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202110254-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_FL-G07-FY

Published by CLASSKLAP, 2020-04-15 09:05:24

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इकाई-1 4. कठपुतली भवानी साद िमG अथ12ा3ता िति5या - 1. िच म या िदखायी दे रहा है? उ. िच म कठपतु िलयाँ िदखायी दे रही ह। 2. िच म िदये गये िखलौन के बारे म बताओ। उ. िच म तीन नत}िकयाँ और उनके िनदश¾ क-दपं ित ह। इसके अलावा अबं ारी पर हाथीवान ह।ै 3. ब‚चे िखलौने य पसदं करते ह? उ. ब,चे िज‚ासु और खले -िbय होते ह। रंग-िबरंगे िखलौन% को दखे कर ब,चे आकिष}त होते ह। इसिलए ब,चे िखलौने पसंद करते ह। 1. कठपतु ली = धागे से बाँधकर नचाई जानवे ाली काठ क1 पतु ली puppet 2. छंद = इ,छा, अिभलाषा, उपाय, यिु \\ desire, remedy, device 1. कठपतु ली गुEसे से उबली बोली-ये धागे य ह मेरे पीछे-आगे? इ(ह तोड़ दो; मुझे मेरे पाँव पर छोड़ दो। सगं – b0तुत पcांश हमारी पाठ्य प0ु तक बाल-बसंत-2 के ‘कठपतु ली’ पाठ से िलया गया ह।ै इस किवता के किव भवानीशंकर bसाद िमw जी ह। किव ने कठपतु िलय% के मा{यम से 0वतं ता और आ–मिनभ}रता के मह–व को बताया ह।ै 50

भावाथ1: कठपतु ली अपने चार% ओर बधँ े घागे दखे कर |ोिधत होती है और सोचती है यह मरे े चार% ओर घागे iय% बाध हए# ह। इन धाग% को तोड़ दो और मझु े 0वतं ता से रहने दो। मझु े 0बयं अपने परै % पर खड़े होने का अवसर दो। इस का कारण यह है िक कठपतु िलय% को धागे से बधँ कर रहना अ,छा नहh लगता। धागे से बधँ ी हई# कठपतु िलयाँ अपने आपको पराधीन समझती ह। उ[ह दसू र% के इशार% पर नाचने का दखु होता ह।ै इस दखु से बाहर िनकलने के िलए एक कठपतु ली िवµोह कर दते ी ह।ै वह अपने पावँ पर खड़े होना चाहती ह।ै 2. सनु कर बोली और – और कठपुिलयाँ िक हाँ, बहƒत िदन हƒए हम अपने मन के छंद छु ए। सगं – b0ततु पcांश हमारी पाठ्य प0ु तक बाल-बसंत-2 के ‘कठपुतली’ पाठ से िलया गया ह।ै इस किवता के किव भवानीशंकर bसाद िमw जी ह। किव ने कठपतु िलय% के मा{यम से 0वतं ता और आ–मिनभ}रता के मह–व को बताया ह।ै भावाथ1: उसक1 बात सनु कर सभी कठपतु िलयाँ कहने लगी िक तुम भी ठीक कहती हो। हम भी अपने मन से गीत गाए हए# बह#त समय Aयतीत हो गया। कठपतु िलय% को यह बात अ,छी लगती ह।ै iय% िक 0वतं रहना कौन नहh चाहता। लिे कन जब पहली कठपतु ली पर सबक1 0वतं ता क1 िज़ƒमेदारी आती है तो वह सोच समझ कर कदम उठाना ज़‡री समझती ह।ै 3. मगर. . . पहली कठपुतली सोचने लगी- ये कै से इ‚छा मेरे मन म जगी? सगं – b0तुत पcांश हमारी पाठ्य प0ु तक बाल-बसंत-2 के ‘कठपतु ली’ पाठ से िलया गया ह।ै इस किवता के किव भवानीशंकर bसाद िमw जी ह। किव ने कठपतु िलय% के मा{यम से 0वतं ता और आ–मिनभ}रता के मह–व को बताया ह।ै भावाथ1: अगले ही पल पहली कठपतु ली को अपने धाग% का 0मरण हो गया तथा वह सोचने लगी िक यह कै से संभव ह।ै iय% मरे े मन म ऐसी इ,छा जागने लगी ह।ै कठपलु ती सोचने लगी िक जो संभव ही नहh है उस के बारे म सोचना बेकार है िफर उस म िनराशा क1 भावना आ जाती ह।ै इस किवता के मा{यम से किव कहना चाहता है िक आ–मिनभ}ता का बड़ा मह–व होता ह।ै आ–मिनभर} Aयि\\ को िकसी से डरने क1 आव«यकता नहh पड़ती। ऐसा Aयि\\ सदा िनि˜ंत रहता ह।ै उसका तन और मन 0व0थ रहता ह।ै Aयि\\गत जीवन सुºढ़ रहता ह।ै आ–मिवšास क1 भावना बढ़ती ह।ै इतना ही नहh ऐसे Aयि\\ जीवन म खुद भी आगे बढ़ते ह तथा दसू र% क1 भी सहायता कर सकते ह। 1. अपने पैर पर खड़े होने से या अिभ ाय है? बताइए। उ. ‘अपने परै % पर खड़े होने’ से अिभbाय है िक अपनी आव«यकताओं के िलए परू ी तरह िकसी पर िनभ}र न हो कर 0वयं आ–मिनभ}र होना। 51

2. “बहƒत िदन हƒए, हम अपने मन के छंद हƒए।” इस पंि* के भाव पर चचा1 कDिजए। उ. पहली कठपतु ली क1 अिभलाषा से सहमत होते ह#ए सभी कठपतु िलयाँ कहती ह िक हमारी, यही अिभलाषा बह#त पहले ही मन म हई# । लिे कन ये कठपतु िलयाँ न बता सकh, पहली कठपतु ली क1 तरह । यही इस पंि\\ का भाव ह।ै इस भाव पर चचा} भी हई# । 3. ‘कठपुतली’ किवता के द्वारा किव या सदं ेश देना चाहते ह? उ. 0वतं होकर रहने का सभी को अिधकार ह।ै उस अिधकार से उ[ह विं चत नहh करना चािहए। ‘कठपतु ली’ किवता के दव् ारा किव यही सदं शे दने ा चाहते ह। अितVर* 1. िवचार करो यिद सचमचु कठपतु ली बात कर सकती तो आप उस से iया b• पछू ते? 2. कठपतु ली को धागे iय% बंधे होते ह? 3.iया आप ने कभी कठपतु ली का नाच देखा ह?ै यिद हाँ तो उसे दखे कर आप के मन म iया िवचार उठे? 4.क’पना करो यिद कठुपतु िलयाँ बात करती तो वह आपस म iया बोलती? 1. भाव से सबं िं धत पिं *याँ िलिखए। कठपुतली को गEु सा आया। य िक उसके आगे-पीछे धागे बँधे ह। वह गुलाम है। वह अपनी इ‚छा से काम नहB कर सकती। इसिलए वह कहती है िक मुझे मेरे पैर पर छोड़ दो। उ. कठपतु ली ग0ु से से उबली बोली - ये धागे iय% ह मेरे पीछे-आगे? इ[ह तोड़ दो; मझु े मेरे पावँ पर छोड़ दो। 2. पहली कठपुतली ने Eवयं कहा िक -'ये धागे य ह मेरे पीछे-आगे? इ(ह तोड़ दो; मुझे मेरे पाँव पर छोड़ दो।’ - तो िफर वह िचंितत य हƒई िक - ‘ये कै सी इ‚छा मेरे मन म जगी? नीचे िदए वा य कD सहायता से अपने िवचार _य* कDिजए - • उसे दसू री कठपतु िलय% क1 िज़ƒमेदारी महससू होने लगी। • उसे शी¿ 0वतं होने क1 िचतं ा होने लगी। • वह 0वतं ता क1 इ,छा को साकार करने और 0वतं ता को हमशे ा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी। • वह डर गई, iय%िक उसक1 उ¸ कम थी। उ. वह 0वतं ता क1 इ,छा को साकार करने और 0वतं ता को हमशे ा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी। 52

अितVर* 1. किवता क1 िनƒनिलिखत पिं \\याँ परू ी क1िजए। कठपतु ली ग0ु स-े -------------------------------------------------ये घागे। iय% ह मरे े --------------------------------------------------------छोड़ दो। 2. क ा म किवता का स0वर वाचन क1िजए। 3. अ[य िकसी किव क1 कोई रचना क ा म सनु ाइए। अ^यापन सकं े त - सिु नए-बोिलए और पिढ़ए म िदए गए अितzर\\ b• छा % क1 ‚ान-विृ › हते ु ह। अ{यापक/अ{यािपका छा % से िनƒन b• पूछ तथा उनके उ„र क1 सराहना कर। अिभ_यि* सृजना`मकता 1. कठपुतली को गEु सा य आया? उ. कठपतु िलय% को डोरी से बाँध कर नचाते ह। वह 0वतं नहh ह। उ[ह 0वतं होने क1 इ,छा ह।ै उ[ह िकसी क1 गलु ाम बनकर रहना िब’कु ल अ,छा नहh लगता। वे भी आज़ादी चाहती ह। इसिलए कठपुतली को ग0ु सा आया। 2. कठपतु ली को अपने पाँव पर खड़ी होने कD इ‚छा है, लेिकन वह य नहB खड़ी होती? उ. कठपतु ली को अपने पावँ % पर खड़ी होने क1 इ,छा होते हए# भी वह डोर से बंधी हई# ह।ै वह इस गलु ामी क1 िजदं गी के िव•› आवाज़ नहh उठा पाती। इसिलए वह खड़ी नहh हो पाती। 3. पहली कठपुतली कD बात दूसरी कठपतु िलय को य अ‚छी लगी? उ. पहली कठपतु ली क1 तरह दसू री कठपतु िलय% के मन म भी वही इ,छा जगी। इसिलए पहली कठपुतली क1 बात दसू री कठपतु िलय% को अ,छी लगी। 4. नीचे दो Eवतं ता आदं ोलन के वष1 िदए गए ह। इन दोन आंदोलन के दो-दो Eवतं ता सेनािनय के नाम िलिखए। उ. (क) सन् 1857 - मगं ल पा[डे, रानी लÀमीबाई (0वतं ता का bथम संaाम) (ख) सन् 1942 - महा–मा गाँधी, जवाहरलाल नेह‡ (भारत छोड़ो आंदोलन) 53

भाषा कD बात 1. िनoनिलिखत महु ावर के अथ1 िलखकर अपने वा य म योग कDिजए। 1. ग0ु से से उबलना = अिधक |ोिधत होना राह#ल क ा म दरे से आता ह।ै इसिलए ग•ु जी गु0से से उबलते ह। 2. अपने पाँव पर खड़े होना= आ–मिनभर} होना म अपने पैर% पर खड़े होना चाहता ह…।ँ 3. मन के छंद छू ना = मन को अ,छा लगना मथै लीशरण क1 किवता ने मरे े मन के छंद छु ए । 4. इ,छा जगना = अिभलाषा होना मरे ी नए कलम को दखे कर सरू ज के मन म उसे चरु ाने क1 इ,छा जगी। 1. कई बार जब दो शaद आपस म जुड़ते ह तो उनके मलू Œप म पVरवत1न हो जाता है। कठपुतली शaद म भी इस कार का सामा(य पVरवत1न हƒआ है। जब काठ और पुतली दो शaद एक साथ हƒए कठपतु ली शaद बन गया और इससे बोलने म सरलता आ गई। इस कार के कु छ शaद बनाइए – जैसे - काठ (कठ) से बना – कठगलु ाब, कठफोड़ा हाथ - हथ सोना - सोन िम¤ी – मट उ. शaद बनाना : 1) हाथ हथकड़ी, हथचiक1, हथौड़ी 2) सोना सोन, सनु ार, सनु हरी 3) िम¤ी मटका, मटमलै ा, माटी 2. किवता कD भाषा म लय या तालमेल बनाने के िलए चिलत शaद और वा य मे बदलाव होता है। जैसे - आगे - पीछे अिधक चिलत शaद कD जोड़ी है, लेिकन किवता म ‘पीछे - आगे' का योग हƒआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘…. बोली ये धागे’ से ^विन का तालमेल है। इस कार के शaद कD जोिड़य म आप भी पVरवत1न कDिजए - दुबला - पतला, इधर - उधर, ऊपर - नीचे, दाएँ - बाए,ँ गोरा - काला, लाल - पीला आिद। 54

उ. शaद कD जोिड़य म पVरवत1न करना : 1) दबु ला - पतला पतला - दबु ला 2) ऊपर - नीचे नीचे - ऊपर 3) गोरा - काला काला - गोरा 4) धपू - दीप दीप - धपू 5) इधर - उधर उधर - इधर 6) दाएँ - बाएँ बाएँ - दाएँ 7) लाल - पीला पीला - लाल 8) लीपना - पोतना पोतना - लीपना 1. किवता म कठपुतिलय ने अपनी Eवतं ता के बारे म सोचा। Eवतं ता से उनका अिभ ाय अपनी इ‚छानुसार काय1 करना है। वे चाहती ह िक उन पर िकसी का िनयं ण न रहे। इसी कार अ(य पालतू गाय पशु या सोचते ह गे? िकसी एक पशु कD आ`मकथा िलिखए। उ. पालतू पशु क1 आ–मकथा:- म गाय ह…।ँ म कामधेनु ह…।ँ मुझे लोग% ने पालतू बनाया। मझु े र0सी से बाँधते ह। मेरे बछड़% के मँहु बाधँ कर मेरा सारा दधू दहु कर पीते ह और मोटे बनते ह।ै दधू नहh िदया तो मारते ह। मेरे मू , गोबर आिद का उपयोग करते ह। म बंदी होना नहh चाहती। मझु े छोड़ दो म भी 0वतं रहना चाहती ह…।ँ अपने बछड़% को सारा दधू िपलाना चाहती ह…।ँ उनक1 दखे भाल करना चाहती ह…।ँ म मदै ान म चरना और नदी का पानी पीना चाहती ह…।ँ म ज़ोर से रंभाना और डकारना चाहती ह…।ँ म अपने बड़े पzरवार से िमलकर रहना चाहती ह…।ँ पर, म बेचारी तो गाय ह…।ँ iया क‡ँ ? 1. कठपुतिलय ने Eवतं होने कD इ‚छा _य* कD। लेिकन वे Eवतं ता अपने पैर पर खड़े होने को मानती ह। अपने पैर पर खड़े होने का मतलब है- आ`मिनभ1र होना। आ`मिनभ1रता का जीवन म या मह`व है? उ. जीवन म आ–मिनभ}रता का बड़ा मह–व होता ह।ै आ–मिनभर} ता से िकसी समय म भी डरने क1 ज‡रत नहh पड़ती। पसै ा कमा सकते ह। अपने इ,छानुसार जी सकते ह। िजससे तन और मन 0व0थ रहते ह। िकसी क1 बात क1 िचंता नहh होती। Aयि\\गत िनपणु ता बढ़ती ह।ै दसू र% को आwय दे सकते ह। आ–मशांित िमलती ह।ै 55

या म ये कर सकता हjँ/सकती हjँ हाँ ( ) नहB ( x ) 1. किवता गा सकता ह…।ँ सनु ा सकता ह…।ँ भाव बता सकता ह…।ँ 2. इस 0तर क1 किवताओं का भाव पढ़कर समझ सकता ह…।ँ 3. इस 0तर क1 किवताओं का भाव Aया~या करते हए# िलख सकता ह…।ँ 4. किवता के श‹द% से वाiय बना सकता ह…।ँ 5. इस भाव पर आधाzरत आ–मकथा िलख सकता ह…।ँ इस पाठ म मने ये नए शaद सीखे 56

अितVर* काय1 ोnर 1. ‘मगर -पहली कठपुतली सोचने लगी, यह कै सी इ‚छा मेरे मन म जगी?’ पहली कठपुतली ने ऐसा य कहा? उ. ‘कठपतु ली’किवता म कठपतु ली को ग0ु सा आता है उन धाग% पर जो उसके आगे पीछे बँधे ह।ै िजससे वह आज़ादी से घमू िफर नहh सकती इसीिलए वह उन धाग% को तोड़ दने ा चाहती ह।ै लिे कन जब दसू री कठपतु िलयाँ भी उसक1 हाँ म हाँ िमलाती है तो पहली कठपतु ली कु छ सोच म पड़ जाती ह।ै iया सचमचु उसे िवरोध करना चािहए या नहh। वह शायद यह भी सोच रही ह%गी िक iया उसे दसू री कठपतु िलयाँ को भी आज़ाद करवाने का उ„रदािय–व लेना चािहए या नहh। ऐसा सोचकर ही वह यह कहती है िक जो इ,छा उसके मन म जागतृ ह#ई, वह कहh गलत तो नहh। 2. कठपुतली गुEसे से उबलकर िकससे िशकायत कर रही है? उ. कठपतु ली धाग% से बधं ी रहने के कारण अपने आपको पराधीन समझने लगती ह।ै उसके सामने उसे दसू र% के इशार% पर नाचने से दखु होता है और बह#त गु0सा आता ह।ै दखु से िनकलने के िलए वह िवµोह कर दते ी ह।ै वह अपने पावँ पर खड़े होना चाहती ह।ै 0वतं रहना तो सभी को अ,छा लगता ह।ै इसीिलए उसके आगे पीछे के सभी धाग% को तोड़ दने ा चाहती ह।ै आ`मकथा पVरभाषा-आ–मकथा 0वानभु िू त का सबसे सरल मा{यम ह।ै आ–मकथा के sारा लेखक अपने जीवन, पzरवशे , महÁवपणू } घटनाओ,ं िवचारधारा, िनजी अनभु व, अपनी मताओं और दबु ल} ताओं तथा अपने समय क1 सामािजक-राजनीितक ि0थितय% को पाठक% के सƒमखु b0ततु करता ह।ै आ–मकथा अपनी जीवनी अपने जीवन-काल म ही िलखता है िह[दी म आ–मकथाओं क1 एक लंबी परंपरा रही ह।ै िहदं ी क1 bथम आ–मकथा बनारसीदास जनै कृ त ‘अ›क} था’ (1641 ई.) ह।ै चाल{ चैिAलन कD आ`मकथा मरे ा ज[म ई0ट लने , वेलवथ} म 16 अbैल 1889 को रात आठ बजे ह#आ था। इसके तरु ंत बाद, हम, सट 0iवायर, सट जॉज} रोड, लƒै बथे म रहने चले गये थे। मरे ी मां का कहना है िक मरे ी दिु नया खिु शय% से भरी हई# थी। हमारी पzरि0थितयां कमोबशे ठीक-ठाक थh। हम तीन कमर% के घर म रहते थे जो स•ु िचपणू } तरीके से सजे हए# थे। मेरी श•ु आती 0मिृ तय% म से एक तो ये है िक मां रोज़ रात को िथयेटर जाया करती थी और मझु े और िसडनी को बह#त ही kयार से आरामदायक िब0तर म सहजे कर िलटा जाती थी और हम नौकरानी क1 दखे -रेख म छोड़ जाती थी। साढ़े तीन बरस क1 मरे ी दिु नया म सब कु छ संभव था; अगर िसडनी, जो मझु से चार बरस बड़ा था, हाथ क1 सफाई के करतब िदखा सकता था और िसiका िनगल कर अपने िसर के पीछे से िनकाल कर िदखा सकता था तो म भी ठीक ऐसे ही कर के िदखा सकता था। इसिलए म अध पेनी का एक िसiका िनगल गया और मज़बरू न मां को डॉiटर बलु वाना पड़ा। म िपता को बह#त ही कम जानता था और मझु े इस बात क1 िब’कु ल भी याद नहh थी िक वे कभी हमारे साथ रहे ह%। वे भी वरै ाइटी 0टेज के कलाकार थे। िदiकत िसफ} एक ही थी िक वे पीते बहत# थे। मां के अनसु ार यही उन दोन% के बीच झगड़े क1 जड़ थी। वे मा सतीस बरस क1 उ¸ म vयादा शराब के कारण भगवान को kयारे हो गये थे। माँ को ज़रा-सा भी सद™-जुकाम होते ही उसक1 0वर तं ी म सजू न आ जाती थी जो 57

िफर हÂत% चलती रहती थी; लेिकन उसे मज़बूरी म काम करते रहना पड़ता था। इसका नतीजा यह ह#आ िक उसक1 आवाज़ बद से बदतर होती चली गयी। वह अब अपनी आवाज़ पर भरोसा नहh कर सकती थी। गाना गात-े गाते बीच म ही उसक1 आवाज़ भरा} जाती या अचानक गायब ही हो जाती और फु सफु साहट म बदल जाती। तब wोता बीच म ठहाके लगने लगत।े वे गला फाड़ कर िच’लाना श‡ु कर दते े। आवाज़ क1 िचंता ने मां क1 सहे त को और भी डावं ाडोल कर िदया था और उसक1 हालत मानिसक रोगी जैसी हो गयी। नतीजा यह ह#आ िक उसे िथयेटर से बलु ावे आने कम होते चले गये और एक िदन ऐसा भी आया िक िब’कु ल बंद ही हो गये। ये उसक1 आवाज़ के खराब होते चले जाने के कारण ही था िक मझु े पांच बरस क1 उ¸ म पहली बार 0टेज पर उतरना पड़ा। मझु े याद ह,ै म उस व\\ िवं-स म खड़ा ह#आ था जब पहले तो मां क1 आवाज़ फटी और िफर फु सफु साहट म बदल गयी। wोताओं ने ठहाके लगाना शु‡ कर िदये 0टेज मैनेजर ने मझु े मां क1 सिखय% के आगे अिभनय करते दखे ा था। वह मां से शायद यह कह रहा था िक उसके 0थान पर मझु े 0टेज पर भेज दे। और इसी हड़बड़ाहट म मुझे याद है िक उसने मझु े एक हाथ से थामा था और 0टेज पर ले गया था। उसने मरे े पzरचय म दो चार श‹द बोले और मझु े 0टेज पर अके ला छोड़ कर चला गया। और वहां फु ट लाइट% क1 चकाच“ध और धंएु के पीछे झांकते चहे र% के सामने मने गाना श‡ु कर िदया। अभी मने आधा ही गीत गाया था िक 0टेज पर िसiक% क1 बरसात होने लगी। उस रात म अपनी िज़दं गी म पहली बार 0टेज पर उतरा था और माँ आिखरी बार। उपसग1 सं0कृ त एवं सं0कृ त से उ–प[न भाषाओं म उस अAयय या श‹दांश को उपसग1 (prefix) कहते ह जो कु छ श‹द% के आरंभ म लगकर उनके अथ© का िव0तार करता अथवा उनम कोई िवशेषता उ–प[न करता ह।ै जैसे - अ, अन,ु अप, िव, आिद उपसग} ह।ै उदाहरणः अित-(आिधiय) अितशय, अितरेक िन-(अ–यतं ) िनम-न, िनबंध अिध-(म~ु य) अिधपित, अ{य िन-(नकार) िनकामी, िनजोर अिध-(वर) अ{ययन, अ{यापन िनस्- (अभाव) िनuफळ, िन˜ल, िन:शषे अन-ु (bमाण) अनकु रण, अनमु ोदन परा-(उलट) पराजय, पराभव अप-(खाली) अपकष,} अपमान पzर-(पणू )} पzरपाक, पzरपणू } (AयाB) अप-(िव•› होना) अपकार, अपजय पzरिमत, पzरwम, पzरवार अिभ-(अिधक) अिभनदं न, अिभलाप b-(आिधiय) bकोप, bबल, bिपता अव-(खाली) अवगणना, अवतरण bित-(उलट) bितकू ल, bित,छाया, अव-(अभाव, िव‡›ता) अवकृ पा, अवगुण िव-(िवशेष) िव~यात, िवनतं ी, िववाद आ-(उलट) आगमन, आदान िव-(अभाव) िवफल, िवधवा, िवसंगित उत-् (वर) उ–कष,} उ„ीण}, उिÃvज स-ु (अिधक) सबु ोिधत, सिु शि त. उप-(गौण) उपaह, उपवेद, उपने 58

`यय- `यय (suffix) उन श‹दांश को कहते ह जो िकसी अ[य श‹द के अ[त म लगाये जाते ह। इनके लगाने से श‹द के अथ} म िभ[नता या वैिश€्य आ जाता ह।ै उदाहरणः वान यह िकसी Aयि\\ क1 िवशषे ता दशा}ते समय उपयोग होता ह।ै जैसे यह पहलवान बहत# बलवान ह।ै धन + वान = धनवान िवcा + वान = िवsान बल + वान = बलवान ता सफल + ता = सफलता िनडर + ता = िनडरता उदार + ता = उदारता चालाक + ई = चालाक1 ‚ान + ई = ‚ानी ई पि½डत + ई = पि½डताई ओं इसका उपयोग एक वचन श‹द% को बहव# चन श‹द बनाने के िलए िकया जाता ह।ै भाषा + ओं = भाषाओं श‹द + ओं = श‹द% वाiय + ओं = वाiय% काय} + ओं = काय© याँ नदी + याँ = निदयाँ bित + याँ = bितयाँ 59

अsयास काय1 (Work Book) पिठत भावाथ1 िनoनिलिखत पm का स सगं , भावाथ1 िलिखए। कठपतु ली ग0ु से से उबली बोली-ये धागे iय% ह मेरे पीछे-आगे? इ[ह तोड़ दो; मझु े मरे े पाँव% पर छोड़ दो। ोnर िनoनिलिखत के उnर िलिखए। 1. पहली कठपतु ली क1 बात सुन कर दसू री कठपतु िलय% क1 iया bिति|या ह#ई? 2. कठपतु िलय% का नाच भारत म सदा सबसे अिधक bचिलत ह।ै दसू रे bांत% म इनका iया मह–व ह?ै 3. कठपतु ली iय% दखु ी थी? आ`मकथा िनoन िबंदुओंके आधार पर मोबाईल कD आ`मकथा िलिखए। सकं े त िबंदु-आरंभ, उपयोग, लाभ _याकरण 1) िनoनिलिखत शaद म से मलू शaद तथा `यय अलग करो। 1. िशि त - ______+ ______ 4. बलवान - ______+ ______ ______+ ______ 2. ईमानदारी - ______+ ______ 5. जीवनदाता - ______+ ______ 3. धािम}क - ______+ ______ 6. धयै प} वू क} - 2) िनoनिलिखत शaद के पहले ‘सु’उपसग1 लगाकर िलिखए। 1. मगं ल - ________________ 4. पु , - ________________ ________________ 2. क[या - ________________ 5. िनयोिजत - ________________ 3. यश - ________________ 6. योग - 60

3) िनoनिलिखत शaद म से उपसग1, मूल शaद और `यय अलग कर के िलिखए। श‹द उपसग} मलू श‹द b–यय 1. सहिशि का ++ 2. bबलता ++ 3. अिवšसनीय ++ 4. bगितशील ++ 4) िनoन रेखांिकत शaद के वचन बदलकर वा य िफर से िलिखए। 1. कठपतु ली ग0ु से से उबली। उ. ___________________________ 2. यह धागा iय% बाँधा ह।ै उ. ___________________________ 3. यह कै सी इ,छा जागी। उ. ___________________________ 5) िनoनिलिखत वा य म पुनKि* तथा यु•म शaद रेखांिकत कDिजए। 1. यह घागे iय% ह मेरे आगे-पीछे। 4. राधा नाच-गा रही थी। 2. सनु कर बोली और-और कठपिु लयाँ। 5. अपने-अपने घर जाओ। 3. वह धीरे-धीरे चल रहा था। 6. कु छ खा-पी लो। 6) िनoनिलिखत वा य को सही गद्य 5म म िलिखए। 1. ये धागे iय% ह मेरे पीछे-आगे? उ. ______________________________________ 2. सनु कर बोली और – कठपुतिलया।ँ उ. ______________________________________ 3. इ,छा ये मन जगी कै सी मेरे म? उ. ______________________________________ 7) , बे और अन उपसग1 लगाकर चार-चार शaद बनाइए। b - ____________________________________ बे - ____________________________________ अन - ____________________________________ 8) िनoनिलिखत शaद के समतकु ांत शaद िलिखए। 1. पाँव - ________ 2. आगे - ________ 3. इ,छा - ________ 4. उबली - ________ 5. छंद - ________ 6. लगी - ________ 61

9) िनoनिलिखत शaद के िवलोमाथ1 िलिखए। 1. आगे - ________ 2. तोड़ना - ________ 3. छोड़ना - ________ 4. बह#त - ________ 5. िदन - ________ 6. इ,छा - 10) िनoनिलिखत मुहावर के अथ1 िलखकर वा य म योग कDिजए। 1. ग0ु से से उबलना अिधक |ोिधत होना वाiय : 2. अपने पाँव% पर खड़े होना आ–मिनभर} होना वाiय : 3. मन के छंद छू ना मन म इ,छा जगाना वाiय : 11) िनoनिलिखत शaद का उिचत पया1यवाची शaद पहचािनए। 1. पाँव () अ) पैर, पग, कलम आ) बैर, पग, कदम इ) पैर, पल, कदम ई) परै , पग, कदम 2. िदन () अ) िदवाकर, िदवस,बार आ) िदव, िदवस,वार इ) िदव, िदवस, बार ई) िदव, िदल,बार 3. िम () अ) सहचर, संगी, साथी आ) सहचर, ितरंगी, साथी इ) जलचर, संगी, साथी ई) सहचर, संगी, हाथी 12) िनoनिलिखत वा य म रेखांिकत शaद पहचािनए। ई) ि|या () ई) ि|या () 1. ये धागे iय% है मरे े आगे पीछे। ई) ि|या () अ) सवन} ाम आ) सं‚ा इ) िवशषे ण 2. राम वन म गया। अ) सव}नाम आ) सं‚ा इ) िवशेषण 3. यह लाल गलु ाब सदंु र ह।ै अ) सवन} ाम आ) सं‚ा इ) िवशेषण 62

13) िनoनिलिखत वा य के िलए उिचत मुहावरे का चयन कDिजए। 1. काम करके थक जाने के कारण राजू क1 ________________ गई। () () अ) यादआना आ) नhद आना इ) सो जाना ई) आखँ लगना () 2. वह अपने िपता क1 ________________ ह।ै अ) आँख लगना आ) आँख% का तारा इ) प–थर ई) अितिbय 3. मेरे कम अंक दखे ते ही िपता जी ________________ हो गये। अ)आग बबलू ा होना आ) बह#त ग0ु सा होना इ) खशु हो गये ई) दखु ी हो गये 14) िनoनिलिखत वा य का काल पहचािनए। 1. म अभी आया। () () अ) वतम} ान काल आ)भिवuय काल इ) भतू काल () इ) भतू काल 2. नानी मीठी खीर बनाएगी। इ) भतू काल अ) वत}मान काल आ)भिवuय काल 3. माता जी बाज़ार जा रही ह। अ) वतम} ान काल आ)भिवuय काल 15) िनoनिलिखत वा य म उिचत िवराम-िच† होगा- 1. आप कहाँ जा रहे हो () () अ) (।) आ) (?) इ) (,) ई) (”) () ई) (”) 2. यह मरे ा छोटा भाई रिव है ई) (”) अ) (।) आ) (?) इ) (,,।) 3. मरे े पास लाल नीली पीली और हरे रंग क1 गद है अ) (।) आ) (?) इ) (,,।) ________ 63

उपवाचक िहमालय कD बेिटयाँ नागाज1ुन अथ12ा3ता िति5या 1. िसर धनु ना = पछताना, शोक करना to repent, to weep complete nude 2. नंग - धड़ंग = एकदम नंगा charming, attractive separately 3. लभु ावना = मनोहर, संदु र lethargy to bestow affectionate blessings 4. जदु ा-जदु ा = अलग-अलग respectable mountain top 5. खमु ारी = आलस, स0ु ती valley, marshy ground 6. बिलहारी = [योछावर होना 7. सं¬ांत = अ,छे कु ल का कु लीन 8. अिध–यका = पहाड़ के ऊपर क1 समतल भिू म 9. उप–यका = पहाड़ के पास क1 भिू म, तराई घाटी ोnर 1. निदय को माँ मानने कD परंपरा हमारे यहाँ काफ़D पुरानी है। लेिकन लेखक नागाज1ुन उ(ह और िकन Œप म देखते ह? उ. लखे क नागाज}नु निदय% को माँ के साथ-साथ दादी, मौसी और मामी के ‡प% म दखे ते ह। इसके अलावा बटे ी, बहन के ‡प म भी दखे ते ह। इ[हh म bेयसी क1 भावना भी मानते ह। 2. िसधं ु और ˆ‰पु कD या िवशेषताएँ बताई गई ह? उ. िसंधु और §Åपु क1 कई िवशषे ताएँ ह। इनके नाम सनु ते ही रावी, सतलुज, Aयास, चनाब, झेलम, काबलु , किपशा, गगं ा, यमनु ा, गडं क, कोसी आिद िहमालय क1 छोटी-बड़ी सभी बिे टयाँ आँख% के सामने नाचने लगती ह। वा0तव म िसंधु और §Åपु 0वयं कु छ नहh ह।ै क•णामय िहमालय के िपघले ह#ए िदल क1 एक-एक बदँू न जाने कब से इकट्ठा हो-होकर इन दो महानिदय% के ‡प म समµु क1 ओर बहती रही ह।ै समµु ने उछलने-कू दने, नाचनवे ाली इन दोन% बिे टय% का हाथ पकड़ा। इससे िहमालय और समµु |मशः ससुर और दामाद बन गए। ये दोन% ध[य ह। 64

3. काका कालेलकर ने निदय को लोकमाता य कहा है? उ. जो ¯ी ब,च% को ज[म दते ी ह,ै उसे माता कहते ह।ै वह अपने ब,च% को सधु ा ‡पी दधू िपलाती ह और पालती ह।ै वह के वल अपनी संतान क1 माता ह।ै लिे कन, पयि0वनी नदी सधु ा ‡पी अपना जल जन-जन को िपलाती ह और पालती ह। इसिलए काका कालेलकर ने निदय% को लोकमाता कहा ह।ै 4. िहमालय कD या ा म लेखक ने िकन-िकन कD शंसा कD है? उ. िहमालय क1 या ा म लेखक ने िहमालय, गगं ा, यमनु ा, सतलजु , िसंध,ु §Åपु , रावी, Aयास, चनाब, झले म, काबलु , किपशा, सरय,ू गडं क, कोसी आिद िहमालय क1 बेिटय% यािन निदय% और उन निदय% के िbयतम समµु आिद क1 bशसं ा क1 ह।ै पिठत गmांश नीचे िदए गए पिठत गmांश को पढ़कर के उnर दीिजए। परंतु इस बार जब म िहमालय के कं धे पर चढ़ा तो वे कु छ और ‡प म सामने थh। म हरै ान था िक यही दबु ली- पतली गगं ा, यही यमनु ा, यही सतलजु समतल मदै ान% म उतरकर िवशाल कै से हो जाती ह। इनका उछलना और कू दना, िखलिखला कर लगातार हसँ ते जाना, इनक1 यह भाव-भिं गमा, इनका यह उ’लास कहाँ गायब हो, जाता है मदै ान म जाकर िकसी लड़क1 को जब म दखे ता ह…,ँ िकसी कली पर जब मरे ा {यान अटक जाता ह,ै तब भी इतना कौतहू ल और िव0मय नहh होता, िजतना िक इन बेिटय% क1 बाललीला दखे कर। b•- 1. लेखक िकसके कं धे पर चढ़ा? उ. लखे क िहमालय के कं धे पर चढ़ा था। 2. लखे क iय% हरै ान था? उ. लखे क हरै ान था िक यह दबु ली-पतली गगं ा, यही यमनु ा, यही सतलजु मदै ान% म उतर कर िवशाल कै से हो जातh ह?ै 3. लखे क का {यान िकस पर अटक जाता ह?ै उ. लेखक का {यान िकसी कली पर अटक जाता ह।ै 4. लखे क को कौतहु ल और िव0मय कब होता ह?ै उ. लेखक को इन बिे टय% क1 बाल लीला को दखे कर कौतहु ल और िव0मय होता ह।ै 5. इस गc म से निदय% के नाम चुनकर िलिखए। उ. निदय% के नाम ह - 1. गगं ा, 2. यमनु ा, 3. सतलुज। 65

इकाई II 5. िमठाईवाला भगवती साद िम5 अथ-7ा8ता िति9या – 1. िच म या िदखायी दे रहा है? उ. िच म िखलौने क दकु ान िदखाई दे रही ह।ै 2. िच के आधार पर बताओ िक वह आदमी कौन है? उ. िच के आधार पर वह िखलौने बचे नेवाला ह।ै 3. िखलौने बेचनेवाला आदमी िकस कार बोलकर अपनी दुकान क) ओर ब*च+ को आकिष-त कर रहा होगा? उ. “ब च को बहलाने वाले रंग-िबरंगे िखलौन!े बह$त स'ते म िमलने वाले क डप)ली-िखलौन!े िनमल* के िखलिखलाने वाले हर इलाके के िखलौने! दौड़ के आओ ब चो! पसदं कर के ले जाओ!” - इस तरह िखलौने बेचनेवाला आदमी, बोलकर अपनी दुकान क ओर ब च को आकिषत* कर रहा होगा। 1. 'नेहािभिष6 = 8ेम प:ू रत moved by love पाजामा pyjamas, trousers 2. सोथनी = 3. अ8ितभ = उदास bewildered 4. द'तरू = 5. जायके दार = रीित, िविध system 'वािदS tasty, delicious 6. थोड़े ही = कभी नहV never 7. चपटा = धँसा ह$आ flat 8. मारा-मारा िफरना = इधर - उधर भटकना wandering here and there 9. पोपला = िजसके सभी दाँत टूटे ह toothless 10. पहलदार = कोन वाला angled 11. bयवसाय = कारोबार, धधं ा profession, occupation 12. हरज़ा = नकु सान loss 13. िवधाता = dहम् ा the creator 14. लीला = खेल play 15. एहसान = उपकार, कृ तhता obligation, beneficence 16. साफ़ा = पगड़ी turban 17. तरक ब = उपाय,यिु 6 means, tact 18. फे रीवाला = घमू -घमू कर सौदा बचे नवे ाला hawker, pedlar 66

इस कहानी के लखे क हl भगवती 8साद वाजपये ी। यह बह$त ही मम* 'पशn कहानी है िजसम कहानीकार ने एक िखलौने बचे ने वाले क दखु भरी कहानी सनु ाई है जो मन को छू लेती ह।ै यह िखलौने वाला कभी–कभी रोिहणी क गली म आता है और ब च को मधुर आवाज़ म पकु ारता ह।ै वह कु छ इस 8कार गाकर बलु ाता है िक ब चे तो ब चे बड़े भी बह$त आकिषत* और मsु ध हो जाते ह।l िमठाई वाले म ब च के 8ित 8मे , वाuस)यता, ममता एवं कvणा क भावना उमड़ी पड़ती थी। अपना माल स'ते म बेचता था। उसके 'वर म एक अलग तरह क मादकता और मोहकता थी। वा'तव म वह िमठाईवाला अपने खोए हए$ ब च क झलक अxय ब च म पाने के िलए ब च क िविवध पसं द क चीज़ बचे ता था। ब च के मन बड़े चंचल होते ह।l वे एक 8कार क चीज़ कु छ समय तक ही पसदं करते ह।l बाद म दसू री चीज़ ढूढ़ँ ते ह।l इसीिलए िमठाईवाला खले ने, गाने और खाने आिद से सबं िधत अलग- अलग चीज़ अलग–अलग समय पर आ कर बचे ता था। और इसी तरह वह कई दसू री जगह पर भी जाता होगा। इसीिलए वह रोिहणी के गाँव म महीन बाद आता था। कहा जाता है िक अपना दखु कु छ अपन को बताने से दखु ह)का हो जाता ह।ै रोिहणी के बार–बार पछू ने पर िमठाईवाले ने अपनी दखु भरी कvणाजनक कहानी सनु ाई। उसने अपने दखु का बोझ आँसुओं के ज़:रए कम कर िलया। अब उसने इस बार पसै े लेने से इकं ार कर िदया। उसक दखु भरी कहानी सनु कर रोिहणी का {दय भी िपघल गया। जब उसने बताया िक उसका भी सोने का संसार था। एक सदंु र पuनी व ब चे थे। उनक ही झलक इन असं|य ब च म देखता और खशु हो जाता था। वह यहाँ पर bयवसाय करने या पसै े कमाने नहV आता था। 1. आपक) गिलय+ म भी कई अजनबी फे रीवाले आते ह+गे। उनके बारे म बताइए। उ. हमारी गली म कभी-कभी अजनबी फे रीवाले आते ह।l वे िविवध 8कार से बोलकर हम आकिषत* करते ह।l उदाहरण:- “ब च को बहलानेवाले रंग-िबरंगे िखलौने!, बह$त स'ते म िमलनवे ाले क डप)ली-िखलौने! िनम*ल के िखल- िखलानेवाले हर इलाके के िखलौन!े दौड़ के आओ ब चो! पसंद कर के लेकर जाओ।” दसू रा उदाहरण :- “ आइ'~ म, आइ'~ म, मीठी-मीठी, ठंडी-ठंडी आइ'~ म चाटनवे ाली, चसू नवे ाली – आइ'~ म कभी नहV बनाती ‘नोस - ~ म। खानवे ाले को बनाती बल - भीम ज)दी आओ, €यारे राम - •याम॥” ऐसी- ऐसी आवाज़ सनु कर हम ज)दी दौड़ लगाते और झट से खरीद लेत।े 2. हाट-मेले, शादी आिद आयोजन+ म कौन-सी चीज़ आपको सबसे Dयादा आकिष-त करती हE? बताइए। उ. हाट-मले े, शादी आिद आयोजन म मझु े सबसे „यादा आकिषत* करने वाले हl - ‘पॉप कॉन*, डबल का मीठा और आइ'~ म। ‘पॉपकान* ’ क महक नाक म घसु ते ही और डबल का मीठा व आइ'~ म आँख के सामने आते ही मेरे महँु म पानी भर आता ह।ै 67

3. ब*च+ क) या िति9या होती थी? - िखलौनेवाले को दखे कर - मुरलीवाले को देखकर - िमठाईवाले को देखकर उ. िखलौनवे ाले को दखे कर उसक ओर ब चे खVचे चले जाते ह।l मरु लीवाले को दखे कर उसक ओर ब चे मोिहत होते ह।l िमठाईवाले को दखे कर ब च के मँहु म पानी भर आता ह।ै ब चे इनको खरीदने के िलए िज़द करते ह।l अितPरQ 1. िकसके आने पर मकान म हलचल मच जाती? 2. मरु ली बचे नवे ाला कौन था? 3. िवजय बाबू के भाव मोल करने पर मरु ली वाले ने Šया कहा? 4. िमठाईवाला िकस क खोज म िनकला था? 1. कहानी के आधार पर वा य+ को 9म ( 1, 2, ….., 6) दो। - िमठाईवाले ने पेटी उठाई और कहा - \"अब इस बार ये पैसे न लँूगा।” - िमठाईवाला हष,* सशं य और िव'मयािद भाव म डूबकर बोला - - “ हाँ उनक वदृ ध् ा दादी थी।” - ब च को बहलानेवाला, मरु लीवाला। - दो मरु िलयाँ लेकर िवजयबाबू िफर मकान के भीतर पहच$ँ गय।े - ब च को बहलानवे ाला, िखलौनेवाला। - ब चे िखलौने दखे कर पुलिकत हो उठते ह।ै उ. 1. ब च को बहलानेवाला, िखलौनवे ाला। 2. ब चे िखलौने दखे कर पलु िकत हो उठते ह।ै 3. दो मरु िलयाँ लेकर िवजयबाबू िफर मकान के भीतर पहच$ँ गये। 4. “हा,ँ उनक वदृ ध् ा दादी थी।” 5. ब च को बहलानवे ाला, िखलौनवे ाला। 6. िमठाईवाले ने पेटी उठाई और कहा - \"अब इस बार ये पसै े न लँगू ा।” 7. िमठाईवाला हष,* संशय और िव'मयािद भाव म डूबकर बोला - 2. ‘अब इस बार ये पैसे न लूगँ ा’ - कहानी के अंत म िमठाईवाले ने ऐसा य+ कहा? उ. कहा जाता है िक अपने िदल के दःु ख क बात िकसी को बताने पर मन का बोझ हलका होता ह।ै रोिहणी के बार- बार पछू ने पर िमठाईवाले ने अपनी दःु ख भरी कvणाजनक कहानी सनु ाई। उसने द:ु ख का बोझ आँसओु ं के ‰प म बहाया। 68

िजससे उसके िदल का बोझ ह)का हो गया। इसिलए सहानभु िू त िदखानवे ाल के 8ित कृ तhता 8कट करने के िलए िमठाईवाले ने ऐसा कहा िक ‘अब इस बार ये पसै े न लँगू ा।’ 3. िकसक) बात सनु कर िमठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन Rयवसाय+ को अपनाने का या कारण बताया? उ. रोिहणी क बात सनु कर िमठाईवाला भावकु हो गया था। िमठाईवाले ने इन bयवसाय को अपनाने का कारण इस 8कार बताया -िक मl सपं xन और 8िति‹त bयि6 था। मरे े पास मकान, bयवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाकर सभी कु छ था। सदंु र ि8य पuनी और दो नxह ब चे भी थे। वह मेरा सोने का संसार था। लिे कन िवधाता क लीला हई$ । अब कोई नहV। पर ब च क ममता उमड़ पड़ती ह।ै मरे े ब च क झलक इन अस|ं य ब च म िमल जाती ह।ै उनका €यार और संतोष, धीरज इस तरह पा रहा हŒ।ँ इसके िलए इन bयवसाय को अपनाया ह।ै अितPरQ 1. कभी-कभी पनु vि6 श•द ह,ै पाठ म आए इसी तरह के श•द को रेखािं कत क िजए। 2. गंभीरता, िखलौनेवाला, पलु िकत, 8िति‹त, सांसा:रक इन श•द से 8uयय अलग क िजए। 3. हजार श•द एक सं|यावाचक श•द ह।ै पाठ म आए ऐसे ही सं|यावाचक श•द को रेखांिकत क िजए। अVयापन सकं े त - सिु नए-बोिलए और पिढ़ए म िदए गए अित:र6 8Ž छा क hान-विृ • हते ु ह।l अ•यापक/अ•यािपका छा से िन’न 8Ž पछू तथा उनके उ“र क सराहना कर। अिभRयिQ सजृ नाXमकता 1. िमठाईवाला अलग-अलग चीज़ य+ बेचता था और वह महीन+ बाद य+ आता था? उ. िमठाईवाला अपने खोए हए$ ब च क झलक अxय ब च म पाने के िलए ब च क िविवध पसदं क चीज़ बचे ता था। ब च के मन चंचल होते ह।l व,े चीज कु छ समय तक पसंद करते ह।l बाद म, दसू री चीज़ ढूढ़ँ ते ह।l इसिलए िमठाईवाला खले न,े गाने, खाने आिद से संबंिधत अलग-अलग चीज अलग-अलग अविधय म बचे ता था। िमठाईवाला इसी तरह दसू री जगह भी चला गया होगा। इसी तरह वहाँ भी चीज बेच आया होगा। इसिलए वह महीन बाद आता था। 2. िमठाईवाले म वे कौन - से गणु थे िजनक) वजह से ब*चे तो ब*चे, बड़े भी उसक) ओर िखंचे चले आते थे? उ. िमठाईवाले म ब च के 8ित वाuसलता, ममता एवं कvणा उमड़ पड़ती थी। वह माल स'ते दाम म बचे ता था। उसके 'वर म मादकता, मधरु ता एवं मोहकता होती थी, िजस को सुननेवाले ब चे - बड़े सब उसक ओर िखंचे चले आते थे। 3. रोिहणी को मरु लीवाले के Uवर से िखलौनेवाले का Uमरण य+ हो आया? उ. रोिहणी को िखलौने वाले का मादक - मधरु - मोहक 'वर िबलकु ल मरु लीवाले के 'वर - जैसा ही लगा था। इसिलए रोिहणी को मरु लीवाले के 'वर से िखलौने वाले का 'मरण हो आया। 69

4. इस कहानी म रोिहणी िचक के पीछे से बात करती है। या आज भी औरत िचक के पीछे से बात करती हE? यिद करती हE तो य+? आपक) राय म या यह सही है? उ. इस कहानी म रोिहणी िचक के पीछे से बात करती लिे कन आज „यादातर औरत िचक के पीछे से बात नहV करतV। परु ाने जमाने म कहV-कहV दहे ात म, यह दखे ा जाता था। इसका कारण “परदा-8था” ह।ै हमारे समाज म यह 8था 8चिलत थी, िजसम स”य घराने क ि•याँ आड़ म रहती थी तािक उxह पर-पvु ष न दखे सके । इस आधिु नक यगु म यह 8था खuम होती जा रही ह।ै मेरी राय म औरत का िचक के पीछे से बात करना सही नहV ह।ै भाषा क) बात 1. दुबला-पतला गोरा यवु क है, बीकानेरी रंगीन साफ़ा बाँधता है। (युवक श\\द का िलगं बदलकर वा य िफर से िलिखए) उ. दबु ली-पतली गोरी युवती ह,ै बीकानरे ी रंगीन साफ़ा बाँधती ह।ै 2. मुरलीवाला एकदम अ ितभ हो उठा। (रेखांिखत श\\द का अथ- जानकर वा य म योग क)िजए) उ. अ8ितभ = उदास : अपनी अन“ु ीणत* ा का प:रणाम सनु कर अिखल अ8ितभ हो उठा। 3. यह बड़ी अ*छी मरु ली है । (िवलोमाथ] वा य बनाइए) उ. यह बड़ी बरु ी मरु ली ह।ै 4. िफर वह सौदा भी कै सा सUता बेचता है। (रेखांिकत श\\द+ से दो-दो वा य बनाइए।) उ. (क) आजकल कहV भी सौदा स'ता नहV िमलता। (ख) चीन क चीज बह$त स'ते दाम म िमलती ह।l 5. उसक) ब*च+ के ित वे UनेहिसQ बात याद रह^। (रेखांिकत श\\द का अथ- िलिखए और इस श\\द से एक वा य बनाइए) उ. 'नेहिस6 = अिधक 8मे से यु6 हमारी िहदं ी अ•यािपका जी 'नहे िस6 बात करती रहती ह।l 6. पाठ पढ़कर पाँच यु`म श\\द िलिखए। जैसे – मादक-मृदुल उ. यsु म श•द : 1) उछलने – कू दने 2) हाथी – घोड़े 3) दबु ला – पतला 4) आकार – 8कार 5) दौड़ते – हाँफ़ते 70

1. िमठाईवाला, बोलनेवाली गिु ड़या ऊपर ‘वाला’ का योग है। अब बताइए िक – (क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले श\\द सbं ा, सव-नाम, िवशेषण आिद म से या हE? उ. ‘िमठाई वाला’ श•द म पहला श•द ‘िमठाई’ संhा ह।ै ‘बोलने वाली’ श•द म पहला श•द ‘बोलना’ ि~या ह।ै (ख) ऊपर िलखे वा यांश+ म उनका या योग है? उ. ऊपर िलखे वाŠयाशं म उनका 8uयय या उपसग* का 8योग ह?ै (सhं ा और ि~या से कतवृ ाचक श•द बनाए गए ह।l ) 2. “अ*छा मुझे eयादा वQ नह^, जfदी से दो ठो िनकाल दो।” उपयुQ वा य म ‘ठो’ के योग क) ओर Vयान दीिजए। पूव] उhर देश और िबहार क) भाषाओं म इस श\\द का योग सiं यावाची श\\द के साथ होता है, जैसे, भोजपरु ी म – एक ठो लइका, चार ठो आलू, तीन ठो बटुली। ऐसे श•द का 8योग भारत क कई अxय भाषाओं / बोिलय म भी होता ह।ै कšा म पता क िजए िक िकस-िकस क भाषा- बोली म ऐसा ह।l इस पर सामिू हक बातचीत क िजए। उ. ‘ठो’ जैसे श•द का 8योग हमारी मातभृ ाषा या बोली म नहV होता। कšा म सामूिहक बातचीत करने पर भी मालमू नहV ह$आ िक ऐसे श•द का 8योग िकस-िकस क भाषा-बोली म होता ह।ै 3. “वे भी, जान पड़ता है, पाक- म खेलने िनकल गए हE।” “ य+ भई, िकस तरह देते हो मुरली?” “दादी, चूjनू – मjु नू के िलए िमठाई लेनी है। ज़रा कमरे म चलकर ठहरो।” भाषा के ये योग आजकल पढ़ने-सनु ने म आते। आप ये बात कै से कहगे? उ. आजकल पढ़ने – सनु ने म आनवे ाले भाषा के 8योग : (क) “लगता है वे भी पाक* म खले ने िनकल गए ह।l ” (ख) “बोलो भयै ा, मरु ली िकतने म दोग?े “या” मरु ली क क मत Šया ह,ै बोलो।” 1. िमठाईवाले के पPरवार के साथ या हkआ होगा? सोिचए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए। उ. िमठाईवाले के प:रवार के साथ ह$ई घटना का अनुमान :- िमठाईवाले ›ारा रोिहणी को सुनाई गई अपनी कहानी के अनसु ार िकसी दघु ट* ना म उसके ब चे और पuनी मर गए ह ग।े उसक राय म यहV-कहV जxमे ही ह गे। इसिलए वह इन ब च म अपने ब च क शŠल ढूँढता रहता था। इस कहानी के आधार पर एक और कहानी बनाना : नािगन या नानी-माँ? 71

“कै सी हो बेटी ?”, कहती ह$ई एक बढ़ू ी हमारे घर म घसु ी। “ठीक हŒ”ँ माँ ने जवाब िदया। कु सn पर बठै कर बढ़ू ी हाल - चाल पछू ने लगी। माँ जवाब दते ी रही। आगे चलकर यह बूढ़ी का आना-जाना, माँ से हाल-चाल पछू ना, कु छ फल, िमठाई, बड़ा आिद bयजं न चपु चाप लाना, खदु माँ को िखलाना और माँ का उसे चाय-ना•ता कराना आिद-आिद एक िदनचया* बन गई। घटु न म दद* के कारण सीिढ़याँ चढ़ने म मिु •कल होने पर भी आना-जाना कभी बदं नहV िकया, नािगन कहV क । बाक िदन म आने से मझु े कोई िदŠक़त नहV, िकxतु रिववार को ही असली िदŠक़त होती। इसिलए मl िचड़िचड़ाती। िफर भी, मझु से €यार से ही हाल-चाल पूछती हई$ पोपले महँु से मझु े चॉकलटे देती। चॉकलेट लेती ह$ई मl मँहु िचढ़ाती चली जाती। वह रिववार का िदन था। वह बढ़ू ी नहV आई। मरे ी जान म जान आई। दो-चार िदन के बाद पता चला िक उसक तबीयत ठीक नहV थी। दसू रे रिववार को भी वह न आ पाई। मl फू लकर कु €पा हो गई। परंतु माँ तो कु छ गमु समु िदखाई पड़ रही थी। इतने म रोने क आवाज़ नीचे से सनु ाई पड़ी। झट हम वहाँ पहच$ँ गए। बढ़ू ी अचेतन–अव'था म थी। उसका पु रोता ह$आ ‰दध् कं ठ से िगड़िगड़ाने लगा-‘कल सारा िदन ‘बेटी, बटे ी’ पकु ारती रही। उसने माँ क ओर इशारा करते हए$ कहा-‘वह बटे ी िसफ* आप ही ह,l आपको ही याद करत-े करते दम तोड़ िदया।’ हम दगं रह गए। वह आगे बताने लगा- मरे ी छोटी बहन थी। बेचारी,वह नव-वधू दहजे -िचता म आह$ित हो गई, एक साल पहल।े उसक शŠल आप जसै ी ही थी। इसिलए आप म मरे ी माँ अपनी लड़क क झलक दखे ती थी, आप पर वuसलता व ममता बरसाती थी और आपके यहाँ सुख-शांित एवं 8मे पाती थी।’ यह बताते हए$ वह िससक-िससक कर रोने लगी। माँ क आँख से आँसू फू ट पड़े । माँ ज़ोर-ज़ोर से “माँ-मेरी-माँ” कहती ह$ई उसके परै पर फू ट-फू टकर रोने लगी। मl भी अनजाने म नानी माँ कहती हई$ रोने लगी। अब नानी-माँ न रहV, पर उनक 'मिृ तयाँ जब-जब मरे े िदल म मँडराने लगती हl तब-तब मरे ा िसर झकु ता और आँसू क दो बदँू टपकतV ह।l 1. बाज़ार म तो सब कु छ िमलता ह,ै लेिकन फे रीवाले हमारे घर तक सामान पहkचँ ाते हE। फे रीवाल+ के कायm क) शंसा करते हkए दस वा य िलिखए। उ. फे रीवाले हमारी ज‰रत क चीज़ लाकर घर तक पहच$ँ ाते ह।l उनक सवे ाएँ 8शंसनीय ह।l हम बाज़ार जाकर सामान खरीदकर ला सकते ह।l लेिकन म)ू यवान समय गंवाते ह।l वहाँ कु छ सामान स'ते म िमलने पर भी आन-े जाने का खच* होता ही ह।ै कभी-कभी फे रीवाल के दाम बाज़ार के दाम से भी „यादा हो सकते ह।l इससे थोड़ा „यादा दाम होने पर भी फे रीवाल के पास आव•यक सामान खरीदना अ छा ह।ै इससे बके ार लोग क मदद भी हो सकती ह।ै हे फे रीवाल।े घर-घर पर सामान बचे नेवाल।े तरे ी सतत् सेवाएँ सफल, सराहनीय हl। या मE ये कर सकता हnँ/सकती हnँ हाँ ( ) नह^ ( × ) 1. पाठ का भाव अपने श•द म बता सकता हŒ।ँ 72 2. इस 'तर क ग• सामžी का भाव पढ़ कर समझ सकता हŒ।ँ 3. इस 'तर के ग•ाश क bया|या करते हए$ िलख सकता हŒ।ँ 4. पाठ के श•द को अपनी बातचीत म 8योग कर सकता हŒ।ँ 5. पाठ के आधार पर कहानी आगे बढ़ा सकता हŒ।ँ

इस पाठ म मEने ये नए श\\द सीखे 73

अितPरQ काय- ोhर 1. जब िखलौनेवाला गा कर ऊँ चे Uवर म गिलय+ म घूमते हkए कहता - ‘ब*च+ को बहलाने वाला िखलौने वाला’ तो उस समय औरत+ और ब*च+ क) या िति9या होती? उ. िखलौनेवाला जब गा कर बह$त मधरु और आकषक* ढगं से कहता- ‘ब च को बहलाने वाला िखलौनवे ाला’ तो सुनने वाले ब चे, बड़े सभी आकिषत* और मsु ध हो जात।े गली म सब और हलचल मच जाती। छोटे-छोटे ब च को गोद म िलए यवु ितयाँ िचक उठाकर झाकँ ने लगती। ब चे उसके चार ओर घरे ा बना लेते और वह अपनी पटे ली खोल दते ा। 2. ब*चे िखलौने देखकर या करते? उ. ब चे िखलौने दखे कर बहत$ खशु हो जाते और दो पैसे लाकर िखलौने का मोल-भाव करने लगत।े उनक भाषा, तोतली होती और वह कु छ इस 8कार पछू त-े इछका दाम Šया ह?ै औल इछका? और जब वो िखलौने खरीद लेते तो बह$त खशु होकर उछलने-कू दने लगते और िखलौनवे ाला खुशी से आगे बढ़ जाता। प - लेखन अपनी परीqा के िवषय म बताने हेतु िपता जी को प िलिखए। 'थानः.......... िदनांकः........ पजू नीय िपताजी, सादर 8णाम। ईŸर क कृ पा से मl यहाँ सकु शल हŒ।ँ आपक कु शलता क आशा करता हŒ।ँ आपका प िमला, िजसम आपने मरे ी परीšा के िवषय म जानना चाहा था। मेरी परीšाएँ कल ही समा ह$ई ह।l सभी िवषय के 8Ž-प बह$त ही सरल थे। मनl े परू ा 8यuन िकया िक सभी 8Ž के उ“र ठीक से िलखँू तािक कšा म सबसे अिधक अंक 8ा कर सकँू । िपछली बार क जाँच परीšा म मेरे अंक अ छे रह,े लिे कन िहदं ी म कु छ कम अंक आने के कारण मl अपनी परीšा म तीसरे 'थान पर रहा। इसीिलए इस बार परीšा से पहले मनl े और अिधक अ छी तयै ारी क थी। आशा ह,ै इस बार मl िन¡य ही 8थम 'थान 8ा कर सकँू गा। आदरणीय माताजी को मेरा 8णाम कहना और भाई अनु को मरे ा €यार। आपका आhाकारी पु , नरेश पताः ¢ी कृ £ण कु मार घर नं.- 2/16/ आर. टी., िवजयनगर, वरंगल। 74

सिं ध - भाषा 8योग म जब दो श•द एक-दसू रे के साथ-साथ आते हl तो पहले श•द क अिं तम •विन तथा दसू रे श•द क 8थम •विन िमलकर प:रवतन* लाती ह।ै इस •विन प:रवतन* क 8ि~या को सिं ध कहते हl ।जैसे - िव•ा + आलय = िव•ालय रिव + इ¥ं = रवV¥ लोक + उि6 = लोकोि6 दो वण¦ के पर'पर िमलने से जो िवकार उuपxन होता ह,ै उसे सिं ध कहते ह।l िमले ह$ए दो श•द को अलग-अलग करके संिध से पहले क ि'थित म पहच$ँ ाना सिं धिव*छेद कहलाता ह।ै सिं ध के भेद- संिध के तीन भदे होते हl – 1. 'वर संिध 2. bयजं न सिं ध 3. िवसग* सिं ध दो 'वर के मले से जो प:रवत*न होता ह,ै उसे Uवर सिं ध कहते ह।l 'वर संिध के पाँच 8कार हl – 1. दीघ* संिध 2. गणु सिं ध 3. विृ • संिध 4. यण संिध 5. अयािद संिध 1. दीघ- सिं धः दो समान 'वर जब पास-पास आते हl तो िमलकर उसी वण* का दीघ* 'वर बन जाते ह।l इसे दीघ* संिध कहते ह।l अ+अ=आ मत + अनसु ार = मतानसु ार, परम + अणु = परमाणु अ + आ = आ देव + आलय = दवे ालय, धम* + आuमा = धमा*uमा आ+अ=आ रेखा + अशं = रेखांश, िव•ा + अथn = िव•ाथn आ+आ=आ िव•ा + आलय = िव•ालय, ¢•ा + आलु = ¢•ालु इ+इ=ई किव + इ¥ं = कवV¥, अिभ + इS = अभीS इ+ई=ई किव + ईŸर = कवीŸर, ह:र + ईश = हरीश ई+ई=ई नदी + ईश = नदीश, नारी + ईŸर = नारीŸर उ+उ=ऊ गvु + उपदशे = गvु पदशे , सु + उि6 = सिू 6 उ+ऊ=ऊ मधु + ऊिम* = मधिू म,* लघु + ऊिम* = लघिू म* ऊ+उ=ऊ वधू + उuसव = वधuू सव ऊ+ऊ=ऊ वधू + ऊिम* = वधिू म* 2. गणु सिं धः जब अ या आ के आगे इ या ई आए तो दोन के िमलने से ए बनता ह।ै अ+इ=ए 'व + इ छा = 'वे छा, वीर + इ¥ं = वीर¥ अ+ई=ए गण + ईश = गणेश, नर + ईश = नरेश आ+इ=ए महा + इ¥ं = मह¥, राजा + इ¥ं = राज¥ आ+ई=ए महा + ईश = महशे , राजा + ईश = राजेश जब अ या आ के बाद उ या ऊ आए तो दोनो िमलकर ओ हो जाते ह।l अ+उ=ओ सयू * + उदय = सयू §दय, 8Ž + उ“र = 8Žो“र अ+ऊ=ओ नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा आ + ऊ = ओ महा + उदय = महोदय, 75

आ + ऊ = ओ गंगा + ऊिम* = गंगोिम* अ या आ के बाद ऋ िमलकर अर् होता है । अ + ऋ = अर् देव + ऋिष = दवे िष* आ + ऋ = अर् महा + ऋिष = महिष* 3. वृिu सिं धः जब अ या आ के बाद ए या ऐ तो दोन िमलकर ऐ हो जाते ह।l अ+ए=ऐ एक + एक = एकै क अ+ऐ=ऐ मत + ऐŠय = मतैŠय आ+ए=ऐ तथा + एव = तथैव आ+ऐ=ऐ महा + ऐŸय* = महŸै य* अ या आ के बाद ओ या औ िमलकर औ हो जाते हl । अ+ओ=औ जल + औध = जलौध आ+ओ=औ महा + ओज = महौज अ+औ=औ परम + औषद = परमौषध आ+औ=औ महा + औदाय* = महौदाय* 4. यण सिं धः जब इ या ई के बाद इ वण* के अित:र6 कोई अxय 'वर आता है तो इ – ई के 'थान पर य् हो जाता ह।ै इ + अ = य् यिद + अिप = य•िप इ+आ=आ इित + आिद = इuयािद ई + अ = य् नदी + अपण* = न•प*ण ई + आ = या दवे ी + आगम = दbे यागम इ + उ = यु अिभ + उदय = अ”य•ु इ + ऊ = यू िन + ऊन = xयनू ई + ए = ये 8ित + एक = 8uयेक ई + ऐ = यै नदी + ऐŸय* = न•ैŸय* जब उ या ऊ के बाद उ वण* के अित:र6 अxय 'वर आए तो उ-ऊ का व् हो जाता ह।ै उ + अ = व् अनु + अय = अxवय ऊ + आ = वा वधू + आगमन = व•वागमन उ + ए = वे अनु + एषण = अxवषे ण जब ऋ के बाद ऋ के अित:र6 कोई अxय 'वर आता है तो ऋ का र् हो जाता ह।ै ऋ + अ = र् िपतृ + अनमु ित = िप ानुमित ऋ + आ = रा िपतृ + आदशे = िप ादशे ऋ+उ=v िपतृ + उपदशे = िप पु दशे ऋ + इ = Pर मातृ + इ छा = माि छा 5. अयािद सिं धः ए या ऐ के बाद वण* के अित:र6 कोई अxय 'वर आता है तो ए का अय् तथा ऐ का आय् हो जाता ह।ै ए के बाद अ आए तो अय् बन जाता ह।ै ने + अन = नयन ऐ के बाद अ आए तो आय् बन जाता ह।ै नै + अक = नायक 76

ऐ के बाद इ आए तो आिय बन जाता ह।ै गै + इका = गाियका ओ के बाद अ आए तो अव् बन जाता ह।ै हो + अन = हवन ओ के बाद इ आए तो अिव बन जाता ह।ै भो + इ£य = भिव£य औ के बाद अ आए तो आव् बन जाता ह।ै पौ + अन = पावन औ के बाद इ आए तो आिव बन जाता ह।ै नौ + इक = नािवक औ के बाद उ आए तो आवु बन जाता ह।ै भौ + उक = भावकु Rयंजन सिं ध bयजं न वण* के आगे 'वर या bयजं न आने से bयंजन म िवकार आ जाता ह,ै उसे bयंजन संिध कहते ह।l जैसे :- जगत् + ईश (त् + ई = दी) = जगदीश। यिद क् , च,् ट्, प् के बाद िकसी वग* का तृतीय अथवा चतुथ* वण* आए अथवा य्, र,् ल्, व् या कोई 'वर आए तो क् , च,् ढ्, त,् अपने ही वग* के तीसरे वण* (अथा*त् क् म् म, त् द् मऔर प् ब् म) बदल जाते ह-l िदक् +गज = क् + ग = sग = िदsगज वाक् +ईश = क् + ई = गी = वागीश जगत्+आनंद = त् + आ = दा = जगदानदं अच+् अतं = च् + अ = ज = अजंत षट्+आनानं = ट् + आ = डा = षडानन िदक् +©म = क् + भ् = sभ् = िदs©म। भगवत+गीता = त् + ग = दग् = भगवदग् ीता यिद क् , च्, ट्, त,् प् के बाद न् अथवा म् आए तो उनके िमलने से अपने वण* पांचवV वण* हो जाता ह।ै जैसे: - जगत् + नाथ = त् + न = xन = जगxनथ वाक + मय = क् + म = ङ् = वा«य षट् + मास = ट् + म = ¬म = ष¬मास उत् + नित = त् + न = xन = उxनित उत् + नयन = त् + न = xन = उxनयन 8ाक + मखु = क् + म = ड़्म = 8«य त् के बाद च् अथवा छ् हो तो उनका च्; ज् अथवा झ् तो ज़् अथवा ठ् हो तो ट्; ड् अथवा ढ हो तो ड् और ल् हो जाते ह।l जैसे: - उत् + चारण = त् + च = च = उ चारण सत् + जन = त् + ज = „ज = स„जन उत् + लास = त् + ल = )ल = उ)लास उत् + लघं न = त् + ल = )ल = उ)लंघन उत् + लखे = त् + ल = )ल = उ)लेख त् के बाद म श् हो तो त् के 'थान पर च् हो जाता है और श् को छ् म बदल दते े ह।l जैसे - अत् + Ÿास = त् + श = छ = उ छवास अत् + िशS = त् + श = छ = उि छS 77

यिद त् के बाद म ह हो तो त् का द् और ह का ध हो जाता ह।ै जसै े- उत् + हार = त् + ह = उदध् ार उत् + हरण = त् + ह = उदध् ारण तत् + िहत = त् + ह = तिदधत म् के बाद म यिद कोई 'पश* bयंजन (क् से म् तक) आए तो म् का उसी वग* का पांचवाँ वण* अथवा अन'ु वार (•) हो जाता है । जसै े- सम् + पणू * = म् + प = ’प = संपणू * सम् + दहे = म् + द = xद = सxदहे (सदं हे ) सम् + तोष = म् + त = xत = संतोष सम् + क)प = म् + क = ’क = संक)प धनम् + जय = म् + ज = ’ज = धनंजय सम् + भावना = म् + भ = ’भ = स’भावना िकम् + कर = म् + क = ’क = िकं कर िकम् + िचत = म् + च = ®च = िकं िचत यिद अ अथवा आ को छोड़कर िकसी अxय 'वर के साथ स आए तो संिध होने पर स का ष हो जाता ह।ै जैसे- िव + सम = िवषम िन + िसदध् = िनिषदध् अिभ + सके = अिभषके सु + सिु = सषु िु प:र + सद = प:रषद 8ित + सेध = 8ितषधे िवसग- सिं ध- िवसग* (:) के बाद 'वर अथवा bयजं न आने पर जो प:रवत*न होता ह,ै उसे िवसग* संिध कहते ह।l मनः+ज =मनोज दवे ः + 'थल = दवे 'थल वयः+वदृ ध् =वयोbवदृ ध् अधः+गित=अधोगित यशः+गान=यशोगान यशः+दा=यशोदा िनः+धन=िनध*न दःु +आuमा=दरु ाuमा िनः+जन=िनज*न दःु +गित=दगु *ित िनः+झर=िनझ*र दःु +िभš=दिु भš* िनः+मल=िनम*ल दःु +बल=दबु ल* 78

अyयास काय- (Work Book) पिठत गxांश 1. िनwन पिठत गxांश पढ़कर + के उhर दीिजए। अितशय गंभीरता के साथ िमठाईवाले ने कहा-\"मl भी अपने नगर का एक 8िति‹त आदमी था। मकान, bयवसाय, गाड़ी- घोड़े, नौकर-चाकर सभी कु छ था। •ी थी, छोटे-छोटे दो ब चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपि“ का वभै व था, भीतर सांसा:रक सखु था। •ी संदु री थी, मेरी 8ाण थी। ब चे ऐसे संदु र थे, जैसे सोने के सजीव िखलौने। उनक अठखिे लय के मारे घर म कोलाहल मचा रहता था। समय क गित! िवधाता क लीला। अब कोई नहV ह।ै दादी, 8ाण िनकाले नहV िनकल।े इसिलए अपने उन ब च क खोज म िनकला हŒ।ँ \" - 1. िमठाई वाला नगर का कै सा आदमी था? () () अ) परािजत आ) अपमािनत इ) 8िति‹त ई) गंभीर इ) चार ई) एक 2. िमठाई वाले के िकतने ब चे थे? अ) दो आ) तीन 3. सोने के िखलौने िकसे कहा गया ह?ै 4. कोलाहल कहाँ मचा रहता था? 5. िमठाईवाले के घर म Šया-Šया था? 6. पाठ म आया पनु vि6 श•द Šया ह?ै ोhर िनwनिलिखत + के उhर दीिजए। 1. मरु लीवाले के नगर म आने पर Šया समाचार फै ल गया? 2. रोिहणी ने िमठाईवाले से Šया 8Ž पछू े और िमठाईवाले ने अपने बारे म Šया बताया? 3. िमठाईवाला धनवान हो कर भी Šय िमठाईयाँ बचे ता था? प लेखन िपता जी को पैसे मंगवाने हेतु प िलिखए। 79

Rयाकरण 1) िनwनिलिखत श\\द+ क) सिं ध क)िजए। 1. िव•ा + अथn - _____________________ 2. रिव + इ¥ं - _____________________ 3. उप + अ•यš - _____________________ 4. िग:र + ईश - _____________________ 5. िवकल + अगं - _____________________ 6. सयू * + उदय - _____________________ 2) िनwनिलिखत श\\द+ क) संिध का नाम िलिखए। 1. काय+* आलय - कायाल* य - 2. मनः+अनुकू ल - मनोनकु ू ल - 3. उत्+चारण 4. पो+अन - उ चारण - 5. इ छाअ+ नसु ार 6. पर+उपकार - पवन - - इ छानसु ार - - परोपकार - 3) िनwनिलिखत श\\द+ का सिं ध-िव*छेद क)िजए। 1. िव•ालय - ___________ + _____________ 2. रजनीश - ___________ + _____________ 3. िहमालय - ___________ + _____________ 4. नीरस - ___________ + _____________ 5. षडानन - ___________ + _____________ 6. 'नहे ािभि£कत - ______ + _____________ 80

4) िनwनिलिखत रेखांिकत श\\द+ के िलंग बदलकर वा य िफर से िलिखए। 1. मरु लीवाला गिलय म घमू ता। उ. _______________________________ 2. उस का पित िबकानेरी रंगीन साफ़ा बाँधता ह।ै उ. _______________________________ 3. उनक वदृ ध् ा दादी थी। उ. ________________________________ 4. वह भला आदमी लगता ह।ै उ. ________________________________ 5. उस ने घोड़े क सवारी क । उ. ________________________________ 6. मकान मािलक ने िकराया िलया। उ. ________________________________ 5) िनwनिलिखत रेखांिकत श\\द+ के वचन बदलकर वा य िफर से िलिखए। 1.ब चे िखलौने खरीदते ह।l उ. ______________________________ 2. वह पहले िखलौने बेचा करता था। उ. ______________________________ 3. मरु लीवाला अ8ितभ हो उठा और बोला। उ. ______________________________ 4. वह िमठाई बचे ता ह।ै उ. ______________________________ 5. मेरे पास भी गाड़ी थी। उ. ______________________________ 6. िकसी क टोपी िगर पड़ी। उ. ______________________________ 6) िनwनिलिखत श\\द+ के िवलोमाथ- िलिखए। 4. असली- ______________ 1. बहादुर - ______________ 5. šीण - ______________ 2. आव•यक - ______________ 6. स'ता - ______________ 3. जय / िवजय - -______________ 7) िनwनिलिखत श\\द+ म जो ि9या श\\द नह^ हE, उन पर गलत (×) का िच€ लगाइए। मरु लीवाला िलपटकर भीतर चलकर कभी-कभी सतं ोष बोली रंग-िबरंगी घोली िमठाई चढ़कर बोला 8) िनwनिलिखत वा य+ म रेखांिकत श\\द का िवलोमाथ- पहचािनए। 1. आम मीठा होता है लेिकन करेला कड़वा। 2. दकु ानदार फल बेच रहा था मनl े भी कु छ खरीद िलय।े 3. माता जी घर के अदं र ही है तथा िपताजी बाहर गए ह।l 4. मरे ी इ छा खेलने क थी लेिकन रामू ने अिन छा जािहर क । 5. मझु े ज)दी पाठशाला पहच$ँ ना था लिे कन मेरा भाई धीरे-धीरे चल रहा था। 6. मरे े दादा जी बाबू घन•याम से प:रिचत थे लेिकन मरे े िपता जी के िलए वे अप:रिचत थ।े 81

9) िनwनिलिखत वा य+ म सव-नाम श\\द रेखांिकत क)िजए। 1. उxह ने ब च के िलए िखलौने खरीदे। 2. उसने िखलौने का दाम पछू ा। 3. वह गोरा यवु क था। 4. मरे ी माता ने बाँसरु ी खरीदी। 5. मlने िभखारी को पैसे िदए। 6. तमु वहाँ जाकर बठै जाओ। 10) िनwनिलिखत श\\द+ के वचन बदलकर िलिखए। 1. िखलौनेवाला -_____________ 4. गली - _________ 2. माता - _____________ 5. बाँसरु ी - _________ 3. ब चा - _____________ 6. दरवाज़ा - _________ 11) िनwनिलिखत श\\द+ के सही अथ- पहचािनए। 1. हलचल मच जाना () अ) परेशान करना आ) भगदड़ मचना इ) शोर मचाना ई) भाग जाना 2. गद् गद हो उठना () अ) परेशान होना आ) दखु ी होना इ) 8सxन होना ई) नाराज हो जाना 3. bयवसाय () अ) काम-काज आ) घर इ) मकान ई) धन -संपि“ 12) िनwनिलिखत यु`म श\\द+ का उिचत िमलान क)िजए। 1. उछलना िपरोना 2. दबु ला िफरना 3. आकार कू दना 4. सीना पतला 5. चलना 8कार 13) िनwनिलिखत वा य+ म सbं ा श\\द पहचािनए। () 1. रोिहणी का अनमु ान ठीक िनकला। अ) अनमु ान आ) रोिहणी इ) िनकला ई) ठीक 2 िवजय बाबू दोन ‰प म मसु कु रा िदए। () अ) िवजय बाबू आ) ‰प म इ) मसु कु रा ई) दोन 3. 8ितिदन इसी 8कार मरु लीवाले क चचा* होती। () अ) 8कार आ) 8ितिदन इ) चचा* ई) मरु लीवाले 82

14) िनwनिलिखत वा यांश के िलए एक श\\द पहचािनए। 1. िजस पर िवŸास हो () अ) िवŸसनीय आ) िवŸास करना इ) िवŸास दने ा ई) िवŸास न 2. ससं ार से संबिं धत () अ) संसार वाला आ) सांसा:रक इ) ससं ारी ई) ससं ार िबना 3. जो चीज़ घलु जाती हो () अ) घलु ने वाली आ) घुलनशील इ) घलु नीय ई) घुल जाती 15) िनwन श\\द+ के िलए िवशेषण श\\द पहचािनए। 1. िमठाई - अ) मीठी आ) शीला इ) चxु नु ई) नगर () 2. िखलौने - अ) खरीदा आ) मनै इ) सदंु र ई) बचे ा () 3. सौदा - अ) खरीदा आ) स'ता इ) नहV ई) बेचा () दखु और वदे ना के अथाह सागर वाले इस ससं ार म 8मे क अuयिधक आव•यकता ह।ै - डॉ. रामकु मार वमा* 83

इकाई-II ya 6. रQ और हमारा शरीर यतीश अ7वाल अथ-7ा8ता िति9या - 1. िच म या िदखायी दे रहा है? उ. िच म र6दान-िशिवर िदखायी दे रहा ह।ै 2. रQदान करने से या लाभ हE? उ. र6दान करने से िकसी क जान बचाई जा सकती ह।ै िकसी प:रवार को अनाथ होने से बचाया जा सकता ह।ै मरनवे ाल को जीवनदान दे सकते ह।l र6दाताओं को प¬ु य िमलता ह।ै 3. आप रQदान को बढ़ावा देने के िलए या करना चाहगे? उ. मl र6दान का महuव आस-पास के लोग को बताऊँ गा। बड़े होने पर र6दान िनयिमत ‰प से क‰ँ गा। 8सार–8चार साधन के ›ारा लोग को अवगत करने क और िविभxन ‰प म पाठ्य~म म सि’मिलत कराने क कोिशश क‰ँ गा। 1. महससू होना = अनभु व करना to experience 2. मन लगना = जी लगना to feel easy, to like 3. तरल = ¥व liquid 4. शौच = पायखाने जाना toilet 5. पीठ ठ कना = शाबाशी देना a pat on the back appreciately 6. घर करना = बसना, 'थान बनाना to create a room for oneself to reside 7. धावा बोलना = हमला करना to launch an attack 8. द'तक दने ा = दरवाज़ा खटखटाना to knock 9. स³ू मदशn = बारीक से दखे ने का यं microscope 10. एनीिमया = शरीर म र6 क कमी anemia 84

यतीश अžवाल ने इस लेख के मा•यम से हमारे शरीर म बहते ह$ए र6 के बारे म ‘ब च ’ का hान बढ़ाने क कोिशश क ह।ै यह लेख इतने रोचक ढंग से िलखा गया है िक कब ब च को र6 से संबिधत हर 8कार क जानकारी िमल जाती है िजस क वे क)पना भी ही नहV कर सकते। अिनल क छोटी बहन िदbया ह।ै जो शvु से ही कमज़ोर है और वह बह$त थकान भी महससू करती ह।ै डॉŠटर के पास जाने पर पता चला िक िदbया को एनीिमया ह।ै इसका अथ* है र6 क कमी हो जाना। हड्िडय क म„जा र6 कण को बनाने म लगी रहती है जो नS हए$ कण का 'थान ले लते े ह।l इनके िलए इन कारखान को 8ोटीन, लौह तuव और िवटािमन ‰पी क चे माल क ज़‰रत होती ह।ै हरी स•ज़ी फल दधू अडं ा और गो•त म यह तuव उपय6ु मा ा म होते ह।l यिद कोई bयि6 उिचत आहार žहण नहV करता तो इन कारखान को आव•यकतानसु ार क चा माल नहV िमल पाता। नतीजा यह होता है िक र6 कण नहV बन पाते, र6 म इनक कमी हो जाती ह।ै इसी कमी को एनीिमया कहते ह।l इस रोग का एक और भी बड़ा कारण ह,ै पेट म क ड़ का हो जाना। यह क ड़े 8ाय: गदं े पानी, और खा•पदाथ¦ से हमारे शरीर म 8वेश करते हl इसीिलए सफाई का िवशेष •यान रखना अuयतं आव•यक ह।ै साफ पानी पीएँ और भोजन करने से पहले अ छे से हाथ धोना ज़‰री ह।ै र6 म और भी कई चीज़ का सžं ह होता ह।ै र6 के सफे द कण हमारे शरीर के बीर िसपाही हl जो बह$त से रोग से हमारी रšा करते ह।l िबंबाणओु ं का काम है चोट लगने पर र6 जमाव ि~या म मदद करना। यिद घाव हरा हो और खनू बह रहा हो तो ज)दी से डॉŠटर के पास जाना चािहए। चोट के 'थान पर साफ कपड़ा कस कर बाधँ ना चािहए िजससे र6 बहाव कम हो जाता ह।ै अिधक र6 बहने पर खनू क ज़vरत पड़ सकती ह,ै जो र6–बकl से 8ा क जाती है या उसी र6 समहू के अxय bयि6 का र6 चढ़ाया जाता ह।ै •लड–बlक म र6 भंडार सरु िšत रह,े इसके िलए समय–समय पर र6दान करते रह। यह भी एक प¬ु य काम है जो सबको करने क कोिशश करनी चािहए। 1. रQदान य+ करना चाहोगे? उ. मरनवे ाल को िजदं ा रखने और ज‰रतमदं क सेवा के िलए र6दान करना चािहए। 2. रQ के बहाव को रोकने के िलए या करना चािहए? उ. चोट के 'थान पर कसकर एक साफ़ कपड़ा बाँध दने ा चािहए। दबाव पड़ने से र6 का बहाव कम हो जाता ह।ै अगर बह$त र6 बहता हl तो तरु ंत डॉŠटर के पास ले जाना चािहए। आव•यकतानुसार डॉŠटर ›ारा कु छ टाँके भी लगवाकर र6 के बहाव को रोक सकते ह।l 3. खून को भानमु ित का िपटारा य+ कहा जाता है? उ. तरह-तरह क चीज़ के बमे ेल सžं ह को भानमु ित का िपटारा कहते ह।l र6 म भी €ला´मा, उस म तरै नवे ाले िबबं ाणु और लालकण, सफ़े दकण, हीमोsलोिबन आिद तरह-तरह के बमे ेल संžह होते ह।ै र6 क एक बँदू म लालकण क सं|या लाख म होती ह।ै इसिलए खनू को भानमु ित का िपटारा कहा जाता ह।ै 85

अितPरQ 1. डॉŠटर दीदी ने िदbया को कौनसी बीमारी बताई? 2. अिनल ने र6 क बदँू म Šया दखे ा? 3. लाल कण Šया काम करते ह?l 4. चोट लगने पर र6 का बहाव रोकने के िलए Šया करना चािहए? 1. रQ म हीमो`लोिबन के िलए िकस खिनज क) आव„यकता पड़ती है? अ) ज'ता आ) शीशा इ) लोहा ई) €लिै टनम उ) लोहा 2. साँस लेने पर शुu वायु से जो ऑ सीजन ा† होती ह,ै उसे शरीर के हर िहUसे म कौन पहkचँ ाता है? अ) सफ़े द कण आ) सासँ नली इ) लाल कण ई) फे फड़े उ. लालकण 3. िबंबाणु (‡लेटलैट्स कण) क) कमी िकस बीमारी म पायी जाती है? अ) डगू आ) टाइफाइड इ) मले:रया ई) फ़ाइले:रया उ. डगू अितPरQ 1. र6दान दो श•द से बना है जसै े – र6 +दान। ऐसे श•द को पाठ म रेखांिकत क िजए। 2. पाठ म आए ‘एनीिमया’ जैसे अžं ेजी श•द को पहचान कर उनका अथ* िहदं ी म जािनए। 3. िमलीिलटर एक माप का प:रमाण है तोल के प:रमाण पर चचा* क िजए। अVयापन सकं े त - सिु नए-बोिलए और पिढ़ए म िदए गए अित:र6 8Ž छा क hान-विृ • हते ु ह।l - अ•यापक/अ•यािपका छा से िन’न 8Ž पछू तथा उनके उ“र की सराहना कर। अिभRयिQ सृजनाXमकता 1. एनीिमया से बचने के िलए हम या- या खाना चािहए? उ. एनीिमया से बचने के िलए हम पौिSक आहार खाना चािहए। िजसम 8ोटीन, लौह तuव और िवटािमन होते ह।l हरी सि•जय , दाल , फल , दधू , अडं , गो•त म ये तuव उपय6ु मा ा म होते ह।l इसिलए इxह खाना चािहए। 86

2. पेट म क)ड़े य+ हो जाते हE? इनसे कै से बचा जा सकता है? उ. क डे 8ाय: दिू षत जल, खा• पदाथ¦ और िमट्टी ›ारा हमारे पटे म 8वेश करते ह।l अतः इनसे बचने के िलए हम परू ी तरह से साफ़ खा• पदाथ* ही žहण करना चािहए। साफ़ पानी पीना चािहए। खाने से पहले अ छी तरह हाथ धोने चािहए। शौचालय का 8योग ही करना चािहए। नंगे परै नहV घमू ना चािहए। 3. रQ के सफ़े द कण+ को ‘वीर िसपाही’ य+ कहा गया है? उ. जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलने क कोिशश करते ह,l उस समय सफे द कण उनसे डटकर मकु ाबला करते ह।l वे रोगाणओु ं को भीतर नहV रहने दते े। वे बहत$ से रोग से हमारी रšा करते ह।l इसिलए र6 के सफ़े द कण को ‘वीर िसपाही’ कहा गया ह।ै 4. \\लड-बEक म रQदान से या लाभ हE? उ. •लड-बlक म र6 दान करने से िकसी भी ज‰रतमदं को आपात ि'थित म र6 उपल•ध हो जाता ह।ै उस क जान बचाई जा सकती ह।ै •लड-बlक म सभी 8कार के र6-समहू का र6 हर समय तैयार रखा जाता ह।ै उxह सुरिšत रखा जाता ह।ै आपात ि'थित म •लड-बlक म सुरिšत इन र6-समहू का उपयोग करते ह।l भाषा क) बात 1. इस पाठ म जीव िवbान से सबं ंिधत बहkत से श\\द आये हE। उjह चुनकर और उनके बारे म जानकारी एक क)िजए। उ. (क) एनीिमया : र6 म लाल कण क कमी को एनीिमया कहते ह।l (ख) ‡लाeमा : र6 का एक भाग, जो पीले रंग का तरल पदाथ* ह,ै िजसम र6कण होते ह।l (ग) िबबं ाणु (€लटे लटै कण) : रंग िवहीन कण जो €ला´मा म तरै ते रहते ह।l ये िवशेष िक'म के 8ोटीन होते ह।l चोट लगने पर र6-जमाव के काम म मदद करते ह।l कहV-कहV दीवार म मकड़ी के जाल के समान एक जाला बुन दते े ह।l इस से र6 बाहर िनकलना बदं हो जाता ह।ै (घ) लालकण : बालशू ाही क तरह होते ह।l गोल और दोन तरफ़ अवतल, यानी बीच म दबे हए$ । र6 क एक बदँू म ये लाख होते ह।l इनके कारण ही र6 लाल रंग का नज़र आता ह।ै ये िदन-रात काम करते ह।l ऑŠसीजन को शरीर के हर िह'से म पहच$ँ ाते ह।l लगभग चार महीने ये िजंदा रहते ह।l ये हर समय हड्िडय के बीच के भाग म„जा म बनते रहते ह।l इनक कमी से एनीिमया होता ह।ै (ड़) मDजा : हड्िडय के बीच के भाग, िजनम र6कण के िनमा*ण-काय* करने वाले अनेक कारखाने होते ह।l 8ोटीन, लौह तuव और िवटािमन इन कारखान का क चा माल ह।l (च) आ सीजन : हवा म ि'थत रसायिनक गसै , जो सभी जीवधा:रय को और पड़े -पौध को िजंदा रखता ह।ै (छ) सफ़े दकण : ये वीर िसपाही ह।l ये रोगाणओु ं से डटकर मकु ाबला करते है उxह शरीर के भीतर नहV रहने देते। ये बह$त से रोग से हमारी रšा करते ह।l 87

(ज) रQ समहू (•लड žपू ) : मन£ु य का र6 चार समहू म िवभ6 िकया गया ह।ै ये हl – ए, बी, ए-बी और ओ। इxहV को र6 समहू कहते ह।l ज‰रतमंद bयि6 के र6 - समहू क जाचँ करने के बाद उसे उसी र6-समूह का र6 चढ़ाया जाता ह।ै (झ) रQदान और रQ भंडार (•लड - बlक) : अ¶ारह वष* से अिधक उ· के 'व'थ bयि6 अपना लगभग 300 िमली लीटर र6 का दान समय-समय पर करता ह।ै इसे र6दान कहते ह।l ऐसे दान िकया गया र6, र6 भंडार म र6 समहू के अनसु ार सरु िšत रखा जाता ह।ै ज‰रतमदं लोग को चढ़ाया जाता ह।ै (क) चार महीने के होते-होते ये नŠ हो जाते हE - इस वा य को Vयान से पिढ़ए। इस वा य म ‘होते-होते’ के योग से यह बताया गया है िक चार महीने से पूव- ही ये नŠ हो जाते हE। इस तरह के पाँच वा य बनाइए िजनम इन श\\द+ का योग हो - (बनते-बनते, पहkँचते-पहkचँ ते, लेते-लेते, करते-करते) उ. 1. काब*न के कण पuथर बनते - बनते हीरे हो जाते ह।ै (बनते ही ) 2. हड़ताल के िदन घर पहच$ँ ते-पह$चँ ते थक गया। (पहच$ँ ते ही ) 3. कु छ अिधकारी :रŸत लेते - लेते ~ू र बन गए। (लेते ही ) 4. अ”यास करते - करते मl ठीक हो गया। (लगातार करता ह$आ) (ख) इन योग+ को पिढ़ए - सड़क के िकनारे-िकनारे पेड़ लगे हE। आज दूर - दूर तक वषा- होगी। इन वा य+ म ‘होते - होते’ क) तरह ‘िकनारे - िकनारे’ और ‘दूर - दूर' श\\द दोहराए गए हE। पर हर वा य म अथ- िभjन है। िकनारे-िकनारे का अथ- है-िकनारे से लगा हkआ और दूर-दूर का-बहkत दूर तक। आप भी िनwनिलिखत श\\द+ का योग करते हkए वा य बनाइए और उनके अथ- िलिखए - ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कह^-कह^, घर-घर, या- या उ. 1. कल मlने जो पेन खो िदया, वह ठीक – ठीक यहV था। = (िनि¡त) 2. Šलास म कमल घड़ी – घड़ी गड़बड़ करता ह।ै = (हर घड़ी, बार - बार,रह - रहकर) 3. दसवV कšा उ“ीण* होने पर हम सब कहV – कहV चले जाते ह।l = (न जाने कहाँ – कहाँ) 4. चनु ाव के समय नेता - गण घर - घर घूमते ह।l = (हर घर) 5. राजू नVद म Šया - Šया बोलता ह,ै उसको पता नहV। = (तरह - तरह) 2. इस पाठ म िदए गए मुहावर+ और कहावत+ को पिढ़ए और वा य+ म योग क)िजए - उ. 1. श•द कोश को भानमु ती का िपटारा कह सकते ह।l 2. घरवाल को बलु ाने के िलए कु छ लोग दरवाज़े पर द'तक दते े ह।l 3. महु ’मद गज़नी ने भारत पर कई बार धावा बोला। 4. िविवध लाव¸ uवचा के रा'ते शरीर म घर करते ह।l 5. मl िनबधं -लखे न 8ितयोिगता म 8थम आया, तो माँ ने मेरी पीठ ठोक । 88

1. रQदान को ोXसािहत करते हkए पाँच नारे िलिखए। उ. र6दान को 8ोuसािहत करते ह$ए कु छ नारे :- 1. र6दान - महादान 2. र6दाता - महादाता 3. र6 दाता - 8ाणदाता 4. सभी दान म महान है - र6दान 5. अपना र6 थोड़ा दान करो - मरनवे ाले को िजदं ा रखो 6. र6 दान - वरदान, 7. दके र बनो - भगवान, 8. लेकर बनो - 8ाणवान 1. रQदान महादान है। यह दूसर+ के जीवन के िलए वरदान है। यिद आपका कोई िम रQदान करे तो आप उसक) शंसा िकस कार करगे? बताइए। उ. मरे े िम सभी अ¶ारह वष* से कम आयवु ाले ही ह।l वे सभी र6दान करने के योsय नहV ह$ए, लिे कन मरे े बड़े भाई का िम माधव ह,ै जो समय-समय पर र6दान करता ह।ै इसका र6 समहू ‘ओ’ ह।ै जब-जब ‘ओ’ समूह क ज‰रत पड़ती है अ'पताल वाले उसे बलु ाते ह।l वह खशु ी से र6दान करता ह।ै िवशेष–सदं भ¦ म भी यह bयि6 र6दान करता है और यह रोग दघु *टनाž'त bयि6य के िलये 8ाणदाता ह।ै यह सचमचु माधव ह।ै मानव सेवा ही माधव सवे ा ह।ै ऐसी माधव - सेवा महानतम सेवा ह।ै या मE ये कर सकता हnँ/सकती हnँ हाँ ( ) नह^ ( × ) 1. पाठ का भाव अपने श•द म बता सकता हŒ।ँ - भाव से संबिं धत बातचीत कर सकता हŒ।ँ 2. इस 'तर क ग• सामžी का भाव पढ़ कर समझ सकता हŒ।ँ 3. इस 'तर के ग•ाश क bया|या करते ह$ए िलख सकता हŒ।ँ 4. पाठ के श•द को अपनी बातचीत म 8योग कर सकता हŒ।ँ 5. पाठ के आधार पर नारे िलख सकता हŒ।ँ 89

इस पाठ म मEने ये नए श\\द सीखे 90

अितPरQ काय- ोhर 1. अिनल िदRया को अUपातल य+ ले गया? डॉ टर ने िदRया को या बताया? उ. अिनल िदbया को अ'पताल इसिलए ले गया Šय िक कु छ िदन से उसे थकान महससू हो रही थी और मन िकसी भी काम म नहV लग रहा था। डॉŠटर ने िदbया के खनू क जाचँ करवाई और बताया िक उसे एनीिमया ह।ै 2. डॉ टर दीदी ने अिनल को रQ क) स•ू मदश] Žारा Uलाइड िदखा कर या बताया? अिनल क) या िति9या थी? उ. स³ू मदशn 'लाइड ›ारा डॉŠटर दीदी ने अिनल को 'लाइड से लाल र6 कण िदखाए, िजxह दखे कर अिनल आ¡य* से उछल पड़ा Šय िक र6 क बदँू म उसे इतने र6 कण िदखाई िदए, िजसक वह क)पना भी नहV कर सकता था। उसे र6 के वह कण बालशू ाही क तरह िदख रहे थे। िनबंध-लेखन Rयायाम का महXव अथ- – bयायाम श•द का संिध छेद है – िव + आयाम। आयाम का अथ* है – िव'तार। अथात* (शरीर को) िव'तार दने े क िवशेष ि~याएँ bयायाम कहलाती ह।l bयायाम श•द के भीतर ही उसके लाभ क bया|या िछपी ह$ई ह।ै Rयायाम और खेल – bयायाम सो¹शय ि~या ह।ै अपने शरीर को सगु िठत करने के िलए, अपने नाड़ी तं को मजबतू बनाने के िलए तथा भीतरी शि6य को मजबतू करने के िलए जो भी ि~याएँ क जाती ह,l वे िनि¡त ‰प से शरीर को लाभ पहच$ँ ाती ह।ै कु छ लोग का कहना है िक सभी 8कार के खले bयायाम के अंतगत* आते ह।l दसू री ओर कु छ िव›ान खले , पहलवानी आिद थका दने े वाली ि~याओं को छोड़कर शेष ि~याओं को bयायाम कहते ह।l शारीPरक लाभ – bयायाम करने से मन£ु य का शरीर सुगिठत, संदु र, 'व'थ तथा सडु ौल बनता ह।ै हज़ार क भीड़ म कसरती बदन वाला bयि6 अलग ही पहचान िलया जाता ह।ै कसरती bयि6 का शरीर-तं 'व'थ बना रहता ह।ै उसक पाचन शि6 तज़े बनती ह।ै र6 का 8वाह भी तीº होता ह।ै शरीर के मल उिचत िनकास पाते ह।l प:रणाम'व‰प दहे म श•ु ता आती ह।ै भूख बढ़ती ह।ै खाया-िपया शी»ता से पचता ह।ै र6-मासँ उिचत मा ा म बनते ह।l शरीर 'व'थ और संदु र बनता ह।ै मानिसक लाभ – bयायाम का 8भाव मन पर भी पड़ता ह।ै जैसा तन, वसै ा मन। शरीर जज*र और बीमार हो तो मन भी िशिथल हो जाता ह।ै 'व'थ शरीर म ही 'व'थ मन और आuमा का िनवास होता ह।ै bयायाम के प¡ात मन म तेज आ जाता ह।ै उuसाह और उमगं से bयि6 िजस भी काम को हाथ लगाता ह,ै वह परू ा हो जाता ह।ै मन म आशा का संचार होता है और िनराशा दरू भागती ह।ै अनुशासन – bयायाम से अनशु ासन का सीधा संबधं ह।ै कसरती bयि6 के मन म सयं म का 'वयमवे सचं ार होने लगता ह।ै 'वयं के शरीर पर संतलु न, मन पर िनयं ण आिद गणु bयायाम करने से 'वयं आते चले जाते ह।l अतः 8uयेक bयि6 को bयायाम करना चािहए। 91

पनु vQ श\\द पनु v6 श•द ऐसे श•द हl िजनम एक ही श•द का दो बार 8योग ह$आ हो। िŽपुनvिQ तीन कार क) होती है- 1. पनु vिQ – इसम एक ही श•द क दो बार आविृ “ होती ह,ै जैसे गावँ -गावँ , खेल-खेल, धीरे-धीरे आिद। 2. समानाथ] श\\द+ क) पुनvिQ – काम-काज, पास-पड़ोस, धन-धाxय आिद समानाथn श•द क पनु vि6 के उदाहरण ह।l 3. VवjयाXमक िनरथ-क श\\द+ क) पुनvिQ - आस-पास, काम-धाम, दखे -रेख, चाय-वाय आिद। उदाहरणः 1. तमु ने कल बाज़ार से Šया-Šया खरीदा? 3. दशहरे से पहले जगह-जगह रामलीला होती ह।ै 2. भीड़ म ब चे माता-िपता के साथ-साथ चल 4. धीरे-धीरे चलो वरना थक जाओगे। रहे थे। 5. मरे े 8Ž का सही-सही उ“र दो। श\\द यु`म- यsु म श•द का अथ* है – जोड़ा। पनु v6 श•द क तरह श•द यsु म भी श•द के जोड़े हl परंतु इनम अतं र यह है िक पनु v6 श•द म एक ही श•द का दो बार 8योग होता है जबिक यsु म श•द म िमलते-जलु त,े िवलोम, िनरथ*क तथा समानाथn श•द को जोड़े के ‰प म 8योग िकया जाता ह।ै उदाहरण- 1. žामीण मिहलाएँ िदन भर काम-काज म लगी रहती ह।l 2. सम¥ु म अनेक जीव-जंतु रहते ह।l 3. गरीब और अमीर के रहन-सहन म बह$त अतं र होता ह।ै िनपात- जो अbयय िकसी श•द या पद के बाद लगकर उसके अथ* म िवशषे 8कार का बल भर दते े ह,l वे िनपात या अवधारक अbयय कहलाते ह।l िहदं ी म 8चिलत महuवपणू * िनपात िन’निलिखत ह-l 1. ही - रोहन ही जा रहा ह।ै 2. भी - रोहन भी जा रहा ह।ै 3. तो - रोहन तो गया ही ह।ै 4. तक - तमु आए तक नहV। 5. मा , के वल - त’ु ह दस vपये मा िमलग।े 92

अyयास काय- (Work Book) पिठत गxांश 1. िनwनिलिखत पिठत गxांश पढ़कर + के उhर दीिजए। िदbया अिनल क छोटी बहन ह।ै य तो वह श‰ु से ही कमज़ोर ह,ै लेिकन इधर कु छ िदन से उसे हर समय थकान महससू होती रहती ह।ै मन िकसी काम म नहV लगता, भखू भी पहले से कम हो गई ह।ै अ'पताल म उसे डॉŠटर ने दखे ा तो कहा, “लगता ह,ै िदbया के शरीर म र6 क कमी हो गई ह।ै जाँच कराकर देखते ह।l ” यह कहकर उxह ने िदbया को र6 क जाँच के िलए पास के एक कमरे म भेज िदया। वहाँ अिनल को अपनी ही जान-पहचान क डॉŠटर दीदी िदखाई दी। - 1. िदbया कौन ह?ै () अ) अिनल क बहन आ) अिनल क दो'त इ) अिनल क नानी ई) अिनल क दादी 2. िदbया को कई िदन से Šया महससू होता ह?ै () अ) €यास आ) थकान इ) भखू ई) नVद 3. डॉŠटर ने िदbया को दखे कर Šया कहा? 4. अ'पताल म अिनल को कौन िदखाई िदया? 5. कमज़ोर श•द का िवलोमाथ* िलिखए। 6. ग• म आया युsम श•द िलिखए। ोhर िनwनिलिखत + के उhर िलिखए। 1. डॉŠटर दीदी ने एिनिमया के Šया कारण बताए। 2. िकस आयु से र6दान कर सकते ह?l Šया र6दान करने से कमज़ोरी हो जाती ह?ै यिद नहV तो Šय ? बताए।ँ 3. िबंबाणओु ं का Šया काम होता है र6 बहने पर Šया करना चािहए? िनबंध- लेखन पया-वरण और दूषण िवषय पर िनबंध िलिखए। सकं े त िबंदु- 8'तावना, 8दूषण के कारण, हािनयाँ, समाधान, उपसंहार Rयाकरण 1) िनwनिलिखत वा य+ म से पनु vिQ श\\द+ को रेखांिकत क)िजए। 1. कबतू र ने उड़ते-उड़ते दखे ा िक चावल के दाने ज़मीन पर िबखरे पड़े ह।l 2. कल एक कु “ा मेरे साथ-साथ मेरे घर तक आ गया। 3. भागते-भागते मरे े िम के पैर म मोच आ गई। 93

2) िनwनिलिखत वा य+ म से य`ु म श\\द+ को रेखांिकत क)िजए। 1. िपताजी ने रोहन को अपना पाठ दो-तीन बार पढ़ने के िलए कहा। 2. भारत म गंगा-यमनु ा और कृ £णा-कावरे ी जैसी पिव निदयाँ बहती ह।l 3. क•मीर म बह$त सदंु र हरी-भरी घािटयाँ और बाग-बगीचे दखे ने योsय ह।l 3) िनwनिलिखत वा य+ म से िनपात श\\द+ को रेखांिकत क)िजए। 1.लोग ने नए कपड़े ही पहने तथा ईदगाह म नमाज़ पढ़ने भी गए। 2. bयायाम करने से शरीर म भी च'ु ती-'फू ित* आती ह।ै 3. रोहन क माता जी ने ही उसे धीरे बोलने के िलए कहा। 4) िनwनिलिखत वा य+ म िवशेषण श\\द रेखांिकत क)िजए। 1. स³ू मदशn ›ारा जो कण त’ु ह िदखाई दे रहे ह,l ये हl लाल र6 कण ह।l 2. क ड़े 8ाय: दिू षत जल ›ारा हमारे शरीर म 8वशे करते ह।l 3. कमज़ोर होने का कारण पौिSक आहार क कमी ह।ै 5) िनwनिलिखत श\\द+ के वचन बदलकर िलिखए। 1. उंगली - _____________ 4. स•ज़ी - _____________ _____________ 2. महीना - _____________ 5. अडं ा - _____________ 3. हड्डी - _____________ 6. दीवार - -_____________ -_____________ 6) िनwनिलिखत श\\द+ के िवलोमाथ- िलिखए। -_____________ 1. आधार -_____________ 4. वीर - 2. कमज़ोर -_____________ 5. लाभ - 3. क)पना -_____________ 6. उपय6ु - 7) िनwनिलिखत श\\द+ के सिं ध-िव*छेद क)िजए। 1. शौचालय - _____________+ _____________ 2. िनराधार - _____________+ _____________ 3. आव•यकतानसु ार - _____________+ _____________ _____________+ _____________ 4. र6दान - 5. 'व छ - _____________+ _____________ 6. ससं ार - _____________+ _____________ 94

8) िनwनिलिखत श\\द+ के उपसग- पहचािनए। 1. अवतल - 4. सरु िšत - 2. िवशेष - 5. महान - 3. िनराधार - 6. असंभव - 9) िनwनिलिखत श\\द+ के Xयय पहचािनए। 1. सफ़ाई - 2. कमज़ोरी - 3. सतं ुिलत - 4. पौिSक - 5. दिू षत - 6. गंधपणू * - 10) रेखांिकत श\\द+ का िलंग बदलकर वा य िफर से िलिखए। 1. दीदी बोली शरीर म हर समय नए कण बनते ह।l उ. ______________________________________________________ 2. आज लड़क ने र6 दान िकया। उ. ______________________________________________________ 3. मरे ा चाचा शहर म डॉŠटर ह।ै उ. ______________________________________________________ 11) िनwनिलिखत वा य+ म ि9या श\\द पहचािनए। 1. मरे ी छोटी बहन को हर समय थकान महससू होती ह।ै () () अ) छोटी बहन आ) महससू होती इ) हर समय ई) थकान () 2. हम पौिSक आहार लेना चािहए। () अ) आहार आ) पौिSक इ) लने ा ई) थकान 95 3. इधर-उधर नगं े परै न घमू । अ) घमू आ) इधर-उधर इ) नगं े ई) परै 12. िनwनिलिखत वा य+ का काल पहचािनए। 1. बीमारी के कारण मl थकान महससू कर रहा हŒ।ँ अ) भतू काल आ) वतम* ानकाल इ) भिव£यकाल

2. ज)दी न आने के कारण म गाड़ी नहV पकड़ पाऊँ गा। () अ) भतू काल आ) वतम* ानकाल इ) भिव£यकाल 3. मेरे अ•यापक ने मेरी पीठ ठोक । () अ) भतू काल आ) वतम* ानकाल इ) भिव£यकाल 13. िनwनिलिखत वा य+ म रेखांिकत श\\द या हE? 1. वह पल भर सोच म डूबा रहा। () अ) संhा आ) सवन* ाम इ) ि~या ई) िवशेषण 2. अिनल ने र6दान िकया। () अ) संhा आ) सवन* ाम इ) ि~या ई) िवशेषण 3. मl बहत$ दरे तक दादी के पास बठै ा रहा। () अ) संhा आ) सवन* ाम इ) ि~या ई) िवशेषण 14. िनwनिलिखत श\\द+ का सही पया-यवाची पहचािनए। 1. मैला () अ) मिलन, 'व छ, गदं ा आ) मिलन, ’लान, साफ इ) मिलन, ’लान, गंदा ई) महीन, ’लान, गंदा 2. रजनी () अ) रात, उषा, राि आ) रात, िनशा, राि इ) रात, िनशा, शाम ई) 8ातः, िनशा, राि 3. पvु ष ( ) अ) नर, आदमी, मद* आ) नर, मन£ु यता, मद* इ) नर, आदमी, मान ई) नर, आदमी, नारी 15) िनwनिलिखत वा य+ म कारक िच€ पहचािनए। 1. र6 क एक बँदू म इतने सारे कण! ( ) ई) के से ) अ) क का आ) क , म इ) का से ) ( 2. र6 क एक बदँू म इनक सं|या लाख म होती ह।ै ई) क ,म म अ) क ,म, का आ) क , म, के इ) का,के , से ( ई) का, से, के . से 3. हड्िडय के बीच के भाग म„जा म ऐसे बह$त से कारखाने होते ह।l अ) क , का, क , म आ) के , के , म, से इ) का से, म, से अनभु व-8ाि के िलए काफ़ म)ू य चकु ाना पड़ सकता है पर उससे जो िशšा िमलती है वह और कहV नहV िमलती। 96

अyयास प अथ-7ा8ता िति9या- 1. िनwन गxांश पढ़कर + के उhर दीिजए। अितशय गंभीरता के साथ िमठाईवाले ने कहा – \"मl भी अपने नगर का एक 8िति‹त आदमी था। मकान, bयवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाकर सभी कु छ था। •ी थी, छोटे-छोटे दो ब चे भी थ।े मरे ा वह सोने का संसार था। बाहर सपं ि“ का वभै व था, भीतर सांसा:रक सखु था। •ी सदंु री थी, मरे ी 8ाण थी। ब चे ऐसे संदु र थे, जैसे सोने के सजीव िखलौने। उनक अठखेिलय के मारे घर म कोलाहल मचा रहता था। समय क गित! िवधाता क लीला। अब कोई नहV ह।ै दादी, 8ाण िनकाले नहV िनकले। इसिलए अपने उन ब च क खोज म िनकला हŒ।ँ \" - 1. िमठाईवाला कै सा आदमी था? इ) 8िति‹त ई) गंभीर () अ) परािजत आ) अपमािनत इ) चार ई) एक () 2. िमठाईवाले के िकतने ब चे थे? अ) दो आ) तीन 3. सोने के िखलौने िकसे कहा गया ह?ै 4. कोलाहल कहाँ मचा रहता था? 5. िमठाईवाले के घर म Šया-Šया था? 6. पाठ म आया पनु vि6 श•द Šया ह?ै अिभRयिQ-सृजनाXमकता- 2. िनwनिलिखत + के उhर दीिजए। 1. िमठाईवाले म वे कौन-कौन से गणु थे, िजसक वजह से ब चे तो ब चे, बड़े भी उसक ओर िखंचे चले आते थे? 2. एनीिमया से बचने के िलए हम Šया-Šया खाना चािहए ? िनwन म से िकसी एक का उhर दीिजए। 3. ‘bयायाम का महuव’ िवषय पर िनबधं िलिखए। (या) रोहन तथा सोहन खेल के मदै ान म िमलते ह।l वे िकस तरह आपस म बातचीत करते ह?l संवाद के ‰प म िलिखए। भाषा क) बात- 3. िनwन + के उhर सचू ना के अनसु ार िलिखए। 1. बूढ़ा भी ‘नडू ्)स’ से प:रिचत हो चकु ा ह।ै (रेखांिकत श•द का िलगं बदलकर िलिखए।) 2. कठपतु ली को यह कै सी इ छा ह$ई। (रेखांिकत श•द का िवलोमाथ* श•द िलिखए।) 3. दभु ा*sय (श•द का संिध-िव छेद क िजए।) 4. ‘नवžह’ श•द का समास िवžह करके सामस का नाम िलिखए। 5. िन’न उपसग* जोड़ कर श•द िलिखए। अ) सु - आ) अप - 97

इकाई-II 7. िचिड़या क) ब*ची जैन• कु मार अथ-7ा8ता िति9या - 1. िच म या िदखायी दे रहा है? उ. िच म गाय अपने बछड़े को €यार करती िदखायी दे रही ह।ै 2. गाय और बछड़े साथ य+ खड़े हE? उ. गाय म वाuस)यता और बछड़े म 8मे होता ह।ै बछड़ा छोटा है और उसे माँ क दखे -रेख क ज‰रत होने के कारण गाय और बछड़ा साथ खड़े ह।l 3. तुwह अपनी माताजी के साथ रहना य+ अ*छा लगता है? उ. मरे ी माताजी मझु पर ममता और 'नेह बरसाती हl और मझु े भी उनसे बेहद €यार ह।ै इसिलए मझु े अपनी माताजी के साथ रहना अ छा लगता ह।ै 1. bयसन = बरु ी आदत bad habit,vice 2. रकाबी = छोटी गोल थाली disc, plate 3. मसनद = अमीर के बठै ने क ग¹ी large round pillow 4. आन = तuकाल instant 5. गलीचा = ऊन क मोटी चादर carpet 6. सटकना = िखसक जाना, चपं त होना to slip away, to escape 7. घटा = मघे माला dark cloud, mass of dark clouds 8. 'याह = काला black 9. फु दकना = उछलते ह$ए चलना, कू दना to jump / to skip 10. मनमानी = मन को भानेवाला, मनचाहा arbitrary, conduct 98

11. िथरकना = आगे पीछे डोलना arbitrary, conduct to stay 12. िटकना = ठहरना to hesitate, to feel shy a kind of melody 13. सकु चाना = शमान* ा deserted to wait 14. रािगनी = संगीत का 'वर caste, race to amass riches 15. वीरान = उजड़ा ह$आ, बबा*द thirst, greed innumerable, countless 16. बाट दखे ना, जोहना = 8तीšा करना to sob faintly to console, to express sympathy 17. जात = जाित scream, shriek 18. मालामाल करना = धन धाxय से सपं xन, भरपरू to cry aloud 19. त£ृ णा = €यास, लालच 20. अनिगनत = िजसक िगनती न क जा सके 21. सबु कना = िहचिकयाँ लेते ह$ए रोना 22. ढाढ़ं स बंधना = िह’मत बाँधना 23. चीख = िच)लाहट 24. िचिचयाना = बार-बार ज़ोर से िच)लाना माधवदास का जीवन सपं xनता से भरा था। उसने अपनी सगं मरमर क एक सखु सधु ामय कोठी बनवाई थी। सामने संदु र बगीचा भी लगवाया था। शाम को कोठी के बाहर मसनद के सहारे गलीचे पर बठै ते थ।े वह िचिड़या क ब ची से कहता था िक मरे े पास बहत$ सा सोना और मोती ह।l सोने का बह$त सदंु र घर त’ु ह बना दगँू ा मोितय क झालर उसम लटके गी। तझु े मालामाल कर सकता हŒँ सोना मरे े पास ढरे का ढरे ह।ै मरे े पास Šया नहV ह।ै जो मागँ ो मl वही दे सकता हŒ।ँ मरे ी कोिठय पर कोिठयाँ हl , बगीच पर बगीचे ह।l दास दािसय क स|ं या क कमी नहV। इन सारी बात से मालमू होता है िक माधवदास का जीवन संपxनता से तो भरा था लेिकन कहV कु छ खालीपन, अके लापन था जो उसे खलता था। वह बार- बार िचिड़या को फु सलाने क कोिशश करता है िफर भी सफलता िदखाई नहV दते ी Šय िक िचिड़या को वह बगीचा अ छा तो लगता है और वहाँ कु छ देर के िलए vक भी जाती है लिे कन बार-बार उसे अपनी माँ क याद आती ह।ै उसके िलए उसक माँ और उसका €यार ही सब कु छ था। मानव सिहत सभी जीव जंतओु ं के िलए माँ का बड़ा मह¼व होता ह।ै माँ म वuसलता, ममता 8ेम आिद कोमल भाव ओत 8ोत होते है इसिलए िचिड़या क ब ची भी 'वग* ‰पी िपंजरे को ठुकरा कर अपनी माँ और घास-फू स से िनिमत* घ½संले के पास चली जाती। िचिड़या क ब ची क भावनाएँ हर ब चे म लहराती ह।l माधवदास का मनोभाव है िक धन संपि“ ही सब कु छ ह।ै जब िक िचिड़या का मनोभाव है िक माँ क वuसलता और 8मे ही सब कु छ ह।ै उसका घ½सला ही 'वणत* )ु य ह।ै वह सहज िचिड़या, नxही िचिड़या छोटी होते हए$ भी बिु • म बड़ी 99


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