अभ्यास प्रश्न पत्र अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया- 1. वनम्न गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। शाम को रंग–नबरंगे गबु ्बारे। सामने जाखू का पहाड। ऊँ चा चचग। चचग की घनं टयाँ बजती तो दरू -दरू तक उनकी गजँू फै ल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कु छ कह रहे ह।ैं सामने आकाश पर सयू ागस्त हो रहा ह।ै गलु ाबी सनु हरी धाररयाँ नीले आसमान पर फै ल रही ह।ैं दरू -दरू फै ले पहाडों के मखु डे गहराने लगे और दखे ते-दखे ते बनत्तयाँ नटमनटमाने लगीं। ररज पर की रौनक और माल की दकु ानों की चमक के भी क्या कहने! स्कंै डल पॉइटं की भीड से उभरता कोलाहल। प्रश्न- 1. नकसकी घनं टयों की गजँू दरू -दरू तक फै ल रही ह?ै अ) मनं दर की आ) चचग की इ) मसनजद की () 2. सयू ासग ्त कहाँ हो रहा ह?ै अ) आकाश पर आ) धरती पर इ) नक्षनतज पर () 3. नीले आसमान पर क्या फै ल रही ह?ंै 4. पहाडों के मखु डे क्या होने लग?े 5. ‘आकाश’ शब्द का नवलोमाथग नलनखए। 6. यह गद्ाशं नकस पाठ से नलया गया ह?ै अवभव्यवक्त-सजृ नात्मकता 2. नीचे विये गये प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. ‘साथी हाथ बढाना’ गीत से हमें क्या सीख नमलती ह?ै 2. लेनखका नकस प्रकार के कपडे पहनती थी? 3. वनम्न मंे से वकसी एक प्रश्न का उत्तर 6-7 पवं क्तयों मंे वलवखए। “एकता सफलता की कँु जी ह।ै ” इस नवषय पर एक लेख नलनखए। (या) नकसी यात्रा पर जाने के नलए पैसे मगँ वाते हुए नपताजी को पत्र नलनखए। भाषा की बात- 4. वनम्न प्रश्नों के उत्तर सूचना के अनुसार वलवखए। 1. संतों का मन मनलन नहीं ----------होता ह।ै (रेखांनकत शब्द का नवलोम नलनखए।) 2. राजू पाठशाला आया। (वाक्य में सजं ्ञा शब्द पहचाननए।) 3. शरु ू में चश्मा लगाना अटपटा लगा। (रेखानं कत शब्द का समानाथी नलनखए।) 4. कभी-कभी आप इधर भी आइए। (वाक्य मंे पनु रुनक्त शब्द पहचाननए।) 5. यह कहानी हास्यास्पद ह।ै (रेखानं कत शब्द का वचन बदलकर वाक्य पनु ुः नलनखए।) 50
इकाई-1 4. अक्षरों का महत्ि गुणाकर मुले अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र में क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र मंे घोडे जसै ी आकृ नत का पश,ु कु छ अकं ों के और नकसी औज़ार का नचत्र नदखाई दे रहा ह।ै 2. अनुमान लगाओ वक यह वचत्र कब बनाया गया होगा? उ. अनमु ानतुः यह नचत्र आनदमानव काल का होगा। अक्षरों की खोज के पहले मनषु ्य ऐसे ही नचत्रों और नचह्नों द्वारा अपने भावों को प्रकट करते थे। 3. ऐसी धरोहरों को सभं ालकर रखने के पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है? उ. ऐसी धरोहरों को सभं ालकर रखने से ही तत्कालीन समाज के रहन-सहन, खान-पान, वशे -भषू ा, नशक्षा, भाषा, सभ्यता और संस्कृ नत आनद के बारे मंे जानकारी नमलती ह।ै 1. महत्व = बडप्पन Greatness Greatns 2. नवकास 3. छपना = उन्ननत advancement 4. बसना = मनु द्रत होना To print 5. इस्तेमाल = जीवन यापन करना Settle 6. मनु श्कल 7. औज़ार = उपयोग Useful 8. खोज 9. खास = कष्ट Hard Greatness 10. तादाद = उपकरण Tool To = ढूँढना Finding = नवशेष special History = नगनती (सखं ्या म)ें Count 51
गणु ाकर मलु े द्वारा नलनखत ‘अक्षरों का महत्व’ ननबंध मंे अक्षरों के इनतहास और उसके महत्व पर प्रकाश डाला गया ह।ै लेखक कहते हैं नक तरह-तरह की पसु ्तकंे , तरह-तरह के अक्षरों से बनी ह।ैं दनु नया मंे लाखों-करोडों पसु ्तकंे और समाचार- पत्र तरह-तरह के अक्षरों में छप चकु े हंै और छपते रहते ह।ंै इन सबके मलू में अक्षर वही ह।ंै यनद अक्षरों का ज्ञान न होता तो दनु नया का क्या हाल होता, हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। अक्षरों की खोज ईश्वर ने नहीं बनल्क मनषु ्य ने की ह।ै यह धरती पाचँ अरब साल परु ानी ह।ै दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर नकसी प्रकार के जीव-जतं ु नहीं थे। करोडों साल तक जानवरों और वनस्पनतयों का धरती पर राज्य रहा। पाचँ लाख साल पहले धरती पर मनषु ्य का जन्म हआु , नफर धीरे-धीरे उसका नवकास हआु । दस हज़ार साल पहले गावँ ों को बसाना शरु ू हआु । खते ी शरु ू हुई। पत्थरों और औज़ारों का प्रयोग शरु ू हआु । ताँबे और कासँ े के औज़ार बनाने शरु ू हएु । मानव ने सबसे पहले नचत्रों द्वारा अपने भाव व्यक्त नकए। जसै े - पशओु ,ं पनक्षयों, आदनमयों आनद के नचत्र। इन नचत्र-सकं े तों से बाद में भाव-संके त अनस्तत्व मंे आए। जसै े, एक छोटे वतृ ्त के चारों ओर नकरणों की दय् ोतक रेखाएँ खींचने पर वह सयू ग का नचत्र बन जाता ह,ै बाद में यही नचत्र धपू का दय् ोतक बन गया। इस तरह अनेक भाव- सकं े त अनस्तत्व मंे आए। छह हज़ार साल पहले अक्षरों की खोज के साथ एक नए यगु की शरु ूआत हुई। मनषु ्य अपने नवचार और नहसाब-नकताब को नलख कर रखने लगा। तबसे वह सभ्य कहा जाने लगा। नलखने के साथ ही इनतहास का भी आरंभ हुआ। उसके पहले के काल को प्रागनै तहानसक काल अथातग ् इनतहास के पहले का काल कहते ह।ैं मनषु ्य यनद अक्षरों की खोज न करता तो हम इनतहास को नहीं जान पाते। मनषु ्य के रहन-सहन, उसकी सोच आनद नकसी बात की जानकारी हमंे नहीं नमल पाती थी। अक्षरों की खोज मनषु ्य की सबसे बडी खोज ह।ै इससे एक पीढी का ज्ञान दसू री पीढी को नमलने लगा। अक्षरों की खोज के बाद मानव जानत का तेज़ी से नवकास हआु । अतुः अक्षरों और नलनपयों का बहुत महत्व ह।ै नजन अक्षरों को हम नलखते और पढते ह,ंै उनकी उत्पनत्त और नवकास का ज्ञान हमंे अवश्य होना चानहए। 1. प्राचीन काल मंे लोग कै से रहते थे? उ. प्राचीन काल में लोग गफु ाओं मंे और जगं लों में रहा करते थे। पत्तों को ही वस्त्र के रूप में पहनते थे। पत्थरों को औज़ार बनाकर नशकार करते थ।े भोजन न होने के कारण जगं ल में प्राप्त होने वाले कं द, मलू , फल खाकर भी जीनवका चलाते थ।े धीरे-धीरे पत्थरों से आग जलाकर भोजन को आचँ पर बनाना शरु ू नकया। 2. वकसके ज्ान से मनषु ्य सभ्य बन पाया? उ. अक्षरों की खोज के साथ एक नए यगु की शरु ूआत हुई। आदमी अपने नवचार और नहसाब-नकताब को नलखकर रखने लगा। अतुः अक्षरों के ज्ञान से मनषु ्य सभ्य बन पाया। यनद आदमी अक्षरों की खोज न करता तो हम इनतहास को न जान पात।े 52
3. प्राचीन समय से ितगमान समय तक क्या पररितगन हुए हंै? उिाहरण सवहत बताइए। उ. प्रागनै तहानसक मानव ने सबसे पहले नचत्रों के ज़ररए अपने भाव व्यक्त नकए। जसै े पश-ु पनक्षयों, आदनमयों आनद के नचत्र। नचत्र–संके तों के बाद भाव-संके त अनस्तत्व मंे आए। जसै े एक छोटे वतृ ्त के चारों ओर नकरणों की द्ोतक रेखाएँ खींचने पर सयू ग का नचत्र बन जाता ह,ै बाद में यही नचत्र “ताप” या “धपू ” का द्ोतक बन गया। तब जाकर काफी बाद मंे आदमी ने अक्षरों की खोज की। इसके साथ एक नए यगु की शरु ूआत हईु । अक्षरों की खोज मनषु ्य की सबसे बडी खोज ह।ै इस तरह प्राचीन समय से वतमग ान समय तक कई पररवतगन हुए ह।ैं अवतररक्त प्रश्न 1. कल्पना कीनजए अगर अक्षर न होते तो क्या होता? 2. आदमी ने इस धरती पर नकतने साल पहले जन्म नलया होगा? 3. सयू ग का नचत्र बनाने के नलए आदमी क्या करता था? 1. पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है वक अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरूआत हुई? उ. अक्षरों की शरु ूआत के बाद से ही मानव को “सभ्य” कहा जाने लगा। आदमी ने जब से नलखना शरु ू नकया तब से “इनतहास” आरंभ हुआ। यनद आदमी अक्षरों की खोज नहीं करता, तो आज हम इनतहास को न जान पाते। अक्षरों की खोज मनषु ्य की सबसे बडी खोज ह।ै उसके बाद ही मनषु ्य अपने नवचारों को नलखकर रखने लगा। इसनलए पाठ में कहा गया है नक- ‘अक्षरों के साथ एक नए यगु की शरु ूआत हुई।’ 2. अक्षरों की खोज का वसलवसला कब और कै से शरु ू हुआ? पाठ के आधार पर बताइए। उ. मानव ने सबसे पहले पश-ु पक्षी, आदमी आनद नचत्रों के माध्यम से अपने भाव व्यक्त नकए। इन नचत्रों के बाद भाव संके तों की सहायता ली गई। इस प्रकार अक्षरों की खोज का नसलनसला मनु श्कल से छह हज़ार साल पहले ही शरु ू हुआ ह।ै 3. अक्षरों के ज्ान से पहले मनषु ्य अपनी बात को िूर–िराज़ के इलाकों तक पहुचँ ाने के वलए वकन-वकन माध्यमों का सहारा लेता था? उ. अक्षरों के ज्ञान से पहले मनषु ्य अपनी बात को दरू –दराज़ के इलाकों तक पहचुँ ाने के नलए नवनभन्न माध्यमों का सहारा लेता था। जसै े- संके तों, नचत्रों, मौनखक भाषा, पनक्षयों के द्वारा तथा एक स्थान से दसू रे स्थान पर जाने वाले यानत्रयों के माध्यम से अपने भाव व्यक्त करते थे। नशलाओं तथा पत्तों पर नचत्रों को उतारकर, आडी-नतरछी लकीरें खींचकर, सकं े तों के माध्यम से अपने भाव व्यक्त करते थे। अवतररक्त प्रश्न 1. बाद मंे यही नचत्र ताप या धपू का द्ोतक बन गया (वाक्य मंे नवराम नचह्नों का प्रयोग कीनजए।) 2. इस पाठ मंे ‘करोडों’ जसै े कु छ संख्यावाचक शब्द आये ह।ंै इन शब्दों को रेखानं कत कीनजए। 3. गाँव, परु ाना,खते , पत्थर तद्भव शब्द ह।ैं इनके तत्सम शब्द ढूनँ ढए। अध्यापन सकं े त - सनु नए-बोनलए और पनढए मंे नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करें। 53
अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता 1. अक्षरों के महत्ि की तरह ध्िवन के महत्ि के बारे में वजतना जानते हो, वलवखए। उ. अक्षरों की सहायता से हम अपने मन के भावों को नलखकर प्रकट कर सकते हंै। नजस प्रकार अक्षरों का प्रभाव होता है उसी प्रकार ध्वनन का भी होता ह।ै ध्वनन की सहायता से हम मदृ ु वाणी द्वारा अपने भावों को प्रकट कर सकते ह।ंै नलनखत रूप में व्यक्त नवचार को उच्चारण के माध्यम से व्यक्त करना ही ध्वनन है। ध्वनन द्वारा ही मीठी वाणी मदृ ु और कटु वाणी कठोर प्रतीत होती ह।ै भावों को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम ध्वनन ही ह।ै 2. मौवखक भाषा का जीिन में क्या महत्ि होता है? अपने विचार वलवखए। उ. भाषा नलनखत और मौनखक दो प्रकार की होती ह।ै मखु से उच्चररत भाषा मौनखक होती ह।ै अनशनक्षत लोगों तक अपने भाव व नवचार पहचुँ ाने का उत्तम व सरल माध्यम मौनखक भाषा ही ह।ै अन्य मनषु ्यों से वातालग ाप करते समय मौनखक भाषा ही उपयकु ्त साधन होती ह।ै मौनखक भाषा के द्वारा हम सरलता से नवचारों का आदान-प्रदान कर सकते ह।ैं इसनलए मौनखक भाषा का जीवन में अत्यतं महत्व होता ह।ै 3. हर िैज्ावनक खोज के साथ वकसी-न-वकसी िैज्ावनक का नाम जुडा होता है, लेवकन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है, क्यों? पता कीवजए और वशक्षक को बताइए। उ. हर वजै ्ञाननक खोज के साथ उसके वजै ्ञाननक का नाम अवश्य जडु ा होता ह।ै क्योंनक वजै ्ञाननक आनवष्कारों के समय तक नलनप और भाषा का सचु ारू नवकास हो चकु ा था। अतुः उसके संबधं मंे नलनखत जानकारी सगु मता से उपलब्ध हो जाती थी। प्राचीन काल में मानव के पास कोई नलनप नहीं थी, के वल नचत्र-सकं े त और भाव-संके त की सहायता से भावों को प्रकट नकया जाता था। धीरे-धीरे मानव के जीवन मंे अनके पररवतनग होते गए। इसी तरह ये अक्षरों का आनवष्कार छह हज़ार साल पहले हुआ। मनषु ्य ने अपनी आवश्यकतानसु ार धीरे-धीरे नलनप का नवकास नकया। नलनप के नबना उस समय के पवू ग का इनतहास जान पाना असंभव ह।ै अतुः लेख आनद प्रकाशन के अभाव म,ंे इनतहास की रचना के अभाव के कारण, अक्षरों की खोज करने वाले व्यनक्त के बारे मंे जानना सभं व नहीं हो पाया। यह नकसी एक व्यनक्त या वगग की खोज नहीं समय के अनसु ार पररवनतगत समाज और जन-समदु ाय के महान प्रयत्नों का पररणाम ह।ै 1. जीिन मंे भाषा और वलवप का अवधक महत्ि है, भाषा के महत्ि को बताते हुए कविता वलवखए। भाषा और वलवप नलनखत और मौनखक हंै भाषा के दो रूप, नलनखत मंे नलनप का ज्ञान, तो मौनखक मंे ध्वनन की पहचान। ज्ञान का अतनु लत भण्डार है भाषा, नलनप का मौनखक रूप है भाषा। भावों की अनभव्यनक्त का, सशक्त मागग है नलनप और भाषा। 54
1. ‘अक्षरों की खोज मनुष्य की बडी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाि ही मनषु ्य अपने विचारों को वलखकर रखने लगा। ’अक्षरों के ज्ान से क्या-क्या लाभ हो सकते हैं, अपने विचार वलवखए। अक्षरों की खोज के साथ एक नए यगु का आरंभ हो गया। जब से आदमी ने अक्षरों को सीख कर पढना-नलखना शरु ू नकया, तब से अपने नवचारों को और अपने नहसाब-नकताब को नलखकर रखने का काम शरु ू नकया। अक्षरों के माध्यम से ही पसु ्तकों, इनतहास, काव्य-ग्रंथों, सानहत्य, समाचार पत्रों आनद के लेखन का कायग संभव हो सका ह।ै अक्षरों की खोज के कारण ही हम आज अपनी सभ्यता और संस्कृ नत से पररनचत हो सकते ह।ंै मानव जानत के नवकास के कारण ही मानव समाज ने आज इतनी प्रगनत कर ली ह।ै नवनभन्न खोज, आनवष्कार आनद नकसी भी ज्ञान के नलए आज हम तत्कालीन समय की नलनखत सामग्री पर ही आनश्रत होते ह।ंै उनके अभाव मंे हम उस ज्ञान से वनं चत रह जाएगँ ।े अतुः अक्षरों के ज्ञान के बहुत लाभ ह।ैं मानव-जीवन के नवकास के नलए यह अननवायग भी ह।ै भाषा की बात 1. प्राचीन समय और ितगमान समय पर ध्यान िो। ितगमान समय मंे कु छ चीज़ों के नाम बताओ जो प्राचीन समय मंे नहीं थी। उ. प्राचीन समय में नवकास के अभाव मंे कई संसाधनों का अभाव था। जसै े- बस, रेलगाडी, नवमान, कार, स्कू टर आनद। ये सभी वतगमान समय में सगु मता से उपलब्ध हो जाते ह।ैं वतगमान समय में इनके नबना सामान्य जीवन भी अकल्पनीय ह।ै 2. आिमी ने गाँिों को बसाना शुरू वकया। रेखांवकत शब्ि से िो िाक्य बनाइए। उ. 1. मानव चन्द्रमा पर घर बसाने का प्रयत्न कर रहा ह।ै 2. प्राचीन समय में लोग गफु ाओं मंे ही अपना घर बसा लेते थे। 3. एक भाषा को कई वलवपयों में वलखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही वलवप मंे वलखा जा सकता है। नीचे एक ही बात को अलग-अलग भाषाओं मंे वलखा गया है। इन्हें ध्यान से िेवखए और इनमें विए गए िणों की मिि से कोई नया शब्ि बनाने की कोवशश कीवजए। - क्या शानिार विन है! उिाुः- टोकरी मंे फल ह।ैं - नहदं ी తెలుగు- బుట్టలో పండ్ఉు ల న్నాయి. अगं ्रेज़ी- fruits are in the basket. 55
1. अनावि काल में रेखांवकत शब्ि का अथग है- वजसकी कोई शुरूआत या आवि न हो। यह शब्ि मूल शब्ि के शरु ू मंे कु छ जोडने से बना है। इसे उपसगग कहते हंै। इन उपसगों को अलग करके मूल शब्िों को वमलाकर उनका अथग समझो। शब्ि अथग उपसगग मूल शब्ि उ. असफल - जो सफल न हो अ सफल अननु चत - जो उनचत न हो अन उनचत अपररनचत - जो पररनचत न हो अ पररनचत अदृश्य - जो नदखाई न दे अ दृश्य अनावश्यक - जो आवश्यक न हो अन् आवश्यक अननच्छा - नजसकी इच्छा न हो अन् इच्छा 2. िैसे तो संख्याएँ संज्ा होती हैं, पर कभी–कभी ये विशेषण का काम भी करती हैं, जैसे नीचे वलखे िाक्य मंे - हमारी धरती लगभग पाचँ अरब साल परु ानी ह।ै कोई दस हज़ार साल पहले आदमी ने गावँ ों को बसाना शरु ू नकया। इन वाक्यों मंे रेखांनकत अशं ‘साल’ संज्ञा के बारे में नवशषे जानकारी दे रहे ह,ैं इसनलए ये सखं ्यािाचक विशेषण ह।ंै संख्यावाचक नवशषे ण का इस्तेमाल उन्हीं चीज़ों के नलए होता ह,ै नजन्हें नगना जा सके । जसै े–चार-पाचँ संतरे, पाचँ बच्च,े तीन शहर आनद। पर यनद नकसी चीज़ को नगना नहीं जा सकता तो उसके साथ सखं ्या वाले शब्दों के अलावा माप-तोल आनद के शब्दों का इस्तेमाल भी नकया जाता ह।ै जैसे - तीन जग पानी, एक नकलो चीनी। (प्याला, कटोरी, एकड, मीटर, नकलो, टूक, चम्मच) उ. 1. तीन प्याले खीर 2. छह मीटर कपडा 3. दो कटोरी कॉफी 4. एक लीटर दधू 5. दो एकड ज़मीन 6. एक टूक रेत 7. पाँच नकलो बाजरा 8. तीन चम्मच तले 56
क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के भाव के बारे मंे बातचीत कर सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का साराशं अपने शब्दों में नलख सकता ह।ँ 4. पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. भाषा का महत्व बताते हएु उसकी कनवता मंे अनभव्यनक्त कर सकता ह।ँ इस पाठ में मैंने नए शब्ि सीखे - 57
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. आपकी दृवि मंे अक्षरों का क्या महत्ि है? उ हमारे जीवन में अक्षरों का बहुत महत्व ह।ै आनद मानव पढना-नलखना नहीं जानता था। तब उस समय धरती का नवकास नहीं हो सका। लेनकन अक्षरों की खोज के बाद मनषु ्य ने धीरे-धीरे नवकास करना शरु ू कर नदया। धीरे-धीरे गाँव का ननमाणग हुआ। गाँव से शहर का ननमाणग हआु । मनषु ्य ने अपनी सनु वधा के नलए सडकों का ननमागण नकया। स्कू ल और अस्पताल बनाए। यह सब अक्षरों की खोज से ही सभं व हो पाया। 2. मनुष्य ने अक्षरों की खोज कै से शुरू की? उ. दस हज़ार साल पहले गाँवों को बसाना शरु ू हआु । खेती शरु ू हुई। पत्थरों और औज़ारों का प्रयोग शरु ू हुआ। ताबँ े और काँसे के औज़ार बनाने शरु ू हएु । मानव ने सबसे पहले नचत्रों द्वारा अपने भाव व्यक्त नकए। जसै े- पशओु ,ं पनक्षयों, आदनमयों आनद के नचत्र। इन नचत्र-सकं े तों से बाद मंे भाव-सकं े त अनस्तत्व में आए। जसै े, एक छोटे वतृ ्त के चारों ओर नकरणों की दय् ोतक रेखाएँ खींचने पर वह सयू ग का नचत्र बन जाता ह,ै बाद मंे यही नचत्र धपू का दय् ोतक बन गया। इस तरह अनेक भाव-संके त अनस्तत्व मंे आए। तब जाकर आदमी ने अक्षरों की खोज शरु ू की। वनबंध-लेखन वनबधं - नकसी भी नवषय पर िमबद्ध रूप से अपने नवचारों को नलखकर प्रकट करना ही ननबंध-लेखन कहलाता ह।ैं ननबधं नलखते समय ननम्ननलनखत बातों का ध्यान रखना चानहए। 1. नवषय ऐसा चनु ो, नजसमें रुनच हो। 2. नवषय से संबंनधत जानकारी को िमबद्ध कर लंे। 3. ननबंध मंे नवचारों को कहीं भी दोहराया नहीं जाना चानहए। 4. नवचारों का मौनलक होना ज़रूरी ह।ै 5. नवराम-नचह्नों के उनचत प्रयोग तथा वतनग ी की शदु ्धता पर ध्यान द।ें 1. िृक्ष हमारे वमत्र मानव की उत्पनत्त से पवू ग ही वकृ ्षों का जन्म हो चकु ा था। वकृ ्ष आनदकाल से ही मनषु ्य के नहतैषी रहे ह।ैं सभी प्रकार के वकृ ्ष, पडे -पौधे मानव समाज के नलए सदवै ही उपयोगी रहे हैं और मनषु ्य के जीवन यापन मंे महत्वपणू ग भनू मका ननभाते रहे ह।ंै यही कारण है नक वकृ ्षों को मनषु ्य का सच्चा नमत्र कहा जाता ह।ै वकृ ्ष हमसे कु छ न लेते हुए भी हमें बहुत कु छ दते े हैं जो एक सच्चा नमत्र ही कर सकता ह।ै वकृ ्ष कई प्रकार के होते ह।ैं छोटी-बडी लताए,ँ पौधे आनद होते ह।ंै पडे ों का हर भाग मनषु ्य के नलए लाभदायक होता ह।ै 58
वकृ ्ष मनषु ्य को ही नहीं, पश-ु पनक्षयों को भी भोजन प्रदान करते ह।ंै वकृ ्षों से हमें मीठे, गणु कारी एवं स्वास्थ्यवदध् कग फल प्राप्त होते हैं जो हमारे दनै नक भोजन का एक महत्वपणू ग अगं होते ह।ैं कु छ नवशषे वकृ ्ष जसै े सागवान, शीशम आनद की लकडी से फनीचर, पानी के जहाज, खले का सामान, इमारतंे आनद बनाए जाते हंै जो हमारे दनै नक जीवन एवं दशे के नवकास मंे बहुत महत्व रखते ह।ैं वकृ ्षों से ही हमंे कपडा तथा गोंद प्राप्त होते ह।ंै वकृ ्षों की छाल,पनत्तयों, फू लों आनद से कई प्रकार की औषनधयाँ बनाई जाती ह,ैं जो कई रोगों के इलाज मंे उपयोगी होती ह।ंै आयवु दे की बहतु सी दवाइयों में नीम, तलु सी, पीपल के वकृ ्ष की छाल, पनत्तयों एवं तले का उपयोग नकया जाता ह।ैं वकृ ्ष सयू ग के प्रकाश मंे प्रकाश संश्लेषण की निया करते ह,ैं नजसमंे वे काबनग डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं तथा ऑक्सीज़न छोडते ह।ंै वकृ ्ष पनक्षयों को रहने के नलए घर प्रदान करते ह।ंै ग्रीष्म ऋतु मंे वकृ ्षों की छाया मंे पश-ु पनक्षयों एवं मनषु ्यों को भी सयू तग ाप से बचने की शीतल जगह नमलती ह।ै वकृ ्ष वषाग लाने मंे सहायक होते ह।ंै वकृ ्ष भनू मगत जल को संनचत रखने में सहायक होते ह।ंै इस प्रकार वकृ ्ष एक सच्चे नमत्र की भाँनत, मनषु ्य एवं सम्पणू ग जीव मण्डल की ननुःस्वाथग भाव से सहायता करते ह।ैं इसनलए वकृ ्ष मानव समाज का एक सच्चा नमत्र ह।ंै उपसगग नकसी मलू शब्द के आगे या पीछे जडु ने वाले अशं को शब्िांश कहते ह।ंै नकसी शब्द के साथ शब्दांश जडु ता है तो उस शब्द का स्वरूप तो बदलता ही ह,ै साथ ही उसके अथग में भी पररवतनग आ जाता ह।ै उपसगग के भेि - उपसगग वे शब्दांश हंै जो नकसी शब्द से पहले लगकर, उस शब्द का अथग बदल दते े ह।ंै जसै े – पतु ्र शब्द से पहले ‘कु ’ शब्दांश जोडने पर कु पतु ्र बनता ह।ै संस्कृ त भाषा के उपसगग वहिं ी के उपसगग उिूग के उपसगग अनु - अनभु व अ - अछू त कम - कमज़ोर अप - अपकार अध - अधनखला खशु - खशु नसीब, अनभ - अनभमान चौ - चौमासा गरै - गरै हानज़र, दरु ् - दरु ाचार नन - ननडर ना - नासमझ, उपसगग मुख्यतुः तीन प्रकार के होते हंै– 1. तत्सम उपसगग (ससं ्कृ त भाषा से आए उपसग)ग 2. तद्भव उपसगग (ससं ्कृ त भाषा के प्रभाव से नहदं ी मंे नवकनसत हुए उपसग)ग 3. आगत उपसगग (नवदशे ी भाषाओं से आए उपसग)ग 59
तत्सम उपसगग अथग उिाहरण उपसगग नहीं अशदु ्ध, अज्ञान अ अनधक अनतररक्त, अत्यनधक अनत नहीं अननु चत, अनदु ार अन् बरु ा अपवाद, अपशब्द अप सामने अनभनय, अनभशाप अनभ हीन अवतरण, अवननत अव ऊँ चा उत्कष,ग उत्पात उत् बरु ा दगु नग त, दघु टग ना दरु ् पीछे पराजय, पराभव परा परू ा पररिमा, पररपणू ग परर अथग उिाहरण तद्भि उपसगग अभाव अभागा, अथाह उपसगग आधा अधपका, अधमरा अ बरु ा कु चि, कु पतु ्र अध रनहत ननडर, ननहत्था कु भरा हआु भरपेट, भरपरू नन अच्छा सकु म,ग सशु ील भर सु अथग उिाहरण थोडा कमखचग, कमज़ोर आगत उपसगग अच्छा खशु ब,ू खशु नदल उपसगग प्रत्येक हर माह, हर साल कम खशु हर 60
अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। वकृ ्षों का हमारे जीवन मंे बहतु महत्व ह।ै वतमग ान समय में मनषु ्य अपने स्वाथग के कारण वकृ ्षों को काट रहा ह।ै साथ ही अपने भनवष्य को भी असरु नक्षत कर रहा ह।ै कु छ लोग वकृ ्षों की लकडी को ऊँ चे दामों में बेचकर काला बाज़ारी करते ह।ंै कु छ लोग सरकार की दृनष्ट से छु पकर ऊँ चे मलू ्यों पर लकडी बचे ते ह।ंै वन अनधकारी इन भ्रष्टाचाररयों को ननयंनत्रत करने का भरपरू प्रयास करते ह।ंै इसके बाद भी वनों का कटना लगातार चल रहा ह।ै प्रश्न- 1. हमारे जीवन मंे नकसका महत्व ह?ै () अ) भनवष्य आ) वकृ ्षों इ) लकडी ई) सरकार 2. मनषु ्य वकृ ्षों को क्यों काट रहा ह?ै () अ) स्वाथग आ) खशु ी इ) दखु से ई) हानन के नलए 3. वन अनधकारी क्या करते ह?ंै उ. _______________________________________________________ 4. काला बाज़ारी कौन और नकसकी करता ह?ै उ. _______________________________________________________ 5. गद्ांश को उनचत शीषकग दीनजए। उ. _______________________________________________________ 6. ‘वन’ शब्द का पयागयवाची नलनखए। उ. _______________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. अक्षरों की खोज ईश्वर ने की ह।ै क्या यह तथ्य सत्य ह?ै 2. आदमी का जन्म कब हुआ और उसने धरती का नवकास कै से नकया? 3. अक्षरों की खोज से मनषु ्य के जीवन पर क्या प्रभाव पडा? 61
वनबंध लेखन राष्रभाषा वहिं ी विषय पर वनबंध वलवखए। संके त वबंिु- राष्रभाषा नहदं ी की आवश्यकता, राजभाषा का दजाग, नहन्दी के नलए कायग, उपसंहार। व्याकरण 1) वनम्नवलवखत शब्िों के साथ उवचत उपसगग लगाकर नए शब्ि बनाइए। 1. पणू ग = 4. ज्ञान = 2. धमग = 5. घटना = 3. गणु = 6. पढ = 2) वनम्नवलवखत शब्िों में से मूल शब्ि तथा उपसगग अलग कीवजए। उपसगग मूल शब्ि 1. दषु ्कमग - 2. नचरकाल - 3. कु मागग - 4. नानस्तक - 5. अन्तरात्मा- 6. ननडर - 3) वनम्नवलवखत उपसगों का प्रयोग करते हुए तीन-तीन शब्ि वलवखए। 1. अनत - 4. सर - 2. अन - 5. नन- 3. हर - 6. ला - 4) वनम्नवलवखत िाक्यों को संयुक्त िाक्यों मंे बिलकर वलवखए। 1. अमर भगतपरु से रेशमी सानडयाँ लाया। उ. 2. चदं ्र आकर पढने लगा। उ. 3. मनोज अच्छा खले ता ह,ै नाचता ह।ै उ. 5) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 2. दनु नया- 1. कहानी- 62
3. पसु ्तक- 5. ईश्वर - 4. आदमी - 6. धरती - 6) वनम्न शब्िों के विलोमाथग वलवखए। 1. काल्पननक - 2. परु ानी - 3. दशे - 5. अनानद - 5. नवकास - 6. प्राचीन - 7) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिवलए। 1. पसु ्तक - 4. ताबँ ा- 2. ज़माना - 5. रेखा - 3. वनस्पनत- 6. पीढी - 8) वनम्नवलवखत युग्म शब्िों को िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. जीव-जतं ु - 2. आनद-अतं - 3. सबु ह-शाम - 9) वनम्नवलवखत शब्िों को िाक्यों मे प्रयोग कीवजए। 1. जानवर - 2. मनु श्कल - 3. इनतहास - 10) वनम्नवलवखत शब्िों का संवध–विच्छेि कीवजए। 1. परोपकार - ___________ + _____________ 2. इत्यानद - ___________ + _____________ 3. संके त - ___________ + _____________ 4. प्रागनै तहानसक - ___________ + _____________ 5. अनानद - ___________ + _____________ 6. अत्यंत - ___________ + _____________ 63
11) वनम्नवलवखत िाक्यों में संज्ा शब्ि पहचावनए। 1. अक्षरों की खोज मनषु ्य की बडी खोज ह।ै () () अ) खोज आ) की बडी इ) है ई) अक्षर, मनषु ्य () ई) परु ानी 2. हमारी धरती हज़ारों वषग परु ानी ह।ै ई) महत्व () () अ) वषग आ) धरती इ) हमारी () 3. भाषा और नलनप का मानव-जीवन मंे बहतु महत्व ह।ै () () अ) भाषा, नलनप आ) का इ) जीवन () 12) वनम्नवलवखत िाक्यों में विशेषण शब्ि पहचावनए। () () 1. परु ाने ज़माने मंे लोग सीधे-सादे थ।े () अ) परु ाने आ) सीधे-सादे इ) लोग ई) ज़माने () इ) शरु ूआत ई) हईु () 2. नफर एक नए यगु की शरु ूआत हुई। इ) परु ानी ई) साल () अ) नफर आ) नए 3. यह धरती पाचँ अरब साल परु ानी ह।ै अ) धरती आ) पाँच 13) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे सिगनाम शब्ि पहचावनए। 1. हम अक्षरों को अनानद काल से जानते ह।ंै अ) आनद आ) जानते इ) हम ई) अक्षरों ई) करने 2. वह खते ी करने लगा। ई) मालमू अ) वह आ) लगा इ) खते ी 3. हम सभी को अक्षरों की कहानी मालमू होनी चानहए। अ) हम आ) सभी को इ) कहानी 14) वनम्नवलवखत िाक्यों में काल पहचावनए। 1. हम अक्षरों को अनानद काल से जानते ह।ैं अ) वतगमान काल आ) भतू काल इ) भनवष्य काल 2. बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की। अ) वतगमान काल आ) भतू काल इ) भनवष्य काल 3. सभी पसु ्तकंे अक्षरों से बनेंगी। अ) वतगमान काल आ) भतू काल इ) भनवष्य काल 15) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे कारक वचह्न पहचावनए। 1. आदमी ने धरती पर पाँच लाख साल पहले जन्म नलया। अ) ने, पर आ) को, पर इ) पर, से ई) को ,ने ई) के ,का 2. आदमी पत्थरों के औज़ारों का इस्तेमाल करता था। ई) के , पर अ) न,े को आ) को, पर इ) पर, से 3. उसके पहले के काल को ऐनतहानसक काल कहते ह।ंै अ) के , को आ) के , का इ) के , की अधरू ा ज्ञान हाननकारक होता ह।ै - अज्ञात 64
उपिाचक मैं सबसे छोटी होऊँ सुवमत्रानंिन पंत 1. सोऊँ = सोना To sleep 5. हाथ = कर Hand 2. सखु द = सखु ी Happiness 6. गोदी = गोद Slap 3. ननस्पहृ = नननश्चतं Sorrow 7. स्नेह = प्यार Friendship 4. सनज्जत = सजा हुआ Decorated 8. ननभयग = ननडर Courageous िाक्यों के भेि 1. कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है? उ. हमशे ा माँ की गोद में सोने के नलए, माँ का आचँ ल पकडकर सखु का अनभु व करने के नलए, माँ का हाथ हमशे ा पकडे रहने के नलए, माँ का स्नहे न खोने के नलए, माँ की सबसे नप्रय बने रहने के नलए कनवता में सबसे छोटे होने की कल्पना की गई ह।ै 2. कविता में ‘ऐसी बडी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है? क्या तुम भी हमेशा छोटे बने रहना पसंि करोगे? उ. माँ के आचँ ल की छाया से दरू न होने का, उसी में नछपे रहने का भाव कनवता मंे नननहत ह,ै इसीनलए ‘ऐसी बडी न होऊँ मैं’ कहा गया ह।ै कनवता पढकर यही भाव हमारे मन मंे भी जाग उठते ह।ैं इसीनलए हम भी हमशे ा छोटे बने रहना, माँ के आचँ ल में रहना पसंद करेंग।े 3. आशय स्पि करो – हाथ पकड वफर सिा हमारे, साथ नहीं वफरती विन-रात। उ. बाल्यावस्था मंे माँ हमेशा अपने बच्चों की छाया बनकर रहती है, उनकी हर आवश्यकता परू ी करती ह।ै नदन-रात दखे भाल मंे व्यस्त रहती ह।ै वही बच्चे जब बडे हो जाते हंै तो माँ उनके साथ पहले की तरह नदन-रात साथ नहीं रहती। हाथ पकडकर नहीं घमू ती ह।ै माँ का स्नहे तो वही रहता है नकन्तु बडे हो जाने पर माँ के स्नहे में हम बच्चे अतं र महससू करते ह।ैं इसीनलए बच्चा बना रहना ही उपयकु ्त मानते ह।ंै 4. अपने छु टपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता मंे नज़िीकी की कौन-कौन सी वस्थवतयाँ बताई गई हंै? उ. अपने छु टपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते ह।ैं जसै े माँ की गोदी में सोना, माँ का आचँ ल पकडकर नफरना, हाथ पकडकर चलना, माँ के हाथों से भोजन खाना, पररयों की कहानी सनु ना आनद नज़दीनकयों की नस्थनत इस कनवता मंे बताई गई ह।ंै 65
पवठत पद्ांश मंै सबसे छोटी होऊँ , तेरी गोदी में सोऊँ , तेरा अचं ल पकड-पकडकर नफरँू सदा माँ! तरे े साथ, कभी न छोडूँ तेरा हाथ! बडा बनाकर पहले हमको तू पीछे छलती है मात! प्रश्न- 1. कनवता में नकसकी गोद मंे सोने की बात कही गई ह?ै उ. कनवता मंे माँ की गोद में सोने की बात कही गई ह।ै 2. लडकी क्या पकडकर नफरना चाहती ह?ै उ. लडकी माँ का आचँ ल पकडकर नफरना चाहती ह।ै 3. लडकी क्या नहीं छोडना चाहती ह?ै उ. लडकी माँ का हाथ नहीं छोडना चाहती ह।ै 4. कनवता का शीषगक क्या ह?ै उ. ‘मंै सबसे छोटी होऊँ ’। 5. ‘हाथ’ का पयायग वाची नलनखए। उ. हाथ - हस्त, कर, पानण। नजसने अके ले रह कर अके लपे न को जीता, उसने सब कु छ जीता। - अज्ञात 66
इकाई-2 5. चाँि से थोडी–सी गप्पंे शमशेर बहािुर वसंह अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र में क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र मंे चाँद, तारे, मा,ँ बटे ा, पेड और घर नदखायी दे रहे ह।ैं 2. माँ अपने बेटे को क्या बता रही होगी? उ. माँ अपने बटे े को चाँद और तारों के बारे में बता रही होगी। 3. तुम चाँि–तारों के बारे में क्या जानते हो? उ. चादँ रात में चमकता ह।ै शीतलता प्रदान करता ह।ै पनू णमग ा के नदन यह गोल नदखाई दते ा ह।ै आकाश में अननगनत तारे रात मंे नटमनटमाते ह।ैं रात के अधं कार में चाँद-तारों का प्रकाश आसमान को प्रकानशत कर दते ा ह।ै 1. गोल = वतृ ्त Round 4. नतरछा = टेढा Slanting = वस्त्र Dress 2. बदु ्धू = मखू ग Stupid 5. पोशाक = साँस Breathe 3. बीमारी = रोग Illness 6. दम 1. गोल हंै खबू मगर आप वतरछे नज़र आते हंै ज़रा। आप पहने हुए हंै कु ल आकाश तारों–जडा; वसफग मुँह खोले हुए हैं अपना गोरा-वचट्टा, गोल-मटोल। प्रसंग – प्रस्ततु पंनक्तयाँ हमारी पाठ्य पसु ्तक बाल वसंत- 1 से ‘चाँद से थोडी सी गप्पंे’ नामक कनवता से ली गई ह,ैं नजनके कनव शमशरे बहादरु ह।ंै इस कनवता मंे दस-बारह वषग की एक लडकी चादँ से इस तरह गप्पबाज़ी करती है नक चादँ आसमान मंे गोलाकार नदखाई दते ा है लेनकन कु छ नतरछा भी नज़र आता ह।ै 67
भािाथग :- एक दस-बारह वषग की लडकी पनू णमग ा की रात को चाँद से बातें करती हईु नदखाई दते ी ह।ै लडकी चादँ को संबोनधत करते हएु कहती है नक चादँ अपना मखु खोल कर, तारों की चादर ओढ कर बैठा हुआ ह।ै नजसका रंग गोरा और मखु गोल- मटोल ह।ै चादँ है तो गोल मगर कभी-कभी नतरछा भी नज़र आता ह।ै 2. अपनी पोशाक को फै लाए हुए चारों वसम्त। आप कु छ वतरछे नज़र आते हैं जाने कै से -खबू हैं गोवक! िाह जी, िाह! हमको बदु ्धू ही वनरा समझा है। हम समझते ही नहीं जैसे वक आपको बीमारी हैुः आप घटते हंै तो घटते ही चले जाते हंै, और बढ़ते हंै तो बस यानी वक बढ़ते ही चले जाते हंै। प्रसंग – प्रस्ततु पंनक्तयाँ हमारी पाठ्य पसु ्तक बाल वसंत-1 से ‘चाँद से थोडी सी गप्पंे’ नामक कनवता से ली गई ह,ैं नजनके कनव शमशरे बहादरु ह।ैं इस कनवता में दस-बारह वषग की एक लडकी चादँ से इस तरह गप्पबाज़ी करती है नक चाँद आसमान में गोल ही नदखाई दते ा है लेनकन कु छ नतरछा भी नज़र आता ह।ै भािाथग - छोटी लडकी चादँ से कहती है नक वो सदंु र तारों भरी चादर ओढ कर परू े आकाश मंे अपनी संदु रता फै लाए हुए ह।ै लडकी समझ गई है नक चाँद को कु छ बीमारी ही ह,ै जो घटना शरु ू होता है तो घटता ही चला जाता है और अगर बढना शरु ू होता है तो बढता ही जाता ह।ै 3. िम नहीं लेते हैं जब तक वबल्कु ल ही गोल न हो जाए,ँ वबलकु ल गोल। यह मरज़ आपका अच्छा ही नहीं होने में.. आता है। प्रसंग– प्रस्ततु पनं क्तयाँ हमारी पाठ्य पसु ्तक बाल वसतं - 1 से ‘चादँ से थोडी सी गप्पंे’ नामक कनवता से ली गई ह,ैं नजनके कनव शमशरे बहादरु ह।ैं इस कनवता मंे दस-बारह वषग की एक लडकी चाँद से इस तरह गप्पबाज़ी करती है - चादँ आसमान में गोल ही नदखाई दते ा हंै लेनकन कु छ नतरछा भी नज़र आता ह।ै भािाथग- लडकी का कहना है नक चाँद तब तक चनै की सासँ नहीं लते ा जब तक वह बढते-बढते पणू ग रूप से गोल नहीं हो जाता और यह आपकी बार–बार घटने की और बार–बार बढने की बीमारी ठीक होने में ही नहीं आती। ऐसा लगता है नक यह चादँ की बीमारी कभी भी ठीक नहीं होगी। 68
1. आकाश में क्या–क्या विखायी दते े ह?ैं उ. आकाश मंे चाँद, तारे और सरू ज नदखायी दते े ह।ंै 2. तुम्हंे चाँि कै सा विखायी िेता है? बताओ। उ. मझु े चादँ गोरा-नचट्टा, गोल- मटोल और कभी आधा नदखायी दते ा ह।ै 3. अगर सरू ज, चाँि, तारे नहीं होते तो क्या होता? उ. अगर सरू ज, चादँ , तारे नहीं होते तो सारा ससं ार अधं कारमय हो जाता। सरू ज का ताप, चाँद की शीतलता, तारों का प्रकाश नहीं नमलता। हम अधं कार और प्रकाश का कोई महत्व ही नहीं समझ पाते। अवतररक्त प्रश्न 1. क्या कोई चाँद से गप्पंे लगा सकता ह?ै 2. चादँ का बढना-घटना नकस पर ननभरग करता ह?ै 3. जब चाँद नबल्कु ल नहीं नदखाई दते ा है तो उसे क्या कहते ह?ैं 4. नजस नदन परू ा चाँद ननकलता है तो दृश्य कै सा होता ह?ै 1. ‘आप पहने हएु हंै कु ल आकाश’ के माध्यम से लडकी कहना चाहती है नक - क) चाँि तारों से जडी हुई चािर ओढ़कर बैठा है। ख) चाँि की पोशाक चारों विशाओं में फै ली हुई है। तुम वकसे सही मानते हो? उ. हम दोनों को सही मानते ह।ंै क्योंनक दखे ने से लगता है जसै े चाँद ने तारों से जडी चादर ओढ ली हो। उसका प्रकाश चारों ओर फै ल रहा ह,ै जसै े उस पोशाक को चारों नदशाओं में फै ला नदया गया हो। 2. ‘हमंे बदु ्धू मत समझना’– िस–ग्यारह साल की लडकी इसके पक्ष में चाँि से क्या कहती है? उ. दस–ग्यारह साल की लडकी चादँ से यह कहती है नक– हमंे बदु ्धू मत समझना। हमंे पता है नक तमु ्हें कोई बीमारी ह।ै क्योंनक तमु कभी घटते हो और कभी बढते हो। नबल्कु ल गोल न होने तक बढते ही जाते हो। चाँद की यह बीमारी कभी अच्छी ही नहीं होती ह।ै अवतररक्त प्रश्न 1. ननम्न पद्ांश की पंनक्तयाँ परू ी कीनजए। गोल ह-ैं ----------------------------------------- ------------------------------तारों जडा। 2. नकसी अन्य कनव की ‘चाँद’ से संबंनधत कोई कनवता कक्षा में सनु ाइए। 3. इस कनवता का सस्वर वाचन कीनजए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ैं - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करंे। 69
अवभव्यवक्त सृजनात्मकता 1. ‘बावलका के अनुसार चाँि की बीमारी लाइलाज क्यों है? उ. बानलका के अनसु ार चादँ की बीमारी लाइलाज ह।ै क्योंनक जब चाँद बढता है तो के वल बढता ही चला जाता है और जब घटता है तो घटता ही चला जाता ह।ै बानलका कहती है नक चाँद की बीमारी मानो कभी ठीक होने वाली ही नहीं ह।ै 2. तारों जडा आकाश पहनने से कवि का क्या तात्पयग है? उ. तारों जडा आकाश पहनने से कनव का तात्पयग है नक चादँ , तारों से जडी हुई पोशाक पहने परू े आसमान मंे चक्कर काटता रहता ह।ै उसकी यह तारों जडी पोशाक बहुत ही नटमनटमाती ह।ै चादँ गोल-मटोल नसफग अपना महँु खोलकर आकाश मंे घमू रहा ह।ै 3. एक िस-ग्यारह िषग की बावलका चाँि के स्िरूप के विषय मंे क्या सोचती है? उ. एक दस-ग्यारह वषग की बानलका चाँद के स्वरूप के नवषय मंे सोचती है नक चाँद तारों से जडी हुई चादर ओढकर बठै ा ह।ै चाँद नसफग अपना महँु खोले हएु ही नदखाई पडता ह।ै चादँ का स्वरूप गोलाकार है लेनकन कभी वह आधा नदखाई दते ा है और कभी परू ा। लडकी सोचती है नक चाँद को कु छ लाइलाज बीमारी हो सकती ह।ै 4. बच्चों ने चाँि से गप्पें वकस विन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मिि से अनुमान लगाओ और इसका कारण बताओ। उ. बच्चों ने चाँद से गप्पंे पनू णमग ा के नदन लगाई होंगी। विन कारण पनू णमग ा चादँ परू ा गोल नदखाई दते ा ह।ै अष्टमी से पनू णमग ा के बीच बढता जाता ह।ै प्रथमा से अष्टमी के बीच घटता जाता ह।ै 5. कु छ लोग बडी जल्िी वचढ़ जाते हंै। यवि चािँ का स्िभाि भी आसानी से वचढ़ जाने का हो तो िह वकन बातों से सबसे ज्यािा वचढ़ेगा? वचढ़कर िह उन बातों का क्या जिाब िेगा? अपनी कल्पना से चाँि की ओर से विए गए जिाब वलवखए। उ. यनद चाँद का स्वभाव भी नचढने वाला होता तो वह इन बातों से नचढता नक- मैं कभी गोल-मटोल हो जाता ह,ँ कभी नतरछा। मरे ा आकार एक जसै ा क्यों नहीं रहता? मंै कभी बढता और कभी घटता जाता ह।ँ मझु े हमशे ा चलते ही रहना पडता ह।ै नजसकी वजह से मैं थक जाता ह।ँ 70
1. यवि कोई सरू ज से गप्पें लगाए तो िह क्या वलखेगा? अपनी कल्पना से गद् या पद् मंे वलवखए। इस तरह की कु छ और गप्पंे वनम्न वलवखत में से वकसी एक या िो से करके वलवखए - उ. यनद मैं सरू ज से गप्पें करता तो पछू ता- तमु रात को कहाँ चले जाते हो? सबु ह आकर हमंे जगाते हो। इतने गमग क्यों और कै से होते हो? बादल आने पर कहाँ छु प जाते हो? नकस तरह इन्द्रधनषु बनाते हो? 1. चाँि वजस तरह अंधेरी रातों मंे रोशनी फै लाता है, उसी तरह तुम अपने जीिन मंे ऐसे कौन-से काम करना चाहोगे? उ. मैं ज्ञान का दीप जलाकर परू े ससं ार में ज्ञान की रोशनी फै लाऊँ गा। मंै अपने माता-नपता, बच्चों, बढू ों की मदद करँूगा। अगर मैं नसपाही बना तो दशे की रक्षा के नलए सीमा पर डटा रहगँ ा। अनं तम साँस तक दशे की सेवा करँूगा। मैं हर उस व्यनक्त की सहायता करँूगा, नजसे मरे ी सहायता की ज़रूरत हो। भाषा की बात 1. चाँि के आकार मंे विखायी िेने िाली कु छ िस्तुओं के नाम वलवखए। उ. जसै े– रोटी, गदंे , लड्डू, धरती, नसक्का, नबदं ी, थाली, घडी आनद चाँद की तरह गोल नदखाई दते ी ह।ैं 1. चाँि सजं ्ा हैं। चाँिनी रात मंे, चाँिनी विशेषण है। नीचे विए गए विशेषणों को ध्यान से िेवखए और बताइए वक - (क) कौन–सा प्रत्यय जुडने पर विशेषण बन रहे हंै? (ख) इन विशेषणों के वलए एक–एक उपयुक्त संज्ा भी वलवखए - गलु ाबी पगडी मखमली घास कीमती गहने ठंडी रात जगं ली फू ल कश्मीरी भाषा उ. क) गलु ाब, मखमल, कीमत, ठंडा, जगं ल, कश्मीर मंे ई प्रत्यय जडु ने पर नवशषे ण बन रहे ह।ंै ख) गलु ाबी कमीज़, मखमली दपु ट्टा, कीमती घडी, ठंडा पानी, जगं ली पश,ु कश्मीरी लडकी। 71
2. गोल-मटोल, गोरा–वचटटा कविता मंे आए शब्िों के इन जोडों मंे अंतर यह है वक वचटटा का अथग सफे ि है और गोरा से वमलता जुलता है, जबवक मटोल अपने-आप में कोई शब्ि नहीं है। यह शब्ि मोटा से बना है। ऐसे चार-चार शब्ि युग्म सोचकर वलवखए और उनका िाक्यों मंे प्रयोग कीवजए। उ. 1. आस–पास - मरे े घर के आस–पास कई पेड–पौधे ह।ंै 2. काम–काज - ग्रामीण मनहलाएँ नदन भर काम–काज मंे लगी रहती ह।ैं 3. ऊबड–खाबड - उबड–खाबड सडक पर वाहन चलाना कनठन होता ह।ै - सभी नते ा एक ही थाली के चट्टे-बट्टे ह।ंै 4. चट्टे-बट्टे 3. ‘वबल्कु ल गोल’–कविता मंे इसके िो अथग हैं - क) गोल आकार का ख) गायब होना! ऐसे तीन और शब्द सोचकर, उनसे ऐसे वाक्य बनाइए नजनके दो-दो अथग ननकलते हों। उ. अन्य उदाहरण- पीतांबर :- 1. पीला वस्त्र ( पीले वस्त्र धारण करने वाला) 2. पीतांबर शब्द अपने नवशेष अथग में नवष्णु जी के नलए प्रयोग नकया जाता ह।ै पंकज : 1. पानी में नमली धलू या नमट्टी। 2. पानी मंे उत्पन्न होने वाले कमल पषु ्प। भाग : 1. भाग्य भी होता ह।ै 2. भागना भी होता ह।ै 4. तावक, जबकी, चूँवक, हालाँवक – कविता की वजन पवं क्तयों में ये शब्ि आए है, उन्हंे ध्यान से पवढ़ए। ये शब्ि िो िाक्यों को जोडने का काम करते हैं। इन शब्िों का प्रयोग करते हुए िो-िो िाक्य बनाइए। उ. तावक :- (इसनलए नक) मनंै े परीक्षा के नलए खबू पररश्रम नकया तानक अच्छे अकं नमल सकें । चूँवक :- (क्योंनक) आज मैं स्कू ल नहीं आ सकता क्योंनक तबीयत ठीक नहीं ह।ै जब वक : जब नक इसके बारे मंे मनैं े तझु े पहले भी समझाया ह।ै हालाँवक :- (यद्नप) उसने नफर वही गलती दोहराई हालाँनक मनंै े उसे समझाया था। 5. गप्प, गप–शप, गप्पबाज़ी–क्या इन शब्िों के अथों मंे अंतर है? तुम्हें क्यों लगता है? वलवखए। उ. इन शब्दों के अथग मंे कत्ताग के अनसु ार अतं र ह।ै व्यथग बात, व्यथग बात मंे समय नबताना, बातचीत करना। 72
क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. कनवता गा सकता ह।ँ सनु ा सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस स्तर की कनवताओं का भाव पढकर समझा सकता ह।ँ 3. इस स्तर के गीतों की भाव सनहत व्याख्या कर सकता ह।ँ 4. गीत के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. कनवता के शब्दों से नयी कनवता नलख सकता ह।ँ इस पाठ में मैंने नए शब्ि सीखे - 73
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. लडकी चाँि से क्या बातें कर रही है? उ. लडकी चाँद से बातंे कर रही है नक तमु गोल हो लेनकन कभी-कभी नतरछे नज़र आते हो और परू े तारों जडे आकाश को वस्त्र के रूप में पहने हएु हो। हमशे ा अपना महँु खलु ा रखते हो। गोरे हो, गोल-मटोल हो लने कन घटते तथा बढते रहते हो। 2. बावलका के अनसु ार चाँि को क्या बीमारी है? उ. बानलका के अनसु ार चाँद को ऐसी बीमारी ह,ै नजसका कोई भी इलाज नहीं ह।ै बानलका चादँ को कह रही है नक आपका आकार कभी घटता रहता है तो कभी बढता रहता ह।ै कभी आप नतरछे नज़र आते हो, कभी गोल नज़र आते हो। लगता है नक आपकी इस बीमारी का कोई इलाज़ नहीं ह।ै 3. अमािस्या और पवू णगमा कब होती हंै? उ. चाँद सरू ज की रोशनी से चमकता ह।ै जब पथृ ्वी चि काटते हुए चादँ के सामने आ जाती ह।ै तो हमें चादँ नहीं नदखाई दते ा, तब अमावस्या होती ह।ै लने कन जब पथृ ्वी चक्कर काटते हएु चाँद के सामने से हट जाती ह,ै तब चाँद परू ा नदखाई दते ा है तब पनू णमग ा होती ह।ै संके त आधाररत िाक्य सकं े तों की सहायता से िाक्य बनाइए। िाक्य: - पक्षी 1. आकाश - आकाश में चाँद ननकल आया ह।ै 2. चादँ - पनू णमग ा को चाँद गोल नदखाई दते ा ह।ै 3. तारे - तारे नटमनटमाते ह।ंै 4. सरू ज - सरू ज हमंे रोशनी दते ा ह।ै 5. पक्षी - पक्षी आकाश मंे स्वतंत्र रूप से उडते ह।ैं 6. इन्द्रधनषु - इन्द्रधनषु के रंग मनभावन होते ह।ंै 7. बाररश - बाररश की बदँू ंे नगरने लगी। 74
प्रत्यय प्रत्यय- जो शब्दाशं शब्दों के अतं मंे लग कर नए शब्द बनाते ह,ंै उन्हें प्रत्यय कहते ह।ंै अन - ढक्कन, आई - नलखाई, आन - नमलान, आवट - नलखावट, आहट - नचल्लाहट, इया - बनढया, ई - हसँ ी, ता - डूबता, वाइ - सनु वाई, या - खोया कृ त प्रत्यय तवद्धत प्रत्यय जो प्रत्यय निया की मलू धातु के साथ लगकर संज्ञा जो प्रत्यय संज्ञा, सवनग ाम, नवशषे ण आनद के साथ और नवशषे णों का ननमागण करते ह,ैं उन्हंे कृ त प्रत्यय लगकर नए शब्द बनाते ह,ैं उन्हें तनद्धत प्रत्यय कहते कहते ह।ंै ह।ैं जैसे- पढ़ + आई –पढ़ाई जैसे- बगं ाल + ई- बंगाली 1. कृ त प्रत्यय- प्रत्यय उिाहरण आ नलखा, सोचा वहिं ी के कृ त प्रत्यय आन मकान, दकु ान प्रत्यय उिाहरण आई पढाई, नलखाई अन चलन, मनन आवना डरावना, लभु ावना आऊ कमाऊ, नबकाऊ औती चनु ौती, कटौती आवट नलखावट, थकावट औना नखलौना, नबछौना आव कटाव, नखचं ाव आहट घबराहट, कडवाहट क गायक, सवे क ई नखडकी, बोली ता दाता, कत्ताग ना पीना, सोना अनीय पठनीय, स्मरणीय ससं ्कृ त के कृ त प्रत्यय प्रत्यय उिाहरण अन भवन, चमन अना प्राथनग ा, कामना ई दानी, ईमानदारी 75
2. तवद्धत प्रत्यय- प्रत्यय उिाहरण आर सोनार, कहार 1. वहिं ी के तवद्धत प्रत्यय ई लालची, धनी प्रत्यय उिाहरण वाँ आठवाँ, दसवाँ आ भखू ा, ठंडा इया घनटया, बनढया वाला सब्ज़ीवाला, दधू वाला इन कहाररन, लोहाररन प्रत्यय उिाहरण कार कलाकार, अहकं ार त्व दवे त्व, कनवत्व इत पनु ष्पत, कलंनकत आई नमठाई, चतरु ाई तम संदु रतम, उच्चतम दार हवलदार, ईमानदार प्रत्यय उिाहरण गर सौदागर, बाज़ीगर 2. ससं ्कृ त के तवद्धत प्रत्यय मदं अक्लमदं , ज़रूरतमदं प्रत्यय उिाहरण इश कोनशश, फरमाइश दार ईमानदार, दकु ानदार आलु ईष्यागल,ु श्रद्धालु नीय गोपनीय, स्मरणीय ईय वदं नीय, भारतीय ता लघतु ा, महानता 3. आगत प्रत्यय- प्रत्यय उिाहरण आना सालाना, रोज़ाना दान कलमदान, रोशनदान साज़ जालसाज़, घडीसाज़ खोर सदू खोर, घसू खोर बाज़ चालबाज़, गदें बाज़ एक ही शब्ि मंे प्रयुक्त होने िाले िो प्रत्यय ऐनतहानसकता - इनतहास + इक +ता भारतीयता - भारत+ इय +ता नागररकता - नगर +इक+ ता ईमानदारी - ईमान +दार+ ई साप्तानहकी - सप्ताह+ इक +ई बनु द्धमानी - बनु द्ध+ मान+ ई 76
अभ्यास कायग (Work Book) भािाथग वनम्न कविता का सप्रसंग भािाथग वलवखए। गोल हंै खबू मगर आप वतरछे नज़र आते हंै ज़रा। आप पहने हुए हंै कु ल आकाश तारों–जडा; वसफग मँुह खोले हुए हैं अपना। प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. अगर आपको चाँद से गप्पें लगाने का मन करे तो आप क्या गप्पें लगाओगे? 2. लडकी के नवचार से चाँद की बीमारी क्यों लाइलाज है? 3. ‘चाँद से थोडी सी गप्पंे’ कनवता का सारांश नलनखए। सकं े तों के आधार पर िाक्य मेरा भारत िेश से संबंवधत संके तों के आधार पर िाक्य बनाना। (प्रनसद्ध, नहमालय, महासागर, गगं ा-यमनु ा, हरे-भरे खेत, मनं दर-मनस्जद, नहन्दी, शांनत और एकता) व्याकरण 1) वनम्नवलवखत शब्िों में से मूल शब्ि तथा प्रत्यय अलग करो। 1. पढाकू -__________+ ________ 4. धानमकग -__________+ ________ 2. ईमानदारी -__________+ ________ 5. रंगीला -__________+ ________ 3. पठनीय -__________+ ________ 6. दनै नक - 77
2) वनम्नवलवखत शब्िों से प्रत्यय अलग कीवजए। 4. हवलदार - 1. नमठास - 5. दखु डा - 2. घबराहट - 6. फलवाला - 3. दवे त्व - 3) वनम्नवलवखत शब्िों मंे से उपसगग, मूल शब्ि ि प्रत्यय अलग करो। प्रत्यय उपसगग मूल शब्ि 1. पररपणू तग ा 2. अपमाननत 3. अधमी 4. बचे ैनी 5. ससु गं नठत 6. प्रत्यकु ारी 4) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के वलगं बिल कर िाक्य वफर से वलवखए। 1. नपता जी समाचार पत्र पढ रहे ह।ैं उ. 2. उस यवु क ने सबसे अच्छा गीत गाया। उ. 3. मनं दर के बाहर एक बढू ी नभखाररन बैठी थी। उ. 5) वनम्नवलवखत युग्म शब्िों से िाक्य बनाइए। 1. हसँ ी-मज़ाक : 2. सखु –चैन : 3. सोच-समझकर : 6) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के विलोमाथग पहचावनए। 1. मझु े आपकी हर बात बहुत मधरु प्रतीत हईु , लने कन राजू को कटु लगी। 2. बनु द्धमान लोग नववाद से बचते ह,ैं मखू ग नववाद मंे पडते ह।ंै 3. समझदार के नलए इशारा काफी है लने कन नासमझ व्यनक्त को समझाना मनु श्कल होता ह।ै 78
7) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 1. चाँद – ______,________,_____ 4. दम लने ा ___–___,________,_____ 2. गप्पंे – ______,________,_____ 5. मरज ___ –_,________,_____ 3. तारे – ______,________,_____ 6. रात – 8) वनम्नवलवखत शब्िों के वभन्नाथी शब्ि वलवखए। 1. उत्तर – ____________ 4. अथग – ____________ 2. पवू ग – ____________ 5. अकं – ____________ 3. कल – ____________ 6. घट – ____________ 9) वनम्नवलवखत शब्िों के युग्म शब्ि वलवखए। 1. गोरा – ________________ 4. चलता – ________________ 2. गोल – ________________ 5. आगे – ________________ 3. तारों – ________________ 6. खाना – ________________ 10) वनम्नवलवखत िाक्यों को प्रश्निाचक रूप में वलवखए। 1. अपनी पोशाक चारों ओर फै लाई ह।ै उ. ___________________________________ 2. वे चले जा रहे थे। उ. ___________________________________ 3. पसु ्तक मंे नचत्र ह।ैं उ. ___________________________________ 11) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे से सजं ्ा शब्ि पहचावनए। 1. उस बानलका ने चादँ दखे ा। () अ) ने आ) उस इ) दखे ा ई) बानलका, चाँद 2. तारे नटमनटमा रहे ह।ंै () अ) नटमनटमा आ) तारे इ) हंै ई) रहे इ) सलु ाया ई) मा,ँ बेटा 3. माँ ने अपने बेटे को सलु ाया। () अ) अपने आ) को 12) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे विशेषण शब्ि पहचावनए। 1. अपनी पोशाक को फै लाए हुए। () अ) अपनी आ) पोशाक इ) हुए ई) फै लाए इ) बनु द्धमान ई) राजू 2. राजू बनु द्धमान लडका ह।ै () अ) है आ) लडका 79
3. आप बहुत संुदर ह।ंै () ई) हंै अ) सुंदर आ) आप इ) जाते () 13) वनम्नवलवखत िाक्यों को अथग के आधार पर पहचावनए। इ) इच्छावाचक वाक्य ई) आज्ञावाचक वाक्य इ) इच्छावाचक वाक्य 1. आप क्यों नतरछे नजर आते ह?ंै इ) इच्छावाचक वाक्य () अ) ननषधे वाचक वाक्य आ) प्रश्नवाचक वाक्य ई) आज्ञावाचक वाक्य 2. इस रास्ते से जाना मना ह।ै () ई) आज्ञावाचक वाक्य अ) ननषधे वाचक वाक्य आ) प्रश्नवाचक वाक्य () 3. आप बाज़ार जाइए। अ) ननषधे वाचक वाक्य आ) प्रश्नवाचक वाक्य 14) वनम्नवलवखत िाक्य रचना की दृवि से पहचावनए। 1. मरे ी तबीयत ठीक नहीं ह।ै अ) सयं कु ्त वाक्य आ) सरल वाक्य इ)नमनश्रत वाक्य 2. शभु ांगी बाज़ार गई और उसने पसु ्तक खरीदी। () अ) संयकु ्त वाक्य आ) सरल वाक्य इ)नमनश्रत वाक्य 3. आपका यह मज़ग अच्छा नहीं ह,ै दवाई लो। () अ) सयं कु ्त वाक्य आ) सरल वाक्य इ)नमनश्रत वाक्य 15) उत्पवत्त की दृवि से रेखांवकत शब्ि पहचावनए। () 1. पडे पर पछं ी बठै े ह।ैं अ) तत्सम शब्द आ) तद्भव शब्द इ) दशे ी शब्द ई) नवदशे ी शब्द 2. रामू नकताब पढ रहा ह।ै () अ) तत्सम शब्द आ) तद्भव शब्द इ) दशे ी शब्द ई) नवदशे ी शब्द 3. आसमान मंे सयू ग चमक रहा ह।ै () अ) तत्सम शब्द आ) तद्भव शब्द इ) दशे ी शब्द ई) नवदशे ी शब्द नवश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पवू ग अधं कार मंे ही प्रकाश का अनभु व करता है और गाने लगता ह।ै - रवींद्रनाथ ठाकु र 80
इकाई-2 6. संसार पसु ्तक है जिाहरलाल नेहरू अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र मंे क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र में एक लडका पसु ्तक में ग्लोब का नचत्र दखे रहा ह।ै 2. अनमु ान लगाओ वक बच्चा वकस विषय की पसु ्तक पढ़ रहा है? उ. बच्चा सामानजक शास्त्र की पसु ्तक पढ रहा ह।ै 3. पुस्तक पढ़ना क्यों ज़रूरी है? उ. पसु ्तक पढने से हम ज्ञान पा सकते ह।ैं ये ज्ञान हमारे नलए कीमती धन जसै ा ह।ै इसे कोई नहीं चरु ा सकता ह।ै इसनलए पढना ज़रूरी ह।ै 1.इरादा = सकं ल्प Wish, intention 2.खत = पत्र Letter 3.बालू = रेत Sand 4.नवज्ञान= नवशेष ज्ञान Science 5.हड्नडयाँ = मनषु ्य और पशओु ं के शरीर के अदं र कडी वस्तु Science 6.रोडा = ईटं या पत्थर का बडा ढेला Piece of stone 81
‘संसार पसु ्तक ह’ै यह लखे पं. जवाहर लाल नेहरू जी ने नलखा ह,ै जो हमारे दशे के प्रथम प्रधानमतं ्री ह।ैं उनकी बटे ी, इनं दरा जी जब दस वषग की थी, तब नेहरू जी ने उन्हें अनेक नचरट्ठयाँ नलखी। इन नचरट्ठयों मंे बताया गया है नक पथृ ्वी की शरु ूआत कै से हुई और मनषु ्य ने अपने आप को धीरे–धीरे कै से पहचानना शरु ू नकया। नेहरू जी ने इन नचरट्ठयों मंे अपने दशे के बारे मंे बताने का प्रयास नकया है। यह पत्र ‘नपता के पत्र पतु ्री के नाम’ पसु ्तक के रूप में संकनलत ह।ंै संसार पसु ्तक है जो इसी पसु ्तक का एक भाग ह,ै जो आस–पास की दनु नया के बारे में सोचने-समझने और जानने की उत्सकु ता पैदा करती ह।ै लेखक ने नलखा ह,ै चँनू क उनकी बेटी को इस दनु नया की और इसके छोटे बडे दशे ों को जानने की इच्छा ह,ै इसनलए उसका ज्ञान बढाने के नलए वे छोटी–छोटी कथाओं द्वारा उसकी कु छ सहायता कर पाएगँ ।े उनका कहना है नक यह धरती लाखों-करोडों वषग परु ानी है और बहुत नदनों तक इस पर कोई आदमी न था। नसफग जानवर थे। और जानवरों से भी पहले कोई जानदार चीज़ंे न थी क्योंनक शायद तब धरती बेहद गरम थी। यह बात जानवरों की परु ानी हड्नडयाँ दखे ने से हमंे खदु मालमू होती ह।ै लने कन जब आदमी ही नहीं था तो नकताबें कौन नलखता होगा। लेनकन खशु ी की बात है परु ाने ज़माने की नकताबें न होने पर भी कु छ ऐसी चीज़ंे ह,ैं नजनसे हमें दनु नया का परु ाना हाल मालमू हो सकता ह।ै पहाड, समदु ्र, नसतारे, ननदया,ँ जगं ल, जानवरों की परु ानी हड्नडयाँ और इसी तरह की और भी नकतनी चीज़ें ह,ंै नजनसे हमंे दनु नया का परु ाना हाल मालमू हो सकता ह।ै पत्थरों और पहाडों को पढ कर थोडे ही नदनों में तमु उनका हाल जान सकते हो। नकसी भाषा को सीखने के नलए जसै े उद,गू नहदं ी, अगं ्रजे ़ी के अक्षर सीखने होते हैं उसी तरह हमें प्रकृ नत के अक्षर पढने होंग।े यनद तमु नकसी नई चट्टान का छोटा टुकडा दखे ो तो मालमू होगा नक वह टुकडा नकु ीला और खरु दरा होगा। लने कन जसै े–जसै े यह टुकडा परु ाना होता जाता है यह चमकीला और गौण होता जाता ह।ै यहाँ तक नक बहुत समय बीतने पर यह रेत का ज़राग हो जाता है जो समदु ्र नकनारे पहचुँ जाता ह।ै अगर एक छोटा-सा रोडा इतनी बात बता सकता है तो पहाडों की दसू री चीज़ों से जो हमारे इद-ग नगदग है हमें नकतना ज्ञान प्राप्त हो सकता ह,ै बस हमंे इनकी भाषा पढनी आनी चानहए। 1. तुम वकस–वकस के द्वारा ज्ानाजगन करते हो? उ. हम पसु ्तकों, अखबारों, पनत्रकाओ,ं दरू दशनग , रेनडयो और पसु ्तकालयों द्वारा ज्ञानाजनग करते ह।ंै 2. मनषु ्य का सबसे अच्छा वमत्र कौन है और क्यों? उ. मनषु ्य का सबसे अच्छा नमत्र पसु ्तकें ही हैं क्योंनक नजतना ज्ञान और जानकारी हमंे पसु ्तकों से नमलती है उतना कोई भी व्यनक्त हमंे नहीं दे सकता। 82
3. कु छ पसु ्तकों के नाम बताओ और उनमंे से तुम्हारी पसंिीिा पसु ्तक कौन-सी है और क्यों? उ. ‘ननमलग ा’, ‘दो नचनडयाँ’, ‘सवे ासदन’, ‘बीजक’, ‘मधशु ाला’ आनद कु छ पसु ्तकों के नाम ह।ंै मरे ी पसंदीदा पसु ्तक ‘ननमलग ा’ ह।ै इसको श्री मशंु ी प्रमे चन्द जी ने बडे ही अच्छे नवचारों के साथ नलखा है इसनलए मझु े यह पसु ्तक पसंद ह।ै 4. िुवनया की शुरूआत को समझाती हुई कु छ कहावनयाँ प्रचवलत हंै। तुम्हारे यहाँ कौन-सी कहानी प्रचवलत है? उ.दनु नया की शरु ूआत को समझाती हईु कहाननयों मंे आनद मानव की कहानी हमारे यहाँ प्रचनलत ह।ै मनषु ्य पहले जगं लों में ही रहा करता था। वह लकडी या पत्थर से नकु ीले हनथयार बनाकर उनसे जगं ली जानवरों का नशकार करता था। वह कच्चा मासँ खाता था। पडे ों के पत्तों तथा छाल को वस्त्र के रूप मंे लपटे लते ा था। धीरे–धीरे उसने पत्थरों के सघं षणग द्वारा आग जलाना सीखा। अब वह जगं ल मंे रहते-रहते सभ्यता सीख चकु ा था। धीरे-धीरे उसने बनस्तयों का ननमागण नकया। बनस्तयों से गावँ और गावँ से शहरों का ननमाणग नकया। आज वह 21वीं सदी मंे पहचुँ गया ह।ै अवतररक्त प्रश्न 1. नकससे आस–पास की दनु नया के बारे में सोचने-समझने और जानने की उत्सकु ता पैदा होती ह?ै 2. यह पत्र नकसने कहाँ से नलखा ह?ै 3. क्या पत्थरों तथा पहाडों को दखे कर उनका हाल जाना जा सकता ह?ै 4. पत्थर चमकीला कै से बना होगा? 1. लेखक ने ‘प्रकृ वत के अक्षर’ वकन्हें कहा है? उ. लखे क ने पहाडों, पेड–पौधों, पत्थरों, ननदयों चट्टानों को ‘प्रकृ नत के अक्षर’ कहा ह।ै 2. लाखों–करोडों िषग पहले हमारी धरती कै सी थी? उ. लाखों–करोडों वषग पहले हमारी धरती एकदम सनु सान और बहतु गरम थी। धरती पर कोई भी जानदार चीज़ न थी। 3. गोल, चमकीला रोडा अपनी क्या कहानी बताता है? उ. गोल, चमकीला रोडा अपनी कहानी इस तरह बताता है नक वह भी एक चट्टान का खरु दरा टुकडा था। उसमें भी नकनारे और कोने थे। जब वह नकसी पहाड के दामन में पडा था तब पानी का तेज़ बहाव आया और उसे बहाकर घाटी तक ले गया। नफर वहाँ से उसे पहाडी नाले मंे धके ल कर दररया तक पहचुँ ा नदया। दररया के पदं े मंे लढु कत–े लढु कते इसके नकनारे नघस गए और वह नचकना चमकदार रोडा बन गया। अवतररक्त प्रश्न 1. ‘खत’ एक नवदशे ी शब्द ह।ै इसी तरह के नवदशे ी शब्द पाठ में रेखानं कत कीनजए। 2.लाखों–करोडों यगु्म शब्द ह।ै ऐसे यगु्म शब्द पाठ में ढूँनढए। 3. पहाड, समदु ्र, नसतारे, ननदयाँ इनमें स्त्रीनलगं शब्द पहचाननए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करंे। 83
अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता 1. िुवनया का पुराना हाल वकन चीज़ों से जाना जाता है? कु छ चीज़ों के नाम वलवखए। उ. दनु नया का परु ाना हाल कई वषों से खडे पहाडों, समदु ्र, नसतारों, ननदयों, घने जगं लों और जानवरों की हड्नडयों से जाना जाता ह।ै उदा: - जानवरों की अनस्थयाँ, खदु ाई में नमले हनथयार, मनू तयग ाँ आनद। 2. गोल, चमकीले रोडे को यवि िररया और आगे ले जाता है तो क्या होता है? विस्तार से वलवखए। उ. रोडा चट्टान का एक खरु दरा और नकु ीला टुकडा ह।ै कई धक्के खाने के बाद वह एक रोडे का रूप धारण करता ह।ै वह चट्टान का टुकडा कई नदनों तक पहाड के दामन ( गोद) में पडा रहा। नफर पानी आया। उसे बहाकर घाटी तक ले गया और नफर वह लढु कता- लढु कता एक छोटी घाटी में नगरा और नफर वहाँ से पहाडी नाले के ढके लने के बाद वह दररया में पहचुँ ा। इतनी यात्रा करने के बाद उसका खरु दरापन चला जाता है और वह नचकना और चमकीला हो जाता ह।ै अगर दररया इसे और भी आगे ले जाए तो वह छोटे पत्थर का रूप लेकर छोटा होते - होते अतं मंे बालू ( रेत) का ज़राग हो जाता और अतं मंे समदु ्र के नकनारे अपने भाईयों से जा नमलता ह।ै 3. नेहरू जी ने इस बात का हल्का–सा सकं े त विया है वक िुवनया कै से शुरू हुई होगी। उन्होंने क्या बताया है? पाठ के आधार पर वलवखए। उ. पाठ के आधार पर नेहरूजी ने हल्का सा सकं े त नदया है नक दनु नया की शरु ूआत इस प्रकार हईु होगी– यह धरती लाखों– करोडों वषग परु ानी ह।ै यह धरती बहतु गमग थी और बहुत नदनों तक इस पर कोई चीज़ न थी। उसके बाद पडे -पौधे उगे तथा उसके बाद जानवरों का जन्म हुआ होगा। आदनमयों से पहले नसफग जानवर थे और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था जब इस धरती पर कोई चीज़ नहीं थी, समयानसु ार सब बदल गया। 4. तुम जानते हो वक िो पत्थरों को रगडकर आवि मानि ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या-क्या उपयोग होता था? उ. दो पत्थरों की रगड से आग की खोज आनद मानव ने की थी। इसी के साथ-साथ आनद मानव ने पत्थरों का उपयोग कई तरीकों से नकया। जसै े- औज़ारों के रूप म,ंे जानवरों का नशकार करने के नलए, हनथयार के रूप म,ें बतगनों के रूप मंे, नकसी चीज़ को काटने के नलए पत्थर को नकु ीला और तजे ़ बनाकर चाकू के रूप में उनका उपयोग नकया। 84
1. हर चीज़ के वनमागण की एक कहानी होती है, जैसे मकान के वनमागण की कहानी, िायुयान, साइवकल अथिा अन्य वकसी यंत्र के वनमागण की कहानी। तुम भी वकसी चीज़ के वनमागण की कहानी वलख सकते हो, इसके वलए तुम्हें उस चीज़ के बारे मंे कु छ जानकारी एकवत्रत करनी होगी। उ. मझु े उडने के बारे मंे एक कहानी पता ह।ै मानव ने उडने की कल्पना को साकार करने के नलए तरह-तरह की वस्तएु ँ बनाई और उन्हें आकाश मंे उडाया। सवपग ्रथम रंग-नबरंगे कागज़ और कपडों से बना गबु ्बारा उडाया। नवलबर राईट और ओररनवल राइट नामक दो अमेररकी भाई साइनकल मरम्मत का काम करते थ।े अथक पररश्रम के बाद इन्होंने लकडी का वाययु ान बनाया। वह पक्षी के आकार से नमलता–जलु ता था। उसमें पंख लगाए गए थ।े पतवार लगाई गई थी और पेरोल से चलने वाला इजं न भी। उस वाययु ान को अमरे रका के नकटी हॉक नामक स्थान से उडाया गया। एक कहानी टेलीनवज़न के बारे में ह।ै टेलीनवज़न की खोज स्काटलडंै के एक लडके ने की थी, नजसका नाम था– जॉन लोजी बये र। जॉन ने खाली सदं कू , कपडा नसलने की सईू याँ, नबस्कु टों का खाली नडब्बा, साइनकल की लाइट का मोटा शीशा, कु छ बटै ररयाँ, तार और बहतु -सा मोम इकट्ठा नकया। उसके बाद नबजली से चलने वाला एक परु ाना मोटर खरीदा और इस सारे सामान को लेकर एक कमरे मंे बदं हो गया। लंबे समय तक प्रयोग करते-करते परदे पर तस्वीर आ गई। लेनकन यह साफ नहीं थी। नफर जॉन ने प्रयोग करना शरु ू नकया। जॉन ने पतु ली बनाई और कै मरे के सामने रख नदया। दसू रे कमरे मंे जाकर उसने परदा लगा नदया। मशीन चलाने पर पतु ली की तस्वीर परदे पर आ गई। चलती-नफरती तस्वीर लाने के नलए एक लडके को कै मरे के सामने खडा करके वह दसू रे कमरे मंे गया। परदे पर लडके की तस्वीर आ गई थी। इस तरह टेलीनवज़न का आनवष्कार हआु । 1. इस पाठ से संिु र भािावभव्यवक्त िाले पाँच िाक्य वलवखए और बताओ उनका हमारे जीिन में क्या महत्ि है? उ. हम के वल दसू रों की नलखी हुई नकताब पढ लंे, बनल्क खदु ससं ार–रूपी पसु ्तक को पढें। जीिन में महत्ि : - पसु ्तकों का हमारे जीवन में इतना महत्व है नक हम उनके द्वारा अनेक नवषयों का ज्ञान प्राप्त करते ह।ैं हम दसू रों की नलखी हईु पसु ्तकें तो पढें ही और साथ ही साथ अपने आप ससं ार–रूपी पसु ्तक का भी अध्ययन करके जीवन मंे थोडा आगे बढ सकते ह।ंै 2. रोडा कै से इतना चमकीला, वचकना और गोल हो गया। उ. जीिन में महत्ि : - एक रोडा अनके कष्टों को सहते हुए, धक्के खा-खा कर आगे बढने पर चमकीला, नचकना और गोल हो जाता ह।ै उसी प्रकार हमंे भी कष्टों का सामना करना चानहए। तभी हम अनभु व प्राप्त करके जीवन मंे आगे बढ सकते ह।ैं 85
3. पहले तुम्हंे प्रकृ वत के अक्षर पढ़ने पडेंगे। जीिन मंे महत्ि- ‘प्रकृ नत के अक्षर’ पढने पडंेग।े यह पंनक्त पं. जवाहरलाल नेहरू जी अपनी बटे ी को नचट्ठी में नलखते ह।ै इस पनं क्त का बहतु ही अच्छा अथग है जो नक हमारे जीवन मंे महत्व रखता ह।ै हर भाषा को सीखने के नलए अक्षरों को सीखना ज़रूरी होता ह।ै वसै े प्रकृ नत ने भी हमंे अक्षर नदए ह।ैं वे हंै पहाड, पडे -पौधे, ननदयाँ, सरू ज, तारे आनद। अक्षरों के द्वारा भी अनके नवषयों को जान सकते ह।ैं 4. जो कहानी वकसी बात को िेखे, वबना ही गढ़ ली जाए, िह ठीक कै से हो सकती है? जीिन में महत्ि- नबना दखे ,े नबना सोचे नकसी भी कहानी को यनद गढ लते े ह,ैं वह कहाँ तक सच्ची हो सकती ह!ै नहीं न, वसै े ही हमारे जीवन में ( दनु नया) कु छ लोगों का व्यवहार ऐसा होता है नक नबना सोचे-समझे दसू रों की ननंदा कर तमाशा दखे ते ह।ैं यह कहाँ तक सही ह?ै इसनलए नबना सोच-े समझे आगे नहीं बढना चानहए। 5. िुवनया एक है और िूसरे लोग जो इसमंे आबाि हैं, हमारे भाई–बहन हैं। जीिन मंे महत्ि : - दनु नया एक ह,ै दनु नया के साथ हमारे जीवन का गहरा सबं ंध है क्योंनक हम दनु नया से अलग तो नहीं रह सकते ह।ै दनु नया मंे रहने वाला प्रत्येक नागररक भाई-बहन है और हम दनु नया का एक नहस्सा ह।ै भाषा की बात वनम्नवलवखत शब्िों के अथग वलखकर, उनका िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. नसफग = के वल रमशे के पास नसफग दस रूपये ह।ै 2. खबू = बहतु खाना बहुत स्वानदष्ट था इसनलए मनैं े खबू खा नलया। 3. हाल = पररनस्थनत मोहन का हाल बहतु बरु ा ह।ै 4. टापू = एक छोटा ज़मीन का टुकडा इगं्लंैड के वल छोटा–सा टापू ह।ै 5. रोडा = पत्थर का टुकडा सडक बनाते समय रोडों का प्रयोग करते ह।ैं 86
1. ‘इस बीच िह िररया मंे लढ़ु कता रहा’। नीचे वलखी वक्रयाएँ पढ़ो। इनमंे और ‘लुढ़कना’ में तुम्हंे कोई समानता नज़र आती है। ढके लना वगरना वखसकना लढ़ु कना इन चारों वक्रयाओं का अंतर समझाने के वलए इनसे िाक्य बनाओ। उ. लढु कना और नखसकना मंे थोडी समानता ह।ै चार शब्दों की नियाएँ इस प्रकार हंै - लढु कना - पहाड से पत्थर लढु कता ह।ै नगरना - पडे से फल नगरता ह।ै ढके लना - एक चीज़ को हाथों के बल से धक्का दने ा। नखसकना - एक जगह से दसू री जगह धीरे से नखसकना। चमकीला रोडा- यहाँ रेखानं कत नवशषे ण ‘चमक’ सजं ्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोडने पर बना ह।ै 2. वनम्नवलवखत शब्िों में यही प्रत्यय जोडकर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त सजं ्ाएँ वलखो - उ. 1. पत्थर - पथरीला - पथरीली सडक। 2. रस - रसीला - रसीला आम। 3. काटँ ा - कं टीला - कं टीली झाडी। 4. ज़हर - ज़हरीला - ज़हरीला साँप सजं ्ा शब्ि : - सडक, आम, झाडी, साँप। 3. ‘जब तमु मरे े साथ रहती हो, तो अक्सर मझु से बहुत–सी बातंे पछू ा करती हो।’ यह वाक्य दो वाक्यों को नमलाकर बना ह।ै इन दोनों वाक्यों को जोडने का काम जब, तो (तब) कर रहे ह,ैं इसनलए इन्हंे योजक कहते ह।ै योजक के रूप मंे कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसनलए वे अव्यय का एक प्रकार होते ह।ैं नीचे वाक्यों को जोडने वाले कु छ और अव्यय नदए गए ह।ैं उन्हें ररक्त स्थानों में नलनखए। इन शब्दों से तमु भी एक-एक वाक्य बनाओ। (बनल्क / इसनलए / परंतु / नक / यनद / तो / न नक / तानक) उ. क) कृ ष्णन नफल्म दखे ना चाहता है परंतु दखे नहीं पाया। ख) मनु नया ने सपना दखे ा नक वह चंद्रमा पर बैठी ह।ै ग) छु रट्टयों में हम सब तो दगु ापग रु जाएगँ े न नक जालधं र। घ) सब्ज़ी काट कर रखना तानक घर आते ही मंै खाना बना लँ।ू ङ) यनद मझु े पता होता नक शमीना बरु ा मान जाएगी तो मैं वह बात न कहती। च) इस वषग फसल अच्छी नहीं हईु है इसनलए अनाज महगँ ा ह।ै छ) नवमल जमनग सीख रहा है न नक फ्रें च। 87
क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के बारें में बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का साराशं अपने शब्दों मंे नलख सकता ह।ँ 4.पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. इस पाठ के आधर पर ससं ार के उदभ् व की कहानी नलख सकता ह।ँ इस पाठ मंे मंैने नए शब्ि सीखे - 88
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. िैज्ावनक ने वकस रहस्य का पता लगाया? उ. वजै ्ञाननक ने पाया नक एक समय ऐसा था, जब यह धरती बेहद गमग थी। और इस पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी। लने कन दसू रा पहलू यह भी है नक अगर हम उनकी नकताबंे पढंे तो हमंे पहाडों का पता चलेगा। जानवरों की परु ानी हड्नडयों के बारे मंे भी पसु ्तक में नलखा ह।ै 2. िुवनया का परु ाना हाल हमंे वकन चीज़ों से पता चलता है? उ. दनु नया का परु ाना हाल हमंे पहाडों, समदु ्र, नसतारे, ननदयों, जगं ल, जानवरों की परु ानी हड्नडयों से पता चलता ह।ै लने कन और अनधक जानकारी के नलए हमंे ससं ार रूपी पसु ्तक को पढना होगा। वनबधं -लेखन पंद्रह अगस्त : स्ितंत्रता वििस भूवमका : प्रत्यके दशे मंे भाँनत-भाँनत के त्यौहार और उत्सव मनाए जाते ह।ैं इनमंे से कु छ त्यौहारों का सबं ध तो धमग और ससं ्कृ नत से होता ह,ै वहीं कु छ पवग राष्रीय गौरव के प्रतीक होते ह।ंै पन्द्रह अगस्त भी ऐसा ही एक राष्रीय उत्सव ह,ै जो संपणू ग भारत मंे आन-बान और शान के साथ मनाया जाता ह।ै हमारा दशे अगं ्रजे ़ों का गलु ाम था। कनठन सघं षों के बाद हमंे दो सौ वषों के अगं ्रजे ़ी शासन से मनु क्त प्राप्त हुई। १५ अगस्त, १९४७ को नदल्ली के लालनकले पर भारतीय नतरंगा लहरा उठा और भारत स्वतंत्र दशे घोनषत हआु । इसी कारण प्रनतवषग १५ अगस्त, स्वततं ्रता नदवस के रूप मंे मनाया जाता ह।ै इस नदन प्रातुः काल प्रभात फे ररयाँ ननकाली जाती ह।ैं सभी सरकारी कायागलयों एवं नवद्ालयों मंे समारोह आयोनजत नकए जाते ह।ंै गणमान्य व्यनक्तयों द्वारा राष्रीय ध्वज (नतरंगा) फहराया जाता ह।ै अनेक सासं ्कृ नतक कायिग मों द्वारा स्वततं ्रता सगं ्राम मंे प्राणोत्सगग करने वाले वीरों को श्रदध् ांजनल अनपगत की जाती ह।ै समारोह के पश्चात नमठाई नवतररत की जाती ह।ै दशे की राजधानी नदल्ली में मखु ्य कायिग म आयोनजत होता ह।ै ऐनतहानसक लालनकले पर प्रधानमतं ्री ध्वजारोहण करते ह।ंै दशे के कोन-े कोने से हज़ारों लोग इस महोत्सव को दखे ने के नलए नदल्ली जाते ह।ैं परू ा नदन राष्र–प्रेम के कायिग मों की धमू रहती ह।ै जलु सू ननकाले जाते ह।ैं लाउडस्पीकरों पर दशे भनक्त के गीत बजते ह।ंै हृदय में नवीन उत्साह का सचं ार होता ह।ै उपसंहार- स्वाधीनता का पावन राष्रीय उत्सव हमें यह सदं शे दते ा हैं नक स्वाधीनता अनमोल उपहार ह।ै हमें इसकी रक्षा करने के नलए प्राणपण से प्रयत्न करना चानहए। हमारा यही संकल्प होना चानहए। अमर रहे, स्ितंत्र हमारा युग-युग मुक्त गगन मंे लहरे विजयी विश्व वतरंगा प्यारा। 89
सरं चना की दृवि से अन्य वक्रयाएँ 1. सयं ुक्त वक्रया–जब दो या दो से अनधक नियाओं का प्रयोग नकया जाता ह।ै जसै े- आल्या पत्र नलख चकु ी ह।ै आयनग ने खाना खा नलया। इन वाक्यों मंे दो-दो नियाओं का एक साथ प्रयोग नकया गया ह–ै वलख चुकी तथा खा लेना। इसनलए ये वाक्य संयकु ्त निया से यकु ्त ह।ैं 2. वद्वकमगक वक्रया– जब एक वाक्य मंे दो कमग होते ह।ैं जसै े– रूनच ने नप्रया को पसु ्तक दी। ऐश्वयाग माँ से कं घी करवाती ह।ै इन वाक्यों में दो-दो कमग ह–ंै नप्रया और पसु ्तक, ऐश्वयाग व कं घी। इसनलए ये वाक्य नद्वकमकग ह।ैं 3. प्रेरणाथगक वक्रया- जहाँ की निया नकसी की प्रेरणा से हो रही, हो, उसे प्ररे णाथगक निया कहते ह।ंै जसै े- बच्चा सोता ह।ै 1. माँ बच्चे को सलु ाती ह।ै 2. माँ बच्चे को सलु वाती ह।ै कौन सो रहा ह?ै - बच्चा इसका मतलब हुआ नक दूसरे और तीसरे वाक्य मंे सोना निया नकसी की प्रेरणा से हो रही ह।ै इस तरह दूसरे और तीसरे वाक्य में सोना निया सलु ाना और सलु वाना के रूप में प्रेरणाथगक नियाएँ ह।ंै भेि- सामान्य वक्रया प्रथम प्रेरणाथगक वद्वतीय प्रेरणाथगक जगना जगाना जगवाना बोलना बलु ाना बलु वाना रोना रुलाना रुलवाना सोना सलु ाना सलु वाना दौडना दौडाना दौडवाना खाना नखलाना नखलवाना सीखना नसखाना नसखवाना पीना नपलाना नपलवाना दने ा नदलाना नदलवाना 3. सहायक वक्रया– जब मखु ्य निया के साथ ऐसी निया लग,े जो वाक्य को पणू तग ा द,े जसै े– नदशा नाच रही ह।ै वह रोने लगा। इन वाक्यों में नाच व रोना मखु ्य निया के शब्द हंै लेनकन रही है व लगा निया शब्द मखु ्य निया के साथ लगकर वाक्य को पणू तग ा दते े ह।ैं इसनलए ये सहायक नियाएँ कहलाती ह।ैं 90
अभ्यास कायग (Work Book) पवठत गद्ांश 1. वनम्न पवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। यह तो तमु जानती ही हो नक यह धरती लाखों–करोडों वषग परु ानी है और बहुत नदनों तक इस पर कोई आदमी न था। आदनमयों से पहले नसफग जानवर थे और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था जब इस धरती पर कोई जानदार चीज़ न थी। आज जब यह दनु नया हर तरह के जानवरों और आदनमयों से भरी हईु ह,ै उस ज़माने का ख्याल करना भी मनु श्कल ह,ै जब यहाँ कु छ न था। लने कन नवज्ञान जानने वालों और नवद्वानों ने, नजन्होंने इस नवषय को खबू सोचा और पढा ह,ै नलखा है नक एक समय ऐसा था जब यह धरती बहे द गरम थी और इस पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी। और अगर हम उनकी नकताबंे पढें और पहाडों और जानवरों की परु ानी हड्नडयों को गौर से दखे ें तो हमंे खदु मालमू होगा नक ऐसा समय ज़रूर रहा होगा। प्रश्न- 1. यह पत्र नकसने नलखा ह?ै () अ) गाँधी ने आ) शास्त्री जी ने इ) लाला लाजपतराय ई) जवाहर लाल नेहरू ने 2. यह धरती नकतने वषग परु ानी ह?ै () अ) लाखों–करोडों वषग आ) सौ वषग इ) हज़ार वषग ई) पाचँ हज़ार वषग 3. आदनमयों से पहले कौन थे? उ. __________________________________________________________________ 4. एक समय धरती कै सी थी? उ. __________________________________________________________________ 5. उपयगकु ्त गद्ांश में से यगु्म शब्द पहचाननए। उ. __________________________________________________________________ 6. हमें कै से पता चलता है नक इस धरती पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी। उ. __________________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. नहे रूजी ने अपनी बटे ी को नचरट्ठयों मंे क्या बताने का प्रयास नकया? 2. नेहरू जी ने इनं दरा जी को खत में नकन थोडी सी बातों की जानकारी दी? 3. रोडा अपनी कहानी में क्या बता रहा ह?ै वनबधं लेखन संके त वबंिुओं के आधार पर ‘गणतंत्र वििस’ विषय पर वनबंध वलवखए। 91
सकं े त वबंिु- गणराज्य नदवस की घोषणा, गणततं ्र नदवस मनाने का ढंग, इस नदन का महत्व। व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्यों में संरचना की दृवि से वक्रया के भेि पहचावनए। 1. बाररश हो रही थी। (____________________) 2. स्टेशन से गाडी जा चकु ी थी। (____________________) 3. माली पौधों को पानी दे रहा था। (____________________) 4. रानधका बच्चों से कहानी नलखवा रही थी। (____________________) 2) वनम्नवलवखत वक्रया के भेि से िाक्य बनाइए। 1. सामान्य निया - ______________________________________ 2. प्रेरणाथकग निया - ______________________________________ 3. सयं कु ्त निया - ______________________________________ 4. नाम धातु निया - ______________________________________ 3) वनम्नवलवखत शब्िों की प्रेरणाथगक वक्रया वलवखए। 1. पढना _____. _______ 4. खाना _____. _______ 2. नलख _____. _______ 5. जागना - _____. _______ 3. सोना _____. _______ 4) वनम्नवलवखत िाक्यों में रेखांवकत शब्िों के विलोमाथग पहचावनए। 1. आप अपनी बात नवस्तार से समझाइए न नक 4. महात्मा बदु ्ध का स्वभाव ननदयी नहीं बनल्क दयालु संक्षेप म।ें था। 2. समदु ्र मथं न मंे नवष के साथ अमतृ भी नमला था। 5. सबल मनषु ्य ननबगल की सहायता कर सकता ह।ै 3. नहदं सु ्तान एक बडा दशे है जबनक इगं लंडै एक छोटा-सा टाप।ू 6. मंै सज्जनों की बात कर रहा ह,ँ दजु नग ों की नहीं। 5) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 4. आदमी- _______, _______, ______ 1. कोनशश- _______, _______, ______ 5. रोडा -_____, _______, ______ 2. दनु नया - _______, _______, ______ 6. पहाड - 3. कहानी - _______, _______, ______ 92
6) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग शब्ि वलवखए। 4. गरम - ____________ 1. आशा - ____________ 5. परु ानी - ____________ 2. आनदं - ____________ 6. आबाद- ____________ 3. मनु श्कल - ____________ 7) वनम्नवलवखत शब्िों के प्रत्यय पहचावनए। 4. लढु कता - ____________ 1. जानदार - ____________ 5. नकु ीला - ____________ 2. असली - ____________ 6. चमकदार - ____________ 3. चमकीला - ____________ 8) वनम्नवलवखत शब्िों को िाक्यों मंे प्रयोग कीवजए। ____________ 1. अकसर - ____________ ____________ 2. समदु ्र - ____________ 3. चमकीला - 9) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिलकर वलवखए। 1. रोडा - ____________ 4. हड्डी - ____________ 2. टुकडा - ____________ 5. चट्टान - ____________ 3. नदी - ____________ 6. कहानी - ____________ 10) वनम्नवलवखत िो सरल िाक्यों को सयं ुक्त िाक्य मंे बिलो। 1. मनंै े एक व्यनक्त दखे ा। वह व्यनक्त बहतु लंबा था। उ. ______________________________________________________ 2. छात्रों ने पररश्रम नकया। वे उत्तीणग हो गए। उ. ______________________________________________________ 3. मयकं सदंु र ह।ै वह हसँ मखु भी ह।ै उ. ______________________________________________________ 1. नील गगन () 93
अ) तत्परु ुष समास आ) कमधग ारय समास इ) द्वदं ्व समास ई) नद्वगु समास 2. अकाल पीनडत () अ) द्वदं ्व समास आ) कमधग ारय समास इ) तत्परु ुष समास ई) नद्वगु समास 3. अधं कू प () अ) कमधग ारय समास आ) नद्वगु समास इ) द्वदं ्व समास ई) तत्परु ुष समास 12) वनम्नवलवखत शब्ि समूह के वलए सामावसक शब्ि वलवखए। 1. जो इनतहास से संबनं धत हो () अ) ईनतहानसक आ) ऐनतहानसक इ) इनतहानसक ई) एनतहानसक 2. नजसमंे चमक हो () अ) चमकीला आ) चमकी इ) चम-चम ई) चमकता 3. नगर में रहने वाला () अ) नागर आ) नागरीय इ) नागररक ई) नागरी 13) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे सिगनाम शब्ि पहचावनए। 1. वह दररया के पंेदे में लढु कता रहा। () अ) दररया आ) वह इ) पदें े ई) रहा 2. हमंे और कई बातंे पता चली। () अ) और आ) पता इ) हमंे ई) बातें 3. तमु इनतहास की नकताबंे पढो। () अ) इनतहास आ) नकताबें इ) पढो ई) तमु 14) वनम्नवलवखत िाक्यों में वक्रया शब्ि पहचावनए। () 1. तमु ्हंे बहतु आनदं नमलेगा। अ) तमु ्हें आ) नमलेगा इ) बहुत ई) आनंद 2. कई कहाननयाँ तमु नकताबों मंे पढती हो। () अ) तमु ्हें आ) कहाननयाँ इ) नकताबों ई) पढती 3. एक छोटा-सा रोडा नगरा। () अ) छोटा आ) रोडा इ) नगरा ई) एक 15) वनम्नवलवखत शब्िों के भाषा–भेि बताइए। 1. इगं्लैंड एक छोटा-सा टापू ह।ै () अ) सजं ्ञा आ) सवनग ाम इ) नवशषे ण ई) निया 2. नहन्दसु ्तान बहुत बडा दशे ह।ै () अ) संज्ञा आ) सवनग ाम इ) नवशषे ण ई) निया 3. मैं इलाहाबाद में रहता ह।ँ () अ) सजं ्ञा आ) सवनग ाम इ) नवशषे ण ई) निया कु ल की प्रनतष्ठा भी नवनम्रता और सदव् ्यवहार से होती ह,ै हके डी और रुआब नदखाने से नहीं। - प्रमे चदं 94
अभ्यास प्रश्न पत्र अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया 1. वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। नपछली शताब्दी मंे पत्र लेखन ने एक कला का रूप ले नलया। डाक व्यवस्था के सधु ार के साथ पत्रों को सही नदशा दने े के नलए नवशषे प्रयास नकए गए। पत्र ससं ्कृ नत नवकनसत करने के नलए स्कू ली पाठ्यिमों में पत्र लेखन का नवषय भी शानमल नकया गया। भारत ही नहीं दनु नया के कई दशे ों में ये प्रयास चले और नवश्व डाक संघ ने 16 वषग से कम आयवु गग के बच्चों के नलए पत्र लेखन प्रनतयोनगताएँ आयोनजत करने का नसलनसला सन् 1972 से शरु ू नकया। प्रश्न- 1 पत्र लेखन नकस रूप में आया? 2. पत्रों को स्कू ली पाठयिमों मंे क्यों शानमल नकया गया? 3. नवश्व डाक संघ ने क्या नकया ह?ै 4. यह नसलनसला कब से शरु ू हुआ? 5. ‘दनु नया’ का पयायग वाची नलनखए। अवभव्यवक्त-सजृ नात्मकता 2. वनम्न वलवखत प्रश्नों के उत्तर तीन–चार पवं क्तयों में वलवखए। 1. लडकी के नवचार से चादँ की बीमारी क्यों लाइलाज है? 2. गोल, चमकीले रोडे को यनद दररया और आगे ले जाता तो क्या होता? नवस्तार से नलनखए। 3. वनम्न में से वकसी एक प्रश्न का उत्तर 6-7 पंवक्तयों में िीवजए। 1.'स्वततं ्रता नदवस’ नवषय पर ननबधं नलनखए। (या) 2. बडे भाई की शादी मंे जाने के नलए छु ट्टी मागँ ते हुए कक्षा अध्यापक के नाम छु ट्टी पत्र नलनखए। भाषा की बात 3. वनम्न प्रश्नों के उत्तर सचू ना के अनसु ार वलवखए। 1. नए और-------- ज़माने के बीच मंे बहुत अतं र ह।ै (रेखांवकत शब्ि का विलोम वलवखए।) 2. यह पसु ्तक अक्षरों से बनी ह।ै (िाक्य का प्रश्निाचक रूप वलवखए।) 3. नेहरू जी ने कहा नक तमु इस पत्र को शौक से पढोगी। (िाक्य में वक्रया शब्ि पहचावनए।) 4. भारत में अनेक जानतयाँ ह।ंै (रेखांवकत शब्ि का िचन बिवलए।) 5. परोपकार (शब्ि का सवं ध विच्छेि कीवजए।) 95
इकाई-2 7. पार नज़र के जयंत विष्णु नालींकर अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र में क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र मंे तरकाररयों की दकु ान और दो रोबोट नदखायी दे रहे ह।ैं 2. रोबोट कौन–सी सब्जी खरीि रहा होगा? उ. रोबोट बैंगन खरीद रहा ह।ै 3. तुम्हारे पास रोबोट होता तो तुम क्या-क्या काम करिाते? उ. मरे े पास रोबोट होता तो मैं अपने घर और बाहर के सारे काम–काज करवाऊँ गा। समय नमलेगा तो मैं इसके साथ खले गँू ा भी। = ज़मीन के अदं र का रास्ता A Tunnel Selected 1.सरु ंग Groove 2.चनु नंदा = चनु ा हुआ 3.खाचँ ा = टोकरा 4.ननयतं ्रण = अपने अनधकार मंे रखना Control 5. माहौल = वातावरण Atmosphere 6.लाज़मी = ज़रूरी Necesserily 7.सौरमडं ल = सयू ग जगत या सौर जगत Solar system 96 8.नाममु नकन = असंभव Impossible 9.मशं ा = इच्छा Desire 10. अतं ररक्ष यान = सौर मडं ल का वाहन Space - craft 11. दरु ुस्त = ठीक Exact, correct 12. झापड = थप्पड Slap
मगं ल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के ऊपर ही रहते थे। नकसी तरह के यतं ्रों के , नकसी खास नकस्म की पोशाक के नबना ही वे ज़मीन के ऊपर रहा करते थे। छोटू ने अपनी कहानी कु छ इस तरह बताई। छोटू का पररवार ज़मीन के अदं र रहता था। चदं चनु नदं ा लोग ही सरु ंगनमु ा रास्ते का इस्तेमाल करते थे। छोटू के पापा भी उनमंे से एक थे। नकसी-न-नकसी तरह नसक्योररटी को इस्तेमाल करके छोटू सरु ंग के पास गया और उसने सरु ंग का दरवाजा खोल नलया। छोटू ने सरु ंग मंे प्रवेश नकया। बालक का कद छोटा होने के कारण ननयंत्रण कें द्र में छोटू की तस्वीर खींच ली गई और ख़तरे की सचू ना दे दी गई। नसपाही ने आकर उसे घर वापस छोड नदया। छोटू की परू ी कॉलनी ही ज़मीन के नीचे रहती थी। छोटू के पापा ने उसे समझाकर बताया नक एक समय था जब अपने मगं ल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के ऊपर ही रहते थे। धीरे–धीरे वातावरण में पररवतगन आने लगा। सरू ज में पररवतगन होते ही प्राकृ नतक सतं लु न नबगड गया। अब तकनीकी ज्ञान के आधार पर उन्हंे ज़मीन के नीचे ही अपना घर बना नलया। यंत्र के सहारे हम ज़मीन के नीचे जी रहे ह।ैं एक नदन पापा छोटू को कं रोल रूम में ले गए। वहाँ उन्हंे पता चला नक एक अतं ररक्ष यान नकसी ग्रह व्दारा भजे ा गया है जो उन की जमीन पर उतर रहा था। जब अतं ररक्ष यान से एक हाथ बाहर ननकला। वह जमीन की नमट्टी लने ा चाहता था। सब का ध्यान स्िीन पर था छोटू ने कॉन्सोल पनै ल का बटन दबा नदया। तब तक यतं ्र का हाथ रुक गया और वह बेकार हो गया। उधर पथृ ्वी पर नासा के वजै ्ञाननकों ने कहा नक अतं ररक्षयान का एक हाथ बके ार हो गया था लेनकन नासा के वजै ्ञाननकों को ररमोट कं रोल के सहारे वाइनकं ग को दरु ूस्त करने में सफलता नमल गई थी। यानं त्रक हाथ ने नमट्टी के नमनू े इकट्ठे कर नलए। अब उनका अध्ययन करने से पता चलगे ा नक मगं ल ग्रह पर भी जीव सनृ ष्ट का अनस्तत्व ह।ै यह प्रश्न आज भी एक रहस्य ह।ै 1. तुमने कहाँ की यात्रा की है? उसके बारे मंे वलखो। उ. मनंै े ताजमहल की यात्रा की। हमारी गनमयग ों की छु रट्टयाँ आरंभ हो चकु ी थी। सभी ने नमल बैठकर यह ननश्चय नकया नक यहाँ से आगरा चलगंे ,े वहाँ ताजमहल दखे गें ।े लगातार तीन घटं े की यात्रा कर जब हम आगरा पहचुँ े तो हमारा मन प्रसन्नता से भर उठा। ताजमहल के चारों ओर ऊँ ची दीवार है नजसके कारण इसकी छटा बाहर से नदखायी नहीं दते ी। नटकट लके र हम भीतर गए। रक्षक दल ने मटे ल नडटेक्टर की सहायता से हमारे सामान की जाचँ की और मखु ्य द्वार पार करने की आज्ञा दी। अदं र सफे द संगमरमर का ताजमहल अपनी भव्य छ्टा नबखरे ता नदखाई नदया। यह एक ऊँ चे चबतू रे पर बना हआु है नजस के चारों ओर चार ऊँ ची नमनारें ह।ंै ताजमहल के अदं र नक्काशीदार ममु ताज की कब्र ह।ै रास्ते मंे यात्रा के दौरान नजतनी भी कनठनाई आयी थी वह सब ताजमहल को दखे ते ही नमट गई थी। उसकी सदंु रता का जादू हमारे मन–मनस्तष्क पर छा गया था | 2. लोग यात्रा क्यों करते होंगे? उ. हर रोज़ के काम-काज से आराम पाने के नलए लोग यात्रा करते होंग।े 3. नई जगह पर जाने पर कै से लगता होगा? सोचकर बताइए। उ. नई जगह पर जाने पर मन प्रसन्ननचत्त हो जाता है। क्योंनक लोग नदन के काम-काज से ऊब जाते ह।ै इसनलए नई जगह जाने पर वहाँ के वातावरण से खशु ी नमल जाती ह।ै 97
अवतररक्त प्रश्न 1. कालोनी में प्रबंध सनमनत की सभा क्यों बलु ाई गई? 2. कालोनी की सरु क्षा की नज़म्मदे ारी नकस की थी? तथा उसने क्या कहा? 3. नबं र दो ने क्या कहा? 4. छोटू के पापा नकस पर नज़र रखे हएु थ?े 1. छोटू का पररिार कहाँ रहता था? उ. छोटू का पररवार मगं ल ग्रह पर जमीन के नीचे रहता था। 2. कं रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या िेखा और िहाँ उसने क्या हरकत की? उ. कं रोल रूम में जाकर छोटू ने कॉन्सोल पैनेल पर एक लाल रंग का बटन दखे ा। छोटू ने उस लाल बटन को दबाने की हरकत की। 3. कहानी में अंतररक्ष यान को वकसने भेजा था और क्यों? उ. कहानी मंे कम्प्यटू र के अनसु ार अतं ररक्ष यान को नासा के वजै ्ञाननकों द्वारा छोडा गया ह।ै तानक वह वहाँ से नमट्टी के नमनू े ला सकें तथा उनका अध्ययन करने से पता चलेगा नक मगं ल ग्रह पर भी जीव सनृ ष्ट का अनस्तत्व है या नहीं। अवतररक्त प्रश्न 1. इस पाठ मंे अगं ्रजे ी से सबं नं धत बहतु से शब्द ह।ैं ऐसे शब्दों की सचू ी बनाइए। 2. नजम्मदे ार मंे ‘दार’ प्रत्यय है ‘दार’ प्रत्यय लगा कर अन्य शब्द नलनखए। 3. लंबा से भाववाचक सजं ्ञा लंबाई बनता ह।ै कु छ ऐसे ही शब्द पाठ में ढूनँ ढए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ैं - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करें। अवभव्यवक्त सृजनात्मकता 1. छोटू को सरु ंग मंे जाने की इजाज़त क्यों नहीं थी? पाठ के आधार पर वलवखए। उ. छोटू के नपता ने बताया नक वह क्षते ्र ज़मीन के ऊपर ह।ै वहाँ एक खास नकस्म का सटू पहनकर जाते ह,ंै नजससे उन्हें 98
ऑक्सीजन नमलती है खास नकस्म के जतू ों का इस्तेमाल करते ह।ैं सरु ंग मंे खास नकस्म के यंत्र हंै नजनकी दखे भाल के नलए चंद चनु नदं ा लोग ही इस सरु ंगनमु ा रास्ते का इस्तेमाल कर सकते थ।े इसनलए छोटू को सरु ंग मंे जाने की इजाज़त नहीं थी। 2. इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी साधारण जन-जीिन था। िह सब नि कै से हो गया? इसे वलवखए। उ. इस कहानी के अनसु ार मगं ल ग्रह पर भी कभी साधारण जन-जीवन था। हमारे परु खे ज़मीन के ऊपर रहा करते थे। लने कन धीरे-धीरे वातावरण में पररवतनग आने लगा। सरू ज में पररवतगन हआु था। सरू ज से हमंे रोशनी नमलती थी, ऊष्णता नमलती थी। उन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता था। सरू ज में पररवतनग होते ही प्राकृ नतक का संतलु न नबगड गया था। ये सब नष्ट वातारण के पररवतगन के कारण हुआ। 3. मंगल ग्रह पर जीिन क्यों समाप्त हो गया? उ. पहले मगं ल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन पर ही रहते थे। लने कन वातावरण में तथा सरू ज मंे पररवतगन होते ही प्राकृ नतक सतं लु न नबगड गया। नजससे प्रकृ नत के बदले हुए रूप का सामना करने मंे वहाँ के पश-ु पक्षी, पडे -पौधे, अन्य जीव अक्षम सानबत हुए। इस तरह मगं ल ग्रह पर जीवन समाप्त हो गया। 4. नबं र एक, नंबर िो और नबं र तीन अजनबी से वनबटने के कौन-से तरीके सझु ाये हंै? उ. नंबर एक ने यह तरीका सझु ाया नक अगर ये अतं ररक्ष यान खदु -ब-खदु ज़मीन पर उतरते ह,ंै तो उन्हें बके ार कर दने े की क्षमता हम में अवश्य ह।ै लेनकन हम इससे कु छ जानकारी हानसल नहीं कर सकते। ये के वल यंत्र ह,ैं इनमंे जीव सवार नहीं ह।ै नबं र दो एक वजै ्ञाननक थे। उसने बताया– यंत्रों को बके ार कर दने े में भी खतरा ह।ै इनके बके ार होते ही दसू रे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएगँ े। हमंे के वल इ का अवलोकन करते रहना चानहए। नबं र तीन सामानजक व्यवस्था का काम दखे ता ह।ै उसने कहा–हमंे यहाँ का प्रबधं कु छ इस तरह करना चानहए नक नजससे उन्हें यह गलतफहमी हो नक इस ज़मीन पर कोई चीज़ इतनी महत्वपणू ग नहीं है नजससे वे लाभ उठा सकें । 1. यह कहानी ज़मीन के अंिर की वज़िगी का पता िेती है। ज़मीन के ऊपर मंगल ग्रह पर सब कु छ कै सा होगा? इसकी कल्पना कीवजए और वलवखए। उ. मगं ल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के ऊपर ही रहते होंगे। वहाँ भी पेड-पौधे, जीव-जन्तु रहते होंग।े ननदयाँ-तालाब, झरने होंग।े लोग एक-दसू रे से नमल-जलु कर रहते होंग।े वहाँ भी उद्ोग धंधे होते होंग।े पढने के नलए पाठशालाएँ होंगी। खते ी होती होगी। लोग नकसी तरह के यतं ्रों की मदद के नबना, और नकसी खास नकस्म की पोशाक पहने नबना ज़मीन के ऊपर रहा करते होंग।े 2. मान लो वक तुम छोटू हो और यह कहानी वकसी को सुना रहे हो तो कै से सुनाओगे? सोचो और ‘मंै’ शैली मंे यह कहानी सनु ाओ। 99
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