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202110255-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_FL-G08-FY

Published by IMAX, 2020-04-15 09:17:23

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व्याकरण 1) लनम्नलललित लिया शब्िों की भाववाचक संज्ञा लललिए। 1. चिना - 4. चनु ना - 2. िटू ना - 5. काटना - 3. पढ़ना - 6. उतरना - 2) लवशेषण शब्िों से भाववाचक संज्ञा बनाइए। 4. िंबा - 1. आिसी - 5. मखू थ - 2. चौड़ा - 6. भयानक - 3. सकू्ष्म - 3) सजं ्ञा शब्िों से भाववाचक संज्ञा बनाइए। 4. चोर - 1. भि - 5. बच्चा - 2. सार्ु - 6. वीर - 3. लमत्र - 4) लनम्नलललित शब्िों के पयाथयवाची लललिए। 1. अरमान - 2. उत्साह - 3. सवसथ ्व - 5) लनम्न शब्िों को पयाथयवाची शब्ि से लमलाइए। 1. लभखारी संतोष, आनिं ,आमोि 2. सखु समर, संग्राम, रण 3. यिु लभखमगं ा, लभक्षकु 6) लनम्नलललित शब्िों के लवलोमार्थ लललिए। 4. बझु ा - 1. लिखिाना - 5. गरीब - 2. आज़ािी - 6. छाया - 3. सुख - 100

7) लनम्न वाक्य मंे रेिांलकत शब्ि का लवलोमार्थ पहचालनए। 1. अपने और पराये का भिे िानना आवश्यक ह।ै 2. सच और झठू एक लसक्के के िो पहिू ह।ंै 3. मैं उत्साह से चढ़ाई चढ़ रहा र्ा िेलकन मरे ा िोस्त लनरुत्सालहत हो गया। 8) लनम्नलललित शब्िों के सलं ध–लवच्छेि कर सलं ध का नाम लललिए। 1. महौषलर् - + - - 2. यर्िे - + - 3. उन्नलत - + 9) लनम्नलललित शब्िों की सलं ध कीलजए। 1. उत् + मिू न - 2. नमः + कार - 3. लव + आप्त - 10) लनम्नलललित शब्िों के अर्थ ललिकर वाक्यों मंे प्रयोग कीलजए। 1. अरमान - 2. उत्साह - 3. सवसथ ्व - 11) लनम्न शब्िों के समास का नाम पहचालनए। कमरथ ्ारय समास ई) () द्वदं ्व समास ई) बहुब्रीलह समास 1. कि-आि तत्परु ुष समास ई) अ) तत्परु ुष समास आ) द्वदं ्व समास इ) () तत्परु ुष समास 2. सत्याग्रह अ) बहुब्रीलह समास आ) कमरथ ्ारय समास इ) () कमरथ ्ारय समास 3. मगृ नयन अ) द्वदं ्व समास आ) बहबु ्रीलह समास इ) 12) लनम्न शब्ि समूह के ललए सामालसक शब्ि पहचालनए। 1. िो कायथ में कु शि हो। () ई) नािान अ) कायथकु शि आ) कु शि इ) होलशयार 101

2. लिसका कं ठ नीिा हो। () अ) नीिा कं ठ आ) नीिे कं ठ वािा इ) नीिा कं ठ हो लिसका ई) नीिकं ठ 3. िशे मंे भलि रखने वािा। () अ) िशे का भि आ) िशे मंे भलि इ) िशे भि ई) िशे भलि 13) रचना के आधार पर यह कौन-से वाक्य भेि हैं? () 1. िो िोग गरीब लभखारी ह,ैं लिन पर न लकसी की छाया ह,ै हम उनको गिे िगाएगाँ ।े अ) संयिु आ) पनु रुलि इ) सरि ई) लमलश्रत 2. हम वीरों के बच्चे हंै और र्नु के पक्के ह।ंै () अ) सरि आ) संयिु इ) यगु्म ई) लमलश्रत 3. हमंे आगे बढ़ने िो। () अ) सरि आ) पनु रुलि इ) लमलश्रत ई) संयिु 14) लनम्न वाक्य अर्थ की दृलष्ट से क्या है? () 1. क्या हमारे पवू िथ बहतु बहािरु र्े? अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) नकारात्मक वाक्य इ) इच्छार्थक वाक्य ई) आज्ञार्कथ वाक्य 2. वे महे नती नहीं र्े। () अ) आज्ञार्कथ वाक्य आ) प्रश्नवाचक वाक्य इ) इच्छार्थक वाक्य ई) नकारात्मक वाक्य 3. आप िशे की सेवा करो। () अ) इच्छार्थक वाक्य आ) नकारात्मक वाक्य इ) प्रश्नवाचक वाक्य ई) आज्ञार्कथ वाक्य 15) लनम्न वाक्यों मंे रेिांलकत शब्ि पहचालनए। () 1. मानव-समाि स्वार्ी हो गया है अ) लनपात आ) पनु रुलि इ) यगु्म ई) लिया 2. सब अपने-अपने काम में िग गय।े () अ) पनु रुलि आ) लनपात इ) यगु्म ई) लिया 3. अपना सवसथ ्व समलपतथ करके ही हम आगे बढ़ते िाएगँा ।े () अ) सजं ्ञा आ) पनु रुलि इ) यगु्म ई) लनपात आशावािी को हर खतरे मंे अवसर लिखता है और लनराशावािी को हर अवसर मंे खतरा । — लवन्स्टन चलचिथ 102

इि़ाई-2 7. ि़ामचोर इस्मत चुगत़ाई अर्शग्ऱाह्यत़ा प्रकतकिय़ा ये दौलत भी ले लो, ये शौहरत भी ले लो, भले छीन लो मझु से मरे ी जवानी। मगर मझु को लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती - सदु र्शन फ़ाकिर वो बाररश का पानी। प्रश्न- 1. बच्चों िो सब लोग अकिि पसदं क्यों िरते हंै? उ. बच्चों को सभी इसललए पसदं करते ह,ैं क्योंलक वे लनष्कपट, लनिःस्वार्थी और प्यारे होते ह।ंै 2. बचपन सबिो क्यों अच्छ़ा लगत़ा है? उ. बचपन में हम स्वतंत्रता से खले सकते ह।ैं जहाँा चाहे वहाँा जा सकते ह।ैं बाररश में कू द सकते ह।ैं गली की नाललयों में नाव बहा सकते ह।ंै हम सब बच्चों से लबना लकसी भदे भाव के खेल सकते ह।ंै इसललए बचपन सबको अच्छा लगता ह।ै 3. िकि ने ि़ागज़ िी िश्ती और ब़ाररर् िे प़ानी िी चच़ाश क्यों िी है? उ. कलव ने कागज़ की कश्ती और बाररश के पानी की चचाा इसललए की है क्योंलक बाररश के पानी में कागज़ की कश्ती का दृश्य हमारे बचपन से जडु ी यादों का सवोत्तम दृश्य ह।ै  – चचाा (बहस) Discussion 1. वाद–लववाद – शोर मचाना Making Noise 2. उधम मचाना – लकसी के नीचे दबा हआु Weighed down by a 3. दबलै – भयंकर Frightful 4. घमासान – लबल्कु ल (लकसी कीमत पर) At a cost 5. हरलगज़ – राजा की आज्ञा Royal decree 6. शाही फ़रमान – प्रार्थाना (लवनती) Petition/request 7. दहु ाई – उदाहरण Example 8. लमसाल – सेना Battalion 9. बटाललयन – सवे ा से लनष्कासन Court martial 10. कोटा माशला 103

 ‘कामचोर’ इस्मत चगु ताई की व्यगं्य कहानी ह।ै लेलखका यह बताना चाहती हैं लक बच्चे लकस प्रकार कामचोर लनकलते ह।ैं बच्चों ने तय कर ललया लक वे स्वयं घर का काम–काज कर लंेग।े बच्चे फशा की दरी पर जटु गए और चारों ओर से कोने पकडकर झटकना शरु ू कर लदया और लपटाई शरु ू की। तब सारा घर धलू से भर गया। सबके लसरों पर धलू जम गई। धूल नाक और आँाखों मंे भी घसु गई। बादमें आगाँ न मंे झाड़ू दने े लग।े लेलकन झाड़ू करने वाले ज्यादा र्थे। क्षण भर में झाड़ू के पजु ़़े उड गए। इसके बाद वहााँ पानी भी लछडका। तब सारी धलू कीचड बन गई। बाद मंे सारे घर की बालल्टया,ाँ लोटे, भगोन,े पतीललयााँ लटू कर पडे ों को पानी दने े का लनश्चय कर ललया। नल के पास घमासान मची। एक बँादू पानी भी लकसी के बतना मंे न आ सका। सब बच्चे पीठ लदखाकर भाग गए। इस लडाई मंे कीचड से लर्थपर्थ बच्चों को साफ करने के ललए घर के नौकरों के सार्थ दसू रे घरों के नौकरों को भी बलु ाना पडा। बाद मंे मलु गया ाँा हाँाकने लग।े मलु गया ों को भी न पकड सके , क्योंलक वे इधर-उधर कू दने लगीं। कु छ बच्चे भसंै का दधू लनकालने गये लेलकन भसंै चारपाई लेकर भागी। पहले चाचाजी समझे लक वह सपना ह।ै बाद मंे उन्हें पता चला लक वह तफू ान मंे फाँ से ह।ंै लकसी ने बाद में बछडे को भी छोड लदया। इस प्रकार घर मंे तफू ान मचा लदया। लफर उन्होंने लनश्चय कर ललया लक अब चाहे कु छ भी हो जाए, लहलकर पानी भी नहीं लपएगँा ।े 1. बडे होते बच्चे किस प्रि़ार म़ाँा-ब़ाप िे सहयोगी हो सिते हैं और किस प्रि़ार भ़ार? अपने किच़ार व्यक्त िीकिए। उ. बच्चे अगर अनशु ासन में रह,ंे सार्थ रह,ें अच्छी आदतें सीखंे तो बडे होकर माता-लपता के सहयोगी हो सकते ह।ंै अगर बच्चे बरु े मागा पर चलकर लबगड जाए,ँा तो माता-लपता के ललए भार बन जाते ह।ैं 2. ‘ि़ामचोर' िह़ानी एिल पररि़ार िी िह़ानी है य़ा संयकु ्त पररि़ार िी? इन दोनों तरह िे पररि़ारों मंे क्य़ा अंतर होते हैं? इसिे पक्ष-किपक्ष में चच़ाश िीकिए। उ. कामचोर कहानी संयकु ्त पररवार की ह।ै एिल पररि़ार में माता-लपता और एक-दो बच्चे ही होते ह।ैं जीवन के सखु -दिु ःख के सार्थी के वल यही होते ह।ंै और कोई सहयोगी नही रहता। सयं ुक्त पररि़ार मंे सदस्यों की संख्या अलधक होती ह।ै संयकु ्त पररवार में रहने से बहुत लाभ होते ह।ैं बच्चे आत्मलवश्वास एवं आत्मसम्मान सीखते ह।ैं प्रत्येक पररलस्र्थलत मंे सभी पाररवाररक सदस्य एक-दसू रे के सहयोगी बन जाते ह।ैं एकल पररवार मंे लाभ यह होता है लक हम अपनी इच्छानसु ार लनणया लने े के ललए स्वतंत्र होते ह।ंै हम पर लकसी का कोई प्रलतबधं नही होता। यह प्रलतबधं सयं कु ्त पररवार मंे बहतु होते ह,ंै जो हमें कारावास जसै ा लगने लगता ह।ै एकल पररवार के लवपक्ष मंे कहना चाहगंे े लक अके ला चना भाड नही झोंक सकता। उसी तरह एक अके ला व्यलक्त प्रगलत व उन्नलत के लशखर तक नही पहचुाँ सकता। अनेक कलठनाईयों का सामना हमें अके ले ही करना पडता ह।ै हार, लनराशा, दिु ःख व अवसाद हमें घरे े ही रहते ह।ंै आवश्यकता से अलधक स्वतंत्रता हमें बेलगाम घोडे की तरह बना दते ी है जो सभी के ललए नकु सानदहे लसद्ध होती ह।ै संयकु ्त पररवार के लवपक्ष में कहना चाहगंे े लक मयाादा के नाम पर हमारी आतं ररक प्रलतभा को बधं न में जकड लदया जाता ह।ै प्रलतभा को उजागर होने का अवसर कम लमलता ह।ै 104

3. घरेलू नौिरों िो हट़ाने िी ब़ात किन-किन पररकस्र्कतयों मंे उठ सिती है? किच़ार िीकिए। उ. घरेलू नौकरों को हटाने की बात लनम्नलललखत पररलस्र्थलतयों मंे उठ सकती ह।ै 1. जब नौकर माललक की बातंे नहीं सनु त।े 2. घर का काम सचु ारू रूप से नहीं करत।े 3. बार–बार वते न बढाने की माँाग करते ह।ंै 4. कभी-कभी नौकर घर मंे चोरी करते ह।ैं 5. बार-बार छु ट्टी लने े पर। अकतररक्त प्रश्न 1. बच्चों को सधु ारने के ललए क्या तय हआु ? 2. पेडों को पानी दते े समय बच्चे कीचड मंे क्यों लर्थपर्थ हो गये? 3. भसंै ों से दधू दहु ते समय लकस प्रकार की प्रलय मची? 4. लेखक ने सने ा के टंैकों और बमबारों की सजं ्ञा लकस घटना को दी र्थी? 1. िह़ानी मंे मोटे-मोटे किस ि़ाम िे हैं? किनिे ब़ारे में और क्यों िह़ा गय़ा? उ. कहानी में मोटे-मोटे लकस काम के ह,ैं बच्चों के बारे मंे कहा गया ह।ै बच्चे कु छ भी काम नहीं करत।े वे के वल नौकरों पर हुक्म चलाते ह,ैं खा-पीकर आराम करते ह।ंै वे कामचोर हो गए ह।ंै 2. बच्चों िे उिम मच़ाने िे ि़ारण घर िी क्य़ा दुदशऱ्ा हुई? उ. बच्चों के उधम मचाने के कारण घर मंे तफू ान उठ खडा हआु । ऐसा लगता र्था, जसै े घर मंे मलु गया ाा,ँ भेडें, टूटे हएु बरतन, बालल्टयाा,ँ लोटे, कटोरे बचे र्थ।े बच्चे बाहर लकए गए। मलु गया ााँ बाग में हकँा ाई गयी, मातम-सा मनाती तरकारी वाली के आसँा ू पोंछे गये और अम्मा आगरा जाने के ललए सामान बाधँा ने लगी। 3. य़ा तो बच्च़ाऱाि ि़ायम िर लो य़ा मुझे ही रख लो। अम्म़ा ने िब िह़ा और इसि़ा पररण़ाम क्य़ा हुआ? उ. बच्चों की शरारत के कारण घर की ददु शा ा हईु , तब अम्मा ने कहा, या तो बच्चाराज कायम कर लो या मझु े ही रखलो। इसका पररणाम यह हुआ लक लपताजी ने परू ी बटाललयन का कोटा माशला कर लदया। 4. क्य़ा बच्चों ने उकचत कनणशय कलय़ा कि, अब च़ाहे िु छ भी हो ि़ाए, कहलिर प़ानी भी नहीं कपएगाँ े। क्यों? उ. नहीं, बच्चों ने उलचत लनणया नहीं ललया। उनको अनशु ासनबद्ध होकर घर के कामों में हार्थ बँाटाना चालहए र्था। अपनी गलती को समझकर उसे सधु ारने का प्रयास करना चालहए र्था। अकतररक्त प्रश्न 1. इस पाठ में बहुत से उदाू शब्दों का प्रयोग हुआ ह।ै उन्हंे रेखालं कत कीलजए। 2. पनु रुक्त तर्था यगु्म शब्दों की सूची बनाइए। 3. लनम्न पंलक्तयों में आए लवराम लचह्नों को रेखांलकत कीलजए। अब सब लोग नल पर टूट पडे। ठूसम-ठास! पहले तो धक्के चले उसके बाद बतान। फौरन बडे भाइयों, बहनों, मामओु ं की फौज़ भजे ी गई। सभी मदै ान से पीठ लदखा कर भाग।े 105

अध्य़ापन संिे त - सलु नए-बोललए और पलढए में लदए गए अलतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वलृ द्ध हते ु लदए गए ह।ैं - अध्यापक/अध्यालपका छात्रों से लनम्न प्रश्न पछू ें। उनके उत्तर की सराहना करें। अकभव्यकक्त सिृ ऩात्मित़ा I. कनम्नकलकखत प्रश्नों िे उत्तर च़ार–प़ााँच ि़ाक्यों में कलकखए। 1. घर िे स़ाम़ान्य ि़ाम हो य़ा अपऩा कनिी ि़ाम, प्रत्येि व्यकक्त िो अपनी क्षमत़ा िे अनसु ़ार उन्हंे िरऩा आिश्यि क्यों है? उ. घर के सामान्य काम हो या अपना लनजी काम, प्रत्यके व्यलक्त को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक ह।ै यलद हम काम नहीं करेंगे तो कामचोर और परालित बन जाएगाँ ।े यह लनलष्ियता और अकमणा ्यता हमारी प्रगलत में बाधा बन जाएगी। अपना काम स्वयं करके हमें आत्मलनभरा बनना चालहए। सार्थ ही दसू रों की सहायता करने के ललए भी तत्पर रहना चालहए। 2. िह़ानी मंे एि समृद्ध पररि़ार िे उिमी बच्चों ि़ा कचत्रण है। आपिे अनमु ़ान से उनिी आदत क्यों कबगडी होगी? उन्हें ठीि ढंग से रहने िे कलए क्य़ा सझु ़ाि देऩा च़ाहेंगे? उ. समदृ ्ध पररवार हो या एकल पररवार बच्चों के उधमी होने के ललए अनेक कारण हो सकते ह।ैं  आवश्यकता से अलधक लाड–प्यार करना, लजसके कारण वे लज़द्दी बन जाते ह।ंै  अनावश्यक मााँगों को परू ा करके , वस्तओु ं का सही उपयोग न समझाना।  गललतयों को अनदखे ा करके उन्हंे बढावा दने ा।  घर के अन्य सदस्यों का आपसी व्यवहार अनशु ासनबद्ध, सयं मी व सहृदयी न होना।  कमा के प्रलत लनलष्ियता को बढावा दने ा। बच्चों िो ठीि ढगं से रहने िे कलए सझु ़ाि-  प्रारम्भ से ही बच्चों को प्रेम व अनशु ासन से रहना लसखाना चालहए।  खले व मौज-मस्ती को मनोरंजन से अलधक बढकर अनावश्यक लज़द्दी नहीं बनने दने ा चालहए।  बडों का सम्मान करना, छोटों को दलु ार करना लसखाना चालहए।  प्रारम्भ से ही बच्चों को नैलतक ज्ञान की लशक्षा दी जानी चालहए, तालक वे उनसे प्ररे णा लेकर अपने उज्जवल भलवष्य का लनमााण कर सकें ।  लकसी भी कमा को करने के ललए कमठा व कत्तवा ्यलनष्ठ बनाना चालहए। 106

3. भऱा-परू ़ा पररि़ार िै से सखु द बन सित़ा है और िै से दुुःखद? ि़ामचोर िह़ानी िे आि़ार पर कनणशय िीकिए। उ. यलद घर के सभी सदस्य क्षमता के अनरु ूप, कायों का बँाटवारा कर लंे, तो घर स्वगा बन सकता ह।ै इससे काया के प्रलत तनाव और भदे भाव की लस्र्थलत भी उत्पन्न नहीं होगी। इसके लवपरीत यलद काम अलधक है और सदस्य कामचोर ह,ै तो कोई भी काम नहीं करेगा। एक-दसू रे पर दोषारोपण की प्रवलृ त्त उत्पन्न होगी और पररवार की लस्र्थलत दिु ःखद बन जाएगी। भ़ाष़ा िी ब़ात 1. ि़ाक्य पक़िए। मुह़ािरों ि़ा प्रयोग समकझए। उनि़ा पुनुः ि़ाक्य प्रयोग िीकिए। ि) पीठ कदख़ाऩा – उ. फौज ने मदै ान मंे हलर्थयार फंे क कर पीठ लदखा दी। उ. राजपतू रणभलू म मंे पीठ नहीं लदखाते। ख) तीर कनऱ्ाने पर लगऩा - उ. तीर लनशाने पर बठै ा और बछडे की ममता में व्याकु ल होकर भसंै ने अपने खरु ों पर ब्रेक लगा लदय।े उ. अजनाु तीर लनशाने पर लगाकर सफल हुए। ग) ि़ाम पर तुल ि़ाऩा – उ. तनख्वाह के सपने दखे ते हएु हम लोग काम पर तलु गये। उ. ख्यालत लमलने की आशा में राम काम पर तलु गया। 2. इिर प्रलय मची र्ी, उिर दूसरे बच्चे भी िम ल़ापरि़ाह नहीं र्े। 1. उपयशुक्त ि़ाक्य िी तरह इिर–उिर र्ब्दों ि़ा प्रयोग िरते हुए प़ााँच ि़ाक्य कलकखए। उ. 1. इधर रामू पढ रहा ह,ै उधर श्यामू और अन्य बच्चे खले रहे ह।ैं 2. इधर उधम मच गया, लले कन उधर कु छ लोगों पर असर नहीं पडा। 3. इधर बादल ने बाररश की, उधर लबजली ने अपनी ताकत लदखा दी। 4. रमशे को ढूढाँ ने इधर राम स्टेशन गया, उधर रमशे बस से घर आ गया। 5. इधर सारा घर धलू से अट गया, उधर खाँासते-खासँा ते सब बेदम हो गए। 1. िुली-बेिुली ब़ाल्टी लेिर आठ ह़ार् च़ार नलों पर कपल पडे। िुली र्ब्द से पहले ‘बे’ लग़ािर बेिलु ी र्ब्द बऩा है। किसि़ा अर्श है, कबऩा िुली। यह एि उपसगश है। ‘बे’ उपसगश से बनने ि़ाले िु छ और र्ब्द है – बेतुि़ा, बेईम़ान, बेघर, बैचैन, बेहोर् आकद। आप भी नीचे कलखे उपसगों से बनने ि़ाले र्ब्द ढूँाक़िए। 1. प्र 2. आ 3. भर 4. बद 5. अनु 6. ला उ. 1. प्र - प्रदलशना ी, प्रशासन, प्रकोप, प्रयत्न, प्रबल 2. आ - आजन्म, आजीवन, आमरण, आिोश 107

3. भर - भरपेट, भरसक, भरपरू 4. बद - बदनाम, बदतमीज़, बदसरू त, बदलकस्मत, बदतर, बदहवास 5. अनु - अनजु , अनरु ाग, अनचु र, अनकु रण. अनरु ूप 6. ला - लापता, लाजवाब, लालच, लापरवाह 1. बच्चे अपने घर मंे तरह-तरह ि़ा उिम मच़ाते हैं, किर भी म़ात़ा-कपत़ा उनिो सहते हंै। बच्चे च़ाहे कितनी भी र्ऱारत िरें, म़ाँा-ब़ाप िे ि़ात्सल्य मंे िमी नहीं आती। आपिे घर में बडे लोग आपिे कलए क्य़ा-क्य़ा िरते हंै? आप किस प्रि़ार उनि़ा आभ़ार प्रिट िरऩा च़ाहंेगे। उ. बच्चे स्वभाव से ही नटखट होते ह।ंै बाल्यावस्र्था- मौज-मस्ती, खले -कू द, अनशु ासनहीनता, तरह-तरह के खले खले ना, उधम मचाना इसीका दसू रा नाम ह।ै माता-लपता इस तथ्य से भली-भााँलत पररलचत होते ह।ैं बचपन में वे लकसी कत्तवा ्य या लज़म्मदे ारी के बधं न मंे बधं े नहीं होते, अतिः स्वच्छंद व मस्त रहते ह।ैं बडे होने पर वे स्वयं अनशु ासन व कत्तवा ्य के बंधन में बधँा जाएगाँ े। इसी कारण माता-लपता उनकी स्वच्छंदता को बालधत न करते हुए अपने कत्तवा ्य का पालन करते ह।ैं अपने वात्सल्य में कोई कमी नहीं आने दते े। हमारे घर के बडे हमारी सभी आवश्यकताओं को वात्सल्य व प्रेम से पणू ा करते ह।ंै हमारी स्वच्छंदता को बाँधा े लबना भी हमें अनशु ासन मंे रहने का अमलू ्य ज्ञान दते े ह।ंै अतिः हमारे जीवन के मागदा शका बनने के ललए हम उनके सदवै आभारी रहगंे ।े उनकी लसखाई नीलतयों और लशक्षा का अनकु रण करते हएु , उनका सम्मान करते हुए, समाज में उनकी प्रलतष्ठा को आगे बढाकर हम अपना आभार उनके प्रलत व्यक्त करना चाहगें ।े 1. अपने बचपन िी किसी रोचि घटऩा ि़ा िणशन िरते हुए कमत्र िो पत्र कलकखए। उ. लदनाकं .................. लवजयवाडा लप्रय लमत्र, मैं यहाँा कु शल ह।ँा आशा करता हाँ लक तमु भी वहाँा कु शल होंग।े मंै तमु ्हंे मरे े बचपन की एक रोचक घटना ललख रहा ह।ाँ मरे े बचपन मंे मनैं े एक छोटे बच्चे को नाले में से लनकालकर उसके माता-लपता को सौंप लदया। इस तरह मनंै े एक बच्चे की जान बचाई र्थी। वह नाले से एक कागज़ की नाव लनकालने का प्रयास कर रहा र्था और अचानक उसमंे लगर पडा। मैं उधर से ही गजु ़र रहा र्था। तरु ंत उसे उठाकर मनैं े उसकी रक्षा की। तमु भी अपने जीवन की एक रोचक घटना के बारे मंे बताते हुए मझु े पत्र ललखना। तमु ्हारा लप्रय लमत्र ........... पतािः ....... म. नं 6-9-23, िी लनलयम, बंदर रोड, लवजयवाडा – 2 108


















































































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