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202110253-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_FL-G06-FY

Published by CLASSKLAP, 2020-04-15 09:02:35

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12) वनम्नवलवखत िाक्यों का नकारात्मक रूप बिलने पर सही िाक्य होगा- 1. मनंै े पाठ पढा। () अ) मनंै े पाठ नहीं पढा। आ) मनंै े कल पाठ पढा। इ) मनंै े कब पाठ पढा। ई) मंैने अब पाठ पढा। 2. बाज़ार जाओ। () अ) बाज़ार न जाओ। आ) बाज़ार नहीं जाओ। इ) बाज़ार मत जाओ। ई) बाज़ार कल जाओ। 3. वहाँ बैठना ह।ै () अ) वहाँ बैठना नहीं ह।ै आ) वहाँ बैठना मना ह।ै इ) वहाँ न बैठना ह।ै ई) वहाँ मत बैठना ह।ै 13) वनम्नवलवखत िाक्य मंे पनु रुवक्त शब्िों को पहचावनए। 1. मरे े पेट मंे कु छ ऐसे–ऐसे हो रहा ह।ै इ) ऐस–े ऐसे () अ) मरे े आ) कु छ ई) रहा 2. मैं कभी–कभी घर दरे से जाता ह।ँ () अ) मंै आ) कभी–कभी इ) घर ई) देर से 3. यह चाय के कप आधे–आधे ही ह।ंै () अ) आधे–आधे आ) चाय इ) यह ई) कप 14) वनम्नवलवखत िाक्यों की पवू तग के वलए सही कारक वचह्न पहचावनए। 1. दटतर............ चलते वक्त रास्ते ............ पटे ............ ददग होता ह।ै () अ) स,े म,ें मंे आ) की, स,े पर इ) मंे, के , को ई) पर, म,ें की 2. पानी ............बोतल ............ सके दीनजए। () अ) से, मंे आ) की, से इ) पर, के ई) की,को 3. असल ............ कई तरह ............ ददग चल पडे ह।ै () अ) म,ंे के आ) की, से इ) मंे, को ई) पर, मंे 15) वनम्नवलवखत िाक्यों के भेि रचना के आधार पर पहचावनए। () 1. नपता जी मरे े पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा ह।ै अ) साधारण वाक्य आ) नमनश्रत वाक्य इ) सयं कु ्त वाक्य ई) सरल वाक्य इ) संयकु ्त वाक्य () 2. डॉक्टर कहता है नक बदहज़मी ह।ै ई) सरल वाक्य अ) साधारण वाक्य आ) नमनश्रत वाक्य () 3. मोहन की दवा, वदै ् के पास भी नहीं ह।ै अ) साधारण वाक्य आ) नमनश्रत वाक्य इ) सयं कु ्त वाक्य ई) सरल वाक्य नजस मनषु ्य मंे आत्मनवश्वास नहीं है वह शनक्तमान होकर भी कायर है और पनं डत होकर भी मखू ग ह।ै - राम नत्रपाठी 200

अभ्यास प्रश्न पत्र अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया 1. वनम्न पद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। ऊँ चा खडा नहमालय आकाश चमू ता ह,ै नीचे चरण तले झकु , ननत नसंधु झमू ता ह।ै गगं ा, यमनु ा ननदयाँ लहरा रही ह,ैं पल-पल नई छटाए,ँ पग-पग छहरा रही ह।ंै प्रश्न- 1. नहमालय नकसे चमू ता ह?ै उ. अ) आकाश आ) धरती इ) बादल ई) घन ई) नसंधु 2. चरणों तले क्या झमू ता ह?ै अ) फू ल आ) धरती इ) काँटे 3. कौन-सी ननदयाँ लहरा रही ह?ंै 4. पग-पग पर क्या छहरा रही ह?ंै 5. ‘नहमालय’ शब्द का सनं ध-नवच्छेद कीनजए? 6. इस पद्ांश में आए पनु रुनक्त शब्द पहचाननए। अवभव्यवक्त-सजृ नात्मकता क) वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर िीवजए। 1. ‘वह नचनडया जो’ कनवता से हमंे क्या नशक्षा नमलती है? 2. मास्टर के क्या कहने पर मोहन का ददग दरू हो गया? ख) वनम्न में से वकसी एक प्रश्न का उत्तर िीवजए। जल संरक्षण से सबं नं धत पाँच नारे नलनखए। (या) दीदी के नववाह मंे सनम्मनलत होने के नलए प्रधानाध्यानपका जी को अवकाश पत्र नलनखए। भाषा की बात वनम्न प्रश्नों के उत्तर सूचना के अनुसार वलवखए। 1. नचनडया चोंच मार कर मोती ले जाती ह।ै (िाक्य को सयं ुक्त िाक्य मंे वलवखए।) 2. नचनडया मंे महत्वपणू ग गणु ह।ै (रेखांवकत शब्ि का विलोमाथग वलवखए।) 3. गरु ुजी ने मोहन को माफ कर नदया। (रेखांवकत शब्ि का वलगं बिल कर िाक्य वफर से वलवखए।) 4. ‘मान’ (शब्ि का वभन्नाथग रूप वलवखए।) 5. गरम पानी से सकंे दीनजए। (िाक्य का नकारात्मक रूप वलवखए।) 201

इकाई-4 14. नौकर अणु बधं ोपाध्याय अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. यह वचत्र वकनका है? उ. यह नचत्र महात्मा गाधँ ीजी का ह।ै 2. महात्मा गाँधी के बारे मंे आप क्या जानते हैं? उ. गाधँ ीजी सत्य का साकार रूप ह।ंै उनका मन, वचन, कमग से एक ह।ंै वे सत्यवादी ह।ैं उपकार, नवनय आनद गणु उनमंे सहज ही ह।ैं 3. तुम महात्मा गाँधी से वमलते तो क्या बातचीत करते? कल्पना करो और बताओ। उ. यनद मंै महात्मा गाधँ ी से नमलता तो उनसे कहता नक- यनद मैं भी आज़ादी की लडाई में आपका साथ दे पाता और आपके जीवन का अनसु रण कर पाता, तो मरे ा जीवन भी सफल हो जाता। 1. बीनना = चनु ना to select 2. हरै त = आश्चयग Surprise 3. आगतं कु = अनतनथ Guest 4. चारा = दसू रा रास्ता, हल Feed 5. ननयम = रीनत, पद्धनत Rule 6. कानलख = कलकं Stigma 7. लाचारी = नववशता Helplessness 202

8. ठेस = दुु ःख Sorrow 9. तदं रुस्त 10. क्षमता = स्वस्थ healthy 11. दौरान 12. तश्तररयाँ = शनक्त Power 13. ननमतं ्रण 14. बहु ारी = उस समय During 15. कारकु न 16. ननपणु = छोटी थानलयाँ Dishes = श्रद्धा से बलु ावा भजे ना Invitation = झाडू broom = प्रबंधक manager = योग्य Qualified अनु बंद्ोपाध्याय द्वारा नलनखत कहानी “नौकर” महात्मा गांधी के जीवन पर आधाररत ह।ै नजसमंे गाधं ी जी की नदनचयाग और उनके काम करने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया ह।ै गाधं ी जी कमठग और कमशग ील व्यनक्त थ।े उनके कायों से हमंे प्रेरणा और प्रोत्साहन नमलता ह।ै आश्रम मंे गाधं ी जी नौकर–चाकर वाले अनेक काम नकया करते थ।े सबु ह अपने हाथ से चक्की से आटा पीसना, चक्की ठीक करना, गहे ँ साफ करना, पीसना, अनाज बीनना आनद अनके काम वे आश्रम मंे नकया करते थे। बाहरी लोगों के सामने शारीररक महे नत करने मंे गांधी जी को कोई शमग नहीं आती थी। कॉलेज के छात्रों को अगं ्रजे ़ी भाषा पर बडा गवग था। गाधं ी जी ने उनके घमडं को तोडने के नलए थाली के गहे ँ बीनने का काम दे नदया। आगंतकु गहे ँ बीनने के बाद थक गए और गांधी जी से नवदा ले कर चले गए। गांधी जी आश्रम के भडं ार का काम संभालना, रसोईघर में सनब्ज़याँ छीलना, जाले ननकालना, सफाई करना आनद सभी काम नकया करते थ।े उन्हंे सब्ज़ी, फल और अनाज के पौनष्टक गणु ों का ज्ञान था। इसनलए अपने सानथयों को भी इन सब का ज्ञाननदया करते थ।े भोजन परोसने का काम भी वे स्वयं नकया करते थे। आश्रम के ननयम के अनसु ार सभी अपने बरतन खदु साफ करते थ।े गांधी जी जब पतीलों को साफ करने लगे तो कस्तरू बा जी ने उन्हें रोक नदया। जले मंे उनके मददगार को उन्होंने बताया नक वे लोहे के बरतनों को माजँ कर चादँ ी जसै ा चमकाते थ।े आश्रम के ननमाणग के समय महे मानों के नबस्तर लपेटकर रखने मंे भी उन्हंे कोई सकं ोच नहीं होता था। आश्रम के नलए कु एँ से पानी खींचने का काम भी वे स्वयं करते थ।े एक बार एक कायगकत्ताग ने गांधी जी को थकावट से बचाने के नलए सभी बरतनों में पानी भर नदया, तब गांधी जी को ठेस लगी। उन्होंने बच्चों के नहाने का टब उठाया और कु एँ से पानी भरकर टब को नसर पर उठाया और आश्रम ले आए। बढू े होने के कारण अपने नहस्से का शारीररक श्रम दसू रों से कराना गाधं ी जी को नबल्कु ल पसंद नहीं था। काम करने की अदभ् तु क्षमता उनमंे थी। वह मीलों पैदल चल सकते थ।े दनक्षण अफ्रीका एवं बोअर- यदु ्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्रेचर पर लादकर एक-एक नदन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। वे बयालीस मील तक पदै ल चलते थे। उनके साथी उनका खशु ी- खशु ी अनकु रण करते थे। 203

तालाब की भराई का काम करके थके लोगों के नलए गाधं ी ने नाश्ता पहले ही तयै ार कर नदया था। भारतीय प्रवानसयों की माँगों को नब्रनटश सरकार के सामने रखने के नलए वे लदं न गए। भारतीय छात्रों ने शाकाहारी भोज स्वयं बनाकर गाधं ी जी को आमनं त्रत नकया था। वहाँ भी गाधं ी जी बरतन साफ करने और अन्य काम करने मंे सहायता करने लग।े गाधं ी जी दसू रों से अपना काम करवाना पसदं नहीं करते थे। गाँवों का दौरा करने के बाद रात को लालटेन का तले खत्म हो जाए तो चनं ्द्रमा की रोशनी में पत्र परू ा करते थ।े बच्चों से वे बहुत प्यार करते थे। श्रीमती पोलक के बच्चे को भी अपने पास सलु ाया करते थे। तानक वह माँ का दधू छोड द।े दनक्षण अफ्रीका मंे गोखले जी के दपु ट्टे पर इस्त्री करना, भोजन परोसना, नबस्तर ठीक करना, सभी काम वे स्वचे ्छा से नकया करते थे। आश्रम मंे सहायक के रूप में हररजन को रखने के पक्षधर थ।े नौकरों को वते नभोगी मज़दरू नहीं वरन् अपने भाई के समान मानते थ।े घरेलू नौकर का पररचय पाररवाररक सदस्यों की तरह नदया करते थे। 1. तुम घर के कौन-कौन से काम करते हो? उ. मंै अपने घर में माँ के साथ सब्ज़ी लाने म,ंे नपताजी को सामान लाने म,ें दादा जी को दवाई दने े म,ंे भाई को पढने मंे सहायता करता ह।ँ 2. लोग घर में नौकर क्यों रखते हैं? उ. लोग घरेलू कामों मंे सहायता करने के नलए नौकर को रखते ह।ैं 3. वजनके घर मंे नौकर नहीं होते, उनके माता-वपता घर के क्या-क्या काम करते हैं? उ. जब घर मंे नौकर नहीं होते तब घर का सारा काम माता-नपता करते ह।ैं घर में नौकर नहीं होते तो माता खाना बनाना, घर की सफाई, कपडों को साफ करना आनद करती ह।ैं नपता जी बाज़ार से सामान और तरकाररयाँ लाते ह।ंै अवतररक्त प्रश्न 1. गाधँ ी जी चक्की से आटा पीसते थे। क्या आजकल भी आटा पीसने के नलए चक्की का प्रयोग होता है? 2. यनद सब लोग अपने काम स्वयं करें तो क्या फायदा हो सकता ह?ै 3. दनक्षण अफ्रीका मंे गाँधी जी छात्रों की सहायता नकस प्रकार करने लगे? 4. गाधँ ी जी नकसी हररजन को ही क्यों सहायक के रूप में रखना चाहते थे? 1. आश्रम मंे कॉलेज के छात्रों से गाँधीजी ने कौन-सा काम करिाया? क्यों? उ. एक बार आश्रम में गाधँ ीजी से नमलने के नलए कॉलेज के छात्र आए। उस समय गाँधीजी गहे ँ साफ कर रहे थे। छात्रों ने गाँधीजी से कु छ सवे ा बताने को कहा। उनको अपने अगं ्रेज़ी के ज्ञान पर बडा गवग था। उन्हें आशा थी नक बापू उन्हंे कु छ 204

नलखने–पढने का काम दगें ।े लेनकन बापू ने छात्रों से गहे ँ साफ करने का काम करवाया। उन्होंने बडी कनठनाई से यह काम नकया। गाधँ ीजी ने छात्रों के गवग को दरू करने के नलए यह काम करवाया। 2. लंिन मंे भोज पर बलु ाए जाने पर गाँधीजी ने क्या वकया? उ. छात्रों ने इस अवसर के नलए स्वयं ही शाकाहारी भोजन तैयार करने का ननश्चय नकया था। तीसरे पहर दो बजे एक दबु ला- पतला आदमी आकर उनमंे शानमल हो गया। तश्तररयाँ धोन,े सब्ज़ी साफ करने और अन्य छु ट-पटु काम करने मंे उनकी मदद करने लगा। छात्रों का नेता वहाँ आया तो दखे ता है नक वह दबु ला-पतला आदमी और कोई नहीं वरन् उस शाम को भोज में ननमनं त्रत उनके सम्माननत अनतनथ गाधँ ी जी ही थ।े 3 आश्रम में काम करने या करिाने का कौन-सा तरीका गाँधीजी अपनाते थे? इसे पढ़कर वलवखए। उ. आश्रम में गाधँ ीजी स्वयं काम करते थ।े उस समय वे बैररस्टरी से हज़ारों रूपये कमाते थे। नफर भी उस समय वे प्रनतनदन सबु ह अपने हाथ से चक्की से आटा पीसा करते थ।े साबरमती आश्रम में सभी काम करते थ।े वे चक्की को ठीक करने में कभी-कभी घटं ों महे नत करते थ।े बाहरी लोगों के सामने शारीररक महे नत करने में उन्हंे शमग नहीं लगती थी। इसी तरह स्वयं काम करते और दसू रों से काम करवाते थ।े अवतररक्त प्रश्न 1. संतोष शब्द सम+् तोष शब्द सनं ध से बना ह।ै इसी तरह के अन्य शब्द पाठ मंे ढूनँ ढए। 2. गवग शब्द का पयागयवाची घमडं , अहकं ार, अहं होता ह।ै इसी तरह साथी, भोज, नेता शब्दों के पयागयवाची नलनखए। 3. ताड लेना, अनकु रण करना, लाचार, श्रम शब्दों के अथग नलनखए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ैं - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करंे।  1. आश्रम में गाँधीजी कई ऐसे काम भी करते थे वजन्हें आम तौर पर नौकर-चाकर करते हंै। पाठ से तीन ऐसे प्रसगं ों को अपने शब्िों में वलवखए जो इस बात का प्रमाण हों। उ. आश्रम में गाँधी जी कई ऐसे काम भी करते थे नजन्हंे आमतौर पर नौकर-चाकर करते ह।ंै नजस जमाने मंे वे बैररस्टरी से हजारों रूपये कमाते थ,े उस समय भी वे प्रनतनदन सबु ह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। चक्की चलाने में कस्तरू बा और उनके लडके भी हाथ बटँ ाते थे। इस प्रकार घर मंे रोटी बनाने के नलए आटा वे खदु पीस लते े थे। साबरमती आश्रम मंे भी गाधँ ी ने नपसाई का काम जारी रखा। वे चक्की को ठीक करने मंे कभी-कभी घटं ों महे नत करते थ।े 205

दनक्षण अफ़्रीका मंे रहने वाले भारतीयों के जाने-माने नते ा के रूप में गाधँ ी भारतीय प्रवानसयों की माँगों को नब्रनटश सरकार के सामने रखने के नलए एक बार लदं न गए। वहाँ उन्हें भारतीय छात्रों ने एक शाकाहारी भोज मंे ननमनं त्रत नकया। छात्रों ने इस अवसर के नलए स्वयं ही शाकाहारी भोजन तैयार करने का ननश्चय नकया था। तीसरे पहर दो बजे एक दबु ला-पतला आदमी आकर उनमें शानमल हो गया और तश्तररयाँ धोन,े सब्ज़ी साफ करने और अन्य छु ट-पटु काम करने मंे उनकी मदद करने लगा। बाद में छात्रों का नेता वहाँ आया तो देखता है नक वह दबु ला–पतला आदमी और कोई नहीं, उस शाम को भोज मंे ननमनं त्रत उनके सम्माननत अनतनथ गाधँ ी जी ही थ।े गाधँ ी अपने से बडों का आदर करते थे। दनक्षण अफ्रीका में गोखले गाँधी के साथ ठहरे हुए थ।े उस समय गाधँ ी ने उनके दपु ट्टे पर इस्त्री की। वह उनका नबस्तर ठीक करते थे, उनको भोजन परोसते थे। और उनके पैर दबाने को भी तयै ार रहते थे। गोखले बहुत मना करते थे, लेनकन गाधँ ी नहीं मानते थे। महात्मा कहलाने से बहुत पहले एक बार दनक्षण अफ्रीका से भारत आने पर गाँधी कांग्रसे के अनधवशे न में गए। 2. गाँधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का िूध कै से छु डिाया? उ. गाधँ ीजी को बच्चों से बहुत प्रमे था। वे माँ की तरह बच्चों की दखे भाल कर सकते थे। एक बार दनक्षण अफ्रीका में जले से लौटने पर गाँधी ने दखे ा नक उनके नमत्र की पत्नी श्रीमती पोलक बहतु ही दबु ली और कमज़ोर हो गई ह।ै उनका बच्चा दधू पीना नहीं छोडता था। गाधँ ी नजस नदन लौटे तब से उन्होंने बच्चे की दखे भाल का काम अपने हाथों में ले नलया। गाधँ ीजी सारा नदन कडी महे नत करते थ।े कभी-कभी घर आने मंे एक बज जाता था। गाँधी बच्चे को श्रीमती पोलक के नबस्तर पर से उठाकर अपने नबस्तर पर नलटा लते े थ।े बच्चा कभी नहीं रोता और उनकी चारपाई पर रात मंे आराम से सोता रहता था। इस प्रकार गाँधी ने बच्चे का दधू पीना छु डवाया। 3. गाँधी जी इतना पैिल क्यों चलते थे? पैिल चलने से क्या लाभ है? वलवखए। उ. 1. दनक्षण आफ्रीका मंे बोअर यदु ्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्रेचर पर लाकर एक-एक नदन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। 2. वे मीलों पैदल चल सकते थे। 3. दसू रे लोग उनको पैदल चलते दखे कर उनका अनकु रण करते थ।े 4. पदै ल चलने से काम करने की शारीररक क्षमता बढती ह।ै 5. शरीर मंे रक्त सचं ार ठीक रहता ह।ै 6. पैदल चलना कसरत का एक भाग ह।ै 7. पैदल चलने से थकान का अऩभु व नहीं होता। 206

“गाँधीजी प्रत्येक काम स्वयं करना चाहते थे इसनलए वे छोटे-छोटे कामों के नलए सवारी का उपयोग नहीं करते थ।े ” 4. अपने घर के वकन्ही िस कामों की सचू ी बनाकर और यह भी उन कामों को घर के कौन-कौन से सिस्य अक्सर करते हैं? तुम तावलका की सहायता से कर सकते हो-अब यह िेवखए वक कौन सबसे ज्यािा काम करता है और कौन सबसे कम। कामों का बराबर बटँ िारा हो सके , इसके वलए तुम क्या कर सकते हो, सोचकर वलवखए। क्र.सं काम मैं माँ वपता भाई बहन चाचा 1. घर का सामान लाना  2. घर की सफाई करना    3. खाना बनाना  4. कपडे धोना  5. दधू लाना  6. तरकाररयाँ लाना   7. सखु े कपडे लाना   8. पानी भरना   9. भोजन परोसना   10. तरकाररयाँ काटना   1. सबसे ज्यादा काम माँ करती ह।ैं 2. सबसे कम काम चाचा करते ह।ैं 3. काम का बराबर बँटवारा करने के नलए सभी को अपना काम स्वयं करना चानहए, तथा काम मंे एक-दसू रे की सहायता करनी चानहए। 1. नौकर पाठ मंे गाँधीजी अपना काम स्ियं करते हुए विखायी िेते है। तुम कौन-कौन से काम अपने आप करते हो? वमत्र से िातागलाप कीवजए। उ. चीनू - क्या कर रहे हो नमत्र? चीकू - कु छ नवशषे नहीं। आओ बैठो। चीनू - चीनू नहीं बैठने का समय नहीं मझु े बहतु काम ह?ै चीकू - क्या? चीनू - मझु अपना गहृ कायग परू ा करना ह।ै माँ के साथ बाज़ार जाना ह।ै बहन को पढाना है और भी बहुत कु छ। चीकू - क्या तमु अपने काम स्वयं कर लेते हो? चीनू - हाँ! मंै अपने सभी काम स्वयं करता ह।ँ कभी-कभी नपताजी और माँ का भी सहयोग करता ह।ँ 207

गाँधी जी के जीिन से हम वकस मूल्य का अनसु रण कर सकते हैं? अपने विचार वलवखए। गाँधी जी का सम्पणू ग जीवन ही अनसु रण करने योग्य ह।ै सत्य बोलना, कमशग ीलता, कमठग ता, समय का सदपु योग करना, सद्भावना, समानता की भावना, छोटों से प्रेम, बडों का आदर, कत्तवग ्य पालन आनद अनेक गणु गाँधी जी में ह,ै जो उन्हंे महात्मा बनाते ह।ैं नजनका अनसु रण करने से हम अपने जीवन को सफल बना सकते ह।ैं स्वततं ्रता का आन्दोलन, सत्य और अनहसं ा के नसद्धातं पर चलाना उनकी बहतु बडी उपलनब्ध ह।ै हमारा कत्तवग ्य है नक हम गाँधी जी के पदन् चन्हों पर चल।ें दृढ प्रनतज्ञा, दृढ ननश्चयी और कत्तवग ्य ननष्ठ बन।ंे भाषा की बात 1. यगु्म शब्द – जडु कर आने वाले शब्दों को युग्म शब्ि कहते ह।ैं जसै ुे ः- नौकर-चाकर, पढना-नलखना, आय-व्यय, आमने- सामन,े दबु ला-पतला, आना-जाना, नखला-नपला। 2. इस पाठ में गाँधीजी के द्वारा प्रयोग वकये उिूग भाषा के कु छ शब्िों को छाँवटए और उनका प्रयोग अपने िाक्यों में कीवजए। जसै े – कारकु न - सदस्य स्वने च्छक ससं ्था का कारकु न चदं ा मागँ ने आया। 1. छरहरा - दबु ला-पतला 2. रनव छरहरे बदन का लडका ह।ै 1. क) “वपसाई” संज्ा है। पीसना शब्ि से ‘ना’ वनकाल िेने पर ‘पीस’ धातु रह जाती है। पीस धातु में ‘आई’ प्रत्यय जोडने पर ‘वपसाई’ शब्ि बनता है। वकसी-वकसी वक्रया में प्रत्यय जोडकर उसे सजं ्ा बनाने के बाि उसके रूप में बिलाि आ जाता है, जैसे ढोना से ढुलाई, बोना से बआु ई। मूल शब्ि के अंत में जुडकर नया शब्ि बनाने िाले शब्िांश को प्रत्यय कहते हंै। कु छ सजं ्ाएँ िी गई हंै। बताओ ये वकन वक्रयाओं से बनी है? उ. रोपाई - रोपना कटाई - काटना नसंचाई - सींचना नसलाई - नसलना कताई - कातना रंगाई - रंगना 208

2. हर काम-धंधे के क्षेत्र की अपनी कु छ अलग भाषा और शब्ि–भंडार भी होते हंै। वपछले पषृ ्ठ पर वलखे शब्िों का सबं धं िो अलग-अलग कामों से है। पहचानो वक विए गए शब्िों के सबं धं वकन-वकन कामों से हैं। उ. रोपाई - कृ नष क्षेत्र कटाई - कृ नष क्षते ्र, कटाई का काम नसलाई - कपडे सीने का काम नसंचाई - कृ नष क्षते ्र कताई - कपडा क्षते ्र रंगाई - रंगने का काम 1. क) तुमने कपडों को वसलते हुए िेखा होगा। नीचे इस काम से जुडे कु छ शब्ि विए गए हैं। आस-पास के बडों से या िरजी से इन शब्िों के बारे मंे पूछो और इन शब्िों को कु छ िाक्यों में समझाओ। तुरपाई, कच्ची वसलाई, बवखया, चोर वसलाई उ. तरु पाई :- वस्त्रों मंे मोड कर छोटा करने के नलए तरु पाई की जाती ह।ै कच्ची नसलाई :- कपडा नसलने से पहले अच्छी तरह जमा नलया जाता ह।ै बनखया :- एक प्रकार की महीन नसलाई। यह सईू -धागे और नसलाई मशीन दोनों से की जाती ह।ै चोर नसलाई :- इस नसलाई से कपडे का उल्टे-सीधे का पता नहीं चलता ह।ैं ख) नीचे वलखे गए शब्ि पाठ से वलए गए हैं। इन्हें पाठ मंे खोजकर बताओ वक ये िीवलगं है या पवु ल्लगं । कानलख - स्त्रीनलंग भराई - स्त्रीनलंग चक्की - स्त्रीनलगं रोशनी - स्त्रीनलंग सवे ा - स्त्रीनलगं पतीला - पनु ल्लंग क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के बारें मंे बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों मंे नलख सकता ह।ँ 4.पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. स्वयं ननबधं नलख सकता ह।ँ इस पाठ में मंैने नए शब्ि सीखे - 209

अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. गांधी जी के ‘शारीररक श्रम’ पर प्रकाश डावलए। उ. गांधी जी महात्मा या बढू े होने के कारण अपने नहस्से का दनै नक शारीररक श्रम नकसी अन्य से कभी नहीं करवाते थे। दनक्षण अफ्रीका में बोअर–यदु ्ध के समय एक नदन में पच्चीस–पच्चीस मील चल कर उन्होंने घायलों को स्रेचर पर ढोया था। वे बयालीस मील तक भी पदै ल चल सकते थे। दनक्षण अफ्रीका में शाकाहारी भोज में ननमनं त्रत गाधं ी जी ने तश्तररयाँ धोने, सब्ज़ी साफ करने और अन्य काम करने मंे भी सहायता की। राजनीनतक सम्मले न से लौटने के बाद रात के दस बजे भी अपना कमरा झाडने लग जाते थे। 2. गाँधी जी कौन से काम स्ियं करने में प्रसन्नता का अनुभि करते थे? उ. वे प्रनतनदन सबु ह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थ।े घर में रोटी बनाने के नलए आटा वे खदु पीस लते े थ।े साबरमती आश्रम में भी गाधँ ी ने नपसाई का काम जारी रखा। वे चक्की को ठीक करने में कभी-कभी घटं ों महे नत करते थ।े आश्रम के ननयम के अनसु ार सभी अपने बरतन खदु साफ करते थे। गाधं ी जी जब पतीलों को साफ करने लगे तो कस्तरू बा जी ने उन्हंे रोक नदया। जले मंे उनके मददगार को उन्होंने बताया नक वे लोहे के बरतनों को माजँ कर चादँ ी जसै ा चमकाते थे। आश्रम के ननमागण के समय मेहमानों के नबस्तर लपटे कर रखने मंे भी उन्हें कोई सकं ोच नहीं होता था। आश्रम के नलए कु एँ से पानी खींचने का काम भी वे स्वयं करते थे। एक बार एक कायगकत्ताग ने गाधं ी जी को थकावट से बचाने के नलए सभी बरतनों मंे पानी भर नदया, तब गाधं ी जी को ठेस लगी। उन्होंने बच्चों के नहाने का टब उठाया और कु एँ से पानी भरकर टब को नसर पर उठाया और आश्रम ले आए। वनबधं कम्प्यूटर का महत्ि नवज्ञान ने मनषु ्य को अनके प्रकार की सनु वधाएँ दी ह।ैं नजसमंे कम्प्यटू र का नवनशष्ट स्थान ह।ै कम्प्यटू र के प्रयोग से प्रत्येक कायग को अनवलम्ब नकया जा सकता ह।ै यही कारण है नक नदन- प्रनतनदन इसकी लोकनप्रयता बढती जा रही ह।ै उन्नत और प्रगनतशील दशे स्वयं को कम्प्यटू रमय बनाने का प्रयास कर रहे ह।ंै भारत मंे भी कम्प्यटू र के प्रनत आकषणग बढ रहा ह।ै कम्प्यटू र क्या ह?ै नजज्ञासा उत्पन्न होना स्वाभानवक ह।ै वस्ततु ुः कम्प्यटू र ऐसे यांनत्रक मनस्तष्कों का रूपात्मक तथा समन्वयात्मक योग तथा गणु ात्मक ह,ै जो तीव्रतम गनत से न्यनू तम समय मंे अनधक–स-े अनधक काम कर सकता ह।ै गणना के क्षते ्र मंे इसका नवशषे महत्व ह।ै नवज्ञान ने गनणतीय गणनाओं के नलए अनेक गणना यतं ्रों का आनवष्कार नकया ह,ै पर कम्प्यटू र की तलु ना नकसी से भी संभव नहीं। 210

चालग बवजे पहले व्यनक्त थ,े नजन्होंने १९ वीं शताब्दी के आरंभ में सबसे पहला कम्प्यटू र बनाया ह।ै इस कम्प्यटू र की यह नवशषे ता थी नक यह लंबी-लबं ी गणनाओं को करने तथा उन्हें मनु द्रत करने की क्षमता रखता था। कम्प्यटू र स्वयं ही गणना कर जनटल से जनटल समस्याओं का समाधान शीघ्र कर दते ा ह।ै कम्प्यटू र द्वारा की जाने वाली गणनाओं के नलए एक नवशषे भाषा मंे ननदशे तैयार नकये जाते ह।ैं अशदु ्ध उत्तर का उत्तरदानयत्व कम्प्यटू र पर नहीं बनल्क उसके प्रयोक्ता पर ह।ै कम्प्यटू र के सफल प्रयोग ने अनेक क्षते ्रों मंे अपनी उपयोनगता नसद्ध की ह।ै भारतीय बैकं ों के खातों का संचालन तथा नहसाब-नकताब रखने के नलए कम्प्यटू र का प्रयोग आरंभ हो गया ह।ै नफर भी कम्प्यटू र ने उन्नत दशे ों के बंैकों मंे जो स्थान बनाया ह,ै वह अभी भारत मंे नहीं बना। समाचार–पत्रों तथा पसु ्तकों के प्रकाशन मंे भी कम्प्यटू र अपनी नवशषे भनू मका का ननवाहग कर रहा ह।ै कम्प्यटू र से संचानलत फोटो कम्पोनज़गं मशीन के माध्यम से छपने वाली सामग्री को टंनकत नकया जा सकता ह।ै कम्प्यटू र संचार का भी एक महत्वपणू ग साधन ह।ै कम्प्यटू र नेटवकग के माध्यम से दशे के प्रमखु नगरों को एक-दसू रे के साथ जोडने की व्यवस्था की जा रही ह।ै आधनु नक कम्प्यटू र नडज़ाइन तैयार करने मंे सहायक हो रहा ह।ै भवनों, मोटर-गानडयों, हवाई जहाजों आनद के नडज़ाइन तैयार करने में कम्प्यटू र ग्रानफक का व्यापक प्रयोग हो रहा ह।ै कम्प्यटू र मंे एक कलाकार की भनू मका का ननवागह करने की भी क्षमता ह।ै अतं ररक्ष नवज्ञान के क्षते ्र मंे कम्प्यटू र ने अपना अदभ् तु कमाल नदखाया ह।ै इसके माध्यम से अतं ररक्ष के व्यापक नचत्र उतारे जा रहे ह।ैं इन नचत्रों का नवश्लेषण भी कम्प्यटू र के माध्यम से ही नदया जा रहा ह।ै औद्ोनगक क्षेत्र म,ें यदु ्ध के क्षेत्र में तथा अन्य अनके क्षते ्रों मंे कम्प्यटू र का प्रयोग नकया जा सकता ह।ै इसका प्रयोग परीक्षा- फल के ननमाणग म,ंे अतं ररक्ष यात्रा म,ें मौसम सबं धं ी जानकारी में नचनकत्सा मंे तथा आम चनु ाव में भी नकया जा रहा ह।ै अब प्रश्न उठता है नक क्या कम्प्यटू र और मानव-मनस्तष्क की तलु ना संभव ह?ै यनद सभं व है तो इनमें कौन श्रेष्ठ ह?ै आनखर कम्प्यटू र के मनस्तष्क का ननमागण भी तो मनषु ्य द्वारा ही हआु ह।ै तलु ना मंे मनषु ्य ही श्रषे ्ठ ह;ै क्योंनक कम्प्यटू र उपयोगी होते हुए भी मशीन के समान ह।ै वह मानव के समान सवं दे नशील नहीं बन सकता। कम्प्यटू र भी मनषु ्य के हाथ की मशीन ह।ै मनषु ्य के नबना उसका कोई महत्व नहीं। भारत मंे कम्प्यटू र का प्रयोग अभी आरंनभक अवस्था में ह,ै पर धीरे-धीरे इसका प्रयोग और महत्व बढता जा रहा ह।ै मनषु ्य को कम्प्यटू र को एक सीमा तक ही प्रयोग मंे लाना चानहए। मनषु ्य स्वयं ननष्िीय न बने, बनल्क वह स्वयं को सनिय बनाये रखे तथा अपनी क्षमता सरु नक्षत रख।े मुहािरे-लोकोवक्तयाँ मुहािरों की कु छ विशेषताए-ँ 1. महु ावरों का प्रयोग स्वततं ्र वाक्य के रूप में नहीं नकया जा सकता। 2. महु ावरों का शब्दाथग नहीं लाक्षनणक अथग प्रयकु ्त होता ह।ै 3. महु ावरों के मलू रूप मंे कोई पररवतनग नहीं होता। 4. महु ावरों में प्रयकु ्त शब्दों को समानाथी शब्दों में नहीं बदला जा सकता। आओ, कु छ मुहािरे उनका अथग तथा िाक्य प्रयोग जानंे- 211

मुहािरे जब कोई वाक्यांश ननरंतर अभ्यास के कारण नवशषे अथग दने े लग,े तो उसे महु ावरा कहते ह।ंै मुहािरे अथग िाक्य अंगारे उगलना िोध करना बच्चों ने लालाजी की नई कार के शीशे तोड नदये तो लालाजी अगं ारे उगलने लग।े अंगूठा विखाना साफ इकं ार करना मरे े नमत्र ने सहायता के नाम पर अगं ठू ा नदखा नदया। अंधे की लाठी एक मात्र सहारा श्रवण कु मार अपने माता-नपता के नलए अधं े की लाठी अंधेरे घर का नजस पर आशाएँ था। उजाला नटकी हों रामदास के तीनों पतु ्र नालायक ह।ंै मनीष उनके अधं ेरे अक्ल पर पत्थर बनु द्ध भ्रष्ट होना घर का उजाला ह।ै पडना स्वाथग नसद्ध करना जब मसु ीबत सर पर मडं राती है तो कोई उपाय नहीं अपना उल्लू सीधा सझू ता। सबकी अक्ल पर पत्थर पड जाते ह।ैं करना स्वयं नवनाश को आमतं ्रण दने ा सभी नेता अपना उल्लू सीधा करने मंे लगे रहते ह।ैं अपने पाँि पर बहतु अनधक कु ल्हाडी मारना अपने माता–नपता के सामने झठू बोलकर तमु अपने अतं र पावँ पर कु ल्हाडी मार रहे हो। जमीन-आसमान अनधक कोलाहल का अंतर कानमनी और मने का में जमीन-आसमान का अतं र ह।ै करना आसमान वसर पर बच्चों ने छु ट्टी के नदन आसमान नसर पर उठा रखा ह।ै उठाना अत्यनधक नप्रय हर बेटा अपनी माँ के कलजे े का टुकडा होता ह।ै कलेजे का टुकडा 212

1. अंग-अंग ढीला होना = बहतु थक जाना। वाक्य : आज बहतु काम करने की वजह से मरे ा अगं -अगं ढीला हो गया ह।ै 2. अपनी वखचडी अलग पकाना = सबसे अलग रहना। वाक्य : महशे अपनी नखचडी अलग पकाता रहता ह।ै वाक्य : अपने माता-नपता के सामने झठू बोलकर तमु अपने पाँव पर कु ल्हाडी मार रहे हो। 3. आखँ ें फे र लेना = उदासीन हो जाना। वाक्य : स्वाथी ररश्तदे ार लालच के कारण आखँ ें फे र लते े ह।ंै 4. आग-बबूला होना = अनत िोध मंे आ जाना वाक्य : नपताजी को जब पता चला नक कमल फे ल हो गया ह,ै तो वह आग-बबलू ा हो गए। 5. ईटं का जिाब पत्थर से िेना = दषु ्ट से दषु ्टता करना वाक्य : आजकल सभी यही सोचते हैं नक ईटं का जबाब पत्थर से दने े से ही उन्ननत की जा सकती ह।ै 6. उडती वचवडया पहचानना = नदल की बात समझ लने ा वाक्य : हमारी अध्यानपका को कम मत समझना। वे उडती नचनडया को पहचान लते ी ह।ै 7. एडी-चोटी का ज़ोर लगाना = खबू दौड–धपू करना वाक्य : नौकरी पाने के नलए नववके ने एडी-चोटी का ज़ोर लगा नदया। 8. कं धे से कं धा वमलाना = आपस मंे सहयोग करना वाक्य : यनद उन्ननत चाहते हो तो कं धे से कं धा नमलाकर चलो। 9. कफन वसर पर बाँधना = मरने के नलए तैयार रहना। वाक्युः भारत का हर सनै नक सर पर कफन बाँध कर यदु ्ध मंे जाता ह।ै 10. कानों कान खबर न होना = नबलकु ल खबर न होना। वाक्य : चोर जले से भाग गया और थानेदार को कानों–कान खबर न हईु । 11. कान का कच्चा होना = नबना सोचे-नवचारे नकसी पर नवश्वास करना। वाक्य : राम तो कान का कच्चा ह,ै इस पर भरोसा मत करो। 12. खून का घूटँ पीना = िोध को अदं र ही सहना िाक्य : बच्चे से अपशब्द सनु कर माँ खनू का घटँू पीकर रह गई। 13. खून–पसीना एक करना = कठोर पररश्रम करना वाक्य : खनू –पसीना एक करके ही मनषु ्य तरक्की कर सकता ह।ै 14. घोडे बेचकर सोना = गहरी नींद में सोना वाक्य : दकु ान से आकर मरे े नपताजी घोडे बचे कर सो जाते ह।ैं 15. घाि पर नमक वछडकना = दुु ःखी को अनधक दुु ःखी करना वाक्य- मरे े घाव पर नमक मत नछडको, मंै पहले से ही बहुत दुु ःखी ह।ँ 16. छक्के छु डाना = हराना 213

वाक्य : पथृ ्वीराज ने यदु ्धभनू म मंे कई बार मोहम्मद गौरी के छक्के छु डाए। 17. जान मंे जान आना = मन को चनै नमलना वाक्य : दो घटं े से महशे का इतं ज़ार हो रहा था। उसे घर वापस आते दखे सभी की जान मंे जान आ गई। 18. डूबते को वतनके का सहारा होना = संकटग्रस्त व्यनक्त को कु छ सहायता प्राप्त होना वाक्य : बाढ पीनडत लोगों के नलए थोडी–सी खाद् सामग्री भी डूबते को नतनके का सहारा ह।ै 19. िाँतों तले उँगली िबाना = आश्चयगचनकत रह जाना वाक्य : ताजमहल की नक्काशी दखे कर सभी दातँ ों तले उँगली दबा लेते ह।ैं 20. पानी–पानी होना = लनज्जत होना वाक्य : अपना झठू पकडा गया तो रनव पानी-पानी हो गया। 21. पेट में चूहे कू िना = ज़ोर की भखू लगना वाक्य : सबु ह से मनैं े कु छ नहीं खाया। पटे मंे चहू े कू द रहे ह।ैं 22. बाएँ हाथ का खेल = अनत सरल कायग वाक्य : प्रथम आना तो ननं दनी के बाएँ हाथ का खले ह।ै 23. बाल-बाल बचना = दघु टग ना होते-होते बच जाना वाक्य : कार इतने करीब से गजु ़री नक मैं बाल-बाल बच गया। लोकोवक्तयाँ लोकोनक्त शब्द ‘लोक’ तथा ‘उनक्त’ से नमलकर बना ह।ै लोक मंे प्रचनलत उनक्त ही लोकोवक्त कहलाती ह।ै नकसी समाज ने लबं े अनभु व से जो कु छ सीखा, उसे एक वाक्य में बाधँ नदया। उसे ही लोकोनक्त का नाम नदया गया। लोक-अनभु व से नननमतग तथा लोक में प्रचनलत उनक्त को लोकोनक्त कहते ह।ंै वास्तव मंे अपने कथन की पनु ष्ट, सनं क्षप्तता, भव्यता और उपदशे दने े आनद के नलए भाषा में लोकोनक्तयों का प्रयोग नकया जाता ह।ै 1. लोकोनक्त प्राय: पणू ग वाक्य का उपवाक्य होती ह।ै 2. इनका कभी सामान्य अथग और कभी साकं े नतक अथग ग्रहण नकया जाता ह।ै 3. इनका अपना स्वततं ्र अनस्तत्व होता ह।ै ये अपने अथग के नलए वाक्य पर आनश्रत नहीं ह।ै 4. वाक्यों में इनका प्रयोग ज्यों का त्यों होता ह।ै नकसी तरह का कोई पररवतनग नहीं होता। 5. इनमें निया का होना या न होना आवश्यक नहीं ह।ैं आओ, कु छ लोकोवक्तयाँ उनका अथग तथा िाक्य प्रयोग जानें। 1. अंधों मंे काना राजा = अयोग्य व्यनक्तयों में कम योग्य व्यनक्त का श्रेष्ठ बनना वाक्य: गावँ मंे के वल रहीम ही बारहवीं पढा-नलखा ह।ै सभी उसका सम्मान कर रहे ह।ैं वो तो अधं ों में काना राजा बना हआु ह।ै 214

2. अके ला चना भाड नहीं फोड सकता = कोई भी बडा काम अके ले व्यनक्त से नहीं हो सकता। वाक्य: तमु अपने पर ज़्यादा घमडं मत करो। अके ला चना भाड नहीं फोड सकता। 3. ऊँ ट के महँु मंे जीरा = ज़रूरत से बहतु कम वाक्य: आप नदनेश को पाँच हज़ार में नौकरी दने े की सोच रहे हो, लेनकन यह वते न तो ऊँ ट के महँु मंे जीरे के समान ह।ै 4. एक हाथ से ताली नहीं बजती = नकसी भी कायग के नलए दो पक्षों का होना अननवायग ह।ै वाक्य: लडाई नसफग मनैं े नहीं की थी। वरुण ने मझु े उकसाया था। अरे! एक हाथ से ताली नहीं बजती। 5. एक अनार सौ बीमार = वस्तु थोडी और चाहने वाले अनधक वाक्य: आप सोच रहे हो, पाचँ सौ रूपये मंे दस लोगों को खाना नखला दोग।े नकसी के पल्ले कु छ नहीं पडेगा, ये तो वही बात होगी, एक अनार सौ बीमार। 6. काला अक्षर भसंै बराबर = अनशनक्षत या ननरक्षर वाक्य: - रामदीन को पढने के नलए कह रहे हो। अरे! उसके नलए तो काला अक्षर भसंै बराबर ह।ै 7. खोदा पहाड ननकली चनु हया = अनधक पररश्रम, कम लाभ वाक्य: मनंै े सोचा था नये व्यवसाय मंे अच्छा लाभ हो जाएगा, लने कन खोदा पहाड ननकली चनु हया। 8. घर का भदे ी लकं ा ढाए = घर का भदे बताने वाला ही सबसे बडा शत्रु होता है वाक्य: अपने नौकर पर कभी नवश्वास न करना, क्योंनक घर का भदे ी लकं ा ढाए। 9. नजसकी लाठी उसकी भसैं = बलवान सब कु छ कर सकता ह।ै वाक्य: समय बदल रहा ह।ै अब नजसकी लाठी उसकी भसंै वाली बात सही नहीं हो सकती। 10. जो गरजते हंै वो बरसते नहीं = जो बात अनधक करता ह,ै वह कायग नहीं करता। वाक्य: कल्पना से घबराने की ज़रूरत नहीं। वो तो यों ही नचल्लाती रहती ह।ै तमु जानते हो नक जो गरजते ह,ंै वो बरसते नहीं। 11. तेते पाँव पसाररए जते ी लाँबी सौर = आय के अनसु ार व्यय करना चानहए। वाक्य: - मंै दखे रहा हँ नक आजकल तमु कु छ ज़्यादा ही पसै े उडा रहे हो। भयै ा ! तते े पाँव पसाररए जते ी लाबँ ी सौर। 12. दरू के ढोल सहु ावने = नजतनी प्रनसनद्ध हो जाती है उतनी सत्यता पाई नहीं जाती। वाक्य: - आजकल तो कहीं पर भी शदु ्धता वाली वस्तएु ँ नहीं नमलती। दरू के ढोल सहु ावने लगते ह।ैं 13. महँु मंे राम बगल मंे छु री = बाहर से अच्छा, नदल का काला वाक्य: मोहन का कोई क्या नवश्वास करे। उसका हाल तो सभी जानते ह।ंै महँु में राम बगल मंे छु री। 215

अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। मशंु ी प्रेमचदं की गाय अगं ्रेज़ नजलाधीश के आवास के उद्ान में घसु गई। अगं ्रजे ़ गसु ्से से आग बबलू ा होकर बंदकू मंे गोली भरने लगा। गाय को ढूँढते हएु प्रमे चदं वहाँ पहचुँ गए। अगं ्रेज़ ने भरी बंदकू गाय की ओर तान दी। प्रेमचन्द ने नवनम्रता से कहा ‘महोदय! इस बार गाय को छोड द।ंे अगली बार ऐसा नहीं होगा।’ अगं ्रजे ़ झल्लाकर कहता रहा– तमु काला आदमी इनडयट हो। हम गाय को गोली मारेगा। प्रेमचन्द झट से गाय और बंदकू के बीच आ गए। गसु ्से से बोले- “तो नफर चला गोली। दखे ँू तझु मंे नकतनी नहम्मत ह।ै ले, पहले मझु े गोली मार।” अगं ्रजे ़ की हके डी नहरण हो गई। वह बदं कू की नाली नीची कर अपने बगं ले में घसु गया। प्रश्न- 1. गाय कहाँ घसु गई थी? () अ) जगं ल में आ) उद्ान मंे इ) घर में ई) दकु ान में 2. कौन गाय को ढूढँ ते वहाँ पहचुँ ा? ( ) अ) अगं ्रजे ़ आ) माली इ) मंशु ी प्रेमचंद ई) आदमी 3. अगं ्रजे ़ क्या करने लगा? उ. ____________________________________________________________ 4. अगं ्रेज़ ने झल्लाकर क्या कहा? उ. ____________________________________________________________ 5. गद्ांश को उनचत शीषकग दीनजए? उ. ____________________________________________________________ 6. गद्ाशं से दो महु ावरे पहचानकर नलनखए। उ. ____________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. गांधी जी बडों का आदर करते थ।े उदाहरण के साथ बताइए। 2. नौकरों के बारे मंे गांधी जी के क्या नवचार ह?ंै 3. इगं्लैंड में ऊँ चे घरानों में क्या होता ह?ै वनबधं -लेखन 216

वनम्न सकं े त वबंिुओं के आधार पर इटं रनेट का महत्ि विषय पर वनबधं वलवखए। सकं े त वबिं ु- प्रस्तावना, इटं रनेट का आरंभ, इटं रनटे से लाभ-हानन, उपसंहार व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे वनपात शब्ि पहचानकर रेखांवकत कीवजए। 1. वह नदल्ली ही जा रहा ह।ै 2. वह नदल्ली भी जाएगा। 3.मोहन पढता तो ह,ै परंतु अकं नहीं लाता। 2) वनम्नवलवखत मुहािरों का अथग वलवखए। 1. बात ताडना - 4. अनकु रण करना - 2. आडे हाथों लेना - 5. सम्माननत करना - 3.असंतषु ्ट होना - 6. नमक-नमचग लगाना - 3) वनम्नवलवखत लोकोवक्तयों को उनके अथग से वमलाइए। 1. आम के आम गठु नलयों को दाम अवसर के बाद सहायता व्यथग ह।ै 2. उलटा चोर कोतवाल को डाँटे अल्पज्ञ बढ-चढकर बोलता ह।ै 3. ऊँ ची दकु ान फीका पकवान दोषी होने पर भी धौंस जमाना। 4. का वषाग जब कृ नष सखु ानी पररणाम अच्छा तो सब अच्छा। 5. थोथा चना बाजे घना दोहरा लाभ 6. अन्त भला तो सब भला के वल बाहरी नदखावा। 4) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के वलंग बिलकर िाक्य वफर से वलवखए। 1. लडका दखे ता ह।ै 2. मरे े चाचाजी कल आएगँ े। 3. वहाँ कु छ नर खडे ह।ै 4. नौकर सामान लाने गया ह।ै 5. अध्यापक ने पाठ पढाया। 6. शरे जगं ल का राजा ह।ै 217

5) वनम्नवलवखत शब्िों को उनके अथग से वमलाइए। 1. महे नत क) स्वयं 2. बीनना ख) क्लकग 3. मदद ग) प्राथनग ा 4. खदु घ) पररश्रम 5. कारकु न ङ) चनु ना 6. आग्रह च) सहायता 6) वनम्नवलवखत पयागयिाची से वभन्न शब्ि अलग कीवजए। 1. शमग लज्जा बेशमग लाज 2. छात्र नशष्य नवद्ाथी नशक्षक 3. मन नाक नदल हृदय 4. तालाब नदी सर सरोवर 5. रात रजनी रानत्र प्रातुः 6. आगतं कु अनतनथ महे मान यात्री 7) वनम्नवलवखत शब्िों से प्रत्यय अलग कीवजए। 1. शारीररक 4. खरीददारी 2. आश्रमवासी 5. सम्माननत 3. पौनष्टक 6. मददगार 8) वनम्नवलवखत िाक्य समूहों का सामावसक रूप वलवखए। 1. रसोई का घर 4. भारत के वासी 2. चार है नजसके पाये 5. जो शाक-सब्ज़ी खाता है 3. महान है जो आत्मा 6. जो पढा-नलखा न हो 9) वनम्नवलवखत शब्िों के संवध विच्छेि कीवजए। 1. संतोष = __________ + _________ 2. ननश्चय = __________ + _________ 218

3. शाकाहारी = __________ + _________ 4. ननष्फल = __________ + _________ 5. महात्मा = __________ + _________ 6. भारतवासी = __________ + _________ 10) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के िचन बिवलए। 1. चक्की से आटा पीसा जाता ह।ै (___________________) 2. माँ ने थाली में खाना परोसा। (___________________) 3. मरे े साथी नहीं आए। (___________________) 4. कल दकु ान मंे चोरी हो गई। (___________________) 5. मरे े नलए यह खशु ी की बात थी। (___________________) 6. उन्हंे सब्ज़ी, फल और अनाज के पौनष्टक गणु ों का ज्ञान था। (___________________) 11) वनम्नवलवखत शब्िों में से उपसगग अलग कीवजए। 1. बेस्वाद - अ) बे आ) द इ) स्वा ई) आद () 2. अस्वस्थ - अ) स्थ आ) अ इ) आ ई) स्वस्थ () 3. अनपु नस्थत - अ) अनु आ) अन इ) अ ई) आ () 12) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे से वक्रया शब्ि पहचावनए। 1. आश्रमवासी ने आलू काट नदए। () अ) आलू आ) ने इ) काटना दने ा ई) आश्रमवासी 2. आटा खदु पीस लेते थ।े () अ) आटा आ) खदु इ) वे ई) पीस लेते 3. महे मानों को तंबुओं मंे सोना पडता था। () अ) तंबओु ं आ) था इ) महे मानों ई) सोना 13) वनम्नवलवखत िाक्यों को अथग की दृवि से पहचावनए। 1. संदु र अच्छा नहीं गाता ह।ै () अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) ननषधे वाचक वाक्य इ) इच्छावाचक वाक्य ई) आज्ञाथकग वाक्य 2. क्या लडके गदें खले ते ह?ैं () अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) ननषधे वाचक वाक्य इ) इच्छावाचक वाक्य ई) आज्ञाथगक वाक्य 3. हर चीज़ों की कीमत दखे कर खरीदो। () अ) प्रश्नवाचक वाक्य आ) ननषधे वाचक वाक्य इ) इच्छावाचक वाक्य ई) आज्ञाथकग वाक्य 219

14. वनम्नवलवखत िाक्यों को रचना की दृवि से पहचावनए। 1. बच्चे की गाँधीजी माँ की तरह दखे भाल करते थ।े () () अ) सरल वाक्य आ) नमनश्रत वाक्य इ) सयं कु ्त वाक्य () 2. दनक्षण अफ्रीका मंे गोखले गाँधी के साथ ठहरे हएु थे। () () अ) सरल वाक्य आ) नमनश्रत वाक्य इ) संयकु ्त वाक्य () 3. गाँधी जी कभी-कभी रात को एक बजे पहचुँ ते थे। अ) सरल वाक्य आ) नमनश्रत वाक्य इ) सयं कु ्त वाक्य 15) वनम्नवलवखत िाक्यों से विशेषण अलग कीवजए। 1. नमत्र की पत्नी कमज़ोर हो गई ह।ै अ) पत्नी आ) कमज़ोर इ) नमत्र की ई) हो गई 2. वे ननपणु रसोइए की तरह खाना पकाते थ।े अ) रसोइए आ) खाना इ) पकाते ई) ननपणु 3. वे बरतनों को चाँदी-सा चमका सकते थ।े अ) चादँ ी-सा आ) बरतनों इ) चमका ई) सकते वाणी चाँदी ह,ै मौन सोना ह,ै वाणी पानथगव है पर मौन नदव्य। - कहावत 220

उपिाचक साँस-सासँ मंे बाँस एलेक्स एम. जॉजग 1. जीवन = नज़दं गी Life 2. जादगू र = ऐन्द्रजानलक Magician 3. करतब = करामात Work 4. कब्र = समानध A grave 5. इकट्ठा करना = जमा करना To collect 6. डनलयानमु ा = टोकरी Small basket 7. नचनडया = पक्षी A Bird 8. खपची = बाँस आनद की पतली तीली Screw 9. चटाई = तणृ ों से बना नबछावन A mat 10. टोपी = छोटा टोप मकु ु ट A cap 11. बैलगाडी = वषृ भ की सवारी Bullock - cart 12. पलु = सते ु Bridge 13. आसपास = चारों ओर On all sides 14. जगं ल = वन Forest 15. मसलन = उदाहरण A example 16. दौरा = भ्रमण the travel 17. अगं ठू ा = तजनग ी के समीप की सबसे मोटी अगं लु ी Thumb प्रश्नोत्तर 1. बाँस को बूढ़ा कब कहा जा सकता है? बूढ़े बाँस मंे कौन-सी विशेषता होती है जो युिा बाँस में नहीं पाई जाती? उ. जो बाँस तीन वषग या उससे अनधक का होता ह,ै उसे बढू ा बाँस कहा जाता ह।ै बढू ा बासँ यवु ा बासँ से अनधक सख्त होता ह।ै इसे आसानी से तोडा नहीं जा सकता ह।ै 2. बाँस से बनाई जाने िाली चीज़ों में सबसे आश्चयगजनक चीज़ तुम्हंे कौन-सी लगी और क्यों? उ. बाँस से के वल टोकररयाँ ही नहीं बनती। बाँस की रूपनच्चयों से ढेर सारी चीज़ंे बनाई जाती ह।ंै जसै े तरह-तरह की चटाइयाँ, टोनपयाँ, टोकररया,ँ बतनग , बैलगानडया,ँ फनीचर, मकान, पलु , जाल, सजावटी सामान, नखलौन,े बासँ रु ी आनद। बाँसरु ी में जब फँू क मारी जाती है तब तरह-तरह की ध्वननयाँ आती ह।ै यह सनु कर लोग मतं ्रमगु्ध हो जाते ह।ैं इसनलए हमंे बासँ रु ी सबसे अनधक आश्चयगजनक वस्तु लगती ह।ै 221

3. बाँस की बनु ाई मानि के इवतहास मंे कब आरंभ हुई होगी? उ. मनषु ्य ने जब हाथ से कलात्मक चीज़ें बनानी शरु ू की, तभी से बाँस की चीज़ंे बन रही ह।ैं आवश्यकता और समय के अनसु ार इसके रूप, रंग और आकार मंे पररवतनग हुए हंै और हो रहे ह।ैं कहा जाता है नक जब मानव ने अपना भोजन इकट्ठा करना शरु ू नकया होगा, तब ऐसी चीज़ों की आवश्यकता पडी होगी। नचनडया के घोंसले की बनावट को दखे कर, आकनषतग होकर मानव ने बासँ की बनु ाई आरंभ की। बासँ की बनु ाई आनदमानव के काल से ही आरंभ हईु होगी। 4. बाँस के विवभन्न उपयोगों से संबंवधत जानकारी िेश के वकस भू-भाग के संिभग में िी गई है? एटलस मंे िेवखए। उ. भारत के नवनभन्न नहस्सों में बाँस बहतु ायत मंे उपलब्ध होता ह।ै भारत के उत्तर–पवू ग क्षेत्र के सातों राज्यों में बासँ बहुत पैदा होती ह।ै इसनलए वहाँ बाँस की चीज़ें बनाने का चलन भी अनधक ह।ै दशे के उत्तरी-पवू ग राज्यों मंे बाँस की चीज़ें बनाने का प्रचलन ह।ै नागालंैड के ननवासी बाँस से कलात्मक चीज़ंे बनाते ह।ैं अनेक समदु ायों के भरण-पोषण मंे बासँ का महत्वपूणग योगदान ह।ै पवठत गद्ांश पवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। बाँस भारत के नवनभन्न नहस्सों मंे बहुतायत में होता ह।ै भारत के उत्तरपवू ी क्षेत्र सातों राज्यों में बाँस बहतु उगता ह।ै इसनलए वहाँ बाँस की चीज़ें बनाने का चलन भी खबू ह।ै सभी समदु ायों के भरण-पोषण में इसका बहतु हाथ ह।ै यहाँ हम खासतौर पर दशे के उत्तरी पवू ी राज्य नागालंडै की बात करेंग।े नागालैंड के ननवानसयों में बाँस की चीज़ंे बनाने का खबू प्रचलन ह।ै प्रश्न- 1. बाँस कहाँ होता है? उ. बासँ भारत के नवनभन्न नहस्सों में बहतु ायत में होता ह।ै 2. बाँस कहाँ उगता है? उ. भारत के उत्तर-पवू ी क्षेत्र के सात राज्यों मंे बासँ बहतु उगता ह।ै 3. सभी समुिायों के भरण-पोषण में वकसका हाथ है? उ. सभी समदु ायों के भरण–पोषण मंे बाँस का हाथ ह।ै 4. बाँस की चीज़ों का प्रचलन कहाँ अवधक है? उ. नागालंैड के ननवानसयों में बासँ की चीज़ंे बनाने का खबू प्रचलन ह।ै 5. ‘िेश’ का विलोम वलवखए। उ. दशे - नवदशे मोहब्बत त्याग की माँ ह।ै वह जहाँ जाती ह,ै अपने बेटे को साथ ले जाती ह।ै - सदु शनग 222

अपवठत गद्ांश 1. वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। एक लडका था। उसका नाम भरत था। वह नयी-नयी बातें जानना चाहता था। एक नदन वह पाठशाला से आ रहा था। आसमान मंे बादल छाये हुए थ।े घर अभी कु छ दरू था। इतने मंे बडी-बडी बँदू ंे पडने लगी। भरत भागता हुआ घर पहचुँ ा। नफर भी वह भीग गया था। भरत को दखे ते ही नपताजी बोले ‘जाओ, कपडे बदल लो। नहीं तो सरदी लग जाएगी।’ कपडे बदलते ही भरत सोचने लगा - बादल आने पर आसमान मंे पानी कहाँ से आता ह?ै बादल आने पर ही वषाग क्यों होती ह?ै उसने सोचा, नपताजी से पछू ना चानहए। वह कपडे बदलकर नपताजी के पास गया। भरत ने पछू ा–‘नपताजी वषाग का पानी कहाँ से आता ह?ै ’ ‘बादलों स!े ’ नपताजी ने बताया। प्रश्न- 1.भरत का स्वभाव कै सा था? 2.नपताजी ने भरत को भीगा हुआ दखे कर क्या कहा? 3.भरत ने नपताजी से क्या पछू ा? 4.पानी कब बरसना शरु ू हआु ? 5.भरत के मन में क्या प्रश्न आया? 2. वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। माडं वी मंे चार व्यापाररयों ने एक गोदाम साझे मंे नकराए पर नलया था। उसमंे रुई की गाठँ ें रखी थी। हर एक ने अपने नलए एक- एक कोना नननश्चत कर नलया था। एक नदन उनके गोदाम मंे एक नबल्ली आई। उसी नदन बाज़ार एकदम तेज़ हो गया। चारों ने समझा नक यह नबल्ली शभु लक्षणों वाली ह।ै उसके आने से यह बरकत हुई ह।ै नबल्ली चहू ों को मारकर खाती थी, लने कन उस गोदाम मंे इतने चहू े नहीं थे नक हमशे ा उसका पटे भरे। बेचारी को फाके पडने लग।े यह दखे चारों ने सलाह की नक उसे हम दधू नपलाएगँ ।े ऐसी नबल्ली को अपने हाथों से न जाने दगंे ।े आनखर तय हुआ नक हर रोज एक-एक व्यापारी उसे बारी-बारी से दधू नपलाए। नबल्ली का बटँ वारा भी हुआ। यह भी नननश्चत हुआ नक कौन- सा पैर नकसका ह।ै प्रश्न- 1. नकसने गोदाम नकराए पर नलया? 2. बाज़ार कब तजे ़ हुआ? 3. नबल्ली को फाके क्यों पडने लग?े 4. नबल्ली का पालन-पोषण कौन करता था? 5. गद्ांश को उनचत शीषकग दीनजए। 3. वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। एक नदन बादशाह अकबर और बीरबल महल के बाग मंे सैर कर रहे थे। फले-फू ले बाग को दखे कर बादशाह अकबर बहतु खशु थ।े वे बीरबल से बोले, “बीरबल, दखे ो यह बैंगन, नकतने संदु र लग रहे ह!ैं इनकी सब्ज़ी नकतनी स्वानदष्ट लगती ह।ै बीरबल मझु े बैंगन बहुत पसदं ह।ै हाँ! महाराज, आप सत्य कहते ह।ैं यह बगैं न है ही ऐसी सब्ज़ी, ना नसफग दखे ने मंे बल्की खाने 223

मंे भी इसका कोई मकु ाबला नहीं ह।ै और दने खए, भगवान ने भी इसीनलए इसके नसर पर ताज बनाया ह।ै बादशाह अकबर यह सनु कर बहुत खशु हएु । कु छ हटतों बाद बादशाह अकबर और बीरबल उसी बाग में घमू रहे थे। बादशाह अकबर मसु ्कु राते हएु बोले, “ बीरबल दखे ो यह बंगै न नकतना भद्दा और बदसरू त है और खाने में भी बसे ्वाद ह।ै ” हाँ हजु ़रू ! आप सही कह रहे ह,ैं बीरबल बोला। इसीनलए इसका नाम बेगणु ह।ै बीरबल ने चतरु ाई से बात को बदलते हुए कहा। प्रश्न- 1. एक नदन बादशाह अकबर और बीरबल कहाँ सरै कर रहे थे? 2. राजा अकबर ने बैंगन के बारे में बीरबल से पहले क्या कहा? 3. बीरबल ने राजा अकबर की बातों का समथनग करते हएु बगैं न की तारीफ में क्या कहा? 4. कु छ हटतों बाद बादशाह अकबर के बात बदलने पर बीरबल ने अपनी बातों की चतरु ाई कै से नदखाई? 5. ‘चतरु ाई’ शब्द से प्रत्यय अलग कीनजए। 4. वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश को पढ़कर वनम्न प्रश्नों के उत्तर वलवखए। आज मानव के सामने प्रदषू ण एक बहतु बडी समस्या बन चकु ा ह।ै यनद समय रहते प्रदषू ण को दरू करने के उपाय नहीं नकए गए तो यह समस्या भयकं र रूप लके र मानव जानत के नलए खतरा बन सकती ह।ै हमारा पयागवरण जल, वाय,ु आकाश से नमलकर बना ह।ै इसनलए हमें पयावग रण को प्रदषू ण से बचाना चानहए। आज जल, वायु और आकाश, सब तरफ प्रदषू ण का ही बोलबाला ह।ै प्रदषू ण का सबसे बडा कारण मनषु ्य द्वारा नकया जा रहा औद्ोगीकरण ह।ै साथ ही जनसखं ्या की वनृ द्ध भी प्रदषू ण का कारण ह।ै आजकल उद्ोगों से ननकलने वाली गसै वायु को प्रदनू षत कर रही ह।ै कल कारखानों से ननकलने वाले अवनशष्ट पदाथग जल प्रदषू ण को बढा रहे ह।ैं नजससे मनषु ्य को शदु ्ध जल और वायु नहीं नमल रहे ह।ंै इसका पररणाम यह हो रहा है नक सबका स्वास्थ्य नबगड रहा ह,ै नजससे मानव ही नहीं परू े जीव-जगत् के सामने अनके समस्याएँ आ रही ह।ंै हमें प्रदषू ण को कम करने का प्रयास करना चानहए। प्रश्न- 1. आज मानव के सामने क्या बडी समस्या ह?ै 2. हमंे प्रदषू ण से नकसे बचाना चानहए? 3. पयावग रण नकससे नमलकर बना ह?ै 4. वायु नकसके द्वारा प्रदनू षत हो रही ह?ै 5. ‘जल’ शब्द के पयायग वाची नलनखए। 5. वनम्नवलवखत अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। भारत के सवागनधक गरीब नज़लों में से एक है पडु ुकोट्टई। नपछले नदनों यहाँ की ग्रामीण मनहलाओंने अपनी स्वाधीनता, आज़ादी और गनतशीलता को अनभव्यक्त करने के नलए प्रतीक के रूप में साइनकल को चनु ा ह।ै उनमें से अनधकांश नवसाक्षर थीं। अगर हम दस वषग से कम उम्र की लडनकयों को अलग कर दें तो, इसका अथग होगा नक यहाँ ग्रामीण मनहलाओंके एक चौथाई नहस्से ने साइनकल चलाना सीख नलया था और इन मनहलाओं में से सत्तर हज़ार से भी अनधक मनहलाओं ने प्रदशनग एवं प्रनतयोनगता जसै े सावजग ननक कायगिमों में बडे गवग के साथ अपने नए कौशल का प्रदशनग नकया है और अभी भी उनमें साइनकल चलाने की 224

इच्छा जारी ह।ै वहाँ इसके कई प्रनशक्षण नशनवर चल रहे ह।ैं ग्रामीण पडु ुकोट्टई के मखु ्य इलाकों में अत्यतं रूनढवादी पषृ ्ठभनू म से आई यवु ा मनु स्लम लडनकयाँ सडकों से अपनी साइनकलों पर जाती हुई नदखाई दते ी ह।ंै प्रश्न- 1. भारत के सवानग धक गरीब नजलों में से एक कौनसा नजला ह?ै 2. ग्रामीण मनहलाओं ने अपनी स्वाधीनता को अनभव्यक्त करने का प्रतीक नकसे चनु ा ह?ै 3. उनमंे से अनधकांश मनहलाएँ कै सी थीं? 4. ग्रामीण मनहलाओं के नकतने नहस्से ने साइनकल चलाना सीख नलया था? 5. नकतनी मनहलाओं ने प्रदशनग और प्रनतयोनगता में अपने नए कौशल का प्रदशनग नकया? अपवठत पद्ांश 1. वनम्नवलवखत अपवठत पद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। वीर तमु बढे चलो, धीर तमु बढे चलो। हाथ में ध्वजा रह,े बाल दल सजा रह।े । ध्वज कभी झकु े नहीं, दल कभी रुके नहीं। वीर तमु बढे चलो, धीर तमु बढे चलो।। प्रश्न- 1. कनव नकसे बढने के नलए कह रहे ह?ंै 2. हाथ मंे क्या रह?े 3. कौन-सा दल सजा रह?े 4. क्या झकु ना नहीं चानहए? 5. ध्वज (शब्द के पयायग वाची नलनखए।) 2. वनम्नवलवखत अपवठत पद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर वलवखए। सच हम नहीं सच तमु नहीं सच है महज सघं षग ही। सघं षग से हट कर नजए तो क्या नजए हम या नक तमु । जो नत हआु वह मतृ हुआ, ज्यों वतृ ्त से झरकर कु समु । जो लक्ष्य भलू रुका नहीं। जो हार दखे चकु ा नहीं। नजसने प्रथम पाथेय माना जीत उसकी ही रही। सच हम नहीं सच तमु नहीं। ऐसा करो नजससे न प्राणों मंे कहीं जडता रह।े जो है जहाँ चपु चाप अपने–आप से लडता रह।े 225

जो भी पररनस्थनतयाँ नमले। काटँ े –चभु े कनलयाँ नखले। हारे नहीं इन्सान है सदं शे जीवन का यही। सच हम नहीं सच तमु नहीं। प्रश्नुः 1. इस काव्यांश में जीवन की सच्चाई नकसे बताया गया ह?ै 2. 'जो नत हुआ वह मतृ हुआ' पंनक्त का आशय क्या ह?ै 3. काँटे और कनलयाँ नकसके प्रतीक ह?ै 4. अपने आप से लडने का आशय क्या ह?ै 5. ‘जीवन' शब्द का नवलोम नलनखए। 3. वनम्नवलवखत पद्ांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर वलवखए। बच्चों के नलए जो धरती माँ सनदयों से सभी कु छ सहती ह,ै हम उस दशे के वासी हैं नजस दशे में गगं ा बहती ह।ै कु छ लोग जो ज्यादा जानते ह,ैं इसं ान को कम पहचानते ह।ंै प्रश्न- 1. हम नकस दशे के वासी है?ं 2. कौन सनदयों से सभी कु छ सहती ह?ै 3. गगं ा नकस दशे में बहती ह?ै 4. नकसको कम पहचानते ह?ंै 5. उपयकगु ्त गाना नकसकी प्रशसं ा करता ह?ै 4. वनम्नवलवखत काव्यांश पढ़कर प्रक्षों के उत्तर िीवजए। पवतग कहता शीश उठाकर, तमु भी ऊँ चे बन जाओ। सागर कहता है लहराकर मन मंे गहराई लाओ। पथृ ्वी कहती है धयै ग न छोडो, नकतना भी हो सर पर भार, नभ कहता ह,ै फै लो इतना; ढक लो तमु सारा ससं ार। प्रश्न- 1. 'ऊँ चे बन जाओ' का भाव क्या ह?ै 2. सागर की तरंगंे क्या संदशे दते ी ह?ंै 3. 'धैय'ग शब्द का तात्पयग क्या ह?ै 4. 'ढक लो तमु सारा संसार'–इन शब्दों से कनव क्या कहना चाहता ह?ै 5. 'गहराई' शब्द का नवलोम क्या ह?ै 226

5. वनम्नवलवखत काव्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। मन-मोनहनी प्रकृ नत की गोद मंे बसा ह,ै नजसका चरण ननरन्तर रत्नेश धो रहा ह,ै ननदयाँ जहाँ सधु ा की धारा बहा रही ह,ैं नजसके बडे रसीले फल-कं द-नाज मवे े, सखु स्वगग-सा जहाँ है वह दशे कौन-सा ह?ै नजसका मकु ु ट नहमालय, वह दशे कौन-सा ह?ै सींचा हआु सलोना, वह दशे कौन-सा ह?ै सब अगं में सजे ह,ंै वह दशे कौन-सा ह?ै प्रश्न- 1. इस दशे की ननदयों का पानी कै सा ह?ै 2. इस दशे के चरण कौन धो रहा ह?ै 3. भारत दशे का मकु ु ट नकसे कहते ह?ंै 4. सब अगं मंे सजे ह–ंै इससे कनव क्या कहना चाहता ह?ै 5. रसीले – शब्द का नवलोम नलनखए। वनबधं 1. व्यायाम से लाभ कनव कानलदास जी का कथन है नक – शरीर धमग साधना का एकमात्र साधन ह।ै मानव शरीर मंे आत्मा का ननवास होता ह।ै स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का ननवास होता ह।ै स्वस्थ मानव दगु नु े उत्साह के साथ काम कर सकता ह।ै शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक ह।ै इसनलए हमारे शारीररक और माननसक नवकास के नलए व्यायाम आवश्यक ह।ै अच्छा स्वास्थ्य वरदान ह।ै व्यायाम और स्वास्थ्य का चोली-दामन का साथ ह।ै व्यायाम से हमारा शरीर पषु ्ट होता ह।ै हम माननसक रूप से भी स्वस्थ रहते ह।ंै व्यायाम न करने वाले मनषु ्य आलसी तथा अकमणग ्य बन जाते ह।ंै व्यायाम न करने से शरीर बेडौल हो कर तरह–तरह के रोगों से नघर जाता ह।ै व्यायाम अनेक प्रकार के होते ह।ैं प्रात:काल खलु े मदै ान मंे थोडी दरे टहलना भी व्यायाम ह।ै खले ों मंे कबड्डी, गलु ्ली-डण्डा, फु टबॉल, हॉकी, बैडनमटं न आनद खले ना भी व्यायाम होते ह।ंै इसके अनतररक्त कु श्ती, तरै ाकी, नतृ ्य करना, योगासन, दौडना भी व्यायाम के अन्तगगत आते ह।ंै व्यायाम ऐसे स्थान पर करें, जहाँ स्वच्छ वातावरण तथा प्रकाश की व्यवस्था हो। व्यायाम शारीररक क्षमता के अनकु ू ल होना चानहए। व्यायाम करने से शरीर ननरोगी रहता ह।ै शरीर मंे रक्त संचार सचु ारू रूप से होता ह।ै व्यायाम से नशनथलता और उदासी दरू होती ह।ै व्यायाम से शरीर सगु नठत रहता ह।ै इसनलए व्यायाम हमारे नलए बहुत आवश्यक ह।ै अच्छे स्वास्थ्य के नलए व्यायाम करना चानहए। ननयनमत और सयं नमत रूप से व्यायाम करना श्रये स्कर ह।ै व्यायाम हमारे स्वस्थ शरीर की आधार नशला ह।ै यनद हमें आत्मनवश्वास, उल्लास एवं स्फू नतग से भरा जीवन जीना है तो हमें प्रनतनदन व्यायाम करना चानहए। अच्छा स्वास्थ्य वरदान के समान ह।ै 227

2. राष्रवपता महात्मा गाँधी भारत के राष्रनपता गाँधीजी का परू ा नाम मोहनदास करमचंद गाधँ ी था। उनका जन्म २ अक्टूबर, 1869 को गजु रात– कानठयावाड प्रांत में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ। इनके नपता राजकोट ररयासत के दीवान थ।े अतुः गाँधीजी की आरंनभक नशक्षा राजकोट में हईु । उनकी माता पतु लीबाई साध्वी मनहला थीं। गाधँ ीजी सन् 1888 मंे बैररस्टर बनने के नलए इगं्लंैड गए। गाधँ ीजी का नववाह तेरह वषग की अवस्था मंे ही कस्तरू बा से हो गया था। गाँधीजी वकालत पास करके जब भारत लौटे तो उन्होंने मबंु ई में अपनी वकालत आरंभ कर दी। सकं ोची स्वभाव के कारण गाधँ ीजी की वकालत नहीं चली। संयोगवश तभी गाधँ ीजी को एक व्यापारी के मकु दमे के नसलनसले में दनक्षण आफ्रीका जाना पडा। वहाँ जाकर उन्होंने गोरों का भारतीयों के प्रनत दवु ्यवग हार होते दखे ा, नफर उन्होंने गोरों की जानत–भदे की नीनत का नवरोध नकया। नजसके नलए उन्हें जले भी जाना पडा, परंतु अतं में उन्हें सफलता नमली। गाधँ ीजी सन् 1915 में दनक्षण आफ्रीका से भारत लौटे। भारत आकर उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के नलए अनके ों कायिग मों में भाग नलया। उन्होंने स्वततं ्रता प्रानप्त के नलए सत्य और अनहसं ा का मागग अपनाया। उन्होंने सत्याग्रह भी नकए। वे कई बार जले भी गए। सन् 1921 मंे गाँधीजी ने “असहयोग आदं ोलन” चलाया। गाँधीजी ने भारतीयों को स्वदशे ी वस्तएु ँ अपनाने पर ज़ोर नदया। सन् 1930 मंे “नमक काननू ” का नवरोध नकया। सन् 1942 मंे “भारत छोडो” आदं ोलन चलाया। गाधँ ीजी के प्रयत्नों से 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वततं ्र हो गया। महात्मा गाँधी सत्य और अनहसं ा के पजु ारी थे। उनका नवश्वास था नक सत्य की सदवै नवजय होती ह।ै उन्होंने अपने जीवन मंे चरखे को अपनाया तथा जनता को भी इसकी प्रेरणा दी। वे भारत को राम–राज्य के रूप में दखे ना चाहते थे। वे छु आ-छू त में नवश्वास नहीं रखते थे। उनका जीवन अछु तोदध् ार, ग्राम–सधु ार तथा नहदं –ू मनु स्लम एकता के प्रनत भी समनपगत रहा। 30 जनवरी, 1948 को प्राथनग ा सभा में जाते समय नाथरु ाम गोडसे नामक व्यनक्त ने गाँधी जी पर गोनलयाँ चला दी। उनका वहीं पर “हे राम!” कहते हुए दहे ातं हो गया। दशे के प्रनत उनका अमलू ्य योगदान सदवै स्मरणीय रहगे ा। गाधँ ीजी मरकर भी अमर ह।ंै 3. मेरा भारत महान ‘सारे जहाँ से अच्छा वहन्िोस्ताँ हमारा’ कनव इकबाल की यह पंनक्त प्रत्येक भारतवासी के मन मंे गौरव का संचार कर दते ी ह।ै भारत नवश्व का प्राचीनतम दशे ह।ै प्राचीन काल से ही यहाँ की ससं ्कृ नत और सभ्यता सवोच्च नशखर पर ह।ै ज्ञान के स्रोत, वदे ों का प्रादभु ावग इसी धरती पर हुआ। अपने ज्ञान एवं सासं ्कृ नतक उच्चादशों के कारण भारत नवश्वगरु ु की संज्ञा से अभीनहत था। अपने आदशग एवं आध्यानत्मक मलू ्यों के कारण यहाँ की ससं ्कृ नत एवं सभ्यता आज भी नवद्मान ह।ै विश्व-सभ्यता का जनक- भारत नवश्व-सभ्यता का जनक है क्योंनक इसकी सभ्यता नवश्व की प्राचीनतम सभ्यता ह।ै प्रलय के बाद सवपग ्रथभ भारतभनू म पर ही मनु द्वारा सनृ ष्ट की रचना हुई। धरती का स्वगग तथा अनेक ऋनष–मनु नयों, दवे ताओं और महापरु ुषों की पणु ्य भनू म भारत पर स्वयं भगवान राम और कृ ष्ण ने अवतार लेकर इसकी नमट्टी को नतलक करने योग्य बना नदया। दनु नया की अनेक ससं ्कृ नतयाँ नमट गई, परंतु भारत की ससं ्कृ नत आज भी जीनवत ह–ै ‘कु छ बात है हस्ती वमटती नहीं हमारी। ’ 228

नामकरण : प्राचीनकाल में भारत का नाम आयागवत्तग था तथा इसके पवू ग ननवासी आयग कहलाते थे। राजा दषु ्यंत और शकंु तला के वीर पतु ्र भरत के नाम पर इसका नाम ‘भारतवषग’ पडा। मसु लमानों ने इसे नहन्दसु ्तान कहा तथा अपने ऐश्वयग और समनृ द्ध के कारण यह ‘सोने की नचनडया’ कहलाया। जगित गरु ु - सवपग ्रथम भारत वषग मंे ही ज्ञान के आनद स्रोत वदे , परु ाण तथा उपननषदों की रचना हईु । नजससे संसार मंे फै ला अज्ञान का अधँ ेरा दरू हो गया। रामायण और महाभारत जसै े पनवत्र धानमकग ग्रथं ों की रचना इसी पणु ्यभनू म पर हुई। भारतभनू म पर ही सवपग ्रथम श्रीकृ ष्ण ने अजनगु को गीता का उपदशे दके र, सम्पणू ग मानवजानत को अध्यात्म का पाठ पढाया। धरती पर ज्ञान, भनक्त और कमग की नत्रवणे ी प्रवानहत की। सभी प्रकार की कलाओंऔर नवद्ाओं का शभु ारंभ इसी धरती पर हुआ तथा मोक्ष का मलू मतं ्र भी सवपग ्रथम इसी धरती के लोगों के हाथ लगा, नजसे सम्पणू ग नवश्व में फै लाकर भारत नवश्व गरु ु कहलाया। पराधीन भारत- आनथगक दृनष्ट से सपं न्न इस सोने की नचनडया पर नवदने शयों की धनलोलपु दृनष्ट बार–बार पडती रही। शत्रुओं के बारम्बार आिमणों से संघषरग त भारत की आनथगक सपं न्नता और समनृ द्ध को अनके प्रकार से हानन उठानी पडी। ऋनषयों और मनु नयों की तपोभनू म, राम, कृ ष्ण, गौतम और महावीर की जन्मस्थली भारत कालातं र में आपसी फू ट एवं कटुता के कारण पराधीनता की बने डयों में जकडता गया तथा सकै डों वषों तक नवदशे ी इसकी श्रीसंपन्नता का दोहन करते रह।े इतना ही नहीं नवदने शयों ने भारतीयों की भावात्मक एकता को ननशाना बना कर भारतीय संस्कृ नत पर भी आघात नकया। स्िाधीन भारत - समय पररवतनग शील ह।ै भारतवानसयों के सतत् पररश्रम तथा शहीदों के बनलदान से भारत ने पनु : स्वतंत्रता प्राप्त की। यद्नप स्वततं ्रता प्रानप्त के बाद से ही भारत अनके आनथकग , सामानजक, धानमकग तथा सांस्कृ नतक समस्याओं से जझू रहा है तथानप इसमंे संदहे नहीं नक आज भारत ने हर क्षते ्र मंे अद्भुत प्रगनत की ह।ै प्रकृ वत की सरु म्य स्थली - प्राकृ नतक सौंदयग की दृनष्ट से हमारा भारत अनद्वतीय ह।ै स्वयं प्रकृ नत दवे ी ने इसे अपने हाथों से सजाया और सवँ ारा ह।ै इसकी रक्षा करने के नलए उत्तर मंे नहमालय प्रहरी बनकर खडा है तो दनक्षण में गहन गभं ीर नहन्द महासागर इसके चरण पखारता ह।ै अनेक ननदयाँ अपने शीतल जल से इसे सींचती हुई ननरंतर प्रवानहत हो रही ह।ैं यगु –यगु ान्तरों से भारत के उत्थान– पतन की साक्षी गगं ा नदी भारतीय संस्कृ नत की गौरव–गाथा कहती हईु कल–कल ध्वनन के साथ ननरंतर प्रवाहमान ह।ै भारत के इसी गौरव को सनु तथा इसकी प्राकृ नतक सषु मा को ननहार कनव इकबाल के साथ–साथ हर भारतीय पकु ार उठता ह–ै ‘सारे जहाँ से अच्छा नहन्दोस्ताँ हमारा। ’ विवभन्न संस्कृ वतयों की सगं म स्थली - भारत मंे नवनभन्न धमों एवं जानतयों के लोग रहते ह,ैं जो नभन्न–नभन्न भाषाएँ बोलते ह।ैं सबके धानमकग नवश्वास भी नभन्न ह।ंै ‘वसधु वै कु टुम्बकम’् की भावना से ओत–प्रोत हर भारतीय इस अनेकता मंे भी एकता का स्वर बलु दं करता ह–ै ‘हम एक ह’ैं , ‘हम भारतीय ह’ंै और ‘हम सब भारतीयों का एक ही वतन ह’ै –नहन्दोस्ता।ँ उपसहं ार- जनसंख्या की दृनष्ट से नवश्व के दसू रे दशे भारत के सामने अनके नवकट समस्याएँ ह,ंै जसै े– ननरक्षरता, बरे ोज़गारी, प्रदषू ण, भ्रष्टाचार तथा आतकं वाद आनद। इनसे उबरने का सतत् प्रयास करते हुए यह न नसफग एनशया अनपतु नवश्व के महान राष्रों की सचू ी मंे खडा ह।ै 229

4. पसु ्तकालय 1. प्रस्तावना 2. पसु ्तकालय के प्रकार 3. पसु ्तकालय का नवकास 4. पसु ्तकालय की उपयोनगता 5. हमारा आचरण 6. उपसंहार प्रस्तािना – पसु ्तकालय का अथग होता ह–ै पसु ्तकों का घर अथागत् जहाँ नवनभन्न प्रकार की पसु ्तकों का भण्डार हो और नजनका अध्ययन सगु मता से नकया जा सके । जब तक पसु ्तकों के अध्ययन की सनु वधा नहीं होगी, तब तक पसु ्तकों के समहू को भी पसु ्तकालय नहीं माना जा सकता। क्योंनक ढरे ों पसु ्तकें अलमारी मंे ही बन्द पडी रहगें ी, वे प्रयोग मंे नहीं आ सकें गी। अतुः पसु ्तकों का यह घर भी पसु ्तकालय नहीं कहा जा सकता। अतुः ज्ञानाजनग और नवनभन्न प्रकार के अध्ययन का ऐसा के न्द्र जहाँ नाना प्रकार की पसु ्तकें होती ह,ैं पसु ्तकालय कहा जाता ह।ै व्यवक्तगत पुस्तकालय - कोई पसु ्तक–प्रेमी जब अपने घर मंे नवनभन्न उपयोगी पसु ्तकों का संग्रह करता है और उन पसु ्तकों का नकसी-न-नकसी रूप मंे उपयोग होता ह,ै तो उसे व्यनक्तगत पसु ्तकालय कहा जाता ह।ै नवनभन्न व्यवसाय से सम्बनन्धत पसु ्तकों का जहाँ सकं लन रहता ह,ै उसे वगगग त पसु ्तकालय कहा जाता ह।ै यहाँ व्यवसाय नवशषे से सम्बनन्धत पसु ्तकों का ही सकं लन होता ह।ै जसै े वकील अपनी काननू सम्बन्धी पसु ्तकों का सकं लन करते हैं तथा नचनकत्सा नवज्ञान की नवनभन्न पसु ्तकों का संकलन नचनकत्सालयों में होता ह।ै प्रत्यके नवश्वनवद्ालय और महानवद्ालय में एक सम्पन्न पसु ्तकालय अवश्य होता ह।ै नजससे नवद्ाथी पाठ्य पसु ्तकों के अनतररक्त भी ज्ञानाजनग करने में सक्षम होते ह।ंै पुस्तकालय का विकास - यों तो मदु ्रण की व्यवस्था ने पसु ्तकालय के प्रसार मंे सहायता की ह,ै पर पसु ्तकालय का नवकास भारत में ही हुआ, यह तथ्य प्रमानणत ह।ै इनका प्रचलन हमारे यहाँ अनत प्राचीन काल में था। तक्षनशला और नालन्दा नवश्वनवद्ालय में बहृ द् पसु ्तकालय थ।े नजनमंे ज्ञान प्राप्त करने हते ु चीन, जापान, नतब्बत, लंका आनद दशे ों के व्यनक्त आया करते थ।े हमारे इनतहास में राजा जनक, यनु धनष्ठर, चाणक्य, चन्द्रगपु ्त, अशोक आनद के व्यनक्तगत पसु ्तकालयों का उल्लखे ह।ै अगं ्रजे ों के काल तक तो कई पसु ्तकालय ख्यानत पा चकु े थे। आज भी दशे मंे कई प्रनतनष्ठत पसु ्कालय ह,ैं नजनमें नदल्ली पनब्लक लाइब्ररे ी, नागरी प्रचाररणी सभा पसु ्तकालय, नवनशष्ट महत्त्व रखते ह।ंै पसु ्तकालय की उपयोवगता – पसु ्तकालय का उपयोग कई प्रकार से होता ह।ै यह ज्ञान–प्रानप्त का सवशग ्रषे ्ठ माध्यम ह।ैं एक स्थान पर नवनभन्न प्रकार की पसु ्तकों का सगं ्रह और वहाँ का शान्त वातावरण ज्ञान–प्रानप्त मंे सहायक होता है तथा नवनभन्न नवद्वानों के नवचारों से पररचय होता ह।ै पसु ्तकालय एक िरिान- नवद्ाथी और नवनभन्न प्रनतयोगी परीक्षाओंमंे बैठने वाले छात्रों के नलए पसु ्तकालय एक वरदान के रूप में ह।ै सभी उपयकु ्त व आवश्यक पसु ्तकें खरीदना सहज सम्भव नहीं। नफर अनके नवषयों की पसु ्तकंे बटोरना तो और भी सम्भव नहीं। ऐसे मंे पसु ्तकालय हमारी बहतु बडी सहायता करते ह।ैं अच्छी संगनत की मनहमा सभी जानते ह।ैं पसु ्तकंे एक अच्छी नमत्र, साथी, सखा व हमारी मागदग शकग होती ह।ैं ये ऐसी नमत्र हैं जो हमें सत्मागग पर ले जाती ह।ैं माननसक शानन्त प्रदान करके हमंे नचन्ताओं से मकु ्त करती ह।ैं समय का सदपु योग भी होता ह।ै सामानजक, राजनीनतक, नवज्ञान आनद क्षते ्रों की जानकारी हमें पसु ्तकों से ही नमलती ह।ै राष्र के प्रनत नवनशष्ट भाव जागता ह।ै पररष्कृ त सोच नवकनसत होती है और व्यनक्त का माननसक व आनत्मक नवकास होता ह।ै उसके श्रेष्ठ, प्रनतभा सम्पन्न व्यनक्तत्व के ननमाणग मंे पसु ्तकंे पयागप्त सहायक होती ह।ंै 230

हमारा आचरण – नकसी श्रषे ्ठ तत्व या पदाथग से लाभ उठाना हमारे व्यनक्तत्व पर ननभरग करता ह।ै सयू ग की नकरणें समान गनत से चमकती ह।ंै कोयल पर पडकर वे उसकी कानलमा दरू नहीं कर सकती, पत्थर को वे चमका नहीं सकती, पर हीरे पडकर वे उसे चमका दते ी ह।ैं क्योंनक उनका (हीरे का) व्यनक्तत्व ही उत्तम ह।ै इसी प्रकार स्वानत नक्षत्र की बदँू ें सपग और सीप दोनों पर अलग– अलग प्रभाव डालती ह।ैं सीप में मोती और सपग मंे नवष पदै ा करती ह।ैं हम भी पसु ्तकालय से लाभ तभी पा सकते हैं जब सज्जन बनकर वहाँ जाए।ँ पसु ्तकों पर अनावश्यक वाक्य नलखना, उन पर ननशान लगाना, उनके पषृ ्ठ फाडना आनद अपने तचु ्छ व्यनक्तत्व का पररचय दने ा ह।ै कु छ पाठक तो पसु ्तकें चरु ाने मंे भी मानहर होते ह।ंै यह भी उनचत कायग नहीं। हमंे पसु ्तकों को अपना नमत्र, गरु ु और पजू ्य मानना चानहए। उपसंहार – पसु ्तकालय हमारे जीवन के नलए अत्यनधक महत्वपणू ग और उपयोगी ह।ंै उनके प्रनत हमें पजू ्य भाव रखना अत्यन्त आवश्यक ह।ै साथ ही उनका उनचत प्रयोग करके हमें अपने को महान और श्रेष्ठ भी बनाने का प्रयास करना चानहए। पत्र लेखन 1. वमत्र को जन्मविन पर बधाई–पत्र वलवखए। स्थान - - - - - - - - - नदनाकं - - - - - - - - - नप्रय तरुण, नमस्त।े आज से ठीक एक सप्ताह बाद तमु ्हारा जन्मनदन ह।ै आशा है गत वषग की भाँनत इस बार भी तमु अपना जन्मनदन हषोल्लास से मनाओगे। नपछले सभी जन्मोत्सवों में मरे ी उपनस्थनत रही है, परंतु इस वषग अनधक व्यस्तता के कारण मैं नहीं पहचुँ सकता ह।ँ अतुः मंै यहीं से पत्र के द्वारा हानदकग शभु कामनाएँ भेज रहा ह।ँ यह नदन तमु ्हारे नलए नए उल्लास, नई उमगं ंे और नई आशाएँ लके र आए। शभु कामनाओं सनहत, तमु ्हारा नमत्र, अनखल पता- बी 204, सी, अशोक नगर, नई नदल्ली -110047 16.5.2016 231

2. छोटे भाई को परीक्षा मंे सफलता प्राप्त करने पर बधाई िेते हुए पत्र वलवखए। स्थान - - - - - - - - - नदनाकं - - - - - - - - - नप्रय भाई रमन, शभु ाशीवागद, नपताजी के पत्र से मझु े ज्ञात हुआ नक तमु इस वषग की परीक्षा में बहुत अच्छे अकं प्राप्त करने मंे सफल हएु हो। तमु ्हारी सफलता का समाचार सनु कर मरे ी प्रसन्नता का नठकाना न रहा। मरे ी ओर से तमु ्हंे बहतु -बहतु बधाई। इस परीक्षा के नलए तमु ने जो अथक पररश्रम नकया था, उससे मझु े तमु ्हारी सफलता मंे तननक भी संदहे नहीं था। तमु ने नसद्ध कर नदया है नक पररश्रम के बल पर कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती ह।ै मझु े आशा ही नहीं पणू ग नवश्वास है नक आगामी परीक्षाओं में भी तमु अपने पररश्रम के बलबतू े इससे भी अच्छे अकं प्राप्त करके अपने पररवार तथा नवद्ालय का नाम रौशन करोग।े माताजी, नपताजी को मरे ा प्रणाम। तमु ्हारा शभु नचतं क भाई, प्रभात पता- रमण बी 204, सी, अशोक नगर, नई नदल्ली -110047 232

3. वबजली सकं ट से उत्पन्न समस्याओंका उल्लेख करते हुए विद्ुत अवभयंता को पत्र वलवखए। स्थान - - - - - - - - - नदनांक - - - - - - - प्रेषक, सरु ेश 283/9, रोशन गाडगन, नजफगढ, नई नदल्ली। सवे ा म,ें नवद्तु अनभयतं ा, बी.एस.ई.एस., इदं ्रप्रस्थ स्टेट, नई नदल्ली। मान्यवर महोदय, मैं इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान अपने क्षेत्र नजफगढ मंे नबजली से उत्पन्न कनठनाइयों की ओर नदलाना चाहता ह।ँ शाम होते ही यहाँ नबजली नदारद हो जाती ह,ै नजससे यहाँ नबजली से चलने वाले उद्ोग–धधं े तो ठप्प हो जाते हैं साथ ही मरे े जसै े बोडग की परीक्षाओं की तैयारी में जटु े हुए सैकडों छात्र उनचत तयै ारी नहीं कर पा रहे ह।ैं यहाँ लगभग पदं ्रह नदनों से अनननश्चत समय के नलए नबजली कटौती हो रही ह।ै नजसके कारण इस भीषण गमी में लोगों को पानी भी सलु भ नहीं हो पा रहा ह।ै अतुः आशा है नक आप इस क्षेत्र के ननवानसयों के कष्टों को समझते हुए नबजली कटौती के समय मंे पररवतगन करंेगे। सधन्यवाद। भवदीय, सरु ेश 233

4. वकसी यात्रा पर जाने के वलए पैसे मँगिाते हुए वपताजी को मनीऑडगर भेजने के वलए पत्र वलवखए। स्थान ------- नदनांक ------ आदरणीय नपताजी, चरण स्पश।ग मंै यहाँ प्रसन्ननचत्त ह।ँ आशा ह,ै आप सब भी कु शल मगं ल होंग।े नपताजी आप मरे ी ओर से कोई नचंता न नकया करें। मैं अपनी पढाई तथा स्वास्थ्य का परू ा ध्यान रखता ह।ँ अगले महीने दशहरे की छु रट्टयों में दस नदन का अवकाश होगा। छु रट्टयों में हमारी कक्षा के बच्चे कु ल्लू मनाली, नशमला, नैनीताल व जम्मू कश्मीर जा रहे ह।ैं साथ ही हमारे अध्यापक महोदय भी जा रहे ह।ंै यनद आप कह,ें तो मैं भी उन सबके साथ ये पवतग ीय स्थल दखे आऊँ । पहले पाचँ सौ रुपये जमा करवाने पडंेग।े यनद आपकी आज्ञा हो, तो अनमु नत पत्र अवश्य नभजवा दने ा। दो हज़ार रूपये धनरानश मनीऑडगर द्वारा छात्रावास के पते पर ही भजे ना। माता जी को चरण- स्पशग और तरुण को प्यार। आपका नप्रय पतु ्र, --------------- पताुः घर नं. --------- गली -------- शहर ------- 234

5. वमत्र को नि िषग पर बधाई िेते हुए पत्र वलवखए। स्थान - - - - - - - - - नदनाकं - - - - - - - - - नप्रय नमत्र राजीव, सप्रमे नमस्ते। आशा है नक तमु स्वस्थ और आनदं पवू कग होंग।े नजस नदन तमु ्हें मरे ा पत्र नमलगे ा, उस नदन नव वषग का शभु ारंभ होगा। तमु उस नदन को बडे उत्साह से मना रहे होंग।े इस अवसर पर मरे ी ओर से कोनट-कोनट शभु कामनाएँ स्वीकार कीनजए। मंै ईश्वर से प्राथगना करता हँ नक नव वषग तमु ्हारे नलए मगं लमय हो। तमु प्रगनत-पथ पर ननरंतर बढते रहो। आपका अनभन्न नमत्र, पनु ीत पता – राजीव नवनवहार, 781-आर.पी नगर, होनशयारपरु । 235


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