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Edited Book final HINDI_PDF chapter

Published by farid-9898, 2022-09-17 13:03:34

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आदम के वंशज - एक ही शरीर के सदस्य हैं, एकल इकाई होना ही उनका मौललक स्वरूप है। यलद शरीर का कोई एक भाग अचानक बीमार हो जाये, हमारा पूर्ण शरीर उस दुख और ददण को वहन करता है। -शेख़ सादी अध्याय १ वैश्विक संकट के समक्ष मानवजाश्वि १. सववव्यापी वैश्विक संकट और िीसरी सहस्त्राब्दी की शुरुआि में उसकी संभावनाएं दू सरी सहस्त्राब्दी, तापमान की वृद्धि और शीतलता के अनेको उतार-चढाव की साक्षी, हम पीछे छोड़ आए हैं और मानवता की तीसरी सहस्राब्दी का प्रारम्भ हो चुका है। लपछले सौ वर्षों मंे, जहाँा दुलनया की आबादी चौगुनी हुई है, वहीँा मनुष्य ने, पृथ्वी के अंलतम दुगणम कोनों की खोज करते हुए अंतररक्ष पर लवजय पाने की शुरुआत कर दी है। लवशाल आकाशीय ऊं चाइयों पर से हमारे ग्रह पृथ्वी को देखते हुए अंतररक्ष यालियों ने पाया है लक पृथ्वी अपने आकार और लवस्तार के बावजूद, सावणभौलमक पैमाने पर एक छोटी सी गेंद से ज्यादा कु छ नही।ं बीसवीं शताब्दी के अंत और इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत मंे मानवजालत ने लवरोधाभासों से भरी हमारी दुलनया की भव्य और आश्चयणजनक घटनाओं की साक्षी होते हुए, धरती पर उपद्धथित राजनीलतक और आलिणक व्यवथिा की द्धथिर और पररपक्व प्रर्ाली मंे क्ांलतकारी पररवतणनों और सुधारों को देखा। शद्धिशाली राज्य और अलधनायकवादी राजनीलतक शासन जो सवणहारा क्ांलत के लशकार लाखों पीलड़तों के जीवन की कीमत पर बनाये गए िे, उनका लोकतांलिक प्रदशणनों के दबाव, राष्टर्ीय मुद्धि आंदोलन और स्वतंिता की इच्छावृद्धि के कारर् लवनाश और लवश्वमंच से उनका पलायन हुआ। वतणमान मंे बढती हुई वैश्वीकरर् की द्धथिलत मंे लवलभन्न राज्यों और देशो,ं राष्टर्ों और सभ्यताओं के बीच आवश्यकता अनुरूप परस्पर संबंध और लनभणरता की प्रलक्या लवकलसत हो रही है। लनरं तर सलक्यता से पेश होते हुए, सावणभौलमक उपलद्धियों को अपनाते हुए, लोकतांलिक सामालजक मानदंडों और मूल राष्टर्ीय मूल्ों को अलधक से अलधक सलक्य रूप से लागू लकया जा रहा है। इसके अलावा, दुलनया मंे ना के वल भू-राजनीलतक और आलिणक-सामररक क्षेिों के नए 1

स्वरूपों तिा समीकरर्ों की रूपरे खा को स्वीकार लकया जाता है, बद्धि प्राचीन और नई सभ्यताओं के क्षेिों को भी नए लसरे से पररभालर्षत लकया जाता है, और इस तरह बड़े और छोटे राष्टर्, अपने पड़ोसी देशों के लोगों को करीब एक साि लाकर अपनी संस्कृ लत के दायरे का लवस्तार करते हैं। अलधनायकवादी राजनीलतक शासनों से आज़ाद हुए नए संप्रभु राज्यों को अपनी स्वतंिता को मजबूत बनाने, राष्टर्ीय सम्प्रभुता और जागरूकता को सुदृढ करने की आकांक्षा रहती है। और इस तरह आधुलनक जगत मंे अपने अपने राज्यों और राष्टर्ों के उलचत थिान की प्राद्धि की कामना करते हुए वे उल्लेखनीय पुनस्र्थान का अनुभव करते हैं। इस प्रकार, मानव समाज की प्रलक्याओं और प्रवृलियाँा, लनरं तर लवकलसत होते लवज्ञान, उद्योग और आधुलनक प्रौद्योलगकी ने कु छ सामालजक वैज्ञालनकों को एक पूरी तरह से नए युग की शुरुआत के बारे में अपनी राय व्यि करने के ललए मागग प्रशस्त लकया है। सूचना और संचार सभ्यता तिा इसका वैलश्वक लवस्तार, सावणभौलमक मानव समुदाय के लवकास की एक प्रमुख धुरी के रूप मंे प्रकट हुआ है। आज की दुलनया एक सूचना सभ्यता की लदशा मंे अलधक से अलधक लनर्ाणयक कदम उठा रही है, लजसकी सबसे महत्वपूर्ण लवशेर्षता है - थिान और समय का संकोचन, और साि ही साि वैज्ञालनक और सांस्कृ लतक उपलद्धियों का प्रसार होना। सूचना सभ्यता मानवजालत की नई लदशा मंे लवकास की एक धुरी है, और इसके मूल लवर्षयों में असीम सूचना और प्रसार के आदान-प्रदान, इंटरनेट का लवकास, कायणक्मों और समाचारों का संचारर् और प्रसारर्, उपग्रह संचार की थिापना, और कं प्यूटर प्रौद्योलगकी और सूचना उपकरर्ों की क्षमताओं का लनरं तर लवस्तार लनलहत है। सूचना सभ्यता, दू रसंचार और आधुलनक लवज्ञान और उनसे सम्बंलधत उपलद्धियों के लवकास के ललए धन्यवाद, आज हम लगभग दैलनक और प्रलत घंटा ग्रह के सबसे दू र के देशों को देखते हैं; दुलनया मंे होने वाली घटनाओ,ं प्राकृ लतक आपदाओ,ं राजनीलतक संघर्षों और आलिणक लहतों के टकराव, प्रगलत और संस्कृ लतयों की प्रलतस्पधाण और लवलभन्न सभ्यताओं के स्पष्ट् और लछपे हुए लवरोध के बारे में जानकारी प्राि करते हैं। आज के समय पूरी दुलनया मंे सूचना - संचार और संचार माध्यम के बाजार की बहुत मांग है। लवज्ञान और सूचना प्रौद्योलगकी की प्रगलत ने समय और थिान को संकु लचत लकया है, लजससे लवश्व मंच पर वैश्वीकरर् की प्रलक्या को प्रगलतशील बल लमला है। हर लमनट और हर घंटे 2

रे लडयो चैनलों के माध्यम से, टेलीलवजन की स्क्रीन से, इंटरनेट और कं प्यूटर जैसे सूचना उपकरर्ों से, पुस्तको,ं अखबारों और अन्य संचारों द्वारा हमारे ऊपर समाचारों की अंतहीन झड़ी बरसती है, जो, वैश्वीकरर् के अग्रदू त की तरह, अिणशास्त्र और राजनीलत, लवज्ञान और संस्कृ लत, मानव गलतलवलध के अन्य सभी क्षेिों के सावणभौलमकरर् में योगदान देती हंै। आज वैश्वीकरर् और सूचनाओं के सावणभौलमकरर् की मदद से, कोई भी व्यद्धि घर बैठकर ही टेलीलवजन सेट और सैटेलाइट लडश का उपयोग करके दुलनया की चारों लदशाओं की खबर रख सकता है तिा संसार की जलटलता और लवलवधता, संुदरता और पररष्कार, स्पष्ट् और लछपे हुए लवरोधाभासो,ं कट्टर लवरोधी संघर्षों, भयावहता और िासलदयों का अवलोकन कर सकता है, लजसकी पररकल्पना भी आज से सौ साल पहले रहे पूवणज नहीं कर सकते िे। वैश्वीकरर् लोगों और देशो,ं राज्यों और राष्टर्ों के बीच घलनष्ठ संबंधों का लवस्तार कर राजनीलतक और आलिणक संबंध सुदृढ करता है; तकनीकी और सूचना उपकरर्ों की उपयोलगता बढा कर मानव जालत को नए मूल्वान उपलद्धियों की तरफ अग्रसर करता है। साि ही साि संसार के लवलभन्न संसाधनों के संरक्षर् की इच्छाशद्धि को बढाना, अंतरराष्टर्ीय और क्षेिीय संबंधों के लवलभन्न उद्योगों का इष्ट्तम लवलनयमन करना, लवशेर्ष रूप से व्यापार संबंधो,ं लविीय और पयाणवरर् सहयोग करना, और अन्य क्षेिों मंे लवकास करते हुए वैश्वीकरर् एक व्यापक और व्यावहाररक रूप से वैलश्वक प्रर्ाली का गठन करता है। हालांलक, दू सरी ओर, मुख्य रूप से वैश्वीकरर् के प्रत्यक्ष इन्ही प्रभावों के कारर् लवकलसत और लपछड़े देशों के बीच खाई चौड़ी हो रही है; राष्टर्ीय और सांस्कृ लतक व्यवथिाओं तिा लोगों के मूल्ों पर तेजी से दबाव बढ रहा है। इस प्रलक्या के तहत अग्रर्ी देशों में से कु छ देशों की श्रेष्ठता के दावे दू सरों की तुलना में स्पष्ट् लदखते हैं, साि ही आतंकवादी तिा उग्रवादी गलतलवलधयो,ं नशीली दवाओं और हलियारों की तस्करी वतणमान मंे करीबन वैलश्वक हो रही है। लववादास्पद वैश्वीकरर् की लवरोधाभासी प्रलक्या के दौरान लवलभन्न सभ्यताओं के बीच टकराव की भावना काफी हद तक मज़बूत होती है और बुलनयादी लवश्व मूल् और मानदंड का गठन लकया जाता है, और ऐसा प्रतीत होता है लक आधुलनक दुलनया ऐलतहालसक मूल्ों और प्राचीन राष्टर्ीय लवरासत का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है। प्राचीन मूल् अपने सामालजक महत्व को खो रहे हैं 3

और धीरे -धीरे गायब हो रहे हंै, और नई दुलनया के मूल् और मानदंड उनकी जगह ले रहे हैं। मेरी राय मंे, वैश्वीकरर् की प्रलक्या का सबसे प्रलतकू ल और खतरनाक पररर्ाम नैलतकता, आध्याद्धिकता, आचार-लवचार, संस्कृ लत, परं परा और अन्य सामालजक तत्वो,ं लजसके लबना मनुष्य का अद्धस्तत्व बहुत ही असंभव है, में लगरावट आना है। तिालप, वैश्वीकरर् के समानांतर, राष्टर्ों और लोगो,ं संस्कृ लतयों और सभ्यताओ,ं देशों और क्षेिों के लनरं तर आि-ज्ञान की प्रलक्या जारी है, जो इकीसवीं सदी की शुरुआत के कट्टरपंिी लवश्व पररवतणनों का सबसे महत्वपूर्ण कारक बन गया है और भलवष्य में गहरे बदलाव और पररवतणन भी कर सकता है। इस तथ्य के बावजूद लक मानवता, अपनी बौद्धिक क्षमता के कारर्, अपने ग्रह की खोज और लवशाल ब्रह्ांड के अध्ययन मंे अभूतपूवण सफलता हालसल कर चुकी है, परन्तु वह अभी भी शांत और स्वतंि जीवन प्राि नहीं कर सकी। युि और हत्या, डकै ती और अपमान, लहंसा और लवनाश, मानवीय नैलतकता की लगरावट और लोगों को उनके मूल सार से अलग लदखाने वाली लनंदनीय लफल्मंे लवश्व सांस्कृ लतक और सूचना चैनलों पर तेजी से प्रदलशणत हो रही हंै। सभी प्रकार की क्ांलतयों और पररवतणनो,ं लवज्ञान और प्रौद्योलगकी की सफलताओ,ं अलभयांलिकी और प्रौद्योलगकी की अभूतपूवण उपलद्धियों को प्राि करने के बावजूद मनुष्य की द्धथिलत, उसकी पहचान, उसकी सवोच्च आकांक्षाएं , प्रलतष्ठाएाँ , भौलतक, आध्याद्धिक, वैचाररक और धालमणक सीमाएं , आलिणक और राजनीलतक लहतों के प्रभाव के कारर् अपूर्ण, अद्धथिर और अलतसंवेदनशील बनी हुई हैं। अपने संपूर्ण मानव इलतहास के दौरान मनुष्यों ने एक समृि, शांत और युि और अंतलवणरोधों से मुि जीवन के ललए प्रयास लकये हंै और इस दौरान उन्होनं े कई लकताबों और मौललक कायों की रचना की है लक अगर हम उन्हें एक-दू सरे के ऊपर रखें तो इस स्तंभ के सहारे हम आकाश को छू सकते हैं। हालांलक, इस तथ्य के बावजूद लक वतणमान का मनुष्य हज़ारों साल पहले की तुलना मंे, अलधक दुखद खतरों और अलधक जलटल पररद्धथिलतयों का सामना कर रहा है। मनुष्य और आधुलनक दुलनया के सह-अद्धस्तत्व में हम व्यावहाररक रूप से एकता और समन्वय, शांलतपूर्ण संबंधो,ं सावणभौलमक समस्याओं को हल करने और लहंसा के लबना शांलतपूर्ण तरीके से वैलश्वक खतरों को दू र करने की इच्छाशद्धि नहीं देखते हैं। बद्धि, कु छ लवशेर्ष देशों और राष्टर्ों की मंडललयां के आपस में 4

मानवतावादी लसिांतो,ं संस्कृ लतयो,ं संवादों और मौललक सारों मंे मनमुटाव देखते या पाते हंै। मेरी राय में, इसका मुख्य कारर् है लक मनुष्य का इस छोटे से ग्रह पर अपने अद्धस्तत्व के उद्देश्य को लबना सोचे समझे अहंकारवाद को प्रािलमकता देते हुए, तिा सुलह के मागण, शांलत, सद्भाव एवं लवरोधाभासों और रिपातों के खािों पर हिी प्रलतलक्या व्यि करते हुए, एकता और अच्छे इरादों को प्रबल करने की धारर्ा को टाल कर तिा अच्छे लवचारो,ं शब्दों और कामों के साि, एक-दू सरे पर दया भाव और मदद करने के लसिांत को भूल जाना है। इस बीच, मानव इलतहास मंे सभी कलठनाइयो,ं अंतहीन संघर्षों, पीड़ा और खूनी िासलदयों का कारर् इस दुलनया में उस की उत्पलि और अद्धस्तत्व के उद्देश्य की अबोध- गम्यता है। जैसे ही हम लपछली शताब्दी मंे मनुष्यों द्वारा तय लकये गए मागण को गंभीरतापूवणक देखते हंै तो हम अनायास ही महसूस करते हंै लक पृथ्वी बड़े पैमाने और दायरे की लवशालता के साि, मानव जालत के ललए एक प्यार करने वाली मााँ के जैसी है जो सदाबहार वृक्ष की तरह बढते हुए बच्चे का पालन-पोर्षर् करती है। यद्यलप वैज्ञालनक खोजों और तकनीकी लवकास की मदद से मानवजालत तीवण गलत से आगे बढ रही है, तिा उस ने असीलमत शद्धि को प्राि लकया है, तिालप परमार्ु बमो,ं िमोन्यूद्धियर हलियारों और वैलश्वक खतरों की पृष्ठभूलम के सामने यह हरा ग्रह, पृथ्वी, एक नाजुक कांच के बतणन जैसा लदखता है, और महान शद्धियों की प्रलतस्पधाण और शासकों के लालच के कारर् हर लदन इस पर टू टने का खतरा मंडराता है। हम लोग बीसवीं सदी के अंलतम दशकों मंे दुलनया के राजनीलतक मानलचि पर होने वाले बड़े बदलावों के साक्षी रहें हंै, जब लवश्व मंे समाजवादी व्यवथिा यूरोपीय, एलशयाई और अफ्रीकी महाद्वीपों में लुढक गई और एक एकध्रुवीय लवश्व संरचना थिालपत हुई, जो पंूजीवादी समाज के लोकतांलिक मूल्ों और मानकों को प्रािलमकता के रूप में मान्यता देती िी। सोलवयत संघ और उसकी लवचारधारा के शद्धिशाली साम्राज्य का पतन हुआ और सोलवयत संघ की भूलम पर एक दजणन से अलधक स्वतंि राज्यों का गठन हुआ। दुलनया की राजनीलतक व्यवथिा बदल गई और पृथ्वी पर भू-राजनीलतक सीमांकन की एक नए लसरे से शुरुआत हुई। हालांलक, सोलवयत संघ के पतन के बाद वैलश्वक खतरे समाि हो जाने चालहए िे परन्तु इसके ठीक लवपरीत, खतरों में वृद्धि होने लगी है और वतणमान में दुलनया के बाजारो,ं कच्चे माल, ऊजाण और ईंधन स्रोतो,ं प्राकृ लतक संसाधनों के 5

भंडार पर कब्जे के ललए महान शद्धियों के बीच सीधा या लफर गुि संघर्षण अलधक तीव्र होता जा रहा है। वतणमान में एक नए क्षेिीय और वैलश्वक, आलिणक और भू-राजनीलतक समीकरर् गलत प्राि कर रहे है, साि ही राष्टर्ीय-जातीय दुश्मनी तिा वैचाररक और धालमणक संघर्षण भी अलधक से अलधक बढ रहे है, लजसके कारर् पूरे ग्रह पर एक सामान्य जीवन प्रलक्या बालधत हो रही है। हाल के वर्षों में, अपेक्षाकृ त शांत व्यवथिा और कमजोर हुई है, और दुलनया के लवलभन्न क्षेिों में युि, हत्या, आग, तबाही और बाढ, आतंकवाद और तोड़फोड़, लूटपाट और अपमान के कायण, बढती नशीली दवाओं की लत, एक- दू सरे के प्रलत लोगों की शिुता और अलगाव में वृद्धि और नैलतकता मंे पतन देखा जा सकता है। आज वैलश्वक और क्षेिीय खतरों के पैमाने और आकार मंे काफी वृद्धि हुई है जो समस्त मानवजालत के भलवस्य के ललए खतरा हो सकती है और छोटे-बड़े राज्यों की सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। संक्षेप में सार और मूललबंदु यह है लक ये खतरे अपने अंलतम लक्ष्य तिा लछपे हुए पहलुओं के कारर् वैलश्वक हो गए हंै, और पाखंड तिा गलत आि-औलचत्य की द्धस्तलि मंे वे भयानक, दुखद और लवनाशकारी पररर्ाम पैदा कर अंततः पूरे ग्रह पर जीवन के लवनाश के ललए अग्रर्ी हो सकते हंै। मुख्य रूप से वैश्विक खिरें हंै - नए प्रकार के परमाणु बम और बडे पैमाने पर श्ववनाश वाले अन्य हश्वियार ं के उत्पादन और आश्ववष्कार में वृद्धि, प्राकृ श्विक संसाधन ं और अन्य अश्वििीय भूश्वमगि संसाधन ं के भंडार मंे श्वनरं िर कमी, ईधं न ििा ऊजाव स्र ि ं एवं सामररक औद्य श्वगक कच्चे माल पर कब्ज़ा करने के श्वलए महान शद्धिय ं के मुखर और गुप्त प्रयास, महत्वपूणव आश्विवक क्षेत् ं और श्ववि बाजार ं के पुनश्ववविरण के संघर्व मंे गहन भू- राजनीश्विक प्रश्विय श्वगिा, बडे आश्विवक और भू-आकृ श्विक क्षेत् ं के नए समीकरण में भेदभाव, इत्याश्वद। ये सब के सब महान शद्धियों के वैलश्वक लहतों के टकराव के कारर् और तीव्र होते जा रहे हंै। इसके अश्विररि, संगश्विि आपराश्वधक ित्व ं की वृद्धि, अंिरावष्ट्र ीय आिंकवाद, धाश्वमवक अश्विवाद, अवैध कार बार और हश्वियार िस्करी, और साि ही साि, धाश्वमवक और नस्लीय-जािीय श्ववर धाभास ं का बढ़ना, सभ्यिाओं और वैचाररक धाराओं का टकराव, श्ववनाश और श्वहंसा के श्ववचार ं 6

का प्रचार प्रसार, हत्याएं और युि ििा जन संचार में दुबवलिा और संकीणविा का प्रसार ह ना अश्वधक से अश्वधक खिरा प्रस्तुि करिा है। इसके अलावा, वैश्विक िीव्र समस्याओं क , चाहे हम इसे चाहें या नही,ं वैश्विक स्तर पर श्वनगरानी, य जना और संकल्प की आवश्यकिा है। यह समस्याएँ हैं - अमीर और गरीब राज् ं के बीच की खाई का चौडा ह ना, सीश्वमि मुट्ठी भर ल ग ं के हाि ं मंे श्ववि धन कें श्विि ह ना, बेर जगारी और गरीबी का एक वैश्विक बीमारी मंे बदलना, दुश्वनया के जनसांद्धख्यकीय संके िक ं में वृद्धि और ििाकश्विि गरीब देश ं में बडे पैमाने पर अश्वनयंश्वत्ि और अश्वनयश्वमि प्रवासन, गरीब ं का असंि र् का बढ़ना ििा इस द्धथिश्वि पर उनकी नाटकीय और क्ांश्विकारी प्रश्विश्वक्याओं का ह ना। इस सूची मंे ज डिे हुए, संयुि राष्ट्र और यूनेस्क के अनुसार प्राकृ श्विक और पयाववरणीय खिरे और अभूिपूवव आपदाएं , जैसे भूकं प, बाढ़, श्ववनाशकारी बवंडर और िूफान, बढ़िे िापमान और श्वपघलने वाले ग्लेश्वशयर, सूखे या, इसके श्ववपरीि, मूसलाधार बाररश हर साल मानवजश्वि के श्वलए खिरा बढ़ा रहे हंै, श्वजससे अरब ं डॉलर का नुकसान ह रहा है। स्मरर् हेतु लनम्न घटनाएं पयाणि है: इस्लामी गणराज्य ईरान के बामा और इस्लामी गर्राज्य पालकस्तान के मुजफ्फराबाद शहर मंे भूकं प के तीवण झटके , साि ही प्रशांत क्षेि तिा इंडोनेलशया मंे (लजसके पररर्ामस्वरूप २०० हजार लोग मारे गए) लवनाशकारी भूकं प और तूफान और अटलांलटक महासागर में (अमेररका मंे तूफान कै टरीना और रूटा), लजसमंे लवशेर्षज्ञों ने १००-१२० खरबों अमेररकी डॉलर से अलधक की रालश की आलिणक क्षलत का अनुमान लगाया। इसके अश्विररि, खिर ं की श्वगनिी में, भूख का खिरा, पीने के पानी की कमी, खेिी य ग्य भूश्वम और खाद्य आपूश्विव के स्र त् ं में कमी, हर साल श्वबगडिा पयाववरण और वायु प्रदू र्ण, संक्ामक र ग ं की संख्या मंे वृद्धि और दजवन ं अन्य प्राकृ श्विक और सामाश्वजक कारण ं से उत्पन्न मानवीय समस्याएं आिी हंै, श्वजनके कारण, सभी राज् ं और देश ं मंे एकजुटिा, संयुि कारव वाई और प्रत्यक्ष सहय ग की आवश्यकिा ह िी है। उद्धल्लद्धखत समस्याओं और उनके लवशाल पैमाने पर हल के ललए एक या कई सबसे शद्धिशाली राज्य भी असमिण हंै और यह दुलनया के सभी राज्यों की क्षमता और सुलवधाओं को एकजुट करने की आवश्यकता को इंलगत करता है। 7

इसललए सावणभौलमक मानवीय समस्याओं और खतरों पर काबू पाने के ललए शांलतपूर्ण संबंध तिा सद्भाव की अलभव्यद्धि थिालपत करने की ज़रुरत है तालक भलवष्य में पृथ्वी पर शांलत और सुरक्षा कायम रहे। अन्यिा, ऐसी उम्मीद की जाती है लक मानवजालत का या तो अंत होगा या लफर अनद्धस्तत्व के पि पर गायब या लवलीन हो जाएगी! सृलष्ट्कताण की सवणश्रेष्ठ रचना अपनी सभी उपलद्धियों के बावजूद लवलुि होने के कगार पर होगी। जीवन या मृत्यु, अद्धस्तत्व और अनद्धस्तत्व जैसे प्रश्न, जो कई सलदयों से मानवजालत के सामने उपद्धथित रहे हंै, वह, परमार्ु हलियारों की उपद्धथिलत तिा मानव अद्धस्तत्व को पालने वाली पृथ्वी के लनमणम लवनाश की द्धथिलत में, लफर से प्रासंलगक और प्रगट हो गए हैं। और पृथ्वी इस तरह से सवाल उठाती है: या तो मनुष्य मुझे अपने भले के ललए समझदारी और तकण संगत रूप से उपयोग करे , या लफर सभी जीलवत प्रार्ी, जीवन रूप और मानवता ही पूरे ग्रह से पूरी तरह से लवलीन हो जायेगी। दो लवश्व युिो,ं लजसने ६ करोड़ से अलधक लोगों की जान ली, के पररर्ामस्वरूप हमारी धरती को जो गंम्भीर घाव लगे हंै वो अभी तक भर नहीं पाए। मनुष्यों के उद्भव के बाद से, मानवजालत ने अभी तक इस तरह के लवनाशकारी युिों और भयानक सावणभौलमक मानवीय िासलदयों का सामना नहीं लकया िा। अपने पैमाने में लद्वतीय लवश्व युि सबसे भयानक िा: इसमंे दुलनया के ७० से अलधक बड़े और छोटे राज्यों ने भाग ललया और युि की गलतलवलधयां ४० देशों के क्षेिों में हुई। इस बड़े पैमाने पर हुए युि मंे ११ करोड़ से अलधक सैन्य अलधकारी एवं सैलनक शालमल िे, और उनमें से लगभग ३ करोड़ इस खूनी लड़ाई में मारे गए। लवशेर्षज्ञों के अनुसार, इस युि में कु ल क्षलत ४.५ खरब अमेररकी डॉलर िी, तिा इस युि के पररर्ामस्वरूप ३० से अलधक देश नष्ट् हो गए, ५ करोड़ से अलधक लोग मारे गए और सद्धम्मललत देशों के लाखो-ं करोड़ों लोगों को युि के दौरान उत्पन्न हुए भंवर में कष्ट् और कलठनाइयों का सामना करना पड़ा। लहरोलशमा और नागासाकी पर हुए परमार्ु बमों के लवस्फोटों ने एक बार लफर लदखाया लक परमार्ु हलियार और लंबी दू री एवं मध्यम दू री की बैललद्धिक लमसाइलें पृथ्वी के चेहरे से जीवन का नामो-लनशान लमटा सकती हैं। आनुवंश्वशकी और वंशागश्वि के क्षेत् मंे अध्ययन ं के अनुसार, यह कहना भी अनुश्वचि नही ं है श्वक परमाणु श्ववखंडन और परमाणु आपदाओं से न के वल पयाववरण नष्ट् ह सकिा है, बद्धि जीवन के स्र ि भी नष्ट् ह 8

सकिे हैं। परमाणु श्वकरणें और श्ववश्वकरण मंे वृद्धि मनुष्य के गुणसूत् ं के बंधन क प्रभाश्वभि करिी हंै और मानव आनुवंश्वशक श्ववरासि मंे श्वगरावट लािी हंै। दू सरे शब्द ं मंे, व्यद्धि और उसके मूल जीन संग्रह का वंशानुगि आधार परमाणु संदू र्ण के खिरनाक प्रभाव ं से संक्श्वमि ह िा है, ज भश्ववष्य की पीश्वढ़य ं की भौश्विक और आध्याद्धिक क्षमिाओं पर प्रश्विकू ल प्रभाव डालिा है। यह एक महत्पूर्ण समय है लजस में लवज्ञान और प्रौद्योलगकी की त्वररत लवकास को लनदेलशत लकया जाये और आधुलनक तकनीकों की अलधक से अलधक नई खोजें हों लजससे मानवजालत के सवोच्च लहतों को सुलनलश्चत लकया जा सके और साि ही पृथ्वी की सुरक्षा और संरक्षर् संभव हो सके । श्ववज्ञान और जीव श्ववज्ञान की नवीनिम उपलद्धिय ं के प्रकाश मंे, आनुवंश्वशक आिंकवाद के ज द्धखम क नही ं नाकारा जा सकिा, श्वजसके पररणाम मानवजाश्वि के श्वलए, सामान्य आिंकवाद के पररणाम ं की िुलना में, दजवन ं गुना अश्वधक भयानक और दुखद ह सकिे हैं। आधुश्वनक श्ववज्ञान में नवीनिम श ध, श्ववशेर् रूप से खिरनाक परमाणु परीक्षण, जैश्ववक और आनुवंश्वशक प्रय ग, घािक प्राकृ श्विक-पयाववरणीय प्रय ग श्वनयंश्वत्ि िौर पर ह ने चाश्वहए िाश्वक हम उनके पररणाम ं की भश्ववष्यवाणी करने मंे सक्षम रहें। श्ववज्ञान और उसकी नवीनिम उपलद्धियाँ का श्ववकास मुख्य रूप से एक स्वथि मानव जीवन के श्वहि ं ििा उसकी भावी पीश्वढ़य ं की रक्षा के श्वलए और साि ही पयाववरण सश्वहि पृथ्वी की सुरक्षा सुश्वनश्विि करिे हुए ह ना चाश्वहए। अन्यिा, वह श्वदन आएगा जब जीव श्ववज्ञान और आनुवंशिक अश्वभयांश्वत्की के क्षेत् मंे वैज्ञाश्वनक, जैसे आइंस्टीन और ओपेनहाइमर, पिािाप करिे हुए श्वनराशा में अपने हाि ं की अपनी उंगश्वलया काट रहे ह गं े। परमार्ु हलियारों में बढोतरी और इससे बढते हुए दुखद पररर्ाम ने, दो लवश्व महाशद्धियों - संयुि राज्य अमेररका और सोलवयत संघ - को एक संलध प्रलक्या में भाग लेते हुए एक लनलश्चत स्तर तक परमार्ु हलियारों का उत्पादन और उनकी संख्या तिा सैन्य क्षमता को क्मश: अनुपात पर लनयंिर् रखने पर मजबूर लकया। हालााँलक वतणमान लवश्व में एकध्रुवीय प्रर्ाली की थिापना के कारर्, शद्धिशाली पलश्चमी देशों का कोई मजबूत प्रलतद्वंद्वी नहीं है, लफर भी दुबारा स्पष्ट् या अस्पष्ट् रूप से, परमार्ु हलियारों के आलवष्कार और परीक्षर् पर काम चल 9

रहा है। इसी क्म में नवउत्पन्न शद्धिशाली राज्य \"शांलतपूर्ण उद्दे श्यों के ललए\" परमार्ु उपकरर्ों के उपयोग करने के अलधकार पर जोर देते हुए, परमार्ु हलियार पाना चाहते हंै और परमार्ु हलियारों का परीक्षर् करते हंै, लजसके पररर्ामस्वरूप परमार्ु हलियार लनयंिर् प्रर्ाली और प्रासंलगक अंतरराष्टर्ीय समझौतों के अनुपालन की प्रलकयाण बहुत जलटल हो जाती है। हालांलक, लवशेर्षज्ञों के अनुसार, इस समय उपलि परमार्ु हलियारों की क्षमता इतनी है लक यह संपूर्ण पृथ्वी पर जीवन को कई बार नष्ट् कर सकते हंै, लफर भी, महान शद्धियां हलियारों की उपद्धथिलत को कम करने की बजाय, इसके ठीक लवपरीत, बढाती जा रही हंै। लवशेर्षज्ञों द्वारा लकये हुए शोध दशाणते हैं लक अगर सन् १९८० मंे पलश्चमी दुलनया ने नई वैज्ञालनक खोजों के ललए, लजसमें परमार्ु हलियारों के क्षेि मंे खोज भी सम्मललत है, लगभग २४० खरब डॉलर खचण लकए िे, वहीं सन् २००० में यह आंकड़ा ३६० खरब अमेररकी डॉलर हो गया िा।1 हलियारों की लबक्ी धीरे -धीरे दुलनया के बाजार में उच्चतम आय के स्रोतों मंे से एक मंे बदल गई है, तिा इसी क्म में, सामूलहक लवनाश के नवीनतम लकस्म के हलियारों का उत्पादन बढ रहा है। सन् २००३ में, अके ले अमेररका ने अपने सैन्य कायणक्मों पर ३७९ खरब डॉलर से अलधक खचण लकए, जो पूवण सोलवयत संघ के संपूर्ण सैन्य बजट से कई गुना अलधक है। िॉकहोम इंिीट्यूट के अंतराणष्टर्ीय सुरक्षा लवभाग के एक अध्ययन के अनुसार, सभी वैलश्वक सैन्य खचों का ३७ प्रलतशत से अलधक अके ले संयुि राज्य अमेररका करता है।2 यह कोई संयोग नहीं है लक जॉजण सोरोस, जो एक लवश्व प्रलसि धनी उद्यमी हंै, वह अमेररका की लगातार बढती सैन्य क्षमताओं और वैलश्वक सुरक्षा पर लचंता व्यि करते हुए ललखते हंै: “सैन्य बल पर आश्रय रखते हुए कोई भी राज्य सुरलक्षत लज़ंदा बच लनकलने में सक्षम नहीं है; बेशक, सेना को दुलनया पर शासन नहीं करना चालहए। मेरा मानना है लक हमारी सैन्य श्रेष्ठता काफी अच्छी है तालक हम अन्य समस्याओं के बारे में सोच सके , नलक के वल सैन्य खचण बढाने के बारे में सोचें। जब तक हमारे पास सामूलहक लवनाश के हलियारों के प्रसार पर पयाणि लनयंिर् नहीं होगा, तब तक हमारी सभ्यता ख़तरे में पड़ सकती है। यलद अन्य 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 18. 2 J. Soros. About globalization. – M., 2004, p. 189. 10

देश हमारी सुरक्षा के ललए खतरा पैदा करते हंै, तो हम इस खतरे से लनपटने के ललए कु छ भी नहीं कर सकंे गे, क्ोलं क हमंे और अलधक दबाव डालने पर ध्यान कंे लित करना होगा। आज के खतरे , लबना लकसी अपवाद के , असमलमलतक हंै। हम इन खतरों से अपना बचाव अन्य राज्यों पर अपनी सैन्य श्रेष्ठता मंे बढोतरी करके नहीं कर सकते। आतंकवाद के द्धखलाफ युि में अंतराणष्टर्ीय सहयोग और व्यापक अंतरराष्टर्ीय लनरीक्षर् की आवश्यकता है। यह द्धथिलत सुलनलश्चत करने के ललए, संयुि राज्य अमेररका को एकतरफा आलधपत्य त्यागना चालहए और दुलनया को कानून के उल्लंघन से बचाने के ललए एक बहुपक्षीय समझौते का नेता बनना चालहए। शीत युि खि हो गया है, इसललए एक महाशद्धि की धारर्ा एक स्वतंि लवश्व की धारर्ा के समान नहीं रह गई है।”1 हालांलक, परमार्ु हलियारों का वैलश्वक खतरा और पृथ्वी पर सभी जीवन को बार-बार नष्ट् करने की उनकी अभूतपूवण क्षमता काफी स्पष्ट् है, लफर भी, कु छ राष्टर् उनके नए आलवष्कार करने में जुटे हुए हैं, खासकर पलश्चम और पूवण के देशों में इनके और भी भयानक प्रलतरूपों की खोज लगातार जारी है। स्मरर् हेतु पयाणि है लक, इकीसवीं सदी की शुरुआत में ४४ लवकलसत देश परमार्ु हलियार उत्पादन की तकनीक में महारत हालसल कर चुके हंै।2 लकसी भी समय हुई िोड़ी सी चूक एक भयानक वैलश्वक तबाही का कारर् बन सकती है, जो धरती पर लोगों के जीवन के ललए एक घातक खतरा हो सकता है। महान शद्धियों के द्वारा संयुि सैन्य अभ्यास, परमार्ु हलियारों के उत्पादन और दुलनया के कु छ देशों द्वारा परमार्ु हलियार परीक्षर्, वैलश्वक हलियारों के खतरे को और बढाते हैं, बदलते हुए लवश्व व्यवथिा को कमजोर करते हंै और सामूलहक लवनाश के नवीनतम हलियारों को अपने अलधकार मंे रखने की प्रवृलत को बढाते हैं। इसश्वलए, हमारी राय मंे, िीसरी सहस्राब्दी की शुरुआि में मानवजाश्वि के श्वलए पश्ववत् कायों में से एक कायव है धरिी क नए श्ववि युि ं ििा परमाणु, पयाववरण और जनसांद्धख्यकीय आपदाओं की घटनाओं से और साि 1 Ibid. – p. 210-211. 2 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 130. 11

ही अंिरराष्ट्र ीय अपराध ,ं आिंकवादी गश्विश्ववश्वधय ं के श्ववस्तार, ििा चरमपंिी गश्विश्ववश्वधय ं एवं अन्य भयानक वैश्विक खिर ं से बचाना। इक्कीसवीं सदी की शुरुआत मंे अपेक्षाकृ त एक और स्पष्ट् वैलश्वक खतरा, जो घलनष्ठ और अलंघनीय रूप से उल्लेद्धखत प्रलक्याओं से जुड़ा हुआ है, वह है बढी हुई प्रलतस्पधाण और भूराजनीलतक लहतों का टकराव जो लनरं तर नए अिण प्रस्तुत कर रहा है। हालांलक कच्चे माल के ललए संघर्षण तिा अंतरराज्यीय और अंतरराष्टर्ीय संबंधों के मामलों मंे एक लंबे समय से आलधपत्य थिालपत करने की इच्छा लनलहत रही है, परन्तु २१वीं सदी की शुरुआत में, लवशेर्ष रूप से तेजी से कम हो रहे प्राकृ लतक संसाधनों की द्धथिलत मंे, राजनीलतक और तीव्र आलिणक प्रलतयोलगता मंे वृद्धि, लगभग असीलमत तकनीकी और प्रद्योगी की प्रगलत, साि ही रर्नीलतक संसाधनों के कब्जे के ललए प्रलतस्पधाण, और जीवनप्रद महत्वपूर्ण क्षेि और महत्वपूर्ण आलिणक क्षेि पर लनयंिर् थिालपत करने के ललए संघर्षण मंे तेजी जोरों पर है। यह प्रलतयोलगता लवशेर्ष रूप से मध्य पूवण और मध्य एलशया के क्षेिों के आसपास तीव्र है, जो हाल के वर्षों में लवश्व पर आलधपत्य की आकांक्षा रखने वाली शद्धियों के भूराजनीलतक और भूथिैलतक प्रलतद्वंलद्वता का कंे ि बन गए हैं। यह लकसी के ललए रहस्य नहीं है लक कच्चे माल, ईंधन, ऊजाण संसाधन और खलनज संसाधनों का भंडार अिणव्यवथिा के लवकास और राज्य की औद्योलगक और सामररक क्षमता को लवकलसत करने के मुख्य कारकों मंे से एक है। आज, लवज्ञान की नई शाखाएाँ , प्रौद्योलगकी और उद्योग का लवकास, लबजली और लवमानन, परमार्ु ऊजाण, रसायन, सैन्य और उद्योग के अन्य क्षेि मुख्य रूप से कच्चे माल, हिी धातुओ,ं ऊजाण संसाधनो,ं दुलणभ शुक्ष्म तत्व और प्राकृ लतक कच्चे माल पर लनभणर करते हैं। लवशेर्षज्ञों के अध्ययनों के अनुसार, तीसरी सहस्राब्दी की शुरुआत में, वैलश्वक ऊजाण खपत को लमलाकर तीसरी सहस्राब्दी की शुरुआत में तेल की लहस्सेदारी - ३९.५%, कोयला - २४.३%, प्राकृ लतक गैस - २२.१%, लबजली संयंि - ६.९% और परमार्ु ऊजाण संयंिों की लहस्सेदारी - ६.३% िी।1 इस सम्बन्ध में, लगातार घटते उपयोगी खलनज भंडार की द्धथिलत में सामररक कच्चे माल और ऊजाण संसाधनों के कब्जे के ललए स्पष्ट् या अस्पष्ट् संघर्षण बढ रहा है। लवशेर्ष रूप से आज की दुलनया में तेल और गैस के स्रोतों का वैलश्वक महत्व है, इसललए महाशद्धियां पृथ्वी पर उपलि अंलतम ईंधन संसाधनों 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 105. 12

पर कब्ज़ा या लनयंिर् करना चाहती हंै। आज, कोई भी अन्य औद्योलगक कच्चा माल लवश्व बाजार मंे तेल की तुलना मंे इस तरह के घोटालों और भयंकर प्रलतस्पधाण का कारर् नहीं बना, इसललए मुनाफे की चाहत और महाशद्धियों के लहतों का टकराव भी अपनी अलधकतम सीमा पर पहुंच गया है। उनीस्वी सदी के अंत तक, लोगों के ललए इस लचपलचपे, बुरे महक वाले तरल पदािण का कोई महत्व नहीं िा, यहााँ तक लक वे कल्पना तक भी नहीं कर सकते िे लक लनकट भलवष्य में तेल, महाशद्धियों और बड़े बहुराष्टर्ीय लनगमों के बीच शिुता, लचंता और प्रलतस्पधाण के उद्भव का कारर् बनेगा। बीसवीं सदी की शुरुआत में पेटर ोललयम उत्पादों से चलने वाले इंजन और यंिों का आलवष्कार हुआ, तेल शोधन की आवश्यकताओं मंे नाटकीय रूप से वृद्धि हुई और कु छ ही समय मंे यह अत्यलधक लाभकारी उद्योगों मंे से एक बन गया। इस तरह तेल उत्पादों की खपत के लवस्तार और डीजल, जेट ईंधन और साि ही लचकनाई वाले तेल की बढती मांग के कारर् ईंधन और ऊजाण संसाधनों के महत्व की वैलश्वक स्तर पर वृद्धि हुई। अके ले लद्वतीय लवश्व युि के समय, सैन्य अलभयानों के दौरान उनकी लगभग आधी जरूरतंे तेल, ईंधन और अन्य ऊजाण उत्पादों की िी, लजसकी बदौलत बहुराष्टर्ीय लनगमों को उनकी लबक्ी से भारी मुनाफा हुआ। तुलना करने के ललए हम देख सकते हैं लक लद्वतीय लवश्व युि के बाद के वर्षों मंे तेल के एक बैरल की कीमत २ डॉलर के बराबर िी, वहीं १९८० के दशक में यह ३२-३८ डॉलर िी,1 और २००५ तक यह ६५-७० डॉलर तक पहुंच गई, जो इस आवश्यक औद्योलगक उत्पाद की बढती मांग को इंलगत करता है, और जो एक महत्वपूर्ण सामररक सामग्री के रूप मंे उभरा है। हालाँालक, प्राकृ लतक संसाधन और भूलमगत भंडार, अपनी प्रचुरता के बावजूद, लगातार लसकु ड़ रहे हंै, जो वैलश्वक राजनीलतक प्रलक्याओं को प्रलतकू ल रूप से प्रभालवत और पूरे लवश्व में नए वैलश्वक खतरे पैदा करते हैं। वैज्ञालनकों और शोधकताणओं द्वारा संचाललत लवश्लेर्षर्ों के अनुसार, इकीसवीं सदी के आने वाले दशकों मंे दुलनया के कु छ दुलणभ खलनजों और औद्योलगक कच्चे मालों का भंडार समाि हो जाएगा, लजसकी वजह से भूराजनीलतक टकराव और साि ही क्षेिीय और वैलश्वक लवरोधाभास और भी उग्र होगा। लवशेर्षज्ञों के अनुसार, जस्ता 1 H. Winkler. World Resources. – M., 1986, p. 242. 13

के लवश्व भंडार १० साल, तांबे के १५ साल और तेल के ३५-४० साल मंे समाि हो जायेंगे, इसललए ये सभी महत्वपूर्ण रर्नीलतक और सामररक सामग्री माने जाते हंै। इसके अलतररि, तेल, दुलणभ खलनजो,ं यूरे लनयम भण्डारों और अन्य सामररक प्राकृ लतक संसाधनों और कच्चे माल के मुख्य स्रोतों पर कब्जे के संघर्षण मंे महाशद्धियों की गहन प्रलतद्वंलद्वता धीरे -धीरे गंभीर वैलश्वक युिों को जन्म दे सकती है। यह कोई रहस्य नहीं है लक दो लवश्व युिों का मुख्य और अंलतम लक्ष्य, अंतरराष्टर्ीय बाजारों और खलनजों के समृि स्रोतो,ं लवशेर्ष रूप से तेल भंडार और ऊजाण के कच्चे माल, का पुनलवणतरर् िा। नतीजतन, प्रिम लवश्व युि की बड़े पैमाने पर लड़ाई ओटोमन साम्राज्य का लवशाल क्षेि और तुकण तक सीलमत िी, इसललए मध्यम और मध्य पूवण - तेल का मुख्य वैलश्वक स्रोि - पलश्चमी देशों तिा बड़े अंतरराष्टर्ीय लनगमों के लनयंिर् या संरक्षर् मंे आ गए। तत्कालीन लब्रलटश लवदेश सलचव लाडण कजणन की काव्य अलभव्यद्धि के अनुसार, \"सहयोगी दल तेल की लहरों पर जीत के ललए रवाना हुए।\"1 इन युिों के बाद, दुलनया का भौगोललक मानलचि भी मौललक रूप से बदल गया: दजणनों स्वतंि और अधण-स्वतंि राज्य पृथ्वी पर प्रकट हुए और दो लवश्व राजनीलतक व्यवथिाएँा बनी।ं तख्तापलट के कारर् बीसवीं सदी के शुरुआती पररवतणन और नई दुलनया की क्ांलतयों ने सिा और एकमाि श्रेष्ठता हालसल करने के ललए की अपूरर्ीय संघर्षण को और भी अलधक तेज़ लकया, लजस ने मानवजलत के भलवष्य के ललए भयानक खतरे पैदा कर लदए। हमारे ग्रह पर तेल और ऊजाण संसाधनों का मुख्य भंडार आज भी मध्य पूवण मंे द्धथित है, लवशेर्ष रूप से फारस की खाड़ी में, साि ही कै द्धस्पयन सागर और कॅ रीलबयाई सागर की घालटयों मंे भी, जहां लवश्व के लगभग सिर प्रलतशत तेल के भण्डार कें लित हंै। ऐसा कहना गलत नहीं होगा लक सभी लवकलसत देशों में, के वल अमेररका ही अपने उद्योग की जरूरतों को स्वयं के तेल भंडारों से पूरा कर सकता है। अन्य पलश्चमी देश अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के ललए मुख्य रूप से मध्य और मध्य पूवण एवं फारस की खाड़ी के देशों पर लनभणर करते हंै। 1 H. Winkler. World Resources. – M., 1986, p. 240. 14

लवशेर्षज्ञों के अनुसार, खाड़ी के यह देश कच्चे तेल के बहुत बड़े और अत्यलधक उत्पादक हैं: यहाँा एक कु आाँ प्रलतलदन औसतन ७०० से १३०० टन कच्चा तेल लनकालता है, जबलक संयुि राज्य अमेररका मंे वैसा ही एक कु आं के वल ४ टन कच्चा तेल लनकालता है। इसके अलतररि फारस की खाड़ी मंे खनन लकये एक टन कच्चे तेल की लागत, सभी उत्पादन तिा पररवहन लागतों को संलग्न करते हुए, संयुि राज्य अमेररका मंे उत्पालदत तेल की तुलना में सात गुना कम है।1 इसललए, मध्य और मध्य पूवण के देशों में तेल के उत्पादन और लबक्ी से बहुराष्टर्ीय संगठनों को अंतरराष्टर्ीय मुिा में इतनी आमदनी होती है जो अन्य उद्योगों मंे पूरी तरह से असंभव हैं।2 वैलश्वक तेल भंडार की कम होने की प्रलक्या, तेल उत्पादों या ईंधन की कमी, लवश्व के उद्योगों की वैलश्वक प्रर्ाली तिा लवशेर्ष उद्योगों की द्धथिलत को कमजोर कर रही है, लजसके फलस्वरूप सामान्य तौर पर पृथ्वी पर जीवन की लय का धीमा होना खतरे की घंटी है। लपछली सदी के नब्बे के दशक से, वैश्वीकरर् और सूचना लवलनमय के सावणभौलमकरर् के कारर् लवश्व अिणव्यवथिा प्राकृ लतक संसाधनो,ं औद्योलगक कच्चे माल और वैलश्वक बाजारों की खोज को तेज करते हुए अपने लवकास के एक राह पर चल पड़ी है, लजसके कारर्, वैलश्वक राजनीलत का वैलश्वक अिणव्यवथिा से संबंध और भी गहरा हो गया है, जो पंूजी की शद्धि के लहतों और लवकास के ऊपर ध्यान कें लित करता है। लवश्व राजनीलतक प्रलक्या और भूराजनीलतक पररवतणनों से प्रभालवत होने के बाद, सबसे पहले तो, अिणव्यवथिा के वैश्वीकरर् ने प्राकृ लतक संपदा, कच्चे माल के भंडार और लवश्व बाजारों मंे प्रलतस्पधाण की सीमा को और अलधक बढा लदया है। वैलश्वक लनगमों और बहुराष्टर्ीय कं पलनयों का प्रभाव बढ रहा है, जो अपने स्वािों और लक्ष्यों की खालतर सभी राष्टर्ों और सभी क्षेिों में अपनी पंूजी बढाने की संभावना तलाशते रहते हैं। वे उन राष्टर्ों या राज्यों को मुसीबतो,ं अशांलत और अव्यवथिा की खाई में डाल देते हंै, जो उनके साि सम्बन्ध और सहयोग थिालपत करने से बचते हैं, या लफर उनके अनुलचत दावों को अस्वीकार करते हंै। उनके संचार और खुलफया संजाल के पास दुश्मनी भड़काने का समृि अनुभव है। ऐसे 1 Ibid. 2 Ibid. 15

देशों और राज्यों के गुि खुलफया संगठन और अंतरराष्टर्ीय कम्पलनयाँा तिा समाज के अंदर और बाहर के अन्य कानूनी और लविीय संथिान असहयोगी देशों मंे अशांलत आयोलजत करते हैं। यहााँ प्रलसि लवशेर्षज्ञ ए. ई. उटलकन की लटपण्णी है: \"अंतरराष्टर्ीय लनगमों और गैर-सरकारी संगठनों ने कम लवकलसत देशों की आबादी पर अभूतपूवण सहजता और शद्धि के साि राष्टर्ीय सीमाओं को पार कर बल का प्रयोग शुरू कर लदया है, तालक न तो राष्टर्ीय सरकारें और न ही थिानीय अलधकारी बढती हुई लनभणरता से उत्पन्न समस्याओं का सामना कर सकें । पूंजीपलत, मानो, अपनी राष्टर्ीयता \"भूलते\" हुए, उन क्षेिों में भारी मािा मंे भाग ले रहा है, जहां द्धथिरता और उच्च श्रम दक्षता के कारर् अलधकतम लाभ प्राि होता है। जैसे लक बंैक, टर ि कं पलनयाँा, औद्योलगक कं पलनयाँा, अपने राष्टर्ीय सरकारों की दायरे से बाहर आ गयी हो,ं और अपनी नई अलधगृहीत स्वतंिता के पररर्ामस्वरूप, पंूजी का प्रवाह एक प्रकार की आिलनभणर प्रलक्या बन गया हो।”1 नई सदी की शुरुआत में, वैलश्वक अिणव्यवथिा एकल लनकाय या संथिा का रूप ले चुकी है, और दुलनया का कोई भी छोटा या बड़ा देश अपने आप को इस प्रलक्या से अलग नहीं रख सकता है। वैलश्वक बाजार मंे प्रलतस्पधाण मंे बढोतरी और अंतरराष्टर्ीय संगठनों की भूलमगत खलनजों एवं कु ओं तिा छोटे-बड़े देशों की अिणव्यवथिाओं पर कब्जा करने की इच्छा वैश्वीकरर् में तेजी ला रही है और अंतरराष्टर्ीय लविीय और वालर्द्धज्यक संथिानो,ं अग्रर्ी बंैकों और अन्य सहायक अंतराणष्टर्ीय संगठनों की शद्धि को मजबूत कर रही है। अिणव्यवथिा के वैश्वीकरर् के सलक्य प्रवतणकों मंे से एक, जॉजण सोरोस के अनुसार, “अंतराणष्टर्ीय व्यापार और वैलश्वक लविीय बाजारों का समिणन करने वाले संथिान अपेक्षाकृ त मजबूत हैं। उनमे सुधार की जरूरत है, क्ोलं क वे अमीर देशों के लहतों में काम करते हैं। वास्तव में उन के प्रबंधन को गरीब देशों की हालन का ध्यान रखना चालहए।”2 लवश्व संसाधनों के अनुलचत आवंटन का खतरा और दुलनया के लवकलसत और लपछड़े देशों की असमान आय, लजसके पररर्ामस्वरूप मुख्य रूप से लनम्न 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 39. 2 J. Soros. About globalization. – M., 2004, p. 27. 16

जीवन स्तर और सामालजक चेतना, हम चाहे या न चाहे, लवलभन्न प्रकार के संघर्षों और लवरोधाभासों को उत्पन्न करता है। यलद पररयों की कहानी के एक चररि करुर्ा के पास ७० शुि सोने की सन्दू कें होतीं तो लफर नव राजकु मारों - हमारे समय के पंूजीपलत - को अिाह धन और संपलि का कोई लेखा जोखा नहीं रखना पड़ता। लवश्व की संपलि, मुख्य रूप से दुलनया के लवकलसत और औद्योलगक देशों मंे लगातार थिान्तररत और कु छ मुट्ठी भर पूंजीपलतयों के हािों मंे कंे लित हो रही है। कु छ सबसे अमीर अरबपलतयों के हाि मंे, एलशया और अफ्रीका के दजणनों देशों की राष्टर्ीय आय से अलधक धन कें लित है। एक मोटे अनुमान के अनुसार, लवश्व के पूंजीपलतयों के एक छोटे से कू चे की कु ल संपलि, ३१ खरब अमेररकी डॉलर से अलधक है, जो लक लवश्व की संपूर्ण संपलि का एक चौिाई लहस्सा है।1 संयुि राष्टर् के अनुसार, नई सदी की शुरुआत में, दुलनया की आबादी का पांचवां लहस्सा या दुलनया के बीस प्रलतशत पूंजीपलतयों के लनयंिर् में वैलश्वक घरे लू उत्पाद का ८६ प्रलतशत, सभी वैलश्वक लनवेशों का ६८ प्रलतशत और सभी संचार सुलवधाओं का ७४ प्रलतशत िा; और, दुलनया के लपछड़े देशों मंे बीस प्रलतशत आबादी के लनयंिर् मंे वैलश्वक घरे लू उत्पाद का के वल १ प्रलतशत, लनवेश का १ प्रलतशत से भी कम और संचार सुलवधाओं का आधा प्रलतशत। लवश्व के के वल तीन प्रमुख पूंजीपलतयों की वालर्षणक आय, आधुलनक दुलनया के ३६ लपछड़े देशों मंे रहने वाले ६० करोड़ लोगों की कु ल आय से भी कई गुना अलधक है।2 इसी बीच लपछले १५ वर्षों मंे, संयुि राष्टर् के लवश्लेर्षर् के अनुसार, १०० लवकासशील देशों मंे से ६० देशों की आय में वृद्धि नहीं हुई है, बद्धि ठीक इसके लवपरीत, घट रही है। इसके अलावा, दुलनया की लगभग आधी आबादी, यानी, धरती पर लगभग ३ अरब लोग, आधे-भूखे या पुरे भूखे अद्धस्तत्व का लनवणहन कर रहें हैं। संयुि राष्टर् के लवशेर्षज्ञों के अनुसार, वलर्णत ३ अरब लोगों मंे से, लगभग १.२ अरब लोग पोर्षर् की कमी के कारर् एनीलमया और अन्य बीमाररयों से 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 101. 2 Utkin A.I. Ibid. – p. 102 17

पीलड़त हंै। उदाहरर् के तौर पर, भारत में ५३ प्रलतशत आबादी भूख से मर रही है, बांग्लादेश में ५६ प्रलतशत, इलियोलपया में ४८ प्रलतशत, इत्यालद।1 यहां यह उल्लेखनीय है लक पलश्चम के लवकलसत देशों मंे १.२ अरब लोग खाद्य उत्पादों की अत्यलधक खपत के कारर् मोटापे से पीलड़त हंै। अके ले संयुि राज्य अमेररका मंे, इन बीमाररयों के इलाज की खोज के ललए सालाना १०० अरब अमरीकी डालर से अलधक खचण लकया जाता है। अमेररका और यूरोप का प्रत्येक दू सरा लनवासी (उदाहरर् के ललए, इंगलंैड में - ५१%, जमणनी मंे - ५०%) अत्यलधक भोजन करने और मोटापे के पररर्ामस्वरूप अलधक वजन की लबमारी से पीलड़त है।2 स्मरर् रहे, हमारी धरती पर, अफगालनस्तान, पालकस्तान, बांग्लादेश और नेपाल सलहत दुलनया के २३ देशों मंे आधे से अलधक वयस्क आबादी न तो पढ सकती है और न ही ललख सकती है, और लगभग १५ करोड़ बच्चे स्कू ल नहीं जाते हंै। इसका मुख्य कारर् लपछड़ापन और लनम्न जीवन स्तर है, क्ोलं क संयुि राष्टर् के अनुसार, अभी भी १.३ अरब से अलधक लोगों की दैलनक आय एक डॉलर से कम है।3 इसके अलतररि, लनम्न जीवन स्तर और सामालजक असमानता जैसे कारक पृथ्वी पर जनसंख्या लवस्फोट का खतरा उत्पन्न करते हंै। जनसांद्धख्यकीय अध्ययन के अनुसार, १५०० ईस्वी मंे, दुलनया मंे मनुष्यों की आबादी लगभग ४५ करोड़ िी, और ३०० साल बाद, अिाणत १८०० ईस्वी में, यह आबादी १ अरब तक पहुंच गई। १२१ वर्षों के बाद, मनुष्यों की संख्या दोगुनी हो गई, यानी एक अरब से दो अरब। इसका १९२६ ईस्वी में संज्ञान ललया गया िा। ३ अरब के लनशान तक पहुंचने के ललए मनुष्यों को ३४ साल लगे, यानी १९६० ईस्वी मंे मनुष्यों की संख्या ३ अरब िी। ४, ५ और ६ अरब के लनशान प्रत्येक क्मशः १४, १३ और १२ साल बाद पहुंच गए। १९९९ में, दुलनया मंे मनुष्यों की आबादी 1 Ibid. 2 Ibid. – p. 103. 3 Ibid. – p. 104. 18

६ अरब िी, और पांच साल के बाद, आधे अरब की वृद्धि के साि लोगों की संख्या ६.५ अरब तक पहुंच गई।1 जमणन वैज्ञालनक ओटो रूहले के अध्ययन के अनुसार, दुलनया मंे प्रलत लदन औसतन २७५ हजार बच्चे जन्म लेते हैं, और १६५ हजार लोग मरते हंै। वैलश्वक जनसंख्या मंे धीरे -धीरे वृद्धि नई वैलश्वक समस्याएं पैदा कर रही है; भलवष्य में रहने की जगह कम हो सकती है; खाद्य पदािों एवं पीने योग्य पानी तिा नौकररयों की कमी, और आवास खचण, पररवहन और औद्योलगक कचरे से वायु प्रदू र्षर् और शहरीकरर् मंे बढोतरी से जुड़ी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा है। संयुि राष्टर् के लवशेर्षज्ञों के अनुसार, दुलनया की कु ल आबादी को अके ले लसफण गेहं प्रदान करने के ललए, २०२० तक इसके उत्पादन मंे ४० प्रलतशत की वृद्धि होनी चालहए, अन्यिा ५ साल से कम उम्र के १३.५ करोड़ बच्चों को भूख का खतरा होगा। इसी के साि, जनसंख्या लवस्फोट के पररर्ामस्वरूप, दुलनया के लपछड़े देशों के लोगों का लवकलसत देशों की तरफ प्रवास बढ रहा है, जो नई सामालजक और आलिणक समस्याएं पैदा करता है। जनसंख्या वृद्धि मुख्य रूप से लपछड़े देशों मंे हो रही है, जहां गरीबो,ं बेरोजगारों और कम आय वाले लोगों की संख्या लगातार बढ रही है। लवशेर्ष रूप से तीव्र जनसंख्या वृद्धि इस्लामी देशों मंे देखी जा रही है। अगर सन् १९०० में दुलनया की कु ल आबादी में मुसलमानों की कु ल संख्या ४.२ प्रलतशत िी, तो वहीं सन् १९९५ में यह आंकड़ा १५.९ प्रलतशत तक पहुंच गया िा। जनसांद्धख्यकी के पूवाणनुमान के अनुसार, २०२५ मंे धरती पर मुसलमानों की कु ल संख्या दुलनया की आबादी का १९.२ प्रलतशत हो जाएगी। ठीक इसी समय, पलश्चम देशों की आबादी, पररवार की नीवं के कमजोर होने, पलत- पत्नी के बीच प्रबल होते अलगाव की भावना, साि ही साि कच्ची उम्र में संभोग के कारर्, धीरे -धीरे कम हो रही है, और, लवशेर्षज्ञों के अनुसार, पलश्चम देशों में सन् २०२५ 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 113-117. The advent of the hijab in Europe.// “Literaturnaya gazeta” (Literary newspaper). April 20-26, 2005, №16, p. 11. 19

मंे धरती की पूरी आबादी के वतणमान १३ प्रलतशत से घटकर माि १० प्रलतशत तक रह जायेगी।1 \"इस्लालमक सोसायटी ऑफ नॉिण अमेररका\" के अनुसार, सन् २००० में अमेररका मंे लगभग ७० लाख से १ करोड़ मुसलमान रहते िे, वहीं इंग्लैंड में लगभग ५० लाख, फ्रांस में लगभग ३० लाख और रूस में लगभग २.५ करोड़, और हर साल यह आंकड़ा धीरे -धीरे बढ रहा है। ऐसा कहा जा रहा है, पलश्चम के अलधकांश लवकलसत देशों में मुसलमानों की सामालजक द्धथिलत का लवकास लकसी भी तरह से राष्टर्ीय सुरक्षा लहतों के अनुकू ल नहीं है, और यह द्धथिलत संघर्षण, भेदभाव और धालमणक और सांस्कृ लतक लवरोधाभास की ओर ले जाती है। संभवतः , इन्ही लवरोधाभासों को ध्यान में रखते हुए, पलश्चमी देशों के कु छ राजनेता नई सदी मंे लवश्व सभ्यताओं के टकराव की भलवष्यवार्ी करते हंै। लवश्व प्रलसि राजनीलतक वैज्ञालनक एवं हावणडण यूलनवलसणटी ररसचण इंिीट्यूट के लनदेशक सैमुअल हंलटंगटन के अनुसार, सभ्यताओं का टकराव लवश्व राजनीलत के मुख्य घटक के रूप में पररवलतणत हो सकता है, और हो सकता है लक भलवष्य मंे अपनी मोचाणबंदी करते हुए सभ्यताओं के बीच लवभाजन हो जाये। उनकी पररकल्पना के अनुसार, अतीत में राजाओ,ं सम्राटों और लनरपेक्ष शासकों के बीच लवरोधाभास और संघर्षण मुख्य रूप से नौकरशाही तंि, सेना की ताकत और देश की आलिणक क्षमता को मजबूत करने और नए क्षेिों को अपने क्षेिों मंे शालमल करने के साि जुड़े िे। राष्टर्ों और राज्यों के बीच ये झड़पें उनके इन्हीं लवरोधाभासों तक सीलमत रहतीं िी, जो लसललसला सही मायने मंे प्रिम लवश्व युि के प्रारम्भ होने तक चलता रहा। हालाँालक, रूस में क्ांलत की जीत और समाजवादी व्यवथिा के आगमन के बाद, राष्टर्ीयता की जगह वैचाररक अंतलवणरोधों ने ले ली, यालन के साम्यवादी समाज और उदार लोकतंि की प्रर्ाली के बीच टकराव आ गया। शीत युि के दौरान, ये लवरोधाभास दो महाशद्धियों के बीच एक अपूरर्ीय संघर्षण में बदल गया, लजसने राष्टर्ीय प्रािलमकताओं तक की परवाह नहीं की। शीत युि की समाद्धि के बाद, लवश्व राजनीलत में यह टकराव समाि हो गया, और इसकी जगह पलश्चमी सभ्यता और गैर-पलश्चमी सभ्यताओं के बीच अंतलवणरोधों ने लेली, लजसने भलवष्य की सैन्य नीलत की लदशा में पररवतणन, दुलनया 1 Utkin A.I. World order of the XXI century. – M., 2001, p. 117. 20

की महान सभ्यताओ,ं लवशेर्ष रूप से ईसाई और इस्लामी सभ्यताओ,ं के बीच कड़े लवरोधाभासों को उत्पन्न लकया।1 यह प्रलसि राजनीलतक वैज्ञालनक दुलनया में हो रही क्ांलतयो,ं पररवतणनो,ं और संघर्षों की वतणमान प्रलक्या को सभ्यताओं का टकराव और संक्मर् का नाम देते हुए लवश्व राजनीलत के एक नए प्रलतरूप के गठन की भलवष्यवार्ी करता है लक: \"मेरा मानना है लक उभरती हुई दुलनया में, संघर्षण का मुख्य कारर् अब लवचारधारा नही,ं बद्धि अिणव्यवथिा होगा। मनुष्यों के बीच संघर्षण के प्रबल स्रोिों को लवभालजत करने वाली सबसे महत्वपूर्ण सीमाएँा संस्कृ लतयों द्वारा लनधाणररत की जाएँा गी। राष्टर् - राज्य, अंतराणष्टर्ीय मामलों मंे नायक बने रहेंगे, पर सबसे महत्वपूर्ण वैलश्वक राजलनलतक संघर्षण राष्टर्ों और लवलभन्न सभ्यताओं से संबंलधत समूहों के बीच प्रकट होगा। सभ्यताओं का टकराव लवश्व राजनीलत में प्रमुख कारक बन जाएगा। सभ्यताओं के बीच दरार की रे खाएाँ - भलवष्य के मोचों की रे खाएाँ हैं।”2 वास्तव में, हाल के दशकों में सभ्यताओं के टकराव और इस्लामी आतंकवाद के खतरे के बारे में बहुत सारी बातंे चल रही हंै। हम बार-बार कहते हंै और लफर से दोहराते हैं लक, अंतराणष्टर्ीय आतंकवाद और चरमपंिी हमले, लकसी लवशेर्ष धमण या राष्टर् और साि ही साि पलश्चमी तिा पूवी सभ्यताओं के टकराव, से संबंलधत नहीं हंै। उन घटनाओं का मुख्य कारर् गरीबी, लनम्न जीवन स्तर, अलशक्षा और जागरूकता की कमी, सामालजक अन्याय, समाज मंे कट्टरता, लवश्व संस्कृ लत से अलगाव और प्रबुिता, नागररक एवं सामालजक संथिानों की कमजोररयां आलद हंै। दुलनया के लकसी लवशेर्ष क्षेि मंे लकसी खास समूहों का खतरनाक लवनाशकारी शद्धि में पररवलतणत होना, उनकी उत्पलि और गठन लकसी भी तरह से उनकी राष्टर्ीयता, भार्षा, रीलत-ररवाज, धमण या आथिा से जुड़ा हुआ नहीं है। अन्यिा, कौन सा तत्त्व चरमपंिी समूहों जैसे अल-कायदा और लहज़बुल्लाह, पलश्चम देशों में नव- फासीवादी संगठन और अफ्रीका और लेलतन अमेररका के लवलभन्न संगठनों को आतंकवादी गलतलवलधयां, तोड़फोड़, हत्या, भयानक हत्या और अमानवीय अपराधों के ललए उकसाता है। उन संगठनों के सामालजक चररि में कु छ भी समान नहीं है; न ही संस्कृ लत और सभ्यता मंे, न ही धमण और आथिा में, न ही रीलत-ररवाजों में, और न ही उनकी राष्टर्ीयता या भार्षा मंे कोई समानता है। 1 Huntington S. Clash of Civilizations. // “Polis”. – 1994, №1, p. 33-34. 2 Ibid. – p. 33. 21

जानबूझकर लकसी व्यद्धि लवशेर्ष को अन्याय देने के इरादे से दुलनया में अशांलत फै लाने का आरोप इस्लाम पर डालने और ईसाई तिा इस्लामी सभ्यताओं के बीच टकराव पैदा करने से मानवता को गंभीर और दुखद पररर्ामों के खतरे मंे धके लना है। यह मेरा दृढ लवश्वास है लक अलतवाद, आतंकवाद और कट्टरपंि को लकसी भी धमण, लजसमंे लवख्यात धमण इस्लाम भी सम्मललत है, के साि जोड़ना लबिु ल अस्वीकायण है। इसके अलावा, इन गलतलवलधयों के लक्ष्य, अन्तवणस्तु और कमण मौललक रूप से इस्लाम सलहत सभी धमों की भावना और उच्च मानवीय तत्व के लवपरीत हैं। मेरी राय में, आतंकवादी का कोई राष्टर्, कोई लवश्वास, कोई मातृभूलम नहीं होती। वह सवणशद्धिमान और उसकी रचना का दुश्मन है। इसके साि ही अगर हम वास्तव मंे भलवष्य की पीलढयों को लवश्वसनीयता और अच्छी आपसी समझ के माहौल मंे जीने देना चाहते हंै, तो हमंे सभ्यताओं का एक-दू सरे से लवरोध करना बंद कर देना चालहए। लोगों को पूवी और पलश्चमी, काले और सफे द, एलशयाई और यूरोपीय, मुसलमानों और ईसाइयों मंे लवभालजत नहीं करना चालहए और अपनी सभ्यताओं को एक महान मानव समुदाय के अलभन्न अंग मानना चालहए। इस्लाम मूलतः और साि ही ईसाई धमण, बौि धमण, यहदी धमण, पारसी धमण और अन्य लवश्व धमों की तरह ही मानव सभ्यता की एक बड़ी उपलद्धि है। इसललए, हमें आतंकवाद और अलतवाद से राजनीलतक और धालमगक मुखौटे को तोड़ना, तिा कु छ लोगों के राजनीलतक लक्ष्ो,ं समूह के लहतो,ं लोकतांलिक नारों और गलतफहमी की आकांक्षाओं को बेनकाब करना आवश्यक है और साि ही \"इस्लामी आतंकवाद\" और \"इस्लामी चरमपंि\" शब्ों का उपयोग करने से बचना चालहए। इसके अलावा, लोकतांलिक मूल्ों के ललए सभ्यताओं में संवाद की प्रलक्या और उन का शांलतपूर्ण अनुकू लन हमें प्रेररत करता है लक सभी धमो, लजसमें इस्लाम भी शालमल है, को आधुलनक समाज के लवकास के वतणमान स्तर के साि तालमेल रखना चालहए। इस संबंध मंे, मानवजालत को ऐसे वास्तलवक और अलत महत्वपूर्ण लवर्षयों पर काम करना होगा, जैसे लक समाज के प्रबुिता के स्तर को उठाना, लवशेर्ष रूप से युवा लोगों का, दुलनया के लवलभन्न लोगों और देशों की संस्कृ लतयों के साि खुद को पररलचत करना, उनके बीच मैिीपूर्ण संबंधों को बहाल करना, एक स्वथि जीवन शैली और उच्च नैलतक मानकों को बढावा देना, युवाओं 22

को लोगों की सम्मान की परं पराओं की भावना और लवश्व सभ्यता की उपलद्धि के ललए लशलक्षत करना। साि ही, यह याद रखना होगा लक आलिणक जीवन, सामालजक पररद्धथिलतयों और लवशेर्ष रूप से युवाओं की लवश्वदृलष्ट्, दृलष्ट्कोर् और सोच बढते मतभेद, प्रलतकू ल अंतलवणरोधों को जन्म देती है। वैश्वीकरर् के संदभण मंे, हम देखते हैं लक, यह प्रलक्या अलधक से अलधक फै ल रही है और खुद को लवलभन्न आंदोलनों के रूप में प्रकट कर रही है। अतः \"युवाओं की सावणभौलमक लशक्षा - मानव समाज के संरक्षर् और लवकास की कंु जी\" नाम से अंतराणष्टर्ीय कायणक्म को लवकलसत और कायाणद्धन्वत करना आवश्यक है, लजसमें सभी देशों की व्यावहाररक भागीदारी हो और लवशेर्ष रूप से उनकी बौद्धिक और सांस्कृ लतक क्षमताओं के साि प्रभावी और रचनािक वैलश्वक उपायों के तरीके शालमल हो।ं इस तरह के कायणक्म के कायाणन्वयन से सभ्यताओं के एक-दू सरे के प्रलत लवरोध की असंगलत का पता चलेगा और यह सालबत होगा लक वे सभी एक ही सावणभौलमक मानवजालत के ही अंग हैं। पृथ्वी पर एक सावणभौलमक सभ्यता का लनमाणर्, लजसमें आज की प्रलक्याओं और प्रवृलियों शालमल हंै, लवश्वदृलष्ट् और सावणभौलमक मूल्ों के पररवतणन का आधार होना चालहए। लकसी भी लवश्वदृलष्ट् या लवचारधारा में लवलशष्ट्ता को, अलधनायकवाद को, लवरोधाभासों को उकसाना और मानव सभ्यता के मूल्ों को अपमालनत करने का अलधकार नहीं हो सकता। सहमलत, सहयोग और साझेदारी के साि आपसी समझ थिालपत करने के ललए नए तरीके खोजना ही जीवन का लनयोग है। इसललए हमें छोटे और बड़े देशों के अनुभव से सहयोग और पारस्पररक सहायता वाली वास्तलवक मानवीय संस्कृ लत के लनमाणर् में योगदान देना चालहए। इस संबंध में, अत्यंत महत्वपूर्ण कायण है संयुि राष्टर् की प्रलतष्ठा और प्रालधकरर् को इस तरह से बढाना लक यह एक बहु-लवर्षयक संगठन के रूप मंे उभरे , जो सभी देशों के लहतों को दशाणता हो और संघर्षण और युि को रोकने के उद्देश्य से एक शांलत-प्रेमपूर्ण नीलत बनाता हो। साि ही, यूनेस्को, जो सभी देशों में लशक्षा, लवज्ञान और संस्कृ लत के संरक्षर् और लवकास के ललए लजम्मेदार है, सलहत संयुि राष्टर् संगठन की सभी संथिाओं पर तुरं त ध्यान लदया जाना चालहए। २१वीं सदी की शुरुआत में कानून के शासन, सभ्य आचरर् और उच्च आध्याद्धिकता को तत्काल उपलि कराने की आवश्यकता है। मेरी राय मंे, 23

लवचार, शब्द और कमण की स्वतंिता के ललए, समाज के सभी स्तरों पर नैलतकता का होना एक महत्वपूर्ण कारक है, जोलक \"अवेस्ता\" में लदए गए लसिांत हंै: \"अच्छे लवचार, अच्छे शब्द और अच्छे कमण।\" चूँालक हम तीन-हजार साल पुरानी पारसी नैलतकता के स्रोतों के बारे में बात कर रहे हंै, इसललए यह ध्यान लदया जाना चालहए लक इसका महत्व \"वैज्ञालनक और तकनीकी क्ांलत और अनािवादी लदमाग\" के युग मंे और भी स्पष्ट् दीखता है। इस अिण मंे, हमंे नैलतक लजम्मेदारी को हर समाज के सामालजक, राजनीलतक और सांस्कृ लतक जीवन के सभी क्षेिों से अललंगनबद करना चालहए। हमने पहले ही उल्लेख लकया है लक सूचना बाजार के लवकास और एक मुि समाज की संभावनाओं के दुरुपयोग के पररर्ामस्वरूप, आज नौजवानों के बीच नैलतक अनुदारता को बहुत आसानी से बढावा लदया जाता है। क्ा ऐसे कायणक्मों से हमारी युवा पीढी को कोई नैलतक नुकसान नहीं होता है! क्ा दुलनया के सभी राज्यों और देशों के ललए सांस्कृ लतक जानकारी का सावणभौलमक मापदंड तिा दुबणलता, लहंसा, हत्या और लनमणमता का प्रचार और प्रसार खतरनाक नहीं है! इस संबंध मंे, पेररस मंे यूनेस्को की ६०वीं वर्षणगांठ के जश्न के दौरान, मंैने प्रस्ताव लदया िा लक इस आलधकाररक लवश्व संगठन को एक स्वथि नैलतकता के गठन के तरीकों के ललए समलपणत कायणक्म लवकलसत और अनुमोलदत करना चालहए। इसके कायाणन्वयन के दौरान सावणभौलमक नैलतकता के सवोिम तत्वों को बढावा देने के ललए, पृथ्वी पर भलवष्य के वर्षों मंे से एक को \"उच्च नैलतकता का वर्षण\" घोलर्षत करना बहुत उलचत कदम होगा। वैश्वीकरर् के संदभण में, आधुलनक दुलनया नैलतकता मंे लगरावट के बढते खतरे का सामना कर रही है, जो मानवजालत के भलवष्य के ललए अपूरर्ीय क्षलत है। इसललए समय आ गया है लक बड़े देश, नए प्रकार के सैन्य हलियारों का उत्पादन करने के बजाय, स्वथि नैलतकता के शानदार भवन की मरम्मत, नई पीढी के आध्याद्धिक दुलनया की रक्षा तिा मानव समाज के सभी उच्चतम मूल्ों की रक्षा करें । इलतहास इस बात की साक्षी है लक लवश्वास, लमिता, सहयोग और अच्छी पारस्पररक समझ थिालपत करने की तुलना में अलवश्वास, शिुता, घृर्ा, लवरोधाभास और शिुता की भावनाओं को पैदा करना बहुत आसान है। 24

इसललए, प्रत्येक लजम्मेदार और शुि लवचारों वाले व्यद्धि का नैलतक कतणव्य है इलतहास के उदाहरर्ों का अध्ययन करना और शांलत, सद्भाव, लवश्वास और आपसी समझ के आधार पर हमारे घर मंे, ग्रह पृथ्वी पर एक दू सरे के साि इलतहास और सह-अद्धस्तत्व की लमसालों का एहसास करना। आज, देश और लोग परस्पर इतने जुड़े हुए हंै लक ग्रह के एक कोने मंे रहने वाले लोगों के कष्ट् अन्य क्षेिों के लोगों को खुश नहीं रहने देते। मानवजालत के पास के वल एक ग्रह है, जो आधुलनक और भलवष्य की पीलढयों के जीवन का अनन्त पालनहार है, और इसे संरलक्षत लकया जाना चालहए, जैसे आंखों के तारे के रूप मंे। उस के , जमीन और पानी के हर कर् को वैलश्वक प्रलय और आपदाओं से बचाना चालहए। इससे भी अलधक डरावना और भयानक वैलश्वक आपदा ताजे पानी की कमी होना और शाश्वत लगने वाले ग्लेलशयर का त्वररत लपघलना है, और लगातार बढते इस खतरे के प्रलत दुलनया के लकसी भी राज्य या राष्टर् को उदासीन नहीं रहना चालहए। यह देखते हुए लक कु छ दशकों मंे दुलनया की आबादी दोगुनी हो जाएगी, यह स्वाभालवक है लक भूलमगत भंडाररत और पीने के पानी के स्रोि लगातार सूखते जाएं गे, जबलक इसके लवपरीत, पीने के पानी की मांग, खपत और उत्पादन दोगुना हो जाएगी। हम इसे पसंद करें या न करें , पर, पानी की कमी से संबंलधत यह कारक हमारे ग्रह पर एक भयानक वैलश्वक खतरे के उभरने का कारर् बनेगा, और इससे पृथ्वी के एक लवशेर्ष कोने मंे जीवन के संरक्षर् या लवलुद्धि का भी प्रश्न उठता है। तालजलकस्तान की अंतराणष्टर्ीय पहलों का लक्ष्य संयुि राष्टर् २००३ को \"स्वच्छ जल का वर्षण - जल ही जीवन है\" घोलर्षत करना और उसे लक्यावन्त करवाने के ललए अंतराणष्टर्ीय दशक का प्रस्ताव, पृथ्वी के ललए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर लवश्व समुदाय का ध्यान आकलर्षणत करने तिा पानी के तकण संगत और सावधानीपूवणक उपयोग की आवश्यकता के ललए िा। आधुलनक जलटल प्रलक्याओं और अंतरराष्टर्ीय सहयोग की व्यवथिा के बारे में अपेक्षाकृ त अधूरी जागरूकता के बावजूद, तालजक लोगों ने मानवता के ललए स्वच्छ पानी पर एक महान पहल का प्रस्ताव रखा, और प्रस्तालवत तराणष्टर्ीय दशक को \"जल ही जीवन है\" कहा। इस पहल को दुलनया के १४१ देशों का समिणन लमला। इस संवेदनशील कदम को ऐसे समय में उठाया गया िा, जब हमारा देश खुद कई अनसुलझी समस्याओं से जूझ रहा िा। लेलकन हम समझते हैं लक मानवता सुलनलश्चत करने के ललए जो मुद्दा आज सबसे महत्वपूर्ण है वह है स्वच्छ 25

पीने योग्य पानी का उपलि होना। पलवि मानव कतणव्यों के प्रलत यही गहरी जागरूकता, तिा राष्टर्ीय और सावणभौलमक लहतों और आधुलनक दुलनया की जलटल प्रलक्याएं हमें महत्वपूर्ण और सबसे अलधक दबाव वाली वैलश्वक समस्याओं को हल करने मंे एक सलक्य भाग लेने के ललए प्रोत्सालहत करती है। यह कोई संयोग नहीं है लक २० अन्य मूल्वान प्रस्तावों के साि इस पहल को भी समिणन लमला और लवश्व समुदाय का ध्यान इन बहुपक्षीय सावणभौलमक सवालों की ओर आकलर्षणत हुआ। तालजक लोग, जो लनमाणर् के एक संक्मर्कालीन चरर् से गुजर रहे हैं परन्तु सैिांलतक रूप मंे, खुद पानी की उपलिता की गंभीर कलठनाइयों का सामना नहीं कर रहे हैं, उनका यह कदम मानवजालत के सम्मुख आने वाली सबसे गंभीर समस्याओं के बारे मंे हमारी उच्च लजम्मेदारी और गहरी जागरूकता की गवाही देता है। मैं मानवजालत की तत्कालीन समस्याओं को हल करने मंे इन चरर्ों का सावणभौलमक तत्व उनमें देखता हं क्ोलं क वे अच्छे लवचारों और कायों, अिाणत्, लववेक, परोपकार और सभ्य लवश्व व्यवथिा की जीत के साि लनकटता से जुड़े हुए हंै। प्रलतलष्ठत अंतरराष्टर्ीय संगठनों के सूचना स्रोतों और दस्तावेजों के अनुसार, वतणमान में दुलनया की ४० प्रलतशत से अलधक आबादी स्वच्छ पानी की कमी से जूझ रही है, और हर लदन ४,००० बच्चे इससे जुड़ी बीमाररयों से मर जाते हंै। आज लवश्व के लगभग ८० देश पीने के पानी की कमी की समस्या का सामना कर रहे हंै। मेरा मानना है लक यह सभी लोगों और राष्टर्ों का एक दुभाणग्य है लक वे इस लगातार बढते हुए मानव खतरे से खुद को अलग नहीं कर पाए, चाहे वे लवकास के उच्च या लनम्न लकसी भी स्तर पर हो।ं मैं अनौपचाररक रूप से उपन्यास \"छोटा राजकु मार\" के प्रलतभाशाली फ्रांसीसी लेखक एं टोनी डी संेट-एक्सुपरी, लजन्होनं े खुद एक सैन्य पायलट होने के नाते लद्वतीय लवश्व युि के दौरान लनजणन रे लगस्तान में पानी की कमी के कारर् प्यास के अनुभव के बारे मंे ललखा, उनके शब्दों को याद कराता हाँ: \"पानी! तुम मंे ना कोई स्वाद, ना कोई रं ग, और न ही कोई गंध है, लफर भी इसकी कल्पना करना कलठन है लक तुम्हारा स्वाद लकतना मीठा है जब तुम नहीं हो! तुम न के वल जीवन के ललए आवश्यक हो, बद्धि इसके मूल के ललए भी आवश्यक हो। तुम्हारा धन्यवाद, तुम्हारी कृ पा से सभी कृ लतयाँा अद्धस्तत्व की लमठास को महसूस करती हैं, लजसे के वल भावनाओं के द्वारा महसूस करना मुद्धिल है। ऐसा प्रतीत 26

होता है लक तुम ने एक बहुमूल् शद्धि हमंे लौटा दी है। तुम्हारी ही कृ पा से आिा के सूखे झरने लफर से खुल रहें हंै। तुम दुलनया में सबसे महान और अमूल् धन हो। इसके अलावा, पृथ्वी में तुम पलविता और ताजगी बनाए रखते हो। झरने के पास होने पर कोई मर सकता है, अगर उसमे मैग्नीलशयम का लमश्रर् होता। तो ठीक उसी तरह कोई झील से दो कदम दू र रहकर भी मर सकता है अगर वह नमकीन होता। यलद आपके पास दो लीटर ओस का पानी हो लजसमंे नमक का एक दाना भी नहीं है, तब भी आप मर सकते हैं। हालांलक तुम हमें सरल असीम खुशी देते हो।” ये अपररष्कृ त और ईमानदार शब्द सालबत करते हंै लक क्ा वास्तलवक चमत्कार हमारे जीवन में पीने का पानी है। लवश्व संसाधन संथिान के अनुसार, वतणमान मंे उपभोग के ललए उपलि स्वच्छ पानी हमारे ग्रह के संपूर्ण जल भंडार का माि एक प्रलतशत है, और लफर भी धरती की एक चौिाई आबादी पीने के पानी की कमी से जूझ रही है। यद्यलप हमारा देश स्वच्छ जल भंडार के उत्पलि के स्रोत पर द्धथित है, और मध्य एलशयाई जल स्रोतों का ६७ प्रलतशत लहस्सा है, लफर भी यह देश पृथ्वी पर स्वच्छ पानी की कमी की समस्या से अलग नहीं रह सकता है। स्वच्छ जल के लवशाल स्रोतों की उपद्धथिलत के बावजूद, हम इस तीव्र गंभीर वैलश्वक और क्षेिीय समस्या का सामना कर रहे हंै। इसललए, एकीकरर् संबंधों के ढांचे के भीतर, दुलनया के सभी देशों और प्रभावशाली अंतरराष्टर्ीय संगठनों का स्वच्छ पानी और पयाणवरर् संरक्षर् की समस्या पर ध्यान देना, मौजूदा पेयजल स्रोतों के संरक्षर्, तकण संगत उपयोग और लवलनयमन की आवश्यकता को समझना उन मुद्दों में शालमल है लजनके संयुि समाधान के ललए सामूलहक कदमों की आवश्यकता है। हाल के वर्षों में, धरती पर भूमंडलीय ऊष्मीकरर् जारी है, और तजालकस्तान को एक नए खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जो ग्लेलशयरों के लपघलने की असामान्य दर और देश के पवणतीय क्षेिों में ग्लेलशयरों के क्षेि मंे लनरं तर कमी से जुड़ा हुआ है। लपछली आधी सदी मंे देश के सबसे बड़े फे दचेन्को ग्लेलशयर के भूगभीय मानलचि और उपग्रह लचिों की तुलना करते हुए, तालजलकस्तान के वैज्ञालनकों ने लनष्कर्षण लनकाला है लक लपछले पचास वर्षों मंे, इसके जल भंडार मंे एक लतहाई की कमी आई है। यलद भूमंडलीय ऊष्मीकरर् का चलन जारी रहा, तो ग्लेलशयरों के लपघलने और पेयजल के भण्डार में कमी 27

का खतरा, मध्य एलशयाई क्षेि के सभी देशों के ललए एक गंभीर खतरा बन जाएगा। और अगर हम इसे मध्य एलशया के देशों मंे लनरं तर बढती हुई जनसंख्या और भूलम लसंचाई की समस्याओं की प्रलक्या से जोड़ते हंै, तो यह कल्पना करना मुद्धिल नहीं है लक आने वाले दशकों में आबादी को स्वच्छ पानी मुहैया कराने का मुद्दा और अलधक महत्वपूर्ण हो जायेगा। वैलश्वक समस्याओं के शोधकताण मराट ताज़लहन की आलंकाररक अलभव्यद्धि के अनुसार, आज लबन लादेन और अंतराणष्टर्ीय आतंकवाद के खतरे की तुलना मंे मध्य एलशयाई क्षेि के ललए पीने के पानी की कमी कम खतरनाक नहीं है। लपछले वर्षों के अनुभव से पता चलता है लक मध्य एलशया में पानी के लवतरर् में संतुलन हालसल करने के ललए हमें उलचत, संयुि और समद्धन्वत उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। यद्यलप तालजलकस्तान के पास इस क्षेि मंे मध्य एलशयाई जल संसाधनों और बड़ी नलदयों का एक महत्वपूर्ण लहस्सा है, तिा अच्छे पड़ोसी के लहतों को ध्यान में रखते हुए तालजलकस्तान पानी को एक सामूलहक धन मानता है। इस सन्दभण मंे तालजलकस्तान पाररद्धथिलतक तंि मंे सुधार लाने, जल संसाधनों को लवलनयलमत करने, लसंचाई और लसंचाई संजाल लवकलसत करने के साि-साि जललवद् युत उत्पादन के उद्देश्य को प्राि करने के ललए क्षेिीय सहयोग मंे लवस्तार करने की वकालत करता है। हमें नहीं भूलना चालहए लक तेल, गैस और अन्य प्राकृ लतक संसाधनों की तरह शुि पानी अमूल् और बेशकीमती है और इसके ललए उलचत और दू रदशी दृलष्ट्कोर्, सद्भावना और सहभालगता की उच्च संस्कृ लत को अंगीकार करने की आवश्यकता है। मध्य एलशयाई क्षेि के राज्यों के सामने एक और कलठनाई है और वह ऊजाण संजाल का एकीकरर्, जललवद् युत संसाधनों का तकण संगत उपभोग और हस्तांतरर् का लवलनयमन, पररवहन संजाल का लनमाणर्, सड़कों और अन्य संचार के बुलनयादी ढांचे के लनमाणर् की समस्या से संबंलधत है। संयुि सड़कों के लनमाणर् के साि, हम माल, पूंजी, श्रम आलद के मुि आवागमन के बारे मंे बात कर रहे हंै, जो लनस्संदेह सभी के लहतों में है। हालांलक, इसके लवपरीत, आधुलनक पररद्धथिलतयों मंे, कई कृ लिम बाधाएं बनी हुई हंै। इन क्षेिों में मौजूद बाधाएं और अन्य समस्याओं के समाधान के ललए, वैश्वीकरर् की प्रलक्या महत्वपूर्ण है, लजससे सामालजक-आलिणक सुरक्षा सुलनलश्चत होगी और मध्य एलशयाई राज्यों के बीच स्वथि संबंधों का लवकास होगा। इसके ललए यह आवश्यक है लक क्षेि और महाशद्धियों के राज्य एक संतुललत और रचनािक नीलत का अनुसरर् करंे जो क्षेि और लवश्व में द्धथिरता 28

और सुरक्षा के लहतों को पूरा करे । मध्य एलशया, जो लक लवश्व का एक महत्वपूर्ण भूराजनीलतक और भूथिैलतक लबंदु है, को क्षेिीय और वैलश्वक लहतों के सामंजस्य के कें ि में रहते हुए, वैलश्वक अद्धथिरता और झड़पों का अखाड़ा नहीं बनना चालहए। मानवता के इलतहास के वतणमान की कलठन अवथिा में, वैलश्वक खतरों को रोकने के नाम पर क्षेिीय और राष्टर्ीय लहतों का एक सतकण संगत और जागरूक समन्वय जीवन की अलनवायणता है। वैलश्वक प्रलक्याओं और पररवतणनों के लवर्षयों के बारे मंे गहराई से जानते हुए, हमें अपनी लप्रय मातृभूलम की द्धथिरता और प्रगलत के भले के ललए, जहां तक संभव हो सके , वैश्वीकरर् की उपलद्धियों और उसके सकारािक पहलुओं का उपयोग हमे पूरी लजम्मेदारी और दू रदलशणता के साि करने का प्रयास करना चालहए और साि ही अपने लोगो,ं देश और राष्टर्ीय संस्कृ लत को इसके नकारािक और लवनाशकारी पररर्ामों से बचाते रहना चालहए। इसके ललए सबसे महत्वपूर्ण शतण है एक अंतराणष्टर्ीय सहयोग की थिापना जो प्रमुख वैलश्वक चुनौलतयों और खतरों - आतंकवाद, उग्रवाद, तस्करी और मादक पदािों की तस्करी, अंतरराष्टर्ीय अपराध - के समाधान के उद्देश्य के साि हो। इन लवनाशकारी घटनाओं के त्वररत प्रसार से संपूर्ण मानवजालत के भलवष्य को खतरा है। लवश्व समुदाय की सफलता और जीत की कुं जी समद्धन्वत लवस्तृत रर्नीलत का लवकास और उस का कायाणन्वयन है। सन् २००० के वसंत मंे, हमने दृढता से आतंकवाद के द्धखलाफ युि के ललए एक एकीकृ त और सावणभौलमक अवधारर्ा को लवकलसत करने और अपनाने की आवश्यकता पर जोर लदया, लजसमंे, सबसे ऊपर, आतंकवाद की शतों और अवधारर्ाओ,ं इसकी लवशेर्षताओ,ं मुद्दों और लवध्वंसक कारण वाइयों की स्पष्ट् पररभार्षा, और साि ही साि इससे लनपटने के ठोस तरीके और साधन को पररभालर्षत करने की आवश्यकता का सवाल िा। यह संतोर्षजनक है लक संयुि राष्टर् सुरक्षा पररर्षद के ललए एक संदेश में और इस आलधकाररक लवश्व संगठन की ६०वीं वर्षणगांठ के अवसर पर दी गई लववरर्ी में इन लबंदुओं को अंतराणष्टर्ीय खतरों को रोकने के ललए एक प्रािलमक उपाय के रूप मंे उल्लेख लकया गया िा। हम एक बार लफर इस बात पर जोर देते हंै लक आतंकवाद के द्धखलाफ लड़ाई और अंतरराष्टर्ीय मादकपदािण लनयंिर् संगठन के लवस्तार के संबंध मंे हमारे लपछले प्रस्ताव का कायाणन्वयन बहुत महत्वपूर्ण और जरूरी मामला है। लेलकन अपनाये हुए कदमों के बावजूद, 29

आतंकवाद, मादकपदािों तिा हलियारों और मानव तस्करी का खतरा दुलनया भर में कम नहीं हो रहा है। आतंकवाद और लहंसा का दोर्ष लकसी धमण या पंि पर लगाने के बजाय, लवश्व समुदाय को इन शमणनाक घटनाओं पर अंकु श लगाने के ललए लनर्ाणयक और ठोस उपायों का लवकास करना चालहए, और दोहरे मानकों के अभ्यास से बचना चालहए। लवरोधाभासों से भरा मानव का जीवन और वैलश्वक खतरे लपछले दशकों मंे बढे हैं। इसके ललए आवश्यक है लक आतंकवाद और उग्रवाद के द्धखलाफ अंतरराष्टर्ीय गठबंधन की गलतलवलधयां अलधक प्रभावी रूप और कु शलता से काम करंे । इस सम्बन्ध में, आतंकवादी गलतलवलध के बारे मंे दोहरे मापदंड और गुि संवधणन अस्वीकायण हंै। हम अंतरराष्टर्ीय कानून के लसिांतों और मानदंडों के आधार पर एक न्यायसंगत और द्धथिर लवश्व व्यवथिा के ललए खड़े हैं। सबसे पहले, अंतराणष्टर्ीय संबंधों के सभी लवर्षयों की समानता और सभी राज्यों की संप्रभुता का सम्मान हो। यह सुलनलश्चत करना होगा लक इस संबंध में संयुि राष्टर्, जो वैलश्वक स्तर का एकमाि सावणभौलमक संगठन है, कें िीय भूलमका लनभाए। यह अनुशासन सभी लोगों और देशो,ं लवश्व सुरक्षा और द्धथिरता के उच्चतम लहतों को पूरा करता है। २. राष्ट्र ीय स्विंत्िा की थिापना और वैश्विक खिर ं के समक्ष िाश्वजश्वकस्तान के महत्वपूणव लक्ष्य वर्षण २००६ मंे तालजलकस्तान ने तीन प्रमुख ऐलतहालसक उत्सव मनाए: आयणन सभ्यता का वर्षण, प्राचीन कु लब की २७००वीं वर्षणगांठ और तालजलकस्तान की राष्टर्ीय स्वतंिता की १५वीं वर्षणगांठ। पहली दो अलवस्मरर्ीय ऐलतहालसक लतलियां अपने सार और वस्तु में गहरी सहस्राब्दी से सम्बंलधत हैं और तीसरी लतलि स्वतंिता की शुरुआत और नए राजनीलतक वातावरर् मंे तालजलकस्तान गर्राज्य के राष्टर्ीय राज्य के पुनरुिार के साि जुड़ी हुई है। सभी तीन उत्सव स्वाभालवक रूप से राज्य की सभ्यता के लनमाणर् के साि जुड़े हुए हंै। स्वतंिता प्राि करने का रास्ता लंबा और कलठन िा, जो एक उज्ज्वल ऐलतहालसक और सांस्कृ लतक घटना है, सलदयों पुराने आदशों, आकांक्षाओं और देश के सच्चे बेटों की लवजय है, पहचान और प्रामालर्कता का प्रतीक है, और हमारे प्राचीन राष्टर् के संरक्षर् का साक्ष्य है। इन महान घटनाओं को ऐसे समय में मनाया गया जब मानवजालत ने, ईसाई कै लेंडर की तीसरी सहस्राब्दी के प्रिम पााँच वर्षण को जीते हुए, शांतलचि और शांलतपूर्ण जीवन, न्याय की लवजय, थिायी शांलत और सुरक्षा, भौलतक और 30

बौद्धिक सुधार की आध्याद्धिक क्षमताएं , एक उच्च संस्कृ लत और नैलतक मूल्ों का संरक्षर्, और सभी लोगों के ललए खुशी सुलनलश्चत करने के ललए इष्ट्तम तरीकों की खोज जारी रखी। आज हम मानवजालत के इलतहास में बहुत लजम्मेदार और कलठन अवथिा से गुज़र रहे हंै। लपछले सभी युगों की तुलना मंे, तीसरी सहस्राब्दी की शुरुआत मंे, मानवता को पहले से कहीं अलधक सुख और शांलत, एकजुटता और सहयोग, प्रेम और सदभाव, सांस्कृ लतक और नैलतक मूल्ों की वंदना, तिा उच्च आध्याद्धिकता सुलनलश्चत करने की आवश्यकता है। यलद हम मानवता द्वारा तय लकए गए मागण पर एक शांत नज़र डालें, तो हम स्पष्ट् रूप से देखंेगे लक मानव इलतहास, अलभव्यद्धि के एक अन्य अिण मंे, उद्भव, गठन, सुधार, लगरावट का इलतहास और लफर सामालजक व्यवथिा का एक नया पुनरुिार - अिाणत्, लवलभन्न सभ्यताओं के उतार-चढाव का इलतहास रहा है। यह लकसी के ललए कोई रहस्य नहीं है लक सलदयों से, लवलभन्न राष्टर्ीयताओं और राष्टर्ों ने, लवलशष्ट् ऐलतहालसक पररद्धथिलतयों और समय की मांग के आधार पर, कई सभ्यताओं का लनमाणर् लकया है, जो उनकी लवलशष्ट्ता और मूल् के कारर्, मानवजालत की महान उपलद्धि और एक साझी लवरासत के रूप में मानी जाती हंै। इलतहासकारों और संस्कृ लतकलमणयो,ं लवशेर्ष रूप से प्रलसि संस्कृ लत वैज्ञालनक ए. टोइनबी के अनुसार मानवजालत ने अपने अद्धस्तत्व के संपूर्ण इलतहास मंे इक्कीस लवश्व सभ्यताओं का लनमाणर् लकया है, लजनमंे से आज के वल सात ने अपने सावणभौलमक महत्व को बरकरार रखा है।1 मानवजालत के लंबे इलतहास के दौरान, दजणनों शद्धिशाली साम्राज्य और शासन, राज्यों की लवलभन्न परं पराएं , लवकलसत राष्टर् और राष्टर्ीयताएं , भार्षाएं और संस्कृ लतयां और शाश्वत प्रतीत होते धमण और पंि, अनअद्धस्तत्व में चले गए हैं। यह याद करने के ललए पयाणि है लक वतणमान दुलनया के सात अजूबों मंे प्राचीन लमस्र के के वल लपरालमड आज तक बचे हंै, और लफरौन के युग की गौरवशाली सभ्यता, जो पाँाच हज़ार साल पहले उत्पन्न हुई िी, उस की भार्षा और लेखन की उपलद्धियों के साि, राष्टर्ीय रीलत-ररवाजों और संस्कारो,ं ऐलतहालसक और सांस्कृ लतक लवरासत और धालमणक और धमणलनरपेक्ष परं पराएं लबना लकसी सुराग़ के ही गायब हो गई हैं। 1 Huntington S. Clash of Civilizations. // “Polis”, 1994, №1, p. 34-35. 31

आयों, लजनके प्रत्यक्ष उिरालधकारी, कु छ सभ्य देशों और दुलनया के देशों के साि साि हम तालजक भी हैं, का मानवजालत के इलतहास मंे सबसे उज्ज्वल और परस्पर लवरोधी पृष्ठों को दशाणता है। यह सभ्यता, अपने सभी उतार-चढावों के साि, हमारे राष्टर् के ललए एक ऐलतहालसक आधार और अद्धस्तत्व का मूल है। हमारे राज्य की पहली नीवं की उत्पलि और गठन, एक एके श्वरवादी धमण का गठन, राष्टर्ीय संस्कृ लत और मूल्, आि-ज्ञान और लवश्वदृलष्ट् भी इसी सभ्यता की देन है। क्यालनड्स, आचमेलनड्स, अश्किनायड, कु षाण और सासालनद के राज्यो,ं जो आयगन सभ्यता के मूल से थे, हेलेलनश्किक और बौद्ध सभ्यताओं के साथ तीव्र संघषग के बावजूद, ने लंबे समय से चली आ रही अपनी महानता और प्रभाव को बनाए रखा। आयग संस्कृ लत ने मानवता को एक पलवि पुस्तक \"अवेस्ता\" और मानवतावादी सभ्यता के पहले नमूने लदए। हमारे पूवणजों ने \"अवेस्ता\" मंे जीवन के ऐसे स्वच्छ और लनष्पक्ष तरीकों का उपदेश लदया, लजनका असर हमारे परदादाओं के आने वाले भाग्य पर पड़ा, और लजनकी बदौलत हमारे महान-दादाओं की धरती पर लवदेलशयों के लगातार हमले भी हमारे लोगों के लदल और लदमाग से इस उच्च संस्कृ लत को लमटा नहीं सके । उनके व्यापक और अमूल् आदशण वाक् \"अच्छे लवचार, अच्छे शब्द और अच्छे कमण\" के साि हमारे पूवणजों ने पूरी मानवजालत के ललए सबसे स्पष्ट् और सवोिम आकांक्षाएं और आशाएं व्यि की,ं और इन बुद्धिमान शब्दों ने न के वल कई जनजालतयों और लोगों के ललए महत्वपूर्ण भूलमका लनभाई, बद्धि इसके ललए सावणभौलमक मानव लवचार और मानवीय मूल्ों का लनमाणर् भी लकया। आज, जब हम पृथ्वी पर उपद्धथित सभी समस्याओं - राजनीलतक, आलिणक, सामालजक, और सांस्कृ लतक - के वैश्वीकरर् के बारे मंे बात कर रहंे हंै तो हमंे सबसे पहले, सभ्यताओं और संस्कृ लतयों के वैश्वीकरर् से सम्बंलधत एक महत्वपूर्ण क्षर् पर ध्यान देना चालहए। वतणमान पररद्धथिलत में, हमंे सभ्यताओं के बीच बातचीत के लवस्तार का समिणन करते हुए संस्कृ लत के लवनाश और सभ्यताओं के टकराव के भयानक खतरे की लकसी भी प्रवृलि की लनंदा करनी चालहए। आज की दुलनया मंे सभ्यताओं के बीच संवाद का लवचार सफल होना ही चालहए। अतीत की सांस्कृ लतक लवरासत पर गवण महसूस करते हुए आज हम दुलनया के बड़े से बड़े संग्रहालयों मंे सभी पुरावशेर्षों का संरक्षर् करते हैं, लवलभन्न लोगों और क्षेिों की भार्षाओं और संस्कृ लतयों की लवलवधता को एक अलद्वतीय ऐलतहालसक घटना के रूप में प्रचाररत करते हंै, परन्तु वैश्वीकरर् के संदभण में अभी तक 32

संस्कृ लतयों की लवलवधता को संरलक्षत करने का कोई तरीका हमंे नहीं लमला है। यह प्रश्न तालजक राष्टर् सलहत, उन राष्टर्ों और राज्यों के ललए भी लचंता का लवर्षय है, लजनकी सभ्यताएं प्राचीन हंै, और जो लवश्व मंच पर राष्टर्ों के बीच लनष्पक्ष और ईमानदार सहयोग तिा लवलवधता और शांलतपूर्ण संवाद के प्रलत सम्मान के ललए खड़े हंै। अतीत की सभ्यता को नकारना और उसकी ऐलतहालसक भूलमका और जीवन-दशणन की पहचान को नजरअंदाज करना असंभव है। इसके बजाए, नए समय की आध्याद्धिक उपलद्धियों के तराजू पर उनके सभी अच्छे और बुरे पक्षों को तौलना आवश्यक है और उनमें से सवणश्रेष्ठ को राष्टर्ो,ं राज्यों और मानवता की सेवा में लगाया जाना चालहए। यह वतणमान और आने वाली पीलढयों का पलवि कतणव्य है। भलवष्य की पीलढयो,ं हमारे बच्चों और पोते-पोलतयों के बारे में सोचकर, हमंे शांलत की संस्कृ लत और सभ्यताओं की लवलवधता और उनके बीच संवाद के प्रलत गहरे सम्मान की भावना का समिणन करना चालहए। ऐसा करने के ललए, हमंे खतरों और चुनौलतयो,ं कट्टरता और अंधलवश्वास, घृर्ा और क्ोध की भावना, अन्य नकारािक भावनाओं से मुकाबला करते हुए इसके लवपरीत होना चालहए, लशक्षा और जीवनदायक संस्कृ लत को अपनाना चालहए और अपने राष्टर् की उपलद्धियों को लवश्व सभ्यता की एक अमूल् देन के रूप में समझना चालहए। यह इस समय की एक ऐलतहालसक आवश्यकता और अलनवायणता है। यह सभ्यताओं के टकराव से, नैलतक पतन से और वैलश्वक खतरों के सामने भलवष्य की पीलढयों के सांस्कृ लतक भ्रष्ट्ाचार से मानवता को बचाने की मांग है। आज हमें एक पूरी तरह से नई संस्कृ लत मंे राज्यों के संबंध और सहयोग की जरूरत है, जो कई सावणभौलमक खतरों से संस्कृ लत और इलतहास को बचाने के ललए सभ्यताओं के रचनािक और सम्मानजनक संवाद का सुझाव देने मंे सक्षम हो। यहां यह सवाल अनैद्धच्छक रूप से उठता है: क्ा सामानी साम्राज्य के राज्योत्सव की ११००वीं वर्षणगांठ, \"अवेस्ता\" पुस्तक की २७००वीं वर्षणगांठ और पारसी संस्कृ लत की ३०००वीं वर्षणगांठ मनाने के बाद, तालजक राष्टर् की सभ्यता की प्राचीन और तुलनािक रूप से हाल की जड़ों को दोहराना और राज्य स्तर पर तीन और उत्सवों को लचलित करना आवश्यक िा? 33

क्ा राष्टर् के इलतहास और इसके गौरवशाली अतीत मंे अलधकता के अलत सूक्ष्म अंतर और राष्टर्वाद की बारीलकयां पर लनरं तर ध्यान नहीं जाना चालहए! ऐसी पररद्धथिलतयों जब मानवता अंतररक्ष अन्वेर्षर्, चंिमा की खोज और सौरमंडल के ग्रहो,ं आनुवांलशकी और कं प्यूटर लवज्ञान और संचार की नवीनतम तकनीकों मंे अभूतपूवण सफलता हालसल कर रही है, राष्टर् की ऐलतहालसक पहचान और लपछले भाग्य, पाखंड और समाज में मौजूद समस्याओं से बचने, जैसी लगातार दोहराने वाली बातचीत की साक्षी नहीं हंै? इन और अन्य प्रश्नों के ललए योग्य उिर की आवश्यकता होती है। वास्तव में, जब हम मनुष्य के सावणभौलमक इलतहास के पन्नों को पलटते हंै, तो पाते हंै लक प्राचीन काल से और हमारे लदनों तक आयण संस्कृ लत के लवचारकों के मानवतावादी लवचारों ने अपनी चमक नहीं खोई है, जो दशणन की आकांक्षाओं को दशाणते हुए लवलभन्न भार्षाओं और लवलभन्न ग्रंिों मंे प्रस्तुत लकए गए िे। तथ्य यह है लक जब हमने आयण सभ्यता के वर्षण का जश्न मनाने का फै सला ललया, तो यह अनुमान लगाया गया लक यह उत्सव कलित रूप से राष्टर्वाद और नस्लवाद का बढावा देगा। इस तरह की व्याख्या सकल अज्ञानता, इलतहास के सार का लवरूपर् या लवश्व सभ्यता के लवकास के बारे मंे अज्ञानता की गवाही देती है। वास्तव में, इस उत्सव ने लकसी भी राजनीलतक और वैचाररक लक्ष्यों को आगे नहीं लकया और न ही नस्लवाद और मानव-द्वेर्ष से इसका कोई लेना-देना िा। इसके लवपरीत, यह अपने राष्टर् की प्राचीन संस्कृ लत के ज्ञान और हमारे पूवणजों के इलतहास और सभ्यता की जड़ों से पररलचत होने का एक सौम्य तरीका िा। स्वतंिता और राष्टर्ीय पहचान के पुनजणन्म की अवलध में, हमें आयण इलतहास और सभ्यता को अनदेखा करने और इनकार करने का कोई नैलतक अलधकार नहीं है, लजसके प्रत्यक्ष उिरालधकारी तालजक राष्टर् के पूवणज हैं। इसके अलावा, महान ऐलतहालसक और नैलतक लजम्मेदारी की भावना से हम नस्लवाद के लवचारों को बढावा देने वाले प्रचारों के ललए सांस्कृ लतक लवरासत के दुरुपयोग की कोलशशों की लनंदा करते हैं। हम के वल यह चाहते हंै लक तालजकों की समृि और प्राचीन संस्कृ लत और आयण सभ्यता की अमूल् उपलद्धियों के बारे में मानवजालत अच्छे से जानें और उनसे लाभ उठाने में सक्षम हो।ं लकसी भी सांस्कृ लतक लवरासत का संबंध लकसी एक देश या राष्टर् से नहीं होता, बद्धि ठीक इसके लवपरीत, समय के साि यह दुलनया के अन्य सभी लोगों की संपलि बन जाता है, जो स्वथि लवचारों और उच्चतम सावणभौलमक मूल्ों के लनमाणर् में योगदान 34

देता है। इसके अलतररि, अन्य मानव सभ्यताओं की तरह आयण संस्कृ लत मंे भी उच्च नैलतकता और योग्य व्यवहार के लसिांत स्पष्ट् रूप से पररललक्षत होते हैं, जो आज नैलतकता की कमी और भौलतकवालदता की मजबूती के समय में बहुत आवश्यक और उपयोगी हैं। हम चाहते हंै लक हमारे राष्टर् की सभ्यता, जो पाँाच हज़ार वर्षों से अलधक पुरानी है, अन्य संस्कृ लतयों के सहयोग और साि ही पृथ्वी के अन्य लोगों के लशक्षाप्रद ऐलतहालसक अनुभव की मदद से मनुष्यों की उिम सेवा कर सके । हम चाहते हैं लक उसके गहन अध्ययन और ज्ञान के द्वारा उसकी लवकृ लत को रोका जा सके और योग्य क्षेिीय और भूराजनीलतक उद्देश्यों के ललए उसका उपयोग लकया जा सके । स्वतंिता की वतणमान समय में, हम अपने लवज्ञान, संस्कृ लत और महान पूवण-इस्लामी सभ्यता के ललए हमारी श्रिा के बारे मंे खतरनाक कारकों और प्रवृलियो,ं दुभाणवनापूर्ण और स्वयं-सेवक व्याख्याओं को ध्यान से देख रहे हैं। दुभाणग्यवश तालजक राष्टर् के राजनीलतक और वैचाररक लवरोधी, देश के अंदर और बाहर, इस्लामी हठधलमणता के साि लवनाशकारी टकराव के ललए हमारे लवचारों और लवश्वदृलष्ट् तिा आयण सभ्यता के हमारे अध्ययन का नेतृत्व करना चाहते हंै। अपने राष्टर् के लंबे अतीत की ओर देखते हुए, हम अपने राष्टर् के इलतहास में सबसे अच्छे और प्रलतभाशाली लवचारों और महत्वपूर्ण घटनाओं का अध्ययन और उपयोग करते हंै तालक हमारे लोगों के वतणमान और भलवष्य के जीवन को बेहतर बनाने के ललए एक लवकलसत समाज और एक नया राज्य बनाने मंे मदद लमल सके । लकसी भी राष्टर् में लवकास और सुधार नहीं हो सकता है अगर वह अपने अतीत के नैलतक मूल्ों के अध्ययन और इलतहास के सम्मान पर लबना लवचार लकए हुए अमल करता है। हमारे पूवणजों ने हमें सबसे पुरानी लवश्व सभ्यताओं में से एक बनाया, जो \"अच्छे लवचार, दयालु शब्द, अच्छे कमण\" के लसिांत पर आधाररत िी। इस सभ्यता के लनमाणर् की लंबी प्रलक्या के पररर्ामस्वरूप, हमें राज्य और शासन की सामंजस्यपूर्ण प्रर्ाली, वास्तुकला और शहरी लनयोजन की मूल कला, राष्टर्ों के बीच संबंधों के ललए एक सभ्य और उलचत दृलष्ट्कोर्, लवलभन्न धमों और लवश्वासो,ं लवलभन्न वैज्ञालनक और दाशणलनक स्कू लों के ललए सम्मान एक लवरासत मंे लमले हैं। क्ा सच में हमें इस लवश्व प्रलसि सभ्यता और हमारी अमूल् लवरासत का व्यापक अध्ययन नहीं करना चालहए, और एक उदहारर् के रूप मंे, वतणमान और भावी पीलढयों के ललए उच्च मानवीय नैलतकता और स्वथि सोच के ललए इस अनूठी सांस्कृ लतक उत्सव का उपयोग नहीं करना चालहए? 35

तिालप, हम एक स्वतंि, युवा, लोकतांलिक, कानूनी और धमणलनरपेक्ष राज्य के लनमाणता हैं, हम खुद को अपने पूवणजों की आयण संस्कृ लत तक ही सीलमत नहीं करने जा रहे, बद्धि अपनी लवलुि हो चुकी परं पराओं और धमण को पुनजीलवत करना चाहते हैं। आज तालजलकस्तान की अठानवे प्रलतशत से अलधक आबादी मुद्धस्लम है, और हम अपनी समृि इस्लामी परं पराओ,ं रीलत-ररवाजों और संस्कृ लत का गहरा सम्मान करते हैं। साि ही, हम एक दू सरे की संस्कृ लतयों के लवपरीत प्रयासों की लनंदा करते हंै और लवलभन्न संस्कृ लतयों के सलहष्णुता, बातचीत और आपसी प्रभाव का माहौल बनाने के उद्देश्य से सभ्यताओं के बीच एक फलदायी बातचीत की वकालत करते हंै। इसमंे कोई संदेह नहीं है लक प्राचीन संस्कृ लत के इलतहास के साि एक अच्छा पररचय न के वल राष्टर्ीय गौरव की भावना को बढाता है, बद्धि यह आधुलनक दुलनया की कलठन पररद्धथिलतयों में लवलभन्न सभ्यताओं और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने मंे भी मदद करता है, और शांलत तिा आपसी समझ को मजबूत करने के ललए एक वास्तलवक आधार बनाता है। इस संबंध में, राज्य स्तर पर अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के साि साि, हमें देश की वतणमान और भावी पीलढयों को उनके पूवणजों की महान लवरासत से पररलचत कराना चालहए, जो आयण और इस्लामी सभ्यताओं मंे लनलहत हंै, तालक उनमें उनके देश और राष्टर् के प्रलत गवण, प्रेम और उनके बुद्धिमान पूवणजों के ललए सम्मान की भावना जगाई और मजबूत की जा सके । इलतहास की गहराई से हमंे सबसे अच्छी चीज़ों का चयन करना चालहए। इलतहास बहुत लशक्षाप्रद है, और कोई भी देश या राष्टर् अपने अतीत का सम्मान लकए लबना स्वतंिता और राज्य का दजाण प्राि नहीं कर सकता है। हालांलक, मातृभूलम और इसके गौरवशाली इलतहास के ललए प्यार मंे आधुलनक दुलनया की प्रगलत और उपलद्धियो,ं मानव बुद्धि का आयाम और सभ्य राज्यों के त्वररत लवकास की तरफ से आँाख नहीं फे रनी चालहए। इसके लवपरीत, लजतना अलधक हम अपनी मातृभूलम से प्यार करते हैं, उतना ही हमंे अपना जीवन सावणभौलमक, वैज्ञालनक और सांस्कृ लतक मूल्ो,ं आधुलनक औद्योलगकी और प्रौद्योलगकी की उपलद्धियों तिा दुलनया भर में हुए नवीनतम खोजों को अध्ययन करने और उपयोग मंे लाने का प्रयास करना चालहए। दू सरे शब्दों मंे, लपछले इलतहास के मलहमागान का अिण हमारे ललए यह नहीं है लक हम मानव सभ्यता मंे अपने राष्टर् की लवलशष्ट्ता पर जोर दें या दुलनया 36

की रचनािक प्रलक्याओं और दुलनया के लवकलसत देशों की संस्कृ लत से अलग होने की इच्छा रखें। राष्टर् के इलतहास और हमारे लोगों की प्राचीन संस्कृ लत की परं पराओं की खोज और अध्ययन के द्वारा हम सावणभौलमक मूल्ों को आिसात करने की प्रलक्या मंे तेजी लाना चाहते हैं, तालक दुलनया के लवकलसत देशों के साि एकीकरर् करने के ललए, और साि ही, अपनी लवलशष्ट् राष्टर्ीय पहचान के साि लवश्व समुदाय में प्रवेश कर सकें । इसके ललए, सलदयों से हमारे राष्टर् द्वारा संलचत इलतहास और अनुभव का अध्ययन करना, हमें एक लवकलसत, लवकास चाहने वाले और शांलतलप्रय राज्य के लनमाणर् की आकांक्षा के ललए, हवा की तरह, साि ही साि राष्टर्ीय राज्य की नीवं को मजबूत करने के ललए, स्वतंिता की उपलद्धियों की रक्षा करना, एवं सब से ऊपर, राष्टर्ीय एकता, थिायी शांलत और द्धथिरता, और देशभद्धि, राष्टर्ीय आि-जागरूकता की उत्कट एवं प्रबल भावनाओं को बढाना है। तालजक राष्टर् का ऐलतहालसक भाग्य, लजस का उल्लेख मंैने दू सरी पुस्तक मंे लकया है, लवदेलशयों के कई हमलों और इसके गठन के लवचारों के कारर् फीलनक्स पक्षी की तरह एक से अलधक बार जला, लेलकन हर बार इसे लफर से पुनजीलवत लकया गया: लजस लकसी ने भी पेड़ों को देखा है वह आसानी से तालजक लोगों के ऐलतहालसक भाग्य के पूर्ण व्यवहार की कल्पना कर सकता है, लक लकस तरह पेड़ पथर मंे भी आसानी से मैदान के माध्यम से अपना रास्ता बना लेते हैं। उतार-चढाव, कलठनाइयों और अभावों से भरे , अपने लंबे इलतहास के दौरान, तालजक लोगों ने लवदेलशयों का सामना करते हुए अपनी बुद्धि और सृजन का अंकु रर् लकया है।1 दुलनया में एक भी राष्टर् ने खुद को इतनी बार लवलुि होने के कगार पर नहीं पाया, लजतनी बार तालजक राष्टर् ने खुद को पाया है, जो लक हर एक और भयानक हार के बाद, लफर से पुनजीलवत हुआ और सुधार के एक नए चरर् मंे प्रवेश लकया। इलतहास के कई हज़ार वर्षों मंे, तालजक राष्टर् को लवश्व सभ्यता के मानलचि से पूर्ण रूप से लबना लकसी लनशान छोड़े लवलुि करने की अनेकों बार कोलशश की गई। इलतहास से पता चलता है लक लवदेलशयों द्वारा, इस क्षेि में लनरं तर लवजय 1 Emomali Rahmon. Tajiks in the mirror of the history. From the Aryans to the Samanids. Book 2. – Dushanbe, 2002, p. 20. 37

और तालजक लोगों पर लवदेशी सभ्यताओं और अन्य मूल्ों को िोपने के कारर् - चाहे महान लसकं दर की लवजय के दौरान या अरब आक्मर् के दौरान, या मंगोल जनजालतयों के हमले - हमारे पूवगजों की राज्य, राष्टर् और शताद्धब्दयों पुरानी संस्कृ लत का भाग्य एक से अलधक बार अधर में लटका है। हालांलक, शद्धिशाली लवरोलधयों और शद्धिशाली लवजेताओं के इरादों के लवपरीत, जो इलतहास से तालजक राष्टर् का नाम लमटा देना चाहते िे, हमारा अदम्य राष्टर्, लजसने हजारों आरामदायक शहरो,ं फू लों के गांवो,ं राजसी लकले और महल, मंलदर और अलद्वतीय पुस्तक भंडार, प्रलसि कारवााँ सराय और बाज़ार खो लदए िे, ने आयण सभ्यता की बदौलत अपनी साहसी भावनाओं को बरकरार रखा है। सराज्म और प्राचीन पंजाकॅ न्त, तद्धख्त-संलगन और कायक्बाद-शाह, इस्तरावाशान और साइरस के मंलदर, खुल्बुक, ख़ुजन्द के स्मारक और तैमूरलम्बा लकले, और हमारे देश की दजणनों अन्य प्राचीन इमारतओं के खंडहर, साि ही मकदू लनयाई सेना और अरब सैलनको,ं मुगलों और तुकों के लनमणम हमले तालजक राष्टर् के दुखद इलतहास की गवाही देते हंै, जो लंबे समय से हमारे पीलड़त राष्टर् के मंलदरों और मूल्ों को नष्ट् करने की कोलशश कर रहे िे। हमारे राष्टर् का पूरा इलतहास, अपने अद्धस्तत्व के संरक्षर्, राज्य की परं पराओ,ं राष्टर्ीय पहचान और सांस्कृ लतक मूल्ों के ललए लछपे हुए या लफर स्पष्ट् संघर्षों से भरा हुआ है। हमारे पूवणजों के राज्य की दृढता, जैसे आयण सभ्यता के युग में वैसे ही इस्लाम के आगमन के बाद - जो वास्तव में अलद्वतीय है - के लगरावट के कई क्षर्ों के बावजूद राष्टर् को बचाते हुए, इसे लफर से पुनजीलवत लकया गया और लवलुि होने से बचाया गया। उधारर्तय, अपनी लवश्व-प्रलसि सभ्यता और लफरौन के शासनकाल के तीस युग पुराने होने के बावजूद प्राचीन लमस्र का साम्राज्य, रोमन बादशाह महान लसकं दर की लवजय और दासता के बाद धीरे -धीरे पतन हो गया और इस्लाम के आगमन के बाद, इसने पूरी तरह से अपनी भार्षा, लेखन और राष्टर्ीय-सांस्कृ लतक पहचान तक खो दी; गगंचुम्भी मीनारों और लटकते हुए बागानों (हंैलगंग गाडणन) के ललए लवख्यात शद्धिशाली बेबीलोन राज्य पर मकदू लनया और सेलयूलसद द्वारा लवजय प्राि की गयी; बेबीलोन राज्य पहले हेलेलनद्धिक और लफर इस्लामी सभ्यता से प्रभालवत हुआ और लफर राष्टर्ीय मूल्ों और परं पराओं को पूरी तरह से भूल गया। वही,ं हमारे पूवणजों ने हेलेलनद्धिक, बौि और लफर 38

इस्लामी सभ्यता के दबाव और प्रभाव के बावजूद, एक अद् भुत और लशक्षाप्रद पुनजणन्म का अनुभव लकया; इन लवदेशी सभ्यताओं के साि लमलकर खुद को पुनजीलवत लकया और सुधार एवं लवकास के एक नए चरर् मंे प्रवेश लकया। आयण सभ्यता सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली मानव संस्कृ लतयों में से एक है। हख़ामनी साम्राज्य ने आयण राजाओं के कंे िीकृ त राज्यों के युग मंे लवशेर्ष लवश्व प्रलसद्धि प्राि की, जो अपनी आध्याद्धिक मूल्ों और भार्षाई पहचान के साि, भारत से प्राचीन ग्रीस के बाहरी इलाके तक एक लवशाल क्षेि मंे फै ला हुआ िा। हख़ामनी साम्राज्य के युग में, आयण सभ्यता की भूलमका और प्रभाव में काफी वृद्धि हुई, जो मध्य पूवण और मध्य एलशया के आयण जातीय समूहों और जनजालतयों के बीच आलिणक, सांस्कृ लतक, आध्याद्धिक और सामालजक संबंधों के लवकास का कारक बन गया। यह जातीय आिीयता, भार्षाई समुदाय, रीलत-ररवाजों की समानता और धालमणक और नैलतक लसिांतो,ं भौगोललक लनकटता, एक एकल कें िीकृ त राज्यवाद, एक सामान्य ऐलतहालसक भाग्य और कई अन्य पररद्धथिलतयां जो आगे के सामंजस्य और पुनमूणल्ांकन आयण जनजालतयों को जन्म देती हैं। साइरस महान ने पहले कंे िीकृ त आयण साम्राज्य, लजसके समान मानव सभ्यता के इलतहास में महान लसकं दर के आक्ामक अलभयान से पहले कोई नहीं िा, की नीवं रखी। दारा महान द्वारा छोड़े गए लशलालेखों और प्राचीन ग्रीक इलतहासकारों की जानकारी के अनुसार, साइरस साम्राज्य लजसमंे प्राचीन दुलनया के कई राज्य शालमल िे - फारस, मीलडया, बेबीलोन और असीररया, लमस्र और फे लनलशया, ललडा और उरतणु, पालिणया और लहरके लनया, बैद्धरर या और सोद्धडडयाना - और तीन महाद्वीपों - एलशया, यूरोप और अफ्रीका - के क्षेि पर द्धथित िा। मानव सभ्यता के इलतहास में, साइरस अपनी लवचारशील लवजय नीलतयां, एक शद्धिशाली कें िीकृ त आयण साम्राज्य का लनमाणर्, नए प्रबंधन लसिांत और राज्य का एक आदशण रूप, सैन्य मामलों और सेना में सुधार, व्यापार लवकास और सड़क लनमाणर्, और लवशेर्ष रूप से - न्याय और इस क्षेि के अधीन रहने वाली सभी राष्टर्ीयताओं के अलधकारों और द्धथिलत का संरक्षर् करने के ललए प्रलसि हुआ। लवद्वानों और इलतहासकारों के अनुसार साइरस के ऐलतहालसक कायों मंे मानवालधकारों की रक्षा, लनष्पक्ष राज्य, मानवीय और धमणलनरपेक्ष ढांचे की घोर्षर्ा करना शालमल है। 39

प्राचीन काल के राजाओं में, साइरस महान सबसे लनष्पक्ष, दयालु और दू रदशी शासकों मंे से एक िा, जो पूरी दुलनया में सभ्य राज्य का लनमाणर्, मानवता, न्याय, सभ्य व्यवहार और उच्च नैलतकता के ललए लवश्व प्रलसि हुआ। उस युग में, हमारे पूवणजों ने साइरस महान के नेतृत्व में, न के वल एक शद्धिशाली और कंे िीकृ त आम राज्य की नीवं रखी, बद्धि एक सामान्य संस्कृ लत, आम भार्षा और लेखन, सामान्य परं पराएं और रीलत-ररवाज भी आयण सभ्यता मंे उत्पन्न लकए। साइरस के राज्य का भाग्य कई मायनों में तालजकों की वतणमान द्धथिलत के भाग्य के समान है। वह राष्टर् की एकता और सामंजस्य की भावना, शांलत और न्याय की रक्षा, व्यापार, अिणव्यवथिा और लनमाणर् के लवकास, सैन्य मामलों के सुधार और देश की शासन प्रर्ाली मंे सुधार पर आधाररत िा। आज, तालजक राष्टर् ने इलतहास के उलटफे र और सलदयों पुराने कठोर परीक्षर्ों को पीछे छोड़ लदया है, और अपनी मूल भार्षा, लवश्व-प्रलसि लवज्ञान और सालहत्य, ऐलतहालसक और सांस्कृ लतक पहचान और इसकी राष्टर्ीय प्रामालर्कता को संरलक्षत लकया है, जो आयों के मानवतावादी सार और इस्लामी सभ्यताओं की अमूल् उपलद्धियों से उत्पन्न होता है। हम खुद की इसी स्वतंिता की वजह से लंबे समय से ऐलतहालसक रहे हंै। इसी ललए अपने राष्टर् की जड़ों को दशाणते हुए २००६ को आयण सभ्यता का वर्षण घोलर्षत लकया। इस कदम का उद्देश्य नस्लवाद और राष्टर्वाद के लवचारों को बढावा देना नहीं िा, बद्धि पूवणजों के सांस्कृ लतक लवचार के शुि स्रोतों को संबोलधत करना, आने वाली पीलढयों में स्वाधीनता और आजादी के प्रलत सम्मान की भावना वृद्धि करना िा, जो एक स्वतंि, लवकलसत, शांलतपूर्ण और सभ्य राज्य बनाने के ललए उन्हंे लनदेलशत करे । हर समय और युग ं मंे, स्विंत्िा क एक व्यद्धि की सबसे महंगी संपश्वि माना जािा है; उसके ऐश्विहाश्वसक स्वरूप और पररविवन का प्रश्विश्वबंब, श्ववकास का प्रत्याभूश्विदािा, पहचान और प्रामाश्वणकिा का प्रिीक, राष्ट्र के संरक्षण और िाकि के श्वलए अपररहायव द्धथिश्वि; राज् की िाकि। इसके अलावा, स्विंत्िा की ऐश्विहाश्वसक आकांक्षाओं और आदशों का मूिव रूप, एक अंिरराष्ट्र ीय अभयपत्, वास्तश्ववक अद्धस्तत्व और राष्ट्र की मान्यिा और अश्वधकार का संकल्प है। 40

मानवीय अनुभवों ने लसि लकया है लक स्वतंिता और स्वाधीनता आसानी से प्राि नहीं होती है। हम कई देशों और लोगों को जानते हंै, लजन्हें कु छ समय पहले के इलतहास में ही, अपने सबसे समलपणत हजारों बेटों के जीवन का बललदान देने के बाद भी दशकों तक स्वतंिता के ललए लड़ना पड़ा। यलद हम ध्यान से अपने राष्टर् की स्वतंिता के उद्भव की प्रलक्या के इलतहास पर लवचार करते हैं, तब हम स्पष्ट् रूप से देखते हैं लक आजादी की राह लंबी, कलठन और कांटेदार, लड़ाईयो,ं गललतयों और परस्पर लवरोधी प्रलक्याओं से संतृि िी। हालांलक, स्वतंिता के क्लमक पुनरुिार के मूलभूत कारक हमेशा हमारे राष्टर् के शरीर मंे मौजूद िे, लजसके द्वारा लगातार और व्यावहाररक रूप से अटू ट ऐलतहालसक पहचान, तीन हजार से अलधक वर्षों से फै ले राज्य की परं पराओ,ं महान और रचनािक सामालजक मूल्ो,ं समृि संस्कृ लत और आध्याद्धिकता संरलक्षत रही। अपनी मातृभूलम और राष्टर् से प्यार करने वाले इसके बुद्धिमान पुिों ने लनरं तर स्वतंिता के आदशों को, राष्टर्ीय पहचान का संरक्षर्, राज्य की परं पराओं के लवकास और मजबूती, पीलढयों के बीच और अंत मंे एक अटू ट कड़ी प्रदान करने और मातृभूलम की स्वतंिता और पूवणजों की सभ्यता की रक्षा के साि जोड़ा। इससे उन्हंे सबसे मुद्धिल समय मंे ताकत लमली। लेलकन दुभाणग्य है लक, कु छ लेखकों ने तालजक राष्टर् के भाग्य को इस प्रकार दशाणया, मानो हमारे पास देशभद्धि के संघर्षण के ललए अंतलनणलहत भावना और स्वतंिता की इच्छा नहीं िी। वे जानबूझकर हमारे देश की द्धथिलत और उपद्धथिलत को कमजोर लदखाते हंै। इसके ललए वे हमारे बारे मंे कायर, युिों और लड़ाइयों से भागने वाले, अत्यलधक सलहष्णुता और दुश्मनों के प्रलत सहमलत रखने वाले जैसे शब्दों का प्रयोग करते हंै। कु छ लेखकों के द्वेर्षपूर्ण और पक्षपातपूर्ण शब्दों और लेखन के लवपरीत, तालजक के पूवणज अपने अद्धस्तत्व के सभी काल मंे अपनी भूलम और राष्टर् के प्रलत लनः स्वािणपूवणक समलपणत योिा रहे, लजन्होने मातृभूलम और अपनी स्वतंिता और स्वाधीनता की रक्षा के ललए अपने सभी दुश्मनों के साि एक लंबा और कलठन संघर्षण लकया। तालजक राष्टर् का सहस्राब्दी पुराना इलतहास, वास्तव में, स्वतंिता और स्वाधीनता, राष्टर्ीय राज्य के लनमाणर् और रक्षा के ललए भयंकर लड़ाइयों का इलतहास रहा है। 41

तालजकों ने बार-बार सबसे शद्धिशाली और खतरनाक दुश्मनों और आक्मर्काररयों का सामना लकया, पर वह अपने साहस और अभूतपूवण समपणर्, मौललक सतकण ता और अंतदृणलष्ट् के कारर्, धीरे -धीरे अजेय शासकों की लनयंिर् प्रर्ाली में जड़ंे ज़माने में कामयाब हुए। इलतहास साक्षी है लक लवदेलशयों के हमलों और लवजय अलभयान के दौरान, हमारे पूवणजों के प्राचीन शहरों और गांवों के लनवालसयों ने स्वतंिता के ललए अंलतम लड़ाईआं लड़ी, तिा वीरतापूवणक दुश्मनों के साि असमान लड़ाइयों मंे अपने प्रार्ों की आहुलत दी। उससे भी ज्यादा, स्वतंिता के इस संघर्षण में सलक्य भागीदार लनस्वािण मलहलाएं और लड़लकयां भी िी,ं लजन्होनं े सबसे कलठन क्षर्ों में पुरुर्षों की तरह लड़ाई लड़ी, और अधीनता और दासता की जगह एक सभ्य मौत को चुनना पसंद लकया। क्ा यह स्वतंिता के ललए संघर्षण का प्रमार् नहीं है लक बहादुर द्धस्पटामेन ने दुलनया के आि-लवश्वास लवजेता महान लसकं दर के द्धखलाफ लविोह लकया और दो साल तक उसकी अनलगनत और अजेय सेना के द्धखलाफ लनमणम और कलठन संघर्षण लकया? क्ा दलक्षर्ी बैद्धरर या और सोद्धडडयाना मंे जारी युि मंे द्धस्पटमेन की मृत्यु के बाद, महान लसकं दर के द्धखलाफ कटान1 की लड़ाई और पारे लटके न2 की लड़ाई में उनकी वीरतापूर्ण मृत्यु स्वतंिता के ललए एक सुसंगत इच्छा का संके त नहीं है? इसके अलावा, प्राचीन ग्रीक इलतहासकारों की अकाट्य गवाही के अनुसार, जब महान लसकं दर के लसंहासन पर \" पूवण की पत्नी और मकदू लनया की बंदी\"3 वहाशुव्रत की बेटी रूखशोना बैठी तो उसने बैद्धरर यन बड़प्पन4 सलहत, खुद और अपने युवा बेटे अलेक्जंेडर चतुिण के आसपास स्वथि सैलनकों का घेरा लगवाया और बारह साल तक, जब तक वह अपने सबसे बड़े दुश्मनों से बुरी तरह घायल 1 Oransky I.M. To the name of the Bactrian leader Katana. Central Asia in the Kushan era. Vol. I. M., 1974, p. 339; History of the Tajik people. Vol. I. – Dushanbe, 1998, p. 318. 2 Based on the text of the Greek historian Arrian (Arrian IV, 22, 1-2), Oransky believes that this area was in the north of Bactrian, on the right bank of the Amu Darya. 3 Ghafurov B., Tsibukidis D. Alexander of Macedon and the East. – M. 1980, p. 347. 4 Stavisky B.Ya. Kushan Bactria: problems of history and culture. – M., 1977, p. 10. 42

नहीं हो गयी, उसने मकदू लनया के महान साम्राज्य पर शासन लकया। इलतहास बताता है लक रुखशोना की मृत्यु के बाद, राजनीलत के क्षेि मंे और हेलेलनद्धिक राज्यशासन पर, स्पेटमेन की बेटी अपामा लदखाई दी, जो मकदू लनया-सेलयूलसद के नए सम्राट की पत्नी बनी। उसका बेटा एं लटयोकस प्रिम, अपने लपता सेल्ूकस के जीवन के दौरान सेलयूलसद साम्राज्य का कानूनी सह-शासक बन गया। उसने मध्य एलशया के क्षेि पर शासन लकया, लजसमें बैद्धरर या, सोद्धडडयाना, माररजाना और पालिणया के प्रांत शालमल िे। सेल्ूकस एं लटओकस के पोते ने अपने दादा के राज्य के क्षेि मंे सहमलत और सामंजस्य की नीलत अपनाई, और खुद को \"आयण राज्य का उिरालधकारी\"1 घोलर्षत कर लदया। जैसा लक हम देख सकते हंै लक हेलेलनद्धिक सभ्यता के प्रभाव के बावजूद, मकदू लनयाई लवजेता को तालजकों के पूवणजों की धरती - बैद्धरर या और सोद्धडडयाना - पर उग्र प्रलतरोध लमला, जो उनके उच्च आयण संस्कृ लत, राज्य का एक लवकलसत तंि, उच्च आध्याद्धिकता के दशणन के साि एक ललद्धखत धमण और, सबसे महत्वपूर्ण, स्वतंिता-प्रेम की अखंड आिा को दशाणता है। इसके अलावे, उन्होनं े आयण सभ्यता की कई उपलद्धियों को अपनाया। हमारे राष्टर् के उलटफे र से भरे संपूर्ण इलतहास में ऐसे कई उदाहरर् हंै। हम दू र नहीं जाएं गे और एक उदाहरर् के रूप मंे अरब युि और तुकण आक्मर् के समय की बात करें गे। यह बल्ख से बमाणलकड राजवंश िा लजसने राज्य प्रर्ाली मंे अरब खलीफाओं के हस्तक्षेप को सीलमत कर सभी मामलों पर लनयंिर् कर ललया और खोरासन और महामनाहर के आलिणक और सांस्कृ लतक जीवन के सभी क्षेिों को लवकलसत करने के ललए उलचत उपाय लकए। लेलकन क्ा बुखारा की रानी कु तक्खूतुन और उसके बेटे तुग़शोदा मंे क्षमता नहीं िी, जो बुखारा पर लवजय और उसके लवनाश को रोकने के ललए रिवर्ण अरब लवजेता को उदार उपहार भेजते िे? या वरदोनखुद को ही लें, लजसने सबसे शद्धिशाली और चालाक अरब सरदार कु इलतबा इब्न मुद्धस्लम के द्धखलाफ सोगलदयनों की संयुि सेना को खड़ा लकया, उसे घेरा और एक करारी हार दी। इसी प्रकार, घमंडी अरब सरदार, खुरासान का राज्यपाल असद इब्न अब्दुल्ला, लजसने दस वर्षों तक अपनी सेना के 1 Yakubov Yu. The ancient history of the Tajik people. – Alma-Ata, 2000, p. 163. 43

साि तीन बार कोलशश की, खतलोन को पकड़ने के ललए लड़ाई मंे कड़ी मेहनत की, पर खतलोन नेताओं शाहबल और बिी तरखुर् द्वारा पूरी तरह से हार गया। अबुमुस्लीम खुरोसोनी ने उमय्यद के द्धखलाफ लविोह लकया और खुद को एक कु शल राजनीलतज्ञ, सैन्य नेता और आयोजक लदखाते हुए, नेहावेंद के पास अपनी ही सेना को हराया, लजसके बाद उसने दलक्षर्पंिी खोरासान और मवरन्नहर पर शासन करना शुरू कर अपने समुदाय को छोड़ लदया और खोरासान का पहला राज्यपाल बन गया। प्रलसि वैज्ञालनक ज़ेबहुलो साप्पो के अनुसार, \"अबुमुद्धस्लम के लविोह का मुख्य लक्ष्य ईरानी संस्कृ लत का पुनरुिार और नवीनीकरर्, एक सदी की नीदं से ईरालनयों का जागरर्, अरबों की नीलतयों का लवरोध करने और चयलनत स्वतंिता की वापसी के ललए उसकी तैयारी िी।\"1 इसललए, खुरासान योिाओं के इस नेता के बढते गौरव और स्वतंिता-प्रेमी लवचारों से भयभीत होकर अब्बालसद ने खलीफाओं के राजवंश से लवश्वासघात करते हुए उसको मरवा लदया जो माि ३५ वर्षण का िा। क्ा सच में, हमारे राष्टर् के योग्य और गौरवशाली पुि - सुम्बोदी मुगा, देवालशच, गुरक, मुकना, बाबेक, तैमूरललक, महमूद ताराबी, शाहबॉल और दजणनों अन्य - लड़ाई का जोश और स्वतंिता-प्रेम की भावना, देशभद्धि, साहस और स्वतंिता की इच्छा का प्रदशणन नहीं करते हैं? देशभद्धि और स्वतंिता की इच्छा का एक उल्लेखनीय उदाहरर् लफरदौसी द्वारा महाकाव्य \"शाहनामा\" की रचना करना है लजसके ललए उन्हंे तीस साल लग गए। पेशोडोलडयन, क्ालनड्स, अद्धिनाड्स और सासलनड्स के शाही पररवारों का गौरवशाली इलतहास इसमें वलर्णत है, जो हमारे पूवणजों की प्राचीन संस्कृ लत और राज्य परं पराओं की महानता को गौरवाद्धन्वत करता है। लफरदौसी ने हजारों वर्षण पूरानी हमारे महान दादाओं की सभ्यता के लवजेताओं से अवगत कराया और हमारे राष्टर् को लवखंडन और लवलुि होने से बचाया। हर समय और उम्र मंे, लवशेर्ष रूप से मुगल लवजय अलभयान के दौरान, हमारे राष्टर् के लनस्वािण और गौरवशाली पुिों ने हलियारो,ं या शांत गर्ना, या ज्ञान और उच्च संस्कृ लत का उपयोग करके स्वतंिता के ललए अपनी इच्छा लदखाई और ये कारक राष्टर्ीय गौरव और देशभद्धि की भावनाओं के साि अटू ट रूप से जुड़े हुए हंै। 1 Zabehullah Safa. History of Iranian literature. – Dushanbe, 2001, p. 10. 44

इस अिण मंे, हमारे राष्टर् के गौरवशाली और योग्य पुि, पररयों की कहानी के नायकों जैसे हंै - रुस्तम, सुखरोब और लसयावुश - बहादुर राजाओं के ललए - साइरस महान, दारा महान, द्धस्पटामेन, वक्षुवटण, कलनष्क महान, खुशनुमा अनुलशरवन, तोलहर इब्न हुसैन, अब्दु लो तोलहर, याकू ब लेयस और लवशेर्ष रूप से इस्माइल सोमोनी – जो एक मजबूत और अटू ट भावना के एक उज्वल अवतार िे, लजनमे उलचत साहस और दृढ इच्छाशद्धि का संयोजन िा, तिा स्वतंिता - स्वाधीनता और अपने स्वयं के राज्य बनाने और उसकी रक्षा करने की प्रबल इच्छा िी। उनके लनरं तर और अिक प्रयासों की बदौलत, हमारे राज्य की परं पराओं ने ऐलतहालसक रूप से एक मजबूत नैलतक आधार और सांस्कृ लतक पहचान प्राि की, जो आयण और इस्लामी सभ्यताओं के पालने मंे लवकलसत हुई और उसे दुलनया भर मंे गौरवाद्धन्वत लकया। तालजकों की लंबी ऐलतहालसक यािा के दौरान, उनकी अंतदृणलष्ट्, बुद्धिमिा, ज्ञान, मौललक ज्ञान के कारर्, उन्होनं े हमेशा सावणजलनक मामलों में महत्वपूर्ण भूलमका लनभाई। अपनी संस्कृ लत, लवकलसत प्रबंधन प्रर्ाली, परं पराओं और सामंजस्यपूर्ण भार्षा को संरलक्षत करते हुए, उन्होनं े लवश्व सभ्यता के लवकास मंे महत्वपूर्ण योगदान लदया। आज, हमें गवण है लक तालजलकस्तान, जो दुलनया के सबसे पुराने देशों में से एक है, की अमूल् भौलतक स्मारकों और आध्याद्धिक लवरासत ने मध्य एलशयाई क्षेि की राष्टर्ीयता सलहत, अन्य लोगों की संस्कृ लत और आध्याद्धिक लवकास मंे महत्वपूर्ण भूलमका लनभाई है। स्वतंिता और स्वाधीनता के संघर्षण का समृि ऐलतहालसक अनुभव, बीसवीं सदी मंे तालजक राष्टर् के भाग्य में एक अत्यंत कलठन समय, लजस पर हमारे सामालजक वैज्ञालनकों और इलतहासकारों ने गंभीरता से ध्यान नहीं लदया िा, के बेहद महत्वपूर्ण मायने हंै। इलतहास बताता है लक उनीसवीं सदी के अंत मंे और बीसवीं सदी का शुरुआत मंे तालजक राष्टर् ने लवलभन्न कारकों के कारर् अपने आप को इलतहास के एक बहुत ही जलटल और यहां तक लक खतरनाक अवथिा मंे पाया। इस तरह, के वल लपछली सदी में, तालजक राष्टर् लवरोधाभासों और एक दुखद संघर्षण द्वारा लचलित अवलध से, और स्वतंिता के कलठन रास्ते के साि देश और राज्य के लवकास के तीन चरर्ों से गुजरा है: बुखारा अमीरात की अवलध का 45

अंत, सोलवयत संघ के लहस्से के रूप मंे तालजक स्वायि गर्राज्य का लनमाणर् और अंत, एक स्वतंि गर्राज्य तालजलकस्तान की घोर्षर्ा और राष्टर्ीय राज्य का पुनरुिार; पूवी बुखारा के क्षेि पर तालजक सोलवयत स्वायि गर्राज्य का लनमाणर्, प्रादेलशक सीमांकन में गललतयों और पड़ोसी देशों की आबादी पर तालजक अलधकारों के प्रलतबंध के बावजूद, प्राचीन ऐलतहालसक जड़ों तक तालजक राष्टर् की वापसी और इसके गठन मंे योगदान। वैचाररक और राजनीलतक तौर पर दुभाणवनापूर्ण लक्ष्यों वाले मंडलों और समूहों ने न के वल तालजकों के ऐलतहालसक अद्धस्तत्व से इनकार लकया, बद्धि देश के अयोग्य बेटों के एक छोटे समूह के समिणन और सहायता से, यह सुलनलश्चत करने की कोलशश की लक तालजक राष्टर्, लजसकी अपनी मातृभूलम है, एक स्वदेशी राष्टर् के रूप में ऐलतहालसक रूप से गैर-अद्धस्तत्व मंे चला जाए। इस घातक अवलध के दौरान, उस्ताद सदररद्दीन आइनी ने पावन राष्टर्ीय मामलों की रक्षा मंे कदम उठाया। उनका साहसी संघर्षण, आध्याद्धिक, सांस्कृ लतक, सामालजक-राजनीलतक और वैचाररक बुद्धिमानी तिा सालहद्धत्यक गलतलवलध एक वास्तलवक राष्टर्ीय उपलद्धि िा। लनः सन्देह, ऐलतहालसक स्तर पर मातृभूलम की स्वतंिता सुलनलश्चत करने के ललए उनका एक महत्वपूर्ण योगदान िा। तालजकों के ऐलतहालसक अलधकारों और लहतों को सुलनलश्चत करने के पलवि काम में अबुलकोलसम लोहुलत और मातृभूलम के ललए समलपणत बुद्धिजीलवयों के एक समूह ने भी महत्वपूर्ण योगदान लदया। कई कलठनाइयों और बाधाओं के बावजूद, तालजकों और तालजलकस्तान के लहतों को सुलनलश्चत करने के ललए लशररं सो शोटेमुर और नुसरतुलो महसुम सलहत, कु छ दलों और राजनीलतक हद्धस्तयों द्वारा जोरदार प्रयास लकए गए और इस सब ने १९२९ में तालजक सोलवयत समाजवादी गर्राज्य के लनमाणर् में योगदान लदया। बीसवीं शताब्दी के ३० और ४० के दशक की जलटल और लवकट प्रलकयाणओं का हमारे देश के भाग्य पर गहरा और लववादास्पद प्रभाव पड़ा, लजसके पररर्ामस्वरूप कई लोगों लवशेर्षकर बुद्धिजीलवयों की मृत्यु, हजारों तालजकों का प्रवास, तिा राष्टर्ीय पहचान, संस्कृ लत और परम्पराओं की भूलमका का महत्व कम हुआ। दू सरी ओर, आलिणक, सामालजक और सांस्कृ लतक सलहत लवलभन्न संरचनाओं के गठन ने अलनवायण रूप से लशक्षा और सावणजलनक आि-जागरूकता के स्तर मंे 46

धीरे -धीरे वृद्धि की, और इस प्रलक्या ने अलधक से अलधक ऐलतहालसक और राष्टर्ीय ज्ञान की आवश्यकता के सवाल पर जोर लदया । इस ऐलतहालसक आवश्यकता को तालजक लोगों के शानदार बेटे, बाबादोज़ोन गाफरोव ने गहराई से महसूस लकया और जीवंत लकया। तालजलकस्तान के पहले नेता के रूप मंे, उन्होनं े सामालजक-आलिणक शैलक्षक और सांस्कृ लतक संरचनाओं को मज़बूत करने के सफल प्रयास लकए। उनकी लवशाल और अलद्वतीय उपलद्धियों में \"तालजक लोगों का संलक्षि इलतहास\" और लवशेर्ष रूप से उनकी \"तालजक\" ऐलतहालसक कृ लतयों की रचना शालमल है। यह परं परा इस बात पर जोर देती है लक हम तालजकों को जानबूझकर इलतहास की लकसी लवकृ लतयों की जरूरत नहीं है और नालह इसे अनुलचत और अन्य अवैज्ञालनक दृलष्ट्कोर् से लफर से ललखने की ज़रुरत है। हमारा ऐसा समृि और उज्ज्वल इलतहास है लक इसका ऊपरी या सतही पररचय भी स्पष्ट् रूप से लवश्व सभ्यता मंे हमारे राष्टर् के थिान को इंलगत करता है। मंै इस लबंदु पर जोर देता हं क्ोलं क हमारे लदनों में तिाकलित ऐलतहालसक कायण प्रकट हो रहे हंै, लजनका इस महान परं परा से कोई लेना-देना नहीं है, और यहां तक लक वे वास्तलवकता और वैज्ञालनक नैलतकता के द्धखलाफ जाते हैं। सोलवयत संघ का लहस्सा होने का सिर साल का इलतहास हमारे राज्य की स्वतंिता और नए राजनीलतक अंतररक्ष मंे राज्य के पुनरुिार का एक अलवस्मरर्ीय काल बन गया है। अपनी सीमाओं के बावजूद, तालजक स्वायि गर्राज्य एक लवकलसत लवश्व अिणव्यवथिा, उन्नत अलभयांलिकी और प्रौद्योलगकी, और आधुलनक लशक्षा की लदशा मंे आगे बढ रहा है। स्वाभालवक रूप मंे, सोलवयत सिा की प्रर्ाली की अपनी स्पष्ट् सीमाएँा िी,ं लेलकन, लफर भी, इसकी रूपरे खा में भी इच्छाशद्धि और लगातार प्रयास के द्वारा उत्पादन, आलिणक और तकनीकी क्षमता को मजबूत करना संभव िा। यद्यलप प्रचललत सोलवयत व्यवथिा मंे भी, सामालजक न्याय के ललए प्रयासरत, और एक स्वतंि राज्य के गठन तक राष्टर्ीय आिलनर्णय के ललए इसमंे रहने वाले लोगों के अलधकारों की घोर्षर्ा करते हुए, वास्तव मंे, उन्होनं े (सोलवयत संघ) एक एकीकृ त राज्य नीलत अपनाई, एक कंे िीकृ त अिणव्यवथिा और सामालजक क्षेि लवकलसत लकया, तिा राष्टर्ीय-सांस्कृ लतक संबंधों का एकल थिान का गठन लकया। उसी समय, उन्होनं े राष्टर्ीय राज्य के तत्वों में सुधार और राष्टर्ीय मूल्ों को मान्यता 47

देने के ललए स्पष्ट् और लछपी बाधाएं पैदा की,ं राष्टर्ीय गर्राज्यों के क्षेि राज्य सिा और सरकार के लवर्षय िे, यहां तक लक संबंलधत गर्राज्यों के सवोच्च अलधकाररयों के पास पूरी शद्धि नहीं िी। कई लाभों के बावजूद, आलिणक नीलत और बड़े औद्योलगक उद्यमों के लनमाणर् ने भी राष्टर् और राज्य की स्वतंिता के उच्चतम लहतों को पूरा नहीं लकया। ये बड़े उद्यम असल मंे कें ि के अधीनथि िे, और उन का गर्तंि की आलिणक प्रर्ाली के साि कोई लनकट संबंध नहीं िा। गर्तंि के बुलनयादी ढांचे और संचार नीलत को कें ि के लहतों मंे भी चलाया गया िा। उदाहरर् के ललए, छह महीने के ललए सालाना, देश के दो बड़े क्षेि - गोनो-बदख्शान और लेलननबाद - के व्यावहाररक रूप से गर्तंि की राजधानी और कंे ि के साि सामान्य पररवहन संबंध नहीं िे। कृ लर्ष क्षेि मंे, हालांलक कपास उगाने को प्रािलमकता दी गई िी, लेलकन देश के छोटे उद्योगों के उद्यमों में कपास का के वल एक छोटा सा लहस्सा संसालधत लकया गया िा। यहां तक लक कु रगान-टू लबन्स्काया और कु लाबस्काया जैसे दो बड़े क्षेिों में, जहाँा देश के कपास का ६० प्रलतशत उत्पादन होता िा, वहां एक भी लवशेर्ष रूप से सुसद्धित कपड़े का कारखाना नहीं चल रहा िा। इसके अलावा, राज्य और पाटी लहतों की रक्षा के बहाने, राष्टर्ीय लहतों की रूपरे खा सीलमत थी। तिा दू सरे दलों की शद्धियां और दालयत्व कागज पर बने रहे। क्षेिीय राष्टर् के इलतहास और संस्कृ लत, राष्टर्ीय भार्षा, रीलत-ररवाजो,ं परं पराओं और महान- पूवणजों के संस्कारों के ललए सम्मान मंे लगरावट आई, और उनकी जगह पाटी समारोहों और व्यद्धिवाद की लवजय ने ले ली। इन कारकों ने धीरे -धीरे हमारे समाज मंे एक गहरे सामालजक संकट को जन्म लदया, जो बाद में के न्द्रापसारक प्रवृलि और स्वतंिता की इच्छा का कारर् बना। पेरे स्त्रोइका के समय स्वतंिता के ललए प्रयास करने और राष्टर्ीय आंदोलनों के उद्भव के ललए एक लवशेर्ष रूप से मजबूत गलत प्रदान की, जब कें ि की ओर जाने वाली प्रवृलियां िम गईं, और स्वतंिता की इच्छा तेज हो गई। हमारे गर्तंि की स्वतंिता और राष्टर्ीय आंदोलनों में सबसे आगे, स्वाभालवक रूप से, बुद्धिजीवी और समाज के अन्य सलक्य वगण िे। बुद्धिजीलवयों की मंडल, लवशेर्ष रूप से रचनािक लोग, जो संबंधों के कें द्रीकरण, लवदेशी देशों के साथ संबंधों में कमी, भाषा और संस्कृ लत से संबंलधत वैचाररक दबाव, सेंसरलशप और अन्य नौकरशाही बाधाओं के लवस्तार के द्धखलाफ िा, उसने ख़ुशी के साि पेरे स्त्रोइका की 48

ताजा हवा का स्वागत लकया। अस्सी के दशक मंे तालजक भार्षा और सांस्कृ लतक लवरासत के संबंध में लकए गए प्रयासों ने पेरे स्त्रोइका की अवलध के दौरान राष्टर्ीय आि-ज्ञान के आंदोलन को भी मजबूत लकया। यह लवशेर्ष रूप से पेरे स्त्रोइका के समय और इसके साि जुड़े ऐलतहालसक और क्ांलतकारी पररवतणनों के दौरान स्पष्ट् हो गया। इस अवलध मंे जो ऐलतहालसक अवसर पैदा लकए गए िे, उन्होनं े सवोच्च और पावन लक्ष्य - तालजलकस्तान की स्वतंिता - को प्राि करने के नाम पर समाज के सभी सलक्य बलों को एकजुट लकया। तालजक भार्षा को एक राष्टर्ीय भार्षा का दजाण देने का प्रयास लगभग एक राष्टर्ीय लवचार बन गया, जो ऐलतहालसक कानून \"भार्षा के सम्बन्ध मंे\" को अपनाने में सबसे महत्वपूर्ण कारक बना। तालजलकस्तान सलहत सोलवयत गर्राज्यों की राज्य स्वतंिता, आलधकाररक तौर पर तीन स्लाव गर्राज्यों - बेलारूस, यूक्े न और रूसी संघ - के लनमाणर् के बाद शुरू हुई, और एक शद्धिशाली सोलवयत साम्राज्य के पतन से एक नए ऐलतहालसक चरर् की शुरुआत हुई। राज्य की स्वतंिता प्राि करने और तालजलकस्तान को एक स्वतंि गर्राज्य और अंतरराष्टर्ीय संबंधों के पूर्ण लवर्षय के रूप में घोलर्षत करने की प्रलक्या औपचाररक रूप से अन्य स्वतंि गर्राज्यों के जैसी िी, हालांलक, आगे के घटनाक्मों ने गंभीर सामालजक पररवतणनो,ं लवशेर्ष रूप से तीव्र सामालजक लवरोधाभासो,ं टकरावों और अंत में, एक लबगड़े हुए गृहयुि की ओर अग्रसर लकया। न तो सरकार, न ही राजनीलतक लवपक्ष, न ही अन्य राजनीलतक और सामालजक ताकतंे गहराई से महसूस कर सकती हंै लक स्वतंिता राजनीलतक, पाटी, व्यद्धिगत लक्ष्यों और लहतों से ऊपर है, क्ोलं क यह देश के सभी लनवालसयों के ललए पावन और अमूल् है लजसे दू सरा कोई भी मूल् पूरा नहीं कर सकता है। इसके अलावा, अत्यंत जलटल क्षेिीय और अंतरराष्टर्ीय प्रलक्याओं की लवर्षयों और तत्वों की अनदेखी, और लवशेर्ष रूप से तालजलकस्तान के बारे मंे कु छ दू सरे देशों के कु छ क्षेिों के लक्ष्यों और इरादों ने हमारे इलतहास में भयानक घटनाओं को जन्म लदया। उपलि दस्तावेज और सामग्री दशाणती है लक कु छ लवलशष्ट् मंडलों ने हमारे राष्टर् पर एक लवदेशी लवचारधारा को लागू करने के लवचार का पोर्षर् लकया। दू सरों ने हमारे प्यारे देश के लवभाजन और लवखंडन की योजनाएाँ बनाईं और यहाँा 49

तक लक कु छ सिा के भूखे देशिोलहयों के समिणन से उन्हंे लागू करने के प्रयास लकए। युि की लनरं तरता ने इन धूलयुि लक्ष्यों के पनपने मंे योगदान लदया। तालजकों के राज्य के लवखंडन और तालजक राष्टर् का लवभाजन और लवलुि होने का खतरा मंडरा रहा िा, ठीक उसी समय, देश के लोगों द्वारा मातृभूलम की स्वतंिता को प्रािलमकता तिा मान्यता देते हुए, पूवण लवपक्ष और अलधकांश राजनीलतक बलों ने राजनीलतक सद्भाव और राष्टर्ीय एकता प्राि करने के नाम पर सुलह और शांलत वाताण के ललए मागण प्रशस्त लकया। जीवन ने इस मागण के सही होने की पुलष्ट् की। शांलत और द्धथिरता की वजह से हम कंे ि मंे और थिानीय लकवाग्रस्त अंगों और राज्य शद्धि की संरचनाओं को लफर से बहाल करने मंे सक्षम हुए, िोड़े ही समय मंे, दस लाख से अलधक शरर्ालिणयों की उनके थिायी लनवास थिानों पर वापसी कराई तिा युि मंे नष्ट् हुई सामलग्रयों की बहाली के ललए आगे बढंे। इलतहास मंे ऐसे काम के कु छ ही उदाहरर् हंै। शांलत और राष्टर्ीय समझौते की थिापना पर सामान्य समझौते पर हस्ताक्षर करने के आठ साल बाद, राष्टर् की आध्याद्धिकता के लवकास और हमारे राज्य के समेकन को काफी तेज लकया गया; राष्टर्ीय मूल्ों ने लोगों के लदमाग मंे एक लवशेर्ष थिान ललया। स्वतंि राज्य होने के कारर्, हमें अपने प्राचीन राष्टर् के इलतहास से बेहतर पररलचत होने, और अतीत की सभ्यता की जड़ों का पता लगाने का अवसर लमला, तालक हम उनका उपयोग देश प्रेम, आि-जागरूकता और लोगों के राष्टर्ीय गौरव को सुदृढ एवं हमारे स्वतंि राज्य की नीवं को मजबूत करने के ललए कर सकंे । स्वतंिता लदवस, प्राचीन नवरूज, और राष्टर्ीय एकता लदवस राष्टर्ीय अवकाश में बदल गए। तालजलकस्तान ने राष्टर्ीय झंडा, राष्टर्ीय प्रतीक, राष्टर्ीय गान, राष्टर्ीय सेना, सीमा सैलनक, राष्टर्ीय मुिा तैयार की और संयुक्त राष्टर्, यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन, इस्लालमक सम्मेलन के संगठन और दजगनों प्रभावशाली अंतरराष्टर्ीय लवत्तीय संगठनों का पूणग सदस्य बना। यह स्वतंिता की अवलध का पावन मूल्, राष्टर्ीय राज्य की लवजय का प्रतीक और सभ्य दुलनया में हमारे प्यारे देश का प्रवेश िा। यह ध्यान देने योग्य है लक वैश्वीकरर् की प्रलक्याओं के संदभण में, लोगों और देशों को अपनी सांस्कृ लतक और नैलतक मूल्ों सलहत अपनी राष्टर्ीय आध्याद्धिक छलव बनाए रखने में सक्षम होना चालहए। यह जीवन की आज्ञा और प्रत्येक जागरूक और सांस्कृ लतक राष्टर् का पलवि कतणव्य है। जैसा लक हमने पहले 50


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