ह।ै वह भोली-भाली ह।ै माँ के 8मे के सामने उसके िलए सोने और हीरे का ढरे तु छ ह।l इसीिलए वह सठे क चगंु ल से बच कर भाग जाती ह।ै इसका एक और भी भाव ह,ै वह यह है िक गलु ामी के जीवन से आज़ादी से जीवन जीना हर हाल म सखु द ह।ै िचिड़या सेठ के दास के पंज से भाग िनकली और एक ही सासँ म अपनी माँ के पास जा पहच$ँ ी और बह$त खशु हई$ । सच ही कहा है - \"पराधीन सपने सखु नाहV।\" 1. इस कहानी को कोई और शीष-क देना हो तो आप या देना चाहगे और य+? उ. क) इस कहानी को कोई और शीषक* दने ा हो तो मl “समझदार िचिड़या” दने ा चाहŒगँ ा। लगता ह,ै यह कहानी कई साल पहले िलखी गई ह।ै कहानी म “तनl ,े छन भर, खशु क:रयो, जतन म चला आिद वाŠयाशं हl जो खडी बोली िहदं ी का 8ाचीन ‰प ह।ै इसी 8कार “पंछी” श•द भी वत*मान िहदं ी-श•द “पšी” का 8ाचीन ‰प ह।ै उनके साथ इसको भी जोड़ा जा सकता ह।ै इसके अलावा, ‘समझदार पंछी’ शीषक* म लय, ताल, अuं यान8ु ास और 8वाहमय होने के कारण आकषक* ह।ै इसिलए मl तो ‘समझदार पछं ी’ शीषक* दते ा। ख) इस कहानी को कोई और शीषक* दने ा हो तो मl “नxहV िचिड़या” दने ा चाहŒगँ ा। Šय िक वत*मान शीषक* से तलु ना कर तो यह शीषक* बह$त छोटा है और उ चारण म आसान ह।ै संगीतमय है और सनु ने म आनंददायक ह।ै 2. “माँ मेरी बाट देखती होगी” - नjह^ िचिड़या बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए िक हमारी िजंदगी म माँ का या महXव है? उ. मानव सिहत सभी जीव-जंतुओं म माँ का बड़ा महuव ह।ै भगवान ने अपने ‰प म सभी 8ािणय क माँ दी ह।ै माँ म वuसलता, ममता, 8ेम, कvणा आिद कोमल भाव होते ह।l माँ का 'थान ससं ार म सव§प:र ह।ै मन£ु य और जीव-जतं ुओं क िविवध भाषाए-ँ बोिलय म भी माता, माँ, अ’मा, अ’बा आिद अननु ािसक अšर “म” से य6ु श•द ‘मा’ँ के िलए 8य6ु होते ह।l ‘जननी जxमभिू म¡ 'वगा*दपी गरीयसी’ सिू 6 भी कहती है िक माता और मातभृ िू म 'वग* से भी बढ़कर ह।ै इसिलए िचिड़या क ब ची भी 'वग* ‰पी सोने के िपंजरे को ठुकराकर अपनी माँ और घास-फू स से िनिमत* घ सले के पास चली जाती। िचिड़या क ब ची क भावनाएँ हर ब चे के मन म लहराती ह।l माँ तझु े सलाम। 3. िचिड़याघर के जीव-जंतुओं के बारे म अपने िवचार बताइए। उ. तरह-तरह के पश-ु पšी साधारण जगं ल म रहते ह।ै वे 'वे छा से जीते ह।l पया*वरण सरु िšत रहता ह।ै लेिकन मानव क 'वाथप* रता के कारण िचिड़याघर का िनमाण* कर तरह-तरह के पश-ु पिšय को लाकर उनम रखा जाता ह।ै उनको दखे कर हम मन बहलाते ह।l उनक आज़ादी का हरण करते ह।l उनको बदं ी बनाकर उनक सहजता और जाित को नS करते ह।l कु छ लोग उनको म•पान, िसगरेट आिद का सवे न करवाते ह।l पयाव* रण-सतं लु न को हािन पहच$ँ ाते ह।l इसिलए िचिड़याघर का नाशकर उनके जीव-जतं ओु ं को वन म छोड़ दने ा चािहए। हर 8ाणी को 'वे छा से जीने का अिधकार ह।ै उसक 'वे छा हरण करने का हम कोई भी अिधकार नहV ह।ै 100
1. माधवदास को कब तिृ िमलती थी? अितPरQ 2. माधवदास ने िचिड़या को दखे कर Šया कहा? 3. िचिड़या ने कहा- \"मl अपनी माँ क हŒ।ँ \" िचिड़या की माँ उसकी दखे भाल करती थी, आपकी माँ आपकी दखे भाल कै से करती है? 4. माधवदास को अपने धन पर बह$त अहकं ार था। Šया अहकं ार करना अ छी बात ह?ै 1. िकन बात+ से bात होता है िक – माधवदास का जीवन संपjनता से भरा था? उ. माधवदास का जीवन संपxनता से भरा था। उसने अपनी सगं मरमर क नई सखु सिु वधामय कोठी बनवाई थी। सामने संदु र बगीचा भी लगवाया था। शाम को कोठी के बाहर मसनद के सहारे गलीचे पर बठै ते था। वह िचिड़या क ब ची से कहता था िक मरे े पास बह$त-सा सोना तथा मोती ह।l सोने का बहत$ संदु र घर त’ु ह बना दगँू ा। मोितय क झालर उसम लटके गी। तझु े मालामाल कर सकता हŒ।ँ सोना मरे े पास ढरे का ढरे ह।ै मरे े पास Šया नहV ह।l जो माँगो, मl वही दे सकता हŒ।ँ मरे ी कोिठय पर कोिठयाँ ह,ै बगीच पर बगीचे ह।l दास-दािसय क सं|या क कमी नहV। इन सारी बात से hात होता है िक माधवदास का जीवन सपं xनता से भरा था। 2. िकन बात+ से पता चलता है िक माधवदास सखु ी नह^ था? उ. माधवदास ससु पं xन होते हए$ भी, सखु ी नहV था। उसके पास सब कु छ होते हए$ भी कु छ खाली-सा रहता ह।ै वह िचिड़या क ब ची से कहता है िक मरे ा महल भी सनू ा ह।ै वहाँ कोई भी चहचहाता नहV ह।ै तमु ने मरे ा िच“ 8सxन िकया ह।ै त’ु ह दखे कर मरे ा मन 8फु ि)लत ह$आ ह।ै त’ु ह दखे कर मरे ी रािगिनय का जी बहलगे ा। इन बात से पता चलता है िक माधवदास सखु ी नहV था। 3. माधवदास य+ बार-बार िचिड़या से कहता है िक यह बगीचा तुwहारा ही है? उ. माधवदास बार-बार नxहV िचिड़या से कहता है िक यह बगीचा त’ु हारा ही ह,ै Šय िक नxहV िचिड़या अपनी माँ के पास, अपने घ सले म वापस जाना चाहती थी। माधवदास उसे उस बगीचे म ठहराने के िविवध, 8यास करा था, उसे लभु ा रहा था। िफर भी उसे सफलता नहV िदखाई दे रही थी। इसिलए वह बार-बार नxहV िचिड़या से कहता था िक यह बगीचा त’ु हारा ही ह।ै 101
4. माधवदास ने िचिड़या से सबं ोधन के िलए िकन-िकन श\\द+ का योग िकया है? उ. माधवदास ने िचिड़या से संबोधन के िलए िविवध श•द का 8योग िकया है - ‘सनु ो िचिड़या!’, ‘मरे ी भोली िचिड़या’!, ‘€यारी िचिड़या!’, तमु भोली हो िचिड़या!, ‘िचिड़या’, ‘अरी िचिड़या!’, ‘अ छा, िचिड़या!’, ‘मरे ी €यारी िचिड़या!’ आिद। अितPरQ 1. बेखटके म ‘बे’ उपसग* है इस तरह के उपसग* वाले श•द पाठ म ढूंिढ़ए। 2. हौज़ श•द म न6ु े का 8योग ह$आ है ऐसे पाचँ न6ु े वाले श•द क सचू ी बनाइए। 3.सोना श•द का िभxनाथn 'वण* तथा नVद आने पर सोना है कल, उ“र श•द का िभxनाथn िलिखए। अVयापन संके त - सिु नए-बोिलए और पिढ़ए म िदए गए अित:र6 8Ž छा क hान-विृ • हते ु ह।l - अ•यापक/अ•यािपका छा से िन’न 8Ž पछू तथा उनके उ“र क सराहना कर। अिभRयिQ सृजनाXमकता 1. माधवदास के बार-बार समझाने पर िचिड़या सोने के िपंजरे को महXव नह^ दे रही थी। दूसरी तरफ माधवदास क) नज़र मे िचिड़या क) िज़द का कोई तुक न था। माधवदास और िचिड़या के मनोभाव+ म अंतर या- या थे? अपने श\\द+ मे िलिखए। उ. माधवदास का मनोभाव है िक धन-सपं ि“ ही सब कु छ ह,ै 'वगत* )ु य ह।ै धनवान ही 8िति‹त एवं महान bयि6 ह।ै वह सोने व धन से सभी कु छ खरीद सकता ह।ै जब िक िचिड़या का मनोभाव है िक माँ क ममता-वuसलता ही उस का सभी कु छ ह,ै उस का ितनक का घ सला भी 'वगत* )ु य ह।ै इस िलए िचिड़या माधवदास के बार-बार समझाने पर सोने के िपजं रे को महuव नहV दे रही थी। वा'तव म, जननी और जxमभिू म 'वग* से भी बढ़कर ह।ै आज़ादी तथा सखु -शांित अšय िनिध ह।ै वह सहज िचिड़या के 'वभाव म ह।ै 2. ऐसा य+ कहा जाता है िक “पराधीन RयिQ को सपने म भी सखु नह^ िमल पाता?” अपने िवचार िलिखए। उ. “पराधीन bयि6 को सपने म भी सखु नहV िमल पाता। इस वाŠय क मलू -सिू 6 महान किव तलु सीदास क ह,ै “पराधीन सपनहे $ सखु नाहV।” किव िवयोग ह:र ने भी कहा िक पराधीन bयि6 के िलए 'वग-* नरक का महuव नहV ह$आ करता। Šय िक पराधीनता उस के 'वग-* नरक पहचानने क चते ना समा कर दते ी ह।ै महावीर 8साद ि›वदे ी ने भी बताया िक िचर पराधीन bयि6 'वाधीनता के सखु को नहV जानता। खाने-पीन-े सोने क सखु -सिु वधाएँ होने पर भी, पश-ु पšी भी बदं ी होकर सखु - चनै से रहना नहV चाहत।े 'वाधीनता हर 8ाणी का जxम िस• अिधकार ह।ै 'वाधीनता न होना ही पराधीनता ह।ै पराधीनता 102
घोर अिभशाप ह।ै पराधीन bयि6 का कोई अि'तuव नहV होता। उसका जीवन अपमािनत और दःु खमय होता ह।ै इसिलए ठीक ही कहा गया ह,ै ‘पराधीन सपनेह$, सखु नाहV। 3. िकन बात+ से bात होता है िक माधवदास का जीवन सपं jनता से भरा था? उ. माधवदास का जीवन सपं xनता से भरा था। उसने अपनी संगमरमर क नई सखु सिु वधामय कोठी बनवाई थी। सामने संदु र बगीचा भी लगवाया था। वह शाम को कोठी के बाहर मसनद के सहारे गलीचे पर बैठते थ।े वह िचिड़या क ब ची से कहते हl िक मरे े पास बहत$ -सा सोना तथा मोती ह।l सोने का बह$त संदु र घर त’ु ह बना दगँू ा। मोितय क झालर उसम लटके गी। तुझे मालामाल कर सकता हŒ।ँ सोना मरे े पास ढरे का ढरे ह।ै मरे े पास Šया नहV ह।l जो माँगो, मl वही दे सकता हŒ।ँ मरे ी कोिठय पर कोिठयाँ ह,ै बगीच पर बगीचे ह।l दास-दािसय क सं|या क कमी नहV ह।ै इन सारी बात से hात होता है िक माधवदास का जीवन सपं xनता से भरा था। 4. कहानी के अंत म नjह^ िचिड़या का सेठ के नौकर के पजं े से भाग िनकलने क) बात सुनकर तुwह कै सा लगा? उ. कहानी के अतं म नxहV िचिड़या का सठे के नौकर के पंजे से भाग िनकलने क बात सनु कर मझु े बहत$ खशु ी ह$ई। िकसी 8ाणी, िवशषे कर नxहV 8ाणी को लभु ाकर या ज़बरद'ती अपने वश मे करना अनिु चत और पाप ह।ै हर 8ाणी को 'वे छा से रहने का अिधकार ह।ै उस अिधकार का हरण करने का िकसी को कोई अिधकार नहV ह।ै 5. “तू या जानेगी, तू िचिड़या जो है। सोने का मूfय सीखने के िलए तुझे बहkत सीखना है।” भाव िलिखए। उ. “तू Šया जानेगी, तू िचिड़या जो ह।ै सोने का म)ू य सीखने के िलए तझु े बह$त सीखना ह।ै ” इसका भाव है िक ससं ार म हर bयि6 सोना पाने के पीछे पड़ा रहता ह।ै इसे पाने के िलए सदा तरसता ह।ै उसके िलए वह अपनी नVद, खाना आराम आिद को भी छोड़ दते ा ह।ै ऐसी म)ू यवान व'तु का मरे े पास ढेर ह।ै तमु तो िचिड़या हो, तमु समझती हो िक सोने से भी बढ़कर घास-फू स ह,ै जो गलत ह।ै तमु तु छ 8ाणी हो, सोने का म)ू य Šया जानती हो। इसका म)ू य तमु नहV बता सकती। इसके िलए त’ु ह बह$त hान अिजत* करना होगा। भाषा क) बात रेखांिकत श\\द+ से दो-दो वा य बनाइए। 1. मl भटककर तिनक आराम के िलए इस डाली पर vक गयी थी। उ. 1) परीšाओं के समय मl सारा िदन पढ़कर शाम को तिनक आराम करता हŒ।ँ 2) फल के बोझ से डािलयाँ तिनक झकु जाती ह।l 2. तमु बखे टके यहाँ आया करो। उ. 1) कु छ िव•ाथn बेखटके कšा के अदं र घसु जाते ह।l 2) मl बेखटके सवाल का जवाब दते ा हŒ।ँ 103
3. यह बगीचा आपका ह।ै उ. 1) यह आपका कलम ह।ै 2) मl आपका आhाकारी िश£य हŒ।ँ 1. पाठ म पर श\\द के तीन कार के योग हkए हE। क) गलु ाब क डाली पर एक िचिड़या आन बैठी ह।ै ख) कभी पर िहलाती थी। ग) पर ब ची कापँ -काँप कर माँ क छाती से और िचपक गयी। तीन पर के 8योग तीन उ¹•े य से ह$ए ह।ै उन वाŠय का आधार लेकर आप भी पर का 8योग कर ऐसे तीन वाŠय बनाइए िजनम अलग-अलग उ¹•े य के िलए पर के 8योग ह$ए ह । उ. पर श•द का िविवध 8योग : क) पड़े पर िचिड़या ह।ै (ऊपर) (संबंधबोधक 8योग) ख) कभी-कभी िचिड़य के पर झड़ते ह।l (पंख) (संhा का 8योग) ग) मरे ी माँ िहदं ी समझ सकती ह,ै पर बोल नहV सकती। (परxत)ु (समु चय-बोधक, 8योग) घ) वह परदशे ी है । (िवदशे ी) (उपसग-* 8योग) ड़) „यादातर नते ा-गण 'वाथ* परक हl । (परसग-* 8योग) 2. पाठ म तEने, छनभर, खुश कPरयो-तीन वा यांश ऐसे हE जो खड़ी बोली िहदं ी के वत-मान •प म तुने, qणभर, खुश करना िलखे-बोले जाते हE। लेिकन िहदं ी के िनकट क) बोिलय+ मे कह^-कह^ इनके योग होते हE। इस तरह के कु छ अjय श\\द+ क) खोज क)िजए। उ. खड़ी बोली िहxदी के पवू * ‰प :- वत-मान •प पवू - •प यuन म चला जतन म चला भले मन£ु य भले मानसु रा'ते म लटू ा मारग मारा ड:रयो डरना 104
1. िचिड़या क) ब*ची जब अपनी माँ के पास पहkचँ ी होगी, तो उसने या बात क) होगी? दोन+ क) बात सवं ाद •प म िलिखए। उ. घ सले म लौट आने के बाद नxहV िचिड़या और उसक माँ के बीच सवं ाद : नxहV िचिड़या : ओ माँ, ओ माँ! ( माँ के पास जाकर गोद म िगरकर सबु कने लगी ) माँ : Šया है मरे ी ब ची, Šया ह$आ? ( ब ची को छाती से िचपटाकर पछू ती है ) नxहV िचिड़या : कु छ नहV, मा!ँ माँ : डरो मत, बटे ी! बताओ न! नxहV िचिड़या. माँ : माँ! मानव का 'वभाव कै सा होता ह?ै नxहV िचिड़या : Šया ह$आ, मरे ी €यारी, वे तो आजकल ~ू र बन रहे ह।l माँ : हाँ, माँ! मझु े लुभाकर, एक महामाxय ने मझु े पकड़ने क कोिशश क । उसके पंजे से छू टकर नxहV िचिड़या माँ एक साँस म यहाँ पहच$ँ ी हŒ।ँ : हे भगवान! : मl समझती िक उनका जxम ‘ मानव ’ के बाद ‘सरु ’ का होगा। लेिकन ‘असरु ’ बन रहे ह।l : मरे ी €यारी वटे ी, तमु ने िकतना दखु उठाया! 1. इस पाठ म िचिड़या को सेठ ने बहkत लालच िदये, लेिकन वह उसक) बात+ म नह^ आयी। इस बात के िलए िचिड़या क) शंसा करते हkए अपने िवचार िलिखए। उ. नxहV िचिड़या छोटी होते ह$ए भी, बिु • म बड़ी ह।ै वह भोली-भाली ह।ै उसे अपनी माँ से असीम 8ेम ह,ै उसे अपने घ सले से बहे द €यार ह।ै उसको इन दोन के समाने सोने व मोती के ढेर तु छ लगते ह।l उसक सझू -बझू बड़ी ह।ै उसे िकसी 8कार का लालच अटल इरादे से िगरा नहV पाया। वह अपनी िह’मत से सठे के चगं लु से बच जाती ह।ै वह, सचमचु हमारे-जसै े बाल-ब च के िलए आदश* ‰प ह।ै वह सदा सराहनीय ह।ै 1. कबूतर : इxह अžं जे ी म ‘िपिज़न’ कहते ह।l कबतू र परु ाने जमाने म डािकये का काम करते थे। ये शािं त के संदशे क ह।l यह ‘गटु रग’ँू करता ह।ै 2. कौआ : यह काली िचिड़या ह।ै यह कावँ -काँव करता है । इसका 'वर कक* श होता ह।ै 3. िग• : यह बड़ा पšी ह।ै यह मांसाहारी ह।ै यह मतृ पशओु ं को न चकर खाता ह।ै 105
4. गौरैया : इसे अžँ जे ी म ‘'परै ो’ कहते ह।l िहxदी म इसके कई श•द ह,l जसै े गौरा, िचड़ा, 5. चमगादड़ : िचड़ी आिद। यह छोटी िचिड़या ह।ै यह धान, बीज, छोटे-छोटे क ड़ को खाती ह।ै 6. चकोर : इसे अžँ ेजी म ‘बटै ’ कहते ह।l िदन म यह दखे नहV सकता। इसिलए िदन म पडे ़ों, 7. चातक : िशिथल गहृ और गफु ाओं म उ)टा लटकता ह।ै इस के पैर जालदार होते ह।l 8. तोता : रात को खाने क तलाश म िनकलता ह।ै यह तीतर जाित का एक पšी ह।ै यह चं¥मा का 8ेमी ह।ै यह अगं ार खानेवाला माना जाता ह।ै यह पपीहा नामक पšी ह।ै कहा जाता है िक यह भतू ल का पानी नहV पीता। 'वाित नš के समय बरसते बादल का पानी ही पीता ह।ै वह बादल क 8तीšा करता रहता ह।ै हरे या लाल रंग का 8िस• पšी ह।ै इसे शकु , क र, सआू आिद कहते ह।l यह मानव क बोली क नकल करता ह।ै इसिलए इसे पाला जाता ह।ै आजकल कु छ तोते गाना भी गाते ह।l 9. मगु ा* : कल गीदर 8िस• पालतू एक और पšी ह।ै यह बहत$ सवरे े बागँ दते ाह।ै कु कडूँ कँू 10. मोर करता ह।ै इसक बोली से लोग जागते ह।ै बड़ा 8िस• पšी ह।ै इसके बह$त सुंदर पखं होते ह।l इxह मोर पंख कहते ह।l ¢ीकृ £ण इन पखं को िसर पर मकु ु ट के ‰प म अथवा मकु ु ट म पहनते थ।े मोर नाचते समय बहत$ संदु र िदखाई दते ा ह।ै मादा पšी को मोरनी कहते ह।l या मE ये कर सकता हn/ँ सकती हnँ हाँ ( ) नह^ ( × ) 1. पाठ का भाव अपने श•द म बता सकता हŒ।ँ भाव से संबंिधत बातचीत कर सकता हŒ।ँ 2. इस 'तर क ग• सामžी का भाव पढ़ कर समझ सकता हŒ।ँ 3. इस 'तर के ग•ांश क bया|या करते ह$ए िलख सकता हŒ।ँ 4. पाठ के श•द को अपनी बातचीत म 8योग कर सकता हŒ।ँ 5. पाठ के आधार पर संवाद िलख सकता हŒ।ँ 106
इस पाठ म मEने ये नए श\\द सीखे 107
अितPरQ काय- ोhर 1. माधवदास कला ेमी था । उसके नए घर के आधार पर बताइए िक उसक) vिच िकन-िकन चीज़+ म थी? उ. माधवदास को कला से बहत$ 8मे था। उसने अपनी नयी सगं मरमर क कोठी बनाई थी। उसके सामने बह$त संदु र बगीचा भी लगवाया था। वह संदु र अिभvिच का आदमी था। उसे धन क कोई कमी नहV थी। फू ल-पौधे, रकािबय से हौज म लगे फbवार म उछलता ह$आ पानी उxह बह$त अ छा लगता था। समय भी उनके पास काफ़ था। शाम को जब िदन क गरमी ढल जाती और आसमान कई रंग का हो जाता, तब वह कोठी के बाहर चबतू रे पर त|त डलवाकर मसनद के सहारे गलीचे पर बठै ते था और 8कृ ित क छटा िनहारते था। इससे मानो उनके मन को तिृ िमलती थी। 2. एक िदन रात म जब वह चबतू रे पर बैठा था तो उसने या देखा? उसके बारे म वण-न क)िजए। उ. एक िदन रात को जब माधवदास मसनद के सहारे बैठे थे तो उxह ने दखे ा िक एक सदंु र िचिड़या उनके बगीचे म गलु ाब क डाली पर आ बठै ी थी। िचिड़या छोटी-सी थी और उसक गरदन लाल थी जो गलु ाबी होत-े होते िकनार पर ज़रा नीली पड़ गई थी। पखं ऊपर से चमकदार 'याह थे। उसका नxहा-सा िसर तो बह$त €यारा लगता था और शरीर पर िविच िच कारी थी। िचिड़या को मानो माधवदास क स“ा का कु छ पता नहV था और मान तिनक दरे आराम करना चाहती थी। वह कभी पर िहलाती और कभी फु दकती थी। वह बहत$ खशु मालमू होती थी। िचिड़या अपनी नxहV-सी च च से €यारी-€यारी आवाज़ िनकाल रही थी। कहानी लेखन कहानी सबसे अिधक लोकि8य िवधा ह।ै हर आयु-वग* के लोग को कहानी पढ़ना या सनु ना अ छा लगता ह।ै कहानी सनु ने व पढ़ने के अलावा उसे िलखने का भी अ”यास करना चािहए। इससे लखे न कला का िवकास होता है और क)पनाशि6 भी तीº होती ह।ै कहािनय के िवषय भी अलग-अलग होते ह।l सामािजक, पश-ु पšी, प:रय क , िशšा8द आिद अनके कहािनयाँ होती ह।l कहानी िलखने के िलए िन’निलिखत िबंदओु ं को •यान म रखना चािहए। 1. कहानी का िवषय, घटनाए,ँ पा तथा ि'थितयाँ अ छी तरह सोच-समझ लने ी चािहए। 2. उसी के आधार पर कहानी के िलए ‰परेखा बना लेनी चािहए। 3. कहानी का उ¹•े य 'पS होना चािहए। 4. कहानी का िवषय vिचकर होना चािहए। 5. कहानी का अतं 'वाभािवक तथा 8भावशाली होना चािहए। 108
िनwन सकं े त+ के आधार पर कहानी पूरी क)िजए उिचत शीष-क दीिजए। (जगं ल म सभी जानवर शरे से परेशान, सभी जानवर का स’मले न,चतरु खरगोश क योजना,जगं ल म दसू रा शरे ,कु एँ के पास जाना, कु एँ म शरे क परछाई,ं शरे का कु एँ म छलांग लगाना, सभी जानवर खशु खरगोश क सराहना) चतुर खरगोश एक जगं ल म शरे रहता था। शरे बह$त ग'ु सेवाला था। सभी जानवर उससे बह$त डरते थे। वह सभी जानवर को परेशान करता था। वह आए िदन जगं ल के कई पशओु ं का िशकार करता था। शरे क इन हरकत से सभी जानवर िचंितत थ।े एक िदन जगं ल के सभी जानवर ने एक स’मले न रखा। जानवर ने सोचा िक शरे क इस रोज़-रोज़ क परेशानी से तो अ छा है Šय ही न हम खदु ही शरे के भोजन के िलए िकसी एक 8ाणी को 8ितिदन भजे द। िजससे वह िकसी को भी परेशान नहV करेगा और खशु रहगे ा। सभी जानवर ने एक साथ शरे के सामने अपनी बात रखी। इससे शरे भी बह$त खशु ह$आ। उसके बाद शरे ने िशकार करना भी बंद कर िदया। एक िदन शरे को बह$त ज़ोर से भखू लग रही थी। उस िदन एक खरगोश क बारी थी। वह चतरु खरगोश बड़ी दरे के बाद शरे के सामने गया। शरे ने दहाड़ते हए$ खरगोश से पछू ा इतनी दरे से Šय आए? चतरु खरगोश बोला, शरे जी आज रा'ते म ही मझु े दसू रे शरे ने रोक िलया था। वह बोला इस जगं ल का राजा तो मl हŒ।ँ यह दसू रा शरे कहाँ से आ गया? शरे ने कहा कहाँ है वह दसू रा शरे ? मझु े िदखाओ! खरगोश बोला, चलो महाराज! मl आपको बताता हŒ।ँ शरे खरगोश के साथ जगं ल क तरफ गया। चतरु खरगोश शरे को कु एँ के पास ले गया और बोला महाराज! इसी के अदं र रहता है वह शरे । शरे ने जसै ी ही कु एँ म दखे ा और दहाड़ लगाई। उसे उसी क परछाई ं िदखाई दी। उसने समझा दसू रा शरे उसे ललकार रहा ह।ै उसने कु एँ म छलागं लगा दी। इस 8कार जगं ल के अxय जानवर को उससे मिु 6 िमली। सबने खरगोश क खबू सराहना क । वा य-िवचार वा यः- भाव एवं िवचार को परू ा-परू ा 8कट करने वाले साथक* श•द समहू के bयवि'थत मले को वा य कहते ह।l वा य के दो अंग हE – 1. उदद् •े य 2. िवधेय 1. उद्दे„य : वाŠय का वह भाग िजसम क“ा* के िवषय म कहा गया हो, उद्दे„य कहलता ह।ै जसै े – ¢ेया झलू ा झलू रही ह।ै िव•ालय आज बंद रहगे ा। बंदल के ला खा रहा ह।ै िहरण तेज़ दौड़ रहा ह।l इन वाŠय म ‘¢ेया’, ‘िव•ालय’, ‘बंदर’, ‘िहरण’ श•द के बारे म कहा गया ह।ै अतः ये श•द क“ा* हl तथा उ¹•े य कहलाते ह।l 109
2. िवधेय : वाŠय का वह भाग िजसम क“ा* के िवषय म कु छ कहा गया हो, िवधये कहलाता ह।ै िदए गये वाŠय म ‘झलू ा झलू रही ह’ै , ‘आज बदं रहगे ा’, ‘के ला खा रहा ह’ै तथा ‘तज़े दौड़ रहा हl ’ वाŠयांश िवधेय हl Šय िक ये ~मांश‘¢ये ा’, ‘िव•ालय’, ‘बदं र’, ‘िहरण’ ~मशः (उ¹•े य) के बारे म कु छ बता रहे ह।l वा य+ के भेद- वाŠय भदे के म|ु य दो आधार हl – 1. अथ* के आधार पर 2. रचना के आधार पर अथ- के आधार पर वा य के मुiय आठ भेद हE। 5. इ छावाचक 1. िवधानवाचक 2. िनषधे वाचक या नकाराuमक वाŠय 6. संदहे वाचक 3. 8Žवाचक 7. आhावाचक 4. सकं े तवाचक 8. िव'मयािदवाचक 1. िवधानवाचक: िजन वाŠय म िकसी ि~या के होने या करने का पता चले, उxह िवधानवाचक वाŠय कहते ह।l जसै े: 1.वह बाज़ार जा रहा ह।ै 2. आज लगातार वषा* हो रही ह।ै 2. िनषेधवाचक वा य: िजन वाŠय म िकसी ि~या के न होने का पता चले, वे िनषधे वाचक वाŠय कहलाते ह।l जसै े: 1. मl 8ितिदन bयायाम नहV करता। 2. इस रा'ते से मत जाओ। 3. वाचक वा य : िजन वाŠय म िकसी 8कार के 8Ž पछू े जाने का बोध होता ह,ै वे 8Žवाचक वाŠय कहलाते ह।l जसै े: 1. Šया त’ु ह भखू लगी ह?ै 2. त’ु हारा नाम Šया ह?ै 4. सकं े तवाचक वा य: िजन वाŠय म एक ि~या का परू ा होना दसू री ि~या पर िनभर* होता ह,ै वे संके तवाचक वाŠय कहलाते ह।l जसै े: 1.अगर वषा* होगी तो फ़सल अ छी होगी। 2.यिद तमु आओगे तो मl भी चलँगू ा। 5. इ*छावाचक वा य: िजन वाŠय म िकसी 8कार क इ छा, आशा, शभु कामना, आशीवा*द आिद का बोध होता ह,ै वे इ छावाचक वाŠय कहलाते ह।l जसै े: 1.कोई मझु े सड़क पार करा द।े 2. त’ु हारी या ा मगं लमय हो। 6. संदेहवाचक वा य: िजन वाŠय म िकसी बात का सदं हे या संभावना 8कट होती ह,ै वे सदं हे वाचक वाŠय कहलाते ह।l जसै े: 1.शायद आज मामा जी आए।ँ 2. उसने समझा होगा या नहV। 7. आbावाचक वा य: िजन वाŠय म आhा या अनमु ित का बोध होता ह,ै वे आhावाचक वाŠय कहलाते ह।l जसै े: 1. तमु अब यहाँ से जा सकते हो। 2. तमु अब बैठकर अपना काम खuम करो। 8. िवUमयािदवाचक वा य : - िजन वाŠय म घणृ ा, हष,* शोक, आ¡य* आिद भाव का बोध हो, उxह िव'मयािदवाचक वाŠय कहते ह।l जसै े: 1.अरे! रामू तमु कब आए? 2.वाह! तमु ने तो कमाल कर िदया। 110
अyयास काय- (Work Book) अपिठत गxांश 1. िनwनिलिखत गxांश पढ़कर + के उhर दीिजए। रा£¾िपता महाuमा गाधँ ी ने भारतीय समाज के अिभशाप छु आ–छू त को समलू नाश करने का भरसक 8यuन िकया। वे कम* को ही महuव दते े थ।े छोटे–छोटे काम को भी वे उतना ही महuव दते े थे िजतना िक बड़े-बड़े काम को। इससे पहले अछू त को ितर'कार क भावना से दखे ा जाता था। गाधँ ी जी ने परू े भारतवष* म ©मण करके जनसाधारण तक अपना संदशे पहच$ँ ाया और इन पद दिलत लोग को समाज म स’मान से जीने का अिधकार िदलाया। समाज क इस प:रि'थित को बदलने के िलए उxह न अछू त को ‘ह:रजन’ नाम िदया। - 1. महाuमा गाधँ ी ने िकस कु रीित को दरू करने का 8यuन िकया? () अ) अिभशाप आ) छु आ–छू त इ) कम* ई) काम को 2. वे िकसे महान समझते थे? () अ) लोग को आ) कम* को इ) अछू त को ई) छु आ–छू त को 3. अछू त को पहले िकस ¿िS से दखे ा जाता था? 4. ‘ह:रजन’ नाम िकनको िदया गया? 5. ‘स’मान’ श•द का िवलोमाथ* िलिखए। 6. इस ग•ांश को उिचत शीषक* 8दान क िजए। ोhर िनwनिलिखत + के उhर िलिखए। 1. उस नxहV िचिड़या को दखे कर माधवदास क Šया 8िति~या हई$ ? 2. सेठ िचिड़या को अपने चगंु ल म फँ साने के िलए Šया-Šया बात कह रहा था? 3. अपार धनसपं ि“ होने पर भी माधवदास Šय सखु ी नहV था? कहानी लेखन पशु-पिqय+ से सबं िं धत कोई कहानी िलिखए। 111
Rयाकरण . 1) अथ- के आधार पर िनwन वा य पहचािनए। 1. रोहन के पास हरे रंग क कार ह।ै - ______________________ - ______________________ 2. शायद कल मl बाहर जाऊँ । - ______________________ 3. भगवान त’ु ह दीघाय* ु द।े 2) िनwनिलिखत वा य+ को िनद’शानुसार बदिलए। (8Žवाचक वाŠय) 1. माधवदास ससु ंपxन होते ह$ए भी, सखु ी नहV था। उ. 2. तमु ने मरे ा िच“ 8सxन िकया ह।ै (िनषधे वाचक वाŠय) उ. तमु ने मेरा च त स न नह ं कया है। 3. त’ु ह दखे कर मरे ा िच“ 8फु ि)लत हो गया। (िव'मयािदवाचक वाŠय) उ. अहा!त’ु ह दखे कर मरे ा िच“ 8फु ि)लत हो गया। 3) िनwनिलिखत वा य भेद से वा य बनाइए। 1. सकं े तवाचक – _____________________________________ 2. संदहे वाचक वाŠय - _____________________________________ 3. आhाथ*क वाŠय - _____________________________________ 4) िनwनिलिखत वा य+ म ि9या श\\द रेखांिकत क)िजए। 1. माधवदास ने अपनी नई कोठी बनवाई ह।ै 2. माधवदास को वह िचिड़या बड़ी मनमानी लगी। 3. सठे ने दास को इशारा कर िदया। 4. माँ मरे ी बाट दखे ती होगी। 5. िचिड़या च च से €यारी आवाज़ िनकाल रही ह।ै 6. मनै यह बगीचा तमु लोग के िलए बनवाया ह।ै 112
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