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202110255-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_FL-G08-FY

Published by IMAX, 2020-04-15 09:17:23

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Hindi Workbook_8_FL.pdf 1 10/18/19 10:14 AM Name: ___________________________________ Section: ________________ Roll No.: _________ School: __________________________________

विषय-सचू ी इकाई क्र. सं. पाठ का नाम विधा माह पषृ ्ठ 1. बरसते बादल कड़वता जनू – जलु ाई 5-70 2. लाख की चड़ू ियााँ कहानी I 3. बस की यात्रा व्यंग्य अगस्त – ड़सतबं र 71-135 4. दीवानों की हस्ती कड़वता उपवाचक खेल जहाँा, मैदान वहाँा कहानी अक्तू बर – नवंबर 136-198 5. ड़चट्ठियों की अनूठी दड़ु नया ड़नबंध 199-257 6. अरमान कड़वता ड़दसबं र – फरवरी कहानी II 7. कामचोर ड़नबधं 258-260 8. क्या ड़नराश हआु जाए कहानी 260-262 उपवाचक थंैक्यू ड़नकाँु भ सर कड़वता 262-266 ड़नबधं 267-269 9. कबीर की साड़खयाँा कहानी 10. जब ड़सनेमा ने बोलना सीखा कड़वता III उपवाचक दो कलाकार ट्ठरपोताजज 11. सदु ामा चट्ठरत 12 जहाँा पड़हया है ड़नबंध एकांकी 13. पानी की कहानी कड़वता 14. हमारा सकं ल्प कहानी IV 15. सरू दास के पद कहानी 16 बाज और साँाप उपवाचक पहाि से ऊँा चा आदमी अपड़ठत गद्ांश अपड़ठत पद्ाशं ड़नबधं पत्र 1

विस्तृत विषय सचू ी क्र.स.ं पाठ का नाम पाठयांश पृष्ठ संख्या 1. बरसते बादल 2. लाख की चड़ू ियााँ अथजग्राह्यता प्रड़तड़िया 5-8 3. बस की यात्रा अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 9-10 भाषा की बात 11-13 4 अड़तट्ठरक्त कायज 14-16 उपवाचक अभ्यास कायज 17-20 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 21-24 5. अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 24-26 6. भाषा की बात 26-28 अड़तट्ठरक्त कायज 29-31 अभ्यास कायज 32-35 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 36-39 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 40-40 भाषा की बात 41-43 अड़तट्ठरक्त कायज 44-47 अभ्यास कायज 48-51 52-52 दीवानों की हस्ती अथजग्राह्यता प्रड़तड़िया 53-58 खले जहाँा, मदै ान वहाँा अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 59-59 ड़चट्ठियों की अनठू ी दड़ु नया भाषा की बात 60-61 अड़तट्ठरक्त कायज 62-65 अरमान अभ्यास कायज 66-68 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 69-70 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 71-74 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 75-75 भाषा की बात 76-78 अड़तट्ठरक्त कायज 79-83 अभ्यास कायज 84-87 अथजग्राह्यता प्रड़तड़िया 88-91 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 92-92 भाषा की बात 93-95 अड़तट्ठरक्त कायज 96-98 अभ्यास कायज 99-102 2

अथजग्राह्यता प्रड़तड़िया 103-105 106-106 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 107-109 7. भाषा की बात 110-112 113-116 कामचोर 117-117 अड़तट्ठरक्त कायज 118-120 121-122 अभ्यास कायज 123-125 126-129 8. क्या ड़नराश हुआ जाए अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 130-133 उपवाचक थंैक्यू ड़नकँाु भ सर अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 134-135 कबीर की साड़खयााँ भाषा की बात 136-139 9. अड़तट्ठरक्त कायज 140-140 जब ड़सनमे ा ने बोलना सीखा अभ्यास कायज 141-142 10. अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 143-144 दो कलाकार अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 145-148 उपवाचक सदु ामा चट्ठरत अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 149-151 11. भाषा की बात 152-153 अड़तट्ठरक्त कायज 154-156 अभ्यास कायज 157-158 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 159-162 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 163-164 भाषा की बात 165-170 अड़तट्ठरक्त कायज 171-171 अभ्यास कायज 172-174 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 175-177 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 178-182 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता भाषा की बात अड़तट्ठरक्त कायज अभ्यास कायज 3

12. जहााँ पड़हया है अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 183-183 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 184-187 13. पानी की कहानी भाषा की बात 188-189 अड़तट्ठरक्त कायज 190-191 14. हमारा सकं ल्प अभ्यास कायज 192-194 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 195-198 15. सरू दास के पद अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 199-202 भाषा की बात 203-203 16. बाज़ और साँपा अड़तट्ठरक्त कायज 204-205 उपवाचक पहाि से ऊाँ चा आदमी अभ्यास कायज 206-208 अथगज ्राह्यता प्रड़तड़िया 209-212 अपड़ठत गद्ाशं अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 213-215 अपड़ठत पद्ाशं भाषा की बात 216-216 ड़नबधं अड़तट्ठरक्त कायज 217-218 पत्र अभ्यास कायज 219-221 अथजग्राह्यता प्रड़तड़िया 222-225 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 226-229 भाषा की बात 230-231 अड़तट्ठरक्त कायज 232-233 अभ्यास कायज 234-235 236-239 अथजग्राह्यता प्रड़तड़िया 240-240 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 241-244 भाषा की बात 245-245 अड़तट्ठरक्त कायज 246-247 अभ्यास कायज 248-250 अड़भव्यड़क्त सजृ नात्मकता 251-255 256-257 258-260 260-262 262-266 267-269 4

इकाई-1 1. बरसते बादल सुवमत्रानंदन पतं अर्थग्राह्यता प्रवतवक्रया क्या गाती हो, ड़कसे बलु ाती, बतला दो कोयल रानी। प्यासी धरती दखे मााँगती, हो क्या मघे ों से पानी? - सभु द्रा कु मारी चौहान प्रश्न - 1. मीठे गीत कौन गाती है? उ. मीठे गीत कोयल रानी गाती ह।ै 2. हमारे जीिन में पानी की क्या आिश्यकता है? उ. पानी का हमारे जीवन मंे महत्वपरू ्ज स्थान ह।ै इसके ड़बना जीवन सभं व नहीं ह।ै ड़कसान बीज बोने के बाद वषाज के आने की राह दखे ते ह।ैं पानी न हो तो फसलें नहीं उगती, हट्ठरयाली नहीं होती। आज यड़द हम पानी सरु ड़ित नहीं करंेगे तो आने वाली पीढी को जल ड़मलगे ा ही नहीं। ड़बजली तयै ार करने के ड़लए भी पानी की आवश्यकता होती ह।ै नड़दयों के जल स्तर को बनाए रखने के ड़लए, प्राकृ ड़तक ससं ाधनों की सरु िा के ड़लए भी पानी की आवश्यकता होती ह।ै 3. मेघ हमें पानी वकस प्रकार देते हंै? उ. जब बादल आपस मंे टकराते ह,ैं तो मघे झम-झम बरसते ह।ैं धरती मघे के जल से ही तपृ ्त होती ह।ै सावन ऋतु में काले- काले बादल चारों ओर छा जाते ह।ैं जब वे बादल आपस में टकराते हंै तो ज़ोरों की गिगिाहट होती है, ड़बजली चमकती ह।ै पानी की तेज़ बौछारें धरती पर ड़गरने लगती ह।ैं इस प्रकार मघे पानी बन कर धरती पर बरसते ह।ंै  जन्म  - 20 मई सन् 1900 मंे उत्तराखडं के कू माांचल प्रदशे के कौसानी गाावँ म।ें  विचारधारा - माक्सज और अरड़वन्द के ड़वचारों से प्रभाड़वत, छायावाद और प्रकृ ड़तवाद के बजे ोि कड़व, प्रकृ ड़त के सकु ु मार कड़व।  रचनाएँ - ‘वीर्ा’, ‘ग्रंड़थ’, ‘पल्लव’, ‘गजंु न’, ‘यगु ातं ’।  पुरस्कार - ‘सोड़वयत लडैं नहे रू परु स्कार’, ‘साड़हत्य अकादमी परु स्कार’ तथा ‘ड़चदबं रा’ काव्य के ड़लए ‘ज्ञानपीठ परु स्कार’ से सम्माड़नत ड़कया गया।  मृत्यु - सन् 1977 म।ें 5

1. तरू - पेि Tree 6. वाट्ठर - जल Water 2. उर - हृदय Heart 7. पलु कावड़ल - रोमांच Thrill 3. तम - अधं कार Darkness 8. तरृ ् - ड़तनका Straw 4. दादरु - मढे क Frog 9. थर - ज़मीन Land 5. िं दन - रोना Crying 10. चातक - पपीहा Papeeha bird प्रसगं सवहत भािार्थ वलविए। 1. झम-झम-झम-झम मघे बरसते हंै सावन के , छम-छम-छम ड़गरती बदाँू ंे तरुओं से छन के । चम-चम ड़बजली चमक रही रे उर मंे घन के , थम-थम ड़दन के तम में सपने जगते मन के । प्रसगं – प्रस्ततु पंड़क्तयााँ सड़ु मत्रानदं न पतं द्वारा रड़चत ‘बरसते बादल’ नामक कड़वता से ली गई ह।ंै सावन के महीने में प्रकृ ड़त के ड़वड़भन्न रूपों के बारे मंे बताया गया ह।ै भािार्थ – कड़व कहते हंै ड़क सावन के महीने मंे झम-झम करते हुए बादल बरस रहे ह।ैं पेिों के पत्तों से छनकर छम-छम करती हुई बाट्ठरश की बाँदू ंे ड़गर रही ह।ंै चमकती हईु ड़बजली बादलों के हृदय से उठती प्रतीत होती ह।ै बादलों के कारर् ड़दन में अधं कार छाने से सबके मन में सपने जागने लगे ह।ंै विशेषता – प्रस्ततु पद् मंे कड़व सावन के महीने का मनभावन वर्नज कर रहे ह।ंै 2. दादरु टरज-टरज करत,े ड़झल्ली बजती झन-झन, ‘म्यव-म्यव’ रे मोर, ‘पीउ’ ‘पीउ’ चातक के गर्। उिते सोनबालक, आद्र-ज सुख से कर िं दन, घमु ि-घमु ि ड़गर मघे गगन में भरते गजनज ।। प्रसंग – प्रस्ततु पंड़क्तयाँा सड़ु मत्रानंदन पतं द्वारा रड़चत ‘बरसते बादल’ नामक कड़वता से ली गई ह।ै इन पड़ं क्तयों में सावन के महीने में पश-ु पड़ियों की सनु ्दर वार्ी के बारे मंे बताया गया ह।ै भािार्थ – उपयकजु ्त पड़ं क्तयों मंे कड़व कहते हैं ड़क वषाज ऋतु के समय मढे क टरज-् टरज् करने लगते ह,ैं झींगरु की झन-झन आवाज़ बजने लगती ह,ै म्यव-म्यव करते हएु मोर नाचने लगते ह।ैं चातक पड़ियों के समहू वषाज का जल पीने के ड़लए ‘पीउ-पीउ’ करते हुए आतरु होने लगते ह।ंै सोनबालक प्रसन्नता से रोमाड़ं चत हो कर िं दन करते हएु उिने लगते ह।ैं घमु िते हुए बादल आकाश मंे गजनज ा करने लगते ह।ंै विशेषता – कड़व ने सावन के महीने में पश-ु पड़ियों के उल्लास-भाव का सनु ्दर वर्नज ड़कया ह।ै 3. ट्ठरमड़झम-ट्ठरमड़झम क्या कु छ कहते बँादू ों के स्वर, रोम ड़सहर उठते छू ते वे भीतर अतं र। 6

धाराओं पर धाराएँा झरतीं धरती पर, रज के कर्-कर् मंे तरृ ्-तरृ ् को पलु कावड़ल थर।। प्रसंग – प्रस्ततु पड़ं क्तयााँ सड़ु मत्रानदं न पतं द्वारा रड़चत ‘बरसते बादल’ नामक कड़वता से ली गई ह।ंै इन पड़ं क्तयों में सावन के महीने मंे प्रकृ ड़त मंे व्याप्त सदंु रता के बारे में बताया गया ह।ै भािार्थ – कड़व कहते हंै ड़क वषाज की बदाँू ंे ट्ठरमड़झम–ट्ठरमड़झम करते हुए ड़गरने लगती ह।ैं उनके स्वर मानो हमसे कु छ कहते ह।ंै वे हमारे हृदय तक पहचुाँ ते हैं ड़जससे हमारा रोम-रोम ड़सहर उठता ह।ै धरती पर वषाज की धाराओं पर धाराएँा झरती जाती ह।ंै ड़जसके कारर् धरती पर ड़मट्टी के कर्-कर् से कोमल अंकु र फू ट रहे ह।ंै चारों ओर प्रसन्नता के भाव लहरा रहे ह।ैं विशेषता – प्रस्ततु पंड़क्तयों के माध्यम से कड़व वषाज ऋतु में प्रकृ ड़त के उल्लास और आनन्द का सनु ्दर ड़चत्रर् कर रहे ह।ैं 4. पकि वाट्ठर की धार झलू ता है मरे ा मन, आओ रे सब मझु े घरे कर गाओ सावन। इदं ्रधनषु के झलू े में झलू ें ड़मल सब जन, ड़फर-ड़फर आये जीवन में सावन मनभावन।। प्रसगं – प्रस्ततु पड़ं क्तयाँा सड़ु मत्रानंदन पतं द्वारा रड़चत ‘बरसते बादल’ नामक कड़वता से ली गई ह।ंै भािार्थ – कड़व कहते हैं ड़क सावन मंे वषाज ऋतु के कारर् मरे ा मन पानी की धार पकि कर मानो झलू ा झलू रहा ह।ै सभी आकर मझु े घरे लो और मनभावन सावन के गीत गनु गनु ाओ। सभी ड़मलकर इस इदं ्रधनषु रूपी झलू े में झलू गें ।े हमारे जीवन मंे ये मनभावन सावन बार-बार आए। विशेषता –इन पंड़क्तयों में कड़व कहते हंै ड़क मनभावन सावन, वषाज ऋतु और इन्द्रधनुष रूपी झलू े मानव-मन को आकड़षतज करते ह,ैं इसका मनोहारी ड़चत्रर् प्रस्ततु ड़कया गया ह।ै 1. धरती की शोभा का प्रमुि कारण िषाथ है। इस पर अपने विचार बताइए। उ. वषाज की बदँाू ंे जब ट्ठरमड़झम-ट्ठरमड़झम करके धरती पर बरसती ह,ैं तो ऐसा लगता है जसै े धरती से कु छ कह रही हों। वषाज से पानी ड़मलता ह।ै पानी न हो तो पिे -पौधे भी न होंग।े पथृ ्वी पर जीवन भी न होगा। ड़बना पेि, पानी व जीवन के धरती की शोभा भी न होगी। जब वषाज का पानी धरती के भीतर जाता ह,ै तो धरती का रोम-रोम ड़सहर उठता ह।ै ड़मट्टी और घास के प्रत्यके ड़तनकों मंे भीगने के कारर् आनदं की लहर दौि जाती ह।ै 2. घने बादलों का िणथन अपने शब्दों में कीवजए। उ. काले मघे जब आसमान पर छा जाते हैं, तो सयू ज को ढक लते े ह।ैं उससे चारों तरफ अधाँ ेरा छा जाता ह।ै वह अधँा ेरा बहतु घना होता ह।ै ऐसे लगता है जसै े शाम का समय हो। घने बादलों में ड़बजली चमकने लगती ह।ै 3. िषाथ ॠतु में नवदयों के सौंदयथ पर अपने विचार बताइए। उ. वषाज ॠतु में नड़दयों की धाराओं से धरती की सदंु रता और अड़धक बढ जाती ह।ै प्रकृ ड़त और अड़धक सदंु र ड़दखाई दते ी ह।ै नड़दयों मंे लहरों पर लहरें उठती ह।ंै नड़दयाँा अपने उफान में कल-कल करती हुई अपनी प्रसन्नता और उमगं मंे बहती चली जाती ह।ंै 7




















































































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