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202110251-APEX-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_SL-G08-FY

Published by IMAX, 2020-04-13 02:51:14

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3. चबगरी बात बनै नचह,िं िाख करो चकन कोय। रचहमन फाटे िूध को, मर्े न माखन होय।। भाव - रहीम जी िे अनसु ार जब बात कबगड जाती है तो किसी िे लाख प्रयत्न िरने पर भी बनती नहीं ह।ै कजस तरह एि बार दिू फट जाता ह,ै तो उसे मथने पर भी मक्खन नहीं बनता। 4. बडे बडाई न करैं, बडो न बोिंै बोि। रहीमन हीरा कब कहै, िाख टका मेरो मोि।। भाव - रहीम िे अनसु ार जो सिमिु बडे होते ह,ैं वे अपनी बडाई नहीं किया िरते। बडे-बडे बोल नहीं बोला िरते। हीरा स्वयं िभी नहीं िहता कि उसिा मोल लाख टिे िा ह।ै भार्ा की बात अ) िोहे में आये कु छ शब्ि नीिे चिये गये हंै। अब इन शब्िों से एक-एक वाक्य बनाओ। खते किसान खते मंे िाम िरते ह।ैं कवपकि कवपकि िे समय ियै थ से रहना िाकहए। कवनय कवनय िे साथ कवद्या िी उन्नकत होती ह।ै दिू फटे हुए दिू से मक्खन नहीं कनिाल सिते। हीरा हीरा अपना मोल िभी नहीं िहता। आ) नीिे िी गयी पिंचक्त पढो। समझो। िाख टका मेरो मोि। इस पंकि में टका शब्द िा प्रयोग कवशषे अथथ िे कलए हआु ह।ै परु ाने समय मंे टिे िा बडा महत्व था। अगं ्रजे ों िे समय यह भारत िी मदु ्रा थी, कजसिा मलू ्य दो आना (पसै े) था। इसी शब्द पर िई महु ावरे भी ह।ै जैसे – 1. टिा-सा महँाु लेिर रह जाना। - शकमनथ ्दा होना 2. टिे -टिे िो मोहताज होना। - गरीब होना 3. टिा पास न होना। - िन िी िमी होना अब तुम पता िगाओ चक टका को इन भार्ाओंि में क्या कहते हैं? 1. तेलगु ु - टक्िा 3. िन्नड - कटक्िा 2. तकमल - टिा 4. मराठी - कटक्िा 150

इ) नीिे चिये शब्ि पढो। समझो। चिखो। कबगरी - कबगडी माखन - मक्खन फाटे - फ़टे अ) पढो- समझो किसान - कनदान बवु ै - लनु ै कवविे - एि िोय - होय िरैं - िहंै बोल - मोल आ) ऊपर चिये गये शब्िों मंे से चकन्हीं िो शब्िों से वाक्य प्रयोग करो। किसान - किसान गाँवा मंे रहते ह।ंै कवविे - कवविे से समय िा सदपु योग िरो। अ) पाठ मंे बताई गई नीचतयों के आधार पर नारे बनाओ। उ. 1. कवपकि में ियै थ िरो। 3. कवद्या ददाकत कवनयम। 2. अपनी िरनी और िथनी एि रख।ें 4. जसै े बोओगे, वसै ा पाओग।े अ) तुिसीिास और रहीम के िोहों का हमारे जीवन मंे क्या महत्व है? उ. तलु सीदास और रहीम िे दोहों िा हमारे जीवन मंे बहुत ही महत्वपणू थ स्थान ह।ै तलु सीदास जी ने हमें पाप और पणु ्य िा अतं र समझाते हुए िहा है कि यकद हम बरु े िाम िरेंगे तो हमंे पाप ही भगु तना पडेगा। कवद्या, कवनय, कवविे , साहस आकद हमारी कवपकि िे साथी ह।ंै इन गणु ों िो हमें हमशे ा याद रखना िाकहए। रहीम जी िा िथन है कि एि बार बात कबगड जाती है तो कफर दबु ारा बनती नहीं। अतः हमें बात कबगडने से पहले ही उसिा समािान ढूँा़ि लने ा िाकहए। हमंे अपनी बडाई स्वयं नहीं िरनी िाकहए। 151

अ) तुिसीिास और रहीम के अन्य िोहे ढूढाँ ो। उन्हें चिखो और कक्षा मंे िगाओ। उ. छात्र प्रकतकक्रया। क्या मंै ये कर सकता ह/ाँ सकती हाँ हाँा ( ) नहीं ( × ) 1. दोहे गा सिता ह।ँा 2. इन दोहों िा भाव बता सिता ह।ँा 3. दोहों िा भाव अपने शब्दों मंे कलख सिता ह।ँा 4. िकव िे बारंे में बता और कलख सिता ह।ाँ 5. दोहों िे आिार पर मलू ्यों िे बारे मंे भाषण दे सिता ह।ँा श्रुतिेख 152

अचतररक्त कायथ प्रश्नोिर चनम्न चिचखत प्रश्नों के उिर िीचजए। 1. तुिसीिास और रहीम के िोहों मंे आपको क्या समानता चिखाई िेती है? उ. तलु सीदास और रहीम िे दोहे नकै तिता से पररपणू थ ह।ैं सामान्य से उदाहरणों द्वारा भी जीवन िे गहन मलू ्य िो समझाना इनिी कवशषे ता ह।ै यह नकै ति ज्ञान वतथमान समय मंे भी प्रासकं गि ह।ै 2. तुिसी काया खेत..............िनु ै चनिान। - पंचि क्तयााँ परू ी कीचजए, भाव बताइए। उ. तलु सी िाया खते ह,ै मनसा भयो किसान। पाप-पणु ्य दोऊ बीज ह,ै बवु ै सो लनु ै कनदान।। भाव- तलु सीदास जी िे अनुसार शरीर खते िे समान है और मन किसान िे समान ह।ै पाप-पणु ्य दो बीज ह।ैं जो बोया जाता ह,ै वही उसी िो प्राप्त िरना पडता ह।ै नारा-िेखन आज िे यगु में जहाँा कवज्ञापन िा बोलबाला ह,ै वहााँ नारा-लखे न िा भी अपना कवशषे महत्त्व ह।ै स्वतंत्रता संग्राम िे दौरान लोगों िी भावनाओं िो दशे -प्रेम से ओत-प्रोत िरने िे कलए िई नारे गजाँू े थे। जसै े – अगं ्रेजों, भारत छोडो। तमु मझु े खनू दो, मैं तमु ्हंे आजादी दगँाू ा। स्वततं ्रता हमारा जन्मकसद्ध अकििार ह।ै प्र. पयाथवरण से जडु े 2-3 नारे कलकखए। 1. पेडों िो मत िाटो भाई, ये िरते हैं प्रािृ कति भरपाई। 2. तरक्िी िे सपने अिरू े, प्रिृ कत िी रक्षा से होंगे परू े। 3. पडे है दानी बडा महान, न होता ऐसा िोई इसं ान। 153

मुहावरे मुहावरे जब िोई वाक्याशं कनरंतर अभ्यास िे िारण कवशषे अथथ दने े लग,े तो उसे महु ावरा िहते ह।ंै मुहावरे अर्थ वाक्य अिंगारे उगिना क्रोि िरना बच्िों ने लालाजी िी नई िार िे शीशे तोड कदये तो लालाजी अगं ारे उगलने लग।े अंिगूठा चिखाना साफ इिं ार िरना मरे े कमत्र ने सहायता िे नाम पर अगं ठू ा कदखा कदया। अिंधे की िाठी एि मात्र सहारा श्रवण िु मार अपने माता-कपता िे कलए अिं े िी लाठी अंिधेरे घर का कजस पर आशाएँा था। उजािा कटिी हों राम दास िे तीनों पतु ्र नालायि ह।ैं मनीष उनिे अिं ेरे अक्ि पर पत्र्र बकु द्ध भ्रष्ट होना घर िा उजाला ह।ै पडना स्वाथथ कसद्ध िरना जब मसु ीबत सरपर मडं राती है तो िोई उपाय नहीं अपना उल्िू सीधा सझू ता। सब िी अक्ल पर पत्थर पड जाते ह।ैं करना स्वयं कवनाश िो आमतं ्रण दने ा सभी नते ा अपना उल्लू सीिा िरने मंे लगे रहते ह।ैं अपने पाँाव पर बहतु अकिि कु ल्हाडी मारना अपने माता –कपता िे सामने झठू बोलिर तमु अपने अतं र पाावँ पर िु ल्हाडी मार रहे हो। जमीन-आसमान अकिि िोलाहल का अंितर िाकमनी और मने िा मंे जमीन-आसमान िा अतं र ह।ै िरना आसमान चसर पर बच्िों ने छु ट्टी िे कदन आसमान कसर पर उठा रखा ह।ै उठाना अत्यकिि कप्रय हर बटे ा अपनी मााँ िे िलेजे िा टुिडा होता ह।ै किेजे का टुकडा 154

अभ्यास कायथ (Work Book) पचठत पद्यांिश चनम्न पचठत पद्यािंश पढकर चवकल्प से सही उिर का ियन कीचजए। तुिसी काया खेत है, मनसा भयो चकसान। पाप-पुण्य िोऊ बीज है, बवु ै सो िनु ै चनिान। 1. तलु सीजी ने िाया िो किसिे समान माना ह?ै () () अ) िु आँा आ) नदी इ) तालाब ई) खते () परै () 2. किसान किसिे समान ह?ै पडे () अ) तन आ) मन इ) हाथ ई) पीठ 155 3. पाप-पणु ्य क्या ह?ै अ) फल आ) फू ल इ) बीज ई) 4. बवु ै सो लनु ै कनदान- पंकि िा अथथ क्या ह?ै अ) जो बोएगाँ ,े वही पाएगाँ े आ) जो खरीदगंे ,े वही पाएगँा े इ) जो बेिगंे ,े वही पाएगाँ े ई) सभी गलत 5. `मन’ शब्द िा पयाथयवािी क्या ह?ै अ) कदल आ) हाथ इ) परै ई) प्रश्नोिर चनम्न प्रश्नों के उिर चिचखए। - पंकियाँा परू ी िीकजए, भाव बताइए। 1. कबगरी बात बनै ................माखन होय। 2. बडों िे बारे में रहीम ने क्या िहा ह?ै नारा-िेखन प्र. थवच्छता से सबंि ंचि धत तीन नारे चिचखए। व्याकरण 1. चनम्न मुहावरों के अर्थ चिचखए। 1. पानी-पानी होना - 2. हक्िा-बक्िा रह जाना - 3. हाथ-पावँा फू ल जाना -

2. चनम्न मुहावरों को उनके अर्थ से चमिाइए। 1. खनू -पसीना एि िरना हराना 2. घोडे बेििर सोना आश्चयथ िरना 3. छक्िे छु डाना िठोर पररश्रम िरना 4. डूबते िो कतनिे िा सहारा होना कनकश्चंत रहना 5. दाातँ ों तले उँागली दबाना सिं टग्रस्त व्यकि िो िु छ सहायता प्राप्त होना 3. चनम्न अर्थ के मुहावरे चिखकर वाक्यों में प्रयोग कीचजए। 1. अकभमान होना - 2. विन िा पक्िा - 3. मखू थ - 4. चनम्न शब्िों के विन बििकर वाक्य मंे प्रयोग कीचजए। 1. बात - 2. हीरा - 3. खते - 5. चनम्न रेखांिचकत शब्िों के चविोम चिखकर वाक्य पुनः चिचखए। 1. जब बात कबगड जाती ह।ै उ. 2. साहस और सि कवपकि मंे साथ दते े ह।ैं उ. 3. क्रोि से कवविे िा नाश होता ह।ै उ. 156

6. चनम्न शब्िों में उपसगथ पहिाचनये और उससे िूसरा शब्ि चिचखए। 1. आजन्म - 2. अनिु रण - 3. िु मकत - 7. चनम्न शब्िों के पयाथयवािी शब्ि चिचखए। 1. किसान - 4. िाया - 2. वषाथ - 5. साथी - 3. क्रोि - 6. मोल - 8. चनम्न वाक्यों मंे कारक चिह्न रेखांिचकत कीचजए। 1. तलु सीदास जी ने िहा ह।ै 2. कबगडी बात बनाने िे कलए अच्छे िमथ िरो। 3. हीरा स्वयं िो अमलू ्य नहीं िहता। 9. चनम्न शब्िों के समास चवग्रह करके नाम चिचखए। 1. कनस्सदं हे - - 2. मनिाहा - - 3. पीताबं र - - 10. चनम्न रेखांिचकत सजंि ्ञा शब्िों के भेि चिचखए। 1. कवपकि िे समय सच्िाई साथ दते ी ह।ैं 2. फटे हएु दिू से मक्खन नहीं बनता। 3. हीरे िा मोल लाख टिे िा ह।ै 11. चनम्न शब्िों मंे उपसगथ पहिानकर कोष्ठक मंे सही उिर चिचखए। 1. कनदान ( ) ई) कनद ) अ) कन आ) न इ) दान ) ( 2. ससु गं कत ई) स अ) कत आ) सु इ) गकत ( ई) आ और इ 3. दजु नथ अ) दु आ) दःु इ) दरु ् 157

12. चनम्न शब्िों मंे प्रत्यय पहिानकर कोष्ठक मंे सही उिर चिचखए। 1. साथी ( ) ई) आथी ) अ) सा आ) ई इ) थ ) ( 2. सच्िाई ई) ई अ) सि आ) िाई इ) आई ( ई) ि 3. मौकलि अ) इि आ) मौ इ) कलि 13. चनम्न रेखािंचकत शब्िों के चवराम चिह्न पहिानकर कोष्ठक में सही उिर चिचखए। ( ) 1. पाप-पणु ्य दोउ बीज ह।ै लाघवकिह्न ) अ) आदशे किह्न आ) उद्धरणकिह्न इ) योजिकिह्न ई) ) 2. साहस, सिु ृ कत, ससु त्य व्रत, राम भरोसे एि।। ( अ) आदशे किह्न आ) उद्धरणकिह्न इ) योजिकिहन् ई) अल्पकवराम 3. मनसा भयो किसान। अ) पणू थ कवराम आ) उद्धरणकिह्न इ) योजिकिह्न ई) ( अल्पकवराम 14. चनम्न रेखािंचकत चवशेर्ण शब्िों के भेि पहिानकर कोष्ठक में सही उिर चिचखए। 1. हीरे िा मोल लाख टिे िा ह।ै ( ) ) अ) संख्यावािि कवशषे ण आ) गणु वािि कवशषे ण ( ) इ) पररमाणवािि कवशषे ण ई) सावनथ ाकमि कवशषे ण ( ) ) 2. कवपकि िे समय कवविे साथ दते ा ह।ै ( ) अ और आ अ) सखं ्यावािि कवशषे ण आ) गणु वािि कवशेषण ( इ) पररमाणवािि कवशेषण ई) सावनथ ाकमि कवशषे ण सभी 3. यह नीकत िे दोहे ह।ंै ( बनता अ) संख्यावािि कवशषे ण आ) गणु वािि कवशषे ण इ) पररमाणवािि कवशेषण ई) सावनथ ाकमि कवशषे ण 15. चनम्न वाक्यों में संजि ्ञा शब्ि पहिानकर कोष्ठक मंे सही उिर चिचखए। 1. शरीर खते िे समान ह।ै अ) शरीर आ) खते इ) समान ई) ई) 2. कशक्षा, कवनय, साहस साथ दते े ह।ैं ई) अ) कशक्षा आ) कवनय इ) साहस 3. फटे दूि से मक्खन नहीं बनता। अ) दूि आ) अ और इ इ) मक्खन चनयम के चबना और अचभमान के सार् चकया गया तप व्यर्थ ही होता है। - वेिव्यास 158

इकाई-4 11. हार के आगे जीत है अर्थग्राह्यता प्रचतचिया प्रश्न: 1. चित्र में क्या-क्या चिखाई िे रहा है? उ. चित्र मंे कु छ चिकल ांग लड़के बैस चियों की सह यत से फु टबॉल िले ते चिि ई िे रहे ह।ैं 2. वे क्या कर रहे हंै? उ. िे लड़के बैस िी के सह रे मिै न में फु टबॉल िले रहे ह।ंै 3. इसे िेखने पर हमारे मन मंे क्या चविार उठते हैं? उ. हम रे मन में चिि र उठते हंै चक हमंे उन्हंे प्रोत्स चहत करन ि चहए। क्योंचक िे चिकल ंगा होते हुए भी अपनी कल क प्रिर्नश कर रहे ह।ंै 1. मज़बतू = दृढ़, र्चिर् ली, strong a crutch 2. बैस िी = सह रे िने े ि ली लकड़ी, self confidence wounded 3. आत्मचिश्व स = स्ियां पर भरोस , competition a ceaseless 4. ज़ख्मी = घ यल, university share 5. प्रचतयोचगत = मकु बल , 6. चनरांतर = लग त र, 7. चिश्वचिद्य लय = चिद्य पीठ, 8. चहस्स = भ ग, 159

9. तिंा रु ुस्ती = स्ि स््य, Health positive 10. सक र त्मक = चनश्चय, स्िीकृ चत क सिू क, runner a place 11. ध िक = िौड़ने ि ल , competition temperament 12. मकु म = मचां ज़ल, 13. मकु बल = आमन -स मन , 14. मनोिचृ ि = स्िभ ि, अमरे रक के टेनसे ी प्र न्त मंे एक रेलिे मज़िरू के घर मंे 23 जनू , 1940 को चिल्म ने जन्म चलय । उसकी म ँा घर-घर में झ ड़ू़ -पोंछ लग ती थी। िह नौ िर्श तक ज़मीन पर कभी प ँाि रिकर नहीं िल सकी। उसे ि र िर्श की उम्र में पोचलयो हो गय थ । चिल्म की म ँा बड़ी धमपश र यण, सक र त्मक मनोिचृ ि ि ली स हसी मचहल थी। उन्होंने चिल्म को बहुत प्ररे ण िी। चिल्म मंे आत्मचिश्व स और भरोस ल ने के चलए कह , ‘मरे ी बेटी, तमु जो ि हो प्र प्त कर सकती हो।’ म ँा की प्रेरण से 9 िर्श की चिल्म ने बसै चिय ाँ उत र फंे की और स्ियंा िलन प्र रांभ चकय । ओलंचा पक में चिल्म क मकु बल जिु हने से थ , चजसे कोई भी हर नहीं प य थ । पहली िौड़ 100 मीटर, िसू री िौड़ 200 मीटर, तीसरी िौड़ 400 मीटर की थी, चिल्म ने इन सब में स्िणश पिक जीते। यह ब त इचतह स के पन्नों मंे िजश हो गयी चक एक पोचलयोग्रस्त मचहल 1960 के रोम ओलचपपक मंे िचु नय की सबसे तेज़ ध चिक बन गयी। 1. पाठ का शीर्थक कै सा लगा और क्यों? उ. प ठ क र्ीर्कश ‘हार के आगे जीत है’ बहुत अच्छ र्ीर्कश ह।ै क्योंचक िले ों में कभी ह र होती है तो कभी जीत होती ह।ै ह रने से कभी चनर र् नहीं होन ि चहए। आत्मचिश्व स और कोचर्र् करने से अतां मंे जीत चमल ज ती ह।ै 2. शारीररक रूप से कमज़ोर ल़ोगों क़ो चकन कचठनाइयों का सामना करना पड़ता है? उ. र् रीररक रूप से कमज़ोर व्यचि स म न्य लोगों की तरह क म नहीं कर प त।े उन्हंे िसू रों के सह रे की आिश्यकत पड़ती ह।ै इसीचलए उनमंे हीनत की भ िन भी आ ज ती ह।ै कई ब र इसी भ िन से ग्रस्त होकर िे सफल नहीं हो प ते। 3. चवल्मा अपनी माँा से प्रेररत हुई। तुम्हें चकनसे प्रेरणा चमलती है? उ. मझु े भी मरे ी म ँा, चपत जी अपने भ ई प्रेररत करते ह।ंै क्योंचक जीिन मंे क मय ब होन है तो प्रेरण की ज़रूरत होती ह।ै ऐसे ही जो र् रीररक रूप से कमज़ोर होते हैं उनको म नचसक रूप से मज़बतू करन ज़रूरी ह।ै यह क म म ाँ ही कर सकती ह।ै इसचलए म ँा मरे ी प्रेरण ि यक ह।ै 4. चवल्मा की तुम्हें कौन-सी बात सबसे अच्छी लगी और क्यों? उ. चिल्म को ि र िर्श की उम्र मंे पोचलयो हो गय थ । डॉक्टरों ने कह चिय चक िह कभी ज़मीन पर अपने किम सीधे नहीं रि प येगी। लचे कन म ाँ की प्ररे ण से 9 िर्श की चिल्म ने बैस चिय ँा उत र फें की और स्ियां िलन प्र रंाभ चकय । िौड़ प्रचतयोचगत 160

मंे चहस्स लके र कई ब र ह र गई लचे कन पीछे नहीं हटी। अतां में प्रथम स्थ न प्र प्त कर चलय । इस प्रक र चिल्म क आत्मबल मझु े अच्छ लगत ह।ै 5. प़ोचलय़ो का चवज्ञापन ‘ि़ो बँाि चजि़ंिगी की’ से आप क्या समझते हैं? उ. भगि न की िने चज़िां गी हर एक के चलए महत्िपणू श ह।ै उसमें कभी ल परि ह नहीं होन ि चहए। इसचलए हर निज त चर्र्ु को िो बिँाू पोचलयो की ज़रूर चिल नी ि चहए। ये बिाँू ें परू ी चज़िां गी चबत ने क आध र ह।ै अचतररक्त प्रश्न 1. यचि आपको चिर्रे ् क्षमत ि ले लोगों की सह यत करने क अिसर चमले तो आप उनकी सह यत कै से करंेगे? 2. चिल्म की भ चँा त चकसी अन्य प्रचतभ क न म बत इए, चजसने अपनी प्रचतभ को उज गर चकय । 3. इस प ठ से हमंे क्य चर्क्ष चमलती है? अ) नीिे चिये गये वाक्य पढ़ो। चकसने कहा बताओ? चकसने कहा? वाक्य अ) मैं क्य कर सकती हाँ जबचक मैं िल ही नहीं प ती ह?ाँ चिल्म ने कह । आ) िौड़ की कल मंै तपु हंे चसि ऊाँ ग । एड टेंपल ने कह । इ) ज़मीन पर अपने किम सीधे नहीं रि प येगी। डॉक्टर ने कह । ई) क्य मैं िचु नय की सबसे तेज ध िक बन सकती ह।ाँ चिल्म ने कह । उ) तपु ह री इसी इच्छ र्चि की िजह से कोई भी तपु हंे नहीं टंेपल ने कह । रोक सकत । आ) चित्र िेख़ो। उससे जुड़े वाक्य पाठ मंे ढँाढ़ो। रेखा़िंचकत कऱो।  चिल्म को ि र िर्श की उम्र मंे पोचलयो हो गय थ ।  चित्र – 1 161

चित्र – 2 चिल्म बैस चियों के सह रे िलती थी। चित्र – 3 चिल्म िौड़ प्रचतयोचगत ओंा में भ ग लते ी रही। चित्र – 4 अतां में उसने प्रचतयोचगत में (ओलंचा पक म)ें तीन स्िणश प्र प्त कर चलए। इ) ‘अपने पैरों पर खड़े ह़ोना’ का अर्थ पता लगाओ, ि़ो वाक्य चलख़ो। उ. अपने परै ों पर िड़े होने क अथश ह-ै चकसी की सह यत के चलए न ििे कर जीिन मंे क मय ब होन । अपने पैरों पर िड़े होने के चलए कठोर पररश्रम करन पड़त ह।ै कभी–कभी ह र भी होती ह।ै चफर भी चनर र् न होकर चज़िंा गी में आगे बढ़ने से अतां मंे जीत उसी की हो ज ती ह,ै जो दृढ़ चनश्चयी होते ह।ैं ई) नीिे चिये गये प्रश्नों के उत्तर चलख़ो। 1. चवल्मा क़ो कौन-सी बीमारी र्ी? उ. चिल्म को ि र िर्श की उम्र मंे पोचलयो हो गय थ । तब से िह बैस चियों के सह रे िलती थी। 2. चवल्मा की सफलता मंे उसकी मााँ का क्या य़ोगिान र्ा? उ. चिल्म को ि र िर्श की उम्र में पोचलयो हो गय थ । तब से िह बसै चियों के सह रे िलती थी। चिल्म की म ाँ बड़ी धमपश र यण, सक र त्मक मनोिचृ ि ि ली स हसी मचहल थी। उसने चिल्म को बहुत प्ररे ण िी। चिल्म में आत्मचिश्व स, भरोस , महे नत जसै ी भ िन एाँ ज गतृ करने के चलए उसने कह चक, ‘मरे ी बेटी, तमु जो ि हे प्र प्त कर सकती हो।’ 3. ओलिं़चपक में चवल्मा का मुकाबला चकससे र्ा? उ. ओलाचं पक मंे चिल्म क मकु बल जिु हने से थ , चजसे कोई भी हर नहीं प य थ । पहली िौड़ 100 मीटर, िसू री िौड़ 200 मीटर, तीसरी िौड़ 400 मीटर की थी। चिल्म ने इन सब में स्िणश पिक जीते। यह ब त इचतह स के पन्नों में िजश हो गयी चक एक पोचलयोग्रस्त मचहल 1960 के रोम ओलचपपक मंे िचु नय की सबसे तजे ़ ध चिक बन गई। अचतररक्त प्रश्न 1. प ठ मंे आए चनपन र्ब्िों को रेि चां कत कीचजए। आत्म , सफलत , आत्म-बल, धमपश र यण, सक र त्मक, मनोिचृ ि, आिर्िश िी, आत्मचिश्व स, ध िक, दृढ़ चिश्व स, भरोस , महे नत, प्रचतयोचगत , मकु बल , मकु म आचि। 2. र्ब्िकोर् की सह यत से चिए गए र्ब्िों के अथश चलचिए। 3. चकन्हीं प ाँि र्ब्िों से ि क्य बन इए। अध्यापन सिंक़ े त - सनु ो-बोलो, पढ़ो मंे चिए गए अचतररि प्रश्न छ त्रों की ज्ञ न िचृ ि हते ु चिए गए ह।ैं छ त्रों की चजज्ञ स र् ांत करते हुए उनके उिर की सर हन करंे। 162

अचिव्यचक्त सजृ नात्मकता अ) नीिे चिये गए प्रश्नों के उत्तर चलख़ो। 1. चवल्मा की माँा ने उसे प्रेरणा नहीं िी ह़ोती त़ो क्या ह़ोता? स़ोिकर बताओ। उ. चिल्म की म ाँ ने उसे प्रेरण नहीं िी होती तो चिल्म चज़िां गी भर एक अप चहज के रूप मंे जीिन चबत ती। िह कोचर्र् नहीं करती तथ एक अच्छी ध चिक नहीं बन प ती। 2. सफलता हमारे किम कब िमती है? उ. तन, मन ि आत्म से जो मज़बूत होत ह,ै सफलत उसके किम िमू ती ह।ै र्चि के चलए र् रीररक तंिा रु ूस्ती होनी ि चहए, चनचश्चत पररचस्थचत में समय पर अपन प्रिर्नश करने के चलए म नचसक सांतलु न ि चहए ि मलू ्यों के अनरु ूप जीने हते ु आत्मबल ि चहए। यह तीनों ही प्रक र की क्षमत एँा चजसमंे होती ह,ै सफलत उसके किम िमू ती ह।ै 3. चवल्मा का जीवन प्रेरणािायक है। कै से? उ. अमरे रक के टेनसे ी प्र न्त में एक रेलिे मज़िरू के घर में 23 जनू , 1940 को चिल्म ने जन्म चलय । उसकी म ाँ घर-घर झ ड़ू़ - पोंछ लग ती थी। िह नौ िर्श तक ज़मीन पर कभी प िाँ रिकर नहीं िल सकी। क्योंचक उसे ि र िर्श की उम्र मंे पोचलयो हो गय थ । लचे कन अपनी म ँा की प्रेरण से िह ध चिक बनी। एक ही ओलचपपक में तीन स्िणश पिक जीतने ि ली पहली अमरे रकी एथलीट बनी। इस प्रक र चिल्म क जीिन सभी के चलए प्रेरण ि यक ह।ै आ) इस पाठ का सारां़िश अपने शब्िों मंे चलख़ो। उ. अमरे रक के टेनेसी प्र न्त में एक रेलिे मज़िरू के घर मंे 23 जनू , 1940 मंे चिल्म ने जन्म चलय । उसकी म ँा घर-घर मंे झ डू- पोंछ लग ती थी। िह नौ िर्श तक ज़मीन पर कभी प िँा रिकर नहीं िल सकी। उसको ि र िर्श की उम्र में पोचलयो हो गय थ । चिल्म की म ाँ बड़ी धमपश र यण, सक र त्मक मनोिचृ ि ि ली स हसी मचहल थी। उन्होंने चिल्म को बहतु प्ररे ण िी। चिल्म में आत्मचिश्व स, भरोस , ल ने के चलए कह , ‘मरे ी बटे ी, तमु जो ि हे प्र प्त कर सकती हो।’ म ाँ की प्ररे ण से 9 िर्श की चिल्म ने बैस चिय ाँ उत र फंे की और स्ियंा िलन प्र रंाभ चकय । ओलंचा पक मंे चिल्म क मकु बल जिु हने से थ , चजसे कोई भी हर नहीं प य थ । पहली िौड़ 100 मीटर, िसू री िौड़ 200 मीटर, तीसरी िौड़ 400 मीटर की थी, चिल्म ने इन सब में स्िणश पिक जीते। यह ब त इचतह स के पन्नों मंे िजश हो गयी चक एक पोचलयोग्रस्त मचहल 1960 के रोम ओलचपपक मंे िचु नय की सबसे तेज़ ध चिक बन गयी। 163

िार्ा की बात अ) चकसका क्या अर्थ है, चलख़ो। धावक जो तजे ़ िौड़त ह,ै उसे ध िक कहते ह।ंै ओलं़िचपक हर ि र स ल में चकसी िचु निां र्हरों मंे होने ि ली एक अंातर षश्ट्रीय िले प्रचतयोचगत । ररले िौड़ जो िौड़ 400 मीटर रिी ज ती ह।ै हर 100 मीटर पर चिल ड़ी अपने चहस्से क बेटन लेकर भ गत ह।ै बेटन लकड़ी क टुकड़ चजसे ररले िौड़ में चिल ड़ी इस्तेम ल करते ह।ंै प़ोचलय़ो ऐसी बीम री चजसे होने पर कमर क चनिल भ ग अप चहज हो ज त ह।ै व्यचि िल नहीं प त । आ) िारतीय ओलंच़ि पक चवजेताओंि़ के चित्र िेख़ो। चकसी एक के बारे में तीन वाक्य चलख़ो। स इन नहे ि ल – स इन नेहि ल क जन्म 17 म िश 1990 को हआु । िह भ रतीय बैडचमटां न चिल ड़ी ह।ैं ितशम न में िह िचु नय की र्ीर्श चिल ड़ी ह।ै 2012 मंे लिंा न ओलांचपक्स मंे स इन ने क ांस्य पिक जीत । स इन भ रत सरक र द्व र पद्मश्री, सिोच्ि िले परु स्क र और र जीि ग धँा ी िले परु स्क र से सपम चनत की ज िकु ी ह।ंै अ) तुम अपने मनपसिं़ि चखलाड़ी के बारे में नीिे िी गयी जानकाररयाँा चलख़ो। 1. चिल ड़ी क न म 2. िले 3. चकतने िर्ों से िले रह ह?ै 4. सपम न 5. क्यों पसिंा ह?ै छात्र स्वयिं़ चलखेंगे। 164

खेल मंे हार-जीत लगी रहती है। हार के प्रचत तुम कै सी प्रचतचिया व्यक्त कऱोगे। ह र-जीत िले क चहस्स ह।ै यचि हम जीत ज एँा तो हमें गिश नहीं करन ि चहए। न ही िसू रे िल को कमज़ोर समझन ि चहए। ह रने पर अपनी ह र के क रण को ज नन ि चहए तथ अपनी कमज़ोरी को िरू करके भचिष्ट्य मंे जीतने क प्रयत्न करन ि चहए। चवल्मा का साक्षात्कार लेने के चलए एक प्रश्नावली तैयार कीचजए। 1. आपकी म त जी ने आपको चकस प्रक र प्रेररत चकय ? 2. आपको स्ियां िलने मंे चकस प्रक र की कचठन इय ँा आती थी? 3. सम ज में आपके स थ कै स व्यिह र चकय ज त थ ? 4. कोि एड टंेपल ने आपकी चकस प्रक र सह यत की? 5. पहली ब र िौड़ मंे चहस्स लने े पर आपको कै स लग ? 6. िचु नय की तेज़ ध चिक जिु को हर ने पर आपने कै स महससू चकय ? 7. ि र सौ मीटर की ररले िौड़ में िचु नय की सबसे तेज़ ध चिक बनने क श्रये आप चकसे िने ि हती ह?ैं 8. आप भ िी चिल चड़यों को क्य संिा रे ् िने ि हती ह?ंै रेखां़िचकत शब्ि के स्र्ान पर बेटा, िाई, बहन, चमत्र, छात्र शब्िों का प्रय़ोग करते हुए वाक्यों क़ो चफर से चलख़ो। ‘मरे ी बटे ी तमु जो ि हो प्र प्त कर सकती हो।’ जसै े – ‘मरे े बेटे, तमु जो ि हो प्र प्त कर सकते हो।’ ‘मरे े भ ई, तमु जो ि हो प्र प्त कर सकते हो।’ ‘मरे ी बहन, तमु जो ि हो प्र प्त कर सकती हो।’ ‘मरे े चमत्र, तुम जो ि हो प्र प्त कर सकते हो।’ ‘मरे े छ त्र, तमु जो ि हो प्र प्त कर सकते हो।’ 165

क्या मंै ये कर सकता ह/ँा सकती हाँ हााँ ( ) नहीं ( × ) 1. प ठ के ब रे मंे ब तिीत कर सकत ह।ँा 2. इस तरह के प ठ पढ़कर समझ सकत ह।ँा 3. प ठ क स र ांर् अपने र्ब्िों मंे चलि सकत ह।ँा 4. प ठ के र्ब्िों से ि क्य बन सकत ह।ँा 5. प ठ क सम पन अलग ढागं से कर सकत ह।ँा श्रुतलेख 166


































































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