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Edited Book final HINDI_PDF chapter

Published by farid-9898, 2022-09-17 13:03:34

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द्धखलाफ लविोह लकया, उसके महल पर हमला लकया और उसे लूट ललया, जबलक हसन खुद घायल हो गया िा।”1 हसन इब्न अली, जो स्वभाव से एक सौम्य, संवेदनशील और एकांतलप्रय व्यद्धि िा, अपने लपता की मृत्यु के बाद मुलवयाह के साि सामंजस्य थिालपत करने के पक्ष में िा। इसी सोच के साि उसने घोर्षर्ा की लक वह खुद को ख़लीफा होने का दावा नहीं करता। तबरी के अनुसार, उसने मुलवयाह के पास अपने प्रलतलनलध को कु छ शतों के बारे मंे सूलचत करने के ललए भेजा: पहला, नमाज के दौरान अली इब्न अबुताललब को कोसना बंद करना; दू सरी बात, हसन और अली के पररवार के सभी सदस्यों को उनके थिायी लनवास मदीना में थिानांतररत करना; और अंत में, तीसरा, इराक के खजाने के साि दरबलगदण (बसरा के पास एक शहर) को हसन, उसके भाइयों और बहनों को थिानांतररत करना।2 मुलवयाह के प्रलत अपनी लनष्ठा की शपि के बदले मंे, हसन इब्न अली ने अपने छोटे भाई हुसैन को २० लाख लदरहम सौपने और इसके अलावा, अपने ललए अलग से ५० लाख लदरहम और इराकी खजाने मंे से एक द्धथिर आय की मांग की।3 “मुलवयाह ने हसन की सभी शतों को स्वीकार कर ललया, लसवाय अली के द्धखलाफ अलभशाप रद्द करने के । उसने कहा, \"यह स्वीकायण नहीं है।\" उस समय, सीररया के सभी शहरों मंे, शुक्वार के उपदेश के अंत में, अली को अलभशाप देने की प्रिा िी। मुलवयाह ने कहा, \"यलद आप शुक्वार को वहां होते हैं, तो मंै उपदेशक को आपकी उपद्धथिलत में उसे ऐसा नहीं करने के ललए कहंगा।”4 इस प्रकार, रबी अल-अव्वल के महीने, लहजरा के ४१वें वर्षण (६६१ ईस्वी) मंे हसन इब्न अली ने मुलवयाह के प्रलत लनष्ठा की कसम खाई, उसे खलीफा की बागडोर सौपं ी, और कै ब इब्न साद की १२ हजार सैलनकों की मजबूत सेना, जो 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1159. 2 Ibid. 3 Muller A. History of Islam. Book 1. – M., 2004, p. 474. 4 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1159- 1160. 301

सीररया के बाहरी इलाके मंे िी, इमाम और राजनीलतक नेता के लबना वहीाँ बनी रही।1 उमय्यद खलीफा का गिन: मुलवयाह के ख़लीफा बनने के बाद, अरब राज्य के इलतहास मंे दू सरा काल शुरू हुआ - उमय्यद ख़लीफा (६६१-७५० ईस्वी) का कायणकाल, लजसकी राजधानी सीररया का दलमि शहर िा। अली इब्न अबुताललब के तहत लनदेलशत धालमणक ख़लीफाओं की सैन्य कारण वाइयाँा, मुख्यतः आंतररक संघर्षण मंे, व्यावहाररक रूप से मुसलमानों के बीच युि मंे बदल गईं िी। दस साल के अंतराल के बाद अब पलश्चम और पूवण मंे इस्लाम का प्रसार लफर से शुरू हो गया िा। ६६१-६६२ ईस्वी में, मुलवयाह ने ईरान के पूवी क्षेिो,ं लवशेर्ष रूप से खुरासान और आमू-पार को जीतना शुरू कर लदया। उसने कै स इब्न हाइसाम को खुरासान का राज्यपाल लनयुि लकया, और ६६१ ईस्वी में उमय्यद के पहले राज्यपाल ने लनशापुर में प्रवेश लकया। खुरासान मंे अपने शासनकाल के दो वर्षों के दौरान, यानी ६६३ ईस्वी तक, कै स इब्न हाइसाम ने बाद्गीस, हेरात, बुशेंदज और बल्ख शहरों पर लफर से लवजय प्राि की। उसके सेनापलतयों में से एक अता इब्न साहब ने बल्ख पर कब्जा करने के दौरान, उसके लकले को नष्ट् कर लदया और शहर के लनवालसयों को शांलत थिापना के बदले क्षलतपूलतण का भुगतान करने के ललए मजबूर लकया।2 एक अन्य अरब सेनापलत, हकीम अल-लगफारी, जो मुलवयाह के आदेश पर खुरासान को जीतने के ललए गया िा, वह गुर क्षेि में परालजत हो गया और मवण में चला गया। इस बीच, इराक में हसन इब्न अली के गुि समिणकों की ओर से भ्रांलत फै लाने के खतरे को भांपते हुए, मुलवयाह इब्न अबुसुफ्यान ने अब्दु ल्ला इब्न ओमीर को बसरा का राज्यपाल लनयुि लकया और साि ही उसे खुरासान का प्रबंधन भी सौपं ा। अब्दु ल्ला इब्न ओमीर ने कै स इब्न लहसाम को खोरासान के राज्यपाल का पद छोड़कर उसे इस क्षेि के शेर्ष प्रांतों को जीतने का आदेश लदया। एक दू रदशी राजनीलतज्ञ होने के नाते मुलवयाह ने अली के पूवण सेनापलतयों के साि संबंधों को थिालपत लकया और उन्हंे - कु छ को अनुनय के द्वारा, कु छ को सोने का लालच दे कर, कु छ को धमलकयों के द्वारा - अपने अधीन होने के ललए 1 Ibid. 2 Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 86. 302

मजबूर लकया। अली के ररश्तेदारों मंे से, वह उसके भतीजे अब्दु ल्ला इब्न अब्बास और मुगीरा इब्न शुबा को अपने करीब लाया, उदारता से उन्हंे उपहार लदए और इस तरह अली के समिणकों के बीच उसका प्रभाव बढ गया। तबरी के अनुसार, हसन इब्न अली के समिणकों में से एक लज़याद इब्न सुमाया, लजसने ईरानी शहर इस्ताहार मंे शरर् ली िी और यहां तक लक बसरा में लविोह करने की कोलशश की िी, से मुलवयाह बहुत डरता िा। उस ने मुगीरा इब्न शुबा, जो पहले लज़याद का दोस्त िा, को उसके पास बातचीत के ललए भेजा। मुलवयाह ने उसे क्षमा करते हुए, उसे अपने थिान पर आमंलित लकया।1 चँाूलक लज़याद इब्न सुमाया सीधे तौर पर खुरासान और आमू-पार के प्रबंधन और उनके आगामी भलवष्य से सीधे तौर पर संबंलधत है, इसललए उसके बारे मंे अलधक लवस्तार से ध्यान देना जरूरी है। तबरी के अनुसार, वह उपपत्नी सुमाया, जो पहले लकसी लनलश्चत लहंद की गुलाम िी, के द्वारा अबुसुफयान का नाजायज पुि िा। लज़याद का जन्म तीन महीने बाद हुआ िा, “और सुमाया ने कहा लक वह अबुसुफयान का बेटा िा और उसी के जैसा लदखता िा।” अबुसुफयान ने यह कहते हुए इनकार कर लदया लक यह बच्चा उससे नहीं िा।2 इसललए, अबुसुफयान के नाजायज़ बेटे का नाम उसकी माँा के नाम पर रखा गया- सुमाया का बेटा लज़याद, और अली के शासनकाल के दौरान, उसे उसकी वफादार सेवा के ललए फारस और करमान का राज्यपाल लनयुि लकया गया िा। मुगीरा के अनुनय के बाद, लहजरा के ४२वें वर्षण (६६२ ईस्वी) में लज़याद इब्न सुमाया, मुलवयाह के पास पहुंचा, उसके प्रलत लनष्ठा की कसम खाई, और लफर कु फा में मुगीरा के शासन के दौरान वह खराज इकट्ठा करने के ललए अलधकृ त लकया गया। यह देखते हुए लक उसका नाजायज भाई एक लवश्वसनीय और सच्चा व्यद्धि है, तिा राजनीलत और सरकारी मामलों मंे पारं गत है, मुलवयाह ने उसे अपने पास बुला ललया और लहजरा के ४४वंे वर्षण (६६४ ईस्वी) मंे उसे उसके लपता के नाम - लज़याद इब्न अबुसुफयान - से बुलाने का आदेश लदया।3 हालााँलक लज़याद को मुलवयाह द्वारा अपने भाई के रूप में मान्यता देना इस्लामी 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ibid. – p. 1184; Muller A. History of Islam. Book 1. – M., 2004, p. 477. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ibid. – p. 1162-1163; Muller A. Ibid. – p. 476. 3 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1164; Muller A. History of Islam. Book 1. – M., 2004, p. 477. 303

दुलनया मंे बहुत चचाण और अफवाहों का कारर् बना, परन्तु बाद मंे यह राजनीलत और शासन के मामले मंे मुलवयाह की सफलताओं में से एक माना गया। आद्धखरकार, लज़याद इब्न अबुसुफयान ने न के वल मुलवयाह को एक सलाहकार और एक सलक्य अलधकारी के रूप में मदद की, बद्धि देश मंे लविोह और अशांलत के दमन और नए क्षेिों पर लवजय की नीवं भी रखी। लहजरा के ४५वंे वर्षण (६६५ ईस्वी) मंे मुलवयाह ने अब्दु ल्ला इब्न ओमीर, लजसने तबरी के अनुसार, \"राजनीलत को नहीं समझा और चोरी करने मंे लगा रहा,\" को बसरा और खुरासान के राज्यपाल के पद से हटा लदया और लज़याद इब्न अबुसुफयान को बसरा, लसस्तान और खुरासान के राज्यपाल के रूप मंे लनयुि लकया। बसरा पर शासन की शुरआत करते ही, लज़याद ने लनमणमता से मुलवयाह के लवरोलधयों को तबाह कर लदया और यहां तक लक शहरवालसयों को भी शाम के नमाज़ के बाद सड़कों पर जाने से मना कर लदया। तबरी के अनुसार, एक रात चौकीदार ने बसरा की गली में एक अरब को उसके भेड़ों के साि लहरासत में ललया और उसे जान से मारने की धमकी दी। न्याय की तलाश में, वह लज़याद के पास गया और कहा लक वह अपनी भेड़ों को बेचने के ललए रे लगस्तान से आया िा और शाम में ही बसरा पहुंचा िा, और यह नहीं जानता िा लक ऐसे समय मंे यहां सड़कों पर चलना मना है। लज़याद उस इंसान के शब्दों की सत्यता पर लवश्वास लकया, परन्तु अपनी नीलत का उल्लंघन नहीं करने के ललए, उसने उसे मौत की सजा दी, और उसे इन शब्दों से सांत्वना दी: \"अगर मंै तुम्हें मारता हं, तो तुम एक लनदोर्ष शहीद माने जाओगे।\"1 लज़याद ने आदेश को बनाए रखने और संभालवत लविोलहयों का उत्पीड़न करने के उद्देश्य से बसरा मंे चार हजार कु लीन रक्षकों को लनयुि लकया। इसके पररर्ामस्वरूप, एक वर्षण में ख़ाररलजयों के सात हज़ार समिणकों को मौत के घाट उतार लदया गया, और शेर्ष आबादी को मुलवयाह के अधीन समलपणत करने एवं उसे ख़लीफा के रूप मंे पहचानने के ललए मजबूर लकया गया। अब आप कल्पना कर सकते हंै लक खुरासान और लसस्तान का भाग्य क्ा हो सकता िा, जो एक इतने क्ू र व्यद्धि के हािों में िा, लजसने तलवार की नोक पर इस्लाम के दुश्मनों को दबा लदया। लज़याद इब्न अबुसुफयान ने प्रारं भ में खुरासान को चार क्षेिों मंे लवभालजत लकया और मवण मंे उमर इब्न अहनाफ, लनशापुरा एवं अबारशहर में 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ibid. 304

हुलैद इब्न अब्दु ल्ला, ताललकान, फै रीब एवं मवणुद मंे कै स इब्न हाइसम, और हेरात, बादगीस, बुशंेदज एवं कालदज़ मंे नफी इब्न खाललद को शासक लनयुि लकया। हालााँलक, यह जानने के बाद लक उसके द्वारा लनयुि लकये गए शासक अपने व्यवसाय में ही व्यस्त िे और वे सैन्य अलभयानों और इस्लाम को फै लाने का कायण जारी नहीं रख रहे िे तो उसने उन सभी को पद से हटा लदया और हाकम इब्न अम्र अल-लगफारी को खुरासान का एकमाि राज्यपाल लनयुि लकया।1 वह कु छ समय के ललए सफर के दौरान िकी हुआ अपनी सेना को आराम देने के ललए मवण मंे रुका, और लफर हेरात और जुिन की ओर आगे बढ गया। सन् ६६७ ईस्वी मंे, हकम अल-लगफारी ने गुर और फारवंद के पवणतीय क्षेिों में एक अलभयान शुरू लकया, और कई असफलताओं के बाद, उसने उन्हें अपने कब्जे में ललया, वहां बड़ी संख्या मंे कै लदयों को पकड़ा और बड़े साजोसामान को लूटा। मवण को अपनी सेना का मुख्य सहायता लशलवर बनाने के बाद, हकम अल- लगफारी जेहुन के दालहने लकनारे पर समृि और उपजाऊ भूलम को जीतने की उम्मीद मंे जल्द ही अमु दररया के तट पर पहुंच गया। हालांलक, भाग्य नहीं चाहता िा लक उसके सपने सच हो,ं क्ोलं क सन् ६७० ईस्वी मंे, मौत ने उसे अपनी बाहों में ले ललया। तबरी के अनुसार, वह के वल दू सरे लकनारे पर पहुंचने और इस्लाम की सेना की सफलता के ललए प्रािणना करने में सफल रहा।2 संभवतः उसकी प्रािणना सुन ली गई िी, क्ोलं क सन् ६७१ ईस्वी में बसरा के नए राज्यपाल लज़याद इब्न अबुसुफयान ने रबी इब्न लज़याद अल-हरसी को खुरासान के शासक के रूप मंे लनयुि करते हुए, उसे ५० हजार सैलनकों के साि मवण भेजा िा। इलतहासकारों के अनुसार, अगर अब तक पहले से मवण में ५० हजार से अलधक अरब पररवार रहते िे, तो रबी अल-हरसी ने अपने साि दो लाख और अरबों को लाकर उन्हें इस कब्जे वाले प्रांत के शहरों और अन्य महत्वपूर्ण कंे िों मंे बसा लदया िा।3 तबरी के अनुसार, रबी अल-हरसी, जो लज़याद इब्न अबुसुफयान के करीबी सहयोलगयों में से एक िा, ने \"बल्ख को लबना लकसी 1 Ibid. – p. 1166. 2 Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 87- 88. 3 Ghafurov B. Tajiks. Book 1. – Dushanbe, 1998, p. 409; Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 88; Yakubov Yu. History of the Tajik people. Beginning of the middle ages. – Dushanbe, 2001, p. 157. 305

लड़ाई के अपने अधीन कर ललया, आमू-पार मंे प्रवेश लकया, तुकों के साि एक लड़ाई मंे धनदौलत पर कब्जा लकया और जल्द ही वापस लौट आया।\"1 अमु दररया के तट पर कई लड़ाइयों के बाद, रबी अल-हरसी की मवण में ६७२/६७३ ईस्वी में मृत्यु हो गई, और इसने खुरासान को कु छ समय के ललए उसके छापों से बचाया। हालांलक ये लड़ाइयां उमय्यद सैलनकों के के वल अल्पकाललक सैन्य अलभयान िे, पर इन्होनं े बाद के अलभयानों और लवजय के ललए रास्ता खोल लदया, लजससे इस्लाम की दुलनया मंे बसरा, खोरासन और लसस्तान के शद्धिशाली राज्यपाल लज़याद इब्न अबुसुफयान के अलधकार में वृद्धि हुई। लज़याद का प्रभाव इतना अलधक िा लक, इराक से जेहुन के तटों तक की भूलम पर अलधकार करते हुए लहजरा के ५३वें वर्षण (६७३ ईस्वी) में उसने मुलवयाह को लनद्धिद्धखत संदेश भेजा: “ओह, वफादार के स्वामी, मेरे बाएं हाि मंे पहले से ही एक राज्य है, और मेरा दालहना हाि खाली है। इसललए मुझे मक्का और मदीना दे दो, ऐसा मेरा सपना है!2 ऐसे हैं इलतहास के घुमावदार रास्तों के उलटफे र! एक गुलाम का बेटा, जो बचपन से ही अपने लपता के नाम से खुद को बुलाने के अलधकार से वंलचत िा, अब ईरान के मुख्य भाग पर शासन करता िा और मक्का और मदीना सलहत लहजाज़ को अपने अधीन करने का दावा करता िा। उदारता लदखाते हुए, मुलवयाह ने एक उलचत फरमान लनकाला और उसे एक दू त के साि लहजाज़ भेज लदया, लेलकन वह सपना सच होने की लनयत नहीं रखता िा। उसी वर्षण ६७३ ईस्वी मंे, जब कु फा पहुंचकर लज़याद इब्न अबुसुफयान मक्का और मदीना जाने वाला िा, तभी उसका जीवन छोटा पड़ गया। आमू-पार पर श्ववजय की शुरुआि: एयाजलदगाडण तृतीय की मृत्यु के बाद, अरबों ने बाद के आमू-पार मंे अलभयानों के ललए मवण को अपना आधार बनाया और अमू दररया के दालहने लकनारे को जीतने के ललए खुद को तैयार लकया। उनके अलभयानों से पहले, सभी छोटी और लबखरी हुई ररयासतें और क्षेि राजलनलतक और नागररक संघर्षों की द्धथिलत में िे, और लगातार एक दू सरे के 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1168. 2 Ibid. 306

साि युि मंे ललि िे। अरब लवजय के समय तक, बुखारा जैसे लवकलसत शहर मंे भी दो शासक िे जो एक दू सरे के साि दुश्मनी रखते िे। सन् ६७३ ईस्वी मंे, लज़याद इब्न अबुसुफयान की मृत्यु के बाद, मुलवयाह ने उसके २५ वर्षीय बेटे उबैदुल्लाह इब्न लज़याद को खुरासान का शासक लनयुि लकया। उसने एक सेना का गठन लकया और खुरासान और आमू-पार की लदशा में २५ हजार सैलनकों के साि आगे बढा। जेहुन को पार करने के बाद, उसने बुखारा के आसपास के क्षेि में पाइकांद और रोमेतान प्रांतों पर कब्जा कर ललया और चार हजार से अलधक लोगों को बंदी बना ललया। नरशखी द्वारा रलचत \"बुखारा का इलतहास\" के अनुसार, बुखाराखुदत लबदुन की मृत्यु के बाद, बुखारा उसके युवा बेटे तागशोद के अधीन आ गया िा, लजसकी ओर से उसकी मां खुताखोनूम शासन करती िी। उबैदुल्लाह के द्धखलाफ युि और शहर की सुरक्षा के ललए, शालसका खुताखोनूम ने सुदद के लनवालसयों और तुकण सेना की ओर रुख लकया और मदद की अपील की। बालाज़ुरी के अनुसार, बुखारा की मदद के ललए तुकों की एक सैन्य टुकड़ी पहुंची, परन्तु उबैदुल्लाह की सारभूत सशस्त्र सेना के द्धखलाफ एक भयंकर लड़ाई में वह हार कर मैदान छोड़ गयी। हालााँलक उबैदुल्ला, (वह अल्लाह द्वारा शालपत हो सकता है!),1 ने बुखारा और उसके लकले पर कब्ज़ा नहीं लकया, लेलकन उसने खुताखोनूम से शांलत के बदले मंे १० लाख लदरहम और बड़ी मािा में सोना और संपलि क्षलतपूलतण के रूप में मााँगा।2 एक लंबी घेराबंदी से बचने और शहर के लनवालसयों को मृत्यु से बचाने के ललए, खुताखोनूम ने इस क्ू र सेनापलत की शतों को स्वीकार कर ललया, लेलकन लकले के द्वार खोले जाने के बाद, बुखारा को लूट ललया गया। अरबों द्वारा लूट की कीमत का अंदाजा कम से कम इस तथ्य से लगाया जा सकता है लक गहनों से सजे बुखारा की शालसका के जूते की बाजार में कीमत दो सौ हजार लदरहम िी।3 1 तबरी ने अली के बेटे और पैगंबर के पोते इमाम हुसैन की हत्या मंे उनकी भागीदारी के ललए उन्हंे संदलभणत लकया। देखें: Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1168. 2 Balazuri. The conquest of Khorasan. Comment by Ghoibov Gh. – Dushanbe, 1987, p. 19. 3 Ayni S. Rise of Muqanna’. – Dushanbe, 1978. p. 88. 307

उबैदुल्ला, जो अब तक क्ू रता और लनष्ट्ठु रता में अपने लपता लज़याद से आगे लनकल गया िा, ने \"थिानीय लनवालसयों के बीच से चार हजार अनुभवी धनुधाणररयों को अपना गुलाम बना ललया\" और बुखारा को एक असीलमत लूट के बाद छोड़ लदया। उसकी छापेमारी के बाद, कई फारसाखों के दू र बसे घरों और गााँवों को जला लदया गया, फसलों को रौदं डाला गया, उद्यान के पेड़ों को लगरा लदया गया और लकसानों को लूट ललया गया। इस लवनाशकारी आक्मर् की तुलना में तुकण छापे कु छ भी नहीं िे। २५ वर्षीय युवा उबैदुल्ला को अपने पापी लक्ष्यों को प्राि करने के लकसी भी चीज पर रोक नहीं िी, और उसको हत्या और डकै ती करने की सीमा का पता नहीं िा। शायद बुखारा और आमू-पार में उबैदुल्लाह की क्ू रता और खून-खराबे की खबरें मुलवयाह इब्न अबुसुफ्यान तक पहुंची, और लहजरा के ५५वें वर्षण (लदसंबर ६७४ ईस्वी) में दू रदशी खलीफा ने उसे खुरासान से वापस बुलाया और बाद मंे उसे बसरा के शासक के पद, जो पहले उसके लपता के पास िा, पर लनयुि लकया। वृि और कमजोर मुलवयाह, जो अपने घुमक्कड़ और शराबी बेटे यज़ीद को उमय्यद खलीफत का मुद्धखया बनाना चाहता िा, को एक मजबूत हाि की सख्त ज़रूरत िी, लजसकी भूलमका लदवंगत लज़याद ने लनभाई िी। इसललए, उसने अपने लवरोलधयों और बुरा चाहने वालों को दबाने के ललए अपने युवा और क्ू र भतीजे पर भरोसा करते हुए, उबैदुल्ला इब्न लज़याद को तत्काल बसरा के ललए याद लकया। अपने जीवन के अंत मंे, बूढा ख़लीफा चाहता िा लक इस्लाम के आलधकाररक नेता उसके बेटे यज़ीद के प्रलत लनष्ठा की शपि लंे और उसे खलीफत की बागडोर िमा दंे। हालांलक, कु छ प्रभावशाली धालमणक नेताओं ने महसूस लकया लक यज़ीद का दुव्यणवहार, लवशेर्ष रूप से शराब पीने और लशकार करने की उसकी लत, पैगंबर के आदेशों के लवपरीत िी, इसललए वह उसे खलीफा नहीं बनाना चाहते िे। हसन इब्न अली की रहस्यमयी मौत (६६९ ई) के बाद, उसके बुरा चाहने वाले लोगों ने मुलवयाह इब्न अबुसुफ्यान पर न के वल अली इब्न अबुताललब का खून बहाने का आरोप लगाया, बद्धि हसन की हत्या के खून के भी आरोप लगाए। उन्होनं े कहा लक यह वही िा, लजसने अस्मा लबन्त अश्स को अपने पलत हसन को मारने के ललए आदेश लदया िा। वास्तव मंे, तबरी के अनुसार, हसन की हत्या के बाद, दुष्ट् अस्मा लबन्त अश्स ने मुलवयाह के पास आकर यह मांग की लक वह अपना वादा पूरा करे और अपने बेटे यज़ीद की 308

शादी उससे कर दे। हालााँलक, मुलवयाह ने अपने लक्ष्य को प्राि करते हुए, अपने वचन को यह कहकर तोड़ लदया: \"तुम नबी के पोते के साि बेवफा लनकली, इसललए तुम मेरे बेटे को भी धोखा दे सकती हो।\"1 इसके अलावा, हसन इब्न अली की मृत्यु के बाद, उसका छोटा भाई हुसैन इब्न अली इब्न अबुताललब, अलालवत कबीले का प्रमुख बन गया, और उसे अली के समिणकों ने तीसरे इमाम के रूप मंे मान्यता दे दी, और वे खुले तौर पर या गुि रूप से उसके प्रलत लनष्ठा की शपि लेने लगे। कु फा और इराक के क्षेि मंे, उमय्यद लवरोधी आंदोलन का लवस्तार हो रहा िा, लजससे नए संघर्षों की वृद्धि होने लगी िी। इसके अलावा, सईद इब्न उस्मान (तीसरे ख़लीफा का बेटा), जो मदीना मंे रहता िा, ने यह जानकर लक मुलवयाह अपने बेटे को ख़लीफा लनयुि करने का इरादा रखता है, समुदाय के सदस्यों से कहा: \"मेरे लपता और मेरी मााँ यज़ीद के माता-लपता से अलधक योग्य िे, इसललए यज़ीद की तुलना में मंै ख़लीफा के कालबल हाँ!\"2 मुलवयाह, जो एक चालाक, ऊजाणवान राजनीलतज्ञ और खलीफा उस्मान से संबंलधत िा, ने सईद इब्न उस्मान के साि सीधे संघर्षण से बचने का फै सला लकया और ऐसा कदम उठाया की \"एक पथर से दो पलक्षयों का लशकार हो जाए।” उसने मदीना से सईद इब्न उस्मान को अपने पास आमंलित लकया और उसे खुरासान का शासक लनयुि करने का आदेश जारी लकया। इस प्रकार, उसे इस तरह के खतरनाक प्रांत में इस्लाम फै लाने के उद्देश्य से भेजते हुए उसने एक संभालवत गंभीर प्रलतद्वंद्वी को समाि कर लदया। सईद इब्न उस्मान अपनी जान जोद्धखम मंे डालकर, आमू-पार के अलभयान पर जाने के ललए मजबूर िा, तालक फौजी लूट की कीमत पर खलीफा के खजाने को लफर से भरा जा सके , हालांलक, अपने भाग्य की सीमाओं के बारे मंे वह भूला नहीं िा। जहााँ तक उबैदुल्लाह इब्न लज़याद की बात है तो वह, बसरा का राज्यपाल बनने के बाद, वफादारों के शासक को समृि उपहार भेजना और अपने लपता की तरह, लवश्वास और सच्चाई के साि उसकी सेवा करना नहीं भूला। 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1162. 2 Ibid. – p. 1120; Ulughzada S. Rivoyati Sughdi (Sogdiana legend). – Dushanbe, 2002, p. 78. 309

राजनीलतक और धालमणक संघर्षण में समृि अनुभव रखने वाले मुलवयाह इब्न अबुसुफ्यान ने इस बार भी कोई गलती नहीं की। सईद इब्न उस्मान ने, ख़लीफा का आभारी होते हुए, बसरा मंे चार हजार की एक सेना इकट्ठा की और खुरासान और आमू-पार के द्धखलाफ अलभयान पर लनकल पड़ा। जब सईद इब्न उस्मान फारस को पार कर रहा िा, तो थिानीय लोगों ने मललक इब्न रायब और उसके लुटेरों के बारे मंे उससे लशकायत की। सईद ने मललक के लगरोह को अपनी सेना में शालमल कर ललया। चार हज़ार लुटेरों और दंगाइयों से अपनी सेना के पदों की भरपाई की और आमू-पार की ओर बढना जारी रखा। सन् ६७६ ईस्वी की गलमणयों मंे, सईद इब्न उस्मान ने अमु दररया को पार लकया और बुखारा की तरफ बढ गया। खुताखोनूम, जो उबैदुल्लाह इब्न लज़याद के आक्मर् से नहीं उबर पायी िी, ने समरकं द के इद्धख़्तद, के श (शाहरे ज़ब), नख़शब (नासफ) और अन्य पड़ोसी ररयासतों के शासकों से मदद की अपील की। इस बीच, सईद इब्न उस्मान की सेना ने, लजसका इलतहासकारों ने अनुमान लगाया लक चालीस हज़ार लोग िे, बुखारा से चार फारसाख की दुरी पर द्धथित सोलमज़न नहर के लकनारे अपना लशलवर बनाया। सईद ने बुखारा लकले में डेढ हजार घुड़सवारों की एक अलग्रम टुकड़ी भेजी, तालक वे शहर की रक्षा के ललए शालसका की तैयारी की \"जांच\" करें और उसे उसके सैलनकों की द्धथिलत के बारे मंे सूलचत करंे । उबैदुल्लाह के पूवण सेनापलतयों और सहयोलगयों के परामशण पर, वह पहले से ही लूटे हुए बुखारा में लंबे समय तक लटकने की कोई इच्छा नहीं रखता िा, बद्धि आगे समरकं द की तरफ बढने जा रहा िा। बुखारा के सेनापलतयों मंे से एक ने सईद की अलग्रम टुकड़ी के नजदीक आने की सुचना लमलते ही पांच सौ घुड़सवारों का चयन लकया और शहर के आसपास के गांव खुजादा में घात लगाकर उन पर हमला कर लदया। पहले युि के दौरान, जो लक सन् ६७६ ईस्वी की गलमणयों मंे बुखारा के करीब हुआ िा, अरबों की अलग्रम टुकड़ी को भारी नुकसान पहुंचा, और जीलवत बचे लोग भाग गए। बुखारा की शालसका के योिाओं की ऐसी सख़्त पकड़ से क्ोलधत होकर, सईद इब्न उस्मान ने शहर की घेराबंदी करने का फै सला ललया। खुताखोनूम की छोटी सेना अरब की चालीस हजार मजबूत सेना, लजसने शहर को चारों ओर से घेर ललया िा, का सामना करने मंे सक्षम नहीं िी। इसललए, शालसका, लजसे पहले 310

से ही अरबों के साि युि का कड़वा अनुभव िा, ने शांलत संलध का प्रस्ताव रखने के ललए अपने प्रलतलनलधयों को भेजा। सईद इब्न उस्मान, जो बुखारा की घेराबंदी करके अपने उद्देश्यों की प्राद्धि मंे बाधा नहीं डालना चाहता िा, ने इस बार शांलत के बदले मंे तीन सौ हजार लदरहम की रालश क्षलतपूलतण के भुगतान के रूप मंे करने की मांग रखी।1 तीन सौ हज़ार लदरहम और लूट का माल लेते हुए, सईद इब्न उस्मान ने महंगे कपड़े पहने हुए शाही पररवार के बीस बच्चों को बंधक बनाने का आदेश लदया, क्ोलं क उस के मुतालबक वे जब तक उस की गालड़यों में रहेंगे तब तक वह पीछे से लकये गए लकसी भी हमले के समय उनको ढाल की तरह इद्धस्तमाल कर सके गा। खुताखोनूम ने बड़ी मािा में सोने और महंगे उपहारों की कीमत पर अपने बेटे तागशोद को बचा ललया, लेलकन सोना चढे हुए जूते और महंगे कपड़े पहने हुए बीस नवयुवकों को चयलनत घोड़ों के साि सईद के पास समरकं द भेजने से बचा नहीं पाई। सईद इब्न उस्मान, नरसखी के अनुसार, ८० बंधकों को अपने साि लाया और समरकं द की ओर चल पड़ा।2 लवजेताओं की चालीस हजार की सेना, लजसमंे मुख्य रूप से गैर-अरब आबादी के पैदल सैलनक शालमल िे, ने समरकं द से १२ फारसाख की दुरी पर द्धथित दाबूलसया शहर मंे एक लशलवर थिालपत लकया। समरकं द, सुदद की राजधानी और आमू-पार का सबसे बड़ा व्यापाररक और सांस्कृ लतक कें िों मंे से एक, बारह द्वारों के साि दो पंद्धियों वाली दीवारों से लघरा हुआ िा। समरकं द के गढ को घेरने के बाद, सईद इब्न उस्मान ने लकले की दीवारों को गोलों और धक्का मारने वाले उपकरर्ों से नष्ट् करना चाहा। परन्तु बहादुर सुद्धददयन योिा रात मंे छापे मारते हुए, अप्रत्यालशत रूप से फाटक छोड़कर दुश्मनों के सैलनकों को बार बार लततर लबतर कर देते। हालांलक, अरबी सेना, शहर के रक्षकों की संख्या की तुलना में तीन गुना बड़ी िी। इसके अलावा, उसने लगातार मवण और लनशापुर से आने वाले सैलनकों से सुदृढीकरर् का अनुभव प्राि लकया िा। सईद इब्न उस्मान की सेना ने पड़ोसी गांवों को लूटा और वहां के युवाओं और बुजुगों को बंदी बना कर, उनका इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में बाद के हमलों मंे लकया। 1 Ulughzada S. Rivoyati Sughdi. – Dushanbe, 2002, p. 139-140. 2 Ayni S. Rise of Muqanna’. – Dushanbe, 1978. p. 89. 311

हालांलक समरकं द की घेराबंदी एक महीने से अलधक समय तक चली, लेलकन सईद इब्न उस्मान उसपर कब्ज़ा करने मंे सफल नहीं हुआ। भयंकर लड़ाइयों के दौरान, पैगंबर के चाचा, कु साम इब्न अब्बास मारा गया, और सईद इब्न उस्मान ने खुद की एक आंख खो दी, जैसा लक उसके सेनापलत मुहल्लाब इब्न अबुसुफरा ने।1 यह ध्यान लदया जाना चालहए लक समरकं द मंे कु साम इब्न अब्बास की संभालवत कब्र बाद मंे \"शाह-इ-लज़ंदा\" के रूप मंे जानी जाने लगी और मुसलमानों के ललए तीिणथिल मंे पररवलतणत हो गई। इस बात से लचंलतत लक सैन्य गलतलवलधयां लम्बे समय के ललए खीचं सकती हंै और समरकं द के लनवालसयों के सुदृढीकरर् की मदद के ललए सुदद के अन्य प्रांतों से मदद की संभावना कम हो जाएगी, सईद इब्न उस्मान ने शांलत वाताण का रास्ता खोलने का फै सला ललया। उसने समरकं द के शासकों की पाररवाररक सम्पदा और व्यद्धिगत महल को कब्ज़े मंे कर ललया, लजससे लघरे हुए शहर के नेताओं को शांलत समझौता करने के ललए मजबूर होना पड़ा। शांलत समझौते के अनुसार, समरकं द के इख्शीद को सात सौ हज़ार लदरहम की रालश क्षलतपूलतण के रूप मंे भुगतान करना, २० (तबरी के अनुसार, ५०) उच्च-कु ल के युवकों को बंधक के रूप में देना और शहर का एक दरवाजे को खोलना िा तालक तीसरे खलीफा का बेटा शहर, बाजार और शानदार महल का लनरीक्षर् कर सके । क्षलतपूलतण प्राि करने के बाद, सईद इब्न उस्मान ने, सिर सेनापलतयों और सैलनकों के साि, नवबहोर फाटक के माध्यम से शहर मंे प्रवेश लकया, बाजार में उसके ललए छोड़ा सोना और सामान प्राि लकया, और समरकं द से के श फाटक के माध्यम से लनकल गया।2 वापस लौटते समय रास्ते में, वह बुखारा के पास पहुंचा, लेलकन लफर लतरलमज़ की लदशा में चला गया, और अपने साि बुखारा के ४० उच्च-कु ल वाले युवकों यह आश्वासन देते हुए साि ले गया, लक अमु दररया को पार करने के बाद वे उन्हंे मुि कर देगा। लतरलमज़ पर कब्जा करने और लूटने के बाद, वह मवण में अपने आधार लशलवर मंे लौट गया, लूट का लवभाजन लकया, और सेना को आराम लदया। 1 Yakubov Yu. History of the Tajik people. Beginning of the middle ages. – Dushanbe, 2001, p. 157; Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 92. 2 Ulughzada S. Rivoyati Sughdi. – Dushanbe, 2002, p. 189. 312

कब्जे वाले प्रांतों में खराज संग्रहकताण और अन्य अलधकाररयों को चुनने के बाद, सईद इब्न उस्मान खलीफत के पूवी प्रांत की राजधानी – लनशापुर - चला गया। हालााँलक, जब खुताखोनूम के दू त लनशापुर पहुंचे और बंधक बने सुद्धदद कु लीन युवकों को मुि करने की मााँग की, तो उसने यह कहते हुए अपना वचन तोड़ लदया लक वे पहले बंधक िे, और अब उसके गुलाम बन गए हंै।1 नरशखी के अनुसार, सईद इब्न उस्मान समरकं द और लतरलमज़ से २ हजार दासों और अनलगनत लूट के साि मवण लौटा। यहााँ यह ध्यान लदया जाना चालहए लक बालाज़ुरी और तबरी के लववरर्ों के अनुसार, के श मंे सईद इब्न उस्मान ने ख़तलोन के राजा शोखबोद के घायल भतीजे से मुलाकात की, लजसने अपने भाई के साि युि के ललए अरबों से मदद मांगी िी। सईद इब्न उस्मान ने इस भतीजे को अपने लशलवर मंे छोड़ा, और खुद ख़तलोन पर एक अलभयान मंे जाने और यज़ीद इब्न मुहल्लाब को इस पर धयान आकलर्षणत करने का फै सला ललया। हालाँालक, हुआ ऐसा लक ख़तलोन के राजा शोखबोद ने रात में अरब लशलवर पर हमला लकया, अपने भतीजे को पकड़ ललया, और राजिोह के जुमण मंे उसकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद, यज़ीद ने ख़तलोन के राजा के साि शांलत समझौता लकया और उससे बड़ी क्षलतपूलतण की मांग की। इलतहासकारों के अनुसार, अरबों का ख़तलोन में प्रवेश करने का यह पहला प्रयास िा। आमू-पार पर इन लवजय अलभयानों के बाद, लगभग ६७७ ईस्वी में, सईद इब्न उस्मान ने वफादारों के शासक मुलवयाह इब्न अबुसुफ्यान से उसे खुरासान के शासक के पद से मुि करने का आग्रह लकया और ३०० ऊं टों पर लदे लूट के माल, साि ही २०० दासो,ं ४० मलहला दासों और ४० उच्च-कु ल के नवयुवकों के साि उसने मदीना की ओर प्रथिान लकया। रास्ते मंे आगे बढते समय, सईद इब्न असमान ने आदेश लदया लक उच्च- कू ल के युवकों से उनके महंगे कपड़े और हलियारों को हटा लदया जाए, और उन्हें सामान्य दासों की तरह पैदल ही अरब की ओर चलने के ललए मजबूर लकया जाये। इस हालत से हताश होकर लक उन्हें सुबह सवेरे से लेकर देर रात तक सईद के खजूर के बागानों में काम करना पड़ा रहा िा, उन उच्च-कु ल के 1 Ibid. – p. 201. 313

युवकों ने लविोह कर लदया, और सईद इब्न उस्मान एवं उसके कई रक्षकों को मार डाला, लेलकन भागने के दौरान वे खुद भी भूख और प्यास से मर गए।1 ६७८ ईस्वी मंे सईद की मृत्यु के बाद, मुलवयाह इब्न अबुसुफ्यान ने अब्दु रण हमान इब्न लज़याद को खुरासान का शासक लनयुि लकया, लजसने लगभग दो वर्षों तक मवरनहर मंे कोई भी गंभीर सैन्य कारण वाई नहीं की।2 मुलवयाह की मृत्यु, खलीफत की राजधानी मंे हुई घटनाओं और हुसैन इब्न अली की हत्या की जानकारी पाने के बाद, खुरासान का नया राज्यपाल, अपने थिान पर कै स इब्न हाइसम को लबठाकर दलमि लौट गया। लहजरा के ६०वें वर्षण (६८० ईस्वी) मंे मुलवयाह की मृत्यु और उसके बेटे यज़ीद के खलीफत की सिा पर थिापना ने लगभग बीस वर्षों तक सापेक्ष शांलत थिालपत राज्य की शांलत भंग कर दी िी। अली के समिणकों और कु फा के लशयाओं ने खलीफा के पद के ललए तीसरे इमाम, हुसैन इब्न अली का वैध अलधकार के ललए खुले तौर पर और गुि रूप से समिणन करना शुरू कर लदया िा। कु फा के लशयाओं ने हुसैन को पिों के साि एक के बाद एक कई दू त भेजे, और उससे उसकी सही जगह लेने का आग्रह लकया और साि ही उसकी पूरी तरह से मदद करने का वादा लकया।3 हुसैन इब्न अली ने अपने भतीजे मुद्धस्लम इब्न अलकल इब्न अबुतललब को कु फा भेजा, जहाँा \"बारह हज़ार लोगों ने उसके प्रलत लनष्ठा की शपि ली।\"4 वह अपने अनुयालययों से लमला तालक सही द्धथिलत का पता लगा सके । कु फा के कई हजार लनवालसयों ने मुद्धस्लम इब्न अलकल इब्न अबुतललब के सामने अपनी स्वेच्छा से शपि ली लक वे हुसैन को इमाम के तोर पर मान्यता देते हैं। तबरी के अनुसार, मुद्धस्लम ने हुसैन को एक पि भेजा लजसमंे उसने कु फा आने का आग्रह लकया। हुसैन ने दू तों के माध्यम से अपने अनुयालययों को पि भेजे, लजसमें कहा गया िा: \"वे सभी जो लशया हैं, कु फा पहुंलचए, क्ोलं क मंै भी वहां जा रहा हँा।\"5 1 Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 93. 2 Ibid. 3 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1173; Muller A. History of Islam. Book 1. – M., 2004, p.509. 4 Abuali Mohammad Bal’ami. Ibid. 5 Ibid. 314

हालाँालक, पररद्धथिलतयों के एक दुभाणग्यपूर्ण संयोग से, इनमंे से एक पि यज़ीद इब्न मुलवयाह के हाि लग गया, और उसने तत्काल उबैदुल्लाह इब्न लज़याद को कु फा मंे पहुँाचने का आदेश लदया तालक लशया लविोह का दमन लकया जाए। उबैदुल्लाह इब्न लज़याद ने अपने भाई उस्मान इब्न लज़याद को बसरा का गवनणर राज्यपाल लनयुि लकया, खुद कु फा की ओर भागा, और लहजाज़ से इराक जाने वाले सभी मुख्य मागों पर सशस्त्र टुकलड़यों को तैनात करने का आदेश लदया। लसतंबर ६८० ईस्वी के अंत मंे, उबैदुल्ला ने सबसे पहले कु फा में अली के सभी दू तो,ं लजनमंे मुद्धस्लम इब्न अकील भी िा, को लगरफ्तार कर ललया और लफर मार डाला, और इस तरह उसने लनमणमता से लशया आंदोलन को दबा लदया। मुसलमानों की हत्या की खबर हुसैन इब्न अली को कु फा जाते हुए आधे रास्ते में लमली। हालााँलक, उसे अपने लपता से साहस और लहम्मत लवरासत मंे लमली िी, लेलकन वह अपने पररवार और सैलनकों को अपने साि उबैदुल्लाह द्वारा उत्पन्न खतरे में नहीं डाल सकता िा। सहयोलगयों के साि परामशण के बाद, हुसैन इब्न अली ने कबणला के रे लगस्तानी मैदान में लननाव के इलाके मंे अपना तंबू गाड़ लदया। उमर इब्न साद (साद इब्न वक्कस का बेटा) की कमान में उबैदुल्लाह की चार हजार सैलनकों की सेना ने हुसैन का लवरोध लकया और उसे घेर ललया। हुसैन और उसके सािी, ३२ घुड़सवारों और ४० पैदल सैलनकों की टुकड़ी के साि लड़ाई के ललए तैयार िे। हालाँालक पहले उमर इब्न साद की सेना ने पैगंबर के पोते से लड़ने और खून बहाने से परहेज लकया, लफर भी, अंत में, उबैदुल्लाह के आदेश पर लकसी तरह यह लड़ाई शुरू हुई। शिु के योिाओं ने हुसैन के सालियों पर हमला लकया, और पररर्ामस्वरूप, वह स्वयं और उसके सभी सािी इस भीर्षर् युि में मारे गए, जो मुहरण म १०, लहजरा के ६१वें वर्षण (१० अरू बर, ६८० ईस्वी) मंे हुआ िा। तबरी के अनुसार, उबैदुल्लाह के आदेश पर, हुसैन के सौभाग्यशाली लसर को उसके शरीर से अलग करके यज़ीद इब्न मुलवयाह को भेज लदया गया। “उसके बाद, हुसैन के लबना लसर वाला मृत शरीर और अन्य मृलतकों के शव तीन लदनों तक कबणला के मैदान में सड़ते रहे, और उन्हंे लेने कोई भी नहीं पहुंचा।\"1 इस लड़ाई में हुसैन के पररवार के कई सदस्य मारे गए िे, लेलकन कु छ 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1183. 315

लववरलर्यों के अनुसार, उसकी पत्नी शारबोनू, जो सासालनद वंश से िीं और एयाजलदगाडण तृतीय की बेटी िी,ं भाग्य से बच गई िी। इलतहासकारों का कहना है लक तेसीफोन से एयाजलदगाडण तृतीय के भागने के दौरान, उसकी १६ वर्षीय बेटी शारबोनू, कई दरबारी मलहलाओं के साि, अरबों के हाि लग गई िी। यह जानकर लक सासालनदी शहंशाह की बेटी उनकी बंदी है, अरबों ने उसे ररहा कर लदया, लेलकन उसे मदीना के लकसी अलववालहत पुरुर्षों में से एक से शादी करने का आदेश लदया। अंतत: राजकु मारी शारबोनू ने हुसैन इब्न अली को चुना, लजसके पररर्ामस्वरूप सासालनद वंश के अरब ख़लीफाओं से संबंध बन गए। \"सभी इमाम, इस्माइली इमाम और सैय्यद के वंशज, लजन्हंे मध्य एलशयाई गर्राज्यों में ईशान कहा जाता है, इस शादी से आते हैं, और उनकी जड़ें अली और मोहम्मद की बेटी फालतमा तक हंै। यह माना जा सकता है लक कबणला में अपने पलत की मृत्यु के बाद, इमाम हुसैन की पत्नी और इमाम ज़ैन अल-अलबदीन की माँा शारबोनू ने ईरान मंे शरर् ली िी। तेहरान के दलक्षर् मंे, रे के प्राचीन शहर के पास, बीबी शारबोनू नाम का एक पहाड़ है, लजस पर पुरुर्षों का चढना मना है। पहाड़ की तरफ एक कब्र है, लजसे माना जाता है लक यह शारबोनू से संबंलधत है।\"1 ईरान की भूलम मंे इस्लाम के प्रसार की प्रलक्या मंे, पैगंबर भी और धालमणक खलीफा भी, जैसा लक हमने सलमान अल-फारसी के उदाहरर् के साि देखा, चारों ओर से ईरालनयों पर लनभणर िे। आद्धखरकार, हुसैन इब्न अली की मृत्यु के बाद, कबणला मैदानों पर एक समृि शहर को बनाया गया और मुहरण म का महीना लशयाओं के ललए, लवशेर्ष रूप से ईरानी मुसलमानों के ललए, शोक का महीना और उसकी मृत्यु का लदन आशूरा का लदन यानी इमाम-शहीद के स्मरर् का लदन बन गया। संभवतः हुसैन की हत्या के बदले इनाम के रूप मंे, वफादारों के शासक यज़ीद इब्न मुलवयाह ने, उबैदुल्लाह इब्न लज़याद को कु फा और सवाद के इराकी प्रांतों के राज्यपाल के रूप में लनयुि लकया, और उसके दू सरे भाई, सल्म इब्न लज़याद को खुरासान और लसस्तान के राज्यपाल के रूप मंे लनयुि लकया। अपने 1 Yusufov Z. Tajiks in Aryan culture. The spread of Islam in Ajam. // Weekly journal “Bahori Ajam”, №1 (17). – р. 2000. 316

हाि मंे खलीफा का आदेश ले कर, सल्म अपने बड़े भाई उबैदुल्लाह के पास पहुंचा, तालक यज़ीद इब्न मुलवयाह के आदेश का पालन करते हुए, वह इराक में रहने वालों सैलनकों मंे से छह हजार सैलनकों का चयन करके उसको सौपं दे। उबैदुल्लाह, लजसे अपनी आिा की गहराई मंे खुद के लनयंिर् में खुरासान की संपलि प्राि करने की आशा िी, यज़ीद के आदेश से नाराज िा और उसने अपने भाई से बहुत ही असभ्य तरीके से मुलाकात की। हालााँलक, वफादारों के शासक के आदेश का पालन करते हुए, उसने लफर भी उसे छह हज़ार सैलनक और उनके रखरखाव के ललए धन आवंलटत लकया।1 खुरासान मंे अनुभवी सेनापलतयों अब्दु ल्ला इब्न हालज़म, मुहल्लाब इब्न अबुसुफरा और ख़ानज़ल इब्न अरद के साि बातचीत करने के बाद, सल्म इब्न लज़याद ने लनशापुर और मवण में रहने वाले अरबों और गैर-अरबो,ं जो सैन्य लूटों में लदलचस्पी रखते िे, का फायदा उठाते हुए अपने सैलनकों की संख्या तीन गुना बढा ली। तबरी के अनुसार, जेहुन को पार करते हुए, तुकों के साि युि के बाद, उसने \"ख़्वारे ज़्म मंे प्रवेश लकया और एक वर्षण तक वहााँ रुका रहा।\"2 ख़्वारे ज़्म के लनवालसयों के साि शांलत का समापन होने के बाद, सल्म इब्न लज़याद समझौते के अनुसार, क्षलतपूलतण के ४ लाख लदरहम, उच्च गलत के घोड़ों की एक टोली और शालीन चमड़े की कई गठररयााँ लेकर बुखारा चला गया। बुखारा की दुभाणग्यशाली शालसका, जो अब तक उबैदुल्ला और सईद इब्न उस्मान के क्ू र छापों से अब तक उबर नहीं पायी िी, को सुद्धददयन इद्धख्सद तरखुन और तुकण खगन लबदुन से मदद मांगने के ललए मजबूर होना पड़ा। चँूालक खुताखोनूम ने अपनी सुंदरता से सईद इब्न उस्मान और कु छ अरब सेनापलतयों को मंिमुग्ध कर लदया िा, और बुखारा के कु लीनो,ं सुद्धददयन इद्धख्सदों और तुकण नेताओं मंे से कई ने उसका हाि मांगा िा, इसललए, अंत में, बुखारा की रक्षा करने के ललए, उसने तरखुन की पेशकश स्वीकार कर ली। अब बुखारा की शालसका और समरकं द के इद्धख्सद ने एक लववाह गठबंधन मंे प्रवेश लकया और अरबों के द्धखलाफ लड़ने के ललए तुकण खगन को भी बुलाया। 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol.II. – Dushanbe, 2001, p. 1189; Muller A. History of Islam. Book 1. – M., 2004, p. 515; Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 93-94. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ibid. 317

ख़्वारे ज़्म से बुखारा पहुंचे सल्म इब्न लज़याद की अलग्रम टुकड़ी ने लपछले समझौते के अनुसार शहर में प्रवेश लकया, लेलकन उसी शाम को सोगलडयनों की सहायक टुकलड़यााँ और लबदुन की १२-हजार घुड़सवार टुकड़ी बुखारा के पास पहुंची। सुदद की बजाय स्पष्ट् रूप से समरकं द का इद्धख्सद बन चुका तरखुन, तुकों की सेना में शालमल हो गया और उसने मुअल्लब इब्न अबुसुफ़्रा (जो एक आँाख खो चुका िा) की कमान में अरबों की अलग्रम टुकड़ी पर हमला कर लदया। एक भयंकर युि के पररर्ामस्वरूप, लगभग पाँाच सौ अरब मारे गए, जबलक बाकी सल्म इब्न लज़याद के लशलवर में भाग गए। इसललए सन् ६८१ ईस्वी मंे, बुखारा के बाहरी इलाके मंे, अरबों की सेना और सोिीयों और तुकों की संयुि सेना के बीच एक भयंकर युि हुआ, लजसमंे दोनों पक्षों के कई हजार लोगों की मौत हो गई। लड़ाई के शुरूआती लदनों में, सोिीयों और तुकों की संयुि सेना ने कई बार दुश्मन पर हमला लकया, लजसके कारर् अरब घुड़सवारों को भागना पड़ा। हालांलक, कई लड़ाइयों मंे से एक मंे तुकों के नेता को मार लदया गया, और लबना सेनापलत के उसकी सेना ने दहशत में आकर युि का मैदान छोड़ लदया। सोिीयान के इद्धख्सद तरखुन ने भी अरबों की श्रेष्ठ सेना का लवरोध करना उलचत नहीं समझा और समरकं द की लदशा में पीछे हट गया। दुभाणग्यपूर्ण खुताखोनूम को अरबों के साि शांलत बनाने के ललए मजबूर होना और एक बड़ी क्षलतपूलतण और खाराज का भुगतान करना पड़ा। नरशखी की जानकारी के अनुसार, प्रत्येक घुड़सवार को लूट से २,४०० लदरहम और पैदल सेना मंे प्रत्येक को १,२०० लदरहम लमले। उसके बाद, सल्म इब्न लज़याद की सेना सोिीयान और उसकी राजधानी - समरकं द - को जीतने के ललए लनकल पड़ी। सबसे पहले, समरकं द की अल्प समय की घेराबंदी के बाद, तरखुन ने अरबों के साि एक हजार मुश्त रालश देकर उनके साि शांलतपूर्ण संबंध थिालपत लकए। ६८२ ईस्वी की सलदणयााँ सल्म इब्न लज़याद ने समरकं द में लबताईं और एक बेटे, लजसका नाम उसने सुिी (सुद्धददयन) रखा, का लपता बन गया।1 अपने सैन्य 1 History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1999, p. 57; Ghoibov Gh. Early campaigns of Arabs in Central Asia. – Dushanbe, 1989, p. 95. 318

अलभयानों के दो वर्षों मंे, नरशखी और बालाज़ुरी के अनुसार, उसने लूटी हुई सम्पलत से खलीफा के खजाने में एक करोड़ लदरहम का योगदान लदया।1 सल्म इब्न लज़याद के शासनकाल के तीसरे वर्षण मंे, खलीफत के कंे ि में लविोह और अशांलत शुरू हो गई िी। यज़ीद इब्न मुलवयाह ने मक्का और मदीना के लनवालसयों का दमन करने के ललए ताललब कबीले से ईसाइयों की एक सैन्य टुकड़ी वहााँ भेजी, लजसने आग लगाने वाले और गोले फें कने वाली मशीनों की मदद से ना के वल मक्का को नष्ट् लकया, बद्धि काबा के घर को भी नष्ट् कर लदया। तबरी के अनुसार, \"सीररयाई लोग मक्का के आसपास इकट्ठा हुए और एक तोप थिालपत की, लजसने काबा की ओर पथर फंे के और उसके खंभों को नष्ट् कर लदया।\"2 काबा के लवनाश के कु छ समय बाद ११ नवंबर ६८३ ईस्वी को, यज़ीद इब्न मुलवयाह की मृत्यु हो गई, और उसके समिणकों ने उसके थिान पर उसके बेटे मुलवयाह लद्वतीय को खलीफा के रूप में थिालपत लकया। चालीस लदन से भी कम समय के बाद, मुलवयाह लद्वतीय की भी अचानक मृत्यु हो गई। कु फा और बसरा मंे उिल-पुिल मच गई, और उमैय्यद कबीले की दू सरी शाखा के कबीले, मारवालनतो,ं ने खलीफत के भाग्य को अपने हाि मंे ले ललया, लजसका प्रलतलनलध मारवान इब्न हाकम ६८४ ईस्वी में खलीफा बन गया। पाररवाररक संघर्षों को शांत करने के ललए, उसने यज़ीद इब्न मुलवयाह की लवधवा पलत्नयों मंे से एक से शादी कर ली। हालांलक, एक साल से भी कम समय के बाद, मारवान इब्न हाकम की अचानक मृत्यु हो गई। तबरी के अनुसार, ८१ वर्षीय मारवान ने अपने बेटे अब्दु लमाललक को लसंहासन का उिरालधकारी लनयुि लकया िा, लेलकन मुलवयाह की लवधवा ने अपने बेटे खाललद को खलीफा नहीं बनाने पर अपनी नाराजगी जताई और मारवान का गला घोटं लदया।3 उिल-पुिल के तीव्र होने के बावजूद, अप्रैल ६८५ ईस्वी में, अब्दु लमाललक इब्न मारवान खलीफा बना और बीस वर्षों तक शासन लकया। अब्दु लमाललक (६८५-७०५) और उसके उिरालधकारी वाललद प्रिम (७०५-७१५) के शासनकाल के दौरान, लवजय अलभयान मुख्य रूप से पलश्चम में लकए गए, लजसके 1 History of the Tajik people. Ibid. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1193. 3 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1202. 319

पररर्ामस्वरूप उमय्यद खलीफा अटलांलटक महासागर के तट पर स्पेन, फ्रांस और इबेररया प्रायद्वीप की सीमाओं तक पहुंच गया। एलशया माइनर में, उमय्यदों ने साइप्रस और रोड्स के द्वीपों पर कब्जा कर ललया, और कॉन्स्टंेलटनोपल पर कई हमले लकए। उमय्यद के सेनापलतयों मंे से एक, मुहम्मद इब्न कालसम, बसरा से लनकलकर लनचले लसंधु तक पहुंचा और पंजाब प्रांत के देबुल और मुल्तान शहरों पर कब्जा कर ललया। इस प्रकार, उमय्यदों ने एक महान और लवशाल साम्राज्य बनाया, लजसने आकार के मामले मंे तीन महाद्वीपो,ं एलशयाई, अफ्रीकी और यूरोपीय, पर द्धथित सासानीदी ईरान और बीजाद्धियम को पीछे पछाड़ लदया िा। यह लवर्षय बहुत व्यापक है, और हम अपना ध्यान मुख्य रूप से मध्य एलशया मंे मुसलमानों के बाद के लवजय अलभयानों और इस्लाम के प्रसार पर कंे लित करंे गे। जैसा लक हमने पहले ही कहा है, ६८३ ईस्वी मंे मवण को एक बड़ी लूट का माल लौटा कर, सल्म इब्न लज़याद ने खुरासान और आमू-पार के कब्जे वाले क्षेिों मंे प्रशासन को बहाल करना शुरू कर लदया िा। यद्यलप ६८३ ईस्वी के शरद ऋतु के अंत मंे उसको यज़ीद की मृत्यु की खबर लमली िी, उसने संभव अशांलत की आशंका जताते हुए इस खबर को लछपा लदया। लफर उसने ख़ुरासान मंे रहने वाले अरब सेनापलतयों में से एक, अब्दु ल्ला इब्न ख़लज़म को अपने थिान पर लनयुि लकया, और खुद लगभग एक हजार घोड़ों और ऊं टों पर ज़ब्त लकए हुए लूट के माल को लादकर दलमि चला गया। हालाँालक, उसी समय, यज़ीद के बेटे, मुलवयाह लद्वतीय का भी अचनचेत देहांत हो गया, और लसंहासन के ललए दावेदारों में से एक, अज़-ज़ुबैर, का प्रभाव बढने लगा। तालमेल की तलाश मंे, सल्म इब्न लज़याद दुश्मन यज़ीद-अल-जुबैर के पास गया, लेलकन वह उससे बहुत शिुता की भावना से लमला, और मुआवजे के रूप मंे चालीस लाख लदरहम की मांग की और उसे जेल में डाल लदया। सल्म का भाई उबैदुल्लाह इब्न लज़याद, मुलवयाह के दुश्मनों के उत्पीड़न के कारर् कु फा से भाग गया और अली के समिणकों ने पैगंबर के पोते की हत्या के बाद अपने सभी पूवण प्रभाव को खो लदया। खलीफा मारवान की मृत्यु के बाद, खुरासान के नए राज्यपाल अब्दु ल्ला इब्न हालज़म ने खलीफत की राजधानी में आंतररक अशांलत का लाभ उठाते हुए, अपनी स्वतंिता की घोर्षर्ा कर दी और अपने नाम के साि लसक्कों का ढालना 320

शुरू कर लदया।1 उमय्यद शासकों के जुल्म और अत्याचार से िक चुके खुरासान के लनवालसयों ने इस स्वतंिता को उत्साह के साि स्वीकार लकया। अब्दु ल्ला इब्न हालजम ने अपने बेटे मूसा को मवण के राज्यपाल के रूप मंे थिालपत लकया, और वह खुद हेरात और लनशापुर के द्धखलाफ सैन्य अलभयान पर चला गया। उन्हें जीतकर, उसने अपने दू सरे बेटे मुहम्मद और सैन्य नेता बुकाइर को उन क्षेिों का राज्यपाल लनयुि लकया। खुरासान की के न्द्रापसारक आकांक्षाओं से सावधान नए ख़लीफा अब्दु लमाललक ने अब्दु ल्ला इब्न हालज़म और उसके सेनापलत बुकाइर के बीच दुश्मनी पैदा कर दी। संघर्षण का असली कारर् िा खलीफा अब्दु लमाललक का स्व-इच्छाधारी राज्यपाल इब्न हालज़म का सात साल लंबी शद्धियों को प्राि करना और शपि लेने के ललए दलमि में बुलाना। हालांलक, इब्न हालज़म ने इसमंे एक अव्यि खतरे को भांपते हुए खलीफा के लनमंिर् को अस्वीकार कर लदया। तब ख़लीफा ने बुकाइर को ख़ुरासान के राज्यपाल के रूप मंे लनयुि करने का एक आदेश भेजा, और इस तरह उसे इब्न हालज़म के द्धखलाफ खड़ा लकया गया। सन् ६९२ ईस्वी मंे, हत्या के प्रयास में इब्न हालज़म मारा गया और उसका बेटा, मूसा, लतरलमज़ का स्वतंि शासक बन गया। अपने लपता की मृत्यु के बाद, उसने अरबों की शद्धि को मान्यता नहीं दी और समरकं द के इद्धख्सद तरखुन और ख़तलोन के राजा शाहबोद के साि लमिता और पारस्पररक सहायता के संबंध थिालपत लकए। २. कु िेबा इब्न मुद्धस्लम की श्ववजय और खुरासान और आमू-पार के ल ग ं के स्विंत्िा संग्राम की शुरुआि खलीफा अब्दु लमाललक इब्न मारवान (६८५-७०५ ईस्वी) के शासनकाल के दौरान, खलीफत के कंे ि मंे आंतररक द्धथिलत सामान्य हो गई िी, और लसंहासन के ललए प्रलतद्वंलदयों के आंदोलनों और लविोह को दबा लदया गया िा। उसके बाद, दू र के लविोही देशों को राज्य में जोड़ने की नीलत का कायाणन्वयन शुरू हुआ। खुरासान और आमू-पार के प्रांतो,ं जो धीरे -धीरे उमय्यद के द्धखलाफ संघर्षण और टकराव के कें ि मंे बदल रहे िे, में कठोर और लनदणयी राज्यपालों की जरूरत िी। शायद इसीललए सन् ७०४ ईस्वी में उमय्यद के क्ू र और चालाक सेनापलत, कु तेबा इब्न मुद्धस्लम, को खुरासान का राज्यपाल लनयुि लकया गया िा। आमू-पार पर लवजय और स्वयंलनयुि थिानीय शासकों को अपने अधीन करने का 1 History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1999, p. 56. 321

अपना अंलतम लक्ष्य प्राि करने के ललए, अब्दु लमाललक इब्न मारवान सबसे पहले देश के लवखंडन और थिानीय प्रधानों के बीच लवरोधाभासों का उपयोग करना चाहता िा। खुरासान में पहुंचने से पहले ही, उसने सबसे पहले उस्मान इब्न मसूद की १५ हजार की सुदृढ सेना को स्वतंि शासक मूसा इब्न अब्दु ल्ला के लविोह को दबाने के ललए भेजा। साि ही यह आदेश लदया लक वह सुदद के इद्धख्सद तरखुन और ख़तलोन के राजा शाहबोद के साि गठबंधन करे , तालक लविोही मूसा को उनके समिणन से वंलचत रखा जा सके । लतरलमज़ लकले में इन संयुि सैलनकों से लघरे , और तीन मोचों पर अपनी ८ हजार मजबूत सेना के साि लड़ रहे मूसा ने दो महीने तक की लगातार घेराबंदी को सहा। अंत में, अपने स्वतंि शासनकाल के १५ साल बाद, ७०५ ईस्वी मंे वह अरबो,ं सुद्धददयों और ख़तलोन की संयुि सेना के द्धखलाफ एक असमान लड़ाई में मारा गया।1 श्वनज़ाक का अश्वभयान: मूसा इब्न अब्दु ल्ला की मृत्यु के बाद, खलीफत के मजबूत प्रलतद्वंद्वी बादग़ीस का स्वतंि शासक लनज़ाक तारखोन ही बाकी बचा िा। हालाँालक वह दो बार, सन् ७०३ ईस्वी और ७०४ ईस्वी में, खुरासान के पूवण राज्यपाल यज़ीद इब्न मुहल्लाबा से हार चुका िा, परन्तु दोनों ही बार उसने अपना गढ वापस पा ललया िा और अपनी स्वतंिता की घोर्षर्ा कर दी िी। लनज़ाक एक शाही हफिाली पररवार से िा और बल्ख के सभी लनवालसयों की तरह, वह अपनी स्वतंिता के प्यार के कारर् प्रलतलष्ठत िा। बादग़ीस के लकले मंे आठ-हजार की सेना का गठन करके , उसने अरबों की शद्धि को पहचानने से इनकार कर लदया। उनपर अचानक हमलों के द्वारा वह अरब राज्यपालों को अचद्धम्भत करने में सफल रहा और यहाँा तक लक उनके सैलनकों को कै दी भी बना ललया।2 कु तेबा ने लनज़ाक को एक पि भेजा लजसमंे उसने क्षमा की घोर्षर्ा की, मुद्धस्लम सैलनकों की ररहाई की मांग की और अपनी बहुसंख्यक प्रलशलक्षत सेना के प्रमुख के रूप मंे इस्लाम की भलवष्य की जीत के अलभयानों मंे भाग लेने की पेशकश की। कु तेबा का पि प्राि करने और अपने दू त सुलीम नालसख द्वारा उससे बार-बार लमलने के बाद, लनज़ाक ने कु तेबा के लुभावने वादों के आगे घुटने टेक लदए और मवण मंे पहुंचकर इस्लाम धमण को अपना ललया और उसके कई सैन्य अलभयानों में भाग ललया, लजसमें पाईकन्द और फारयाब (७०६ ईस्वी में) की लवजय अलभयान 1 History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1999, p. 57-58. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1260. 322

भी शालमल िी।1 पाईकन्द और फारयाब की लड़ाई के दौरान, लनज़ाक ने पहली बार कु तेबा की क्ू रता को देखा और लफर उससे टोकररस्तान लौटने की अनुमलत मांगी। इस तरह इस क्ू र सैन्य नेता के साि संबंध समाि होने के बाद, उसने अरबों की ताकत को मान्यता देने से इनकार कर लदया। हुल्म घाटी मंे प्रवेश करते हुए, लनज़ाक तारखोन ने एक लविोह की घोर्षर्ा की और बल्ख, मव्रण, ताललकान और काबुल के शासकों के पास दू त भेजे, और उनसे कु तेबा का लवरोध करने का आग्रह लकया।2 उसने टोकररस्तान में कु तेबा के आयुि जाबगु आश-शाज़ी को कब्ज़े में कर ललया और अरबों से लड़ने के ललए एक सेना का गठन लकया। कई बल्ख देशभि सेनापलतयों ने अरबों से लड़ने के ललए सहमलत व्यि की, लजसमंे ताललकान से शाहरुक नाम का एक लविोही, जूरदजान से एक बहादुर योिा टॉसणल और मवण से देहकन बोडोम शालमल िे। काबुल के शासक ने भी लनज़ाक के पररवार और संपलि की सुरक्षा का उिरदालयत्व अपने ऊपर लेते हुए, उसको समिणन देने का वादा लकया। कु तेबा, अपने भाई अब्दु रण हमान इब्न मुद्धस्लम के साि, १२ हजार की सेना के साि बल्ख जाकर बरुकन और समांगन के प्रांतों में रुक गया। उसने बल्ख, मव्रण, जुजजान, ताललकान और चैगालनयान के शासकों को अपने सैलनकों को इकट्ठा करने और उसकी सेना में शालमल होने का आदेश लदया। बग़लान की दुगुल घाटी मंे एक छोटी सेना के साि दृढ लनज़ाक तारखोन ने अरबों पर अप्रत्यालशत आक्मर् लकया। तब कु तेबा और उसके भाई अब्दु रण हमान इब्न मुद्धस्लम ने मुख्य मागों को अवरुि कर लदया, लजसमंे गज़रा घाटी भी शालमल िी, तालक मदद करने के ललए सेनाएं लनज़ाक तक ना पहुाँच सके । इसी समय, रूबीखोन लज़ले का शासक उयेज़्द जब अरबों से दया की भीख मांगने आया, तो उसने अरबों को दुगुल लकले का गुि रास्ता बता लदया। इसका फायदा उठाते हुए, अरबों ने लकले पर हमला लकया। कु तेबा ने ताललकान, बागलान और बडलगस के लनवालसयों और कै लदयों से पूछताछ शुरू की, और लफर बल्ख की प्राचीन बस्ती, नवबहोर, में अलग्न के मंलदर और टोकररस्तान मंे अन्य सभी मंलदरों को धरती पर समतल कर लदया। इलतहासकारों के अनुसार, थिानीय आबादी को डराने के ललए उसने चार फारसाख (लगभग २२ लकमी) की दुरी पर कई हजार लविोलहयों को फांसी पर लटका लदया। फीताजो लकले की एक 1 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1260. 2 Ibid. – p. 1269. 323

लंबी घेराबंदी के बाद कु तेबा ने चालाकी से लनज़ाक को कै दी बनाया, लफर उसका लसर काटकर उसे खलीफत की राजधानी दलमि मंे भेज लदया।1 ख़ुरासान और आमू-पार की ररयासतों के लवखंडन, और उनके स्वतंि और अधण-स्वतंि शासकों के बीच लवरोधाभासों के कारर् कु तेबा की जीत संभव हो पाई। उदाहरर् के ललए, जब लनज़ाक तारखोन, कु तेबा की दया के वादों पर लवश्वास करते हुए, समांगान के लकले से उसके मुख्यालय में पहुंचा, तो वहाँा, अरब सेना प्रमुखों के बीच थिानीय राजा भी िे और शुमान, अखरुन, खटलोन, चागालनयान और बल्ख के राजकु मार भी। कु छ ऐसे शासक, जैसे लक चागालनयान का राजा, अपने हािों से अपने प्रलतद्वंलद्वयों को खि करने और अपने पद को बनाए रखने के ललए कु तेबा के पक्ष मंे चला गया िा। ठीक ऐसे ही शासकों की मदद से, कु तेबा ने सन् ७०६ ईस्वी मंे जेहुन को पार लकया और अलभयान की शुरुआत मंे पाईकन्द पर कब्जा करते हुए बुखारा चला गया। उस समय, पाईकन्द, आमू-पार का प्रमुख व्यापाररक शहर िा, और इसके लनवालसयों ने अरबों का डटकर सामना लकया। पाईकन्द, लजसका सुदद के स्वयंसेवकों की टुकड़ी द्वारा बचाव भी लकया गया िा, के भयंकर युि के दौरान, भारी नुकसान झेलते हुए अरबों को कई बार पीछे हटना पड़ा। हालांलक, लंबी नाकाबंदी (लवलभन्न स्रोतों के अनुसार, २ से १० महीने तक) और अरबों द्वारा सभी मुख्य सड़कों को अवरुि करने के कारर् शहर के रक्षकों को शतण पर हलियार डालने पर मजबूर होना पड़ा। पाईकन्द के लनवालसयों को शांत करने के बाद, कु तेबा बुखारा की ओर चल लदया, हालांलक, पांच फारसाख को दुरी को वह पार भी नहीं कर पाया लक उसे शहर में एक नए लविोह और अरबों द्वारा लनयुि अलधकाररयों की हत्या की खबर लमली। उसे वापस लौटने और लफर से पाईकन्द पर कब्ज़ा करने के ललए मजबूर होना पड़ा। इस बार उसने सभी दुश्मन सैलनकों को तलवारों से काट डाला, और बच्चों और मलहलाओं को गुलाम बना ललया। उसने शहर में उपलि सोना, गहने, शानदार कपड़े, हलियार और अन्य सैन्य उपकरर् भी कब्ज़े मंे ले ललए। 1 History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1999, p. 54-55. 324

पाईकन्द की जीत के बाद, कु तेबा ने लफर से बुखारा की ओर मुहं मोड़ा, और रोमेतान के क्षेि में बुखारा, समरकं द और तुकण के संयुि सैन्य बलों जो अपने बचाव के ललए आए िे, के साि उसका सामना हुआ। इन संयुि बलों ने अरबों को मुद्धिल द्धथिलत मंे डालते हुए, कु तेबा के भाई अब्दुरण हमान इब्न मुद्धस्लम की बड़ी सेना को घेर ललया। लेलकन, अंततः यह संयुि सेनाएं एक एकल योजना और एक सैन्य नेता की अनुपद्धथिलत के कारर्, अरबों को हराने मंे लवफल रही।ं इस पहली लड़ाई में कु तेबा को भारी नुकसान उठाना पड़ा िा, लजसके कारर् उसे मवण लौटना पड़ा, जहां उसने बुखारा के द्धखलाफ अगले लवजय अलभयान की तैयारी शुरू कर दी। इस लवफलता से नाखुश, कु तेबा के अगले उच्चालधकारी हिाज इब्न यूसुफ ने लकसी भी कीमत पर बुखारा पर कब्जा करने का आदेश लदया। सन् ७०७ और ७०८ ईस्वी के वर्षों में, कु तेबा ने के श, नखशब और समरकं द शहरों पर कब्जा करने की कोलशश करते हुए, दो बार बुखारा पर हमला लकया। हालांलक, उसके प्रयासों ने वांलछत पररर्ाम नहीं लदए, और दोनों ही बार उसे सुदद और तुकण की संयुि सेनाओं से हार लमली, और दोनों ही बार उसे वापस मवण लौटने के ललए मजबूर होना पड़ा। गंभीर तैयारी के बाद, सन् ७०९ ईस्वी में कु तेबा ने चौिी बार बुखारा पर हमला लकया। वरदानहुदत, जो उस समय बुखारा और आस-पास के क्षेिों का स्वतंि शासक िा, ने मदद के ललए लफर से सुदद और तुकण की ओर रुख लकया। यह ध्यान देने योग्य है लक अरब लवजय की पूवण संध्या पर, बुखारा दो शासकों - बुखाराखुदत और वरदानहुदत - के बीच लवभालजत िा, और उनके बीच कोई समझौता और एकता नहीं िी। इसके बावजूद, तरहन, खुटखोटुन, वरदानहुदत की संयुि टुकलड़यों और तुकों की ४० हजार मजबूत सेना ने बुखारा और उइज़्द के रोमेतान, हुनबुन और तोरोब के बीच कु तेबा की सेना को घेर ललया, और उसको संवेदनशील प्रहारों की गंभीर चोट दी। इन लवफलताओं के बाद, कु तेबा को यह एहसास हुआ लक वह सीधे टकराव और लनष्पक्ष लड़ाई मंे जीत हालसल नहीं कर सकता, इसललए उसने चालाकी के साि दुश्मन को हराने का फै सला ललया। कु तेबा ने अपने जासूसों को सुदद के इद्धख्सद के पास भेजा, लजन्होनं े लवश्वसनीय व्यद्धियों के माध्यम से तरखुन 325

को आश्वस्त लकया लक अरब बुखारा छोड़ने जा रहे हैं, और तुकण खगन इस पररद्धथिलत का लाभ उठाकर धन्य और संुदर सुदद को लूटना चाहता है। कु तेबा के जासूसों मंे से एक, हयान अल-नबाती, ने गुि रूप से तरखुन के साि एक शांलत समझौता लकया, उससे युिलवराम के ललए २० लाख लदरहम ललए और उसे शांलत समझौते का एक प्रारूप पेश लकया। अपनी शद्धि को बनाए रखने के ललए, तरखुन, कु तेबा की चाल मंे फस गया और युि के मैदान पर के वल तुकण और अन्य सहयोलगयों की सेना को छोड़ते हुए, उसके साि युि जारी रखने से इनकार कर लदया।1 तबरी के अनुसार, अब इस सौदे के बाद, कु तेबा ने बुखारा के तुकण और अन्य रक्षकों पर यह घोर्षर्ा करते हुए हमला लकया, लक वह एक दुश्मन योिा के प्रत्येक कटे हुए सर के ललए एक सौ लदरहम का भुगतान करे गा। लजसके पररर्ाम स्वरुप, उसके पास बुखारा के रक्षकों के सरों का एक पूरा टीला बन गया, और शहर ने शतों पर आिसमपणर् कर लदया। कु तेबा ने वरदानहुदत को उसके घर के सभी सदस्यों के साि समाि कर लदया, दोनों बुखारा ररयासतों को एकजुट लकया और बुखारा में अपने सहयोलगयों में से एक को राज्यपाल लनयुि लकया। नरशखी के अनुसार, चौिे प्रयास मंे बुखारा पर कब्जा करने और शहर के रक्षकों को हराने के बाद, कु तेबा इब्न मुद्धस्लम ने थिानीय लनवालसयों को आदेश लदया लक वे अपने आधे घरों मंे दासों के रहने के ललए जगह दंे तालक वे गैर- मुद्धस्लम आबादी को इस्लाम के प्रकाश धमण में पररवलतणत कर सकंे । बाद में, इस नीलत को व्यापक रूप से लागू लकया गया, लजसके पररर्ामस्वरूप मवण, समरकं द, के श, नखशाब, फरगाना, चाच, और सुदद के बाकी बचे क्षेिों के गृहस्वालमयों को खराज और जलजया का भुगतान करने के अलावा, अरबों को रखने और उनकी जरूरतों को पूरा करने के ललए मजबूर होना पड़ा। लजन लोगों ने सबसे पहले इस्लाम धमण को अपनाते हुए ईमानदारी से इस्लाम की आज्ञाओं का पालन लकया, उन्हंे लाभ प्राि हुआ तिा उन्हंे प्रलत व्यद्धि जलजया देने से छू ट लमली, और यहां तक लक प्रोत्साहन के रूप मंे उन्हें कई लदरहम भी लमलते रहे।2 1 History of Samarkand. Vol. I. – Таshkent, 1969, p. 79-80. 2 Ghafurov B. Tajiks. Book 1. – Dushanbe, 1998, p. 422-423. 326

बुखारा पर कब्जे करने के बाद, सन् ७१० ईस्वी मंे कु तेबा ने आसानी से शूमान, के श और नक्शाब को जीत, कब्जा करने के बाद हालसल लूट को बाँाटा और समरकं द के द्धखलाफ अगले अलभयान की तैयारी शुरू कर दी। इसी समय, खोरे ज़म का राजा उसके पास आया, और अपने भाई खुरजाद के लविोह को रोकने के ललए मदद मांगी। सन् ७११ ईस्वी मंे, कु तेबा ने खोरे ज़म के लवरुि एक योजना तैयार की और खुरजाद के लविोह को रोका, लजसके उपलक्ष्य में खोरे ज़्मशाह को कु तेबा के साि एक समझौता करना पड़ा और अरब सरकार की जागीरदारी पर लनभणरता को मानने के ललए मजबूर होना पड़ा। तब कु तेबा ने करसंग्राहकों को तरखुन के अधीन क्षेिों में भेजा, लेलकन समरकं द के लनवालसयों ने कु तेबा की आक्ामक आकांक्षाओं और तरखुन की सुलह नीलत से नाराज होकर, उसे उखाड़ फंे का और उसकी जगह पर अपने शासक नेता गुराक को थिालपत कर लदया। वृि और हताश तरखुन, जो अरबों का समिणन और सुदद के लविोलहयों का भरोसा खो चुका िा, ने सन् ७१० ईस्वी में जमीन पर रखी तलवार पर अपना सीना पटक कर आिहत्या कर ली।1 सन् ७१२ ईस्वी मंे, कु तेबा ने, तरखुन के प्रलतशोध के बहाने, अपने भाई अब्दु रण हमान और बुखारा और सुदद की सैन्य टुकलड़यों के साि लमलकर समरकं द पर हमला कर लदया। कु तेबा के २० हजार से अलधक सैलनकों ने समरकं द के गढ को अपने कब्जे में लेकर एक महीने तक लकले पर ३०० तोपों से गोले दागे। समरकं द के नेताओं ने चाच और फरगना के शासको,ं साि ही तुकण सेना से मदद की अपील की। परन्तु, तुकण , लजनको तरखुन के लवश्वासघात के बारे में जानकारी लमली िी, वे घेराबंदी के अधीन शहर के लनवालसयों की मदद करना नहीं चाहते िे। इस प्रकार, अके ले पड़े समरकं द के रक्षकों को शांलत बनाने और कु तेबा की कलठन शतों को स्वीकार करने के ललए मजबूर होना पड़ा।2 उसके बाद, कु तेबा ने अलग्न-उपासकों के मंलदरों की जगह पर मद्धिदों को थिालपत लकया और सुदद के लनवालसयों को इस्लाम मंे पररवलतणत होने और नमाज अदा करने के ललए बाध्य लकया। 1 History of the Tajik people. Vol. I. – Dushanbe, 1998, p. 61. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1278. 327

समरकं द पर लवजय के बाद, कु तेबा ने अपने दू सरे भाई अब्दु ल्ला इब्न मुद्धस्लम को वहां का राज्यपाल बना लदया और स्वयं सेना की एक टुकड़ी के साि मवण की ओर चल पड़ा। लेलकन मवण की सीमा पर पहुंचते ही उसे खबर लमली लक सुदद के स्वयंसेवकों और तुकण सेना ने समरकं द को घेर ललया है, और अरब मुद्धिल द्धथिलत मंे हैं। सन् ७१३ ईस्वी के वसंत में, कु तेबा एक बड़ी सेना के साि वापस वहां पहुंचा, अपने भाई और अरब सैलनकों की जान बचाई और समरकं द के लनवालसयों को गंभीर रूप से दंलडत लकया। सन् ७१३-७१४ ईस्वी में, कु तेबा कई बार ख़ुजन्द, चाच और फरगाना गया और उनके ललए एक योजना बनायी। इस योजना के तहत उसने इस्तरावाशान में एक सामूलहक नरसंहार का प्रदशणन लकया। सन् ७१४ ईस्वी मंे इस्फीजाब पर कब्जा करने के बाद, उसने चाच होते हुए फरगाना मंे प्रवेश लकया और कु छ समय के ललए इसको अपना लनवास थिान बना ललया। ऐसी जानकारी है लक कु तेबा कलित तौर पर फरगाना में एक अरबी आवास-गृह बनवाना चाहता िा तालक अपनी ढलते उम्र में फरगाना में रह कर चाच वाले अलभयान को जारी रख सके । ऐसा संभव है लक उसकी अंलतम इच्छा सच हुई, और फरगाना वास्तव में उस का अंलतम शरर्थिली बन गया। सन् ७१५ ईस्वी में, वाललद इब्न अब्दुलमाललक की मृत्यु हो गई, और उसके भाई सुलेमान इब्न अब्दु लमाललक (७१५-७१७ ईस्वी) ने खलीफा की जगह ले ली। नए खलीफा के साि कु तेबा के संबंध आसान नहीं रहे, इसललए उसने उसे एक पि ललखा, लजसमें उसने चेतावनी दी लक खुरासान और आमू-पार के लनवालसयों ने के वल उसकी तलवार की नोकं पर इस्लाम को स्वीकार लकया है, और यलद वह वहाँा नहीं होगा, तो एक सिाह के अंदर लोग अपने पुराने लवश्वास पर वापस लौट जायंेगे। कु तेबा की धृष्ट्ता से द्धखन्न होकर, सुलेमान ने उसे खुरासान के प्रबंधन से हटा लदया। तब, कु तेबा ने खुरासान के लनवालसयों के समिणन पर भरोसा करते हुए, स्वतंिता की घोर्षर्ा कर दी और कहा लक उसकी मां इसी प्रांत से िी।ं लेलकन सन् ७१५ ईस्वी में, कु तेबा, उसके भाई और उसके ११ सालियों को मार डाला गया, और इस्लाम के कु छ अनुयालययों ने बाद में उन्हंे शहीद घोलर्षत कर लदया। कु तेबा इब्न मुद्धस्लम की मृत्यु के बाद, मध्य एलशया मंे अरबों के आक्ामक अलभयान कु छ समय के ललए बंद हो गए। 328

३. अरब ं के द्धखलाफ सुग़्द और खिल न के श्वनवाश्वसय ं का स्वंिंत्िा संग्राम कु तेबा इब्न मुद्धस्लम की मृत्यु के बाद, आमू-पार मंे अरबों का प्रभाव कु छ कमजोर पड़ गया िा। ख़लीफा उमर लद्वतीय इब्न अब्दु लअज़ीज़ (७१७-७१९ ईस्वी), जो सुलेमान की मृत्यु के बाद सिा मंे आया िा, के शासनकाल के दौरान, इस्लाम धमण में पररवलतणत होने वाले लोगों से प्रलत व्यद्धि जलजया नहीं ललया जाता िा। बाद मंे, सामालजक अशांलत की वृद्धि के कारर्, ख़लीफा ने ख़ुरासान मंे अपने राज्यपाल जराणह इब्न अब्दु ल्लाह (७१७-७१९ ईस्वी) को आदेश लदया लक वह उन थिानीय लनवालसयों को जो इस्लाम मंे पररवलतणत हो गए िे, को कर का भुगतान करने से छू ट दे, और बदले मंे कटी हुई फसल का दसवां भाग ले। हालांलक, करसंग्राहकों और थिानीय भूस्वालमयो,ं दोनों ने गुि रूप से या खुले तौर पर इस आदेश को नकार लदया, क्ोलं क इससे उनकी आय में कमी आ रही िी। पररर्ामस्वरूप, चाच, सुदद और फरगाना के लनवालसयों का असंतोर्ष बढ गया और लोगों में एक अफवाह फै ल गई लक, कलित तौर पर लहजरा के सौवंे वर्षण की शुरुआत (७१९ ईस्वी) के बाद, वारोरुद में अरबों का शासन समाि हो जाएगा। संभवतः ल. न. लगलमलोव के अनुसार, इन्ही अफवाहें ने ७१८-७१९ ईस्वी में तगशोद के बुखाराखुदत और सुदद के इद्धख्सद गुराक को चीनी सम्राट को अरबों के द्धखलाफ सेना भेजने के अनुरोध के साि पि भेजने के ललए प्रेररत लकया िा। गुराक के पि में ललखा िा: “हम, सुददवासी, हर साल एक सेना का गठन करते हंै और अरबों से लड़ते हैं। यह वर्षण उनके शासन का अंत है, लेलकन हमारे पास उन्हें हराने के ललए पयाणि सैलनक नहीं हंै। यलद आप हमंे कु छ सैलनक भेजते हंै, तो हम अरबों को बाहर लनकाल पाएं गे और आपकी भूलम को भी इस आपदा से बचा सकंे गे।''1 हालांलक चीनी सम्राट ने सुदद के लनवालसयों की मदद करने से परहेज़ लकया, परन्तु उनका मुद्धि संग्राम और अलधक व्यापक होता जा रहा िा। यह कहा जाना चालहए लक सन् ७१७ ईस्वी में समरकं द के प्रलतलनलधयों का एक समूह लशकायतों और यालचकाओं के साि खलीफा उमर इब्न अब्दु लअजीज के दरबार में पहुंचा, और वफादारों के शासक से कु तेबा द्वारा जब्त की गई 1 Gumilev L.N. Ancient turks. – M., 2004, p. 393. Ghafurov B. Tajiks. Book 1. – Dushanbe, 1998, p.424. 329

कृ लर्ष योग्य भूलम को वापस करने की मांग रखी। ख़लीफा ने ख़ुरासान के राज्यपाल और थिानीय काज़ी को ज़मीन की जब्ती रोकने और लशकायत का जवाब देने का आदेश लदया। जवाब मंे, खुरासान के राज्यपाल जराणह इब्न अब्दु ल्ला ने खुलासा लकया लक उद्धल्लद्धखत भूलम को कु तेबा और समरकं द के लनवालसयों के बीच शांलत संलध के मुआवजे के रूप में समझौते के आधार पर जब्त लकया गया िा, और उसके पास इस संलध को रद्द करने का कोई अलधकार नहीं है। इसके अलावा, उसने संदेह लजताया लक क्ा वास्तव में सुदद के लनवालसयों ने इस्लाम को अपनाया िा और मांग की लक बूढे लोगों और युवाओं के खतना की जांच होनी चालहए और उन से कु रान की आयतों का पाठ सुना जाए।1 एक मनमाने राज्यपाल के हठ के कारर् न के वल सुदद मंे, बद्धि देलहस्तान, जुरजान और तबररस्तान में भी स्वतंिता-प्रेमी लोगों के असंतोर्ष की भावना मंे तीव्र वृद्धि हुई। खुरासान में अरबों द्वारा अत्यलधक कराधान और उत्पीड़न के द्धखलाफ सबसे बड़े लवरोध प्रदशणनों मंे से एक जुरजान और तबररस्तान का लविोह िा। इस लविोह से पहले, जुरजान के स्वतंिता-प्रेमी लनवालसयों ने अरबों के साि तीन बार लड़ाइयाँा लड़ी और हार के उपरान्त उन्हें एक लाख, दो लाख और तीन लाख लदरहम की रालश क्षलतपूलतण के रूप में देनी पड़ी। लविोही नेता और जुरजान के लसपहसालार ने, जो सासालनद कबीले का वंशज िा, वहां मौजूद अरब सैलनकों को राज्यपाल के साि बालधत लकया और मदद के ललए तबररस्तान के लनवालसयों की ओर रुख लकया। लविोलहयों के साि लनमणमता से लड़ते हुए, अरब सेनापलतयों मुहल्लब, यज़ीद और असद इब्न अब्दु ल्ला ने तबररस्तान के लनवालसयों के साि शांलत थिालपत की और जुरजान के लविोलहयों को पकड़कर उन्हें एक पहाड़ी लकले मंे नज़रबंद कर लदया और लफर कु छ महीनों के बाद उनको मार डाला। तबरी के अनुसार, अरबों ने जुरजान के लगभग ४० हजार लनवालसयों का नरसंहार लकया और लूट के रूप में ५० लाख लदरहम जब्त लकए।2 तदुपरांत लविोही आंदोलन खुरासान से आमू-पार तक फै ल गया और इसकी लपटें सुदद मंे भी लदखाई दी।ं 1 History of Samarkand. Vol. I. – Таshkent, 1969, p.83; History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1998, p. 67. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1310- 1314. 330

जबरन कर वसूली और क्ू र उत्पीड़न की नीलत, साि ही जराणह इब्न अब्दु ल्ला और सुदद के इद्धख्सद गुराक (कु छ स्रोतों के अनुसार, राज्यपाल, गुराक के चीनी सम्राट को ललखे पि की जानकारी प्राि करने के बाद, उसे प्रलतथिालपत करना चाहता िा) के बीच संबंधों में तेजी आने के कारर् जनता मंे असंतोर्ष बढ गया िा। संभवतः इसी कारर् से, ख़लीफा उमर इब्न अब्दु लअज़ीज़ ने ख़ुरासान के प्रबंधन से जराणह को हटा लदया और उसकी जगह अब्दु रण हमान इब्न नुयम अल-हमीदी को लनयुि लकया। खुरासान मंे पहुाँचकर नए राज्यपाल ने सुदद और समरकं द के इद्धख्सद गुराक की जगह पर तरखून के ररश्तेदार, देवाशतीच, को थिालपत लकया। देवाशतीच, जो खुद पंजाकॅ न्त का मूल लनवासी िा, ने सबसे पहले, अरबों के साि एक समझौता लकया, खुद को उनका समिणक घोलर्षत लकया और समरकं द मंे अपनी द्धथिलत को मजबूत लकया। गुराक और करज़ांज का श्ववि ह: इसी समय, ख़लीफा उमर इब्न अब्दु लअज़ीज़ की मृत्यु हो गई, और गुराक ने यह फै सला करते हुए लक अब वह समय आ गया है जब अरबों के द्धखलाफ लविोह लकया जाये। उस ने फरगाना के इद्धख्सद, इस्तरावाशान के अफशीन और तुकण राजकु मार कु रसूल को एक संयुि लड़ाई के ललए आमंलित लकया। फरगाना के इद्धख्सद और तुकण राजकु मार कु रसूल के समिणन से, उसने फे इ प्रांत (अब नारपे) मंे द्धथित बद्धखललया लकले की घेराबंदी कर दी। घेराबंदी के तहत पकड़े गए अरबों ने चालीस हजार लदरहम के भुगतान के बदले मंे एक युिलवराम समझौता लकया और सिर लोगों को बंधक बना ललया। उन्होनं े गुि रूप से अपने मुख्यालय में एक दू त भेजा और अलतररि सेना भेजने का अनुरोध लकया। जवाब में उनकी सहायता के ललए मुसीब इब्न लबशर को भेजा गया। हालांलक, इस भयंकर युि मंे उनकी टुकड़ी गुराक और तुकण राजकु मार की संयुि सेनाओं से हार कर भाग गई और समरकं द का एक अरब राज्यपाल, लजसका नाम शुब िा, और कई सौ पूवण लवजेता मारे गए। लविोलहयों से लड़ने के ललए तैयार, खुरासान के नए राज्यपाल, इब्न अब्दु लअज़ीज़, ने उन पर दो बार हमला लकया, लेलकन दोनों बार हार गया। संभवतः ठीक इसी समय देवाशतीच ने अपने स्वतंिता संग्राम की शुरुआत की, और अपने मुख्यालय से लेकर पड़ोसी क्षेिों के राजाओं और राजकु मारो,ं लजनमे चाच, इस्तरावाशान और ख़तलोन भी शालमल िे, से एक साि लमलकर आंदोलन करने का आवाहन लकया। उसी समय, लगभग ७२० ईस्वी के अंत - ७२१ ईस्वी 331

की शुरुआत मंे, लविोही आंदोलन का दू सरा मोचाण बनाया गया, जब दो अरब लवरोधी इकाइयाँा ने सुदद मंे स्वतंि रूप से काम करना शुरू कर लदया िा। सुदद मंे लविोह को दबाने में असमिणता को देखते हुए ख़लीफा ने सईद इब्न अब्दु लअज़ीज़ को पद से हटा लदया और उसकी जगह एक क्ू र और चालाक सेनापलत सईद इब्न अमृत अल-ख़राशी को खुरासान (७२१-७२२ ईस्वी) का राज्यपाल लनयुि लकया। उसने ज़रफशान नदी पर बने वारागसार बांध को नष्ट् कर लदया, लजससे समरकं द और आसपास के गांवों के लनवालसयों को पानी से लवहीन कर लदया गया। लफर उसने गुराक के समिणकों को घेर ललया और अनुकू ल शतों पर उन्हंे आिसमपणर् करने के ललए मनाने लगा। संभवत: भोजन और पानी प्राि करने की उम्मीद के साि-साि इद्धख्सद के पद पर उसे बहाल करने के वादे पर लवश्वास करते हुए, गुराक ने शांलत की पेशकश को स्वीकार कर ललया और इस्लाम में पररवलतणत हो गया। पररर्ामस्वरूप, गुराक के समिणक दो भागों मंे लवभालजत हो गए - कु छ अरबों के पास चले गए और, बालाज़ुरी के अनुसार, कु छ गुराक के साि लमलकर सुदद के लविोलहयों के द्धखलाफ लड़ाई लड़ने लगे।1 एक अन्य समूह, जो प्रभावशाली देहकन करज़ांज के नेतृत्व में िा, ने इस्लाम स्वीकार करने से मना कर लदया। साि ही उस ने खराज और जलजया का भुगतान करने और यहाँा तक लक खेती करने से भी इनकार कर लदया और सुदद एवं समरकं द से फरगाना जाने का फै सला लकया। तबरी के अनुसार, उन्हंे रखने के ललए इच्छु क, गुराक ने उनसे कर आवश्यकताओं का अनुपालन करने और सुदद में रहने का आग्रह लकया। लेलकन, सुदद के लगभग ८-९ हज़ार लनवासी, करज़ांज, जो सुदद के एक शाही पररवार से िा, के नेतृत्व में, साि ही साि उएज़्द फरपे, अबरगार, इद्धश्तखान, बायोरकात, सोस्कात और बुलज़मजोन के लनवासी अपने नेताओं के साि, फरगाना के इद्धख्सद अलूतारा के देश मंे चले गए।2 इस प्रकार, सुदद की स्वतंिता के ललए लड़ने वाले, तीन भागों - गुराक के समिणको,ं करज़ांज के समिणकों और देवाशतीच के समिणकों - मंे लवभालजत हो गए और एक संगलठत संघर्षण करने की क्षमता खो दी। इसके अलावा, सुदद प्रांत 1 History of Samarkand. Vol. I. – Таshkent, 1969, p. 85; History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1998, p. 67. 2 Ghafurov B. Tajiks. Book 1. – Dushanbe, 1998, p. 425; History of Samarkand. Ibid. – p. 85-86; History of the Tajik people. Ibid. – p. 67-68. 332

भी दो भागों में लवभालजत हो गया - एक गुराक के अधीन िा, और दू सरा देवाशतीच के अधीन िा।1 सुदद लोगों का एक समूह, लजसने करज़ांज को समिणन लदया िा, वे इस कारर् से फरगाना गये िे लक उस घाटी के कु छ क्षेि अभी भी अरबों के प्रभाव क्षेि से बाहर िे। इसके अलावा, सुदद लविोलहयों के कु छ नेताओं के फरगाना के इद्धख्सद अलूतारा के साि लनकट संबंध िे और देवाशतीच की सलाह पर उसने लविोलहयों को शरर् देने का वादा लकया िा। हालांलक, जब शरर् की चाह रखने वाले सुदद के लोग फरगाना पहुंचे, तो अलूतारा ने अरब सेनापलत सईद अल- खराशी के उत्पीड़न के डर के कारर् उनके प्रलत अपना रवैया बदल लदया। उसने घोर्षर्ा की लक आसपरा (इसफरा) के क्षेि मंे द्धथित इस्ताम में शरर्थिल, लजसका उनसे वादा लकया िा, चालीस लदनों मंे तैयार हो जाएगा, और तब तक वह उनकी सुरक्षा की प्रत्याभूलत नहीं दे सकता। इसललए लविोलहयों को खुजंद वापस लौटने के ललए मजबूर होना पड़ा, और लवश्वासघाती अलूतारा ने अपने भतीजे लनलान को सईद अल-खराशी के पास भेजा, तालक वह उन लविोलहयो,ं लजन्होनं े खुजंद में शरर् ली िी, के द्धखलाफ कायणवाही करने का आग्रह करे । सईद अल-खराशी ने देवाशतीच के लविोलहयों के द्धखलाफ कायणवाही करने का इरादा रखते हुए दबूलसया (समरकं द) के पास एक सेना का गठन लकया, और सन् ७२२ ईस्वी की गलमणयों में सेनापलत अब्दु रण हमान अल-कु शैरी और अपने बेटे लज़याद इब्न अब्दु रण हमान को नीलान की अलग्रम टुकड़ी के साि, खुजंद के ललए अलभयान पर भेजा। उनके पीछे सईद अल-खराशी की कमान के तहत सेना का मुख्य लहस्सा चल रहा िा। एक लवशाल अरब सेना के समीप आने के बारे में जानकारी पाकर, सुदद के लविोही एक बार लफर मदद के ललए साि फरगाना के इद्धख्सद अलूतारा के पास पहुंचे। लेलकन वह इस बहाने से सैन्य गलतलवलधयों से दू र हो गया लक चालीस लदनों तक वह उनकी रक्षा करने का वचन नहीं देता, और, इसके अलावा, वह अरब युि मंे हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। लविोलहयों को अके ले अपनी रक्षा और लड़ाई करने के ललए तैयार होना पड़ा। उन्होनं े खुजंद की द्वारों के बाहर कु एँा खोदे और उन्हें ऊपर से लमट्टी से ढँाक लदया। तब उन्होनं े फाटकों के माध्यम से कई अरबों को ररहा लकया जो उनके पास कै दी िे, और जब वे अपने ही लोगों 1 Ghafurov B. Ibid. – p. 425; History of Samarkand. Ibid; History of the Tajik people. Ibid. – p. 67. 333

के पास भागने लगे, तो लविोही उनके पीछे ऐसे भागे मानो वे उन्हंे रोकना चाहते िे। अरब घुड़सवारों की एक टुकड़ी ने अपने सािी बंधुओं की सहायता के ललए दौड़ लगाई, लेलकन घुड़सवार स्वयं कु एाँ मंे लगर गए और उन्हें बंदी बना ललया गया। तब अरबों ने खुजंद को घेर ललया, और उसे तोपों के गोलों से नष्ट् करने का फै सला लकया। लविोलहयों को शांलत समझौते के ललए मजबूर होना पड़ा, लेलकन शतण यह िी लक वे पाँाच सौ कै दी अरबों की ररहाई, लपछले और अगले साल के ललए खाराज का भुगतान, हलियारों का आिसमपणर् और सुदद मंे वापसी करें गे। हालांलक, लविोलहयों को जल्द ही पता चल गया िा लक वे सईद अल- खराशी के जाल मंे फँा स चुके हंै। इस बहाने लक सलबत नाम के सुदद राजकु मार इश्तखान ने एक अरब की पत्नी को मार डाला और उसे लकले की दीवारों के नीचे दफना लदया िा, सईद अल-खराशी ने शांलत संलध का उल्लंघन करते हुए, उसने उसके कई करीबी सहयोलगयों को मृत्यु की सजा दे दी। इस लवश्वासघात से क्ोलधत होकर, करज़ांज ने अपने देशवालसयों को लविोह और असमान संघर्षण के ललए आह्वान लकया। लसफण लाठी और पथरों से लैस, सुददवालसयों ने अरबों पर हमला लकया, और पररर्ामस्वरूप दोनों पक्षों में कई लोग मारे गए। सईद अल-खराशी ने, तबरी के अनुसार, चीन से पहुंचे चार सौ व्यापाररयो,ं लजन्होनं े अपना सारा माल अरबों को दे लदया िा, को छोड़कर सुदद के सभी लविोहीयों को लनमणमता से मार डाला।1 खुजंद और आसपास के गांवों को लूटने के बाद, सईद अल-खराशी ने लड़ने मंे सक्षम सात हजार आम लोगों को भी मार डाला, और गद्दार अलूतारा को, उसके पद को बनाए रखने के बदले में, एक लाख दीनार का भुगतान करने और पचास चयलनत दासों और दालसयों को देने के ललए बाध्य लकया। उसके बाद वह देवाशतीच की लविोही टुकलड़यों को दबाने के ललए ज़रफशान नदी की ऊपरी भाग में चला गया। देवाशतीच की टुकड़ी, जो शाखररस्तान दराण पास को पार कर फरगाना मंे करज़ांज के लविोलहयों के साि एकजुट होना चाहती िी, तालक, थिानीय शासकों और तुकण सेना की सहायता से अरब आक्मर्काररयों के द्धखलाफ एक अपूरर्ीय संघर्षण शुरू हो सके , परन्तु अलूतारा और गुराक के लवश्वासघात के कारर्, उसने खुद को एक मुद्धिल द्धथिलत में पाया और कु म गांव 1 History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1998, p. 68; History of Samarkand. Vol. I. – Таshkent, 1969, p. 86-89. 334

के पास द्धथित अबारगर लकले (अब मुग लकले के रूप मंे जाना जाता है) मंे शरर् लेने के ललए मजबूर हो गई। सन् ७२२ ईस्वी के शरद ऋतु मंे, देवाशतीच के द्धखलाफ सुलेमान इब्न अबुसारी की कमान के तहत एक चयलनत अरब सेना लनकली, लजसमें खोरज़मशाह शावकर इब्न हमुक और अखरुन और शुमान के राजा उराम की संयुि सेना शालमल िी और लजसकी अगुवाई मुशायब इब्न लबश्र कर रहा िा। देवाशतीच के योिा लकले से डेढ फारसाख (७-८ लकलोमीटर) पीछे हट गए, और कु म लकले के संकु लचत मागण मंे लकलेबंदी की तिा पहली लड़ाई में प्रवेश लकया। हालााँलक, भयंकर लड़ाई के पररर्ामस्वरूप, दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ, इस क्षेि से पररलचत गुराक की टुकलड़यों की उपद्धथिलत ने सुदद लनवालसयों की द्धथिलत को जलटल बना लदया। परन्तु स्वतंिता-प्रेमी सुददवासीयों ने खुद को अबगर लकले में मोरचाबंद लकया और अपना संघर्षण जारी रखा। जल्द ही लविोलहयों के पास पानी और भोजन खि हो गया, लजसने उन्हंे एक असंभव द्धथिलत में डाल लदया। हालााँलक देवाशतीच ने अबरगर लकले में लड़ाई करना जारी रखी, लेलकन उसे प्रलतरोध की लनरिणकता का सामना करना पड़ा और उसके सालियों पर भूख से तड़पने का खतरा मडराने लगा। पररद्धथिलतवश, उसने अरबों के साि बातचीत की और घोर्षर्ा की लक अगर घेराबंदी के तहत सौ कु लीन पररवारों की जान बचाई गई, तो वह व्यद्धिगत रूप से आिसमपणर् कर सईद अल-खराशी के सामने पेश होगा। अरबों ने, हमेशा की तरह, सुदद के एक सौ कु लीन पररवारों के जीवन की रक्षा करने और देवाशतीच की सुरक्षा का वादा लकया और वह स्वेच्छा से सईद अल-खराशी के पास चला आया। चालाक अरब सेनापलत ने देवाशतीच का अच्छी तरह से स्वागत लकया और यहां तक लक उसे अपना सािी और यािा का हमसफर भी बना ललया। हालांलक, एक महीने से भी कम समय के बाद, के श से अलबणनजॉन के आधे रास्ते में, उसने लनमणमता से देवाशतीच को दांव लगाकर मार डाला, लजसके बाद उसने खलीफत की राजधानी दलमि मंे उसका लसर भेजा और उसका दालहना हाि सुलेमान इब्न अबुसारी को भेज लदया।1 1 History of the Tajik people. Vol. I. – Dushanbe, 1998, p. 69; History of Samarkand. Vol. I. – Таshkent, 1969, p. 90. 335

इसके अलावा, सईद अल-खराशी ने एक सौ कु लीन पररवारों की सभी संपलि को जब्त कर ललया और देवाशतीच के समिणकों के रूप में उन्हंे सिा की सभी शद्धियों से वंलचत करके गुराक को सौपं लदया। संभवतः इस बात का बदला लेने के बहाने लक उन्होनं े उसके प्रलतद्वंद्वी देवालशच की मदद की िी, गुराक ने उनमंे से कु छ को अपने हािों से काट डाला। इस प्रकार, आलदवालसयों के लवश्वासघात के कारर्, सन् ७२०-७२२ ईस्वी मंे सुददवालसयों का स्वतंिता-प्रेमी आंदोलन डू ब गया, और सुदद और फरगाना मंे लविोह की लहर िम गई। हालााँलक, लनस्वािण योिाओ-ं देशभिों के कायों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। सन् १९३२ ईस्वी में अबरगर महल के खंडहरों मंे पाए गए मुग लकले के स्मारकों में चमड़े, कागज और लकड़ी के तख्तों पर सुदद वर्णमाला मंे ललखे गए ८० दस्तावेज़ शालमल हंै। वे इन लोगों के जीवन के बारे मंे बताते हंै। इन दस्तावेज़ों ने उनकी समृलत को अच्छी तरह से संभल के रखा है, जो सलदयों बाद हमारे पास हंै। आद्धखरकार, खलीफा ने मुसलमानों पर अत्यलधक क्ू रता और कर लगाने के कारर् सईद अल-खराशी को राज्यपाल के पद से हटा लदया, लेलकन वह कु तेबा की तरह ही, ख़लीफा के दू तों की बात को नहीं माना और हत्याओं एवं डकै लतयों में लगा रहा। तबरी के अनुसार, उसने बड़ी संख्या मंे महंगे स्मारक, मूलतणयााँ, सोने और तांबे के बतणन, लसक्के एकि लकए और उन्हें अपने सैलनकों में लवतररत कर लदया। इस दौरान वह खलीफा के दू तों और अपने दुश्मनों के द्धखलाफ लड़ाई भी लड़ता रहा। लेलकन वह उस तरह से अपने पैर नहीं जमा सका लजस तरह से कु तेबा ने अपने समय में लकया िा, और सन् ७२२ ईस्वी मंे उसे राज्यपाल के पद से हटा लदया गया, और उसका थिान मुद्धस्लम इब्न सईद ने ले ललया। मुसलमानों ने भी सुददवालसयों के द्धखलाफ उग्र संघर्षण को जारी रखा। उदाहरर् के ललए, उन्होनं े फरगाना के इद्धख्सद अलूतारा, जो कई बार तुकों के साि लमलकर अरबों द्वारा लूटे गए माल को लूट ललया करता िा, के द्धखलाफ एक अलभयान शुरू लकया। हालांलक, फरगाना मंे एक भयंकर युि के पररर्ामस्वरूप, वह परालजत हुए, परन्तु अनुभवी अरब सेनापलतयों मुसैब इब्न लबश्र और मुहल्लाग अल-बराण, के साि ही गुराक का भाई मारा गया। मुद्धस्लम इब्न सईद उत्पीड़न और मौत से बचने के ललए अपनी एक छोटी टुकड़ी के साि मवण 336

भागने में कामयाब रहा, लेलकन उसने आमू-पार पर लवजय के अलभयानों को लफलहाल बाद मंे पूरा करने के ललए थिलगत कर लदया। अब सुदद और समरकं द को जीतने का काम असद इब्न अब्दु ल्ला के हािों में आ गया, जो ७२४-७२७ ईस्वी मंे खुरासान का राज्यपाल िा। हालाँालक, उसने अपने पूवणवलतणयों की तरह, समरकं द पर कई हमले लकये, मगर इलतहास में वह ख़तलोन मंे अपने लवजय अलभयानों के ललए अलधक प्रलसि है। खुरासान का राज्यपाल लनयुि लकए जाने के बाद असद इब्न अब्दु ल्ला लनशापुर और मवण पहुंचा, जहां उसने सुदद पर हमले की तैयारी शुरू की। सुदद के द्धखलाफ एक असफल अलभयान के बाद, उसने कर संग्राहकों और प्रांतों और क्षेिों के राज्यपालों को बदलकर अपने भरोसेमंद लोगों को लनयुि लकया। इस्तरावाशान के अफशीन के साि एक समझौता करने के बाद उसको बहुत पैसा प्राि हुआ, और लफर वह बल्ख के बारुकन क्षेि में पहुंचा, जहां यमन में उसके सािी देशवालसयों का अरब गांव द्धथित िा। धीरे -धीरे , उसने अपने प्रांत के कंे ि को लनशापुर से बल्ख में थिानांतररत कर लदया और शहर को पुनलनणलमणत करने, गढ को सुधारने और अपने शानदार लनवास का लनमाणर् करने का काम शुरू कर लदया। उसने बरमाक के प्रभावशाली थिानीय पुजाररयों में से एक को बल्ख के लनमाणर् के प्रमुख के रूप में लनयुि लकया, थिानीय कु लीनों के साि अच्छे संबंध थिालपत लकए और कु छ हद तक पूवण राज्यपालों की कठोर नीलत को बदल लदया। थिानीय कु लीन, लजन्होनं े उपालधयाँा और पद प्राि लकए िे, इस्लाम में पररवलतणत हो गए और स्वयं इस का प्रसार करने के काम में शालमल हो गए। सबसे पहले, असद इब्न अब्दु ल्ला ने घुर, लनमरुद और ताललकान के द्धखलाफ अलभयान चलाया, लेलकन थिानीय शासकों ने लबना लकसी लड़ाई के आिसमपणर् कर लदया, असद के साि शांलत थिालपत की, और एक लनलश्चत रालश का भुगतान करते हुए, अपनी स्वतंिता बनाए रखी। इन जीतों से प्रेररत होकर, असद इब्न अब्दु ल्ला ने सन् ७२५ ईस्वी में ख़तलोन पर हमले की तैयारी शुरू कर दी। राजा शाहबोल (६९९-७३७ ईस्वी) के शासनकाल के दौरान, ख़तलोन को टोलकस्तान के सबसे अमीर और सबसे शद्धिशाली राज्यों में से एक माना जाता िा और इसमंे लतरलमज़ और हेयरटन तक अफगान बदख्शां, कु लीब क्षेि और वख्श घाटी का लहस्सा शालमल िा। जैसा लक हमने ऊपर वर्णन लकया है, हालांलक राज्यपाल सईद इब्न उस्मान के तहत, यज़ीद इब्न मुहल्लब के सैन्य अलभयानों के 337

दौरान ख़तलोन साम्राज्य के लतरलमज़ द्वारा सीमाओं का उल्लंघन लकया गया िा, लफर भी बुद्धिमान और ऊजाणवान शाहबोल ने अरबों के लशलवर से अपने गद्दार भाई का अपहरर् कर ललया और उनके हमलों से बचने के ललए उनके साि शांलत बना ली। हालांलक, अरब राज्यपालों के आक्मर्ों से संरलक्षत ख़तलोन की भूलम ने असद इब्न अब्दु ल्ला और अन्य सैन्य नेताओ,ं जो लूटपाट के प्यासे िे, को शांलत से नहीं रहने लदया। ख़तलोन के साि युि के ललए अपने युि-कठोर सेनापलतयों को तैयार करते हुए, असद इब्न अब्दुल्ला ने चेन कवच मंे अच्छी तरह से सशस्त्र पैदल सैलनकों और घुड़सवारों की टुकड़ी समेत कई हजारों की सेना का गठन लकया। उसके बाद, पंज नदी को पार करते हुए, उसने ख़तलोन पर हमला लकया। ख़तलोन के राजा शाहबोल, चीनी इलतवृलियों के अनुसार, लजसके पास अपने लनपटान में ५० हजार घुड़सवार और पैदल सैलनक िे, ने असद इब्न अब्दु ल्ला के द्धखलाफ युि की तैयारी करते हुए, सुलु की कमान के तहत तुकों की सेना (कु छ स्रोतों के अनुसार, हफिाललयो)ं से मदद मांगी। अरबों की ओर से लड़ाई लड़ने वाले चगानहुदत की सेना के साि हुई पहली लड़ाई में, ख़तलोन की संयुि सेना ने दुश्मन को हरा लदया, और चगानहुदत खुद मारा गया। इस जीत से प्रेररत होकर, ख़तलोन ने अरबों की एक बड़ी सेना पर हमला लकया और उन्हंे भारी नुकसान पहुंचाया। शाहबोल के लगातार हमलों से परे शान अरब सेना को भागने के ललए मजबूर होना पड़ा। असद इब्न अब्दु ल्ला खुद पंज पहुंचकर चमत्काररक ढंग से भाग लनकला। दुश्मन का पीछा करते हुए, ख़तलोन की सेना ने नदी पार की और दुश्मन के गालडयों के कालफला पर हमला कर उसे लूट ललया।1 ख़तलोन में भयंकर युि, जो कई लदनों तक चला, के दौरान अरबों और उनके सहयोलगयों की एक बड़ी सेना को भारी नुकसान हुआ, जबलक बाकी बचे लोग भाग गए और नदी पार करने के दौरान उनकी भी मृत्यु हो गई, इस तरह बहुत कम लोग जीलवत बच पाए। एक मुंहतोड़ हार, भारी नुकसान और असद इब्न अब्दु ल्ला की ध्वस्त सेना की वापसी, लजसमंे अपने घोड़े तक खो चुके कई घायल सैलनक िे, इन घटनाओं ने बल्ख के लनवालसयों के बीच एक मज़ालकया गीत को जन्म लदया, जो तालजक- दारी भार्षा के मौद्धखक रचनािकता के पहले उदाहरर्ों मंे से एक है और जो 1 History of the Tajik people. Vol. I. – Dushanbe, 1998, p. 75. 338

हमारे लदनों तक प्रचललत है। संभवतः इस गीत के प्रभाव मंे, असद इब्न अब्दु ल्ला ने सुदद और ख़तलोन में सभी लवफलताओं के ललए अपने सैन्य नेताओं को दोर्षी ठहराया1 और यहां तक लक, तबरी के अनुसार, उन्हंे गंभीर रूप से दंलडत भी लकया।2 असद इब्न अब्दु ल्ला की शमणनाक हार की खबर खलीफा लहशम इब्न अब्दु लमाललक (७२४-७४३ ईस्वी) तक पहुंची, और उसने उसे ख़ुरासान के राज्यपाल के पद से हटा लदया, क्ोलं क वह लदए गए काम को अंजाम तक नहीं ले जा पाया। ७२७ ईस्वी में, अशरास इब्न अब्दु ल्ला सुलामी को खुरासान का राज्यपाल लनयुि लकया गया, लजसने ७२८ ईस्वी मंे एक बड़ी सेना के साि समरकं द के द्धखलाफ अलभयान शुरू लकया तालक सुददवालसयों के लविोह को दबाया जा सके । लेलकन सुदद और तुकण के मजबूत प्रलतरोध के कारर्, वह तीन महीने तक अमु दररया को पार नहीं कर सका, और अंत मंे लसफण पाईकन्द तक ही पहुंच पाया। सुदद ने नदी के ऊपरी लहस्से मंे पानी अवरोलधत कर लदया, और कई अरब प्यास से मर गए। ५८ लदनों के ललए, अशरास, के मारजो की घेराबंदी मंे िा, लेलकन वह वहां से भागने में सफल रहा। उसके बाद वह एक वर्षण से भी कम समय तक जीलवत रह पाया और मर गया। सन् ७३० ईस्वी में, खलीफा ने जुनैद इब्न अब्दु रण हमान को खुरासान का राज्यपाल लनयुि लकया। कु छ स्रोिों के अनुसार, जुनैद, जो पहले कु छ समय के ललए पंजाब मंे लसंध प्रांत का राज्यपाल रह चुका िा, ने सन् ७२९ ईस्वी में खलीफा और उसकी पत्नी को कीमती पथरों और दुलणभ मोलतयों से सजाया गया एक महंगा हार भंेट लकया, और इसललए उसे खुरासान के राज्यपाल के पद से सम्मालनत लकया गया।3 ७३० ईस्वी के वसंत में खलीफा जुनैद इब्न अब्दुरण हमान के आदेश से, वह खुरासान पहुंचा; उसे ७ हजार चुने गए योिाओं की एक टुकड़ी के साि अशरास की मदद करने के ललए भेजा गया, और लजसे उसने घेराबंदी से बचा ललया। कई 1 Balazuri. The conquest of Khorasan. Comment by Ghoibov Gh. – Dushanbe, 1987, p. 91; History of Samarkand. Vol. I. – Таshkent, 1969, p. 91. 2 Abuali Mohammad Bal’ami. Ta’rikhi Tabari. Vol. II. – Dushanbe, 2001, p. 1357. 3 Balazuri. Ibid. – p. 94. 339

नुकसानों की कीमत पर, अरबों ने जीत हालसल की, लेलकन वे सुदद, टोकररस्तान और ख़तलोन मंे मुद्धि संघर्षण की लपटों को पूरी तरह से बुझाने मंे कामयाब नहीं हो सके । सन् ७३५ ईस्वी में, असद इब्न अब्दु ल्ला को खुरासान के राज्यपाल के रूप मंे लफर से लनयुि लकया गया। लेलकन वह अपनी शमणनाक हार को भूला नहीं िा और पूरी तरह से और गंभीर तैयारी करते हुए, सन् ७३७ ईस्वी में उसने लफर से ख़तलोन के द्धखलाफ एक अलभयान के ललए प्रथिान लकया। तबरी की कहानी के अनुसार, उस समय तक शाहबोल पहले से ही दू सरी दुलनया मंे जा चुका िा, और उसका बेटा खोडश, जो स्वभाव से एक डरपोक और कायर व्यद्धि िा, ने लसंहासन ग्रहर् लकया। अरबों के हमले के दौरान, उसने लज़गाराक लकले को छोड़ लदया और मदद मांगने के ललए तुकण खगन के पास चला गया। लकले लज़गारक को अपने कब्जे मंे लेते हुए, अरबों ने बहुत सारी संपलि जब्त कर ली, और साि ही साि भेड़ों के कई झुंडों को भी हलिया ललया। तुकण सेना के समीप आने के डर से, असद ने लूट के माल को पंज नदी के दू सरी ओर ले जाने का आदेश लदया। ख़तलोनों और तुकों की एक संयुि सेना ने पंज नदी के इस लकनारे पर हमला लकया, और इस अप्रत्यालशत हमले से अरब सैलनक अचंलभत रह गए और या तो डू ब गए या मारे गए। इशलतखानी और अिं दी बहादुर सेनापलतयों ने अरबों को एक भयंकर झटका लदया और तट पर उनकी सैन्य टुकड़ी को हरा लदया। अगले लदन, असद, हार स्वीकार करते हुए भाग गया और एक बार लफर लज्ज‍ ाजनक रूप से बल्ख मंे लौट आया।1 यह ध्यान देने योग्य है लक ख़तलोन मंे असद इब्न अब्दु ल्लाह की बार-बार हार के बाद, एक शद्धिशाली अरब-लवरोधी संयुि सेना का गठन लकया गया, लजसमे तुकण खगन के अलावा, हाररस इब्न सूयाणज के लविोही टुकलड़यों के साि- साि अन्य प्रांतों के कई शासक और हफिाली राजा भी शालमल िे। संयुि सेना मंे सैलनकों की संख्या ३० हजार से अलधक िी। हालांलक, एक एकीकृ त कमान की कमी और सहयोलगयों के नेताओं के बीच लवरोधाभासों के उद्भव के कारर्, इस शद्धिशाली सैन्य संगठन का उपयोग अंततः अरबों को हराने के ललए नहीं लकया जा सका। उन लदनो,ं असद इब्न अब्दु ल्ला, ख़तलोन की संयुि सेना के हमले से 1 History of the Tajik people. Vol. II. – Dushanbe, 1991, p. 75. Balazuri. Ibid. – p. 91; Yakubov Yu. History of the Tajik people. Beginning of the middle ages. – Dushanbe, 2001, p. 186-187. 340

इतना डरा हुआ िा लक यहां तक लक वह अपनी राजधानी बल्ख से थिानांतररत करके मवण में थिालपत करना चाहता िा। जैसा लक हम कह सकते हैं, असद सहयोगी दलों के पदों में लवभाजन और तुकों के चाच और सेमरे लचये मंे प्रथिान के कारर् एक अपररहायण हार से बच गया। ख़तलोन के द्धखलाफ असद का तीसरा अलभयान सन् ७३८ ईस्वी में हुआ। सहयोलगयों के पदों में लवभाजन की जानकारी प्राि करने के बाद, उसने एक अलतररि अरब सेना और थिानीय गद्दार शासकों के साि अमू दररया को पार लकया। अरबों के हमले से भयभीत, ख़तलोन के राजा खोडश ने मदद की आस मंे लफर से तुकण खगन को गुहार लगायी। हालााँलक, ऐसा हुआ लक सेलमरलचये में वापसी के दौरान, खगन को कु सणुल द्वारा मार डाला गया िा। खोडश ने अपने राज्य को भगवान भरोसे छोड़ते हुए चीन में शरर् ले ली। असद के तीसरे अलभयान के दौरान, बहादुर सैन्य नेता बिी तरखून ने ख़तलोन के योिाओं की टुकड़ी का नेतृत्व लकया। खोडश के प्रथिान के साि, राज्य लबना लकसी शासक के खाली रह गया िा, और बिी तरखून, जो ख़तलोन के राजाओं - बालमयान के शेरों - के पररवार से िा, ने व्यावहाररक रूप से सिा की बागडोर अपने हािों मंे ले ली और अरबों के लवरुि युि की तैयारी शुरू कर दी। पंज नदी को पार करने के बाद, असद माउंट नमक (खोजामुलमन) की तरफ आगे बढा। बिी तरखून के साि पहली लड़ाई मंे वह हार कर पीछे हट गया। हालांलक, ख़तलोन की संयुि सेना, लजसके कु छ सेनापलत बिी तरखून की कमान से असंतुष्ट् िे, संगलठत सैन्य अलभयानों को जारी रखने में असक्षम रही। खोरीिोन के भयंकर युि में, सुलवधाजनक लकलेबंदी के कारर्, असद की घुड़सवार सेना को आक्मर् करने मंे आसानी रही। यद्यलप बिी तरखुन को बहुत नुकसान हुआ, लेलकन अरबों के ललए बल्ख का रास्ता अवरुि करने और उन्हंे हराने की इच्छा रखते हुए उसने साहसपूवणक युि को जारी रखा। संभालवत खतरे को भांपते हुए असद ने समझौता वाताण की शुरूआत की।1 लपछली दो हारों के कड़वे अनुभव को ध्यान में रखते हुए, असद इब्न अब्दु ल्ला ने \"साम दाम दण्ड\" के लसिांत के अनुसार काम लकया। बिी तरखून के प्रलत लशष्ट्ाचार लदखाते हुए, उसने आलधकाररक तौर पर ख़तलोन के राजा की हैलसयत से खोडश के बदले उसे मान्यता दी और उसे उसकी लनयुद्धि की प्रलत 1 Ghafurov B. Tajiks. Book 1. – Dushanbe, 1998, p. 428. 341

और उपहार भेजे। उसके बाद, असद इब्न अब्दु ल्ला ने बिी तरखून को अपने पास दावत और लनष्ठा की शपि लेने के ललए आमंलित लकया, लेलकन दावत के दौरान उसे कै दी बना ललया और मांग की लक वह हलियार डाल दे और ख़तलोन को छोड़ दे। तबरी के अनुसार, बिी तरखून ने हलियारों के आिसमपणर् के बदले में असद इब्न अब्दुल्ला से दस लाख लदरहम की मांग की। असद ने उसे लनम्नललद्धखत कहा: \"आप ख़तलोन से नहीं हैं, बद्धि बालमयान से हंै, इसललए सोने और धन के बारे मंे नहीं सोचते हुए, जहां आप पहले रहते िे, वहां वापस लौट जाएँा ।\" असद की अलशष्ट्ता से नाराज, बिी तरखून ने कहा: \"आप लसफण एक खानाबदोश अरब हंै जो ऊं टों के कालफले पर लूट के माल को लादते हैं। धरती पर आप मुझसे यह मांग क्ों करते हैं लक मंै अपने बच्चों और अपने घर को छोड़ दूं, आपको सब कु छ दे दूं और अपनी मातृभूलम को त्याग दूाँ?\" बिी तरखून के अपमानजनक शब्दों से क्ोलधत होकर, असद इब्न अब्दु ल्ला ने पहले बिी तरखून के कान, नाक और हाि काट लदए और लफर लनमणमता से जानवरों की तरह उसकी हत्या कर दी। बिी तरखून के दोस्तों ने उसकी पत्नी और बच्चों को छु पा लदया िा। ख़तलोन के नेता की हत्या के बाद, असद ने कई गांवों को लूट ललया और अपने सैलनकों की एक बड़ी टुकड़ी को ख़तलोन के पवणतीय लकले मंे भेज लदया तालक बिी तरखून के शेर्ष सैलनकों और करीलबयों को नष्ट् कर लदया जा सके । उसने कई लकले नष्ट् कर लदए, आसपास के गााँवों को लूटा, लेलकन ख़तलोन के लनवालसयों की स्वतंिता-प्रेम की भावना को समाि नहीं कर सका। 342


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