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202110253-TRIUMPH-STUDENT-WORKBOOK-HINDI_FL-G06-FY

Published by CLASSKLAP, 2020-04-15 09:02:35

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अध्यापन सकं े त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ैं - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करंे। अवभव्यवक्त सृजनात्मकता 1. वनबंध में लोकगीतों के वकन पक्षों की चचाग की गई हंै? वबिं ुओं के रूप मंे उन्हंे वलवखए। उ. 1. लोकगीत घर, गावँ और नगर की जनता के गीत ह।ैं 2. इनके रचने वाले भी अनधकतर गाँव के लोग ही ह।ंै 3. लोकगीत इस दशे के आनदवानसयों का संगीत ह।ै 4. लोकगीत में बडी जान होती ह।ै 5. लोकगीतों में कोरी कल्पना को नहीं वरन् रोज़मराग के बहते जीवन को स्थान नदया जाता ह।ै 6. सभी लोकगीत गावँ और इलाकों की बोनलयों में गाए जाते ह।ैं 7. लोकगीतों मंे भाषा आसानी से समझी जा सकती है। 2. ‘पर सारे, िेश......................... अपने विद्ापवत हैं’, इस िाक्य का क्या अथग है? पाठ के आधार पर वलवखए। उ. लोकगीत के वल कु छ प्रांतों में ही सीनमत नहीं ह।ै यह परू े दशे यानी कश्मीर से कन्याकु मारी और के रल तक व्याप्त ह।ै यही नहीं सभी राज्यों कानठयावाड, गजु रात, राजस्थान, उडीसा, महाराष्र, मध्य प्रदशे , नबहार, तनमलनाडु, पंजाब आनद स्थानों में भी लोकगीत गाए जाते ह।ैं इन गीतों को रचने वाले अपने-अपने दशे के नवद्ापनत ह।ैं अपने स्थान, रहन-सहन, वशे भषू ा, सभ्यता व संस्कृ नत के आधार पर वे सभी इन गीतों की रचना व गायन करते ह।ंै 3. जैसे–जैसे शहर फै ल रहे हैं और गाँि वसकु ड रहे हंै, लोकगीतों पर उनका क्या असर पड रहा है? आस-पास के लोगों से बातचीत करके अपने अनुभि वलवखए। उ. शहर में नमलने वाली आधनु नक सनु वधाओं के कारण गाँव के लोग शहर की ओर पलायन कर रहे ह।ंै इस कारण गावँ नसकु ड रहे ह।ैं फलस्वरूप गाँव मंे लोकगीत गाने वालों की संख्या कम हो रही ह।ै नजससे लोकगीत गाने की प्रथा भी कम हो रही ह।ै आस-पास के लोगों से बातचीत करने पर पता चला नक- समय के अभाव के कारण लोग आजकल लोकगीतों की ओर से नीरस होने लगे ह।ंै रुनच होने पर भी वे इन गीतों का आनन्द ले पाने मंे असमथग हंै। पीढी-दर-पीढी वास्तनवक लोकगीत कहीं खोते जा रहे ह।ैं नवकास और प्रगनत के नाम पर शहर की ओर पलायन करने वाले लोग, इन गीतों को पहले की भाँनत अपने दनै नक जीवन में उपयोग मंे नहीं ला सकते। 1. अपने आस-पास के क्षेत्र का कोई लोकगीत इकट्ठा कीवजए। अपनी कक्षा में गाकर सुनाइए। उ. लोकगीतों मंे हररयाणा के लोकगीत का महत्वपणू ग स्थान ह।ै जीवन का हर पक्ष इन लोकगीतों से जडु ा होता ह।ै नवनभन्न अवसरों पर लोकगीत के गायन की परम्परा होती है। सावन का एक हररयाणवी लोकगीत इस प्रकार है – नानी नानी बनंू दयाँ 150

नानी नानी बंनू दयाँ है सावन का मरे ा झलू णा, एक झलू ा डाला मनैं े बाबल के राज म,ंे बाबल के राज म।ंे संग की सहले ी है सावन का मरे ा झलू णा, नानी नानी बंनू दयाँ है सावन का मरे ा झलू णा, एक झलू ा डाला मनैं े भयै ा के राज में , भयै ा के राज म।ें गोद भतीजा है सावन का मरे ा झलू णा, नानी नानी बंनू दयाँ है सावन का मरे ा झलू णा। 1. जीिन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, िहाँ भला आनंि के िोतों की कमी हो सकती है? उद्दाम जीिन के ही िहाँ के अनंत सखं ्यक गाने प्रतीक हैं। क्या तुम इस बात से सहमत हो? ‘वबिेवसया’ नामक लोकगीत से कोई कै से आनिं प्राप्त कर सकता है और िे कौन लोग हो सकते हैं, जो इसे गाते-सनु ते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करके कक्षा मंे सबको बताओ। उ. भोजपरु ी में करीब तीस-चालीस वषों से ‘नबदने सया’ का प्रचार हो रहा ह।ै गाने वालों के अनेक समहू इन लोक गीतों को गाते हएु दहे ात मंे नफरते ह।ंै नबहार में नबदने सया से बढकर दसू रे गाने लोकनप्रय नहीं ह।ंै इन गीतों में अनधकतर रनसकनप्रयों और नप्रयाओं की बात रहती ह।ै परदसे ी प्रेमी की ओर करुणा और नवरह का रस इन गीतों से बरसता ह।ै भाषा की बात 1. लोकगीत वकनकी सहायता से गाए जाते हैं? उ. लोकगीत ढोलक, झाँज, करताल, बाँसरु ी, बाजा आनद वाद्ों की सहायता से गाए जाते ह।ंै 1. ‘लोक’ शब्ि में कु छ जोडकर वजतने शब्ि तुम्हंे सझू े, उनकी सूची बनाओ। इन शब्िों को ध्यान से िेखो और समझो वक इनमंे अथग की दृवि से क्या समानता है। इन शब्िों से िाक्य भी बनाओ। जैसे– लोक कला। उ. लोककला : बरु ाग कला प्रनसद्ध लोककला ह।ै लोकपद : गावँ के लोग लोकपद का बहुत उपयोग करते ह।ैं लोकगीत : हमें लोकगीत सनु ने से आनदं नमलता ह।ैं लोकपाल : लोकपाल नबल पर नवधान सभा में बहतु हगं ामा हआु । 151

लोकपोशाक : सलवार-सटू पजं ाबी मनहलाओं की लोकपोशाक ह।ै लोकव्यवस्था : प्रजाततं ्र मंे लोकव्यवस्था का बहुत महत्व होता ह।ै अथग की दृनष्ट से इन शब्दों में समानता नहीं ह।ै 2. बारहमासा गीत में साल के बारह महीनों का िणगन होता है। नीचे विवभन्न अंकों से जुडे कु छ शब्ि विए गए हंै। इन्हंे पढ़ो और अनुमान लगाओ वक इनका क्या अथग है और िह अथग क्यों है? इस सचू ी में तुम अपने मन से सोचकर भी कु छ शब्द जोड सकते हो – उ. इकतारा - एक तार वाला वाद् नतराहा - तीन राहें सरपंच - पाँच सदस्यों का नायक दोपहर - मद्ाह्न चारपाई - चार पैर वाली (खाट) छमाही - छुःमास सप्तनषग - सात ऋनष नवरानत्र - नौ रातंे अठन्नी - आधा रूपये का नसक्का चौराहा - चार राहंे 3. को, मंे, से आवि िाक्य में सजं ्ा का िूसरे शब्िों के साथ संबंध िशागते हंै। ‘झाँसी की रानी’ पाठ मंे तुमने ‘का’ के बारे मंे जाना। नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पसु ्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकिाद् का िणगन विया गया है। इसे पढ़ो और ररक्त स्थानों में उवचत शब्ि वलवखए। उ. तरु ही भारत के कई प्रातं ों में प्रचनलत ह।ै यह नदखने मंे अगं ्रजे ी के एस या सी अक्षर की तरह होती ह।ै भारत के नवनभन्न प्रातं ों में पीतल या कासँ े से बना यह वाद् अलग-अलग नामों से जाना जाता ह।ै धातु की नली को घमु ाकर एस का आकार इस तरह नदया जाता है नक उसका एक नसरा संकरा रहे और दसू रा नसरा घटं ीनमु ा चौडा रह।े फँू क मारने से एक छोटी नली अलग रूप से जोडी जाती ह।ै राजस्थान में इसे बगगू कहते ह।ंै उत्तर प्रदशे मंे यह तरु ही, मध्य प्रदशे और गजु रात में रणनसंघा और नहमाचल प्रदशे मंे नरनसंघा के नाम से जानी जाती ह।ै राजस्थान और गजु रात में इसे काकडनसघं ी भी कहते ह।ंै क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के बारें मंे बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का साराशं अपने शब्दों में नलख सकता ह।ँ 4. पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. लोकगीतों को इकट्ठा कर गा सकता ह।ँ इस पाठ मंे मंैने नए शब्ि सीखे - 152

अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. आल्हा के गीत वकस प्रकार के हैं और कै से गाए जाते हंै? इनका आरंभ कब हुआ? उ. आल्हा के गीत बडे लोकनप्रय होते ह।ंै अनधकतर यह बदंु ले खंड में गाए जाते ह।ैं इनका आरंभ चंदले राजाओं के राजकनव जगननक से माना जाता ह,ै नजसने आल्हा और उदल की वीरता का अपने महाकाव्य मंे बखान नकया था। यह गीत हमारे गाँवों मंे आज भी बहतु प्रमे से गाए जाते ह।ैं इनको गाने वाले आज भी ढोलक लेकर गाँव-गाँव घमू ते रहते ह।ंै इन्हीं गीतों को नट रनस्सयों पर खले करते हुए भी गाते ह।ंै 2. िास्तविक लोकगीत कहाँ–कहाँ गाए जाते हैं? उ. वास्तनवक लोकगीत दशे के गाँवों और दहे ातों के ह।ंै इन गीतों मे बडी जान होती ह।ै इनमंे चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आनद नमज़ागपरु , बनारस उ. प्र के परू बी और नबहार के पनश्चमी नजले मंे गाए जाते ह।ंै बंगाल के लोकगीत बाउल और भनतयाली ह।ंै पजं ाब मंे मानहया आनद ह।ंै हीर–राँझा, सोनी–मनहवाल, पंजाबी में ढोला–मारु आनद राजस्थानी में गाए जाते ह।ैं इन गीतों की रचना रोज़मराग के जीवन से संबंनधत ह।ैं इनकी सरलता से समझी जा सकने वाली भाषा भी इनकी सफलता का कारण ह।ै वचत्र िणगन 1. वचत्र िेकर कहानी, लेख, भाषण आवि वलखिाए जा सकते हैं। इनसे कल्पनाशवक्त का विकास होता है। वचत्र को िेखकर वनबंध तैयार कीवजए। प्रदषू ण क्या ह?ै हमारे स्वास्थ्य के नलए हाननकारक वातावरण! खदे के साथ कहना पडता है नक हम नवज्ञान की सीढी पर चढ तो गए पर दनु नया को नरक के कगार पर खडा कर नदया ह।ै आप जानते ही हंै नक प्रदनू षत शहरों में नदल्ली का नाम अग्रगण्य ह।ै वाय-ु प्रदषू ण, ध्वनन-प्रदषू ण और भनू म-प्रदषू ण के कु प्रभाव धीरे-धीरे अपना जाल फै लाते जा रहे ह।ैं 153

सडकों पर दौडने वाली गानडयाँ हमंे मनं ज़ल तक नहीं, मौत के महँु मंे धके ल रही ह।ैं गानडयों के उगले ज़हर से अमीर- गरीब से कोई नहीं बच पाया। प्रदषू ण की चचाग तो बडे ज़ोर-शोर से ह।ै सब भयभीत, त्रस्त और लाचार जान पडते ह।ंै लाचार होने से कोई काम नहीं हो सकता। हमंे आगे बढकर इस दतै ्य का मकु ाबला करना होगा। कहने-सोचने से नहीं, कु छ करना होगा। हम सब अपने-अपने स्तर पर कु छ कर नदखाएँ तभी बात बनेगी। तो नमत्रों! प्रण करंे नक हम अपने स्टीररयो की आवाज़ अपने तक ही रखगें ।े अपने घर के साथ-साथ सावजग ननक सपं नत्त को अपना समझकर उसकी दखे भाल करेंग।े आस- पास का वातावरण साफ रेखगें ।े यहाँ-वहाँ कू डा नहीं फें कें ग।े यनद हम इस दतै ्य से बचना चाहते ह,ंै तो प्रदषू ण रनहत समाज के नलए परू ा सहयोग द।ें धन्यवाद! अव्यय शब्ि अविकारी शब्ि अव्यय या अविकारी उन शब्िों को कहते हंै जो सिा एक रूप मंे रहते हैं। अन्य शब्िों मंे ये शब्ि अव्यय कहलाते हंै। जो वलंग, िचन, काल या कारक के कारण नहीं बिलते। वक्रया विशेषण संबधं बोधक समुच्चय बोधक विस्मयावि बोधक जो शब्द निया की वे अव्यय अथवा जो अव्यय दो शब्दों, जो शब्द नवस्मय, नवशषे ता का बोध अनवकारी शब्द जो वाक्याशं ों अथवा शोक, भय, घणृ ा, हषग कराते ह,ैं उन्हंे निया- सजं ्ञा या सवनग ाम वाक्यों को जोडने का आनद भावों का बोध नवशेषण कहते ह।ैं शब्दों के साथ आकर कायग करते ह,ैं उन्हंे कराते ह,ंै उन्हें उनका सबं धं वाक्य के 'समचु ्चयबोधक' 'नवस्मायानद बोधक' राधा धीरे-धीरे चलती ह।ै अन्य शब्दों से जोडते अथवा 'योजक' कहते या 'दय् ोतक' कहते ह।ैं राजू कल पाठशाला ह,ैं उन्हंे सबं ंध बोधक ह।ैं जाएगा। कहते ह।ैं हाय! मंै सरस्वती की वरद मीनल और सोनल खेल पतु ्री क्यों न हुई। के पास - मरे े घर के रही ह।ंै पास संदु र बगीचा ह।ै राजू कल पाठशाला चाहे पायल गाए, चाहे पारुल। जाएगा। 154

अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश 1. अपवठत गद्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। बहुत परु ानी बात ह।ै पाडं व वनवास मंे रहने की शतग परू ी कर रहे थे। उन नदनों पांडव-पतु ्र अपनी माता कंु ती के साथ एक ब्राह्मण के घर मंे रह रहे थे। पांडवों ने अपना वषे बदला हआु था, तानक उन्हंे कोई पहचान न सके । ब्राह्मण के घर में रहते हुए पाँचों भाई सवरे े-सवरे े नभक्षा मागँ ने ननकल जाते थे। उस नगर के बाहर एक गफु ा में ‘बकासरु ’ नामक राक्षस रहता था। वह लोगों को मारकर खा जाता था। प्रश्न- 1. पांडवों की माता का नाम क्या ह?ै अ) कंु ती, माद्री आ) गायत्री इ) सानवत्री ई) अनसु यू ा 2. गफु ा में कौन-सा राक्षस रहता था? अ) वत्रासरु आ) जालधं र इ)भस्मासरु ई) बकासरु 3. पाडं वों और कौरवों के बीच कौनसी शतग थी? उ. _____________________________________________________________ 4. ब्राह्मण के घर पाचँ ों भाई कै से रहते थे? उ. _____________________________________________________________ 5. कंु ती पतु ्र अपना गजु ़ारा नकस प्रकार करते थे? उ. _____________________________________________________________ 6. सवरे े-सवरे े शब्द क्या ह?ै उ. _____________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर िीवजए। 1. ‘लोकगीत’ और शास्त्रीय संगीत मंे क्या अतं र ह?ै 2. लोकगीत की सफलता के क्या कारण ह?ै 3. कु छ लोकगीतों के नाम और उनके नजलों के बारे मंे बताइए? 155

वचत्र -िणगन वनम्नांवकत वचत्र के आधार पर एक छोटी-सी कहानी वलवखए। व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्य मंे अविकारी शब्ि रेखांवकत कीवजए। 1. मरे े घर के पास सदंु र बगीचा ह।ै 4. वह डर के मारे कापँ ने लगा। 2. उफ! नकतनी गमी ह!ै 5. वहाँ अधँ रे ा ह।ै 3. राम-लक्ष्मण और सीता वन को गए। 6. मंै नपताजी के साथ सरै को जाता ह।ँ 2) वनम्नवलवखत मंे से उवचत विकल्प चुनकर ररक्त स्थानों की पवू तग कीवजए। 1. तमु ्हारे _________________________ और कौन हो सकता ह?ै () () अ) रनहत आ) अनतररक्त इ) ज़ररए ई) कारण () 2. राहलु _________________________ सनवता खडी ह।ै अ) की ओर आ) के मध्य इ) की तरफ ई) के पास 3. बीमार होने _________________________ कल्पना स्कू ल नहीं आई। अ) के बाद आ) के कारण इ) से ई) की वजह 3) वनम्नवलवखत िाक्यों में विस्मयाविबोधक शब्ि वकन मनोभािों को व्यक्त कर रहे हैं? पहचानकर वलवखए। 1. शाबाश! इसी तरह उन्ननत करते रहो। - ________________________ 2. आह! मामा जी नमठाई लाए ह।ैं - ________________________ 3. नछुः! पढ-नलखकर इतनी बरु ी ज़बु ान। - ________________________ 4. ठीक! यहाँ के नज़ारे सदंु र ह।ैं -_ _______________________ 156

4) वनम्नवलवखत िाक्यों को सयं ुक्त िाक्यों मंे बिलकर वलवखए। 1. लोकगीत जनता के सगं ीत ह।ंै लोकगीत की भाषा आसानी से समझ सकते ह।ैं उ. _________________________________________________________________ 2. परु ुष एक ओर दल बाँधकर गाते ह।ंै नस्त्रयाँ दसू री ओर दल बाँधकर गाती ह।ैं उ. _________________________________________________________________ 3. नस्त्रयाँ ढोलक की मदद से गाती ह,ैं उनके गाने के साथ नाच का पटु होता ह।ै उ. _________________________________________________________________ 5) वनम्नवलवखत मुहािरों का अथग वलखकर िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. अनसनु ी करना – उ. ________________________________________________________________ 2. नौ दो ग्यारह होना – उ. ________________________________________________________________ 3. जी मंे आना - उ. ________________________________________________________________ 6) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के विलोमाथग वलखकर िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. एक समय था, जब शास्त्रीय संगीत के सामने लोकगीत को हये समझा जाता था। उ. _______________________________________________________________ 2. दहे ाती गीतों मंे कोरी कल्पना को मान नहीं नदया जाता ह।ै उ. _______________________________________________________________ 3. हमारे गाँवों मंे लोकगीत बहतु प्रेम से गाए जाते ह।ैं उ. _______________________________________________________________ 4. वे व्यनक्त बडे ही भले ह।ैं उ. _______________________________________________________________ 5. गावँ का जीवन सीधा-सादा होता ह।ै उ. _______________________________________________________________ 6. प्राचीन काल से ही गीतों की परंपरा चली आ रही ह।ै 157

उ. _____________________________________________________________ 7) वनम्नवलवखत िाक्य मंे रेखावं कत शब्िों के वलंग पहचानकर वलवखए । 1. परु ुष वीर थे और नस्त्रयाँ वीराँगना थीं। 2. हमारे दशे मंे नर और नारी को एक समान समझा जाता ह।ै 3. परु ुष ढोल बजाते हंै और नस्त्रयाँ गाती ह।ैं 4. नवद्वान ने कनवता नलखी नवदषु ी ने कनवता नलखी। नवदषू ी 5. वर ने वधू को जयमाला पहनाई। 6. गायक ने गाना गाया, गानयका ने भी साथ नदया। 8) वनम्नवलवखत शब्िों के सवन्ध–विच्छेि कीवजए। 4. उल्लनसत - _________+_________ 1. ननद्वदं ्व - _________+_________ 2. अत्यंत - _________+_________ 5. ननश्चय - _________+_________ 3. पद्ात्मक - _________+_________ 6. संगीत - _________+_________ 9) वनम्नवलवखत शब्िों के पयागयिाची वलवखए। 4. नज़र - _________. ________ 1. साधना - _________. ________ 2. त्यौहार - _________. ________ 5. जगं ल - _________. ________ 3. दहे ात - _________. ________ 6. स्त्री - _________. ________ 10) वनम्नवलवखत शब्िों में अन्तर समझकर वलवखए। 1. अकं - _________. ________ अगं - _________. ________ 2. अन्न - _________. ________ अन्य - _________. ________ 3. अध्ययन - _________. ________ अध्यापन - 4. ________. ________ 11) वनम्नवलवखत शब्िों से उपसगग अलग कीवजए। 1. परदशे ी - अ) पर आ) दशे इ) ई ई) अ () इ) उत् ई) इत () 2. उल्लनसत - अ) उल आ) नसत इ) महान ई) महा () 3. महाकाव्य - अ) मह आ) काव्य 158

12) वनम्नवलवखत शब्िों के भाषा–भेि बताइए। 1. अनधकतर गीत नबरह में गाए जाते ह।ंै () अ) संज्ञा आ) नवशषे ण इ) निया ई) सवनग ाम () 2. कश्मीर से कन्याकु मारी तक लोकगीत फै ले ह।ैं () अ) सजं ्ञा आ) नवशेषण इ) निया ई) सवनग ाम () () 3. लोकगीत बडे ही ओजस्वी और सजीव होते ह।ैं () अ) संज्ञा आ) नवशेषण इ) निया ई) सवनग ाम 13) वनम्नवलवखत शब्िों से प्रत्यय अलग कीवजए। 1. लोकनप्रयता - अ) लोक आ) ता इ) नप्रयता ई) नप्रय ई) शास्त्र 2. शास्त्रीय - अ) इय आ) शा इ) ईय ई) पर 3. अनधकतर - अ) तर आ) अनधक इ) तार 14) वनम्नवलवखत िाक्यों में सिगनाम शब्ि पहचावनए। () 1. इनका एक प्रकार बडा ओजस्वी ह।ै () () अ) बडा आ) इन इ) प्रकार ई) ओजस्वी ई) आह्लादकर () 2. यह बडे आह्लादकर, आनंददायक होते ह।ैं ई) सगं ीत () () अ) यह आ) आनदं दायक इ) होते 3. यह साधारण जनता का संगीत होता ह।ै अ) जनता आ) साधारण इ) यह 15) वनम्नवलवखत िाक्यों में कारक वचह्न पहचावनए। 1. अपनी नवशेष लोकनप्रयता के कारण यह शास्त्रीय संगीत से अलग ह।ै अ) के , से आ) के , का इ) के , मंे ई) की, के ई) की, से 2. अनधकतर उनके गाने के साथ नाच का भी पटु होता ह।ै ई) के , में अ) के , की आ) के , का इ) की, के 3. जगं ल की जानतयों के भी अपने दल-गीत होते ह।ंै अ) की, के आ) के , पर इ) के , का अनभु व-प्रानप्त के नलए काफी मलू ्य चकु ाना पड सकता ह,ै पर उससे जो नशक्षा नमलती ह,ै वह और कहीं नहीं नमलती। - अज्ञात 159

इकाई-3 11. वटकट अलबम सिुं रा रामास्िामी अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया  प्रश्न- 1. वचत्र मंे क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र में नवनभन्न दशे ों के डाक नटकट नदखायी दे रहे ह।ंै 2. तुमने डाक वटकटों पर कौन-कौन सा वचत्र िेखा है? उ. मनंै े डाक नटकटों पर फू ल, पत्त,े स्के नटंग करते हएु आदमी, नततली, इनं दरा गाधँ ी, महात्मा गाँधी, भीमराव अबं ेडकर, अब्दलु कलाम, नवट्ठल भाई पटेल आनद के नचत्र दखे े ह।ैं 3. तुम वकन चीज़ों का सकं लन करना चाहोगे? उ. मैं डाक नटकटों, नसक्कों, पेड-पौधों के पत्तों आनद का संकलन करना चाहता ह।ँ 1. अलबम = एकनत्रत की गई चीज़ें रखने वाली पसु ्तक Photo album 2. जमघट लगा रहना 3. टोनलयाँ = भीड Be crowd 4. उत्सकु 5. तजे ़-तरारग = छोटा समहू Small group 6. नफसड्डी 7. बेहद = उत्साह Enthusiasm = होनशयार Cleverness = पीछे रह जाना Old model = नबना हद के Without borders 160

8. शक = संदहे Doubt उदय होना Rise 9. उगना = वशं Ancestry शमग के नबना Without having shame 10. खानदान = महगं ा Expensive, costly चालाकी नदखाना To show cleverness 11. बेशमग = खोजना To grope 12. कीमती = 13.चालबाज़ी करना= 14. टटोलना = राजप्पा को अलबम बनाने का बहुत शौक था। उसके नटकट अलबम की तारीफ सभी लडके तथा लडनकयाँ करते थ।े उसने मधमु क्खी की तरह एक–एक करके नटकट जमा नकए थ।े वह सबु ह आठ बज़े घर से ननकल पडता था। जहाँ कहीं नए नटकट नमलने की आशा होती, वहाँ वह नकसी भी तरह पहचुँ जाता था। नकसी भी तरकीब से वह नटकट हानसल कर लते ा था। परू े स्कू ल मंे उसका अलबम सबसे बडा था। लने कन जब से नागराजन अपना अलबम लेकर स्कू ल आया ह,ै तब से राजप्पा के अलबम को कोई पछू ता भी नहीं था। सभी लोग नागराजन का अलबम दखे कर बहुत आकनषतग हो गए थे। अब सभी बच्चे नागराजन के अलबम की तलु ना राजप्पा के अलबम से करने लग।े राजप्पा के अलबम में नटकटंे अनधक थी, नकं तु नागराजन का अलबम बहुत अनधक सदंु र था। नजसे सब बच्चे दखे ना व छू ना चाहते थ।े राजप्पा ने नागराजन का अलबम कभी नहीं दखे ा। वह चपु के से आखँ ें नीची करके ही उसके अलबम को दखे ा करता। उसने कभी उसका अलबम नहीं माँगा। नागराजन का नाम उसके अलबम पर सदंु र अक्षरों से नलखा गया था। उसके नीचे ही नागराजन ने नलखा था- ‘इस अलबम को चरु ाने वाला बशे मग ह।ै जब तक घास हरी ह,ै कमल लाल, सरू ज जब तक पवू ग से उगे और पनश्चम में नछपे उस अनतं काल तक के नलए अलबम मरे ा ह,ै मरे ा ही रहगे ा।’ दसू रे लडकों ने इसे अपने अलबम में उतार नलया। नजससे राजप्पा को और भी ईष्याग होने लगी। उसे स्कू ल जाना भी अब अच्छा नहीं लगता था। उसे अपने अलबम से नचढ होने लगी थी। एक नदन यँू ही अनमने भाव से वह नागराजन के घर गया। पता चला नक वह शहर गया हुआ ह।ै उसके कमरे मंे बैठे-बैठे उसने नागराजन का अलबम उसके दराज़ से ननकाल नलया और घर आ कर उसे नछपा नदया। सभी को राजप्पा पर शक हआु । इस डर से नक कहीं उसे पनु लस न पकड ले, राजप्पा ने वह अलबम अगँ ीठी मंे डालकर जला नदया। मगर जब उसने नागराजन को रोते हएु दखे ा, तो उसे पश्चाताप होने लगा और उसने प्रायनश्चत करने के नलए अपना अलबम नागराजन को दे नदया। 1. बच्चों को क्या-क्या चीज़ें जमा करने की आित होती है? उ. बच्चों को डाक नटकटें, नसक्के , पत्त,े परु ाने रूपयों के नोट, परु ाने नचत्र, पेड-पौधों के पत्त,े फू ल,आभषू ण आनद चीज़ों को जमा करने की आदत होती ह।ै 161

2. तुम्हंे कौन-सी चीज़ जमा करने की आित है और क्यों? उ. मझु े डाक नटकट एवं नसक्के जमा करने की आदत ह।ै इसकी प्रेरणा मझु े अध्यापकों से नमली और इस तरह जमा करने से दशे -नवदशे ों की मदु ्रा की जानकारी नमलती ह।ै साथ ही डाक नटकटों पर अनं कत नचत्र दखे कर उस व्यनक्त की महानता के बारे मंे जानने की उत्सकु ता होती ह,ै नजस कारण वह डाक नटकट पर अनं कत हएु ह।ंै 3. कई लोग चीज़ों को इकट्ठी करते हंै और ‘वगनीज़ बुक ऑफ िल्डग ररकॉडग’ में अपना नाम िजग करिाते हैं। इसके पीछे उनकी क्या प्रेरणा होती होगी? सोचो और अपने िोस्तों से इस पर बातचीत कीवजए। उ. ‘नगनीज़ बकु ऑफ वल्डग ररकॉडग’ में के वल नवनशष्ट व्यनक्तयों के नवनशष्ट कायग ही सनम्मनलत नकए जाते ह।ैं नजन्हंे पहले न नकसी ने नकया हो और भनवष्य में न नकसी के कर सकने की आशा हो। ऐसे लोगों को दखे कर अन्य लोग भी उत्सानहत होते हैं और ननत नए कायग करने की प्ररे णा लेते ह।ंै कु छ लोग जो साहनसक कायग करते हंै और कु छ नवशषे सामान इकट्ठा करते ह,ैं उन्हें दखे कर वे भी इसी तरह के साहनसक कायग करने की प्ररे णा पाते ह।ंै अवतररक्त प्रश्न 1. राजप्पा को अब कोई क्यों नहीं पछू ता था? 2. लडनकयों ने अलबम दखे ने के नलए क्या नकया? 3. राजप्पा तथा नागराजन के अलबम में क्या अतं र था? 4. चोरी करने पर हमारी हालत कै सी हो जाती ह?ै 1. नागराजन ने अलबम के मखु ्य पृष्ठ पर क्या वलखा और क्यों? इसका असर कक्षा के िूसरे लडके -लडवकयों पर क्या हुआ होगा? उ. नागराजन की अलबम के मखु ्य पषृ ्ठ पर नलखा हआु था- ए. एम. नागराजन, (नाम) “इस अलबम को चरु ाने वाला बेशमग ह।ै ऊपर नलखे नाम को कभी दखे ा ह?ै यह अलबम मरे ा ह।ै जब तक घास हरी है और कमल लाल, सरू ज जब तक पवू ग से उगे और पनश्चम मंे नछपे, उस अनतं काल तक के नलए यह अलबम मरे ा ह,ै और रहगे ा। 2. नागराजन के अलबम के वहट हो जाने के बाि राजप्पा के मन की क्या िशा हुई? उ. राजप्पा मन ही मन गमु समु रहता था। स्कू ल जाना अब उसे खलने लगता था। उसे लडकों के सामने जाने में शमग आती थी। आम तौर पर पहले वह शननवार और रनववार को नटकट की खोज मंे लगा रहता था। अब वह घर में ही घसु ा रहता था। नदन मंे कई बार अलबम को पलटता रहता था। अब उसे अलबम से नचढ होने लगी थी। अब वह समझता था नक अलबम वाकई कू डा हो गयी ह।ै 3. अलबम चुराते समय राजप्पा वकस मानवसक वस्थवत से गुज़र रहा था? उ. अलबम चरु ाते समय राजप्पा का नदल तेज़ी से धडकने लगा। जसै े उसका परू ा शरीर जलने लगा हो। उसका गला सखू रहा था, चहे रा तमतमाने लगा था, उसकी नींद उड गई थी। इस प्रकार वह बहुत परेशान- सा होने लगा था। उसका मनस्तष्क उसे यह कायग करने से रोक रहा था। वह जानता था नक यह गलत ह,ै इसनलए वह बहतु भयभीत था। 162

अवतररक्त प्रश्न 1. दगे ची एक दशे ी भाषा का शब्द ह।ै पाठ मंे आए कु छ अन्य दशे ी शब्द ढूँनढए। 2. अपमान में अप उपसगग ह।ै अप उपसगग लगाकर कु छ और शब्द बनाइए। 3. मशहर, उल्लू बनाना, चालबाज़ी करना, ठहाका मारकर हसँ ना आनद शब्दों को वाक्यों मंे प्रयोग कीनजए। अध्यापन संके त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ैं - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ंे तथा उनके उत्तर की सराहना करें।    अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता      1. राजप्पा िूसरे लडकों से नागराजन के बारे में क्या-क्या कहता था? उ. आजकल राजप्पा के अलबम को कोई नहीं पछू ता। सब लडके नागराजन को घरे े रहते और उसकी प्रशसं ा करते थे। इसनलए राजप्पा दसू रे लडकों से कहता नक– नागराजन घमडं ी हो गया ह।ै 2. क्या राजप्पा को नागराजन से ईष्याग थी? उ. नागराजन के मामाजी ने उसके नलए नसंगापरु से अलबम नभजवाया था। जो बहुत ही सनु ्दर और आकषकग था। राजप्पा ने मधमु क्खी की तरह एक-एक नटकट जमा नकया था। लेनकन अब उसके अलबम की शान घट गई थी। सभी लडके नागराजन को घरे े रहते थे। उसका अलबम दखे ना चाहते थे। इसनलए राजप्पा को नागराजन से ईष्याग होनी लगी थी। 3. राजप्पा ने अपना अलबम नागराजन को क्यों विया? उ. अपनी ईष्याग के कारण राजप्पा ने नागराजन का अलबम चरु ा नलया था। अलबम चरु ाने के बाद उसे सतं ोष नहीं हुआ। वह हर आहट पर घबरा जाता। उसने खाना भी नहीं खाया। दरवाज़े की खटखटाहट पर भी उसे पनु लस के आने का भय सता रहा था। आत्मग्लानन के कारण वह भयभीत रहने लगा। भय के कारण उसने नागराजन का अलबम अगं ीठी मंे डालकर जला नदया। नागराजन जब राजप्पा के पास रोता हुआ आया और अलबम के खो जाने की बात बताई, तब राजप्पा को उसकी हालत दखे कर अपनी भलू का अहसास हो गया। पश्चाताप के रूप में उसने अपना अलबम नागराजन को दे नदया। 4. राजप्पा ने नागराजन का वटकट-अलबम अंगीठी मंे क्यों डाल विया? उ. राजप्पा ने सोचा नक वह पकडा जाएगा। उसने जब दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज़ सनु ी तो समझा नक पनु लस आ गई है और भय के कारण उसने नागराजन के नटकट-अलबम को अगं ीठी मंे डाल नदया। 163

5. लेखक ने राजप्पा के वटकट इकट्ठा करने की तुलना मधमु क्खी से क्यों की? उ. नजस प्रकार मधमु क्खी शहद के नलए तरह-तरह के फू लों के पास दरू -दरू तक घमू ा करती ह,ै उसी प्रकार राजप्पा ने नटकट इकट्ठा करने के नलए अनेक प्रयास नकए थे। वह नटकट जमा तकने वाले लडकों के यहाँ चक्कर लगाता। उसने सब लोगों के पास जाकर अनके अटकलंे लगाकर नटकट खरीदे थ।े इसनलए लेखक ने राजप्पा के नटकट इकट्ठा करने की तुलना मधमु क्खी से की ह।ै 6. वटकटों की तरह बच्चे और बडे िूसरी चीज़ें भी जमा करते हंै। वसक्के उनमें से एक हैं। तुम कु छ अन्य चीज़ों के बारे मंे सोचो, वजन्हंे जमा वकया जा सकता है, उनके नाम वलवखए। उ. नटकटों की तरह बच्चे और बडे दसू री चीज़ें भी जमा करते ह।ंै नसक्के उनमंे से एक ह।ैं बच्चे नसक्कों के अलावा, मोरपखं , फू ल, पत्त,े गेदं , नखलौने, परु ाने नचत्र, सनू क्तया,ँ नखलानडयों के , अनभनेताओ के नचत्र आनद भी जमा करते ह।ंै सभी की अपनी-अपनी रुनच होती ह।ै अपनी पसदं के अनसु ार बच्चे चीज़ें जमा करते ह।ंै 7. वटकट अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में क्या फकग है? तुम अपने शौक के वलए कौन-सा तरीका अपनाओगे? उ. नटकट-अलबम का शौक रखने का राजप्पा का तरीका अच्छा ह।ै नटकट इकट्ठा करने के नलए सब लोगों से नमलकर नटकट खरीदने पडते ह।ैं रूपयों के नवननमय से ही यह कायग संभव ह।ै राजप्पा ने जगह-जगह घमू कर नटकट जमा नकए थे और काफी महे नत करके अपना नटकट अलबम बनाया था। इसीके नवपरीत नागराजन ने अपने मामाजी द्वारा नसगं ापरु से नभजवाया गया अलबम सभी को बताया था। उसने अलबम बनाने के नलए कोई महे नत नहीं की थी। हम अपना शौक परू ा करने के नलए पररश्रम का मागग अपनाएँगे। 1. यवि वटकट अपने बारे में कु छ बता पाते तो क्या बताते? सोचकर वटकट की आत्मकथा वलवखए। उ. मंै नटकट ह।ँ मैं डाक नटकट के रूप म,ंे बस म,ें रेल म,ें प्रदशनग ी म,ंे सगं ्रहालय म,ंे प्रवशे पत्र के रूप में रहती ह।ँ मझु े खरीदने से आन-े जाने की सनु वधा, नकसी नवशषे समारोह में प्रवशे करने की सनु वधा उपलब्ध होती ह।ै जब तक कहीं प्रवशे करना हो या यात्रा करना हो तब तक मंै बहुत मलू ्यवान होती ह।ँ मरे े नबना हर कायग असंभव हो जाता ह।ै लने कन जब मरे ा कायग समाप्त हो जाता है तब मंै कागज़ के मलू ्यहीन टुकडे के अलावा कु छ नहीं होती। पहले मझु े जबे में सभं ाल कर रखा जाता है और काम हो जाने पर कचरे के कू डे में डाल नदया जाता ह।ै मझु पर नवषय से सबं ंनधत जानकारी भी नलखी हईु होती ह।ै मैं नकस उपयोग की ह,ँ यह उसे पढ कर पता लगाया जा सकता ह।ै जसै े- बस से यात्रा करते समय मझु पर रास्ते की दरू ी, नदनांक, नक. मी., मरे ा मलू ्य आनद सब कु छ छपा होता ह।ै  164

 1. राजप्पा ने नागराजन का वटकट अलबम अँगीठी में डाल विया। वकं तु नागराजन के िुुःखी होने पर उसने अपना वटकट अलबम िे विया। इस घटना से पता चलता है वक राजप्पा ने अपनी की हुई गलती को सुधारने का प्रयास वकया। राजप्पा की प्रशंसा करते हुए अपने विचार वलवखए। उ. राजप्पा ने नागराजन से ईष्याग के कारण उसका नटकट अलबम अगँ ीठी मंे डाल नदया था। नकं तु नागराजन के दुु ःखी होने पर उसने अपना प्यारा नटकट अलबम उसे दे नदया। इस घटना से हमंे पता चलता है नक राजप्पा ने अपनी की हईु गलती को सधु ारने का प्रयास नकया ह।ै राजप्पा ने नागराजन को अपना नटकट अलबम दके र अच्छा काम नकया। उसने अपना नटकट अलबम बहुत महे नत से तैयार नकया था। जसै ा नक पाठ में बताया गया है नक मधमु क्खी की तरह उसने एक-एक नटकट जमा नकया था। इतने पररश्रम के बाद अपना अलबम नमत्र को दने ा वास्तव में बहुत साहस का कायग ह।ै अपनी भलू का आभास होने पर वह के वल क्षमा भी माँग सकता था नकन्तु क्षमा मागँ ने से श्रषे ्ठ उसने अलबम दके र अपनी नमत्रता ननभाई। नमत्रता का यह उदाहरण श्रषे ्ठ व प्रशसं नीय ह।ै इस प्रकार अपनी नप्रय वस्तु नकसी को भी दे दने ा सरल नहीं होता। भाषा की बात  1. वटकट कहाँ-कहाँ वलये जाते हैं? उ. जसै े – बस, रेल, नसनेमा हॉल,जतं ु सगं ्रहालय, वस्तु सगं ्रहालय, प्रदशनग ी और मले े आनद जगहों पर नटकट नलए जाते ह।ैं 2. अपने अलबम के बारे में बातें करना फालतू है। रेखांवकत शब्ि का अथग वलखकर िाक्य में प्रयोग करें। उ. फालत=ू व्यथग, बके ार– हमंे व्यथग की बातंे नहीं करनी चानहए। 3. रात में खाना नहीं खाया। (विलोमाथी िाक्य वलवखए। ) उ नदन मंे खाना खाया। 4. बाहर का वकिाड बंि था। उ. अदं र का नकवाड खलु ा था। 1) वनम्न वलवखत शब्िों को कहानी मंे ढूढ़ँ कर उनका अथग समवझए। अब स्ियं सोचकर इनसे िाक्य बनाइए। उ. खोंसना = खींचना  सब राजप्पा का अलबम खोंसने लग।े अगआु = नते ा  राम एक अच्छा अगआु बना। जमघट = समहू  वहाँ लोगों का जमघट था। टटोलना = खोजना  वह अपने नटकट टटोलने लगा। कु ढना = िोनधत होना  सीता िोध से कु ढकर बोली। 165

ठहाका = ज़ोर की हसँ ी  रमशे की बातंे सनु कर राम ठहाका मारने लगा। पचु कारना = लाड करना  उसने रमेश को पचु कारा। खलना = जलन होना  राम के अकं शाम को खलने लग।े हके डी = घमडं , ज़बरदस्ती राम में हके डी की प्रवनृ त्त ह।ै तारीफ = प्रशसं ा  अच्छे अकं नमलने पर अध्यापक जी रमशे की तारीफ करने लग।े 2) कहानी से व्यवक्तयों या िस्तुओंके वलए प्रयुक्त ‘नहीं’ का अथग िेने िाले शब्िों (नकारात्मक विशेषण) को छाँटकर वलवखए। उनका उल्टा अथग िेने िाले शब्ि वलवखए। उ. 1. नहीं पछू ता  पछू ता 2. नहीं लगाने दते ा  लगाने दते ा 3. पछू ने वाला नहीं था  पछू ने वाला था 4. नहीं माना  माना 5. नहीं रहा गया  रहा गया 6. बडा अलबम नहीं है  बडा अलबम है 7. खाना नहीं खाया  खाना खाया 8. दरे नहीं लगी  दरे लगी 9. नहीं खोलता  खोलता 10. यकीन नहीं आया  यकीन आया 11. नहीं चानहए  चानहए क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. पाठ के बारंे मंे बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों में नलख सकता ह।ँ 4. पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. पाठ के आधार पर नटकट की आत्मकथा नलख सकता ह।ँ इस पाठ मंे मंैने नए शब्ि सीखे - 166

अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. राजप्पा ने नागराजन की अलबम कै से चुराई? उ. राजप्पा नागराजन के घर गया था। वह अकसर वहाँ आया-जाया करता था। इसनलए नकसी ने टोका भी नहीं। नागराजन शहर गया हआु था। कामाक्षी (नागराजन की बहन) से अलबम की प्रशसं ा सनु कर वह और नचढने लगा। वह मजे ़ पर नबखरी हईु नकताबों को टटोलने लगा। अचानक उसका हाथ दराज के ताले से टकरा गया। मजे ़ पर से उसने चाबी ढूँढ ननकाली। सीनढयों के पास झाकँ कर दखे ा कोई नहीं ह।ै जल्दी से दराज़ खोली। अलबम ऊपर ही रखा था। झट से उसे कमीज़ के नीचे ठोंस नलया और दराज़ बंद करके घर की ओर भाग गया। 2. राजप्पा की ईष्याग का क्या पररणाम हुआ? उ. एक नदन यँू ही अनमने भाव से वह नागराजन के घर गया। पता चला नक वह शहर गया हुआ ह।ै उसके कमरे में बठै े-बठै े उसने नागराजन का अलबम उसके दराज़ से ननकाल नलया और घर आकर उसे नछपा नदया। सभी को राजप्पा पर शक हुआ। इस डर से नक कहीं उसे पनु लस न पकड ले, राजप्पा ने वह अलबम अगँ ीठी मंे डालकर जला नदया। आत्मकथा महात्मा गाधं ी को हमारे दशे की आज़ादी में उच्चतम योगदान की वजह से उन्हें \"राष्रनपता या बाप\"ू के रूप में जाना जाता ह।ै उन्होंने अनहसं ा और लोगों की एकता में नवश्वास नकया और भारतीय राजनीनत मंे आध्यानत्मकता लायी। उन्होंने भारतीय समाज से छु आ-छू त को हटाने के नलए, भारत मंे नपछडे वगों के उत्थान के नलए, सामानजक नवकास के नलए गाँवों का नवकास करने के नलए आवाज़ उठाई, भारतीय लोगों को स्वदशे ी वस्तओु ंका उपयोग करने के नलए प्रेररत नकया और अन्य सामानजक मदु ्दों के नलए कनठन प्रयास नकय।े वे आम लोगों को राष्रीय आदं ोलन मंे भाग लेने के नलए सामने लाए और उनकी सच्ची स्वतंत्रता के नलए लडने के नलए उन्हंे प्रेररत नकया। ऐसे महान परु ुष के जीवन से जडु ंे कु छ अशं उनकी आत्मकथा से प्रस्ततु ह।ैं गाधँ ीजी ने एक घटना का नजि अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में नकया ह।ै यही वह घटना थी, नजसने सत्य के प्रनत गांधी के लगाव को नवराट रूप दे नदया और एक सामान्य पररवार के बेहद साधारण लडके को महात्मा गांधी बना नदया। दरअसल यह घटना गाधं ी के पोरबंदर मंे रहते हुए तब घटी जब वे स्कू ली छात्र थे। वे अपनी आत्मकथा में नलखते ह-ैं हाईस्कू ल के पहले ही वषग की, परीक्षा के समय की एक घटना उल्लेखनीय ह।ैं नशक्षा नवभाग के इन्सपके ्टर जाइल्स नवद्ालय की ननरीक्षण करने आए थे। उन्होंने पहली कक्षा के नवद्ानथगयों को अगं ्रेज़ी के पाँच शब्द नलखाए। उनमें एक शब्द 'के टल' (kettle) था। मनैं े उसके नहज्जे गलत नलखे थ।े नशक्षक ने अपने बटू की नोक मारकर मझु े सावधान नकया। लेनकन मंै क्यों सावधान होने लगा? मझु े यह ख्याल ही नहीं हो सका नक नशक्षक मझु े पास वाले लडके की पट्टी दखे कर नहज्जे सधु ार लेने को कहते ह।ंै मनैं े यह माना था नक नशक्षक तो यह देख रहे हंै नक हम एक-दसू रे की पट्टी में दखे कर चोरी न करंे। सब लडकों के पाँचों शब्द सही ननकले और अके ला मंै बेवकू फ ठहरा। नशक्षक ने मझु े मरे ी बेवकू फी बाद मंे समझाई, लेनकन मरे े मन पर कोई असर न हुआ। मंै दसू रे लडकों की पट्टी मंे दखे कर चोरी करना कभी न सीख सका। इतने पर भी नशक्षक के प्रनत मरे ा नवनय कभी कम न हुआ। बडों के दोष न दखे ने का गणु मझु में स्वभाव से ही था। बादमें इन नशक्षक के दसू रे दोष भी मझु े मालमू हुए थे। नफर भी उनके प्रनत मरे ा आदर बना ही रहा। मंै यह जानता था नक बडों की आज्ञा का पालन करना चानहए। 167

इसी समय के दो और प्रसंग मझु े हमशे ा याद रहे ह।ैं साधारणतुः पाठशाला की पसु ्तकों को छोडकर और कु छ पढने का मझु े शौक नहीं था। सबक याद करना चानहए, उलाहना सहा नहीं जाता, नशक्षक को धोखा दने ा ठीक नहीं, इसनलए मैं पाठ याद करता था। लने कन मन अलसा जाता, इससे अक्सर सबक कच्चा रह जाता। ऐसी हालत में दसू री कोई चीज़ पढने की इच्छा क्यों कर होती? नकन्तु नपताजी की खरीदी हईु एक पसु ्तक पर मरे ी दृनष्ट पडी। नाम था श्रवण- नपतभृ नक्त नाटक। मरे ी इच्छा उसे पढने की हईु और मैं उसे बडे चाव के साथ पढ गया। उन्हीं नदनों शीशे मे नचत्र नदखाने वाले भी घर-घर आते थे। उनके पास भी श्रवण का वह दृश्य भी दखे ा, नजसमें वह अपने माता-नपता को कांवर में बठै ाकर यात्रा पर ले जाता ह।ै दोनों चीज़ों का मझु पर गहरा प्रभाव पडा। मन में इच्छा होती नक मझु े भी श्रवण के समान बनना चानहए। श्रवण की मतृ ्यु पर उसके माता-नपता का नवलाप मझु े आज भी याद ह।ै उस लनलत छन्द को मनंै े बाजे पर बजाना भी सीख नलया था। मझु े बाजा सीखने का शौक था और नपताजी ने एक बाजा नदया भी था। इन्हीं नदनों कोई नाटक कं पनी आयी थी और उसका नाटक दखे ने की इजाज़त मझु े नमली थी। उस नाटक को दखे ते हुए मंै थकता ही न था। हररशचन्द का आख्यान था। उसे बार-बार दखे ने की इच्छा होती थी। लेनकन यों बार-बार जाने कौन दते ा? पर अपने मन मंे मनंै े उस नाटक को सकंै डों बार खले ा होगा। हररशचन्द की तरह सत्यवादी सब क्यों नहीं होते? यह धनु बनी रहती। हररशचन्द पर जसै ी नवपनत्तयाँ पडी वसै ी नवपनत्तयों को भोगना और सत्य का पालन करना ही वास्तनवक सत्य ह।ै मनंै े यह मान नलया था नक नाटक मंे जसै ी नलखी ह,ंै वसै ी नवपनत्तयाँ हररशचन्द पर पडी होगी। हररशचन्द के दुु ःख देखकर उसका स्मरण करके मैं खबू रोया। आज मरे ी बनु द्ध समझती है नक हररशचन्द कोई ऐनतहानसक व्यनक्त नहीं था। नफर भी मरे े नवचार में हररशचन्द और श्रवण आज भी जीनवत ह।ै मैं मानता हँ नक आज भी उन नाटकों को पढू ँ तो मरे ी आखँ ों से आसँ ू बह ननकले। सत्यवादी हररश्चंद्र के सच बोलने की प्रेरणा और माता-नपता के प्रनत श्रवण कु मार की प्रगाढ श्रद्धा ने गाधं ी जी को परू े जीवन भर प्रभानवत रखा और उन्हंे परू ी दनु नया मंे महामानव बना नदया। शब्ि – भेि शब्ि वणों के साथगक समहू को ‘शब्द’ कहते ह।ैं क + म + ल = कमल अथग के आधार पर एकाथी शब्ि अनेकाथी शब्ि पयागयिाची शब्ि विलोम शब्ि एक से अनधक अथग का बोध शब्दों के अथग में शब्दों का उल्टा एक ही अथग का कराते ह।ंै इन शब्दों का अथग समानता होती ह।ै बोध कराते ह।ंै अथग दते े ह।ंै बदलता रहता ह।ै रनववार, जनवरी अकं -गोद, सखं ्या अनग्न-आग, पावक अच्छा × बरु ा शब्ि – भेि - अथग के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं – क) साथगक शब्ि, ख) वनरथगक शब्ि क) साथगक शब्ि- नजन शब्दों का कु छ-न-कु छ अथग हो अथातग ् अथगयकु ्त शब्दों को साथगक शब्ि कहते ह।ंै जसै े – बच्चा, मैदान, कक्षा, अध्यानपका आनद। 168

ख) वनरथगक शब्ि – नजन शब्दों का कोई अथग नहीं होता अथागत् अथगहीन शब्दों को वनरथगक शब्ि कहते ह।ैं जसै े – चाय–वाय, मदै ान-वदै ान, रोटी-वोटी, दकु ान-वकु ान, खाना-वाना आनद। इन शब्द यगु्मों मंे दसू रे शब्द का कोई अथग न होने पर भी लोग प्रायुः साथगक शब्दों के साथ इनका प्रयोग करते ह।ंै साथगक शब्ि के वनम्नवलवखत भेि हैं – क) एकाथी शब्ि – नजन शब्दों का प्रयोग के वल एक ही अथग मंे होता ह,ै उन्हंे एकाथी शब्ि कहते ह।ैं जसै े–लडका, पसु ्तक, पेड, घर, कु त्ता, शरे आनद। ख) अनेकाथी शब्ि – नजन शब्दों के अनके अथग होते ह,ंै उन्हें अनेकाथी शब्ि कहते ह।ैं नहदं ी मंे ऐसे बहुत से शब्द हंै जो अनके अथों के वाचक होते ह।ंै जसै े - अथग-धन, मतलब, प्रयोजन, व्याख्या। ग) समानाथी या पयागयवाची शब्ि–नजन शब्दों के अथों में समानता हो और जो एक ही वस्तु के व्यंजक हों, वे समानाथी या पयायग वाची शब्द कहलाते ह।ैं जसै -हवा, वाय,ु समीर, पवन। समानाथी शब्ि - वे शब्द जो नभन्न–नभन्न होते हएु भी नकसी एक अथग को स्पष्ट करते ह,ैं समानाथी शब्ि कहलाते ह।ैं जैसे- 1. अनग्न - आग, अनल, पावक, ज्वाला 2. आकाश - गगन, आसमान, अबं र, नभ, अनंत 3. इच्छा - अनभलाषा, आकांक्षा, मनोरथ, कामना 4. कमल - जलज, पंकज, नीरज, सरोज, अबं जु 5. तालाब - सरोवर, सर, ताल, तडाग 6. अरण्य - वन, कानन, जगं ल, नवनपन 7. अहकं ार - दभं , घमडं , दपग, अनभमान 8. आखँ - नेत्र, लोचन, चक्ष,ु नयन 9. आनंद - आमोद, प्रमोद, हष,ग उल्लास, खशु ी 10. कपडा - वस्त्र, पट, अबं र, चीर 11. गगं ा - सरु सरी, दवे नदी, भागीरथी, अलकनंदा 12. जल - पानी, नीर, अबं ,ु वारर 13. पररश्रम - महे नत, श्रम, उद्म 14. वषाग - बाररश, बरखा, बरसात 15. दशु ्मन - शत्र,ु बैरी, ररपु घ) विलोम शब्ि – उल्टा अथग दने े वाले शब्द नवलोम या नवपरीताथकग शब्द कहलाते ह।ैं जैसे- हार x जीत, अदं र x बाहर विलोम शब्ि : 1. अमतृ  नवष 10. अल्पायु  दीघायग ु 2. आशा  ननराशा 11. उपनस्थत  अनपु नस्थत 3. आलस्य  स्फू नतग 12. दयालु  ननदयग ी 4. अथग  अनथग 13. उत्थान  पतन 5. अपना  पराया 14. अनजु  अग्रज 6. उधार  नकद 15. आरंभ  अतं 7. अनधक  न्यनू 16. उपकार  अपकार 8. आयात  ननयातग 17. उपाय  ननरुपाय 9. उनचत  अननु चत 18. नवीन  प्राचीन 169

अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश 1. नीचे विए गए अपवठत गद्ांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। चररत्र-ननमाणग जीवन की सफलता की कँु जी ह।ै जो मनषु ्य़ अपने चररत्र की ओर ध्यान दते ा ह,ै वही जीवन-क्षेत्र में नवजयी होता ह।ै चररत्र-ननमागण से मनषु ्य के भीतर ऐसी शनक्त जागतृ होती है जो उसे जीवन-संघषग मंे नवजयी बनाती ह।ै ऐसा व्यनक्त जीवन के प्रत्यके क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता ह।ै वह जहाँ कहीं भी जाता है, अपने चररत्र की शनक्त से अपना प्रभाव स्थानपत कर लेता ह।ै वह सहस्त्रों और लाखों के बीच अपना अनस्तत्व रखता ह।ै उसे दखे ते ही लोग उसके व्यनक्तत्व के सम्मखु अपना मस्तक झकु ा लेते ह।ैं उसके व्यनक्तत्व में सरू ज का तजे , आधँ ी की गनत और गगं ा के प्रवाह की सी अबाधता होती ह।ै प्रश्न- 1. जीवन की सफलता की कँु जी नकसे कहा गया ह?ै () अ) नवजयी को आ) मनषु ्य को इ) चररत्र-ननमागण को ई) जीवन-संघषग को 2. व्यनक्त जीवन के प्रत्येक क्षते ्र मंे क्या प्राप्त करता ह?ै () अ) सफलता आ) असफलता इ) अनस्तत्व ई) अपना प्रभाव 3. कौन-सी शनक्त जीवन-संघषग मंे नवजयी बनाती ह?ै उ. ____________________________________________________ 4. चररत्रवान लोगों का व्यनक्तत्व कै सा होता ह?ै उ. ____________________________________________________ 5. उपयकगु ्त गद्ांश को उनचत शीषकग दीनजए। उ. ____________________________________________________ 6. ‘नवजय’ का नवलोमाथग नलनखए। उ. ____________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. राजप्पा नागराजन से ईष्याग क्यों करने लगा था? 2. राजप्पा ने अपनी नटकट अलबम बनाने के नलए क्या-क्या प्रयास नकए थ?े 3. राजप्पा को अपनी अलबम के बारे मंे बात करना फालतू क्यों लगने लगा? आत्मकथा छाते की आत्मकथा वलवखए। सकं े त वबंिु – प्रस्तावना, आरंभ, लाभ, नशक्षा 170

व्याकरण 1) वनम्नवलवखत शब्िों के िो-िो समानाथी शब्ि वलवखए। 1. माता - __________________, ____________________ 2. नकनारा - __________________, ____________________ 3. कोयल - __________________, ____________________ 4. पतु ्र - __________________, ____________________ 5. तालाब - __________________, ____________________ 6. नदी - __________________, ____________________ 2) वनम्नवलवखत शब्िों मंे अनुपयुक्त समानाथी शब्ि पर गोला लगाओ। 1. अशं ु रनश्म मयरू 2. फु लवारी वन बगीचा 3. मानलक सवे क दास 4. दनु नया आसमान नवश्व 5. बच्चा नशशु बालक 6. सतु ा स्त्री औरत 3) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग वलवखए। 1. वरदान _________________ 4. घणृ ा ____________________ 2. उपकार _____________ 5. . .आदान ______________________ 3. कायर ________________ 6. नमत्र 4) वनम्नवलवखत पयागयिाची मंे से वभन्न शब्ि पहचावनए। 1. आग, ज्वाला, पतगं ा, अनल (_________________) 2. पश्चाताप, पछतावा, प्रायनश्चत, पवन (_________________) 3. फू ल, पल्लव, पषु ्प, समु न, कु समु (_________________) 4. आनंद, खशु ी, वायु, मोद (_________________) 5. यकीन, भरोसा, नचतं ा, नवश्वास (_________________) 6. ऊष्णता, रोशनी, गमी, ताप (_________________) 171

5) वनम्नवलवखत िाक्यों की वक्रया पहचान कर अकमगक या सकमगक वक्रया वलवखए। 1. सौरभ निके ट खले ता ह।ै (_________________) 2. जोकर हसँ ता ह।ै (_________________) 3. मानवी ने ननशा को पसु ्तक दी। (_________________ 4. अमर ने नाश्ता कर नलया। (_________________) 5. राजप्पा ने नटकट जमा नकए। (_________________) 6. वह सबु ह घर से ननकलता था। (_________________) 6) वनम्नवलवखत िाक्यों को सयं ुक्त िाक्यों में बिलकर वलवखए। 1. राजप्पा अच्छे नटकट इकट्ठे करता, नटकट अलबम बनाता ह।ै उ. _______________________________________________ 2. नागराजन अच्छा पढता ह,ै नागराजन अच्छा नलखता ह।ै उ. _______________________________________________ 3. नागराजन की समझ में कु छ नहीं आया, वह एलबम ले कर चला गया। उ. _______________________________________________ 7) वनम्नवलवखत िाक्यों का प्रश्निाचक रूप वलवखए। 1. राजप्पा ने नागराजन को अलबम नदया। उ. ____________________________ 2. राजप्पा के पास एक अच्छा अलबम था। उ. ____________________________ 3. इस अलबम को चरु ाने वाला बेशमग ह।ै उ. ____________________________ 4. सरू ज पवू ग से उगता ह।ै उ. ____________________________ 5. सारे लडके हसँ पडे थ।े उ. ____________________________ 6. कृ ष्णा नदी बडी ह।ै उ. ____________________________ 8) वनम्नवलवखत शब्िों को उनके अथग से वमलाइए। 1. वक्त - (क) नचढना उ. _________________ 2. जमघट - (ख) खोजबीन उ. _________________ 3. नफसड्डी - (ग) बहतु ज्यादा उ. _________________ 172

4. बेहद - (घ) भीड उ. _________________ 5. कु ढना - (ङ) समय उ. _________________ 6. तलाशी - (च) बेकार उ. _________________ 9) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिवलए। 1. घटं ी - ___________________ 4. बात - ___________________ 2. मधमु क्खी - ___________________ 5. सीढी - 3. नटकट - 6. दरवाज़ा - ___________________ 10) वनम्नवलवखत रेखांवकत शब्िों के विलोमाथग वलवखए। (________________) 1. राजप्पा सबु ह घर से ननकलता था। 2. राजप्पा ने कभी अपनी इच्छा प्रकट नहीं की। (________________) 3. भयै ा शहर गया ह।ै (________________) 4. उसका आकार बडा ह।ै (________________) 5. दरवाज़े की आवाज़ तजे ़ हो गई। (________________) 6. वह नटकट कीमती था। (________________) 11) वनम्नवलवखत शब्िों मंे प्रत्यय पहचावनए। 1. नचल्लाहट () () अ) हट आ) नचड इ) नचडा ई) आहट () ई) बहना 2. बहलाना ई) आई अ) बह आ) बहल इ) आना 3. कमाई अ) कम आ) ई इ) कमा 12) वनम्नवलवखत िाक्यों को प्रश्निाचक बनाने के वलए उवचत शब्ि चुवनए। () 1. सब नागराजन को घरे े रहत।े ई) कहाँ अ) कौन आ) नकसे इ) क्या ( () ) ई) कब 2. पावतग ी लडनकयों की अगवु ा बनी। () अ) कौन आ) नकसे इ) क्या ई) कहाँ 3. रात आठ बजे अप्पू आया। अ) कौन आ) नकसे इ) कब 173

13) वनम्नवलवखत िाक्यों के वलए उवचत युग्म शब्ि पहचावनए। 1. वह लडकी तेज़ .................. ह।ै () () अ) फरार आ) तरारग इ) नकार ई) तकरार () ई) टागँ 2. उसके .................. पाँव फू ल गए। ई) दाएँ () () अ) कान आ) नाक इ) हाथ () 3. वह ऊपर .................. घमू रहा ह।ै () () अ) कहाँ आ) बाएँ इ) नीचे () 14) वनम्नवलवखत िाक्यों के काल पहचावनए। 1. मझु े अब भी यकीन नहीं आ रहा था। अ) भनवष्य काल आ) भतू काल इ) वतमग ान काल इ) वतगमान काल 2. यह अलबम मैं कल सबु ह दगूँ ा। इ) वतगमान काल अ) भतू काल आ) भनवष्य काल 3. क्या मझु े बहला रहे हो? अ) भतू काल आ) भतू काल 15) वनम्नवलवखत मुहािरों का सही अथग पहचावनए। 1. आग मंे घी डालना अ) अत्यनधक रोना आ) बवे कू फ बनाना इ) जलाना ई) िोध को और भडकाना 2. घडु की दने ा इ) डराना ई) िोध को और भडकाना इ) जलाना ई) बके ार होना अ) उल्लू बनाना आ) बवे कू फ बनाना 3. कू डा होना अ) अत्यनधक रोना आ) बवे कू फ बनाना अच्छी योजना बनाना बनु द्धमानी का काम है पर उसको ठीक से परू ा करना धैयग और पररश्रम का।- कहावत 174

इकाई-4 12. िह वचवडया जो के िारनाथ अग्रनाल अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न-  1. वचत्र में क्या विखायी िे रहा है? उ. नचत्र में नचनडयाँ, एक आदमी, पडे और घर नदखायी दे रहे ह।ैं 2. वचवडयाँ आिमी के आस-पास क्यों हंै? उ. नचनडयाँ दाना चगु ने के नलए आदमी के आस-पास ह।ंै 3. वचवडया का जीिन हमसे वकस प्रकार वभन्न है? उ. नचनडया स्वचे ्छा से उड सकती ह।ै सम्पणू ग आकाश मंे नवचरण कर सकती ह।ै मनषु ्य ऐसा नहीं कर सकता। 1. नचनडया = पक्षी Sparrow 7. चोंच = पक्षी का महँु Beak 2. जडंु ी 3. प्यार = जौ और बाजरे की बानलयाँ Millets 8. दाने = अनाज के कण Grains 4. गरबीली 5. बढू ा = प्रमे , पसदं Love 9. नदल = हृदय Heart 6. नदी = गवग करने वाली Proud 10. जल = पानी Water = वदृ ्ध Old 11. संतोषी = संतषु ्ट Satisfied = सररता River 175

1. वह नचनडया जो- चोंच मारकर दधू -भरे जडंु ी के दाने रुनच स,े रस से खा लेती है वह छोटी सतं ोषी नचनडया नीले पंखों वाली मंै हँ मझु े अन्न से बहतु प्यार ह।ै प्रसंग- ‘वह नचनडया जो’ कनवता के कनव के दारनाथ अग्रवाल ह।ै कनव ने अपने भीतर की कनल्पत नीले पखं ों वाली छोटी नचनडया के माध्यम से मनषु ्य के महत्वपणू ग गणु ों को उजागर नकया ह।ै भािाथग- कनव कहते हैं नक उनके स्वभाव में नीले पखं ों वाली एक छोटी नचनडया ह,ै जो चोंच मारकर जडंु ी के दाने रुनच स,े रस लेकर खा लते ी ह।ै जो दाने दधू -भरे होते ह।ंै वह छोटी नचनडया संतोषी ह,ै नीले पखं ों वाली ह।ै उसे अन्न से बहुत प्यार ह।ै विशेषता- नचनडया के माध्यम से कनव ने मानवीय गणु ों को उजागर नकया ह।ै अन्न के प्रत्येक दाने को सतं ोष के साथ स्वीकार करना चानहए। 2. वह नचनडया जो- कं ठ खोलकर बढू े वन-बाबा की खानतर रस उँडेलकर गा लेती है वह छोटी महँु बोली नचनडया नीले पंखों वाली मैं हँ मझु े नवजन से बहुत प्यार ह।ै प्रसगं - ‘वह नचनडया जो’ कनवता के कनव के दारनाथ अग्रवाल ह।ै कनव ने अपने भीतर की कनल्पत नीले पखं ों वाली छोटी नचनडया के माध्यम से मनषु ्य के महत्वपणू ग गणु ों को उजागर नकया ह।ै भािाथग- वह नचनडया अपना कं ठ खोलकर प्रमे से घने वन में मधरु संगीत गाती ह।ै अपने संगीत मंे रस उँडेल दते ी ह।ै वह छोटी सी नचनडया महँु बोली ह,ै नीले पंखों वाली ह।ै उसे एकांत से बहतु प्यार ह।ै वह उमगं के साथ गीत गाकर प्राचीन वन मंे भी रस भर दते ी ह।ै विशेषता - एकाकीपन की अवस्था मंे भी उमगं और उत्साह के साथ रसमय जीवन जीना चानहए। 3. वह नचनडया जो चोंच मारकर 176

चढी नदी का नदल टटोलकर जल का मोती ले जाती है वह छोटी गरबीली नचनडया नीले पखं ों वाली मैं हँ मझु े नवजन से बहुत प्यार ह।ै प्रसंग- ‘वह नचनडया जो’ कनवता के कनव के दारनाथ अग्रवाल ह।ै कनव ने अपने भीतर की कनल्पत नीले पंखों वाली छोटी नचनडया के माध्यम से मनषु ्य के महत्वपणू ग गणु ों को उजागर नकया ह।ै भािाथग- वह नचनडया उफनती नदी के बहाव मंे भी अपनी चोंच मारकर जल का मोती अथातग ् बदँू ले ही आती ह।ै वह नीले पखं ों वाली छोटी नचनडया गरबीली ह,ै साहसी ह।ै उसे नदी से बहतु प्यार ह।ै विशेषता : नवकट पररनस्थनतयों मंे भी गहरे मोती अथातग ् सच्चे सखु की तलाश करके सतं षु ्ट रहना चानहए। नचनडया के ये गणु मनषु ्यों के नलए प्रेरक ह।ैं 1. कु छ पवक्षयों के नाम बताओ। उ. तोता, मनै ा, कौआ, कोयल, कबतू र आनद। 2. आशय स्पि कीवजए। क) रस उँडेलकर गा लेती है। उ. वह नचनडया अपना कं ठ खोलकर प्रमे से घने वन में मधरु संगीत गाती ह।ै अपने संगीत मंे रस उँडेल दते ी ह।ै वह छोटी-सी नचनडया महँु बोली ह,ै नीले पखों वाली ह।ै उसे एकांत से बहतु प्यार ह।ै वह उमगं के साथ गीत गाकर प्राचीन वन में भी रस भर दते ी ह।ै ख) चढ़ी निी का विल टटोलकर जल का मोती ले जाती है। उ. नचनडया उफनती नदी के बहाव मंे भी अपनी चोंच मारकर जल का मोती अथातग ् बँदू ले आती ह।ै वह नीले पखं ों वाली छोटी नचनडया गरबीली ह,ै साहसी ह।ै उसे नदी से बहुत प्यार ह।ै 3. तुम्हें वचवडया क्यों अच्छी लगती है? उ. नचनडया छोटी, सनु ्दर और प्यारी होती ह।ै वह मधरु ता से गाती ह।ै उसका संगीत सनु सान स्थान मंे भी मधरु ता भर दते ा ह।ै वह सदंु र पंखों से ऊँ चा उडती है और मन में नई उमगं ें भर दते ी ह।ै इसीनलए हमंे नचनडया बहुत अच्छी लगती ह।ै अवतररक्त प्रश्न 1. नचनडया नकसके दाने रूनच से खाती है? 2. नचनडया को नकससे प्यार ह?ै 3. गरबीली नचनडया कै सी ह?ै 4.आजकल कई पनक्षयों की प्रजानतयाँ लपु ्त हो रही ह,ैं उन्हंे बचाने मंे आप नकस प्रकार सहयोग करोग?े 177

उ. इस कनवता में नचनडया को अन्न स,े एकांत से और नदी से बहुत प्यार ह।ै मधरु संगीत गाना, उफनते नदी के पानी से जल का मोती ले आना, एकान्त मंे मधरु ता भर दने ा आनद इस कनवता में नचनडया की नवशषे ता ह।ै 2. वचवडया िन-बाबा की खावतर क्या करती है? उ. वह नचनडया अपना कं ठ खोलकर प्रेम से घने वन मंे मधरु सगं ीत गाती ह।ै अपने संगीत में रस उँडेल दते ी ह।ै वह छोटी सी नचनडया महँु बोली ह,ै नीले पखं ो वाली ह।ै उसे एकातं से बहुत प्यार ह।ै वह उमगं के साथ गीत गाकर प्राचीन वन में भी रस भर दते ी ह।ै अवतररक्त प्रश्न ननम्न पद् की पनक्तयों को परू ा कीनजए। 1. दधू भरे----------------------- -------------------------------मंै ह।ँ 2. कनवता को सस्वर वाचन मंे गाइए। 3. प्रकृ नत से सबं नं धत नकसी कनवता का सजृ न कीनजए। अध्यापन सकं े त - सनु नए-बोनलए और पनढए में नदए गए अनतररक्त प्रश्न छात्रों की ज्ञान-वनृ द्ध हते ु ह।ंै - अध्यापक/अध्यानपका छात्रों से ननम्न प्रश्न पछू ें तथा उनके उत्तर की सराहना करंे। अवभव्यवक्त सृजनात्मकता 1. वचवडया अपनी चोंच से क्या करती है? उ. नचनडया अपनी चोंच मारकर दधू भरे जडंु ी के दाने ले आती है और उसे बहुत ही रुनच और रस से खा लेती ह।ै नचनडया चढती नदी का उफान दखे कर भी जल की मोती जसै ी बँदू ों को अपनी चोंच में भर कर ले आती ह।ै 2. कं ठ खोलकर वचवडया क्या करती है? उ. वह नीले पंखों वाली नचनडया इतना मधरु गाती है नक कानों में रस उंडेल दते ी ह।ै वह बढू े वन बाबा की खानतर महँु खोलकर गाती ह।ै उसके संगीत से मन में उत्साह, स्नेह और उमगं पैदा होती ह।ै 3. ‘िह वचवडया जो’ कविता का सारांश वलवखए। उ. ‘वह नचनडया जो’ कनवता के कनव के दारनाथ अग्रवाल ह।ै कनव ने अपने भीतर की कनल्पत नीले पंखों वाली छोटी नचनडया के माध्यम से मनषु ्य के महत्वपणू ग गणु ों को उजागर नकया ह।ै कनव कहते हंै नक उनके स्वभाव मंे नीले पंखों वाली एक छोटी 178

नचनडया ह,ै जो चोंच मारकर जडंु ी के दाने रुनच स,े रस लके र खा लते ी ह।ै जो दाने दधू -भरे होते ह।ंै वह छोटी नचनडया सतं ोषी ह,ै नीले पखं ों वाली ह।ै उसे अन्न से बहतु प्यार ह।ै वह नचनडया अपना कं ठ खोलकर प्रेम से घने वन में मधरु संगीत गाती ह।ै अपने संगीत में रस उँडेल दते ी ह।ै वह छोटी सी नचनडया महँु बोली ह,ै नीले पखं ों वाली ह।ै उसे एकांत से बहतु प्यार ह।ै वह उमगं के साथ गीत गाकर प्राचीन वन मंे भी रस भर दते ी ह।ै वह नचनडया उफनती नदी के बहाव मंे भी अपनी चोंच मारकर जल का मोती अथागत् बदँू ले ही आती ह।ै वह नीले पंखों वाली छोटी नचनडया गरबीली ह,ै साहसी ह।ै उसे नदी से बहुत प्यार ह।ै विशेषता: नचनडया के माध्यम से कनव ने मानवीय गणु ों को उजागर नकया ह।ै अन्न के प्रत्यके दाने को संतोष के साथ स्वीकार करना चानहए। एकाकीपन की अवस्था में भी उमंग और उत्साह के साथ रसमय जीवन जीना चानहए। नवकट पररनस्थनतयों मंे भी गहरे मोती अथातग ् सच्चे सखु की तलाश करके संतषु ्ट रहना चानहए। नचनडया के ये गणु मनषु ्यों के नलए प्ररे क ह।ैं 1. कविता पढ़कर तुम्हारे मन मंे वचवडया का जो वचत्र उभरता है, उस वचत्र को कागज़ पर बनाइए और उसका िणगन कीवजए। उ. ननदशे - नवद्ाथी स्वयं करंेग।े 1. पवक्षयों से आप क्या सीख सकते हैं। अपने विचार वलवखए। उ. पनक्षयों मंे नवशेष गणु होते ह,ंै जो मनषु ्य के नलए भी प्ररे णादायक होते ह।ंै जसै े- नकसी भी काम को स्वयं करना, आलस्य छोड कर कमशग ील बनने की प्रेरणा, हर पररनस्थनत मंे मधरु सगं ीत गाना, अनशु ासन से जीवन जीना, दरू दृनष्ट से कायग करना, आत्मननभरग रहना आनद अनेक सीख हमंे पनक्षयों से नमलती है। भाषा की बात 1. वचवडया कहाँ-कहाँ विखायी पडती है? उ. नचनडया बगीचे, इमारतों, वनों, ननदयों के आस-पास और पडे ों पर भी नदखाई दते ी ह।ंै 1. पंखों िाली वचवडया ऊपर िाली िराज़ नीले पंखों िाली वचवडया सबसे ऊपर िाली िराज़ यहाँ रेखांवकत शब्ि विशेषण का काम कर रहे हंै। ये शब्ि वचवडया और िराज संज्ाओं की विशेषता बता रहे हंै, अतुः रेखांवकत शब्ि विशेषण हैं और वचवडया, िराज़ विशेष्य हंै। यहाँ िाला/िाली जोडकर बनने िाले कु छ और विशेषण विए गए हैं। ऊपर विए गए उिाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोवडए। 179

जोडो – मोरों वाला बाग उ. सदंु र पडे ों वाला घर बहतु फू लों वाली क्यारी रंग–नबरंगे स्कू ल वाला रास्ता सनु सान ढगं से हसँ ने वाला बच्चा मनमोहक मछँू ों वाला आदमी बडी विशेषण की पररभाषा नजस शब्द से नकसी संज्ञा या सवनग ाम की नवशषे ता अथवा गणु प्रकट होता ह,ै उसे विशेषण कहते ह।ंै यह एक मोटा आदमी ह।ै इस वाक्य में मोटा शब्द नवशषे ण है और आदमी नवशषे ्य ह।ै 2. िह वचवडया ........ जुंडी के िाने रुवच से ........ खा लेती है। िह वचवडया ........रस उँडेलकर गा लेती है। उ. कनवता की इन पंनक्तयों में मोटे छापे वाले शब्दों को ध्यान से पढो। पहले वाक्य में ‘रुनच से’ खाने के ढंग की और दसू रे वाक्य में ‘रस उँडेलकर’ गाने के ढंग की नवशषे ता बता रहे ह।ंै अतुः ये दोनों निया नवशषे ण ह।ंै नीचे नदए वाक्यों में कायग के ढगं या रीनत से सबं नं धत निया नवशेषण छानँ टए- क) सोनाली जल्दी–जल्दी महँु मंे लड्डू ठूँसने लगी। - जल्दी–जल्दी ख) गदंे लढु कती हुई झानडयों मंे चली गई। - लढु कती हईु ग) भकू ं प के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। - धीरे-धीरे सामान्य घ) कोई सफे द-सी चीज़ धप्प–से आगँ न में नगरी। - धप्प-से ङ) टॉमी फु ती से चोर पर झपटा। - फु ती से च) तेनजदं र सहमकर कोने में बैठ गया। - सहमकर छ) आज अचानक ठंड बढ गई ह।ै - अचानक क्या मंै ये कर सकता ह/ँ सकती हँ हाँ ( ) नहीं ( × ) 1. कनवता गा सकता ह।ँ सनु ा सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस स्तर की कनवताओं का भाव पढकर समझ सकता ह।ँ 3. इस स्तर के गीतों की भाव सनहत व्याख्या कर सकता ह।ँ 4. कनवताओं के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. कनवता के शब्दों से नयी कनवता नलख सकता ह।ँ इस पाठ में मैंने नए शब्ि सीखे - 180

अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. ‘िह वचवडया जो’ कविता से हमंे क्या वशक्षा वमलती है? उ. ‘वह नचनडया जो’ कनवता से हमंे नशक्षा नमलती है नक हमंे जीवन मंे संतोष रखना चानहए। अपनेपन का भाव रखना चानहए। हर पररनस्थनत में उमगं और उत्साह से कायग करना चानहए। स्वयं पर गवग करते हएु साहस से काम करना चानहए। अपने भीतर के मानवीय गणु ों को हमें उजागर करना चानहए। 2. वचवडया का रस भरा सगं ीत सनु कर मन क्यों आत्मविभोर हो उठता है? उ. नचनडया का सगं ीत बहतु ही सुरीला और रस से भरपरू होता ह।ै नचनडया के सगं ीत द्वारा तन और मन दोनों ही प्रफु नल्लत हो उठता ह।ै जीवन में एक नई उमंग और उत्साह भर जाता ह।ै नारे जल सरं क्षण से सबं ंवधत नारे- 1 जल बचाओ, जीवन बचाओ। 2. पानी अगर न बचाओग,े खदु प्यासे रह जाओग।े 3. राष्र नहत का काम करो, पानी का सदपु योग करो। 4. जल बचाइए, कल बचाइए। 5. जो पानी को बचाएगा, वो समझदार कहलाएगा। 6. बँदू -बँदू से घडा भर जाए, नदी ही समदु ्र बन जाए। पुनरुक्त शब्ि पनु रुक्त शब्द ऐसे शब्द ह,ैं नजनमें एक ही शब्द का दो बार प्रयोग हुआ हो। वद्वरुवक्त तीन प्रकार की होती है- 1. पनु रुवक्त – इसमंे एक ही शब्द की दो बार आवनृ त्त होती ह,ै जसै े गाँव-गाँव, खले -खेल, धीरे-धीरे आनद। 2. समानाथी शब्िों की पुनरुवक्त– जसै े- काम-काज, पास-पडोस, धन-धान्य आनद। 3. ध्िन्यात्मक वनरथगक शब्िों की पनु रुवक्त- आस-पास, काम-धाम, दखे -रेख, चाय-वाय आनद। 181

उिाहरण- 1. तमु ने कल बाज़ार से क्या-क्या खरीदा? 2. भीड मंे बच्चे माता-नपता के साथ-साथ चल रहे थ।े 3. दशहरे से पहले जगह-जगह रामलीला होती ह।ै 4. धीरे-धीरे चलो, वरना थक जाओग।े 5. मरे े प्रश्न का सही-सही उत्तर दो। शब्ि युग्म- यगु्म शब्द का अथग ह–ै जोडा। पनु रुक्त शब्दों की तरह शब्द यगु्म भी शब्दों के जोडे हंै परंतु इनमें अतं र यह है नक पनु रुक्त शब्द मंे एक ही शब्द का दो बार प्रयोग होता ह,ै जबनक यगु्म शब्दों में नमलते-जलु ते, नवलोम, ननरथगक तथा समानाथी शब्दों को जोडे के रूप मंे प्रयोग नकया जाता ह।ै उिाहरण- 1. ग्रामीण मनहलाएँ नदन भर काम-काज मंे लगी रहती ह।ंै 2. समदु ्र मंे अनके जीव-जतं ु रहते ह।ैं 3. गरीब और अमीर के रहन-सहन मंे बहुत अतं र होता ह।ै वनपात जो अव्यय नकसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अथग में नवशषे प्रकार का बल भर दते े ह,ंै वे वनपात या अव्यय कहलाते ह।ैं नहन्दी मंे प्रचनलत महत्वपणू ग ननपात ननम्ननलनखत ह।ंै उदाहरण- 1. ही - मोहन ही जा रहा ह।ै 2. भी - मोहन भी जा रहा ह।ै 3. तो - मोहन तो गया ही ह।ै 4. तक - तमु आए, तक नहीं। 5. मात्र, के वल - दस रूपये मात्र नमलेंग।े िाक्य भावों एवं नवचारों को परू ा-परू ा प्रकट करने वाले साथकग शब्द समहू के व्यवनस्थत मले को िाक्य कहते ह।ंै िाक्य के िो अंग हैं – उदद् शे ्य, नवधये 1. उििेश्य- वाक्य का वह भाग नजसमें कत्ताग को नवषय कहा गया हो, उििेश्य कहलाता ह।ै जसै े – मालती रस्सी कू द रही ह।ै स्कू ल आज बंद रहगे ा। तोता अमरूद खा रहा ह।ै घोडा तजे ़ दौड रहा ह।ै इन वाक्यों में ‘मालती’, ‘स्कू ल’, ‘तोता’, ‘घोडा’ शब्दों के बारे में कहा गया ह।ै अतुः ये शब्द कत्ताग ह,ंै ये उद्देश्य कहलाते ह।ैं 182

2. विधेय- वाक्य का वह भाग नजसमें कत्ताग के नवषय मंे कु छ कहा गया हो, नवधये कहलाता ह।ै नदए गए वाक्यों मंे ‘रस्सी कू द रही ह’ै , ‘आज बदं रहगे ा’, ‘अमरूद खा रहा ह’ै तथा ‘तेज़ दौड रहा ह’ै , वाक्यांश नवधेय हंै क्योंनक ये िमश: ‘मालती’, ‘स्कू ल’, ‘तोता’ तथा ‘घोडा’ (उद्दशे ्य) के बारे मंे कु छ बता रहे ह।ंै 2. रचना के आधार पर िाक्य भेि - 1. साधारण या सरल वाक्य 2. सयं कु ्त वाक्य 3. नमनश्रत वाक्य 1. साधारण या सरल िाक्य: नजस वाक्य में एक उद्दशे ्य तथा एक नवधेय हो, उन्हंे सरल िाक्य कहते ह।ैं जसै े: 1. उसे खाना नखला दो। 2. पवन आज स्कू ल नहीं जाएगा। 3. रानधका कक्षा मंे प्रथम आती ह।ै 4. अध्यापक ने आज गहृ कायग नदया ह।ै 2. संयुक्त िाक्य: जब दो या दो से अनधक सरल उपवाक्य नकसी योजक से जडु े हों, तो उन उपवाक्यों से बने वाक्य को संयुक्त िाक्य कहते ह।ैं जसै े: बादल छा गए और वषाग आरंभ हो गई। बाज़ार जाओ और सब्ज़ी ले आओ। मैं सबु ह जल्दी उठती हँ और व्यायाम करने जाती ह।ँ 3. वमवश्रत िाक्य: नजस वाक्य में एक से अनधक उपवाक्य हों, परंतु उनमें से एक उपवाक्य प्रधान तथा अन्य उपवाक्य गौण हों तो उसे वमवश्रत िाक्य कहते ह।ंै जैसे: माँ ने कहा नक वह खाना नहीं बना पाएगँ ी। जब वह आया तब मंै घर पर नहीं थी। मैं यही चाहती हँ नक तमु तरक्की करो। जहा-ँ जहाँ तमु गए, वहाँ-वहाँ मैं भी पहचुँ ा। 183

अभ्यास कायग (Work Book) सप्रसगं भािाथग  वनम्न कविता पढ़कर प्रसगं सवहत भािाथग वलवखए।  वह नचनडया जो-चोंच मारकर चढी नदी का नदल टटोलकर जल का मोती ले जाती है वह छोटी गरबीली नचनडया नीले पंखों वाली मैं हँ मझु े नदी से बहुत प्यार ह।ै प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. अगर नचनडया को महल मंे रहने का प्रलोभन नदया जाए, तो क्या वह उसके नलए तैयार होगी? 2. सतं ोषी नचनडया के बारे मंे पाँच-छुः वाक्य नलनखए। 3. ‘वह नचनडया जो’ कनवता का साराशं नलनखए। नारे लेखन प्रकृ वत से सबं वं धत नारे वलवखए। व्याकरण 1) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे से उद्देश्य और विधेय अलग-अलग कीवजए। उद्देश्य विधेय 1. रनव नखलौनों से खेल रहा ह।ै ___________ ______________ 2. काला घोडा घास चर रहा ह।ै ___________ ______________ 3. मरे ा नमत्र रोहन बहतु बनु द्धमान ह।ै ___________ ______________ 2) वनम्नवलवखत िाक्यों को रचना के आधार पर पहचावनए। 1. आज खाना अच्छा बना ह।ै (_____________________) 2. प्रमे चंद महान कथाकार और लखे क थे। (_____________________) 184

3. एवरेस्ट संसार का सबसे ऊँ चा नशखर ह।ै (_____________________) 3) वनम्नवलवखत िाक्यों को वनिेशानसु ार बिवलए। 1. सधु ीर ने कहा और मैं मान गया। (नमनश्रत वाक्य) उ. _______________________________ 2. तमु बस रुकने की जगह चले जाओ। (सयं कु ्त वाक्य) उ. _______________________________ 3. शरे नदखाई नदया। सब लोग डर गए। (सरल वाक्य) उ. _______________________________ 4) वनम्नवलवखत िाक्यों को सयं ुक्त िाक्य में बिवलए। 1. राम स्कू ल जाता ह।ै राम खबू पढता ह।ै उ. __________________________________________________ 2. सरला पाठ पढती ह।ै रीना नलखती ह।ै उ. __________________________________________________ 3. बच्चे को बखु ार ह।ै बच्चा रोता ह।ै उ. __________________________________________________ 5) वनम्नवलवखत शब्िों के वलगं बिवलए। 1. बढू ा - 4. कनव - 5. नमत्र - 2. बच्चा - 6. लखे क - 3. आदमी - 6) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग वलवखए। 1. नया 2. गरीब 3. प्यार 6. ऊपर 4. छोटी 5. अपना 9. जीना 7. रस 8. भीतर 7) वनम्नवलवखत शब्िों का अथग वलखकर िाक्यों में प्रयोग कीवजए। 1. - 185

2. सतं ोषी - 3. खानतर - 8) वनम्नवलवखत शब्िों के िचन बिवलए। 1. नचनडया - 4. बात - 2. मधमु क्खी - 5. सीढी - 3. नदी - 6. दरवाज़ा - 9) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे वक्रया शब्ि पहचानकर वलवखए। 1. रस उँडेल कर गा लेती ह।ै 4. चोंच मारती ह।ै 2. जल का मोती ले जाती ह।ै 5.चढी नदी का नदल टटोलती ह।ै 3. जडंु ी के दाने खा लते ी ह।ै 6. रस से स्वाद लेती ह।ै 10) वनम्नवलवखत शब्िों को उसके पयागयिाची से वमलाइए। 1. रस क) कानन, जगं ल, नवनपन 2. अन्न ख) मन, हृदय, नदल 3. वन ग) सररता, तरंनगनी, तनटनी 4. नदी घ) अनाज, खाना, भोजन 5. नदल ङ) मनषु ्य , मानव, इसं ान 6. जन च) आनन्द, मोद, आमोद 11) वनम्नवलवखत िाक्यों का काल पहचावनए। 1. जडंु ी का दाना खाती ह।ै () () अ) भतू काल आ) भनवष्यकाल इ) वतगमानकाल () इ) वतगमानकाल 2. रस उँडेलकर गा लेगी। इ) वतगमानकाल अ) भतू काल आ) भनवष्यकाल 3. मझु े नवज़न से प्यार था। अ) भतू काल आ) भनवष्यकाल 186

12) वनम्नवलवखत िाक्यों को सही कारक वचह्नों से पूरा कीवजए। 1. वह जडंु ी ................ दाने खाती ह।ै () () अ) से आ) पर इ) के ई) को () 2. उसे अन्न ................बहतु प्यार ह।ै अ) ने आ) से इ) का ई) की 3. वह चोंच ................भर कर दाने लाती ह।ै अ) पर आ) मंे इ) कर ई) को 13) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे रेखांवकत शब्िों का सही विलोमाथग पहचावनए। 1. वह घने वन में शानं त से गाती ह।ै ( ) ई) कु शांनत ) अ) ननशानं त आ) अशांनत इ) नवशांनत ( 2. नचनडया में महत्वपणू ग गणु ह।ै ई) महत्वहीन अ) महत्वपणू ग आ) अमहत्वपणू ग इ) नामहत्वपूणग 3. नचनडया साहसी ह।ै अ) बहतु साहसी आ) कु छ साहसी इ) नासाहसी ई) डरपोक( ) 14) वनम्नवलवखत शब्िों मंे प्रत्यय पहचावनए। 1. पंखों वाली () ई) ली अ) वाली आ) ई इ) आई () 2. गरबीली ई) ली अ) बीली आ) ईली इ) आली () ई) ई 3. संतोषी अ) सं आ) संतो इ) षी 15) वनम्नवलवखत िाक्यों में सिगनाम शब्ि पहचावनए। 1. वह जल का मोती ले जाती ह।ै ( ) ( ) अ) मोती आ) वह इ) जल ई) ले जाती ( ) ई) उसे 2. उसे अन्न से बहतु प्यार ह।ै ई) पखं ों अ) अन्न आ) बहुत इ) प्यार 3. मंै नीले पंखों वाली ह।ँ अ) मंै आ) नीले इ) वाली एकता का नकला सबसे सदु ृढ होता ह।ै उसके भीतर रह कर कोई भी प्राणी असरु क्षा अनभु व नहीं करता।- अज्ञात 187

इकाई-4 13. ऐसे-ऐसे विष्णु प्रभाकर अथगग्राह्यता प्रवतवक्रया प्रश्न- 1. वचत्र में क्या विखायी िे रहा है। उ. नचत्र में कक्षा, कक्षा मंे नवद्ाथी, नवद्ाथी से प्रश्न करती अध्यानपका जी, श्यामपट और अन्य छात्र नदखाई दे रहे ह।ैं 2. वचत्र मंे कौन, वकससे क्या कह रहा है? उ. नचत्र मंे अध्यानपका छात्र से उसके न आने का कारण पछू रही ह।ंै और नवद्ाथी पाठशाला न आने का कारण बता रहा ह।ै 3. बच्चा पाठशाला क्यों नहीं आया होगा? अनुमान लगाओ। उ. गहृ कायग परू ा न कर पाने के कारण या अन्य नकसी कारण बच्चा पाठशाला नहीं आया होगा। 1. यकायक = अचानकSuddenly 5. दफ़्तर = कायालग य office 2. सकंे ना = भनू ना To forment 6. नटखट = चचं ल Naughty 3. ददग = पीडा Pain 7. पनु डया = खरु ाक या मात्रा Wraps 4. कराहना = ददग से तडपना To moan 8. काँपना = कं नपत होना Pulsate 9. कं ठ = गला throat 188

नवष्णु प्रभाकर द्वारा नलखी गई एकाकं ी ‘ऐसे-ऐसे’ मंे मोहन के माध्यम से ऐसे नवद्ानथगयों के बारे में बताया गया ह,ै जो अपना गहृ कायग परू ा नहीं करते हैं और पाठशाला न जाने के नलए तरह–तरह के बहाने बनाते ह।ैं इस एकाकं ी में तीसरी कक्षा का एक बालक मोहन तख्त पर लटे ा हआु ह।ै उसके पेट मंे बहुत ददग हो रहा ह।ै कु छ ‘ऐसे- ऐसे’ हो रहा ह।ै माँ उसके पेट को गरम बोतल से सकें ती ह।ै वह नचंनतत है नक मोहन ने कु छ अटं -शटं तो नहीं खा नलया। नपता ने बताया नक दटतर से ननकलते समय सब कु छ ठीक था। के वल एक के ला और एक सतं रा ही खाया था। उछल-कू द भी रहा था। अचानक इसके पेट मंे ‘ऐसे-ऐसे’ होने लगा। मोहन ज़ोर–ज़ोर से कराह रहा ह।ै माँ नचनं तत ह।ै यह कौन सी नई बीमारी आ गई ह?ै हींग, चरू न, नपपरमटंे कु छ असर नहीं कर रहा। इतने में वदै ् जी को बलु ाने के नलए नपता फोन करते ह।ैं पडोस से दीनानाथ जी आते ह।ैं मोहन को उलटी आती ह,ै थकू ता ह,ै ज़ोर से कराहने लगता ह।ै माँ कमर सहलाती ह।ंै दीनानाथ भी कहते ह-ैं हर वक्त घर को सर पर उठाए रखना, पडोस को गलु जार नकए रहना, इसे छेडना, उसे पछाडना, इसको मकु ्का, उसको थप्पड मारना, ऐसा नटखट मोहन, कै से बीमार पड गया? माँ को नचन्ता है नक कल वह स्कू ल कै से जाएगा? मोहन कराहता रहता ह,ै माँ घबराती जाती ह।ै वदै ् जी आते ह।ैं जाँच करने के बाद वदै ् जी ने बताया नक कब्ज के कारण मल रुकने से वायु बढ गई ह।ै दीनानाथ को दवाई लने े के नलए अपने साथ ले जाते ह।ैं माँ को गरम पानी से दवा दने े के नलए कहते ह।ैं नपता वदै ् जी को नोट दते े ह।ंै तभी दसू रे दरवाज़े से डॉक्टर का प्रवशे होता ह।ै ‘ऐसे-ऐसे’ क्या कर नलया पछू ने पर मोहन नफर कराहने लगता ह।ै मोहन कहता है –“जी. . . जी. . . ऐसे-ऐस।े कु छ ऐसे–ऐसे होता ह।ै ” डॉक्टर कहते ह,ैं तबीयत तो बडी खराब ह।ै कब्ज़ और बदहज़मी की बात बताकर दवा लेने के नलए नपता को ले जाते ह।ंै मोहन के नपता दस का नोट दते े ह।ंै पडोनसन रामू की काकी आकर भी सातं ्वना दते ी ह।ैं कहती हंै नक आजकल का खाना–पीना पहले जसै ा नहीं रहा। नए-नए बखु ार भी आ गए ह।ैं इतने में मास्टर जी का प्रवशे होता ह।ै मास्टर जी बताते हैं नक मोहन जसै े बच्चों की दवा वदै ् या डॉक्टर के पास नहीं ह।ंै मास्टर जी ने माँ के सामने मोहन से पनु ष्ट करवाई नक महीने भर की छु रट्टयों मंे उसने अपना गहृ कायग परू ा नहीं नकया ह।ै कल नवद्ालय न जाना पडे इसनलए इसके पटे में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा ह।ै मोहन मँहु नछपाकर बठै ा रहता ह।ै मास्टर जी ने उसे दो नदन का अनतररक्त अवकाश नदलवाकर कायग परू ा करने के नलए कहा। मोहन के इस झठू से मा,ँ नपता और दीनानाथ ठग-े से रह जाते ह।ंै एक अट्ठहास के साथ एकांकी का समापन होता ह।ै 1. बच्चे स्कू ल न जाने के वलए घर पर क्या-क्या बहाने बनाते हंै? उ. बच्चे स्कू ल न जाने के नलए घर पर अनेक बहाने बनाते ह।ंै जसै े- नसर दद,ग बखु ार, पेट दद,ग अध्यापक की डाटँ का डर आनद अनेक बहाने बनाते ह।ैं 2. स्कू ल में पढ़ाये जाने िाले विषयों मंे आपको कौन-सा विषय अच्छा लगता है? क्यों? उ. स्कू ल में पढाए जाने वाले सभी नवषय हमें अच्छे लगते ह।ैं क्योंनक सभी हमंे जीवन की अमलू ्य नशक्षा दते े ह।ैं नप्रय नवषय के बारे मंे कहंे तो गनणत हमें अच्छा लगता ह।ै गनणत में हमें सखं ्या का ज्ञान, शनू्य का महत्व आनद अनेक जानकारी नमलती ह।ैं 189

अवतररक्त प्रश्न 1. इस एकाकं ी में नकस बात को दशायग ा गया ह?ै 2. मोहन की माता डॉक्टर के न आने पर नकस तरह परेशान होती ह?ै 3. वदै ् जी ने क्या कहा? 4. मास्टर जी कै से समझ गए नक मोहन ने स्कू ल का काम नहीं नकया? 1. पाठ में विए गए पात्रों के नाम बताइए। उ. पात्र के नाम - 1.मोहन, 2. दीनानाथ, 3. मा,ँ 4. नपता, 5. मास्टर जी, 6. वदै ्जी, 7. डॉक्टर 8. पडोसन काकी 2. वपता ने डॉक्टर को फोन पर मोहन की वस्थवत का क्या वििरण विया? उ. नपता ने डॉक्टर को फोन पर मोहन की नस्थनत का नववरण इस प्रकार नदया - मोहन के पटे में ददग ह।ै उसने कु छ खाया भी नहीं ह।ै पछू ने पर कहता है नक पटे मंे ‘ऐसे-ऐसे’ होता ह।ै ददग के कारण नाचता नफरता ह।ै आप कृ पा करके जल्दी आइए। अवतररक्त प्रश्न 1. ज़ोर शब्द में नकु ्ते का प्रयोग हुआ ह।ै इसी तरह के नकु ्ते वाले शब्द नलनखए। 2. बदहज़मी मंे ‘बद’ उपसगग तथा ‘ई’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ ह।ै इस तरह के अन्य शब्द पाठ में ढूँनढए। 3. दवा की शीशी हाथ से छू टकर फशग पर नगर पडती ह।ै इस वाक्य मंे दो नियाएँ (नगर, पडती) ह।ंै इसी तरह के नद्वनिया वाले शब्द पाठ मंे रेखांनकत कीनजए। अवभव्यवक्त सजृ नात्मकता  1. माँ मोहन के ऐसे–ऐसे कहने पर क्यों घबरा रही थी? उ. माँ मोहन के ऐसे–ऐसे कहने से घबरा रही थी क्योंनक मोहन ज़ोर से कराह रहा था। वह कह रहा था, ‘माँ पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा ह।ै ’ माँ समझ ही नहीं पा रही थी नक यह ऐसे-ऐसे बीमारी क्या होती ह।ै वह यह भी सोच रही थी नक मोहन कल स्कू ल कै से जायगे ा। इन सब बातों से माँ घबरा रही थी। 2. मास्टर के क्या कहने पर मोहन का ििग िूर हो गया? उ. मोहन को ऐसी बीमारी हो गई थी नजसका इलाज डॉक्टर और वदै ् के पास भी नहीं था। उसकी बीमारी के बारे मंे सनु कर मास्टर जी घर पर आते हैं और वह भाँप लेते हैं नक मोहन को क्या बीमारी ह।ै वह मोहन की माँ को बताते हैं नक मोहन ने 190

स्कू ल का काम परू ा नहीं नकया। इसनलए इसने बहाना बनाया ह।ै मास्टर जी ने मोहन को दो नदन की छु ट्टी दके र काम परू ा करने को कहा। इस तरह मोहन का ददग दरू हो गया। 3. िैद्जी ने इलाज का क्या उपाय बताया? उ. वदै ् जी ने मोहन को बात का प्रकोप, कब्ज़ आनद बीमारी बताकर हर आधे घटं े के बाद गरम पानी पीने के नलए कहा और दवा की पनु डया दी। वदै ् जी ने कहा, ‘दो-तीन दस्त के बाद ‘ऐसे-ऐसे’ ऐसे भागगे ा जसै े गधे के नसर से सींग।’ 4. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते है वजन्हें मास्टरजी एक ही बार मंे सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कु छ बहानों के बारे में वलवखए। उ. स्कू ल के बच्चे बहुत बहाने बनाते ह।ैं जसै े - नसरददग का बहाना, पेट दद,ग दाँत में दद,ग बखु ार आनद। बच्चों के इन बहानों को मास्टर जी तरु ंत समझ जाते ह।ैं वे अनभु वी हंै अपने नवद्ाथी के स्वभाव से पररनचत होते ह।ंै वे जानते हंै नक गहृ कायग न करने पर ही बच्चे तरह-तरह के बहाने बनाते ह।ैं 1. पाठ में मोहन पाठशाला जाने से बचने के वलए कई बहाने बनाता है। ऐसे ही कु छ बहानों के आधार पर एक छोटी सी कहानी बनाइए? उ. रामपरु नामक गावँ में गोपाल रहता था। वह हर काम को समय-साररणी के अनसु ार करता ह।ै वह तदं रुस्त और प्रथम श्रेणी पाने वाला बालक ह।ै कु छ नदन बीत गये, बाद मंे उसने पढाई से ज्यादा खले ों को और दोस्तों के साथ घमू ने के नलए अनधक समय दने ा शरु ू नकया। तब से रोज स्कू ल जाने के नलए इनकार करने लगा। नसर ददग का बहाना बनाने लगा। उसके माता-नपता उसे डॉक्टर के पास ले गए। नफर भी कु छ समझ नहीं आया। बाद मंे उसके माता-नपता ने मनोवजै ्ञाननक ढगं से सोचकर गोपाल को अनशु ासन का पाठ पढाया।। उनकी दी हईु नशक्षा ने गोपाल का मागदग शनग नकया। वह पहले की भानँ त समय साररणी बनाकर पढाई और खले ों को आवश्यकतानसु ार समय दने े लगा। 1. बहाने बनाना अच्छी बात नहीं है। जो बहाने बनाता है, िह काम से जी चुराने का काम करता है। बहानों से बचने के वलए हमंे जीिन में क्या करना चावहए? उ. 1. हर काम को हमें समय पर करना चानहए। 2. जीवन में आलस को छोड दने ा चानहए। 3. काम से डरना नहीं चानहए। 4. छोटे बच्चों के संदभग में माता-नपता को मनोवजै ्ञाननक ढंग से सोचना चानहए। 5. मखु ्य रूप से दरू दृनष्ट होनी चानहए। 191

भाषा की बात 1. इस पाठ मंे शरीर के अनेक अंगों के नाम आये हंै, उनको छाँटकर वलवखए। पाँच िाक्य बनाइए। उ. 1. पेट - मोहन के पेट में ददग हो रहा था। 2. नसर - ज्यादा शोर सनु ने से नसर मंे ददग होता ह।ै 3. जीभ - जीभ का स्थान महँु मंे ह।ै 4. कमर - हमें नकसी काम को करने के नलए धैयग से कमर कसना चानहए। 5. नाडी - वदै ् नाडी दखे कर रोग का ननधारग ण करता ह।ै 1. मोहन ने के ला और सतं रा खाया। (सकारात्मक) 2. मोहन ने के ला और संतरा नहीं खाया। (नकारात्मक) 3. मोहन ने क्या खाया? (प्रश्नवाचक) ऊपर नदए गए उदाहरण के आधार पर अन्य कु छ वाक्यों को नलनखए। (सकारात्मक, नकारात्मक व प्रश्नवाचक) उ. 1. (1) राम स्कू ल जाएगा। (सकारात्मक) (2) राम स्कू ल नहीं जाएगा। (नकारात्मक) (3) राम कल कहाँ जाएगा? (प्रश्नवाचक) 2. (1) बच्चों को नमठाइयाँ चानहए। (सकारात्मक) (2) बच्चों को नमठाइयाँ नहीं चानहए। (नकारात्मक) (3) बच्चों को क्या चानहए? (प्रश्नवाचक) 3. (1) तमु यह काम करो। (सकारात्मक) (2) तमु यह काम मत करो। (नकारात्मक) (3) तमु क्या करते हो? (प्रश्नवाचक) का, के और की दो संज्ञाओं का सबं ंध बताते ह।ै ऊपर नदए गए वाक्यांशों मंे अलग-अलग जगह इन तीनों का प्रयोग हआु ह।ै ध्यान से पढो और कक्षा में बताओ नक का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा ह?ै का, के , की – इन तीनों को संबधं कारक कहते ह।ै ये दो सजं ्ञाओं का संबधं बताते ह।ंै इन्हंे सजं ्ञा के नलगं , वचन के अनसु ार प्रयोग नकया जाता ह।ै ये इस प्रकार हंै - उ. का - पनु ल्लंग एकवचन के - पनु ल्लंग बहुवचन की - स्त्रीनलगं एकवचन, बहुवचन 1. यह राम का घर ह।ै 192

2. ये मोहन के घोडे ह।ैं हाँ ( ) नहीं ( × ) 3. यह सीता की जयमाला ह।ै क्या मैं ये कर सकता ह/ँ सकती हँ 1. पाठ के बारंे में बातचीत कर सकता ह।ँ भाव बता सकता ह।ँ 2. इस तरह के पाठ पढकर समझ सकता ह।ँ 3. पाठ का सारांश अपने शब्दों में नलख सकता ह।ँ 4.पाठ के शब्दों से वाक्य बना सकता ह।ँ 5. पाठ के आधार पर सामनू हक पात्रनभनय कर सकता ह।ँ इस पाठ मंे मंैने नए शब्ि सीखे - 193

अवतररक्त कायग प्रश्नोत्तर 1. मोहन कौन है? उसकी बीमारी कै से िूर हुई? उ. मोहन एक नवद्ाथी ह।ै छु रट्टयों मंे नदया गया गहृ कायग उसने परू ा नहीं नकया था। अगले नदन नवद्ालय जाने के डर से उसके पटे मंे ‘ऐसे-ऐसे’ होने लगा था। माँ-नपता दोनों नचंनतत थ।े डॉक्टर और वदै ् जी को भी बलु ाया गया। दीनानाथ जी और पडोनसन ने भी नचतं ा व्यक्त की। मास्टर जी घर पर आए और उन्होंने मोहन को दो नदन का अनतररक्त अवकाश दके र गहृ कायग करने की अनमु नत दी। इस तरह मोहन की ‘ऐसे-ऐसे’ की बीमारी दरू हो गई। 2. िैद् जी तथा डॉक्टर ने मोहन को कौन सी बीमारी बताई? उ. जाचँ करने के बाद वदै ् जी ने बताया नक कब्ज़ के कारण मल रुकने से वायु बढ गई ह।ै दीनानाथ को दवाई लेने के नलए अपने साथ ले जाते ह।ैं माँ को गरम पानी से दवा दने े के नलए कहते ह।ंै नपता वदै ् जी को नोट दते े ह।ैं तभी दसू रे दरवाज़े से डॉक्टर का प्रवशे होता ह।ै ‘ऐसे-ऐसे’ क्या कर नलया पछू ने पर मोहन नफर कराहने लगता ह।ै मोहन कहता है –“जी. . . जी. . . ऐसे-ऐस।े कु छ ऐसे–ऐसे होता ह।ै ” डॉक्टर कहते ह,ैं तबीयत तो बडी खराब ह।ै कब्ज़ और बदहज़मी की बात बताकर दवा लेने के नलए नपता को ले जाते ह।ैं पत्र-लेखन पुस्तकंे मँगिाने हेतु पुस्तक–विक्रे ता को पत्र वलवखए। स्थान--- नदनांक--- प्रेषक रजत शमाग कें द्रीय नवद्ालय, जनकपरु ी, दहे रादनू सेवा म,ंे प्रबंधक महोदय, कु मार बकु नडपो, करोल बाग, नई नदल्ली। विषय : पसु ्तकंे मगँ वाने के नलए पत्र। मान्यवर, नपछले सप्ताह ऑडगर की हईु पसु ्तकों के साथ नयी प्रकानशक पसु ्तकों की सचू ी भजे ने के नलए धन्यवाद। कृ पया स्कू ल के स्टोर में ननम्ननलनखत पसु ्तकंे वी.पी.पी. द्वारा भजे कर अनगु हृ ीत करें। पसु ्तकों नक सचू ी ननम्ननलनखत ह।ै भेजने से पवू ग जाँच लंे नक पसु ्तकंे कटी-फटी न हों। पहले की तरह २५% नडस्काउंट काटना न भनू लएगा। 194

धन्यवाद। १. सरल नहदं ी ननबन्ध ५ प्रनतयाँ २. ननमलग ा ५ प्रनतयाँ ३. सरल नहदं ी व्याकरण तथा रचना ५ प्रनतयाँ भवदीय, रजत शमाग िाक्य भेि िाक्य भेि के मुख्य िो आधार है– 1. अथग के आधार पर 2. रचना के आधार पर 1. नवधानवाचक 2. ननषधे वाचक या नकारात्मक वाक्य, 3. प्रश्नवाचक, 4. संके तवाचक 5. इच्छावाचक 8. नवस्मयानदवाचक 6. संदहे वाचक 7. आज्ञावाचक, अथग के आधार पर िाक्य के आठ भेि हंै। िाक्य के भेि पररभाषा उिाहरण विधानिाचक नजस वाक्य में नकसी कायग के समु न नतृ ्य कर रही ह।ै प्रश्निाचक होने का पता चल।े क्या समु न ने अपवू ाग को बलु ाया? वनषेधिाचक समु न ने चाकू से सेब नहीं काटा। आज्ािाचक नजस वाक्य मंे प्रश्न पछू े जाने का अशं ु भावना को पसु ्तक दो। संिेहिाचक पता चल।े इच्छािाचक शायद अनं कता बस से उतरी। संके तिाचक नजस वाक्य में नकसी कायग के भगवान तमु ्हंे दीघागयु द।े विस्मयावििाचक होने का बोध न हो। यनद समु न बस मंे बैठी तो जल्दी आएगी। नजस वाक्य मंे नकसी प्रकार की वाह! तमु ने तो कमाल कर नदया। आज्ञा दने े का पता चल।े 195 नजस वाक्य मंे नकसी कायग के होने मंे सदं हे प्रकट हो। नजस वाक्य मंे इच्छा, आशीवादग , शभु कामना व्यक्त नजस वाक्य मंे नकसी कायग के होने का नकसी दूसू रे पर ननभरग हो। नजस वाक्य में घणृ ा, शोक, हषग, नवस्मय का पता चल।े

अभ्यास कायग (Work Book) अपवठत गद्ांश वनम्न अपवठत गद्ांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीवजए। भारत नवनभन्नता मंे एकता का दशे ह।ै भारत वषग में अनेक धमों के लोग रहते ह।ैं अपने-अपने धमानग सु ार, अपने-अपने मतानसु ार सभी अपने स्तर पर त्यौहार मनाते ह।ैं राष्रीय स्तर पर जो त्यौहार मनाए जाते ह,ंै वे उत्सव व त्यौहार राष्रीय त्यौहार कहलाते ह।ंै नजसमें धमग का कोई बधं न नहीं होता ह।ै सभी दशे वासी धानमकग भदे भाव को भलू कर संयकु ्त रूप से राष्रीय त्यौहार को प्रेम व उत्साह के साथ मनाते ह।ंै यही कारण है नक हम अपने परंपरागत धानमकग तथा सामानजक त्यौहारों के साथ अपने राष्रीय त्यौहारों को भी बडे उत्साह से मनाते ह।ंै प्रश्न- 1. भारत कै सा दशे ह?ै ( ) अ) प्यार से रहने वाला आ) प्यारा ) इ) नवनभन्नता में एकता का ई) झगडा करने वाला 2. भारत में नकतने धमों के लोग रहते ह?ंै अ) दो आ) कु छ ( इ) अनेक ई) कम 3. भारत वषग मंे लोग त्योहार नकस स्तर पर मनाते ह?ैं उ. ________________________________________________________________ 4. कौनसे त्योहार राष्रीय त्योहार कहलाते ह?ैं उ. ________________________________________________________________ 5. राष्रीय त्योहारों को हम कै से मनाते ह?ैं उ. ________________________________________________________________ 6 ‘राष्रीय’ शब्द का प्रत्यय पहचाननए। उ. ________________________________________________________________ प्रश्नोत्तर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर वलवखए। 1. बच्चों को अकसर नकस बात का भय रहता था? 196

2. डॉक्टर ने मोहन की बीमारी के बारे में क्या बताया? 3. मास्टर जी ने माँ को मोहन की क्या बीमारी बताई? पत्र-लेखन अपने जन्मवििस पर वमत्र को बलु ाते हुए पत्र वलवखए। व्याकरण 1) अथग के आधार पर वनम्न िाक्यों के भेि पहचावनए। 1. क्या मंै खाना खा सकती ह?ँ ( ___________________________) 2. मंै प्रनतनदन व्यायाम नहीं करता ह।ँ ( ___________________________) 3. आप बाज़ार जाओ। ( ___________________________) 4. वाह! क्या स्वानदष्ट खाना ह।ै ( ___________________________) 2) वनम्नवलवखत िाक्यों को वनिेशानुसार बिवलए। ( सदं हे वाचक वाक्य) 1. आज लगातार वषाग हो रही ह।ै उ. _____________________________________ 2. मंै सखु प्राप्त करना चाहता ह।ँ ( प्रश्नवाचक वाक्य) उ. _____________________________________ 3. क्या तमु प्रनतनदन नवद्ालय जाते हो? (नवधानवाचक वाक्य) उ. _____________________________________ 4. तमु ्हंे अच्छे अकं लाने ह।ंै (इच्छाथकग वाक्य) उ. _____________________________________ 3) वनम्नवलवखत िाक्यों को उनके भेि से वमलाइए। 1. भगवान तमु ्हंे दीघायग ु द।े नवधानाथगक वाक्य 2. गरम पानी से सेंक मत दीनजए। संदहे वाचक वाक्य 3. राजू मबंु ई गया ह।ै नकारात्मक वाक्य 4. हो सकता है आज भी रेन देरी से आए। इच्छाथकग वाक्य 4) वनम्नवलवखत मुहािरों के अथग वलवखए। _________________________ 1. गधे के नसर से सींग गायब होना = 197

2. हवा में उडना = _________________________ 3. जान में जान आना = _________________________ 4. पटे नें दाडी होना = _________________________ 5. ठगे से रहना = _________________________ 6. छका दने ा = _________________________ 5) वनम्नवलवखत शब्िों के वभन्नाथग वलवखए। 1. वात - _______________________________ 2. मल - _______________________________ 3. ज़रा - _______________________________ 4. मान - _______________________________ 5. जी - _______________________________ 6. भटे - _______________________________ 6) वनम्नवलवखत शब्िों के अथग वलवखए। 1. यकायक - _______________________________ 2. मडु ना - _______________________________ 3. बला - _______________________________ 4. नटखट - _______________________________ 5. दोपहर - _______________________________ 6. दटतर - _______________________________ 7) वनम्नवलवखत िाक्यों मंे रेखांवकत शब्ि का वलगं बिवलए। 1. मोहन एक आलसी लडका ह।ै (________________) 2. हमारे पडोसी अच्छे ह।ंै (________________) 3. नपताजी बाज़ार गए ह।ंै (________________) 4. दादा जी दकु ान पर जा रहे ह।ंै (________________) 5. गरु ुजी ने मोहन को माफ कर नदया। (________________) 6. साहब आप आइए। (________________) 198

8) वनम्नवलवखत शब्िों के उपसगग वलवखए। 4. बाद - ______________ 1. बदहज़मी - ___________________ 5. नया - ______________ 2. अपमान - ___________________ 6. शाम - ______________ 3. बहे द - ___________________ 4 बचे ैन - ___________________ 5. दोपहर - ___________________ 6. अनभमान - ___________________ 9) वनम्नवलवखत िाक्यों को युग्म शब्िों से पूरा कीवजए। 1. तमु ने कु छ अटं ...................... तो नहीं खाया? 2. दोपहर को ...................... चगं ा गया था। 3. इससे दो ...................... दस्त होंग।े 4. वह ...................... वहाँ भागता रहता ह।ै 5. कोई धमा ......................करने को नहीं बची ह।ै 10) वनम्नवलवखत शब्िों के विलोमाथग वलवखए। 1. अदं र - ______________ 2. गरम - ______________ 3. डर - ______________ 11) वनम्नवलवखत िाक्यों को व्याकरण की दृवि से पहचावनए। 1. मनंै े एक संतरा खाया। इ) सवनग ाम ई) निया () अ) संज्ञा आ) नवशेषण इ) सवनग ाम ई) निया () 2. राजू के चेहरे पर हवाइयाँ उड रही ह।ैं ई) निया () अ) संज्ञा आ) नवशेषण 3. दखे ो कै से लोट रहा ह!ै अ) संज्ञा आ) नवशेषण इ) सवनग ाम 199


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