक हो। इस बीच न जाने कतने गड़ रये आए ह गे और अपना ऊन बेच गए ह ग।े “इससे कोई फ़क नह पड़ता,” उसने अपनी भड़े से कहा। “म सरी जगह क कई सरी लड़ कय को जानता ।ँ ” ले कन उसका दल जानता था क इससे फ़क पड़ता ह।ै और वह जानता था क समु म लाह और घुम तू व े ता क ही तरह गड़ रय को भी कभी-कभी कोई ऐसा क़ बा मल ही जाता है जहाँ कोई ऐसा होता है जससे मलकर वे न त ख़ानाबदोशी के जीवन के आन द को भूल जाते ह। आसमान से सूरज झाँकने लगा था, और गड़ रये ने अपनी भेड़ से सरू ज क दशा म चलने को कहा। इनको कभी कोई फ़ै सला नह लने ा पड़ता, उसने सोचा। शायद यही वजह है क वे हमेशा उसके क़रीब बनी रहती ह। भड़े को तो सफ़ भोजन और पानी से ही सरोकार था। जब तक लड़का एडं ालू सया म सबसे अ छे चारागाह खोजने के क़ा बल बना रहगे ा, वे उसक दो त बनी रहगी। हाँ, उनके सब दन समान होते थे, दन उगने से लेकर दन डूबने तक वही अ तहीन जसै ा लगता समय; और उ ह ने अपने जीवन म कभी कोई पु तक नह पढ़ थी, और जब लड़का उनको शहर के दशनीय थल के बारे म कु छ बताता था, तो उनको कु छ भी समझ म नह आता

था। वे तो भोजन और पानी मा से स तु थ और, बदले म, वे उदारतापवू क अपना ऊन, अपना साथ, और - कभी-कभार - अपना गो त दे दया करती थ । लड़के ने सोचा, अगर म आज एक दै य बन जाता, और उ ह एक-एक कर मार डालने का फ़ै सला कर लेता, तो उनको तभी इस बात का अहसास होता जब य़ादातर रवे ड़ को काट डाला गया होता। वे मझु पर भरोसा करती ह, और वे भलू चकु ह क उनको कस तरह अपनी सहज बु पर भरोसा करना चा हए, य क म ही उनका भरण-पोषण करता ।ँ लड़के को अपने इन ख़याल पर आ य आ। उसने सोचा, हो सकता है क उस गरजाघर और उसके अ दर उगे चनार पर कोई भतू सवार हो। उसी क वजह से उसको वह सपना बारा दखा हो, और उसी क वजह से उसे अपने इन वफ़ादार सा थय पर ग़ सा आ रहा हो। उसने वह थोड़ी-सी वाइन पी, जो पछली रात के भोजन के बाद बची रह गयी थी, और फर अपनी जैके ट को अपने शरीर के और क़रीब ख च लया। वह जानता था क अब से कु छ ही घ टे बाद, जब सूरज सर पर आ चकु ा होगा, तब गम इतनी बढ़ चकु होगी क उसे अपने रेवड़ को मैदान से हाकँ कर ले जाना मु कल हो जाएगा। वह ग मय के दन का वह व त होता था जब सारा-का-सारा पने सो जाता था। गम रात होने तक बनी रहती थी, और उसे पूरे समय अपनी जकै े ट को ढोना पड़ता था, ले कन जब उसके मन म उसके बोझ को लके र शकायत का भाव पैदा आ, तो उसने याद कया क यह जकै े ट ही थी जसक वजह से वह भोर क ठ ड का सामना कर पाता था। हम बदलाव के लए तयै ार रहना ज़ री ह,ै उसने सोचा, और उसके मन म जैके ट के वज़न और गरमाहट के त कृ त ता उमड़ आयी। जैके ट का अपना एक उ े य था, और लड़के का भी अपना एक उ े य था। उसके जीवन का उ े य या ा करना था, और, एडं ालू सया के इलाक़े म दो साल तक सफ़र करने के बाद वह उस इलाक़े के सारे शहर से वा कफ़ हो चुका था। उसक योजना थी क इस या ा के दौरान वह उस लड़क को समझाएगा क कस तरह एक साधारण गड़ रया जानता है क पढ़ना कै से सीखा जा सकता ह।ै वह उसे बताएगा क उसने सोलह साल क उ तक पाठशाला म पढ़ाई क थी। उसके माँ-बाप चाहते थे क वह पादरी बनता, और इस तरह एक साधारण कसान प रवार के गौरव का ोत बनता। वे महज़ भोजन और पानी जुटाने क ख़ा तर कड़ी महे नत करते थ,े जैसे ये भेड़ करती ह। उसने लै टन, पे नश और धमशा क पढ़ाई क थी, ले कन बचपन से ही उसक वा हश नया को जानने क रही थी, और यह ई र के बारे म जानने तथा आदमी के पाप को समझने से य़ादा मह वपूण था। एक दोपहर, जब वह अपने प रवार से मलने प ँचा, तो उसने कसी तरह ह मत जुटाकर अपने पता से कहा क वह पादरी नह बनना चाहता। वह या ा करना चाहता है।

*** “बेटा, तमाम नया के लोग इस गाँव से होकर गज़ु रे ह,” उसके पता ने कहा। “वे नयी चीज़ क खोज म आते ह, ले कन जब वे यहाँ से जा रहे होते ह तो वे वसै -के -वैसे बने रहते ह जैसे पहले थ।े वे क़ले को देखने पहाड़ पर चढ़ते ह, और वे अ त म यही सोचते ह क गज़ु रा ज़माना आज के ज़माने से बेहतर था। भले ही उनके बाल भरू े ह , या चमड़ी काली हो, ले कन वे बु नयाद तौर पर होते वसै े ही ह जसै े यहाँ के लोग ह।” ले कन म क़ ब म जाकर वहाँ के वे क़ले देखना चाहता ,ँ जनम लोग रहते ह,” लड़के ने समझाया। “वे लोग जब हमारे गावँ देखते ह, तो कहते ह क वे यहाँ हमशे ा के लए बस जाना चाहते ह,” उसके पता ने अपनी बात जारी रखी। “ठ क है, म भी उनके मु क देखँगू ा, और देखँगू ा क वे कस तरह रहते ह,” बटे े ने कहा। “जो लोग यहाँ आते ह, उनके पास ढेर सारा पैसा होता है, इस लए वे या ा कर पाते ह,” उसके पता ने कहा। “हमारे बीच तो सफ़ वही लोग या ाएँ करते ह जो गड़ रये होते ह।” “तो ठ क है, म गड़ रया ही बनूगँ ा!” उसके पता ने फर कु छ नह कहा। अगले दन उसने बटे े के लए एक बटुआ दया जसम सोने के तीन ाचीन पे नश स के थ।े “ये स के मुझे एक दन खेत म मले थ।े म चाहता था क ये तु ह वरासत म मलत।े ले कन अब तमु इनसे अपनी भड़े ख़रीदना। जाओ चारागाह म, ले कन एक दन आएगा जब तु ह समझ म आएगा क हमारे गावँ से अ छ जगह कोई सरी नह ह,ै और हमारे यहाँ क य से सु दर कोई सरी याँ नह ह।” और उसने लड़के को आशीवाद दया। लड़का वयं अपने पता क आँख म नया का मण करने म स म होने क आकां ा देख सकता था - एक ऐसी आकां ा जो अभी भी जी वत थी, बावजूद इसके क उसके पता पीने के लए पानी, खाने के लए भोजन और हर रात एक ही छ पर तले सोने के बोझ तले वष पहले उस आकां ा को दफ़ना चुके थ।े *** तज पर ला लमा छायी ई थी, और अचानक सरू ज कट आ। लड़के ने अपने पता से ई उस बातचीत के बारे म सोचा, और खुश आ; इस बीच वह ब त-से क़ले देख चुका था और ब त-सी य से मल चुका था (ले कन उसक बराबरी कोई नह कर सकती थी, जो उसके बाद से कई दन तक उसक राह देखती रही थी)। उसके पास एक जकै े ट थी, एक पु तक थी जसके बदले म वह सरी पु तक ख़रीद सकता था, और भेड़ का एक झु ड

था। ले कन सबसे अहम बात यह थी क वह हर दन अपने सपने को जी पा रहा था। अगर वह एडं ालू सया के चारागाह से तगं आ जाता, तो वह अपनी भड़े को बेचकर समु पर जा सकता था। जब वह समु से ऊब जाएगा, तो तब तक वह सरे ब त-से नगर , ब त-सी य , और सखु ी होने के सरे ब त-से अवसर से वा कफ़ हो चुका होगा। म पाठशाला म ई र को नह पा सका, उसने उगते सूरज क ओर देखते ए सोचा। जब भी मुम कन होता, वह सफ़र के लए कोई नया रा ता ढँूढ लेता था। वह उस वीरान गरजाघर म कभी नह गया था, बावजदू इसके क वह उन ह स से कई बार गुज़र चकु ा था। नया ब त वशाल और अन त थी; उसको अपनी भेड़ को उस रा ते पर थोड़ी देर चलने देने भर क ज़ रत थी, और वह सरी दलच प चीज़ का पता लगा सकता था। सम या यह है क उनको इस बात का अहसास ही नह होता क वे हर दन एक नए रा ते पर चल रही होती ह। उ ह समझ ही नह आता क जन चरागाह म वे होती ह, वे नये होते ह और मौसम बदलते रहते ह। वे तो सफ़ भोजन और पानी के बारे म ही सोच पाती ह। हो सकता है हम सभी ऐसे ही ह , लड़के ने सोचा। मुझे ही लो - जबसे म उस कानदार क बटे से मला ँ, मने कसी सरी ी के बारे म सोचा ही नह । सरू ज क ओर देखते ए उसने हसाब लगाया क वह दोपहर के पहले टे रफ़ा प चँ जाएगा। वहाँ वह इस पु तक के बदले थोड़ी मोट -सी पु तक ले सकता ह,ै वाइन क अपनी बोतल भरा सकता है, दाढ़ बना सकता है, बाल कटवा सकता ह;ै उसे उस लड़क से मलु ाक़ात क तैयारी करनी ज़ री थी, और वह इस स भावना के बारे म नह सोचना चाहता था क कोई सरा गड़ रया, भेड़ का उससे बड़ा झु ड लेकर वहाँ पहले ही प चँ चकु ा हो और लड़क का हाथ मागँ चुका हो। कसी सपने के साकार होने क स भावना ही ज़ दगी को दलच प बनाती है, उसने सूरज क थ त पर एक बार फर नज़र डालते ए सोचा, और अपनी चाल तेज़ कर द । उसे सहसा याद आया क टे रफ़ा म एक बु ढ़या ह,ै जो सपन को पढ़ना जानती ह।ै *** वह बु ढ़या लड़के को घर के पछवाड़े एक कमरे म ले गयी; उस कमरे और उसके बैठक क के बीच रंग- बरंगे मनक का एक परदा डला आ था। कमरे म एक मेज़, यीशु के प व दय क एक तसवीर और दो कु सयाँ थ । वह ी बठै गयी और उसने लड़के से भी बैठ जाने को कहा। फर उसने लड़के क दोन हथे लयाँ अपने हाथ म थाम ल , और धीमे वर म ाथना करने लगी। वह कसी ज सी ाथना क तरह लगती थी। लड़के को ज सय का अनुभव था जो उसे रा ते म मलते रहे थ;े वे भी या ा कया करते थ,े ले कन उनके साथ भड़े नह होती थ । लोग का कहना था क ज सी सर को ठगकर अपना जीवन गज़ु ारते ह। यह भी कहा

जाता था क उनका शैतान के साथ समझौता था, और वे ब च का अपहरण कर उनको अपने रह यमय डेर पर ले जाते थे और उनको अपना ग़लाम बनाकर रखते थ।े लड़का बचपन म इस आशकं ा से बहे द डरा रहता था क कह उसको ज सी न पकड़ ले जाए,ँ और इस लए जब उस औरत ने उसके हाथ अपने हाथ म लये तो उसका बचपन का वह डर वापस लौट आया। ले कन फर लड़के ने ख़ुद को सा वना देते ए सोचा क उस औरत ने वहाँ ईसा के प व दय क तसवीर लगा रखी ह।ै वह नह चाहता था क उसके हाथ कापँ ने लग और औरत को लगे क वह डर रहा ह।ै “ब त ही दलच प,” औरत ने लड़के क हथे लय पर अपनी नज़र गड़ाए रखते ए कहा, और फर वह ख़ामोश हो गयी। लड़का अ दर-ही-अ दर घबरा रहा था। उसके हाथ कापँ ने लग,े और औरत ने इसे महसूस कया। लड़के ने ज द -से अपने हाथ वापस ख च लये। “म यहाँ आपसे अपनी हाथ क रेखाएँ पढ़वाने नह आया था,” उसने कहा। उसे वहाँ आने पर पछतावा हो रहा था। पल भर को उसके मन म आया क वह उसक फ़ स अदा करे और वहाँ से चलता बने। उसे यह भी लगा क वह बार-बार आने वाले अपने उस सपने को कु छ य़ादा ही अह मयत दे रहा ह।ै “तुम यहाँ इस लए आए थे ता क अपने सपने के बारे म जान सकत,े ” बु ढ़या ने कहा, “और सपने ई र क ज़बान होते ह। जब वह हमारी ज़बान म बात करता ह,ै तो म समझ सकती ँ क उसने हमसे या कहा है। ले कन अगर वह आ मा क ज़बान म बात करता है, तो फर सफ़ तुम ही उसे समझ सकते हो। बहरहाल, जो भी हो, म तुमसे इस सलाह के लए फ़ स तो लूगँ ी ही।” लड़के ने सोचा, यह भी इसक एक और चाल ह,ै ले कन फर उसने जो खम उठाने का मन बना लया। आ ख़र एक गड़ रये को भे ड़य और भूख से नपटने के जो खम तो उठाने ही पड़ते ह, और यही चीज़ उसके जीवन को रोमाचं क बनाए रखती ह।ै “मुझे एक ही सपना दो बार आया ह,ै ” उसने कहा। “सपने म मने देखा क म अपनी भड़े के साथ एक चारागाह म ,ँ तभी एक ब ची आयी और वह भड़े के साथ खले ने लगी। मझु े यह पसदं नह है क लोग ऐसा कर, य क भेड़ अजन बय से डर जाती ह, ले कन लगता है क ब चे उनको डराये बना उनके साथ खले सकते ह। म इसक वजह नह जानता। म नह जानता क भेड़ को इंसान क उ के बारे म कै से पता चल जाता ह।ै ” “मुझे अपने सपने के बारे म और बताओ,” औरत ने कहा। “मझु े अपना खाना पकाना है, और तु हारे पास य़ादा पसै े तो ह नह , इस लए म तु ह य़ादा व त नह दे सकती।” “वह ब ची मेरी भेड़ के साथ कु छ देर खेलती रही,” लड़के ने कु छ अनमने भाव से

कहा। “और फर उस ब ची ने अचानक मरे े दोन हाथ पकड़े और मुझे म के परा मड पर ले गयी।” वह पल भर को का, यह जानने के लए क या वह औरत जानती है क म के परा मड या ह, ले कन औरत ने कु छ नह कहा। “ फर, म के परा मड पर,” - ये श द उसने ब त धीर-े धीरे बोले थ,े ता क औरत उनको समझ सके - उस ब ची ने मझु से कहा, ‘अगर तुम यहाँ आओग,े तु ह यहाँ पर एक छपा आ ख़ज़ाना मलगे ा।’ और जस व त वह मुझे ठ क-ठ क वह जगह दखाने वाली थी, जहाँ वह ख़ज़ाना छपा आ था, तभी मरे ी न द खुल गयी। दोन बार।” औरत कु छ देर ख़ामोश रही। फर उसने दोबारा उसके हाथ अपने हाथ म ले लये और उनको ग़ौर से देखने लगी। “अब म तमु से कोई फ़ स नह लँूगी,” उसने कहा। “ले कन अगर तु ह वह ख़ज़ाना मल गया, तो म उसका दसवाँ ह सा लगूँ ी।” लड़का खशु होकर हँस पड़ा। वह इस लए ख़शु था क छपे ए ख़ज़ाने के उस सपने क वजह से वह अपना वह थोड़ा-सा पसै ा बचा पा रहा था जो उसके पास था! “ठ क ह,ै इस सपने के बारे म समझाओ,” उसने कहा। “सबसे पहले क़सम खाओ। क़सम खाओ क जो म तु ह बताने वाली ँ, उसके बदले म तुम मझु े अपने ख़ज़ाने का दसवाँ ह सा दोगे।” गड़ रये ने क़सम खायी। बु ढ़या ने उससे ईसा के प व दय क ओर देखते ए फर से क़सम खाने को कहा। “यह सपना ससं ार क भाषा म ह,ै ” उसने कहा। “म इसक ा या कर सकती ँ, ले कन यह ा या ब त मु कल है। यही वजह है क मझु े लगता है क जो कु छ तु ह मलने वाला ह,ै उसके एक ह से पर मरे ा हक़ बनता ह।ै “और यह रही मरे ी ा या : तु ह म के परा मड पर जाना चा हए। मने उनके बारे म कभी सुना तो नह ह,ै ले कन अगर वे तु ह कसी ब ची ने दखाए थ,े तो इसका मतलब है क उनका वजूद ह।ै वहाँ तु ह एक ख़ज़ाना मलगे ा जो तु ह अमीर बना देगा।” पहले तो लड़के को थोड़ा आ य आ, फर चढ़ भी ई। यह जानने के लए तो उसे बु ढ़या क ज़ रत नह थी! ले कन फर उसे याद आया क इसके लए उसे कोई पसै ा नह देना है। “ सफ़ इतनी-सी बात के लए मझु े अपना व त बरबाद करने क ज़ रत नह थी,” उसने कहा। “मने तुमसे पहले ही कहा था क तु हारा सपना मु कल क़ म का है। ब त सरल दखने वाली चीज़ ही ज़ दगी क सबसे असाधारण चीज़ होती ह; सफ़ अ लम द लोग ही

उनको समझ सकते ह। और चँू क म अ लम द नह ँ, इसी लए मुझे हाथ क रेखाएँ पढ़ने जसै ी सरी कलाएँ सीखनी पड़ी ह।” “ठ क है, ये बताओ क म म प ँचूँगा कै स?े ” “म तो सफ़ सपन क ा या करती ।ँ म उनको वा त वकता म बदलना नह जानती। इस लए मुझे अपना जीवन चलाने के लए अपनी बे टय पर नभर रहना पड़ता है।” “और अगर म कभी म तक प चँ ही न पाया तो?” “तो मझु े कु छ भी नह मलेगा। वैसे भी यह पहली बार नह होगा।” और फर औरत ने लड़के से कहा क अब तमु जाओ, वसै े भी म तु हारे साथ अपना ब त व त बरबाद कर चुक ।ँ लड़का ब त नराश था; उसने फ़ै सला कर लया क वह आगे से कभी सपन पर व ास नह करेगा। उसे याद आया क उसे ब त सारे काम नपटाने थे : उसने बाज़ार जाकर कु छ खाया, अपनी पु तक के बदले उससे कु छ मोट -सी एक पु तक हा सल क , और जो नयी वाइन उसने ख़रीद थी, उसे चखने के लए वह चौक क एक बच पर जाकर बैठ गया। दन गरम था, और वाइन पीकर उसे ताज़गी मली। उसक भेड़ नगर के ार पर उसके एक दो त के तबेले म थ । लड़का इस नगर के ब त-से लोग से प र चत था। इसी वजह से उसे या ा आक षत करती थी - वह हमेशा नए दो त बना लेता था, और उनके साथ उसे अपना सारा समय भी नह गज़ु ारना पड़ता था। जब कसी को उ ह -उ ह लोग को रोज़-रोज़ देखना पड़ता ह,ै जैसा क उसके साथ पाठशाला म आ करता था, तो वे लोग अ ततः उस क ज़ दगी का ह सा बन जाते ह। और फर वे उस को बदलना चाहते ह। अगर कोई वैसा नह होता जसै ा सरे लोग उसे देखना चाहते ह, तो वे लोग उससे नाराज़ हो जाते ह। लगता है क हर के दमाग़ म प प यह धारणा बठै होती है क सरे लोग को अपना जीवन कै से जीना चा हए, ले कन ख़ुद उसे कै सा जीवन जीना चा हए, यह बात वह नह जानता। उसने फ़ै सला कया क वह तब तक इ तज़ार करगे ा जब तक क सूरज और थोड़ा ढल नह जाता, इसके बाद ही वह अपने रेवड़ को लके र मैदान को पार करगे ा। अब से तीन दन बाद वह उस कानदार क बटे के साथ होगा। वह पु तक पढ़ने लगा जो उसने ख़रीद थी। पहले ही प े पर उसम एक अ तम सं कार का वणन कया गया था। और जो लोग उस अ तम सं कार म शा मल थ,े उनके नाम का उ चारण करना मु कल था। उसने सोचा, अगर वह कभी कोई पु तक लखगे ा, तो वह एक व त म एक ही का वणन करगे ा ता क पाठक को ढेर सारे लोग के नाम याद न रखना पड़।

जब वह अ ततः उस चीज़ पर यान एका कर सका, जो वह पढ़ रहा था, तो उसे पु तक य़ादा बेहतर लगने लगी; उस दन बफ़ गर रही थी जब शव को दफ़नाने का वह सं कार कया जा रहा था, और इससे उसे सद का जो अहसास आ, वह उसको अ छा लगा। वह अभी पढ़ ही रहा था क तभी एक बूढ़ा आदमी आकर उसक बग़ल म बठै गया और उससे बातचीत करने क को शश करने लगा। “वे लोग या कर रहे ह?” बूढ़े ने चौक म मौजदू लोग क ओर इशारा करते ए पछू ा। “काम कर रहे ह,” लड़के ने बढ़ू े को यह अहसास दलाने क गरज से क वह अपनी पु तक पर यान देना चाहता ह,ै खे ढंग से जवाब दया। दरअसल, वह कानदार क बटे के सामने अपनी भड़े का ऊन काटने के बारे म सोच रहा था, ता क लड़क देख सके क वह मु कल काम कर सकता ह।ै इस य क क पना वह पहले भी कई बार कर चुका था; उस य म वह हर बार जब भी लड़क को समझाता था क भड़े का ऊन पीछे से आगे क ओर काटना होता है, तो लड़क म मु ध होकर उसे देखने लगती थी। उसने कु छ अ छे क़ से भी याद करने क को शश क , ता क वह उ ह ऊन काटते समय लड़क को सनु ा सके । इनम से य़ादातर क़ से उसने पु तक म पढ़े थ,े ले कन उसने सोचा क वह उनको इस तरह पशे करगे ा जसै े वे उसके नजी अनुभव ह । वह इस फ़क को कभी नह समझ पाएगी, य क उसे पढ़ना नह आता था। इस बीच, वह बूढ़ा उसको बातचीत म लगाने क अपनी को शश करता रहा। उसने लड़के से कहा क वह थका आ है और यासा है, और फर उसने लड़के क वाइन से एक चु क लेने क इ छा ज़ा हर क । लड़के ने इस उ मीद से अपनी बोतल बूढ़े के आगे कर द क इससे बूढ़ा उसे अके ला छोड़ देगा। ले कन बढ़ू ा बात करना चाहता था, और उसने लड़के से उस पु तक के बारे म पछू ा जो वह पढ़ रहा था। लड़के का मन कर रहा था क वह खाई बरतते ए कसी सरी बच पर चला जाए, ले कन फर उसे अपने पता क यह सीख याद आयी क हम बुजग क इ ज़त करनी चा हए। इस लए उसने वह पु तक बूढ़े को पकड़ा द - दो वजह से : पहली यह क वह ख़ुद नह जानता था क पु तक के शीशक का उ चारण कै से कर;े और सरी यह क अगर बढ़ू े को पढ़ना नह आता होगा तो वह ख़दु ही शायद श म दा होकर कसी सरी बच पर चला जाएगा। “ ँ…,” बढ़ू े ने पु तक को हर तरफ़ से देखते ए कहा, मानो वह कोई अजीबो-ग़रीब चीज़ हो। “यह एक मह वपणू पु तक ह,ै ले कन इसे पढ़कर वाक़ई खीझ होती ह।ै ” लड़के को झटका लगा। मतलब यह क बढ़ू ा न के वल पढ़ना जानता था ब क उस पु तक को भी वह पढ़ चकु ा था। और अगर पु तक खीझ पैदा करने वाली थी, जैसा क बढ़ू े का कहना था, तो लड़के के पास अभी भी मौक़ा था क वह उसक जगह कोई सरी पु तक

ले आता। “यह ऐसी पु तक है, जो वही बात कहती है, जसे नया क लगभग सभी पु तक कहती ह,” बढ़ू े ने कहा। “यह पु तक बताती है क लोग अपनी नय त का चयन ख़ुद नह कर पाते। और पु तक अ ततः यह कहती है क हर कोई नया के सबसे बड़े झूठ म व ास करता है।” “ नया का वह सबसे बड़ा झूठ या ह?ै ” लड़के ने अचरज से भरकर पछू ा। “वह यह है : अपने जीवन के एक ख़ास मक़ाम पर हमारा उस चीज़ पर कोई वश नह रह जाता जो हमारे साथ हो रहा होता है, और हमारी ज़ द गयाँ नय त ारा नय त होने लगती ह। यह नया का सबसे बड़ा झठू ह।ै ” “ऐसा तो मेरे साथ कभी नह आ,” लड़के ने कहा। “मेरे प रवार के लोग मुझे पादरी बनाना चाहते थ,े ले कन मने गड़ रया बनने का फ़ै सला कया।” “ य़ादा अ छा है,” बढ़ू े ने कहा। “ य क तु ह वाक़ई सफ़र करना अ छा लगता ह।ै ” “यह जानता है क म या सोच रहा ,ँ ” लड़के ने मन-ही-मन कहा। इस बीच, बूढ़ा पु तक के प े पलटने लगा था। लगता था जैसे पु तक वापस करने का उसका कोई इरादा न हो। लड़के ने यान दया क बढ़ू े क पोशाक व च -सी थी। वह कसी अरबी क तरह लगता था, जनक मौजूदगी इन इलाक़ म असामा य बात नह थी। अ का टे रफ़ा से कु छ ही घ ट क री पर था; आपको नाव से सँकरी खाड़ी को पार करने भर क ज़ रत थी। अरबी इस शहर म अ सर दखायी दे जाते थे, ख़रीदारी करते ए और दन म कई बार अपनी व च -सी ाथनाएँ करते ए। “आप कहाँ के रहने वाले ह?” लड़के ने पछू ा। “ब त-सी जगह का।” “ब त-सी जगह का तो कोई नह हो सकता,” लड़के ने कहा। “म एक गड़ रया ँ, और म ब त-सी जगह पर गया ,ँ ले कन म ँ तो एक ही जगह का रहने वाला - वह शहर एक ाचीन क़ले के पास ह।ै मेरा ज म वह आ था।” “तब ठ क है, हम कह सकते ह क मरे ा ज म सलमे म आ था।” लड़का नह जानता था क सलमे कहाँ है, ले कन वह पूछना भी नह चाहता था, य क उसे डर था क इससे वह अ ानी लगेगा। वह कु छ देर चौक के लोग क ओर देखता रहा; वे यहाँ-वहाँ आ-जा रहे थ,े और सब-के -सब ब त त दखायी दे रहे थ।े “अ छा, तो सलेम है कै सा?” उसने सुराग़ लेने क को शश क । “वैसा ही है जैसा हमशे ा से रहा ह।ै ” अभी भी कोई सरु ाग़ नह , ले कन इतना वह जानता था क सलेम एडं ालू सया म तो नह था। अगर होता, तो उसने उसके बारे म ज़ र सुना होता।

“और आप सलमे म करते या ह?” लड़का पीछे पड़ा रहा। “म सलमे म या करता ँ?” बूढ़ा हसँ पड़ा। “दरअसल, म सलमे का राजा ँ!” लोग अजीबो-ग़रीब बात करते ह, लड़के ने सोचा। कभी-कभी लगता है क भेड़ के साथ रहना ही बेहतर है, जो कु छ भी नह कहत । और उससे भी बेहतर है क आप अके ले ह , बस आपक पु तक भर आपके साथ हो। जब आपका मन उनके क़ से सुनने का होता है तो वे आपको अपने आ यजनक क़ से सनु ाती ह, ले कन जब आप लोग से बात करते ह, तो उनसे आपको ऐसी व च बात सनु ने को मलती ह क आपको यह भी नह सझू ता क बातचीत जारी कै से रखी जाए। “मेरा नाम मे क ज़डे ेक ह,ै ” बढ़ू े ने कहा। “तु हारे पास कतनी भड़े ह?” “काफ़ ,” लड़के ने कहा। वह समझ रहा था क बढ़ू ा उसक ज़ दगी के बारे म और भी कु छ जानना चाहता था। “तब तो यह एक सम या है। अगर तु ह लगता है क तु हारे पास काफ़ भेड़ ह, तो म तु हारी कोई मदद नह कर सकता।” लड़के को अब खीझ होने लगी थी। वह तो कोई मदद मागँ नह रहा था। यह तो ख़ुद बढ़ू ा था जसने उससे उसक वाइन पीने को मागँ ी थी, और बातचीत शु क थी। “मुझे मरे ी पु तक द जए,” लड़के ने कहा, “मझु े जाना ह,ै अपनी भड़े को इक ा कर आगे क या ा पर नकलना ह।ै ” बढ़ू े ने कहा, “मझु े अपनी भेड़ का दसवाँ ह सा दे दो, तो म तु ह बताऊँ गा क तुम छपे ए ख़ज़ाने को कै से हा सल कर सकते हो”। लड़के को अपना वाब याद आया, और सहसा सारी थ त उसके सामने साफ़ हो गयी। बु ढ़या ने उससे कोई पसै े नह लए थ,े ले कन यह बढ़ू ा - जो ममु कन है उसका प त हो - कोई ऐसा तरीक़ा खोज रहा है क वह एक ऐसी चीज़ के बारे म जानकारी देने के बदले य़ादा पैसा ठ सके जस चीज़ का वजदू भी न हो। यह बूढ़ा भी शायद ज सी ह।ै ले कन इसके पहले क लड़का कु छ कह पाता, बूढ़े ने लकड़ी का एक टुकड़ा उठाया और चौक के फ़श क रते पर उससे कु छ लखने लगा। उसक छाती से कोई चीज़ इतनी तज़े ी-से चमक क पल भर को लड़के क आँख च धया गय । बढ़ू े ने उस चीज़ को इतनी फु त -से अपने लबादे से ढँक लया क उसक उ को देखते ए वसै ी फु त का अ दाज़ा नह लगाया जा सकता था। जब लड़का फर से देख पाने क थ त म आया, तो उसने वह पढ़ा जो बढ़ू े ने रते पर लखा था। उस छोटे-से शहर के चौक क रते पर लड़के ने अपने पता, अपनी माँ और अपनी पाठशाला के नाम लखे देख।े वहाँ उसने कानदार क लड़क का वह नाम भी पढ़ा जो वह

ख़ुद नह जानता था, और ऐसा और भी कु छ पढ़ा जसके बारे म उसने कभी कसी को बताया ही नह था। *** “म सलेम का राजा ँ,” बूढ़े ने कहा था। “आ ख़र एक राजा कसी गड़ रये से बात य करगे ा?” लड़के ने व मय और संकोच के साथ पछू ा। “ब त-सी वजह ह। ले कन फ़लहाल सबसे मह वपूण वजह यह है क तमु अपनी नय त को खोजने म कामयाब रहे हो।” लड़का नह जानता था क क ‘ नय त’ या होती ह।ै “वही जो तुम हमशे ा से पाना चाहते रहे थ।े अपनी जवानी म हर कोई जानता है क उसक नय त या ह।ै “उनक ज़ दगी के उस मक़ाम पर सब कु छ साफ़ होता है और सब कु छ ममु कन होता है। वे सपने देखने से नह डरते, और न ही उस हर चीज़ क लालसा करने से डरते ह जसे वे अपनी ज़ दगी म घ टत होते देखना चाहते ह, ले कन जसै े-जैसे समय बीतता जाता ह,ै कोई रह यमय श उनके मन म यह व ास जमाना शु कर देती है क अपनी नय त को पा पाना उनके लए असभं व है।” बढ़ू े ने जो कु छ भी कहा था, उसम से कोई भी बात लड़के के ख़ास प ले नह पड़ी थी। ले कन वह उस ‘रह यमय श ’ के बारे म ज़ र जानना चाहता था; जब वह सौदागर क लड़क को उसके बारे म बताएगा तो वह ब त भा वत होगी! “यह श लगती तो नकारा मक ह,ै ले कन दरअसल वह तु ह अपनी नय त तक प चँ ने का रा ता दखाती है। वह तु हारे उ साह और तु हारे सकं प को मज़बूत करती ह,ै य क इस पृ वी का एक ही महान स य है : तमु जो भी कोई हो, या तमु जो भी कु छ करते हो, जब तमु वा तव म कु छ पाना चाहते हो, तो इस लए चाहते हो य क यह इ छा इस कायनात क ह से ज मी होती ह।ै उसे हा सल करना इस पृ वी पर तु हारी मु हम ह।ै ” “चाहे वह इ छा या ा करने क ही य न हो? या कपड़ के कसी ापारी क लड़क से शाद करने क ही य न हो?” “हाँ, या ख़ज़ाने क खोज क ही य न हो। इस कायनात क ह लोग के सुख से अपना पोषण ा त करती ह।ै और उनके ख, ेष और ई या से भी। अपनी नय त को हा सल कर लने ा ही क एकमा वा त वक ज़ मदे ारी ह।ै सभी बात एक जैसी ह। “और जब आप कु छ चाहते ह, तो उसे हा सल करने म सारा ससं ार एकजुट होकर

आपक मदद करने लगता है?” कु छ देर वे दोन ख़ामोश होकर चौक और वहाँ शहर के लोग क ग त व धयाँ देखते रहे, फर बढ़ू े ने नए सरे-से बातचीत क पहल क । “तुम भड़े य चराते हो?” “ य क मुझे या ा करना अ छा लगता है।” बूढ़े ने डबल रोट बचे ने वाले एक आदमी क ओर इशारा कया, जो चौक के एक सरे पर अपनी कान म खड़ा था। “वह आदमी भी अपने बचपन म या ाएँ करना चाहता था, ले कन उसने अपनी बके री खोलकर कु छ पसै ा जमा करने का फ़ै सला कया। उसका इरादा है क जब वह बूढ़ा हो जाएगा, तो एक महीना अ का म गुज़ारगे ा। उसे कभी इस बात का अहसास नह आ क लोग चाह तो अपनी ज़ दगी के कसी भी मक़ाम पर वह कर सकते ह, जसका वे वाब देखते ह।” “उसे गड़ रया बनने का फ़ै सला करना चा हए था,” लड़के ने कहा। “हाँ, उसने इस बारे म सोचा था,” बूढ़े ने कहा। “ले कन बके री वाल क अह मयत गड़ रय से य़ादा होती ह।ै बके री वाल के अपने घर होते ह, जब क गड़ रये खुले म सोते ह। माँ-बाप अपने ब च क शाद गड़ रय क बजाय बके री वाल से ही करना बहे तर समझग।े ” लड़के के मन म कानदार क बेट का ख़याल आया, तो उसके दल म एक क उठ । उस लड़क के शहर म न य ही कोई बेकर होगा। बूढ़े ने बात जारी रखी, “अ ततः गड़ रय और बेकर के बारे म लोग के ख़याल उनक अपनी नय त से य़ादा अहम हो जाते ह।” बढ़ू े ने पु तक के प े पलटे और अचानक एक प े पर ककर वह उसे पढ़ने लगा। लड़के ने पहले तो इ तज़ार कया, ले कन फर उसने बूढ़े को ठ क उसी तरह टोक दया जैसे बढ़ू े ने उसे टोक दया था। “आप मुझसे यह सब कु छ य कह रहे ह?” “ य क तमु अपनी नय त को हा सल करने क को शश कर रहे हो। और तुम उस मक़ाम पर हो, जब तमु यह सारी को शश रोक सकते हो।” “और इसी मक़ाम पर आप अचानक कट हो जाते ह?” “हमशे ा इसी तरह नह होता, ले कन हाँ, म कसी-न- कसी प म कट ज़ र होता ।ँ कभी-कभी म कसी समाधान, या एक अ छ सझू क श ल म कट होता ँ। कभी, कसी नणायक ण म, थ तय को आसान बना देता ँ। और भी कु छ म करता ,ँ ले कन य़ादातर मामल म लोग को इस बात का अहसास ही नह होता क मने उनके लए कु छ कया ह।ै ” बढ़ू े ने बताया क पछले ह ते उसे मजबरू होकर एक ख नक (खदान खोदने वाल)े के

सामने कट होना पड़ा था, और एक प थर क श ल अ ़ तयार करनी पड़ी थी। उस ख नक ने प ा को खोद नकालने क ख़ा तर सब कु छ याग दया था। पाचँ साल तक वह एक नद पर काम करता रहा था और उसने प ा क तलाश म उस नद के हज़ार प थर को उलट-पलट डाला था। वह ख नक अपनी सारी को शश को ठ क उस व त छोड़ने ही वाला था, जब अगर वह मा एक और प थर को - मा एक और प थर को - जाचँ ता, तो उसे उसका प ा मल गया होता। चँू क वह ख नक अपनी नय त क ख़ा तर हर चीज़ क क़बानी दे चकु ा था, इस लए बूढ़े ने उसम भागीदारी करने का फ़ै सला कया। उसने ख़ुद को एक प थर म बदल लया, जो लढ़ु कता आ उस ख नक के पैर के पास तक चला गया। ख नक के पाचँ साल थ गए थ,े जससे वह इतना नाराज़ और कु ठत था क उसने उस प थर को उठाकर एक तरफ़ फक दया, ले कन उसने उसको इतनी ज़ोर-से फका था क जस प थर से वह टकराया, वह टूट गया, और उस टूटे ए प थर म संसार का सबसे सु दर प ा फँ सा आ था। “लोग अपनी ज़ दगी के शु आती वष म ही अपने होने क वजह को समझ जाते ह,” बढ़ू े ने एक ख़ास तरह के तीखे लहज़े म कहा। “शायद इसी लए वे ज द ही को शश करना भी ब द कर देते ह, ले कन होता यही ह।ै ” लड़के ने बूढ़े को याद दलाया क उसने छपे ए ख़ज़ाने के बारे म कु छ कहा था। “ख़ज़ाना पानी के तेज़ बहाव से उजागर होता है, और वही तेज़ बहाव उसे दफ़ना देता है,” बढ़ू े ने कहा। अगर तमु अपने ख़ज़ाने के बारे म जानना चाहते हो, तो तु ह अपनी भड़े का दसवाँ ह सा मुझे देना होगा।” “और अगर म अपने ख़ज़ाने का दसवाँ ह सा देने का वादा क ँ तो?” बढ़ू े के चेहरे पर नराशा दखायी द । “अगर तमु उस चीज़ को देने के वादे के साथ शु करोगे जो तु हारे पास अभी है ही नह , तो उस चीज़ को हा सल करने क दशा म काम करने क तु हारी इ छा ही नह रह जाएगी।” लड़के ने उसे बताया क वह तो ख़ज़ाने का दसवाँ ह सा देने का वादा एक ज सी से पहले ही कर चकु ा है। “ ज सी लोग से ऐसे वादे कराने म मा हर होते ह,” बढ़ू े ने गहरी साँस लेते ए कहा। “ख़ैर, ये अ छा है क तमु ने यह सीख लया है क ज़ दगी म हर चीज़ के लए एक क़ मत चुकानी होती ह।ै यही तो वह चीज़ है जो काश के यो ा (वॉ रयस ऑफ़ द लाइट) सखाने क को शश करते ह। बूढ़े ने लड़के को पु तक लौटा द । “कल, इसी व त, अपनी भड़े का दसवाँ ह सा मुझे लाकर दो, और म तु ह छपे ए ख़ज़ाने को हा सल करने का तरीक़ा बताऊँ गा। गडु आ टरनून।”

और वह चौक के कोने म कह ग़ायब हो गया। *** लड़का फर से अपनी पु तक पढ़ने लगा, ले कन अब उसका मन नह लग रहा था। वह तनाव म था और परेशान था, य क वह जानता था क बढ़ू े का कहना सही था। वह बके री गया जहाँ से उसने डे ख़रीद और सोचता रहा क बढ़ू े ने इस बेकर के बारे म जो कु छ कहा था, वह उसे बताये या न बताये। कभी-कभी चीज़ को उनके हाल पर छोड़ देना ही अ छा होता है, उसने मन-ही-मन सोचा, और चुप रहने का ही फ़ै सला कया। अगर वह कु छ भी कह देगा, तो बेकर तीन दन तक सब कु छ छोड़ देने के बारे म सोचता रहगे ा, भले ही उसे अब इन सब चीज़ क आदत पड़ चकु है। इस लए वह शहर म भटकने लगा, और चलते- चलते नगर के ार पर जा प चँ ा। वहाँ एक छोट -सी इमारत थी, जसक खड़क से लोग अ का जाने के लए ट कट ख़रीदते थ।े और उसे मालूम था क म अ का म है। “ या म तु हारी कु छ मदद कर सकता ँ?” खड़क के पीछे बठै े आदमी ने पछू ा। “शायद कल,” लड़के ने वहाँ से आगे बढ़ते ए कहा। अगर वह अपनी एक भड़े बेच दे, तो उसके पास इतना पया त पसै ा होगा क वह आसानी-से खाड़ी के सरे कनारे पर प चँ जाएगा। इस ख़याल ने उसे डरा दया। “एक और वाब देखने वाला,” ट कट बचे ने वाले ने जाते ए लड़के को देखकर अपने सहयोगी से कहा। “उसके पास या ा करने लायक़ पैसा नह है।” ट कट क खड़क पर खड़े-खड़े लड़के को अपनी भड़े क याद आयी, और उसने फ़ै सला कया क उसे गड़ रया ही बने रहना चा हए। दो साल म उसने चरवाहे के काम से स ब धत सारी चीज़ सीख ली थ : वह भड़े का ऊन नकालना जानता था, गभवती भड़े क देखभाल करना जानता था, और भेड़ को भे ड़य से बचाना जानता था। वह एडं ालू सया के सारे मैदान और चारागाह से वा कफ़ था। और उसे अपनी एक-एक भड़े के वा जब दाम क जानकारी थी। उसने ल बे-से-ल बे रा ते से अपने दो त के तबेले पर लौटने का फ़ै सला कया। जब वह शहर के क़ले के क़रीब से होकर गुज़रा, तो उसने अपनी वापसी को लगाम द , और प थर क उस ढलान पर चढ़ गया जो द वार के ऊपर तक जाती थी। वहाँ से वह र अ का को देख सकता था। कभी कसी ने उससे कहा था क यह वही जगह थी, जहाँ से मूर आए थे और उ ह ने सारे पने पर क ज़ा कर लया था। जहाँ वह बैठा था, वहाँ से वह लगभग सारा शहर देख सकता था, उस चौक समेत, जहाँ बैठकर उसने बढ़ू े से बातचीत क थी। बुरा हो उस घड़ी का जब वह बढ़ू ा मझु े मला था, उसने सोचा। वह तो सफ़ उस औरत क तलाश म इस शहर म आया था जो उसके सपने को

पढ़ सकती थी। ले कन वह औरत और वह बूढ़ा, दोन ही उसके गड़ रया होने से ज़रा भी भा वत नह ए। वे ऐसे एकाक ह जनका नया क चीज़ पर से व ास उठ चुका ह,ै और वे यह समझ ही नह पाते क एक गड़ रये को अपनी भेड़ से कतना लगाव होता है। वह अपने रेवड़ क एक-एक भेड़ को जानता था : वह जानता था क कौन-कौन सी लँगड़ी ह,ै कौन अब से दो महीने बाद ब चा जनने वाली ह,ै और कौन सबसे य़ादा आलसी है। वह उनका ऊन कतरना जानता था, और उनको हलाल करना जानता था। उसने सोचा क अगर मने कभी उनको छोड़ दया तो वे ब त ख झेलगी। हवा तेज़ हो चली थी। वह उस हवा से वा कफ़ था : लोग उसे लवटर कहते थे, य क मरू इसी पर सवार होकर भूम यसागर के पूरबी छोर पर बसे लवट से यहाँ आए थे। लवटर और भी तेज़ी-से बहने लगी। म यहाँ ,ँ अपनी भेड़ और अपने ख़ज़ाने के बीच, लड़के ने सोचा। उसे दो चीज़ के बीच चनु ाव करना ज़ री था : एक, जसका वह आद हो चकु ा था, और सरी वह जो वह पाना चाहता था, फर कानदार क बटे भी थी, ले कन वह उसके लए उतनी मह वपणू नह थी, जतनी उसक भड़े थ , य क वह उस पर नभर नह थी। ममु कन है क उसे मरे ी याद भी न हो, उसने सोचा। वह अ छ तरह से जानता था क वह लड़क के सामने कसी दन कट आ था, लड़क को इससे कोई फ़क नह पड़ा था, य क लड़क के लए हर दन एक जसै ा था, और जब हर दन अगले दन जैसा ही होता है, तो वह इस लए होता है, य क लोग उन अ छ घटना को पहचान ही नह पात,े जो उनके जीवन म सूरज के उगने के साथ हर दन घ टत होती ह। म अपनी मा,ँ अपने पता, और अपने नगर के क़ले को पीछे छोड़ आया ।ँ उनको मरे े र चले जाने क आदत पड़ चकु है, उसी तरह मुझे भी उनसे र रहने क आदत पड़ चुक है। भड़े को भी मेरे उनके साथ न होने क आदत पड़ जाएगी, लड़के ने सोचा। जहाँ पर वह बैठा था, वहाँ से वह चौक को देख सकता था। बके र क कान पर लोग क आवाजाही अभी भी जारी थी। जस बच पर बठै कर उसने बढ़ू े से बातचीत क थी, वहाँ अब एक नौजवान जोड़ा बठै ा आ था और वे चु बन ले रहे थे। “वह बेकर…,” उसने मन-ही-मन कहा और उस ख़याल को अधूरा ही छोड़ दया। लवटर और भी तज़े होती जा रही थी, और वह उसके दबाव को अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था। हाँ, यह हवा मरू को लायी थी, ले कन यह रे ग तान और परदानशीन औरत क ग ध भी तो अपने साथ लायी थी। यह अपने साथ उन आद मय का पसीना और सपने भी लायी थी, जो कभी अ ात क खोज म, और सोने तथा साह सक कारनाम क खोज म - और परा मड क खोज म नकल पड़े थ।े लड़के को हवा क आज़ाद से ई या महससू ई, और उसने पाया क वह ख़दु भी वैसी ही आज़ाद हा सल कर सकता है। सवा उसके और कु छ भी तो नह था जो उसे रोक सकता। भड़े , सौदागर क बटे , और एडं ालू सया के मदै ान

तो उसके ग त के रा ते क सी ढ़या-ँ मा थ । अगले दन दोपहर म लड़का उस बूढ़े से मला। वह अपने साथ छह भेड़ लेकर आया था। “मझु े आ य ह,ै ” लड़के ने कहा। “मरे े दो त ने सारी भेड़ तुर त ख़रीद ल । उसका कहना था क वह तो हमेशा से एक गड़ रया बनने का वाब देखता रहा था, और यह भ व य क दशा म एक अ छा सकं े त था।” “हमेशा ऐसा ही होता है,” बूढ़े ने कहा। “इसे अनुकू लता का स ा त कहते ह। जब आप पहली बार ताश के प े खेलते ह और आपको लगभग प का यक़ न होता है क आप जीत जाएगँ े। शु आत करने वाले क क़ मत।” “ऐसा य होता ह?ै ” “ य क एक ऐसी ताक़त है जो चाहती है क तुम अपने ग त तक प ँच सको; यह कामयाबी के वाद के साथ आपक भखू भड़काती है।” फर वह बढ़ू ा उन भड़े का नरी ण करने लगा, और उसने देखा क उनम से एक भेड़ लगँ ड़ी थी। लड़के ने समझाया क यह उतनी मह वपणू बात नह ह,ै य क वह झु ड क सबसे य़ादा समझदार भेड़ है, और सबसे य़ादा ऊन देती है। “ख़ज़ाना कहाँ ह?ै ” उसने पछू ा। “वह म म ह,ै परा मड के पास।” लड़का भ च का रह गया। यही बात तो उस बु ढ़या ने कही थी, ले कन उसने बदले म कु छ भी नह लया था। “ख़ज़ाना हा सल करने के लए तु ह भ व य-सूचक सकं े त का अनुसरण करना होगा। परमे र ने हर कसी के लए एक माग तैयार कया आ ह।ै तु ह सफ़ उन भ व य-सूचक संके त को पढ़ना होगा, जो उसने तु हारे लए छोड़े ए ह।” लड़का कोई जवाब दे पाता इसके पहले ही एक ततली उसके और बढ़ू े के बीच आकर फड़फड़ाने लगी। उसे एक बात याद आयी जो एक बार उसके दादा ने उससे कही थी : तत लयाँ भ व य क सचू ना देने वाला एक अ छा सकं े त होती ह; झ गुर क तरह, और उ मीद क तरह; छपक लय क तरह और चार प वाली घास क तरह। “यह सही ह,ै ” बूढ़े ने लड़के के वचार को पढ़ते ए कहा। “ठ क उसी तरह जस तरह तु हारे दादा ने तु ह सखाया था। ये अ छे भ व य-सचू क सकं े त होते ह।” बूढ़े ने अपना लबादा खोला, और लड़के ने वहाँ जो देखा, उससे च कत रह गया। बूढ़े ने सोने का एक भारी कवच पहन रखा था जो बेशक़ मती र न से मढ़ा आ था। लड़के ने उस च धया देने वाली चमक को याद कया, जो उसने एक दन पहले देखी थी। वह वा तव म एक राजा था! उसने चोर से बचने के लए ही छ वेश धारण कर रखा

होगा। “ये लो,” बूढ़े ने कवच के बीच से एक काला और एक सफ़े द र न नकालकर उसे देते ए कहा। “इ ह उ रम और थु मम के नाम से जाना जाता है। काले का अथ है ‘हा’ँ और सफ़े द का अथ है ‘नह ’। जब तु ह भ व य-सचू क सकं े त को पढ़ने म मु कल पेश आएगी, तो ये उनको पढ़ने म तु हारी मदद करगे। सवाल हमशे ा इस तरह करना जसका जवाब ‘हा’ँ या ‘नह ’ म हो। “ले कन अगर मुम कन हो, तो अपने फ़ै सले ख़दु ही लने ा। ख़ज़ाना परा मड पर है; यह बात तु ह मालूम ही है, ले कन मझु े तमु से छह भेड़ का भुगतान करने का आ ह इस लए करना पड़ा य क मने फ़ै सला लने े म तु हारी मदद क थी।” लड़के ने वे र न अपने थलै े म रख लए। उसके बाद से उसे अपने फ़ै सले ख़दु लेने थे। “हर चीज़ का सामना करते समय यह कभी मत भलू ना क वह वही एक चीज़ है और कु छ नह है। और भ व य-सचू क सकं े त क भाषा कभी मत भलू ना। और, हाँ, अपने ग त का अनुसरण करना तब तक मत भलू ना जब तक क उस तक प चँ न जाओ। “ले कन जाने से पहले, म तु ह एक छोट -सी कहानी सुनाना चाहता ।ँ “एक कानदार ने अपने बटे े को नया के सबसे ानी पु ष के पास जाकर सखु का रह य समझने को भेजा। वह लड़का चालीस दन तक रे ग तान म भटकता रहा, और अ त म एक सु दर क़ले पर प चँ ा, जो एक पवत के शखर पर बना आ था। वह ानी पु ष उसी क़ले म रहता था। “ले कन जब हमारी कहानी के इस मु य करदार ने क़ले के मु य क म वेश कया, तो वहाँ उसे कोई स तनुमा आदमी नह मला, ब क उसने देखा क वहाँ तरह-तरह क ग त व धयाँ जारी थ । ापारी आ-जा रहे थे, लोग यहा-ँ वहाँ खड़े बातचीत कर रहे थ,े एक छोटा-सा ऑक ा म म संगीत बजा रहा था, और एक मज़े थी जस पर नया के सबसे वा द ंजन से भरी थाल रखी ई थ । वह ानी पु ष हर कसी से बात कर रहा था और लड़के को अपनी बारी आने के लए दो घ टे इ तज़ार करना पड़ा। “ ानी पु ष ने पूरे यान से लड़के क बात सुनी क वह उसके पास य आया था, ले कन फर उसने कहा क ठ क इस व त उसके पास सखु का रह य समझाने का समय नह ह।ै उसने लड़के को सुझाव दया क वह महल म घमू -घाम कर दो घ टे बाद उसके पास वापस आए। “‘इस बीच म चाहता ँ क तुम एक काम करो,’ ानी पु ष ने कहा, और लड़के को एक च मच पकड़ा द जसम तेल क दो बँूद पड़ी ई थ । ‘ जस दौरान तमु महल म घमू ो, इस च मच को इस तरह थामे रखना क इसका तले छलकने न पाए।’ “लड़का च मच पर अपनी नगाह गड़ाये ए महल क कई सी ढ़याँ चढ़ने-उतरने लगा।

दो घ टे बाद वह उस कमरे म लौटा, जहाँ वह ानी पु ष था। “‘ ,ँ या तमु ने मेरे भोजन-क म टँगे, च से सजे ए फ़ारसी परदे देख?े या तुमने मरे ा वह बग़ीचा देखा, जसे बनाने म उ ताद माली को दस साल लग गए थे? या तुमने मरे े पु तकालय म रखे चमप के ख़ूबसरू त थ क ओर यान दया?’ “लड़का श म दा आ और उसने वीकार कया क उसका यान उनम से कसी चीज़ क ओर नह गया था। उसे तो पूरे समय इस बात क फ़ बनी रही थी क ानी पु ष ने जो च मच उसे स पी ई थी, उसका तेल छलकने न पाए। “‘तब फर वापस जाओ और मरे ी नया के चम कार को यान से देखो,’ ानी पु ष ने कहा। ‘अगर तमु कसी आदमी के मकान को ही नह जानते, तो तमु उस आदमी पर भरोसा नह कर सकते।’ “लड़के ने राहत क साँस ली, च मच उठायी और वापस राजमहल क छानबीन के लए लौट पड़ा। इस बार उसने छत और द वार क सारी कला मक सजावट को यान से देखा। उसने सारे बाग़ देखे, अपने चार ओर खड़ी पहा ड़याँ देख , और उस नफ़ासत पर यान दया, जसके साथ हर चीज़ का चुनाव कया गया था। वापस लौटने पर उसने ानी पु ष को उस सब कु छ के बारे म व तार से बताया जो उसने देखा था। “‘ले कन तेल क वे बँूद कहाँ ह, जो मने तु ह स पी थ ?’ ानी पु ष ने पूछा। “जब लड़के ने सर झकु ाकर हाथ म थमी च मच क ओर देखा, तो पाया क उसका तेल नदारद था। “‘ख़ैर, म तु ह एक ही सलाह दे सकता ,ँ ’ ा नय के ानी उस पु ष ने कहा। ‘सुख का रह य यह है क नया के सारे आ य को देखो, और च मच म रखी तले क बूदँ को कभी मत भलू ो।’” गड़ रये ने कु छ नह कहा। वह बूढ़े राजा ारा सुनायी कहानी को समझ गया था। एक गड़ रये को भले ही या ाएँ पसदं ह , ले कन उसे अपनी भड़े के बारे म कभी नह भूलना चा हए। बूढ़े ने लड़के क ओर देखा और अपने दोन हाथ से उसके सर के ऊपर कु छ व च - से सकं े त कए, फर वह अपनी भड़े को लके र वहाँ से चला गया। *** टे रफ़ा के सबसे ऊँ चे शखर पर एक परु ाना क़ला है, जसका नमाण मूर ने कया था। उसक बुज़ पर खड़े होकर आप अ का क एक झलक पा सकते ह। सलमे का राजा मे क ज़ेडेक उस अपरा बुज़ पर बठै ा आ अपने चेहरे पर लवटर का पश महसूस कर रहा था। भड़े आसपास बेचैन भटक रही थ , वे अपने नये मा लक के साथ असहज महसूस

कर रही थ और इस ब त य़ादा बदलाव क वजह से उ े जत थ । वे सफ़ भोजन और पानी चाहती थ । मे क ज़डे ेक एक छोटे जहाज़ को देख रहा था जो ब दरगाह से बाहर नकल रहा था। अब वह उस लड़के से कभी नह मलेगा, ठ क उसी तरह जसै े वह अ ाहम से एक-दहाई शु क लेने के बाद कभी नह मला था। यही उसका ध धा था। देवता क कोई इ छाएँ नह होती ह गी, य क उनके कोई ार ध नह होते, ले कन सलमे का राजा बते हाशा उ मीद से भरा आ था क वह लड़का कामयाब होगा। यह ब त बुरी बात है क वह ब त ज द मरे ा नाम भूल जाएगा, उसने सोचा। मुझे यह नाम उसके सामने बार-बार दोहराना चा हए था। फर वह जब मरे े बारे म बात करता, तो कहता क वह मे क ज़डे ेक ह,ै सलमे का राजा। उसने कु छ ल जत-से भाव से आसमान क ओर देखा और कहा, “हे भ,ु जैसा क आपने कहा ह,ै यह अहंकार क इ तहा है, ले कन एक बूढ़े राजा का इतना हक़ तो बनता ही है क वह कभी-कभी ख़ुद पर गव कर।े *** अ का कतना अजीबो-ग़रीब है, लड़के ने सोचा। वह एक बार म बठै ा आ था, जो उन ब कु ल उ ह बार जैसा था ज ह वह ट ज़यर क सकँ री सड़क के कनारे देखता आया था। कु छ लोग एक वशाल का पी रहे थे जसे वे एक- सरे क ओर बढ़ाते जाते थे। कु छ ही घ ट के भीतर उसने हाथ म हाथ डाले मद और नक़ाब से ढँके चेहर वाली औरत को आत-े जाते देख लया था, और उन मौल वय को भी जो मीनार पर चढ़कर अजान देते थे - और उस दौरान हर कोई घटु न के बल बठै कर अपने माथे ज़मीन पर टका देता था। “यह वध मय का रवाज़ ह,ै ” उसने मन-ही-मन कहा। अपने बचपन म उसने गरजाघर म हमशे ा सफ़े द घोड़े पर सवार सट स टयागो माटामोरोस क छ व देखी थी, जनक बग़ल म नंगी तलवार लटकती रहती थी, और घटु न पर झुके ऐसे ही लोग क आकृ तयाँ होती थ । वह अ दर-ही-अ दर बीमार और बरु ी तरह अके ला महसूस करने लगा। उन वध मय को देखकर लगता था जसै े उनके भीतर कोई पाप छपा आ हो। इसके अलावा, या ा क हड़बड़ी म वह एक बात भूल ही गया था, सफ़ एक बात, जो उसे उसके ख़ज़ाने से ल बे अरसे तक र रख सकती थी : इस मु क म सफ़ अरबी ही बोली जाती थी। शराबघर का मा लक उसके पास आया, और लड़के ने उस पये क ओर इशारा कया, जो उसके बग़ल क मेज़ पर पशे कया गया था, ले कन उसे पता चला क वह कोई कड़वी

चाय थी। वह तो वाइन पीना चाहता था। ले कन फ़लहाल उसे इसक च ता करने क ज़ रत नह थी। उसे ज़ रत थी अपने ख़ज़ाने क च ता करने क , और इस बात क क वह उसे हा सल कै से करे। भड़े क ब से उसके बटुए म काफ़ पैसा आ चकु ा था, और लड़का जानता था क पसै ा जा ई चीज़ होता है; जसके पास पैसा होता है वह वाक़ई कभी अके ला नह पड़ता। ब त ल बा समय नह लगगे ा, ब क शायद कु छ ही दन म, वह परा मड पर होगा। सोने का कवच पहने एक बढ़ू े आदमी ने महज़ छह भेड़ क ख़ा तर उससे झूठ नह बोला होगा। उस बूढ़े ने सकं े त और भ व य-सचू क सकं े त क बात कही थी, और, जब लड़का खाड़ी को पार कर रहा था, तो उसने भ व य-सचू क सकं े त के बारे म सोचा था। हाँ, बढ़ू े को पता था क वह कस बारे म बात कर रहा था : जो समय उसने एडं ालू सया के मैदान म गज़ु ारा था, उस दौरान उसने यह सीख लया था क ज़मीन और आसमान को ग़ौर से देखते ए उसे कौन-सा रा ता पकड़ना चा हए। उसने पता लगा लया था क एक ख़ास प ी क मौजदू गी का मतलब है क आसपास कोई साँप ह,ै और एक ख़ास तरह क झाड़ी उस इलाक़े म पानी क मौजदू गी का सकं े त है। यह बात उसे भड़े ने सखायी थी। अगर परमे र भड़े को इतनी अ छ तरह राह दखाता ह,ै तो वह इंसान को भी राह दखाएगा, उसने सोचा, और यह सोचते ए उसने बहे तर महसूस कया। अब वह चाय उतनी कड़वी नह लग रही थी। “तमु कौन हो,” उसने सुना क कोई पे नश म उससे पछू रहा था। लड़के ने राहत क साँस ली। वह भ व य-सूचक संके त के बारे म सोच रहा था, और कोई कट हो गया था। “तु ह पे नश कै से आती है?” उसने पूछा। यह नया आग तकु प मी वेशभषू ा पहने एक नौजवान था, ले कन चमड़ी के रंग से वह इसी शहर का लगता था। वह क़रीब-क़रीब लड़के क ही उ का था और उसके जतना ही ल बा था। “यहाँ लगभग हर कोई पे नश बोलता ह।ै हम पने से सफ़ दो घ टे क री पर ही तो ह।” “बैठो, म तु हारी कु छ ख़ा तरदारी करना चाहता ँ,” लड़के ने कहा। “और मुझे एक गलास वाइन लाने को कहो। मझु े इस चाय से नफ़रत ह।ै ” “इस मु क म वाइन नह मलती,” नौजवान ने कहा। “यहाँ मज़हब उसक इजाज़त नह देता।” लड़के ने उससे कहा, मझु े परा मड पर जाना है। उसके महुँ से ख़ज़ाने वाली बात नकलने ही वाली थी, ले कन फर उसने उस बारे म न बोलना ही ठ क समझा। उसने सोचा क अगर म इस अरबी को यह बात बता ँगा तो हो सकता है यह मुझे वहाँ प चँ ाने के बदले

मुझसे उस ख़ज़ाने का एक ह सा माँगने लग।े उसे बूढ़े क कही वह बात याद आयी : ऐसी चीज़ देने का वादा नह करना चा हए, जो तु हारे पास अभी है ही नह । “म चाहता ँ क तमु मझु े वहाँ ले चलो। गाइड के प म तु हारी इस मदद के बदले म तु हारा मेहनताना देने को तयै ार ।ँ “तु ह कोई अ दाज़ा है क वहाँ कै से जाना होता है?” उस नवाग तकु ने पूछा। लड़के ने यान दया क बार का मा लक पास ही खड़ा आ था और बड़े यान-से उनक बातचीत सुन रहा था। उस आदमी क मौजूदगी से उसे असहजता महससू ई, ले कन अब जब क उसे एक गाइड मल गया था, वह इस मौक़े को गँवाना नह चाहता था। “तु ह सहारा का पूरा रे ग तान पार करना होगा,” नौजवान ने कहा। “और इसके लए तु ह पसै े क ज़ रत होगी। म जानना चाहता ँ क या तु हारे पास पया त पैसा ह।ै ” लड़के को यह सवाल व च -सा लगा, ले कन लड़के को बढ़ू े क कही बात पर भरोसा था, जसने कहा था क जब तुम वाक़ई कु छ चाहते हो, तो परू ा संसार हमशे ा एकजटु होकर तु हारे प म योजना बनाने लगता ह।ै उसने अपने बटुए से पसै ा नकाला और नौजवान को दखाया। बार का मा लक भी पास आकर देखने लगा। उन दोन आद मय ने आपस म अरबी म कु छ कहा, जससे बार का मा लक कु छ चढ़ा आ-सा दखायी दया। “हम यहाँ से बाहर चलते ह,” नवाग तुक ने कहा। “वह चाहता है हम जाए।ँ ” लड़के ने राहत क साँस ली। वह बल का भगु तान करने खड़ा आ, ले कन बार मा लक ने उसे पकड़ लया और नाराज़ होता आ उस पर बरस पड़ा। लड़का ह ाक ा था और वह उसका मुँहतोड़ जवाब देना चाहता था, ले कन फर यह सोचकर उसने इरादा बदल दया क वह एक पराये मु क म था। उसके नए दो त ने मा लक को परे धके ल दया, और लड़के का हाथ ख चता आ उसे बाहर ले आया। “वह तु हारा पसै ा हड़पना चाहता था,” उसने कहा। “ट ज़यर अ का क बाक़ जगह जसै ा नह ह।ै यह ब दरगाह ह,ै और हर ब दरगाह के अपने चोर होते ह।” लड़के के मन म अपने इस नए दो त पर भरोसा जागा। उसने एक ख़तरनाक थ त से बाहर नकलने म उसक मदद क थी। उसने अपने पसै े नकाले और उनको गना। “हम कल तक परा मड पर प ँच सकते ह,” नौजवान ने पैसे लते े ए कहा। “ले कन इसके पहले मझु े दो ऊँ ट ख़रीदने ह गे।” वे ट ज़यर क सकँ री ग लय म चल पड़े। हर कह तरह-तरह के सामान क छोट -छोट कान लगी ई थ । वे एक वशाल चौक के बीच प ँचे जहाँ बाज़ार लगा आ था। वहाँ हज़ार क तादाद म लोग आपस म बहस कर रहे थे, सामान ख़रीद और बचे रहे थ;े चाकू - छु र के बीच स ज़याँ बक रही थ , त बाक़ू के साथ-साथ बचे े जाने के लए क़ालीन द शत

थे। ले कन लड़का पूरे समय अपनी आखँ अपने नए दो त पर जमाये ए था। आ ख़रकार उसका सारा पसै ा उसी के पास था। पहले तो उसके मन म आया था क उससे पसै ा वापस माँग ल,े ले कन फर उसे लगा क यह दो ताना रवैया नह होगा। उसे उस पराये मु क के द तूर के बारे म कोई जानकारी नह थी। “म सफ़ उस पर नगाह रखगँू ा,” उसने मन-ही-मन कहा। वह जानता था क वह अपने इस दो त से कह य़ादा मज़बतू ह।ै अचानक, इस सारी उधेड़बनु के बीच उसे एक ऐसी बेहद ख़ूबसूरत तलवार दखायी द , जसै ी उसने कभी नह देखी थी। उसक यान पर चादँ क प चीकारी थी, और उसक मूठ काली थी तथा उस पर बशे क़ मती र न जड़े ए थे। लड़के ने मन-ही-मन तय कया क म से लौटने के बाद यह तलवार ख़रीद लेगा। “ज़रा उस कानदार से पछू ो क वह तलवार कतने क ह,ै ” उसने अपने दो त से कहा। तभी उसे अहसास आ क तलवार देखने के च कर म उसका यान कु छ ण के लए भटक गया था। उसका दल अ दर धँस गया, जैसे उसक छाती ने उसे सहसा ज़ोर-से दबा दया हो। वह नगाह दौड़ाकर देखने से डर रहा था य क वह जानता था क उसका नतीजा या होगा। वह कु छ देर और उस ख़ूबसूरत तलवार को देखता रहा, तब जाकर वह गदन घमु ाने क ह मत जटु ा पाया। उसके चार तरफ़ बाज़ार था, लोग आ-जा रहे थे, आवाज़ लगा रहे थे और ख़रीदारी कर रहे थ,े और वातावरण म खाने क चीज़ क अजीबो-ग़रीब ग ध फै ली ई थी… ले कन उसे अपना वह नया साथी कह दखायी नह दया। लड़का ख़दु को व ास दलाना चाहता था क उसका दो त सयं ोगवश उससे जदु ा हो गया है। उसने तय कया क वह वह ककर उसका इ तज़ार करेगा। वह इ तज़ार ही कर रहा था क तभी एक मौलवी पास क एक मीनार पर चढ़कर अजान देने लगा; बाज़ार के सारे लोग अपन-े अपने घटु न पर झुक गए, उ ह ने अपने माथे ज़मीन पर टका दए, और ख़ुद भी नमाज़ पढ़ने लग।े इसके बाद सारे-के -सारे कानदार ने कामकाजी ची टय क तरह अपनी कान समेट और वहाँ से चल पड़े। सरू ज भी वदा ले रहा था। लड़के क नगाह कु छ देर डूबते सूरज क राह क पीछा करती रह । आ ख़र वह चौक को घरे ते सफ़े द मकान के पीछे ओझल हो गया। उसने याद कया क सबु ह जब यह सूरज उगा था तब वह एक सरे महा प पर था, साठ भड़े को हाकँ ता एक चरवाहा था, और एक लड़क से मलने जाने का इ तज़ार कर रहा था। उस सबु ह जाने-पहचाने मदै ान से गज़ु रते ए उसे उस एक-एक घटना के बारे म पता था, जो उसके साथ होने वाली थी। ले कन अब, जब सूरज डूबने को था, वह एक ब कु ल अलग मु क म था, एक अजनबी मु क के बीच एक अजनबी, जहाँ क ज़बान तक वह नह बोल

सकता था। अब वह गड़ रया नह रह गया था, और अब उसके हाथ म कु छ नह था, पैसा भी नह था क वह वापस लौट सकता और सब कु छ नए सरे से शु कर सकता। यह सब कु छ सयू दय और सयू ा त के बीच घ टत हो गया था, लड़के ने सोचा। उसे ख़दु पर दया आ रही थी और वह अपनी ज़ दगी के इस तरह अचानक और ज़बरद त ढंग से उलट-पुलट हो जाने को लेकर मन-ही-मन वलाप कर रहा था। उसे इस क़दर शम आ रही थी क उसका मन रोने को कर रहा था। वह कभी अपनी भड़े तक के सामने नह रोया था, ले कन बाज़ार सूना पड़ा था, और वह घर से ब त र था, इस लए वह रोने लगा। वह रो रहा था य क परमे र ने उसके साथ नाइ साफ़ क थी, और यह सोचकर रो रहा था क अपने सपन म व ास करने वाले लोग को परमे र इस तरह का फल देता है। जब मरे े पास मेरी भड़े थ , तब म सखु ी था, और अपने आसपास के लोग को सखु ी बनाता था। लोग मुझे क़रीब आता देख मेरा वागत करते थे, उसने सोचा। ले कन अब म खी ँ और अके ला ँ। अब म सर के त कड़वाहट और अ व ास से भर जाने वाला ,ँ य क एक इसं ान ने मरे े साथ धोखा कया ह।ै म उन लोग से नफ़रत करने लगूगँ ा, जनको उनके ख़ज़ाने मल गए ह गे य क मुझे मेरा ख़ज़ाना कभी नह मलगे ा। अब जो भी कु छ थोड़ा-सा मेरे पास बचा ह,ै मुझे उसी से स तोष करना पड़ेगा य क म इतना तु छ ँ क नया को जीत पाना मरे े बूते क बात नह ह।ै उसने इस उ मीद से अपना थैला खोलकर देखा क शायद उसम कु छ बचा हो। हो सकता है उसम उस सड वच का ही कोई टुकड़ा बचा हो जो उसने जहाज़ पर खाया था। ले कन उसम उस भारी-भरकम पु तक, उसक जैके ट और उन दो र न के अलावा जो उसे बढ़ू े ने दए थे, और कु छ भी नह था। जब उसने उन र न को देखा तो उसे कसी वजह से राहत महससू ई। उसने उसक छह भड़े के बदले उसे वे दो र न अपने सोने के कवच से नकाल कर दए थे। वह उन र न को बचे कर वापसी का ट कट ख़रीद सकता है, ले कन इस बार म अ ल से काम लगूँ ा, लड़के ने सोचा, और उन र न को थैले से नकालकर अपनी जेब म रख लया। यह ब दरगाह का नगर था, और उसके दो त ने उससे जो एकमा स ची बात कही थी वह यही थी क ब दरगाह के नगर चोर से भरे होते ह। अब उसे समझ म आया क बार का मा लक इतना झ लाया आ य था : वह मझु से यह कहने क को शश कर रहा था क मुझे उस आदमी पर भरोसा नह करना चा हए। “म भी वसै ा ही ँ जसै ा हर कोई है - म नया को उस प म देखता ँ, जस प म उसे होते ए देखना चाहता ँ, उस प म नह जसै ी वह वा तव म है।” उसने उन र न पर ह के -से हाथ फे रते ए उनके ताप और उनक सतह के पश को

महसूस कया। वे उसका ख़ज़ाना थे। उनको हाथ म लने े मा से वह बहे तर महसूस कर रहा था। वे उसे बूढ़े क याद दला रहे थ।े “जब तुम कु छ पाना चाहते हो, तो सारा ससं ार उस चीज़ को हा सल करने म तु हारी मदद क योजना बनाने लगता है,” उसने कहा था। लड़का उस बात क स चाई को समझने क को शश कर रहा था, जो बढ़ू े ने कही थी। वह सूने बाज़ार म खड़ा था, उसके पास एक धेला भी नह था, जसे वह अपना कह सकता, और न ही एक भी भड़े थी, जसक उसे रात म रखवाली करनी पड़ती, ले कन वे र न इस बात का सबूत थे क वह एक राजा से मला था - राजा जो लड़के के अतीत के बारे म जानता था। “इ ह यू रम और थु मम कहा जाता ह,ै और ये भ व य-सचू क सकं े त को पढ़ने म तु हारी मदद कर सकते ह।” लड़के ने र न को वापस थैले म डाला और एक आज़माइश करने का फ़ै सला कया। बूढ़े ने कहा था क तु हारे सवाल एकदम प होने चा हए, और इसके लए लड़के को यह जानना ज़ री था क वह या जानना चाहता था। इस लए, उसने पूछा, या बूढ़े का आशीवाद अभी भी मरे े साथ है। उसने एक र न नकाला। वह “हाँ” था। “ या मुझे अपना ख़ज़ाना मलेगा?” उसने पूछा। वह थैले म हाथ डालकर कसी एक र न को टटोलने लगा। उसके वैसा करने पर दोन र न थैले के एक छेद से बाहर नकलकर ज़मीन पर गर गए। लड़के ने कभी यान ही नह दया था क थैले म कोई छेद भी था। वह घुटन के बल ज़मीन पर बठै गया ता क उनको उठाकर वापस थैले म डाल सकता, ले कन उनको ज़मीन पर पड़े देखकर उसे एक और बात याद हो आयी। “भ व य-सचू क संके त को पहचानना सीखो, और उनका अनुसरण करो,” बूढ़े राजा ने कहा था। एक भ व य-सूचक सकं े त। लड़का मन-ही-मन मु कराया। उसने दोन र न को उठाया और वापस थैले म डाल दया। उसने छेद को ब द करने के बारे म नह सोचा - वे र न जब चाहे छेद से बाहर नकलकर गर सकते थे। वह जानता था क कु छ चीज़ ऐसी होती ह जनके बारे म, अपनी नय त से भागने के लए, सवाल नह पछू ना चा हए। “मने वादा कया था क अपने फ़ै सले म ख़ुद ही लगूँ ा,” उसने मन-ही-मन कहा। ले कन उन र न ने उसे बता दया था क वह बूढ़ा अभी भी उसके साथ है, और इससे उसने और भी आ म व ास महसूस कया। उसने एक बार फर ख़ाली चौक को चार ओर नगाह घुमाकर देखा। इस बार उसे पहले क तुलना म कम नराशा महससू ई। यह जगह अजनबी नह थी, यह नयी जगह थी। आ ख़रकार वह हमेशा से यही तो चाहता रहा था : नयी जगह के बारे म जानना। यहाँ

तक क अगर वह परा मड तक भी कभी न प ँच पाए, तो भी वह इतनी र तक का सफ़र तय कर चकु ा था, जतना उसक जानकारी म कसी भी गड़ रये ने नह कया था। काश क उ ह मालमू होता क जहाँ वे ह, वहाँ से जहाज़ से मा दो घ टे क री पर चीज़ कतनी अलग ह, उसने सोचा। हालाँ क, उसक यह नयी नया फ़लहाल एक सनू ा बाज़ार थी, ले कन वह उसे उस व त देख चकु ा था जब वह जीवन क चहल-पहल से भरी-पूरी थी, और उसे कभी नह भलू पाएगा। उसने उस तलवार को याद कया। उसके बारे म सोचते ए थोड़ी तकलीफ़ प ँची, ले कन यह भी सच था क उसने वसै ी तलवार उसके पहले नह देखी थी। इन तमाम बात के बारे म सोचते ए उसे समझ म आया क उसे इन दो चीज़ के बीच चुनाव करना होगा क वह ख़दु को एक चोर का दयनीय शकार समझे या अपने ख़ज़ाने क खोज म लगा एक साह सक या ी समझे। “म ख़ज़ाने क खोज म लगा एक साह सक या ी ँ,” उसने ख़ुद से कहा। *** उसे कसी ने झकझोर कर जगा दया। वह बीच बाज़ार म सो गया था, और अब चौक का जीवन फर से शु होने को था। उसने चार ओर देखते ए अपनी भड़े को खोजा, और फर उसे अहसास आ क वह एक नयी नया म ह।ै ले कन वह उदास होने क बजाय ख़शु था। अब उसको भड़े के लए चारे और पानी क च ता करने क ज़ रत नह थी; इसक बजाय वह अब अपने ख़ज़ाने क खोज पर नकल सकता था। उसक जबे म एक भी पैसा नह था, ले कन उसके अ दर आ था थी। पछली रात उसने फ़ै सला कया था क वह वसै ा ही साह सक या ी बनगे ा, जसै े या य के बारे म वह पु तक म पढ़कर उनक सराहना करता रहा था। वह धीर-े धीरे बाज़ार से होकर गज़ु रने लगा। कानदार अपनी कान जमा रहे थे, और लड़के ने एक कडी व े ता क कान सजाने म मदद क । कडी व े ता के चेहरे पर मु कराहट थी : वह ख़ुश था, वह अपनी ज़ दगी के बारे म जानता था और एक और दन का काम शु करने के लए तयै ार हो रहा था। उसक मु कराहट ने लड़के को बूढ़े क याद दला द - वह रह यमय बूढ़ा राजा, जससे वह मला था। “ये कडी व े ता इस लए कडी नह बना रहा है क बाद म वह या ाएँ करेगा या कसी कानदार क बेट से ववाह करेगा। वह इस लए कडी बनाता है, य क वह कडी बनाना चाहता है,” लड़के ने सोचा। उसे लगा क वह वही कर सकता है, जो बढ़ू े ने कया था - इस बात को महससू करना क अपने ग त के नज़द क है या उससे र। महज़ उनक ओर देखते ए। यह कतना आसान ह,ै तब भी मने यह पहले कभी नह कया, उसने सोचा। जब कान जम गयी, तो कडी व े ता ने उस दन तयै ार क गयी पहली कडी लड़के को

भट क । लड़के ने उसका शु या अदा कया, कडी खायी और वहाँ से चला गया। अभी वह कु छ र ही गया था क तो उसे अहसास आ क जब वे कान जमा रहे थे, तो उनम से एक अरबी और सरा पे नश बोल रहा था। और वे एक- सरे क बात ब त अ छ तरह समझ रहे थे। इसका मतलब है क कोई ऐसी भाषा न य ही ह,ै जो श द पर नभर नह करती, लड़के ने सोचा। यह चीज़ म अपनी भड़े के साथ पहले ही अनुभव कर चकु ा ,ँ और अब यही चीज़ लोग के मामले म भी हो रही है। वह ढेर नयी चीज़ सीख रहा था। उनम से कु छ चीज़ ऐसी थ जनको वह पहले ही अनुभव कर चकु ा था, और वे वा तव म नयी नह थ , ले कन उसने पहले उनको उस तरह समझा नह था। और उनको इस लए नह समझा था य क उसको उनक आदत पड़ चकु थी। उसे अहसास आ : अगर म बना श द वाली इस भाषा को समझना सीख लेता ,ँ तो म नया को समझना सीख सकता ँ। उसने तनाव-मु होकर और बना हड़बड़ी के ट ज़यर क सँकरी ग लय म चलने का न य कर लया। सफ़ रा ते म ही वह भ व य-सूचक संके त को पढ़ पाएगा। वह जानता था क इसके लए ब त अ धक धीरज क ज़ रत होगी, ले कन गड़ रये धीरज से काफ़ प र चत होते ह। उसने एकबार फर देखा क उस पराये मु क म वह उ ह सीख से काम ले रहा था जो उसने अपनी भड़े से सीखी थ । “सब बात एक जसै ी ही ह,” बढ़ू े ने कहा था। *** टल का सामान बचे ने वाला कानदार दन होते ही जाग गया, और उसने वसै ी ही बेचैनी महससू क जसै ी वह हर सुबह महससू करता था। वह तीस साल से एक ही जगह पर अटका आ था : उसक कान एक पहाड़ी रा ते क चोट पर थी, जहाँ से ब त थोड़े-से ाहक गज़ु रते थे। अब इतनी देर हो चकु थी क कु छ भी नह बदला जा सकता था - उसने के वल एक ही चीज़ सीखी ई थी और वह थी टल के बतन को ख़रीदना और बचे ना। एक समय था जब ब त-से लोग उसक कान के बारे म जानते थे : अरब के सौदागर, ासं ीसी और अँ ज़े भूगभशा ी, जमन सै नक जो हमेशा दौलतम द आ करते थ।े उन दन म फ टक बेचना अ त काम आ करता था, और वह सोचा करता था क वह अमीर बन जाएगा और जब बढ़ू ा होगा तो उसके साथ ख़ूबसूरत औरत आ करगी। ले कन जैसे-जसै े व त गुज़रता गया, ट ज़यर बदलता गया। पास का नगर सेऊटा ट ज़यर से य़ादा तेज़ी-से तर क़ करता गया था, और उसके कारोबार म गरावट आती गयी थी। पड़ोस के लोग यहा-ँ वहाँ चले गए थ,े और पहाड़ी पर थोड़ी-सी छोट -मोट कान

ही बच रही थ । और कोई नह था जो उन मु भर कान म सामान क छानबीन करने के लए पहाड़ पर चढ़ता। ले कन फ टक के कानदार के पास और कोई वक प नह था। उसने फ टक का सामान ख़रीदते-बेचते ए अपने जीवन के तीस साल गुज़ार दए थे, और अब इतनी देर हो चकु थी क और कोई ध धा करना ममु कन नह था। सड़क पर गाह-े ब-गाहे लोग का आना-जाना देखते ए उसने परू ी सबु ह गुज़ार द । वह वष से यही करता आया था, और हर आने-जाने वाले के काय म से प र चत था, ले कन दोपहर के भोजन का व त होने से ठ क पहले वह लड़का कान के सामने आकर का। उसने कपड़े तो सामा य ढंग के ही पहने रखे थे, ले कन फ टक के कानदार क अनुभवी नगाह देख सकती थ क लड़के के पास ख़रीदारी करने के लए पैसा नह था। तब भी कानदार ने लड़के के चले जाने तक अपना दोपहर का भोजन मु तवी रखने का फ़ै सला कया। *** कान के दरवाज़े पर लटकती त ती म कहा गया था क कान म कई ज़बान बोली जाती ह। लड़के को काउंटर पर एक आदमी नज़र आया। “अगर आप चाह, तो म शो-के स म रखे शीशे के बतन को साफ़ कर सकता ,ँ ” लड़के ने कहा। “उनक हालत देखकर उनको कोई नह ख़रीदेगा।” आदमी बना कोई जवाब दए उसक ओर देखता रहा। “बदले म आप मझु े खाने के लए कु छ दे सकते ह।” आदमी ने तब भी कु छ नह कहा, लड़के को लगा क उसे ही कोई-न-कोई फ़ै सला लेना होगा। उसके थैले म उसक जकै े ट थी - रे ग तान म न य ही उसे उसक ज़ रत नह पड़ने वाली थी। उसने जकै े ट नकालकर शीश को साफ़ करना शु कर दया। आधा घ टे म उसने शो-के स म रखे सारे बतन साफ़ कर दए, और जस दौरान वह इस काम म लगा आ था, उसी बीच दो ाहक कान म आकर कु छ सामान ख़रीद ले गए। जब उसने सफ़ाई का काम नपटा दया, तो उसने उस आदमी से खाने के लए कु छ मागँ ा। “आओ, हम कु छ खाते ह,” कानदार ने कहा। उसने दरवाज़े पर भोजनावकाश क सूचना-प लटकायी और वे पास के एक छोटे-से कै फ़े म चले गए। वहाँ पड़ी एकमा मज़े पर बैठते ए फ टक का कानदार हँस पड़ा। “तु ह कोई सफ़ाई करने क ज़ रत नह थी,” उसने कहा। “कु रान मझु से तकाज़ा करती है क म भूखे आदमी को खलाऊँ ।”

“वाह, तब फर आपने मझु े वह काम य करने दया?” लड़के ने पूछा। “ य क सामान ग दा हो गया था। और तु ह और मझु े, दोन को ही अपने दमाग़ को नकारा मक वचार से साफ़ करना ज़ री था।” जब उ ह ने भोजन कर लया, तो कानदार ने लड़के क ओर देखकर कहा, “मझु े ख़शु ी होगी अगर तुम मेरी कान म काम करोगे। जब तुम काम कर रहे थे, तब दो ाहक आए, और यह एक अ छा शगुन ह।ै ” लोग शगनु के बारे म ब त बात करते ह, गड़ रये ने सोचा, ले कन वे वाक़ई जानते नह ह क वे या कह रहे ह। जसै े क मझु े ही इस बात का कभी अहसास नह था क म वष अपनी भड़े से एक ऐसी ज़बान म बात करता रहा था जसम कोई श द नह थे। “तुम मरे ी कान पर काम करना चाहोग?े ” कानदार ने पूछा। “म आज बाक़ परू े दन काम कर सकता ँ,” लड़के ने जवाब दया। “म सुबह होने तक परू ी रात काम क ँ गा, और आपक कान के एक-एक सामान को साफ़ कर ँगा। बदले म मुझे कल म जाने के लए पैसे क ज़ रत होगी।” ापारी हँस पड़ा। “अगर तुम परू े साल भर तक मरे ी कान म काचँ क साफ़ -सफ़ाई का काम करते रहो… यहाँ तक क तुम कान क सारी चीज़ बकवाकर अ छा ख़ासा कमीशन भी कमा डालो, तब भी तु ह म जाने के लए क़ज़ लने ा पड़ेगा। यहाँ और वहाँ के बीच हज़ार कलोमीटर रे ग तान फै ला आ ह।ै ” कु छ पल ख़ामोशी छायी रही जो इतनी गहरी थी क लगता था सारा शहर सोया आ हो। बाज़ार क कोई आवाज़ नह , कानदार के बीच कोई बहस-मुबाहसा नह , मीनार पर चढ़कर अजान देने वाला कोई श स नह । कोई उ मीद नह , कोई साह सक कारनामा नह , कोई बढ़ू ा राजा या नय तयाँ नह , कोई ख़ज़ाना नह , कोई परा मड नह । ऐसा लगता था जैसे नया ख़ामोश हो गयी हो य क लड़के क आ मा ख़ामोश हो गयी थी। वह वहाँ बैठा आ सूनी नगाह से कै फ़े के दरवाज़े के बाहर देख रहा था, और कामना कर रहा था क काश वह मर जाता और सब कु छ हमशे ा के लए ख़ म हो जाता। कानदार परेशान नज़र से लड़के क ओर देख रहा था। वह सारा-का-सारा उ लास जो उस सबु ह उसने देखा था, वह ग़ायब हो चकु ा था। “मेरे ब च,े म तुझे इतना पैसा दे सकता ँ क तू अपने मु क वापस लौट सके ,” फ टक के कानदार ने कहा। लड़के ने कु छ नह कहा। वह उठा, अपने कपड़े ठ क कय,े और अपना थलै ा उठा लया। “म आपके लए काम क ँ गा,” उसने कहा। फर एक और ल बी ख़ामोशी के बाद उसने कहा, “मुझे कु छ भड़े ख़रीदने के लए पसै

क ज़ रत ह।ै ”

भाग दो

ल ड़के को फ टक क कान पर काम करते ए लगभग एक महीना हो चुका था, और वह समझ सकता था क वह उस तरह का काम नह था जसे करते ए वह ख़शु रहता। ापारी पूरे समय काउंटर पर बैठा बड़बड़ाता रहता था और लड़के को हदायत देता रहता था क वह चीज़ को उठात-े रखते ए सावधानी-से काम ले, ता क कोई टूट-फू ट न हो। ले कन तब भी वह वहाँ टका रहा य क ापारी, हमशे ा झँुझलाते रहने वाला बूढ़ा होने के बावजूद, उसके साथ इ साफ़ बरतता था; हर बतन क ब पर लड़के को अ छा कमीशन मलता था, और वह कु छ पसै ा बचाने म कामयाब रहा था। उस सुबह उसने कु छ हसाब लगाया था : वह जस तरह काम करता रहा था, अगर उसी तरह रोज़ करता रहे, तो उसे कु छ भेड़ ख़रीदने के लए परू े साल भर काम करना ज़ री होगा। “म फ टक क चीज़ को द शत करने के लए एक ड ले के स तयै ार करना चाहता ँ,” लड़के ने ापारी से कहा। “हम उसे बाहर रख सकते ह ता क पहाड़ी के नीचे से गुज़रने वाले लोग का यान उसक तरफ़ जा सके ।” “ऐसा ड ले के स मने पहले कभी नह रखा,” ापारी ने जवाब दया। “लोग उसक बग़ल से गज़ु रते ए उससे टकराएगँ ,े और चीज़ टूट जाएगँ ी।” “ऐसा है क जब म अपनी भेड़ को मैदान म से लेकर जाता था, उस समय अगर हमारा सामना कसी साँप से हो जाता, तो कु छ भड़े मर भी सकती थ , ले कन भेड़ और गड़ रय का जीवन ऐसे ही चलता है।” ापारी उस ाहक क ओर मड़ु ा जो फ टक के तीन गलास ख़रीदना चाहता था। इन दन उसक ब हमेशा क तलु ना म बेहतर ढंग से हो रही थी… मानो वे परु ाने दन वापस लौट आए ह जब यह सड़क ट ज़यर का बड़ा आकषण आ करती थी। “कारोबार वाक़ई बेहतर आ ह,ै ” ाहक के जाने के बाद उसने लड़के से कहा। “म काफ़ बहे तर थ त म ,ँ और तमु ज द ही अपनी भड़े के पास लौट पाआगे। ज़ दगी से इससे य़ादा क माँग य क जाए?” “इस लए क हम शगुन पर यान देना ज़ री ह,ै ” लड़के के मँुह से लगभग अनायास ही नकल गया; फर उसे अपने कहे पर पछतावा आ, य क वह ापारी तो कभी उस बढ़ू े राजा से मला ही नह था। “इसे अनुकू लता का स ा त कहते ह। शु आत करने वाले क क़ मत। य क जीवन

चाहता है क आप अपनी नय त को हा सल कर सक,” बूढ़े राजा ने कहा था। ले कन ापारी लड़के क बात समझ गया था। कान म लड़के क मौजूदगी एक अ छा शगनु था, और, जब समय बीतने के साथ तजोरी म पसै ा जमा होने लगा, तो उसे लड़के को काम पर रखने को लेकर कोई पछतावा नह रहा। लड़के को उसक क़ा ब लयत से य़ादा भुगतान कया जा रहा था, य क जब ापारी को ब त य़ादा ब क उ मीद नह थी तभी उसने लड़के को ऊँ ची दर पर कमीशन देना मज़ं रू कर लया था। वह मानकर चल रहा था क लड़का ज द ही अपनी भेड़ के पास वापस लौट जाएगा। “तमु परा मड पर य जाना चाहते थ?े ” कानदार ने ड ले के स के मसले से यान हटाने के उ े य से लड़के से पछू ा। “ य क म हमेशा से उनके बारे म सुनता आया ँ,” लड़के ने जवाब दया। उसने अपने वाब के बारे म कु छ भी नह कहा। ख़ज़ाना अब एक ददनाक याद से य़ादा कु छ नह रह गया था, और वह को शश करता था क उसका ख़याल दमाग़ म न आए। “म यहाँ ऐसे कसी को नह जानता, जो महज़ परा मड को देखने क ख़ा तर रे ग तान पार करने का इरादा रखता हो,” ापारी ने कहा। “वे महज़ प थर का ढेर ह। वैसा परा मड तमु अपने घर के पछवाड़े खड़ा कर सकते हो।” “आपने कभी या ा के सपने नह देखे,” लड़के ने कानदार से, उस ाहक क ओर मुड़ते ए कहा जसने अभी-अभी कान म वेश कया था। दो दन बाद ापारी ने लड़के से ड ले के बारे म बात क । “मझु े बदलाव ब त य़ादा पसदं नह आत,े ” उसने कहा। “तमु और म उस अमीर ापारी हसन जसै े नह ह। अगर ख़रीदारी म उससे कोई ग़लती हो जाती है, तो इससे उसके लए ब त य़ादा फ़क नह पड़ता। ले कन हम दोन को तो अपनी ग़ल तय का ख़ा मयाज़ा भुगतना ही पड़ेगा।” यह बात तो सही ही ह,ै लड़के ने अफ़सोस के भाव से सोचा। “तु ह य लगता है क हम ड ले करना चा हए?” “म ज द -से-ज द अपनी भेड़ के पास लौटना चाहता ।ँ जब क़ मत हमारे साथ हो तो हम उसका फ़ायदा उठाना ज़ री है, और हम उसक उतनी ही मदद करनी चा हए जतनी मदद वह हमारी कर रही हो। इसे अनुकू लता का स ा त कहते ह या शु आत करने वाले क क़ मत।” ापारी कु छ देर ख़ामोश रहा। फर उसने कहा, “पगै बर ने हम कु रान द थी, और हम पाचँ फ़ज़ दए थ,े ज ह हम अपनी ज़ दगी म अदा करने होते ह। इनम सबसे अहम फ़ज़ है सफ़ एक स चे ख़ुदा म भरोसा। सरे फ़ज़ ह, दन म पाँच बार नमाज़ पढ़ना, रमज़ान के दौरान रोज़े रखना और ग़रीब के त द रया दली रखना।”

इतना कहकर वह क गया। पैग बर के बारे म बात करते ए उसक आँख छलछला रही थ । वह एक अक़ दतम द इंसान था, और अपने सारे उतावलपे न के बावजदू वह अपनी ज़ दगी इ लाम के क़ायद के मुता बक़ जीना चाहता था। “पाचँ वाँ फ़ज़ या है?” लड़के ने पछू ा। “दो दन पहले तुमने कहा था क या मने कभी सफ़र का वाब नह देखा,” ापारी ने जवाब दया। “हर मसु लमान का पाचँ वाँ फ़ज़ है हज। हमारा फ़ज़ है क हम, ज़ दगी म कम-से-कम एक बार पाक शहर म का जाए।ँ “म का परा मड से भी ब त र ह।ै जब म जवान था, तो मेरी एक वा हश थी क म इतना पैसा जमा कर लँू क यह कान खोल सकँू । म सोचता था क एक दन म अमीर हो जाऊँ गा, और म का जा सकूँ गा। मने कु छ पैसा इक ा करना शु भी कर दया था, ले कन म इस कान को कसी के ज़ मे छोड़कर जाने का मन नह बना सका; टल के बतन नाजक होते ह। वह मेरी कान के सामने से गज़ु रते ए लोग म का क ओर जा रहे होते थ।े उनम से कु छ अमीर हज या ी होते थे, जो नौकर और ऊँ ट के साथ के कारवाँ म जा रहे होते थ,े ले कन य़ादातर हज या ी मुझसे य़ादा ग़रीब होते थ।े “वे सब जो वहाँ हो आए होते थ,े ब त ख़शु होते थ।े वे हज क नशा नय को अपने दरवाज़ पर लटकाते थ।े उनम से एक मोची था, जो जतू क मर मत कर अपना गुज़र-बसर करता था। उसका कहना था क उसने क़रीब एक साल तक रे ग तान का सफ़र कया था, ले कन उससे य़ादा थकान उसको तब होती थी, जब उसे चमड़ा ख़रीदने ट ज़यर क सड़क से होकर गज़ु रना पड़ता था।” “तो आप अभी य नह हो आते म का?” लड़के ने पूछा। “ य क यह म का का ख़याल है, जो मझु े ज़ दा रखे ए है। इसी के सहारे म इन दन का सामना करता ँ जो एक-जसै े होते ह, शे फ़ म रखे ए ये टल के गगँू े बतन, उसी भयानक कै फ़े म रोज-रोज़ लचं और डनर खाना। मुझे डर है क अगर मेरा सपना पूरा हो गया, तो मरे े पास जीने क कोई वजह नह रह जाएगी। “तुम अपनी भेड़ और परा मड के बारे म वाब देखते हो, ले कन तुम मुझसे जदु ा हो, य क तमु अपने वाब को परू ा करना चाहते हो। म तो म का का सफ़ वाब देखना चाहता ।ँ मने हज़ार बार रे ग तान को पार करने क , पाक च ान के चौक पर प ँचने का वाब देखा ह,ै अपने इस वाब म मने उसे छू ने से पहले सात बार उसका च कर लगाया ह।ै मने उन लोग क क पना क है जो मरे ी बग़ल म ह गे, जो मेरे सामने ह ग,े और उस बातचीत तथा नमाज़ क क पना क है जो म उन लोग के साथ मलकर क ँ गा। ले कन मुझे डर है क आ ख़र म यह सब नराशा म बदल जाएगा, इस लए म इसका वाब देखना ही बेहतर समझता ँ।


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