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स्पंदन जुलाई २०२३ अंक 3

Published by Ravindra Dixit, 2023-07-01 08:52:25

Description: साहित्य साधक पत्रिका जुलाई २०२३ अंक 3

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P a g e | 89 है अफ़ सोस मंे, सात समंदर बसा पास दहचककयां रही तरे ी यादों की ना फाररक हुये ना कसर भलू ने की इंतजार दहचचककयां कराती तरे ी यादों की वो आगं न की तलु सी दीया चौखट का ताकती दहचचककयां गली तरे ी यादों की 101. राजश्री 102. दीपमर्खा कोई लौटा दे मरे े बीते हुए ददन.. दादी मुझे पक़िकर ददखाओ..आओ आओ दादी..पक़िो दादी मझु े पक़िो.. अरे रुक जा इतनी तजे मत भाग अब मझु में इतनी ताकत नहीं कक तुझे दौ़ि कर पक़ि सकंू .. स्पंदन अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 90 रुक जा लाडो रुक जा धीरे दौ़ि नहीं तो चगर जाएगी.. बूढी होती हड्डडयों में कापं ती कापं ती धीरे- धीरे लाडो को पक़िने उसके पीछे भागती.. उममलश ा.. भले ही उममलश ा 70 साल की हो गई हो, मगर पोते–पोती नाती के संग ऐसे खले रही थी जसै े छोटी सी बच्ची हो.. ना जाने कहां से उसके बूढे जजस्म मंे कफर से ताकत आ जाती बच्चों के सगं खले ने की.. डगमग डगमग ऐसे दौ़िती जसै े ककसी बच्चे ने अभी चलना सीखा हो.. बच्चों सगं ही सही.. कफर लौट आया था उममशला का बचपन कभी-कभी तो बच्ची बन झूलो पर झूलती गीले रेतों के ढेर पर भी घर बनाती थी उममलश ा.. कभी-कभी सोचती कौन कहता है बचपन लौटकर नहीं आता.. आता है ना.. बस.. ककरदार बदल जाते हंै कल हम थे आज हमारी अगली पीढी बच्चों के बच्चों संग कफर जी रही थी अपने बचपन को.. पहले अपने बच्चों के सगं जजया अब अपने बच्चों के बच्चों सगं कफर वही बचपन.. यकायक ककतनी सारी बीती हुई यादंे उसकी आंखों के आगे तस्वीरों की तरहा घूमने लगी.. भलू ी बबसरी ककतनी बातंे एक-एक करके उसे याद आने लगी.. जब उममलश ा 16 साल की हुई मां बोली बच्चों जसै ी हरकतें छो़ि अब ब़िी हो गई हो–ना जाने वह कब ब़िी हो गई उसे तो पता भी ना चला! 20 बरस में ब्याही गई और उसने ससुराल मंे कदम रखा.. कब जजम्मेदाररयों तले बोझ में दब गई उसे समझ भी ना आया! कफर बच्चे हुए,बच्चों के होने से मानो उसके जीवन मंे बाहर आ गई हो.. स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 91 अपने बच्चों सगं बच्ची बन वह खेलती कू दती उन्हें खखलाती उसे लगता मानो उसने अपना बचपन अपने बच्चों संग कफर से जी मलया! अब बच्चे भी ब़िे हो चले थे,उममलश ा सास बनी वक्त कफर तीव्र गनत से आगे बढ चला.. उममलश ा,अब थकने लगी थी,जीवन के तीसरे प़िाव की ओर जो बढ चली थी! उममलश ा के मां बाप भी गजु र गए अब उसे बटे ी कह कर बुलाने वाला कोई ना रहा सोच रही थी बचपन ककतना प्यारा होता है कार् वक्त वही रुकता और जीती अपने बचपन को अपने नहैं र मंे.. एक गाना उसके ज़हन मंे होता हुआ उसके होठों पर आ गया.. और वह वही पाकश में बठै े धीरे-धीरे गुनगुनाने लगी.. कोई लौटा दे मेरे बीते हुए ददन.. बीते हुए ददन वो मरे े प्यारे पल नछन.. और सामने उछलते कू दते खेलते बच्चों को देखा! और सोचने लगी.. इन बच्चों सगं ही सही..देखा जाए तो लौट ही तो आया है मेरा बचपन! बस...... अपने–अपने देखने–देखने का नज़ररया है!! हम सब भी उममलश ा की ही तरह बच्चों सगं बार-बार कहीं ना कहीं कफर से अपना बचपन जी ही लेते हैं.. माना कक उस तरह तो नहीं पर कहीं ना कहीं थो़िा बहुत बचपना तो सभी कर लेते हैं.. सब के अतं मनश मंे कहीं ना कहीं ककसी कोने मंे एक बच्चा हमेर्ा जीवंत रहता है! वह बचपन तो चला जाता है बस रह जाती हैं तो बाकी यादें और मसफश यादें.. ये हमारे खदु के ऊपर ननभरश है... चाहो तो उन्हंे जीवंत कर लो या कफर उन्हें वही रहने दो अतं मनश में कहीं ससु ुप्त अवस्था मंे..!! स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 92 103. राजश्री उफ्फ!! ये जजम्मेदाररयाँ इनका बोझ उठा ती हुई पूणश दानयत्व ननभाती हुई, अपनी कु छ इच्छाओ को मन ही मन दबाती हुई जजंदगी के सफर के हर एक कदठन पल को जीतती हुई मंै एक माँ क्योकक मंै ही जननी हूँ मरे े दहस्से में ही है, ये सब !! कै सी पवडम्बना है ये!! स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 93 104. अपव ओबरे ॉय रात के अधँ ेरे मंे र्क्ल साफ नज़र आती है.. तन्हाई में मुझसे ममलने एक पगली सी ल़िकी आती है... अपना नाम वोह बेनाम बताती है.. और कफर मेरे साथ बैठकर घंटो बतयाती है.., ककसने कै सा मुखौटा पहना है वोह मुझे सब बताती है.. कहती है ददन भर हस्ते - हस्ते थक जाती है.. यह जो ल़िकी सबसे खखलखखलाकर ममलती है., वोह मसु ्कु राने के मलए भी तरस जाती है..! बहुत बात करती है.. बहुत बात करती है..! कफर भी बात नहीं कर पाती है..! भी़ि मंे रहती है और मले े को तरस जाती है.. अपने सपनो को बचे कर अपनों की खमु र्याँ खरीद कर लाती है.. यह ल़िकी अपनों के मलए अपने को भूल जाती है..! ये क्या, यह क्या हर ल़िकी कही ना कही कु छ ना कु छ छो़ि थी जाती है.. कभी पापा के ईमान के मलए.. कभी माँ के सम्मान के मलए, कभी भाई के प्यार के मलए., कभी पनत के नाम के मलए.., ये ल़िकी घर की चार दीवारों में कै द हो कर रह जाती है.. कहते है पापा की बबदटया आज़ाद है पर सात बजे वोह घर आ जाती है..! वोह पनत..बताता है वोह कमाती है.. स्पदं न अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 94 पर बाहर जाने से पहले पछू कर जाती है.. पररवार कहता है.. बात हमारे यहाँ ल़िककया भी करती है.. पर जब बात करने की बात आती है.. तोह यह ल़िकी चाय परोसती नज़र आती है..! यह कै सी आज़ादी दे दी है तुमने.. की आज़ाद होने पर भी ल़िककया सोच मंे कै द हो जाती है..!! ये ल़िकी चार दीवारों मंे घठू के मर जाती है..! यह ऐसी ल़िककया ख्याल बहुत रखती है.. पर ख्याल रखते रखत.े .. खदु बीमारी का मर्खार हो जाती है..!! यह ल़िककयां जज़न्दगी जीना भलू जाती है..! 105. अपव ओबेरॉय ये बाररर्ें तमु तक भी पहं ुचती हैं क्या मेघ तुम्हें भी ऐसे लुभाते हंै क्या ठं डी हवाओं की नमश मलु ायम थपककयाँ स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

खख़िकी से P a g e | 95 झांकती हाथों पर झरने सी जुलाई 2023 ये बदंू े इश्क के थो़िा और करीब तुम्हंे भी ये लेकर आती हैं क्या जसै े बरसती हर बूदं ों से ममलकर मंै हो जाता हूँ और भी करीब तमु ्हारे ये बाररर्ंे ये मघे तमु ्हारे मन मंे मेरा प्रेम बन कर उतर पाती है क्या..!! स्पदं न अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 96 106. मनमंथन सफर पे ननकला हूँ,मलु ाकात अब मजं ज़ल पे होगी, मुक्कमल न हो सका जो सफर, तो कफर सफर ही मंजज़ल होगी। 107. मन मंथन जन्म तो दोनों ने मलया एक ही कोख से, माततृ ्व के आँचल मंे पले बढे दोनों एक साथ। बचपन बीता यौवन आया, माँ का प्रमे एक सा पाया। परंतु यह कै सी पवडबं ना की पववाह पश्चात,् परु ूष के जीवन मंे कोई अतं र न आया, स्री हो गयी स्वतुः अनाथ। पुरूष को ममली माँ कई रूप मंे, मॉ,ं बहन, परु ी , पत्नी सखा स्वरूपा। स्री बनी वधू, पुरवधू, मॉ ं अपरूपा । मॉ ं का स्पर्श, आमलगं न पाने को, दानयत्वों का बोझ उठाती है।जजस मॉ ं से ल़िा करती थी कभी आज व्यथा उसकी समझ पाती है। कै सी पवडबं ना है कक जो एक बार मॉ ं बन जाती है स्वयं मॉ ं की ममता पाने को तरस जाती है, जब जब याद आए मॉ ं बस जज़म्मेदाररयाँ दहलीज़ से बॉधं जाती हंै । 108. डा मनोरमा मसहं जजंदगी भी एक सफर है, ककतने लोगों का साथ ममलेगा, कै से कै से लोग ममलंेगे, कु छ पराये भी अपने होंगे, कभी खमु र्याँ साथ होंगीं, कभी दुु ःखों के सघन मेघ होंगे, अज्ञात सी मजं जलंे होगीं, राह भी अनजानी होगी, धयै श और साहस तुम्हारा सहचर होगा, जज़दं गी के इस सफर मंे र्ांत नदी सा बहना होगा!! स्पदं न अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 97 109. रचना दीक्षित स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 98 स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 99 स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 100 110. सादहत्य साधक समहू की पाचँ वीं गोटठी की ररपोटश सादहत्य साधक समहू की पाचं वी बठै क परसों यानी 17 जनू 2023 को सुधाजी के ननवास A 183 पर सम्पन्न हुई। इस गोटठी मंे जजन साधकों ने अपनी उपजस्थनत दजश कराई उनके नाम इस प्रकार है - पप्रयकं ा जी, मनोरमा जी, नीलम जी, राजश्री जी, ननरंजन जी, रचना जी, रंजीता जी, पंकज जी, दीजप्त जी और मंै स्वयं । कई साधक कु छ पूवश व्यस्ततावर् गोटठी में सजम्ममलत नही हुए। इस मीदटगं में चचाश मंे आए मुख्य बबदं ु कु छ इस प्रकार हंै: 1. गोटठी में पहली चचाश यह रही कक अचधक संख्या में सदस्य बैठक मंे दहस्सा लंे और अपने व्यस्त कायकश ्रम से कु छ समय अपने मलए भी ननकाले। यदद समय या नतचथ को लेकर कोई समस्या है तो उस पर सवसश म्मनत बनाई जा सकती है। 2. जो सदस्य मीदटगं में ननयममत रूप से आ रहे हंै उन्हंे इस गोटठी की आवश्यकता पर कोई सदं ेह नहीं है। मलखा हुआ पढना और एक दसू रे से रूबरू होते हुए रचना पढने और सुनने का आनंद ही अपवू श है। 3. गोटठी में एक पवचार यह आया कक क्या कपवता के अनतररक्त अन्य पवधाओं का उपयोग भी साप्तादहक कायश में ककया जाना चादहए या नहीं और पवमर्श से तय पाया कक सभी साधक अन्य पवधाओं पर मलखने को सहषश तैयार हैं। 4. एक बात और सवसश म्मनत से तय हुई कक यथासभं व टास्क में प्रनतजटठत लेखक और कपवयों की चचाश भी रखी जाय जजससे सभी अच्छे सादहत्य को पढंे और समझे और उन महान पवभनू तयों से कु छ सीख सकंे । इससे आपको अपने लेखन में सुधार करने और अच्छा मलखने की प्रेरणा ममलेगी। 5. इस गोटठी मंे लगभग सभी सदस्य समय पर पहुचे जो एक सखु द अनभु व था। भपवटय मंे भी सभी सदस्यों से यह अपेिा की जाती है वह ननधाशररत समय पर पहुंचे । इसके बाद आया गोटठी का सबसे महत्वपूणश भाग र्रु ू हुआ जो था काव्यपाठ। सभी साधकों ने अपनी अपनी रचनाओं से आनंददत और आल्हाददत ककया। सभी का उत्साह भी देखते ही बनता स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 101 था कक परु ानी कापपयां और डायरी भी मदै ान मंे आ गयी। आनन्द का स्तर इस बात से लगाया जा सकता है कक ढाई घंटे कब ननकल गए पता ही नहीं चला। गोटठी का समापन हुआ अल्पाहार से और इस उम्मीद से कक अगली मीदटगं और उत्साह वधकश होगी और अचधक साधक उपजस्थत होंगे। स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 102 स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 103 111. दस्ताने नकाब – नीलम पाठक ककया गमु राह उसे एक बार प्यार से बोले क्या दो बोल पक़िा उसने मेरा हाथ कहा मैं छो़िू न इस काल मंै भी अक़ि गई तत्काल क्यों पक़िा मरे ा हाथ स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 104 नाता क्या है तमु ्हारे साथ जक़िा थप्प़ि मेरे गाल कापं कर मुझसे छू टा हाथ नाता मेरा तेरे साथ बटे ी लगता तरे ा बाप मै हुई बहुत र्ममनश ्दा दौ़ि कर पक़िे उनके पांव माफ कर देना मेरे बाप नहीं पहचान सकी इस बार मुंह पर मरे े प़िा नकाब फौरन पक़िा उनका हाथ चल दी मैं भी उनके साथ क्यों बुकाश को मसलवाया वक्त ने मझु से जो करवाया गलती मरे ी तुम न देना आज बुकाश को मनंै े पहना भूल हुई मुझसे पहली बार नहीं पहचान सकी इस बार माफ कर देना मरे े बाप। स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 105 112. पवडम्बना - रवीन्द्र दीक्षित पपछले गुरुवार को ग्रपु मंे टास्क देने की जजम्मेदारी नीलम जी की थी जजसे बखबू ी ननभाते हुए उन्होंने दो टास्क ददए। एक था \"सफर\" जजस पर पद्य मंे मलखना था और दसू रा टास्क था \"पवडबं ना\" जजस पर गद्य मंे अपने पवचार रखने थे। अममू न मैं तो कोई टास्क करता नहीं था क्योंकक कपवता मलखने मझु े आती नहीं। सो यह टास्क भी मनैं े नहीं ककया। कल सादहत्य साधकों की गोटठी मंे नीलम जी से मलु ाकात हुई तो ममलते ही उन्होंने मुझे लाइन हाजजर कर ददया। पवडबं ना का टास्क तो आपके मलए ही था कफर कपवता भी नहीं मलखनी थी कोई टास्क क्यों नहीं ककया आपने? अब मरे े पास कोई बहाना भी नहीं था, दरअसल अभी तक मंै अपने आप को पप्रमं सपल मडै म का पनत होने के कारण खदु को ही पप्रमं सपल समझकर काम कर रहा था लेककन अब बबडम्बना यह कक उलाहना तो ममल गया था और मंै आसमान से धरती पर आ चगरा था । यह मरे े मलए वाननगां थी कक भपवटय में टास्क से बचने के नए उपाय सजृ जत करने प़िंेगे। पवडम्बना यही कक जब मलखाई मंे कलम ढीली हो तो बहाने ज्यादा मजबतू होने चादहए । इस बार तो पोल खलु गई सोचा आप के साथ साझा कर दँ ू पर आप नीलम जी को मत बताइएगा । 113. पापा - पप्रयकं ा श्रीवास्तव यह मसफश एक र्ब्द नहीं है , एक सबं ोधन भी नहीं है , मसफश एक ररश्ता भी नहीं है , और न ही मसफश एक भावना है । यह तो इन सबसे इतर है ,आगे है । यह एक ठं डी छाया है , एक घना बादल है , स्पंदन अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

सरू ज का तजे है , P a g e | 106 और दीवार की एक ओट है । जुलाई 2023 यह जब चाहे आपको अपने में समादहत कर ले , जब चाहे आपको आगे बढने के मलए धके ल दे , जब चाहे आपको आसमां तक पहुंचा दे , जब चाहे आपके दखु ों को अपना बना ले । यह वह स्तम्भ है जो हमें सहारा देता है , खदु झकु ने के बाद भी हमको सीधा ख़िा करता है , इनके होने का महत्व हमंे बहुत बाद मंे समझ आता है , पर इनका न होना ,हमारे अजस्तत्व को अधरू ा कर देता है । 114. पपता – रचना दीक्षित जो कभी बरगद का प़े ि हुआ करते थे जजसके अदं र प्राणवायु के कारखाने हुआ करते थे जजसकी छांव में अनचगनत सपने पला करते थे जजसके नीचे बैठ मसद्धाथश गौतम हुआ करते थे जजसकी गोद की सुकू न ठं डक मंे सब सासं मलया करते थे जजसकी मजबतू गहरी ज़ि दहलाने को तफू ान ल़िा करते थे जजसको छू ने से सुहाग के आर्ीष ममला करते थे जो कभी संस्कारों के अिय वट हुआ करते थे स्पदं न अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 107 वो आज अपनी ही एक टहनी हुए बैठे हंै 115. अपव ओबरे ॉय कहो तोह आज कफर एक नयी बात मलख!ँू ! मलख देती हंै कलम मसयाह के मुकद्दर, कहो तोह आज कफर खखज़ा की जात मलख,ूँ मचल उठता हैं समदं र बाररर्ों में अक्सर, कहो तोह लहरों की नतश्नगी के हालत मलख.ूँ .! कहाँ ठहरा हंै र्हर तेरे रूठ जाने के बाद, कहो तोह कफर वक़्त के हर एक लम्हात मलख,ूँ चाहत, इब्बादत, हसरत, मोहब्बत सब तुमस,े कहो तोह कफर तुम्हंे ही कायनात मलख.ँू !! मलखती मंै भी अपने अफसानो को जज़्बात, ख्वाईर् थी की हर लफ्ज़ तरे े साथ मलख.ँू . !! 116. राजश्री न जाने ककतने दखु के बादलों, अनचगनत चाँद तारों स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

का बोझ सहता , P a g e | 108 सुख के रंगीन जलु ाई 2023 इंद्रधनुषों के रंगों को समंेटता , गभं ीर, पवर्ाल अपवचल, पवस्ततृ एक रूप नील नीलातं धरा को हर िण ननहारता , हर एक तूफां से ननपटने का साहस मसखाता, बखे ौफ जीवन जीना समझाता, छर छाया सा पपतृ साया सा ख़िा आकार् II 117. पपतृ ददवस – नीलम पाठक बहुत खरु ्नसीब हंै वो स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

जो पपता का साथ पाते हैं P a g e | 109 हमने तो पूरा जीवन बबन पापा के गुजारा है। जलु ाई 2023 मेरी आखों में अब तक आपकी तस्वीर छपी है बचपन में ममला प्यार थो़िा याद बसी है। जजन्दगी ककतनी भी खरु ्हाल रही है कमी आपकी तो हर समय बरकरार रही है। बचपन में ममला प्यार वह ददश बना है जीवन भी पवना बाप के कजश बना है , वाप का था फजश ,मां ने ननभाया था सारी कमी दरू कर, सीने से लगाया था अब मां भी नहीं है साथ,न साया है बाप का बैठी अनाथ बनके ,याद कर रही हूं आज, कक पपतृ ददवस की र्भु कामनाएँ, बांटू मंै ककसके साथ। 118. दीजप्त मसन्हा पापा के मलए क्या मलखए उनकी ही मलखावट है हम स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 110 जजदं गी जीना उसने हमंे मसखाया उनकी हर खामसयत से वाककफ है हम मेहनत की कीमत हमंे श्रम के कीमत मसखाए मौसम का उसने छाता बनकर ऊपर ख़िे सदी धपू बाररर् से हमको बचाए भगवान क्या है ये हमें तबी समझ मंे आया उनके आर्ीवादश से आज मसु ्कु रा रहे हंै रहे हंै हम। हैप्पी फादसश डे हम आपको ममस करते हंै पापा. 119. पकं ज र्माश मरे ी आँखों मंे आपकी यादों की नमी है, जजदं गी चाहे ककतनी भी अच्छी हो मेरी लेककन पापा इसमें आपकी ही कमी है ! स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 111 आपके बबना मैं अधरू ा होता हूँ, पापा आपको खोकर यह जान मलया, कक आपके होने से ही मैं परू ा होता हूँ ! 120. पकं ज र्माश भारत ऐसा देर् है जहाँ कु छ पररभाषाएं भावनाओं से बन जाती हैं। जसै े प्यार की पररभाषा, भावनाओं की पररभाषा, ररश्तों की पररभाषा आदद। पपता जो हमारी जजंदगी में वो महान र्ख्स है जो हमारे सपनों को परू ा करने के मलए अपनी सपनो की धरती बजं र ही छो़ि देता है। पपता एक उम्मीद है, एक आस है पररवार की दहम्मत और पवश्वास है, बाहर से सख्त अदं र से नमश है उसके ददल में दफन कई ममश हंै। पपता संघषश की आंचधयों मंे हौसलों की दीवार है परेर्ाननयों से ल़िने को दो धारी तलवार है, बचपन मंे खरु ् करने वाला खखलौना है नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बबछौना है। स्पंदन अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 112 पपता जजम्मेवाररयों से लदी गा़िी का सारथी है सबको बराबर का हक ददलाता यही एक महारथी है 121. बने काब जजंदगी - ननरंजन ना जाने ककतने नकाब सजाते है वो, खदु को खलु ी ककताब बताते हंै जो। झुठ का पुमलदं ा साथ मलए चलते हंै,साज सच का गाते है जो। सब नही होते इसमें पेर्वे र फरेबी, बदनसीब हैं कु छ,अपना ददश छु पाते हंै जो। मरे ी तल्खी जमाने से नहीं, खदु से हंै। बदल जाता हूं, जब अपना जख्म ददखाते हंै वो। अब डू बा दो श्याही,र्राब में दोनो ही मरे ा गम भलु ाते है जो। पमै ाने मंे इतनी गहराई है तो कफर भर, गम का वाकया तझु े सनु ाते है जो। वरना मौत से ज्यादा क्या सच हंै, बेवजह ही जजंदगी को हसीन बनाते हैं जो। स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 113 122. पवकास के र्रवानी बहुत र्ब्द है पर पपता के मलए कोई र्ब्द नहीं बहुत कु छ मलखने को है पर इसके बारे में मलखना हमेर्ा कम ही लगता है स्वयं सूयश की तरह तपता है हर ददश वह सहता है सबु ह या र्ाम या कोई भी हो रात इन सब से परे है आखं ो मंे अजीब सी चमक आ जाती है जब भी पपता जी की याद आती है उनके मार में भी पूरे जजदं गी का सार था सामने तो कभी अपनत्व तो बया तो नही की पर उनका त्याग स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 114 सभी के प्यार करने से परे है। सत्य तो क़िवा होता है 123. दीपमर्खा आज सभी पपतृ ददवस पर अपने–अपने पपताजी के मलए कु छ ना कु छ र्ब्द रूपी गद्य या पद्य मलख रहे हंै। मनंै े भी सोचा कु छ मलखंू पर क्या मलखूं कु छ समझ ही नहीं आया, कफर सोचा जो सत्य है वही मलखकर समपपतश क्यों ना कर दंू अपने पपताजी को। मेरे डडै ी जी एक कोमल हृदय वाले क्लास 1 पमु लस अचधकारी थे, जजनके जीने का जज़्बा ही अलग था... मरे े पनत पीसीएस की एक सरकारी नौकरी पर चयननत राजपबरत अचधकारी थे गजेटेड ऑकफसर पोस्ट थी इसमलए मेरे डैडी जी को कु छ जरा ज्यादा ही जल्दी थी, अच्छा ल़िका है और अपनी जान पहचान में भी है सोचते हुए मेरे मम्मी जी डडै ी जी ने उन्हें मरे े मलए चनु मलया। अभी मैं 20 बरस की परू ी भी नहीं हुई थी और मेरी अगं ूठी पहनाने वाली रस्म अदा भी कर दी गई। कारण था डडै ी जी की धीरे-धीरे बबग़िती तबबयत। जबकक मरे े डडै ी जी स्वतरं पवचारों वाले थे, उन्होंने हमंे कु छ भी करने के मलए पूरी छू ट दे रखी थी, खले कू द प्रनतयोचगता में मैं नेर्नल खले ने गई हूं एनसीसी मंे स्वतंरता ददवस ददल्ली 26 जनवरी की परेड मंे भी मैं र्ाममल हुई हूं मेरे पास ढेर सारे सदटशकफके ट और ट्रॉफीज हंै..क्योंकक हमंे स्वतंर जीवन जीने को ममला था उसमंे बस हमारे डडै ी की एक ही र्तश थी पढाईं और मसफश पढाई उसमें नहीं ममलेगी कोई दढलाई.. उनका कहना था पढाई मंे जो अव्वल दजे पर आएगा उसकी ज्यादातर इच्छाएं परू ी की जाएगं ी। और मैं पगली बस मुझे ममनी स्कटश और जींस पहनी थी.. बताने में भी हंसी आ रही है.. मनपसदं कप़िे पहनने और सजने सवरने का र्ौक मझु े बचपन से ही रहा है, मंै पढाई इसमलए ककया करती थी और पढाई मंे अव्वल इसमलए आया करती थी क्योंकक मुझे अपनी पसदं से रहना था। स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 115 खरै .. अब आगे सनु नए मरे े डडै ी जी बबदं ास तो थे ही जब डडै ी जी मम्मी जी ने मझु से मेरी र्ादी की बात की तो मंै उनसे बोली.. नहीं नहीं मझु े नहीं करनी अभी र्ादी-वादी जब मेरा एडममर्न स्पोट्शस स्कू ल मंे हो चकु ा है, मैं अब वहां जाऊं गी आगे पढने र्ादी र्ादी-वादी नहीं करनी मुझ।े डडै ी जी ने मुस्कु राकर कहा हम कहां पढने से रोक रहे हैं पढो खबू पढो जो बनना है बनो, बस इतना अच्छा ल़िका रोज-रोज नहीं ममलता, अच्छी खासी क्लास वन सरकारी नौकरी है इतने अच्छे घर वाला ल़िका है ऐसा ल़िका ब़िी मजु श्कल से ममलता है, बस र्गनु का रुपया रखकर रोक देते हैं, र्ादी तो कु छ समय बाद मंे भी हो जाएगी। और मैं यह सोचकर मान गई अभी कौन सी र्ादी हो रही है, डडै ी जी की बात मान लेते हंै और मनंै े डडै ी जी की बात मान ली। कु छ वक्त बीता ही था के डडै ी जी को न्यूरोलॉजजकल प्रॉब्लम हो गई.. धीरे-धीरे यह बीमारी जोर पक़िने लगी डडै ी जी के हाथों की पक़ि कमजोर होती जा रही थी,उन्हंे गा़िी चलाने में भी ददक्कत आने लगी उनके हाथों की पक़ि लगातार कमजोर होती जा रही थी..ददल के मरीज तो वह पहले से ही थ.े . उन्हंे तीन ददल के दौरे पहले ही पढ चकु े थे। समस्या बढ रही थी इसमलए मम्मी जी उन्हंे लेकर हमारे फै ममली डॉक्टर डॉक्टर पाठक के यहां चली गई, वहां डडै ी जी को नमसगंा होम मंे एडममट कर मलया गया, 2 ददन वहां रह कर डडै ी जी ठीक भी हो गए.. मंै डडै ी से ममलने नमसगां होम गई.. डडै ी जी स्वस्थ ददख रहे थे मैं जाते ही डडै ी से बोली मंै आपसे कु ट्टा हूं आपसे बात कर नहीं करूं गी.. और रूठ कर मंहु फु ला कर बैठ गई कारण घर में छोटी थी तो सभी की लाडली थी..लाडली ही नहीं मसफश चढी लाडली कहना चादहए। डडै ी जी मम्मी जी को देखकर हल्के से मसु ्कु राते हुए बोले देखो उसकी नौटंकी र्ुरू हो गई,और मुझसे कहने लगे अरे घबरा मत गडु ़िया मंै और तमु ्हारी मम्मी मरे े यहां से डडस्चाजश होते ही तुमको खदु वहां लेकर चलंेगे और तमु ्हारा हॉस्टल देखकर यदद सही लगा तो खदु तुम्हें वहां मर्फ्ट करके ही आएगं े। स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 116 मनंै े कहा डडै ी जी आप मेरे साथ जाने की जगह बीमार हो गए क्यों हुए बीमार.. मंै उस वक्त र्ायद प्यार में बबग़िे बच्चे की तरह बोल रही थी जो कक मुझे आज समझ आ रहा है.. पर मैं उस वक्त खरु ् होकर खरु ् मन से घर चली आई। कफर पता चला डडै ी की तबीयत अगले ददन अचानक कफर से बबग़ि गई थी इसमलए उन्हें ददल्ली ले जा रहे हैं कु छ चके अप करवान।े भगवान का आर्ीवादश डडै ी वहां जाकर काफी ठीक हो गए थे, मैं डडै ी से ममलने कफर ददल्ली अस्पताल पहुंची–डडै ी जी के चहे रे पर चचतं ाएं ददखाई प़ि रही थी और वह पहले से भी ज्यादा कमजोर लग रहे थे–डडै ी ने मुझे प्यार से गले लगाया और बोले चचतं ा मत करो गुड़िया रोते नहीं आ रहा हूं ना जल्दी घर स्वस्थ होकर सारे चके अप हो गए हैं अब मैं जल्दी ठीक हो जाऊं गा। मझु े डडै ी को देखकर बहुत जोर से रोना आया और मंै मम्मी जी से मलपट कर फफक–फफक कर रो प़िी उनसे रोते-रोते बोली ना तो मुझे कहीं बाहर पढने जाना ना मझु े ककसी से र्ादी करनी मुझे नहीं अच्छा लगता आप बीमार हो गए बस आप ठीक हो जाइए घर चमलए बस अब आप घर चमलए..मझु े नहीं कु छ चादहए डडै ी मझु े नहीं जाना कही!ं (और अभी भी यह मलखते–मलखते मैं बस रो रही हूं पता नहीं आखं ों मंे इतना पानी और डडै ी जी को याद करके ददल मंे इतनी टीम कहां से आ गई) डडै ी मुझे रोता देख बोले चपु रोते नहीं बटे ा पहले हॉस्टल जाएगी स्पोट्शस ऑकफसर की पढाई पूरी करेगी कफर उसके बाद में मैं नरेर् जी से तुम्हारी र्ादी करूं गा.. मनंै े भी तपाक से बोला कहां डडै ी जी आप मेरा बदु ्धू बना रहे है ना मनैं े नहीं करनी अभी र्ादी-वादी.. मनंै े देखा डडै ी के चहे रे के भाव कु छ बदल रहे थे डैडी जी मुझसे बोले पहले मरे ी बात ध्यान से सनु ो.. \"चाहे मंै ममट्टी का बना प़िा रहूं पर तुम्हारी र्ादी की बबना तो मैं कहीं नहीं जाऊं गा प्रॉममस\" उस वक्त इतनी अक्ल नहीं थी कक डडै ी जी ने मुझसे यह बात क्यों कही र्ायद उन्हंे कु छ आभास हो गया था जो कक मंै बाद मंे समझ पाई। मैं रास्ते भर रोती बबखरती घर वापस आ गई और मम्मी जी का डडै ी सदहत घर वापस आने का इंतजार करती रही! परंतु स्पंदन अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 117 डडै ी जी उसके बाद घर तो वापस आए हैं मगर..इस हालत में ना वह बोल पा रहे थे ना वह ख़िे हो पा रहे थे मंै उन्हंे स्ट्रचर पर घर आते देखकर बेहोर् होकर चगर प़िी मुझे कु छ समझ नहीं आया यह क्या हुआ और क्या हो रहा है। परू े 1 साल तक डडै ी जी बीमार और ऑन बेड रहे.. मंै भी कॉलेज जाने लगी थी.. एक एक कर कर ददन गजु रते जा रहे थे बस इसी इंतजार मंे के 1 ददन डडै ी ठीक हो जाएगं े और सब कु छ पहले जैसा हो जाएगा। क्योंकक इनका पररवार और हमारा पररवार एक दसू रे को जानता था और हमारा ररश्ता भी हो चकु ा था इसमलए हम दोनों ममलते जलु ते रहे.. इधर डडै ी की इच्छा र्जक्त इतनी बलवान थी कक 1 साल तक हो ऑन बैड रहे कोमा में रहे.. उनके खाने-पीने और हर काम के मलए उनके र्रीर के हर दहस्से में नमलयां लग चकु ी थी.. परंतु डडै ी अपने ककए वादे पर अडडग रहे उनकी इच्छार्जक्त उन्हंे सांसे लेने को मजबूर करती रही और वह सांसे भरते रहे। मम्मी जी और सभी ररश्तेदारों ने ममलकर फै सला ककया कक अब कहां तक रुकंे गे गुड़िया का ब्याह रचा देते हंै मंै ब्याही गई.. हमारे यहां एक पटरा फे र की रसम होती है जजसमंे ल़िकी लौटकर कु छ ददन बाद ही अपने पीहर आती है..मैं भी अपने पीहर आई और डडै ी जी के पास बैठकर उनका हाथ पक़िकर..अपने ससुराल वालों के बारे मंे सब कु छ बताया कक वह लोग ककतने अच्छे हंै और मुझे ककतना प्यार करते हंै र्ायद मेरे डडै ी इसी आस में थे कक मंै लौट कर आऊं और उन्हें बताऊं कक जो उन्होंने मेरे मलए जो जीवन साथी चनु ा था वह और उनका पररवार कै सा है.. मैं उन्हें ससुराल पहुंचने पर क्या-क्या हुआ क्रम से सब कु छ बताती जा रही थी.. मुझे लगता था डडै ी सब कु छ सुनते थे! जब हम से बातंे करते थे तो वह कु छ अजीब सी जोर- जोर से आवाजें ननकालते थे जैसे कक वह हमसे कु छ कहना चाहते हंै क्योंकक उनके मुहं के अदं र नली लगी थी इसमलए वह कु छ बोल नहीं पाते थे.. पर क्या कहना चाह रहे हंै यह हम समझ नहीं पाते थे परंतु जजस प्रकार वह करते थे लगता था वह सब कु छ सनु ते हंै इसमलए हम सभी उनसे लगातार बातें करते रहते थ.े . मुझे भी ऐसा लग रहा था जसै े कक वह कह रहे हो देखो मनैं े कहा था ना ल़िका हीरा है तुम्हें सठे ानी बनाकर रखगे ा! स्पंदन अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 118 बीच में बताती चलती हूं.. मंै बचपन मंे लाड प्यार मंे पली हूं तो मंै बहुत कामचोर ल़िकी थी कोई काम ही नहीं करती थी बस पढना और फै र्न भरना गाने सनु ना सहेमलयों से खेलना यही ककया है मनैं े बस र्ादी से पहले.. डडै ी जी अक्सर मम्मी जी से बोलते थे \"राज इसके मलए कोई नौकर चाकर वाला घर ही ढूंढना प़िगे ा जहां यह सेठानी की तरह रह सके \" ना जाने ककतनी बातंे याद आ रही है सभी तो मलख नहीं सकती परंतु डडै ी का.. इच्छार्जक्त पर जीपवत रहना मरे े मलए उनका प्यार ही था र्ायद घर का पपता जो हमारे घर की नींव होते है वही यह कर सकते हंै! लगता है जैसे घर की जजम्मेदाररयां परू ी करने के मलए ईश्वर से सासं े उधार मांगी थी नमन है ऐसे पपता के हौसले को.. जो इतने कटट सहकर भी तब तक जीपवत रहे जब तक कक वह संतुटट ना हो गए। आज भी मंै जानती हूं मरे े डडै ी जी सह स:र्रीर तो नहीं परंतु अपने आर्ीवाशद के रूप मंे हमारे साथ हमरे ्ा रहते हैं जसै े कह रहे हो मंै ना कहता था..मेरी गुड़िया सखु ी रहेगी.. हां सही मंे मैं आज एक सुखी ववै ादहक जीवन जी रही हूं अपने माता पपता की बदौलत। 124. पंकज र्माश अगर ररश्ते है तो कफर र्क कै सा, अगर नहीं है तो कफर हक कै सा। ररश्ते हमारे जीवन में महत्वपणू श भूममका अदा करते हैं, आपने बहुत लोगों के मँुह से सनु ा होगा \" घर की नीव जजतनी मजबूत हो घर भी उतना ही मजबूत होता है, जजसे ककसी भी प्रकार का आंधी - तफू ान दहला नहीं सकता है \" । इसी प्रकार हमारे जीवन में ररश्ते वो नीवं होते हंै जजस पर स्पंदन अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 119 जीवन रुपी छत दटकी हुई होती है। यह नीवं जजतनी मजबूत होगी आपका ररश्ता भी उतना ही खमु र्यां और आनन्द से भरा हुआ होगा। अब प्रश्न यह उठता है क्या................ \" ककसी भी ररश्ते में र्क होने पर, उस ररश्ते का दटक पाना ककतना सम्भव है \" ? इस प्रश्न का अत्यतं सरल ककन्तु कटु उत्तर है \" असभं व है ! दटक भी गया तो ररश्ता बबे नु नयादी और खोखला ही रहेगा। इस पवषय में हमारा व्यजक्तगत मत है \" ऐसे ररश्तों को ढोना उचचत नहीं है \" , हम यहाँ पर सादहर जी की कु छ पजं क्तयों को उद्धतृ करना चाहंेगे..................... तारुश फ रोग हो जाये तो उसको भलू ना बहे तर ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तो़िना अच्छा वो अफसाना जजसे अजं ाम तक लाना ना हो मुमककन उसे एक खबू सरू त मो़ि देकर छो़िना अच्छा 125. पकं ज र्माश कु छ बाते हंै...... जजन्हें मंै कह नही पाया था तमु से, लेककन मेरी नजरों ने बयां कर ददया था, तमु ्हारी नजरों से ! नही आ पाया मुझे \"म\"ैं से \"तुम\" हो जाना, पर क्या आया तमु ्हें, मझु े यूं ही अपना लेना,, बहुत देखी है जजल्लते जजंदगानी मंे, बबन ठे स पहुंचाए बात करने वाले ममलते कहां है,, जाने ककतनी ही रातंे गजु री है आखं ों में, स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 120 ददश से भरी आंखों को यहां पढता कौन है ,, कह देना की बहुत प्यार है तुमसे , मगर बाद मंे र्ब्दों को तौलता कौन है ,, र्लू सी चभु जाती है कु छ बातंे, पर वो अपना ... इसे मानता कहां है,, कफर से खो न जाए सच्चे मोती सी चमक , ये सोच अब उनमें बाकी कहां है ,, जाना तो नही चादहए यूं तो़ि कर ररश्ता, पर मतलबी दनु नया में कोई अपना कहां है,, गलतफहममयों के समन्दर मंे, इस कदर है दखु ता ददल 'कमळ' कक डू ब जाने से बचता कहां है, 126. नीलम पाठक बचना ककसे है जो डू बने की परवाह करता है। दररया की चाहत नही उसे जो आखों के समन्दर मंे डू बने की चाह रखता है स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 121 127. समीिा र्खे र हम थे वही हम है वही, ग़र तमु नहीं तो कु छ नहीं! एक पल की आरज़ू,और सददयों की दास्ताँ, तरे े बबन कोई आसमाँ नहीं और मैं नहीं।। 128. दीजप्त मसन्हा हम को एहसास सा होता है ककसी के ना होने की कमी का नज़र तलार्ी है वजदू उसकी मौजूदागी का बेचानी सी है कहाँ है कह नहीं सकती उसका इस हाल ददल का ऐ हवा मंे उ़िती चचड़ियों ऐ बाग में खखली कमलयों पहुंचा दो हाल मेरे गम का स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 122 अगर वह यहां नहीं है तो कोई कारण हो अब कै से जानगे ा. ददश वो गम जजंदगी का. 129. अपव ओबरे ॉय आहों की कहानी है अश्कों का फसाना है हस्ती जो हमारी है क्या उस का दठकाना है तमु झटू की नगरी मंे रहते हो ज़माने से बरसों मंे कहीं जा कर हम ने तमु ्हे जाना है उतरा है कोई पछं ी कफर ददल की मडंु रे ों पर कफर याद मुझे आया इक गीत परु ाना है..!! 130. नीलम पाठक हसरतों से आपके ददल मंे आये थे, रखोगे तुम संभाल कर स्पंदन अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 123 एक अरमान लाये थे तो़िा है ददल र्ीर्े की तरह कतरे बीनने मंे बरसों लग जायेंगंे। 131. नीलम पाठक हंसी एक कला है मदमस्त हो के हंमसये न ममले बहाने तो आइने मंे खदु को बन्दर समझ के हंमसये। हंसते रहंे काव्य का आन्नद लेते रहे पूरे ददन उलझे रहे।एक घण्टे मलखे एक घण्टे पढे। स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 124 132. राजश्री 133. अपव ओबेरॉय हे चाँदनी थी कक, ग़ज़ल थी...कक, सबा था, क्या था ? मंै ने इक बार, नतरा नाम सनु ा था, क्या था ? घर मंे तू भी तो नही,ं जो कोई बरतन टू टे ये जो कमरे मंे अभी, र्ोर हुआ था, क्या था ? अब के बबछ़िे हैं तो, लगता है कक, कु छ टू ट गया मरे ा ददल था कक, नतरा अहद-ए-वफा था, क्या था ? स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 125 ख़दु -कु र्ी कर के भी, बबस्तर से उठा हूँ जज़ंदा मंै ने कल रात को, जो ज़हर पपया था, क्या था ? जज़द नहीं है कक इसे तू भी, तअल्लुक समझे वो जो इक ददन मुझ,े दीवाना कहा था, क्या था ? तुम तो कहते थ,े ख़दु ा तुम से, ख़फा है... डू बते वक़्त वो जो, इक हाथ बढा था, क्या था ? 134. रचना दीक्षित हमारे र्हर की बुजगु श जजरश खस्ताहाल इमारतें कं पकं पाती हुईं झकु ी हुईं कफर भी ख़िी हैं दम साधे डर के साये में कक कहीं आ न जाए कोई तजे हवा का झोंका और ढह जाएँ वो और उनका इनतहास स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 126 नहीं… मरने से नहीं डरतीं वो डरतीं हंै इनतहास बनने से 135. अपव ओबरे ॉय रात के बाद नये ददन की सेहर आएगी, ददन नहीं बदलेगा ताररक बादल जाएगी.. ! हसते - हसते कभी थक जाओ, तोह छु प के रो लो.. ! यह हसीं भीग की, कु छ और चमक जाएगी !! जगमगाती हुई स़िको पे अके ले ना कफरो, र्ाम आएगी ककसी मो़ि पे दस जाएगी.. !! और कु छ देर यु ही मसयासत मज़हब, और थक जाओ, अभी नीदं कहा आएगी..!! मेरी ग़रु बत को र्राफत का अभी नाम ना दे, वक़्त बदला तोह तेरी राय बादल जाएगी !! वक़्त नददयों को उछाले, की उ़िाये पवतश , उम्र का काम गुज़ारना है गजु ़र जायेगी !! स्पदं न अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 127 136. अपव ओबरे ॉय रात के अधँ ेरे में र्क्ल साफ नज़र आती है.. तन्हाई में मुझसे ममलने एक पगली सी ल़िकी आती है... अपना नाम वोह बेनाम बताती है.. और कफर मेरे साथ बठै कर घटं ो बतयाती है.., ककसने कै सा मुखौटा पहना है वोह मुझे सब बताती है.. कहती है ददन भर हस्ते - हस्ते थक जाती है.. यह जो ल़िकी सबसे खखलखखलाकर ममलती है., वोह मुस्कु राने के मलए भी तरस जाती है..! बहुत बात करती है.. बहुत बात करती है..! कफर भी बात नहीं कर पाती है..! भी़ि मंे रहती है और मले े को तरस जाती है.. अपने सपनो को बचे कर अपनों की खमु र्याँ खरीद कर लाती है.. यह ल़िकी अपनों के मलए अपने को भूल जाती है..! ये क्या, यह क्या हर ल़िकी कही ना कही कु छ ना कु छ छो़ि थी जाती है.. कभी पापा के ईमान के मलए.. कभी माँ के सम्मान के मलए, कभी भाई के प्यार के मलए., कभी पनत के नाम के मलए.., ये ल़िकी घर की चार दीवारों मंे कै द हो कर रह जाती है.. कहते है पापा की बबदटया आज़ाद है पर सात बजे वोह घर आ जाती है..! वोह पनत..बताता है वोह कमाती है.. स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 128 पर बाहर जाने से पहले पछू कर जाती है.. पररवार कहता है.. बात हमारे यहाँ ल़िककया भी करती है.. पर जब बात करने की बात आती है.. तोह यह ल़िकी चाय परोसती नज़र आती है..! यह कै सी आज़ादी दे दी है तमु न.े . की आज़ाद होने पर भी ल़िककया सोच मंे कै द हो जाती है..!! ये ल़िकी चार दीवारों मंे घूठ के मर जाती है..! यह ऐसी ल़िककया ख्याल बहुत रखती है.. पर ख्याल रखते रखत.े .. खदु बीमारी का मर्खार हो जाती है..!! यह ल़िककयां जज़न्दगी जीना भूल जाती है..! 137. पप्रयंका श्रीवास्तव सन्नाटे की आहट को सुनने के मलए भी, सन्नाटा ही चादहए । बाहर के कोलाहल से बचने , के मलए भी सन्नाटा ही चादहए।। अपने अदं र झाकं ने के मलयेभी, सन्नाटा ही चादहए। एक दसू रे को समझने के मलए भी, सन्नाटा चादहए।। स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

138. नीलम पाठक P a g e | 129 सांसे थमी सुबह से जलु ाई 2023 कलम पक़िे पक़िे मोबाइल की र्रारत हर र्य को जक़िे जक़िे हर घ़िी बटन दबाती करती हूं मंुह ददखाई न जाने कौन सी पोस्ट कर दे वेबफाई इस पर भी 'सर' का कहना अब सभं ालो कलम अपनी रखी हो तो उठाए अब इससे ज्यादा क्या समझाये। 139. दीपमर्खा सदंु र ककतना रूप धरा का नीला अबं र आचं ल इसका ! मनमोहक है रूप धरा का जीवनदानयनी मा ये सबकी!! स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

इसका तमु ना करो नतरस्कार P a g e | 130 मत पहा़ि चगराओ, नददयों का ना रुख घमु ाओ! जलु ाई 2023 क्यूं उजा़िते जंगल ईतन,े क्यूं खोदते मां का सीना!! चते ाती तुमको हर बार.. चक्रवात तूफान है लाती उठा-उठा समदु ्री तफू ान! पहा़ि चगराती कं पन कर जाती! थर-थर कापं ती धरती यही जताती! जीवनदानयनी मा हूं तेरी !! इन सब से बनके अनजान.. जानबझू कर पथभ्रटट हुए तुम! आखं मंदू कर बन अनजान.. पवनार् कौ क्यों बढे जा रहे!! अब तो जागो आखं ें खोलो.. करो प्रकृ नत का सम्मान! विृ लगाओ विृ बचाओ.. वसुंधरा को कफर से महकाओं ! ! कमों में कु छ करो सुधार.. विृ आभषू ण इन्हें पहनाओ.. हररयाली से करो श्रगं ार! ! हर घर गूंजे अब ये नारा.. विृ लगाओ विृ बचाओ.. स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 131 पुटप विृ से करो श्रगं ार.. मा वसधंु रा को दो सम्मान.. सुंदर ककतना रूप धरा का नीला अबं र आचं ल जजसका !! 140. अपव ओबरे ॉय पतझ़ि की चादर बबछी र्ाम सुहानी लगती है सूखे पत्तों की महक से भीनी खरु ्बू महकती है। सूखे पत्तों की आवाजें सरु मई र्ोर मचाती है पदचापों के मौन नुपरु कण-कण में सुनाती है। कु दरत की कारीगरी से मन को सुकू न ममलता है बुझी जजदं गी को जैसे नया जुनून ममलता है स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

141. राजश्री P a g e | 132 ये तरे ी र्रारत भरी जुलाई 2023 नजरों का अदं ाज़ जुल्म ढाता है सरेआम कत्ल करने वाला औजार नजर आता है पर बखे ौफ हूँ सजाये मौत की सजा पाने को गनु ाहगार तुमको साबबत नहीीँ होने दंगू ा 142. रचना दीक्षित यादों के अहाते मंे उज़िने बसने के कई ककस्से हैं अवसाद की कहीं खाई, कहीं खमु र्यों के टीले हैं चगरती हुईं दीवारें, कहीं छत से झ़िते पलस्तर हंै स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 133 ममश्री सी मीठी बातंे कहीं स्वर ककश र् और कं टीले हंै उम्मीद के दरख्तों से झलू ती खरु ्ामद की लताएँ हैं कहीं मायसू ी के झा़िों पे मरु झाये फू ल पीले हैं यादों के अहाते मंे उज़िने बसने के कई ककस्से हैं 143. अपव ओबरे ॉय साया बनकर साथ चलेंगे इसके भरोसे मत रहना अपने हमरे ्ा अपने रहेंगे इसके भरोसे मत रहना सावन का महीना आते ही बादल तो छा जाएगँ े हर हाल में लेककन बरसंगे े इसके भरोसे मत रहना सूरज की माननदं सफर पे रोज़ ननकलना प़िता है बठै े -बठै े ददन बदलेंगे इसके भरोसे मत रहना बहती नदी में कच्चे घ़िे हंै ररश्ते नाते ,हुस्न-वफा दरू तलक ये बहते रहंेगे इसके भरोसे मत रहना । स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

144. समीिा र्खे र P a g e | 134 ग़रु ूर का उसके हमने अजीब इलाज ननकाला है। जलु ाई 2023 पहले तो नज़र ममलाई, कफर नज़र अन्दाज़ कर डाला है। 145. डा मनोरमा मसहं यादें रहंेगीं उनकी तब तक, सासँ े रहेंगी,मुझमें जब तक, वो हर बात याद रहेगी, वो हर गुजारा हुआ पल याद रहेगा, अब तो यादों ने जगह ले ली है आपकी, हमरे ्ा साथ रहतीं हंै वो जैसे साया आपका साथ रहता हो जैसे!! 146. नीलम पाठक गीतों को स्वर दो, जल को लहर दो, सोते ददलों को जगा दो। फू लों सा हंसना, स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 135 र्ूलों सा ल़िना जीवन डगर को सभं ालो। गीतों..... चन्दा सा चमकंू सरू ज सा दमकंू नददयां सा बहना मसखा दो गीतों... पवतश सा जस्थर , धरती सा सहना , पिी सा उ़िना मसखा दो। गीतों..... जल सा उज्जवल, दहम सा पपघलना , भँवर से ननकलना मसखा दो। गीतों... झीलों ककनारों ननश्चल न बठै ो, प्रणय गीतों को तुम सनु ा दो। गीतों को स्वर....... स्पदं न अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

147. पप्रयंका श्रीवास्तव P a g e | 136 गीली ममट्टी की तरह, जलु ाई 2023 होते हंै ये ररश्त।े ककतने भी ध्यान से संभालो, कफर भी बबग़ि ही जाते हंै।। 148. राजश्री ररश्तों की फटी चादरों मंे, हुए टु क़िों टु क़िों में मसलाई करके प्यार के पैबंद लगा ने का हुनर सीखा है 149. अपव ओबरे ॉय गहरे नीले आसमानों से ऊं ची कोई परवाज़ नहीं होती, ज़बु ां होती है मगर सबके पास आवाज़ नहीं होती, हर एक ज़ख्म ने दी है मझु को नसीहत कोई, जज़न्दगी से बढकर तो कोई ककताब नहीं होती, स्पदं न अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 137 रूह तलक झलु स जाते हंै लोग ररश्तों की तपपर् से, ककसी र्रीर में तो इतनी ताब नहीं होती . 150. अपव ओबरे ॉय गहरे नीले आसमानों से ऊं ची कोई परवाज़ नहीं होती, ज़ुबां होती है मगर सबके पास आवाज़ नहीं होती, हर एक ज़ख्म ने दी है मुझको नसीहत कोई, जज़न्दगी से बढकर तो कोई ककताब नहीं होती, रूह तलक झलु स जाते हंै लोग ररश्तों की तपीर् से, ककसी र्रर मंे तो इतनी ताब नहीं होती 151. राजश्री उन ररश्तों के पैबदं की गाठँ ों को हम पवश्वास की कारीगरी के कसीदों से सजा देंगे कफर उन फू लों से सजी चादरों को सीने से मलपटा लेंगें स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code

P a g e | 138 152. सधु ा टेरी 153. पंकज र्माश कोई मुसाकफर न कोई महमां आया होगा मेरा दरवाज़ा तो हवाओं ने दहलाया होगा ददल-ए-नादाँ न ध़िक ऐ ददल-ए-नादाँ न ध़िक स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code


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