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एमोमली रहमान ताजिक इततहास के दपर्ण मंे आर्यों से सामातनर्यों तक भाग ३ अनवु ादक : महे ररतनसो सोललएवा संपादक : अवतार लसहं [प्रमुख सलाहकार] बिज़नसे संटे ्रल एलिर्या दिु न्िे २०२२ 2
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EMOMALI RAHMON THE TAJIKS IN THE MIRROR OF HISTORY FROM THE ARYANS TO SAMANIDS VOLUME 3 TRANSLATOR : MEHRINISO SOLIEVA EDITOR : AVTAR SINGH, CHIEF EDITOR OF BUSINESS CENTRAL ASIA All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in a retrieval system or transmitted in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying or otherwise, without the prior permission of the publisher. 4
आदम के वंशज - एक ही शरीर के सदस्य हंै, एकल इकाई होना ही उनका मौललक स्वरूप है। यदद शरीर का कोई एक भाग अचानक बीमार हो जाये, हमारा परू ्ण शरीर उस दखु और ददण को वहन करता है। -शखे ़ सादी अध्र्यार्य १ वजै ववक सकं ट के समक्ष मानविातत १. सववण ्र्यापी वजै ववक सकं ट और तीसरी सहस्त्राब्दी की िरु ुआत में उसकी सभं ावनाएं दसू री सहस्राब्दी, तापमान की वदृ ्धि और शीतलता के अनके ो उतार-चढाव की साक्षी, हम पीछे छोड़ आए हैं और मानवता की तीसरी सहस्राब्दी का प्रारम्भ हो चुका है। पपछले सौ वर्षों में, जहााँ दनु नया की आबादी चौगनु ी हुई है, वहीीँ मनषु ्य ने, पथृ ्वी के अनं तम दगु मण कोनों की खोज करते हुए अतं ररक्ष पर पवजय पाने की शरु ुआत कर दी है। पवशाल आकाशीय ऊं चाइयों पर से हमारे ग्रह पथृ ्वी को देखते हुए अतं ररक्ष यात्ररयों ने पाया है कक पथृ ्वी अपने आकार और पवस्तार के बावजूद, सावभण ौलमक पमै ाने पर एक छोटी सी गंेद से ज्यादा कु छ नही।ं बीसवीं शताब्दी के अतं और इक्कीसवीं शताब्दी की शरु ुआत मंे मानवजानत ने पवरोिाभासों से भरी हमारी दनु नया की भव्य और आश्चयजण नक घटनाओं की साक्षी होते हुए, िरती पर उपस्स्ित राजनीनतक और आधिकण व्यवस्िा की स्स्िर और पररपक्व प्रर्ाली में क्ांनतकारी पररवतनण ों और सुिारों को देखा। शस्क्तशाली राज्य और अधिनायकवादी राजनीनतक शासन जो सवहण ारा क्ानं त के लशकार लाखों पीडड़तों के जीवन की कीमत पर बनाये गए ि,े उनका लोकतांत्ररक प्रदशनण ों के दबाव, राष्रीय मसु ्क्त आदं ोलन और स्वतंरता की इच्छावदृ ्धि के कारर् पवनाश और पवश्वमचं से उनका पलायन हुआ। वतमण ान में बढती हुई वशै ्वीकरर् की स्स्िनत में पवलभन्न राज्यों और देशों, राष्रों और सभ्यताओं के बीच आवश्यकता अनुरूप परस्पर संबंि और ननभरण ता की प्रकक्या पवकलसत हो रही है। ननरंतर सकक्यता से पशे होते हुए, सावभण ौलमक 5
उपलस्ब्ियों को अपनाते हुए, लोकतांत्ररक सामास्जक मानदंडों और मलू राष्रीय मूल्यों को अधिक से अधिक सकक्य रूप से लागू ककया जा रहा है। इसके अलावा, दनु नया में ना के वल भ-ू राजनीनतक और आधिकण -सामररक क्षेरों के नए स्वरूपों तिा समीकरर्ों की रूपरेखा को स्वीकार ककया जाता है, बस्ल्क प्राचीन और नई सभ्यताओं के क्षेरों को भी नए लसरे से पररभापर्षत ककया जाता है, और इस तरह बड़े और छोटे राष्र, अपने पड़ोसी देशों के लोगों को करीब एक साि लाकर अपनी ससं ्कृ नत के दायरे का पवस्तार करते हैं। अधिनायकवादी राजनीनतक शासनों से आज़ाद हुए नए सपं ्रभु राज्यों को अपनी स्वतरं ता को मजबतू बनाने, राष्रीय सम्प्रभतु ा और जागरूकता को सदु ृढ करने की आकाकं ्षा रहती है। और इस तरह आिनु नक जगत में अपने अपने राज्यों और राष्रों के उधचत स्िान की प्रास्तत की कामना करते हुए वे उल्लेखनीय पनु स्र्त्िान का अनभु व करते हंै। इस प्रकार, मानव समाज की प्रकक्याओं और प्रवपृ ियाँा, ननरंतर पवकलसत होते पवज्ञान, उद्योग और आिनु नक प्रौद्योधगकी ने कु छ सामास्जक वजै ्ञाननकों को एक पूरी तरह से नए यगु की शरु ुआत के बारे में अपनी राय व्यक्त करने के ललए मागण प्रशस्त ककया है। सचू ना और सचं ार सभ्यता तिा इसका वैस्श्वक पवस्तार, सावभण ौलमक मानव समदु ाय के पवकास की एक प्रमखु िुरी के रूप मंे प्रकट हुआ है। आज की दनु नया एक सचू ना सभ्यता की ददशा में अधिक से अधिक ननर्ायण क कदम उठा रही है, स्जसकी सबसे मह्वपूर्ण पवशेर्षता है - स्िान और समय का सकं ोचन, और साि ही साि वजै ्ञाननक और सासं ्कृ नतक उपलस्ब्ियों का प्रसार होना। सूचना सभ्यता मानवजानत की नई ददशा में पवकास की एक िरु ी है, और इसके मूल पवर्षयों में असीम सूचना और प्रसार के आदान-प्रदान, इंटरनटे का पवकास, कायकण ्मों और समाचारों का सचं ारर् और प्रसारर्, उपग्रह संचार की स्िापना, और कं तयूटर प्रौद्योधगकी और सचू ना उपकरर्ों की क्षमताओं का ननरंतर पवस्तार ननदहत है। सूचना सभ्यता, दरू संचार और आिनु नक पवज्ञान और उनसे सम्बधं ित उपलस्ब्ियों के पवकास के ललए िन्यवाद, आज हम लगभग दैननक और प्रनत घटं ा ग्रह के सबसे दरू के देशों को देखते हंै; दनु नया में होने वाली घटनाओं, 6
प्राकृ नतक आपदाओं, राजनीनतक सघं र्षों और आधिकण दहतों के टकराव, प्रगनत और ससं ्कृ नतयों की प्रनतस्पिाण और पवलभन्न सभ्यताओं के स्पष्ट और नछपे हुए पवरोि के बारे में जानकारी प्रातत करते हैं। आज के समय परू ी दनु नया मंे सूचना - संचार और संचार माध्यम के बाजार की बहुत मागं है। पवज्ञान और सूचना प्रौद्योधगकी की प्रगनत ने समय और स्िान को सकं ु धचत ककया है, स्जससे पवश्व मचं पर वैश्वीकरर् की प्रकक्या को प्रगनतशील बल लमला है। हर लमनट और हर घटं े रेडडयो चनै लों के माध्यम स,े टेलीपवजन की स्क्ीन स,े इंटरनेट और कं तयटू र जैसे सचू ना उपकरर्ों स,े पसु ्तकों, अखबारों और अन्य सचं ारों द्वारा हमारे ऊपर समाचारों की अतं हीन झड़ी बरसती है, जो, वैश्वीकरर् के अग्रदतू की तरह, अिशण ास्र और राजनीनत, पवज्ञान और ससं ्कृ नत, मानव गनतपवधि के अन्य सभी क्षरे ों के सावभण ौलमकरर् में योगदान देती हैं। आज वशै ्वीकरर् और सूचनाओं के सावभण ौलमकरर् की मदद स,े कोई भी व्यस्क्त घर बठै कर ही टेलीपवजन सटे और सटै ेलाइट डडश का उपयोग करके दनु नया की चारों ददशाओं की खबर रख सकता है तिा ससं ार की जदटलता और पवपविता, सदंु रता और पररष्कार, स्पष्ट और नछपे हुए पवरोिाभासों, कट्टर पवरोिी सघं र्षों, भयावहता और रासददयों का अवलोकन कर सकता है, स्जसकी पररकल्पना भी आज से सौ साल पहले रहे पवू जण नहीं कर सकते ि।े वैश्वीकरर् लोगों और देशों, राज्यों और राष्रों के बीच घननष्ठ सबं ंिों का पवस्तार कर राजनीनतक और आधिकण संबिं सदु ृढ करता है; तकनीकी और सूचना उपकरर्ों की उपयोधगता बढा कर मानव जानत को नए मलू ्यवान उपलस्ब्ियों की तरफ अग्रसर करता है। साि ही साि ससं ार के पवलभन्न संसािनों के संरक्षर् की इच्छाशस्क्त को बढाना, अतं रराष्रीय और क्षरे ीय सबं िं ों के पवलभन्न उद्योगों का इष्टतम पवननयमन करना, पवशरे ्ष रूप से व्यापार संबंिों, पविीय और पयावण रर् सहयोग करना, और अन्य क्षेरों मंे पवकास करते हुए वैश्वीकरर् एक व्यापक और व्यावहाररक रूप से वसै ्श्वक प्रर्ाली का गठन करता है। हालाकं क, दसू री ओर, मखु ्य रूप से वैश्वीकरर् के प्र्यक्ष इन्ही प्रभावों के कारर् पवकलसत और पपछड़े देशों के बीच खाई चौड़ी हो रही है; राष्रीय और 7
सासं ्कृ नतक व्यवस्िाओं तिा लोगों के मलू ्यों पर तजे ी से दबाव बढ रहा है। इस प्रकक्या के तहत अग्रर्ी देशों में से कु छ देशों की श्रेष्ठता के दावे दसू रों की तलु ना मंे स्पष्ट ददखते हंै, साि ही आतंकवादी तिा उग्रवादी गनतपवधियों, नशीली दवाओं और हधियारों की तस्करी वतमण ान मंे करीबन वसै ्श्वक हो रही है। पववादास्पद वशै ्वीकरर् की पवरोिाभासी प्रकक्या के दौरान पवलभन्न सभ्यताओं के बीच टकराव की भावना काफी हद तक मज़बतू होती है और बनु नयादी पवश्व मलू ्य और मानदंड का गठन ककया जाता है, और ऐसा प्रतीत होता है कक आिनु नक दनु नया ऐनतहालसक मलू ्यों और प्राचीन राष्रीय पवरासत का बोझ उठाने मंे सक्षम नहीं है। प्राचीन मलू ्य अपने सामास्जक मह्व को खो रहे हंै और िीरे-िीरे गायब हो रहे हैं, और नई दनु नया के मलू ्य और मानदंड उनकी जगह ले रहे हंै। मेरी राय मंे, वशै ्वीकरर् की प्रकक्या का सबसे प्रनतकू ल और खतरनाक पररर्ाम नैनतकता, आध्यास््मकता, आचार-पवचार, ससं ्कृ नत, परंपरा और अन्य सामास्जक त्वों, स्जसके त्रबना मनुष्य का अस्स्त्व बहुत ही असंभव है, मंे धगरावट आना है। तिापप, वशै ्वीकरर् के समानातं र, राष्रों और लोगों, संस्कृ नतयों और सभ्यताओं, देशों और क्षेरों के ननरंतर आ्म-ज्ञान की प्रकक्या जारी है, जो इकीसवीं सदी की शरु ुआत के कट्टरपिं ी पवश्व पररवतनण ों का सबसे मह्वपरू ्ण कारक बन गया है और भपवष्य में गहरे बदलाव और पररवतनण भी कर सकता है। इस तथ्य के बावजूद कक मानवता, अपनी बौद्धिक क्षमता के कारर्, अपने ग्रह की खोज और पवशाल ब्रहमाडं के अध्ययन मंे अभतू पवू ण सफलता हालसल कर चकु ी है, परन्तु वह अभी भी शातं और स्वतरं जीवन प्रातत नहीं कर सकी। यदु ्ि और ह्या, डकै ती और अपमान, दहसं ा और पवनाश, मानवीय नैनतकता की धगरावट और लोगों को उनके मलू सार से अलग ददखाने वाली ननदं नीय कफल्में पवश्व सासं ्कृ नतक और सचू ना चनै लों पर तजे ी से प्रदलशतण हो रही हैं। सभी प्रकार की क्ानं तयों और पररवतनण ों, पवज्ञान और प्रौद्योधगकी की सफलताओं, अलभयातं ्ररकी और प्रौद्योधगकी की अभतू पूवण उपलस्ब्ियों को प्रातत करने के बावजदू मनषु ्य की स्स्िनत, उसकी पहचान, उसकी सवोच्च आकाकं ्षाएं, प्रनतष्ठाएाँ, भौनतक, आध्यास््मक, वचै ाररक और िालमकण सीमाएं, आधिकण और 8
राजनीनतक दहतों के प्रभाव के कारर् अपूर्,ण अस्स्िर और अनतसंवदे नशील बनी हुई हंै। अपने सपं रू ्ण मानव इनतहास के दौरान मनुष्यों ने एक समदृ ्ि, शातं और युद्ि और अंतपवरण ोिों से मकु ्त जीवन के ललए प्रयास ककये हंै और इस दौरान उन्होंने कई ककताबों और मौललक कायों की रचना की है कक अगर हम उन्हें एक-दसू रे के ऊपर रखें तो इस स्तभं के सहारे हम आकाश को छू सकते हैं। हालांकक, इस तथ्य के बावजदू कक वतमण ान का मनुष्य हज़ारों साल पहले की तुलना मंे, अधिक दखु द खतरों और अधिक जदटल पररस्स्िनतयों का सामना कर रहा है। मनुष्य और आिनु नक दनु नया के सह-अस्स्त्व मंे हम व्यावहाररक रूप से एकता और समन्वय, शानं तपूर्ण संबिं ों, सावभण ौलमक समस्याओं को हल करने और दहसं ा के त्रबना शानं तपरू ्ण तरीके से वसै ्श्वक खतरों को दरू करने की इच्छाशस्क्त नहीं देखते हैं। बस्ल्क, कु छ पवशरे ्ष देशों और राष्रों की मंडललयां के आपस में मानवतावादी लसद्िातं ों, ससं ्कृ नतयों, सवं ादों और मौललक सारों में मनमटु ाव देखते या पाते हं।ै मेरी राय में, इसका मखु ्य कारर् है कक मनषु ्य का इस छोटे से ग्रह पर अपने अस्स्त्व के उद्देश्य को त्रबना सोचे समझे अहंकारवाद को प्रािलमकता देते हुए, तिा सुलह के माग,ण शांनत, सद्भाव एवं पवरोिाभासों और रक्तपातों के खा्मों पर हल्की प्रनतकक्या व्यक्त करते हुए, एकता और अच्छे इरादों को प्रबल करने की िारर्ा को टाल कर तिा अच्छे पवचारों, शब्दों और कामों के साि, एक-दसू रे पर दया भाव और मदद करने के लसद्िातं को भूल जाना है। इस बीच, मानव इनतहास मंे सभी कदठनाइयों, अतं हीन संघर्षों, पीड़ा और खनू ी रासददयों का कारर् इस दनु नया में उस की उ्पपि और अस्स्त्व के उद्देश्य की अबोि-गम्यता है। जैसे ही हम पपछली शताब्दी में मनषु ्यों द्वारा तय ककये गए मागण को गंभीरतापवू कण देखते हंै तो हम अनायास ही महसूस करते हैं कक पथृ ्वी बड़े पमै ाने और दायरे की पवशालता के साि, मानव जानत के ललए एक तयार करने वाली माँा के जैसी है जो सदाबहार वकृ ्ष की तरह बढते हुए बच्चे का पालन-पोर्षर् करती है। यद्यपप वैज्ञाननक खोजों और तकनीकी पवकास की मदद से मानवजानत तीवण गनत से आगे बढ रही है, तिा उस ने असीलमत शस्क्त को प्रातत ककया है, तिापप परमार्ु बमों, िमोन्यसू ्क्लयर हधियारों और वसै ्श्वक 9
खतरों की पषृ ्ठभलू म के सामने यह हरा ग्रह, पथृ ्वी, एक नाजकु कांच के बतनण जैसा ददखता है, और महान शस्क्तयों की प्रनतस्पिाण और शासकों के लालच के कारर् हर ददन इस पर टू टने का खतरा मंडराता है। हम लोग बीसवीं सदी के अंनतम दशकों मंे दनु नया के राजनीनतक मानधचर पर होने वाले बड़े बदलावों के साक्षी रहंे हैं, जब पवश्व मंे समाजवादी व्यवस्िा यरू ोपीय, एलशयाई और अफ्रीकी महाद्वीपों मंे लढु क गई और एक एकध्रुवीय पवश्व सरं चना स्िापपत हुई, जो पजूं ीवादी समाज के लोकतांत्ररक मलू ्यों और मानकों को प्रािलमकता के रूप में मान्यता देती िी। सोपवयत सघं और उसकी पवचारिारा के शस्क्तशाली साम्राज्य का पतन हुआ और सोपवयत सघं की भलू म पर एक दजनण से अधिक स्वतरं राज्यों का गठन हुआ। दनु नया की राजनीनतक व्यवस्िा बदल गई और पथृ ्वी पर भू-राजनीनतक सीमाकं न की एक नए लसरे से शरु ुआत हुई। हालाकं क, सोपवयत सघं के पतन के बाद वसै ्श्वक खतरे समातत हो जाने चादहए िे परन्तु इसके ठीक पवपरीत, खतरों में वदृ ्धि होने लगी है और वतमण ान में दनु नया के बाजारों, कच्चे माल, ऊजाण और ईंिन स्रोतों, प्राकृ नतक ससं ािनों के भडं ार पर कब्जे के ललए महान शस्क्तयों के बीच सीिा या कफर गतु त सघं र्षण अधिक तीव्र होता जा रहा है। वतमण ान मंे एक नए क्षरे ीय और वसै ्श्वक, आधिकण और भू-राजनीनतक समीकरर् गनत प्रातत कर रहे है, साि ही राष्रीय-जातीय दशु ्मनी तिा वचै ाररक और िालमकण सघं र्षण भी अधिक से अधिक बढ रहे है, स्जसके कारर् परू े ग्रह पर एक सामान्य जीवन प्रकक्या बाधित हो रही है। हाल के वर्षों में, अपके ्षाकृ त शातं व्यवस्िा और कमजोर हुई है, और दनु नया के पवलभन्न क्षेरों में यदु ्ि, ह्या, आग, तबाही और बाढ, आतकं वाद और तोड़फोड़, लटू पाट और अपमान के काय,ण बढती नशीली दवाओं की लत, एक- दसू रे के प्रनत लोगों की शरतु ा और अलगाव में वदृ ्धि और ननै तकता में पतन देखा जा सकता है। आज वसै ्श्वक और क्षेरीय खतरों के पमै ाने और आकार मंे काफी वदृ ्धि हुई है जो समस्त मानवजानत के भपवस्य के ललए खतरा हो सकती है और छोटे- बड़े राज्यों की सरु क्षा पर खतरा उ्पन्न हो सकता है। सकं ्षेप मंे सार और 10
मूलत्रबदं ु यह है कक ये खतरे अपने अंनतम लक्ष्य तिा नछपे हुए पहलओु ं के कारर् वैस्श्वक हो गए हैं, और पाखंड तिा गलत आ्म-औधच्य की स्स्तधि मंे वे भयानक, दखु द और पवनाशकारी पररर्ाम पदै ा कर अतं तः पूरे ग्रह पर जीवन के पवनाश के ललए अग्रर्ी हो सकते हंै। मखु ्र्य रूप से वजै ववक खतरें हैं - नए प्रकार के परमार्ु िम और िडे पमै ाने पर ववनाि वाले अन्र्य हथिर्यारों के उत्पादन और आववष्कार में वदृ ्थि, प्राकृ ततक संसािनों और अन्र्य अद्ववतीर्य भलू मगत संसािनों के भडं ार में तनरंतर कमी, ईंिन तिा ऊिाण स्रोतों एवं सामररक औद्र्योथगक कच्चे माल पर कब्ज़ा करने के ललए महान िजततर्यों के मखु र और गपु ्त प्रर्यास, महत्वपूर्ण आथिकण क्षरे ों और वववव िािारों के पनु ववतण रर् के सघं र्ण मंे गहन भू-रािनीततक प्रततर्योथगता, िडे आथिकण और भू-आकृ ततक क्षरे ों के नए समीकरर् मंे भेदभाव, इत्र्यादद। ये सब के सब महान शस्क्तयों के वसै ्श्वक दहतों के टकराव के कारर् और तीव्र होते जा रहे हंै। इसके अततररतत, सगं दित आपराथिक तत्वों की वदृ ्थि, अतं राणष्ट्रीर्य आतकं वाद, िालमकण अततवाद, अविै कारोिार और हथिर्यार तस्त्करी, और साि ही साि, िालमकण और नस्त्लीर्य-िातीर्य ववरोिाभासों का िढ़ना, सभ्र्यताओं और वचै ाररक िाराओं का टकराव, ववनाि और दहसं ा के ववचारों का प्रचार प्रसार, हत्र्याएं और र्युद्ि तिा िन सचं ार मंे दिु लण ता और सकं ीर्तण ा का प्रसार होना अथिक से अथिक खतरा प्रस्त्ततु करता है। इसके अलावा, वजै ववक तीव्र समस्त्र्याओं को, चाहे हम इसे चाहें र्या नही,ं वजै ववक स्त्तर पर तनगरानी, र्योिना और सकं ल्प की आववर्यकता है। र्यह समस्त्र्याएँ हंै - अमीर और गरीि राज्र्यों के िीच की खाई का चौडा होना, सीलमत मुट्िी भर लोगों के हािों मंे वववव िन कें दित होना, िरे ोिगारी और गरीिी का एक वजै ववक िीमारी में िदलना, दतु नर्या के िनसाजं ख्र्यकीर्य सकं े तकों मंे वदृ ्थि और तिाकथित गरीि देिों मंे िडे पैमाने पर अतनर्यंबरत और अतनर्यलमत प्रवासन, गरीिों का असतं ोर् का िढ़ना तिा इस जस्त्ितत पर उनकी नाटकीर्य और क्ांततकारी प्रततक्रक्र्याओं का होना। 11
इस सूची में िोडते हुए, सरं ्यतु त राष्ट्र और र्यनू से ्त्को के अनसु ार प्राकृ ततक और पर्यावण रर्ीर्य खतरे और अभतू पवू ण आपदाएं, िसै े भकू ं प, िाढ़, ववनािकारी िवडं र और तफू ान, िढ़ते तापमान और वपघलने वाले ग्लेलिर्यर, सखू े र्या, इसके ववपरीत, मसू लािार िाररि हर साल मानवितत के ललए खतरा िढ़ा रहे हैं, जिससे अरिों डॉलर का नुकसान हो रहा है। स्मरर् हेतु ननम्न घटनाएं पयाणतत है: इस्लामी गर्राज्य ईरान के बामा और इस्लामी गर्राज्य पाककस्तान के मजु फ्फराबाद शहर मंे भूकं प के तीवण झटके , साि ही प्रशांत क्षरे तिा इंडोनले शया मंे (स्जसके पररर्ामस्वरूप २०० हजार लोग मारे गए) पवनाशकारी भकू ं प और तफू ान और अटलादं टक महासागर में (अमेररका मंे तफू ान कै टरीना और रूटा), स्जसमंे पवशेर्षज्ञों ने १००-१२० खरबों अमरे रकी डॉलर से अधिक की रालश की आधिकण क्षनत का अनुमान लगाया। इसके अततररतत, खतरों की थगनती में, भखू का खतरा, पीने के पानी की कमी, खते ी र्योग्र्य भूलम और खाद्र्य आपतू तण के स्रोरों मंे कमी, हर साल बिगडता पर्यावण रर् और वार्यु प्रदरू ्र्, सकं ्ामक रोगों की संख्र्या मंे वदृ ्थि और दिनण ों अन्र्य प्राकृ ततक और सामाजिक कारर्ों से उत्पन्न मानवीर्य समस्त्र्याएं आती हैं, जिनके कारर्, सभी राज्र्यों और देिों में एकिटु ता, संर्यतु त कारणवाई और प्रत्र्यक्ष सहर्योग की आववर्यकता होती है। उस्ल्लखखत समस्याओं और उनके पवशाल पमै ाने पर हल के ललए एक या कई सबसे शस्क्तशाली राज्य भी असमिण हैं और यह दनु नया के सभी राज्यों की क्षमता और सपु विाओं को एकजुट करने की आवश्यकता को इधं गत करता है। इसललए सावभण ौलमक मानवीय समस्याओं और खतरों पर काबू पाने के ललए शांनतपरू ्ण सबं िं तिा सद्भाव की अलभव्यस्क्त स्िापपत करने की ज़रुरत है ताकक भपवष्य मंे पथृ ्वी पर शानं त और सरु क्षा कायम रहे। अन्यिा, ऐसी उम्मीद की जाती है कक मानवजानत का या तो अंत होगा या कफर अनस्स्त्व के पि पर गायब या पवलीन हो जाएगी! ससृ ्ष्टकताण की सवशण ्रेष्ठ रचना अपनी सभी उपलस्ब्ियों के बावजूद पवलुतत होने के कगार पर होगी। जीवन या म्ृ यु, अस्स्त्व और अनस्स्त्व जसै े प्रश्न, जो कई सददयों से मानवजानत के सामने उपस्स्ित रहे हैं, वह, परमार्ु हधियारों की उपस्स्िनत तिा मानव अस्स्त्व को पालने वाली पथृ ्वी के ननममण पवनाश की स्स्िनत मंे, कफर से प्रासधं गक और प्रगट हो गए हंै। और पथृ ्वी इस तरह से सवाल उठाती है: या तो 12
मनुष्य मुझे अपने भले के ललए समझदारी और तकण संगत रूप से उपयोग करे, या कफर सभी जीपवत प्रार्ी, जीवन रूप और मानवता ही परू े ग्रह से परू ी तरह से पवलीन हो जायेगी। दो पवश्व यदु ्िों, स्जसने ६ करोड़ से अधिक लोगों की जान ली, के पररर्ामस्वरूप हमारी िरती को जो गमं ्भीर घाव लगे हैं वो अभी तक भर नहीं पाए। मनषु ्यों के उद्भव के बाद से, मानवजानत ने अभी तक इस तरह के पवनाशकारी यदु ्िों और भयानक सावभण ौलमक मानवीय रासददयों का सामना नहीं ककया िा। अपने पमै ाने में द्पवतीय पवश्व यदु ्ि सबसे भयानक िा: इसमें दनु नया के ७० से अधिक बड़े और छोटे राज्यों ने भाग ललया और यदु ्ि की गनतपवधियां ४० देशों के क्षेरों में हुई। इस बड़े पमै ाने पर हुए यदु ्ि में ११ करोड़ से अधिक सनै ्य अधिकारी एवं सनै नक शालमल ि,े और उनमंे से लगभग ३ करोड़ इस खूनी लड़ाई में मारे गए। पवशरे ्षज्ञों के अनसु ार, इस यदु ्ि मंे कु ल क्षनत ४.५ खरब अमरे रकी डॉलर िी, तिा इस यदु ्ि के पररर्ामस्वरूप ३० से अधिक देश नष्ट हो गए, ५ करोड़ से अधिक लोग मारे गए और सस्म्मललत देशों के लाखों- करोड़ों लोगों को यदु ्ि के दौरान उ्पन्न हुए भंवर में कष्ट और कदठनाइयों का सामना करना पड़ा। दहरोलशमा और नागासाकी पर हुए परमार्ु बमों के पवस्फोटों ने एक बार कफर ददखाया कक परमार्ु हधियार और लबं ी दरू ी एवं मध्यम दरू ी की बलै लस्स्टक लमसाइलंे पथृ ्वी के चहे रे से जीवन का नामो- ननशान लमटा सकती हंै। आनुवलं िकी और वंिागतत के क्षरे मंे अध्र्यर्यनों के अनसु ार, र्यह कहना भी अनथु चत नहीं है क्रक परमार्ु ववखडं न और परमार्ु आपदाओं से न के वल पर्यावण रर् नष्ट हो सकता है, िजल्क िीवन के स्रोत भी नष्ट हो सकते हैं। परमार्ु क्रकरर्ंे और ववक्रकरर् में वदृ ्थि मनुष्र्य के गरु ्सरू ों के ििं न को प्रभालभत करती हैं और मानव आनुवलं िक ववरासत में थगरावट लाती हंै। दसू रे िब्दों मंे, व्र्यजतत और उसके मूल िीन सगं ्रह का विं ानगु त आिार परमार्ु संदरू ्र् के खतरनाक प्रभावों से संक्लमत होता है, िो भववष्र्य की पीदढ़र्यों की भौततक और आध्र्याजत्मक क्षमताओं पर प्रततकू ल प्रभाव डालता है। 13
यह एक मह्पूर्ण समय है स्जस में पवज्ञान और प्रौद्योधगकी की ्वररत पवकास को ननदेलशत ककया जाये और आिनु नक तकनीकों की अधिक से अधिक नई खोजें हों स्जससे मानवजानत के सवोच्च दहतों को सुननस्श्चत ककया जा सके और साि ही पथृ ्वी की सुरक्षा और सरं क्षर् संभव हो सके । ववज्ञान और िीव ववज्ञान की नवीनतम उपलजब्िर्यों के प्रकाि मंे, आनवु लं िक आतंकवाद के िोखखम को नहीं नाकारा िा सकता, जिसके पररर्ाम मानविातत के ललए, सामान्र्य आतकं वाद के पररर्ामों की तलु ना मंे, दिनण ों गनु ा अथिक भर्यानक और दखु द हो सकते हंै। आितु नक ववज्ञान मंे नवीनतम िोि, वविरे ् रूप से खतरनाक परमार्ु परीक्षर्, िैववक और आनवु ंलिक प्रर्योग, घातक प्राकृ ततक-पर्यावण रर्ीर्य प्रर्योग तनर्यबं रत तौर पर होने चादहए ताक्रक हम उनके पररर्ामों की भववष्र्यवार्ी करने मंे सक्षम रहंे। ववज्ञान और उसकी नवीनतम उपलजब्िर्याँ का ववकास मखु ्र्य रूप से एक स्त्वस्त्ि मानव िीवन के दहतों तिा उसकी भावी पीदढ़र्यों की रक्षा के ललए और साि ही पर्याणवरर् सदहत पथृ ्वी की सरु क्षा सतु नजवचत करते हुए होना चादहए। अन्र्यिा, वह ददन आएगा िि िीव ववज्ञान और आनवु लं िक अलभर्याबं रकी के क्षरे मंे वजै ्ञातनक, िसै े आइसं ्त्टीन और ओपने हाइमर, पवचाताप करते हुए तनरािा मंे अपने हािों की अपनी उं गललर्या काट रहे होंग।े परमार्ु हधियारों में बढोतरी और इससे बढते हुए दखु द पररर्ाम ने, दो पवश्व महाशस्क्तयों - सयं कु ्त राज्य अमरे रका और सोपवयत सघं - को एक सधं ि प्रकक्या मंे भाग लते े हुए एक ननस्श्चत स्तर तक परमार्ु हधियारों का उ्पादन और उनकी सखं ्या तिा सनै ्य क्षमता को क्मश: अनपु ात पर ननयंरर् रखने पर मजबूर ककया। हालाँाकक वतमण ान पवश्व में एकध्रुवीय प्रर्ाली की स्िापना के कारर्, शस्क्तशाली पस्श्चमी देशों का कोई मजबतू प्रनतद्वदं ्वी नहीं है, कफर भी दबु ारा स्पष्ट या अस्पष्ट रूप से, परमार्ु हधियारों के आपवष्कार और परीक्षर् पर काम चल रहा है। इसी क्म मंे नवउ्पन्न शस्क्तशाली राज्य \"शानं तपरू ्ण उद्देश्यों के ललए\" परमार्ु उपकरर्ों के उपयोग करने के अधिकार पर जोर देते हुए, परमार्ु हधियार पाना चाहते हैं और परमार्ु हधियारों का परीक्षर् करते हैं, स्जसके पररर्ामस्वरूप परमार्ु हधियार ननयंरर् प्रर्ाली और प्रासधं गक अंतरराष्रीय समझौतों के अनुपालन की प्रककयाण बहुत जदटल हो जाती है। 14
हालाकं क, पवशरे ्षज्ञों के अनसु ार, इस समय उपलब्ि परमार्ु हधियारों की क्षमता इतनी है कक यह संपरू ्ण पथृ ्वी पर जीवन को कई बार नष्ट कर सकते हंै, कफर भी, महान शस्क्तयां हधियारों की उपस्स्िनत को कम करने की बजाय, इसके ठीक पवपरीत, बढाती जा रही हैं। पवशेर्षज्ञों द्वारा ककये हुए शोि दशातण े हैं कक अगर सन ् १९८० मंे पस्श्चमी दनु नया ने नई वजै ्ञाननक खोजों के ललए, स्जसमें परमार्ु हधियारों के क्षेर मंे खोज भी सम्मललत है, लगभग २४० खरब डॉलर खचण ककए िे, वहीं सन ् २००० मंे यह आकं ड़ा ३६० खरब अमरे रकी डॉलर हो गया िा।1 हधियारों की त्रबक्ी िीरे-िीरे दनु नया के बाजार में उच्चतम आय के स्रोतों में से एक मंे बदल गई है, तिा इसी क्म मंे, सामदू हक पवनाश के नवीनतम ककस्म के हधियारों का उ्पादन बढ रहा है। सन ् २००३ में, अके ले अमरे रका ने अपने सनै ्य कायकण ्मों पर ३७९ खरब डॉलर से अधिक खचण ककए, जो पवू ण सोपवयत सघं के सपं ूर्ण सनै ्य बजट से कई गुना अधिक है। स्टॉकहोम इंस्टीट्यटू के अतं राषण ्रीय सुरक्षा पवभाग के एक अध्ययन के अनसु ार, सभी वसै ्श्वक सनै ्य खचों का ३७ प्रनतशत से अधिक अके ले संयकु ्त राज्य अमरे रका करता है।2 यह कोई सयं ोग नहीं है कक जॉजण सोरोस, जो एक पवश्व प्रलसद्ि िनी उद्यमी हंै, वह अमरे रका की लगातार बढती सैन्य क्षमताओं और वसै ्श्वक सुरक्षा पर धचतं ा व्यक्त करते हुए ललखते हैं: “सनै ्य बल पर आश्रय रखते हुए कोई भी राज्य सुरक्षक्षत स्ज़दं ा बच ननकलने में सक्षम नहीं है; बशे क, सेना को दनु नया पर शासन नहीं करना चादहए। मरे ा मानना है कक हमारी सैन्य श्रेष्ठता काफी अच्छी है ताकक हम अन्य समस्याओं के बारे मंे सोच सके , नकक के वल सनै ्य खचण बढाने के बारे में सोचें। जब तक हमारे पास सामदू हक पवनाश के हधियारों के प्रसार पर पयातण त ननयरं र् नहीं होगा, तब तक हमारी सभ्यता ख़तरे में पड़ सकती है। यदद अन्य देश हमारी सरु क्षा के ललए खतरा पदै ा करते हैं, तो हम इस खतरे से ननपटने के ललए कु छ भी नहीं कर सकें गे, क्योंकक हमें और अधिक दबाव डालने पर ध्यान कंे दित करना होगा। आज के खतरे, त्रबना ककसी अपवाद के , 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 18. 2 J. Soros. About globalization. – M., 2004, p. 189. 15
असमलमनतक हैं। हम इन खतरों से अपना बचाव अन्य राज्यों पर अपनी सनै ्य श्रेष्ठता में बढोतरी करके नहीं कर सकते। आतकं वाद के खखलाफ यदु ्ि मंे अतं राणष्रीय सहयोग और व्यापक अतं रराष्रीय ननरीक्षर् की आवश्यकता है। यह स्स्िनत सुननस्श्चत करने के ललए, सयं ुक्त राज्य अमरे रका को एकतरफा आधिप्य ्यागना चादहए और दनु नया को काननू के उल्लघं न से बचाने के ललए एक बहुपक्षीय समझौते का नेता बनना चादहए। शीत यदु ्ि ख्म हो गया है, इसललए एक महाशस्क्त की िारर्ा एक स्वतंर पवश्व की िारर्ा के समान नहीं रह गई है।”1 हालांकक, परमार्ु हधियारों का वसै ्श्वक खतरा और पथृ ्वी पर सभी जीवन को बार-बार नष्ट करने की उनकी अभतू पवू ण क्षमता काफी स्पष्ट है, कफर भी, कु छ राष्र उनके नए आपवष्कार करने में जुटे हुए हैं, खासकर पस्श्चम और पवू ण के देशों मंे इनके और भी भयानक प्रनतरूपों की खोज लगातार जारी है। स्मरर् हेतु पयातण त है कक, इकीसवीं सदी की शुरुआत मंे ४४ पवकलसत देश परमार्ु हधियार उ्पादन की तकनीक मंे महारत हालसल कर चकु े हैं।2 ककसी भी समय हुई िोड़ी सी चूक एक भयानक वसै ्श्वक तबाही का कारर् बन सकती है, जो िरती पर लोगों के जीवन के ललए एक घातक खतरा हो सकता है। महान शस्क्तयों के द्वारा सयं ुक्त सनै ्य अभ्यास, परमार्ु हधियारों के उ्पादन और दनु नया के कु छ देशों द्वारा परमार्ु हधियार परीक्षर्, वसै ्श्वक हधियारों के खतरे को और बढाते हैं, बदलते हुए पवश्व व्यवस्िा को कमजोर करते हंै और सामूदहक पवनाश के नवीनतम हधियारों को अपने अधिकार मंे रखने की प्रवनृ त को बढाते हैं। इसललए, हमारी रार्य मंे, तीसरी सहस्राब्दी की िुरुआत में मानविातत के ललए पववर कार्यों मंे से एक कार्यण है िरती को नए वववव र्यदु ्िों तिा परमार्ु, पर्यावण रर् और िनसांजख्र्यकीर्य आपदाओं की घटनाओं से और साि ही अतं रराष्ट्रीर्य अपरािों, आतकं वादी गततववथिर्यों के ववस्त्तार, तिा चरमपिं ी गततववथिर्यों एवं अन्र्य भर्यानक वजै ववक खतरों से िचाना। 1 Ibid. – p. 210-211. 2 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 130. 16
इक्कीसवीं सदी की शुरुआत में अपके ्षाकृ त एक और स्पष्ट वसै ्श्वक खतरा, जो घननष्ठ और अलघं नीय रूप से उल्लखे खत प्रकक्याओं से जुड़ा हुआ है, वह है बढी हुई प्रनतस्पिाण और भरू ाजनीनतक दहतों का टकराव जो ननरंतर नए अिण प्रस्ततु कर रहा है। हालाकं क कच्चे माल के ललए सघं र्षण तिा अतं रराज्यीय और अतं रराष्रीय संबिं ों के मामलों मंे एक लबं े समय से आधिप्य स्िापपत करने की इच्छा ननदहत रही है, परन्तु २१वीं सदी की शुरुआत में, पवशरे ्ष रूप से तजे ी से कम हो रहे प्राकृ नतक ससं ािनों की स्स्िनत में, राजनीनतक और तीव्र आधिकण प्रनतयोधगता में वदृ ्धि, लगभग असीलमत तकनीकी और प्रद्योगी की प्रगनत, साि ही रर्नीनतक संसािनों के कब्जे के ललए प्रनतस्पिाण, और जीवनप्रद मह्वपूर्ण क्षेर और मह्वपरू ्ण आधिकण क्षेर पर ननयरं र् स्िापपत करने के ललए संघर्षण में तेजी जोरों पर है। यह प्रनतयोधगता पवशरे ्ष रूप से मध्य पवू ण और मध्य एलशया के क्षेरों के आसपास तीव्र है, जो हाल के वर्षों मंे पवश्व पर आधिप्य की आकाकं ्षा रखने वाली शस्क्तयों के भरू ाजनीनतक और भूस्िनै तक प्रनतद्वदं ्पवता का कें ि बन गए हंै। यह ककसी के ललए रहस्य नहीं है कक कच्चे माल, ईंिन, ऊजाण ससं ािन और खननज ससं ािनों का भंडार अिवण ्यवस्िा के पवकास और राज्य की औद्योधगक और सामररक क्षमता को पवकलसत करने के मुख्य कारकों में से एक है। आज, पवज्ञान की नई शाखाएाँ, प्रौद्योधगकी और उद्योग का पवकास, त्रबजली और पवमानन, परमार्ु ऊजा,ण रसायन, सनै ्य और उद्योग के अन्य क्षेर मखु ्य रूप से कच्चे माल, हल्की िातओु ं, ऊजाण ससं ािनों, दलु भण शुक्ष्म त्व और प्राकृ नतक कच्चे माल पर ननभरण करते हंै। पवशरे ्षज्ञों के अध्ययनों के अनसु ार, तीसरी सहस्राब्दी की शरु ुआत में, वसै ्श्वक ऊजाण खपत को लमलाकर तीसरी सहस्राब्दी की शरु ुआत में तेल की दहस्सदे ारी - ३९.५%, कोयला - २४.३%, प्राकृ नतक गैस - २२.१%, त्रबजली सयं ंर - ६.९% और परमार्ु ऊजाण सयं रं ों की दहस्सदे ारी - ६.३% िी।1 इस सम्बन्ि मंे, लगातार घटते उपयोगी खननज भडं ार की स्स्िनत मंे सामररक कच्चे माल और ऊजाण ससं ािनों के कब्जे के ललए स्पष्ट या अस्पष्ट 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 105. 17
संघर्षण बढ रहा है। पवशरे ्ष रूप से आज की दनु नया में तले और गैस के स्रोतों का वैस्श्वक मह्व है, इसललए महाशस्क्तयां पथृ ्वी पर उपलब्ि अनं तम ईंिन संसािनों पर कब्ज़ा या ननयरं र् करना चाहती हैं। आज, कोई भी अन्य औद्योधगक कच्चा माल पवश्व बाजार मंे तेल की तलु ना मंे इस तरह के घोटालों और भयंकर प्रनतस्पिाण का कारर् नहीं बना, इसललए मनु ाफे की चाहत और महाशस्क्तयों के दहतों का टकराव भी अपनी अधिकतम सीमा पर पहुंच गया है। उनीस्वी सदी के अतं तक, लोगों के ललए इस धचपधचपे, बुरे महक वाले तरल पदािण का कोई मह्व नहीं िा, यहाँा तक कक वे कल्पना तक भी नहीं कर सकते िे कक ननकट भपवष्य में तेल, महाशस्क्तयों और बड़े बहुराष्रीय ननगमों के बीच शरुता, धचतं ा और प्रनतस्पिाण के उद्भव का कारर् बनगे ा। बीसवीं सदी की शरु ुआत में पेरोललयम उ्पादों से चलने वाले इंजन और यरं ों का आपवष्कार हुआ, तेल शोिन की आवश्यकताओं में नाटकीय रूप से वदृ ्धि हुई और कु छ ही समय में यह अ्यधिक लाभकारी उद्योगों में से एक बन गया। इस तरह तेल उ्पादों की खपत के पवस्तार और डीजल, जटे ईंिन और साि ही धचकनाई वाले तले की बढती मागं के कारर् ईंिन और ऊजाण संसािनों के मह्व की वसै ्श्वक स्तर पर वदृ ्धि हुई। अके ले द्पवतीय पवश्व युद्ि के समय, सैन्य अलभयानों के दौरान उनकी लगभग आिी जरूरतंे तेल, ईंिन और अन्य ऊजाण उ्पादों की िी, स्जसकी बदौलत बहुराष्रीय ननगमों को उनकी त्रबक्ी से भारी मनु ाफा हुआ। तुलना करने के ललए हम देख सकते हैं कक द्पवतीय पवश्व यदु ्ि के बाद के वर्षों में तेल के एक बैरल की कीमत २ डॉलर के बराबर िी, वहीं १९८० के दशक में यह ३२-३८ डॉलर िी,1 और २००५ तक यह ६५-७० डॉलर तक पहुंच गई, जो इस आवश्यक औद्योधगक उ्पाद की बढती मांग को इंधगत करता है, और जो एक मह्वपूर्ण सामररक सामग्री के रूप में उभरा है। हालाकाँ क, प्राकृ नतक संसािन और भलू मगत भंडार, अपनी प्रचुरता के बावजदू , लगातार लसकु ड़ रहे हैं, जो वसै ्श्वक राजनीनतक प्रकक्याओं को प्रनतकू ल रूप से प्रभापवत और पूरे पवश्व में नए वसै ्श्वक खतरे पदै ा करते हंै। वजै ्ञाननकों 1 H. Winkler. World Resources. – M., 1986, p. 242. 18
और शोिकताओण ं द्वारा संचाललत पवश्लरे ्षर्ों के अनुसार, इकीसवीं सदी के आने वाले दशकों मंे दनु नया के कु छ दलु भण खननजों और औद्योधगक कच्चे मालों का भंडार समातत हो जाएगा, स्जसकी वजह से भरू ाजनीनतक टकराव और साि ही क्षरे ीय और वसै ्श्वक पवरोिाभास और भी उग्र होगा। पवशरे ्षज्ञों के अनसु ार, जस्ता के पवश्व भडं ार १० साल, ताबं े के १५ साल और तले के ३५-४० साल मंे समातत हो जायेंगे, इसललए ये सभी मह्वपरू ्ण रर्नीनतक और सामररक सामग्री माने जाते हैं। इसके अनतररक्त, तेल, दलु भण खननजों, यूरेननयम भण्डारों और अन्य सामररक प्राकृ नतक ससं ािनों और कच्चे माल के मखु ्य स्रोतों पर कब्जे के संघर्षण में महाशस्क्तयों की गहन प्रनतद्वदं ्पवता िीरे-िीरे गभं ीर वसै ्श्वक यदु ्िों को जन्म दे सकती है। यह कोई रहस्य नहीं है कक दो पवश्व युद्िों का मखु ्य और अनं तम लक्ष्य, अतं रराष्रीय बाजारों और खननजों के समदृ ्ि स्रोतों, पवशरे ्ष रूप से तेल भंडार और ऊजाण के कच्चे माल, का पनु पवतण रर् िा। नतीजतन, प्रिम पवश्व यदु ्ि की बड़े पमै ाने पर लड़ाई ओटोमन साम्राज्य का पवशाल क्षरे और तकु ण तक सीलमत िी, इसललए मध्यम और मध्य पवू ण - तेल का मखु ्य वसै ्श्वक स्रोर - पस्श्चमी देशों तिा बड़े अतं रराष्रीय ननगमों के ननयरं र् या संरक्षर् में आ गए। त्कालीन त्रब्रदटश पवदेश सधचव लाडण कजनण की काव्य अलभव्यस्क्त के अनसु ार, \"सहयोगी दल तेल की लहरों पर जीत के ललए रवाना हुए।\"1 इन यदु ्िों के बाद, दनु नया का भौगोललक मानधचर भी मौललक रूप से बदल गया: दजनण ों स्वतरं और अि-ण स्वतंर राज्य पथृ ्वी पर प्रकट हुए और दो पवश्व राजनीनतक व्यवस्िाएँा बनी।ं तख्तापलट के कारर् बीसवीं सदी के शरु ुआती पररवतनण और नई दनु नया की क्ांनतयों ने सिा और एकमार श्रेष्ठता हालसल करने के ललए की अपरू र्ीय सघं र्षण को और भी अधिक तज़े ककया, स्जस ने मानवजनत के भपवष्य के ललए भयानक खतरे पदै ा कर ददए। हमारे ग्रह पर तले और ऊजाण ससं ािनों का मुख्य भंडार आज भी मध्य पवू ण मंे स्स्ित है, पवशेर्ष रूप से फारस की खाड़ी में, साि ही कै स्स्पयन सागर 1 H. Winkler. World Resources. – M., 1986, p. 240. 19
और कॅ रीत्रबयाई सागर की घादटयों मंे भी, जहां पवश्व के लगभग सिर प्रनतशत तले के भण्डार कें दित हंै। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कक सभी पवकलसत देशों में, के वल अमरे रका ही अपने उद्योग की जरूरतों को स्वयं के तेल भडं ारों से परू ा कर सकता है। अन्य पस्श्चमी देश अपनी तले की जरूरतों को परू ा करने के ललए मखु ्य रूप से मध्य और मध्य पवू ण एवं फारस की खाड़ी के देशों पर ननभरण करते हंै। पवशरे ्षज्ञों के अनसु ार, खाड़ी के यह देश कच्चे तेल के बहुत बड़े और अ्यधिक उ्पादक हैं: यहाँा एक कु आँा प्रनतददन औसतन ७०० से १३०० टन कच्चा तले ननकालता है, जबकक संयकु ्त राज्य अमरे रका में वैसा ही एक कु आं के वल ४ टन कच्चा तले ननकालता है। इसके अनतररक्त फारस की खाड़ी में खनन ककये एक टन कच्चे तेल की लागत, सभी उ्पादन तिा पररवहन लागतों को संलग्न करते हुए, सयं कु ्त राज्य अमरे रका मंे उ्पाददत तले की तलु ना मंे सात गनु ा कम है।1 इसललए, मध्य और मध्य पवू ण के देशों मंे तेल के उ्पादन और त्रबक्ी से बहुराष्रीय सगं ठनों को अतं रराष्रीय मिु ा में इतनी आमदनी होती है जो अन्य उद्योगों मंे पूरी तरह से असभं व हैं।2 वैस्श्वक तले भडं ार की कम होने की प्रकक्या, तले उ्पादों या ईंिन की कमी, पवश्व के उद्योगों की वसै ्श्वक प्रर्ाली तिा पवशरे ्ष उद्योगों की स्स्िनत को कमजोर कर रही है, स्जसके फलस्वरूप सामान्य तौर पर पथृ ्वी पर जीवन की लय का िीमा होना खतरे की घटं ी है। पपछली सदी के नब्बे के दशक स,े वशै ्वीकरर् और सचू ना पवननमय के सावभण ौलमकरर् के कारर् पवश्व अिवण ्यवस्िा प्राकृ नतक संसािनों, औद्योधगक कच्चे माल और वसै ्श्वक बाजारों की खोज को तजे करते हुए अपने पवकास के एक राह पर चल पड़ी है, स्जसके कारर्, वसै ्श्वक राजनीनत का वसै ्श्वक अिवण ्यवस्िा से सबं िं और भी गहरा हो गया है, जो पजंू ी की शस्क्त के दहतों और पवकास के ऊपर ध्यान कंे दित करता है। पवश्व राजनीनतक प्रकक्या और भरू ाजनीनतक पररवतनण ों से प्रभापवत होने के बाद, सबसे पहले तो, अिवण ्यवस्िा 1 Ibid. 2 Ibid. 20
के वशै ्वीकरर् ने प्राकृ नतक सपं दा, कच्चे माल के भंडार और पवश्व बाजारों मंे प्रनतस्पिाण की सीमा को और अधिक बढा ददया है। वैस्श्वक ननगमों और बहुराष्रीय कं पननयों का प्रभाव बढ रहा है, जो अपने स्वािों और लक्ष्यों की खानतर सभी राष्रों और सभी क्षेरों मंे अपनी पजूं ी बढाने की संभावना तलाशते रहते हंै। वे उन राष्रों या राज्यों को मसु ीबतों, अशानं त और अव्यवस्िा की खाई में डाल देते हंै, जो उनके साि सम्बन्ि और सहयोग स्िापपत करने से बचते हैं, या कफर उनके अनधु चत दावों को अस्वीकार करते हंै। उनके सचं ार और खुकफया संजाल के पास दशु ्मनी भड़काने का समदृ ्ि अनभु व है। ऐसे देशों और राज्यों के गुतत खकु फया संगठन और अतं रराष्रीय कम्पननयाँा तिा समाज के अंदर और बाहर के अन्य काननू ी और पविीय ससं ्िान असहयोगी देशों मंे अशांनत आयोस्जत करते हं।ै यहााँ प्रलसद्ि पवशरे ्षज्ञ ए. ई. उटककन की दटपण्र्ी है: \"अतं रराष्रीय ननगमों और गरै -सरकारी संगठनों ने कम पवकलसत देशों की आबादी पर अभतू पूवण सहजता और शस्क्त के साि राष्रीय सीमाओं को पार कर बल का प्रयोग शुरू कर ददया है, ताकक न तो राष्रीय सरकारंे और न ही स्िानीय अधिकारी बढती हुई ननभरण ता से उ्पन्न समस्याओं का सामना कर सकें । पजंू ीपनत, मानो, अपनी राष्रीयता \"भलू त\"े हुए, उन क्षेरों मंे भारी मारा मंे भाग ले रहा है, जहां स्स्िरता और उच्च श्रम दक्षता के कारर् अधिकतम लाभ प्रातत होता है। जैसे कक बकैं , रस्ट कं पननयााँ, औद्योधगक कं पननयाँा, अपने राष्रीय सरकारों की दायरे से बाहर आ गयी हों, और अपनी नई अधिगहृ ीत स्वतंरता के पररर्ामस्वरूप, पूजं ी का प्रवाह एक प्रकार की आ्मननभरण प्रकक्या बन गया हो।”1 नई सदी की शरु ुआत मंे, वसै ्श्वक अिवण ्यवस्िा एकल ननकाय या ससं ्िा का रूप ले चकु ी है, और दनु नया का कोई भी छोटा या बड़ा देश अपने आप को इस प्रकक्या से अलग नहीं रख सकता है। वैस्श्वक बाजार मंे प्रनतस्पिाण में बढोतरी और अतं रराष्रीय सगं ठनों की भलू मगत खननजों एवं कु ओं तिा छोटे-बड़े देशों की अिवण ्यवस्िाओं पर कब्जा 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 39. 21
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