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'Sanskriti' E-book 2nd Edition: GST (Audit-II) Mumbai

Published by ram.dnpr, 2021-12-08 06:03:01

Description: 'Sanskriti' E-book 2nd Edition: GST (Audit-II) Mumbai

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जितीय अंुक: 2021 सी.जी.एस.टी. (लेखा परीक्षा-II) आयुक्तालय, मुंबई 30 वीं मजंु जल, संेटर-I, वर्ल्ड ट्रे् सेंटर, कफ परे्, मुबं ई- 400005.

“जन, भमू ि, भाषा एवं ससं ्कृ मि से मिलकर एक राष्ट्र का मनिााण होिा है।” जीएसटी (लेखा परीक्षा-।।) मुंबई आयकु ्तालय की ह दुं ी ई-पहिका “सुसं ्कृ हि” के हििीय अकुं के प्रकाशन पर मझु े ाहदकि प्रसन्निा ो र ी ।ै म ात्मा गाधंु ीजी के अनसु ार- “राष्ट्रीय व्यव ार मंे ह दुं ी को काम मंे लाना देश की उन्नहि के हलए आवश्यक ै, अिः मािभृ ाषा एवंु राजभाषा के प्रहि मारे मन में आस्था, आदर और प्रेम भाव ोना चाह ए।” भाषा न हसर्ि भावों एवुं हवचारों की अहभव्यहक्त का माध्यम ैं बहकक मारे दशे की सुंस्कृ हि, साह त्य एवुं संसु ्कारों का आधार भी ।ैं हवभागीय पहिका का प्रकाशन भारि संुघ की राजभाषा के प्रचार-प्रसार की हदशा मंे एक सकारात्मक कदम ।ै आइए, य प्रहिज्ञा करें हक म एक साथ हमलकर मन, वचन और कमि से ह दंु ी के प्रचार-प्रसार में सहिय एवंु सजृ नात्मक स योग दगें े और ह दंु ी को उसके सम्मानजनक स्थान पर प चुँ ा कर राष्ट्र का गौरव बढाएंगु ।े म सब, न हसर्ि इसे अपना संवु धै ाहनक दाहयत्व मान कर बहकक नहै िक दाहयत्व समझ कर सरकारी कामकाज के साथ-साथ अपने हनजी जीवन मंे भी ह दंु ी का अहधक से अहधक प्रयोग परू े मनोयोग से करें। साथ ी, राजभाषा के प्रभावी कायानि ्वयन िथा उत्तरोत्तर हवकास के हलए राजभाषा सुंबुंधी आदशे ों- अनदु शे ों का अनपु ालन भी उसी दृढिा के साथ करंेगे, हजस प्रकार अन्य सरकारी आदशे ों-अनदु शे ों का अनपु ालन हकया जािा ।ै म इस अवसर पर माननीय प्रधान मखु ्य आयकु ्त म ोदय श्री अशोक कु मार मे िा जी के प्रहि अपना आभार प्रकट करना चा िे ंै जो इस यािा के प्ररे णास्रोि ंै और हजनके मागदि शनि मंे जीएसटी (लेखा परीक्षा-।।) मंुबई आयकु ्तालय की ई-पहिका के हििीय ससुं ्करण का प्रकाशन ो र ा ।ै पहिका के प्रकाशन से जडु े सभी अहधकाररयों और कमिचाररयों के अनपु म प्रयास की म सरा ना करिे ैं िथा “संुस्कृ हि” के इस अुंक की सर्लिा के हलए ाहदकि शभु कामनाएँु दिे े ।ैं संुपादकीय.......

मझु े यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता है कक जीएसटी (लेखा परीक्षा-।।) मंबु ई आयुक्तालय द्वारा किभागीय कहदं ी ई-पत्रिका के कद्वतीय अंक “संस्कृ त्रि” का प्रकाशन ककया जा रहा ह।ै आज भारत मंे ही नहीं बककक परू े किश्व मंे कहदं ी भाषा का प्रयोग बढ़ रहा ह।ै अपनी व्यापकता एिं लोककप्रयता के कारण शासन, िाकणज्य, व्यापार, मीकिया आकद क्षेत्रों मंे भी कहदं ी का प्रयोग बढ़ रहा ह।ै आयकु ्तालय मंे कायरय त अकिकाररयों एिं कमयचाररयों की कहदं ी मंे कायय करने की प्रिकृ ि और राजभाषा के प्रकत उनकी अकभरुकच देखकर मझु े बहुत प्रसन्नता हईु ह।ै हमें आयकु ्तालय मंे राजभाषा प्रचार-प्रसार की इस गकत को बनाए रखना है। इसके कलए आयकु ्तालय के सभी अकिकाररयों, सककय ल एिं समहू के प्रभाररयों को इस ओर किशेष ध्यान दने े से न के िल कहदं ी मंे कायय के प्रकतशत में िकृ ि होगी बककक कहदं ी के प्रयोग करने की प्रिकृ ि को बल कमलेगा। कनिःसदं हे गहृ पकत्रका के प्रकाशन से कायालय य मंे राजभाषा कहदं ी के प्रकत अनुकू ल िातािरण का सजृ न होता है एिं किभागीय अकिकाररयों एिं कमयचाररयों की लेखन-प्रकतभा भी उजागर होती ह।ै साथ ही, यह पकत्रका राजभाषा कहदं ी के प्रचार-प्रसार मंे भी महत्िपणू य भकू मका कनभाती ह।ै मंै पकत्रका के कद्वतीय अंक “संस्कृ त्रि” के ई-प्रकाशन के कलए जीएसटी (लखे ा परीक्षा-।।) मंबु ई आयकु ्तालय को हाकदकय बिाई दते ा हूँ क्योंकक ई-प्रारुप मंे प्रकाकशत करने से पयायिरण के प्रकत संिदे ना एिं किभागीय उिरदाकयत्ि के कनिहय न में महत्िपणू य योगदान दशातय ा ह।ै मंै आशा करता हँू कक यह पकत्रका कहदं ी के किकास और प्रचार-प्रसार के उद्दशे ्य में सफल रहगे ी। मैं इस पकत्रका के प्रकाशन से जडु े सभी अकिकाररयों और कमयचाररयों को हाकदकय शभु कामनाएँू दते ा हँू और इस पकत्रका की व्यापक सफलता की कामना करता ह।ूँ (अशोक कु मार मेहिा) प्रधान मुख्य आयकु ्त के न्द्रीय वस्िु एवं सेवा कर िथा के न्द्रीय उत्पाद शलु ्क, मबंु ई जोन

यह बडे़ हर्ष की बात है कक के़ न्द्रीय वस्तु एवं सव़े ा कर तथा के़ न्द्रीय उत्पाद शलु ्क, जीएसटी (ले़खा परीक्षा-।।) आयकु ्तालय अपनी कहदं ी ई-पकिका “संस्कृ ति” क़े कितीय अंक का प्रकाशन करऩे जा रहा ह।ै मैं इस सदं श़े के़ माध्यम स़े आयकु ्तालय के़ सभी अकिकाररयों/ कमषचाररयों स़े अपील करता हँू कक वे़ अपना अकिक स़े अकिक कायाषलयीन कामकाज राजभार्ा कहदं ी मंे करंे एवं राजभार्ा क़े माध्यम से़ हम एक दसू ऱे से़ जडु े़ सवं िै ाकनक दाकयत्वों का सफल कनवषहन करें। कहदं ी के़ व्यावहाररक प्रयोग को बढाऩे के़ कलए सबस़े पहली बात यह है कक हम कहदं ी बोलने़ को राष्ट्रीय सम्मान के़ रूप में दखे़ ।ें यह बात मन स़े कनकाल दंे कक कहदं ी बोलऩे स़े हम सामाकजक तौर पर छोट़े कदखाई दते़ ़े ह।ै उच्च कशकक्षतों की पंकक्त मंे खडे़ होकर भी हम यकद कहदं ी का दामन न छोडंे तो यह राष्ट्र और राष्ट्रभार्ा को सम्मान द़ेऩे की बात होगी। आपने़ दखे़ ा होगा कक अनके़ कायाषलयों में ऐसा कलखा होता है कक कहदं ी मंे कायष करना आसान ह,ै शरु ुआत तो कीकजए या इस कायालष य में कहदं ी पिाचार का स्वागत है लक़े कन ऐसे़ घोर् वाक्य तब कमथ्या साकबत हो जाते़ हैं, जब उसी कायाषलय के़ लोग कहदं ी क़े स्थान पर हर जगह अगं ्रेज़ ी का प्रयोग करते़ ह।ैं कहदं ीतर भार्ी क्षिे़ हो या कफर कहदं ी भार्ी क्ष़िे , सभी स्थानों पर कहदं ी का प्रयोग बढाने़ की आवश्यकता है। कहदं ी बोलना, कलखना राष्ट्र का गौरव होना चाकहए। ककसी अन्द्य भार्ा का ज्ञानी होना गलत नहीं है परंतु अपनी भार्ा को सामाकजक उच्चता क़े कलए बािक मानना या हीन भावना रखना सवथष ा अनकु चत ह।ै जीएसटी (लखे़ ा परीक्षा-।।) आयकु ्तालय जहाूँ एक ओर राजस्व सकं लन की गकतकवकियों में तत्परता से़ सलं ग्न है वहीं दसू री ओर राजभार्ा कहंदी क़े प्रचार-प्रसार क़े प्रकत भी संकल्पबद्ध ह।ै ई-पकिका प्रकाकशत करने़ का मलू उद्दश़े ्य यही है कक सभी अकिकारी एवं कमचष ारी कहदं ी मंे कायष करने़ के़ कलए प्ऱेररत हों और उनमंे कहदं ी क़े प्रकत सम्मान और गौरव जागतृ हो। आयकु ्तालय की कहदं ी ई-पकिका “ससं ्कृ कत” क़े कितीय ससं ्करण में अपनी रचनाओं के़ माध्यम से़ रचनाकारों ने़ अपनी सजृ नात्मकता का जो पररचय कदया है वह अत्यतं प्रशंसनीय ह।ै मंै पकिका क़े सपं ादक मडं ल क़े सदस्यों एवं रचनात्मक सहयोग दऩे ़े वाल़े समस्त अकिकाररयों एवं कमषचाररयों को बिाई दते़ ा हूँ और आशा करता हँू कक भकवष्ट्य मंे भी आपका सहयोग प्राप्त होता रहगे़ ा। (रमेश चन्द्र) आयकु ्त जी.एस.टी (लेखा परीक्षा-II) मबंु ई

के न्द्रीय वस्तु एवं सवे ा कर तथा के न्द्रीय उत्पाद शलु ्क, जीएसटी (लेखा परीक्षा-।।) आयकु ्तालय द्वारा अपनी ववभागीय ई-पविका के वद्वतीय अंक “संस्कृ ति” का प्रकाशन राजभाषा के प्रयोग को प्रोत्सावित करने की वदशा मंे एक मित्त्वपरू ्ण कदम ि।ै इसके माध्यम से न के वल राजभाषा के प्रयोग को बढावा वमला िै बवल्क आयकु ्तालय के अविकाररयों तथा कमचण ाररयों व उनके पररवार के सदस्यों की कलात्मक रचनाओं को भी प्रोत्सािन वमला ि।ै भाषा दशे की सभ्यता एवं संस्कृ वत की संवािक िोती िै व वकसी भी दशे के सामावजक, िावमणक, सासं ्कृ वतक एवं दाशणवनक पिलओु ं को जानने-समझने का एक सशक्त एवं प्रभावी माध्यम िोती ि।ै भारत में विदं ी एक ऐसी भाषा िै वजसमंे ये सभी गरु ् ववद्यमान ि।ंै विदं ी िमारी राष्ट्रभाषा के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता की भी भाषा ि।ै साथ िी दशे की संपकण व जनभाषा भी ि।ै अपनी भाषा मंे लेखन से ववचारों व कायों की अवभव्यवक्त सरल, सिज व स्वाभाववक िोती ि।ै इस वदशा मंे प्रयास करने से िी िम विदं ी को आगे बढाने में सफल िोंगे व इसी क्रम में आयकु ्तालय द्वारा शरु ू वकया गया प्रयास “ससं ्कृ वत” राजभाषा को बढावा दने े के वलए एक साथकण कदम ि।ै ई-पविका के वद्वतीय अंक के सफल प्रकाशन के वलए सपं ादक मडं ल को िावदकण बिाई एवं शभु कामनाएं। (िपन कु मार) अपर आयकु ्त (राजभाषा) जी.एस.टी (लेखा परीक्षा-II) मुबं ई

भाषा मानवीय संस्कृ ति का एक अनपु म सजृ न ह।ै इसमें राष्ट्र की ससं ्कृ ति समातहि और सरु तिि रहिी ह।ै हमारी जीवन शलै ी, परंपराओं और इतिहास मंे भाषा का अपना तवतशष्ट स्थान होिा ह।ै भाषा राष्ट्र की अतस्मिा और सम्मान का प्रिीक होिी है इसीतलए अपनी पहचान को बनाए रखने और अपनी ससं ्कृ ति को पीढी दर पीढी पहचं ाने के तलए हमें अपनी भाषाओं का सवं र्नध , तवकास और प्रचार-प्रसार करने के तलए तनरंिर प्रयास करने चातहए। सभी के सामतू हक प्रयासों से हम तहदं ी और अन्य भारिीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार िजे ी से कर सकिे ह।ंै यह अति प्रसन्निा की बाि है तक के न्रीय वस्िु एवं सवे ा कर िथा के न्रीय उत्पाद शलु ्क, लेखा परीिा-।। आयकु ्तालय द्वारा तहदं ी ई-पतिका “ससं ्कृ ति” के तद्विीय अंक का प्रकाशन तकया जा रहा ह।ै यह पतिका कायाधलय के दतै नक कायों में राजभाषा का प्रयोग बढाने की तदशा मंे उपयोगी तसद्ध होगी और तहदं ी में मौतलक लखे न करने के तलए प्रेरणा प्रदान करेगी। मझु े तवश्वास है तक इस पतिका के माध्यम से तहदं ी के उत्थान, उन्नयन एवं प्रचार-प्रसार का मागध प्रशस्ि होगा। “संस्कृ ति” का यह ई-पतिका अकं तवतभन्न रचनात्मक लखे ों से अलकं ृ ि है और तनतिि िौर पर राजभाषा तवभाग द्वारा प्रदत्त लक्ष्यों के कायाधन्वयन हिे ु आयकु ्तालय द्वारा तकये जा रहे साझा प्रयास को प्रदतशिध करिा ह।ै पतिका के सफल प्रकाशन के तलए मैं संपादक मडं ़ल के सदस्यों एवं लेखकों को बर्ाई दिे े हए पतिका के उत्तरोत्तर तवकास की कामना करिा ह।ँू (र्ीरेन्र मतण तिपाठी) अपर आयकु ्त जी.एस.टी (लेखा परीिा-II) मंबु ई

“संस्कृ ति” विभागीय व दंि ी पविका िर्ष 2021-22, वितीय अकिं सिंपादक मंडि ल सरंि क्षक श्री अशोक कु मार मेहिा, प्रधान मखु ्य आयकु ्त, के न्द्रीय िस्तु एिंि सेिाकर तथा के न्द्रीय उत्पाद शलु ्क, मिंबु ई जोन प्रधान सिपं ादक श्री रमेश चन्द्र, आयकु ्त, के न्द्रीय िस्तु एििं सेिाकर तथा के न्द्रीय उत्पाद शलु ्क, लखे ा परीक्षा-।।, मबंिु ई सपिं ादक श्री िपन कु मार, श्री धीरेन्द्र मति तिपाठी, अपर आयकु ्त, के न्द्रीय िस्तु एिंि सिे ा कर, अपर आयकु ्त, (स्थानातंि ररत) लखे ा परीक्षा-II, मबिंु ई राजभाषा सहायक अतधकारी सपं ादक श्री दुर्गेश तिवारी, श्री एन. एन. कमलापुरे, उप आयकु ्त, के न्द्रीय िस्तु एििं सिे ा िररष्ठ अनुिाद अवधकारी, के न्द्रीय िस्तु एििं कर, लखे ा परीक्षा-II, मंिबु ई सिे ाकर, लेखा परीक्षा-III, मिंबु ई तिजाइतनंर्ग & सहयोर्ग श्री रामतनवास मीना, श्री अजय तमश्रा, कर स ायक, के न्द्रीय िस्तु एििं सेिा कर, आशवु लवपक, के न्द्रीय िस्तु एििं सिे ा कर, लेखा परीक्षा-II, मबंिु ई लखे ा परीक्षा-III, मबिंु ई प्रकाशक (पविका मंे प्रकावशत रचनाओिं में व्यक्त विचार रचनाकारों के वनजी विचार ।ै )

अनकु ्रमतणका क्र. स.ं विषय लेखक/ संकलनकर्त्ता पृष्ठ सं. श्री/ श्रीमती/ कु . 1. प्रथम अकं के बारे में..... 2. सेवा गणु ता प्रबंध पद्धतत प्रमाणन लाइसेंस सपं ादक मंडल 1-3 3. राजभाषा त दं ी 4. चररत्र सपं ादक मडं ल 4-5 5. आधारभतू संरचना के तनमाणा में बढ़ते कदम... 6. जी एस टी (GST): लेखा परीक्षा-।। के बढ़ते कदम रमेश चंद्र 6-9 7. साइतकतलंग प्रततयोतगता 8. मेघनाद गोपाल तसं मीना 10-12 9. मैं स्त्री 10. संतवधान तदवस-2021 संपादक मडं ल 13 11. स्वततं ्रता संग्राम सेनानी 12. बचपन दगु शे ततवारी 14-15 13. आदशा नेततृ ्व पर गाधं ीजी का दृतिकोण 14. मायानगरी: मबंु ई संपादक मंडल 16 15. मंबु ई उत्कल ाई स्कू ल मंे वाटर कू लर, सफाई सामग्री एवं अध्ययन तपन कु मार 17-18 सामग्री के तवतरण की झलतकयां 16. मााँ बाबू लाल मीना 19-20 17. प्रशासतनक शब्दावली 18. ग़ज़ल संपादक मंडल 21-22 19. मबंु ई के तकले एवं गफु ाएं 20. चमचा प्रजातत सपं ादक मडं ल 23 21. अछू त व्यति 22. श्री मानव सेवा सघं (अनाथ एवं वदृ ्ध आश्रम) मंबु ई में वाटर कू लर का धीरेन्द्द्र मतण तत्रपाठी 24 तवतरण तदनेश कु मार वो रा 25-27 रामतनवास मीना 28-35 सपं ादक मंडल 36-37 धनञ्जय कु मार 38-39 सपं ादक मडं ल 40-44 चन्द्दन तसं तबि 45-46 आर. एस. चौ ान 47-52 तपन कु मार 53-54 नयन पण्ड्या सपं ादक मडं ल 55 56-57

23. कु छ काटूान्द्स, फोटोज एवं पतंे टंग्स रतव कु मार राणे 58-62 24. अपना ददा कै से बयाँा करँा मकु े श तमश्रा 63 25. वषाा ऋत:ु तीन मिु क एन.एन.कमलापरु े 64 26. कोंडाणा गफु ाएं आर. एस. चौ ान 27. सपने गोपाल तसं मीना 65-66 28. अभ्यास पररपणू ा बनाता ै अनरु ाधा बगे 67-68 29. त दं ी पखवाड़ा की झलतकयां आर. एस. चौ ान 69-70 30. आगे बढ़ने का प्रयास तप्रयकं ा छापोतलया 71-72 31. ततरुवल्लवु र (திருவள்ளுவர)் : ततमल सगं म सात त्य के तदनशे कु मार वो रा 73-74 32. रकिबदीरान की झलतकयां संपादक मंडल 75-77 33. कायाालय मंे त दं ी के पोस्टर आर. एस. चौ ान 34. कु छ पेंतटंग्स त तेश कु मावत 78 35. मधरु वाणी की शति अभयकु मार पशीने 79 36. Twitter Handle पर अपलोड की गई कु छ तस्वीरंे सपं ादक मंडल 80 37. स्वच्छता अतभयान संपादक मडं ल 81 38. स्वामी दयानंद सरस्वती दीपक कु मार 82-83 39. अ कं ार एम. एस. गरु व 84-85 40. आयिु ालय की तवतवध गतततवतधयों की कु छ तसवीरें संपादक मंडल 86-87 41. सकारात्मक तवचारों का प्रभाव उमेश कु मार 88 42. दोस्ती की परख तदलीप जे. मोरे 89-94 43. य गलती भूलकर भी मत करना आाचँ ल अरोरा 95 44. कफ परेड मंे तस्थत कु छ इमारतें व स्थल आर. एस. चौ ान 96 45. सजा जरर तमलगे ी राजने्द्द्र कटाररया 97 46. गीता का उपदशे तपन कु मार 98 47. नकारात्मक तवचार मे न्द्त कु मार मीणा 99 48. जसै ी तनयतत, वैसा ी फल एन.एन.कमलापरु े 100-101 102 103

प्रथम अुकं के बारे म.ंे .... जी.एस.टी. (लखे ा परीक्षा-II) मंबु ई आयकु ्तालय मंे नियकु ्त आदरणीय श्री रमेश चन्द्र, आयकु ्त महोदय, द्वारा नहन्द्दी में कायय को प्रोत्सानहत करिे एवंु नवभागीय अनिकाररयों की लखे ि, भानिक, सजृ िात्मक एवंु अनभव्यनक्त संुबुंनित कु शलताओुं को प्रकट करिे के उद्दशे ्य से प्रनत विय 'ससंु ्कृ नत' िामक ई-पनिका प्रकानशत करिे का निणयय नलया गया था नजसके प्रथम अंुक का नवमोचि गत विय 74 वें स्वतुंिता नदवस की पवू य संधु ्या पर नकया गया। इस अुकं के बारे मंे कें रीय अप्रत्यक्ष कर एवंु सीमा शलु ्क बोर्य के अध्यक्ष श्री एम. अनजत कु मार द्वारा अपिे पि मंे सराहिा की गई थी। 'संसु ्कृ नत' ई-पनिका के प्रथम अकुं /संसु ्करण के प्रकाशि का उद्दशे ्य सफल रहा। इससे अनिकाररयों एवुं कमयचाररयों में नहन्द्दी के प्रनत उत्साह एवंु जागरूकता मंे वनृ ि हईु । चंुनू क यह पनिका ई-प्रारूप में प्रकानशत की गई थी नजसे शनू्द्य लागत (Zero Cost) पर प्रकानशत नकया गया था। इससे ि के वल राजकीय खचय को बचाया बनल्क कागज बचाकर पयायवरण के प्रनत सवंु ेदिा और नवभागीय उत्तरदानयत्व का भी निवयहि नकया। ध्यात्वय है नक इससे पवू य में प्रकानशत होिे वाली सभी नवभागीय पनिकाएुं कागज पर छपती थी। “संसु ्कृ नत” का प्रथम अुंक ि के वल इस आयकु ्तालय का बनल्क प्रथम नवभागीय ई-संसु ्करण था। आदरणीय आयकु ्त महोदय श्री रमेश चन्द्र के द्वारा ई-प्रारूप मंे शरु ू की गई इस अिठू ी पहल की अध्यक्ष महोदय के साथ साथ अन्द्य आयकु ्तालयों के अनिकाररयों एवंु कमचय ाररयों िे भरू ी-भूरी प्रशुसं ा की। पनिका प्रकाशि के ई-प्रारूप को लोकनप्रय करिे का भरसक प्रयास नकया जा रहा ह।ै उम्मीद है, प्रथम अंकु की तरह नद्वतीय अंुक भी आप सभी को पसदुं आएगा। :Click here to read the first edition of Sanskriti https://online.pubhtml5.com/jjmj/gcai/ 1

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इस आयुक्तालय को भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सेवा गुणता प्रबधं पद्धतत प्रमाणन लाइसंेस प्रदान तकया जा चुका है 4

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रािभाषा वहदं ी रमशे चन्र, आयकु ्त निज भाषा उन्िनि अहै, सब उन्िनि को मलू नबि निज भाषा-ज्ञाि के , नमटि ि नहय को सूल।। भाषा मानवीय भावनाओं और ववचारों की अवभव्यवि का सबसे सशि माध्यम होता ह।ै भाषा ही वह माध्यम है विसके सहारे पाररवाररक, सामाविक, क्षेत्रीय एवं अतं रााष्ट्रीय स्तर पर एक इसं ान दसू रे इसं ान से िडु ा हुआ ह।ै सामान्यतः एक क्षते ्र ववशेष मंे वववभन्न तरह की भाषाओं का इस्तमे ाल वकया िाता है परंतु हर क्षते ्र ववशषे की अपनी एक भाषा होती है विससे इसं ान आत्मीय रूप से िडु ा हआु होता है और उस भाषा से उस क्षते ्र ववशेष के लोग बेहद लगाव रखते ह।ंै यवद भारत के संदभा में बात करंे तो भारतीय संववधान की आठवीं अनुसचू ी के तहत 22 भाषाओं को सवं धै ावनक रूप से आवधकाररक भाषा का दिाा प्रदान वकया गया ह।ै इन 22 भाषाओं को 90 प्रवतशत आबादी द्वारा बोला और समझा िाता ह।ै इन सभी भाषाओं में वहन्दी सबसे अवधक बोली िाने वाली भाषा ह।ै वहन्दी भाषा से हमारा बहतु परु ाना नाता ह।ै आिादी से पहले दशे को एकता के सतू ्र में वपरोन,े वववभन्न क्षेत्रों में वनवास करने वाले लोगों को एक मंच पर लाने एवं आिादी के सघं षा करने हते ु दशे वावसयों के वदलों मंे िोश, उत्साह तथा दशे भवि का संचार करने में वहन्दी भाषा का अतलु नीय योगदान रहा ह।ै चंूवक ऐवतहावसक रूप से महत्वपरू ्ा होने के साथ-साथ वहन्दी भाषा भारत मंे सवावा धक प्रचवलत एवं लोकवप्रय भाषा है इसवलए इसे हमारे दशे मंे रािभाषा का दिाा प्रदान वकया गया ह।ै अंग्रेिी एवं मदं ाररन भाषा के बाद वहदं ी भाषा ववश्व में सवाावधक बोली िाने वाली भाषा ह।ै भारत और ववदशे में करीब 61 करोड लोग वहदं ी बोलते हैं तथा इस भाषा को समझने वाले लोगों की कु ल संख्या करीब 90 करोड ह।ै वहदं ी भाषा का मलू प्राचीन संस्कृ त भाषा मंे ह।ै इस भाषा ने अपना वतमा ान स्वरूप कई शतावददयों के पश्चात हावसल वकया है और बडी संख्या में बोलीगत वववभन्नताएं अब भी मौिदू ह।ंै वहदं ी की वलवप दवे नागरी है, िो वक कई अन्य भारतीय भाषाओं के वलए उपयिु ह।ै वहदं ी के अवधकतम शदद ससं ्कृ त से वलए गए ह।ैं 6

भारत के संववधान में दवे नागरी वलवप मंे वहदं ी को सघं की रािभाषा घोवषत वकया गया ह।ै वहदं ी की वगनती भारत के संववधान की आठवीं अनसु चू ी मंे शावमल 22 भाषाओं में की िाती ह।ै भारतीय सवं वधान मंे व्यवस्था है वक कें द्र सरकार की पत्राचार की भाषा वहदं ी और अंग्रेिी होगी। यह अनमु ान लगाया गया था वक 1965 तक वहदं ी परू ्ता ः कंे द्र सरकार के कामकाि की भाषा बन िाएगी। राज्यों को रािकाि की भाषा तय करने मंे छू ट प्रदान की गई थी। अनचु ्छेद 344 और अनचु ्छेद 351 मंे ववर्ात वनदशे ों के अनसु ार, साथ में राज्य सरकारंे अपनी पसंद की भाषा में कामकाि सचं ावलत करने के वलए स्वतंत्र होंगी। लेवकन रािभाषा अवधवनयम (1963) को पाररत करके यह व्यवस्था की गई वक सभी सरकारी प्रयोिनों के वलए अंग्रिे ी का प्रयोग भी अवनवश्चत काल के वलए िारी रखा िाए। अतः अब भी सरकारी दस्तावेिों, न्यायालयों आवद मंे अंग्रिे ी का इस्तेमाल होता ह।ै हालावं क, वहदं ी के ववस्तार के संबधं में सवं धै ावनक वनदशे बरकरार रखा गया। राज्य स्तर पर वहदं ी भारत के कु छ राज्यों की रािभाषा है िसै े वबहार, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, मध्य- प्रदशे , रािस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, वहमाचल प्रदशे , हररयार्ा और वदल्ली इत्यावद। ये प्रत्येक राज्य अपनी सह-रािभाषा भी बना सकते ह।ंै उदाहरर् के तौर पर उत्तर प्रदशे में उदाू को सह-रािभाषा का दिाा वदया गया ह।ै इसी प्रकार कई राज्यों मंे वहदं ी को भी सह-रािभाषा का दिाा प्रदान वकया गया ह।ै यह उल्लेख करना उवचत होगा वक ववदवे शयों में भी भारत की धनी संस्कृ वत को समझने की रुवच बढ़ी ह।ै यही विह है वक कई दशे ों ने अपने यहां भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन दने े के वलए वशक्षर् कंे द्रों की स्थापना की ह।ै भारतीय धमा, इवतहास और ससं ्कृ वत पर वववभन्न पाठ्यक्रम सचं ावलत करने के अलावा इन कें द्रों मंे वहदं ी, उदाू और ससं ्कृ त िैसी कई भारतीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम संचावलत वकए िाते ह।ंै वैश्वीकरर् और वनिीकरर् के इस पररदृश्य मंे अन्य दशे ों के साथ भारत के बढ़ते व्यापाररक संबंधों को दखे ते हुए सबं ंवधत व्यापाररक साझेदार दशे ों की भाषाओं की अन्तर-वशक्षा की िरूरत महससू की िाने लगी ह।ै इस घटनाक्रम ने अन्य दशे ों मंे वहदं ी को लोकवप्रय और सरलता से सीखने योग्य भारतीय भाषा बनाने में काफी योगदान वदया ह।ै अमरीका मंे कु छ स्कू लों ने फ्रें च, स्पेवनश और िमान के साथ-साथ वहदं ी को भी ववदशे ी भाषा के रूप मंे शरु ू करने का फै सला वकया ह।ै वहदं ी ने भाषा-ववषयक काय-ा क्षते ्र मंे स्वयं के वलए एक वैवश्वक मान्यता अविता कर ली ह।ै भाषाओं और ववशेष रूप से वहदं ी में भाषा प्रौद्योवगकी मंे ववकास की शरु ूआत 1991 में इलेक्ट्रॉवनकी ववभाग के अधीन भारतीय भाषा प्रौद्योवगकी ववकास वमशन (TDIL) की स्थापना के साथ हुई। इसके उपरांत इस वमशन के तहत बडी सखं ्या मंे गवतवववधयां सचं ावलत की गई।ं भारतीय भाषाओं की समवृ ि को ध्यान में रखते हुए 1991 में वहदं ी सवहत सवं धै ावनक रूप से स्वीकाया प्रत्येक भाषा मंे तीन लाख 7

शददों का सगं ्रह ववकवसत करने का फै सला वकया गया। तदनसु ार वहदं ी शदद संग्रह ववकवसत करने का काम आईआईटी वदल्ली को सौंपा गया। हमारी राष्ट्रीय भाषा की अत्यवधक लोकवप्रयता और बढ़ते अतं राषा्ट्रीय महत्व के साथ-साथ, वहदं ी भाषा के क्षते ्र मंे रोिगार के अवसरों में भी काफी प्रगवत हुई ह।ै कंे द्र सरकार, राज्य सरकारों (वहदं ी भाषी राज्यों मंे) के वववभन्न ववभागों म,ें वहदं ी भाषा मंे काम करना अवनवाया ह।ै अतः कंे द्र/राज्य सरकारों के वववभन्न ववभागों और इकाइयों मंे वहदं ी अवधकारी, वहदं ी अनवु ादक, वहदं ी सहायक, प्रबंधक (रािभाषा) िैसे वववभन्न पदों की भरमार ह।ै वनिी टीवी और रेवडयो चनै लों की शुरूआत और स्थावपत पवत्रकाओ/ं समाचार-पत्रों के वहदं ी संस्करर् आने से रोिगार के अवसरों में कई गरु ्ा ववृ ि हुई ह।ै वहदं ी मीवडया के क्षते ्र मंे संपादकों, सवं ाददाताओ,ं ररपोटारों, न्यिरीडस,ा उप-सपं ादकों, प्रफू रीडरों, रेवडयो िॉकी, एकं सा आवद। रॉकी, एकं सा आवद की बहुत आवश्यकता ह।ै इनमें रोिगार की इच्छा रखने वालों के वलए पत्रकाररता/िन-संचार में वडग्री/वडप्लोमा के साथ- साथ वहदं ी में अकादवमक योग्यता रखना महत्वपरू ्ा ह।ै इसमें प्रमखु अंतरााष्ट्रीय लेखकों के कायों का वहदं ी में अनवु ाद तथा वहदं ी लेखकों की कृ वतयों का अगं ्रेिी और अन्य ववदशे ी भाषाओं मंे अनवु ाद काया करना भी सवममवलत होता ह।ै वफल्मों की वस्क्रप्टों/ ववज्ञापनों को वहदं ी/अगं ्रेिी में अनवु ाद करने का भी काया होता ह।ै वहदं ी भाषा मंे स्नातकोत्तरों, ववशेषकर विन्होंने अपनी पी.एच.डी परू ी कर ली ह,ै के वलए ववदशे ों में भी रोिगार के अवसर ह।ंै कु छ दशे ों द्वारा वहदं ी को वबिनसे की भाषा स्वीकार वकए िाने के फलस्वरूप ववदशे ी ववश्वववद्यालयों में वहदं ी भाषा और भाषा-ववज्ञान के वशक्षर् की बहतु मांग बढ़ी ह।ै भारत मंे स्कू लों, कॉलेिों और ववश्वववद्यालयों में वशक्षक के तौर पर भी परंपरागत वशक्षर् व्यवसाय को चनु ा िा सकता ह।ै प्रत्यके वषा 14 वसतमबर को वहन्दी वदवस मनाया िाता ह।ै इस अवसर पर सरकारी, अिासरकारी तथा वनिी संस्थाओं में कहीं वहन्दी सप्ताह तो कहीं पखवाडा मनाया िाता ह।ै सभी िगह िो कायाक्रम आयोवित होते ह,ंै विसमंे वनबधं , कहानी तथा कववता लेखन के साथ ही वाद- वववाद प्रवतयोवगतायें होती हैं तो कहीं पररचचाा आयोवित होती ह।ंै 8

भारत में हर कागज़ पर िब वहन्दी वलखी िाएगी, तभी वहन्दी वदवस का पावन लक्ष्य परू ा होगा। िय वहन्द..िय वहन्दी। ‘वहन्दी है हम, वतन है वहदं सु ्तान हमारा।। एकता की िान ह,ै वहन्दी देश की शान ह।ै वहन्दी का सममान, दशे का सममान ह।ै वहन्दी का ववकास, दशे का ववकास । वहन्दी भारत माता की वबंदी। वहन्दी है मरे े वहन्द की धडकन। वहन्दी अपनाओ, दशे का मान बढाओ। वहन्दी-उदाू भाई-भाई, ससं ्कृ त-वहदं ी दीदी-बहन िो राष्ट्रप्रमे ी हो, वह राष्ट्रभाषा प्रमे ी हो। वहन्दी ही वहन्द का नारा ह.ै प्रवावहत वहन्दी धारा ह।ै 9

चरित्र गोपाल स हंि मीना हायक आयकु ्त आध्यात्मिक जीवन बाकी जीवन से अलग नहीं ह,ै यह त्सर्फ सवोत्ति जीवन ह।ै िहान योत्गओं के बारे ि,ंे जो ब्रह्माण्ड के समय का अहसास जीवन को बदल दने े वाले त्हिस्खलन के प्रकाश पजं के द्वारा करके उस प्रकाश की एकामिकता होने को िहससू करते ह।ैं यह दखे कर आदिी या औरत एक पडे ़ या गर्ा के नीचे त्दनों-त्दन तक ध्यान लगाने का त्नर्फय ले सकते ह,ैं या त्र्र वे त्दनों-त्दन तक व्रत रख सकते हैं, कत्िन तीर्यफ ात्राओं पर जा सकते हैं और रहस्यवादी िन्त्त्रों का घटं ों तक अभ्यास कर सकते ह।ैं क्या वे अपने प्रयासों िंे सर्ल होंगे? अनभव कहता है शायद नहीं। वास्तत्वक जीवन उनकी यात्रा के त्लए एक कं जी प्रदान करता ह,ै कल्पना कीत्जये त्क कोई जो एक त्पयानो संगीत कायफक्रि िें जाता है और दत्नया के सबसे बड़े कलाकार को सनता ह,ै सगं ीत चिमकारी होता ह,ै त्पयानोवादक के कौशल िंे कोई किी नहीं ह,ै ऊँ चा उिाने वाला ह,ै बहे तरीन है और हिारा श्रोता त्नर्फय लेता ह,ै “यह िेरा रास्ता ह,ै िैं यही करना चाहता ह।ँ ” वह त्पयानो पर बिै जाता ह।ै िहान कलाकार के काि की बराबरी की कोत्शश करता है, पर संगीत िें वो बात नहीं आती, चाहे त्जतने घंटे खचफ हों, चाहे त्जतना ईिानदारी से त्कया गया प्रयास क्यों ना हो, वो उसकी प्रात्ि नहीं कर पाता जो उसने संगीत कायफक्रि िंे सना र्ा। क्यों? क्योंत्क वह यह एहसास नहीं कर पाते त्क उस त्वशषे ज्ञता के स्तर तक पहचँ ने के त्लए त्कस कायफ की आवश्यकता ह।ै सर्ल होने के त्लए यह िहमवपरू ्फ ह,ै रास्ते के प्रारंभ से ही शरुआत की जाये, ना त्क उसके िध्य या अंत्ति भाग से। अगर िलभतू बातों को छोड़ त्दया जाये, तो हिारे प्रयासों से त्टकाऊ आध्यात्मिक प्रगत्त प्राि नहीं होगी। त्पयानोवादक के िािले िें बत्नयादी बातंे हैं संगीत के त्सद्ांत, त्दिाग की पेत्शयों एवं िासं -पेत्शयों का प्रत्शक्षर्, स्िरर् शत्ि का त्वकास, एक सिझ रखने वाले कान को पोत्षत करना एवं अभ्यास, अभ्यास, अभ्यास। आध्यात्मिक जीवन िंे भी इससे कछ त्भन्त्न नहीं होता। िहान लोगों नें त्सर्फ त्कसी गर्ा िें बिै कर र्ोड़े सिय िंे प्रबद्घता नहीं पाई। उन्त्होंने स्वयं पर वषों, दशकों तक कायफ त्कया। उन्त्होंने साधना की। अपनी आदतों, इच्छाओ,ं प्रत्तत्क्रयाओं िें पररवतनफ त्कया। यहाँ तक त्क अपने चररत्र िें भी। अगर हि वह पाना चाहते हंै जो उन्त्होंने पाया, हिंे भी वही करना चात्हए जो उन्त्होंने त्कया। हिें उसके त्लए कायफ करना चात्हए। वो बत्नयादी बातें अर्वा नींव, त्जन पर हिारी आध्यात्मिक उन्त्नत्त त्नभरफ करती है, हिारा चररत्र ह।ै चररत्र वास्तव िंे है क्या? चररत्र िानत्सक और नैत्तक गर्ों का जोड़ है जो त्कसी व्यत्ि िें त्वत्शष्ट रूप से होता ह।ैं आध्यामि के पर् पर, पहले चरर् का प्रयास अपने चररत्र को बनाने, बेहतर करने और बदलने का ह।ै चररत्र के त्निारफ ् के त्लए, त्नयिों के त्हसाब से कायवफ ाही करने से, एक व्यत्ि को िहससू करना चात्हए त्क सहज भाव से कायफ करने से, उसने जो पररर्ाि भोग,े उन्त्हंे वह दबारा अनभव नहीं करना चाहगे ा इसत्लए अब वह िहससू करता है त्क उसे इस संयि का पालन करना चात्हए तात्क दबारा उसे उन पररर्ािों को न भोगना पड़े। यही नींव ह;ै इस नींव के त्बना आध्यात्मिक त्वकास नहीं है, र्ल नहीं ह।ै उच्चति अनभतू्त का एहसास करने के प्रयास के त्बना इस नींव के डाले, कछ ऐसा होगा जसै े एक नींबू के वकृ ्ष को जड़ से काट कर उसे एक बाल्टी िंे रख दंे और उम्िीद करंे त्क उससे र्ल की प्रात्ि होगी, ऐसा हरत्गज़ नहीं होगा।\" हि िें से हर त्कसी िंे कई चररत्र के गर् ह।ैं चररत्र का गर् एक आदत होती ह,ै एक सधा हआ तरीका और सोचने का ढगं होता ह,ै बोलने या अत्भनय का। बहत से व्यत्ियों िंे सकारामिक चररत्र के गर्ों का एक सत्म्िश्रर् होता है 10

(जसै े त्क उमसाह, सियत्नष्ठा, त्वश्वसनीयता, दयालता या ईिानदारी) और नकारामिक गर् (जैसे त्क व्यंग्यामिक होना, आलसी, िंद या भ्रािक)। इस त्वचार को स्वीकारना त्क हि आलस्य जसै े नकारामिक चररत्र के गर् को बदल सकते ह,ंै एक आवश्यक पहला कदि होगा। एक बार इस पररप्रेक्ष्य को ध्यान िंे रखगंे े, तब त्नम्नत्लत्खत चार पदों वाला दृत्ष्टकोर् अपनाना कार्ी उपयोगी होगा। इसके त्वपरीत सकारामिक चररत्र के गर्ों के त्वकास के त्लए : ✓ सकारामिक गर्वत्ता को सिझना ✓ इसकी अत्भव्यत्ि को पहचानना ✓ इसके लाभ को िहससू करना और ✓ इसकी अत्भव्यत्ि का अभ्यास करना इस प्रत्क्रया के उपयोग िें हि पतंजत्ल के योग सतू ्र के त्नम्नत्लत्खत त्सद्ांतों को ध्यान िें रख सकते ह:ैं “त्नम्नस्तरीय सोच को हटाने के त्लए उसके त्वपरीत सोच को पोत्षत त्कया जाना चात्हए। अप्रासतं ्गक त्वचार, जसै े त्क त्कसी को नकसान पहचँ ाना या और कछ-चाहे त्कया हो, त्कया जाना हो, या त्जसकी िंजरू ी दे दी हो, चाहे लालच से उपजा हो, गस्से या िोह से, चाहे हल्के , िध्यि या अत्तवाद से- कभी अज्ञानता और पीड़ा िंे पकने से रुकता नहीं इसीत्लए हिंे इसके त्वपरीत को पोत्षत करना चात्हए।” इस चार कदि की प्रत्क्रया को, आलस्य को िहे नत िंे बदलने के त्लए उपयोग त्कया जाये। पहल:े सकारामिक गर् को सिझें। यह सत्नत्ित करें त्क आपको त्जस चररत्र का गर् पोत्षत करना है उसकी स्पष्ट जानकारी हो। इसको करने का एक अच्छा तरीका यह होगा त्क इसको आप अपने शब्दों िें पररभात्षत करें। आइये हि बहत लगन से कायफ करने को िेहनती, जो त्कसी पररयोजना को खमि करने हते लम्बे सिय तक कायफ कर सकता हो, के रूप िंे पररभात्षत करंे। इसके त्वपरीत आलस्य होगा, “कड़ी िहे नत ना करना, त्बना काि के रहने को चनना” तदोपरांत सकारामिक गर् पर ध्यान लगाय।ें िेहनत आलस्य अभी कायफ करंे कायफ को टाल दें कायफ ख़मि करने के त्लए दरे तक कायफ करना जल्दी से जल्दी रुक जायें अत्धकति उमपादकता कि से कि करो दसू रा: इसकी अत्भव्यत्ि को पहचानं।े सकारामिक त्वचारों, शब्दों, दृत्ष्टकोर् और व्यवहार का प्रत्तत्नत्धमव करने वाले लोगों की एक सचू ी बनाएं। इसके बाद एक अन्त्य सचू ी त्वपरीत गर्ों की बनाए।ं तीसरा: इसके लाभ को िहससू करंे। इस गर् के र्ायदों की त्लस्ट बनाए।ं इसिंे अंतदृतफ्ष्ट को शात्िल कर सकते हैं जो इससे सिस्याएं होती हों, जब इसके त्वपरीत कायफ त्कया जाये। ▪ िहे नत ▪ पररवार एवं सिदाय की सेवा करने की बहे तर क्षिता ▪ कै ररयर िंे उन्त्नत्त के अवसर 11

▪ सहयोत्गयों से प्रशंसा ▪ बढा हआ आमिसम्िान ▪ आलोचना से बचाव शास्त्र अतं दृतफ्ष्ट प्रदान कर सकते ह।ैं अनवरत िेहनत से कायफ करने पर बहिलू ्य त्वचार प्रदान करता ह,ै यह कहते हए, \"सौभाग्य अपने आप िेहनत करके ऐसे व्यत्ि को ढूढं त्नकलता है त्जसके भीतर ना ख़मि होने वाली उजाफ हो।\" आलस्य के बारे िें वह चेतावनी दते ा ह:ै कायफ का टालना, त्वस्ितृ्त, आलस्य और नींद। यह चार उस जहाज को बनाते हंै त्जन पर सवार लोगों की त्कस्ित उन्त्हें बबादफ करती ह।ै \" चौर्ा: उसकी अच्छाइयों का अभ्यास करें। सकारामिक चररत्र का त्वकास करने वाले कायों का त्नयत्ित अभ्यास करें। पास से दखे ें जसै े त्क आप उनके अनभव से लाभात्न्त्वत हो रहे ह।ंै ऐसे लक्ष्य सािने रखंे जो आसानी से परू े हो सकंे । सावधान रहंे त्क लक्ष्य बहत ऊँ चे ना हों, जो परू े ना हो सकंे , आप हतोमसात्हत हो जायंे और प्रयमन करना छोड़ द।ंे िहे नत के गर् को बढाने के त्लए इस बात पर ध्यान के त्न्त्ित करें त्क आपकी उमपादकता प्रत्तत्दन पाचँ प्रत्तशत के त्हसाब से बढ।े यह कि या अत्धक करके हात्सल त्कया जा सकता है या त्र्र लम्बे सिय तक काि करके , या इन दोनों के सत्म्िश्रर् से। धीरे-धीरे चररत्र का त्निारफ ् शरू हो जायेगा और आपको पररभात्षत करने वाले बहत सारे लक्षर् बदलाव का इशारा करंेगे, त्जससे त्क आपके त्दन प्रत्त-त्दन के जीवन िंे गहरी आध्यात्मिकता और अत्त सरत्क्षत भौत्तक अत्स्तमव का अनभव होगा। याद रख:ंे लगातार चषे ्टा करना किफ पर त्वजय प्राि करने की कं जी ह।ै 12

आधारभूत सरं चना के ननर्ााण र्ें बढ़ते कदर्... 13

दुर्गेश तिवारी उप आयकु ्त (राजभाषा) वस्तु एवं सेवा कर या जीएसटी भारत सरकार की एक नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो 1 जलु ाई 2017 से लागू हईु । यह “एक राष्ट्र, एक बाजार, एक कर व्यवस्था” की अवधारणा पर आधाररत ह।ै वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी एक अखिल भारतीय स्तर पर लागू की गई एक बहु-स्तरीय, गतं व्य- आधाररत कर व्यवस्था है जो प्रत्येक मलू ्य मंे जोड़ पर लगाया जाता ह।ै कोई भी वस्तु खनमाणा से लेकर अखं तम उपभोग तक कई चरणों के माध्यम से गजु रता है। पहला चरण ह,ै कच्चे माल की िरीद। दसू रा चरण उत्पादन या खनमााण होता ह।ै खिर सामखियों के भडं ारण या वेयरहाउस में डालने की व्यवस्था ह।ै इसके बाद, उत्पाद ररटेलर या िु टकर खवक्रे ता के पास आता है और अखं तम चरण मंे ररटेलर आपको या अंखतम उपभोक्ता को अंखतम माल बेचता ह।ै प्रत्यके चरणों मंे जी एस टी लगाया जाता है और यह एक बहु-स्तरीय टैक्स प्रजाखत ह।ै उदाहरण के खलए एक खनमाता ा एक शटा बनाना चाहता है, इसके खलए उसे धागा िरीदना होगा। यह धागा खनमाणा के बाद एक शटा बन जाएगा। तो इसका मतलब है जब यह एक शटा मंे बनु ा जाता है तो धागे का मलू ्य बढ़ जाता ह।ै खिर खनमााता इसे वये रहाउखसंग एजेटं को बचे ता है जो प्रत्यके शटा मंे लेबल और टैग जोड़ता है। इस मूल्य का संवधना हो जाता है। इसके बाद वेयरहाउस उसे ररटेलर को बेचता है जो प्रत्यके शटा को अलग से पकै करता है और शटा के खवपणन मंे खनवेश करता ह।ै इस प्रकार खनवेश करने से प्रत्येक शटा के मलू ्य में वखृ ि होती ह।ै इस तरह से प्रत्यके चरण मंे मौखिक मलू ्य जोड़ खदया जाता है जो मलू रूप से मलू ्य संवधना होता ह।ै इस मलू ्य सवं धना पर जीएसटी लगाया जाता ह।ै परू े खवखनमााण श्िंृ ला के दौरान होने वाले सभी लेन-दने पर जीएसटी लगाया जाता ह।ै अब हम जीएसटी समझ गए हंै तो हम दिे ते हंै खक यह वतामान टैक्स सरं चना को और अथवा ्यवस्था को बदलने में इतनी महत्वपणू ा भखू मका क्यों खनभाएगा? वतामान में भारतीय कर संरचना दो करों मंे खवभाखजत ह-ै प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर। प्रत्यक्ष कर या डायरेक्ट टैक्स वह हंै खजसमें दने दारी खकसी और को नहीं दी जा सकती। इसका एक उदाहरण आयकर ह,ै जहां आप आय अखजता करते हैं और के वल आप उस पर कर का भगु तान करने के खलए उत्तरदायी ह।ंै अप्रत्यक्ष करों के मामले में, टैक्स का भार खकसी अन्य व्यखक्त को खदया जा सकता ह।ै भतू पवू ा कर प्रणाली को ध्यान में रिते हएु , इसका मतलब यह है खक जब दकु ानदार अपनी खबक्री पर वैट दते ा है तो वह अपने िाहक पर कर का भार रान्सिर सकता है। उसके अनसु ार भूतपवू ा कर प्रणाली के तहत, िाहक आइटम की कीमत और वटै का भगु तान खकया करते थे ताखक दकु ानदार वैट को एकत्र कर सरकार को भगु तान कर सके । अथाता ् िाहक न के वल उत्पाद की कीमत का भगु तान करता ह,ै बखल्क उसे कर भी दने ा पड़ता है, और इसखलए जब वह खकसी आइटम को िरीदता है तो उसे अखधक कीमत दने ी पड़ती ह।ै ऐसा इसखलए होता है क्योंखक दकु ानदार ने जब वह आइटम थोक व्यापारी से 14

िरीदा था तब उसे कर का भगु तान करना पड़ा था। वह राखश वसलू करने के खलए और साथ ही सरकार को भगु तान खकए गए वैट की भरपाई के खलए वह अपने िाहक को टैक्स का भार दे दते ा है खजसकी वजह से िाहक को अखतररक्त राखश का भगु तान करना पड़ता ह।ै लेन-दने के दौरान दकु ानदार अपनी जबे से जो भी भगु तान करता है उसके खलए ररिं ड का दावा करने का कोई दसू रा खवकल्प नहीं है और इसखलए उसके पास िाहक को टैक्स का भार दने े के अलावा कोई दसू रा खवकल्प नहीं ह।ै सीजीएसटी: के न्ि सरकार के माध्यम से कर की प्रणाली सरल व बहसु ्तरीय हुई है खजसमें कर की अदायगी मंे खनरंतर बढ़ोतरी हुई ह।ै जी.एस.टी. ने “ई-वे खबल” की शरु ुआत के द्वारा एक तरह से कंे िीकृ त प्रणाली शुरू की। ई-वे खबल प्रणाली के तहत, खनमाता ा, व्यापारी और रासं पोटासा प्लसे ऑफ़ ओररखजन से डेखस्टनेशन तक ले जाने वाले सामान के खलए ई-वे खबल जेनरेट कर सकते हंै जो खक एक आम पोटाल पर आसानी से उपलब्ध ह।ैं कर अखधकाररयों को भी इससे लाभ होता है क्योंखक इस प्रणाली से चके पोस्ट पर कम समय लगता है और कर चोरी को कम करने मंे मदद खमलती है। ई-इनवॉइखसंग (e-Invoicing) ई-इनवॉइखसगं प्रणाली को 1 अक्टूबर 2020 से उन व्यवसायों के खलए लागू खकया गया था, खजनका खकसी भी खपछले खवत्तीय वषा (2017-18 से) मंे 500 करोड़ रुपये से अखधक का वाखषका कु ल कारोबार ह।ै इसके अलावा 1 जनवरी 2021 से इस प्रणाली को उन लोगों के खलए बढ़ा खदया गया खजनका वाखषाक कु ल कारोबार 100 करोड़ रुपये से अखधक ह।ै वतमा ान में इसे 1 अप्रलै 2021 से 50 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक के वाखषका कु ल कारोबार वाले लोगों के खलए बढ़ाया गया ह।ै इन व्यवसायों को GSTN के चालान रखजस्रेशन पोटाल पर अपलोड करके प्रत्यके खबज़नेस चालान के खलए एक यखू नक इनवॉइस ररिरेन्स नंबर प्राप्त करना चाखहए। पोटाल चालान की सत्यता और वास्तखवकता की पखु ि करता है। इसके बाद यह एक क्यू आर कोड के साथ खडखजटल हस्ताक्षर का उपयोग करने को अखधकृ त करता ह।ै ई-इनवॉइखसंग इनवॉइस की इटं रऑपरेखबखलटी की अनमु खत देता है और डाटा एंरी एरसा को कम करने में मदद करता ह।ै इसे आईआरपी से सीधे जीएसटी पोटाल और ई-वे खबल पोटाल पर चालान की जानकारी रांसिर करने के खलए खडज़ाइन खकया गया ह।ै इसखलए, यह GSTR-1 दाखिल करते समय मैन्यअु ल डाटा एरं ी की आवश्यकता को समाप्त कर दगे ा और ई-वे खबल के खनमाणा मंे भी मदद करेगा। जीएसटी अवधारणा के प्रभावी खक्रयान्वयन में लेिा परीक्षा की महत्वपणू ा भखू मका रही ह।ै यह सजग प्रहरी की भाखं त कर की समखु चत अदायगी का खनरीक्षण करता ह,ै साथ ही करदाता को सही खदशा व खनधारा रत मानकों के अनरु ुप कर अदायगी हते ु प्रोत्साखहत भी करता ह।ै 15

आत्मनिर्भर र्ारत अनर्याि के तहत आदरणीय प्रधाि मखु ्य आयकु ्त श्री अशोक कु मार मेहता द्वारा साइनकन गिं प्रनतयोनगता का शरु ्ारम्र् नकया गया । 16

'मेघनाद' तपन कु मार, अपर आयकु ्त रावण का सवाधा िक धिय पुत्र एक ददु ांात योद्धा धिसकी हर योग्यता दशानन के ही समकक्ष थी। वस्ततु ः रावण से भी अधिक बली। इन्द्र द्वारा रावण को परास्त कर बदं ी बनाये िाने पर, मघे नाद ने ही धपता को मकु ्त कराया था और 'इरं िीत' का अलंकरण पाया था। रामायण में भी कदाधित ऐसा कोई िसगं हो िहााँ रावण राम पर हावी रहा हो, धकन्द्तु मेघनाद ने दो बार दशरथ सतु ों को मतृ ्यदु ्वार तक पहिं ाया, िथम 'नागपाश' द्वारा और धद्वतीय 'शधक्तघात' द्वारा। अलौधकक शधक्तयों का स्वामी मेघनाद परम धपतभृ क्त था। यदु ्ध के अंधतम धदनों मंे, ये ज्ञान हो िाने पर भी धक राम और लक्ष्मण दवे अवतार हंै, उसने धपता के सम्मान में अपने िाणों की बधल दने ा ही उधित समझा। अधविल रावण िो सभी बािं व-बांिवों को खोने पर भी भावहीन रहा, इस धिय पतु ्र की मतृ ्यु पर शोक में डूब गया। अंधतम रण मंे उतरने से पवू ा धपता और पतु ्र दोनों को ही ये भान था धक धपता-पतु ्र की ये अंधतम भेटं ह।ै ऐसे में भावनाओं के सागर का अपने िरम पर होना स्वाभाधवक ही था। उन्द्हीं भावनाओं को शब्द दते ी कु छ पधं क्तयाँा: अब हंै समर धदवस,अधं तम रह,े कसे कवि खड़ा, बली िनुिार, िय घोष राम के , नभ िीर रह,े िाण बधल द,ँाू िनक आन पर, रावण और धपतभृ क्त मघे नाद, धवमशा उधित न, िमअा िमा का, अब लंका मंे शेष, दद् ्वयवीर रह.े क्षण धिस,मातभृ धू म पर भीर रह.े दानव दल भी, अब क्षीण बिा, धत्रदवे समक्ष यधद, क्रोधित आयंे, खल समिू ी रिनी, अिीर रह,े कर्त्ाव्यपथ से, डग धडगा न पायंे, कं धपत धदग्गि, थर-थर धिनसे, धपत,ु मेघनाद की अंत श्वास तक, दो धिंधतत, ददु ांात महावीर रह.े अधवधित य,े लकं ा की िािीर रह.े अरुण की नतू न, रधमम के संग, लखे दशानन, धनधनमा ेष धनरंतर, इरं िीत िकट,धपतृ समक्ष हआ, धपता का व्याकु ल, है अब अंतर, समय यह अधं तम, रण िाने का, पर नारी, रतन अनमोल लटु ाया, यह िान, धपता-पतु ्र गम्भीर रह.े धनि-ग्लाधन संग, हृदय पीर रह.े 17

हो मेघनाद तमु , सवशा ्रषे ्ठ सुतों मे, रण अशोक वीर, अब कू ि करो, सरु -असरु ,गिं वा, मानव, यक्षों में, अधमट धवश्रवा कु ल की, लाि रह,े तमु सा कोई योग्य औ' हठी नहीं, द्यौ मंे धमलंे अब , पुनः पतु ्र धिय , इस भतू ल पर ना, सम िवीर रह.े अगर नश्वर ये पापी, ना शरीर रह.े हे पतु ्र! तरे ी, कीधता अक्षय हो, हई त्रधु ट यधद कोई, तात क्षमा करंे, ये यशगान तेरा, कालातीत रह,े पतु ्र कहकर, तेिी से अतं र्धयाान हआ, ररपदु ल भी, िशधस्त गायें तेरी, सदवै भपू था, िो धनभया -अधविल, सवदा ा मघे नाथ, तू शौंडीर रह.े नेत्र उसके भी बहाते, बस नीर रह.े शब्दार्थ: समर: यदु ्ध समिू ी रिनी: पणू ा राधत्र अरुण:सयू ा रधमम:धकरण भीर: सकं ट, परेशानी लखना:दखे ना धनधनमा ेष: अपलक िवीर: बहत वीर कालातीत: कालों से परे शौंडीर: अधभमानी द्यौ: स्वगा 18

मैं स्त्री! बाब लाल मीना, वनरीक्षक मैं जब गर्भ मंे ठहरी तो मरे ी चेतना मेरे साथ थी विचार और स्िप्न र्ी मैं अके ले सोचती थी जब धरती पर आउंगी अपना घर बनाउंगी वततवलयों सी उड़ूँगी दौडूँगी र्ागगं ी खले ंगी मंै सम्पर्भ थी खदु में चहचहा रही थी। गर्भ में बॉव्संग की प्रैव्िस करती मेरी मां एहसास करती रात र्र जागकर मरे ा साथ दते ी। अचानक एक वदन सन्नािा दखे ा वपता मंे। खबर पढ़ी थी अख़बार के एक कोने में ।। दहजे हत्या की, नाबावलक के बलात्कार की छेड़छाड़ की, शोषर् की स्त्री की पीड़ा की खबर पढ़ी। 19

वबखर गया स्िप्न जो मैंने गढ़ा िो िि गए मकु ाबला करने से डर गए मागं में वसंदर र्रने से उन्हंे विक्र थी स्कल के रास्ते की उन्हें विक्र थी बिे ी के िास्ते की मरे ी जाँचू करिाई कत्लखाने में। डॉ्िर मझु े ले गया तहखाने म।ंे सनु ो भ्रर् बोलता है । मंै स्त्री ह।ँू मानि के सजृ न की वबंदु स्त्री ह।ूँ मंै तमु ्हारी माूँ बिे ी बहन बआु ताई। मेरी मां मझु े र्ी कचरे मंे डाल आई।। कोई सनु ता हो तो बचाओ। मझु े र्ी पलना है कोई आओ।। मझु े र्ी बढ़ना है कोई आओ। कै से जीउँू कोई राह बताओ। मैं गर्भ में भ्रर् हूँ कोई बचाओ।। मंै तमु ्हारी बिे ी हँू साहब आओ। कोई तो गोद लो मझु े आओ।। 20

संविधान वििस-2021 दिन ंका 26.11.2021 को जी.एस.टी (लेख परीक्ष -II) मंाबु ई आयकु ्त लय के अदिक ररयों एवंा कमचम ररयों ने सांदवि न की प्रस्त वन की प्रदतज्ञ ली। इस िौर न आयकु ्त महोिय, श्री रमेश चंदा ्र, ने सभी अदिक ररयों एवां कममच ररयों को संादवि न के कु छ दवशषे पहलओु ंा एवां िलु भम ज नक ररयों से अवगत करव य तथ स थ ही सभी लोगों को सांदवि न के अध्ययन, उसके प्रदत सम्म न तथ सवां िै दनक अनबु ंािों के अनपु लन पर बल दिय । 21

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आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य मंे स्वतंत्रता सगं ्राम सेनानी श्री जी. जी. पारेख जी का, उनके द्वारा राष्ट्र की आजादी मंे ददये गये अतुल्य योगदान एवं आजादी उपरांत दकये गये अभूतपवू व दवकास कायों के दलये कें द्रीय वस्तु एवं सेवा कर, (लेखा परीक्षा- II) आयकु ्तालय ममु ्बई द्वारा अदभनदं न दकया गया। 23

बचपन धीरेन्र मफि फत्रप़ाठी अपर आयकु ्त उम्र के हर पड़ाव मंे कभी न कभी हम बचपन फिर से जीऩा च़ाहते ह।ंै अकस्म़ात् फकसी फिन प़ाकक में लगे एक बरगि के पडे पर चढ़ने के असिल प्रय़ास से उत्पन्न अपने भ़ावों में मैनं े अपने बचपन की य़ात्ऱा की ......... आइये हम-ऱाही बनें - कभी फिर प़ास आऩा तमु वो नगंि े ‘प़ाँव’ ही फनकली नहीं फिर िरू ज़ाऩा तमु जव़ािं मस्तों की वो टोली तेरे ‘नैनों’ के ब़ािल से ऱास्तों मंे ‘रव़ानी’ थी न फिर ‘आँस’ू बह़ाऩा तमु हर पल ‘फजन्िग़ानी’ थी जब फिर फमलने की हो इच्छ़ा वो ‘म़ाय़ा’ भोली सरू त थी उसी आव़ाऱा फचरकु ट से फजसकी बडी ‘प्य़ारी’ फकसी घ़ायल पररिंिे को बडी होकर वही ‘म़ाय़ा’ जऱा प़ानी फपल़ाऩा तमु हुई भयकिं र ‘ह़ाह़ाक़ारी’ उसी बरगि की थी, वो छ़ाँव जो मेरी थी ! तमु ्ह़ारी भी ! छग्गन हो गये मंितरी उसी एक घर-घरोंिे की छलछल हो गए सतंि री आँगन भी – ओस़ारी भी न थ़ा वो पेड पर ‘चढ़ऩा’ बहुत अरम़ान से हमने, न थ़ा गोबर पर ‘फगर ज़ाऩा’ सिंजोंये वो हसिं ी सपन,े न थी वो प्य़ारी कम़ाई फनकले ‘घर’ वो फमट्टी के जो ‘किं चे बेच’ कर आई वो ‘ब़ाररश’ में और ‘कीचड’ मंे सपने न हएु अपने सने बचपन के सपने थे सनु ी थी हमने बचपन मंे इसी बचपन को जीत़ा हँ वो ‘पररयों’ की कह़ानी थी अपनी नन्हीं सी फबफटय़ा में ........2 मगर जब बड गए थे हम तरे ़ा मजबरू कर िने ़ा न ‘पररय़ा’ँ थी न ‘ऱानी’ थी मरे ़ा मजबरू हो ज़ाऩा .........2 छलछल ! छग्गन की वो जो भोली सरु त परु ़ानी थी 24

दिनशे कु मार वोहरा सहायक आयकु ्त (सेवादनवतृ ) गाधंा ीजी को आज भी सम्मान के साथ स्मरण दकया जाता ह।ै उनके सत्य और अदहसंा ा जैसे साववभौदमक और शाश्वत दवचारों की ही अक्सर चचाव होती है जबदक गााधं ी जी का जीवन-िशनव सत्य- अदहसंा ा के अलावा भी और कई दसद्ाातं ों को उजागर करता है जोदक वतमव ान संािभव में साथकव ह।ै आज दजसकी बहुत जरूरत ह।ै अस्पशृ ्यता, दवश्वसनीयता, सवव-धमव सम-भाव, अदहसंा ा, करुणा, प्रेम और दवनम्रता आदि गणु ों ने उन्हें राष्ट्र-दपता बनाया। गाांधीजी ने अपना सम्पणू व जीवन दसद्ातां ों के दलए और दसद्ाांतों के साथ ही समदपतव दकया था। सत्य मंे उनका पणू व दवश्वास था। उनके इसी दवश्वास ने उन्हंे महात्मा बनाया। उनके जीवन के मलू भतू दसद्ान्त आज के संािभव में भारतवर्व और उसकी राजनैदतक सत्ता, सामादजक पररवशे और आदथवक-व्यवस्था पर आधाररत ह।ंै गाांधीजी सिवै नदै तकता पर ज़ोर िते े थे। हर २ अक्टूबर को हम सब गााधँ ी जयंाती मनाते हैं इस अवसर पर उनके द्वारा दिए गए एक आिशव राष्ट्र के सामादजक, आदथकव , राजनीदतक और आध्यादत्मक तान-े बाने से संाबदंा धत 7 ऐसे दसद्ांातों (अवगणु ों से सम्बदंा धत ) पर नज़र डालगंे े जो हम सबके जीवन का एक आधार ह।ै ये वो अवगणु हंै जो दकसी भी राष्ट्र या समिु ाय की आिशव जड़ों को दहला िते ा हंै और कभी-कभी तो उन्हें नष्ट भी कर िते े ह।ैं आज हम उन्हीं की चचाव करंेगे : 1. धन अजनव दबना कमव के – कु छ ऐसे लोग होते है जो दबना बीज बोये ही फसल काटने के दलए तैयार बैठे होते ह।ंै उन्हंे सब कु छ दबना कमव के ही चादहए होता ह।ंै गााधं ीजी ने ऐसे लोगों को चोरों की श्रेणी मंे रखा ह।ै यदि दबना पररश्रम के आप उपभोग करते हंै तो यह वास्तव में कामचोरी हंै और ऐसे मंे वंे िसू रों का हक़ भी छीनते ह।ंै ऐसे लोग छल-कपट, जोड़-तोड़, कू टनीदत एवंा जालसाजी करके अपनी मनचाही वस्तएु ंा, सत्ता, पि आदि प्राप्त कर ही लते े ह।ंै ऐसा करते हुए वें समाज के सामने एक गलत मान्यता स्थादपत करते ह,ैं दजसे िखे कर अन्य लोग भी उसी रास्ते पर चलते है जो उन्हंे पथ-भ्रष्टकर िते ी ह।ंै 2. आनांि दबना दववेक के - सदृ ष्ट की अनके रचनाओां को िखे ते हुए हम सब बहतु आनंादित होते ह।ैं जीवन एक यात्रा है और उस यात्रा में जब हम अपने लक्ष्य को पा लेते हंै तो आनंिा और सांतदु ष्ट महससू करते ह।ंै कहीं उस लक्ष्य को पाने के दलए हमने दकसी का हक़ तो नहीं मारा,ये 25

सोचना ही दववेक ह।ै दकसी को िखु िके र हम सखु का अनभु व तो नहीं कर सकत,े यदि करते है तो वह आनंिा नहीं ह।ंै बलै ों की िौड़ में उन्हें तेज़ नकु ीले हदथयार चभु ा कर उन्हें तज़े िौड़ाकर जीत का आनंाि हादसल दकया जाता ह,ै दजसमें दववेक का उपयोग नहीं होता, के वल दनजी सखु होता ह।ै आदखर हम आनािं की क्या कीमत चकु ा रहें हैं यह भी जानना जरूरी ह।ंै अगां ्रज़े अपने शौक और आनंिा के दलए गरीब भारतीयों का मानदसक और शारीररक शोर्ण करते थ।े उन्हें उन गरीबों के िखु से कोई मतलब नहीं था। 3. ज्ञान दबना चररत्र के - गांाधीजी कहते हंै दजनके जीवन में िखे भाल, करुणा और सहानभु ूदत नहीं ह,ै वे समाज के दलए भार ह।ंै भगवान कृ ष्ट्ण गीता मंे कहते है “ सच्चा ज्ञान अज्ञान के अांधकार को िरू करता ह”ै लेदकन चररत्र परू े राष्ट्र और समाज को एक आिशव रूप में स्थादपत करता ह।ै दकसी भी गरु ु के ज्ञान के साथ ही उसका चररत्र भी उतना ही महत्वपणू व हैं दजतना उसका ज्ञान ऐसा गांाधीजी का मानना ह।ै 4. व्यापार दबना ईमानिारी/नैदतकता के - गाधंा ीजी ने व्यदक्तगत और व्यावसादयक जीवन मंे नदै तकता, ईमानिारी और शदु ्ता के महत्व पर बहतु ज़ोर दिया ह।ै धन कमाना उदचत है दकन्तु धन कमाने के दलए दकसी अनदु चत प्रदिया का उपयोग दकया जाए तो वह काली कमाई कहलाई जाएगी। यदि आप व्यवसाय कर रहंे है तो सिवै अपने स्वाथव के दलये नहीं बदकक दजसके साथ अथवा दजनके दलए दकए दकया जा रहा ह,ैं वे सब भी इससे लाभादन्वत हो, यह आवश्यक ह।ै नैदतकता और कड़ी महे नत को गांाधीजी ने एक-िसू रे के परू क माना ह।ै धन और अवसर उत्पन्न करना एक बात है और उसे कै से उत्पन्न दकया जा रहा है, वह ज्यािा महत्वपणू व ह।ै व्यापार मंे अनदै तकता ही दकसी भी राष्ट्र की दगरती हईु अथवव ्यवस्था के दलए दजम्मेिार ह।ै इसीदलए गाांधीजी के रस्टीदशप के दसद्ांात आज बहुत प्रासांदगक नज़र आते ह।ैं 5. दवज्ञान दबना मानवता के - गांधा ीजी के अनसु ार हम आधदु नक चमत्कारों की चकाचौंध िदु नया में जी रहें ह।ैं सचां ार, पररवहन, खान-पान, वशे भरू ्ा, सभी मंे आधदु नक तकनीक का समावशे हो गया ह।ै इन नए आदवष्ट्कारों और तकनीकी ने मानव जीवन को आरामिायक तो बना दिया ह,ै दकन्तु आलसी भी बना दिया ह।ै स्थानों की िरू रयााँ कम हो गयी, संाचार के साधनों ने घर बैठे-बैठे लोगों को दमलाया लदे कन दिल से दिल की िरू रयााँ बढ़ गयी क्योंदक आज हर इसंा ान अपनी एक अलग िदु नया में जी रहा ह।ै दकसी भी वैज्ञादनक का पहला कतवव्य यह होना चादहए दक वह अपने आदवष्ट्कार करने के पहले मानवता का पक्ष सामने रख कर अनसु धां ान करंे। एलगे्जेंडर फ्लदे मगंा का उनकी खोज पेदन्सदलन को पेटंेट न कराये जाने का उिाहरण इस सन्िभव में एक प्रेरक उिहारण ह।ै 6. राजनीदत दबना दसद्ांातों के - िदु नया में शासकता दनरांकु श क्यों हो जाती है क्योंदक लोगों का शासन पर से दवश्वास उठ जाता ह।ै धन और सत्ता के वल सत्ताधाररयों के पास ही रहता हैं और 26

वे िशे को अपनी जागीर समझने लगते ह।ंै सरकार जनता के दलए नहीं बदकक स्वयंा के दहत में दनणयव लते ी ह,ै उसे आम जनता के परेशादनयों से कोई वास्ता ही नहीं होता। नैदतकता का मज़ाक उड़ाते नते ा और सत्ताधारी नौकरशाह जब स्वयाभं ू और दनरांकु श बन जाते है तो उन्हें मलू भतू दसद्ाांतों की भी दचांता नहीं होती। ऐसी राजनीदत से िशे पतन की ओर बढ़ता ह।ैं 7. धमव दबना त्याग के - िदु नया के सभी धमव त्याग पर ज़ोर िते े ह।ंै दपछले कु छ िशकों में कठोर धादमकव प्रवदृ तयों ने जन्म दलया ह।ैं दजसमंे धमव के दलए यदु ् और दहसां ा को भी जायज माना जा रहा ह।ैं धमव मानवता दसखाता ह।ै ऐसा धमव जो कठोर और अनदै तक मान्यताओंा को जन्म िे रहा हो, वह धमव नहीं ह।ै सभी धमव सम-भाव के साथ रह,ें यही सच्चा धमव ह।ै धमव के नाम पर अन्य धमों को नीचा दिखाना भी अधमव ह।ै धमव दकसी जादत दवशेर्, समिु ाय दवशरे ् का प्रदतदनदधत्व नहीं करता, धमव के दलए त्याग करना होता ह।ै िसू रे धमों का सम्मान भी करना होता ह,ै ऐसा गांाधीजी का मानना था। वतमव ान समय मंे यदि बापू के इन दसद्ाांतों पर यदि सभी चले तो उनके दलए यहीं बहतु बड़ी श्रद्ांजा दल होगी पर हकीकत ये है दक आज हमारा समाज नैदतकता के इन दसद्ातंा ो बहुत िरू चला गया ह।ै आवश्यकता है दक हम सब गाांधी जी की मलू सोच को समझे और उनके बताये क़िमों पर चलें न दक हर २ अक्टूबर को गाँाधी जी दसफव नमन करके एक औपचाररकता पणू व न करें। 27

दिन-रात चलती है मुबं ई, रामकनिास मीना पल-पल रुंग बिलती है मुंबई, िर सहायि न थकती है न रुकती है कभी, दिन-रात जागती है ये मबंु ई, किसी शहर किशषे िा अिलोिन िरने िा हर किसी िा अपना-अपना नजररया होता ह।ै िोई दौलत दखे ता है, िोई शौहरत दखे ता है तो िोई सिु ू न दखे ता ह।ै किसी िो मबंु ई बहतु पसदुं आती है तो किसी िो यह नगरी रास नहीं आती। मुंडे-मुडं े मकतकभनि ्ना। किसी ने मबंु ई िे बारे मंे िहा है कि \"बेशक इसं ान सबु ह भखू ा उठता है लेककन इस शहर में वह कभी भूखा नहीं सोता। मायानगरी आपको पेट भरने की गारंटी देती है।\" तो दसू री तरफ दरू -दराज से आए किसी दहे ाती परु ुष ने िहा है \"तेरे शहर मंे सपने तो बहुत हंै ऐ मंुबई, काश सकु ू न की थोडी रात भी कमल जाए, तो खुदा कसम तुझसे इश्क़ कर लेते।\" इसी िडी मंे कफल्म उद्योग में किस्मत आजमाने िाले सघुं षिरत यिु ा अकभनेताओुं िा िहना है कि \"मंबु ई अरमानों का शहर है। यहााँ की चकाचौंध में कु छ लोग कनखर जाते हंै तो कु छ कबखर जाते हैं। ककसी के सपनों की उडान आसमान में परचम लहराती है तो ककसी के सपने कशमकश भरी इस कजंदगी में कहीं दफन हो जाते हंै।\" बहरहाल, एि मुबं ईिर िे नजररये से दखे ा जाए तो यहाँा िे लोगों िी इस शहर िे प्रकत दीिानगी बेहद अनठू ी ह।ै गोकिंुदा अकभनीत बॉलीिडु कफल्म 'स्िग-ि 1991' िा यह गाना तो आप सभी ने सनु ा ही होगा- 28

“बम बम बम बम्बई, बम्बई हमको जम गई, िेख के ये बम्बई का नज़ारा, दिल की धड़कन थम गई.” 'स्िग'ि कफल्म िा यह गाना तत्िालीन मुंबई िी किशेषताओुं िो दशािता ह।ै गीतिार 'समीर' ने चंुद अल्फाजों में तत्िालीन मंबु ई िो बेहद जीिंुत अुंदाज मंे िकणति किया ह।ै लािा कनकमति सात छोटे-छोटे द्वीपों पर बसे मायानगरी िे नाम से लोिकप्रय इस मबंु ई शहर िी बात ही कनराली ह।ै जो यहााँ एि बार आता है, उसिा कदल हजारों अरमानों और ख्िाकहशों िे दररया में गोते लगाने लगता ह।ै सामाकजि, धाकमिि , व्यिसाकयि, सासंु ्िृ कति और आकथिि किकिधताओुं से भरी इस मबुं ई नगररया मंे हर किसी िो एि शहर नहीं बकल्ि एि दशे नजर आता ह।ै जब िभी भारत िे प्रमखु शहरों/ महानगरों िी चचाि होती है तो मुंबई िी चचाि अिश्य होती ह।ै यह िह शहर है कजसे दखे ने और भ्रमण िरने िा सपना हर भारतीय दखे ता ह।ै ममु ्बई, कजसिा परु ाना नाम बम्बई (Bombay) था, भारत िे महाराष्ट्र राज्य िी राजधानी ह।ै इसिे कनिटिती शहरों में ठाणे, पालघर, रायगढ़ और पणु े प्रमखु ह।ैं सन् 2018 में यह कदल्ली िे बाद जनगणना िी दृकि से भारत िा दसू रा सबसे बडा और किश्व िा सातिाँा सबसे बडा शहर था। ममु ्बई भारत िी आकथिि राजधानी एिुं िाकणकज्यि िे न्र भी ह,ै कजसिी भारत िे सिल घरेलू उत्पाद मंे 5% िी भागीदारी ह।ै मंबु ई बन्दरगाह भारत िे सििश्रेष्ठ सामकु रि बन्दरगाहों में से एि ह।ै ममु ्बई िा तट िटा-फटा है कजसिे िारण इसिा पोताश्रय प्रािृ कति एिुं सरु कित ह।ै यरू ोप, अमरे रिा, अफ़्रीिा आकद पकिमी 29

दशे ों से जलमागि या िायुमागि से आने िाले जहाज यात्री एिंु पयटि ि सििप्रथम ममु ्बई ही आते ह,ैं इसकलए इसे भारत िा प्रिेश-द्वार िहा जाता ह।ै ममु ्बई िो सपनों िा शहर भी िहा जाता ह।ै कनजी िते ्र मंे यहााँ रोजगार िे अिसर अन्य शहरों िी तलु ना मंे बहुत अकधि ह।ंै यहाँा बच्चे से लेिर िदृ ्ध, मकहला हो चाहे परु ुष सभी अपने-अपने स्तर पर किसी न किसी रोजगार में सुलं ग्न ह।ंै उत्तर भारतीय शहरों िी तलु ना मंे यहाँा पररिार िे सदस्यों िी प्रकत व्यकि आय भले ही िम हो, लके िन पाररिाररि आय िहीं अकधि ह।ै यही िजह है कि यहाँा िे लोगों िा जीिन स्तर अन्य शहरों िी तलु ना में िाफी अच्छा ह।ै मंुबई िा नाम किश्व िे सिोच्च दस िाकणकज्यि िे न्रों में शमु ार ह।ै भारत िे अकधिाुंश बिैं एिंु सौदागरी िायालि यों िे मखु ्यालय (Hqrs) एिंु िई महत्िपणू ि आकथिि सुंस्थान जसै े भारतीय ररज़िि बिंै , बम्बई स्टॉि एक्सस्चंजे , नशे नल स्टॉि एक्सस्चेजं एिुं अनेि भारतीय िम्पकनयों िे कनगकमत मखु ्यालय तथा बहरु ाष्ट्रीय िुं पकनयाुं मुबं ई मंे अिकस्थत ह।ैं इसकलए इसे भारत िी आकथिि राजधानी भी िहते ह।ंै मुंबई में िै ररयर िे पयािप्त अिसर ह।ैं यहााँ िॉल संेटर, बीपीओ, िे पीओ, िॉपोरेट ऑकफस रेकनगुं इसुं ्टीट्यटू , इडंु स्री, लघु और मध्यम उद्योग, एडिरटाइकजुंग, कसनमे ा सकहत अनेिों उद्योग यहाुं मौजदू ह।ंै यही िारण है कि नौिररयों िे अिसर दने े िाली मुंबई में सभी िे कलए पयापि ्त मौिे ह।ंै मुंबई िा नाम अकभनय और सुगं ीत िे दृकििोण से भारत िे अग्रणी शहरों मंे शाकमल ह।ै कफल्म जगत (बॉलीिडु ) िा उद्भि और कििास इसी शहर में हआु ह।ै आज मंुबई िी कफल्म कसटी यहाँा आने िाले पयिटिों िे कलए आिषणि िा िें र ह,ै यह मंबु ई िे पकिमी उपनगरीय इलािे गोरेगाुंि में कस्थत ह,ैं जहाँा किकभन्न कफल्मों और सीररयलों िी शकू टंुग चलती रहती ह।ै यहााँ लगाये गये कफल्मों िे सटे दखे ने िे कलए भी बहतु लोग आते ह।ंै 30

यह शहर प्रािृ कति, प्राचीन किरासत, सखु सकु िधाओंु एिुं मनोरंुजन स्थलों, कसनेमाघर और स्टूकडयो, पकित्र स्थानों और ऐकतहाकसि स्मारिों िे मामलो मंे िाफी समदृ ्ध ह।ै मंुबई में शानदार समरु तट, पयिटन स्थल और मनोरुंजन पािि होने िे चलत,े यह एि आदशि अििाश स्थल ह।ैं उष्ट्ण िकटबधुं ीय जलिायु होने िे िारण मंुबई में साल भर कमकश्रत मौसम रहता ह।ै उत्तरी भारतीय प्रदशे ों िी तरह यहाँा न तो बहतु अकधि गमी और न ही बहुत अकधि सदी पडती ह।ै यहाँा िा औसत तापमान 25-29 कडग्री िे बीच रहता है, जबकि गकमियों िे दौरान अकधितम तापमान 33-34 कडग्री ति रहता ह।ै इस शहर मंे जलु ाई िे दौरान भारी िषाि होती है एिंु िभी-िभी भारी बाररश होने पर यातायात एिंु जन जीिन परू ी तरह थम जाता ह।ै मबंु ई मंे पयिटन स्थलों िी भरमार ह।ै यहाँा प्रकतिषि बडी सुंख्या मंे किदशे ी पयटि ि आते ह।ंै यहाँा आकतथ्य और आिास सकु िधाएंु िाफी उत्िृ ि ह।ंै यहाँा पयटि िों िी सकु िधा और बजट िे अनसु ार िई प्रिार िे होटल ह।ैं ताज महल पैलसे , राइडेंट और ग्रडंै हयात जसै े िई किश्व प्रकसद्ध एिंु लक्सजरी होटल हैं जो परू ी तरह से आधकु नि सखु सकु िधाओंु से संुपन्न ह।ैं मंुबई सही मायने में एि बेहद खबू सरू त और ऐकतहाकसि पयटि न स्थल ह।ै यहाँा िी िई ऐकतहाकसि किरासत एिंु गफु ाएंु हर किसी िा मन मोह लेती हैं जैसे कप्रुंस ऑफ़ िले ्स म्यकू ज़यम, ित्रपकत कशिाजी महाराज टकमनि स (किक्सटोररया टकमनि स) CSMT, बॉम्बे हाई िोटि आकद। यहाँा िी गगनचमु ्बी इमारतंे दाुंतों तले अुंगुली दबाने पर मजबरू िर दते ी हैं यहााँ िी ऐकतहाकसि धरोहरों में माकहम िा किकटश िालीन किला, एलीफंे टा िी गफु ाएुं, िन्हेरी गफु ाए,ंु बले ापुर िा किला, बुंबई िा किला, िास्तेल्ला डे अगअु दा इत्याकद शाकमल ह।ंै मबंु ई समरु ी तटों (Beaches) िे कलए प्रकसद्ध ह।ै भारत में सबसे बडा और सबसे अकधि दखे े जाने िाला समरु ी तट 'जहु ू बीच' मुंबई में ही ह।ै साथ ही यहाँा पर िई प्रकसद्ध हकस्तयों और कफ़ल्मी दकु नया िे चमिते हुए कसतारों िे घर भी ह,ंै कजन्हें दखे ने िे कलए लोग यहाँा दरू -दरू से आते ह।ैं यहाँा िी 31

पाि भाजी, भेलपरु ी और पानीपुरी बहतु स्िाकदि होती ह।ैं जहु ू बीच िे अलािा मंबु ई मंे मड आईलेंड, अक्ससा बीच, िसोिा बीच, कगरगाुंि चौपाटी, िलमब समरु तट, मािे बीच, दादर चौपाटी, गोराई बीच एिंु मनोरी बीच आकद प्रमखु हैं जहााँ कदनभर पयटि िों िी भीड लगी रहती ह।ै मरीन ड्राइि मंुबई िी शान ह।ै मंुबई आने िाला हर पयिटि मरीन ड्राइि घमू ने िो इच्छु ि रहता ह।ै यह शहर िे सबसे संुदरतम स्थान मंे से एि ह।ै इसिी सनु ्दरता और लोिकप्रयता िा नजारा सुधं ्या और रात में दखे ने िो कमलता ह।ै गोलाई मंे बने इस मरीन ड्राइि िी सडिों मंे रात मंे जब स्रीट लाइट जलती ह,ैं तो ऐसा लगता है मानों किसी रानी ने गले मंे हार पहन रखा हो। इसकलए इसे क्सिीन नेिलसे भी िहते ह।ंै मरीन ड्राइि दकिणी मबुं ई िे लगभग 4 कि.मी. िेत्र मंे फै ला हआु ह।ैं यह मुबं ई िी सबसे सनु ्दर सडिों में से एि ह।ै यहााँ बैठने िाले लोगों िो बहुत सिु ू न कमलता ह।ै कफल्म शकू टुंग िे कलए यह बेहद लोिकप्रय स्थल ह।ै मंबु ई िे अन्य प्रमखु दशनि ीय स्थलों मंे गटे िे ऑफ इकंु डया, हाजी अली िी दरगाह, एकलफें टा िे ि, कसकद्धकिनायि मकुं दर, एस्सल िल्डि, सजंु य गााँधी नेशनल पािि , माउन्ट मेरी चचि, छत्रपकत कशिाजी महाराज िस्तु संगु ्रहालय, िाला घोडा, िला भिन इत्याकद ह।ंै यहााँ धाकमिि स्थलों िी भरमार हैं कजनमंे कसकद्ध किनायि मुंकदर, ममु ्बादिे ी मकुं दर, महालक्ष्मी मकुं दर, अफगान चचि, बाबलु नाथ मकंु दर, आकदश्वजी जैन मंुकदर, िालिे श्वर मंकु दर एिुं इस्िोन मंुकदर आकद हंै जो लोगों िी आस्था िे िंे र एिंु धाकमिि रस्टों िी आय िा प्रमखु स्रोत ह।ैं 32

मबुं ई मंे िु छ ऐसे दशिनीय स्थल हंै कजन्हंे दखे े कबना एि पयटि ि िी यात्रा अधरू ी मानी जाती ह।ै हकंै गगुं गाडिन, कशिाजी पािि , फ़्लोरा फाउंुटेन, RBI मोनेटरी म्यकू ज़यम, जोगसि पािि , महािाली िे व्स, मालाबार कहल्स, नरीमन पॉइटंु , पिई लेि, कप्रयदकशनि ी पािि एुंड स्पोट्िस िॉम््लेक्सस, धोबी घाट, महालक्ष्मी रेस िोसि, मंुबई पोटि रस्ट गाडिन, नेहरु साइसुं सेंटर एिुं कजजामाता उद्यान आकद ऐसे स्थल हैं जो पयिटिों िो ध्यान अनायास ही अपनी ओर आिकषित िर लते े ह।ंै भारत िी कित्तीय राजधानी, औद्योकगि नगरी और मायानगरी िे रूप मंे मशहूर मबुं ई शहर कशिा िे कलहाज से भारत और दकिण-पिू ि एकशया में किशषे स्थान रखता ह।ै मंबु ई िो युंू ही सपनों िा शहर नहीं िहा जाता ह।ै दरअसल कशिा और सकु िधाओंु िे किस्तार िे बीच मंबु ई हर साल िु शल और व्यािसाकयि पेशेिरों िी नई खेप पैदा िरने िे साथ-साथ सपनों िो परू ा िरने िे अिसर भी उपलब्ध िराती ह।ै मबंु ई िे लोगों िा रहन-सहन, जीिन शैली बाहरी लोगों िो बहुत लभु ाती ह।ै मुबं ई िी ससंु ्िृ कत परुंपरागत उत्सि, खान-पान, संगु ीत, नतृ ्य और रंुगमचुं िा कमश्रण ह।ै चंुकू ि यहाँा भारत िे सभी भागों से लोग आते हंै इसकलए यहाुं अन्य राज्यों िी राजधाकनयों िी अपिे ा बहुभाषी और बहुआयामी जीिन शैली दखे ने कमलती ह।ै हालाुकं ि यहााँ अगंु ्रजे ी िा बोलबाला िाफी अकधि ह,ै परुंतु मखु ्य भाषा मराठी है जो महाराष्ट्र िी राजभाषा भी ह।ै मराठी और अगंु ्रेज़ी िे अलािा यहांु कहदुं ी भी बडी सहजता से बोली जाती ह।ै 33

मुंबई िे यातायात में मबुं ई उपनगरीय रेलिे, बीईएसटी (बसे ्ट) िी बसें, टैक्ससी ऑटो ररक्सशा, फे री सिे ा शाकमल ह,ैं लेकिन इस शहर िी लाइफ लाइन िही जाने िाली लोिल रेन सरिारी एिुं कनजी िेत्र िे िमचि ाररयों, कनयकमत रूप से आिागमन िरने िाले लोगों और स्िू ल-िॉलेज िे छात्रों िे कलए एि सस्ता एिुं सरु कित साधन ह।ै मबंु ई व्यािसाकयि एिुं उच्च कशिण ससंु ्थानों िा िंे र ह,ै जहाुं किज्ञान, िला, िाकणज्य, िम््यटू र इजुं ीकनयररंुग, कचकित्सा, लॉ, आईटी, बायोटेक्सनोलॉजी आकद िई िेत्रों में उच्च और किकशि कशिा उपलब्ध ह।ै यहाुं ऐसे िई ससुं ्थान भी ह,ैं जो किकशि कशिा मंे शोध पाठ्यक्रम चला रहे ह।ैं अपनी उत्िृ ि कशिा िे कलए मुंबई किश्वकिद्यालय (एमय)ू कसफि भारत में ही नहीं बकल्ि परू ी दकु नया में जाना जाता ह।ै इस किश्वकिद्यालय से िरीब 600 से अकधि िॉलेज संुबद्ध हैं और इनमंे लाखों छात्र- छात्राएंु अध्ययनरत ह।ैं मुंबई शहर िे मशहूर कशिण ससंु ्थानों में सरंे ल इसंु ्टीट्यटू ऑफ कफशरीज एजिु े शन, डॉ. होमी भाभा नशे नल इसुं ्टीट्यटू इकुं डयन इसंु ्टीट्यटू ऑफ टेक्सनोलॉजी, इकुं दरा गाुंधी इसंु ्टीट्यटू ऑफ डेिलपमेटं ररसचि (आईजीआईडीआर), इटंु रनेशनल इसंु ्टीट्यटू फॉर पॉपलु ेशन साइसंु , नसी मोनजी इसुं ्टीट्यटू ऑफ मैनेजमंेट एडुं हायर स्टडीज, पद्मश्री डॉ. डी. िाई. पाकटल यकू निकसटि ी, एस.एन.डी.टी. िमू न यकू निकसटि ी, टाटा इसंु ्टीट्यटू ऑफ फुं डामेंटल ररसच,ि टाटा इसुं ्टीट्यटू ऑफ सोशल साइसंु जे , मुंबई किश्वकिद्यालय (एमय)ू यकू निकसिटी ऑफ परे ोकलयम एडंु एनजी स्टडीज इत्याकद ऐसे सुंस्थान हैं जहाँा उच्च स्तरीय कशिा दी जाती ह।ै 34

अुतं में िहना चाहूगुं ा कि कजस तरह से हर इसंु ान मंे िु छ अच्छाइयांु तो िु छ बुराइयाँा होती है ठीि िसै े ही मंबु ई शहर मंे िु छ बातें बहतु अच्छी तो िु छ बरु ी ह।ंै परुंतु मेरी कनजी राय में िु ल कमलािर मुबं ई शहर एि शानदार शहर ह।ै यहााँ िे लोगों में आत्म-अनशु ासन और कजम्मदे ारी िी भािना िू ट-िू ट िर भरी हईु ह।ै मकहला सरु िा िे कलहाज से यह शहर बहुत अच्छा ह।ै हर भारतीय अपनी कजदुं गी मंे िभी ना िभी मबुं ई आने और यहाँा भ्रमण िा सपना दखे ता ह।ै 35

मंुबई उत्कल हाई स्कू ल के विद्यावथियों को आयक्त महोदय द्वारा िॉटर कू लर, सफाई सामग्री एिंु अध्ययन सामग्री सप्रेम वितररत की गई । 36

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म ाँ धनञ्जय िु मार, अधीक्षि आज आखँ ंे आँसओु ं से भर आयी ह।ै जब इन आँखों ने किसी िे ददद िी दी गवाही ह।ै िौन होगा वो बदनसीब कजस ने अपनी इतनी प्यारी माँ रुलाई ह।ै िर रही थी उसिी आखँ ंे किसी िा इतं जार न जाने क्यों उसे था अपने कदल पर इतना कवश्वास, िी उस िा बटे ा आयेगा और उसे मनािर घर ले जायगे ा। पर वो िरती रही इतं जार इतं जार, िोई नहीं आया। किर उसने अपना मन घर जाने िा बनाया, िर कदया माि उस ने अपने बटे े िो। किर जब उसने लड़खड़ाते हुये िदमों िे साथ परै आगे बढ़ाया। यह दखे िर मरे े मन में ख्याल आया, िौन होगा वो बदनसीब कजसने अपनी इतनी प्यारी माँ िो रुलाया। पिवानों िी सगु धं ने रोि कदए उसिे िदम, शायद िु छ खाने िा ख्याल उस िे मन में आया। लके िन जब उसने जबे में हाथ बढ़ाया तो एि भी कसक्िा हाथ ना आया। उसने अपने कदल िो किर से समझाया और लड़खड़ाते हुए िदमो िे साथ परै आगे बढ़ाया। ये सब दखे िर न जाने क्यों मेरे मन में ख्याल आया, िौन होगा वो बदनसीब कजसने अपनी इतनी प्यारी माँ िो रुलाया। थोड़ी दरे बाद न जाने क्यों उसिे लड़खड़ाते हुए िदम रुि गये। शायद भखू और चलने िे िारण थि चिु ी थी वो। उस िा सब्र िा बांध आसँ ओु िे रूप में टूट चिू ा था। जब उसने आसं ू पोछने िे कलए अपना िटा हआु पल्लू उठाया, यह दखे िर मन आसँ ओु ं से भर आया। 38

शायद उसे किसी िे साथ िी जरुरत थी, यह सोचिर मनै े अपना हाथ आगे बढ़ाया। पर मसु ्िु राते हुए एि जवाब सामने से आया, मेरा बटे ा आयेगा और मझु े मना िर ले जायगे ा। ये सब दखे िर न जाने क्यों मरे े मन में ख्याल आया, िौन होगा वो बदनसीब कजसने अपनी इतनी प्यारी माँ िो रुलाया। जब पहुचँ ी वो घर उसने कखड़िी से दखे ा अदं र, उस िा बटे ा मसु ्िु रा रहा था, कखलकखला रहा था। उसे ना था माँ िो खोने िा िोई गम। वो नहीं दखे ना चाहती थी, अपने बेटे िो परेशान। इसकलए उसने किर से बनाया अपना मन और व्रद्ध आश्रम िी तरि बढ़ाया अपना िदम। उसिे बेटे िे मसु ्िु राते हएु चहे रे ने उसिे कदल िो तसल्ली दी िी उस िा बेटा खुश ह।ै उसिी आखँ ों में आसँ ू थे पर उस िा कदल मसु ्िु रा रहा था। ये सब दखे िर न जाने क्यों मेरे मन में ख्याल आया, िौन होगा वो बदनसीब कजस ने अपनी इतनी प्यारी माँ िो रुलाया। 39

प्रशासनिक शब्दावली...... 40

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