1 सम्पादकीय जन्म लेने से पहले ही हम रिश्तों की डोि में बंध जाते हैं यानन हमािे जन्म लेने के साथ ही हमािे रिश्ते भी जन्म लेते हैं जो हमंे उपहाि स्वरूप नमले होते ह।ंै कहते हंै न आज की भाषा में एक के साथ एक मफु ्त तो, यहां भी उपयकु ्त बैठता है यह कथन। जन्म के रिश्तों की सौगात के साथ ही एक दसू िी सौगात नमलती है वह है हमंे अपना नमत्र स्वयं चनु ने की स्वततं ्रता विना भगवान का क्या रिश्तों के साथ नमत्र भी दे सकते थे। नमत्र वह है जो मन मनस्तष्क मनन नचंतन मंे सदवै साथ उठता बैठता ह,ै एकसाि हो जाता ह।ै जहां धमम समाज सामानजक प्रनतष्ठा कु छ भी आडे नहीं आता। नमत्रता का रिश्ता बहतु खास होता है यह रिश्ता खनू के रिश्ते से अलग औि कई बाि उनसे बढ़कि भी होता ह।ै नवशेष तौि पि बचपन के नमत्र, वह बातंे जो आप अक्सि अपने घि परिवाि मंे नहीं कह सकते या जो काम कि नहीं सकते ह,ंै नमत्रों से जरूि कह दते े ह।ैं वह आपकी बात सनु ते ह,ैं उसको हसं ी में नहीं उडाते हंै औि आपका साथ दने े का प्रयास किते ह।ैं स्पदं न अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
2 इस रिश्ते में एक एहसास होता ह,ै एक स्वच्छंदता होती ह,ै एक खशु ी होती ह।ै इनके साथ खले ा हुआ एक पिू ा बचपन होता ह,ै रूठना मनाना होता ह,ै साथ ही अगले पल निि से साथ खडे िहने का एक जज्बा होता ह।ै एक अच्छा दोस्त एक अच्छा मागमदशकम भी होता ह।ै दोस्त तो वह है जो हमें उदास दखे कि हमािे चहे िे पि हसं ी की एक लकीि खींचने के नलए कै से भी कितब कि दे । उदासी का कािण पछू े उसकी तह तक जाए । कभी आप भी ये सब किके दखे ना नकतना दखु कम होता ह।ै कभी कोई नमत्र नकसी पिेशानी में हो, उस को यह कह कि दखे ो, अभी इतं जाि किो दो नमनट मंे हानजि होता हूँ । सोच कि दखे ो कु छ ऐसे दोस्त होते हैं नजनके संग हम सबसे ज्यादा समय होते ह।ैं कु छ दोस्त होते हंै जो आधी िात को खडे हो जाते ह।ंै कु छ दोस्त होते हैं पिेशानी मंे िोन पि अचानक उंगनलयां उनके नबं ि पि अपने आप ही घमू जाती ह,ंै समय दखे े नबना, निि वह ऑनिस के , बचपन के हो या कै से भी दोस्त हों। समय बदलने के साथ ही सोच बदलती है औि कई बाि दोस्त भी बदले जाते ह।ैं समय के साथ हमंे पहचान होने लगती है नक कौन स्वाभानवक नमत्र हैं कौन नदखावे के नमत्र ह।ंै कई नदखावे के नलए होते हंै आपके सामने आपकी हि बात मंे सहज शानमल होते हंै पीछे से आपकी न नकसी बात में शानमल होते हंै न कभी मदद के नलए तत्पि होते हंै । आज के संदभम में दखे ा जाए तो नमत्र भी बदलते हैं समय बदलने के साथ, परिनस्थनतयां बदलने के साथ। पहले एक बाि जो नमत्र बनते थे वो जीवन पयमन्त िहते थे । आज जब परिनस्थनतयां बदलती हैं कु छ भी स्थाई नहीं िहता ह,ै हि चीज, हि नदन, हि पल बदल िही है नकसी पि भी नवश्वास किने जसै ा नहीं ह।ै अब आज के इस प्रगनतशील समाज मंे सब अपने काम मंे व्यस्त हंै लगता ऐसा है नक सािे नमत्र बदल गए हैं पि सच तो यह है नक नमत्र ही नहीं हम भी बदल गए हैं । हम नमत्रता किने लगे हंै अपने काम से, अपनी जरूित स,े अपने आप स,े अपने स्वाथम से। जब हमािी सोच मंे परिवतनम हो िहा है तो आज औि लोग भी ऐसे ही होते जा िहे ह।ंै उनकी सलाह सही है या नहीं इस पि भी नवश्वास किना मनु श्कल है क्योंनक वह भी स्वाथम की ही दोस्ती कि िहे ह।ंै जब यह सािे व्यवधान हो िहे है स्पदं न अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
3 तब एक अच्छे नमत्र की आवश्यकता औि भी बढ़ जाती है । नमत्र भले एक ही हो पि अगि सच्चा है तो सौ दशु ्मनों पि भािी जरूि होगा । जरूित है आज के इस बदलते समाज मंे निि से नमत्रों को खोजा जाए, बनाया जाए भिोसा, नकया जाए भिोसा, पाया जाए भिोसा औि जीता जाए। मझु े लगता है नक हमंे शायद यह बात बाद मंे समझ आई पि नवदशे ों मंे यह बहुत पहले से लोगों को समझ आ गई थी इसीनलए अब नमत्रता नदवस मनाने की आवश्यकता है जसै े मातृ नदवस, नपत्र नदवस मनाते ह।ंै मझु े लगता है नक मातृ नदवस औि नपत्र नदवस मनाने का कािण हम माता- नपता से प्याि किते हैं औि हि तिह से उनको अपने मन मनस्तष्क मंे नबठाकि िखते हंै पि व्यक्त नहीं किते या कि पाते हंै पि एक नदन जो ननधामरित हुआ है उस नदन हम उनके प्रनत अपनी कृ तज्ञता व्यक्त, कि सकते हैं औि किते ह।ंै लेनकन नमत्र नदवस में मझु े नहीं लगता नक हमंे एक नदवस मना कि उनकी कृ तज्ञता व्यक्त किनी चानहए क्योंनक वहां कृ तज्ञता के नलए कोई स्थान नहीं ह,ै वहां तो अनधकाि है । आप कहगें े अनधकाि तो घि में माता-नपता पि सबसे ज्यादा होता है । होता तो है पि घि पि अनधकाि के साथ शालीनता, सौम्यता, सम्मान सब का ध्यान िखना होता है इसनलए कु छ सीमाएं होती हंै । नमत्रों के साथ यही तो मजा है कु छ भी बोलो कभी भी बोलो, बोलने के पहले कु छ भी सोचना नहीं पडता है इसनलए उन्हंे अपने मां-बाप की तिह िोज की नजंदगी में हि पल में निि से शानमल किना चानहए क्योंनक आज का यवु ा बहुत गमु िाह हो िहा है नमत्र है नहीं नमत्रों की पहचान किना मनु श्कल है आभासी दनु नया मंे नमत्रों की भिमाि है पिन्तु मौके पि औि समय पि कोई खडा नहीं हो सकता। आभासी दनु नया मंे जाकि नकस नमत्र पि नवश्वास किें उसके साथ मन की बातें साझा किंे तो समाज में व्याप्त अवसाद मन के अंदि भिी कंु ठा जो हम नकसी से कह नहीं सकते, नमत्रों से निि कह।ंे आओ इस नमत्रता नदवस अपने नमत्रों से बातंे, किें बचपन मंे लौट जाए,ं हसं े नखल-नखलाए,ं नवश्वास किना सीख,ें किवाना सीखे औि एक खशु हाल नजंदगी की ओि बढ़े। व्यनक्तयों औि समाज के बीच सांस्कृ नतक सद्भाव औि एकजटु ता बढ़ाने के नलए अतं ििाष्रीय नमत्रता नदवस घोनषत नकया गया ह।ै हि दशे मंे अपने अलग नमत्रता नदवस ह,ंै कहीं स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
4 बेस्ट फ्रें ड डे भी है । जब हमंे इस बात का नवश्वास है एक अच्छा दोस्त एक अच्छा मागदम शकम भी होता है तो हमें इस दोस्ती को औि इस दोस्ती के नदन को सेनलब्रटे किना ही चानहए। अपनी दोस्ती की नमसाल भी कायम किनी चानहए। पहले दोस्तों के साथ बातंे साझा किने को, चाय पी ली जाती थी अब जमाना नया है तो क्या... । चलो दोस्तों के संग कॉिी पी लेते ह,ैं कोका-कोला पी लेते हंै पि कु छ समय अके ले दोस्तों के सगं गजु ािते हंै । अपने मन को हल्का किते हंै दोस्तों के मन को हल्का किते ह।ंै निि जब घि पहचुं ें तो एकदम शांत मन नलए । इससे घि मंे भी खशु हाली नबखिती िहे समय के साथ दोस्ती के पैमाने, मतलब औि जरूित सब बदल चकु े ह।ंै अब तो दोस्ती के रिश्ते का स्वरूप हि पल बदलता नदखता है, जगह औि रुनच बदलते हैं जो दोस्ती कभी अटूट नदखती थी वह अब औपचारिकता में बदल जा िही ह।ै ऐसा नहीं है नक इस बीच हम पिु ाने दोस्तों को भलू जाते हैं पि हां समय के साथ समान रुनच वाले लोगों से ही हमािी बातचीत हो पाती है आमने सामने की दोस्ती ननभाना अब कनठन होता जा िहा ह।ै ऐसे मंे दोस्तों की सखं ्या कम होती जाती है लेनकन हां व्यस्तता के बीच सोशल साइट्स का सहािा लेकि दोस्ती ननभाने की कोनशश जािी िहती ह।ै सोशल साइट्स पि दोस्तों की संख्या भले ही बडी हो पि व्यनक्तगत तौि पि ऐसी दोस्ती वक्त पडने पि काम नहीं आती है अब इटं िनेट की दनु नया में नबना नमला मलु ाकात नकए भी दोस्त बन जाते हंै सोशल वबे साइट पि दोस्त बडी तेजी से बनते हंै ऐसा लगता है नक साइट पि मौजदू दोस्त बेहद नमलनसाि हंै पि ऐसा वास्तव में है नहीं। यह दोस्ती महज टाइमपास होती है औि इस पि हम ज्यादा नवश्वास नहीं कि सकते। आज के इस यगु मंे नमत्र तो चानहए ही है पि कै सा? कभी सदु ामा–कृ ष्ण जैसा, कभी द्रौपदी–कृ ष्ण जसै ा जहाँू सामानजक प्रनतष्ठा से भी मन मंे नझझक औि दरू ियां न हों। कृ ष्ण औि सदु ामा सी जहां बस एक बाि मन पक्का कि के दोस्त से दरू ियां नमटाने का मात्र प्रयास भि ही हुआ था नमत्र नपघल कि बह गया, नबछ गया, नत मस्तक हो गया। इसे कहते हैं नमत्रता कृ ष्ण औि द्रौपदी अच्छे नमत्र थे। द्रौपदी उन्हंे सखा तो कृ ष्ण उन्हंे सखी मानते थे। कृ ष्ण ने द्रौपदी के हि सकं ट में साथ दके ि अपनी दोस्ती का कतवम ्य ननभाया था । एक हम हैं नबना कु छ कहे अपने नमत्र स्पदं न अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
5 के बािे में कु छ भी धािणा बना लेते ह।ंै अब समय आ गया है हमंे नमत्रों से नमलना चानहए, उन्हंे कु िेदना चानहए नक वो भी नपघल कि, बह कि अपने अदं ि कहीं कोई कंु ठा या शंका हो तो उसे दिू कि गले लग जाए।ं अपने जीवन अपने आस पास वा समाज में एक नई चेतना लाएं। बचपन औि वो नदन तो नहीं लौट सकते पि नमत्रों को वापस बलु ा कि उन यादों को निि से नजया सकता है । रचना दीक्षित स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
1. अनभु व – रचना दीक्षित 6 जीने का तिीका समझने लगी हँू अगस्त 2023 अपना नजरिया बदलने लगी हँू जीवन का अनभु व है या... सकािात्मक सोच मंे िहने लगी हँू पीछे दखे ती हँू अवसाद, अपिाध, ईष्याम मवाद से भिी हँू बैठ जाती हँू याद किती ह,ँू इन अहसासों को भिने वाले कािक नगन नगन कि ननकालने लगी ह.ँू .. सबु ह नखडकी के पास िै ले िेत के ढ़ेि पि एक एक नाम नलखने लगी हूँ जीने का तिीका समझने लगी हूँ अपना नजरिया बदलने लगी हूँ पीछे घमू कि दखे ती ह,ूँ प्याि, मीठे, अहसास, खबू सिू त पल, खनु शयों से भिने लगी हूँ बैठ जाती हूँ याद किती ह,ूँ स्पदं न अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
7 इन अहसासों को भिने वाले कािक नगन नगन निि ननकालने लगी ह.ूँ .. सबु ह आंगन मंे िखे पत्थिों पि एक एक नाम उके िने लगी हूँ जीने का तिीका समझने लगी हँू अपना नजरिया बदलने लगी हूँ अब तो नदन नदन भि नखडकी पे खडे हो िेत औि पत्थि को ननहािने लगी हँू िेत पि तो ननशान हैं ही नहीं, पत्थिों पे नलखे नाम, पढ़ मसु ्कु िाने लगी हूँ कहते हैं इसं ान पत्थि सा हो गया ह,ै कु छ सनु हिे अहसास उके ि कि नदमाग को अपने पत्थि समझने लगी हँू जीने का तिीका समझने लगी हँू अपना नजरिया बदलने लगी हूँ जीवन का अनभु व है या... सकािात्मक सोच मंे िहने लगी हूँ स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
8 2. आक्षिरी नाम – रचना दीक्षित स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
3. भुलाना - रचना दीक्षित 9 मझु े अगि भलू ना होता, अगस्त 2023 मैं टास्क िोज बनाती क्यों? एकला मझु को चलना होता, तमु को िाह नदखाती क्यों? अके ले मंनजल पानी होती, सानहनत्यक मचं बनाती क्यों? कनव सम्मेलनों में जाना होता, सानहनत्यक गोष्टी में आती क्यों? तमु सब यनद आ जाते तो मंै इतनी बात बनाती क्यों? तमु सबकी प्रशंसा के , मैं हि दम गीत गाती क्यों? तमु ्हािी तािीिों का असि ह,ै मंै विना इतना इतिाती क्यों? 4. भलू ना और भुलाना – क्षियंका श्रीवास्तव भलू ना अब मिे ी , नितित बन गई है , कभी बडों की डांट को भलु ा, स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
निि उन्हीं की गोद मंे नसमट जाती थी। 10 कभी बच्चों की नादाननयों, अगस्त 2023 को भलू ाना सीख नलया।। अब लोगों की कही, बातों को ही, भलू जाती हं । पि उन्हे सम्मान दने ा, मंै कभी नहीं भलू ती ।। नकसके नलए क्या नकया, ये भी याद नहीं िखती। पि अपनी कही बातों पि , अमल किना, मंै कभी नहीं भलू ती।। जीवन के सकु ू न के नलए, कई बाि भलू ना भी जरूिी ह।ै रिश्तों मंे दिू ी न आए, इसनलए कु छ यादों को, भलु ाना भी जरूिी है ।। बस इसी भलू ने की वजह से, मैने रिश्तेदािों को बचा िखा है । कई बाि खदु को माि के भी, रिश्तों को नजदं ा बना िखा है ।। स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
5. दीक्षि क्षसन्हा 11 बडी बेतककु लफु ी से अगस्त 2023 उन्हें जो मसु ्कु िा के दखे ा हमंे यू लगा जसै े सनदयों की पहचान है उनसे हमािी बातें तो हो गई सािी नज़िों से हमािी बस नाम पता नठकाना की बात िह गई है उनसे हमािी 6. भूल या भूलना - नीलम पाठक टास्क दने ा भलू गई, िचना मैडम आप। सजा नमली हम सबको, बैंड बजा दी आज। । 1 बैंड बजा दी आज, किंेगंे काम कु शलता स।े सानहनत्यक साधक मंच को, भि दगे ें खनु शयों से।। 2 भलू ना भी एक कला ह,ै स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सबको नहीं आता। 12 िो-िोकि शिे नलखते हैं , अगस्त 2023 इश्क को भलु ा नहीं पाता।।3 इश्क को भलु ा नहीं पाता, कह नदया बस भलू जाओ। साि क्यों नहीं कह नदया, नक बस अब मि जाओ। ।4 भलू ना भलू ाना तो नदमाग का, खले ह।ै मोहब्बत के जज़्बात से इसका कोई नहीं मले ह।ै ।5 भलू ना तो नसिम वहम, औि नदखावा ह।ै कोई कु छ नहीं भलू ता, सब तिोताजा ह।ै ।6 7. नीलम पाठक अपनी कनवता से हम सब में जो नवश्वास नदखाया ह,ै साथ नलए हम सबको चलकि नकतना प्याि लटु ाया ह,ै हमसब इसके आभािी हंै स्पदं न अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
भलू नहीं यंे पायगे ,ें 13 सबको,सबसे स्नेह नमला जो अगस्त 2023 कै से ये नबसिायगें ।ें 8. भूलना - डा मनोरमा क्षसहं भलू ना औि भलु ाना सब नदमाग का खले ह,ै जडु ी होतीं हैं यादें इनका नदल से मले ह,ै कभी कभी भलू जाती हँू तमु ्हािी बेरुखी को, जीने के नलए ये भी भलु ाना जरूिी ह,ै तमु ्हािी बेरुखी का पलडा सदा तमु ्हािे प्याि से भािी था, लेनकन तमु ्हािे प्याि को ज्यादा नगनने की, भलू की आदत हमािी थी !! 9. भलू ना - दीक्षि क्षसन्हा भलू ना आसान नहीं कोई भी कु छ भी भलू सकता है जो वो नहीं चाहता है भलू ना वो नहीं भलू सकता स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
14 जो वो चाहता है वो भलू पाता है पि वो भलू ा कु छ नहीं है नजदं गी की िफ्ताि में वक्त की खीचा तानी में कु छ नहीं भलू ा मझु े भी सब याद है आप सबका नाम आप सबका काम आपने क्या कहा आपको हमने क्या कहा आपने क्या बोला निि हमने क्या बोल सब कु छ। कु छ भी हम नहीं भलू े आप भी कु छ नहीं 10. पेड़ों का सामाक्षिक पररवेश - डा मनोरमा क्षसहं स्पंदन अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
15 क्या पेड -पौधे भी आपस में बातंे किते ह?ैं जी हाूँ, सजीव होने के कािण आपस में बातंे भी किते हैं औि एक-दसू िे की सहायता भी I वो अपनी जडों के माध्यम से एक दसू िे से जडु े िहते हैं औि नबना भाषा के आपस में बात किते हIंै उनकी जडों से Electric Impulse उत्पन्न होता है नजससे वो एक दसू िे को संदशे भेजते हंै इनकी बातों का मखु ्य नवषय इनका survival होता है यनद नकसी पौधे के पोषक तत्व कम हो जाते हंै तो पास के पौधे उसकी उस जरूित को पिू ा किने के नलए तत्पि हो जाते हंै I इस तिह से ये ना के वल बातें किते हंै बनल्क एक दसू िे की सहायता भी किते ह,ंै इनका अपना एक मजबतू सामानजक तंत्र होता है I अभी दो नदन पहले ही मंैने दखे ा नक मेिी बालकनी में गमले में लगे एक छोटे से ही क्रोटन के पौधे ने अपनी एक हाथ रूपी डाल बढ़ाकि मालती को उंगली पकड कि ऊपि बालकनी में अपने पास बातें किने के नलए बलु ा नलया I मझु े बहतु आश्चयम हआु ,निि थोडी study भी की, नक ये ना के वल अपने पास के पौधों से बात किते हैं बनल्क 200 मीटि की range मंे भी अपना सदं शे एक पेड दसू िे पेड के माध्यम से पहचुूँ ाते हंै I 11. दीक्षि क्षसन्हा बाि-बाि ये बहती सहु ानी हवाएं नकसकी याद नदलाती है धीिे से एकि मेिे किीब कु छ-कु छ मीठा गनु गनु ाती है नकसकी याद नदलाकि वो इक ददम सा जग जाती है स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
जो पछू ो उनसे कौन है वो हसीन 16 तो हौले से वो मसु ्कु िाती है सनु ना जिा ध्यान से तमु जिा अगस्त 2023 नकसका नाम वो सनु ाती है 12. िभु िार्थना - नीलम पाठक ईश्वि से संसाि बना, क्या तिे ा गणु ानवु ाद करंू। लेनखनी नसनथल मनस्तष्क नवकल, सब तिे ी ही तो माया ह।ैं खग, ननद, कू जन, कल्लोलन है औि वायु का झडकोलन है तरु ,नवटप ,पषु ्प ,घन, छाया बन सब तेिा रुप नशिोमनण ह।ंै सखु दते ा ह,ै दखु लेता है दखु दते ा ह,ै सखु लेता है माया से जकडे मानव को यह नहीं सोचने दते ा ह।ै पाि किो प्रभु मेिी नैया, टेित हं मन नवकल, नखबैया । भव सागि मंे तनू े ही तो, िीनत नीनत से माया जोडी। स्पदं न अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
मन्द बनु ध्द हूँ छोटा बालक, 17 मझु पि कृ पा किो थोडी सी। अगस्त 2023 13. भूलती िा रही हं - सधु ा टेरी भलू ती जा िही हं मैं मायका, मां का लाड नपता का प्याि भलू ती जा िही ह।ं नवदाई के गीतों से मां नहीं, बेटी याद आती ह।ै नजम्मेदािी से पापा नहीं पनत का ध्यान किती ह।ं जब भी कु छ अच्छा बनाती थी, तो बताती थी मां को। आज बेटी को िोन लगाती ह।ं तू भी आ कि खा जा, यंू लाड लटु ाती ह।ं भलू गई कब छोटी थी मंै जब बच्चे छोटे थे न..... बस यही बात दोहिाती ह।ं भलू ती ही जा िही हं नक याद िखना था बचपन स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
बस लाडलों का बचपन याद कि पाती ह।ं 18 14. मेरा शहर - रचना दीक्षित अगस्त 2023 मेिे शहि को सिु नित, चाक चौबंद िखने को गली, चौिाहों, मॉल, सडकों, िेलवे स्टेशन, एअि पोटम, हि जगह लगे ह,ैं सी सी टी वी कै मिे अचानक जब कभी घटती ह,ै कोई घटना या दघु टम ना खगं ाले जाते है ये सभी उनमें से अनधकांश, नहीं उति पाते खिे अपनी ही कसौटी पि औि ठगे जाते हैं हम मेिे शहि में औि भी, कई जगहों पि हंै ऐसे ही कै मिे, स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
चनें जंग रूम, बाथ रूम 19 गल्सम होस्टल, होटल रूम अगस्त 2023 यहाूँ तक नक घि के बेड रूम ये अपनी कसौटी पि उतिते हंै खिे वो भी शत प्रनतशत यहाूँ भी एक बाि निि ठगे जाते हंै हम 15. शमा - रचना दीक्षित कहते हंै उसे ददम नहीं होता वो नकसी के प्याि मंे पागल नहीं होता पलक पावं डे नहीं नबछाता नगिता नहीं नबखिता नहीं बंदू बंदू रिसता नहीं बहता नहीं टूटता नहीं कल एक मोमबत्ती को नदए के प्याि में जलते सलु गते नबखिते टूटते स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सीमाओं को तोडते दखे ा 20 औि नदया अगस्त 2023 एक जलन तनपश आग िौशनी थी उधि निि भी अपनी ही सीमाओं मंे बंधा शांत एक ठहिाव एक अके लापन अचानक दखे ती हँू लौ के एक भाग का टूटना नगिना स्याह होना अूँधिे े में खो जाना क्या इसी को कहते हंै दीप तले अधँू ेिा 16. अके ला क्षचराग - रािश्री अके ला नचिाग ख्वाइशों की नचगं ारियों से मंै अके ला नचिाग सा जलता स्पदं न अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
21 तपता नपघलता उजाला नबखिे ता दद,म पीडा, आतप सहता तिे ी नजदं गी के हि पहि मंे खनु शयों की िोशनी का निू बिसाता मैं अके ला नचिाग सा जलता।। 17. रािश्री स्पंदन अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
18. \"ऊं चाई का अके लापन\" – सधु ा टेरी 22 आकाश का एक टुकडा, अगस्त 2023 उसकी छाती में आ जडा था। ऊं चा कु छ औि ऊं चा, बहुत ऊं चा उठा था। ऊं चाई के अके लेपन का, जब दशं आ लगा। ऊपि से नगिता आंसू नकसी के दामन तक न पहुचं ा। छाती के टुकडे पि िखकि सि, वह सोया था िात भि, सबु ह अनंत आकाश का एक नहस्सा ही तो बना था। ऊं ची उडान गहिी पहचान, मिे े मानलक, भीति से मैं इक खोखला तना था। पंखों में ऐठं न थी, िडिडाहट ना थी, लबों पि बिम थी, सगु बगु ाहट ना थी। हानशए पि एक पिी, आज औि जडा था। स्पदं न अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
19. क्षियंका श्रीवास्तव 23 तन्हाई (अके लापन) अगस्त 2023 तन्हाई भी मझु े जचं ने लगी ह,ै शायद आदत ही पड गई है । नदल चाहता है नक कोई तो, मझु से मेिी खरै ियत पछू े। जब पछू े कोई हाल मेिा , ठीक ह,ं यही जवाब होता ह।ै । सोचती हं कोई कस कि नहला दे , झंझोड कि जगा दे मझु े। कहे नक मत छु पाओ तमु िाज़, मंै जानता हं तमु ्हािे नदल का हाल।। कहे नक तमु हो मेिे नलए, तमु नहीं हो अके ली। जब तक सांस में सांस ह,ै मझु े है तमु ्हािी जरूित ।। जीते हंै न साथ साथ, पकड के िखते हैं न हाथ। वक्त का क्या भिोसा, नकस पल न ढल जाए, नजंदगी का सिू ज।। स्पंदन अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
20. नीलम पाठक 24 अके ला तू , अके ला मंै अगस्त 2023 अके ला जग ये सािा ह,ै ये ऋनषयों ने बहुत गाया औि वेदो ने भी समझाया। जनम लेते अके ले ही, औि मिना भी अके ला ह।ै न सिगम सांस की जब दहे में, तब उडता ह-ं स अके ला ह।ै अके ले से तो क्या डिना, अके ला अपना साथी ह।ै नहीं नदखती वे जजं ीिें, नक नजससे जग ये जकडा ह।ै ये माया का झमले ा ह,ै ये माया का झमेला ह।ै अके ला त,ू अके ला म,ैं अके ला जग ये सािा ह.ै ...। किी कोनशश बहुत यत्नों से जो भी धन कमाया ह,ै अभी न बन्द थी आंख,ंे ये सनु ने मंे भी आया ह।ै ये तिे ा ह,ै ये मेिा ह,ै स्पंदन अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
25 ये उसका ह,ै ये नकसका ह।ै ये बातंे थी सभी उनकी, जो मिे ा कु टुम्ब कबीला है अके ला तू ,अके ला म,ंै अके ला जग ये सािा ह.ै ...। 21. नीलम पाठक सजा इतनी खबू सिू त होगी मंैने सोचा भी न था। बतौि सजा गोपाल दास\" नीिज\" का जीवन दशनम एवं सानहनत्यक जीवन का अध्ययन किने को नमलेगा। सजा पाकि मंै कािी खशु थी।औि मझु े बचपन का वह समय याद आया जब मंै हाईस्कू ल में थी औि मिे े स्कू ल के कनव सम्मेलन मंे सभी प्रनसद्ध कनवयों के साथ नीिज जी का आगमन हआु था औि मंैने पहली बाि उनके कनवता पाठ का आन्नद नलया। उसके बाद मझु े कई बाि सनु ने का सौभाग्य प्राप्त हआु । बाहि से एकदम साधािण नदखते पि अन्दि सानहत्य की अनठू ी नवधाओं को समानहत नकए हुए एक प्रनतभा शाली व्यनक्तत्व थे।उन्होंने इस मायावी ससं ाि को (4जनविी1925-19जलु ाई2018) तक अपने प्रकाश से प्रकानशत नकया। आपने प्रेम, नविह,प्रकृ नत जीवन से िचे बसे गीतों की िचना कि श्रोताओ का नदल जीता। नीिज जी का बचपन कािी सघं षम एवं अभाव मंे बीता। नवनभन्न कािणों से उत्पन्न अनभु व को उन्होंने नदल की अतल गहिाईयों में सहजे कि िखा औि गीतो मंे नपिो नदया। आपको सबसे पहले आि.चन्द्रा की निल्म \"नई उमि की नई िसल\" के नलए निल्म में गीत नलखने का मौका नमला।उन्होंने एक से बढ़कि एक गीत नलख कि जन-जन के हृदय के तािों को झकं ृ त नकया औि उन्हें भाव नवभोि कि निल्मी गीत गगं ा को समदृ ्ध नकया।उनके सपु ि नहट गीत कािवां गजु ि गया गबु ाि दखे ते िह।े स्पदं न अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
26 नलखे जो खत तझु े। ऐ भाई जिा दखे कि चलो। चडू ी नहीं मेिा नदल ह।ै शोनखयों मे घोला जाए। ऐसे बहुत सािे गीत ह।ंै नजन्होंने उन्हंे लोगों के नदल ,नदमाग औि नजह्वा पि जीनवत िखा ह।ै नीिज जी की िचनायंे अलकं ाि, नवशषे णों आनद से नवहीन सीधी सादी ह।ैं उनकी लोकनप्रयता का प्रमाण यह है नक जहां नहन्दी के माध्यम से साधािण स्ति के पाठक के मन में उतिे है वही गम्भीि अध्यते ाओ के मन को भी गदु गदु ा नदया ह।ै आपको पद्म श्री औि पद्म भषू ण तथा कई निल्म िे यि पिु स्काि से सम्माननत नकया गया। प्रमे को लेकि उनका कहना था \"औि का धन सोना चांदी अपना धन तो प्याि िहा नदल से जो नदल का होता है वो अपना व्यापाि िहा।\" खशु ी नजसने खोजी वह धन लेके लौटा \"हसं ी नजसने खोजी चमन लेके लौटा मगि प्याि को खोजने जो चला वह न तन लेके लौटा न मन लेके लौटा।\" \"नजतना कम सामान िहगे ा उतना सिि आसान िहगे ा नजतनी भािी गठिी होगी उतना तू हिै ान िहगे ा हाथ नमले औि नदल न नमले ऐसे में नकु सान िहगे ा जब तक मनन्दि औि मनस्जद है मनु श्कल मंे इसं ान िहगे ा।\" स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
27 गोपाल दास 'नीिज 'जी का सम्पणू म जीवन स्वयं में एक गीत था \"इतने बदनाम हएु हम तो इस जमाने मंे लगेगं ी आपको सनदयां हमें भलु ाने में।\" 22. अके लापन - डा मनोरमा क्षसहं मझु े तो अपना साथ, हमेशा अच्छा लगता ह,ै ना जाने क्यों, बहुतों को अके ले से डि लगता ह,ै लेनकन उच्च सजृ न औि नवान्वषे ण अके ले मंे ही होता ह,ै अध्यात्म का अथम ही होता है अनध-आत्म अपने समीप आकि ही तो खदु को पहचानोग,े ध्यान ,प्राणायाम या हो लेखन, होता है सब अके ले, अके लेपन की शनक्त को तमु जब भी पहचानोग,े अपने जीवन लक्ष्यों को उतने समीप पाओगे, हि उलझन का हल अके ले मंे ही पाओगे !! 23. महाकक्षव डॉ० गोपाल दास नीरि - रचना दीक्षित पंेगइु न प्रकाशन से छपे नीिज के एक कनवता-सगं ्रह 'नीिज : कािवाूँ गीतों का' की भनू मका मंे उन्होंने अपने शब्दों मंे नलखा है - \"मिे ी मान्यता है नक सानहत्य के नलए मनषु ्य से बडा औि कोई दसू िा सत्य ससं ाि मंे नहीं है औि उसे पा लेने मंे ही उसकी साथमकता ह.ै .. अपनी कनवता द्वािा मनषु ्य बनकि मनषु ्य तक पहचुँू ना चाहता ह.ँू .. िास्ते पि कहीं मिे ी कनवता भटक न जाए, इसनलए उसके हाथ में मनंै े प्रेम का दीपक दे नदया ह.ै .. वह (प्रेम) एक ऐसी हृदय-साधना है जो ननिंति स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
28 हमािी नवकृ नतयों का शमन किती हईु हमंे मनषु ्यता के ननकट ले जाती ह।ै जीवन की मलू नवकृ नत मैं अहं को मानता ह.ूँ .. मिे ी परिभाषा मंे इसी अहं के समपमण का नाम प्रमे है औि इसी अहं के नवसजमन का नाम सानहत्य ह।ै \" आध्यानत्मक रुनच के नीिज का मन मानव-ददों को अनेकनवध रूप में महससू किता था औि उनके मनन का यही नवषय था। 'सत्य' नकसी एक के पास नहीं ह,ै वह मानव-जानत की थाती है औि मनषु ्य-मनषु ्य के हृदय मंे नबखिा हआु ह।ै इस सत्य को प्रमे से जाना-पहचाना जा सकता है औि जानना-पहचानना ही काफी नहीं ह,ै उसे मांस-मज्जा की तिह अपना नहस्सा बनाना ज़रूिी ह।ै जब वह इस रूप मंे आ जाता है तो कनवता का भाव बन जाता है औि भाव-तीव्रता लय पकडकि शब्दों मंे बह पडती ह।ै नीिज की कनवता में भाव-लय-शब्द की एकानन्वनत महससू की जा सकती ह।ै यद्यनप नीिज ने कहा था नक उनको लोग सनु ते ह,ंै उन्हें सम्मान दते े ह,ंै नजसके नलए वो तहे नदल से आभािी हैं लेनकन उन्हें दखु है नक जयशकं ि प्रसाद की कामायनी, तलु सी के िामचरितमानस की तिह कोई कालजयी िचना नहीं नलख सके । ऐसी िचनाओं के नलए शांनत चानहए होती है जो नक उनके जझु ारू जीवन ने प्रदान नहीं की। नीिज नजस कद व पद के लायक िहे नहदं ी सानहत्य ने वो नहीं नदया। जैसा मलू ्यांकन होना था वो भी नहीं हो पाया। वे उस दौि में गीत को ऊं चाई पि ले गए, जब नदनकि ने कहा था नक गीत मि गया। नवगीत का चलन बढ़ िहा था, नीिज ने गीतों को अच्छे शब्दों में नपिोकि मचं पि उतािा। सानबत नकया नक गीत कभी नहीं मि सकता। आलोचना की निक्र न किते हुए गजल भी नलखीं। छोटी बहि पि कई कमाल की गजलंे ह।ंै नीिज ने गंभीि अनवु ाद कायम भी नकए। महनषम अिनवदं के अंग्रजे ी महाकाव्य सानवत्री के नहदं ी अनवु ाद पि कायम नकया। नहदं ी काव्य जगत में औि नहदं ी निल्मी दनु नया मंे गोपाल दास नीिज ने प्रमे का सबसे अनधक उनजयािा िै लाया ह।ै उनके काव्य का साि नसिम प्रमे ह।ै उन्होंने प्रमे पि नसिम कनवता ही नहीं की बनल्क अपनी कनवता में नलखे प्रेम को एक नवचाि मानकि नजया भी। तभी तो िक्कड नीिज को प्रेम के मस्त गगन का सबसे चमकीला ध्रवु तािा कहा जाता ह।ै यहां आपके नलए पेश है प्रेम से स्पंदन अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
29 छलकती हईु नीिज की दो प्रचनलत कनवतायें औि एक ग़ज़ल। आप सब भी इसका आनंद लंे औि नीिज जी को नमन किें औि गवम महससू किें नक हम नकतने सौभाग्यशाली हंै हमने नीिज को दखे ा औि सनु ा ह।ै (1) मीलों जहां न पता खशु ी का... मंै पीडा का िाजकंु वि हं तमु शहज़ादी रूप नगि की हो भी गया प्याि हम में तो बोलो नमलन कहां पि होगा ? मीलों जहां न पता खशु ी का मंै उस आंगन का इकलौता, तमु उस घि की कली जहां ननत होंठ किें गीतों का न्योता, मिे ी उमि अमावस काली औि तमु ्हािी पनू म गोिी नमल भी गई िानश अपनी तो बोलो लगन कहां पि होगा ? मैं पीडा का िाजकंु वि हं तमु शहज़ादी रूप नगि की हो भी गया प्याि हम में तो बोलो नमलन कहां पि होगा ? बदनामी ने काज ननकाले... मेिा कु ताम नसला दखु ों ने बदनामी ने काज ननकाले तमु जो आचं ल ओढ़े उसमंे नभ ने सब तािे जड डाले मैं के वल पानी ही पानी तमु के वल मनदिा ही मनदिा नमट भी गया भदे तन का तो मन का हवन कहां पि होगा ? स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
30 मंै पीडा का िाजकंु वि हं तमु शहज़ादी रूप नगि की हो भी गया प्याि हम में तो बोलो नमलन कहां पि होगा ? उम्र आसं ओु ं की बढ़ जाए... मैं जन्मा इसनलए नक थोडी उम्र आसं ओु ं की बढ़ जाए तमु आई इस हते ु नक मेंहदी िोज़ नए कं गन जडवाए, तमु उदयाचल, मंै अस्ताचल तमु सखु ान्तकी, मैं दखु ान्तकी जडु भी गए अंक अपने तो िस-अवतिण कहां पि होगा ? मैं पीडा का िाजकंु वि हं तमु शहज़ादी रूप नगि की हो भी गया प्याि हम मंे तो बोलो नमलन कहां पि होगा ? इतनी भावकु नहीं नज़न्दगी... इतना दानी नहीं समय जो हि गमले मंे िू ल नखला द,े इतनी भावकु नहीं नज़न्दगी हि ख़त का उत्ति नभजवा द,े नमलना अपना सिल नहीं है निि भी यह सोचा किता हूँ जब न आदमी प्याि किेगा जाने भवु न कहां पि होगा ? मैं पीडा का िाजकंु वि हं तमु शहज़ादी रूप नगि की हो भी गया प्याि हम में तो बोलो नमलन कहां पि होगा ? स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
(2) प्याि अगि थामता न पथ मंे उंगली इस बीमाि उमि की 31 प्याि अगि थामता न पथ मंे उंगली इस बीमाि उमि की अगस्त 2023 हि पीडा वशै ्या बन जाती, हि आंसू आवािा होता। ननिवशं ी िहता उनजयाला गोद न भिती नकसी नकिन की, औि नज़न्दगी लगती जैस-े डोली कोई नबना दलु ्हन की, दखु से सब बस्ती किाहती, लपटों मंे हि िू ल झलु सता करुणा ने जाकि नफित का आंगन गि न बहु ािा होता। प्याि अगि थामता न पथ मंे उंगली इस बीमाि उमि की सबका होकि भी न नकसी का... मन तो मौसम-सा चचं ल है सबका होकि भी न नकसी का अभी सबु ह का, अभी शाम का अभी रुदन का, अभी हसं ी का औि इसी भौंिे की ग़लती िमा न यनद ममता कि दते ी ईश्वि तक अपिाधी होता पिू ा खले दबु ािा होता। प्याि अगि थामता न पथ में उंगली इस बीमाि उमि की कहे इसे वह भी पछताए... जीवन क्या है एक बात जो इतनी नसिम समझ मंे आए- कहे इसे वह भी पछताए स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सनु े इसे वह भी पछताए 32 मगि यही अनबझू पहले ी नशश-ु सी सिल सहज बन जाती अगि तकम को छोड भावना के संग नकया गजु ़ािा होता। अगस्त 2023 प्याि अगि थामता न पथ में उंगली इस बीमाि उमि की औि व्यथम लगती सब गीता... मेघदतू िचती न नज़न्दगी वनवानसन होती हि सीता सनु ्दिता कं कडी आंख की औि व्यथम लगती सब गीता पनडडत की आज्ञा ठुकिाकि, सकल स्वगम पि धलू उडाकि अगि आदमी ने न भोग का पजू न-पात्र जठु ािा होता। प्याि अगि थामता न पथ मंे उंगली इस बीमाि उमि की भीति से लगता पहचाना... जाने कै सा अजब शहि यह कै सा अजब मसु ानफिख़ाना भीति से लगता पहचाना बाहि से नदखता अनजाना जब भी यहाूँ ठहिने आता एक प्रश्न उठता है मन मंे कै सा होता नवश्व कहीं यनद कोई नहीं नकवाडा होता। प्याि अगि थामता न पथ में उंगली इस बीमाि उमि की प्याि नसफम वह डोि नक नजस पि। हि घि-आंगन िंग मंच है स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
औि हि एक सांस कठपतु ली 33 प्याि नसफम वह डोि नक नजस पि अगस्त 2023 नाचे बादल, नाचे नबजली, तमु चाहे नवश्वास न लाओ लेनकन मंै तो यही कहगूँ ा प्याि न होता धिती पि तो सािा जग बंजािा होता। प्याि अगि थामता न पथ मंे उंगली इस बीमाि उमि की (3) खशु बू सी आ िही है इधि ज़ाफिान की खशु बू सी आ िही है इधि ज़ाफिान की, नखडकी खलु ी है गानलबन उनके मकान की. हािे हएु परिन्दे ज़िा उड के दखे तो, आ जायेगी जमीन पे छत आसमान की. बझु जाये सिे आम ही जसै े कोई नचिाग, कु छ यूँ है शरु ुआत मिे ी दास्तान की. ज्यों लटू ले कहाि ही दलु ्हन की पालकी, हालत यही है आजकल नहन्दसु ्तान की. औिों के घि की धपू उसे क्यूँ पसदं हो बेची हो नजसने िौशनी अपने मकान की. स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
34 जलु ्िों के पचें ो-ख़म में उसे मत तलानशय,े ये शायिी जबु ां है नकसी बेजबु ान की. 'नीिज' से बढ़कि औि धनी है कौन, उसके हृदय मंे पीि है सािे जहान की 24. नीरि के कु छ सनु े अनसुने क्षकस्से - डा रवीन्र दीक्षित इटावा में जन्मे औि अलीगढ़ को अपनी कमसम ्थली बनाने वाले नीिज ने जीवन में अनथक सघं षम नकया। बहतु मामलू ी-सी नौकरियों से लेकि नफल्मी ग्लैमि तक, मंच पि काव्यपाठ के नशखिों तक, गौिवपणू म सानहनत्यक प्रनतष्ठा तक, भाषा-संस्थान के िाज्यमतं ्री के दजे तक उनकी उपलनब्धयाँू प्राप्त होने के उपिांत भी अपने सघं षम-पथ पि पढ़े मानवीयता औि प्रमे के पाठ पि पिू ी नजन्दगी अनडग िहे - *खदु तो जलते धपू म,ंे औिों को दें छाँूव।। हम तो बस एक पेड ह,ंै खडे प्रमे के गाँूव।* गोपाल दास नीिज ने न के वल प्रेम, नविह, प्रकृ नत औि जीवन से िचे बसे गीतों की िचना की, बनल्क उनके काव्य में अध्यात्म, दशमन व सनू िज्म के दशमन भी होते ह।ैं उनकी महाित न के वल गीतों में थी, बनल्क गजल, हाइकू , दोहा व गद्य मंे भी खबू अपनी बात कही। वे नहदं ी के नसद्ध कनव थे तो उदमू के मकु ानबल शायि भी। उन्होंने सिस भाषा मंे िहस्यमयी बात की। उन्हें जनकनव स्पंदन अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
35 कहा जाए तो यह अनतश्योनक्त नहीं होगी। नीिज के शब्दों मंे- ' मानव होना भाग्य ह,ै कनव होना सौभाग्य' , नकं तु ऐसा सौभाग्य नकसी-नकसी को ही हानसल होता ह।ै नीिज ने मंच का चनु ाव अपने औि अन्य कु छ परिवािों के दानयत्व को ननभाने की खानति नकया था। सभं वतः उन्हंे यह यह अच्छा नहीं लगता िहा होगा पिन्तु आजीनवका के माध्यम के तौि पि उन्होंने इससे समझौता कि नलया था औि उन्होंने कहा भी - *चलते चलते पहचुूँ गए हम भावनगि से अथम नगि मंे जाने नकतने औि मोड है जीवन के अनजान सफि म*ंे इस मजबिू ी का अहसास नकतना ही गहिा िहा हो, पि नीिज की कनवता के वस्त-ु रूप को उसने कभी ननयंनत्रत नहीं नकया। मंच की कनवताएँू हों या नफल्मी गीत, नीिज के कनव ने कहीं भी समझौता नहीं नकया। निल्म के नलए नलखे गए उनके गीत अपनी अलग पहचान िखते ह।ैं नफल्म-सगं ीत का कोई भी शौकीन गीत की लय औि शब्द-चयन के आधाि पि उनके गीतों को फौिन पहचान सकता ह।ै वस्तु के अनरु ूप लय के नलए शब्द-सगं नत जैसे उनको नसद्ध थी, उदाहिण के नलए ' शमीली ' नफल्म का यह गीत दखे -ें _मघे ा छाए आधी िात बैिन बन गई ननंनदया सब के आगँू न नदया जले िे मोिे आँूगन नजया हवा लागे शलू जैसी ताना मािे चनु रिया सब के आगँू न नदया जले िे मोिे आगूँ न नजया हवा लागे शलू जसै ी स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
36 ताना मािे चनु रिया आयी हैं आूसँ ू की बािात बैिन बन गई ननंनदया बता दे मंै क्या करँूू मेघा छाए आधी िात बैिन बन गई ननंनदया_ यह नीिज के लय-िचाव की अपनी नवनशष्टता ह।ै एक बाि बातचीत के क्रम में नजक्र किते हएु उन्होंने बताया था नक ' िँूगीला ' के नलए जब उन्होंने टाइनटल साँूग नलखा तो सनचन दवे वमनम ने इसके गाने को लेकि प्रश्न उठाया, बाद मंे नीिज ने जब स्वयं उसे गाकि सनु ाया तो धनु तयै ाि हईु । दवे ानंद ने नीिज जी को नकसी कायकम ्रम या कनव सम्मले न में सनु ा था औि सनु ने के बाद कहा था, ‘मझु े आपके नलखने की स्टाइल पसदं ह।ै हम लोग नकसी निल्म पि कभी काम किेंग।े ’ ज़्यादाति बडे निल्मकािों के संगीत ननदशे क औि गीतकाि एक टीम की तिह से काम किते हैं औि बहतु सी निल्मंे साथ-साथ किते थे। ऐसा ही दवे ानंद के साथ भी था। उन नदनों दवे ानंद के नलए गीतकाि शेलेन्द्र गीत नलख िहे थे औि एसडी बममन संगीत दे िहे थे औि इस जोडी के गाने खबू नहट हो िहे थे। इसी बीच निल्मी मैगजीन ‘ स्क्रीन ’ मंे ननकला नक दवे ानंद एक निल्म ‘ प्रमे पजु ािी ’ बनाने जा िहे हैं नजसके नलए वो नकसी नए गीतकाि को लेना चाहते हें तो नीिज जी ने दवे ानंद को िोन नकया औि याद नदलाया, आपने मझु से एक बाि कहा था नक हम लोग कभी साथ काम किंेग।े दवे ानंद ने कहा नक आप ने अच्छा याद नदलाया औि आप मबंु ई आ जाए।ं मबंु ई पहचुं ने पि दवे ानंद नीिज जी को नमलाने एसडी बममन के पास ले गए नजनको सब लोग ‘दादा’ बोलते थे। उन्होंने दादा से कहा नक ये बहुत अच्छे कनव ह,ंै अलीगढ़ से आए हैं औि मंै इस निल्म के गीत इनसे नलखवाना चाहता ह।ं स्पंदन अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
37 दादा ने नीिज जी को नसचएु शन बताई नक हीिोइन नवदशे पहुचं ती ह,ै शिाब की पाटी हो िही है औि वहाँू पि हीिो (उसका प्रेमी) नकसी दसू िी लडकी के साथ आता ह।ै उन्होंने गाने की धनु बताई साथ में बंनदश लगा दी नक गाना “िंगीला” शब्द से ही शरु ू होगा। िातभि बैठ के नीिज जी ने गाना नलखा औि सविे े दवे साहब को िोन नकया नक गाना तयै ाि ह।ै पहले तो उन्हें अचिज हआु नक एक िात में ही गाना नलख नलया गया! निि उन्होंने कहा नक गाना पहले मंै सनु ंगू ा नजससे अगि कोई कमी हुई तो उसके ठीक किने के बाद ही दादा के पास चलेंगे नजससे वो इसको रिजके ्ट न कि पाए,ं नहीं तो आगे का िास्ता कािी कनठन हो जाएगा। दवे साहब दादा का नेचि जानते थे। उन्हें पता था नक बममन दादा नजसको पसदं किते हैं उसको एकदम हाँू कह दते े हंै लेनकन अगि न है तो आगे के िास्ते बंद। हो सकता है नक सनचन दा दोबािा नलखवाने के नलए तैयाि ही न हों इसनलए वे कोई भी जोनखम नहीं लेना चाहते थ।े दवे साहब को गाना बहतु पसंद आया औि दोनों लोग दादा के पास गए। बमनम साहब को पहले तो नवश्वास ही नहीं हआु नक एक िात मंे ही गाना तयै ाि हो गया है निि बोले सनु ाओ। गाना सनु कि वे बहतु प्रसन्न हुए औि इसके बाद तो दोनों की एक जोडी बन गई। इस जोडी ने कई निल्मो में साथ-साथ काम नकया। बहुत ही संदु ि औि सिु ीले गाने निल्मों में नदए। इस जोडी का पहला गाना था : िंगीला िे, तिे े िंग म,ें यंू िंगा है मेिा मन हो ओ ओ छनलया िे ना बझु े है नकसी जल से ये जलन । इस गीत में 'तिे े िंग में जो िूँगा है मेिा मन' को 'छनलया िे...' से जोडना एक अद्भुत प्रयोग िहा जो इसकी सगं ीतात्मकता को एक अलग स्ति पि पहचुं ता ह।ै अब ज़िा ' प्रेम पजु ािी ' के इस गीत को दने खये - स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
िू लों के िंग से नदल की कलम से 38 तझु को नलखी िोज़ पाती कै से बताऊूँ नकस नकस तिह से अगस्त 2023 पल पल मझु े तू सताती तिे े ही सपने लेकि के सोया तिे ी ही यादों मंे जागा तिे े खयालों मंे उलझा िहा यूँ जसै े के माला में धागा हाँू बादल नबजली चंदन पानी जसै ा अपना प्याि लेना होगा जनम हमंे कई कई बाि हाूँ इतना मनदि इतना मधिु तिे ा मिे ा प्याि लेना होगा जनम हमें कई कई बाि साूँसों की सिगम धडकन की वीना सपनों की गीताँूजली तू मन की गली में महके जो हिदम ऐसी जहु ी की कली तू छोटा सफि हो लम्बा सफि हो स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
सनू ी डगि हो या मले ा 39 याद तू आए मन हो जाए भीड के बीच अके ला अगस्त 2023 हाूँ बादल नबजली चंदन पानी जैसा अपना प्याि लेना होगा जनम हमें कई कई बाि हाँू इतना मनदि इतना मधिु तिे ा मिे ा प्याि लेना होगा जनम हमंे कई कई बाि पिू ब हो पनच्छम उत्ति हो दनक्खन तू हि जगह मसु ्कु िाए नजतना ही जाऊँू मैं दिू तझु से उतनी ही तू पास आए आधँू ी ने िोका पानी ने टोका दनु नया ने हसँू कि पकु ािा तसवीि तिे ी लेनकन नलये मंै कि आया सबसे नकनािा हाँू बादल नबजली चदं न पानी जसै ा अपना प्याि स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
40 लेना होगा जनम हमंे कई कई बाि हाँू इतना मनदि इतना मधिु तिे ा मेिा प्याि लेना होगा जनम हमें कई कई बाि कई कई बाि अपनी मतृ ्यु से कु छ ही पहले दवे ानंद ने नीिज को याद किते हएु उनकी गीत-िचना की बहुत प्रशंसा की थी। नफल्म इडं स्री के अधं नवश्वासों के चलते नीिज को वापस अलीगढ़ लौटना पडा, यद्यनप वही उनके नलए अनधक नप्रयकि भी था। नीिज के अनेकानेक नकस्से हंै पि आज के नलए बस इतना ही आगे कभी निि इस नवषय पि चचाम होगी। जल्दी से इसे पोस्ट किंे नीलम मैडम बहुत नािाज़ हो िहीं है आज तो उन्होंने अपनी नीिज पि नलखी पोस्ट नडलीट किने की धमकी भी दे दी है इसनलए आप लोग भी जल्दी से नीिज जी पि कु छ बनढ़या सा नलख डालें नजसे पढ़कि उन्हें मज़ा आ जाये औि उनका गसु ्सा शांत हो जाय। 25. क्षियकं ा श्रीवास्तव गोपाल दास सक्सेना\"नीिज\" नहदं ी सानहत्य के एक बेहद जाने पहचाने हस्तािि हैं ।उनकी कनवताए,ं गीत औि गजल दशे के जन मानस के मन मनस्तष्क पि अंनकत ह।ैं उनके गीतों को गनु गनु ाते हुए कई पीनढ़यां जवान हुई ह।ैं वे पहले ऐसे व्यनक्तत्व थे ,नजन्हे भाित सिकाि ने नशिा औि सानहत्य के नलए दो बाि सम्माननत नकया ,एक बाि पद्मश्री औि एक बाि पद्म भषू ण । स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
41 तत्कालीन िाज्य सिकाि ने उन्हें कै नबनेट मंत्री का नवशषे दजाम प्रदान नकया था । निल्मों में बेहतिीन गीत लेखन के नलए उन्हें तीन बाि निल्िे यि अवाडम भी नमला। 4जलु ाई 1925 को उत्ति प्रदशे के इटावा में गोपालदास सक्सेना \"नीिज\" जी का जन्म हआु था , यहीं इनकी नशिा दीिा संपन्न हुई , सानवत्री दवे ी सक्सेना उनकी जीवन सनं गनी बनीं ।उन्होंने सबसे पहले आि . चंद्रा की नफल्म 'नई उमि की नई िसल से अपने गीत नलखने की शरु ुआत की ।19 जलु ाई 2018 को उन्होंने नदल्ली में अपनी आनखिी सांसंे ली। उनकी कु छ प्रमखु िचनाएूँ (ददम नदया ह,ै प्राण गीत, गीत जो गाये नहीं, नीिज की पाती,औि कािवाँू गजु ि गया ) पढ़ने का मझु े भी सौभाग्य नमला ।उनकी काव्य औि िचना शैली बेहतिीन औि आम जन मानस के नदल को छू लेने वाली है तथा वतमम ान परिवेश में भी समसामनयक ह।ै उनके नलखे नफल्मी गाने आज की यवु ा पीढ़ी भी गनु गनु ाते नहीं थकती । हमािी पीढ़ी की तो नदलों की धडकन होते थे उनके नलखे नग़म.े .. नलखे जो ख़त तमु ्हंे ….ये गीत हि नौजवान ने कभी न कभी अपनी प्रेनमका के नलये जरूि गनु गनु ाया होगा। शोनख़यों में घोली जाये थोडी सी …. आज मदहोश हआु जाये िे…. नदल आज शायि ह…ै जीवन की बनगया महके गी…. िंगीला िे … कहता है ज़ोकि… आदमी हँू आदमी से प्याि किता ह…ँू ये कु छ नफल्मी गाने हैं जो आज भी गनु गनु ा कि हम भावानवभोि हो जाते ह।ैं िंगीला िे ....इस गाने को न जाने नकतनी बाि मंैने सनु ा , औि हि बाि वो पहले से ज्यादा िोमांनचत कि दते ा ह।ै काल का पनहया घमू े िे़ भईया....(चदं ा औि नबजली)1970 स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
42 बस यही अपिाध मैं हि बाि...(पहचान)1971 ऐ भाई जिा दखे के चलो..(मेिा नाम जोकि)1972 नीिज जी के इन तीन गानों को लगाताि तीन साल निल्म िे यि पिु स्काि से सम्माननत नकया गया इस महान कनव औि महान िचनाकाि को मेिा शत शत प्रणाम…… 26. रािश्री िी को साक्षहत्य साधक मंच से िन्मक्षदन की बधाइयााँ स्पदं न अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
27. सावन मंे बाररश - नीलम पाठक 43 चन्दा की चांदी है िै ली, अगस्त 2023 सोने सी यह धपू । जिा दिे ये लगे अनठू ी, निि हो जाए झठू । कु हं -कु हं कि कोयल गाये , रिमनझम कि घन मझु े सलु ाय।े टिम-टिम कि दादिु बोले , झन-झन कि झींगिु भी बोले। नव प्रभात आ जाने पि , च-ंू चंू कि नचनडयां गाय।ंे चीं- चीं कि चहू ा भाग,े म्यं-ू मयंू कि नबल्ली जाय।े नव श्रावण आ जाने पि , रिमनझम कि घन मझु े सलु ाये। सदं शे दे गया आने का, कांव-कांव कि कौआ। पी-पी कि मोटि जाए, घिम-घिम यह रक का चलना। नरंक-नरंक कि साईनकल जाए, यंू जीवन का चक्र घमु ाये। नदन से िात, िात से नदन , स्पंदन अकं 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
निि नदन का यह हो जाना। 44 साईनकल जसै े दो पनहयों का, अगस्त 2023 आगे पीछे हो जाना। सेम कन्डीशन है दोनो की , ऊपि बैठा बतु । वेस्ट कि िहा टाइम को , मद मंे होकि धतु ्त। नव वषम के इस माह म,ें नव नदन को क्या दे जाऊं । गौि किो जो बात हमािी, तो छोटी सी बात बताऊं । मत वेस्ट किो यंू टाइम को, दो िण का ही जीवन पाये। नव बसन्त आ जाने पि, कोयल मीठा गीत सनु ाय।े 28. चल अके ला - दीपक्षशिा चल चल तू चल अके ला..कि जीवन मथं न, खोज खदु में अपाि शनक्त, खोज प्रिे णा का स्त्रोत, पिख खदु को.. पहचान खदु की िमताएं, स्वयं की बनके आधं ी.. तू उठा बवडं ि अपाि!! स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
45 बस तू चल चलता चला चल-चल अब तू बस कु छ कि गजु ि, तू अनद्वतीय, तू अनमट, साधना का है प्रतीक, जगा भीति की सत्य उजाम, खदु के भीति ही खो जा चल भि उडान हौसलों की खदु को परिभानषत कि जा!! दे आत्मनवश्वास अब त,ू खदु नह कि महससू मनहमा, किदे नचनत्रत संपणू म अनस्तत्व, अके लेपन का, नवयगु का ननमामण कि, चल चल तू चल अके ला, कि जीवन मंथन!! ननत खोज नई नदशाए,ं सपं णू म चनु ौनतयों से लड, कि हौंसला,उठ हि हाल में त,ू जीवन में ननत्य नए िंग भि, उच्चता को प्राप्त कि, चल चल तू चल अके ला, कि जीवन मंथन॥ 29. िब मंै बढ़ू ा हो िाऊाँ गा - समीिा शेिर 'बढु ़ापे की अनभलाषा 'औि एकाकीपन’। जब मंै बढू ़ा हो जाऊूँ गा, एकदम जजमि बढू ़ा, तब तू क्या थोडा मेिे पास िहगे ा? मझु पि थोडा धीिज तो िखगे ा न? मान ले, तेिे महगूँ े काँूच का बतनम मिे े हाथ से अचानक नगि जाए या निि मंै स्पंदन अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
46 सब्ज़ी की कटोिी उलट दूँ टेबल पि, मंै तब बहतु अच्छे से नहीं दखे सकूँ गा न! मझु े तू नचल्लाकि डाँूटना मत प्लीज़! बढू ़े लोग सब समय ख़दु को उपेनित महससू किते िहते ह,ंै तझु े नहीं पता? एक नदन मझु े कान से सनु ाई दने ा बंद हो जाएगा, एक बाि में मझु े समझ मंे नहीं आएगा नक तू क्या कह िहा ह,ै लेनकन इसनलए तू मझु े बहिा मत कहना! ज़रूित पडे तो कष्ट उठाकि एक बाि निि से वह बात कह दने ा या निि नलख ही दने ा काग़ज़ पि। मझु े माफ कि दने ा, मंै तो कु दित के ननयम से बढु ़ा गया ह,ूँ मंै क्या करँूू बता? औि जब मेिे घटु ने काूँपने लगेगं े, दोनों पैि इस शिीि का वज़न उठाने से इनकाि कि दगंे े, तू थोडा- सा धीिज िखकि मझु े उठ खडा होने में मदद नहीं किेगा, बोल? नजस तिह तनू े मेिे पैिों के पंजों पि खडा होकि पहली बाि चलना सीखा था, उसी तिह? कभी-कभी टूटे िेकॉडम प्लेयि की तिह मैं बकबक किता िहगूँ ा, तू थोडा कष्ट किके सनु ना। मिे ी नखल्ली मत उडाना प्लीज़। मेिी बकबक से बेचनै मत हो जाना। तझु े याद ह,ै बचपन मंे तू एक गबु ्बािे के नलए मेिे कान के पास नकतनी दिे तक भनु भनु किता िहता था, जब तक मंै तझु े वह ख़िीद न दते ा था, याद आ िहा है तझु ?े हो सके तो मिे े शिीि की गंध को भी माफ कि दने ा। मेिी दहे मंे बढु ़ापे की गंध पैदा हो िही ह।ै तब नहाने के नलए मझु से ज़बदसम ्ती मत किना। मिे ा शिीि उस समय बहतु कमज़ोि हो जाएगा, ज़िा- सा पानी लगते ही ठंड लग जाएगी। मझु े दखे कि नाक मत नसकोडना प्लीज़! तझु े याद ह,ै मैं तिे े पीछे दौडता िहता था क्योंनक तू नहाना नहीं चाहता था? तू नवश्वास कि, बडु ्ढों को ऐसा ही होता ह।ै हो सकता है एक नदन तझु े यह समझ में आए, हो सकता ह,ै एक नदन! तिे े पास अगि समय िह,े हम लोग साथ में गप्पें लडाएगूँ े, ठीक ह?ै भले ही कु छेक पल के नलए क्यों न हो। मैं तो नदन भि अके ला ही िहता ह,ँू अके ले-अके ले मेिा समय नहीं कटता। मझु े पता ह,ै तू अपने कामों में बहतु व्यस्त िहगे ा, मेिी बढु ़ा गई बातें तझु े सनु ने मंे अच्छी न भी लगें तो भी थोडा मेिे पास िहना। तझु े याद ह,ै मंै नकतनी ही बाि तिे ी छोटे गडु ्डे की बातंे सनु ा किता था, स्पदं न अंक 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
47 सनु ता ही जाता था औि तू बोलता ही िहता था, बोलता ही िहता था। मैं भी तझु े नकतनी ही कहाननयाूँ सनु ाया किता था, तझु े याद ह?ै एक नदन आएगा जब नबस्ति पि पडा िहगूँ ा, तब तू मिे ी थोडी दखे भाल किेगा? मझु े माफ कि दने ा यनद ग़लती से मैं नबस्ति गीला कि द,ँू अगि चादि गदं ी कि द,ँू मिे े अनं तम समय में मझु े छोडकि दिू मत िहना, प्लीज़! जब समय हो जाएगा, मेिा हाथ तू अपनी मटु ्ठी मंे भि लेना। मझु े थोडी नहम्मत दने ा तानक मंै ननभयम होकि मतृ ्यु का आनलंगन कि सकँू । नचंता मत किना, जब मझु े मेिे सषृ ्टा नदखाई दे जाएूँगे, उनके कानों मंे िु सिु साकि कहगूँ ा नक वे तिे ा कल्याण किंे। तझु े हि अमगं ल से बचाये।ं कािण नक तू मझु से प्याि किता था, मिे े बढु ़ापे के समय तनू े मिे ी दखे भाल की थी। मंै तझु से बहतु -बहुत प्याि किता हूँ िे, तू ख़बू अच्छे-से िहना। इसके अलावा औि क्या कह सकता ह,ँू क्या दे सकता हूँ भला. 30. भोिपुरी लोकगीत – नीलम पाठक बिखा के िंगन मैनं े िंगल ली चनु रिया, कोई भेज दे खबरिया हो..सखी भजे दे खबरिया। पतली कमरिया नसि पि धानी चनु रिया, कोई भजे दे खबरिया हो..सखी भेज दे खबरिया। कजिािे बादल छायेल स्पदं न अकं 4 अगस्त 2023 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
उभि लनह मिु नतया 48 कोई भजे दे खबरिया हो..सखी भेज दे खबरिया। अगस्त 2023 पीली पीली सिसों िु लली उठल लई लहरिया, कोई भजे दे खबरिया हो सखी भेज दे खबरिया। अगं -अगं चढ़लई मोिे प्रेम की खमु रिया , कोई भेज दे खबरिया हो..सखी भजे दे खबरिया। मीठी-मीठी कोयल बलु ली बजन लई पैजननया, कोई भजे दे खबरिया हो..सखी भेज दे खबरिया। संझा ढलन ही बािी झकु ल लई अधरे िया कोई भेज दे खबरिया हो..सखी भजे दे खबरिया।। 31. बरिा रानी - क्षियकं ा श्रीवास्तव आज निि बारिश हो िही पि आज छाया या छाता स्पंदन अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
ढूंढने का नदल नहीं है 49 आज तो भीग जाने का जी कि िहा अगस्त 2023 सडकों पि भिे पानी में छप छप करंू दिू तक दौड लगाऊं भीगंू नाचंू औि गाऊँू थोडा बीमाि होंऊं गी औि क्या इसी बहाने ही सही थोडा आिाम नमल जाएगा िोज िोज घीसे पीटे एक ही ढिे पि चलती नजदं गी मंे आज ये बारिश बहाि बन कि आई है खनु शयों की सौगात ले कि आई है हमािे चहे िे पि वही बचपन वाली चमक लाई है तो इस मौके क्या यंू ही छोड दंे आओ कागज की नाव बनाएं पानी मंे तैिायंे झमू झमू के गाएं बिखा िानी जिा जम के बिसो.. स्पदं न अंक 4 Please join us on our You Tube Channel “Sahitya Sadhak Manch” by scanning the QR code
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