उ. मरे ा पररवार ज़मीन के अदं र रहता था। चदं चनु नंदा लोग ही सरु ंगनमु ा रास्ते का इस्तेमाल कर सकते थे और मरे े पापा भी उनमें एक थ।े मैं एक नदन नकसी-न-नकसी तरह नसक्योररटी पास लेकर सरु ंग में पहचुँ जाता ह।ँ तरु ंत दरवाज़ा खलु गया। मनै े सरु ंग मंे प्रवशे नकया। मरे ा छोटा कद होने के कारण ननयतं ्रण के न्द्र मंे मरे ी तस्वीर की जाँच की गई और खतरे की सचू ना दी गई। नसपाही ने आकर मझु े घर वापस छोड नदया। पापा ने मझु े समझाकर बताया नक एक समय था जब अपने मगं ल ग्रह पर सभी लोग जमीन के ऊपर ही रहते थे। धीरे-धीरे वातावरण मंे पररवतनग आने लगा। सरू ज में पररवतनग होते ही प्राकृ नतक संतलु न नबगड गया। अब तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने ज़मीन के नीचे अपना घर बना नलया। यतं ्र के सहारे हम ज़मीन के नीचे जी रहे ह।ंै एक नदन पापा मझु े कं रोल रूम मंे ले गय।े वहाँ मनैं े कॉन्सोल पैनल का बटन दबा नदया। तब उस यतं ्र का हाथ रुक गया और वह बेकार हो गया। उधर पथृ ्वी पर नासा के वजै ्ञाननकों ने कहा नक ररमोट कं रोल के सहारे उन्होंने वाइनकं ग को दरु ूस्त करने मंे सफलता पा ली ह।ै तथा यानं त्रक हाथ ने नमट्टी के नमनू े इकट्ठे कर नलए हंै अब उनका अध्ययन करने से पता चलगे ा नक मगं ल ग्रह पर भी जीव सनृ ष्ट का अनस्तत्व है या नहीं। लेनकन यह प्रश्न आज भी उनके नलए एक रहस्य बना हुआ ह।ै 1. आज िैज्ावनक उपकरणों के आविष्कार से कई लाभ हुए हैं। साथ ही साथ इससे कु छ खतरे भी हैं। िैज्ावनक उपकरणों के उपयोग के प्रवत हमें कै सी नैवतकता विखलानी चावहए। उ. वजै ्ञाननक उपकरणों से कई लाभ ह,ंै इसके साथ ही हानन भी होती ह।ै इसनलए हमारा कत्तवग ्य है नक वजै ्ञाननक उपकरणों का प्रयोग हमंे दशे की भलाई के नलए करना चानहए। नजससे लोगों को फायदा हो सके । भाषा की बात 1. अंतररक्ष मंे जाने के वलए वकन -वकन चीज़ों की ज़रूरत पडती है? सोचो और वलवखए। उ. अतं ररक्ष मंे जाने के नलए जसै े - स्पेस–सटू , ऑक्सीजन, द्रवपदाथों आनद की आवश्यकता पड सकती ह।ै 2. ज़मीन के ऊपर का सफर कर आने का मौका वमल गया था। क) इस िाक्य मंे आये ‘सफर’ और ‘मौका’ शब्ि के पयागय वलवखए। सफर - यात्रा, मौका --अवसर ख) इस िाक्य को नकारात्मक भाि में वलवखए। उ. जमीन के ऊपर का सफर कर आने का मौका नहीं नमला था। 100
1. ‘िातागलाप’ शब्ि िाताग + आलाप के योग से बना है। यहाँ िाताग के अंत का ‘अ’ और ‘आलाप’ के आरंभ का ‘आ’ वमलने से जो पररितगन हुआ है, उसे सवं ध कहते हंै। उ. नशष्टाचार - नशष्ट + आचार श्रदध् ाजं नल - श्रदध् ा + अजं नल नदनाकं - नदन + अकं उत्तराचं ल - उत्तर + आचं ल सयू ासग ्त - सयू ग + अस्त आल्पाहार - अल्प + आहार 2. काडग उठाते ही िरिाज़ा बंि हुआ। यह बात हम इस तरीके से भी कह सकते ह–ैं जसै े ही काडग उठाया, दरवाज़ा बदं हो गया ध्यान दो नक दोनों वाक्यों में क्या अतं र ह।ै ऐसे वाक्यों के तीन जोडे तमु स्वयं सोचकर नलखो। उ. 1. घटं ी बजते ही प्राथगना शरु ू हुई। जसै े ही घटं ी बजी, प्राथनग ा शरु ू हो गयी। 2. पैर अदं र रखते ही बस चल पडी। जसै े ही पैर अदं र रखा बस चल पडी। 3. छोटू ने चारों तरफ नज़र िौडाई। छोटू ने चारों तरफ िेखा। उपयगकु ्त वाक्यों में समानता होते हएु भी अतं र ह।ै महु ावरे वाक्यों को नवनशष्ट अथग दते े ह।ैं ऐसे ही महु ावरा पहली पनं क्त मंे नदखाई दते ा ह।ै नीचे नदए गए वाक्यांशों में ‘नज़र’ के साथ अलग–अलग नियाओं का प्रयोग हुआ ह,ै नजनसे महु ावरे बने ह।ैं इनके प्रयोग से वाक्य बनाइए। उ. नज़र पडना : ( पता चलना) गलती करोगी तो दसू रों की नज़र पडेगी। नज़र रखना : ( दखे –रेख करना) हमारे अफसर ज़रूर हमारे काम–काज पर नज़र रखगंे ।े नज़र आना : ( नदखाई दने ा) चोरी करते समय चोर मरे ी नज़र में आ गया। नज़रंे नीची होना : (शनमनग ्दा होना ) मरे ी मखू तग ा के कारण ही सबकी नज़रें नीची हो गयी। 101
4. नीचे एक ही शब्ि के िो रूप विए गये है। एक संज्ा है और िूसरा विशेषण है। व्याकरण समझो और बताओ वक इनमें से कौन–से शब्ि संज्ा हैं और कौन से विशेषण? उ. आकषकग ( नवशेषण ) आकषगण (संज्ञा) प्रभावशाली ( नवशषे ण ) प्रभाव (संज्ञा) प्ररे क ( नवशेषण) प्रेरणा ( संज्ञा) प्रनतभाशाली (नवशषे ण) प्रनतभा (सजं ्ञा) क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के बारंे मंे बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों मंे नलख सकता ह।ँ 4.पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. इस पाठ के आधार पर अतं ररक्ष के बारे मंे कल्पना कर नलख सकता ह।ँ इस पाठ मंे मैंने नए शब्ि सीखे - 102
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. छोटू द्वारा लाल बटन िबाने से क्या हुआ? उ. जब छोटू की नज़र कॉन्सोल पैनल पर पडी तो उसे वहाँ एक लाल बटन नदखाई नदया। उस लाल बटन को दबाने से वह अपने आपको रोक न पाया। सहसा छोटू ने लाल बटन दबा नदया। तभी एक खतरे की घटं ी बजी। इससे अतं ररक्ष यान के उस यानं त्रक हाथ की हरकत रुक गई और यंत्र बेकार हो गया। 2. िैज्ावनक वकस चीज़ का अध्ययन करने के वलए उत्सकु थे। उ. जब नासा के तकनीनशयनों ने कं रोल के सहारे वाइनकं ग को दरु ुस्त करने में सफलता हानसल की, तब यानं त्रक हाथ ने नमट्टी के नवनभन्न नमनू े इकट्ठे करने का काम नफर से शरु ू कर नदया। पथृ ्वी के वजै ्ञाननक मगं ल की इस नमट्टी का अध्ययन करने के नलए बहतु उत्सकु थ।े उन्हें उम्मीद थी नक मगं ल की नमट्टी के अध्ययन से इस बात का पता लगाया जा सके गा नक मगं ल पर भी जीव सनृ ष्ट का अनस्तत्व ह।ै कहानी लेखन कहानी - लेखन कहानी सबसे अनधक लोकनप्रय नवधा ह।ै हर आय-ु वगग के लोग रुनच से कहानी पढते ह।ैं कहाननयों के नवषय भी अलग-अलग होते ह।ंै सामानजक, पश-ु पक्षी, पररयों की, नशक्षाप्रद आनद अनेक कहाननयाँ होती ह।ंै कहानी नलखने के नलए ननम्न नलनखत नबदं ओु ं को ध्यान में रखना चानहए। 1. कहानी का नवषय अच्छी तरह समझ लने ा चानहए। 2. कहानी नलखने के नलए रूपरेखा बना लेनी चानहए। 3. कहानी का उद्दशे ्य स्पष्ट होना चानहए। 4. शब्द–सीमा नननश्चत होनी चानहए। 5. कहानी का नवषय रुनचकर होना चानहए। पररश्रम का फल एक गावँ में बढू ा नकसान रहता था। उसके तीन बेटे थे। तीनों आलसी थे। कोई काम नहीं करते थे। एक नदन नकसान बीमार पड गया। उसे अपने खते ों की और बटे ों की नचतं ा सताने लगी। उसने अपने तीनों बेटों को बलु ाया। उसने कहा नक मरने से पहले मंै तमु ्हंे एक रहस्य बताना चाहता ह।ँ मनंै े खते ों में खजाना दबाकर रखा हुआ ह।ै वह खज़ाना अब तमु लोगों का ही ह।ै खते ों को खोद कर वह खज़ाना तमु लोग आपस में बाँट लो। कहते-कहते नकसान की मतृ ्यु हो गई। वह जानता था नक उसके बटे े लालची ह।ंै लालच को परू ा करने के नलए वे खते अवश्य खोदगें ।े खजाने के लालच मंे उन्होंने सारा खते खोद नदया। उन्हंे कोई खज़ाना नहीं नमला। वे ननराश हो गए। तब एक राहगीर ने उनसे कहा नक जब खते खोद ही नदया है तो इसमंे बीज भी बो ही दो। उन्होंने वसै े ही नकया। समय पर वषाग हुई। अच्छी फसल भी हईु । खते हरे-भरे लहलहाने लग।े नकसान के बटे ों को लहलहाती फसल दखे कर बहुत प्रसन्नता हुई। फसल को बेचकर उन्हें बहुत आमदनी हुई। अपने पररश्रम को साथकग हआु दखे कर वे समझ गए नक उनके नपता का नछपाया हआु खज़ाना यही ह।ै उन्हंे नशक्षा नमली नक- पररश्रम का फल हमशे ा अच्छा ही नमलता ह।ै वे तीनों नमल-जलु कर सखु पवू कग रहने लगे और पररश्रम करने लग।े 103
सवं ध भाषा प्रयोग में जब दो शब्द एक-दसू रे के साथ-साथ आते हैं तो पहले शब्द की अनं तम ध्वनन तथा दसू रे शब्द की प्रथम ध्वनन नमलकर पररवतगन लाती ह।ै इस ध्वनन पररवतनग की प्रनिया को संवध कहते ह।ैं इसके तीन भदे ह।ंै स्िर संवध व्यंजन सवं ध विसगग संवध दो स्वरों के मले से जो पररवतगन व्यजं न तथा स्वरों के मले से जो नवसगग के बाद स्वर अथवा होता ह,ै उसे स्वर सनं ध कहते ह।ैं पररवतगन होता ह,ै उसे व्यंजन व्यंजन आने पर जो पररवतगन होता ह,ै उसे नवसगग संनध कहते सनं ध कहते ह।ंै ह।ैं 1.दीघग संनध - मत+अनसु ार=मतानसु ार 1. नदक् + गज = ग्ग = नदग्ग्ज 1. वयुः+वदृ ध् =वयोवदृ ध् 2.गणु सनं ध - सयू ग+उदय=सयू ोदय 2. जगत् + नाथ = न्न = जगन्नाथ 2. ननुः+आशा=ननराशा 3.वदृ न् ध संनध - सदा+एय=सदवै 3. सम् + भावना=म+् भ = सम्भावना 3. ननुः+चल= ननश्चल 4.यण सनं ध - अनत+अतं =अत्यंत 4. उत् + स्वास=त+् श=च्छ=उच्छवास 4. ननुः+कारण=ननष्कारण 5.अयानद सनं ध - ने+अन=नयन 5. सम् + पणू ग = म् + प = म्प= संपणू ग 5. ननुः+काम= ननष्काम सवं ध के भेि संनध के तीन भदे होते ह–ैं 1. स्वर संनध 2. व्यंजन सनं ध 3. नवसगग सनं ध दो स्वरों के मले से जो पररवतगन होता ह,ै उसे स्िर सवं ध कहते ह।ैं स्वर संनध के पाचँ प्रकार हैं – 1. दीघग सनं ध 2. गणु संनध 3. वनृ द्ध सनं ध 4. यण संनध 5. अयानद संनध 1. िीघग संवध- दो समान स्िर जब पास-पास आते हैं तो नमलकर उसी वणग का दीघग स्वर बन जाते ह।ंै इसे दीघग सनं ध कहते ह।ैं अ+अ=आ मत + अनसु ार = मतानसु ार, परम + अणु = परमाणु 104
अ+आ=आ दवे + आलय = दवे ालय, धमग + आत्मा = धमातग ्मा आ+अ=आ रेखा + अशं = रेखाशं , नवद्ा + अथी = नवद्ाथी आ+आ=आ नवद्ा + आलय = नवद्ालय, श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु इ+इ=ई कनव + इदं ्र = कवींद्र, अनभ + इष्ट = अभीष्ट इ+ई=ई कनव + ईश्वर = कवीश्वर, हरर + ईश = हरीश ई+ई=ई नदी + ईश = नदीश, नारी + ईश्वर = नारीश्वर उ+उ=ऊ गरु ु + उपदशे = गरु ूपदशे , सु + उनक्त = सनू क्त उ+ऊ=ऊ मधु + ऊनमग = मधनू मग, लघु + ऊनमग = लघनू मग ऊ+उ=ऊ वधू + उत्सव = वधतू ्सव ऊ+ऊ=ऊ वधू + ऊनमग = वधनू मग 2. गणु सवं धुः जब अ या आ के आगे इ या ई आए तो दोनों के नमलने से ‘ए’ बनता ह।ै अ+इ=ए स्व + इच्छा = स्वचे ्छा, वीर + इदं ्र = वीरेंद्र अ+ई=ए गण + ईश = गणशे , नर + ईश = नरेश आ+इ=ए महा + इदं ्र = महदें ्र, राजा + इदं ्र = राजदें ्र आ+ई=ए महा + ईश = महशे , राजा + ईश = राजशे जब अ या आ के बाि उ या ऊ आए तो िोनों वमलकर ‘ओ’ हो जाते हैं। अ+उ=ओ सयू ग + उदय = सयू ोदय, प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर अ+ऊ=ओ नव + ऊढा = नवोढा आ+ऊ=ओ महा + उदय = महोदय, आ+ऊ=ओ गगं ा + ऊनमग = गगं ोनमग अ या आ के बाि ऋ वमलकर ‘अर’ होता है। अ + ऋ = अर दवे + ऋनष = दवे नषग आ + ऋ = अर महा + ऋनष = महनषग 3. िृवद्ध संवधुः जब अ या आ के बाद ए या ऐ तो दोनों नमलकर ‘ऐ’ हो जाते ह।ैं अ+ए=ऐ एक + एक = एकै क अ+ऐ=ऐ मत + ऐक्य = मतैक्य आ+ए=ऐ तथा + एव = तथवै आ+ऐ=ऐ महा + ऐश्वयग = महशै ्वयग अ या आ के बाि ओ या औ वमलकर ‘औ’ हो जाते हैं। अ+ओ=औ जल + औध = जलौध आ+ओ=औ महा + ओज = महौज 105
अ+औ=औ परम + औषद = परमौषध आ+औ=औ महा + औदायग = महौदायग 4. यण सवं धुः जब इ या ई के बाद इ वणग के अनतररक्त कोई अन्य स्वर आता है तो इ–ई के स्थान पर ‘य’् हो जाता ह।ै इ+अ=य यनद + अनप = यद्नप इ+आ=आ इनत + आनद = इत्यानद ई+अ=य नदी + अपणग = नद्पगण ई + आ = या दवे ी + आगम = दवे ्यागम इ + उ = यु अनभ + उदय = अभ्यदु य इ + ऊ = यू नन + ऊन = न्यनू ई + ए = ये प्रनत + एक = प्रत्येक ई + ऐ = यै नदी + ऐश्वयग = नद्शै ्वयग जब उ या ऊ के बाि उ िणग के अवतररक्त अन्य स्िर आए तो उ-ऊ का ‘ि’ हो जाता है। उ+अ=ि अनु + अय = अन्वय ऊ + आ = िा वधू + आगमन = वध्वागमन उ + ए = िे अनु + एषण = अन्वषे ण जब ऋ के बाि ऋ के अवतररक्त कोई अन्य स्िर आता है तो ऋ का ‘र’ हो जाता है। ऋ+अ=र नपतृ + अनमु नत = नपत्रानमु नत ऋ + आ = रा नपतृ + आदशे = नपत्रादशे ऋ + उ = रु नपतृ + उपदशे = नपत्रपु दशे ऋ + इ = रर मातृ + इच्छा = मानत्रच्छा 5. अयावि सवं धुः ए या ऐ के बाद वणग के अनतररक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ए का ‘अय’् तथा ऐ का ‘आय’् हो जाता ह।ै ए के बाद अ आए तो अय् बन जाता ह।ै ने + अन = नयन ऐ के बाद अ आए तो आय् बन जाता ह।ै नै + अक = नायक ऐ के बाद इ आए तो आनय बन जाता ह।ै गै + इका = गानयका ओ के बाद अ आए तो अव् बन जाता ह।ै हो + अन = हवन ओ के बाद इ आए तो अनव बन जाता ह।ै भो + इष्य = भनवष्य औ के बाद अ आए तो आव् बन जाता ह।ै पौ + अन = पावन औ के बाद इ आए तो आनव बन जाता ह।ै नौ + इक = नानवक औ के बाद उ आए तो आवु बन जाता ह।ै भौ + उक = भावकु 106
व्यंजन सवं ध व्यजनं तथा स्वर के , स्वर तथा व्यजं न के या व्यजं न तथा व्यजं न के मले से जो पररवतगन होता ह,ै उसे व्यजं न सनं ध कहते ह।ैं उत् + चारण = उच्चारण त् + च = च्च वाक् + ईश = वागीश क् + ई = गी उत् + हार = उद्धार त् + ह = द्ध विसगग संवध नवसगग (:) के बाद स्वर अथवा व्यंजन आने पर जो पररवतगन होता ह,ै उसे नवसगग सनं ध कहते ह।ंै वय: + वदृ ्ध = वयोवदृ ध् सर: + वर = सरोवर ननुः+धन+= ननधगन दुु ः+जन=दजु नग नमुः+कार= नमस्कार नतरुः+कार=नतरस्कार 107
अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश 1. वनम्न वलवखत अपवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। एक नदन मछु आरे की पत्नी ने उससे कहा, “उस सनु हरी मछली के पास बहतु शनक्त ह।ै तमु उससे कहो नक वह तमु ्हंे राजा बना द।े जब तमु राजा बन जाओगे, तो मैं तमु ्हारी रानी बन जाऊँ गी। हमारे घर में नौकर–चाकर होंग।े हम सारी नज़दं गी आराम से रहगंे ।े ” मछु आरे ने कहा, “तमु ठीक कहती हो।” तीसरे नदन मछु आरे ने सनु हरी मछली से मागँ करते हुए कहा, “मछली रानी तमु मझु े राजा बना दो।” सनु हरी मछली मछु आरे की बात सनु कर बहुत गसु ्सा हईु । प्रश्न- 1. सनु हरी मछली के पास क्या था? () अ) पानी आ) शनक्त इ) रानी ई) बच्चे 2. मछु आरे की पत्नी क्या बनना चाहती थी? () अ) सठे ानी आ) महारानी इ) दासी ई) रानी 3. मछली से क्या कहने को कहा गया? उ. ____________________________________________________________________ 4. मछु आरे के राजा बनने पर उसकी पत्नी क्या बनेगी? उ. ____________________________________________________________________ 5. तीसरे नदन मछु आरे ने क्या माँग की? उ. ____________________________________________________________________ 6. ‘मछली’ का बहवु चन शब्द क्या ह?ै उ. ____________________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. छोटू सरु ंग के पास कै से पकडा गया? 2. सरु ंग के अदं र जाकर छोटू ने क्या दखे ा? 3. छोटू के पापा ने छोटू को क्या समझाया? कहानी लेखन वनम्न संके तों के आधार पर कहानी वलवखए। संके त वबिं ु- दो गाँवों के बीच जगं ल – रास्ते से टोपी वाले का गजु ़रना – पेड के नीचे आराम – बंदरों का टोनपयाँ लेना – आदमी की सझू – पत्थर फें कना – बदं रों का नकल करना - टोनपयाँ इकट्ठी करके खशु होना। 108
व्याकरण 1) वनम्नवलवखत शब्िों के सवं ध विच्छेि करो। 4. जलौध ________+________ 1. अभ्यदु य ________+________ 5. स्वागत ________+________ 6. पवन ________+________ 2. महशे ्वर ________+________ 3. दवे नषग ________+________ 2) वनम्नवलवखत शब्िों की संवध करो। 1. नव + आप्त = __________ 4. सु + उनक्त = __________ 5. गण + ईश = __________ 2. सु + अच्छ = __________ 6. वाताग + आलाप = __________ 3. वन + औषध = __________ 3) वनम्नवलवखत शब्िों के स्िर संवध के भेि वलवखए। 1. महात्मा - ________________ 4. महशे - ________________ 5. रमशे - ________________ 2. शयन - ________________ 6. एकै क - ________________ 3. यद्नप - ________________ 4) वनम्नवलवखत िाक्यों को सयं ुक्त िाक्यों में बिलकर वलवखए। 1. वह एक सरु ंगनमु ा रास्ता था। आम आदमी को इस रास्ते से जाने की मनाही थी। उ. ________________________________________________________________________ 2. सरू ज से हमंे रोशनी नमलती ह।ै सरू ज से हमें ऊष्णता नमलती ह।ै उ. ________________________________________________________________________ 3. नकतनी बार कहा है तमु इस ओर मत आया करो। उ. ________________________________________________________________________ 5) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के विलोम शब्ि वलखकर िाक्य वफर से वलवखए। 1. काडग उठाते ही दरवाज़ा बंद हआु । उ. _________________________________________ 2. पापा को काम पर जाना होता ह।ै उ. _________________________________________ 3 मरे ा घर पाठशाला के नज़दीक है उ. _________________________________________ 109
6) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 4. व्यनक्त - _________, _________, _______ 1. रास्ता - _________, _________, ______ 5. ज़मीन - _________, _________, _______ 2. माँ - _________, _________, ______ 6. घर - 3. दरवाज़ा - ________, _________, 4. गलत -_____________________ _______ 5. सवाल -_____________________ 6. नवशषे - 7) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग शब्ि वलवखए। 1. ज़मीन -_____________________ 2. अनजान -_____________________ 3. मनु श्कल -_____________________ 8) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिवलए। 1. रास्ता - ______________ 4. तसवीर --_____________________ 2. छु ट्टी - ______________ 5. इच्छा - -_____________________ 3. दरवाज़ा - ______________ 6. नसपाही - -_____________________ 9) वनम्नवलवखत शब्िों के पुनरुवक्त शब्ि वलवखए। 1. जगह - ______________ 4. लाल - _______________ 2. धीरे - _______________ 5. अपना - 3. बदला - _______________ 6. बार - _______________ 10) वनम्नवलवखत शब्िों के प्रत्यय पहचावनए। 1. नज़म्मदे ारी – 4. सामानजक – 2. वजै ्ञाननक – 5. ननधागररत – 3. महत्वपणू ग – 6. सफलता – 11) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे विशेषण शब्ि पहचावनए। 1. वह एक सरु ंगनमु ा रास्ता था। इ) सरु ंगनमु ा ई) एक () अ) वह आ) रास्ता इ) दौडाई ई) चारों ओर () 2. छोटू ने चारों ओर नज़र दौडाई। अ) छोटू आ) ओर 110
3. वहाँ एक खास नकस्म का स्पेस सटू पहन कर जाते ह।ंै () अ) खास नकस्म आ) स्पेस इ) पहन ई) वहाँ () () 12) वनम्नवलवखत शब्ि समूह के वलए सामावसक शब्ि पहचावनए। () 1. जो नननश्चत नकया हो अ) नननश्चत आ) सनु ननश्चत इ) ननश्चय ई) अनननश्चत इ) असंभावना ई) संभवतुः 2. जो सभं व न हो इ) अनवज्ञान ई) नवज्ञाननक अ) असंभव आ) ससु ंभव 3. नवज्ञान से संबधं रखने वाला अ) वजै ्ञाननक आ) नवज्ञाता 13) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे वक्रया शब्ि पहचावनए। 1. पापा उसे कं रोल रूम ले गये। () () अ) ले जाना आ) पापा इ) कं रोल ई) उसे () ई) ध्यान 2. इस पर बराबर ध्यान रनखए। ई) घटं ी अ) इस आ) रखना इ) बराबर 3. तभी फोन की घटं ी बजी। अ) तभी आ) फोन इ) बजना 14) वनम्नवलवखत िाक्यों को अथग के आधार पर पहचावनए। 1. पापा घर पर आराम फरमा रहे थे। () अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) ननषधे ात्मक वाक्य इ) सरल वाक्य ई) इच्छात्मक वाक्य 2. दसू रे नदन छोटू के पापा कहाँ चले गए? () अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) ननषधे ात्मक वाक्य इ) सरल वाक्य ई) इच्छात्मक वाक्य 3.जहाँ तक हो सके हमंे इसे छु पा कर नहीं रखना चानहए। () अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) ननषधे ात्मक वाक्य इ) सरल वाक्य ई) इच्छात्मक वाक्य 15) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के भाषा–भेि बताइए। () 1.मगं ल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के अदं र रहते थ।े () अ) सजं ्ञा आ) सवनग ाम इ) निया ई)नवशषे ण () 2. जब बडा हो जाऊँ गा, मंै भी काम करँूगा। अ) सजं ्ञा आ) सवनग ाम इ) निया ई)नवशषे ण 3. काडग उठाते ही रास्ता बंद हुआ। अ) संज्ञा आ) सवनग ाम इ) निया ई)नवशषे ण स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता ह।ै - नवनोबा 111
उपिाचक झाँसी की रानी सभु द्रा कु मारी चौहान 1. गद्दी = नसहं ासन Throne 112 परु ुषों की तरह manly 2. मदानग ी = कहानी story आखटे Hunting 3. गाथा = धन-दौलत Splendor दुु ःख Mourning 4. नशकार = संतोष Happiness दहे री Delhi 5. वभै व = जख़्म Wound अनग्न कण spark 6. शोक = आकाश Sky नवलक्षण Strange 7. हषग = खदं क Ditch नस्थर Stable 8. दहे ली = नचह्न Mark मतृ ्यु होना Be dead 9. घात = आत्मापगण sacrifice प्रसन्न Glad 10. नचनगारी = खले Sport िन्दन Mouring 11. गगन = प्राथनग ा Prayer आिमण, चोट Ambush 12. अजब = हनै सयत Capacity शस्त्र से प्रहार Strike with weapon 13. खाई = दद,ग पीडा Pain दुु ःखी Grieving 14. अनमट = सम्मान, गवग Pride ललकार Challenge 15. ननशानी = लडाई Duel fight सामने Face to face 16. नसधारना = 17. कु बानग ी = 18. पलु नकत = 19. नखलवार = 20. नवरुदावली = 21. अननु य-नवनय = 22. घात = 23. नबसात = 24. वज्र-ननपात = 25. वदे ना = 26. आहत = 27. अनभमान = 28. आह्वान = 29. द्वदं ्व = 30. सन्मखु =
प्रश्नोत्तर 1. “वकं तु कालगवत चुपके –चुपके काली घटा घर लाई।” क) इस पवं क्त में वकस घटना की ओर संके त है? उ. इस पनं क्त मंे उस समय की घटना की ओर संके त ह,ै जब लक्ष्मीबाई नववाह करके झासँ ी आई थी, उस समय झाँसी और महल का माहौल बहतु ही उत्साहपवू कग था। लने कन धीरे-धीरे समय गजु ़रने के साथ-साथ दभु ाग्य ने दस्तक दी। ख) काली घटा वघरने की बात क्यों कही गई है? उ. काली घटा का अथग तो है काला बादल। लेनकन इस संदभग मंे दखे ा जाए तो काली घटा का अथग है समस्याए,ँ कनठनाइयाँ, परेशाननयाँ आनद। यह बात इसनलए कही गई है नक लक्ष्मीबाई नजतनी खनु शयों के साथ आयी थी, समय के साथ-साथ उसे काली घटा जसै ी मसु ीबतों का भी सामना करना पडा। 2. कविता की िूसरी पंवक्त मंे भारत को “बूढ़ा” कहकर और उसमें “नयी जिानी” आने की बात कहकर सुभद्रा कु मारी चौहान क्या बताना चाहती हैं? उ. कनवता की दसू री पनं क्त मंे सभु द्रा कु मारी चौहान यह बताना चाहती हैं नक भारत मंे नब्रनटशों का शासन था और भारतवासी गलु ाम थ।े नब्रनटशों के राज्य के समय भारत बढू े की तरह रह गया था लेनकन झाँसी की रानी ने अपनी वीरता से बढू े भारत को नया जोश नदलाया। लोगों मंे आज़ाद होने की भावना पदै ा की। 3. झाँसी की रानी के जीिन की कहानी अपने शब्िों में वलखो और यह भी बताओ वक उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कै से अलग था? उ. रानी लक्ष्मीबाई का जन्म १९ नवबं र, १८२८ को काशी के असीघाट वाराणसी में हआु था। इनके नपता का नाम मोरोपंत था। बचपन में उन्हंे मनु कहकर पकु ारा जाता था। मनु जब चार साल की थी तभी उनकी माँ का ननधन हो गया। पत्नी के ननधन के बाद मोरोपतं मनु को लके र झासँ ी चले गए। मनु का बचपन उनके नाना के घर में बीता, जहाँ वह छबीली कहकर पकु ारी जाती थी। जब उनकी उम्र १२ साल की थी तभी उनकी शादी झासँ ी के राजा गगं ाधरराव से हुई। शादी के बाद झाँसी की आनथगक नस्थनत मंे अप्रत्यानशत सधु ार हआु । इसके बाद मनु का नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। मनु घडु सवारी मंे ननपणु थी। महारानी ने झासँ ी के नकले के अदं र मनहला सेना तैयार की थी। नजसका संचालन स्वयं मदागनी पोशाक पहनकर करती थी, उनके पनत राजा गगं ाधरराव यह सब दखे कर प्रसन्न रहते, कु छ समय बाद लक्ष्मीबाई ने एक पतु ्र को जन्म नदया। कु छ महीने बाद बालक की मतृ ्यु हो गई। राजा ने पतु ्र-नवयोग में २ नवबं र, १८५३ को प्राण त्याग नदये। झासँ ी शोक में डूब गई। इसी बीच अगं ्रेज़ों ने अपनी कु नटल नीनत से झासँ ी पर चढाई कर दी। रानी ने तोपों से यदु ्ध करने के नलए नवश्वास पात्र तोपची को नेततृ ्व में लगा नदया। १४ माचग, १८५७ से आठ नदन तक तोप आग उगलती रही। रानी रणचडं ी का साक्षात रूप नलए पीठ पर दत्तक पतु ्र दामोदरराव को बाँधे भयकं र यदु ्ध करती रही। सने ा को सलाह दके र पर वह कालपी की ओर चली गयी। अगं ्रेज़ सैननक उनका पीछा करते रह।े कै प्टन वाकर ने उनका पीछा नकया और उन्हंे घायल कर नदया। जगं में घायल होते हएु भी उन्होंने अगं ्रजे ़ सनै नकों का काम तमाम कर नदया और नफर अपने प्राण त्याग नदये। १८ जनू , १८५७ को बाबा गगं ादास की कु नटया मंे जहाँ इस वीर महारानी ने प्राणांत नकया, वहीं नचता बनाकर उनका अनं तम ससं ्कार कर नदया। 4. िीर मवहला की इस कहानी मंे कौन-कौन से परु ुषों के नाम आए हंै? इवतहास की कु छ अन्य िीर वियों की कहावनयाँ खोजो। 113
उ. इस कहानी में परु ुषों के नाम - नशवाजी, अजनगु , डलहौज़ी, नाना धधंु पु तं , पेशवा, तानँ तया, चतरु अज़ीमलु ्ला सरनाम, अहमद शाह मौलवी, ठाकु र कँु वरनसंह, लने टटनंेट वॉकर, नसंनधया आनद। इनतहास की कु छ अन्य वीर नस्त्रयों के नाम सरोनजनी नायडु ू , इनं दरा गाधँ ी, कमला नेहरू, नवजयलक्ष्मी पनं डत, एनननबसंेट आनद। भारत मंे जब भी मनहलाओं के सशनक्तकरण की बात होती है तो महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चचाग ज़रूर होती ह।ै रानी लक्ष्मीबाई न नसफग एक महान नाम है बनल्क वह एक आदशग ह,ै उन सभी मनहलाओंके नलए जो खदु को बहादरु मानती है और उनके नलए भी आदशग है जो मनहलाएँ सोचती है नक वह मनहलाएँ है तो कु छ नहीं कर सकती। 5. वनम्नवलवखत पद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। नसंहासन नहल उठे, राजवशं ों ने भकृ ु टी तानी थी, बढू े भारत मंे भी आई नफर से नयी जवानी थी, गमु ी हुई आज़ादी की नकस्मत सबने पहचानी थी, दरू नफरंगी को करने की सबने मन मंे ठानी थी। प्रश्न- 1. क्या नहल उठे? उ: नसहं ासन नहल उठे। 2. नकसने भकृ ु टी तानी थी? उ: राजवशं ों ने भकृ ु टी तानी थी। 3. भारत को कै सा कहा गया ह?ै उ: भारत को बढू ा कहा गया ह।ै 4. सबने मन में क्या ठान नलया? उ: नफरंगी को दरू करने की सबने मन मंे ठान ली थी। 5. ‘आज़ादी’ का नवलोम नलनखए। उ: आज़ादी x गलु ामी डूबते को तारना ही अच्छे इसं ान का कतगव्य होता ह।ै - अज्ञात 114
इकाई-3 8. िन के मागग मंे तुलसीिास अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र में क्या विखाई िे रहा है? उ. नचत्र में पाँच पांडव और द्रौपदी नदखाई दे रहे ह।ैं 2. अनुमान लगाओ और बताओ वक वचत्र मंे कौन-कौन है? उ. नचत्र मंे धमरग ाज यनु धनष्ठर, अजनगु , भीम, नकु ल, सहदवे और द्रौपदी ह।ैं 3. िन मंे लोगों को क्या-क्या कवठनाइयाँ होती होंगी? उ. वन में कँ टीले मागग होते ह।ंै आवास और भोजन की सनु वधा नहीं होती। हर पल जगं ली जानवरों का भय लगा रहता ह।ै वन मंे जीवन सरल और सगु म नहीं होता। इस प्रकार वन मंे लोगों को अनेक कनठनाइयाँ होती होंगी। 1. परु = नगर City 2. धीर = धैयग Braveness 3. पग = परै , पावँ Step, foot 4. भाल = भकृ ु नट, ललाट the forehead 5. कनी = बँदू A drop 6.पटु = गाल 7. पसेउ = पसीना Light mixture Perspiration 115
8.बयारर = वायु Air which is in motion 9.मधरु ाधर = 10. बझू नत = लनलत ओठं Sweet lips 11. ननकसी = 12. घरीक = पछू ना ask 13. चारू = 14. अधर = ननकलकर to enquire 15. के नतक = 16. लनख = गहरी Deep 17. धरर = 18. भभू रु र = सनु ्दर Beautiful 19. ठाढे = 20. पलु को = ओठं Lip 21. बारर = 22. नवलोचन = नकतना How much 23. बाढे = 24. मग = दखे कर After seeing 25. छाय = 26. नेह = धर कर Disguises 27. तनु = 28. पखाररहौ = रेत Sand 29. अरु = 30. झलक = बठै ना (नवश्राम) Rest 31. डग = 32. पनग कु टीर = पलु नकत होना Be Blinth 33. आतरु ता = वारर, जल Water दखे ना To see जल भर आना Come across water माग,ग रास्ता Road छाया Shadow प्रमे Love, Effection शरीर body धोना Wash नफर Again प्रकाश Light कदम, रास्ता way पत्तों से बनी कु नटया Hut made of leaves उतावली Hastens प्रसंग सवहत भािाथग वलवखए। 1. परु तंे वनकसी रघुबीर-बध,ू धरर धीर िए मग में डग द्वै। झलकीं भरर भाल कनी जल की, पुट सवू ख गए मधुराधर िै।। वफरर बझू वत हैं, “चलनो अब के वतक, पनगकु टी कररहौं वकत ह्वंै?” वतय की लवख आतुरता वपय की अँवखयाँ अवत चारू चलीं जल च्िै। 116
प्रसगं : - प्रस्ततु पनं क्तयाँ हमारी पाठ्य-पसु ्तक बाल वसतं - 1 में संकनलत सवयै ा ‘वन के मागग मंे’ से उद्धतृ ह।ंै भािाथग : - राम, सीता और लक्ष्मण चौदह वषग के वनवास के नलए अयोध्या नगरी से ननकले ह।ैं धैयगपवू कग सीता मागग में अपने पैर रखकर आगे बढ रही ह।ैं उनके माथे पर पसीने की बँदू ें चमकने लगी ह।ंै प्यास के कारण होंठ सखू ने लगे ह।ंै वे श्रीराम से पछू ती हैं नक अब और नकतना चलना ह?ै हमारी कु नटया कहाँ पर ह?ै सीता जी की इस व्याकु लता को दखे कर श्रीराम की आखँ ों में आसँ ू आ गए। महत्ि : - सीता जी सकु ोमल राजकु मारी ह।ंै इतना कष्ट उन्होंने कभी नहीं सहा था। वनवास के इन कष्टों को उनका सकु ु मार शरीर सह नहीं पा रहा था। उनकी इस पीडा से राम दुु ःखी हो रहे ह।ंै 2. “जल को गए लक्खन,ु हैं लररका पररखौ, वपय! छाँह घरीक ह्वै ठाढ़े। पोंवछ पसेउ बयारर करौं, अरु पायँ पखाररहौं भूभुरर-डाढ़ो।।” तुलसी रघबु ीर वप्रयाश्रम जावन कै बैवठ वबलबं लौं कं टक काढ़े। जानकी नाह को नेह लख्यौ, पुलको तन,ु बारर वबलोचन बाढ़े।। प्रसगं :- प्रस्ततु पंनक्तयाँ हमारी पाठ्य-पसु ्तक बाल वसतं - 1 में संकनलत सवयै ा ‘वन के मागग में’ से उद्धतृ ह।ैं भािाथग- सीता जी की थकावट को दखे कर राम दुु ःखी हो जाते ह।ंै स्नने हल भाव से सीता से कहते ह–ंै लक्ष्मण जल लेने के नलए गए ह।ैं तब तक इस पेड की घनी छाँव मंे बठै कर नवश्राम करो। अपना पसीना पोंछकर शीतल हवा का आनन्द ले लो। भनू म पर बैठकर अपने परै ों को जल से पखार लो। तमु ्हंे कु छ नवश्राम नमलेगा। तलु सीदास कहते हैं –प्रभु श्री राम अपनी नप्रय पत्नी जानकी के पैरों के कं टक (काँटंे) स्नहे से ननकाल रहे ह।ैं सीता प्रमे से श्रीराम को दखे ती ह।ंै उनके स्नहे को दखे कर सीता का मन पलु नकत हो जाता ह।ै उनकी आखँ ों से अश्रु की धारा बह ननकलती ह।ै महत्ि- श्रीराम के स्नेनहल वचनों से सीता जी की थकान दरू करने का वणनग अत्यंत हृदयस्पशी ह।ै 1. नगर के बाहर िो पग चलने के बाि सीता की िशा खराब क्यों हो गयी? उ. नगर के बाहर दो पग चलने के बाद सीता की दशा इसनलए खराब हो गई क्योंनक सीता अत्यंत सनु ्दर व कोमल राजकु मारी ह।ै वन का जीवन उनके नलए कष्टदायक था। 2. रामायण के बारे मंे तुम क्या जानते हो? उ. रामायण नहन्दू धमग का सवोत्तम महाकाव्य ह।ै घर-घर में यह ईश्वर के समान पजू नीय ह।ै मयागदा परु ुषोत्तम श्रीराम का जीवन सभी के नलए आज भी आदशग ह।ै रामायण मंे नननहत श्रीराम के धम,ग नीनत, सनहष्णतु ा, समानता आनद अनके गणु आज भी अनकु रणीय ह।ंै अवतररक्त प्रश्न 1. सीता के माथे पर पसीना क्यों आ गया? 2. जल लाने के नलए कौन गया था? 3. जानकी की आखँ ों से क्यों आसँ ू बहने लगे? 4. सीता को पत्तों की कु नटया में क्यों रहना पडा? 117
1. “अब और वकतनी िूर चलना है, पणगकु टी कहाँ बनाइएगा”, वकसने, वकससे पूछा और क्यों? उ. यह वाक्य सीता जी ने राम जी से पछू ा, क्योंनक सीता जी चलत-े चलते थक गई थीं। 2. पाठ के आधार पर िन के मागग का िणगन अपने शब्िों मंे कीवजए। उ. वन का मागग बहुत दगु मग होता ह।ै चारों ओर पडे ही पेड होते ह।ंै रास्ता भी ठीक नहीं होता ह।ै वन मंे अनके जगं ली जानवरों का सामना करना पडता ह।ै वन में एक बार भटक जाने से रास्ता खोजना मनु श्कल होता ह।ै अवतररक्त प्रश्न 1. ननकसी का शदु ्ध रूप ननकली ह।ै ऐसे ही कु छ और शब्द पाठ मंे रेखांनकत कीनजए। 2. मधरु ाधर का संनधनवच्छेद करने पर मधरु +अधर होता ह।ै इसी तरह नप्रयाश्रम, पणकग ु टीर शब्दों का संनधनवच्छेद कीनजए। 3. तन शब्द का पयागयवाची शरीर, काया बदन होता ह।ै नहे , परु शब्दों का पयायग वाची नलनखए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ैं - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करें। अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता 1. राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की? उ. राम, सीता और लक्ष्मण चौदह वषग के वनवास के नलए अयोध्या नगरी से ननकले ह।ंै धैयगपवू गक सीता मागग में अपने पैर रखकर आगे बढ रही ह।ैं उनके माथे पर पसीने की बँदू ंे चमकने लगी ह।ैं प्यास के कारण होंठ सखू ने लगे ह।ंै वे श्रीराम से पछू ती हैं नक अब और नकतना चलना ह?ै हमारी कु नटया कहाँ पर ह?ै सीता जी की इस व्याकु लता को दखे कर श्रीराम की आखँ ों में आसँ ू आ गए। राम जी ने थकी हईु सीता को अपनी स्नेनहल बातों से सांत्वना दके र थकावट दरू की। मन्दवायु से पसीना सखु ान,े जल से पैर धोने और पेड के नीचे कु छ दरे नवश्राम करने को कहा। इस प्रकार राम ने अपनी प्रमे पणू ग बातों से सीता की सहायता की। 2. िोनों सिैयों के प्रसंगों मंे अंतर स्पि कीवजए। उ. पहले सवयै े मंे नगर से ननकलने के बाद श्रीराम के वनगमन का वणनग है। सकु ोमल सीता जी की थकान और व्याकु लता का उल्लेख ह।ै सीता जी की थकावट को दखे कर राम दुु ःखी हो जाते ह।ंै स्नने हल भाव से सीता से कहते ह–ंै लक्ष्मण जल लने े के नलए गए ह।ैं तब तक इस पेड की घनी छावँ में बठै कर नवश्राम करो। अपना पसीना पोंछकर शीतल हवा का आनन्द 118
ले लो और भनू म पर बैठकर अपने परै ों को जल से पखार लो। तमु ्हंे कु छ नवश्राम नमलेगा। तलु सीदास कहते ह–ैं प्रभु श्रीराम अपनी नप्रय पत्नी जानकी के पैरों के कं टक (काटँ ें) स्नहे से ननकाल रहे ह।ंै सीता प्रमे से श्रीराम को दखे ती ह।ंै उनके स्नहे को दखे कर सीता का मन पलु नकत हो जाता है और उनकी आखँ ों से अश्रु की धारा बह ननकलती ह।ै दसू रे सवयै े में व्याकु ल सीता जी को अपनी मधरु और स्नेनहल वाणी से श्रीराम धीरज बधं ा रहे ह।ंै 1. सिैये रागयुक्त गाइए। प्रस्तुत कीवजए। सीता के विचारों को सनु ने के बाि राम ने क्या कहा होगा? उ. राम जी ने सीता जी से कहा नक– कोई भी नवचार अपने मन में मत लाओ। लक्ष्मण हमारे नलए घर बसाने के नलए स्थल ढूढँ ने गए ह।ैं अब तमु ्हें जो मन्द वायु नमल रही ह।ै उससे अपना पसीना पोंछ लो। कु छ दरे पडे की छाया मंे नवश्राम कर लो। (वनिेश- रागयकु ्त गायन का प्रस्ततु ीकरण छात्र स्वयं करंेग।े ) 1. तुलसीिास के अलािा अन्य कवियों की रचनाओं में प्राप्त होने िाले नीवतपरक मूल्यों के उिाहरण िीवजए। उ. तलु सीदास के अलावा रहीम, वदंृ और सरू दास आनद की रचनाओं मंे हमंे नीनतपरक मलू ्यों के उदाहरण नमलते ह।ैं रहीम के नीवतपरक िोहे- नबगरी बात बनै नानह, लाख करो नकन कोय। रनहमन फाटे दधू को, मथे न माखन होय।। भाि- रहीम जी कहते हंै नक अगर कोई बात नबगड जाती ह,ै तो लाख प्रयत्न करने पर भी वह बात नहीं बनती। नजस प्रकार यनद दधू फट जाये तो मथने पर भी उसका मक्खन नहीं बनता। ििंृ के नीवतपरक िोहे- जसै े बधं न प्रमे को, तैसो बंधन और। काठनह भदे े कमल को, छेद न ननकरे भौर।। भाि- वदंृ जी कहते हंै नक प्रेम के बधं न जसै ा कोई दसू रा बधं न नहीं ह।ै अथागत् अगर कोई प्रेम के बधं न में बधं जाये तो वह उससे ननकल नहीं सकता। नजस प्रकार भवँ रे को कमल की सगु धं से इतना प्रेम हो जाता है नक वह कमल के फू ल में बदं हो जाता ह।ै जबनक वह कमल को भदे कर बाहर आ सकता ह।ै यहाँ वदंृ ने प्रमे का महत्व बताया ह।ै भाषा की बात 1. वनम्न शब्िों के िाक्य प्रयोग कीवजए। 1. चारू = सनु ्दर पनू णमग ा के नदन चन्द्रमा अत्यनधक सनु ्दर नदखाई दते ा ह।ै 2. कं टक = कष्ट, काँटा नवजय पाने के नलए अनके कं टकों का सामना करना पडता ह।ै । 119
3. बयार = गनत, वायु समदु ्र के पास शीतल बयार आती ह।ै 4. लोचन = आखँ सीता ने स्नेह भरे लोचन से दखे ा। 1. 1. लनख - दखे कर धरर - रखकर 2. पोंनछ - पोंछकर जानन - जानकर ऊपर नलखे शब्दों और उनके अथों को ध्यान से दखे ो। नहदं ी मंे नजस उद्दशे ्य के नलए हम निया मंे ‘कर’ जोडते ह,ंै उसी के नलए अवधी मंे निया मंे (इ) को जोडा जाता ह,ै जसै े–अवधी मंे बठै + इ की मात्रा = बैठी और नहदं ी मंे बैठ+कर = बठै कर। तमु ्हारी भाषा या बोली में क्या अतं र होता ह?ै अपनी भाषा के ऐसे छह शब्द नलनखए। उन्हंे ध्यान से दखे ो और कक्षा में बताइए। उ. తలె ుగు : 1) చూసి, 2) ఉంచి, 3) తుడిచి 4) తెలుసుకొని 5) కూర్చుని 6) చదువుకనొ ి 2. “नमट्टी का गहरा अधं कार, डूबा है उसमंे एक बीज।” उसमंे एक बीज डूबा ह।ै जब हम नकसी बात को कनवता मंे कहते हंै तो वाक्य के शब्दों के िम में बदलाव आता ह।ै जसै े - “छाहँ घरीक ह्वै ठाढे” को गद् मंे ऐसे नलखा जा सकता ह।ै “छाया में एक घडी खडा होकर।” उदाहरण के आधार पर नीचे दी गई कनवता की पनं क्तयों को गद् के शब्दिम मंे नलनखए। उ. रघबु ीर–बधु नगर से ननकली। 1. पूर तंे वनकसी रघुबीर–बधु 2. पटु सवू ख गए मधुराधर िै।। उ. गाल और लनलत ओठं सखू गए। 3. बैवठ वबलबं लौं कं टक काढ़े। उ. बैठ कर काटँ े ननकालने लग।े 4. पनगकु टी कररहैं वकत ह्वै? उ. पणकग ु टी कहाँ बनाएगँ ?े क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. कनवता गा सकता ह।ँ सनु ा सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस स्तर की कनवताओं का भाव पढकर समझा सकता ह।ँ 3. इस स्तर के गीतों की भाव सनहत व्याख्या कर सकता ह।ँ 4. कनवताओं के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. कनवता के भाव को नयी नवधा में नलख सकता ह।ँ इस पाठ में मंैने नए शब्ि सीखे - 120
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1 ‘रामायण’ तुलसीिास की एक अिभुत रचना है, जो नैवतक वशक्षा से भरपरू है। व्याख्या कीवजए। उ. रामायण सचमचु तलु सीदास की अदभ् तु रचना ह.ै नजसने न के वल भारत वषग को बनल्क परू े नवश्व को ननै तक नशक्षा दी ह।ै माता का प्रमे , पनत-पत्नी का एक-दसू रे के प्रनत कत्तवग ्य भाव, भ्रात-ृ प्रमे , प्रजा-नहत, धम-ग पालन इन सभी भावनाओं से महाकाव्य भरा हुआ ह।ै महाकाव्य का प्रत्येक काण्ड (कु ल 7) नशक्षाप्रद ह।ै श्रीराम के प्रनत हनमु ान की भनक्त व सेवा- भावना भी अतलु नीय ह।ै 2. जानकी जी को श्रीराम की बात सुनकर क्या लगा? उ. जानकी जी ने जब श्रीराम के प्रमे भरे वचनों को सनु ा तो वे स्नहे से श्रीराम की ओर दखे ने लगी। उनकी आखँ ों से प्रेमाश्रओु ं की धारा बह ननकली। मानो इन वचनों से ही उनकी थकान दरू हो गई हो। पत्र लेखन व्यायाम का महत्ि बताते हुए छोटे भाई को पत्र वलवखए। स्थान : _______ नदनांक :_______ नप्रय रेयांश, आशीवागद तमु ्हारा पत्र नमला। जानकर प्रसन्नता हईु नक तमु अपनी कक्षा के नप्रय नवद्ाथी बन गए हो। अपनी पढाई पर नवशषे ध्यान दने ा। पढाई के साथ-साथ शारीररक नवकास की ओर भी नवशषे ध्यान दने ा। तमु प्रनतनदन व्यायाम नकया करो। व्यायाम करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता ह।ै शारीररक व माननसक नवकास के नलए व्यायाम अननवायग ह।ै मैं भी प्रनतनदन प्रातुःकाल सरै पर जाता ह।ँ अपने नमत्रों के साथ कसरत आनद भी करता ह।ँ इससे शरीर में स्फू नतग बनी रहती ह।ै कायग करने में ताज़गी का अनभु व होता ह।ै व्यायाम करते समय मझु े तमु ्हारा स्मरण हो आता ह।ै स्वस्थ शरीर ही हमारा स्वास्थ्य बनाए रखता ह।ै अतुः तमु भी ननयम बना लो नक प्रनतनदन सबु ह सरै पर जाओगे और व्यायाम करोगे तथा अपने भावी जीवन को सफल बनाओग।े माता-नपता को मरे ा प्रणाम कहना। तमु ्हारा अग्रज, नाम ............. पता: घर.नं ....................... .गली नं .................... शहर ................................. 121
शब्ि भेि व्याकरण के नजस भाग मंे शब्दों के प्रकार, रूपांतर और व्यतु ्पनत्त आनद पर नवचार नकया जाता ह,ै वह शब्ि विचार कहलाता ह।ै शब्द भाषा की वह इकाई ह,ै जो वणों के योग से बने स्वतंत्र एवं साथगक ध्वनन-समहू होते ह।ैं शब्िों का िगीकरण- शब्दों का वगीकरण ननम्ननलनखत आधार पर नकया जा सकता ह।ै 1. उत्पनत्त के आधार पर 2. अथग के आधार पर 3. प्रयोग के आधार पर उत्पवत्त के आधार परुः–उत्पनत्त के आधार पर शब्द के चार भदे होते हैं – उत्पवत्त के आधार पर शब्ि भेि तत्सम तिभि िेशज वििेशी ससं ्कृ त भाषा के जो शब्द अपने नहदं ी भाषा में अन्य नवदशे ी भाषाओं (तकु ी, मलू रूप में नहदं ी में भी प्रयोग अरबी, फारसी, अगं ्रेज़ी आनद) से आए शब्द नकए जाए ह,ंै जसै े- अनग्न, जल, नवदशे ी शब्द कहलाते ह।ैं जसै े – कोनकल, सयू ,ग हस्त, हस्ती, तणृ , अगं ्रेज़ी शब्द– स्कू ल, कॉपी, हॉनस्पटल, पेनं सल घतृ , वानर आनद। फारसी शब्द – हफ़्ता, मफु ़्त, ज़मु ागना, आमदनी अरबी शब्द– ग़रीब, अजीब, अक्ल, आदत ससं ्कृ त के जो शब्द बदले हुए रूप मंे तकु ी शब्द – चकमक, तमगा, कु ली, चचे क नहदं ी मंे प्रयोग नकये जाते ह।ैं जसै े – पतु गग ाली शब्द – आलपीन, तंबाकू , साबनु अनग्न से तदभ् व शब्द 'आग' बना है और 'सयू ग' से तदभ् व शब्द 'सरू ज' जो शब्द न तो संस्कृ त से नहदं ी में आए बना ह।ै हाथ, हाथी, घास, घी, बंदर ह,ैं और न ही नकसी अन्य भाषा से आनद भी तद्भव शब्द ह।ैं बनल्क नहदं ी मंे ही बना नलए गए ह,ैं वे दशे ज कहलाते ह।ैं जसै े- गडबड, लोटा, थलै ा, नचनडया, लकडी, गाडी, घोंसला, जतू ा, पगडी, लोटा, झाडू , झगु्गी, पेटी । 122
कु छ प्रचवलत तत्सम-तद्भि शब्ि- तत्सम तद्भि तत्सम तद्भि गदभग गधा अज्ञान अनजान दगु्ध दधू लौह लोहा आश्रय आसरा दनध दही अनग्न आग क्षीर खीर मखु महँु शषु ्क सखू ा सयू ग सरू ज ग्राम गावँ तणृ नतनका पत्र पत्ता कायग काम कणग कान रानत्र रात चदं ्र चादँ हास हसँ ी नजह्वा जीभ लक्ष लाख नपपासा प्यास हस्ती हाथी उलकू उल्लू अश्रु आसँ ू अनस्थ हड्डी पक्ष पंख कू प कु आँ कु छ प्रचवलत िेशज शब्ि – पगडी, गाडी, थैला, पटे , खटखटाना, लडका, नखडकी, लोटा, ढम-ढम, छपाक-छपाक, भौंकना आनद। कु छ प्रचवलत वििेशज शब्ि – अंग्रेजी- कॉलेज, पंनै सल, रेनडयो, टेलीनवजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पनै , नटकट, मशीन, नसगरेट, साइनकल, बोतल आनद। फारसी- चश्मा, जमींदार, दकु ान, दरबार, नमक, नमनू ा, बीमार, बरफ, रूमाल, आदमी, चगु लखोर, गदं गी, चापलसू ी आनद। अरबी- औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, काननू , खत, फकीर, ररश्वत औरत, कै दी, मानलक, गरीब आनद। तुकी- कंै ची, चाकू , तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादरु आनद। पुतगगाली- अचार, आलपीन, कारतसू , गमला, चाबी, नतजोरी, तौनलया, फीता, साबनु , तंबाकू , कॉफी, कमीज आनद। फ्ांसीसी- पनु लस, काटूगन, इजं ीननयर, कटय,गू नबगलु आनद। 123
अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत पद्ांश ई) दभु ागवना से ( ) ई) धमकते ( ) वनम्नवलवखत पद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। बालक आगे बढता चल, बालक आगे बढता चल, भीषण दगु मग पवतग पर भी, नहम्मत करके बढता चल। बादल गरजे नबजली चमके , ओले बरसे चलते चल। मरते दम तक बाधाओं से, हसँ -हसँ करके लडता चल॥ प्रश्न- 1. दगु मग पवतग पर कै से आगे बढना चानहए? अ) नहम्मत से आ) डर से इ) भावना से 2. बादल क्या करते ह?ैं अ) गरजते आ) बरसते इ) चमकते 3. इस पद्ांश का शीषकग क्या हो सकता ह?ै उ . ________________________________________________________________ 4. बरसने वाले क्या ह?ैं उ. ________________________________________________________________ 5. ‘हसँ -हसँ ’ शब्द क्या ह?ै उ . ________________________________________________________________ 6. हसँ त-े हसँ ते नकससे लडना ह?ै उ . ________________________________________________________________ प्रश्नोत्तर 1. राम के साथ वनवास मंे जाते समय सीता की दशा कै सी हो गई थी? 2. सीता को थका हआु दखे कर राम के मन मंे क्या भाव उठ रहे थ।े 3. ‘वन के मागग में’ कनवता का सारांश नलनखए। पत्र लेखन वहन्िी सीखने की आिश्यकता समझाते हुए अपने वमत्र के नाम एक पत्र वलवखए। 124
व्याकरण 1) वनम्नवलवखत शब्िों के वलए उवचत विकल्प चुवनए। 1. नचनडया - दशे ज नवदशे ी फारसी नवदशे ी 2. अनग्न - तद्भव तत्सम अगं ्रेज़ी योगरूढ 3. पंेनसल - फारसी तकु ी 4. नवद्ालय - रूढ यौनगक 2) वनम्नवलवखत शब्िों के तत्सम रूप शब्ि-जाल मंे ढूवँ ढ़ए। 1. के ला 5. कडवा क अ क श्रा व ण 2. सावन 6. नींद द आ टु वा न र 3. उल्लू 7. नतनका ली म ञ च नन द्रा 4. मोर 8. बदं र झम इ ज खउ ई यू प तृ छ लू कर ट ण घक 3) वनम्नवलवखत शब्िों को उसके भेि के अनसु ार वलवखए। कोनकल, नतनका, आदमी, कु आ,ँ लकडी, अनग्न, टागँ , पटे ी, कु रता, जल, रात, सयू ग, नचराग, हाथी, लोटा, नटकट तत्सम - _____________.______________,______________,____________ तद्भव - _____________.______________,______________,____________ दशे ज - _____________.______________,______________,____________ नवदशे ी- _____________.______________,______________,____________ 4) वनम्नवलवखत शब्िों के वलगं बिवलए। 1. पनत - ________________ 4. नप्रय - ________________ 2. कनव- ________________ 5. राजकु मार - ________________ 3. भाई - ________________ 6. लडका - ________________ 5) वनम्नवलवखत शब्िों का शुद्ध रूप वलवखए। 1. बझू नत - ________________ 2. कनी - ________________ 3. अनँ खयाँ - ________________ 4. लनख - ________________ 5. पखाररहौ - ________________ 6. नकत - ________________ 125
6) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 1. रघवु ीर अपनी पत्नी से बहुत सहानभु नू त रखते थ।े - _______. ________, ________ 2. सीता की व्याकु लता को दखे कर राम भी व्याकु ल हो गए। - _______. ________, ________ 3. उनकी आखँ ों से आसँ ू बहने लग।े - _______. ________, ________ 4. परु से ननकसी रघबु ीर बध।ू - 7) वनम्नवलवखत शव्िों के िलंग पहचावनए। 1. सीता - (___________________) 2. वनवास - (___________________) 3. रघबु ीर - (___________________) 4. माता - (___________________) 8) वनम्नवलवखत शव्िों के पयागयिाची वलवखए। 1. जल - _______,________,_______ 4. स्नेह - ________,________,_______ 2. अधर - ________,________,______ 5. तन - ________,________,_______ 3. जानकी- ________,________,______ 6. माता - ________,________,_______ 9) वनम्नवलवखत शब्िों के तत्सम रूप वलवखए। 4. द्वै – __________ 1. ननकसी – __________ 5. के नतक – __________ 2. वधू – __________ 6. पनग – __________ 3. धीर – __________ 10) वनम्नवलवखत शब्ि समूह का सामावसक शब्ि वलवखए। 4. स्वयं वर चनु ना – ____________ 1. पत्तों की कु नटया – ____________ 5. जो स्वीकार न हो– ___________ 6. जो सफल न हो – 2. नप्रय का श्रम – ____________ 3. बाल्यकाल – ____________ 11) वनम्नवलवखत शब्िों का सही सवं ध विच्छेि पहचावनए। 1. नहमालय () ई) नहमाल+य अ) नहम + आलय आ) नहमा+लय इ) नह+मालय 126
2. सपं णू ग आ) सम+् पणू ग इ) सपं ू+ णग ( ) अ) सं+ पणू ग आ) धमाग+आत्मा इ) धमग + आत्मा ई) स+ पणू ग ) 3. धमागत्मा ( अ) धरम+ आत्मा ई) धमग +आत्म 12) वनम्नवलवखत िाक्यों में कारक वचह्न पहचावनए। 1. श्रीराम सीताजी के साथ वन को चले गए। () () अ) के , को आ) स,े मंे इ) के , न,े की ई) म,ें पर, ने () 2. सीता अयोध्या से ननकल कर जगं ल मंे पहचुँ ी। () () अ) के , की आ) के , से इ) स,े में ई) म,ें ने () ई) म,ंे पर, ने 3. राम के बन जाने से अयोध्या की प्रजा दखु ी हुई। () () अ) के , को आ) स,े में इ) के , से, की 13) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे वक्रया शब्ि पहचावनए। 1.लक्ष्मण पानी लेने गए ह।ंै अ) लक्ष्मण आ) पानी इ) हंै ई) लेने गए 2. वन उसका ध्यान अपनी ओर खींच रहा था। अ) उसका आ) ध्यान इ) खींचना ई) रहा 3. सीता-राम नदी के नकनारे रथ से उतरे। अ) उतरना आ) नदी इ) नकनारे ई) राम 14) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे रेखांवकत शब्िों के भाषा-भेि वलवखए। 1. राम एक आदशग पतु ्र ह।ै अ) सजं ्ञा आ) निया इ) सवनग ाम ई) नवशषे ण 2. सीता जी एक आदशग पत्नी ह।ै अ) संज्ञा आ) निया इ) सवनग ाम ई) नवशषे ण 3. राम जी की प्यारी बातों से सीता जी पलु नकत हो गई।ं () अ) संज्ञा आ) निया इ) सवनग ाम ई) नवशषे ण () () 15) वनम्नवलवखत िाक्यों के काल पहचावनए। () 1. राजा सोच मंे पड जाएगँ ।े अ) वतगमान काल आ) भनवष्य काल इ) भतू काल 2. भरत ने उनकी पादकु ा माँग ली। अ) वतगमान काल आ) भनवष्य काल इ) भतू काल 3. राजू पढ रहा ह।ै अ) वतगमान काल आ) भनवष्य काल इ) भतू काल नजस तरह रंग सादगी को ननखार दते े हंै उसी तरह सादगी भी रंगों को ननखार दते ी ह।ै सहयोग सफलता का सवशग ्रषे ्ठ उपाय ह।ै -मकु ्ता 127
उपिाचक बाल रामायण तुलसीिास सझु ाव = सलाह Advice तलाश = खोज Search = नवद्ा Knowledge आज्ञा = आदशे Order नशक्षा = व्याप्त होना Expand = रक्षा करना Protect होनहार = अच्छे लक्षणों वाला Brilliant फै ल जाना = घमडं Proud = सेवा, इलाज Cure सताना = बाधा पहचुँ ाना Tease बचाना = तयै ाररयाँ Arrangement = आना Arrive इच्छा = चाह Desire अहकं ार = नवख्यात Famous = हसँ ना Smile बहादरु = वीर Brave उपचार आभार = उपकार Thank आयोजन घोषणा = ऐलान करना Diclaration पधारना श्रद्धा = भक्त Devotion प्रनसनद्ध चतरु = होनशयार Clever मसु ्कु राना प्रश्नोत्तर 1. रामायण आज भी अच्छी नीवतयों की सीख िेने िाला संुिर ग्रंथ है, वसद्ध कीवजए। उ. राम एक आदशग पतु ्र ह।ै माता-नपता की आज्ञा का पालन करना उनके चररत्र का नवशषे गणु ह।ै जो उन्हंे आदशग पतु ्र बनाता ह।ै नपता के वचन को पणू ग करने के नलए उनकी आज्ञानसु ार राम ने 14 वषग का वनवास नकया था। वतमग ान समय में राम की यह नपतभृ नक्त और आदशग अनकु रणीय ह।ै राज–पररवार में जहाँ बहनु ववाह का प्रचलन था वहाँ श्रीराम ने एकपत्नीव्रत का पालन नकया। जो वतमग ान समाज मंे भी आवश्यक ह।ै प्रेम और सौहाद्रग की नीनत भी हमें रामायण मंे नदखाई दते ी है। श्रीराम का अपने भाईयों के प्रनत, नमत्रों और प्रजा के प्रनत प्रेम अनकु रणीय ह।ै राम के वन-गमन के समय लक्ष्मण भी उनकी सेवा हते ु वन के नलए प्रस्थान करते ह।ंै श्रीराम के प्रनत हनमु ान की सेवा और भनक्त महान् ह।ै राम-राज्य में सभी को समान दृनष्ट से दखे ना, रावण के अहं कार का नाश, बाली का वध आनद अनेक उदाहरण हमंे संपणू ग रामायण के प्रत्येक चरण में नमलते ह,ंै जो वतगमान समय में ननुःसन्दहे अनकु रणीय ह।ै रामायण की प्रत्येक नीनत आदशग की पराकाष्ठा तक महान ह।ै 2. रामायण मंे सभी पात्र अपने–अपने धमग का पालन करते हुए विखायी िेते हैं। उिाहरण के साथ वसद्ध कीवजए। उ. रामायण के सभी पात्र अपने धमग और कत्तवग ्य का पालन करने के नलए कनटबद्ध नदखाई दते े ह।ंै मखु ्य पात्रों की ओर दृनष्ट डालंे तो श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, सीता, हनमु ान के चररत्र महान ह।ै राम- श्रीराम ने आदशग पतु ्र के रूप मंे नपता की आज्ञा का पालन नकया। 14 वषग वन में वास नकया। ऋनष-मनु नयों की दतै ्यों से रक्षा की। बाली का संहार कर सगु ्रीव को राजा बनाया। रावण के अहं कार का नाश कर नवभीषण को लंका सौंप दी। सीता के प्रनत एक पत्नीव्रत बने रह।े प्रजा को पतु ्रवत् प्रमे कर आदशग राम-राज्य की स्थापना की। 128
सीता- सीता राजमहलों के सखु और वभै व का पररत्याग कर पनत के साथ वन-गमन करती ह।ै सकु ोमल राजकु मारी वन के कष्टों को झले ती ह।ै रावण के पास बदं ी रहकर भी अपने सतीत्व की रक्षा करती ह।ै सीता ने अपनी पनवत्रता को प्रमानणत करने के नलए अग्नी परीक्षा भी दी थी। लक्ष्मण- श्रीराम के प्रनत लक्ष्मण की अनन्य सवे ा भनक्त ह।ै जो अतलु नीय ह।ै जीवन भर वे श्रीराम की सेवा मंे उपनस्थत रह।े उदाहरण– वनवास के समय लक्ष्मण ने भी श्रीराम के साथ वन में वास नकया और उनकी सवे ा की। इसी प्रकार भरत का भ्रातृ प्रेम और हनमु ान की भनक्त भी महान आदशग ह।ै 3. तुम्हंे अवधक प्रभावित करने िाली रामायण की वकसी एक घटना के बारे मंे वलखो। उ. रामायण की सभी घटनाएँ और चररत्र हमें प्रभानवत करते हंै। वे हमारे आदशग ह।ंै नकन्तु नवकट पररनस्थनतयों मंे भी धयै ग रखना और धमग का पालन करना यह गणु नवशषे अनकु रणीय ह।ै जसै े – सीता के नवयोग में श्रीराम अत्यतं व्याकु ल थे। उसकी खोज करते हुए जब वे ऋष्यमकू पवतग पहचुँ े, तब वहाँ सगु ्रीव से नमत्रता हुई। सगु ्रीव पर उसके भाई बाली द्वारा नकए गए अत्याचार जानने के बाद राम ने यदु ्ध करके बाली का वध नकया। मरते समय बाली ने कहा–“हे राम! यनद तुम मरे े साथ होते तो मैं रावण को मारकर तमु ्हारी सीता तरु ंत वापस ला दते ा।” इसके उत्तर में राम ने बाली से कहा– “हे बाली! राम अपने लाभ के नलए कभी नकसी अत्याचारी की सहायता नहीं ले सकता। तमु ने सगु ्रीव के साथ जो अत्याचार नकये ह,ंै उनका दडं तो तमु ्हंे नमलना ही था। सीता को वापस लाकर भी तमु इस दडं से नहीं बच सकते थे।” पवठत गद्ांश 1. वनम्नवलवखत गद्ांश को ध्यान से पवढ़ए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर िीवजए। लंका तक पहचुँ ने मंे सबसे बडी बाधा समदु ्र था। सगु ्रीव की सने ा में दो वानर थे नल और नील। उन्हें श्राप था नक यनद वे कोई वस्तु छू लंे तो वह वस्तु पानी मंे नहीं डूबेगी। जाम्बवतं ने यह बात बताई। उनकी सहायता से समदु ्र पर पलु बनाया जाने लगा। इस यदु ्ध में भाग लेने वाले लोग इतने अनधक थे नक रातों रात पलु तैयार कर नलया गया। उधर भोर होते ही लकं ा के लोगों ने समदु ्र तट पर वानर सेना दखे ी तो हतप्रभ रह गये। मदं ोदरी ने रावण को राम से बैर न लने े एवं सीता को वापस करने की नवनती की। लेनकन वह नहीं माना। वह अपने अहकं ार से पीनडत था। इसनलए कहा जाता हंै नक अहकं ार में मनषु ्य अधं ा हो जाता ह।ै प्रश्न- 1. लंका तक पहुचँ ने में सबसे बडी रुकािट क्या थी? उ. लकं ा तक पहचुँ ने मंे सबसे बडी बाधा समदु ्र था। 2. वकन्हंे श्राप था? उ. नल और नील को श्राप था। 3. घमंड का मनुष्य पर क्या प्रभाि पडता है? उ. अहकं ार में मनषु ्य अधं ा हो जाता ह।ै 4. मंिोिरी कौन थी? उ. मदं ोदरी रावण की पत्नी थी। 5. ‘भोर’ का अथग क्या है? उ. प्रातुःकाल, सबु ह दखु और वदे ना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रमे की अत्यनधक आवश्यकता ह।ै - डॉ.रामकु मार वमाग 129
इकाई-3 9. नािान िोस्त प्रेमचंि अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र मंे क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र में दो दोस्त, भटु ्टा, घर और पडे नदखायी दे रहे ह।ैं 2. बच्चा अपने वमत्र को क्या वखला रहा है? उ. बच्चा अपने नमत्र को मक्का (भटु ्टा) नखला रहा ह।ै 3. तुम अपने वमत्र को क्या वखलाना चाहोगे, क्यों? उ. मैं अपने नमत्र को के ला, सबे , अनार नखलाना चाहगँ ा, क्योंनक ये सभी स्वास्थ्यवद्धगक होते ह।ंै 1. नजलेबी = जलबे ी Sweet meal धीरज बँधाना, सतं नु ष्ट Courage 2. तसल्ली = बीत जाना To pass नचन्ताग्रस्त होना To be worried 3. गजु ़र जाना = सवे ा करना Plan कायागलय 4. उधेडबनु में रहना = रक्षा Office भर दने ा 5. नहकमत = वस्त्र खडं Defence ग्रास To fill up 6. दटतर = अपराध Rag भागीदार Grass 7. नहफाजत = शाखा Guilt Partner 8. ठूँस दने ा = Branch of tree 9. नचथडे = 10. नतनका = 11. कसरू = 12. नहस्सदे ार = 13. टहनी = 130
14. ताकना = झाँकना To stare 15. भीगी नबल्ली बनना= डरपोक रहना To be coward 16. गद्दी = नसहं ासन Throne 17. अफसोस = नवचार, खदे Regret, sorry 18. पर = पंख Wings 19. घोंसला = पछं ी का घर Nest 20. हाथ ढीले पडना = हाथ से छू ट जाना Hand to miss ‘नादान दोस्त’ कहानी के लेखक मशंु ी प्रमे चदं जी ह।ैं इस कहानी के माध्यम से दो नादान बच्चों के बारे मंे बताते ह।ैं जो काननसग पर नचनडया के अण्डों की रक्षा करना चाहते ह।ैं मगर उनकी नादानी से अडं े टूट जाते ह।ैं के शव और उसकी बहन श्यामा नचनडया द्वारा नदए गए उन अण्डों को लेकर बहतु उत्सकु ह।ंै वे दोनों हर समय उन अडं ों और उनसे ननकलने वाले बच्चों के बारे मंे ही सोचते रहते। आपस मंे ही एक-दसू रे से सवाल-जवाब करके तसल्ली कर लेत।े जसै े- अण्डों से बच्चे कब ननकलंेगे? कब उनके पखं ननकलेंग?े नचनडया बच्चों को खाना क्या नखलाएगी? आनद। नफर उन्हंे लगने लगा नक नचनडया अपने बच्चों के नलए खाना कै से जटु ा पाएगी? पानी भी नहीं होगा। नबना खाना–पानी के नचनडया के बच्चे च–ँू चँू करते हुए मर जाएगँ े। तीन-चार नदन गजु ़र गए। दोनों की नजज्ञासा बढने लगी। उन्होंने अनमु ान लगाया नक अब ज़रूर बच्चे ननकल आए होंगे। बच्चों के खाने-पीने का प्रबधं करने के नलए वे अधीर हो उठे। उन्होंने ऊपर खाना और पानी रखने का फै सला नकया। एक कपडा भी रखा, नजस पर के शव ने अडं े उठा कर रख नदए। माँ के डाटँ ने पर वे अदं र जाकर सो गए। शाम को जब आखँ खलु ी तो बाहर आकर दखे ा नक बच्चे होने से पहले ही अडं े टूट गए ह।ंै दोनों के चेहरे का रंग ही उड गया। माँ के पछू ने पर बच्चों ने बताया नक नचनडया के अडं े टूट गए ह।ैं माँ के सामने बच्चों ने एक-दसू रे के ऊपर इलजाम लगाना शरु ू कर नदया। माँ ने कहा नक नचनडया के अडं ों को हाथ लगाने से नचनडया उन्हें नहीं छू ती। माँ ने के शव को डाटँ ना शरु ू कर नदया। माँ ने उन्हें समझाया नक एक बार अडं ों को छू ने से वे गदं े हो जाते ह।ैं नचनडया उन्हंे नफर नहीं सेती। माँ को बच्चों की इस नादानी पर हसँ ी आ गई लने कन के शव को कई नदनों तक अपनी गलती का अहसास होता रहा। कभी-कभी याद करके वह रोता भी रहा। 1. तुम्हारे घर के आस-पास कौन-से पशु-पक्षी विखायी िेते हैं? उ. मरे े घर के आस-पास नबल्ली, कु त्ता, गाय, भसंै , कौआ, कोयल, तीतर, बटेर, मगु ाग, मगु ी, मोर, बदं र, खरगोश और नततली आनद पश-ु पक्षी नदखायी दते े ह।ैं 2. पक्षी कहाँ रहते हैं? सोचकर बताइए। उ. पक्षी पडे ों में घोंसला बनाकर रहते है और कभी-कभी घर के कोने में या छत पर भी घोंसला बनाकर रहते ह।ंै 131
अवतररक्त प्रश्न 1. के शव तथा श्यामा ने काननगस पर क्या दखे ा? 2. बच्चों की नजज्ञासा बढने का कारण क्या था? 3. बच्चों की आखँ ों में नींद न होने का कारण क्या था? 4. हमंे पनक्षयों के अडं ों को क्यों नहीं छू ना चानहए? 1. अंडों के बारे मंे के शि और श्यामा के मन मंे वकस प्रकार के सिाल उठते थे? उ. अडं ों के बारे मंे के शव और श्यामा के मन मंे तरह-तरह के सवाल उठते ह।ंै अडं े नकतने बडे होंग?े नकस रंग के होंग?े नकतने होंगे? क्या खाते होंगे? उनमें से बच्चे नकस तरह ननकल आएगँ े? बच्चों के पर कै से ननकलंेगे? घोंसला कै सा ह?ै आनद अनके सवाल उनके बाल मन मंे उठते थे। 2. के शि ने श्यामा से वचथडे, टोकरी और िाना–पानी मँगाकर कावनगस पर क्यों रखा? उ. के शव ने श्यामा से नचथडे को अडं ों के नीचे तह करके गद्दी बनाने के नलए रखा। टोकरी को धपू से बचाकर छाया बनाने के नलए रखा। अडं ों से जब बच्चे ननकल आएगँ े तो वे भखू -े प्यासे न रह,ें इसनलए दाना-पानी की प्याली को रखा। 3. माँ ने के शि की नािानी पर क्या कहा? उ. माँ ने के शव की नादानी पर कहा नक–‘तू इतना बडा हो गया, तझु े अभी इतनी बात भी नहीं मालमू नक छू ने से नचनडयों के अडं े गदं े हो जाते ह।ैं नचनडया नफर उन्हंे नहीं सते ी।’ 4. पाठ पढ़कर मालूम करो वक िोनों वचवडयाँ िहाँ वफर क्यों नहीं विखायी िीं? िे कहाँ गयी होंगी? उ. अडं ों को एक बार छू ने से वे खराब हो जाते ह।ंै नचनडया उन्हें दोबारा नहीं सेती। के शव ने अपनी नादानी के कारण नचनडया का घोंसला और अण्डे खराब कर नदए थे। इसनलए दोनों नचनडयाँ वहाँ दोबारा नदखाई नहीं दी। वे कहीं और अपना घोंसला बनाने के नलए चली गयी होंगी। अवतररक्त प्रश्न 1. चालाक का नवलोमाथग मखू ग ह।ै इसी तरह छाया, बाहर, करूण, गदं ा शब्दों के नवलोम नलनखए। 2. सत्यानाश करना, चहे रे का रंग उडना, नगडनगडाना शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीनजए। 3.तमु नीचे से पकडे रहना। रेखांनकत शब्द सवनग ाम ह।ै पाठ में आए कु छ सवनग ाम शब्दों की सचू ी बनाइए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए मंे नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करें। 132
अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता 1. के शि और श्यामा ने वचवडया के अंडों के वलए क्या वकया? उ. के शव और श्यामा ने नचनडया के अडं ों के नलए ननम्न काम नकए – 1. श्यामा अपनी परु ानी धोती फाडकर एक टुकडा लाई। तानक भाई उसके कई तह करके , एक गद्दी बनाकर नतनकों पर नबछा सके । तीनों अडं ों को धीरे से उस पर रख द।े 2. टोकरी को लाकर अडं ों को छाया दने े के नलए रखा। 3. दाना और पानी की प्याली लाकर उसमंे खाने के नलए चावल डालकर काननगस पर रखा। 2. श्यामा परु ानी धोती क्यों लायी थी? उ. के शव ने देखा नक नचनडया के अडं े नतनकों पर पडे ह।ंै वह अडं ों को गद्दी पर रखना चाहता था। उसने श्यामा से कहा नक वह नचथडे ले आए। तब श्यामा परु ानी धोती फाडकर लाई। के शव ने उसके कई तह करके एक गद्दी बनाई और उसे नतनकों पर नबछाकर, तीनों अडं े धीरे से उस पर रख नदए। 3. के शि और श्यामा ने अंडों की रक्षा की या नािानी? उ. के शव और श्यामा ने अपने बालपन के कारण अडं ों की रक्षा करनी चाही। उन्हंे गद्दी पर भी रखा। नकन्तु वे इस बात से अनजान थे नक एक बार छू ने से अडं े मलै े हो जाते हंै और नफर नचनडया उन्हें नहीं सेती। अडं ों को नीचे टूटा हुआ दखे कर, नफर माँ के समझाने पर उन्हें अपनी नादानी का आभास हआु । अतुः के शव और श्यामा ने अंडों की रक्षा की और उनके बालपन ने, उनकी अननभज्ञता ने नादानी की। 4. प्रेमचंि ने इस कहानी का नाम ‘नािान िोस्त’ क्यों रखा? तुम इसे क्या शीषगक िेना चाहोगे और क्यों? उ. प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ इसनलए रखा क्योंनक इन दोनों बच्चों ने अपनी नादानी से अडं े खराब कर नदए। इसका शीषकग ‘नचनडया के अडं े’ भी नदया जा सकता ह,ै क्योंनक इस कहानी का के न्द्र नबन्दु नचनडया के अडं े और उनकी सरु क्षा ही ह।ै 1. कहानी में कौन-कौन से पात्र हैं? नाटकीकरण की सहायता से कक्षा मंे अवभनय कीवजए। कहानी के पात्र– के शव, श्याम, अम्माँ जी कहानी का नाटकीकरण- (के शव और उसकी बहन श्यामा नचनडया को अडं ों के पास आते-जाते दखे ा करते थ।े दोनों के मन में नचनडया, घोंसला, अण्डे उनके खाने आनद को लेकर बहतु उत्सकु ता रहती थी। आपस में ही एक–दसू रे को वे तसल्ली नदया करते थ।े ) श्यामा – क्यों भइया, बच्चे ननकलकर फु रग से उड जाएगँ े? 133
के शव - (गवग से) – नहीं री पगली, पहले पर ननकलंगे ।े श्यामा – बच्चों को क्या नखलाएगी बेचारी? के शव – बेचारी नचनडया इतना दाना कहाँ से लाएगी? हम काननगस पर थोडा-सा दाना रख दते े ह।ंै श्यामा - (खशु होकर) तब तो नचनडयों को चारे के नलए उडकर कहीं नहीं जाना पडेगा। के शव – हाँ, बहुत तकलीफ हो रही होगी। बचे ारे प्यास के कारण तडपते भी होंग।े ऊपर छाया भी नहीं ह।ै (काफी दरे तक सोच-नवचार करने के बाद उसने श्यामा से कहा-) के शव - तू टोकरी तो ला, मंै उसका सरु ाख बदं करने की कोई तरकीब ननकालँगू ा। (श्यामा दौडकर टोकरी उठा लाई। के शव ने सरु ाख मंे कागज़ ठूँस नदया।) के शव – दखे , इससे घोंसले पर आड कर दगँू ा। तब धपू कै से जाएगी? श्यामा - (मन मे)ं भइया नकतने चालाक ह!ंै (अम्माँ जी सो रही ह,ंै दखे कर दोनों धीरे-धीरे बाहर ननकल गए। के शव लकडी की स्टूल उठा लाया और उस पर के शव – चढ गया। श्यामा ने स्टूल पकड नलया। ) अच्छी तरह पकड, वरना उतरकर बहुत मारँूगा। श्यामा – (श्यामा) डरी हईु , हाँ भइया। के शव – (के शव के हाथ लगाते ही दोनों नचनडयाँ उडकर चली गई। ) श्यामा – कै बच्चे हैं भइया? के शव – तीन अडं े ह,ंै अभी बच्चे नहीं ननकले। हमें भी नदखा दो भइया। श्यामा - नदखा दगँू ा, पहले जरा नचथडे ले आ, नीचे नबछा द।ँू बेचारे अडं े नतनकों पर पडे ह।ंै के शव - (श्यामा दौडकर एक कपडा ले आई। के शव ने उसकी गद्दी बनाकर नतनकों पर नबछा नदया और अडं े को उस पर श्यामा - रख नदया। ) के शव - हमको भी नदखा दो भइया। श्यामा - नदखा दगँू ा, पहले ज़रा वह टोकरी तो दे दो, ऊपर छाया कर द।ँू के शव - (टोकरी दते े हएु ) अब तमु उतर जाओ, मंै भी तो दखे ँ।ू श्यामा – टोकरी को टहनी से नटकाता हआु ) जा, दाना और पानी की प्याली ले आ, मैं उतर आऊँ तो तझु े नदखा दगँू ा। के शव – (प्याली और चावल दके र नगडनगडाते हएु ) अब हमको भी चढा दो भइया। (टोकरी के नीचे दोनों चीज़ंे रखकर उतरते हएु ) तू नगर पडेगी। श्यामा - न नगरँूगी भइया, तमु नीचे से पकडे रहना। न भइया, तू नगर पडी तो अम्माँ जी मझु े बहुत मारंेगी। क्या करेगी दखे कर? अब अडं े आराम से ह।ंै जब बच्चे ननकलंेग,े तो उनको पालेंगे। (दोनों नचनडयाँ नबना बैठे ही उड जाती थी। के शव ने स्टूल कमरे मंे रख दी।) (आखँ ों मंे आसँ ू भरकर) तमु ने मझु े नहीं नदखाया, मंै अम्माँ जी से कह दगँू ी। 134
के शव – अम्माँ जी से कहगे ी तो बहुत मारँूगा, कहे दते ा ह।ँ श्यामा – तो तमु ने मझु े नदखाया क्यों नहीं? के शव – और नगर पडती तो चार सर न हो जाते। श्यामा – हो जात,े हो जात।े दखे लेना मंै कह दगँू ी। श्यामा – अम्माँ जी (कोठरी का दरवाज़ा खोलते हुए) तमु दोनों बाहर कब ननकल आए? मनैं े कहा था ना नक दोपहर को न ननकलना? नकसने नकवाड खोला? (दोनों डरते हएु चपु खडे रह।े माँ ने दोनों को कमरे मंे बंद करके सलु ा नदया। ) भइया, अडं े तो नीचे पडे ह,ैं बच्चे उड गए। के शव - (घबराकर उठा और दौडकर बाहर गया। ) (अडं ों से कोई चनू े की सी चीज़ बाहर ननकल आई ह।ै पानी की प्याली टूटी पडी ह।ै के शव डरता हुआ ज़मीन की ओर दखे ने लगा। ) श्यामा – बच्चे कहाँ उड गए? के शव – तरे े सर मंे दखे ती नहीं है अडं ों में से उजला-उजला पानी ननकल आया ह।ै वही तो दो-चार नदनों मंे बच्चे बन जाते। अम्माँ जी – (सोटी हाथ मंे नलए हुए) तुम दोनों वहाँ धपू में क्या कर रहे हो? श्यामा – अम्माँ जी, नचनडया के अडं े टूटे पडे ह।ंै अम्माँ जी - (गसु ्से म)ें तमु लोगों ने अंडों को छु आ होगा। श्यामा - (सोचती ह–ै भइया ने शायद अडं ों को इस तरह रख नदया नक वह नीचे नगर पडे। इसकी उसे सज़ा नमलनी चानहए।) श्यामा - इन्होंने अडं ों को छेडा था अम्माँ जी। अम्माँ जी -(के शव से) क्यों रे? तू वहाँ कै से पहचुँ ा? श्यामा - चौकी पर स्टूल रखकर चढे अम्माँ जी। के शव - तू स्टूल थामे नहीं खडी थी? श्यामा - तमु ्हीं ने तो कहा था। अम्माँ जी - तू इतना बडा हआु , तझु े अभी इतना भी नहीं मालूम नक छू ने से नचनडया के अडं े गदं े हो जाते ह।ंै नचनडया नफर उन्हें नहीं सते ी। श्यामा - अम्माँ जी (डरते हुए) तो क्या नचनडया ने अडं े नगरा नदए हैं अम्माँ जी? के शव - -और क्या करती। के शव के नसर इसका पाप पडेगा! हाय, हाय, तीन जानें ले लीं दषु ्ट ने! (रोनी सरू त बनाते हुए) – मनंै े तो नसफग अडं ों को गद्दी पर रख नदया था, अम्माँ जी! (माँ को हसँ ी आ गई। के शव अपनी गलती को याद करके कई बार रो पडता था।) 1. पाठ मंे बताया गया है वक बच्चों ने वचवडया के अंडों की सुरक्षा करने की घटना मंे नािानी से अंडे तोड विए। अब आप बताइए वक पवक्षयों की सहायता हम कै से कर सकते हंै? उ. हमें पनक्षयों की सहायता इस तरह करनी चानहए - हमंे पनक्षयों के अडं ों और घोंसले को नहीं छू ना चानहए। हमें पनक्षयों के नलए सहज वातावरण का ननमागण करना चानहए। पेड लगाना, अन्न-पानी की व्यवस्था करना चानहए। मनोरंजन या ननशाना साधने के नलए उनकी हत्या नहीं करनी चानहए। नपंजरे मंे बदं करके उनकी स्वतंत्रता नहीं छीननी चानहए। 135
1. गवमगयों या सविगयों मंे जब तमु ्हारी लबं ी छु रट्टयाँ होती हंै, तो तुम्हारा विन कै से बीतता है। अपनी बआु या वकसी और को एक पोस्टकाडग या अंतरिेशीय पत्र वलवखए। स्थान ............... नदनांक .............. आदरणीय बआु जी, सादर प्रणाम। मैं यहाँ सकु शल ह।ँ मैं आशा करती हँ नक आप भी वहाँ सकु शल होंग।े मनैं े अपनी गरमी की छु रट्टयाँ अच्छी तरह नबतायी थी। मनैं े छु रट्टयों में अपने गाँव मंे ही रहकर सगं ीत सीखा और नतृ ्य भी सीखा था। छु रट्टयों मंे मनैं े नसनेमा भी दखे ा। आगे की कक्षा के नलए कु छ पसु ्तकें एकनत्रत करके पढना भी शरु ू नकया ह।ै बडों को प्रणाम कनहए। आपकी नप्रय, xxxx पता- श्रीमती सशु ीला दवे ी, म.न.ं 6-115, नबन्दू नहन्दी नवद्ामनं दर, नवजयनगरम।् भाषा की बात 1. वचवडया अपना घोंसला कहाँ-कहाँ बनाती है? जसै े– पडे उ. पडे पर नचनडयाँ अपना घोंसला बनाती ह।ै घर के कोने म,ें छत पर भी कभी-कभी घोंसला बनाती ह।ैं 2. अंडों की वहफाज़त की तैयाररयाँ होने लगी। रेखांवकत शब्ि का पयागय वलखकर िाक्य वलवखए। नहफाजत – सरु क्षा, रक्षा सरं क्षणुः- राम ने अपने भाई की नहफाजत की। 1. श्यामा माँ से बोली, “मैने आपकी बातचीत सुन ली है।” ऊपर नदए उदाहरण में मनैं े का प्रयोग श्यामा के नलए और आपकी का प्रयोग माँ के नलए हो रहा ह।ै जब सवनग ाम का प्रयोग कहने वाल,े सनु ने वाले या नकसी तीसरे के नलए हो, तो उसे पुरुषिाचक सिगनाम कहते ह।ैं नीचे नदए गए वाक्यों मंे तीनों प्रकार के परु ुषवाचक सवनग ामों के नीचे रेखा खींचो। 136
एक नदन दीपू और नीलू यमनु ा तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थ।े तभी उन्होंने दखे ा नक एक लबं ा आदमी लडखडाता हआु उनकी ओर चला आ रहा ह।ै पास आकर उसने बडे दयनीय स्वर में कहा, मैं भखू ा ह।ँ क्या आप मझु े कु छ खाने को दे सकते ह?ंै उ. एक नदन दीपू और नीलू यमनु ा तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने दखे ा नक एक लंबा आदमी लडखडाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा ह।ै पास आकर उसने बडे दयनीय स्वर में कहा, मैं भखू ा ह।ँ क्या आप मझु े कु छ खाने को दे सकते ह?ैं 2. तगडे बच्चे मसालेिार सब्ज़ी बडा अंडा यहाँ रेखानं कत शब्द िमशुः बच्चे, सब्ज़ी और अडं े की नवशषे ता यानी गणु बता रहे ह,ैं इसनलए ऐसे नवशेषणों को गणु िाचक विशेषण कहते ह।ंै इसमें व्यनक्त या वस्तु के अच्छे–बरु े हर तरह के गणु आते ह।ंै चार गणु वाचक नवशषे ण नलनखए और उनसे वाक्य बनाइए। उ. 1. छोटा गाँव - मरे े छोटे गाँव मंे रेल्वे स्टेशन नहीं ह।ै 2. खारा खाना - राम से खारा खाना नहीं खाया गया। 3. मधरु संगीत - माता जी ने मधरु सगं ीत सनु ाया। 4. ठंडी हवा - राम यमनु ा नदी के तट पर बैठ कर ठंडी हवा का आनदं ले रहा था। 3. (क) के शव ने झँझु लाकर कहा ..................... (ख) के शव रोनी सरू त बनाकर बोला ...................... (ग) के शव घबराकर उठा .......................... (घ) के शव ने टोकरी को एक टहनी से नटकाकर कहा ......................... (ङ) श्यामा ने नगडनगडाकर कहा .................................... ऊपर नलखे वाक्यों मंे रेखांनकत शब्दों को ध्यान से दखे ो। ये शब्द रीवतिाचक वक्रयाविशेषण का काम कर रहे ह,ैं क्योंनक ये बताते हैं नक कहन,े बोलने और उठने की निया कै से हईु । कर वाले शब्दों के निया नवशषे ण होने की एक पहचान यह भी है नक ये अक्सर निया से ठीक पहले आते ह।ंै अब तमु भी इन पाँच निया नवशषे णों का वाक्यों मंे प्रयोग करो। उ. (क) के शव ने झँझु लाकर कहा– तमु टोकरी ले आओ। (ख) के शव रोनी सरू त बनाकर बोला नक मनंै े अडं ों की रक्षा की थी। (ग) के शव घबराकर उठा और भाग गया। (घ) के शव ने टोकरी को एक टहनी से नटकाकर रखने मंे सहायता की। (ङ) श्यामा ने नगडनगडाकर कहा– मझु े भी अडं ों को नदखा दो। 4. नीचे प्रेमचंि की कहानी “सत्याग्रह” का एक अंश विया गया है। तुम उसे पढ़ोगे तो पाओगे वक विराम वचह्नों के वबना यह अंश अधूरा है। तुम आिश्यकता के अनुसार उवचत जगहों पर विराम वचह्न लगाओ। उसी समय एक खोमचे वाला जाता नदखाई नदया 11 बज चकु े थे चारों तरफ सन्नाटा छा गया था पंनडत जी ने बलु ाया खोमचे वाल,े खोमचे वाला कनहए क्या दँू भखू लग आई न अन्न-जल छोडना साधओु ं का काम है हमारा आपका नहीं मोटे राम अब क्या कहता है यहाँ क्या नकसी साधु से कम है चाहे तो महीने पडे रहें और भखू न लगे तुझे तो के वल इसनलए बलु ाया है नक ज़रा अपनी कु प्पी मझु े दे दखे ँू तो वहाँ क्या रेंग रहा है मझु े भय होता ह।ै 137
उ. उसी समय एक खोमचेवाला जाता नदखाई नदया। 11 बज चकु े थे। चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। पनं डत जी ने बलु ाया, खोमचे वाले। खोमचेवाला – “कनहए क्या दँ?ू भखू लग आई न। अन्न-जल छोडना साधओु ं का काम ह।ै हमारा-आपका नहीं।” मोटे राम अब क्या कहता ह?ै “यहाँ क्या नकसी साधु से कम ह।ै चाहें तो महीने पडे रहंे और भखू न लग!े तझु े तो के वल इसनलए बलु ाया है नक – ज़रा अपनी कु प्पी मझु े द।े दखे ँू तो, वहाँ क्या रंेग रहा ह?ै मझु े भय होता ह।ै ” क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के बारें मंे बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों में नलख सकता ह।ँ 4.पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. पाठ के पात्रों के आधार पर नाटकीकरण कर सकता ह।ँ इस पाठ मंे मैंने नए शब्ि सीखे - 138
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. बच्चों की नािानी के प्रवत माँ की क्या प्रवतवक्रया थी? उ. माँ ने जब दखे ा नक नचनडया के अण्डे नीचे नगरे पडे हंै। बच्चों ने उन्हें छेडा ह,ै तब के शव को डाँटते हुए माँ ने कहा– “तू इतना बडा हुआ, तझु े अभी इतना भी नहीं मालमू नक छू ने से नचनडया के अडं े गदं े हो जाते ह।ैं नचनडया नफर उन्हें नहीं सते ी। अब के शव के नसर इसका पाप चढेगा। हाय, हाय, तीन जानंे ले लीं दषु ्ट ने!” माँ को बच्चों की इस नादानी को दखे कर हसँ ी भी आ गई। 2. माँ के पछू ने पर बच्चों ने क्या बताया? तब माँ ने क्या कहा? उ. माँ के पछू ने पर बच्चों ने बताया नक नचनडया के अडं े टूट गए ह।ैं माँ के सामने बच्चों ने एक-दसू रे के ऊपर इलजाम लगाना शरु ू कर नदया। माँ ने कहा नक नचनडया के अडं ों को हाथ लगाने से नचनडया उन्हंे नहीं छू ती। माँ ने के शव को डाटँ ना शरु ू कर नदया। माँ ने उन्हें समझाया नक एक बार अडं ों को छू ने से वे गदं े हो जाते ह।ैं नचनडया उन्हें नफर नहीं सेती। वनबधं लेखन मेरा वप्रय त्योहार वप्रय त्योहार का पररचय - होली, दीपावली, रक्षाबंधन, दशहरा आनद हमारे नप्रय त्योहार ह।ैं इन त्योहारों मंे रक्षाबधं न का त्योहार मझु े सबसे अनधक नप्रय ह।ै यह भाई-बहन के ननुःस्वाथग प्रेम का प्रतीक ह।ै भाई-बहन के पनवत्र प्रेम के साथ ही इसकी सादगी भी मझु े बहतु अच्छी लगती ह।ै दीपावाली में दीपकों की रोशनी होती ह।ै होली मंे रंग और गलु ाल की धमू मच जाती ह।ै दशहरे के नदन भी रावण-दहन की बडी धमू -धाम होती ह,ै लने कन रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के नलए पनवत्र प्रमे और रेशम की डोरी के अनतररक्त नकसी अन्य चीज़ की आवश्यकता नहीं पडती। रक्षाबधं न मनाने की विवध - रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पनू णमग ा को मनाया जाता ह।ै उस समय मौसम भी बडा सहु ावना होता ह।ै बहन अपने भाई को राखी बाँधती है और नमठाई नखलाती ह।ै भाई बहन की रक्षा के वचन के साथ ही उसे उपहार भी दते ा ह।ै यह त्योहार हर भाई को बहन के प्रनत अपने कत्तवग ्य की याद नदलाता ह।ै रक्षाबंधन के इस पावन त्योहार से भाई-बहन के बीच स्नहे का पनवत्र बधं न और दृढ हो जाता ह।ै त्योहार के प्रवत दृविकोण - बहन अपनी रक्षा का भार भाई पर डालती ह,ै इसका तात्पयग यह कदानप नहीं नक वह स्वयं कमज़ोर और असहाय ह।ै अपनी राखी की डोरी में वह अपना नवश्वास और मगं ल कामनाए,ँ भाई के प्रनत प्राथनग ाएँ सभी कु छ उस डोरी मंे समटे दते ी ह।ै जो भाई की हर संकट से रक्षा करने मंे समथग होती ह।ै ऐसा हर बहन का नवश्वास होता ह।ै 139
अपनी राखी मंे वह अपने भाई को शनक्त और साहस का मतं ्र दते ी है और सदवै उसके कल्याण की कामना करती ह।ै इसनलए ऐसे पनवत्र त्योहार को हमारे भारत में बडे ही उत्साह और आनदं के साथ मनाया जाता ह।ै ऐवतहावसक महत्त्ि - रक्षाबंधन के इन कोमल धागों ने कई इनतहास भी बनाए ह।ैं जसै े- नचत्तौड की राजमाता ने मगु ल बादशाह हमु ायँू को राखी भजे कर उसे अपना भाई बनाया था। सकं ट पडने पर बहन की रक्षा के नलए हुमायँू नचत्तौड जा पहचुँ ा था। हुमायँू ने बहन के सम्मान की रक्षा के नलए गजु रात के बादशाह के साथ यदु ध् करने का ननश्चय नकया। यह राखी की ही शनक्त थी नक हुमायँू ने मसु लमान होकर भी, एक नहदं ू नारी के सम्मान की रक्षा के नलए मसु लमान से यदु ध् नकया। आधवु नकता का प्रभाि - आधनु नकता के इस दौर मंे सभी भाई-बहन एक-दसू रे के साथ यह त्योहार मना सकंे , यह सभं व ही नहीं रहा। सभी अपने कम-ग क्षते ्र में इतने उलझ जाते हैं नक समय का अभाव पडने लगता है। ऐसे मंे डाक आनद की सहायता ली जाती ह।ै समय पर भाई के पास राखी पहचुँ जाने पर भाई अपनी बहन की राखी को बाँधकर आत्मनवभोर हो जाता ह।ै सभं व हो सके तो भाई यह परू ा प्रयास करते हैं नक वह वषग मंे एक बार ही सही, इस अवसर पर अपनी बहन के पास अवश्य पहचुँ सकंे । बहन की ममता, स्नेह और मगं ल भावनाएँ हर भाई को नवजीवन प्रदान करती ह।ंै भाई-बहन इस अवसर पर अपने समस्त दुु ःखों और अभावों को भलू जाते हंै और परम आनदं का अनभु व करते ह।ैं अव्यय अव्यय वे शब्द होते हंै नजनका वाक्य में प्रयोग करने पर नलगं , वचन, काल आनद की दृनष्ट से कोई पररवतगन नहीं होता ह।ै अपररवनतगत रहने के कारण इन्हें अव्यय या अविकारी शब्ि कहा जाता ह।ै 1. नियानवशषे ण 2. संबधं बोधक 3. समचु ्चयबोधक 4. नवस्मयानदबोधक वक्रया विशेषण शब्ि- जो शब्द निया शब्दों की नवशषे ता प्रकट करते ह,ंै वे नियानवशषे ण शब्द कहलाते ह।ंै वक्रया विशेषण जो शब्ि वक्रया की विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हंे वक्रया-विशेषण कहते हंै। रीवतिाचक वक्रयाविशेषण स्थानिाचक वक्रया-विशेषण कालिाचक वक्रया विशेषण पररमाणिाचक वक्रया विशेषण जो निया-नवशेषण जो निया नवशषे ण निया के जो निया-नवशेषण निया जो निया-नवशेषण निया निया के होने की होने के स्थान का बोध कराते के होने का समय बताते का माप-तोल तथा पररमाण रीनत अथवा ढंग का ह,ंै उन्हें स्थानवाचक निया ह,ैं उन्हंे कालवाचक बताते ह,ैं उन्हें बोध कराते ह,ंै उन्हंे नवशेषण कहते ह।ैं निया नवशषे ण कहते ह।ंै पररमाणवाचक निया रीनतवाचक निया- नवशषे ण कहते ह।ंै नवशषे ण कहते ह।ंै छात्र प्रवतविन पढ़ते ह।ंै हमें सिैि सच बोलना। कम बोलो, अनधक सोचो। हाथी धीरे-धीरे चलता ह।ै स्थान सचू क - यहाँ-िहाँ थोडा नवश्राम कर लो। बच्चों! शोर मत मचाओ। नदशा सचू क- इधर, उधर ह।ै हहै चै ानहए। 140
अभ्यास कायग (Work Book) पवठत अपवठत 1. पवठत गद्ांश पढ़कर नीचे वलखे प्रश्नों के उत्तर िीवजए। के शव के घर काननसग के ऊपर एक नचनडया ने अडं े नदए थे। के शव और उसकी बहन श्यामा दोनों बडे ध्यान से नचनडया को वहाँ आते-जाते दखे ा करते। सवरे े दोनों आखँ ें मलते काननगस के सामने पहचुँ जाते और नचडा और नचनडया दोनों को वहाँ बठै ा पाते। उनको दखे ने में दोनों बच्चों को न मालमू क्या मज़ा नमलता। दधू और जलबे ी की सधु भी न रहती थी। दोनों के नदल में तरह-तरह के सवाल उठते। अडं े नकतने बडे होंग,े नकस रंग के होंग?े क्या खाते होंग?े उनमंे से बच्चे नकस तरह ननकल आएगँ े? बच्चों के पर कै से ननकलंगे े? घोंसला कै सा ह?ै लने कन इन बातों का जवाब दने े वाला कोई नहीं। न अम्माँ को घर के काम-धधं े से फु रसत थी, न बाबू जी को पढने स।े आपस ही में सवाल–जवाब करके अपने नदल को तसल्ली दे नलया करते थ।े प्रश्न- 1. के शव और श्यामा नकसको दखे ते थे? () अ) नचनडया के अडं े आ) नचनडया को आते–जाते इ) नचनडया के बच्चे ई) नचनडया और नचडा 2. बच्चों को नकसकी सधु न रहती थी? () अ) नहाने की आ) पढने की इ) खेलने की ई) दधू और जलेबी की 3. उन अडं ों को दखे कर उनको क्या महससू होता था? उ. _____________________________________________________________________ 4. उन अडं ों को दखे कर दोनों बच्चों के मन मंे क्या सवाल उठते थ।े उ. _____________________________________________________________________ 5. उनके सभी प्रश्नों का जवाब कौन दते ा ह?ै उ. ____________________________________________________________________ 6. गद्ांश से युग्म शब्द छाटँ कर नलनखए। उ. ___________________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. के शव और श्यामा को दूध-जलबे ी की सधु भी न रहती थी। क्यों? 2. के शव और श्यामा ने नचनडया के बच्चों के नलए क्या सामान मगं वाकर रखा था और क्यों? 3. के शव ने नचनडया के बच्चों को धपू से बचाने के नलए क्या नकया? 141
वनबधं लेखन समाचार पत्र का महत्त्ि बताते हुए पत्र वलवखए। संके त वबिं ु- प्रस्तावना, समाचार पत्र का आरंभ, लाभ, उपसंहार व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे वक्रयाविशेषण शब्िों को रेखांवकत कीवजए। 1. बच्चे उधर खले रहे ह।ैं 4. मैं परसों नदल्ली जाऊँ गा। 2. सधु ा मधरु गाती ह।ै 5. वह सदा सच बोलता ह।ै 3. राजू के पास काफी धन ह।ै 6. रूपा सदंु र नदखती ह।ै 2) वनम्नवलवखत वक्रया के भेि से िाक्य बनाइए। 1. रीनतवाचक – _______________________________ 2. स्थानवाचक – _______________________________ 3. कालवाचक – _______________________________ 4. पररणामवाचक– _______________________________ 3) वनम्नवलवखत वक्रयाविशेषण शब्िों का उवचत भेि चुवनए। 1. तमु ने सदवै नमत्रों की सहायता की ह।ै () () अ) कालवाचक नियानवशषे ण आ) स्थानवाचक नियानवशषे ण () () इ) रीनतवाचक नियानवशेषण ई) पररमाणवाचक नियानवशषे ण 2. राहलु अवश्य जाएगा। अ) रीनतवाचक नियानवशषे ण आ) कालवाचक नियानवशषे ण इ) स्थानवाचक नियानवशषे ण ई) पररमाणवाचक नियानवशषे ण 3. वह तेज़-तेज़ चल रहा था। अ) स्थानवाचक नियानवशषे ण आ) कालवाचक नियानवशेषण इ) रीनतवाचक नियानवशेषण ई) पररमाणवाचक नियानवशषे ण 4. वह उस नदन इधर-उधर टहल रहा था। अ) रीनतवाचक नियानवशषे ण आ) स्थानवाचक नियानवशषे ण इ) पररमाणवाचक नियानवशषे ण ई) कालवाचक नियानवशषे ण 4) वनम्नवलवखत िाक्यों को सयं ुक्त िाक्यों मंे बिलकर वलवखए। 1. श्यामा कमरे मंे गयी। वह मजे ़ लायी। उ. _____________________________ 2. मोहन बाज़ार गया। वह सब्ज़ी लाया। उ. _____________________________ 3. नचनडया अडं े दते ी ह।ै वह सेती ह।ै उ. _____________________________ 142
5) वनम्नवलवखत मुहािरों का अथग वलखकर िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. सत्यानाश करना = उ. 2. अगं फू ले न समाना = उ. 3. हौंसला बढाना = उ. 6) वनम्नवलवखत िाक्यों को वनषेधात्मक रूप में बिवलए। 1. अम्मा जी से कहोगी, तो मैं तमु ्हें मारँ ूगा। उ. 2. टूटे हुए अडं े दखे कर श्यामा दुु ःखी हो गई। उ. 3. नदन चढने पर सरू ज चमकने लगा। उ. 7) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के विलोम शब्ि वलखकर िाक्य वफर से वलवखए। 1. अडं े नकतने बडे होंगे? उ. 2. श्यामा पर नवश्वास था। उ. 3. संयोग से वह जीत गए। उ. 4. दोनों ने आखँ ंे बंद कर ली। उ. 5. श्यामा और के शव की नजज्ञासा नदन-ब-नदन बढती जाती थी। उ. 6. दोनों बहतु धीरे से दरवाज़े की नसटकनी खोलकर बाहर ननकल आए। उ. 8) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिलकर िाक्य में प्रयोग कीवजए। 1. बच्चा - बच्चे 2. नचनडया –नचनडयाँ 3. दाना - दाने 143
4. टाँग - टाँगंे 4.नदल - _______, ________, ______ 5.आखँ - ________, ________, ______ 5. चौकी – चौनकयाँ 6.कपडा - ________, ________, ______ a. 4. थोडा – ______________ 5. डाँट – ______________ 6. टहनी - टहननयाँ 6. बच्चे – ______________ b. c. 9) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 1. दोस्त - ________, ________, ______ 2. सवरे ा - ________, ________, ______ 3. दधू - ________, ________, ______ 10) वनम्नवलवखत शब्िों के युग्म शब्ि वलवखए। 1. सवाल – ______________ 2. तीन – ______________ 3. काम – ______________ 11) वनम्नवलवखत िाक्यों में वक्रया शब्ि क्या होगा? 1. बच्चों की नजज्ञासा बढती जा रही थी। () ई) थी अ) बच्चों आ) नजज्ञासा इ) बढती जा रही इ) से () 2. बच्चे फु रग से उड जाएँग।े इ) नचनडया ई) उड जाना अ) फु रग आ) बच्चे () ई) आते-जाते 3. बच्चे नचनडया को आते-जाते दखे त।े अ) बच्चे आ) दखे ते 12) वनम्नवलवखत िाक्यों को अथग की दृवि से पहचावनए। () 1. क्या नचनडया उड जाएगी। अ) सरल वाक्य आ) ननषधे वाचक वाक्य इ) प्रश्नवाचक वाक्य ई) नवस्मयानदवाचक वाक्य 2. दोनों नचनडयाँ उड कर बाहर नहीं गई। () अ) सरल वाक्य आ) ननषधे वाचक वाक्य इ) प्रश्नवाचक वाक्य ई) नवस्मयानदवाचक वाक्य 3. वाह! क्या स्वानदष्ट पकवान ह।ै () अ) सरल वाक्य आ) ननषधे वाचक वाक्य इ) प्रश्नवाचक वाक्य ई) नवस्मयानदवाचक वाक्य 144
13) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे से विशेषण शब्ि पहचावनए। () 1. मरे ी नजज्ञासा कम थी। () () अ) मरे ी आ) कम इ) नजज्ञासा ई) थी () 2. वहाँ से गाडी तेज़ गनत से जाती ह।ै () () अ) वहाँ आ) तेज़ इ) जाती ई) गनत इ) सवाल ई) पछू ा () 3. श्यामा ने पने चदा सवाल पछू ा। अ) पेनचदा आ) श्यामा 14) वनम्नवलवखत शब्िों मंे सही संवध विच्छेि पहचावनए। 1. पसु ्तकालय अ) पसु ्तका+लय आ) पसु ्त+कालय इ) पसु ्तक + आलय ई) पसु ्तका+लय ई) दवे + न्द्र 2. दवे ने ्द्र ई) गरु ु + उपदशे अ) दवे + इन्द्र आ) द+े वने ्द्र इ) दवे +े न्द्र ई) नकतने ई) गया 3. गरु ूपदशे आ) गरु ो + उपदशे इ) गरु ूप + दशे ई) टोकरी अ) गरु ू + पदशे 15) वनम्नवलवखत िाक्यों में सजं ्ा शब्ि पहचावनए। 1. श्यामा ने नदल में सोचा, भइया नकतने चालाक ह।ैं अ) श्यामा, भइया आ) सोचा इ) चालाक इ) राम, नदल्ली 2. कल राम नदल्ली घमू ने गया। इ) वहाँ अ) घमू ने आ) कल 3. वहाँ से टोकरी उठा लाओ। अ) लाओ आ) उठा सबसे अनधक ज्ञानी वही है जो अपनी कनमयों को समझकर उनका सधु ार कर सकता हो। - अज्ञात 145
अभ्यास प्रश्न पत्र अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया 1. वनम्न वलवखत पवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। गमी के नदन थे। बाबजू ी दफ़्तर गए हएु थ।े अम्माँ दोनों बच्चों को कमरे में सलु ाकर खदु सोने चली गई थी। लने कन बच्चों की आखँ ों मंे आज नींद कहाँ? अम्माँ जी को बहलाने के नलए दोनों दम रोके , आखँ ें बदं नकए, मौके का इतं ज़ार कर रहे थे। ज्यों ही मालमू हआु नक अम्माँ जी अच्छी तरह सो गई, दोनों चपु के से उठे और बहुत धीरे-से दरवाज़े की नसटकनी खोलकर बाहर ननकल गए। अडं ों की नहफाज़त की तैयाररयाँ होने लगी। प्रश्न- 1) वकसकी वहफाज़त की तैयारी हो रही थी? () अ) बाबू जी आ) अण्डों इ) बच्चे ई) अम्माँ 2) अम्माँ को बहलाने के वलए बच्चों ने क्या वकया? () अ) खले ने लगे आ) गाने लगे इ) आखँ ें बंद नकए रहे ई) सो गए 3) अम्माँ के सोते ही बच्चों ने क्या नकया? 4) बच्चों की आखँ ों मंे नींद क्यों नहीं थी? 5) गद्ाशं में से नवलोम शब्द खोजकर नलनखए। 6) यह गद्ाशं नकस पाठ से नलया गया ह?ै अवभव्यवक्त-सजृ नात्मकता वनम्न वलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. राम ने थकी हुई सीता की सहायता कै से की? 2. के शव तथा श्यामा ने अडं ों की रक्षा की या नादानी? 3. वनम्न मंे से वकसी एक प्रश्न का उत्तर वलवखए। ‘समाचार पत्र’ का महत्व नवषय पर ननबधं नलनखए। (या) आपने गमी की छु रट्टयाँ नकस तरह नबताई, बताते हएु अपनी बआु जी को पत्र नलनखए। भाषा की बात 4. वनम्न प्रश्नों के उत्तर सूचना के अनुसार वलवखए। 1. वनम्न िाक्य को सयं ुक्त िाक्य में बिवलए। 1. मोहन बाज़ार गया। वह सब्ज़ी लाया। 2. रेखांवकत शब्ि का भाषा-भेि वलवखए। 1. सीता जी एक आदशग पत्नी ह।ै 3. रेखांवकत शब्ि का विलोम वलखकर िाक्य पुनुः वलवखए। 1. श्यामा और के शव की नजज्ञासा नदन-ब-नदन बढती जाती थी। 4. वनम्न िाक्य को प्रश्निाचक मंे बिवलए। 1. श्रीराम सीताजी के साथ वन को चले गए। 5. वनम्न िाक्य मंे वक्रयाविशेषण शब्ि पहचानकर वलवखए। 1.के शव घबराकर उठा और भाग गया। 146
इकाई-3 10. लोकगीत भगितशरण उपाध्याय अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र में क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र मंे मनहलाएँ नतृ ्य करती हुई नदखाई दे रही ह।ंै दशकग , पेड, घर आनद भी नदखाई दे रहे ह।ंै 2. इस नतृ ्य के बारे में आप क्या जानते हैं? उ. यह नतृ ्य गजु रात का दलीय गायन गरबा ह।ै नजसे नवशषे नवनध से घरे े में घमू कर मनहलाएँ करती ह।ंै 3. नृत्य करते समय औरतंे कौन-सा गीत गा रही होंगी? उ. नतृ ्य करते समय औरतें रनसया गीत गा रही होंगी। 1. नतृ ्य = नाच Dance 2. ताज़गी = ताज़ा Fresh 3. लोकनप्रयता = सभी लोगों के नलए इष्ठत्च Foundness among all the people 4. ज़रूरत = आवश्यकता Necessity 5. उपेक्षा करना = ननलकग्ष्य करना To carelessness 6. पररवतगन = बदलाव Change 7. अनधकतर = ज़्यादातर More Majority 8. हये = हीन Abominable, trifling 9. कमर बाँधना = सनं सग्ध होना To get Ready 10. अशास्त्रीय = असहज रीनत Non Scientific 11. वास्तनवक = सहजत्व Actual 147
12. रोज़मराग = दनै ंनदन Daily Region 13. इलाका = प्रांत Villagers Separate 14. दहे ाती = गाँव के लोग Male Important aspect 15. नभन्न = अलग To be proud Discription, to praise 16. मदग = परु ुष Delay Source 17. नवशषे तौर = नवनशष्ट सदं भग Symbol 18. इठलाना = गवग करना 19. बखान = वणनग , प्रशसं ा 20. हास = घटाव 21. स्त्रोत = आधार 22. प्रतीक = नचह्न लोकगीत घर, गाँव और नगर की जनता के गीत ह।ंै लोकगीत सीधे जनता के सगं ीत ह।ंै इनके नलए साधना की ज़रूरत नहीं होती। यह गीत त्यौहारों और नवशषे अवसरों पर गाए जाते ह।ंै इनकी रचना करने वाले भी अनधकतर गाँव के ही लोग होते ह।ंै नस्त्रयों ने भी इनकी रचना में नवशषे भाग नलया था। यह गीत ढोलक, करताल, बासँ रु ी आनद की मदद से गाए जाते ह।ंै लोकगीत कई प्रकार के ह-ैं यह आनदवानसयों के गीत ह।ंै यह गीत भील, सथं ाल, मध्य प्रदशे , छोटा नागपरु आनद प्रातं ों मंे फै ले हएु ह।ंै यह गीत आदमी तथा औरं तों द्वारा 20-30 सदस्यों की टोनलयाँ बनाकर गाए जाते ह।ैं पहानडयों के भी अपने– अपने गीत ह।ंै गढवाल, नकन्नौर, कागँ डा आनद के अपने–अपने गीत ह।ैं उनका अलग नाम पहाडी पड गया ह।ै वास्तनवक लोकगीत दशे के गावँ ों और दहे ातों में है। इन गीतों मे बडी जान होती ह।ै इनमंे चतै ा, कजरी, बारहमासा, सावन आनद नमज़ापग रु , बनारस उ. प्र के परू बी और नबहार के पनश्चमी नजले में गाए जाते ह।ंै बगं ाल के लोकगीत बाउल और भनतयाली ह।ैं पंजाब मंे मानहया आनद ह।ैं हीर–राँझा, सोनी–मनहवाल, पंजाबी मंे ढोला–मारु आनद राजस्थानी में गाए जाते ह।ंै इन गीतों की रचना रोज़मराग के जीवन से सबं नं धत ह।ंै इनकी सरलता से समझी जा सकने वाली भाषा भी इनकी सफलता का कारण ह।ै भोजपरु ी मंे लगभग 30-40 वषों से नबदने सया का प्रचार हुआ ह।ै जगं ल की जानतयों के दलगीत होते हैं जो अनधकतर नबरह में गाए जाते ह।ंै त्यौहारों म,ंे नववाह के समय प्रमे यकु ्त गानलया,ँ जन्म आनद के अवसरों पर अलग-अलग गीत ह,ंै जो नस्त्रयाँ ढोलक की मदद से गाती ह।ैं इन गीतों के वास्तव मंे अनतं प्रकार ह।ैं जीवन जहाँ इठलाकर लहराता ह,ै वहाँ आनदं -स्त्रोतों की कमी नहीं ह।ै 1. ‘बतुकम्मा-बतुकम्मा ऊयालों बंगारु बतुकम्मा ऊयालों’ यह वकस प्रकार का गीत है? उ. बतकु म्मा बतकु म्मा ऊयालो बंगारु बतकु म्मा ऊयालो तले गं ाना का एक प्रनसद्ध पवग ह।ै जो यहाँ की संस्कृ नत का प्रतीक ह।ै बतकु ्कमा भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाता ह।ै यह उत्सव नवरानत्र मंे नौ नदन तक चलता ह।ै यह अमावस्या से आरम्भ होकर दगु ागष्टमी को समाप्त होता ह।ै दशहरा के दो नदन पवू ग बतकु म्मा के पश्चात् सात-नदवसीय पवग 'बोडेम्मा' मनाया जाता ह,ै जो वषाग ऋतु की समानप्त का सचू क माना जाता ह।ै 148
2. रोते हुए नन्हें वशशु को चुप कराने के वलए माँ क्या करती है? उ. रोते हएु नन्हें नशशु को चपु कराने के नलए माँ लोररयाँ गाती ह।ै प्रनसद्ध लोकगीतों का गायन करती ह।ंै 3. क्या लोकगीत और नतृ ्य वसफग गाँिों या कबीलों मंे ही गाये जाते हैं? शहरों में कौन-से लोकगीत हो सकते हैं? उ. हाँ, लोकगीत और नतृ ्य नसफग गावँ ों या कबीलों में ही गाए जाते ह।ैं शहरों मंे कु छ नवशषे अवसरों पर ही लोकगीत गाए जाते ह।ंै इनका वास्तनवक नवकास और प्रचलन गावँ ों मंे ही नदखाई दते ा है। शहर मंे उत्सव, नववाह, त्यौहार आनद नवशषे अवसरों पर लोकगीत गाए जाते ह।ंै अवतररक्त प्रश्न 1. लोकगीतों के नलए साधना की ज़रूरत क्यों नहीं होती? 2. लोकगीतों की उपेक्षा का क्या कारण था? 3. जगं ल की जानतयों के गीत नकस भाषा में गाए जाते ह?ंै 4. गजु रात के गरबा के बारे में बताइए। 1. वनबधं में लोकगीतों के वकन पक्षों की चचाग की गई है? वबंिुओं के रूप में उन्हें वलवखए। उ. 1. लोकगीत घर, गावँ और नगर की जनता के गीत ह।ंै 2. इनके रचने वाले भी अनधकतर गावँ के लोग ही ह।ैं 3. लोकगीत इस दशे के आनदवानसयों का संगीत ह।ै 4. लोकगीत मंे बडी जान होती ह।ै 5. लोकगीतों मंे कोरी कल्पना को नहीं वरन् रोज़मराग के बहते जीवन को स्थान नदया जाता ह।ै 6. सभी लोकगीत गाँव और इलाकों की बोनलयों में गाए जाते ह।ैं 7. लोकगीतों मंे भाषा आसानी से समझी जा सकती ह।ै 2. ‘पर सारे, िेश......................... अपने विद्ापवत हंै,’ इस िाक्य का क्या अथग है? पाठ के आधार पर वलवखए। उ. लोकगीत के वल कु छ प्रांतों में ही सीनमत नहीं ह।ै यह परू े दशे यानी कश्मीर से कन्याकु मारी और के रल तक व्याप्त ह।ै यही नहीं सभी राज्यों कानठयावाड, गजु रात, राजस्थान, उडीसा, महाराष्र, मध्य प्रदशे , नबहार, तनमलनाडु, पंजाब आनद स्थानों में भी लोकगीत गाए जाते ह।ैं इन गीतों को रचने वाले अपने-अपने दशे के नवद्ापनत ह।ंै अपने स्थान, रहन-सहन, वशे भषू ा, सभ्यता व ससं ्कृ नत के आधार पर वे सभी इन गीतों की रचना व गायन करते ह।ंै अवतररक्त प्रश्न 1. समय-समय पनु रुनक्त शब्द ह।ै पाठ मंे आए अन्य पनु रुनक्त शब्द पहचाननए। 2. नस्त्रयाँ ढोलक की मदद से गाती ह।ंै रेखानं कत शब्द कारक नचह्न ह।ै का, के , को, पर, में आनद कारक नचह्नों का प्रयोग करते हएु कु छ वाक्य बनाइए। 3. इनकी बडी उपेक्षा की जाती थी। यह वाक्य भतू काल में ह।ै ऐसे ही कु छ वाक्यों को भनवष्यकाल मंे बदनलए। 149
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