ना ददखा P a g e | 39 तांडव मझु ,े जलु ाई 2023 मंै नहीं अवला समझ ले, तू समझ दगु ाश मझु ,े हे मानव मत बाधं मझु े तू कु प्रथाओ की क़िी जजं ीरों से।। 49. पकं ज र्माश चौखटंे लांघ जाते हैं वो परै , ख़्वाबों मंे अक्सर., हकीकत मंे जजनकी दनु नया, दहलीज़ तक ही है.! 50. राजश्री ये मेरे घर की चौखट से स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
ननकलते कदम, P a g e | 40 तेरे कदमों से कदम जलु ाई 2023 ममलाने को ही है, इन झनकती पायलों को बेड़ियाँ न समझ।। 51. पप्रयंका श्रीवास्तव गुलाबी नोटों की पपछली याद , अभी गई ही नहीं थी, एक बार कफर वो , यादों के पपटारे में चले गए।। नछपा नछपा कर, घर में ही पॉके टमारी करके , कु छ गलु ाबी और कु छ हरे, नोट जुटा रखे थे। सोचा था वक्त आने पर, सबको सरप्राईज दंगू ी।। पर वक्त ने मुझे ही , स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सरप्राईज दे ददया। P a g e | 41 भरे समाज मंे मरे ी चोरी , जुलाई 2023 पक़िी गई।। मेरे नछपा के रखे नोट, पूरे पररवार में सावजश ननक हो गए, जमा पंूजी तो गई , मरे ी ईमानदारी भी र्ममदंा ा हो गई।। सोचा अब बस ... अब ऐसा कफर कभी नहीं होगा। और एक बार कफर , पूरी ननटठा के साथ, बचत यानी पॉके टमारी , में लग गई।। पर एक बार कफर, ककस्मत दगा दे गई। इस बार तो दस पंद्रह ही , गलु ाबी नोट जुटा पाई थी, वे भी अब पनतदेव के हत्थे चढ गए।। अब बस... अब कान पक़ि मलया, अब नही करेंगे बचत यानन पॉके ट मारी। स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
जो है ,जजतना है ,उसे , P a g e | 42 रोज का रोज ही खचश कर दंेगे।। जलु ाई 2023 पसै े बचा के पसश मंे, नछपा के नही रखेंगे। कब कौन से नोट का , नबं र आ जाए, क्या पता.. 52. कै द - रचना दीक्षित कै द बाहों की हो कै द ननगाहों की हो कै द आहों की हो कै द गुनाहों की हो हर कोई कै द मंे होता जरूर है कै द मचलने पर हो कै द कफसलने पर हो कै द चलने पर हो कै द पपघलने पर हो हर इस कै द मंे होता सरु ूर है कै द गुलामी की जंजीर की हो स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 43 कै द व्यथा के पीर की हो कै द पैरों में मंजीर की हो कै द हरफ गीर की हो हर इस कै द में होता नासूर है 53. समीिा र्खे र स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 44 54. सधु ा टेरी मेरा मसगं ार ही जंजीर मत बना पायल ससुराल की होगी मां कहती थी भई बडे ़ियां तो ससरु ाल की होती हंै पाबंद हूं मसगं ार करने को पप्रय है मसगं ार मझु े पाबंदी न लगा साथी गला खाली है बहु का हाथ क्यों वीरान रखे हैं अरे बबनछया न पहनी मागं खाली न रखते बबदटया पसदं है च़ू िी की खनक मझु े चमकता मसदं रू मां जी में पायल की रुनझनु पर साथी मसगं ार को मसगं ार रहने दे गणवेर् ना बना स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
55. गलु ामी की जंजीर - नीलम पाठक P a g e | 45 उ़िन खटोला मंै न उ़िती जुलाई 2023 न पररयों की र्हजादी हूँ मंै भारत मां की बेटी हूँ सबको ननडर बनाती हूँ चगनते दातं र्रे के भरत अमभमन्यु से पुर जने ब़े िी तो़िी परवर्ता की नहीं गलु ामी सहती हूँ लक्ष्मी,दगु ाश मैं बन करके जीवन दांव लगाती हूँ बाधं े डोर प्यार से कोई जीवन भर सह जाती हूँ नहीं गलु ामी में मंै जीती न जीना मसखलाती हूँ घर,बाहर या चौराहा हो डर कर नहीं ननकलती हूँ बस रहती सीमा में अपनी संस्कार मंे जीती हूँ सीमा तो़िे यदद नददयां तो स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
उन पर बाधं बन जाते हैं P a g e | 46 रहे समदु ्र अपनी सीमा में आखं नहीं उठ पाती हैं जुलाई 2023 कु छ जयचदं देर् मंे रह कर स्वाथश में बबक जाते हंै हो भपवटय का ज्ञान अगर तो मां का क्यों सम्मान बबके देर् पवदेर्ों में जाकर यदद माता का गुणगान करंे नहीं ककसी में िमता इतनी भारत तुल्य बन जायें सारे पवश्व मंे भारत कफर से सोने की चचड़िया बन जाये।। 56. पंकज र्माश मंै एक रोज मलखगंू ा इस दनु नयां की सबसे हसीं कपवता। जब मैं बढू ा हो जाऊं गा तब मंै तमु ्हारे बबरह की स्पदं न अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 47 ककताब बन जाऊं गा, तुम यादों की तरह हर सफे मंे सुखा हुआ गुलाब बन जाना। जब कभी भी कोई पढेगा वो अफसाना उसकी आंखों से झरते हुए आसं ुओं में तमु भीग जाना, तुम कफर से ताज़ा गलु ाब बन जाना और मंै उसके अश्कों से कागज़ की तरह गल कर ममट्टी में बबलीन हो जाऊं गा । मैं कफर आऊं गा तमु ्हें पाने की चाहत में, कफर मलखगूं ा इस दनु नयां की सबसे हसीन कपवता। स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 48 57. दासता - मनोरमा मसहं है भगवा उन्नत गगन में, जजसके साहस से लहराता है, ऐसे वीर मर्वाजी को हर मन र्ीर् झुकाता है, र्ौयश - वीरता का पयायश बन गया, ऐसा तुम्हारा नाम है, दहन्दतु ्व जीपवत है हम सब मंे, तुम्हारा, हम पर ये उपकार है, सुनी हैं, सुनायेगं े भी, तमु ्हारी अमर कहानी को युगों युगों तक हर बच्चा गायेगा, वीरता की अममट कहानी को!! 58. पकं ज र्माश दोस्तों खामोमर्यां बेवजह नहीं होती हमारी कु छ अपनी तकलीफो को याद करते करते कु छ इन अपनों के ददए ददश को सहते सहते कभी कभी ये ख़ामोर्ी भी बोलती है हमारी कभी कभी र्ब्द भी ननर्ब्द कर देते हैं हमारे स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 49 59. राजश्री 60. पकं ज र्माश ये सन्नाटा क्यों है इतना जो अदं र पसरा है, बाहर ननकल नहीं पाता ये अदं र पसरा है। कोई गीत नज्म गजल जो कभी कहते हंै, थो़िा बढ जाता सन्नाटा जो अदं र पसरा है। बाहर ये कै सा बहरा करता हुआ सा र्ोर है, स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 50 र्ोर को न सनु पाये सन्नाटा जो अदं र पसरा है। हर र्ख्स मसफश र्ोर मंे ही मर्गूल ददखता है, अनजान अपने सन्नाटे से जो अदं र पसरा है। कभी कभी सन्नाटा भी ककतना र्ोर करता है, कोई आवाज न सनु ता ये मसफश अदं र पसरा है। 61. रचना दीक्षित स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 51 62. समीिा र्खे र 63. राजश्री गर दहलीज ही महफू ज है, तो वहर्ी, जामलमों को, कौन सजा देगा, दगु ाश महाकाली को कफर कौन झुक कर सम्मान करेगा स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 52 64. राजश्री 65. सन्नाटे - रचना दीक्षित खोल दो मन के द्वार आजाद कर दो पी़िाओं को सन्नाटों को खामोमर्यों को आखखर उन्हंे भी तो हक है मरहम लगवाने का प्यार पाने का न जाने ककसके हाथों की छु वन की राह तकती हों वो घनरे ी पी़िाएं सन्नाटे और खामोमर्यां कभी तो इन दखु ती रगों को प्यार का अचधकार दे दो स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
कौन जाने कब P a g e | 53 ककसी छु वन से उन्हंे आराम आ जाए जलु ाई 2023 66. दीजप्त मसन्हा धमू मल सा होता हुआ जाने कहां खो गया बहुत कु छ कु छ दे गया बहुत कु छ ले गया क्या मालूम वो तो अमभग्या है अभी उसे नहीं पता उसका सोलहवा सावन ककतनी अमलू ्य है पर जसै े मासमू बच्ची की तरह वो भी कु छ अलहद सी बस ना समज सी चली गई मेरा ददल उसे देख कर रोम रोम पुलककत है पर वो तो जैसी स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
कु छ समझी ही नहीं P a g e | 54 र्ायद समझना नहीं चाहती जुलाई 2023 67. मन मथं न कहाँ से लाऊँ वो मर्व अब, जो इस पवष को पीयंेगे? सागर मथं न हो रहा, कै से हम सब जीयेंगे? सरु असरु हर ओर ख़िे हंै, कै से ककस को समझाओ? मर्व सजृ टट में हर ओर व्याप्त है, जाओ सब मर्व बन जाओ। अब भी समय है,सभं ल जाओ, ममलजुल कर आगे आओ। कालाहल हर ओर व्याप्त है , हृदय हृदय मंे पवष पयाशप्त है। वासकु क को और न उकसाओ, सागर मंथन रुकवाओ। नवजीवन की सरं चना मंे, ममलकर कदम बढाओ। बंद करो ये यदु धागनन , बदं करो ये क्लेर् पवचार, र्दु ्ध करो अपनी वाणी, र्दु ्ध करो आचार पवचार। एक नए समाज की संरचना मंे, प्रेम का करो संचार, एक पवश्व, एक समाज, एक प्रेम का करो प्रचार । परु ातन से सीख कर, नूतन को लो संवार, स्वस्थ समाज, स्वस्थ पररवार, बस इतना हो ये ससं ार। मेहनत सुख की पररभाषा हो, र्ांती जीवन का आधार। स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 55 वदृ ्धों का हो पणू श सम्मान, बच्चों को दो संस्कार का ज्ञान, आपस में न हो बरै न स्पधाश, तब होगा ये संपूणश जग महान। 68. प्यार की बेड़ियां - दीपमर्खा तेरे प्यार मंे बधं ी हूं म.ैं . तेरे प्यार में ही रंगी हूं म.ंै . तेरे प्यार की बेड़ियां ही मरे ा गहना है.. प्रेम पार् मंे बंध के ही मुझे सजना अब रहना है। तेरे संग सतरंगी जीवन सच्चा लगता है.. रस्मों ररवाजों को ननभाना.. आंगन को प्यार से महकाना अच्छा लगता है.. हर एक ररश्ते रूपी मोनतयों को.. माला मंे पपरोना अच्छा लगता है.. तेरे प्रेम पटु प की माला से सजना–सवरना ममलना–ममलाना अच्छा लगता है.. तरे ा प्यार ही मरे ा सरू धार है। तू मेरा मैं तरे ा.. अमभमान नतलक बनकर रहना स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
अच्छा लगता है.. P a g e | 56 तेरे प्रेम पार् में मसमटकर रहना मुझे अच्छा लगता है.. जलु ाई 2023 69. कॉरोना काल का प्रेम गीत - पकं ज र्माश यह क्या मसु ीबत आन प़िी है, तमु उधर असहाय, हम भी हंै इधर ननरुपाय उस पर बीच मंे दपु वधा अ़िी है! यह प्रतीिा की घ़िी है! यूँ हुए अमभर्प्त, अजजतश पणु ्य हो ननटफल गए हैं, स्वगश से लाये धरा पर सखू सब पररमल गए हंै, यह समीिा की घ़िी है, क्या ककया है पाप हमने या कक तमु ने या कक जग ने, जो ये पवपदा आ प़िी है! स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 57 तन था वनृ ्दावन सरीखा क्यों मर्लावत हो गया है, मन कन्हैया था, अचानक क्यों तथागत हो गया है, यह परीिा की घ़िी है, एक भी उत्तर अभी सूझा नहीं है और सम्मखु यि - प्रश्नों की ल़िी है! 70. पप्रयकं ा श्रीवास्तव उठती चगरती ये लहरंे कु छ कह रही हंै, र्ायद हमंे अपने करीब बुला रही हंै। कु छ हाथ इनमें नज़र आ रहे हंै, जो हमंे आमलगं न मंे लेने को लालानयत हैं।। चहे रे साफ नज़र नहीं आते, पर कु छ पहचाने से लग रहे हैं। र्ायद वे वही अपने हंै , स्पदं न अकं 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
जो कभी ददल के बेहद करीब थे।। P a g e | 58 वक्त के थप़े िों ने आज मझु े , जुलाई 2023 इस पार ख़िा कर ददया। और जो उसे भी अजीज नज़र आये, उन्हें अपने साथ ले के चल ददये।। मैं उठी ,आगे बढी, हाथ पक़िना चाहा, लपकी, हाथ आगे बढाया। तभी एक तेज लहर आई और, वे हाथ उसमे समादहत हो गये।। ककनारे ख़िी मैं सोच मंे डू बी, इंतज़ार कर रही। कफर कोई लहर आएगी, कफर उसमे से कोई मुझे आवाज़ देगा। मैं दौ़ि के जाऊँ गी और, उसकी बाहों मंे समा जाऊँ गी।। 71. सरकती धपू - रचना दीक्षित ये गममयश ों की उमस ऊब भरी दोपहरी बचती नछपती कफरती हूँ स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
इन सबसे P a g e | 59 याद करती हूँ जुलाई 2023 सददशयों की वो मखमली गुनगनु ी धपू , बेदटयों को तले की मामलर् करना, नहलाना, काला टीका लगाना बबछौना बबछाना, थपकी देकर धपू मंे सुलाना थो़िी थो़िी देर में आना, छू कर देखना, सरकती धपू के साथ बबछौना सरकाते जाना पर बेदटयां तो अब ब़िी हो गयी हैं... जी लेने को वो ददन दोबारा ले आई हूँ कु छ कच्चे आम तैयार की हंै नन्हीं नन्हीं फांकें ब़िे प्यार से मलती हूँ मसाला मभगोती हूँ तेल में भरती हूँ दो नन्हीं बरननयों में रखती हूँ धपू मंे कई बार जाती हूँ स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 60 देखती हूँ दहलाती हूँ, झकझोरती हूँ झाकं ती हंै मसु ्कु राती हुई कु छ आम की फाकं े दो पल को तेल के बाहर कफर अलसाती हुई सरक जाती हैं डू ब जाती हंै तले में और मंै धपू के साथ साथ जगह बदलती रहती हूँ ददन भर यूँ लगता है आज भी धपू का मसरा पक़िे ख़िी वहीं हूँ जहाँ थी आज से बीस बाईस साल पहले पर सच तो ये है कक बेदटयां तो ब़िी हो गयीं हैं अब स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 61 72. समीिा र्खे र 73. राजश्री स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
74. पंकज र्माश P a g e | 62 मैं वो लम्हा हूं तेरा जलु ाई 2023 जजसकी याद तुझ.े .. हर लम्हे मे आएगी भुला कर देख ले तू मझु े तरे ी खामोमर्यों मंे भी.... मेरी ही आवाज आएगी 75. दीजप्त मसन्हा मुझसे ममला मरे ा बचपन नादान सा प्यारा सलोना बचपन चचं ल नटखट सा चचतवन आखं ों मंे था उसकी भोलापन तोकू र सा देख के मुझे बोला क्यों छो़ि गए वे मझु े मनैं े उसकी आखं ों में झंकार कहा उसे धीरे से मुस्कानकर बहुत से काम है करने मझु को पर मैं भूला ना हाय तमु को स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
आज भी मंै अक्सर अपनी दनु नया से P a g e | 63 आ जाता हूं तुमसे ममलने तमु सदा मेरे ही ददल में रहते जलु ाई 2023 नहीं मंै कु छ भी सोचता तुमसे हटके ... कोई लौटा दे मरे े बीते हुए ददन. 76. पकं ज र्माश घरों मंे कै द है ये पवश्व कब प्रातुः बन रही है मध्यान्ह और बदं दरवाजों के बाहर मध्यान्ह बन रही है साझं देखते ही जो जल्द प़ि जाती स्याह कु छ ही घंटों मंे चपु के से रात आ ख़िी होती हंै जहाँ थी कभी साझं कफर एक जादईू अंदाज़ में राबर कफर बन गईं प्रभात अब करने को कु छ नहीं तो घर घर बन रहे पकवान जीवन सबका थमा हुआ क्या ननधनश क्या धनवान क्या गमलयां क्या चौबरे देखो सब प़िे हुए सुनसान कोई ककसी के ना काम आ रहा मानों सब हो हैवान और कु छ इंसान जहां ददख रहे है वो के वल श्मर्ान जीवन की इस बेबसी से अब तो तारो हमें भगवान ् ददन रहें हंै बीत पर ये समय रुक गया है सबके मलए सांसें तो चल रहीं पर जज़दं गी थम गई है सबके मलए हमारा समय चरु ा मलया है ककसी ने हमसे स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 64 हमारी जज़ंदगी छीन के ले गया है कोई हमसे रेडडयो और टीवी पर बज रहे हंै गाने नए परु ाने पर कानों को प़िती हैं सुनाई बस एक धनु कोई लौटा दे मरे े बीते हुए ददन कोई लौटा दे मरे े बीते हुए ददन 77. मजं जलें – रचना दीक्षित कै द हंै आज भी वो मजं ़र इन नज़ारों में, जब हम भी चगने जाते थे प्यारों में हँसते हँसाते खखलखखलाते याद आते थे, कभी हम भी सबको बहारों मंे अपने कांधों पे उठाये अपनी ही टहननयां, ख़िे हैं ककतने ही दरख़्त कतारों मंे उ़िती है धलू , ओढ लेते हंै धलू की चादर, कफर भी ख़िे हैं वो आज तलक राहों मंे आ गया पतझ़ि, रुकती नहीं धपू तक उनसे, र्मु ार हो गए वो भी, मेरी तरह बेचारों में स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
रूठ जाती हैं, अब तो मजं जलंे भी हमसे, P a g e | 65 मर्कवे भी करती हंै हमसे इर्ारों मंे जुलाई 2023 मसखा मुझको मर के जीने का हुनर, ऐ दरख़्त! डरती हूँ, चगनी जाने से मैं बसे हारो में मरते हैं यहाँ लोग रोज, न जाने ककतने, मर के भी जीता है कोई एक हजारों मंे यँू तो जजगर छलनी, कई बार हुआ मेरा, र्ाममल नहीं हूँ कफर भी अश्कबारों में 78. पप्रयंका श्रीवास्तव बीते हुए पल की कु छ यादें... गमी की छु ट्दटयां और नानी का घर …. नानी का घर और मै , दोनो का अजीब सा । अजीब सा एक ये ममलन था, र्हर से काफी दरू गावं में था , नानी का घर।। बस से उतर कर , तागं े पर चढ कर, स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
पतली पगडडं डयों को पार कर के , P a g e | 66 आम के बगीचों से गुजर कर, दरवाजे के सामने लगा , जलु ाई 2023 वो कटहल का पे़ि। एक ब़िे अहाते से गजु र कर, ओसारे से होते हुए, पीछे की ओर भी था , घर का एक दरवाजा।। नानी हमरे ्ा वहीं ममलती , बाहें फलाए , उन्हंे हमरे ्ा वहीं पाया । राह तकते इंतजार करत।े । बाल्टी में मभगो के रखा आम, लोटे में गन्ने का रस , हाडं ी में जमाई , वो लाल वाली दही, भटु ्टे की सोंधी सी खरु ्बू, लहसनु ममचश की चटनी, चने की वो घघु री, और वो ताजा बना अमावट, सब तयै ार था। स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 67 वहां जाने का मकसद ही यही था।। नानी की गोद में लेटकर जएु ं बबनवाना, नींद मंे भी कहानी सुनना, उनका अनवरत पखं ा दहलाते रहना, प्यार से थपकी ददलाना । धीरे धीरे उनकी झुररयां बढने लगी थी, कमर भी झकु ने लगी थी दातं कु छ कम हो गए थे, कान भी कच्चे हो गए थे।। एक ददन खबर आई , चाह कर भी न जा पाई, अपनी जजमेदाररयों में, कु छ ज्यादा ही उलझ गई थी । वक्त के साथ हमने , नानी को ही बबसरा ददया, आज जब मैं नानी बनी तो , सारी यादंे ताजा हो गई ।। बस अब तो कोई लौटा दे मरे े बीते हुए ददन.... स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
79. राजश्री P a g e | 68 वो हर एक र्ाम जलु ाई 2023 दोस्तों के साथ ममलना ममलाना, हाथ कं धों पे रखकर, मीलों तक, ननकल जाना, कही अनकही, सुनी अनसुनी, बात का जजक्रकर, वजह पर नही,ं बेवजह मुस्कराना, ना डर हार का, ना जीत का म न बनाना, ना मतलब समझना, ना मतलब समझाना चनै के वक़्त का खबू सरू त तराना, स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 69 अल्ह़ि सी दोस्ती का अल्ह़ि सा अफसाना कार्, कफर लौट आये, मेरे बीते ददनों का यादगार जमाना, वो हर एक र्ाम दोस्तों के साथ, ममलना ममलाना । 80. राजश्री 81. आगोर् – रचना दीक्षित रात के आगोर् से सवरे ा ननकल गया, समंदर को छो़ि कर ककनारा ननकल गया रेत की सेज पे चांदनी रोया करी, स्पदं न अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
छो़ि कर दररया उसे बसे हारा ननकल गया P a g e | 70 सोई रही ज़मी,ं आसमाँ सोया रहा, जलु ाई 2023 चाँद तारों का सारा नज़ारा ननकल गया ठूं ठ पर यँू ही धपू दठठकी सुलगती रही, साया ककसी का थका हारा ननकल गया गगंू े दर की मेरे साकं ल बजा के रात, कु दरत का कोई इर्ारा ननकल गया घलु ती रही ममसरी कानों में सारी रात, हुई सबु ह तो वो आवारा बंजारा ननकल गया बाहँ ों मंे उसकी आऊं , पपघल जाऊं , ख्वाब ये मरे ा कं वारा ननकल गया मरे ी तस्वीर पे अपने लब रख कर, मेरे इश्क का वो मारा ननकल गया 82. दीजप्त मसन्हा ककसी उम्मीद के बबना ककसी काम को करने के मलए स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 71 ककसी खरु ्ी के मलए कभी भी कहीं भी कै से भी कोई नहीं क्यों नहीं पछू ना क्योकक ये आकार् बादल धरती सरू ज चांद तारे हवाएं नददयां सागर पहा़ि पडे पौधे फल फू ल पर्ु पिी आप से उम्मीद के बबना आपके मलए खरु ्ी के मलए कभी भी कहीं भी कै से भी कोई तकलीफ के बबना आपका सहयोग करते हंै स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
83. वदं ना के र्रवानी P a g e | 72 तेरे प्रेम में मैं सवरी इतना हूं कक खदु को भलू गई हूं जलु ाई 2023 आईना जब देखती हूं, खुद मे भी मंै तुम्हें देखती हूं पहले कभी खदु को इतना खबू सूरत नहीं समझा था पर अब यह सोचकर खरु ् होती हूं कक मंै तमु ्हारी हूं।। 84. नीलम पाठक बीत गया जो स्वखणमश बचपन याद बहुत वह आता है न जाने क्यों खखन्न हृदय बचपन जीने को ललचाता है मनमौजी बेकिक ननद्शवन्द मस्त ककलोले करता था सदी,गमी,बाररर् मंे भी उन्मुक्त घमू ता रहता था वह कागज की झूठी नावें तपती धपू में खले खेलना स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
ओलों को हाथों मंे चगनना P a g e | 73 अवखणतश आनदं था न बधं न जलु ाई 2023 न जजम्मदे ारी बेखौफ हवा का झोका था जजद्द करते गर ककसी चीज की वह फौरन ममल जाती थी सगं ी-साथी ममल जाए जो ममल कर हु़िदंग मचाते थे कोई लौटा दे ऐसे ददन जो बीत गए हंै बचपन के पलक झपकते बचपन बीता न आने को कह जाता यादें रह जाती मीठी सी तब समय सनु हरा याद आता जीवन का हर प्रहर मभन्न है अलग अलग एहसास है बीत गया जो िण जीवन का जीने की पुनुः अमभलाष है दलू ्हा बना बजी र्हनाई दलु ्हन सगं जब सेज सजाई स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
प्रथम ममलन का वह ददन आया P a g e | 74 कै से बबसरे वह ददन मधुमय जीवन नवजीवन बन आया जलु ाई 2023 अनभु नू त हो गई पुरानी लगता है हो गया जमाना ददल भावों मंे खो जाता है है कोई लौटा दे वे ददन बीत गए जो हमजोली में बीत गए जो रंगरेली मंे।। 85. ओस की बँदू – पकं ज र्माश तुम अगर बन जाओ फू ल कहीं कभी तो मुझको भी बता देना ना तमु , मंै खदु भी कोई ओस की बूदं बनकर तमु मे ही समादहत हो जाऊं गा, और जब तमु महकाओगी इस स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 75 दनु नयां को अपनी अलबेली इस खरु ्बू स,े तब तुम्हारे साथ साथ मंै भी तो महक ही जाऊं गा, तो़िगे ा अगर कोई तुम्हे डाली से तो मंै भी तो तुम्हारे साथ ही टू ट जाऊं गा, चढाया गया अगर तमु को कहीं ककसी ईश्वर के चरणों में तब मैं भी तो उन चरणों तक पहुंच ही जाऊं गा, और अगर बनना प़िा तमु ्हे कही ककसी की सेज की संदु रता, तब भी मंै तुम्हारा ही साथ ननभाऊं गा, क्योंकक मंै भी तो तब तक सूखकर तुम मंै ही समादहत हो ही जाऊं गा, स्पंदन अंक 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
86. बचपन के ददन - डा मनोरमा मसहं P a g e | 76 बहुत याद आते हंै वो बचपन के ददन, जलु ाई 2023 जब पापा सोते से जगा कर, रब़िी खखलाते थे, अब रब़िी खाती हूँ, लेककन वो बात कहा,ँ अब कोई प्यार से खखलाने वाला नहीं, हर त्योहार पर नये कप़िे ददलाने की जजद, माँ हमरे ्ा पूरा करती थी, होली पर माँ ने अपनी नई सा़िी का जो लहंगा मसला था मेरे मलए, वो आज के डडजाइनर लहंगे से भी अचधक सुन्दर था, पहन कर होली ममलने जाना, पूछने पर गवश से बताना, मेरी माँ ने बनाया है, अब बहुत याद आता है, दोस्तों के साथ मसक़िी, गटु ्टे वो लडू ो खले ना, स्कू ल से लौटने के बाद थके होने पर भी, थकान खले ने पर ममटती थी, वो र्ाम को जल्दी खाने के बाद, छत पर देर तक सबके साथ बातंे करना, प़िोसी भी उस समय पररवार का ही पवस्तार थे, स्पदं न अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
वो समाज बहुत अच्छा था, P a g e | 77 सब एक दसू रे के सुख दखु में साथ ख़िे रहते थे, जलु ाई 2023 सचमचु हमारा बचपन हमारे बच्चों के बचपन से ज्यादा अच्छा था 87. ख्वाब – रचना दीक्षित झलती रही पंखा साझँ सारी र्ाम, रात बोखझल हुई चपु चाप सो गई मंुह ढापं के कु हासे की चादर से, हवा गुमनाम जाने ककसकी हो गई चादँ ने ली करवट, बांहों मंे थी चांदनी, रूठी, छू टी, नछटकी, दठठकी वो गई बदली के आचं ल की उलझने की हठ, आकार् की कलँगी मभगो गई बादल के बाहुपार् में आ कर दाममनी, मन के सारे चगले मर्कवे भी धो गई स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 78 राग ने राचगनी को धीमे से जो छु आ, वो बही, बह के कानों में खो गई आँखों में ख्वाब के अकं ु र ही थे फू टे, सबु ह नमक की खते ी के बीज बो गई सज संवर के पखं रु रयों पे बठै ी थीं जो, आज वो ओस की बदंू ंे भी रो गईं मन की गठरी है आज भी बहुत भारी, पर हाय मरे ी ककस्मत उसको भी ढो गई 88. राजश्री स्पंदन अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 79 89. तूफान – डा मनोरमा मसहं समुदं र मंे भी उठे तूफान, सहसा दहल उठा समंदु र, मानव तमु अके ले तो नहीं हो, तजे ़ हवाओं से ल़ित,े ये पवटप और लताएँ, तूफानों से ल़िने का साहस है इनमें, मानव तमु अके ले तो नहीं हो, हर हर का उद्घघोष करते, तफू ानों से टकरा जात,े कहते तरुवर, हम तूफानों को भी नया मो़ि ददखा जाते, प्रकृ नत भी करती है सामना, सकं टों का सघं षों का, मानव तुम अके ले तो नहीं हो!! 90. दीजप्त मसन्हा जजदं गी का है सहु ाना सफर स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सत रंगी रंगो से भीगा हुआ P a g e | 80 चाहतो का खजाना जीवन से मतृ ्यु का संघषश जुलाई 2023 कभी ना रुकने वाला काल चक्र सुख दखु लाभ जीत पराजीत से समामलत कई जन्म तक चलने वाला प्रकृ नत नई सौंदयश बबखेरता हुआ अनमोल ररश्तों मंे बंधा हुआ जजदं गी का है सफर कोई नहीं समझा नहीं कोई जाना नही. 91. सधु ा टेरी स़िक के ककनारे सफे द की पे़ि उनके बीच स्पदं न अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सोचों में डू बते हुए P a g e | 81 धीमे धीमे चलते हम। ये सफर खत्म न हो जलु ाई 2023 ये रास्ते खत्म न हों। सोचें, ना जाने कौनसी ये उदासी, जो नई-पुरानी नहीं होती तब भी थी, अब भी है लुत्फ है, मजा है इसमंे जजदं गी का। 92. जलन – रचना दीक्षित कै द में ककसी के कभी रहती नही,ं बंद मुट्ठी से कफसलने का हुनर जानती हूँ मसफश सासँ ों - उसांसों से ककसी की मीलों का सफर करना जानती हूँ नमी ककसी की रखती नहीं पास अपने उसको दफन करना जानती हूँ घुलती नहीं साथ ककसी के कभी पर ममलने का सबब जानती हूँ स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 82 बनता नहीं अके ले घर मरे ा कभी दहल - ममल के घर बनाना जानती हूँ रंग रूपहला, सनु हरा, स्याह अलग है मरे ा रंगत की चमक बरकरार रखना जानती हूँ उ़िा ले जाये हवा कहीं भी मझु े मंै अपना वजन रखना जानती हूँ चपु हूँ तो न जानो कु छ भी नहीं, कभी बबंडर बनना भी जानती हूँ सब मैं ही जानती हूँ कु छ तुम भी तो जानो क्या जीने का सलीका मैं ही जानती हूँ? भा़ि का चना बन के देखो तो जानो, रेत हूँ म,ंै रेत की जलन मसफश मंै जानती हूँ 93. पवडम्बना – नीलम पाठक आनदं की खोज पागल पचथक! पवडम्बना देखखए आनंद की तलार् मंे पचथक एक स्थान पर जस्थर रहकर ननकलती हुई अनचगनत राहों को ललचायी ननगाहों से ननहारता है।ककस राह पर चलकर वह आनदं को प्राप्त कर सकता है असमंजस की जस्थत मंे इधर-उधर भटकता है वह कभी भौनतकता मंे कभी अध्यात्म ढूंढता है परन्तु रीते हाथ ही वापस आता है कयोंकक िखणक आनदं की प्राजप्त कर लेने के बाद पचथक पनु ुः अपने को उसी स्थान पर ख़िा महसूस करता है वही रहस्यमयी नजर से तकना। जस्थर आनदं की तलार्....कब ,कहा,ं कै से? मोह ररक्त पचथक स्वयं आनदं का खजाना है। पवडम्बना स्वयं का स्वयं से पररचय का अभाव। स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 83 94. सफर - नीलम पाठक कर्मकर्- ए-जजन्दगी का यही एक फसाना है, सारा जहां घमू कर, घर ही वापस आना है। जजन्दगी का सफर थो़िा है वक्त के हाथ को़िा है , न रुठो न गमगीन हो यारों हंसते रहो नहीं तो सफर का मजा अधरू ा है। खाली हाथ ही आये थे जानम खाली हाथ ही जायंगे ें सारी दनु नया का बोझा तमु ने क्यों उठा रखा है। एक डाल के पछं ी हंै सब उददत रजश्म सगं उ़ि जायेंगें तरे ा-मरे ा करते करते सब कु छ यहीं छो़ि जायेंगंे। स्पंदन अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
95. पप्रयकं ा श्रीवास्तव P a g e | 84 ब़िी उम्मीदों के साथ, जलु ाई 2023 हाथ में हाथ डाल , जजंदगी के सफर पर चले, एक दजू े के साथ... पीछे परू ा जहां छो़ि , खमु र्यों का दामन थाम, कदम से कदम ममलाते चले हम, एक दजू े के साथ...... उम्मीदों की पोटली ले कर, अगाध पवश्वास के साथ, प्यार की डोर से बधं े हम चले, एक दजू े के साथ.... कदठन सफर था, मजु श्कल डगर था, अथाह कसौदटयों पर खरे उतरे हम, एक दजू े के साथ..... हर पल सभं ाला, हर पल को सजाया, हर पल साथ ननभाया, स्पदं न अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 85 एक दजू े के साथ.... आओ एक साथ सफर परू ा करते हैं , जजदं गी के समदं र को पार करते हंै , हर डर को पीछे छो़िते हंै हम एक दजू े के साथ.... सफर का आगाज श्रेटठ, मध्य श्रेटठतर था, आगे का सफर भी सवशश ्रेटठ होगा, एक दजू े के साथ .... 96. एक सामाजजक पवडम्बना -पप्रयकं ा श्रीवास्तव हम सभी जजस समाज मंे जन्म लेते हंै उस समाज की रीनत ररवाजों और परंपराओं से धीरे धीरे खदु को जो़िते चले जाते हैं,वहां का खान पान ,रहन सहन सब हमारे जीवन मंे पररलक्षित होने लगता है,कई बार तो ऐसा लगता है कक हम भी समाज का अमभन्न अगं बन गए हंै, यहां तक तो सब ठीक रहता है पर धीरे धीरे यही सब एक सामाजजक दबाव बन जाता है ,बच्चे जैसे जैसे ब़िे होते जाते हंै ,हम उन्हे समाज के रीनत ररवाज बताते जाते हंै,वे उसे सीखते भी जाते हंै,कु छ समय बाद हम उन्हे समाज का डर ददखाने लगते हैं, ऐसा करो नही तो लोग क्या कहेंगे ,ऐसा करोगे तो हमारा मसर झकु जायेगा ,ऐसा करोगे तो हमे सम्मान ममलेगा ,बच्चे का ररजल्ट खराब आया तो चार लोग क्या कहंेगे का डर , बच्चा कु छ अपने मलए, समाज से अलग सोच,े तो कफर वही चार लोग क्या कहेंगे ,घर के बाहर ननकलो तो ऐसे ,चलो तो ऐसे, कप़िे पहनो तो ऐसे , महे मान के सामने ऐसे रहो, खाना खा रहे तो ऐसे ,हंसो तो ऐसे, इन सबके कारण बच्चे का अपना व्यजक्तत्व कंु दठत हो जाता है ,उसकी अपनी सोच बस उन चार लोगों के इदश चगदश घमू ती नजर आती है, जो उसके हर ननणयश मंे उसके जज बन जाते हंै, ल़िककयों का जीवन तो और दरु ूह हो जाता है ,बचपन से ही उसे समझाया जाता है की तुम्हे ससुराल जाना है, इसमलए तुम ऐसे रहो, ऐसे चलो, जोर जोर स्पदं न अंक 3 जलु ाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
P a g e | 86 से बातें मत करो ,ऐसे ठहाके मत लगाओ ,रोटी बनानी आनी जरूरी है ,मैं खदु इन सब बातों की भकु ्त भोगी रही हूं ,हर जगह जज करने वाले लोग मौजूद रहे ,और वो टीका दटप्पणी भी करते रहे ,बस तभी मनैं े यह दृढ ननश्चय ककया कक अपने बच्चों को इन चार लोगों से दरू ही रखगूं ी ,जो आज तक ककसी मौके पर हमारे साथ तो ख़िे नही हुए ,पर हम जहां भी आगे बढने की कोमर्र् करते वे टांग खींचने के मलए तयै ार रहत,े हर बच्चे मंे अपनी कु छ नसै चगकश प्रनतभा होती है,जजसके अनसु ार ही वह अपने को आगे बढाता है , मां बाप का यह फजश बन जाता है कक उसे उसके प्राकृ नतक रूप में ही आगे बढने दें , न कक खदु समाज के दबाव में आकर उसके व्यजक्तत्व को ही कंु दठत कर दे।ककसी भी पौधे को अगर उसके प्राकृ नतक पयाशवरण मंे उगाया जाए तो वह ज्यादा अच्छे तरीके से फलता फू लता है,इसमलये मेरा मसफश इतना कहना है कक कु छ तो लोग कहेंगे और उनका काम ही है कहना, बस मसफश इसमलए अपने जीवन को उन लोगों के दहसाब से ढाल लेना एक पवडबं ना ही है, अपने मलए ल़िो,और जैसे हो वैसे ही आगे बढो, समाज को अपनाओ, उसके रीनत ररवाजों अच्छाइयों को अपनाओ, पर समाज की कु रीनतयां को हमरे ्ा नकारो, उन्हंे मसफश इसमलए स्वीकार मत करो कक वे आज तक इस समाज का दहस्सा थी, नई अच्छी परम्पराओं को हम भी समाज का एक नया दहस्सा बना सकते हंै, और सामाजजक ढाचं े को और मजबतू तथा वतमश ान पररवेर् के अनरु ूप बना सकते हैं। 97. रचना दीक्षित कहना बहुत कु छ चाहती हूं पर कह नहीं पाती यही तो पवडबं ना है। कभी घर पररवार का मलहाज, कभी ररश्ते नाते और समाज का ध्यान कभी अपनी उम्र, कभी सामने वाले की उम्र, कभी पररजस्थनतयां कभी समय जब सब कु छ अनकु ू ल हो तो ऐसा कोई नहीं ममलता जजस से कु छ सकंू इस कहने सुनने के बीच र्ब्द एक लबं ी मौन यारा करते हैं। इस यारा के बीच कु छ र्ब्द खो जाते हंै, कु छ अपने ही हो कर रह जाते हैं। कु छ र्ब्दों की कतरने मंै सहेज लेती हूं आंखों के तलहटी मंे। देखो आज भी कहना बहुत था पर कह न सकी। आज कफर अपने माथे की सलवटों के पीछे एक आस छु पा रखी है एक और अवसर की तलार् मंे। स्पदं न अकं 3 जुलाई 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
98. राजश्री P a g e | 87 प्यार के आंगन खखली जुलाई 2023 पपता की पुत्तमलका बनी माँ के रक्त से पली कफर भी पराया धन कही ये कै सी पवडम्बना है, आ न की दहलीज पर मान का पहरा पहन मयाशददत ख़िी, ये कै सी पवडम्बना है, एक आगं न पवछोह कर दसू रे आगं न सजी, कफर नया एक नाम पाकर, नव अवतररत हुयी ये कै सी पवडम्बना है, माँ के आँचल से बबछु ़ि कर, माँ की काबनश कॉपी बनी पववर्ता की श्रखंृ ला की क़िी बन उलझती रही ये कै सी पवडम्बना है, 99. अपव ओबरे ॉय कदम आगे बढाकर, चलना भी जरूरी है बुरे हालातो से ल़िकर, संभलना भी जरूरी है स्पंदन अंक 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
लम्बे सफर तय कर के , रुकना भी जरूरी है P a g e | 88 वक्त के साथ आदतों का छू टना भी जरूरी है जुलाई 2023 जजंदगी की मुजश्कलो में अटकना भी जरूरी है मंजजल की खोज मंे, भटकना भी जरूरी है क़िी धपू के कहर से, बचना भी जरूरी है बबन मौसम बादलों का, बरसना भी जरूरी है गलतफहममयोंका ददल में पनपना भी ज़रुरी है कभी बबनाककसी वजह के हसना भी जरूरी है ककसी अपनके ी चाहत में त़िपना भी जरूरी है दखु से भरी आँखों का, छलकना भी जरूरी है कोरेकागज पर कलम का नघसना भी जरूरी है भारी ददल की दास्तान लफ़्जज़ो में, मलखना भी ज़रुरी है.. 100. दहचककयाँ - अपव ओबेरॉय अजब ये दहचचककयां तेरी यादों की गज़ब ये दहचककयां तेरी यादों की ददल के कोनों मंे बदे हसाब दबी ददल दखु ाती दहचककयां जज़न्दगी के इस सफर मंे तरे ी यादों की स्पंदन अकं 3 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
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