Hindi Workbook_6_FL.pdf 1 10/18/19 1:08 PM 6 Name: ___________________________________ Section: ________________ Roll No.: _________ School: __________________________________
विषय सूची इकाई क्र.सं पाठ का नाम विधा माह पृष्ठ सं. जनू 5-66 1. साथी हाथ बढाना गीत जनू जलु ाई 67-114 2. बचपन संस्मरण जलु ाई 115-174 I 3. जो दखे कर भी नहीं दखे ते ननबंध जलु ाई अगस्त 175-222 4. अक्षरों का महत्व ननबधं 223-225 अगस्त 225-227 पठन हते ु मैं सबसे छोटी होऊँ कनवता 227-231 5. चाँद से थोडी–सी–गप्पंे कनवता नसतबं र 231-235 6. संसार पसु ्तक है पत्र नसतबं र II. कहानी अक्तू बर 7. पार नज़र के अक्तू बर नवबं र पठन हते ु झाँसी की रानी कनवता नवबं र 8. वन के मागग में कनवता नदसबं र पठन हते ु बाल रामायण उपवाचक III. 9. नादान दोस्त कहानी जनवरी 10. लोकगीत ननबधं फरवरी 11. नटकट–अलबम कहानी फरवरी 12. वह नचनडया जो कनवता माचग IV. 13. ऐसे–ऐसे एकाकं ी 14. नौकर कहानी पठन हते ु साँस-सासँ में बासँ उपवाचक अपनठत गद्ांश अपनठत पद्ाशं ननबधं पत्र 1
विषय-सूची क्र.स.ं पाठ का नाम पाठयांश पृष्ठ संख्या विनांक 1. साथी हाथ बढ़ाना अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 5-8 2 2. बचपन अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 8-10 भाषा की बात 10-12 3. जो िेखकर भी नहीं िेखते अनतररक्त कायग 13-15 अभ्यास प्रश्न पत्र अभ्यास कायग 16-19 अथगग ्राह्यता - प्रनतनिया 20-23 4 अक्षरों का महत्ि अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 23-25 उपिाचक मंै सबसे छोटी होऊँ भाषा की बात 25-26 अनतररक्त कायग 27-30 5. चाँि से थोडी सी गप्पें अभ्यास कायग 31-34 6. ससं ार पसु ्तक है अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 35-37 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 37-40 भाषा की बात 40-41 अनतररक्त कायग 42-45 अभ्यास कायग 46-49 अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 50-50 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता भाषा की बात 51-53 अनतररक्त कायग 54-55 अभ्यास कायग 55-57 पढना-नलखना 58-60 अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 61-64 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 65-66 भाषा की बात 67-69 अनतररक्त कायग 70-71 अभ्यास कायग 71-73 अथगग ्राह्यता - प्रनतनिया 74-76 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 77-80 भाषा की बात 81-83 84-86 86-88
अभ्यास प्रश्न पत्र अनतररक्त कायग 89-90 7. पार नज़र के अभ्यास कायग 91-94 उपिाचक झाँसी की रानी 95-95 8. िन के मागग में अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 96-98 उपिाचक बाल रामायण अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 98-100 9. नािान िोस्त भाषा की बात 100-102 अनतररक्त कायग 103-107 अभ्यास प्रश्न पत्र अभ्यास कायग 108-111 10. लोकगीत पढना-नलखना 112-114 अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 115-118 11. वटकट अलबम अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 118-119 भाषा की बात 119-120 अनतररक्त कायग 121-123 अभ्यास कायग 124-127 पढना-नलखना 128-129 अथगग्राह्यता - प्रनतनिया अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 130-132 भाषा की बात अनतररक्त कायग 133-136 अभ्यास कायग 136-138 139-140 अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 141-145 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 146-146 भाषा की बात 147-149 अनतररक्त कायग 150-151 अभ्यास कायग 151-152 अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 153-154 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 155-159 भाषा की बात 160-163 अनतररक्त कायग 163-165 अभ्यास कायग 165-166 167-169 170-174 3
12. िह वचवडया जो अथगग ्राह्यता - प्रनतनिया 175-178 अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 178-179 13. ऐसे–ऐसे भाषा की बात 179-180 अनतररक्त कायग 181-183 अभ्यास प्रश्न पत्र अभ्यास कायग 184-187 नौकर अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 188-190 14. अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 190-191 भाषा की बात 192-193 उपिाचक साँस-साँस में बाँस अनतररक्त कायग 194-195 अभ्यास कायग 196-200 अपनठत गद्ाशं 201-201 अपनठत पद्ाशं अथगग्राह्यता - प्रनतनिया 202-207 ननबधं अनभव्यनक्त सजृ नात्मकता 207-208 पत्र भाषा की बात 208-209 अनतररक्त कायग 210-215 अभ्यास कायग 216-220 पढना-नलखना 221-222 223-225 225-227 227-231 231-235 4
इकाई-1 1. साथी हाथ बढ़ाना सावहर लवु धयानिी अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र मंे क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र मंे एक बच्चा बढू े आदमी को सडक पार करने में सहायता कर रहा ह,ै लडकी सब्ज़ी बेचने वाली की टोकरी उठाने में सहायता कर रही ह।ै सडक पर बस खडी ह।ै उसमें बस का चालक आनद नदखाई दे रहे ह।ैं 2. हमंे िूसरों की सहायता क्यों करनी चावहए? उ. यनद हम दसू रों की सहायता करंेगे तो भगवान हमारा भला करेंगे और दसू रे भी हमारी सहायता करेंग।े ‘परोपकाराथग इदंु शरीरम।’ 3. तुम वकनकी सहायता करना चाहोगे? उ. हम ननबगल, दुु ःखी, ननसहाय लोगों की सहायता करना चाहगें ।े 1. परबत = पहाड Mountain 2. सीना = छाती Chest 3. साथी = दोस्त Friend 4. बोझ = वज़न Weight 5. फौलादी = लोहे की तरह सख्त Steely 6. मनं ज़ल = लक्ष्य Goal 7. दररया = नदी River 8. सीस = नसर Head 9. नेक = अच्छा Good 10. कतरा = बदँू Blob 11. गरै = पराये Non 12. नकस्मत = भाग्य Luck 5
पद्ांश पढ़कर प्रसंग सवहत भािाथग वलवखए। 1. एक अके ला थक जाएगा, वमलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना हम मेहनत िालों ने जब भी, वमलकर किम बढ़ाया, सागर ने रस्ता छोडा, परबत ने सीस झकु ाया, फौलािी हंै सीने अपने, फौलािी हंै बाँहंे, हम चाहें तो चट्टानों मंे पैिा कर िें राहंे। साथी हाथ बढ़ाना। प्रसगं :- प्रस्ततु पंनक्तयाँ हमारी पाठ्य पसु ्तक बाल-वसतं - 1 के ‘साथी हाथ बढाना’ गीत से ली गई ह।ैं इस गीत के गीतकार सानहर लनु धयानवी ह।ै भािाथग:- इन पनं क्तयों मंे गीतकार ने नमल-जलु कर काम करने की प्ररे णा दी ह।ै गीतकार कहते हैं नक एक अके ला व्यनक्त काम करने से थक जाएगा। हमंे नमलकर काम करना चानहए। हम महे नत करने वाले जब भी नमलकर आगे कदम बढाते हंै तो सागर भी हमारे नलए रास्ता छोड दते ा ह।ै हमारी दृढता के आगे पवतग भी शीश झकु ा दते ा ह।ै हम इतने दृढ ननश्चयी और दृढ संकल्पी हंै नक हमारा सीना और हमारी बाँहंे लोहे की तरह मज़बतू ह।ंै हम महे नत करने वाले चट्टानों से भी रास्ता बना सकते ह।ैं 2. मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना। कल गैरों की खावतर की, आज अपनी खावतर करना। अपना िुुःख भी एक है साथी, अपना सखु भी एक। अपनी मंवज़ल सच की मंवज़ल, अपना रस्ता नेक।। साथी हाथ बढ़ाना। प्रसगं :- प्रस्ततु पनं क्तयाँ हमारी पाठ्य पसु ्तक बाल-वसतं - 1के ‘साथी हाथ बढाना’ गीत से ली गई ह।ंै इस गीत के गीतकार सानहर लनु धयानवी ह।ै भािाथग: गीतकार कहते हैं नक महे नत से हम अपने हाथों की रेखा बदल सकते ह।ंै हमंे महे नत से नहीं डरना चानहए। कल हमने दसू रों के नलए महे नत की थी, आज हमंे अपने नलए महे नत करना ह।ै साथी, हम सभी के सखु और दुु ःख एक ही ह।ंै हम सच की राह पर चलने वाले ह।ंै हम ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाले श्रनमक ह।ैं नमल-जलु कर आगे बढेगं ।े एक से एक वमले तो कतरा, बन जाता है िररया एक से एक वमले तो ज़राग बन जाता है सेहरा एक से एक वमले तो राई, बन सकती है परबत एक से एक वमले तो इसं ाँ, बस मंे कर ले वकस्मत साथी हाथ बढ़ाना। 6
प्रसंग :- प्रस्ततु पंनक्तयाँ हमारी पाठ्य पसु ्तक बाल-वसंत -1 के ‘साथी हाथ बढाना’ गीत से ली गई ह।ंै इस गीत के गीतकार सानहर लनु धयानवी ह।ै भािाथग :- गीतकार का कहना है नक एक–एक बदँू नमलकर नदी बन जाती ह।ै एक-एक ज़राग (कण) नमलकर भी ढेर जमा हो जाता ह।ै राई का एक–एक कण नमलकर भी नवशाल पवतग खडा हो जाता ह।ै यनद हम मनषु ्य भी इसी प्रकार आपस में नमल-जलु कर रहंे तो अपने भाग्य को बस मंे कर सकते ह।ैं इसनलए साथी, हम सब नमलकर आगे बढंे तो बडी-स-े बडी कनठनाई का सामना भी कर सकते ह।ंै 1. ‘सागर ने रस्ता छोडा, परबत ने शीश झुकाया’, इस तरह का काम कब सभं ि हो सकता है? उ. हम महे नत करते हुए नमलकर आगे कदम बढाएगँ े तो सागर भी रास्ता दे दते ा ह।ै बडे-बडे पवगत भी हमारे सामने झकु जाते ह।ंै पररश्रम करने से असभं व काम भी संभव बन जाता ह।ै 2. कवि ने बताया है वक वमल-जुल कर काम करने से कवठन काम भी सरल हो जाता है और हमें सफलता भी वमलती है। आप इस बात पर अपने विचार िीवजए? उ. कनव का कथन सत्य ह।ै एक-दसू रे की सहायता करने से कनठन काम भी सरल हो जाता ह।ै जसै े- राम की वानर सने ा ने रावण को मारने के नलए, सागर में रास्ता बनाने मंे एक-दसू रे की सहायता की। कारनगल यदु ्ध में हमारी सेना ने नमलकर शत्रओु ं को परास्त करके दशे की रक्षा की। 3. गीत में सीने और बाँहों को फौलािी क्यों कहा गया है? उ. फौलाद का अथग है लोहा। हमारे शरीर में सीना और बाँहंे दोनों लोहे की तरह बनकर शारीररक दृढता बढाती ह।ंै सीना और बाँहंे फौलाद बनें तो कनठन कायग भी आसानी से कर सकते ह।ैं इसनलए गीत में सीने और बाँहों को फौलादी कहा गया ह।ै अवतररक्त प्रश्न 1. नमल कर कदम नकसने बढाया? 2. महे नत को लेख की रेखा क्यों कहा गया होगा? 3. क्या राई से पवतग बनाना संभव ह?ै 4. अगर आदमी महे नत न करे तो क्या होगा? 1. नीचे विए िाक्यों में गीत के वजस अितरण का भाि आया है, उसे वलवखए। 1. हमंे मेहनत करने से नहीं डरना चावहए। जब हमारा िेश गुलाम था तब भी हम मेहनत करते थे। लेवकन हमारी मेहनत का फल िूसरे ले जाते थे। अब हमारा िेश आज़ाि है। इसवलए हमें मेहनत करके अपने िेश को आगे बढ़ाना है। अब हम सबका सखु -िुुःख एक है। हम सबकी मवं ज़ल एक ही है। िह है–सच्चाई और सबकी भलाई। उ. मेहनत अपने लखे की रेखा, महे नत से क्या डरना। कल गरै ों की खानतर की, आज अपनी खानतर करना। अपना दुु ःख भी एक है साथी, अपना सखु भी एक, अपनी मनं ज़ल सच की मनं ज़ल, अपना रास्ता नेक। साथी हाथ बढाना। 7
अवतररक्त प्रश्न 1.कनवता का पंनक्तयाँ परू ी कीनजए। एक से एक ----------------------- --------------------------------सेहरा। 2. दशे भनक्त से सबं ंनधत नकसी अन्य कनव की कनवता कक्षा में सनु ाइए। 3. कनवता का सस्वर वाचन कीनजए। अध्यापन सकं े त - सनु नए-बोनलए और पनढए मंे नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करें। अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता 1. कु छ लोग पररश्रम मंे विश्वास रखते हंै और कु छ वकस्मत में… आपका क्या विचार है? उ. मरे ा नवचार है नक हमंे पररश्रम में नवश्वास रखना चानहए। क्योंनक पररश्रम करना ही हमारा धमग ह।ै कु छ लोग पररश्रम न करके भाग्य या नकस्मत के भरोसे बठै जाते ह।ंै अपनी प्रत्यके असफलता का भार नकस्मत पर डाल दते े ह।ैं यनद हम महे नत ही नहीं करेंगे तो हमें सफलता कै से नमलेगी! अगर हम कु छ बीजगें े नहीं तो हमें फल कहाँ से नमलगे ा! इसनलए हमंे पररश्रम पर ही नवश्वास रखना चानहए। 2. ‘साथी हाथ बढ़ाना’ गीत से क्या सीख वमलती है? उ. ‘साथी हाथ बढाना’ गीत से हमें सीख नमलती है नक हमें नमल-जलु कर काम करना चानहए। नमल-जलु कर काम करने से काम का अनधक बोझ महसूस नहीं होता और काम भी जल्दी हो जाता ह।ै नमल-जलु कर काम करने से हम कनठन कायग भी आसानी से कर सकते ह।ैं 3. एकता से कवठन काम भी सरल क्यों हो जाता है? उिाहरण िेते हुए वलवखए। उ. एकता से काम करने से सभी का सहयोग प्राप्त होता ह।ै एकता में शनक्त होती ह।ै कायग आसानी से हो जाता ह।ै उदाहरण- एक गावँ मंे एक नकसान रहता था। उसके तीन बेटे थे। नकसान के बेटे आपस में झगडते थे। नकसान ने उनको एकता का महत्व समझाना चाहा। एक नदन तीनों लडके खते में काम कर रहे थ।े नकसान ने उनको बलु ाया और कहा नक आप एक-एक लकडी लाकर मझु े दीनजए। तीनों लडके एक-एक लकडी लाये। नकसान ने तीनों लडकों को लकनडयाँ तोडने को कहा। तीनों लडके अपनी–अपनी लकडी तोडने में सफल हुए। नकसान ने लकनडयों को एक रस्सी में बाँधकर गठरी तोडने को कहा। सब लडके एक के बाद एक प्रयत्न करने लगे। मगर लकडी का गट्ठर नहीं तोड सके । तब नकसान ने उन्हें समझाया नक यह ह-ै एकता का बल। तब से तीनों भाई नमल-जलु कर रहने लग।े 4. अपने आस-पास वकसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे वमलते-जुलते कु छ और शब्ि खोजकर वलवखए। उ. मैं अपने आस-पास मरे े बचपन के दोस्त रोहन को साथी मानता हँ क्योंनक बचपन से ही हम एक साथ रहे ह।ंै हम एक- दसू रे के स्वभाव से अच्छी तरह पररनचत ह।ंै हम दोनों ने एक-दसू रे की तथा दसू रे लोगों की बहुत सहायता की ह।ै उसके 8
सेवा भाव के कारण तथा अच्छे आचरण के कारण मैं उसे अपना नमत्र मानता ह।ँ मैं अपना परू ा जीवन समाज की भलाई करने में गजु ़ारना चाहता हँ क्योंनक मानव-सेवा ही माधव-सवे ा ह।ै साथी से नमलते-जलु ते अन्य शब्द –सखा वमत्र, िोस्त, मीत आनद ह।ंै 5. ‘अपना िुुःख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक।’ कक्षा, मोहल्ले और गाँि-शहर के वकस-वकस तरह के सावथयों के बीच तुम्हें इस िाक्य की सच्चाई महससू होती है और कै से? उ. कक्षा मंे हम सब छात्र एक-दसू रे का सखु -दुु ःख बाटँ लते े ह।ंै पढाई मंे कोई कनठनाई आती है तो चचाग करके समझ लते े ह।ैं जन्मनदन या कोई भी उत्सव हो, नमल-जलु कर खशु ी से मनाते ह।ंै पडोनसयों के पास, गाँव या शहर में कोई मसु ीबत आती है तो सहायता करने के नलए हम तैयार रहते ह।ैं यनद महु ल्ले में कोई उत्सव मनाते हंै तो तयै ाररयाँ करने मंे साथ दते े ह।ंै 6. इस गीत को तुम वकस माहौल मंे गनु गनु ा सकते हो? उ. इस गीत को हम नकसी भी माहौल मंे गनु गनु ा सकते ह।ैं हमारे नवद्ालय के वानषकग ोत्सव म,ंे नहदं ी नदवस पर, बाल नदवस या दसू रे नकसी भी सासं ्कृ नतक कायगिम मंे भी गनु गनु ाया जा सकता ह।ै 7. ‘एक अके ला थक जाएगा, वमल कर बोझ उठाना।’ क) तुम अपने घर मंे इस बात का ध्यान कै से रख सकते हो? उ. मरे े माता-नपता दोनों काम करते ह।ंै मंै घर मंे अपने माता-नपता की सहायता करके , अपना काम स्वयं करके इस बात का ध्यान रखता हँ नक मरे े माता–नपता पर मरे े काम का अनतररक्त बोझ न पडे। ख) पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं? उ. माँ घर के सारे काम जसै े खाना बनाना, घर साफ करना, बच्चों को पाठशाला भजे ना सब काम करती ह।ै पापा सबु ह से शाम तक कायागलय में काम करके आते ह।ैं बाजार से सामान लाते हंै तथा हमंे पढाई में मदद करते ह।ंै बच्चों की व घर की सभी नज़म्मदे ाररयाँ माँ और पापा ही ननभाते हैं। ग) क्या िे एक–िूसरे का हाथ बटँ ाते हैं? उ. माँ और नपताजी एक-दसू रे की मदद करते ह।ंै घर के काम मंे नपताजी सहायता करते ह,ैं तो नपताजी की आवश्यकताओं को परू ा करने में माँ उनकी सहायता करती ह।ै 8. यवि तुमने ‘नया िौर’ वफल्म िेखी है तो बताओ वक यह गीत वफल्म मंे कहानी के वकस मोड पर आता है? यवि तुमने वफल्म नहीं िेखी है तो वफल्म िेखो और बताओ। उ. ‘नया दौर’ नफल्म में यह गीत नदलीप कु मार और वजै यतं ीमाला द्वारा गावँ में सडक बनाते समय नफल्माया गया ह।ै जब नदलीप कु मार अके ले ही सडक बनाने के नलए हनं सया और फावडा लेकर ननकल पडते ह,ैं तब सभी गावँ वाले उनकी सहायता करने के नलए आगे आते ह।ंै 9
1. एक छोटी–सी कहानी वलवखए, वजसमंे एक–िूसरे को सहयोग करने की घटना हो। उ. एक गावँ मंे एक बडा तालाब था। उसमंे एक मगरमच्छ रहता था। तालाब के पास ही एक पेड था, उस पर एक वानर रहता था। उस पडे पर जामनु के फल लगे थ।े एक बार गावँ के लोगों ने पेड के सब फल तोड नलए। वानर को बहतु भखू लगी थी। उसने चारों ओर नज़र घमु ायी तो उसे तालाब के दसू रे नकनारे पर फलों से भरे पडे नदखाई नदए। उसको एक उपाय सझू ा, उसने मगर को बताया। मगर ने अपने बच्चों को बलु ाया। वानर उसके बच्चों की पीठ पर चढते हएु एक-दो- तीन-चार नगनता हआु दसू रे नकनारे पर पहचुँ गया। वह फल खाकर खशु हो गया। मगर ने वानर की सहायता करके अपनी नमत्रता ननभाई। 1. मानिता, भाईचारा एिं सहयोग की भािना बढ़ाने के वलए हमें क्या करना चावहए? अपने विचार वलवखए। उ. मानवता, भाईचारे एवं सहयोग की भावना बढाने के नलए, हमंे मसु ीबत आने पर एक-दसू रे की मदद करनी चानहए। कोई भी बडा काम हो तो हमें नमलकर करना चानहए। क्योंनक नमल-बाँटकर काम करने से बोझ हल्का हो जाता ह।ै 1. बातचीत करते समय हमारी बातें हाथ की हरकत से प्रभािशाली होकर िूसरे तक पहुचँ ती हंै। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे से भी कु छ कहा जा सकता है। नीचे वलखे हाथ के इशारे वकन अिसरों पर प्रयोग होते हंै? वलवखए। 1. पछू ते हाथ - पछू ने के नलए 5. जोश नदखाते हाथ - जोश 2. बलु ाते हाथ - बलु ाना 6. समझाते हाथ - समझाना 3. मना करते हाथ - अस्वीकार 7. चते ावनी दते े हाथ - चेतावनी दने ा 4. आरोप लगाते हाथ - आरोपण भाषा की बात 1. अके ला चना भाड नहीं फोड सकता। एक और एक वमलकर ग्यारह होते हंै। क) ऊपर वलखी कहाितों का अथग गीत की वकन पंवक्तयों से वमलता–जुलता है? उ. एक अके ला थक जाएगा, नमलकर बोझ उठाना। 10
ख) इन िोनों कहाितों का अथग कहाित–कोश मंे िेखकर समझो और उनका िाक्यों मंे प्रयोग कीवजए। उ. अके ला चना भाड नहीं फोड सकता। समाज के नलए कोई काम करना है तो अके ला आदमी नहीं कर सकता ह।ै नमलकर करने से काम जल्दी हो जाता ह।ै इसनलए कहते हैं नक अके ला चना भाड नहीं फोड सकता। एक और एक वमलकर ग्यारह होते हंै। नमल-जलु कर काम करने से असंभव काम भी संभव हो जाता ह।ै इसनलए कहते हैं नक एक और एक ग्यारह होते ह।ैं 2. नीचे हाथ से सबं ंवधत कु छ मुहािरे विए हैं। इनके अथग समझो और प्रत्येक मुहािरे से िाक्य बनाओ - क) हाथ को हाथ न सझू ना = कु छ नदखाई न दने ा उ. नबजली जाने पर इतना अधं ेरा हो गया नक नकसी को हाथ को हाथ ना सझू रहा था। ख) हाथ साफ करना = चोरी करना उ. कल रात चोर घर मंे घसु कर नतजोरी पर हाथ साफ करके गया। ग) हाथ-परै फू लना = भय से काँपना उ. रात के अधं ेरे मंे डर के मारे मरे े हाथ-परै फू लने लग।े घ) हाथों-हाथ लेना = स्वीकार करना उ. मनंै े अपने पररवार की सेवा करने का भार हाथों हाथ नलया। ङ) हाथ लगना = नमलना उ. मनैं े नपता जी से सौ रुपये मागँ े, मगर पाचँ सौ रुपये मरे े हाथ लग गये। 1. हाथ और हस्त एक ही शब्ि के िो रूप हैं। नीचे विए शब्िों में हस्त और हाथ वछपे हैं। शब्िों को पढ़कर बताइए वक हाथों का इनमंे क्या काम है– 1. हाथघडी - हाथ मंे पहनने वाली घडी 5. ननहत्था - नबना हनथयार के 2. हथौडा - हाथ में लेकर पत्थर तोडने का आयधु 6. हथकं डा - हाथ से नकया गया पंैतरा 3. हस्तनशल्प - हाथ से बनायी गई कला 7. हस्ताक्षर - हाथ से नलखा गया नाम 4. हस्तक्षपे - नकसी भी नवषय में हाथ रखना 8. हथकरघा - कपडा बनु ने का करघा 2. इस गीत मंे परबत, सीस, रस्ता, इसं ाँ जैसे शब्िों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्िों के प्रचवलत रूप वलवखए। उ. 1.परबत - पवतग 3. रस्ता - रास्ता 2. सीस - शीश 4. इसं ाँ - इन्सान 3. ‘कल गैरों की खावतर की, आज अपनी खावतर करना’, इस िाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है- (तमु ने) कल गरै ों की खानतर (महे नत) की, आज (तुम) अपनी खानतर करना। इस वाक्य में ‘तमु ’ कत्ताग है जो गीत की पंनक्त मंे छंद बनाए रखने के नलए हटा नदया गया ह।ै उपयकगु ्त पनं क्त में रेखांनकत शब्द ‘अपनी’ का प्रयोग कत्ताग तुम के नलए हो रहा ह,ै इसनलए यह सवनग ाम ह।ै ऐसे सवनग ाम जो अपने आप के बारे में बताएँ, वनजिाचक सिगनाम कहलाते ह।ंै (ननज का अथग अपना होता ह।ै ) ननजवाचक सवनग ाम के तीन प्रकार होते हैं जो नीचे नदए वाक्यों में रेखांनकत ह।ैं 11
उ. 1) मंै अपने आप (या आप) घर चली जाऊँ गी। 2) बब्बन अपना काम खदु करता ह।ै 3) सधु ा ने अपने नलए कु छ नहीं खरीदा। 4. अब तुम भी वनजिाचक सिगनाम के वनम्न वलवखत रूपों का िाक्यों मंे प्रयोग करो। उ. 1. अपने को - मंै इस गलती के नलए अपने आप को क्षमा नहीं कर सकता। 2. अपने से - वह अपने से कभी कोई काम नहीं करता ह।ै 3. अपना - वह अपना काम करते ह।ैं 4. अपने पर - राजू को अपने पर घमडं ह।ै 5. अपने नलए - सीमा अपने नलए एक टोकरी भी नहीं लाती। 6. आपस मंे - हमंे आपस मंे नमल-जलु कर रहना चानहए। 1. हाँ ( ) नहीं ( × ) क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ 1. गीत गा सकता ह।ँ सनु ा सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस स्तर की कनवताओं का भाव पढकर समझ सकता ह।ँ 3. इस स्तर के गीतों की भाव सनहत व्याख्या कर सकता ह।ँ 4. गीत के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. गीत के शब्दों से नयी कनवता नलख सकता ह।ँ इस पाठ में मैंने नए शब्ि सीखे - 12
अवतररक्त कायग अपवठत पद्ांश 1. वनम्नवलवखत अपवठत पद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। पल-पल हर पल बढते जाना, फल-फू लों के पेड लगाना, बढ-बढ कर ना बात बनाना, भले काम तमु करते जाना। प्रश्न- 1. कब बढते जाना ह?ै उ. हर पल बढते जाना ह।ै 2. नकस के पडे लगाना ह?ै उ. फल-फू लों के पेड लगाने ह।ैं 3. कै सी बात नहीं करनी चानहए? उ. बढ–बढ कर बात नहीं करनी चानहए। 4. कै से काम करना ह?ै उ. भले काम करना ह।ै 5. भले का नवलोम क्या ह?ै उ. भला बरु ा प्रश्नोत्तर 1. जीिन मंे सफलता वकस प्रकार प्राप्त की जा सकती है? उ. नकसी भी सफल व्यनक्त के पीछे उसकी महे नत नदखाई दते ी ह।ै कु छ लोग महे नत नहीं करते और सफलता की उम्मीद रखते ह।ैं लेनकन यह सभं व नहीं ह।ै मेहनत द्वारा ही हम सफलता प्राप्त कर सकते ह।ंै 2. आलसी लोग वकसके भरोसे बैठते हंै? उ. आलसी लोग नकस्मत के भरोसे बैठते ह।ैं वे अकसर अपने भाग्य को ही दोष दते े ह।ंै अपने जीवन को नकस्मत के सहारे छोडना बहतु गलत बात ह।ै नकस्मत के भरोसे कोई भी आगे नहीं बढ सकता ह।ै 13
कविता सृजन लखे न-ससं ार में कनवता सबसे नभन्न एवं सबसे आकषकग लेखन कला ह।ै कनवता लेखन में भाषा के सभी ननयमों के बंधन के स्थान पर भावना का सहारा नलया जाता ह।ै शब्दों के भावनात्मक जाल को बनु कर ऐसा शब्द भडं ार तैयार नकया जाता ह,ै नजसे पढकर मन प्रसन्न हो जाता ह।ै कनवता मानव की भावनाओं और कल्पनाओं का ताना-बाना ह।ै कनवता नलखते समय ननम्न नलनखत बातों पर ध्यान दने ा चानहए। 1. सच्ची भावनाओं को अनभव्यक्त करें। 2. प्रभावशाली शब्दों का प्रयोग करें। 3. कनवता नलख कर बार-बार पढें। 4. तकु ांत शब्दों का प्रभावशाली ढगं से प्रयोग करंे। 5. अनं तम पंनक्तयों मंे कोई सदं शे द।ंे कविता लेखन का उिाहरण वन में वकृ ्षों की हररयाली। पशओु ं की भी शान ननराली। जगं ल में जब शरे दहाडे। वन मंे डर के बजे नगाडे। शब्ि भेि व्याकरण या भाषा मंे प्रयोग के आधार पर शब्िों के िो भेि हंै। 1. विकारी 2. अविकारी 1. विकारी - वे शब्द नजनका रूप अथानग सु ार बदलता रहता ह,ै विकारी शब्द कहलाते ह।ंै जैसे घोडा-घोडे, पतु ्र-पतु ्री आनद। नवकारी शब्दों के चार भदे ह,ैं जो इस प्रकार ह–ैं सजं ्ञा, सवनग ाम, नवशषे ण, निया। 2. अविकारी शब्ि - वे शब्द नजनका रूप वाक्यों में नकसी भी अवस्था मंे नहीं बदलता अविकारी शब्ि कहलाते ह।ैं अनवकारी शब्दों के चार भदे ह–ैं निया नवशषे ण, सम्बन्ध बोधक, समचु ्चय बोधक, नवस्मयानद बोधक। 1. सजं ्ाुः– नजस शब्द से नकसी वस्त,ु स्थान, भाव, मनषु ्य के नाम का बोध हो, उसे संज्ा कहते ह।ंै जसै े मजे ़, नहमालय, नमठास, नववके ानन्द आनद। संज्ञा के पाचँ भदे ह-ैं व्यनक्तवाचक, जानतवाचक, भाववाचक, द्रव्य वाचक, समहू वाचक। 2. सिगनामुः- जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग मंे लाए जाते हैं उन्हंे सिगनाम कहा जाता ह।ै संज्ञाएँ सबका नाम होती ह,ैं नकं तु सवनग ाम प्रत्यके नाम के स्थान पर प्रयकु ्त होता ह।ै जसै े- 1. राम पाठशाला गया। 2. राम (वह) पसु ्तकंे लके र गया। दसू रे वाक्य में राम पसु ्तकंे लके र गया, नहीं नलखा जाता। अथातग ् राम के स्थान पर िह का प्रयोग होता ह।ै 14
सिगनासमिकगने ाछमुः भेि है संज्ञा के स्थान पर प्रयकु ्त होने वाले शब्द को सवनग ाम कहते ह।ंै संज्ञा की पनु रुनक्त को दरू करने के नलए ही सवनग ाम का प्रयोग नकया जाता ह।ै जसै े-म,ंै हम, त,ू तमु , वह, यह, आप, कौन, कोई, जो आनद। वनजिाचक प्रश्निाचक संबंधिाचक अपना, स्वयं कौन, नकसने हम अपना काम परू ा करंेग।े चाँद पर कौन जा सकता ह?ै जो, वो, जसै ा- वसै ा जो बोएगा, िही पाएगा। हम स्ियं आगे बढगें ।े वकसने सरु क्षा की ह?ै जैसा राजा, िैसी प्रजा। अवनश्चयिाचक वनश्चयिाचक पुरुषिाचक कोई, कहाँ, कु छ यह, वह, ये, वे हम, तमु , वह, उनका राजा से कोई बात नहीं नछपती। यह कृ नत्रम उपग्रह ह।ै मंै राजा का मतं ्री ह।ँ ये तमु ्हारी पसु ्तकें ह।ैं तू बहुत बनु द्धमान ह।ै बाहर कोई ह।ै िह नगर जा रहा ह।ै 1. परु ुषिाचक सिगनामुः जो सवनग ाम शब्द नकसी परु ुष के नाम के स्थान पर प्रयकु ्त होते ह,ंै वे पुरुषिाचक सिगनाम कहलाते ह,ैं जसै े– म,ंै तमु , वह आनद। परु ुषवाचक सवनग ाम बोलने वाले, सनु ने वाले और नजसके नवषय में कु छ कहा जाए– इन तीनों का बोध करवाते ह।ंै इस प्रकार परु ुषवाचक सवगनाम के ननम्ननलनखत तीन भदे हैं – 1. उत्तम परु ुष– बोलने या बातचीत करने वाला व्यनक्त नजस सवनग ाम शब्द का प्रयोग अपने नलए करता ह,ै वह उत्तम पुरुष कहलाता ह।ै जसै े- म,ंै मझु ,े मरे ा, हम, हम,ें हमारा आनद। उदाुः - मैं जा रहा ह।ँ 2. मध्यम परु ुष– जो सवनग ाम शब्द सनु ने वाले के नलए प्रयकु ्त नकया जाता ह,ै उसे मध्यम पुरुष कहते ह,ैं जसै े– त,ू तरे ा, तमु , तमु ्हारा, आप, आपका। उदाुः - तमु क्या कर रहे हो? 3. अन्य परु ुष– जो सवनग ाम शब्द वक्ता नकसी अन्य के नलए प्रयकु ्त करता ह,ै वह अन्य परु ुष कहलाता ह,ै जसै े– वह, व,े उसका, उसकी, उनकी, उनसे आनद। उदाुः- वह कौन ह?ै 2. वनश्चयिाचक सिगनामुः- जो सवनग ाम शब्द नननश्चत रूप से नकसी सजं ्ञा शब्द के स्थान पर प्रयकु ्त होते ह,ंै वे वनश्चयिाचक सिगनाम कहलाते ह,ैं जसै े– यह घर रमशे का ह।ै 3. अवनश्चयिाचक सिगनामुः- जो सवनग ाम शब्द नकसी अनननश्चत संज्ञा के स्थान पर प्रयकु ्त होते ह,ैं उन्हें अवनश्चयिाचक सिगनाम कहा जाता ह,ंै जसै े– बाहर कोई आया ह।ै 4. संबधं िाचक सिगनामुः- नजन सवनग ाम शब्दों का प्रयोग वाक्य में प्रयकु ्त संज्ञा या सवनग ाम से संबंध बताने के नलए नकया जाए, उन्हंे संबधं िाचक सिगनाम कहते ह,ंै जसै े–जो बरु ा काम करेगा िो सज़ा पाएगा। 5. प्रश्निाचक सिगनामुः- जो सवनग ाम शब्द प्रश्न-रूप में नकसी संज्ञा शब्द के स्थान पर प्रयकु ्त होते ह,ैं वे प्रश्निाचक सिगनाम कहलाते ह,ैं जसै े- िह आदमी क्या बेच रहा ह?ै 6. वनजिाचक सिगनामुः- नजन सवनग ाम शब्दों को कत्ताग अपने नलए प्रयोग करता ह,ै उन्हें वनजिाचक सिगनाम कहते ह,ंै जसै े- स्नहे ा ने कहा नक मंै यह कायग स्ियं करँूगी। 15
अभ्यास कायग (Work Book) 1. वनम्न पवठत पद्ांश का सप्रसंग भािाथग वलवखए। एक से एक नमले तो कतरा, बन जाता है दररया, एक से एक नमले तो ज़राग बन जाता है सहे रा। एक से एक नमले तो राई बन सकती है परबत, एक से एक नमले तो इसं ाँ बस मंे कर ले नकस्मत। प्रश्नोत्तर 1. वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. अपना बोझ नकसी दसू रे पर लादना कहाँ तक उनचत ह?ै 2. ‘नया दौर’ कनवता से आपको क्या नशक्षा नमलती ह?ै 3. ‘साथी हाथ बढाना’ कनवता का सारांश नलनखए। कविता- लेखन वनम्न सकं े त वबंिुओंके आधार पर प्रकृ वत से सबं ंवधत कविता वलवखए। ( बादल, बाररश, इन्द्रधनषु , गगं ा, चातक) व्याकरण 1) वनम्नवलवखत खाली स्थानों मंे उपयुक्त सिगनाम शब्ि भररए। क) ………….. प्रथम श्रणे ी में उत्तीणग हुआ ह,ै इसनलए उसे आज परु स्कृ त नकया जाएगा। ख) कृ पया …………. मरे े पास बैठंे। ग) यह तस्वीर ………………. बनाई ह?ै 2) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे आए सिगनाम पिों के भेि वलवखए। वाक्य सवनग ाम के भदे वह जो धीरे-धीरे चल रही ह,ै दीपक की माँ ह।ै ज़ोर-ज़ोर से कौन बोल रहा ह?ै जसै ी करनी, वसै ी भरनी 3) सही सिगनाम शब्िों का प्रयोग करके िाक्य बनाइए। क) मझु को चाय पीनी ह।ै उ. ________________________________ 16
ख) उन्होंने बाज़ार जाना ह।ै उ. ______________________________________ ग) हमारे को सामान लने ा ह।ै उ. ______________________________________ 4) वनम्नवलवखत शब्िों के तत्सम रूप वलवखए। 1. परबत - ___________ 4. सौख्य - ___________ 2. इसं ाँ - ___________ 5. आग - ___________ 3. रस्ता - ___________ 6. आम - ___________ 5) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिवलए।बंि कर दीनजए। 1. चट्टान - ___________ 4. मनं ज़ल- ___________ 2. राह - ___________ 5. कतरा - ___________ 3. रेखा - ___________ 6. साथी - ___________ 6) वनम्नवलवखत शब्िों का वभन्नाथी वलख कर िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. हार : हार : 2. वार : वार : ( ________ ) - _________________________________________________ 3. रस: ________ ) - _________________________________________________ रस : ________ ) - _________________________________________________ 7) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 1. हाथ – __________________, __________________, __________________ 2. डर - __________________, __________________, __________________ 3. मनं ज़ल - __________________, __________________, _________________ 4. साथी - __________________, __________________, __________________ 5. महे नत - __________________, __________________, __________________ 6. आज़ाद - __________________, __________________, __________________ 8) वनम्नवलवखत िाक्यांशों के वलए एक शब्ि वलवखए। 1. नजसे जीता न जा सके – __________________ 2. उपकार को मानने वाला – __________________ 17
3. आकाश मंे नवचरने वाला – __________________ 4. महे नत करने वाला – __________________ 5. नजसकी नकस्मत अच्छी हो – __________________ 6. जो फौलाद की तरह हो – __________________ 9) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग वलवखए। 1. साथ - 4. गरै - 2. बढना - 5. नेक - 3. महे नत - 6. एक - 10) कविता में आए तुकांत शब्ि वलवखए। 1. बढाना - _________________ 4. एक - _________________ 2. बाँहें - _________________ 5. दररया- _________________ 3. डरना - _________________ 6. नकस्मत- 11) वनम्नवलवखत िाक्यों में सजं ्ा शब्ि पहचावनए। 1. चारमीनार हदै राबाद शहर मंे ह।ै ( ) ) अ) हदै राबाद, चारमीनार आ) में इ) है ई) शहर ) 2. मरे ी कलम नीली नहीं ह।ै ( ) ) अ) मरे ी आ) कलम इ) नीली ई) नहीं ) 3. मरे ी पसु ्तक मंे हाथी का नचत्र ह।ै ( ) ) अ) मरे ी आ) मंे इ) है ई) पसु ्तक, हाथी 12) वनम्नवलवखत िाक्यों में सिगनाम शब्ि पहचावनए। ( 1. हम महे नत करने वाले ह।ैं अ) महे नत आ) करने इ) वाले हंै ई) हम 2. मंै बाज़ार जा रहा ह।ँ ( अ) मंै आ) बाज़ार इ) हँ ई) रहा 3. मरे ी माता जी खाना बना रही ह।ंै ( अ) खाना आ) मरे ी इ) बना ई) रही 13) वनम्नवलवखत मुहािरों का सही अथग पहचावनए। 1. हाथों–हाथ लने ा – ( अ) बहुत नप्रय आ) सहायता करना इ) भाग जाना ई) स्वागत करना 2. आखँ ों का उजाला – ( अ) सहायता करना आ) बहतु नप्रय इ) स्वागत करना ई) भाग जाना 18
3. नौ दो ग्यारह होना – () ई) भाग जाना अ) बहुत नप्रय आ) सहायता करना इ) स्वागत करना () 14) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे विशेषण शब्ि पहचावनए। () () 1. वह महे नती लडका ह।ै () अ) वह आ) महे नती इ) लडका ई) है () ई) कनठन () 2. यह रास्ता कनठन ह।ै ई) रही अ) रास्ता आ) यह इ) है 3. अपना इरादा नेक ह।ै अ) इरादा आ) नेक इ) अपना 15) वनम्नवलवखत िाक्यों को नकारात्मक बनाने के वलए सही शब्ि चुवनए। 1. एक अके ला थक जाएगा। अ) मत आ) न इ) नहीं ई) रही 2. साथी हाथ बढाना। इ) बना ई) मत अ) न आ) नहीं 3. वहाँ से जाना। अ) नहीं आ) मत इ) बना ई) न एकता का नकला सबसे सरु नक्षत होता ह।ै न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दखु ी होता ह।ै - अज्ञात 19
इकाई-1 2. बचपन कृ ष्णा सोबती अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न - 1. वचत्र मंे क्या-क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र में दादी बच्चों कोई कहानी सनु ाती हुई नदखाई दे रही ह।ंै उनके पीछे पेड और झोंपडी भी नदखाई दे रही ह।ै 2. बच्चे कहानी सुनना क्यों पसंि करते हंै? उ. कहानी सनु ने से बच्चों को आनदं आता ह।ै कई कहाननयाँ नशक्षाप्रद होती हैं नजनसे बच्चों में पररवतनग आने लगता है। इसनलए बच्चे कहानी सनु ना पसदं करते ह।ंै 3. नानी या िािी को इतनी अवधक कहावनयाँ कै से याि रहती होंगी? उ. नानी या दादी अपने जीवन से जडु ी घटनाओं को बचपन से ही याद रखती ह।ंै इसनलए उन्हें कहाननयाँ याद रहती ह।ैं 1. सयाना = बढू ा, वदृ ्ध Grown up 5. आश्वासन= नवश्वास नदलाना Assurance 2. महससू = 6. नज़म्मवे ार= नज़म्मदे ार Responsible 3. शताब्दी = आभास, अहसास Feeling 7. दोहराना = दबु ारा कहना to repeat 4. नतरछी = सौ साल Hundred years 8. इलाज = नचनकत्सा Treatment टेढी Curve 20
‘बचपन’ ससं ्मरण में लेनखका कृ ष्णा सोबती हमें अपने बचपन की ओर ले जाती ह।ैं इस ससं ्मरण के माध्यम से लेनखका अपने बचपन के समय और वतमग ान समय के बीच में आए अतं र को बता रही ह।ंै वशे -भषू ा, खान-पान, रहन-सहन में आए पररवतगन लेनखका बता रही ह।ैं लने खका कहती हैं नक वे नपछली शताब्दी मंे पदै ा हुई थी। इसनलए स्वयं को कु छ सयाना महससू करने लगी ह।ंै पहले वे नीले जामनु ी, ग्रे, काल,े चॉकलेटी आनद रंग-नबरंगे कपडे पहनती रही, नकं तु अब हलके या सफे द रंग के कपडे पहनने की इच्छा होती ह।ै नपछले दशकों में फ्रॉक, स्कटग, लहगँ े, अब चडू ीदार और घरे दार कु ते ह।ंै समय के अनसु ार पहनावे में भी पररवतगन आ गया ह।ै लेनखका कहती है नक उन्हें अपने बचपन के मोज़े और स्टॉनकं ग भी याद है जो उन्हंे खदु ही धोने पडते थ।े नौकर या नौकरानी को धोने की सख्त मनाही थी। इतवार की सबु ह सभी बच्चे मोज़े धोने के बाद, पॉनलश से अपने जतू े चमकाने मंे लग जाते थ।े अब तो नई, नकस्म के जतू े आ चकु े ह।ैं जो आरामदहे तो हैं ही, लेनकन पहनने से छाले ज़रूर आ जाते ह।ंै जतू ा चभु ते ही मोज़े के अदं र रुई लगाना, छाले का इलाज करना शरु ू हो जाता था। लने खका के बचपन से अब तक काफी पररवतगन आ चकु े ह।ंै लेनखका कहती हैं नक हर शननवार उन्हें ऑनलव ऑयल या कै स्टर ऑयल ज़रूर पीना पडता था, नजसकी गधं सबु ह से ही नाक में आने लगती। लेनखका बताना चाहती हंै नक उनके समय और हमारे समय की बचपन की नदलचनस्पयाँ नकतनी बदल गई ह।ैं जसै े उन नदनों के ग्रामोफोन आज के रेनडयो और टेलीनवज़न म,ें कु ल्फी आइस्िीम म,ें शहततू , फाल्से और खसखस के शरबत, कोक-पपे ्सी में बदल गए ह।ंै लेनखका नशमला और नई नदल्ली के वगें सग और डेनवको रेस्तराँ की चॉकलटे और पेस्री, नशमला मॉल की ब्राउन ब्रेड और नगरजा मदै ान आनद को भी याद करती ह।ैं रात को खाना खाने के बाद नबस्तर पर लेटकर मज़ा लेकर चॉकलटे खाना आननं दत करता था। नशमला के खट्टे-मीठे, लाल–गलु ाबी, रसभरे काफल के बारे में सोचकर ही लने खका के महँु में पानी आ जाता ह।ै चसे ्टनट, चने ज़ोर गरम, अनारदाने का चणू ,ग चना-पापडी आनद मज़े से खाना, नशमला मंे घडु सवारी करना, रंग-नबरंगे गबु ्बारे, जाखू का पहाड, ऊँ चा चच,ग चचग की घनं टयों की गजँू , सयू ागस्त का अदभ् तु दृश्य, स्कैं डल पॉइटं की भीड का कोलाहल आनद का स्मरण लेनखका को आज भी आत्मनवभोर कर दते ा ह।ै नपछली सदी में नशमला–कालका रेन तेज़ रफ़्तार वाली गाडी थी। नदल्ली में आकाश मंे उडने वाले हवाई जहाज़ की आवाज़ सनु कर बच्चों का दौडना, नफर हवाई जहाज़ का अदृश्य हो जाना भी लेनखका को याद आता ह।ै लेनखका अपने चश्मे पहनने के पहले नदन को याद करती हुई कहती है नक–छोटे-बडे सब उनकी ओर दखे कर नचढाने लगते, नकन्तु लोग दधू पीने की नहदायत भी दे जाते थ।े लने खका के चचरे े भाई ने नचढाते हुए कहा नक– “आखँ पर चश्मा लगाया, तावक सझू े िूर की यह नहीं लडकी को मालूम सरू त बनी लंगरू की। ” लने खका स्वयं को आईने के सामने लगातार ऐनक पहनकर और उतारकर दखे ती रही नक- क्या वे सचमचु लगं रू लग रही ह।ै लेनकन अब तो यह चश्मा चहे रे के साथ घलु –नमल गया ह।ै इसके नबना चहे रा खाली-खाली सा लगता ह।ै लेनखका अब दपु ट्टों की जगह नहमाचली रंगीन टोनपयाँ पहनने लगी ह।ैं 21
1. तुम्हें बचपन कै सा लगता है? उ. मझु े बचपन बहतु प्यारा और अच्छा लगता ह।ै बचपन बहुत सहु ाना, यादगार, मौज-मस्ती से भरा होता ह।ै इसनलए मझु े बचपन प्यारा और अच्छा लगता ह।ै 2. अपने बचपन की कोई मीठी याि सुनाइए। उ. मंै अपने बचपन में रोता था, तो माँ अपना काम छोडकर गोद मंे उठा लते ी थी। दादा जी चँदा मामा नदखाते थे। घर के सब सदस्य मरे ी मसु ्कु राहट दखे कर बहुत खशु होते थे। यही मरे ी मीठी यादें ह।ैं 3. बचपन की याि बार-बार क्यों आती हंै? सोवचए और बताइए। उ. बचपन मंे नज़द्द करना, शोर मचाना, प्यार जताना, खले ना-कू दना सभी कु छ बहुत अच्छा लगता था। नकसी प्रकार की कोई नचतं ा नहीं रहती थी। यही सब बातंे हमें बचपन की याद बार-बार नदलाती ह।ैं अवतररक्त प्रश्न 1 1. इस पाठ में लने खका पररवार के नकन-नकन सदस्यों के नामों से जानी जा सकती ह?ै 2 2. लेनखका ने अपने पहनावे के बारे मंे क्या बताया ह?ै 3. स्कंै डल पॉइटं की दकु ान पर लेनखका ने क्या दखे ा था? 4. आजकल छोट-छोटे बच्चों को अकसर चश्मे लग जाते ह,ैं इसका कारण क्या हो सकता ह?ै 1. लेवखका बचपन में इतिार की सुबह क्या-क्या काम करती थी? उ. लेनखका बचपन मंे इतवार की सबु ह मोज़े धोती थीं। यह काम नौकर या नौकरानी को नहीं नदए जा सकते थे। इसकी सख्त मनाही थी। मोज़े धोने के बाद जतू े पॉनलश करके चमकाना आनद काम भी नकया करती थी। 2. ‘तुम्हें बताऊँ गी वक हमारे समय और तुम्हारे समय मंे वकतनी िूरी हो चुकी है’, इस बात के वलए लेवखका क्या- क्या उिाहरण िेती है? उ. लेवखका का समय प्रस्तुत समय 1. ग्रामोफोन 1. रेनडयो और टेलीनवजन 2. कचौडी–समोसा 2. पैटीज 3. शहततू , फाल्से के शरबत 3. कोक-पपे ्सी 4. रोटी 4. पीज़ा, बगरग 5. सबे 5. नडू ल्स इस तरह लने खका के समय मंे और आधनु नक समय में चीज़ों के उपयोग मंे बहुत ही अतं र नदखाई पडता ह।ै 22
3. लेवखका ने शनीचर शब्ि का प्रयोग शवनिार के वलए वकया है। उस विन िह क्या करती थी? उ. लने खका को शनीचर के नदन ऑनलव-ऑयल या कै स्टर-ऑयल पीना पडता था। यह उनके नलए मनु श्कल काम था। शनीचर को सबु ह से ही नाक मंे इसकी गधं आने लगती थी। अवतररक्त प्रश्न 1. इस पाठ में खट्टे-मीठे जसै े यगु्म शब्द आए ह।ंै ऐसे ही शब्द पाठ में ढूढँ कर नलनखए। 2. रेन, मॉल नवदशे ी शब्द हंै इसी तरह के नवदशे ी शब्दों को रेखानं कत कीनजए। 3. इसके अलावा क्या होगा हाँ जब पहली बार मनंै े चश्मा लगाया तो मरे े चचेरे भाई ने मझु े छेडा दखे ो दखे ो कै सी ल कै सी लग रही है (इस वाक्य मंे उनचत जगह नवराम नचह्नों का प्रयोग कीनजए।) अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए मंे नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करंे। अवभव्यवक्त सृजनात्मकता 1. पाठ से पता करके वलवखए वक चश्मा क्यों लगाना पडा? चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर वचढ़ाते थे? उ. लेनखका इसके नलए स्वयं को नज़म्मदे ार मानती थी क्योंनक वह नदन की रोशनी को छोडकर रात मंे टेबल लपैं के सामने काम करती थी, इसनलए उन्हंे चश्मा लगाना पडा। उनके चचेरे भाई लने खका को इस तरह नचढाते थे नक– दखे ो-दखे ो कै सी लग रही ह।ै आखँ पर चश्मा लगाया तानक सझू े दरू की यह नहीं लडकी को मालूम सरू त बनी लगं रू की। 2. लेवखका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीज़ंे मज़ा ले-लेकर खाती थी? उनमें से कु छ फलों के नाम वलवखए। उ. लने खका अपने बचपन में कु ल्फी, कचौडी- समोसा, लेमनेड, बेंगसग, डेनवको रेस्तराँ की चॉकलेट, पेस्री, ब्राउन ब्रेड, टॉफी आनद चीज़ें मज़ा ले-लेकर खाती थी। शहतूत काफल, चेसटनट और फाल्से कु छ फलों के नाम ह।ैं 3. चने के बारे में लेवखका ने क्या कहा है? उ. लने खका को ज़ोर गरम चने और अनारदाने का चणू ग खाना पसदं था। कागज़ों से बनाई हईु पनु डया नीचे से नतरछी लपटे ते हुए ऊपर से इतनी चौडी है नक चने आसानी से हथेली पर पहचुँ जाते। कु छ बच्चे पनु डया पर तजे ़ मसाला डलवाते। परू ा नगरजा मदै ान घमू ने तक यह पनु डया चलती रहती। चना ज़ोर गरम बाबू मैं लाया मज़दे ार, चना ज़ोर गरम - नफल्म का गाना बच्चों को भी आता था। 23
4. लेवखका ने इस संस्मरण में सरिर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोवशश की है, लेवकन सरिर का कोई पररचय नहीं विया गया है। अऩुमान लगाओ वक सरिर कौन हो सकता है? उ. सरवर, स्कैं डल पॉइटं के ठीक सामने उन नदनों एक दकु ान हआु करती थी, नजसके शोरूम मंे नशमला-कालका रेन का मॉडल बना हआु था। इसकी पटररयाँ उस पर खडी छोटे-छोटे नडब्बों वाली रेन। एक ओर लाल टीन की छत वाला स्टेशन और सामने नसग्नल दते ा खबं ा – थोडी दरू पर बनी सरु ंग।ें 5. अपने बचपन के बारे में वलवखए। उ. बचपन मंे बच्चों का जीवन बहतु प्यारा होता ह।ै बडों का लाड-प्यार, सानथयों की हसँ ी-नठठोली, रूठना-मनाना सब बहुत अच्छा लगता था। नयी–नयी चीज़ों के बारे मंे कई सवाल पूछना। पश-ु पनक्षयों को पहचानना, अक्षरों की पहचान, तरह-तरह के पकवान, चॉकलेट-टॉनफयाँ, खले -कू द और मन चाही पसु ्तक पढना, बहाने बनाना बचपन का सब कु छ याद आता ह।ै बडों का आदर करना, भली-बरु ी बातंे बडों द्वारा समझाना, नानी-दादी से कहाननयाँ सनु ना, भाई–बहनों से खले ना, लडना आनद अच्छा लगता ह।ै पाठशाला की पढाई, अच्छाई–बरु ाई की सीख, दोस्तों की सहायता आनद बचपन मंे अच्छा लगता ह।ै आखँ पर चश्मा लगाया, तानक सझू े दरू की यह नहीं लडकी को मालमू , सरू त बनी लगं रू की। (तमु भी इसी तरह की कविता वलवखए।) (ननदशे ुः- छात्र स्वयं करंेग।े ) सभु द्राकु मारी चौहान की यह कविता भी पवढ़ए। बार-बार आती है मझु को, मधरु याद बचपन तरे ी। गया ले गया तू जीवन की, सबसे मस्त खशु ी मेरी।। कृ ष्णा सोबती की रचनाओंका बचपन आपको कै सा लगा? वमत्र को पत्र वलखकर बताइए। स्थान- ............ नदनाकं - ............ नप्रय नमत्र संजय, सप्रेम नमस्ते। मैं यहाँ कु शल ह।ँ आशा है तमु भी कु शल होंगे। इस वषग हमारे नहन्दी पाठ्यिम में कृ ष्णा सोबती की बचपन की नवशेषताएँ बतायी गयी। मझु े बहतु अच्छा लगा। उन्हीं नवशेषताओं के कु छ नवषय यहाँ नलख रहा ह।ँ कृ ष्णा सोबती बचपन में रंग-नबरंगी फ्राक, ननकर– वॉकर, स्कटग, लहगँ े आनद पहनती थी। उनके घर मंे मोजे नौकर–नौकरानी को न दके र खदु धोये जाते थ।े हफ़्ते मंे एक बार, जतू े पानलश करना, जो अब भी करना उन्हें पसंद था। उन्हंे हर शननवार को आनलव-ऑयल या कै स्टर–ऑयल पीना पडता था। वे अपने ज़माने की और अब हमारे जीवन के खाने की चीज़ों के अतं र बताती ह।ै गरम चने और अनारदाने का चणू ,ग चने की पनु डया नतरछी– से लपेटते हएु ऊपर से इतनी चौडी जो हम हाथ रखकर ले सकंे , भाप से बनी रेलगाडी के इजं नों से लके र आजकल की नबजली से 24
चलने वाली रेल तक हमें याद नदलाती ह।ंै खासकर एक बात जब उनको पहली बार चश्मा आया था। चश्मा इसनलए आया था क्योंनक वे सब काम टेबल लपंै के नीचे ही करती थी न नक नबजली की बत्ती के नीचे। उनका चचरे ा भाई नचढाने लगा नक दखे ो-दखे ो कै सी लग रही ह,ै आँख पर चश्मा लगाया, तानक सझू े दरू की, पर नहीं लडकी को मालमू , सरू त बनी लगं रू की। पहले तो कृ ष्णा सोबती डर गयी, पर जब आइने मंे दखे ा तो उन्हंे बरु ा न लगा। आजकल वे दपु ट्टे छोडकर नशमला मंे नसर पर टोपी पहनती ह।ैं इनकी बचपन की नवशेषताएँ सनु कर मुझे भी अपनी बचपन की यादंे ताज़ा हो गयी। आशा है यह पत्र तमु ्हें अच्छा लगा होगा। जल्द ही पत्र नलखना। तमु ्हारे माता–नपता को मेरा प्रणाम कहना। तमु ्हारा नमत्र, रनव पताुः सजं य कु मार वमा,ग घ.न.ं 1-3/7-101, गांधी नगर, हदै राबाद। भाषा की बात 1. लेवखका चॉकलेट मज़े से खाती थी। तुम कौन-सी चीज़ंे मज़े से खाते हो? उ. मैं लड्डू, समोसा, पसे ्री, चॉकलटे –टॉफी, गलु ाब जामनु , रेवनडयाँ, पीज़ा, बगरग आनद मज़े से खाता ह।ँ 2. शुरू-शुरू मंे चश्मा लगाना बडा अटपटा लगा। रेखांवकत शब्ि का पयागयिाची वलखकर िाक्य वलवखए। उ. अटपटा – अजीब – उसका पहनावा मझु े अटपटा लगता ह।ै 1. नियाओं से भी भाववाचक सजं ्ञाएँ बनती ह।ैं जसै े- मारना मे मार, काटना से काट, हारना से हार, सीखना से सीख, पलटना से पलट और हडपना से हडप आनद भाववाचक संज्ञाएँ बनी ह।ंै आप भी इस ससं ्मरण से कु छ नियाओंको छाटँ कर नलनखए और इनसे भाववाचक सजं ्ञा बनाइए। वक्रया भाििाचक सजं ्ा 1. हसँ ना हसँ ी 3. सीना नसलाई 2. जीतना जीत 4. पढना पढाई 2. चार नदन, कु छ व्यनक्त, एक लीटर दधू आनद शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो, तो पता चलगे ा नक इसमें चार, कु छ और लीटर शब्द से सखं ्या या पररमाण का आभास होता ह,ै क्योंनक ये संख्यािाचक विशेषण ह।ै इसमें भी चार नदन से नननश्चत संख्या का बोध होता ह।ै इसनलए इसको वनवश्चत संख्यािाचक विशेषण कहते हैं और कु छ व्यनक्त से अनननश्चत सखं ्या का बोध 25
होने से इसे अवनवश्चत संख्यािाचक विशेषण कहते ह।ैं इसी प्रकार एक लीटर दधू से पररमाण का बोध होता ह,ै इसनलए इसे पररमाणिाचक विशेषण कहते ह।ंै अब तुम नीचे वलखे िाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेिों को वलवखए। क) मझु े दो दज़नग के ले चानहए। - नननश्चत संख्यावाचक नवशषे ण ख) दो नकलो अनाज दे दो। - नननश्चत संख्यावाचक नवशषे ण ग) कु छ बच्चे आ रहे ह।ैं - अनननश्चत सखं ्यावाचक नवशषे ण घ) सभी लोग हसँ रहे थे। - अनननश्चत सखं ्यावाचक नवशषे ण ङ) तमु ्हारा नाम बहुत सदंु र ह।ै - नननश्चत सखं ्यावाचक नवशेषण 3. कपडों में मेरी विलचवस्पयाँ मेरी मौसी जानती थी। इस वाक्य में रेखांनकत शब्द नदलचनस्पयाँ और मौसी संज्ञाओं की नवशषे ता बता रहे ह,ंै इसनलए ये सािगनावमक विशेषण ह।ैं सवनग ाम कभी-कभी नवशषे ण का काम भी करते ह।ंै पाठ में से ऐसे पाचँ उदाहरण छाँटकर नलनखए। क) मैं तमु ्हारी दादी भी हो सकती ह,ँ तमु ्हारी नानी भी। ख) कहाँ दपु ट्टों का ओढना और कहाँ सहज सहल सभु ीते वाली नहमाचली टोनपयाँ। ग) हर शनीचर को हमें ऑनलव ऑयल या कै स्टर ऑयल पीना पडता था। घ) मरे े पास ही चॉकलेट-टॉफी का स्टॉक रहता। ङ) छु टपन मंे हमने नशमला ररज पर बहतु मज़े नकए ह।ंै क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के भाव के बारे मंे बातचीत कर सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों मंे नलख सकता ह।ँ 4. पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. पाठ के आधार पर अनभनय कर सकता ह।ँ इस पाठ में मंैने नए शब्ि सीखे - 26
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. ‘बचपन’ ससं ्मरण मंे लेवखका कृ ष्णा सोबती हमंे क्या बताना चाहती हंै? उ. ‘बचपन’ संस्मरण मंे लेनखका कृ ष्णा सोबती हमंे अपने बचपन की ओर ले जाती ह।ैं इस ससं ्मरण के माध्यम से लेनखका अपने बचपन के समय और वतमग ान समय के बीच में आए अतं र को बता रही ह।ैं वशे -भषू ा, खान-पान, रहन-सहन मंे आए पररवतगन लेनखका बता रही ह।ंै 2. लेवखका वकस प्रकार के कपडे पहनती थी? उ. लने खका पहले रंग-नबरंगे कपडे पहनती थी। जसै े नीले-जामनु ी-ग्रे-काले चॉकलेटी आनद। नफर उन्होंने हल्के और सफे द रंग के कपडे पहनने शरु ू कर नदए। उन्होंने नपछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी ह।ैं पहले फ्रॉक, नफर ननकर-वॉकर, स्कटग, लहगँ े और अब चडू ीदार और घरे दार कु ताग पहनती ह।ैं पत्र लेखन पत्र-लेखन का अथग- अपने मन के भाव नकसी नवनशष्ट व्यनक्त को नलनखत रूप में व्यक्त करने की निया को ’पत्र-लेखन’ कहते ह।ंै हमारे दनै नक जीवन मंे पत्रों का नवशषे महत्व होता ह।ै अपनी अनेक समस्याओं का ननराकरण हम पत्रों द्वारा सरलतापवू कग कर सकते ह।ंै अतुः नवदय् ानथगयों को पत्र–लखे न अवश्य आना चानहए। पत्रों के भेि: - आवश्यकताओं के आधार पर पत्रों के चार भदे ह-ंै 1. पाररिाररक पत्र: - अपने पररवार के सदस्यों, सम्बनन्धयों, ररश्तेदारों को नलखे गए पत्र इस श्रणे ी मंे आते ह।ंै 2. अवधकाररक पत्र:-अनधकाररयों को नलखे जाने वाले पत्र, जसै े–आवदे न, प्राथनग ा तथा नशकायती पत्र इस श्रेणी मंे आते ह।ैं 3. व्यािहाररक पत्र: - बधाई पत्र, अनभनंदन पत्र, ननमतं ्रण पत्र, प्रामानणक तथ्यों पर आधाररत पनु ष्ट–पत्र इस श्रेणी मंे आते ह।ैं 4. व्यापाररक पत्र : - व्यापार से सबं ंनधत सभी पत्र इस श्रणे ी मंे आते ह।ैं पत्र के विवभन्न अंग : - पत्र नलखते समय ननम्ननलनखत बातों का नवशषे ध्यान रखना चानहए। 1. प्रषे क का पणू ग पता। 2. पत्र प्रने षत करने की नतनथ। 3. प्रशनस्त ( पत्र पाने वाले के पद के अनसु ार) 4. अनभवादन ( पत्र पाने वाले के वगग व आयु के अनसु ार) 5. वतृ ्तान्त ( पत्र का मखु ्य भाग) 6. पत्र की समानप्त 7. पत्र पाने वाले का पणू ग पता 8. संबधं , सबं ोधन, अनभवादन तथा पत्र के अतं मंे नलखे जाने वाले शब्दों के कु छ उदाहरण इस प्रकार ह।ैं 27
संबंध सबं ोधन अवभिािन अंत मंे वलखे जाने िाले अपने से बडों के नलए शब्ि नमत्रों या बराबर वालों के पजू ्य, पजू नीय, आदरणीय, चरण स्पश,ग नमस्कार, सादर आपका नप्रय पतु ्र, पतु ्री, नलए मान्यवर, श्रदध् ेय, माननीय प्रणाम भवदीय, कृ पाकाकं ्षी, स्नहे ाकांनक्षणी नप्रय नमत्र/बधं /ु बहन, नमस्ते/नमस्कार, सप्रमे आपका नमत्र, अनजु , भाई, नप्रयवर, बंधवु र नमस्ते आपकी सखी, बहन अपने से छोटे के नलए नप्रय रमण (नाम), नचरंजीव रहो, शभु ाशीष, शभु नचंतक, शभु ाकाकं ्षी, नचरंजीव,आयषु ्मान, आशीवादग , प्रसन्न रहो शभु चे ्छु , नहतैषी पररनचत या अपररनचत आयषु ्मती ( नाम) अनधकारी के नलए नप्रय महोदय, महोदय, नमस्ते, नमस्कार आपका,भवदीय, भवदीया मान्यवर पत्र-लेखन बीमारी के कारण अिकाश हेतु प्रधानाध्यापक जी को प्राथगना–पत्र वलवखए। स्थान - - - - - - - - - नदनाकं - - - - - - - - - सवे ा में, श्रीमान मखु ्याध्यापक जी, ____________नवद्ालय, _______________। श्रीमानजी, ननवदे न है नक मझु े कल रात को अकस्मात बखु ार हो गया था जो अभी तक उतरा नहीं। डॉक्टर साहब ने मझु े पणू ग नवश्राम करने की सलाह दी ह।ै इस कारण मंै आज और कल दो नदन स्कू ल मंे उपनस्थत नहीं हो सकती। अतुः कृ पा करके मझु े दो नदन का अवकाश दके र कृ ताथग करें। धन्यवाद सनहत। आपकी आज्ञाकारी नशष्या, नाम - ______________ कक्षा - _______________ अनिु मांक - ___________ 28
विशेषण विशेषण– संज्ञा अथवा सवनग ाम शब्दों की नवशेषता बताने वाले शब्द नवशेषण कहलाते ह।ैं जसै े- ऊँ चा, मोटा, काला, कु छ, संदु र, नवशाल। 1. विशेषण और विशेष्य – नजन शब्दों की नवशषे ता बताई जाती ह,ै उन्हें विशेष्य कहते ह,ंै तथा नजससे नवशषे ता की जाती है उसे नवशेषण कहते ह।ैं जसै े – यह कमीज़ नीली ह।ै इस वाक्य में नीली नवशषे ण है और कमीज़ नवशषे ्य ह।ै विशेषण के चार भेि हैं- विशेषण गणु िाचक पररमाणिाचक संख्यािाचक सािगनावमक 1. सनी सरल स्वभाव का ह।ै 1. इस बोतल मंे दो लीटर दधू ह।ै 2. मरे ी कलम काले रंग की ह।ै 2. वहाँ ढरे सारा अनाज ह।ै 3. बडा पत्थर खरु दरा ह।ै 3. मझु े थोडा सा पानी दो। 1. एक दजनग के ले ले आना। 1. यह नकताब ले जाओ। 2. धोनी ने आज शतक लगाया। 2. कोई आदमी नमलने आया ह।ै 3. कु छ बच्चे खले रहे ह।ंै 3. वह व्यनक्त व्यवहार कु शल ह।ै 1. गणु िाचक विशेषण – सजं ्ञा या सवनग ाम के गणु -दोष या रूप-रंग का बोध करवाने वाले शब्दों को गुणिाचक विशेषण कहते ह,ंै जसै े – सदंु र, कु रूप, अच्छा, मधरु , सफे द आनद। जसै े- 1.राधा सदंु र लडकी ह।ै 2.यह नबल्ली काली ह।ै 2. सखं ्यािाचक विशेषण – संज्ञा या सवनग ाम की नननश्चत अथवा अनननश्चत सखं ्या का बोध करवाने वाले शब्दों को संख्यािाचक विशेषण कहते ह,ैं जसै े – एक, दो, तीन, दस, बीस नननश्चत सखं ्यािाचक विशेषण ह।ंै अनके , कम, अनधक अनननश्चत सखं ्यािाचक विशेषण ह।ंै 3. पररमाणिाचक विशेषण – सजं ्ञा या सवनग ाम के पररमाण का बोध करवाने वाले शब्दों को पररमाणिाचक विशेषण कहते ह,ंै जैसे – राम ने उस नदन दो नकलो नमठाई खरीदी। दकु ानदार ने कु छ सीमटें हमारे यहाँ भजे ा। 29
विशेषुः सजं ्ञा या सवनग ाम के नननश्चत माप-तोल बताने वाले शब्दों को वनवश्चत पररमाणिाचक विशेषण कहते ह,ैं जैसे – पाचँ नकलो आटा। सजं ्ञा या सवनग ाम शब्दों के अनननश्चत माप-तोल को बताने वाले शब्द अवनवश्चत पररमाणिाचक विशेषण कहलाते ह,ैं जैसे – कु छ आम। 4. सािगनावमक विशेषण – जो सवनग ाम पद संज्ञा से पहले उसके नवशेषण के रूप में प्रयकु ्त होते ह,ंै वे सािगनावमक विशेषण कहलाते ह।ंै सावनग ानमक नवशषे ण को संके तवाचक नवशषे ण भी कहा जाता ह,ै जसै े – यह, वह, व,े कौन, जो, नजन आनद। सािगनावमक विशेषण और सिगनाम में अंतर - सावनग ानमक नवशषे ण सजं ्ञा शब्दों से पहले प्रयकु ्त होते ह।ैं जबनक सवनग ाम सदवै संज्ञा के स्थान पर उसकी अनपु नस्थनत मंे ही प्रयकु ्त होते ह।ैं जसै े – 1. वह आया ह।ै (सवनग ाम) वह लडका आया ह।ै (सावनग ानमक नवशेषण) 2. यह यहाँ बठै ा ह।ै (सवनग ाम) यह बच्चा यहाँ बैठा ह।ै (सावनग ानमक नवशषे ण) विशेषणों की रचनाुः नवनभन्न शब्द–भदे ों से नवशेषणों की रचना की जा सकती ह।ै 1. सजं ्ा शब्िों से विशेषण शब्ि बनाना- सजं ्ा विशेषण सजं ्ा विशेषण मानवीय ग्राम ग्रामीण मानव भारतीय ससं ार सासं ाररक भारत विशेषण 2. सिगनाम शब्िों से विशेषण शब्ि बनाना- पढाकू नबकाऊ सिगनाम विशेषण सिगनाम बहना बहाव पढना खाना खाऊ बेचना चलना चलाऊ 30
अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश वनम्न वलवखत अपवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। साहस की नज़दं गी सबसे बडी नज़दगी होती ह।ै ऐसी नज़दगी की सबसे बडी पहचान यह है नक वह नबल्कु ल ननडर और नबल्कु ल बेखौफ होती ह।ै साहसी मनषु ्य की पहली पहचान यह है नक वह इस बात की नचंता नहीं करता नक तमाशा दखे ने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहें ह।ैं जनमत की उपके ्षा करने वाला आदमी दनु नया की असली ताकत होता है और मनषु ्यता को प्रकाश भी साहसी आदमी से नमलता ह।ै अडोस–पडोस को दखे कर चलना साधारण जीव का काम ह।ै िांनतकारी लोग ननडर हो कर अपने लक्ष्य को परू ा करते ह।ैं प्रश्न - 1. साहसी की नज़दं गी कै सी होती ह?ै () अ) तमाशा आ) डर कर जीना इ) बडी ई) ननडर और नबल्कु ल बेखौफ इ) बच्चे की ई) स्त्री की 2. सबसे बडी नज़दं गी नकसकी होती ह?ै () अ) डरपोक की आ) साहसी की 3. साहसी मनषु ्य की पहचान क्या ह?ै उ. _____________________________________________________________ 4. दनु नया की असली ताकत क्या ह?ैं उ._____________________________________________________________ 5. मनषु ्यता को प्रकाश नकस आदमी से नमलता ह?ै उ._____________________________________________________________ 6. गद्ाशं मंे से यगु्म शब्द चनु कर वाक्य बनाइए। उ._____________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. शनीचर वार को लने खका को सबसे मनु श्कल काम कौनसा नदखता था? 2. लेनखका हफ़्ते में नकतनी बार चॉकलटे खरीदती थी? 3. लने खका का बचपन नकस प्रकार बीता? 31
पत्र- लेखन अपने हॉस्टल की विनचयाग के बारे में बताते हुए वपताजी को पत्र वलवखए। व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्यों से विशेषण शब्िों को छाँटकर वलवखए। 1. मझु े नमकीन रोटी अच्छी लगती ह।ै उ. 2. भारतीय स्वभाव से दयालु होते ह।ंै उ. 3. उस व्यनक्त को यहाँ बलु ाइए। उ. 4. कौन लोग आए ह?ैं उ. 2) वनम्नवलवखत िाक्यों में विशेषण तथा विशेष्य शब्ि पहचानकर वलवखए। 1. तजे ़ रफ़्तार वाली गाडी वही थी। उ. ______________, ______________ ) 2. रमण ने कु छ अच्छी पसु ्तकंे ली। उ. _____________, ______________ ) 3. कृ ष्णा सोबती बचपन में रंग-नबरंगी फ्राक पहनती थी। उ. ______________, ______________ ) 4. राके श पररश्रमी लडका ह।ै उ. (________ ) 3) वनम्नवलवखत िाक्यों के विशेषण के भेि वलवखए। 1. बतनग मंे पाँच लीटर दधू ह।ै उ. 2. राजू का जीवन बहतु ईमानदार रहा ह।ै उ. 3. हफ़्ते मंे एक बार चॉकलेट खरीदा। उ. 4. कु छ बच्चे पनु डया पर तजे ़ मसाला बरु कवात।े उ. 4) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 1. सबु ह – 4. रात – 2. कपडा – 5. नज़र – 3. गधं – 6. स्कू ल – 5) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोम शब्ि वलवखए। 1. बचपन – 4. मनु श्कल – 2. नीचे – 5. चढाई – 3. अच्छा – 6. नपछ्ली – 32
6) वनम्नवलवखत शब्िों के युग्म शब्ि वलवखए। 1. रंग – 4. भाई – 5. गाना – 2. पहनना – 6. भारी – 3. हमारे – 7) वनम्नवलवखत शब्िों के पुनरुवक्त शब्ि वलवखए। 4. छोटे – 5. थोडी – 1. तरह – 6. शरु ू – 2. अपने – 3. बडा – 8) वनम्नवलवखत शब्िों के वचन बदलकर िलिखए। 4. आइना - 1. जतू ा - 5. ऐनक - 2. मोज़ा - 6. घंटी - 3. गाडी़ - 4. जीजा - 9) वनम्नवलवखत शब्िों के वलंग बिवलए। 5. चाचा - 1. दादा - 6. कनव - 2. नाना - 3. मौसा - 10) वनम्नवलवखत शब्िों को िाक्यों में प्रयोग कीवजए। ई) पर () ई) लोग () 1. कोलाहल 33 2. महँु में पानी भर आना 3. आश्वासन दने ा 4. सयू ागस्त 11) वनम्नवलवखत िाक्यों में वक्रया शब्ि पहचावनए। 1. फ्रॉक पर फर टंकी थी। अ) फ्रॉक आ) टंकी इ) फर 2. सभी लोग जीजी कह कर पकु ारते ह।ैं अ) सभी आ) जीजी इ) कह कर, पकु ारते
3. हमें अपने मोज़े खदु धोने पडते थ।े () ई) धोने अ) मोज़े आ) अपने इ) खदु 12) वनम्नवलवखत िाक्यों में से विशेषण शब्ि पहचावनए। 1. शाम को रंग-नबरंगे गबु ्बारे खरीदत।े ( ) ) अ) शाम आ) खरीदते इ) रंग-नबरंगे ई) गबु ्बारे ) इ) गाडी ( 2. नपछली सदी मंे तेज़ रफ़्तार वाली गाडी वही थी। इ) दरू ई) वही अ) तेज़ आ) नपछली ( 3. घर ज्यादा दरू नहीं था। ई) नहीं अ) हमारा आ) ज्यादा 13) वनम्नवलवखत शब्िों की भाििाचक संज्ा पहचावनए। 1. बच्चा () () अ) बचपन आ) बनच्चयाँ इ) बच्चे ई) बच्ची () ई) बढू े 2. बढू ा ई) पढो अ) बढू ी आ) बनू ढया इ) बढु ापा 3. पढना अ) पढते आ) पढाई इ) पढाते 14) वनम्नवलवखत शब्िों से प्रत्यय अलग कीवजए। ई) बच () 1. बचपन ई) आई () अ) पन आ) ब इ) बचप ई) कम () 2. उतराई अ) ई आ) उतर इ) उत 3. कमतर अ) तर आ) कमत इ) कमत 15) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे रेखांवकत शब्ि पहचावनए। 1. आम खट्टे-मीठे ह।ैं () () अ) पनु रुनक्त आ) यगु्म इ) संज्ञा ई) सवनग ाम () इ) संज्ञा ई) सवनग ाम 2. दरू -दरू फै ले पहाडों पर बफग जमी थी। इ) सजं ्ञा ई) यगु्म अ) पनु रुनक्त आ) यगु्म 3. मझु े सब छोटे-बडे नचढाने लगत।े अ) पनु रुनक्त आ) सवनग ाम अनभु व की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते ह,ंै वे पसु ्तकों और नवश्वनवद्ालयों मंे नहीं नमलत।े - अज्ञात 34
इकाई-1 3. जो िेखकर भी नहीं िेखते हेलन के लर अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र मंे क्या विखाई िे रहा है? उ. नचत्र में एक नेत्रहीन मनहला कु त्ते को पकडकर, उसके स्पशग का अनभु व करती हुई नदखाई दे रही ह।ै 2. इस वचत्र को िेखकर आपके मन में क्या विचार आ रहे हैं? उ. इस नचत्र को दखे कर हमारे मन में भी जानवरों के प्रनत सहानुभनू त की भावना उत्पन्न होती ह।ै 3. यवि यह िेख नहीं सकती तो उसे कु त्ते को स्पशग करते समय क्या आभास हो रहा होगा? उ. कु त्ते को स्पशग करते समय मनहला को कोमलता और गमी का आभास हो रहा होगा। 1. अचरज = आश्चयग Wonder 2. आशीवादग = आशीष Blessings 3. सवं दे ना = दुु ःख की भावना Feeling of pain 4. टहनी = पेड की ऊँ ची शाखा Branch 5. मौसम = वातावरण Season 6. मगु्ध = आत्मनवभोर (प्रसन्न) Captivate ‘जो दखे कर भी नहीं दखे ते’ संस्मरण की लेनखका हले ेन के लर ह।ै दखे ने और सनु ने में सक्षम न होने पर भी नवश्वभर मंे घमू -घमू कर अपने जसै े लोगों के अनधकारों और नवश्वशानं त के नलए हले ने ने सराहनीय काम नकया ह।ै उनकी आत्मकथा “स्टोरी ऑफ लाइफ” का नवश्व की लगभग सभी भाषाओं में अनवु ाद हआु ह।ै हले ने के लर का मानना है नक नजनकी आखँ ें होती हंै वे लोग दखे कर भी कु छ नहीं दखे ते। एक नदन उन्होंने अपने नमत्र से पछू ा नक जगं ल की सरै करते समय आपने क्या-क्या दखे ा? नमत्र का उत्तर था- कु छ खास नहीं। हले ने को अचरज हुआ नक जगं ल मंे घमू कर भी कोई नवशषे चीज़ कै से नहीं नदखाई दते ी। वे नेत्रहीन होकर भी सैकं डों रोचक चीज़ें छू कर 35
पहचान लते ी ह।ंै भोज-पत्र के पडे की नचकनी छाल, चीड की खरु दरी छाल को वो स्पशग से ही पहचान लते ी ह।ैं वसंत मंे टहननयों में नई कनलयाँ खोजना, फू लों की पखं नु डयों की मखमली सतह छू ना, उनकी घमु ावदार बनावट को महससू करना, इन सब में उन्हें प्रकृ नत के जादू का अहसास होता ह।ै टहनी पर हाथ रखते ही नचनडया के मधरु स्वर का कानों मंे गजँू ना, अपनी अगँ नु लयों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महससू करना इन सबसे वे बहुत आननं दत हो उठती ह।ंै चीड की फै ली पनत्तयाँ, बदलते हएु मौसम का समाँ उनके जीवन को नए रंगों और खनु शयों से भर दते ा ह।ै हले ने का मन इन सनु ्दर चीज़ों को दखे ने के नलए मचल उठता ह।ै नजन्हंे छू ने से ही उन्हें खशु ी नमलती ह,ै उनकी सदंु रता दखे कर हले ने मतं ्र मगु्ध होना चाहती ह।ैं उनका कहना है नक- नजनकी आखँ ें होती हंै वे सचमचु बहुत कम दखे ते ह।ंै उन्हें अचरज है नक इस दनु नया के सदंु र रंग उनकी सवं दे ना को स्पशग क्यों नहीं कर पात।े मनषु ्य अपनी क्षमताओं को अनदखे ा कर, जो उसके पास नहीं है उसकी आस लगाए रहता ह।ै हले ेन का कहना है नक नजनके पास दृनष्ट होती ह,ंै वे साधारण नहीं होते ह।ैं उनके पास दृनष्ट का होना आशीवागद ह।ै नजनसे वे अपनी नज़दं गी की खनु शयों को इन्द्रधनषु ी रंगों से हरा-भरा कर सकते ह।ंै नते ्रहीनता को अनभशाप समझकर ननराश होने के स्थान पर हले ने ने समाज को एक उदाहरण नदया ह।ै स्पशग की और अनभु व की शनक्त से नेत्रहीनों को पररनचत करा कर उनका साहस बढाया ह।ै 1. वजन लोगों के पास आखँ ें हंै, िे सचमुच बहुत कम िेखते हंै–हेलेन के लर को ऐसा क्यों लगता था? उ. हले ने के लर की नमत्र जब जगं ल की सैर करने के बाद कहती हैं नक- उन्होंने जगं ल में कोई खास चीज़ नहीं दखे ी। तब उन्हंे दुु ःख होता ह।ै उनका मानना है नक नेत्रहीन होकर भी, जगं ल में स्पशग के माध्यम से वे बहुत कु छ अनभु व कर लेती हंै और आननन्दत होती ह।ंै तब नजनकी आखँ ें होती हंै वे कै से कु छ अनभु व नहीं कर पाए! इसीनलए वे कहती हैं नक नजनकी आखँ ें होती ह,ंै वे सचमचु बहतु कम दखे ते ह।ंै 2. जो लोग आखँ ों से िेख नहीं पाते, िे िूसरों के द्वारा कही गई चीज़ों की प्रशंसा सुनकर क्या सोचते होंगे? उ. जो लोग आखँ ों से दखे नहीं पाते, वे दसू रों के द्वारा कही गई चीज़ों की प्रशसं ा सनु कर आननन्दत होते होंग।े सोचते होंगे नक हम भी इन्हंे अपनी आँखों से दखे पाते तो नकतना अच्छा होता? कु छ समय के नलए अपनी नते ्रहीनता के कारण दुु ःख का अनभु व भी करते होंग।े 3. अगर आपकी कक्षा मंे ऐसा बच्चा िावखला ले, वजसे विखायी न िेता हो, तो आप उसके वलए विद्ालय मंे क्या-क्या व्यिस्था करिाना चाहंेगे? उ. यनद हमारे नवद्ालय में दखे न सकने वाले बच्चे दानखला लेते हैं तो हम उनकी सनु वधा के नलए सभी व्यवस्था करवाना चाहगंे ।े जसै े- उनके पढने के नलए ब्रेल नलनप की व्यवस्था करवाना,उन्हें चलने के नलए मागग बताना, पढने में सहायता करना, उनके मान-सम्मान का नवशषे ध्यान रखगंे ।े अन्य छात्रों के कारण उन्हंे अपनी कमज़ोरी का आभास न हो इस बात का भी ध्यान रखगंे ।े हम उन्हंे इतना सक्षम बनाने का प्रयास करंेगे नक वे स्वयं आत्मननभरग बन जाएगँ ।े अवतररक्त प्रश्न 1. जगं ल मंे क्या-क्या रोचक चीजें हो सकती ह?ंै 2. आखँ ें रहते हुए लोग क्यों कम दखे पाते ह?ैं 3. मनषु ्य नकस चीज की आस लगाए रहता ह?ै 36
1. हेलेन के लर िसतं के िौरान टहवनयों में क्या खोजती थी? उ. हले ेन के लर वसंत के दौरान टहननयों में नई कनलयाँ खोजती थी। फू लों की पंखनु डयों की मखमली सतह को छू ने मंे और उनकी घमु ावदार बनावट महससू करने मंे उन्हें अपार आनन्द नमलता था। 2. हेलेन के लर की सहेली कहाँ से लौटी थी? उ. हले ने के लर की सहले ी घटं ा भर जगं ल की सैर करके लौटी थी। 3. हेलेन के लर वकस पेड की वचकनी छाल छू कर पहचान लेती थी? उ. हले ेन के लर भोज–पत्र के पेड की नचकनी छाल छू कर पहचान लेती थी। 4. हेलेन के लर वकस पेड की खुरिरी छाल को स्पशग से पहचान लेती थी? उ. हले ेन के लर चीड की खरु दरी छाल को स्पशग से पहचान लते ी थी। 5. मनुष्य हमेशा वकन चीज़ों की आस लगाये रहता है? उ. हले ेन के लर कहती हंै नक, ‘मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमशे ा उन चीज़ों की आस लगाए रहता ह,ै जो उसके पास नहीं ह।ै ’ अवतररक्त प्रश्न 1. खशु नसीब मंे ‘खशु ’ उपसगग है इसी तरह उपसगग वाले शब्द पाठ मंे रेखानं कत कीनजए। 2. कली से कनलयाँ बहुवचन बनता ह।ै इसी तरह के अन्य शब्द पाठ में से ढूढँ कर नलनखए। 3. नसफग मंे नकु ़ता का प्रयोग हुआ ह,ै नकु ़ता वाले शब्द पाठ में रेखानं कत कीनजए। अध्यापन सकं े त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करें। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करें। अवभव्यवक्त सृजनात्मकता 1. लेवखका के अनुसार प्रकृ वत का जािू क्या है? उ. भोज–पत्र के पेड की नचकनी छाल और चीड की खरु दरी छाल को स्पशग से पहचान लने ा, वसतं के समय टहननयों में नयी कनलयाँ खोजना, फू लों की पखं नु डयों की मखमली सतह छू ना और उनकी घमु ावदार बनावट को महससू करना, पेड 37
की टहनी पर हाथ रखकर नचनडया के मधरु स्वर कानों से सनु ना और अगं नु लयों के बीच झरने के पानी को बहते हएु महससू करके आननं दत होना, यही लेनखका के अनसु ार प्रकृ नत का जादू ह।ै 2. “जबवक इस वनयामत से वज़ंिगी को खवु शयों के इदं ्रधनषु ी रंगों से हरा–भरा वकया जा सकता हैं।” आपकी दृवि से इस पंवक्त का क्या अथग हो सकता है? उ. हले ने के लर का मानना है नक नजनके पास आखँ ें होती हंै वे उनसे बहतु कु छ नवशेष दखे सकते ह।ैं दृनष्ट के आशीवादग से वे प्रकृ नत के नवनभन्न रंगों को अनभु व कर, अपने जीवन को खनु शयों से भर सकते ह।ंै फू लों को, पडे ों के पत्तों को छू कर उनका स्पशग अनभु व कर सकते ह।ैं दृनष्ट होने पर जीवन को इदं ्रधनषु ी रंगों से हरा–भरा नकया जा सकता ह।ै 3. कान से न सुन पाने पर आस-पास की िुवनया कै सी लगती होगी? उ. कान से न सनु पाने पर आस-पास की दनु नया शांत लगती होगी। कोई अनभु नू त ही नहीं होती होगी। ध्वनन की मधरु ता, कठोरता, ककग शता, कही गई बातों के मतलब समझने में असनु वधा होती होगी। न सनु सकने के कारण प्रकृ नत के मधरु गान, जसै े - नचनडयों का चहचहाना, पनक्षयों की आवाज़,ंे बादलों का गरजना, नबजली का कडकना, बाररश की टप- टप, पश-ु पनक्षयों की आवाज़ें आनद सनु ने का अनभु व नहीं ले पाते। 1. हेलेन के लर का एकल अवभनय पट वलखकर अवभनय कीवजए। उ. ओह! प्रकृ नत नकतनी मनोहर ह।ै मंै स्पशग द्वारा सैकडों चीज़ों की जानकारी प्राप्त कर सकती ह।ँ भोज-पत्र के पेड की नचकनी-छाल, चीड की खरु दरी छाल को स्पशग करके पहचान लते ी ह।ँ फू ल की मखमली सतह, पेडों के पत्ते मरे े मन को बहतु आकनषतग करते ह।ंै इनकी बनावट महससू करने मंे मझु े आनंद नमलता ह।ै प्रकृ नत की मनोहरता को शब्दों में वणनग नहीं नकया जा सकता। हर चीज़ को छू ने या स्पशग करने से अत्यतं आनदं नमलता ह।ै वसंत के समय टहननयों मंे नयी कनलयाँ खोजना, फू लों की पंखनु डयों की मखमली सतह छू ना और उनकी घमु ावदार बनावट को महससू करना, पडे की टहनी पर हाथ रखकर नचनडया के मधरु स्वर कानों से सनु ना और अगं नु लयों के बीच झरने के पानी को बहते हएु महससू करके आननं दत होना, इन सब मंे मझु े प्रकृ नत के जादू का अहसास होता ह।ै ये मौसम का समाँ मरे े जीवन को नई खनु शयों और रंगों से भर दते ा ह।ै मरे ा मन इन सनु ्दर चीज़ों को दखे ने के नलए मचल उठता ह।ै नजन लोगों की आँखंे हैं वे मझु से ज्यादा आनदं पाते होंग।े नजन्हंे छू ने से ही मझु े इतनी खशु ी नमलती ह,ै उनकी संदु रता दखे कर मंै मतं ्रमगु्ध होना चाहती ह।ँ नजनकी आखँ ें होती हैं वे सचमचु बहुत कम दखे ते ह।ंै मझु े अचरज है नक इस दनु नया के सदंु र रंग उनकी संवदे ना को स्पशग क्यों नहीं कर पाते। मनषु ्य अपनी क्षमताओं को अनदखे ा कर, जो उसके पास नहीं है उसी वस्तु की आस लगाए रहता ह।ै नजनके पास दृनष्ट होती ह,ै वे साधारण नहीं होते ह।ैं उनके पास दृनष्ट का होना आशीवागद ह।ै नजनसे वे अपनी नज़दं गी की खनु शयों को इन्द्रधनषु ी रंगों से हरा-भरा कर सकते ह।ंै 38
2. पाठ के आधार पर आपके पररसर की प्रकृ वत (पेड, पक्षी, तालाब) का िणगन कीवजए और उसका शीषगक िीवजए। उ. सुन्िर प्रकृ वत हमारा घर शहर से कु छ दरू ी पर एकान्त स्थान में ह।ै जहाँ से पहाड, वन, समन्दर के सनु ्दर नज़ारे नदखाई देते ह।ैं कभी– कभी समय व्यतीत करने के नलए हम वन की ओर चले जाते ह।ैं नवनभन्न प्रकार के पडे -पौधे दखे कर उनके बारे में जानने की उत्सकु ता बढती जाती ह।ै ये वन, पेड-पौधे, इनकी लकनडयाँ अनेक प्रकार से हमारे नलए उपयोगी होती ह।ंै हमने भी अपने प्रागं ण में कु छ पडे लगाए ह।ैं अपने घर के पास वाले तालाब से पानी लाकर हम उन पडे ों को पानी भी दते े हंै। समय-समय पर पक्षी इन पडे ों की डाल पर आकर बैठते ह।ंै इन पनक्षयों की चहचहाहट मानो कोई मधरु संगीत सनु ा रही हो। प्रकृ नत की यह सनु ्दरता बहुत मनमोहक लगती ह।ै िाक्यों को पढ़कर सही विकल्प का चयन कीवजए। 1. बस मंे जाते समय यवि तुम बैठे हुए हो और कोई बढ़ू ा आिमी खडा है। (ख) क) बगल मंे जगह दगँू ा। ख) खडे होकर अपने स्थान पर बठै ाऊँ गा। ग) ध्यान नहीं दगँू ा। 2. तुम्हारे द्वारा भाग ली गई वकसी प्रवतयोवगता में यवि तुमसे कोई अच्छा गाता है तो.. (ख) क) ननदं ा करँूगा ख) प्रशसं ा करँूगा ग) प्रनतनिया नहीं करँूगा 3. यवि तुम्हारी कक्षा में कोई नया छात्र या छात्रा आये तो... (ग) क) मंै ही पहले बात करँूगा ख) दरू रहगँ ा ग) सहायता करँूगा 4. विशेष आिश्यकता िाले बालकों के प्रवत - (ग) ग) सहानभु नू तपणू ग व्यवहार करँूगा क) दया नदखाऊँ गा ख) दरू रहगँ ा 5. िूसरी भाषाओं में मुझे ........................ है। (ग) क) भय ख) नापसंद ग) रुनच 1. वकसी एक ऐसी मवहला या परु ुष के बारे मंे जानकारी एकत्र करके वलवखए। जो विशेष आिश्यकता होते हुए भी िुवनया में अपना नाम और िेश का नाम प्रवसद्ध कर विखाये।। 39
उ. लूई ब्रेलुः- लईू ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्रासँ मंे हुआ था। पाँच वषग की आयु में एक नकु ीला औज़ार आँख मंे लग जाने से उनकी दृनष्ट जाती रही। लईू ने हार नहीं मानी और अपने अथक पररश्रम और लगन से उन्होंने ब्रेल-नलनप का आनवष्कार नकया। ब्रले नलनप के द्वारा नेत्रहीनों के पढने की कनठनाई का उन्होंने ननवारण नकया। सुधा चंद्रनुः- सधु ा चदं ्रन भारत की सपु ्रनसद्ध नतृ ्यांगना ह।ैं एक दघु टग ना में उनके बाएँ परै में चोट लगी और ज़हर तेज़ी से फै ल गया। नजससे उनका पैर काटना पडा। अपने अथक पररश्रम और दृढ इच्छा शनक्त से वे आज भी उतना ही अच्छा नतृ ्य कर सकती हैं जसै े पहले नकया करती थीं। ऐसे महान व्यनक्तत्व पर हमें गवग ह।ै भाषा की बात 1. हम अपनी पाँचों इवं द्रयों में से आखँ ों का प्रयोग सबसे अवधक करते हैं। ऐसी चीज़ों के अहसासों की तावलका बनाओ जो तुम बाकी चार इवं द्रयों से महससू करते हो। उ. सुनकर चखकर सूघँ कर छू कर (कानों से) (जीभ से) (नाक स)े (हाथों से) 1. आनंद पाना 1. मीठे का अहसास 1. सगु धं 1. मखमली स्पशग 2. मधरु स्वर 2. कडवापन 2. दगु धं 2. खरु दरे का स्पशग 3. ककग श आवाज़ 3. खारे का स्वाद 3. नचकने का अहसास 1. पाठ मंे स्पशग से सबं वं धत कई शब्ि आए हैं। नीचे ऐसे कु छ और शब्ि विए गए हंै। बताओ वक वकन चीज़ों का स्पशग ऐसा होता है। उ. 1. नचकना - तेल, घी 2. मलु ायम - रुई, फू ल 3. सख्त - पत्थर, लकडी का तना 4. नचपनचपा - शहद, गोंद 5. खरु दरा - लकडी की छाल 6. भरु भरु ा - नमट्टी, लकडी का बरु ादा 2. अगर मुझे इन चीज़ों को छू ने भर से इतनी खशु ी वमलती है, तो उनकी सिुं रता िेखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। उ. ऊपर रेखांनकत संज्ञाएँ िमशुः नकसी भाव और नकसी की नवशषे ता के बारे में बता रही हैं। ऐसी सजं ्ञाएँ भाििाचक कहलाती ह।ंै गणु और भाव के अलावा भाववाचक सजं ्ञाओं का सबं ंध नकसी की दशा और नकसी कायग से भी होता ह।ै 40
भाववाचक संज्ञाओं को पढो और समझो। इनमें से कु छ शब्द संज्ञा और कु छ निया से बने ह।ंै उन्हंे भी पहचान कर नलनखए। 3. गली में क्या-क्या चीज़ंे हंै? उ. गली में सब्जी, फल, फू ल, दधू , कपडे, दवाइया,ँ मटके , चटाई, कलम, नकताबें आनद सामानों की दकु ानंे, अखबार, मानसक पनत्रका आनद नमलते ह।ंै 4. गली में हमें कौन-कौन सी आिाज़ंे सनु ाई िेती होंगी? उ. गली मंे हमंे सब्ज़ी, फू ल, कपडे आनद बचे ने वाले पाठशाला जाते हुए बच्चे, अखबार पहचुँ ाने वाले लोगों की आवाज़ें सनु ाई दते ी ह।ैं 1. सुबह के िक्तुः - दधू , अखबार, फल-फू ल, पाठशाला, कोयल की आवाज़,ंे कॉलजे जाते हुए बच्च,े सब्ज़ी, भाजी बेचने वालों की आवाज़,ंे सनु ाई दते ी ह।ैं गानडयों की और बसों की आवाज़े भी सनु ाई दते ी ह।ैं 2. िोपहर के िक्तुः- नाररयल, फू ल, कपडे, लोहे की चीज़,ंे नखलौने और चद्दर बेचने वालों की आवाज़ें सनु ाई दते ी ह।ै 3. शाम के िक्तुः - बरतन बेचने वाल,े रस्सी पर खले ने वाल,े ढोल बजाने वाल,े फू ल बेचने वाल,े भीख माँगने वाले आनद आवाज़ंे सनु ाई दते ी ह।ैं नचनडयों की चहचहाहट भी सनु ाई दते ी ह।ै 4. रात के समयुः- गानडयों की, दरू दशनग (टी.वी.) की, बच्चों की आवाज़ें आनद सनु ाई दते ी ह।ैं 5. अलग-अलग समय मंे ये गली कै से बिलती होगी? उ. ये गली अलग-अलग समय में अलग-अलग सामान बचे ने वालों तथा खरीदने वालों की आवाज़ों से बदलती रहती होगी। 6. ये तार गली को कहाँ-कहाँ से जोडते होंगे? उ. ये तार गली को एक ओर से अंनतम छोर तक जोडते होंग।े 7. साइवकल िाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा? उ. साइनकल वाला गावँ से आकर शहर की ओर जा रहा होगा। क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के भाव के बारे में बातचीत कर सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों में नलख सकता ह।ँ 4.पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. पाठ के आधार पर प्रकृ नत वणणग कर सकता ह।ँ इस पाठ में मैंने नए शब्ि सीखे - 41
अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर िीवजए। 1 लेवखका का पररचय िेते हुए उनके बारे में बताइए। उ. हले ेन के लर का जन्म १८८० में अमरे रका मंे हुआ था। बचपन मंे एक गभं ीर बीमारी की वजह से उनके दखे ने और सनु ने की शनक्त चली गई। जो न बोल सकता ह,ै न सनु सकता ह,ै नफर भी वह पढना-नलखना और बोलना सीख ले, भरपरू आकाकं ्षा के साथ जीवन जीने लगे और उसका योगदान दनु नया के नलए यादगार बन जाए। ऐसी हले ने के लर की नज़दं गी समाज के नलए आदशग थी। उन्होंने जीवन को हसँ त-े मसु ्कु राते हुए नजया ह।ै कभी भी जीवन मंे हार नहीं मानी। उनका जीवन दसू रों के नलए नमसाल बन गया। उनकी कई पसु ्तकंे और सैंकडों लखे प्रकानशत हएु ह।ैं उन्होंने दनु नया भर मंे घमू -घमू कर अपने जसै े लोगों के अनधकारों और नवश्वशांनत के नलए काम नकया। 2. जो िेखकर भी नहीं िेखते उनके बारे मंे हेलेन के लर का क्या विचार है? उ. उनका कहना है नक- नजनकी आखँ ंे होती हैं वे सचमचु बहतु कम दखे ते ह।ैं उन्हंे अचरज है नक इस दनु नया के सदंु र रंग उनकी संवदे ना को स्पशग क्यों नहीं कर पात।े मनषु ्य अपनी क्षमताओं को अनदखे ा कर, जो उसके पास नहीं है उसकी आस लगाए रहता ह।ै हले ने का कहना है नक नजनके पास दृनष्ट होती ह,ंै वे साधारण नहीं होते ह।ंै उनके पास दृनष्ट का होना आशीवादग ह।ै नजनसे वे अपनी नज़दं गी की खनु शयों को इन्द्रधनषु ी रंगों से हरा-भरा कर सकते ह।ैं सिं ाि -लेखन हम जब अपनी बात दसू रों तक पहचुँ ाते हैं और नकसी दसू रे की बात को समझने की चेष्ठा करते हंै तो शब्दों व वाक्यों का जो आदान-प्रदान होता ह,ै वही संिाि कहलाता ह।ै संिाि वलखते समय वनम्न बातों का ध्यान रखना चावहए- संवाद छोटे–छोटे होने चानहए। संवाद पात्रों के अनसु ार होने चानहए। वमत्रों का सिं ाि आपका नवद्ालय फु टबॉल मचै मंे प्रथम आया। इस नवषय पर नहे ा और जनतन की होने वाली बातचीत को संवाद-लेखन के रूप मंे दने खए। जवतन- नहे ा, क्या तमु ्हें मालमू है नक हमारे नवद्ालय की टीम ने मॉडनग नवद्ालय की फु टबॉल टीम को हरा नदया। नेहा - सच! यह तो बहुत खशु ी की बात ह।ै क्या तमु मचै दखे ने गए थे? 42
जवतन- हाँ, मंै मचै दखे ने गया था। नेहा - सबसे अच्छा कौन खले ा? जवतन- सबसे अच्छा हमारा नमत्र राहुल खले ा। उसी के कारण हमारी टीम जीती। हमारी टीम को तो ‘स्वणग पदक’ भी नमला भी नमला ह।ै । नेहा - दखे ना, कल प्रधानाचायग प्राथगना सभा मंे परू ी टीम को परु स्कृ त करंेग।े वक्रया नजस शब्द से नकसी कायग के करने अथवा होने का बोध हो, उसे वक्रया कहते ह।ैं नचत्रों को दखे ने पर हमें पता चलता है नक नचत्र मंे कोई न कोई कायग हो रहा ह।ै पहले नचत्र में एक लडकी रमा पसु ्तक पढ रही ह।ै दसू रे नचत्र मंे एक लडका सनु ील दौड रहा ह।ै रमा पसु ्तक पढ रही ह।ै सनु ील दौड रहा ह।ै वक्रया के भेि वक्रया का मलू रूप धातु कहलाता ह।ै वक्रया जसै े-नलख- नलखता, पढ- पढता अकमगक वक्रया नजन नियाओं का फल कताग पर पडे, वे अकमकग लजाना, होना, बढना, सोना, खले ना, अकडना, निया कहलाती ह।ैं गौरव रोता ह।ै डरना, बठै ना, हसँ ना, उगना, जीना, दौडना आनद। सकमगक वक्रया मंै लखे नलखता ह।ँ नजन नियाओं का फल कमग पर पडता ह,ै वे सकमकग निया कहलाती ह।ैं कमग के आधार पर वक्रया के भेि- 1. अकमगक वक्रया– राजन हसँ ता ह।ै दीपा खाती ह।ै 43
2. सकमगक वक्रया– वाल्मीनक ने रामायण नलखी। नगमा खाना खाती ह।ै भाििाचक सजं ्ा 1. जावतिाचक संज्ा से भाििाचक सजं ्ा बनाना- जावतिाचक भाििाचक 1. भक्त भक्त 6. व्यनक्त व्यनक्तत्व 7. मनजु मनजु त्व 2. लडका लडकपन 8. नारी नारीत्व 9. दवे दवे त्व 3. दानव दानवता 10. वीर वीरता 4. स्त्री स्त्रीत्व चाल पजू ा 5. मनषु ्य मनषु ्यता उतराई सजावट 2. वक्रया शब्िों से भाििाचक संज्ा बनाना- पढाई वक्रया भाििाचक भाििाचक दरू ी 1. खले ना खले 6. चलना ऊपरी 2. बनाना बनावट 7. पजू ना 3. चनु ना चनु ाव 8. उतरना 4. कमाना कमाई 9. सजाना 5. नलखना नलखाई/लखे 10. पढना 3. अव्यय या अविकारी शब्िों से भाििाचक संज्ा बनाना- अव्यय भाििाचक अव्यय 1. समीप सामीप्य 5. दरू 2. ननकट ननकटता 6. ऊपर 3. शीघ्र शीघ्रता 4. मना मनाही 44
4. सिगनाम से भाििाचक सजं ्ा बनाना- सिगनाम भाििाचक अव्यय भाििाचक 4. स्व स्वत्व 1. ननज ननजत्व 5. अपना अपनापन/अपनत्व 6. अहं अहकं ार 2. पराया परायापन 3. मम ममत्व 5. विशेषण शब्ि से भाििाचक सजं ्ा बनाना- विशेषण भाििाचक 1. ननबगल ननबलग ता 6. भयानक भय 7. चौडा चौडाई 2. आलसी आलस्य 8. चालाक चालाकी 9. धीर धयै ग 3. ऊँ चा ऊँ चाई 10. लबं ा लबं ाई 4. सदंु र सदंु रता 5. भखू ा भखू 45
अभ्यास कायग (Work Book) पवठत गद्ांश 1. वनम्नवलवखत पवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। मझु े फू लों की पंखनु डयों की मखमली सतह छू ने और उनकी घमु ावदार बनावट महससू करने में अपार आनदं नमलता ह।ै इस दौरान मझु े प्रकृ नत के जादू का कु छ अहसास होता ह।ै कभी, जब मंै खशु नसीब होती ह,ँ तो टहनी पर हाथ रखते ही नकसी नचनडया के मधरु स्वर कानों मंे गजँू ने लगते ह।ैं अपनी अगँ नु लयों के बीच झरने के पानी को बहते हएु महससू कर मैं आनंनदत हो उठती ह।ँ मझु े चीड की फै ली पनत्तयाँ या घास का मदै ान नकसी भी महगं े कालीन से अनधक नप्रय लगते ह।ंै प्रश्न- 1. फू लों की पखं नु डयों की सतह कै सी होती ह?ै () अ) मखमली आ) खरु दरी इ) मोटी ई) पतली 2. लने खका को नकसके जादू का एहसास होता ह?ै () ई) फू लों का अ) टहनी का आ) कनलयों का इ) प्रकृ नत के जादू का 3. लने खका कब स्वयं को खशु नसीब समझती ह?ै उ. __________________________________________________________________ 4. लने खका को महगँ े कालीन से भी अनधक क्या नप्रय ह?ै उ. __________________________________________________________________ 5. आकाश, आनंद - इन शब्दों के नवलोमाथग नलनखए। उ. __________________________________________________________________ 6. ‘जो दखे कर भी नहीं दखे ते’ पाठ की लेनखका का क्या नाम ह?ै प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. नजन लोगों की आखँ ंे होती हंै वे बहतु कम दखे ते ह।ंै हले ेन के लर ने ऐसा क्यों सोचा? 2. हले ने के लर नकन को छू कर पहचान लते ी थी? 3. हले ेन के लर को प्रकृ नत की कौन-कौन सी चीज़ें ज्यादा पसंद ह?ैं संिाि कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर फोन पर अपने िािा जी से हुआ िातागलाप वलवखए। 46
व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्यों में वक्रया का भेि पहचावनए। 1. बच्चे दौड रहे ह।ंै - 2. लडका गदंे से खले रहा ह।ै - 3. मीरा गाना गा रही ह।ै - 2) अकमगक तथा सकमगक वक्रया के कु छ उिाहरण वलवखए। अकमगक सकमगक 1. उ. 2. उ. 3. उ. 3) वनम्नवलवखत शब्िों की भाििाचक संज्ाएँ बनाइए। 1. नवशेष - 4. सदंु र - 2. आनंद - 5. घमु ाव - 3. बनाना - 6. मखमली - 4) वनम्नवलवखत िाक्यों को उवचत शब्ि से पूरा कीवजए। 1. मझु े बहुत अचरज---------------। (हआु /नहीं हआु ) 2. वसंत के समय में नयी ------------- खोजती ह।ँ ( फू ल/कनलयाँ) 3. मरे े जीवन में एक नया ----------------- भर जाता ह।ै (खनु शयाँ/ रंग) 5) वनम्नवलवखत शब्िों के अथग वलख कर िाक्यों में प्रयोग करें। 1. आनंद - 2. मगु्ध होना - 3. आस लगाना - 6) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के िचन बिवलए। 1. नततली फू लों पर मडं राती ह।ै उ. 2. मनहला सभा मंे गाना गाती ह।ै उ. 3. वह लबं ा आदमी इधर आ रहा ह।ै उ. 47
7) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 4. अचरज- 1. नप्रय - 5. पेड - 2. जगं ल - 6. चीज़ - 3. नमत्र - 4. कल्पना - 8) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग वलवखए। 5. अधं कार - 1. नप्रय - 6. आशा - 2. दोस्त - 3. नवश्वास - 4. अगं लु ी - 5. चीज़ - 9) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिवलए। 6. परीक्षा - 1. कली - 2. टहनी - 4. आननं दत - 3. खशु ी - 5. सदंु रता - 6. प्रकानशत - 10) वनम्नवलवखत शब्िों के प्रत्यय पहचान कर वलवखए। 1. घमु ावदार - 2. बनावट - 3. मखमली - 11) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे वक्रया शब्ि पहचावनए। 1. आपने क्या दखे ा? आ) ने इ) क्या ई) दखे ा () अ) आप इ) पहचान लने ा ई) हँ () इ) रोचक ई) चीज़ें () 2. मंै स्पशग से पहचान लते ी ह।ँ () अ) स्पशग आ) मंै () 3. जगं ल में सकै डों रोचक चीज़ंे नमलती ह।ैं अ) जगं ल आ) नमलती 12) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे विशेषण शब्ि पहचावनए। 1. नचनडया मधरु स्वर में गाने लगी। अ) स्वर आ) मधरु इ) नचनडया ई) लगी ई) चीज़ें 2. हमंे बाज़ार में कई रोचक चीज़ंे नमलती ह।ंै अ) हमें आ) बाज़ार इ) रोचक 48
3. घास के मदै ान महगँ े कालीन की तरह ह।ंै () अ) घास आ) महगँ े इ) कालीन ई) मदै ान 13) वनम्नवलवखत िाक्यों में पनु रुवक्तत शब्ि पहचावनए। 1. कभी-कभी मंै अपने नमत्रों की परीक्षा लेती ह।ँ () () अ) कभी-कभी आ) नमत्रों इ) परीक्षा ई) लेती () ई) दखे ा 2. आपने वहाँ क्या-क्या दखे ा? ई) उठता अ) आप आ) वहाँ इ) क्या-क्या 3. कभी-कभी मरे ा मन मचल उठता ह।ै अ) मरे ा आ) मचल इ) कभी-कभी 14) वनम्नवलवखत िाक्य अथग की दृवि से पहचावनये। इ) सरल वाक्य ( ) इ) इच्छाथगक वाक्य ई) प्रश्नाथगक वाक्य ) 1. मझु े भोजन नहीं करना ह।ै इ) प्रश्नाथकग वाक्य ) अ) ननषधे ात्मक वाक्य आ) इच्छाथगक वाक्य ( ई) प्रश्नाथकग वाक्य 2. नननध कौन-सी कनवता सनु ाएगी? अ) ननषधे ात्मक वाक्य आ) सरल वाक्य ( ई) सरल वाक्य 3. मझु े नचनडयाघर जाना ह।ै अ) ननषधे ात्मक वाक्य आ) इच्छाथगक वाक्य 15) वनम्नवलवखत िाक्यों का काल पहचावनए। 1. हम रेलगाडी से कोलकत्ता जाएगँ ।े () () अ) वतगमान काल आ) भतू काल इ) भनवष्य काल () इ) भनवष्य काल 2. भावना अपने पनत के साथ नसनेमा गई थी। इ) भनवष्य काल अ) वतगमान काल आ) भतू काल 3. दादी जी अमतृ सर मंे रहती ह।ंै अ) वतगमान काल आ) भतू काल नकताबें ऐसी नशक्षक हंै जो नबना कष्ट नदए, नबना आलोचना नकए और नबना परीक्षा नलए हमंे नशक्षा दते ी ह।ंै - अज्ञात 49
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